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शुक्रिया SANJU ( V. R. ) भाईएक बार फिर से आप को आप के नए कहानी के लिए आभार ।
हा हा हा हा हा( बुज्जी भाई , आप सेन्टेन्स के बीच मे...., .... इत्यादि का प्रयोग जब तक आवश्यक न हो तब तक कतई न करें । आप....के जगह पर फुल स्टाप ( । ) या फिर कोई punctuation का का इस्तेमाल करें । इस बार यह करने के लिए अपनी कमर कस लें ! )
आपकी यही विशेषता है आप कहानी में इतने डूब जाते हैं कि मूल को पकड़ लेते हैं l आपकी अनुमान काफी हद तक सही है l पर थोड़ी ट्विस्ट भी है l यह बात आपको आगे मालूम पड़ेगाइस अपडेट की शुरुआत काफी अच्छी की है आपने । नायक अपने नायिका से दूर भागने की कोशिश करते हुए दिख रहा है । नायक शायद अपने जीवन से काफी निराश है । उसका उम्र , अमावस की रातें , मंजिल , सफर की बात करना उसके दिल की व्यथा बयां कर रहा है ।
कहीं नायक किसी गंभीर मर्ज का शिकार तो नही ?
कहीं उसे ऐसा तो नही लग रहा है कि उसका जीवन सिर्फ कुछ माह या कुछ वर्ष तक ही सीमित है ।
धन्यवाद आभारऐसी बातें वही करता है जो अपने जीवन से हार मान चुका है , जिस की हाथ के जन्म की लकीरें ज्यादा लंबी नही ।
खुबसूरत अपडेट बुज्जी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रियाFor starting new story thread....
for the new story.....प्रोलॉग
~~~~~~×- हाय..
×- ओ.. हाय..
×- शाम ढल रही है... इस वक़्त तुम... मुझसे क्यूँ मिलना चाहती थी...
×- एक बात करनी थी...
×- कैसी बात...
×- देखो... आम तौर पर... लड़कियाँ कभी पहल नहीं करतीं... पर..
×- पर... पर क्या..
×- ओ हो... बड़ा मजा आ रहा है तुम्हें...
×- मजा... अरे यार... यह कैसी बात कर रही हो... बताओ... क्यूँ बुलाया मुझे..
×- आ आ आह.. इट्स सो डिसगस्टींग... ओके... मैं... मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ...
×- ह्वाट... देखो... मज़ाक की भी हद होती है...
×- यू स्टुपिड... आई एम इन लव विथ यू... मुझे पहल करनी पड़ रही है... और यह... तुमसे कहना पड़ रहा है... तुम्हें यह मज़ाक लग रहा है...
×- आर यू गॉन मैड... पूरी दुनिया में... तुम्हें कोई नहीं मिला...
×- ओ हैलो... डोंट बी ऐक्ट स्मार्ट... मैं जानती हूँ... तुम भी मुझसे प्यार करते हो... हर लड़की की तरह मैं भी चाहती थी... के तुम पहल करो... मुझसे प्यार का इजहार करो... पर पता नहीं क्यों... तुमसे हो नहीं पा रहा.. तो मैंने तुम्हारा काम आसान कर दिया...
×- देखो... तुम्हें कोई गलत फहमी हो गई है... मैं तुमसे प्यार नहीं करता...
×- (टुटे मन से) प्यार नहीं करते... क्यूँ नहीं करते.. क्या मैं इतनी खराब हूँ...
×- ओह गॉड... खराब तुम नहीं हो... खराब मैं हूँ... मेरी किस्मत है... मैं... मैं किसी से भी प्यार नहीं कर सकता...
×- (थोड़ी ऊँची आवाज़ में) क्यूँ नहीं कर सकते प्यार..
×- (बेबसी के साथ) मैं... मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ... बस इतना समझ लो... तकदीर ने मुझे प्यार करने की इजाजत नहीं दी है... (मुड़ जाता है)
×- (पीछे से आकार उसे अपनी तरफ मोड़ती है) अगर प्यार नहीं है... तो सीधे सीधे कहो... मुझसे प्यार नहीं है... यह बहाने क्यूँ बना रहे हो... तकदीर इजाजत नहीं दे रहा है...
×- अच्छा ठीक है... हाँ हाँ हाँ... मुझे तुमसे प्यार नहीं है...
×- (थोड़ी नर्म पड़ कर) क्या किसी और से प्यार करते हो...
×- (तड़प कर) नहीं नहीं नहीं... मैं... किसी से भी प्यार नहीं कर सकता... बस यूँ समझ लो... मेरे हर रिश्ते का एक हद है... एक उम्र है... इससे आगे मैं तुम्हें कुछ नहीं समझा सकता...
×- ठीक है... मुझे बस इतना बताओ... मुझ में क्या कमी है...
×- कमी तुममें नहीं है... मुझमें है... तुम आसमान में पूनम की चांद हो... और मैं अमावस की रात...
×- तो मुझे अपने आसमान में आने दो... मेरी रौशनी से... अपने अमावस की अंधेरे को दूर करो...
×- उसके लिए... अमावस को गुजरना होगा...
×- तो अमावस के गुजर जाने तक मैं इंतजार करुँगी...
×- नहीं... तुम ऐसा कुछ भी मत करो... क्यूँकी यह अमावस कभी खत्म नहीं होगा... बस यूँ समझो... एक सफर में हम तुम मिले... पहले मंजिल मेरी आई... मैं उतर गया... पर तुम्हारा सफर जारी है... क्यूँकी तुम्हारी मंजिल अभी आना बाकी है... इसलिये प्लीज... मुझसे प्यार मत करो...
×- (फीकी हँसी हँसते हुए) मेरी भी मंजिल वही है... जो तुम्हारी मंजिल है... मैं एक लड़की हूँ... इस शहर में... हर एक नज़र को पहचानती हूँ... महसुस करी हूँ... पर तुम अलग हो... पता नहीं.. वह क्या बात है... जो तुम्हें रोक रही है... पर मैंने महसूस किया है... तुम्हारे साँसों में मेरी खुशबु को... तुम्हारे दिल में अपनी धड़कन को... मैं तुम्हें इतने दिनों में इस हद तक जान गई हूँ... जितना मैं खुदको जानती हूँ... तुम मेरे अधूरे एहसास को पूरा करते हो.. तुम मेरे हर पहलू को... मुकम्मल करते हो... मैं तुमसे प्यार करना कैसे छोड़ दूँ... नहीं अब तो तुम्हें हासिल करना है... या फिर मर जाना है... (कह कर वहाँ से चली जाती है)
×- (जाते हुए अपनी आँखों से ओझल होते देख रहा था) अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... प्यार के पहलू में... मैं तुम्हारा दूसरा पहलू हूँ... बिल्कुल उस सिक्के की तरह... सिक्का तो मुकम्मल होती है... पर दोनों पहलू... एक दूसरे को कभी देख नहीं पाते... एक दूसरे के खिलाफ पीठ कर खड़े होते हैं... मुझे माफ कर दो...
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रियाfor the new story.....
Aasha nahi thi ki etni jaldi nayi story start hogi.....Mai apki pichli story jab chal rahi thi to mai bich me aaya tha pahli baar padhne par us vakt mai silent reader tha to comment nahi kiya.....Es story me suru se ant tak jarur bana rahunga.
हाँ रोमांस मेरा भी पसंदीदा थ्रेड हैYe thread mera favourite hai ummid hai ye bhi pichli story ki tarah badi aur romantic hogi
शुक्रिया मेरे भाई आपका बहुत बहुत शुक्रियाभाई जी, आपकी विश्वरूप थोड़ी सी ही पढ़ पाया था, वो भी बहुत ही बेहतरीन कहानी लगी मुझे।
कोई नामेरे साथ थोड़ा कंसिस्टेंसी का इश्यू है। पर कोशिश होगी कि इसके साथ बना रहूं।
हाँ हीरो एक विशेष परिस्थिति में घिरा हुआ है अभिमन्यु की तरह इसलिए अपनी प्रेमिका की प्रेम निवेदन को अस्वीकर कर रहा हैजैसा SANJU ( V. R. ) भैया ने कहा कि हीरो किसी गंभीर मर्ज का रोगी लग रहा है। उसके अलावा शायद कुछ ऐसा भी है जो शायद उसके अतीत से भी जुड़ा होगा।
थैंक्स शुक्रिया आभार धन्यवादफिलहाल हम तो बस गेस कर सकते हैं। पर हां प्रोलॉग बहुत ही बेहतरीन था