NiceSTORY 01
।।बड़े पापा ने बड़े लंड से किया
मम्मी की खेतो की जुताई।।
हेलो दोस्तों,
मेरा नाम शुभम है, मैं यूपी के एक छोटा सा गांव का रहने वाला हु।
मेरी मम्मी का नाम देविका है, उनकी उम्र 35 साल है। दिखने मे गोरी और गदराई हुई। चूचियाँ और गांड बहुत ही मस्त है।
फिगर 36 30 36 है। जिसका पता कपडे के ऊपर चल जाता है।
पापा बाहर में रहकर काम करते हैं और मैं मम्मी के साथ घर पर रहता हूं।
बरसात के मौसम चल रहे थे और खेतों में पानी भरे हुए थे। पापा इस साल खेतों में फसल लगाने के लिए नहीं आ पाए थे। तो उन्होंने बड़े पापा को फोन करके बोल दिया था कि वह इस साल खेतों को देख ले।
बड़े पापा के खुद का खेत था तो वह उसमें व्यस्त रहते थे तब उन्होंने कहा कि वह मेरी और मम्मी की खेतों पर मदद कर देंगे।
सुबह मम्मी मुझे नाश्ता करा रही थी तब बड़े पापा ने मुझे आवाज लगाते हुए बोले
बड़े पापा - शुभम चलो खेतों पर बेटा मेरी मदद कर देना!
मै- नाश्ता करके आ रहा हूं बड़े पापा!
फिर मैं उनके साथ खेतों पर चला गया और बड़े पापा मम्मी को बोल दिए कि उनके लिए खेतों पर ही नाश्ता लेकर चली आय।
बड़े पापा खेतों में धान के बिया डाल रहे थे। मै उनकी मदद कर रहा था। थोड़ी देर में सभी खेतों में बीया डालना हो गया उसके बाद धान लगाने वाले ट्रैक्टर से धान लगवा दिया गया। बड़े पापा खेत में बने एक कुटिया में जाकर बैठ गए।
दूर से मम्मी लाल साड़ी और काली ब्लाउज पहनी हुई, हाथों में खाना लिए हुए खेतों की ओर चली आ रही थी।
मम्मी- शुभम बेटा, तुम्हारे बड़े पापा कहां है
मै- मम्मी, बड़े पापा कुटिया में आराम कर रहे हैं!
मम्मी खेतों में बने कुटिया के भीतर जाने लगी मैं भी उनके पीछे-पीछे गया।
बड़े पापा एक लूंगी और गंजी पहन कर लेटे हुए थे। मम्मी वही खड़ी होकर बड़े गौर से उन्हें देख रही थी तभी मैं पंहुचा और बड़े पापा को आवाज दिया। तो वह उठकर बैठ गए और मम्मी उन्हें नास्ता परोशने लगी।
बड़े पापा मम्मी को बहुत ही गौर से देख रहे थे। उनकी बालों की एक लटाय चेहरे पर लटक रही थी। मम्मी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। जैसे ही मम्मी ने बड़े पापा को देखा तो बड़े पापा ने अपनी नजरे दूसरी ओर कर लिए। मम्मी के चेहरे पर हल्की से मुस्कान आ गया।
बड़े पापा नाश्ता करने लगे और बोले - बहू आज खेत का सारा काम खत्म हो रहा है तुम शाम को खीर पूरी बना लेना!
मम्मी- जी जरूर, आप खाने जरूर आइएगा!
बड़े पापा- अरे बहु, तुम इतने प्यार से बुला रही हो, तुम्हें मैं भला मन कैसे कर सकता हूं!
बड़े पापा ने नाश्ता को खत्म किया और बैठकर आराम करने लगे मम्मी वहीं बर्तन को समेटने लगी।
बड़े पापा उठे और मम्मी से बोले कि थोड़ी देर में आता हूं और बाहर निकल गए।
मम्मी मुझे जाने को बोली तो मैं वहां से निकल गया। पर मुझे पेशाब लगी तो मैं झाड़ी के पीछे करने लगा तो देखा कि कुछ दूरी पर बड़े पापा भी पेशाब ही कर रहे थे। बड़े पापा के दूसरी ओर देखा की मम्मी उन्हें छूप कर देख रही थी। बड़े पापा के बड़ा सा लंड से पेशाब की धार जमीन पर गिर रही थी और मम्मी बड़े ही गौर से उनके लंड को देख रही थी। जैसे ही बड़े पापा की पेशाब की आखिरी बूंद गिरी मम्मी वहां से कुटिया में चली गई।
मुझे यह कुछ समझ नहीं आया तो मैं उन्हें छूप कर देखने की सोची।
बड़े पापा कुटिया में मम्मी को बैठे देखकर बोले - अरे बहु तुम अभी गई नहीं और शुभम कहां है?
मम्मी- शुभम चला गया मैं आपके आने की इंतजार कर रही थी...
बड़े पापा- कुछ बात है बहू, तो बताओ?
मम्मी- नहीं ऐसा कुछ बात नहीं है, अगर आप नहीं होते तो मेरे खेत तो इस साल बंजार ही रह जाती…
बड़े पापा- अरे बहु ऐसे कैसे बंजार रह जाती! तुम बस मुझसे कह दिया करो और मैं तुम्हारी खेत को जोत कर हरा-भरा कर दिया करूंगा!
मम्मी बड़े पापा की बात सुनकर थोड़ी सी शर्मा गई तो बड़े पापा भी समझ गए कि वह कुछ और बोल गए उन्होंने तुरंत बात को संभालते हुए कहा
बड़े पापा- अरे बहू मेरा मतलब वह नहीं था...
मम्मी दूसरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी तो बड़े पापा भी समझ गए की मछली उनके कांटे में फस गई।
शाम को मम्मी ने बहुत ही अच्छे अच्छे पकवान बनाई। रात हो चुकी थी और चारों ओर काले बादल भी गिरे हुए थे। कभी भी बारिश शुरू हो सकती थी।
मम्मी ने मुझे बड़े पापा को बुलाने के लिए भेज दिया। मैं भी बड़े पापा को लेने चला गया। वह अपने घर में आराम कर रहे थे। मेरे एक आवाज से ही वह उठकर मेरे साथ चले आए।
बड़े पापा धोती कुर्ता पहने हुए थे और मम्मी अभी भी वही काली ब्लाउज और लाल साड़ी पहनी हुई थी बिल्कुल सेक्सी लग रही थी। मम्मी बड़े पापा को बैठ कर खाना खिलाने लगी, तभी जोरों की बारिश भी शुरू हो गई।
बड़े पापा खाना खाने लगे।
बारिश इतनी तेज थी कि लग नहीं रहा था कि आज रात छूटेगा..
बड़े पापा बोले- बहु सोच रहा हूं मैं भी यही सो जाऊं बहुत तेज बारिश होने लगी है।
मम्मी - आप आराम से खाइए मैं आपके लिए शुभम के पास ही बिस्तर लगा देती हूं!
मम्मी मेरे पास ही बड़े पापा की बिस्तर लगा दी और बड़े पापा तब तक खाना भी खा लिए थे। मुझे कुछ समझ तो नहीं आ रही थी पर बड़े पापा और मम्मी के आंखें आपस में पता नहीं क्या बातें कर रही थी।
मैं सोने का नाटक करने लगा और तभी बड़े पापा भी आकर मेरे पास लेट गए। 1 घंटे बाद मम्मी भी खाना खाकर छत पर कमरे में सोने चली गई।
थोड़ी देर बाद बड़े पापा भी उठे और छत पर जाने लगे, मैं देख कर समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ होने वाला है। मैं उनके पीछे-पीछे छुप कर जाने लगा।
बड़े पापा मम्मी के दरवाजे के पास खड़े होकर आवाज दे रहे थे,
बड़े पापा - बहु दरवाजा खोलो,
मम्मी ने दरवाजा खोली और बोली -आप इस वक़्त, क्या हुआ?
बड़े पापा - बहु मैं सोच रहा हूं कि आज रात तुम्हारी खेत को भी जोत कर हरी भरी कर दूँ।
मम्मी शर्मा कर बिस्तर पर भाग गयी।
बड़े पापा समझ गए वह दरवाजे को बंद किया और मम्मी के पास बिस्तर पर चले गए।
मैं सीढ़ी से आगे बड़ा और मम्मी की बेडरूम में की होल से झांकने लगा।
बड़े पापा मम्मी को बाहों में लिए उनके गाल और गर्दन को चूम रहे थे।
मम्मी- उउउउउफ्फ्फफ्फ्फ़..... आअह्ह्ह.... आराम से चुसिये...
बड़े पापा - बहु तुम बहुत ही रसीली हो आज तुम्हारा खेत जोतने मे मजा आएगा।
बड़े पापा मम्मी को बिस्तर पर लेटा दिए और आंचल को नीचे गिरा कर उनके ब्लाउज को खोल दिए और ब्रा के ऊपर से चूचियों को मसलने लगे, दांतो से काटने लगे.
मम्मी -आआआहहहहह... जेठ जी.. आराम से दर्द हो रही है.... उउउफ्फ्फ्फ़...
बड़े पापा मम्मी के चूचियों को मसलते हुए उनके गोरे-गोरे नाभी में जीभ डालकर चूमने लगे।
मम्मी के कमर को चूमते हुए उनकी कमर से साड़ी को निकाल कर फेंक दिया अब मम्मी ब्रा और पेटीकोट में थी। बड़े पापा ने मम्मी की पेटिकोट का नाड़ा खींचा और निकाल कर अलग कर दिया. उनकी गोरी गोरी जांघों को चूमना शुरू कर दीये।
मम्मी -आअह्ह्हह्ह्ह्ह... हईई... उफ्फफ्फ्फ़...
बड़े पापा अपने कुर्ता को निकाल दिए तो मम्मी उनके ऊपर आई और उनके छतियों को चूमने लगी। बड़े पापा आराम से लेट कर मम्मी के कोमल होठों का स्पर्श अपने छतियों और पेट पर महसूस कर रहे थे।
बड़े पापा ने मम्मी के गांड को दबाते हुए ऊपर की ओर खींचे और उनके रसीले होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगे। मम्मी के गांड को दबा रहे थे और बालों से खेल रहे थे।
मम्मी और बड़े पापा दोनों की मादक सिसकारियां कमरे में गूंज रही थी और दोनों एक दूसरे को शरीर से रगड़ रहे थे।
बड़े पापा मम्मी को नीचे लेटाये और उनकी ब्रा और पैंटी को निकाल कर नंगी कर दिया। मम्मी की रसीली चिकनी चुत देखकर बड़े पापा की लंड धोती से बाहर आने लगी, मम्मी उनके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.
बड़े पापा, मम्मी की चुत में जीभ डालकर गर्म रस पीने लगे।
उउउफ्फ्फफ्फ्फ़.... आअह्ह्ह....
फिर बड़े पापा मम्मी के ऊपर आए और अपने लंड को मम्मी की चुचियों में रगड़ने लगे। मम्मी अपने दोनों हाथों से, उनके लंड को चुचियों में दबऐ हुई थी और जीभ से उनके लंड को चाटने की कोशिस करती।
बड़े पापा ने अपने लंड को मम्मी के मुंह में घुसा दिया और उनके थूक से सना हुआ लंड को मम्मी की चुत पर रगड़ते हुए भीतर घुसाने लगे।
मम्मी को थोड़ी तकलीफ हुई लेकिन थोड़ी ही देर बाद मम्मी की चुत में पूरी तरीके से लंड उतर चुका था.
मम्मी - आआआहहहहहह... बड़े निर्दयी हो अआप.. थोड़े आराम से जोतो अपनी बहु की खेत.. आअह्ह्ह्ह...
मम्मी की कामुक आवाज बड़े पापा को और ज्यादा उत्तेजना पैदा कर दी। वह मम्मी की चुत में जोर-जोर से धक्के लगाने लगे और मम्मी के होठो को चूसने लगे।
मम्मी आराम से उनसे चुदवा रही थी। वह लंड को पूरा बाहर निकालते और एक बार में ही अंदर घुसा देते।
आआहहहह....
बड़े पापा ने मम्मी को उल्टा लेटाये और पीछे से लंड डालकर उनकी चुदाई करने लगे और उनके बालों से खेलने लगे।
काफी देर तक ऐसे ही मम्मी को बड़े पापा चोदते रहे और उसके बाद दोनों ठंडा पड़ कर एक दूसरे से लिपट गए।
बड़े पापा - बहु तुम्हारे चुत में मेरा लंड का पानी चला गया है अब तुम्हारी चुत हरी भरी रहेगी.
मम्मी - आज मुझे अापने वो दिया है जो मैं कब से चाहती थी।
यह कहते हुए मम्मी उनसे लिपट गई और उनके होठों को हल्के हल्के चूसने लगी।
इन दोनों की काम क्रीड़ा देखकर मेरे अंदर ना जाने क्या-क्या होने लगा मैं चुपचाप जाकर अपने बिस्तर पर लेट गया।
धन्यवाद।।
Waaahhh Fakir baba ne kya khoob ilaaj kiya apne lund se{STORY 06}
।। फकीर बाबा ने किया
मम्मी की शुद्धीकरण ।।
हेलो दोस्तों,
मेरा नाम चिंटू है, मै बिहार के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हु, जहा हिन्दू और मुस्लिम परिवार के लोग मिल जुल कर रहते है।
मेरी मम्मी का नाम मधु है, 36 साल की ग़दराई हुई, गोरी जिस्म, चूचियाँ और गांड लोगो के पैंट मे हलचल मचा देती है। मम्मी ज्यादातर साड़ी पहनती है।
पापा बाहर मे रहकर काम करते है और साल मे एक बार आते है, मम्मी थोड़ा उदास रहती है।
मेरे पड़ोस में मुस्लिम परिवार रहता है, जिसमे मम्मी की पक्की सहेली शकीला आंटी रहती है।
शकीला आंटी ही मम्मी से बाते कर उनका मन हल्का कर देती थी।
इधर एक साल होने को थे और पापा अब तक नहीं आये थे, मम्मी कुछ ज्यादा ही उदास रहने लगी। पापा कॉल पर भी मम्मी से ठीक से बात नहीं करते थे।
एक दिन शकीला आंटी मेरे घर आई हुई थी, तब मम्मी उन्हें सारी अपनी कहानी बताई।
शकीला आंटी- देख मधु, हो सकता है तेरे पति को तेरे मे अब इंटरेस्ट ना रह गया हो और वो बाहर मे ही किसी के चक्कर मे फस गया हो।
यह सुनकर मम्मी रोने लगी और बोली
मम्मी- शकीला बहन बाहर में कमाने वाले मर्दों का कोई भरोसा नहीं, अब तुम ही कुछ करो मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रही।
शकीला आंटी- अरे मधु, तू चिंता मत कर, गांव में ही पुराने मजार के पास एक फकीर रहते हैं, जिनके पास तुम्हारे समस्या का हल है।
मम्मी-लेकिन शकीला बहन, वह तो भूत उतारते हैं ना?
शकीला आंटी- तू चिंता मत कर मधु, फ़क़ीर बाबा बहुत पहुचे हुए है, वो तुम्हारी समस्या भी दूर कर देंगे।
तू शाम को तैयार रहना, तुम्हे मजार पर ले चलूंगी।
शाम हुई तब मम्मी एक गुलाबी साड़ी पहनी और मुझे भी साथ चलने को बोलकर शकीला आंटी के यहां चली गई और उसके बाद हम तीनों मजार के पास गए।
मजार के पास भीड़ बहुत थी, फकीर बाबा सभी का इलाज कर रहे थे। उनके पास दूर-दूर से बहुत से लोग आते थे।
लगभग 1 घंटे तक बैठे रहने के बाद हम लोगों से फकीर बाबा मिले तब वह मम्मी को देखकर बोले,
फ़क़ीर- बेटी तेरे चेहरे की उदासी बता रही है तेरे घर में आजकल दुखों का साया पड़ा हुआ है!
मम्मी- बाबा आपने बिल्कुल ठीक समझा मेरे पति 1 साल से घर वापस नहीं आए हैं। मुझे लगता है कि वह मुझे भूल रहे हैं।
फकीर बाबा मम्मी के चेहरे को हाथों में थाम कर बोले
फ़क़ीर- चिंता मत कर बेटी, तेरे पूरे बदन को शुद्धिकरण करना होगा, ताकि तुम्हारा पति तुम्हारे पास खिंचा चला आये।
मम्मी- मैं शुद्धिकरण कराने के लिए तैयार हूं बाबा आप जो बोलोगे मैं करूंगी।
फ़क़ीर- फिर से सोच ले बेटी, शरीर शुद्धीकरण में मुझे तुम्हें वस्त्रहीन करना होगा तथा तेरी गुप्तांगों मे मुझे आकर्षण मंत्र डालना होगा।
मम्मी- अपने पति को फिर से पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं बाबा।
फ़क़ीर- ठीक है फिर शाम के नमाज के बाद तू यही मजार पर आ जाना। ये गुलाब जल नहाने के बाद अपने शरीर पर लगा लेना।
मम्मी गुलाब जल की सीसी ले ली और शकीला आंटी के साथ घर चली आई।
फकीर की उम्र लगभग 50 साल रही होंगी, वह जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं को छूकर देख रहा था पूरा ठरकी लग रहा था।
अंधेरा हो चुका था मम्मी मुझे लेकर वहां जाने को तैयार हुई।
शकीला आंटी को कोई जरूरी काम आ गया तब उन्होंने मम्मी से कहा- मधु तू अपने चिंटू के साथ गांव के पिछले रास्ते से उनके पास चली जा। थोड़ा काम की वजह से मैं आज नहीं जा पाऊंगी और वैसे भी इस सब काम में अकेले ही जाना चाहिए।
उसके बाद मम्मी मुझे लेकर गांव के सुनसान रास्ते से मजार के पास पहुंची।मम्मी की शरीर से गुलाब की खुशबु आ रही थी।
फकीर बाबा बैठे अभी भी एक्का दुक्का मरीज देख रहे थे।
उन्होंने मम्मी को उनके कमरे मे बैठने को बोला और मुझे बाहर बैठा लिया। जब सारे मरीज चले गए तो मजार की गेट अंदर से बंद कर दिए और बाहर की बत्ती भी बुझा दिए। मुझे बाहर बैठने को बोल कर खुद कमरे मे गए और दरवाजा बंद कर दिए।
मैं कुछ देर बाहर बैठा रहा उसके बाद मुझसे रहा नहीं गया तो मैं पीछे से, अंदर क्या हो रहा है देखने की कोशिश किया।
मम्मी नीचे बैठी हुई थी और फकीर बिस्तर पर बैठे मम्मी के सर पर हाथ रखकर कुछ मंत्र बुदबुदा रहा था। फकीर मम्मी के सर से हाथ को सरकाते हुए उनके गाल पर ले गया और हल्के से सहलाते हुए हाथ को नीचे ले गया गर्दन से होते हुए छतिया और फिर नाभि पर रगड़कर मंत्र पढ़ने लगा। इसी तरह दो-तीन बार हाथ फेरने के बाद फकीर बोले
फ़क़ीर- बेटी अगर तू तैयार है तो अपने शरीर से सारे वस्त्र को हटा दें!
मम्मी उनकी और देखने लगी।
फ़क़ीर- घबरा मत बेटी तेरा पति कुछ ही दिनों में तेरे साथ होगा!
मम्मी को यह आश्वासन सुनकर अच्छा लगा, वह अपने साड़ी को शरीर से अलग करने लगी।
फकीर बड़े गौर से मम्मी की छतिया और गहरी चिकनी नाभि को देख रहा था।
मम्मी साड़ी को निकाल कर अलग कर दी, फिर अपने ब्लाउस को खोली और उसे भी अलग कर दिया। उसके बाद मम्मी ने अपने पेटीकोट का नारा खींचा और पेटीकोट सरक कर नीचे गिर गया, मम्मी की चिकनी बदन हलकी रौशनी मे चमक रही थी।
फकीर मम्मी को ललचाया नजरों से देखने लगा मम्मी ने अपना हाथ पीछे ले गई और ब्रा का हुक भी खोल दिया मम्मी की बड़ी-बड़ी चूचियां तनी हुई थी।
फिर मम्मी ने अपने पैंटी को भी निकाल दी उनकी चिकनी गोरी चुत फकीर को खड़ा होने पे मजबूर कर दिया।
फकीर मम्मी के सामने खड़ा हो गया और मंत्र बुदबुदाते हुए उनके चिकनी बदन पर हाथ फेरने लगा।
मम्मी चुपचाप खड़ी थी और फकीर उनके गोरी चिकनी बदन को सहला रहा था।
फ़क़ीर- आजा बिस्तर पे लेट जा बेटी।
मम्मी ने वैसा ही किया फकीर उनके पास बैठा और उनके पूरे बदन को होठों से चूमने लगा। उनके आगे से पूरे बदन को चुम्मा और उसके बाद पलट कर पीछे भी उनकी पीठ और गांड को चूमने लगा। मम्मी अब गरम हो रही थी उनकी चुत से चिकनी रस निकल रही थी। फकीर मम्मी के गोरी चिकनी जांघों को जब से चूमना शुरू किया और उसके बाद उनकी गुलाबी चुत को देखने लगा।
चिकनी गीली चुत साफ बता रही थी की मम्मी तैयार थी। फकीर ने अपने लूंगी से मोटा काला लंड निकाला बहुत ही बड़ा और तगड़ा लंड था। आगे बिल्कुल भी चमडी नहीं थी, उनका लाल टोपी मम्मी के सामने थी, मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली तो फकीर ने उनके होठो पर अपना लंड रख दिया। मम्मी अपने मुंह खोलकर उनकी टोपी को मुंह में लेकर सहलाने लगी। फकीर की इतना बड़ा लंड था कि वह मम्मी के मुंह में नहीं आ रहा था तब फकीर उठा और मम्मी के टांगों के बीच में आया, और मम्मी के चुत के रस से अपने लंड को भिगोते हुए उनके चुत में लंड की टोपी घुसाने लगा।
मम्मी की चीख़ निकलने लगी उनकी छोटी सी चुत में इतना बड़ा लंड नहीं जा पा रहा था। बड़ी मुश्किल से टोपी अंदर घुस गई थी, मम्मी छटपटाने लगी थी फकीर उनके चूचियों को दबाते हुए हल्का-हल्का धक्का लगाने लगे। किसी तरह मम्मी के चुत में फकीर का आधा लंड चला गया।
फकीर जैसे-जैसे धक्के लगाकर मम्मी की चुत चोदता मम्मी को वैसे ही मजा आता और वह चुपचाप लेट कर उनके बाल दाढ़ी को सहलाते हुए अपनी चुत चुदवा रही थी।
फकीर ने आखिरी प्रहार किया और मम्मी के मुंह को बंद करते हुए अपना पूरा लंड उनके चुत में घुसा दिया। मम्मी अपनी आंखें बंद कर ली और बेडशीट को कस के पकड़ ली, उनकी चुत फट चुकी थी और पूरी तरीके से लंड अंदर घुस चुका था।
फकीर कुछ देर रुका रहा और जब मम्मी शांत हुई उसके बाद उनके स्तनों को मुंह में चूसते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाकर चोदने लगा।
मम्मी की चुत ने जैसे ही पानी छोड़ा फकीर का लंड चिकना होकर अंदर बाहर आराम से होने लगा। मम्मी आराम से लेटी हुई अपनी चुदाई का मजा ले रही थी।
फकीर मम्मी के चूचियों को मुंह में लेकर चूसते हुए उनकी चुदाई कर रहा था और मम्मी अपने होठों को दातों से काटते हुए उनके बालों को सहला रही थी।
अब चुदाई काफी रफ्तार में होने लगी थी, लंड पूरा अंदर बाहर हो रहा था। मम्मी के मुंह से सिसकारियां गूंज रही थी। बीच-बीच में मम्मी की चुत पानी छोड़ रही थी और फकीर का लड गीला होकर तेजी से अंदर बाहर हो रहा था।
थोड़ी देर और तेजी से चुदाई होने के बाद फकीर ने एक तेज आह भरी और दो तीन झटके मारते हुए मम्मी की चुत पर माल छोड़ दिया।
बहुत सारा गाढ़ा वीर्य मम्मी के चुत के ऊपर गिरा दिया। मम्मी अपनी आंखें बंद कर उनकी गरम पानी का एहसास ले रही थी।
थोड़ी देर बाद में दोनों उठे और मम्मी अपनी चुत साफ की, मम्मी की चुत पर हल्के खून भी लगे हुए थे।
फकीर ने उन्हें गुलाब जल दिए और बोले कि इससे अपनी चुत को धोते रहना।
मम्मी अपने कपड़े को पहन ली और उसके बाद बाहर आई, उन्हें चलने में थोड़ा तकलीफ हो रही थी। मैं उनका हाथ पकड़ कर सुनसान रास्ते से घर ले आया उसके बाद मम्मी बड़ी गहरी नींद में सोई और सुबह लेट उठी।
शकील आंटी आते ही बोली - लगता है फकीर बाबा ने बहुत ही अच्छे से इलाज किया है मेरी मधु का, देखो तो क्या हालत कर दिया है बेचारी की!
मम्मी- धत्त.. आप भी ना शकीला बहन... और सभी हसने लगे।
उसके 15 दिन बाद पापा घर लौट आए। पापा के मैनेजर ने उन्हें आने से मना किया था इसलिए वह घर नहीं आ पा रहे थे। लेकिन पापा के आने से मम्मी अब बहुत खुश थी।
The End....
धन्यवाद।।
Amazing and Awesome concept{STORY 06}
।। फकीर बाबा ने किया
मम्मी की शुद्धीकरण ।।
हेलो दोस्तों,
मेरा नाम चिंटू है, मै बिहार के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हु, जहा हिन्दू और मुस्लिम परिवार के लोग मिल जुल कर रहते है।
मेरी मम्मी का नाम मधु है, 36 साल की ग़दराई हुई, गोरी जिस्म, चूचियाँ और गांड लोगो के पैंट मे हलचल मचा देती है। मम्मी ज्यादातर साड़ी पहनती है।
पापा बाहर मे रहकर काम करते है और साल मे एक बार आते है, मम्मी थोड़ा उदास रहती है।
मेरे पड़ोस में मुस्लिम परिवार रहता है, जिसमे मम्मी की पक्की सहेली शकीला आंटी रहती है।
शकीला आंटी ही मम्मी से बाते कर उनका मन हल्का कर देती थी।
इधर एक साल होने को थे और पापा अब तक नहीं आये थे, मम्मी कुछ ज्यादा ही उदास रहने लगी। पापा कॉल पर भी मम्मी से ठीक से बात नहीं करते थे।
एक दिन शकीला आंटी मेरे घर आई हुई थी, तब मम्मी उन्हें सारी अपनी कहानी बताई।
शकीला आंटी- देख मधु, हो सकता है तेरे पति को तेरे मे अब इंटरेस्ट ना रह गया हो और वो बाहर मे ही किसी के चक्कर मे फस गया हो।
यह सुनकर मम्मी रोने लगी और बोली
मम्मी- शकीला बहन बाहर में कमाने वाले मर्दों का कोई भरोसा नहीं, अब तुम ही कुछ करो मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रही।
शकीला आंटी- अरे मधु, तू चिंता मत कर, गांव में ही पुराने मजार के पास एक फकीर रहते हैं, जिनके पास तुम्हारे समस्या का हल है।
मम्मी-लेकिन शकीला बहन, वह तो भूत उतारते हैं ना?
शकीला आंटी- तू चिंता मत कर मधु, फ़क़ीर बाबा बहुत पहुचे हुए है, वो तुम्हारी समस्या भी दूर कर देंगे।
तू शाम को तैयार रहना, तुम्हे मजार पर ले चलूंगी।
शाम हुई तब मम्मी एक गुलाबी साड़ी पहनी और मुझे भी साथ चलने को बोलकर शकीला आंटी के यहां चली गई और उसके बाद हम तीनों मजार के पास गए।
मजार के पास भीड़ बहुत थी, फकीर बाबा सभी का इलाज कर रहे थे। उनके पास दूर-दूर से बहुत से लोग आते थे।
लगभग 1 घंटे तक बैठे रहने के बाद हम लोगों से फकीर बाबा मिले तब वह मम्मी को देखकर बोले,
फ़क़ीर- बेटी तेरे चेहरे की उदासी बता रही है तेरे घर में आजकल दुखों का साया पड़ा हुआ है!
मम्मी- बाबा आपने बिल्कुल ठीक समझा मेरे पति 1 साल से घर वापस नहीं आए हैं। मुझे लगता है कि वह मुझे भूल रहे हैं।
फकीर बाबा मम्मी के चेहरे को हाथों में थाम कर बोले
फ़क़ीर- चिंता मत कर बेटी, तेरे पूरे बदन को शुद्धिकरण करना होगा, ताकि तुम्हारा पति तुम्हारे पास खिंचा चला आये।
मम्मी- मैं शुद्धिकरण कराने के लिए तैयार हूं बाबा आप जो बोलोगे मैं करूंगी।
फ़क़ीर- फिर से सोच ले बेटी, शरीर शुद्धीकरण में मुझे तुम्हें वस्त्रहीन करना होगा तथा तेरी गुप्तांगों मे मुझे आकर्षण मंत्र डालना होगा।
मम्मी- अपने पति को फिर से पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं बाबा।
फ़क़ीर- ठीक है फिर शाम के नमाज के बाद तू यही मजार पर आ जाना। ये गुलाब जल नहाने के बाद अपने शरीर पर लगा लेना।
मम्मी गुलाब जल की सीसी ले ली और शकीला आंटी के साथ घर चली आई।
फकीर की उम्र लगभग 50 साल रही होंगी, वह जिस तरह से लड़कियों और महिलाओं को छूकर देख रहा था पूरा ठरकी लग रहा था।
अंधेरा हो चुका था मम्मी मुझे लेकर वहां जाने को तैयार हुई।
शकीला आंटी को कोई जरूरी काम आ गया तब उन्होंने मम्मी से कहा- मधु तू अपने चिंटू के साथ गांव के पिछले रास्ते से उनके पास चली जा। थोड़ा काम की वजह से मैं आज नहीं जा पाऊंगी और वैसे भी इस सब काम में अकेले ही जाना चाहिए।
उसके बाद मम्मी मुझे लेकर गांव के सुनसान रास्ते से मजार के पास पहुंची।मम्मी की शरीर से गुलाब की खुशबु आ रही थी।
फकीर बाबा बैठे अभी भी एक्का दुक्का मरीज देख रहे थे।
उन्होंने मम्मी को उनके कमरे मे बैठने को बोला और मुझे बाहर बैठा लिया। जब सारे मरीज चले गए तो मजार की गेट अंदर से बंद कर दिए और बाहर की बत्ती भी बुझा दिए। मुझे बाहर बैठने को बोल कर खुद कमरे मे गए और दरवाजा बंद कर दिए।
मैं कुछ देर बाहर बैठा रहा उसके बाद मुझसे रहा नहीं गया तो मैं पीछे से, अंदर क्या हो रहा है देखने की कोशिश किया।
मम्मी नीचे बैठी हुई थी और फकीर बिस्तर पर बैठे मम्मी के सर पर हाथ रखकर कुछ मंत्र बुदबुदा रहा था। फकीर मम्मी के सर से हाथ को सरकाते हुए उनके गाल पर ले गया और हल्के से सहलाते हुए हाथ को नीचे ले गया गर्दन से होते हुए छतिया और फिर नाभि पर रगड़कर मंत्र पढ़ने लगा। इसी तरह दो-तीन बार हाथ फेरने के बाद फकीर बोले
फ़क़ीर- बेटी अगर तू तैयार है तो अपने शरीर से सारे वस्त्र को हटा दें!
मम्मी उनकी और देखने लगी।
फ़क़ीर- घबरा मत बेटी तेरा पति कुछ ही दिनों में तेरे साथ होगा!
मम्मी को यह आश्वासन सुनकर अच्छा लगा, वह अपने साड़ी को शरीर से अलग करने लगी।
फकीर बड़े गौर से मम्मी की छतिया और गहरी चिकनी नाभि को देख रहा था।
मम्मी साड़ी को निकाल कर अलग कर दी, फिर अपने ब्लाउस को खोली और उसे भी अलग कर दिया। उसके बाद मम्मी ने अपने पेटीकोट का नारा खींचा और पेटीकोट सरक कर नीचे गिर गया, मम्मी की चिकनी बदन हलकी रौशनी मे चमक रही थी।
फकीर मम्मी को ललचाया नजरों से देखने लगा मम्मी ने अपना हाथ पीछे ले गई और ब्रा का हुक भी खोल दिया मम्मी की बड़ी-बड़ी चूचियां तनी हुई थी।
फिर मम्मी ने अपने पैंटी को भी निकाल दी उनकी चिकनी गोरी चुत फकीर को खड़ा होने पे मजबूर कर दिया।
फकीर मम्मी के सामने खड़ा हो गया और मंत्र बुदबुदाते हुए उनके चिकनी बदन पर हाथ फेरने लगा।
मम्मी चुपचाप खड़ी थी और फकीर उनके गोरी चिकनी बदन को सहला रहा था।
फ़क़ीर- आजा बिस्तर पे लेट जा बेटी।
मम्मी ने वैसा ही किया फकीर उनके पास बैठा और उनके पूरे बदन को होठों से चूमने लगा। उनके आगे से पूरे बदन को चुम्मा और उसके बाद पलट कर पीछे भी उनकी पीठ और गांड को चूमने लगा। मम्मी अब गरम हो रही थी उनकी चुत से चिकनी रस निकल रही थी। फकीर मम्मी के गोरी चिकनी जांघों को जब से चूमना शुरू किया और उसके बाद उनकी गुलाबी चुत को देखने लगा।
चिकनी गीली चुत साफ बता रही थी की मम्मी तैयार थी। फकीर ने अपने लूंगी से मोटा काला लंड निकाला बहुत ही बड़ा और तगड़ा लंड था। आगे बिल्कुल भी चमडी नहीं थी, उनका लाल टोपी मम्मी के सामने थी, मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली तो फकीर ने उनके होठो पर अपना लंड रख दिया। मम्मी अपने मुंह खोलकर उनकी टोपी को मुंह में लेकर सहलाने लगी। फकीर की इतना बड़ा लंड था कि वह मम्मी के मुंह में नहीं आ रहा था तब फकीर उठा और मम्मी के टांगों के बीच में आया, और मम्मी के चुत के रस से अपने लंड को भिगोते हुए उनके चुत में लंड की टोपी घुसाने लगा।
मम्मी की चीख़ निकलने लगी उनकी छोटी सी चुत में इतना बड़ा लंड नहीं जा पा रहा था। बड़ी मुश्किल से टोपी अंदर घुस गई थी, मम्मी छटपटाने लगी थी फकीर उनके चूचियों को दबाते हुए हल्का-हल्का धक्का लगाने लगे। किसी तरह मम्मी के चुत में फकीर का आधा लंड चला गया।
फकीर जैसे-जैसे धक्के लगाकर मम्मी की चुत चोदता मम्मी को वैसे ही मजा आता और वह चुपचाप लेट कर उनके बाल दाढ़ी को सहलाते हुए अपनी चुत चुदवा रही थी।
फकीर ने आखिरी प्रहार किया और मम्मी के मुंह को बंद करते हुए अपना पूरा लंड उनके चुत में घुसा दिया। मम्मी अपनी आंखें बंद कर ली और बेडशीट को कस के पकड़ ली, उनकी चुत फट चुकी थी और पूरी तरीके से लंड अंदर घुस चुका था।
फकीर कुछ देर रुका रहा और जब मम्मी शांत हुई उसके बाद उनके स्तनों को मुंह में चूसते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाकर चोदने लगा।
मम्मी की चुत ने जैसे ही पानी छोड़ा फकीर का लंड चिकना होकर अंदर बाहर आराम से होने लगा। मम्मी आराम से लेटी हुई अपनी चुदाई का मजा ले रही थी।
फकीर मम्मी के चूचियों को मुंह में लेकर चूसते हुए उनकी चुदाई कर रहा था और मम्मी अपने होठों को दातों से काटते हुए उनके बालों को सहला रही थी।
अब चुदाई काफी रफ्तार में होने लगी थी, लंड पूरा अंदर बाहर हो रहा था। मम्मी के मुंह से सिसकारियां गूंज रही थी। बीच-बीच में मम्मी की चुत पानी छोड़ रही थी और फकीर का लड गीला होकर तेजी से अंदर बाहर हो रहा था।
थोड़ी देर और तेजी से चुदाई होने के बाद फकीर ने एक तेज आह भरी और दो तीन झटके मारते हुए मम्मी की चुत पर माल छोड़ दिया।
बहुत सारा गाढ़ा वीर्य मम्मी के चुत के ऊपर गिरा दिया। मम्मी अपनी आंखें बंद कर उनकी गरम पानी का एहसास ले रही थी।
थोड़ी देर बाद में दोनों उठे और मम्मी अपनी चुत साफ की, मम्मी की चुत पर हल्के खून भी लगे हुए थे।
फकीर ने उन्हें गुलाब जल दिए और बोले कि इससे अपनी चुत को धोते रहना।
मम्मी अपने कपड़े को पहन ली और उसके बाद बाहर आई, उन्हें चलने में थोड़ा तकलीफ हो रही थी। मैं उनका हाथ पकड़ कर सुनसान रास्ते से घर ले आया उसके बाद मम्मी बड़ी गहरी नींद में सोई और सुबह लेट उठी।
शकील आंटी आते ही बोली - लगता है फकीर बाबा ने बहुत ही अच्छे से इलाज किया है मेरी मधु का, देखो तो क्या हालत कर दिया है बेचारी की!
मम्मी- धत्त.. आप भी ना शकीला बहन... और सभी हसने लगे।
उसके 15 दिन बाद पापा घर लौट आए। पापा के मैनेजर ने उन्हें आने से मना किया था इसलिए वह घर नहीं आ पा रहे थे। लेकिन पापा के आने से मम्मी अब बहुत खुश थी।
The End....
धन्यवाद।।