Naik
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Behtareen update bhaiअपडेट–१५
नागेश्वरी दूसरे दिन एक नई मंसूबा बना के शिवांश से बोली । " चलो बेटा हम बाकी बचे पत्र को गांव में जितने भी जान पहचान के हां उन सबके घरों में दे आते है "
शिवांश भी अपनी दादी के साथ निकल पड़ा और पत्र में जिस जिस का नाम था उन सबके घरों में पत्र देते फिर रहा था दोनो दादी पोता ।
घर लौटते समय नागेश्वरी बड़ी चालाकी से घुमा घूम के पूछने लगी " अच्छा शिवा एक बात पूछूं "
" हा पूछो । एक क्या दस पूछो ना "
" तूझे मुखिया की बेटी किसी लगती है" नागेश्वरी गौर से शिवांश के चेहरे को देख के भापने लगी
" कैसी लगती है कामतलब "
" मतलब की तुझे वो पसंद है या नही "
" क्या मतलब हे की पसंद है या नही । मुझे क्यू वो पसंद होगी " शिवांश अपनी दादी की तरफ देखने लगा
" मुखिया उसकी बेटी का रिश्ता तेरे साथ करवाना चाहता हे "
" क्या । नही । मुझे कोई शादी वाडी नही करनी हे । "
नागेश्वरी की मन छोटा होने लगा ।" तूझे कोई पसंद है। इस उम्र में तो लड़के को कोई न कोई लड़की पसंद होता ही हे ।"
" नही मुझे कोई पसंद नही है । मुझे लड़कीयों से चिढ़ होती है । " बुरा सा मुंह बना के जवाब दिया
" अरे भला लड़की से तुझे क्यू चिढ़ होने लगा । क्या तुझे औरतें पसंद है" इस आशा में नागेश्वरी खुश हो रही थी साइड उसके पोते को औरते पसंद हे ।
" क्या । कैसी बातें कर रही हो दादी । मुझे औरतें क्यू पसंद आने लगा भला । लगता हे आपकी उम्र हो गई है साथिया गई हो । चलो घर जा के आपको अच्छे बादाम का दूध पिलाऊंगा "
" तो तुझे लड़किया देख के दिल में कुछ नही होता हे क्या। शरीर में कोई गर्मी सा मेहसूस भी नही होता हे क्या । कुछ करने का भी मन नही करता हे क्या । क्या कभी शादी नही करेगा क्या "
" क्या बहकी बहकी बातें कर रहे हो । नही में शादी नही करूंगा । मुझे ये सब पसंद नही है । में आपके साथ अम्मा और बापू के साथ ही बेहद खुश हूं । और ज्यादा जबरदस्ती करोगे तो भाग जाऊंगा । देख लेना "
नागेश्वरी अब और परेशान हो गई । सोचने लगी इसे मेरी बात का मतलब समझ आ रहा था या नही । इस उम्र में तो इन सबका ज्ञान आ जाना चाहिए था । लेकिन बातों से नही लगता को इसे मेरी बात को गहराई समझ आया होगा । और अगर जान बूझ के अनजान बनने का नाटक करता तो में इसकी आंखे देख की ही मुझे पता चल जाता । वैसे तो इसकी रोग रोग से वाकिफ हूं लेकिन इसके लोटे में भरा हुआ हे या नही ये समझ नही आ रहा हे । वैसा कोई हरकत करे तो पता चले ।
शिवंश को इस उम्र जितना ज्ञान होना चाहिए उतना हो गया था । लेकिन उसका दिल दिमाग इतना साफ था की उसके बारे में कभी सोचता ही नही था । उसे कुछ आइडिया भी नही था की उसकी दादी उससे उस तरीके की बाते कभी पूछ सकती है इसलिए वो उस तरीके सोचा भी नही और अपनी दादी की बातों का कोई मतलब समझ ही नही पाया ।
Dadi ji aap lagi raho himmat mat haarna kamyabi zaroor milegi