Update 19
मैने कॉल उठा के मां के हाथ में फोन दे दिया...
"तुम दोनो ठीक होना अभी तक आए नही..." "जी हम ठीक है कल तक ही आ पाएंगे जी..में मायके आ गई हूं घर जा रास्ते में पानी बहुत था जी" में मां की नंगी पीठ को सहलाने लगा...क्या दूध सा बदन था मां का में खुद को रोक ही नही पाया...जैसे ही मेरा हाथ मां की गांड़ की दरार पर पहुंचा मां की हल्की सी सिसक निकल गई..और वो प्यार और गुस्सा के मिले जुले स्वर में बोली "हट बदमाश" पापा ने मां की आवाज सुनी और उन्हे अजीब तो लगा लेकिन वो कुछ बोल नहीं...."बहु को दे रहा हु..जरा सूरज से बात करवा दो"
पारुल ने पापा के हाथ से फोन लिया और सरमाते हुए...हुए बोली "जी आप अपना खयाल रखना" अपनी बहु की शर्म देख पापा बाहर निकल गई आंगन के...ताकि उनकी बहू आराम से खुल के बात कर पाई...पापा के जाते ही पारुल अपनी मीठी आवाज में बोली "परी के पापा मेरा दिल बड़ा घबरा रहा है आप ठीक होना..." "हा हा ठीक हु तुम परी का ध्यान रखना बारिश तेज हो रही है" पारुल मन में बोली "परी को नही आप की पारुल को आप की बाहों में सुकून से सोना है पागल" फिर बोली "आप जल्दी आ जाओ...मेरा दिल बैचेन हो रहा है जैसे आप को कोई मुझ से छीन लेगा.."
"पागल हो क्या.. कोन छीन लेगा चलो सो जाओ अब" में मां की नंगी पीठ में इतना खो गया था की पारुल से ठीक से बात तक नहीं की और कॉल कट कर दिया...
पारुल का फिर से कॉल आया लेकिन मैने कट कर दिया...में अब मां की खूबसूरती को बस आज जी भर के निचोड़ लेना चाहता था...मेरे सामने पहली बार एक औरत अपने जिस्म को खुला कर बैठी थी..में कुछ सोचने समझने की हालत में ही कहा था...मुझे बस मां की खूबसूरती दिख रही थी और उनके लिए मेरा प्यार तो पहले से था...में आज जैसे मां को हर मुनिकन तरीके से अपनी बना लेने की फिराक में था...
में कभी पोर्न नही देखा था...लेकिन मैने हॉलीवुड की फिल्मों में दो प्रेमी को एक दूसरे के नंगे बदन के साथ खेलते देखा था...में मां को उसी तरह से प्यार देने के बारे में सोचने लगा...मेरे दिमाग में एक बार भी नही आया की ये मेरी सगी मां है जिसे में भोगने के सपने देखने लगा हू...आज जो कुछ मेने देखा था डॉक्टर मधु और उनके बेटे को मेरा दिमाग वही पागल हो गया था...हम अपनी मां से तो दुनिया में सब से अधिक प्यार करते ही होते है बस अपनी मां के लिए को आदर सम्मान होता है वो हमे रोक रखता है उसके लिए कामुक कल्पनाएं करने से...लेकिन जब आप की मां आप के साथ अर्ध नंगी हो और आप ने अभी ही उसके जोबन का रसपान किया हो...तो आप सब कुछ भूल अपनी मां को बस खुस करने के तरीके खोजते है...में मां को हर जगह चूम के उन्हें जताना चाहता था की मां में तुझे कितना प्यार करता हु...और पापा भी नही करते उस से ज्यादा... अक्सर ऐसी स्थिति में बेटे यही सोचते है की जो जो पापा मां के साथ करते है वो सब में भी कर सकता हु आखिर मां मेरी भी हे...मेरा भी हक बनता है....लेकिन साथ में मां के प्रतिभाव क्या होगा इस बात से डर भी रहा था...मेने डरते हुए ही मां का हाथ पकड़ के उन्हे पीछे से पकड़ के उनके कानों में धीमे से बोला....
मां का बदन आग छोड़ रहा था और वो भी बड़ी बैचेन हो रही थी..."मां...मां...मां" में आगे बोल ही नहीं पाया....
मां पीछे को हुए और जैसे मेरी दिल को बात समझ गई हो...मुझे खुद ही अपने सीने से लगा ली..."मेरे लाल मां से इतना क्यू डर रहा है तेरी मां हू बोल दे मेरे लाल.."
मां के निखुले स्तन मेरी छाती में गड़ गई...जो मुझे पागल बना रहे थे...मेने मां को कस के अपनी बाहों में
उठा के मेरी गोद में बैठा दिया...उनके पर अपने आप मेरी कमर को पकड़ लेते है...में अपनी मां मेरे लिंग पे बैठ गई थी...जो पहले से खड़ा था..मां का वजन मुझे हकला ही लगा लेकिन मेरे लिंग को मां इसे बैठ जाना बड़ा तंग करने लगा.. वो पूरा दब सा गया था... मै मेरे लिंग को बाहर निकाल उसे आजाद करना चाहता था...मां मेरी गोद में आ गई थी जिस से उनके दोनो चूचे मेरे मुंह के बिलकुल नीचे तने हुए लटक रहे थे...वही मां गला मेरे होठों से लग रहा था...
मां भी अब बहक रही थी...उनकी योनि पे मेरा विशाल लिंग की गर्म वहा लग गई थी...जो उन्हे अपनी योनि गीली करने से रोक नही पाई... वही में की पुरी नंगी पीठ को सहला के उनको और उत्तेजित कर रहा था..वो कभी कभी आह निकल देती....
"बेटा बस कर अपनी मां से इतना प्यार ठीक नही अब हट भी जा..." मां अपनी मादक आवाज में बोली बिलल
ही मेरे कानो में...ये वाक्य मुझे इतना कामुक लगा कि मेरे मुंह से निकल गया..."मां आज की रात में आप को भरपूर प्यार देना चाहता.. मेने आप पर कभी ध्यान ही नही दिया...आप को में आज अपना बना लूंगा मां.." ये बोलते ही मेने मां के गले को चूमने लगा...और मां बस अपनी मादक सिसकारियां भरने लगी...मेने मां को आगे को उनके सर को पकड़ के किया और उनके उभरे स्तन को बेरहमी से चूमने और काटने लगा...
मां से इतना दर्द और प्यार एक साथ सहा नही गया और वो ये भूल के की वो उनके सगे बेटे की गोद में बैठी हे...मुझे जितना हो सके उतना अपनी बाहों में भर के मेरे स्तन मर्दन को रोक दी...मां की और मेरी तेज तेज रफ्तार से सास चलन लगी...
मां जैसे ही थोड़ा सा होस में आई वो उठ गई और अपने कपड़े पहने लगी...
में फट से उनको पीछे से पकड़ उनके हाथ से उनका ब्लाउज खींचने लगा...वो पूरी कोशिश करने लगी अपने कपड़े पहन ले लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और इस खींचा तानी में मां का ब्लाउज फट गया...मां एक दम गुस्सा से लाल हो गई...
वो मेरी और हुए और अपना फटा ब्लाउस दूर फेक गुस्से में आकर बोली.."क्या चाइए तुजे ये लूट ले अपनी मां की इज्जत ये ले..और वो अपना सीना ताने मेरी तरफ इसे देख रही थी जैसे मुझे उनकी आखों से अभी आग निकल जाएगी और मुझे जला ही देगी..."
में मां रोने लगी..और में भी रोने लगा और मां में पिरो में बैठ में उनके पेरो में रोने लगा...कुछ देर हम दोनो चुप हो गई..एक तेज रफ्तार से हवाएं चलने लगी...और बारिश इतनी तेज हो गई की कुछ बुंदे अंदर आ रही थी...और बादल इसे गरज रहे थे जैसे आज पूरी दुनिया ही डूबा दे...मेरे हाथ मां के पैरो पे थे..मुझे अचानक ही एक आवाज मेरे कानो में गूंज उठी...मां की हर कामुक आवाजे मुझे सुनाई देने लगी...और दूसरे ही पल में एक शांत सी जगा पे पजुच गया... जहा दूर से एक तेज रोशनी आ रही थी... में आगे बड़ा...जैसे जैसे में आगे बढ़ रहा मुझे मां की तेज तेज सिसकारियां सुनाई देती...जैसे आगे कुछ भयानक रूप लेने वाला था... सूरज उसकी मां की इतनी कामुक सिसकारियां पहली बार सुन रहा था...वो उसकी मां की मीठी मीठी आवाज कैसे भुल सकता था...वो आगे बढ़ तो रहा था लेकिन उसका दिल बड़ा घबरा गया था...
सूरज जैसे ही आगे गया... वाह उसे वहा उसे वही झोपड़ी बनी हुई दिखी...उसे और से उसकी मां की तेज तेज सिसकारियां भरने की कामुक आवाज आ रही थी...उसकी आंखों से अचानक ही आसू आने लगे....वो अपनी मां की कामुक आवजे बर्दास्त नही कर पाया...वो कैसे तेसे आगे बड़ा...अब उसे एक पायल को खनकने की मधुर आवाज उसकी मां की सिसकारी से साथ आने लगी...."आह आह आह नही होता अब ये दर्द बर्दास्त... आऊच बस अब तो निकल लीजिए आह में मर न जाऊं...मुझे आदत नही आह.."
में जैसे तैसे हिम्मत कर झोपड़ी में झांकने लगा...मेरी आंखे मां के दर्द भरे मुंह को देख बंद हो गई... मेने आखे खोली...मां के स्तन लाल हो गई थे...उनके बाल खुले हुए थे जो जमीन पे बिखरे हुए थे...उनकी मांग सिंदूर से भरी हुई थी.. उबली गोरी त्वचा और चमक रही थी वो अपनी जवानी के रूप में थी...जब मेरा ध्यान ठीक से गया मैने देखा मां दर्द से छुटकारा पाने को मचल रही थी...और वो आदमी भी अब रुक गया था...मां को सुकून मिल रहा था..उनकी नंगी चूची और बदन देख और उनका सुंदर प्यारा चहरा देख में मुझे अंदाजा लगा की मां बस अभी 25 साल की है...उनका जिस्म एक दम पतला सा था...
वो आदमी उम्र में मां के बाप का ही लग रहा था..वो एक तेज धक्का मरता है और मां की आखों से आसू की एक तेज धार निकल आई...
में मां को इस हालत में देख रोने लगा...
दूसरे ही पल वो मां को पूरा उठा के अपनी गोद में लेकर जो जोर से धक्का मारने लगा मां उसे कस के पकड़ ली थी...वो मां की दर्द की परवाह किए बिना मां की योनि में लिंग घुसा रहा था...मां तेज तेज रोने लगी थी...उस आदमी का बस मुझे पीठ दिख रहा था...
मां का दर्द जैसे काम हो गया था वो बड़े कामुक तरह से यूएस बूढ़े आदमी लिपट रही थी..वो मां की योनि से अपना पूरा लिंग बाहर कर एक ही बार में एक तेज रफ्तार से पूरा लिंग मां की योनि में उतार दिया...मां की इतनी तेज चीख निकली की मेरी रूह काप उठी...मां ने भी दर्द से उस आदमी की पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए....
आदमी ने मां को फिर से नीचे गिरा दिया...और मां की योनि पे अपना लिंग रगड़ने लगे....मां तड़प उठी...वो अपना सीना पूरा उठा उठा के अपनी काम आग को ठंडा करने को मचल रही थी..."बस अब और मत तड़पाओ बस अब मेरी सुखी कोख को अपने वीर्य से सींच दीजिए बना लीजिए अपने बच्चे की मां मुझे आह..."
To be continued....
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 19
मैने कॉल उठा के मां के हाथ में फोन दे दिया...
"तुम दोनो ठीक होना अभी तक आए नही..." "जी हम ठीक है कल तक ही आ पाएंगे जी..में मायके आ गई हूं घर जा रास्ते में पानी बहुत था जी" में मां की नंगी पीठ को सहलाने लगा...क्या दूध सा बदन था मां का में खुद को रोक ही नही पाया...जैसे ही मेरा हाथ मां की गांड़ की दरार पर पहुंचा मां की हल्की सी सिसक निकल गई..और वो प्यार और गुस्सा के मिले जुले स्वर में बोली "हट बदमाश" पापा ने मां की आवाज सुनी और उन्हे अजीब तो लगा लेकिन वो कुछ बोल नहीं...."बहु को दे रहा हु..जरा सूरज से बात करवा दो"
पारुल ने पापा के हाथ से फोन लिया और सरमाते हुए...हुए बोली "जी आप अपना खयाल रखना" अपनी बहु की शर्म देख पापा बाहर निकल गई आंगन के...ताकि उनकी बहू आराम से खुल के बात कर पाई...पापा के जाते ही पारुल अपनी मीठी आवाज में बोली "परी के पापा मेरा दिल बड़ा घबरा रहा है आप ठीक होना..." "हा हा ठीक हु तुम परी का ध्यान रखना बारिश तेज हो रही है" पारुल मन में बोली "परी को नही आप की पारुल को आप की बाहों में सुकून से सोना है पागल" फिर बोली "आप जल्दी आ जाओ...मेरा दिल बैचेन हो रहा है जैसे आप को कोई मुझ से छीन लेगा.."
"पागल हो क्या.. कोन छीन लेगा चलो सो जाओ अब" में मां की नंगी पीठ में इतना खो गया था की पारुल से ठीक से बात तक नहीं की और कॉल कट कर दिया...
पारुल का फिर से कॉल आया लेकिन मैने कट कर दिया...में अब मां की खूबसूरती को बस आज जी भर के निचोड़ लेना चाहता था...मेरे सामने पहली बार एक औरत अपने जिस्म को खुला कर बैठी थी..में कुछ सोचने समझने की हालत में ही कहा था...मुझे बस मां की खूबसूरती दिख रही थी और उनके लिए मेरा प्यार तो पहले से था...में आज जैसे मां को हर मुनिकन तरीके से अपनी बना लेने की फिराक में था...
में कभी पोर्न नही देखा था...लेकिन मैने हॉलीवुड की फिल्मों में दो प्रेमी को एक दूसरे के नंगे बदन के साथ खेलते देखा था...में मां को उसी तरह से प्यार देने के बारे में सोचने लगा...मेरे दिमाग में एक बार भी नही आया की ये मेरी सगी मां है जिसे में भोगने के सपने देखने लगा हू...आज जो कुछ मेने देखा था डॉक्टर मधु और उनके बेटे को मेरा दिमाग वही पागल हो गया था...हम अपनी मां से तो दुनिया में सब से अधिक प्यार करते ही होते है बस अपनी मां के लिए को आदर सम्मान होता है वो हमे रोक रखता है उसके लिए कामुक कल्पनाएं करने से...लेकिन जब आप की मां आप के साथ अर्ध नंगी हो और आप ने अभी ही उसके जोबन का रसपान किया हो...तो आप सब कुछ भूल अपनी मां को बस खुस करने के तरीके खोजते है...में मां को हर जगह चूम के उन्हें जताना चाहता था की मां में तुझे कितना प्यार करता हु...और पापा भी नही करते उस से ज्यादा... अक्सर ऐसी स्थिति में बेटे यही सोचते है की जो जो पापा मां के साथ करते है वो सब में भी कर सकता हु आखिर मां मेरी भी हे...मेरा भी हक बनता है....लेकिन साथ में मां के प्रतिभाव क्या होगा इस बात से डर भी रहा था...मेने डरते हुए ही मां का हाथ पकड़ के उन्हे पीछे से पकड़ के उनके कानों में धीमे से बोला....
मां का बदन आग छोड़ रहा था और वो भी बड़ी बैचेन हो रही थी..."मां...मां...मां" में आगे बोल ही नहीं पाया....
मां पीछे को हुए और जैसे मेरी दिल को बात समझ गई हो...मुझे खुद ही अपने सीने से लगा ली..."मेरे लाल मां से इतना क्यू डर रहा है तेरी मां हू बोल दे मेरे लाल.."
मां के निखुले स्तन मेरी छाती में गड़ गई...जो मुझे पागल बना रहे थे...मेने मां को कस के अपनी बाहों में
उठा के मेरी गोद में बैठा दिया...उनके पर अपने आप मेरी कमर को पकड़ लेते है...में अपनी मां मेरे लिंग पे बैठ गई थी...जो पहले से खड़ा था..मां का वजन मुझे हकला ही लगा लेकिन मेरे लिंग को मां इसे बैठ जाना बड़ा तंग करने लगा.. वो पूरा दब सा गया था... मै मेरे लिंग को बाहर निकाल उसे आजाद करना चाहता था...मां मेरी गोद में आ गई थी जिस से उनके दोनो चूचे मेरे मुंह के बिलकुल नीचे तने हुए लटक रहे थे...वही मां गला मेरे होठों से लग रहा था...
मां भी अब बहक रही थी...उनकी योनि पे मेरा विशाल लिंग की गर्म वहा लग गई थी...जो उन्हे अपनी योनि गीली करने से रोक नही पाई... वही में की पुरी नंगी पीठ को सहला के उनको और उत्तेजित कर रहा था..वो कभी कभी आह निकल देती....
"बेटा बस कर अपनी मां से इतना प्यार ठीक नही अब हट भी जा..." मां अपनी मादक आवाज में बोली बिलल
ही मेरे कानो में...ये वाक्य मुझे इतना कामुक लगा कि मेरे मुंह से निकल गया..."मां आज की रात में आप को भरपूर प्यार देना चाहता.. मेने आप पर कभी ध्यान ही नही दिया...आप को में आज अपना बना लूंगा मां.." ये बोलते ही मेने मां के गले को चूमने लगा...और मां बस अपनी मादक सिसकारियां भरने लगी...मेने मां को आगे को उनके सर को पकड़ के किया और उनके उभरे स्तन को बेरहमी से चूमने और काटने लगा...
मां से इतना दर्द और प्यार एक साथ सहा नही गया और वो ये भूल के की वो उनके सगे बेटे की गोद में बैठी हे...मुझे जितना हो सके उतना अपनी बाहों में भर के मेरे स्तन मर्दन को रोक दी...मां की और मेरी तेज तेज रफ्तार से सास चलन लगी...
मां जैसे ही थोड़ा सा होस में आई वो उठ गई और अपने कपड़े पहने लगी...
में फट से उनको पीछे से पकड़ उनके हाथ से उनका ब्लाउज खींचने लगा...वो पूरी कोशिश करने लगी अपने कपड़े पहन ले लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और इस खींचा तानी में मां का ब्लाउज फट गया...मां एक दम गुस्सा से लाल हो गई...
वो मेरी और हुए और अपना फटा ब्लाउस दूर फेक गुस्से में आकर बोली.."क्या चाइए तुजे ये लूट ले अपनी मां की इज्जत ये ले..और वो अपना सीना ताने मेरी तरफ इसे देख रही थी जैसे मुझे उनकी आखों से अभी आग निकल जाएगी और मुझे जला ही देगी..."
में मां रोने लगी..और में भी रोने लगा और मां में पिरो में बैठ में उनके पेरो में रोने लगा...कुछ देर हम दोनो चुप हो गई..एक तेज रफ्तार से हवाएं चलने लगी...और बारिश इतनी तेज हो गई की कुछ बुंदे अंदर आ रही थी...और बादल इसे गरज रहे थे जैसे आज पूरी दुनिया ही डूबा दे...मेरे हाथ मां के पैरो पे थे..मुझे अचानक ही एक आवाज मेरे कानो में गूंज उठी...मां की हर कामुक आवाजे मुझे सुनाई देने लगी...और दूसरे ही पल में एक शांत सी जगा पे पजुच गया... जहा दूर से एक तेज रोशनी आ रही थी... में आगे बड़ा...जैसे जैसे में आगे बढ़ रहा मुझे मां की तेज तेज सिसकारियां सुनाई देती...जैसे आगे कुछ भयानक रूप लेने वाला था... सूरज उसकी मां की इतनी कामुक सिसकारियां पहली बार सुन रहा था...वो उसकी मां की मीठी मीठी आवाज कैसे भुल सकता था...वो आगे बढ़ तो रहा था लेकिन उसका दिल बड़ा घबरा गया था...
सूरज जैसे ही आगे गया... वाह उसे वहा उसे वही झोपड़ी बनी हुई दिखी...उसे और से उसकी मां की तेज तेज सिसकारियां भरने की कामुक आवाज आ रही थी...उसकी आंखों से अचानक ही आसू आने लगे....वो अपनी मां की कामुक आवजे बर्दास्त नही कर पाया...वो कैसे तेसे आगे बड़ा...अब उसे एक पायल को खनकने की मधुर आवाज उसकी मां की सिसकारी से साथ आने लगी...."आह आह आह नही होता अब ये दर्द बर्दास्त... आऊच बस अब तो निकल लीजिए आह में मर न जाऊं...मुझे आदत नही आह.."
में जैसे तैसे हिम्मत कर झोपड़ी में झांकने लगा...मेरी आंखे मां के दर्द भरे मुंह को देख बंद हो गई... मेने आखे खोली...मां के स्तन लाल हो गई थे...उनके बाल खुले हुए थे जो जमीन पे बिखरे हुए थे...उनकी मांग सिंदूर से भरी हुई थी.. उबली गोरी त्वचा और चमक रही थी वो अपनी जवानी के रूप में थी...जब मेरा ध्यान ठीक से गया मैने देखा मां दर्द से छुटकारा पाने को मचल रही थी...और वो आदमी भी अब रुक गया था...मां को सुकून मिल रहा था..उनकी नंगी चूची और बदन देख और उनका सुंदर प्यारा चहरा देख में मुझे अंदाजा लगा की मां बस अभी 25 साल की है...उनका जिस्म एक दम पतला सा था...
वो आदमी उम्र में मां के बाप का ही लग रहा था..वो एक तेज धक्का मरता है और मां की आखों से आसू की एक तेज धार निकल आई...
में मां को इस हालत में देख रोने लगा...
दूसरे ही पल वो मां को पूरा उठा के अपनी गोद में लेकर जो जोर से धक्का मारने लगा मां उसे कस के पकड़ ली थी...वो मां की दर्द की परवाह किए बिना मां की योनि में लिंग घुसा रहा था...मां तेज तेज रोने लगी थी...उस आदमी का बस मुझे पीठ दिख रहा था...
मां का दर्द जैसे काम हो गया था वो बड़े कामुक तरह से यूएस बूढ़े आदमी लिपट रही थी..वो मां की योनि से अपना पूरा लिंग बाहर कर एक ही बार में एक तेज रफ्तार से पूरा लिंग मां की योनि में उतार दिया...मां की इतनी तेज चीख निकली की मेरी रूह काप उठी...मां ने भी दर्द से उस आदमी की पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए....
आदमी ने मां को फिर से नीचे गिरा दिया...और मां की योनि पे अपना लिंग रगड़ने लगे....मां तड़प उठी...वो अपना सीना पूरा उठा उठा के अपनी काम आग को ठंडा करने को मचल रही थी..."बस अब और मत तड़पाओ बस अब मेरी सुखी कोख को अपने वीर्य से सींच दीजिए बना लीजिए अपने बच्चे की मां मुझे आह..."
To be continued....
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा