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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 37 52.1%
  • पारुल

    Votes: 30 42.3%
  • नेहा

    Votes: 4 5.6%

  • Total voters
    71

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Well-Known Member
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Update 19

मैने कॉल उठा के मां के हाथ में फोन दे दिया...
"तुम दोनो ठीक होना अभी तक आए नही..." "जी हम ठीक है कल तक ही आ पाएंगे जी..में मायके आ गई हूं घर जा रास्ते में पानी बहुत था जी" में मां की नंगी पीठ को सहलाने लगा...क्या दूध सा बदन था मां का में खुद को रोक ही नही पाया...जैसे ही मेरा हाथ मां की गांड़ की दरार पर पहुंचा मां की हल्की सी सिसक निकल गई..और वो प्यार और गुस्सा के मिले जुले स्वर में बोली "हट बदमाश" पापा ने मां की आवाज सुनी और उन्हे अजीब तो लगा लेकिन वो कुछ बोल नहीं...."बहु को दे रहा हु..जरा सूरज से बात करवा दो"

पारुल ने पापा के हाथ से फोन लिया और सरमाते हुए...हुए बोली "जी आप अपना खयाल रखना" अपनी बहु की शर्म देख पापा बाहर निकल गई आंगन के...ताकि उनकी बहू आराम से खुल के बात कर पाई...पापा के जाते ही पारुल अपनी मीठी आवाज में बोली "परी के पापा मेरा दिल बड़ा घबरा रहा है आप ठीक होना..." "हा हा ठीक हु तुम परी का ध्यान रखना बारिश तेज हो रही है" पारुल मन में बोली "परी को नही आप की पारुल को आप की बाहों में सुकून से सोना है पागल" फिर बोली "आप जल्दी आ जाओ...मेरा दिल बैचेन हो रहा है जैसे आप को कोई मुझ से छीन लेगा.."
"पागल हो क्या.. कोन छीन लेगा चलो सो जाओ अब" में मां की नंगी पीठ में इतना खो गया था की पारुल से ठीक से बात तक नहीं की और कॉल कट कर दिया...

पारुल का फिर से कॉल आया लेकिन मैने कट कर दिया...में अब मां की खूबसूरती को बस आज जी भर के निचोड़ लेना चाहता था...मेरे सामने पहली बार एक औरत अपने जिस्म को खुला कर बैठी थी..में कुछ सोचने समझने की हालत में ही कहा था...मुझे बस मां की खूबसूरती दिख रही थी और उनके लिए मेरा प्यार तो पहले से था...में आज जैसे मां को हर मुनिकन तरीके से अपनी बना लेने की फिराक में था...

में कभी पोर्न नही देखा था...लेकिन मैने हॉलीवुड की फिल्मों में दो प्रेमी को एक दूसरे के नंगे बदन के साथ खेलते देखा था...में मां को उसी तरह से प्यार देने के बारे में सोचने लगा...मेरे दिमाग में एक बार भी नही आया की ये मेरी सगी मां है जिसे में भोगने के सपने देखने लगा हू...आज जो कुछ मेने देखा था डॉक्टर मधु और उनके बेटे को मेरा दिमाग वही पागल हो गया था...हम अपनी मां से तो दुनिया में सब से अधिक प्यार करते ही होते है बस अपनी मां के लिए को आदर सम्मान होता है वो हमे रोक रखता है उसके लिए कामुक कल्पनाएं करने से...लेकिन जब आप की मां आप के साथ अर्ध नंगी हो और आप ने अभी ही उसके जोबन का रसपान किया हो...तो आप सब कुछ भूल अपनी मां को बस खुस करने के तरीके खोजते है...में मां को हर जगह चूम के उन्हें जताना चाहता था की मां में तुझे कितना प्यार करता हु...और पापा भी नही करते उस से ज्यादा... अक्सर ऐसी स्थिति में बेटे यही सोचते है की जो जो पापा मां के साथ करते है वो सब में भी कर सकता हु आखिर मां मेरी भी हे...मेरा भी हक बनता है....लेकिन साथ में मां के प्रतिभाव क्या होगा इस बात से डर भी रहा था...मेने डरते हुए ही मां का हाथ पकड़ के उन्हे पीछे से पकड़ के उनके कानों में धीमे से बोला....

मां का बदन आग छोड़ रहा था और वो भी बड़ी बैचेन हो रही थी..."मां...मां...मां" में आगे बोल ही नहीं पाया....
मां पीछे को हुए और जैसे मेरी दिल को बात समझ गई हो...मुझे खुद ही अपने सीने से लगा ली..."मेरे लाल मां से इतना क्यू डर रहा है तेरी मां हू बोल दे मेरे लाल.."

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मां के निखुले स्तन मेरी छाती में गड़ गई...जो मुझे पागल बना रहे थे...मेने मां को कस के अपनी बाहों में
उठा के मेरी गोद में बैठा दिया...उनके पर अपने आप मेरी कमर को पकड़ लेते है...में अपनी मां मेरे लिंग पे बैठ गई थी...जो पहले से खड़ा था..मां का वजन मुझे हकला ही लगा लेकिन मेरे लिंग को मां इसे बैठ जाना बड़ा तंग करने लगा.. वो पूरा दब सा गया था... मै मेरे लिंग को बाहर निकाल उसे आजाद करना चाहता था...मां मेरी गोद में आ गई थी जिस से उनके दोनो चूचे मेरे मुंह के बिलकुल नीचे तने हुए लटक रहे थे...वही मां गला मेरे होठों से लग रहा था...

मां भी अब बहक रही थी...उनकी योनि पे मेरा विशाल लिंग की गर्म वहा लग गई थी...जो उन्हे अपनी योनि गीली करने से रोक नही पाई... वही में की पुरी नंगी पीठ को सहला के उनको और उत्तेजित कर रहा था..वो कभी कभी आह निकल देती....

"बेटा बस कर अपनी मां से इतना प्यार ठीक नही अब हट भी जा..." मां अपनी मादक आवाज में बोली बिलल
ही मेरे कानो में...ये वाक्य मुझे इतना कामुक लगा कि मेरे मुंह से निकल गया..."मां आज की रात में आप को भरपूर प्यार देना चाहता.. मेने आप पर कभी ध्यान ही नही दिया...आप को में आज अपना बना लूंगा मां.." ये बोलते ही मेने मां के गले को चूमने लगा...और मां बस अपनी मादक सिसकारियां भरने लगी...मेने मां को आगे को उनके सर को पकड़ के किया और उनके उभरे स्तन को बेरहमी से चूमने और काटने लगा...
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मां से इतना दर्द और प्यार एक साथ सहा नही गया और वो ये भूल के की वो उनके सगे बेटे की गोद में बैठी हे...मुझे जितना हो सके उतना अपनी बाहों में भर के मेरे स्तन मर्दन को रोक दी...मां की और मेरी तेज तेज रफ्तार से सास चलन लगी...

मां जैसे ही थोड़ा सा होस में आई वो उठ गई और अपने कपड़े पहने लगी...

में फट से उनको पीछे से पकड़ उनके हाथ से उनका ब्लाउज खींचने लगा...वो पूरी कोशिश करने लगी अपने कपड़े पहन ले लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और इस खींचा तानी में मां का ब्लाउज फट गया...मां एक दम गुस्सा से लाल हो गई...

वो मेरी और हुए और अपना फटा ब्लाउस दूर फेक गुस्से में आकर बोली.."क्या चाइए तुजे ये लूट ले अपनी मां की इज्जत ये ले..और वो अपना सीना ताने मेरी तरफ इसे देख रही थी जैसे मुझे उनकी आखों से अभी आग निकल जाएगी और मुझे जला ही देगी..."

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में मां रोने लगी..और में भी रोने लगा और मां में पिरो में बैठ में उनके पेरो में रोने लगा...कुछ देर हम दोनो चुप हो गई..एक तेज रफ्तार से हवाएं चलने लगी...और बारिश इतनी तेज हो गई की कुछ बुंदे अंदर आ रही थी...और बादल इसे गरज रहे थे जैसे आज पूरी दुनिया ही डूबा दे...मेरे हाथ मां के पैरो पे थे..मुझे अचानक ही एक आवाज मेरे कानो में गूंज उठी...मां की हर कामुक आवाजे मुझे सुनाई देने लगी...और दूसरे ही पल में एक शांत सी जगा पे पजुच गया... जहा दूर से एक तेज रोशनी आ रही थी... में आगे बड़ा...जैसे जैसे में आगे बढ़ रहा मुझे मां की तेज तेज सिसकारियां सुनाई देती...जैसे आगे कुछ भयानक रूप लेने वाला था... सूरज उसकी मां की इतनी कामुक सिसकारियां पहली बार सुन रहा था...वो उसकी मां की मीठी मीठी आवाज कैसे भुल सकता था...वो आगे बढ़ तो रहा था लेकिन उसका दिल बड़ा घबरा गया था...

सूरज जैसे ही आगे गया... वाह उसे वहा उसे वही झोपड़ी बनी हुई दिखी...उसे और से उसकी मां की तेज तेज सिसकारियां भरने की कामुक आवाज आ रही थी...उसकी आंखों से अचानक ही आसू आने लगे....वो अपनी मां की कामुक आवजे बर्दास्त नही कर पाया...वो कैसे तेसे आगे बड़ा...अब उसे एक पायल को खनकने की मधुर आवाज उसकी मां की सिसकारी से साथ आने लगी...."आह आह आह नही होता अब ये दर्द बर्दास्त... आऊच बस अब तो निकल लीजिए आह में मर न जाऊं...मुझे आदत नही आह.."

में जैसे तैसे हिम्मत कर झोपड़ी में झांकने लगा...मेरी आंखे मां के दर्द भरे मुंह को देख बंद हो गई... मेने आखे खोली...मां के स्तन लाल हो गई थे...उनके बाल खुले हुए थे जो जमीन पे बिखरे हुए थे...उनकी मांग सिंदूर से भरी हुई थी.. उबली गोरी त्वचा और चमक रही थी वो अपनी जवानी के रूप में थी...जब मेरा ध्यान ठीक से गया मैने देखा मां दर्द से छुटकारा पाने को मचल रही थी...और वो आदमी भी अब रुक गया था...मां को सुकून मिल रहा था..उनकी नंगी चूची और बदन देख और उनका सुंदर प्यारा चहरा देख में मुझे अंदाजा लगा की मां बस अभी 25 साल की है...उनका जिस्म एक दम पतला सा था...

वो आदमी उम्र में मां के बाप का ही लग रहा था..वो एक तेज धक्का मरता है और मां की आखों से आसू की एक तेज धार निकल आई...

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में मां को इस हालत में देख रोने लगा...

दूसरे ही पल वो मां को पूरा उठा के अपनी गोद में लेकर जो जोर से धक्का मारने लगा मां उसे कस के पकड़ ली थी...वो मां की दर्द की परवाह किए बिना मां की योनि में लिंग घुसा रहा था...मां तेज तेज रोने लगी थी...उस आदमी का बस मुझे पीठ दिख रहा था...

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मां का दर्द जैसे काम हो गया था वो बड़े कामुक तरह से यूएस बूढ़े आदमी लिपट रही थी..वो मां की योनि से अपना पूरा लिंग बाहर कर एक ही बार में एक तेज रफ्तार से पूरा लिंग मां की योनि में उतार दिया...मां की इतनी तेज चीख निकली की मेरी रूह काप उठी...मां ने भी दर्द से उस आदमी की पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए....


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आदमी ने मां को फिर से नीचे गिरा दिया...और मां की योनि पे अपना लिंग रगड़ने लगे....मां तड़प उठी...वो अपना सीना पूरा उठा उठा के अपनी काम आग को ठंडा करने को मचल रही थी..."बस अब और मत तड़पाओ बस अब मेरी सुखी कोख को अपने वीर्य से सींच दीजिए बना लीजिए अपने बच्चे की मां मुझे आह..."

To be continued....
Update 19

मैने कॉल उठा के मां के हाथ में फोन दे दिया...
"तुम दोनो ठीक होना अभी तक आए नही..." "जी हम ठीक है कल तक ही आ पाएंगे जी..में मायके आ गई हूं घर जा रास्ते में पानी बहुत था जी" में मां की नंगी पीठ को सहलाने लगा...क्या दूध सा बदन था मां का में खुद को रोक ही नही पाया...जैसे ही मेरा हाथ मां की गांड़ की दरार पर पहुंचा मां की हल्की सी सिसक निकल गई..और वो प्यार और गुस्सा के मिले जुले स्वर में बोली "हट बदमाश" पापा ने मां की आवाज सुनी और उन्हे अजीब तो लगा लेकिन वो कुछ बोल नहीं...."बहु को दे रहा हु..जरा सूरज से बात करवा दो"

पारुल ने पापा के हाथ से फोन लिया और सरमाते हुए...हुए बोली "जी आप अपना खयाल रखना" अपनी बहु की शर्म देख पापा बाहर निकल गई आंगन के...ताकि उनकी बहू आराम से खुल के बात कर पाई...पापा के जाते ही पारुल अपनी मीठी आवाज में बोली "परी के पापा मेरा दिल बड़ा घबरा रहा है आप ठीक होना..." "हा हा ठीक हु तुम परी का ध्यान रखना बारिश तेज हो रही है" पारुल मन में बोली "परी को नही आप की पारुल को आप की बाहों में सुकून से सोना है पागल" फिर बोली "आप जल्दी आ जाओ...मेरा दिल बैचेन हो रहा है जैसे आप को कोई मुझ से छीन लेगा.."
"पागल हो क्या.. कोन छीन लेगा चलो सो जाओ अब" में मां की नंगी पीठ में इतना खो गया था की पारुल से ठीक से बात तक नहीं की और कॉल कट कर दिया...

पारुल का फिर से कॉल आया लेकिन मैने कट कर दिया...में अब मां की खूबसूरती को बस आज जी भर के निचोड़ लेना चाहता था...मेरे सामने पहली बार एक औरत अपने जिस्म को खुला कर बैठी थी..में कुछ सोचने समझने की हालत में ही कहा था...मुझे बस मां की खूबसूरती दिख रही थी और उनके लिए मेरा प्यार तो पहले से था...में आज जैसे मां को हर मुनिकन तरीके से अपनी बना लेने की फिराक में था...

में कभी पोर्न नही देखा था...लेकिन मैने हॉलीवुड की फिल्मों में दो प्रेमी को एक दूसरे के नंगे बदन के साथ खेलते देखा था...में मां को उसी तरह से प्यार देने के बारे में सोचने लगा...मेरे दिमाग में एक बार भी नही आया की ये मेरी सगी मां है जिसे में भोगने के सपने देखने लगा हू...आज जो कुछ मेने देखा था डॉक्टर मधु और उनके बेटे को मेरा दिमाग वही पागल हो गया था...हम अपनी मां से तो दुनिया में सब से अधिक प्यार करते ही होते है बस अपनी मां के लिए को आदर सम्मान होता है वो हमे रोक रखता है उसके लिए कामुक कल्पनाएं करने से...लेकिन जब आप की मां आप के साथ अर्ध नंगी हो और आप ने अभी ही उसके जोबन का रसपान किया हो...तो आप सब कुछ भूल अपनी मां को बस खुस करने के तरीके खोजते है...में मां को हर जगह चूम के उन्हें जताना चाहता था की मां में तुझे कितना प्यार करता हु...और पापा भी नही करते उस से ज्यादा... अक्सर ऐसी स्थिति में बेटे यही सोचते है की जो जो पापा मां के साथ करते है वो सब में भी कर सकता हु आखिर मां मेरी भी हे...मेरा भी हक बनता है....लेकिन साथ में मां के प्रतिभाव क्या होगा इस बात से डर भी रहा था...मेने डरते हुए ही मां का हाथ पकड़ के उन्हे पीछे से पकड़ के उनके कानों में धीमे से बोला....

मां का बदन आग छोड़ रहा था और वो भी बड़ी बैचेन हो रही थी..."मां...मां...मां" में आगे बोल ही नहीं पाया....
मां पीछे को हुए और जैसे मेरी दिल को बात समझ गई हो...मुझे खुद ही अपने सीने से लगा ली..."मेरे लाल मां से इतना क्यू डर रहा है तेरी मां हू बोल दे मेरे लाल.."

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मां के निखुले स्तन मेरी छाती में गड़ गई...जो मुझे पागल बना रहे थे...मेने मां को कस के अपनी बाहों में
उठा के मेरी गोद में बैठा दिया...उनके पर अपने आप मेरी कमर को पकड़ लेते है...में अपनी मां मेरे लिंग पे बैठ गई थी...जो पहले से खड़ा था..मां का वजन मुझे हकला ही लगा लेकिन मेरे लिंग को मां इसे बैठ जाना बड़ा तंग करने लगा.. वो पूरा दब सा गया था... मै मेरे लिंग को बाहर निकाल उसे आजाद करना चाहता था...मां मेरी गोद में आ गई थी जिस से उनके दोनो चूचे मेरे मुंह के बिलकुल नीचे तने हुए लटक रहे थे...वही मां गला मेरे होठों से लग रहा था...

मां भी अब बहक रही थी...उनकी योनि पे मेरा विशाल लिंग की गर्म वहा लग गई थी...जो उन्हे अपनी योनि गीली करने से रोक नही पाई... वही में की पुरी नंगी पीठ को सहला के उनको और उत्तेजित कर रहा था..वो कभी कभी आह निकल देती....

"बेटा बस कर अपनी मां से इतना प्यार ठीक नही अब हट भी जा..." मां अपनी मादक आवाज में बोली बिलल
ही मेरे कानो में...ये वाक्य मुझे इतना कामुक लगा कि मेरे मुंह से निकल गया..."मां आज की रात में आप को भरपूर प्यार देना चाहता.. मेने आप पर कभी ध्यान ही नही दिया...आप को में आज अपना बना लूंगा मां.." ये बोलते ही मेने मां के गले को चूमने लगा...और मां बस अपनी मादक सिसकारियां भरने लगी...मेने मां को आगे को उनके सर को पकड़ के किया और उनके उभरे स्तन को बेरहमी से चूमने और काटने लगा...
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मां से इतना दर्द और प्यार एक साथ सहा नही गया और वो ये भूल के की वो उनके सगे बेटे की गोद में बैठी हे...मुझे जितना हो सके उतना अपनी बाहों में भर के मेरे स्तन मर्दन को रोक दी...मां की और मेरी तेज तेज रफ्तार से सास चलन लगी...

मां जैसे ही थोड़ा सा होस में आई वो उठ गई और अपने कपड़े पहने लगी...

में फट से उनको पीछे से पकड़ उनके हाथ से उनका ब्लाउज खींचने लगा...वो पूरी कोशिश करने लगी अपने कपड़े पहन ले लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और इस खींचा तानी में मां का ब्लाउज फट गया...मां एक दम गुस्सा से लाल हो गई...

वो मेरी और हुए और अपना फटा ब्लाउस दूर फेक गुस्से में आकर बोली.."क्या चाइए तुजे ये लूट ले अपनी मां की इज्जत ये ले..और वो अपना सीना ताने मेरी तरफ इसे देख रही थी जैसे मुझे उनकी आखों से अभी आग निकल जाएगी और मुझे जला ही देगी..."

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में मां रोने लगी..और में भी रोने लगा और मां में पिरो में बैठ में उनके पेरो में रोने लगा...कुछ देर हम दोनो चुप हो गई..एक तेज रफ्तार से हवाएं चलने लगी...और बारिश इतनी तेज हो गई की कुछ बुंदे अंदर आ रही थी...और बादल इसे गरज रहे थे जैसे आज पूरी दुनिया ही डूबा दे...मेरे हाथ मां के पैरो पे थे..मुझे अचानक ही एक आवाज मेरे कानो में गूंज उठी...मां की हर कामुक आवाजे मुझे सुनाई देने लगी...और दूसरे ही पल में एक शांत सी जगा पे पजुच गया... जहा दूर से एक तेज रोशनी आ रही थी... में आगे बड़ा...जैसे जैसे में आगे बढ़ रहा मुझे मां की तेज तेज सिसकारियां सुनाई देती...जैसे आगे कुछ भयानक रूप लेने वाला था... सूरज उसकी मां की इतनी कामुक सिसकारियां पहली बार सुन रहा था...वो उसकी मां की मीठी मीठी आवाज कैसे भुल सकता था...वो आगे बढ़ तो रहा था लेकिन उसका दिल बड़ा घबरा गया था...

सूरज जैसे ही आगे गया... वाह उसे वहा उसे वही झोपड़ी बनी हुई दिखी...उसे और से उसकी मां की तेज तेज सिसकारियां भरने की कामुक आवाज आ रही थी...उसकी आंखों से अचानक ही आसू आने लगे....वो अपनी मां की कामुक आवजे बर्दास्त नही कर पाया...वो कैसे तेसे आगे बड़ा...अब उसे एक पायल को खनकने की मधुर आवाज उसकी मां की सिसकारी से साथ आने लगी...."आह आह आह नही होता अब ये दर्द बर्दास्त... आऊच बस अब तो निकल लीजिए आह में मर न जाऊं...मुझे आदत नही आह.."

में जैसे तैसे हिम्मत कर झोपड़ी में झांकने लगा...मेरी आंखे मां के दर्द भरे मुंह को देख बंद हो गई... मेने आखे खोली...मां के स्तन लाल हो गई थे...उनके बाल खुले हुए थे जो जमीन पे बिखरे हुए थे...उनकी मांग सिंदूर से भरी हुई थी.. उबली गोरी त्वचा और चमक रही थी वो अपनी जवानी के रूप में थी...जब मेरा ध्यान ठीक से गया मैने देखा मां दर्द से छुटकारा पाने को मचल रही थी...और वो आदमी भी अब रुक गया था...मां को सुकून मिल रहा था..उनकी नंगी चूची और बदन देख और उनका सुंदर प्यारा चहरा देख में मुझे अंदाजा लगा की मां बस अभी 25 साल की है...उनका जिस्म एक दम पतला सा था...

वो आदमी उम्र में मां के बाप का ही लग रहा था..वो एक तेज धक्का मरता है और मां की आखों से आसू की एक तेज धार निकल आई...

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में मां को इस हालत में देख रोने लगा...

दूसरे ही पल वो मां को पूरा उठा के अपनी गोद में लेकर जो जोर से धक्का मारने लगा मां उसे कस के पकड़ ली थी...वो मां की दर्द की परवाह किए बिना मां की योनि में लिंग घुसा रहा था...मां तेज तेज रोने लगी थी...उस आदमी का बस मुझे पीठ दिख रहा था...

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मां का दर्द जैसे काम हो गया था वो बड़े कामुक तरह से यूएस बूढ़े आदमी लिपट रही थी..वो मां की योनि से अपना पूरा लिंग बाहर कर एक ही बार में एक तेज रफ्तार से पूरा लिंग मां की योनि में उतार दिया...मां की इतनी तेज चीख निकली की मेरी रूह काप उठी...मां ने भी दर्द से उस आदमी की पीठ पे अपने नाखून गड़ा दिए....


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आदमी ने मां को फिर से नीचे गिरा दिया...और मां की योनि पे अपना लिंग रगड़ने लगे....मां तड़प उठी...वो अपना सीना पूरा उठा उठा के अपनी काम आग को ठंडा करने को मचल रही थी..."बस अब और मत तड़पाओ बस अब मेरी सुखी कोख को अपने वीर्य से सींच दीजिए बना लीजिए अपने बच्चे की मां मुझे आह..."

To be continued....
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

sophistications

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New twist in the story but if other person involved then it will ruined the story...
 
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Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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Update 20

मां को वो आदमी तेज तेज धक्के लगाने लगा और मां का पूरा बदन जैसे अकड़ सा गया और...वो बड़ी तेज और गहरी सांस लेकर बोली..."आह ससुर जी और और अंदर डालिए... आह बस और बस आह भर दीजिए अपनी बहु की सुखी कोख आह.." "आह मेरी बहु रानी तू मेरे ही वीर्य से गर्भवती बनेगी मेरी बेटी.."

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और मैने देखा वो बुड्ढा आदमी और कोई नही गुरुदेव थे...और वो मां की योनि में अपना सारा वीर्य छोड़ देते है जो मां की योनि से बाहर भी निकल रहा था...मेरा दिमाग घूम गया गुरुदेव को मां के साथ संभोग करता देख...में अपनी ही मां को किसी और के साथ नंगा पड़ा देख रोने लगा...

की मेरी आखों के सामने से सब हट गया...एक एक कर सब गायब होने लगा...और बस गुरुदेव वही रह गई....

मेने गुरदेव को बहोत भला बुरा सुना दिया...गुस्से में गलियां भी मुंह से निकल गई...लेकिन गुरदेव अपनी जगा से हिले भी नही और मेरी और देख मस्करा दिए....और धीरे से बोले...

"इतना ही प्यार ही अपनी मां से...मेने तेरी मां को पूरे 10 साल तक भोगा है उसे भरपूर प्यार दिया...और हमारे प्यार की निशानी के स्वरूप में तुम आज मेरे आग खड़े हो पुत्र..."

"चुप हो जाओ अब में कुछ नही सुनना चाहता...मेरे दिमाग से खेलना बंद करो...वो मेरी मां नही थी...अपनी माया जाल मे मुझे क्यों फसा रहे हो आप क्या चाइए अब आप को"

"क्या तुम्हे पता है तुन्हारे दादाजी कोन थे"

"नही मुझे ठीक से याद नही...वो जब में छोटा था तब ही हमे छोड़ चले गई थे इस दुनिया से"

"बेटा ठीक से याद करो में ही तुन्हारा दादा हू...और तेरा पिता भी... तू ही सुमित्रा बहु और मेरे प्यार से जन्मी हमारी इकलौती संतान हो..."

मेने ठीक से याद किया और मुझे हल्का हल्का दादाजी की यादें याद आने लगी....मेरी आखें भर आई... में दादाजी से लिपट गया....

फिर मैने अपने दिमाग में आ रहे कही सवाल उन्हें पता दिए..." दादाजी आप जिंदा है फिर घर क्यों नही आए.."
"बेटा में तो कब का अपना देह छोड़ चुका...ये तो तुम्हारी मां और तेरी फिकर मुझे अभी तक जाने नही देती...क्या करता तेरे चाचा और मेरा बड़ा बेटा ही तेरी मां के साथ संबंध बनाना चाहता था... और में उसे अच्छे से जानता था तेरी तरह मेने ही उसे भी दिव्य विद्या का ज्ञान दिया था लेकिन वो काली शक्ति की और खींचता चला गया..और में ये भी जानता था कि वो सुमित्रा के योवन को भोगना चाहता था उसे तेरी मां से कोई लगाव या प्यार नही था कभी... दूसरी ओर मेरा छोटा बेटा विक्रम जिस तू अपना पिता समझ रहा है...वो मेरी एक बात नही मानता था...मेने उसे भी तैयार करना चाहा लेकिन वो नहीं माना...नहीं तो मुझे मजबूर होके अपनी ही बेटी जैसी बहू के साथ संभोग नही करना पड़ता...और में कभी उसके प्यार में पागल नहीं हुआ होता... बेटा जब तक में जिंदा था मेने उसे दिन रात प्यार दिया...

मेरी सुमित्रा का दिल बड़ा साफ है...उसे सब उसके जैसे ही अच्छे लगते है लेकिन उसे पता नही उसके अपने ही उसके साथ क्या करना चाहते है... और जैसे सब औरत को एक मर्द का प्यार मिलना चाहिए और बिना एक मर्द के एक औरत अपनी काम आग में जलती रहती हे वैसे ही उसके साथ होने लगा मेरे जाने के बाद....

और वो बिचारी कब तक अपनी काम आग को खुद से का रोक रखती और दूसरी और तेरा चाचा उसे भोगने के लिए उसे अपनी तरफ करने में लगा ही था...तब में फिर से आया...और उसे अपनी शक्ति से भोगने लगा जब जब उसकी आग उसकी काबू से बाहर निकल जाती...लेकिन अब मुझे जाना होगा....और तुझे पता नही है लेकिन उसकी आग तेरे पापा नहीं बुझा सकते वो बेटा रात रात भर अपनी काम आग में बस करवट बदलती रहती है....

में ये सब सुन हैरान हुए दादाजी की बाते सुन रहा था...मेरा गला सुख गया था मां के बारे में ये सब सुन के...मेरी धड़कन बढ़ गई थी.... मेरा दिमाग घूम गया था...मां दादाजी के साथ...और दादाजी अब क्या चाहते हे...और एक पिता अपन बेटे से ये सब क्यों बोल रहा है...दादाजी या पिताजी क्या बोलूं...क्या इतने साल se जो मेरे पिता थे वो मेरे एक और चाचा ही थे...या मेरी मां के पति बस....और क्या दादाजी ने अभी जो में मां के साथ करने जा रहा था वो सब देख लिया है...में डर भी रहा थी की कही दादाजी मुझे गलत न समझ ले...या गुस्सा ना हो जाए....

"बेटा सूरज... अब मुझे जाना होगा और आज से तुझे ही अपनी मां की ज़िम्मेदारी उठानी हे...देख में सब जनता हू तू भू अपनी मां को यौन सुख दे उसे खुश करना चाहता है...बेटा में तेरा बाप हू...में बोल रहा हु तेरी मां मना करेगी...तुझे थप्पड मरेगी... रोएगी लेकिन तुझे उसे अपनी बना लेना होगा...तेरी मां एक औरत है वो पूरी गर्म है लेकिन अपने बेटे से संभोग नही करेगी... अब सब तेरे हाथ में है तू उसे कैसे अपना बना लेता हे...देख पहली बार में आना कानी करेगी बेटा मां है तेरी...लेकिन तूने देखा न उसकी आखों में उसे क्या चाइए...वो खुद नहीं बोल सकती है...
एक बार अपने लिंग का मिलन उसकी योनि से करा दे...तब तेरी मां की जीजक कम हो पाएगी.....

मेरी बाद याद रहे बेटा...मां उसके बेटे को कभी किसी बात के लिए मना नहीं करती बस तू दिल से अपना हक जता....

"दादाजी लेकिन में पारुल के साथ धोका नही कर सकता"
"बेटा में तुझे पराई औरत के साथ कुछ करने को नहीं बोल रहा...पारुल से पहले तेरी मां के पर तेरा अधिकार है... तू जब आया था इस दुनिया तब से तुम दोनो एक अटूट बंधन से में बंद गई हो...ये संभोग तो बस तेरी मां की एक जरूरत है...जिसे तुजे पूरा करना है...जैसे जब तुजे दूध की जरूरत थी तेरी मां तुजे सीने से लगा के उसके स्तन से तेरी भूख मिटा देती थी....

और रही बात पारुल बेटी की तो तू उसके साथ भी अपना जीवन सुरू कर... कब तक बिचारी को उसके पति के प्यार से वंचित रखेगा.... बस ध्यान रहे वो तुम्हारी मां जितनी मजबूत नहीं.. वो बड़ी नाजुक सी बच्ची है...वो तेरे इस विशाल लिंग को जेल नही पाएगी...तुन्हारी मां भले फिर से कुंवारी लड़की हो गई हो लेकिन वो ये दर्द किसी तरह जेल लेगी लेकिन पारुल बेटी इतना विशाल लिंग न ले पाई... तुझे बड़ी नरमी से काम लेना है......और हां जैसे सुमित्रा कुवांरी बन गई है वैसे ही पारुल भी कुंवारी है....दोनों का खयाल रखना....अब में जाता हू....

और अचानक एक तेज रोशनी हुए और दादाजी गायब हो गई और में मां के पैरो में खुद को पता हू...मां अब शांत हो गई थी...और अपने सीने को अपने हाथ से छुपा ली थी.....
 
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Pal bhai

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एक लाजवाब अपडेट और एक सुंदर शुरुआत।
कहानी इस अपडेट में यह नही बताया गया है की सूरज के भाई की मौत कैसे हुई है तो यह प्रश्न बनाना लाजमी है की क्या सूरज का भाई अपनी मौत से मरा है या किसी दुश्मनी का शिकार।
अब भाभी के संग सूरज की शादी हो ही गई न चाहते हुए लेकिन ये भी सच है के मजबूरियां क्या नही करवा देती है।
अगला अपडेट देखना मजेद्दार होगा...........
Nice story
 
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Story bich me thodi bhatki thi but abb line par hai bhai i Love this story bhut majaa aarha hai keep posting
 
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Update 20

मां को वो आदमी तेज तेज धक्के लगाने लगा और मां का पूरा बदन जैसे अकड़ सा गया और...वो बड़ी तेज और गहरी सांस लेकर बोली..."आह ससुर जी और और अंदर डालिए... आह बस और बस आह भर दीजिए अपनी बहु की सुखी कोख आह.." "आह मेरी बहु रानी तू मेरे ही वीर्य से गर्भवती बनेगी मेरी बेटी.."

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और मैने देखा वो बुड्ढा आदमी और कोई नही गुरुदेव थे...और वो मां की योनि में अपना सारा वीर्य छोड़ देते है जो मां की योनि से बाहर भी निकल रहा था...मेरा दिमाग घूम गया गुरुदेव को मां के साथ संभोग करता देख...में अपनी ही मां को किसी और के साथ नंगा पड़ा देख रोने लगा...

की मेरी आखों के सामने से सब हट गया...एक एक कर सब गायब होने लगा...और बस गुरुदेव वही रह गई....

मेने गुरदेव को बहोत भला बुरा सुना दिया...गुस्से में गलियां भी मुंह से निकल गई...लेकिन गुरदेव अपनी जगा से हिले भी नही और मेरी और देख मस्करा दिए....और धीरे से बोले...

"इतना ही प्यार ही अपनी मां से...मेने तेरी मां को पूरे 10 साल तक भोगा है उसे भरपूर प्यार दिया...और हमारे प्यार की निशानी के स्वरूप में तुम आज मेरे आग खड़े हो पुत्र..."

"चुप हो जाओ अब में कुछ नही सुनना चाहता...मेरे दिमाग से खेलना बंद करो...वो मेरी मां नही थी...अपनी माया जाल मे मुझे क्यों फसा रहे हो आप क्या चाइए अब आप को"

"क्या तुम्हे पता है तुन्हारे दादाजी कोन थे"

"नही मुझे ठीक से याद नही...वो जब में छोटा था तब ही हमे छोड़ चले गई थे इस दुनिया से"

"बेटा ठीक से याद करो में ही तुन्हारा दादा हू...और तेरा पिता भी... तू ही सुमित्रा बहु और मेरे प्यार से जन्मी हमारी इकलौती संतान हो..."

मेने ठीक से याद किया और मुझे हल्का हल्का दादाजी की यादें याद आने लगी....मेरी आखें भर आई... में दादाजी से लिपट गया....

फिर मैने अपने दिमाग में आ रहे कही सवाल उन्हें पता दिए..." दादाजी आप जिंदा है फिर घर क्यों नही आए.."
"बेटा में तो कब का अपना देह छोड़ चुका...ये तो तुम्हारी मां और तेरी फिकर मुझे अभी तक जाने नही देती...क्या करता तेरे चाचा और मेरा बड़ा बेटा ही तेरी मां के साथ संबंध बनाना चाहता था... और में उसे अच्छे से जानता था तेरी तरह मेने ही उसे भी दिव्य विद्या का ज्ञान दिया था लेकिन वो काली शक्ति की और खींचता चला गया..और में ये भी जानता था कि वो सुमित्रा के योवन को भोगना चाहता था उसे तेरी मां से कोई लगाव या प्यार नही था कभी... दूसरी ओर मेरा छोटा बेटा विक्रम जिस तू अपना पिता समझ रहा है...वो मेरी एक बात नही मानता था...मेने उसे भी तैयार करना चाहा लेकिन वो नहीं माना...नहीं तो मुझे मजबूर होके अपनी ही बेटी जैसी बहू के साथ संभोग नही करना पड़ता...और में कभी उसके प्यार में पागल नहीं हुआ होता... बेटा जब तक में जिंदा था मेने उसे दिन रात प्यार दिया...

मेरी सुमित्रा का दिल बड़ा साफ है...उसे सब उसके जैसे ही अच्छे लगते है लेकिन उसे पता नही उसके अपने ही उसके साथ क्या करना चाहते है... और जैसे सब औरत को एक मर्द का प्यार मिलना चाहिए और बिना एक मर्द के एक औरत अपनी काम आग में जलती रहती हे वैसे ही उसके साथ होने लगा मेरे जाने के बाद....

और वो बिचारी कब तक अपनी काम आग को खुद से का रोक रखती और दूसरी और तेरा चाचा उसे भोगने के लिए उसे अपनी तरफ करने में लगा ही था...तब में फिर से आया...और उसे अपनी शक्ति से भोगने लगा जब जब उसकी आग उसकी काबू से बाहर निकल जाती...लेकिन अब मुझे जाना होगा....और तुझे पता नही है लेकिन उसकी आग तेरे पापा नहीं बुझा सकते वो बेटा रात रात भर अपनी काम आग में बस करवट बदलती रहती है....

में ये सब सुन हैरान हुए दादाजी की बाते सुन रहा था...मेरा गला सुख गया था मां के बारे में ये सब सुन के...मेरी धड़कन बढ़ गई थी.... मेरा दिमाग घूम गया था...मां दादाजी के साथ...और दादाजी अब क्या चाहते हे...और एक पिता अपन बेटे से ये सब क्यों बोल रहा है...दादाजी या पिताजी क्या बोलूं...क्या इतने साल se जो मेरे पिता थे वो मेरे एक और चाचा ही थे...या मेरी मां के पति बस....और क्या दादाजी ने अभी जो में मां के साथ करने जा रहा था वो सब देख लिया है...में डर भी रहा थी की कही दादाजी मुझे गलत न समझ ले...या गुस्सा ना हो जाए....

"बेटा सूरज... अब मुझे जाना होगा और आज से तुझे ही अपनी मां की ज़िम्मेदारी उठानी हे...देख में सब जनता हू तू भू अपनी मां को यौन सुख दे उसे खुश करना चाहता है...बेटा में तेरा बाप हू...में बोल रहा हु तेरी मां मना करेगी...तुझे थप्पड मरेगी... रोएगी लेकिन तुझे उसे अपनी बना लेना होगा...तेरी मां एक औरत है वो पूरी गर्म है लेकिन अपने बेटे से संभोग नही करेगी... अब सब तेरे हाथ में है तू उसे कैसे अपना बना लेता हे...देख पहली बार में आना कानी करेगी बेटा मां है तेरी...लेकिन तूने देखा न उसकी आखों में उसे क्या चाइए...वो खुद नहीं बोल सकती है...
एक बार अपने लिंग का मिलन उसकी योनि से करा दे...तब तेरी मां की जीजक कम हो पाएगी.....

मेरी बाद याद रहे बेटा...मां उसके बेटे को कभी किसी बात के लिए मना नहीं करती बस तू दिल से अपना हक जता....

"दादाजी लेकिन में पारुल के साथ धोका नही कर सकता"
"बेटा में तुझे पराई औरत के साथ कुछ करने को नहीं बोल रहा...पारुल से पहले तेरी मां के पर तेरा अधिकार है... तू जब आया था इस दुनिया तब से तुम दोनो एक अटूट बंधन से में बंद गई हो...ये संभोग तो बस तेरी मां की एक जरूरत है...जिसे तुजे पूरा करना है...जैसे जब तुजे दूध की जरूरत थी तेरी मां तुजे सीने से लगा के उसके स्तन से तेरी भूख मिटा देती थी....

और रही बात पारुल बेटी की तो तू उसके साथ भी अपना जीवन सुरू कर... कब तक बिचारी को उसके पति के प्यार से वंचित रखेगा.... बस ध्यान रहे वो तुम्हारी मां जितनी मजबूत नहीं.. वो बड़ी नाजुक सी बच्ची है...वो तेरे इस विशाल लिंग को जेल नही पाएगी...तुन्हारी मां भले फिर से कुंवारी लड़की हो गई हो लेकिन वो ये दर्द किसी तरह जेल लेगी लेकिन पारुल बेटी इतना विशाल लिंग न ले पाई... तुझे बड़ी नरमी से काम लेना है......और हां जैसे सुमित्रा कुवांरी बन गई है वैसे ही पारुल भी कुंवारी है....दोनों का खयाल रखना....अब में जाता हू....

और अचानक एक तेज रोशनी हुए और दादाजी गायब हो गई और में मां के पैरो में खुद को पता हू...मां अब शांत हो गई थी...और अपने सीने को अपने हाथ से छुपा ली थी.....
Mast update bhai waiting for the next one 🤙🤙
 
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मां को वो आदमी तेज तेज धक्के लगाने लगा और मां का पूरा बदन जैसे अकड़ सा गया और...वो बड़ी तेज और गहरी सांस लेकर बोली..."आह ससुर जी और और अंदर डालिए... आह बस और बस आह भर दीजिए अपनी बहु की सुखी कोख आह.." "आह मेरी बहु रानी तू मेरे ही वीर्य से गर्भवती बनेगी मेरी बेटी.."

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और मैने देखा वो बुड्ढा आदमी और कोई नही गुरुदेव थे...और वो मां की योनि में अपना सारा वीर्य छोड़ देते है जो मां की योनि से बाहर भी निकल रहा था...मेरा दिमाग घूम गया गुरुदेव को मां के साथ संभोग करता देख...में अपनी ही मां को किसी और के साथ नंगा पड़ा देख रोने लगा...

की मेरी आखों के सामने से सब हट गया...एक एक कर सब गायब होने लगा...और बस गुरुदेव वही रह गई....

मेने गुरदेव को बहोत भला बुरा सुना दिया...गुस्से में गलियां भी मुंह से निकल गई...लेकिन गुरदेव अपनी जगा से हिले भी नही और मेरी और देख मस्करा दिए....और धीरे से बोले...

"इतना ही प्यार ही अपनी मां से...मेने तेरी मां को पूरे 10 साल तक भोगा है उसे भरपूर प्यार दिया...और हमारे प्यार की निशानी के स्वरूप में तुम आज मेरे आग खड़े हो पुत्र..."

"चुप हो जाओ अब में कुछ नही सुनना चाहता...मेरे दिमाग से खेलना बंद करो...वो मेरी मां नही थी...अपनी माया जाल मे मुझे क्यों फसा रहे हो आप क्या चाइए अब आप को"

"क्या तुम्हे पता है तुन्हारे दादाजी कोन थे"

"नही मुझे ठीक से याद नही...वो जब में छोटा था तब ही हमे छोड़ चले गई थे इस दुनिया से"

"बेटा ठीक से याद करो में ही तुन्हारा दादा हू...और तेरा पिता भी... तू ही सुमित्रा बहु और मेरे प्यार से जन्मी हमारी इकलौती संतान हो..."

मेने ठीक से याद किया और मुझे हल्का हल्का दादाजी की यादें याद आने लगी....मेरी आखें भर आई... में दादाजी से लिपट गया....

फिर मैने अपने दिमाग में आ रहे कही सवाल उन्हें पता दिए..." दादाजी आप जिंदा है फिर घर क्यों नही आए.."
"बेटा में तो कब का अपना देह छोड़ चुका...ये तो तुम्हारी मां और तेरी फिकर मुझे अभी तक जाने नही देती...क्या करता तेरे चाचा और मेरा बड़ा बेटा ही तेरी मां के साथ संबंध बनाना चाहता था... और में उसे अच्छे से जानता था तेरी तरह मेने ही उसे भी दिव्य विद्या का ज्ञान दिया था लेकिन वो काली शक्ति की और खींचता चला गया..और में ये भी जानता था कि वो सुमित्रा के योवन को भोगना चाहता था उसे तेरी मां से कोई लगाव या प्यार नही था कभी... दूसरी ओर मेरा छोटा बेटा विक्रम जिस तू अपना पिता समझ रहा है...वो मेरी एक बात नही मानता था...मेने उसे भी तैयार करना चाहा लेकिन वो नहीं माना...नहीं तो मुझे मजबूर होके अपनी ही बेटी जैसी बहू के साथ संभोग नही करना पड़ता...और में कभी उसके प्यार में पागल नहीं हुआ होता... बेटा जब तक में जिंदा था मेने उसे दिन रात प्यार दिया...

मेरी सुमित्रा का दिल बड़ा साफ है...उसे सब उसके जैसे ही अच्छे लगते है लेकिन उसे पता नही उसके अपने ही उसके साथ क्या करना चाहते है... और जैसे सब औरत को एक मर्द का प्यार मिलना चाहिए और बिना एक मर्द के एक औरत अपनी काम आग में जलती रहती हे वैसे ही उसके साथ होने लगा मेरे जाने के बाद....

और वो बिचारी कब तक अपनी काम आग को खुद से का रोक रखती और दूसरी और तेरा चाचा उसे भोगने के लिए उसे अपनी तरफ करने में लगा ही था...तब में फिर से आया...और उसे अपनी शक्ति से भोगने लगा जब जब उसकी आग उसकी काबू से बाहर निकल जाती...लेकिन अब मुझे जाना होगा....और तुझे पता नही है लेकिन उसकी आग तेरे पापा नहीं बुझा सकते वो बेटा रात रात भर अपनी काम आग में बस करवट बदलती रहती है....

में ये सब सुन हैरान हुए दादाजी की बाते सुन रहा था...मेरा गला सुख गया था मां के बारे में ये सब सुन के...मेरी धड़कन बढ़ गई थी.... मेरा दिमाग घूम गया था...मां दादाजी के साथ...और दादाजी अब क्या चाहते हे...और एक पिता अपन बेटे से ये सब क्यों बोल रहा है...दादाजी या पिताजी क्या बोलूं...क्या इतने साल se जो मेरे पिता थे वो मेरे एक और चाचा ही थे...या मेरी मां के पति बस....और क्या दादाजी ने अभी जो में मां के साथ करने जा रहा था वो सब देख लिया है...में डर भी रहा थी की कही दादाजी मुझे गलत न समझ ले...या गुस्सा ना हो जाए....

"बेटा सूरज... अब मुझे जाना होगा और आज से तुझे ही अपनी मां की ज़िम्मेदारी उठानी हे...देख में सब जनता हू तू भू अपनी मां को यौन सुख दे उसे खुश करना चाहता है...बेटा में तेरा बाप हू...में बोल रहा हु तेरी मां मना करेगी...तुझे थप्पड मरेगी... रोएगी लेकिन तुझे उसे अपनी बना लेना होगा...तेरी मां एक औरत है वो पूरी गर्म है लेकिन अपने बेटे से संभोग नही करेगी... अब सब तेरे हाथ में है तू उसे कैसे अपना बना लेता हे...देख पहली बार में आना कानी करेगी बेटा मां है तेरी...लेकिन तूने देखा न उसकी आखों में उसे क्या चाइए...वो खुद नहीं बोल सकती है...
एक बार अपने लिंग का मिलन उसकी योनि से करा दे...तब तेरी मां की जीजक कम हो पाएगी.....

मेरी बाद याद रहे बेटा...मां उसके बेटे को कभी किसी बात के लिए मना नहीं करती बस तू दिल से अपना हक जता....

"दादाजी लेकिन में पारुल के साथ धोका नही कर सकता"
"बेटा में तुझे पराई औरत के साथ कुछ करने को नहीं बोल रहा...पारुल से पहले तेरी मां के पर तेरा अधिकार है... तू जब आया था इस दुनिया तब से तुम दोनो एक अटूट बंधन से में बंद गई हो...ये संभोग तो बस तेरी मां की एक जरूरत है...जिसे तुजे पूरा करना है...जैसे जब तुजे दूध की जरूरत थी तेरी मां तुजे सीने से लगा के उसके स्तन से तेरी भूख मिटा देती थी....

और रही बात पारुल बेटी की तो तू उसके साथ भी अपना जीवन सुरू कर... कब तक बिचारी को उसके पति के प्यार से वंचित रखेगा.... बस ध्यान रहे वो तुम्हारी मां जितनी मजबूत नहीं.. वो बड़ी नाजुक सी बच्ची है...वो तेरे इस विशाल लिंग को जेल नही पाएगी...तुन्हारी मां भले फिर से कुंवारी लड़की हो गई हो लेकिन वो ये दर्द किसी तरह जेल लेगी लेकिन पारुल बेटी इतना विशाल लिंग न ले पाई... तुझे बड़ी नरमी से काम लेना है......और हां जैसे सुमित्रा कुवांरी बन गई है वैसे ही पारुल भी कुंवारी है....दोनों का खयाल रखना....अब में जाता हू....

और अचानक एक तेज रोशनी हुए और दादाजी गायब हो गई और में मां के पैरो में खुद को पता हू...मां अब शांत हो गई थी...और अपने सीने को अपने हाथ से छुपा ली थी.....
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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में दादाजी की बात का स्विकार कर चुका था...में मां के पैरो को सहलाने लगा और धीरे से मां का पेटीकोट उठाते हुए खड़ा होने लगा और... मां कुछ समझ पाती उस से पहले ही मेने मां के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया...और मां के मखन जैसे पैरो को छूता हुए उनका हरा पेटीकोट जमीन पे गिर पड़ा... मां पूरी नहीं हो चुकी थी...अब बस मां की फूलो वाली पेंटी उनकी योनि को मेरी नजर से बचा रही थी.. मां अपने नंगे पन के अहसास से हड़बड़ा उठी...और कुछ करती उस से पहले ही मेने मां की पेंटी को पकड़ लिया वही मां ने भी पेंटी को कस के पकड़ लिया..."बेटा ये मत कर में तेरी मां हू...क्या हो गया है तुझे...मां रोते हुए बोली"

मेने अपनी पूरी शक्ति से मां की पेंटी को खींचा और पेंटी फटने की आवाज के साथ मां पूरी नंगी हो चुकी थी...वो अपनी बालो से भरी योनि को अपने हाथो से ढक लीं...और भाग के बाहर चली गई...मां की गोल मटोल गांड़ जब मां भागी मटक मटक के मुझे उत्तेजित करने लगी....

मेने मां को फट से भाग के पकड़ लिया और अपनी बाहों में भर उनके होठों पर अपने होठ रख दिए...मां अपन होठ नही खोली और गुस्से में लाल हो गई...और मुझे दो दूर कर मेरे गाल पे चार पांच थप्पड़ जड़ दिए....में मां को देख हकला सा मुस्कुरा दिया... दादाजी के साथ मां का संभोग देख में बड़ा उत्तेजित हो गया था और मां का डर जैसे अब मुझे रहा नही था आखिर मेरे दादाजी पिता ने मुझे खुद कहा था मां को यौन सुख देने को....

मेने मां के सामने ही मेरे सारे कपड़े निकाल दिए...मेरा विशाल कला लिंग मां की आखों के सामने था जो बार बार मां के नंगे बदन को देख फन फना रहा था...मां ये सब देख अपनी योनि से पानी छोड़ दी...मां को योनि में कुछ कुछ होने लगा था... मुझे लगा जैसे मां को दादाजी ने ही कुछ दिया है जिस मां इतनी मादक और कामुक हो गई थी....

मां के स्तन पूरी तरह से खड़े थे उनके निप्पल तने हुए मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे..और मेरे लिंग में और तनाव डाल रहे थे...वही मां की सास तेज हो गई थी...उनके बड़े स्तन ऊपर नीचे होने लगे थे....

"मां आप ने अपने बेटे से इतना गुस्सा क्यों... देखिए अपने बेटे की और आप बेटा आप के लिए तड़प रहा है...मां आप को ऐसी हालत में देख तो कोई मारा हुए भी जिंदा हो जाई... मां आप के ये स्तन देखिए जैसे कोई पके हुए रस से भरे आम हो..मां मेने आप जैसा बदन आज तक नही देखा...मां आप को भोगे बीना आज ये बैठने नही वाला..मां अपने बेटे को प्यार करने दो मां....

मेने मां को उठा लिया और घास में लेटा दिया...मां एकदम से शांत हो गई थी...जैसे मुझे अपने जिस्म को भोगने देने को तैयार हो चुकी हो....मेने बिना देर किए...मां के पैर खोले...मां तड़प उठी..."बेटा रूक जा ये क्यों कर रहा है में तुझे क्या बोलूं बेटा अपनी मां को जाने दे..."
"मां आप डरो मत कैसी को कुछ पता नहीं चलेगा...में आप को दुनिया की हर खुशी दूंगा...मां आप यू तड़प रही हो और मुझे रोक भी रही हो..." मेने मां की योनि में एक उंगली डाल दी और मां को सहलाने लगा...मां की एक तेज सिसक निकल गई..."आउच...बेटा नहीं रुक जा नही तो..."
"मां में तो रुक जाऊंगा लेकिन आप की योनि की आग का क्या होगा देखिए कैसे आग लगी हुई है इस में...मां आप मुझे मत रोको... मां में आप का ही बेटा हु आप से इतना प्यार करता हु आप भी करती हो...आज हमारा मिलन होने दो आप ये रात कभी नही भूलोगे..."

और मां ने शर्म अपनी आखें बन्द कर दी...मैने धीरे से मां को योनि पे अपना लिंग रखा और...हकला सा अंदर सरखा दिया...मां दर्द से तड़प उठी...मुझे अपनी बाहों में भर ली...और मैने एक तेज धक्का लगाया और मां दर्द से रोने लगी...मां की सील चकना चूर हो गई..."आह निकल दे बेटा में नहीं के सकती आह..." और मां ने दर्द में मेरी पीठ को पूरा नोच डाला...मेने अपना लिंग कुछ देर मां की योनि में रखा और मां को प्यार करने लगा...और फिर मेने मां को बोला..."मां आज से तुम मेरी हो... यहा देखो" और मैने अपना लिंग बाहर निकल मां को दिखाया जो पूरा खून से लाल हो गया था...मैने दूसरे ही पल मां को तेज तेज रफ्तार से हर तरह से भोगने लगा...मैने मां के स्तन को काट काट लाल कर दिया था...वही मां के बाल को मेने हाथ में पकड़ मां को तेज तेज गेंदबाज से पेल रहा था...मां की कामुक आवाजे पूरे खेत में दूर तक गूंज रही थी....

मां की आखों से दर्द से आसू निकल रहे थे जिसे देख में और अधिक उत्तेजित हो गया और में मां को बडी बेरहमी से भोगने लगा...मेने मां को गोद में उठा के बाहर बारिश में खड़े खड़े चोदने लगा...मां मेरी बाहों में किसी बच्चे जैसे चुप गई..."आह बेटा धीरे मेरे लाल...मजे आदत नही"
"मां अब आदत डाल लो आज पहली रात है इस लिए प्यार से भोग रहा हु आप की जवानी कल से तो आप को ऐसा दर्द मिलेगा की आप दादाजी को भूल जाओगे..." मां अपना पानी निकाल दी दादाजी का सुन के....


मेने मां को बारिश में ही नीचे लेटा दिया और तेज तेज रफ्तार से मां को पेले जा रहा था....

मैने 2 घंटे तक मां को लगातार चोदा...और आखिर में अपना सारा वीर्य मां की बच्चेदानी में डाल दिया..."मां में आ रहा हु आह मां तुन्हारिर योनि तो मेरा सारा पानी निचोड़ दी...मां मुझे एक बेटी चाइए....

"बेटा तूने इतना पानी अंदर निकला है की में कल ही पक्का गर्भवती हो जाऊंगी बदमाश... बिलकुल अपने पापा पे गया है...वो भी पहली बार में ही मेरी कोख भर दी और आज तूने...

में और मां सुबह तक एक दूसरे से प्यार करते रहे...

और घर जाके मेने पारुल को भी पूरी तरह से अपना लिया और रोज रात को उसकी दर्द से चीखे निकल देता...

और इस के फल स्वरूप मां और पारुल एक साथ मेरे बच्चे को अपने पेट में ठहरा ली....

मां और मेरी एक बेटी हुए और पारुल के साथ मुझे एक बेटा हुआ....

में रोजाना पहले पारुल को भोगता और उसे सुला के मां के कमरे में ही पापा के बगल में ही मां को नंगा कर मां को दर्दे देता... पापा भी एक दिन हम मां बेटे को संभोग करने देख लिए लेकिन कुछ बोल नहीं पाई... बोलते भी क्या अपनी पत्नी को इतना खुश पहली बार देख रहे थे संभोग करते हुए...

The End.......


मेने ये कहानी थोड़ा शॉर्ट में लिख खतम कर दी..नही तो सायद ये कहानी अधूरी रह जाती...और में इसे ऐसे बीच में नहीं छोड़ना चाहता....

मिलते हे कभी किसी और कहानी के साथ...
 
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