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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 35 50.7%
  • पारुल

    Votes: 30 43.5%
  • नेहा

    Votes: 4 5.8%

  • Total voters
    69

Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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94
Bahut hi badhiya update he.......

To suraj ka chacha he in sabke peeche

Suraj ne apne chacha ko maar diya aur use police ne pakad liya...............aur fir se parul aur suraj ka milan nahi ho paya................

Agli update ki pratiksha rahegi Bhai

Shandar jabardast update 👌 👌

बहुत ही बेहतरीन अपडेट दिया है आपने मित्र !
किन्तु अब अगले अपडेट की प्रतीक्षा नहीं होगी क्योंकि विराम बहुत ही खतरनाक मोड़ पर लिया है आपने!

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻

Fantastic 😍 😍

Nice update

बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Very good updates bhai

Bahut badhiya kahani or itna suspense ab kya hoga dekhtey hai agle bhag me and waiting for next update :dogwizz: :dogwizz: :dogwizz:

Nice update

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

Thanks for comments
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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Update 15



बारिश रुक गई थी और रात का अंधेरा छा ने लगा था...और सूरज और पारुल अपने घर की और बड़ रहे थे...घर में आंगन में पैर ही रखा था दोनो ने की सुमित्रा दौड़ी चली और और पारुल को अपने सीने से लगा ली...पारुल को बड़ा सुकून मिल रहा था अपनी सास के आलिंगन से...वो दोनों ही रो देती है...



फिर घर के सब लोग पारुल को हौसला देते है और सब कुछ देर ने प्यार भरी बातें और हसी मजाक की बाते करने लगे...



खाना कर सब बाते में लगे थे... परि अपनी मां पारूल की गोद ने बेटी बोर हो रही थी... "मम्मा निंदी आ रही" "सूरज बेटा और बहू तुम भी सो जाओ काफी देर हो गई हे" "जी सासुमा"



कमरे जाने के बाद परी उछल कूद करने लगी...



"चाचू चाचू घोड़ा बनिए ना" "नहीं बच्चा सोना था ना आप को चलो सो जाओ..." "और ये आप के नई पापा है"

परी नई पापा सुन सूरज से लिपट जाती है..."सच मम्मा मुझे नई पापा बहोत अच्छे लगे...पापा घोड़ा बनो ना..." और परी अपना मुंह फूला लेती है...सूरज परी से तो पहले से प्यार करता था पर अब वो उसकी बेटी थी...और वो उसे बार बार पापा बोल रही वो बड़ा भावुक हो चुका था...वो तुरत जमीन पे घुटनों के बल बैठ जाता है और परी तुरत सूरज की पीठ पे बैठ मस्ती से पूरी कमरे में सूरज को लेकर जा रही थी...पारुल की आखें भर आती है...वो मन ही मन खुश हो रही थी की उसका फेसला सही था सूरज को लेकर... परी को इतना प्यार सूरज ही दे सकता था....



कुछ देर में खेल खेल एम थक परी को नींद आने लगी...

परी को बेड पे लिटा के पारुल उसे प्यार से चूम लेती है...और परी के सर को सहलाने लगी..."मम्मा पापा को तो आप ने चुम्मी दी ही नही" "परी बेटा उन्हें नही चाइए" "नही आप दो पापा" सूरज शर्म से लाल हो गया उसका दिल तेज तेज धड़क रहा था और उसकी खुशी उसकी मुस्कुराहट से साफ साफ दिख रही थी पारुल को...लेकिन पारुल के दिल ने अभी भी संकोच आ जाता था...परी कितनी जिद्दी थी पारुल को पता था वो हार मान सूरज की और अपना मुंह बड़ा देती है... सूरज तो खुशी खुशी अपना गाल आगे करता है और एक हल्की सी चुम्मी पारुल सूरज को देकर इसे शर्मा गई जैसे पहली बार किसी को चूम रही हो..."पापा अब आप भी तो हमें किस्सी दो.." सूरज पहले परी के गाल को चूम कर बोला "बेटा मम्मी को बोला ना गाल आगे करे" पारुल को बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सूरज की और हैरानी से गुस्सा करते हुए देखने लगी....



पारुल हल्का सा आगे को हुए...की तुरत ही सूरज ने पारुल के गुलाबी रंग के गालों को चूम लिया...पारुल शर्म से पानी पानी हो गई थी...



पारुल अपना बिस्तर नीचे लगा के नीची लेट गए..."पारुलजी आप नीचे क्यों सो रही हो ने सो जाता हूं" "नही नही आप नही" "मम्मी पापा अब सो भी जाओ...और मुझे आप दोनो के बीच सोना है मम्मी पापा की गोद में... परी की जिद के आगे दोनो हार मान उपर बेड पे सो जाते है....

दूसरे दिन सुबह पारुल सब के लिए चाय नाश्ता बना रही थी की सुमित्रा वहा आती है...

सुमित्रा – पारुल अपने घर होती आ सूरज के साथ...सब बड़े परेशान थे..

सूरज पारुल को लेके बाइक पे ससुराल निकल गया और...

पूरा दिन वही रुके और साम को घर के लिए वापस निकल आई...आते हुए हवा ठंडी हो गई थी...और अंधेरा भी छाने लगा था....

सूरज – पारुलजी...इतना पीछे मत बैठिए गिर जाओगे...(और हल्की सी ब्रेक मारी जिस से पारुल की एक चूची सुरज की पीठ पे लग गई...)

पारुल – सूरज जी क्या कर रहे हो आप (हस्ते हुए पारुल बोली)

सूरज – पारूलजी वैसे बैठिए ना जैसे पत्नी अपने पति के पीछे बैठती है... (वे बोल सूरज बाइक को रोक दिया)

पारुल समझ गई और सूरज के थोड़ा करीब आई और उसके कंधे पे हाथ रख दी...और सूरज बाइक भगा दी...और फिर से एक ब्रेक मारी तो पारुल सूरज की पीठ से चिपक सी गई...पारुल को ये स्पर्श उत्तेजित करने में कामयाब रहा...पारुल ने अपना एक से सूरज को कस के पकड़ लिया...वही सूरज अब बाइक धीरे धीरे चलाने लगा ताकि पारुल के साथ ज्यादा से ज्यादा रह पाई...

घर आते आते 10 बज गई थे... घर से कुछ लड़ने की आवाजे आ रही थी...सूरज भागता हुए घर में दाखिल हुआ...सूरज के पापा फर्श पे पड़े थे उनके पेट में किसी ने कंजर से बार किया था..."बेटा तेरी मां को बच्चा ले तेरे चाचा से" "पापा कुछ नही होगा मां को और आप को....पारुल जल्दी से हॉस्पिटल फोन लगाओ"

सुमित्रा का कमरा अंदर से बंद था... विंडो से सूरज ने देखा कि सुमित्रा बेहोश होके बेड पे पड़ी हुए है और उसके चाचा अपने कपड़े उतार रहे है...और वो पूरा नंगा हो गया...उनका लिंग कोई साधारण लिंग नही था लंबा मोटा इतना था जैसे किसी जानवर का लिंग हो...

सूरज ने एक जोर की लात दरवाजे पे मारी और दरवाजा तोड़ अन्दर चला गया..."चचा आप आप ये सब कर रहे हो ची..." " बेटा चला जा रहा से नही तो एक और खून हो जायगा मेरे हाथो से "

तभी वहा पारुल आ गई और उसकी नजर उसके पिता समान ससुर के लिंग पे चली गई और उसे एक पल नही लगा पहचानने में की उस रात वो तीसरा लिंग यही था..."सूरज जी ये वही ही तीसरा आदमी... ससुर जी आप ने मेरे साथ में तो आप के बेटी जैसी हूं...और ने नो तो मुझे पाने की लालसा में अपने ही बेटे को भी"

"नही नही मेरी बेटी पारुल...तुम तो बस जरिया हो मेरा दिल तो जिस अप्सरा पर आया है उस के आगे तो तुम कुछ नही... जरा देख मेरी सुमित्रा को सोते हुए भी कितनी खूबसूरत लग रही है... आह कितने सुडोल उभार... पतली कमर... भवादार नितंब... घुटनों तक आते बाल...आगे कुछ बोलता उस से पहले ही सूरज एक जोर का मुक्का उसके मुंह पे जड़ देता है....

"क्या जूठ बोल रहा हु मै...ये तेरी मां सुभह सुबह नहा के अर्ध नंगी बाहर निकल आती है और मुझे तड़पाती है...रात में छूदाई करवाते हुए इतना जोर से सिसकारी भरती है की अपने ही जेठ का खड़ा करवा देती है अब मेरी तो पत्नी भी नही.... सुबह वो मेरा भाई तेरी इस मां को नंगी हो छोड़ खेत में निकल जाता है...मेरी क्या गलती इतना भरा हुआ बदन नंगा तू देख लेगा तो तू भी तेरी मां का दीवाना हो जाएगा...
ये बोल सूरज के चाचा सुमित्रा का पेटीकोट उठा देता है...

सूरज की आखों के सामने उसकी मां की दूध सी गोरी टांगे... जिनपर एक बाल नही था उसके मन को विचलित कर देती है...अच्छा हुआ सुमित्रा ने आज पेंटी पहनी थी नही थी सूरज अपनी मां का खजाना भी आज देख लेता और पता नही उसका हाल और बिगड़ जाता....सूरज की सास जैसे धम सी गई...इसी बात का फायदा उठा के सूरज के चाचा उसके सर पे एक टेबल उठा के मार देते है और सूरज दूर जाके गिरा....

सूरज के चाचा पारुल को पलड़ उसका मुंह एक हाथ से पकड़ लेते है..पारुल तड़प रही थी "क्यू रण्डी तीन तीन लन्ड लेके भी तेरी छूत की खुजली शांत नही हुए...चल लेट जा तेरी गरमी पहले निकल देता हु" और वो पारुल का पल्लू जोर से खींच लेता है और उसकी सारी के साथ वो गोल गोल घूमते हुए बेड पे बिना सारी के सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में उलटा लेती रोने लगी....सूरज के जीवन की सबसे प्यारी औरते उसकी पत्नी और उसकी मां दोनो बेड पे पड़ी थी और उसका बड़ा चाचा अपने लिंग को हाथ में लिया उसे झटके देता हुआ बेड के पास आता है और सुमित्रा के पैरो को सहलाने लगा...."आह मेरी सुमित्रा क्या मलाई जैसे पैर ही तेर...आज तुझे असली मर्द पेलेगा मेरी जान.."


इतना ही वो बोल पाया और सूरज एक खंजर उसके चाचा की पीठ मैं से होते हुए आगे तक निकल दिया...और बाहर निकल...उसे आगे जमीन पे थक्का दे कर उसका लिंग ही उड़ा दिया...और पूरा कमरा खून खून हो उठा....सूरज के चाचा की दर्द से भरी आवाजे दूर दूर तक गूंजने लगी...जो धीरे धीरे कम हुए और उनकी जान भी उसके साथ निकल गई...

हॉस्पिटल से एबुलेंस आ गई थी जो विक्रम को सही सलामत हॉस्पिटल पहुंचा दी...जिस से उनकी जान बच गई...

पुलिस भी आती ही और सूरज को उसके चाचा के खून के जुर्म में पकड़ लेती है....
Twist in tale.
 
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