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नाम | उम्र | स्तन,कमर, नितंभ | फोटो |
ईशिता.......... पति आलोक 60 साल बेटा – सुमित सोनू 24 साल | 42 | 32,28,34 | |
महारानी कौशल्यादेवी बेटा – बलदेव 24 साल | 48 | 34,30,38 | |
कावेरी बेटा 18 साल | 36 | 32,28,38 | ![]() |
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नाम | उम्र | स्तन,कमर, नितंभ | फोटो |
ईशिता.......... पति आलोक 60 साल बेटा – सुमित सोनू 24 साल | 42 | 32,28,34 | |
महारानी कौशल्यादेवी बेटा – बलदेव 24 साल | 48 | 34,30,38 | |
कावेरी बेटा 18 साल | 36 | 32,28,38 | ![]() |
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdated 03
में चुटियो में घर आया हुआ था...हमारा घर सहर के सौर सराबे से थोड़ा दूर है.. आश पास काफी जगा हे और घर के आगे और पीछे बड़ा सा गार्डन बनाया हुआ है...
ठंड का मौसम चल रहा है और में अभी तक उठा नहीं था.. सुबह के 8 बज गई थे...मां अपने नहा के मेरे कमरे में आई..में रात में नीचे आने के बाद अपनी पेंट निकल दिया...मेरा लिंग बाहर निकल के पुरा तना हुआ खड़ा था...
में अपने खयालो में मां को सोच रहा था की...मां कमरे में आई..मेने आखें बंद कर ली...मां ने मुझे आवाज दी..लेकिन में नही उठा..."सोनू उठ जा बेटा... नाश्ता बन गया है..जा नहा के आजा..." मां अब बेड पर बैठ मेरी तरफ देख मेरे बालो को सहला रही थी...मुझे बड़ा अच्छा लगा...की तभी मां ने मेरे गालों को चूमते हुए मेरे कान में उसकी मीठी आवाज में बोली "उठ जा मेरे लाल...पता है तू जाग ही रहा होगा में जा रही हू जल्दी आजा" मां जैसे ही उठने लगी...मेने मां को कस के पकड़ के मेरे उपर गिरा दिया...मां जोर से धक्का मारी लेकिन मैने मां को अपनी पूरी शक्ति से जकड़ रखा था...
मां का मुंह मेरे मुंह के इतना करीब था की ने जरा उपर उठ जाता तो मां के गुलाबी होंठ मेरे सूखे होठ से मिल जाते...मां के चांद से खुसबूरत चहरे पे बड़ी सी मुस्कान आ गई...मेरे हाथ मां की नंगी पीठ से होते हुए उन्हें जकड़ रखे थे...उनका ठंडा गिला बदन मुझे उत्तेजना से भर दिया...
मेरा लिंग बाहर निकल आया था...जो ठंड में और अधिक गर्मी निकल रहा था...मेरे दिल में यही चल रहा था कि काश मां अपनी मुलायम हथेली में मेरा लिंग पकड़ के सहला दे...मेरी उत्तेजना इतनी बड़ी हुए थी की मेने डरते हुए दबी आवाज में बोला "मां...मां...वो.." में आगे बोल नही पाया..."क्या वो वो..चल मजे जाने दे... मेरी छुट्टी नहीं चल रही तेरी तरह...
"इशिता कहा गई...मेरी चाय लाओ यार..." मेने पापा की आवाज सुन मां को छोड़ दिया...और मां उठ गई...मेरा लिंग पूरा बाहर निकल के खड़ा था...
मां ने मेरे लिंग को दो पल देखा और बोली " कितना बड़ा हो गया लेकिन अभी तक बच्चे की तरह नंगा सोता है...इतनी ठंड में...जरा तो खयाल रख..." और मां ने रजाई उठा के उपर कर दी...उनका हक्का सा हाथ मेरे लिंग को लगा और वो लोहे जैसे सख्त हो उठा.. मेरे दिल की धड़कने तेज तेज हो उठी...और में अपने किस्मत पे भरोसा नही हुआ...मां के हाथ का गर्म स्पर्श मुझे पागल कर दिया...
मै तुरत नहाने भाग गया और अपने लिंग को पकड़ के आगे पीछे करते हुए मां के हाथ का मुलायम स्पर्श को याद करने लगा...और बहोत सारा गाड़ा गाड़ा वीर्य निकल दिया...
Updated 03
में चुटियो में घर आया हुआ था...हमारा घर सहर के सौर सराबे से थोड़ा दूर है.. आश पास काफी जगा हे और घर के आगे और पीछे बड़ा सा गार्डन बनाया हुआ है...
ठंड का मौसम चल रहा है और में अभी तक उठा नहीं था.. सुबह के 8 बज गई थे...मां अपने नहा के मेरे कमरे में आई..में रात में नीचे आने के बाद अपनी पेंट निकल दिया...मेरा लिंग बाहर निकल के पुरा तना हुआ खड़ा था...
में अपने खयालो में मां को सोच रहा था की...मां कमरे में आई..मेने आखें बंद कर ली...मां ने मुझे आवाज दी..लेकिन में नही उठा..."सोनू उठ जा बेटा... नाश्ता बन गया है..जा नहा के आजा..." मां अब बेड पर बैठ मेरी तरफ देख मेरे बालो को सहला रही थी...मुझे बड़ा अच्छा लगा...की तभी मां ने मेरे गालों को चूमते हुए मेरे कान में उसकी मीठी आवाज में बोली "उठ जा मेरे लाल...पता है तू जाग ही रहा होगा में जा रही हू जल्दी आजा" मां जैसे ही उठने लगी...मेने मां को कस के पकड़ के मेरे उपर गिरा दिया...मां जोर से धक्का मारी लेकिन मैने मां को अपनी पूरी शक्ति से जकड़ रखा था...
मां का मुंह मेरे मुंह के इतना करीब था की ने जरा उपर उठ जाता तो मां के गुलाबी होंठ मेरे सूखे होठ से मिल जाते...मां के चांद से खुसबूरत चहरे पे बड़ी सी मुस्कान आ गई...मेरे हाथ मां की नंगी पीठ से होते हुए उन्हें जकड़ रखे थे...उनका ठंडा गिला बदन मुझे उत्तेजना से भर दिया...
मेरा लिंग बाहर निकल आया था...जो ठंड में और अधिक गर्मी निकल रहा था...मेरे दिल में यही चल रहा था कि काश मां अपनी मुलायम हथेली में मेरा लिंग पकड़ के सहला दे...मेरी उत्तेजना इतनी बड़ी हुए थी की मेने डरते हुए दबी आवाज में बोला "मां...मां...वो.." में आगे बोल नही पाया..."क्या वो वो..चल मजे जाने दे... मेरी छुट्टी नहीं चल रही तेरी तरह...
"इशिता कहा गई...मेरी चाय लाओ यार..." मेने पापा की आवाज सुन मां को छोड़ दिया...और मां उठ गई...मेरा लिंग पूरा बाहर निकल के खड़ा था...
मां ने मेरे लिंग को दो पल देखा और बोली " कितना बड़ा हो गया लेकिन अभी तक बच्चे की तरह नंगा सोता है...इतनी ठंड में...जरा तो खयाल रख..." और मां ने रजाई उठा के उपर कर दी...उनका हक्का सा हाथ मेरे लिंग को लगा और वो लोहे जैसे सख्त हो उठा.. मेरे दिल की धड़कने तेज तेज हो उठी...और में अपने किस्मत पे भरोसा नही हुआ...मां के हाथ का गर्म स्पर्श मुझे पागल कर दिया...
मै तुरत नहाने भाग गया और अपने लिंग को पकड़ के आगे पीछे करते हुए मां के हाथ का मुलायम स्पर्श को याद करने लगा...और बहोत सारा गाड़ा गाड़ा वीर्य निकल दिया...