Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 16
सूरज के पापा उसकी मां और पारुल सूरज की और से गवाही देते ही और सूरज को ज्यादा सजा नही होती और उसे जमानत भी मिल गई....
कुच दिन इसे ही गुजर जाते है...फिर धीरे धीरे घर का माहौल फिर से सही होने लगा....
गांव में हर तरह सुमित्रा की खूबसूरती की बाते होने लगी थी की उसकी खूबसूरती ने कितनी जाने ले ली... सूरज भी अपने कान बंद नही रख पाया उसे भी हर तरफ से उसकी मां की खूबसूरती की तारीफे सुनाई दे रही थी...अपनी मां के जिस्म की बाते सुन सुन अब वो धीरे धीरे अपनी मां को ठीक से देखने लगा था...सूरज सुमित्रा को कपड़े कपड़े बदलते हुए एक दिन चुप के से देख के अपनी ही मां की खूबसूरती देख धर धर काप उठा...उसकी आंखों में एक अलग ही चमक आ गई...वो बिचारा अपनी हालत का अदाजा ही नही लगा पाया...की वो कैसे अपनी ही मां को कपड़े बदलते देख इतना उत्तेजित हो गया था....
सूरज अपने मन में "मां आप की कमर कितनी कसी हुई है और आप के उभार इतने बड़े और कसे हुए हे मां आप इस उम्र में भी इतनी खूबसूरत हो...मां की त्वचा इतनी मुलायम हे...नही नही सूरज क्या सोच रहा है मां है वो"
सूरज अपने आप को रोक ही नही पाया ओर अपने मां पापा के कमरे में रात को देखने लगा खिड़की से...उसकी मां सभोग के बाद थक हार के लेती हुए थी....
मां का स्तन के उभार देख सूरज पागल सा हुए जा रहा था...दूध सा गोरा बदन सिर्फ ब्लाउज में देख उसका दिल जोर जोर से धड़क उठा था...सुमित्रा का सोने का मगलसूत्र उसे और कामुक बना रहा था और कमर बंद तो जैसे खुला निमंत्रण दे रहा सूरज को...बिचारा सूरज अपनी काम आग में जल उठा था...."नही नही सूरज ये गलत है..."
सुरज अपनी मां को इस हालत में देख बड़ा उत्तेजित हो उठा था वो अपने कमरे आया और पारुल के पास आके बेड के पास जमीन पर बैठ अपनी पत्नी को निहारने लगा....
पारुल नींद में ही सूरज का हाथ पकड़ कर उसे अपने सीने से लगा लेती हे सूरज को जैसे ही पारुल के स्तन का स्पर्श अपने हाथ पे मिला वो एक दम से पत्थर सा बन वही अपनी पत्नी के गर्म स्तन के अहसास में खोया बेटा रहा...उसे पारुल पे बड़ा प्यार आ रहा था...वो धीरे से पारुल के गालों को चूमने लगा...पारुल अंगड़ाई लेते हुए अपनी आखें खोल दी...और दोनो की आखों से आखे मिली और दोनो शर्म से लाल हो गई...जैसे ही पारुल को समझ आया कि वो सूरज का हाथ पकड़ के लेटी है वो तुरत हड़बड़ा के खड़ी हो गई...
सूरज को पता नहीं क्या हुआ वो तुरत ही पारुल को अपनी बाहों में उठा कर कमरे से बाहर निकल गया..."सूरज जी क्या कर रहे हो कोई देख न ले...रात के 3 बजे है" "देख लेने दो हमारी पत्नी को उठाया है किसी और को नहीं" "सूरज जी रख दीजिए ना परी उठ गई तो" पारुल बहोत धीरे धीरे अपनी मीठी आवाज में बोली....
"आज कुछ मत बोलिए आप हम आप के पति है और आप अभी तक हमें हमारा हक भी नही दी...आज तो आप को अपना बना ही लेंगे पारुल जी" पारुल के रोम रोम में बिजली दौड़ गई... बिचारी का बुरा हाल था....
सूरज पारुल को उठा के छत पे ले आया...और पारुल के गालों को चूम कर उसे नीचे रख दिया... पारुल शर्म के मारी चत के किनारे दौड़ गई और हाफने लगी...पारुल की चूची उपर नीचे हो रही थी और ठंड में पारुल के स्तन एक दम पत्थर के माफिक कठोर हो गई थे..और स्तन के निप्पल खड़े होके ब्लाइज को जैसे फाड़ ही देंगे वैसे उभर आई थे...
सूरज का दिल भी जोर जोर से धड़क रहा था...उसकी फटी पड़ी थी पारुल के को चुने से... जॉस जॉस में पारुल को ले तो आया था पर अब उसकी यौवन को देख उसकी हालत गंभीर हो गई थी...बिचारा कभी किसी लड़की से इतना करीब आया ही कहा था...और अपनी पत्नी पे जो असल पास हक था वो उसे और अधिक असहज कर रहा था...
कुछ देर वो वही खड़ा रहा पारुल इस इंतजार में खड़ी थी की सूरज पीछे से आके उसे अपनी बांहों में भर लेगा...उसके स्तन को हाथ में लेकर उन्हें प्यार से सहलाने लगेगा....
पारुल बड़ी प्यार से पीछे मुड़ के बोली "सूरज जी क्या हुआ मुझे ठंड लग रही यहां आइए ना" सूरज की गांड़ फट गई अपनी पत्नी को देख कितनी खूबसूरत लग रही थी...जैसे उसे आमंत्रण दे रही थी संभोग का...सूरज की हिम्मत नही हो रही थी की उसे प्यार करे...सूरज को पारुल इसकी पत्नी नही उसकी भाभी की याद दिला रही थी..."भाभी सॉरी..."
और सूरज अपने कमरे की और नीचे चल दिया....पारुल वही खड़ी अपनी हालत पे हस दी...वो अपनी पेंटी पे गीपापन महसूस कर मुस्कुरा दी "हाए पारुल इतने में पानी निकल दिया पागल...पता नही कब सूरज तुझे अपना पाएगा..."
पारुल कुछ देर पहले अपने आप को सुरज की बाहों में याद कर उसकी बड़ी सी मुस्कान निकल आई...कुछ देर खुली वहा में पारुल खुद को सूरज के साथ सोच मन ही मन खुश होती है और बाद में अपने कमरे में आई और... परी को उठा के एक और कर दिया और खुद सूरज की गोद में लेट गई और सूरज का हाथ अपनी कमर पे रख कर दुसरा हाथ पकड़ के सो गई...सूरज ने अपनी आखें खोली और देखा कि पारुल उसकी गोद में उस से एक दम चिपक के सोई है तो उसे थोड़ी हिम्मत आई और वो पारुल को कस के पकड़ के अपनी बाहों में भर लिया...पारुल और सूरज दोनो ही जाग रहे थे पर नाटक करते है जैसे सो रहे हो...
पारुल और सूरज को एक दूसरे के जिस्म का गरम गरम स्पर्श बड़ा सुकून दे रहा था...दो जिस्म आग की भट्टी बने हुए थे एक दूसरे के मिलन को तरस रहे थे...पारुल अपने आप को बड़ा सुरक्षित महसूस कर रही थी..."I love you.. Suraj ji" सूरज सोच में डूब गया की अगर जवाब दिया तो पारुल जी को पता चल जाएगा कि वो कब से जाग रहा था...और वो बस पारुल को कस के अपनी बाहों में कस लिया और अपने प्यार का जवाब बिना बोले दिया...."आह सूरज जी धीरे से... सूरज जी आप बड़े सरमिले हो...लेकिन में नहीं..." और पारुल जरा सा पीछे मुड़कर सूरज के गालों को चूमने लगी..."मेरे बुधु पति देव" सूरज ने चुप रहना ही सही समझा...."सूरज जी हमे भी प्यार कीजिए ना... तरस गई हैं हम"
सूरज ने हकले हकले से पारुल के गालों को चूमने लगा...पारुल को अजीब सी गुद गुदी होने लगी...
पारुल की योनि में गीलापन आने लगा...उसकी आखें बंद होने लगी...और पारुल सूरज की बाहों में कब सो गई उसे भी पता न चला....
सुबह 8 बजे किचन में सुमित्रा खाना बना रही होती है और पारुल वहा आती है....
सुमित्रा – अरे पारुल बहु आराम करो...में कर लुंगी काम...
पारुल – मुझे क्या हुआ हे सासुमा... आप बैठिए में कर देती हु....
सुमित्रा – अरे बहु... इतना क्यू शरमा रही हो...रात को तो सुरज की गोद में नही शरमा रही थी...
पारुल – (शर्म से पानी पानी हो गई थी अपनी मां जैसी सास के मुंह से ये सुन) नही नही सासुमा ऐसा कुछ नही था आप गलत समझ रही हो....
सुमित्रा – (पारुल के माथे को चूम कर) अरे पगली डर क्यों रही हो....बस सूरज को समझा की घर में उसके मां बाप भी रहते है... थोड़ा ध्यान रखे... बस जल्दी से मुझे दादी बना दे मेरी बच्ची.....
पारुल – (पारुल शर्म से लाल हो गई) सासु मां ऐसा कुछ नहीं है आप भी ना...
सुमित्रा – नहीं है...तो मेरी बच्ची तुझे ही सुरज को मानना होगा बच्चे के लिए...वो तो करने से रहा कुछ साल तक... आज कल क्या बोलते हो तुम लोग... हा कुछ साल तो एंजॉय करोगे तुम दोनो.. हा हा हा...देख कैसे शर्म से लाल हो गई....
पारुल – सासुमा आप भी कुछ भी बोलते हो...
सुमित्रा – आह आह ओह....बहु ओह...
पारुल – क्या हुआ सासुमा...आप का सीना भी भारी पड़ गया है....
सुमित्रा – आह बेटी बड़ा दर्द हो रहा है जैसे ये फट जाएंगे...बड़ा अजीब लग रहा है बहु...
सुमित्रा को सीने में तेज दर्द हो रहा था और उसके आसू निकल गई दर्द से..
पारुल – आप रूकिए में सुरज जी को उठा ले आई..
सूरज उठ नीचे आया और सूरज उसकी मां सुमित्रा को लेकर पास के हॉस्पिटल ले आया.....