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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

nain11ster

Prime
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gussel pita jab pitne pe aate the toh yeh nahi dekhte the ki kaha aur kitni lagi hai :D... Khair.. par kamse kam aaj tak jitne apno ke ghar gayi hu is level par gaali dete huye na dekhi na suni ...woh alag baat hai gaali toh dete hai par is tarah ki..aur rahi baat stories ki toh aapki hi baaki ke stories pe hi dekh lijiye ... kya wahan koi ek bhi pita apne bete ko aise gali dete huye dekhe hai... Naah :eek:
waise life mein study aur fir duty ke chalte zyada mauke toh nahi mile lekin haan ek baat toh hai.. Ki baat main ya mere friends circle ki ... bahot bure hai hum..:D. ab dikhane ke liye achha banna padta hai .. hai na. :D
sabse important baat yeh ki ishq risk kahani ke aage saare kahani fiki aur kirdaar bhi... so yeh kahani toh khatam ab ishq risk 2 suru kijiye...:D Agar ishq risk 2 suru na huyi toh main xf pe shayad hi kabhi aau...
Baad me baat karte hain in sab vishyon par ... Aap kahani par dhyan dijiye aur use khatm kijiye... In sab ko tab discuss kar lenge jab main likhne se free ho jaunga.. abhi apun busy in where u know :don:
 

DARK WOLFKING

Supreme
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par kya yaha pe hi end hai kya ??? waise last me the end nahi likha hai to aage kuch to hona chahiye ..
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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menka ko april me kaise pata chala ki uma aur ravi badlaa le rahe hai usse ??

aur nakul ko bhi kaise pata chala aur kisse pata chala ????


aur usne kya hint di dono ko ki wo yaha aa gaye shooter ke saath ???

aur ravi ko pushpa ke puchhe kyu aur kab lagaya tha menka ne ???
aur ravi kis baat ki dushmani nikal raha tha menka se ???

aur jo disorder wali bimari hai usko thoda clear samjha dijiye 🙏🙏..

aur ye menka ke kamre me camera lagaya tha kya umashankar ne ??? aur kaise lagaya ??
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..anup aur rajveer dono jinda hai ..par mukhiya chacha maare gaye ..par unka beta goli lagne ke baad bhi bach gaya ..

par ye shyam ko heart attack kaise aaya matlab rupa ne kya kiya uske saath ???.

haa aur jab april me pata chala tabhi shayad maa ne menka ko sorry bola tha aur harsh ko vaapas lao bhale uski body ye kaha tha ..

par thoda roshni daaliye ki kaise ,,kab ,,pata chala aur kisko pehle pata chala ki unke saath dushmani nikal rahe hai ???.
 
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nain11ster

Prime
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me bhi pehle 27 hi soch raha tha par baadme socha ki 1 me bahut saare update hai to wahi 100 ke aaspaas honge 😁😁..
:doh: main to total 100 update ki baat to kabhi kar hi nahi raha tha .. aur imandari puchhiye to yaad bhi nahi ki kitne update chhape hai maine ... Haan lekin 100 encounter complete hai.. aage kuch log apne comment me likh denge
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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समापन और निष्कर्ष:- पहला पक्ष







"वाउ क्या पारिवारिक ड्रामा है, ऐसा लग रहा है जैसे मेनका मिश्रा जहां होगी सब सही ही होगा"… इसी खुशी के माहौल मे, एक अजीब ही दुर्गन्ध उमाशंकर की बातों से आ रही थी और उसके साथ आए 6 हाई प्रोफाइल शूटर, जो उमाशंकर की मंशा बयान कर रहे थे..


सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे सिवाय मेरे.. उस माहौल में क्या हो रहा था किसी को इल्म नहीं.. सब बस भयभीत होकर उमाशंकर को सुन रहे थे.. मै समझती थी कि वहां क्या होने वाला है... इसने तब नहीं छोड़ा था, अब क्या छोड़ेगा.. बस इसकी कमजोरी मेरे हाथ में थी..


मै अपने बैग से अपनी हैंडगन निकाली और बिना किसी दूसरे सोच के खुद पर ही गन रखती... "उमाशंकर, जिसके लिए इतना खेल रचे हो, वही इस बार चली जाएगी. फिर मै ना रहूंगी तो तुम लाशों का खेल खेलते रहना. सबको जाने दो, मै चलती हूं"..


रवि:- यकीन मत कर उमा, बहुत खतरनाक है ये... इसे लगता है सब कुछ इसके हिसाब से हो रहा है.. हमारा फोन रखकर ब्लैंक कर देगी... इसका मुख्य स्तंभ राजवीर सिंह और.. इसका मुखिया चाचा इनको तो कबका लपेट लिया हमने इसे पता ही नहीं... साला वरुण मिश्रा बच गया... किसी ने बताया कि नहीं मेनका को, दुश्मनी की पहली लाश अनूप मिश्रा की ही गिरी थी... अरे यार, मेनका को कुछ पता ही नहीं... आई वान्ना क्राय (I Wanna Cry).. उन्नं हूं हूं...


उमाशंकर:- अब तुम्हारा कोई मोह नहीं रह गया मेनका, तुम वो नहीं रही जिसकी चाहत थी कभी...


"मेरे पापा को क्यों मार दिया, क्या बिगाड़ा था उन्होंने तुम्हारा"… मै बिलखती हुई चिनखकर पूछने लगी..


"मेरा क्या बिगड़ेंगे.. वो तो लियाकत आलम चाहता था कि उसके क्षेत्र में केवल उसका नाम रहे, उसके ऊपर कोई नहीं... हमने तो बस उसे सपोर्ट किया था.. वो क्या है ना उसे लगता था उसके क्षेत्र में उसकी कोई सुनता ही नहीं. और अभिनंदन लाल के जाने के बाद, उसे पुरा बिहार ही खाली सा दिखने लगा था. बस 2 ही कांटे बचे थे.. एक वरुण मिश्रा, जो था तो विधानसभा में, लेकिन क्षेत्र में रूतवा कहीं ऊंचा था. दूसरा वो राजवीर सिंह, हर मामले में टांग अड़ाने वाला"…. रवि ने लगभग कहानी बताई...


"तुम्हे क्या लगता है, तुम दूसरो का शिकार करोगे तो दूसरे तुम्हे छोड़ देंगे.. हमे बस 2 लोगो के मारने के ऑर्डर है, गौरी और मेनका. मेनका गन ड्रॉप कर दो और चलो, वरना जिद का मतलब तुम समझती हो"… उमाशंकर ने चेताया...


मै अपनी गन जैसे ही उन्हे देने लगी मेरी नजर मैक्स पर गई... मैक्स की आंखों में पागलपन दिख रहा था... मै फिर से चिल्लाई… "कुछ सोचना भी नहीं मैक्स.. वरना वो सबको मारते हुए चला जाएगा"


मैक्स:- मेरे रहते तुम्हे ऐसे कैसे ले जाएंगे....


तभी गौरी उसे खींचकर एक थप्पड़ मारती... "फिल्म चल रही है क्या.. क्यों उनकी गिनती बढ़ना चाहते हो... यही रुक जाओ"


हम जब वहां से निकल रहे थे, अनीता मैक्स का हाथ थामि हुई थी. और मैक्स अपने घुटनों पर बैठा बस रो ही रहा था... मै अनीता को देखकर मुस्कुराई और बस भावनाओ में व्यक्त करती चली... "मेरे भाई का ख्याल रखना"…


पीछे मै और गौरी बैठी हुई थी. हम चारो ओर से शूटर से घिरे थे, आगे रवि और उमाशंकर बैठा हुआ था... मै हंसती हुई पूछने लगी... "अरे मारने ही ले जा रहे हो, तो कम से कम सारी राज की बात तो बता दो.."..


उमाशंकर:- ख़ामोश हो जाओ मेनका, बस ख़ामोश.. तुमने कभी जाहिर होने दिया कि तुम्हारे पिता की मौत हो गई.. तुम तो दिल्ली से लौटकर गांव भी नहीं गई..


मै:- मेरे पिता एक दुनिया से दूसरी दुनिया में गए.. जहां गए सुकून से होंगे... मुझे भी दूसरी दुनिया जाना है.. मुझे भी सुकून दे दो.. बस जाने से पहले सारी बातें तो बता दो..


उमाशंकर:- तुम्हे सुकून चाहिए तो सुनो.. महादेव मिश्रा मेरा बाप था.. जिसने मुझे सबसे छिपाकर अपने नजरो के सामने पाला था.. जब उस इलाके में काले शाए मंडरा रहे थे, तब मैंने और रवि ने ही उस हर्ष को उठवाया था... लियाकत तो अपने वर्चस्व और श्याम प्रसाद शुक्ला के सपोर्ट का प्रस्ताव लेकर पहुंचा था और हमने हर्ष के बदले उसे उसका मनचाहा गिफ्ट, यानी कि उस इलाके से राजवीर सिंह और वरुण मिश्रा की पूरी कहानी खत्म करने का वादा किया भी और निभाया भी...


मै, चिल्लाती हुई... "फिर मेरे पापा ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था... कब मारा उन्हे तुम लोगो ने..."


रवि:- लालची हरामजादी, तू तो उस नीतू से भी ज्यादा गिरी हुई... वो तो जिस्म बेचकर फसाती थी और तू अपने दिमाग से लोगो को फसाकर ऐसा उलझाती है कि वो समझ ही ना पाए कि मेनका मिश्रा कितनी बड़ी नागीन है..


मै:- मेरे पापा को क्यों मारा...


रवि:- ज्यादा आंखो में खून मत उतारो.. तेरी भाभी जब दिल्ली से गई तो उसने कुछ नहीं बताया कि तेरा बाप गायब हो गया है..


मै:- तुम्हारा दिन है इसलिए बोल लो मै सुन रही, मै सरेंडर कर रही हूं...


उमाशंकर:- हां तो सुन कमिनी, तेरे हर्ष को उठाना पहली चाल थी, जहां लियाकत ने राजवीर सिंह को अपने पीछे आने का न्योता दिया था.. लेकिन वो मोटा बुद्धि पहले सोचता रहा कि तेरे प्यार के टर्चर के कारन वो भगा है... साले देहाती..

अब वो दुश्मनी तेरे ही परिवार से कर बैठा तो हम क्या कर सकते है... मिश्रा वर्सेस राजवीर सिंह... वैसे राजवीर सिंह भी बेटे के गायब होने का गम कितना सहता. बीतते वक्त के साथ उसे यकीन हो गया कि मिश्रा खानदान ने बेटी के प्रेमी को गायब करवा दिया...

दो बारे खानदान उस इलाके में टकरा रहे थे, हमे तो मज़ा आ रहा था.. और 9 महीने के दुश्मनी के बाद सितंबर के आखरी में राजवीर सिंह को जैसे ही मौका मिला, पहले उसने तेरे बाप को डशा और फिर मिश्रा संयुक्त समाज ने राजवीर सिंह को गायब कर दिया.. लास्ट ईयर दिसंबर का फेंका पासा से आपस की दुश्मनी ने, सितंबर आते-आते काम कर दिया. लियाकत और मंत्री जी को तो हाथ भी गंदे नहीं करने पड़े..

अब बच गया था वरुण मिश्रा और उसका बाप। तो राजवीर सिंह के नाम पर लियाकत ने दुश्मनी निकाल ली.. सिंपल.. जिसे जो चाहिए था वो मिला..


मै:- और तुम दोनो को क्या मिला..


उमाशंकर:- सेल्फ सेटिसफेक्शन… रवि को तुमने ही भेजा था ना पुष्पा को अपने झांसे में फसाने. उसके बाद तुम्हे वो गलत लगने लगा.. जब रवि मुझसे खुल चुका था तभी कह दिया था, मेनका मिश्रा धूर्त और लालच की परिभाषा है. वो अपने पैसों कि चाहत और अंदर छिपे जहर को जाहिर नहीं होने देगी.. पहले नहीं माना था, लेकिन मैंने जिस मंत्री के काले पैसा का 1 रुपया स्वीकार नहीं किया, उससे तू करोड़ों ऐंठ रही थी.. घृणा सी हो गई थी खुद से कि मेरी इतनी गिरी सी चाहत..

सिर्फ तेरे लिए उस हर्ष को उठाया था, ताकि मेरा रास्ता साफ हो जाए. मेरा दिल नहीं माना कि एक लड़की की चाहत में किसी अच्छे लड़के को मार डालूं. तब रवि ने कहा..

"मानकी तेरा बाप तेरे लिए कभी अच्छा नहीं रहा, लेकिन मरने से पहले तुझे ऐसी जगह तो पहुंचा दिया ना, जहां तू कईयों का भला कर रहा है. उसी पिता का कर्ज उतार दे. इसे मार नहीं सकता तो क्या हुआ.… इस हर्ष की लवर और बाप ने तेरे बाप को केवल मरने पर मजबूर नही किया, बल्कि ऐसा काम किया कि सब उसका नाम सुनकर थूकते है.. तू भी हर्ष को उसी जिल्लत में डाल दे.. और मेनका के ओर अपना रुख कर.. लेकिन अब भी कहूंगा उस शातिर से बचकर ही रहना"

मैंने हंसकर रवि से कहा था, साले ठरकी अब वो तेरी भाभी होगी क्योंकि 100 अच्छा काम करके 1 गलती तो कर ही सकता हूं.. तू अब उसके खिलाफ जहर घोलने बंद कर...

कथा का सार सिर्फ इतना है कि, हर्ष तो सारी घटनाओं से बिल्कुल अनजान और अच्छा लड़का था. लेकिन मै भी क्या कर सकता हूं... यही मान लेते है कि मै भी अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी अच्छे लड़के को गायब कर सकता हूं, जिसका कतई अफ़सोस नहीं...


मै:- हीहिहिहिहिहिहिही… ओह तो कोई लड़की महादेव मिश्रा के टर्चर 9 महीने से ऊपर झेल गई, और जो बच्चा पैदा हुआ वो तुम थे.. तुम्हे तो महादेव मिश्रा से नफरत होनी चाहिए थी.. तुम्हारी मां की जिल्लत का बदला लिया उमा, मुझे तो थैंक्स कहना चाहिए था...


मै जैसे ही अपनी बात बोली, गौरी भी हसने लगी.. तभी गन के पिछले सिरे से मुझे और गौरी को उनलोगों ने मारा.. बेचारी मेरी गौरी, उसके नाक और मुंह से खून निकलने लगा... खून तो मेरा भी निकला पर दर्द नहीं हो रहा था. हां लेकिन गौरी दर्द में होते हुए भी जाहिर नहीं होने दी..


मैंने इशारे में पूछा, दर्द तो नहीं हो रहा.. मेरी बात पर गौरी हंसती हुई कहने लगी.. "एक दर्द झेल चुकी अब दर्द तो होता है, पर असर नहीं करता"…


रवि:- इन्हे तड़पाओ मत यार.. इस मेनका के जैसे कर्म रहे हो, लेकिन कभी मैंने चाहा था, आसान मौत देंगे..


उमाशंकर:- मेरे बाप की इज्जत उछाल दी थी.. अभी मेरा मज़ाक बना रही है. जब भी इसके कर्मो पर गौर करता हूं, अंदर से आग लग जाती है. जबतक इसकी इज्जत नहीं उछलेगी, मुझे सुकून नहीं मिलेगा.. इसे सिसकते देखना ही अब मेरी ख्वाइश है...


मै:- ओह तो जंगल ले जा रहे, मेरा चिर हरण करोगे, मुझे नोचोगे.. और फिर तब मारोगे... भुल क्यों जाती हूं, तुम तो महादेव मिश्रा के बेटे हो ना...


उमाशंकर:- साउथ में हो तो क्या यहां तुम्हे रजनीकांत आएगा बचाने, जो इतने विश्वास से अट्टहास कर रही.. तुम तो उसी दिन पिक्चर मे आ गई थी जिस दिन तुमने नीलेश के मैटर में लियाकत को खींचा, उससे मीटिंग की.. और उसे विश्वास में लेकर खेल रच गई..

और तब से ही लियाकत तुम्हारे साथ खेल रहा है.. वो जैसा जैसा चाहता गया, तुम और तुम्हारी भाभी उसके लिए रास्ता बनाती चली गई.. बस एक बात मेरे समझ से परे है, इतनी सी होकर इतने बड़े-बड़े काम कैसे कर लेती हो...


मै:- क्योंकि मै पागल हूं... हिहिहीहिहिहिहिही….


रवि:- ये सच में पागल है उमाशंकर.. छोड़ ये इज्जत विज्जत.. वो बदला तो तूने ले लिया ना.. मेनका को तूने अधूरा बताया ऊपर, जरा पूरी बात तो बता हर्ष के बारे में...


उमाशंकर:- हाहाहाहाहाहा.. मतलब जाने से पहले पर्दा उठा दूं.. तो सुन कुतिया.. जिस दिन तू टांग फैलाकर उस हर्ष के नीचे लेटी ना, तभी तू नजर से गिर गई थी..


मै:- मैंने तो तुम्हे बता दिया था बेबी की मै कुंवारी नहीं..


उमाशंकर, पीछे मुड़कर थोड़ा झल्लाते हुए मेरे होंठ को पकड़कर अपने अंगूठे से जोड़ से खिंचते.….."तब लगा तू अच्छी है, प्यार में सब कुछ सौंप दी... दिमाग में यह थोड़े ना आया था कि तू राजवीर के अरबों की दौलत के बारे में भी सोच सकती है.. तुझ जैसी गिरी लड़की शायद ही इतिहास में कहीं दर्ज हो.. आज तेरे ही लालच के कारन तेरी बहन गौरी भी मरेगी, जिसे मरना नहीं चाहिए.. लेकिन एमजी ट्रस्ट की मालकिन है ना.. क्या ही कह दूं तुझे, की तूने ट्रस्ट के जरिए जो अकाउंट पर जमा करोड़ों के गमन का प्लान किया था, इस चक्कर में आज तेरी बहन भी जाएगी... मज़े कर, तेरे वजह से एक और अच्छी जान निकलेगी.. हमारे हाथा में होता तो गौरी को बचा लें जाते, लेकिन कहानी फिर वही होगी...

ये लड़की भी मरी, मै और रवि भी मरे और 100 लोग जिसका भाला हम वहां रहकर कर सकते थे वो भी सपना चला गया... इसलिए गौरी तुम्हारे लिए सॉरी, दिल से सॉरी.. वादा रहा एमजी ट्रस्ट के बैनर तले मै 2000 वृद्ध को पलूंगा. तुम्हारी और भी कोई ख्वाइश हो तो जरूर बता दो..

गौरी गहरी श्वांस छोड़ती.…. "तुम अच्छे हो छोटे पुजारी जी, और कौन किस गलती की सजा भुगता मुझे उससे कोई सरोकार नहीं. मर भी रही हूं तो अच्छी उम्मीद के साथ.. मरने का गम नहीं, और ना ही इस बात का गम है कि अपनी बहन के कारन मर रही..

रवि:- उमाशंकर की तारीफ गौरी जैसी खूबसूरत लड़की कर दे कतई बर्दास्त नहीं… गौरी ये इतना भी अच्छा नहीं है.. मेनका के प्यार में साला इतना पागल है कि इसके घर ऑफिस, दिल्ली की हर वो जगह जहां मेनका होगी,, लाइव इसकी नजरो के सामने रहती है...

साला प्यार में देवदास, जब अपनी चाहत को हर्ष के साथ घापाघप करते लाइव देख रहा था तब कहने लगा खून कर दूंगा मै इस हर्ष का... हां लेकिन बेचारा कुछ कर नहीं सकता था, क्योंकि मंत्री जी का ऑर्डर था. लड़की के हर वो चीज कलेक्ट करके, सेव करके रखो जिससे ब्लैकमेल कर सके.. उनके बैकअप प्लान का हिस्सा...

जानती हो क्या कह रहा रहा था, मेनका ने गलत किया है. यदि हर्ष के साथ मेनका की शादी हुई तो ये वीडियो दिखाकर मै उसके साथ मुंह काला करूंगा, और फिर सब वीडियो वायरल कर दूंगा.. हाहाहाहाहा.. साला पागल सेक्स करने को मुंह काला करना कहता है... वैसे ये आवेश मे केवल मेरे सामने बोलता भर था, लेकिन इससे होता कुछ नहीं था.. दिल से जो चाहा था..


उमाशंकर:- चुप हो जा रवि, क्यों इज्जत ले रहा है...


रवि, बिल्कुल गुस्से से उमा को देखते... "मै इज्जत ले रहा हूं, या तुझ जैसे मासूम की कभी कदर नहीं होगी इस मेनका को वो बता रहा हूं.. बताने दे की तूने इसकी चाहत मे उन लड़कियों को हाथ नहीं लगाया, जो तेरी झोली में थी, फिर भी तू कहता रहा की प्यार, दिल, शरीर, मन, सब मेनका का है..

इसकी सराफत बता दू. हर्ष को लेकर पुरा समझाने के बाद, जिस दिन नकुल की शादी थी, उस दिन अपने ऑफिस से शादी को लाइव देखकर, वहां के खुश माहौल को देखकर भाई का दिल पिघल गया... आखरी वक्त में कहता है मुझसे "दोस्त वो लियाकत और श्याम प्रसाद अपनी दुश्मनी तो निकाल ही लेंगे, उस हर्ष में मै खुद को देखता हूं"…

"पागल साला चाहत में इतना अंधा हो गया कि इसे हर्ष की मासूमियत तो दिखी, लेकिन इसे मेनका में महादेव मिश्रा नहीं नजर आया.. तब इसे मैंने बाहर भेज दिया और रच दिया पुरा खेल... हर किसी को अपने प्रियजनों के किए की कीमत चुकानी पड़ती है, गलत के साथ तो इंसाफ होता ही है लेकिन गलती करने वाले के साथ, उसके अच्छे लोग भी पिस्ते है ये शायद मेनका मिश्रा भुल गई.."

"मेनका मिश्रा नीतू के परिवार और उसके छोटे भाई-बहन को भुल गई, जिस मासूम को गांव वालों ने निकाला था.. नीतू के बाप को भुल गई, जो सरहद से ड्यूटी करके लौटा और उसका पूरा परिवार गायब था और जिन बातों का उसे इल्म नहीं, उन बातों के लिए उसे बेइज्जत किया गया... साबित क्या करना चाहते थे लोग, बॉर्डर पर नौकरी मत करो क्योंकि तुम्हारी आगे की दशा भी यही होगी.."

"वो पूनम का परिवार जो अपनी बेटी के किए के सदमे में था... हर वो लड़की जिसकी इज्जत भरी महफ़िल में उछली.. मेनका मिश्रा ने कभी उनके परिवार की हालात से सीख नहीं ली, की परिवार के किसी एक के दामन के दाग को पूरा परिवार अपनी कीमत देकर भी नहीं धो सकता... क्योंकि मेनका मिश्रा वो जिनियस है जिसे अपना दामन साफ रखने आता है.. काफी कॉन्फिडेंस में जीने वाली लड़की, जिसे ओवर कॉन्फिडेंस ने कब घेरा पता ही नहीं चला..

प्राची के शादी में ही देर रात इसी के नाक के नीचे से सुप्रिया को पहले पहुंचा दिया उसी कमरे में जिस कमरे मे हर्ष अरमान सजाए था.. बेचारे हर्ष को जब समझ में आया कि उसने तुम्हारे धोके में किसी और पर हाथ डाल दिया, तब वो अफ़सोस कर रहा था और सुप्रिया रोती हुई भागी की उसकी इज्जत लुटने की कोशिश हो रही है.. सब शादी में व्यस्त और सुप्रिया का पीछा करने आया हर्ष को हमने गायब कर दिया...


उमाशंकर:- हां लेकिन एक बात जिसका तुम्हे अंदाजा भी नहीं होगा... इस बार हमारे इलाके से गायब होने वाला लड़का, वाकई गायब हुआ है.. जिसे तुम अब तक मरा हुआ समझ रही थी... उसे हमने सेख के यहां बेच दिया... तेरे मरने से पहले शौकीन शेख और तेरे हर्ष की वीडियो दिखाऊंगा... अभी तू देख ले, बाकी 1 जनवरी को वीडियो वायरल करवा दूंगा...


मै:- हिहिहिहिहिहि.. उमा बेबी तुम इतने सरल जो की जुबान से ठीक से गंदे शब्द भी नहीं निकलते.. मुझसे इतनी नफ़रत के बाद भी अंत मे तू तड़क कर रहे... यार इतने अच्छे क्यों हो… बावड़ा उमा शंकर मिश्रा, हिहिहिहिहि.. वो शेख तो 2 दिन पहले गया, और हर्ष को जहां होना चाहिए, पहुंच चुका है... ओह फोन नहीं लाया ना.. वरना हर्ष की वीडियो वायरल होती या शेख के मौत की खबर वो भी देख लेते.…


उमाशंकर:- अच्छी स्टोरी है हमने विश्वास कर लिया..


गौरी:- पागल हो तुम सभी.. अच्छा चलो ये किस्सा खत्म करते है.. हो तो गया कितना अंदर लोगे.. आ तो गए है वीराने मे...


रवि:- रोक दे भाई यहां गाड़ी, दोनो की इक्छा पूरी हो जाने दे...


हमे खींचकर गाड़ी से बाहर निकाला गया... रवि के इशारे पर सबने अपने गन पर शयलेंसर लगा लिया और हम दोनों बहने थे गन प्वाइंट पर... "अरे रुको, वो वीडियो तो दिखा दो, जिसका जिक्र कर रहे थे"..


उमाशंकर खींचकर मुझे एक थप्पड़ मारते... "कमिनी तेरा प्यार दिल से जाता क्यों नहीं... जी कर रहा है कपड़े फाड़ कर सबके सामने तुझे नंगा कर दूं. जिस्म में इतने जख्म दूं कि सिसकती हुई अपनी मौत की भीख मांग ले... किन्तु इस दिल का क्या करूं जो कहता है, अपनी ही चाहत के साथ ऐसा करोगे.. इतने अपशब्द और घिनौनापन मैंने अपने अंदर कभी मेहसूस नहीं किया..... खुद को इतना पत्थर तो बाना ही चुका हूं कि तुम्हे मारता देख सकूं.. खत्म करो दोनो को...


रवि अपना मुंह मोड़ते.. "मुझसे देखा नहीं जाएगा.. मार दो"..


4-5 बुलेट साउंड और चिरियों के उड़ने की आवाज... क्षण भर के बाद कतूहल माहौल में बिल्कुल शांति थी.…..
समापन और निष्कर्ष:- दूसरा पक्ष




4-5 बुलेट साउंड और चिरियों के उड़ने की आवाज... और कुछ पल खामोशी के बाद मेरी अट्टहास भरी हंसी.… उमाशंकर का तो चेहरा पहले से ही आश्चर्य में था, लेकिन रवि ने जब मेरी हंसी सुनी तो वो पीछे मुड़कर देखने लगा...


"आप जो दृश्य देख रहे है वो कल्पनाओं से परे है... हिहिहिहिहिही... ऐसे दृश्य और नजारे केवल फिल्मों में देखे जाते है... जिनका वास्तविक जीवन से कहीं दूर-दूर तक का नाता नहीं... हिहिहिहिही"….


चारो ओर केवल मेरी ही हंसी की गूंज.. अट्टहास से परिपूर्ण.. अपने एक साल के प्रतिशोध की और अपने परिवार से जो दूर हुई उसकी... मै नहीं चाहती थी कि आगे का दृश्य गौरी देखे, क्योंकि भयभीत तो मेरी बहन तभी हो गई थी जब वो मेरी पागलों वाली हंसी सुनी...


रवि और उमाशंकर इसलिए पागल हुए जा रहे थे क्योंकि उनके जो 6 शूटर थे, वो उनके नहीं रहे... और मै अपनी बहन को अपने पास नहीं रखना चाहती था... इसलिए कुछ दूर और जंगल में उन दोनों को लेकर गई... दोनो के हाथ और पाऊं में वही लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जो आजकल डॉक्टर ऑपरेशन में इस्तमाल करते है... जिस अंग मे लगा, 5-6 घंटे के लिए सुन्न…


मैंने उन शूटर्स को कह दिया, मेरी बहन को बंगलौर लेकर जाओ जहां सब पहुंच रहे है.. आखरी वक्त में उन दोनों से थोड़ी बातचीत कर लूं... वो लोग गौरी को लेकर चले गए और मेरे सामने 2 असहाय लोग जमीन पर लेटे परे थे...

"हिहिहिहि... यकीन हुआ कहानी पर, या अब भी यकीन नहीं... चलो कुछ बातें हो जाए. इस प्यारे से क्षण मे हम एक दूसरे से कहानी सुनते है"..


मै जैसे ही उनके नजदीक पहुंची उनके चेहरे पर डर साफ देखा जा सकता था... मेरी फिर से हंसी निकल गई... "क्यों मेरे होने वाले पतिदेव क्या हुआ"… कहते हुए मैंने उमाशंकर होंठ चूम लिए... "नाह !!! तुम्हारे किस्स में वो चाहत ही नहीं बची उमा.. जारा मै अपने पुराने आशिक़ से मिल लूं"….


"द द देखो.. मेनका.. म म मैंने.."… घबराई सी आवाज में रवि बोला


"हिहिहिहिहिहि... हिहिहिहिहिहीहिही.. ह.. ह… हां तुमने".. हकलाई सी प्रतिउत्तर देती, मैंने उमा के हाथ के नब्ज काट दिए... "रवि, मुंह क्यों मोड़ लिए.. बकड़े को कटते हुए नहीं देखा है क्या, ऐसे ही खून की भिनी-भीनी खुशबू आती है"…


"नहीं, नहीं, नहीं.. रोको इसे.. रोको"… उमाशंकर चिल्लाया..



"चुप कर यार... कोई दर्द नहीं हो रहा होगा... बस मरने के डर से क्यों चिल्ला रहा है.. तेरे बदन को तो सुकून मिल रहा होगा. जब तेरा ये गरम खून धीरे-धीरे बाहर निकलेगा.. बिना दर्द के... हिहिहिहि.. बिना दर्द के तेरे प्राण निकलेंगे उमा"…


"नहीं, प्लीज.. नहीं मुझे माफ़ कर दो.. प्लीज़.. प्लीज.. प्लीज़…"



"बौखला क्यों रहे हो छोटे पुजारी, दया दिखाई थी तुमने, जब मेरी बहन का मुंह तोड़ दिया था.. अरमान लिए मेरा भाई मैक्स मुझसे कहा था, मैंने आजतक उसे नजरअंदाज किया.. कितना चुभ गई थी ये बात मुझे.. मैंने अपने एक भाई को नजरंदाज किया... कुछ घंटे रुक नहीं सकते थे, जो उसकी खुशियों के बीच ये सब ड्रामे कर दिए... मुझे बताओ कि किस गलती के लिए माफी मांग रहे.. माफी दिल से मांगोगे तो शायद मै माफ कर दूं"…


उमाशंकर:- प्लीज़ ये खून रोक दो.. बताता हूं.. अपनी सब गलती बताता हूं... मै बचपन से तुम्हे चाहता था, लेकिन कभी कह नहीं पाया... बाद में तुमने मेरे पिता महादेव मिश्रा को भरे सभा में…


"चुप हो जाओ.. बोर हो गई उमा.. ये गलती बता रहे हो या अपनी आत्मकथा... बचपन की चाहत, हवसी पिता की मोहब्बत, चुप हो जाओ. मेरे रवि की सुनते है, उसके पास जरूर कुछ होगा कहने के लिए... मेरा इंफॉर्मेशन सोर्स.. जब भी बोला है, कुछ काम की ही बात बोला है... रवि बेटा.. तुम्हे कुछ कहना है...".. मै अपने हाथ की चाकू रवि के हाथ की नब्ज पर फिराती हुई पूछने लगी...


"प्लीज, मेरा सारा खून बह जाएगा"… एक बार फिर उमाशंकर मिन्नत करते हुए कहने लगा... मै उमाशंकर के हाथ को उसके कमर पर रखती, उसपर कॉटन और बैंडेज बांधती.. "उमा बेबी.. अब शांत रहना वरना ये शोर मुझे पागल बनाती है, रवि तुम कुछ ऐसा सुनाओ जिसे सुनकर मै पिघल जाऊं"…


"तुम पिक्चर मे उसी दिन आ गई थी जब तुमने लियाकत के साथ बैठकर मीटिंग की थी.. और तुमने कहा था कि तुम्हे नीलेश को कमजोर करना है... वहीं से वो अपना पॉलिटकल एजेंडा खेल गया... वो भी तुम्हारी तरह पागल है"….



"हिहिहिहिहीहिहिही.. मेरी तरह पागल है.. लेकिन तुम क्यों चिल्लाकर ये बात कह रहे हो.. मेरे हाथ थोड़े ना स्वार्थ के खून से रंगे है.. मैंने तो बस लियाकत के अरमानों को हवा दे गई थी.. तुम्हारा शुक्रिया तुम ना होते तो उससे मीटिंग भी नहीं होती... आगे"…


"आगे क्या तुम्हे पता नहीं... किसी को जाहिर नहीं होने दिया कि महदेव मिश्रा को तुमने सुलाया. जैसे आज तक किसी को पता नहीं है कि मात्र तुम्हारे भतीजे नकुल के साथ छोटे से मारपीट कि वजह से तुमने 46 लाश गिरवा दी थी, जिसमे लियाकत का भाई भी था"…….



"ओह ये मेरी उपलब्धियां है क्या.. शुक्रिया सुनकर सुकून मिला.. हां कुछ महादेव मिश्रा के बारे में कह रहे थे"..

"लियाकत ने जब देख लिया कि तुम क्या करिश्में कर सकती हो, तब से वो तुम पर नजर दिए हुए था.. वो देख चुका था कि मात्र एक नकुल के मामले में तुमने 78 लाश गिरवा दी थी.. तुम्हे जब लगे कि खतरा है, फिर दया तुम्हारे दिल में नहीं रहता... बस यही पॉलिटिकल किस्सा लियाकत के दिमाग में घूम रहा था.. लेकिन उसे कोई हड़बड़ी नहीं थी अपने प्लान को एक्जीक्यूट करने की"


"तुम्हारे नजर मे बने रहने के लिए उसने वरुण मिश्रा को पूरा सपोर्ट किया.. कुछ साल इंतजार करने के बाद फिर लियाकत ने अपना काम करना शुरू किया और इस बार निशाने पर था अभिनंदन लाल... क्योंकि उसे बिहार का किंग बनना था और सेंट्रल में अपनी पॉवर साबित करनी थी.. मुझे नहीं लगता कि इसके आगे का तुम्हे बताना पड़ेगा, क्योंकि हम दोनों को पता है कि अभिनंदन लाल का किस्सा समाप्त होने और उसके बाद क्या हुआ..."

"जनता हूं कि मरने वाला हूं, लेकिन सुकून में हूं.. दया की उम्मीद तो मेनका मिश्रा से करना ही बेईमानी है, लेकिन मै सुकून से मरने वाला हूं, जानती हो क्यों... क्योंकि तुम्हारे सब कुछ पाने की चाहत में तुम अपनी हर प्यारी चीज खोने वाली हो... मै तो सुकून से मर जाऊंगा, लेकिन तुम्हारा जीना मरने से ज्यादा भयानक होगा... क्योंकि उस जीवन में तुम्हारा वो प्यारा पैसा नहीं होगा, जिसकी तुम्हे चाहत है... वो तुम्हारा प्यारा परिवार नहीं होगा, जिसकी तुम्हे चाहत है.. आने वाले वक्त में तुम जो कुछ भी देखने वाली हो मेनका वो केवल तुम्हारे किए के परिणाम होंगे... जो रात में भयावाह ख्वाब तो दिन में अकेलेपन कि मार लेकर आएगा.. तुम मुझ जैसी सुकून मौत नहीं मारोगे, क्योंकि तुम्हे तो सिसक-सिसक कर कई मौत मरने है.."

"ये बात तो तुम समझ ही चुकी हो की तुम्हारे पीछे 2 भूत पर चुके है... शयाम प्रसाद शुक्ला, जो 1 जनवरी बाद अब वाणिज्य मंत्री नहीं बल्कि तुम्हारे फेके पासे से वो सीधा बनेगा सेंट्रल होम मिनिस्टर... और दूसरा वो लियाकत, जो श्याम प्रसाद शुक्ला के साथ ही, स्वतंत्र राज्य प्रभार मंत्री से सीधा एक्सटर्नल और इंटरनल अफेयर मिनिस्टर बनेगा... तुम और तुम्हारा जो भी पागल दिमाग सोचता था कि यहां उनके बीच रहकर उसे जड़ से मिटा देगी, ये खबर तो हम सबको लग चुकी थी. बस मंत्री जी को इंतजार था तो अपने एजेंडे के पुरा होने का.. जो तुमने कर दिया... अब तुम बेबस होकर अपना सब कुछ खोते हुए देखोगी, लेकिन उन दोनों के एक बाल भी उखाड़ने का दम नहीं होगा.. बस बेबस खड़ी तमाशा देखोगी...

क्योंकि सपथ ग्रहण करते ही शयाम प्रसाद शुक्ला सबसे पहले तुम्हारी ताकत तोड़ेगा, जिनकी मदद से तुम कुछ भी करने का हौसला रखती हो.. कुमार आंनद, मुक्ता देसाई, वरुण मिश्रा, रूपा मिश्रा, मनीष मिश्रा, सौरव झा (मेनका के मौसा) मनोज झा (सौरव झा का दामाद) सब है लिस्ट में…

और अंत में तुम्हारा सबसे सेफ और जिनियस ब्रेन, जिसे तुम हर परिस्थिति में पर्दे के पीछे ही रखती हो, और कभी किसी मामले मै हाईलाइट नहीं होने दी. यहां तक कि कसम भी दिलवा चुकी की टॉपर आकर या खुद की क्षमता कहीं दिखाकर कभी किसी की नजर मे मत आना.. जिस अकेले के दम पर तुम पूरी दुनिया जितने का हौसला रखती हो, नकुल मिश्रा.… उसके साथ उसकी पत्नी प्राची मिश्रा और उसकी कुल संपत्ति जो तुम्हारे हौसले की रीढ़ की हड्डी है.. वो सब चला जाएगा.. बहुत शौक है ना तुम्हे पॉलिटीशियन से उलझने का, इस बार गलत राजनेता से पंगे ले चुकी.. मै तो मर जाऊंगा, लेकिन जिंदगी भर तुम अकेली दर्द के साथ जिंदा बच जाओगी.."


"हिहिहिहिहिहि... हिजहिहिहिही.… हिहिहिहिहिहिहीही.. मै जीती हूं क्योंकि मै जानती हूं कि मै जीवित हूं.… बच्चा कहीं का... जा दोनो सस्पेंस ही मर जा... सोचता रह यहां हो क्या रहा है, क्योंकि पर्दे के पूछे का खिलाड़ी तो साल भर से सक्रिय रूप से खेल रहा है.. नर्क में मिलते है दोस्त, क्योंकि हम जैसों के लिए तो ऊपर वाले ने वही जगह फिक्स की होगी"…


उमाशंकर की कलाई तो पहले से कटी हुई थी, उसके धीमी चल रही खून को मैंने तेजी से बहने का जरिया दे दिया.. साथ ही साथ रवि के नब्ज को भी काट चुकी थी... उसका खून भी जमीन पर बहता जा रहा था.. जैसे-जैसे उसका खून जमीन पर बह रहा था... मै सुकून में थी.. दोनो की बेबस चींख उस शांत से माहौल को चीर रही थी.. साला झूठा रवि, मै तो सुकून कि मौत दे रही थी, फिर भी ना जाने किस भय से चिल्ला रहा था...


यह भी आश्चर्य ही था.. क्योंकि संभावतः दोनो को तो दर्द बिल्कुल भी नहीं हो रहा होगा. किन्तु मृत्यु को सोचकर उसके भय की कल्पना करना ही मौत होता है.. योके की वही लाइनें याद आ गई... "मृत्यु मात्र एक कल्पना है जो दूसरो को देखकर करते है" मै भी केवल वही कल्पना कर रही थी.


जब वहां से चलने लगी तब दोनो में प्राण बचे हुए थे.. दोनो से मै इतना ही कहती चली.….. "मै अपने निजी स्वार्थ के लिए लोगो को मारती हूं, लेकिन उसका फायदा पूरे समाज को अपने आप ही हो जाता है... जिंदगी में बस तुम दोनो ऐसे हो, जिसके मारने का अफ़सोस है. क्योंकि तुम दोनो बेईमान के साथ रहकर भी अच्छा काम करते थे.. लोगो कि मदद ही किए.. लेकिन मै भी क्या कर सकती हूं... यही मान लेते है कि मै भी अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी अच्छे इंसान का खून बहा सकती हूं, जिसका कतई अफ़सोस नहीं... हिहिहिहिहिही"


उस जंगल से मै अपने हाथ साफ करके कुछ दूर वापस लौट आयी.. बस कुछ दूर आगे जाकर एक मेढ़ पर बैठ गई... कुछ सुकून सा मेहसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा था जैसे एक साल बाद मै नींद से जागी हूं..


बोझिल सी थकी नजरें थी, जिनमें आंसू तो नहीं थे लेकिन इंतजार था... कहीं ओझल नजरो के पार एक धुंधली सी तस्वीर साफ होती जा रही थी.. और जैसे-जैसे वो तस्वीर साफ हो रही थी, मेरे चेहरे पर मुस्कान तैरती जा रही थी..


मै अपनी जगह से उठकर खड़ी हुई और बड़ी ही तेजी के साथ मेरा अस्तित्व मुझे गले से लगाते एहसास करवाने लगा कि अब सब ठीक है.. मै अपने नकुल से पूरे 1 साल और कुछ दिन बाद मिल रही थी.. नकुल कुछ देर तक मुझे खुद में समेटे रहा फिर मुझसे अलग होते... "तुम लोग उन दोनों की लाश को ठिकाने लगा दो"…


नकुल अपने साथ लाए शूटर्स से कहने लगा और वो लोगो चल दिए अपना काम करने. नकुल वहीं मेरे पास बैठा और मै नकुल के कंधे से सर को टिकाए... "पुरा मर्द की तरह गबरू दिखने लगा है.. ऐसा क्या खिलाने लगी है प्राची"..


नकुल:- रोज सुबह शाम तेरा डर.. मेनका जब लौटेगी तो क्या कहेगी.. क्यों उसे रुलाओगे..


मै:- और तुझे क्या लगता है...


नकुल, गहरी श्वांस खींचकर छोड़ते... "बहुत ढीट है ये आंसू, सब कुछ समझने के बाद भी निकल आते है"…


मै:- मेरा पोता आया... प्यारा सा..


नकुल:- उसकी बुआ जब आने वाली होगी तो उसका पोता भी आ जाएगा...


मै:- मै नहीं चाहती मेरी बेटी भी पागल हो.. उसमे गौरी की परछाई होनी चाहिए और उसे नकुल जैसा भाई मिले.. हां लेकिन वो मेरे नकुल की तरह धैर्यवान ना हो, क्योंकि मेरे नकुल को तो यह डर सताता था कि मै आवेश में आ गया तब मेरी बुआ का क्या होगा..


नकुल:- वो तो अब भी डर सताता है, जब तक जिंदा हूं, तब तक डर सताता रहेगा... तेरी फिक्र ना हो तो किसकी होगी.. जैसे तुझे सबकी रहती है... रूपा भाभी ने तुम्हारे लिए बिल्कुल सही कहा था... गलत के साथ गलत करना कोई गलत नहीं, और मेरी बेटी को यह बहुत सफाई से करना आता है...


मै:- ये उनका प्यार बोलता था, वरना 2 ऐसे लोग को अपने हाथ से मारकर आ रही हूं, जिसने मंत्रालय मे रहकर दोनो हाथो से लोगो कि मदद ही कि थी.. ड्राई होनेस्ट की परिभाषा थे रवि और उमाशंकर... जबकि उसके ऑफिस में सब करप्ट थे...


नकुल:- तुझे अफ़सोस हो रहा है क्या?


मै:- नहीं.. दूसरे के पॉलिटिकल एजेंडे मे दोनों ने मुझ पर नजर नहीं डाली थी, बल्कि उस भोले इंसान को दर्द दिए जिसकी प्रजाति शायद आज कल मिलना बहुत कम हो गयी है.. ऊपर से हर्ष के लिए तो मै किसी भी बाधा को पार कर जाती..


नकुल:- अगस्त तक तो मरा ही हुआ था हर्ष हमारे लिए.... अच्छे लोगो पर भगवान भी सहाय होते है...


मै:- हिहिहिहीहिहिहि…. हम गायब होते तो फिर कभी ना मिलते..


नकुल:- हाहाहाहाहा.. हां ये तो सही है.. ऊपर से भगवान देखते होंगे तो यही कहते होंगे... ये मैंने कैसी मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट पीस को भेज दिया.. और भेजा भी तो दोनो को आस पास कैसे भेज दिया..


"हीहिहिहिहिहिहि… हिहिहिहिहिहि... बस भाई रुक जा.. और नहीं".. मै किसी तरह हंसी काबू करती हुई बोली..


नकुल:- कमीने साले हमसे खेल रहे थे.... सोच रहे थे हमे किसी बात की भनक नहीं होगी..


मै:- तेरी शादी थी और मै अपने भाइयों के बीच थी, तभी ये हर्ष को ले जा भी सके, वरना मै जिस जगह पर हूं वहां से मेरी चाहत को उठा ले जाना, नामुमकिन...


नकुल:- तू मान की ना मान, रूपा चाची की पूरी गलती थी.. उन्हे अभिनंदन लाल के साथ बैठक कर लेनी चाहिए थी..


मै:- भाभी नहीं करती उसके साथ बैठक, क्योंकि भाभी को अपने भाई अनुज के मौत का बदला लेना था..


नकुल:- ये कहानी कब शुरू हुई..


मै:- "जबसे महादेव मिश्रा की सच्चाई सामने आयी थी.. रूपा भाभी भांप गई थी कि कमसिन लड़की को रेप करने की मानसिक रोग अनुज में कहां से आया था.. अनुज अक्सर महादेव मिश्रा और सुंदरलाल कि गुप्त सभा मे बैठा रहता था... जैसे नीलेश करप्ट हुआ था, वैसे ही अनुज.. दोनो में अंतर इतना था कि नीलेश को लड़कियां मिल जाती थी और अनुज की दरिंदगी उसके आस पास की कमसिन लड़कियों को भुगतनी पड़ी थी..."

"रूपा भाभी बहुत दिन से विचलित थी इस सवाल के लिए कि आखिर ऐसी मानसिक विकृति अनुज में आयी कहां से.. कई महीनों तक उन्हे जवाब ही नहीं मिला.. महादेव मिश्रा का केस सामने आने के बाद तो रूपा भाभी केवल और केवल बौखलाई ही थी... लेकिन हांथ बंधे हुए थे.. वरुण भैया इधर पॉवर में पहुंचे और उधर रूपा भाभी ने अपने हाथ खोल दिए…"


नकुल:- हां और उसी की लपटें हम तक पाहुंची थी..


मै नकुल के सर पर एक हाथ मारती... "भगवान ने तुझे या मुझे कभी ऐसे सिचुएशन में डाला, जिसमे हम मारने वाले को यह कहकर आए की जो हुआ वो सही हुआ और इसमें तुम्हारी गलती नहीं थी.. तेरी क्या हालत होगी या मेरी क्या हालत होगी"..


नकुल:- हम्मम !!!


मै एक थप्पड़ जोड़ से लगाती… "ये मुंह बंद करके गले से आवाज निकालना तुझे किसने सिखाया. सीधा-सीधा बोल ना"…


नकुल:- मारने वाले से बदला ना के पाना इससे बड़ी कौन सी सजा होगी.. हां अब मै रूपा चाची की मनोदशा समझ सकता हूं... क्यों वो बौखलाई थी अभिनंदन लाल और उसके कुछ चमचो पर, जो महादेव मिश्रा के करीबी थे..


मै:- उनकी घुटन वाजिब थी, उनका बदला भी जायज था. बस रूपा भाभी भी दाव उसी लियाकत के साथ खेल गई, जिसके साथ मै खेली थी.. और 2 मामलो मे लियाकत बहुत कुछ भांप गया... गलती हम दोनों (मै और रूपा भाभी) की ही थी. एक नेता को उसकी औकात से ज्यादा कि उड़ान हमारे निजी स्वार्थ के कारन मिली थी. कुछ नतीजे तो हमे भुगतने ही थे.. वैसे ये फिल्मी सेटअप रूपा भाभी का था, जिसमे राजवीर अंकल और मेरे पापा को ही गायब घोषित कर दिए...


नकुल:- "नहीं, आंनद जीजू का था... वो, रूपा चाची, और मैंने गुप्त मुलाकात की थी सितंबर मे, जब तुमने यह साफ कर दिया था कि उमाशंकर और रवि ने तुमसे बदला लेने के लिए हर्ष को मारा नहीं है, बल्कि गुलाम बना कर बेच दिया है..."

"आंनद जीजू ने इतना ही कहा था कि लियाकत और शयाम प्रसाद शुक्ला अभी मेनका के साथ अपनी राजनीति की नई उड़ान भर रहे है. थोड़ा ध्यान भटका है, थोड़ा ध्यान और भटकाने कि जरूरत है... उसी के तहत पहले अनूप दादा (मेरे पापा) के गायब होने की खबर आयी, जिसका पुरा इल्ज़ाम पापा जी (राजवीर सिंह) पर गया, और अक्टूबर मे पापा जी (राजवीर सिंह) को गायब किया गया... दोनो को श्रीलंका के रास्ते मॉरीशस भेज दिया गया... और वहां आराम से इंतजार करने कहा गया..."

"इस खेल से सीधा असर ये देखने मिला की उन लोगों ने हर जगह से धीरे-धीरे अपने लोग समेटना शुरू कर चुके थे... कई ऑफिसर के तबादले और तरक्की दोनो मिल रहे थे.. महीनों से बैठे बेरोजगार अचानक से अपनी जगह छोड़ना शुरू कर चुके थे. हां लेकिन इस बात का अंदाजा नहीं था कि जाते-जाते मुखिया चाचा और वरुण भैया को लपेटते चले जाएंगे.."


मै:- वरुण भैया कैसे है...


नकुल:- शक्त जान है, 3 गोली लगने के बाद भी बच गए... 36 दिन बाद वो जब कुछ बोलने की हालात में हुए तो पहले रूपा चाची को ही बुलाए, और कहने लगे... "सब कुछ चला जाए तो गम नहीं, लेकिन बाप की मौत का बदला नहीं लिया तो बेटा किस काम का.. उन्होंने तो मुख अग्नि तक का हक छीन लिया... भाभी मुझे केवल बदला चाहिए.." अपनी पूरी संपत्ति, और पुरा अकाउंट उसी दिन उन्होंने रूपा चाची के हाथ में शोंप दिया और कह दिए, हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिलने तक सबको लिटा दो…


मै:- फिर लिटा दिए दोनो को.…


नकुल:- न्यूज नहीं देखी क्या? देश सोक के लहर मे डूबा हुआ है... बड़े-बड़े बैनर के साथ ब्रेकिंग न्यूज चल रहा है, "अचेत अवस्था में मंत्री शयाम प्रसाद को दिल्ली ऐम्स लाया गया.. बताया जाता है कि मैसिव हार्ट अटैक था और रास्ते में ही दम तोड़ दिए.. पोस्टपार्टम के बाद लाश परिजनों को सौंपी.. राजघाट में होगा अंतिम संस्कार"… और छोटी सी खबर में यह भी दिखाया जा रहा है कि लियाकत आलम अपने पिता के साथ सफर करते हुए एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए, मौके पर ही मौत.."

मै:- बेचारे श्याम प्रसाद शुक्ला जी... अब 1 जनवरी को श्याम प्रसाद जी की रूह को शांति मिल जाएगी...


नकुल:- हां और दूसरी दुनिया में भगवान करे उसे प्रधान कि कुर्सी मिले..


मै:- बस एक परेशानी वहां ना हो..


नकुल:- क्या ???


मै:- वहां भी उनसे कहीं 2 ऑब्सेसिव कंपल्सिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Personality Disorder) वाले लोग ना मिल जाए...


नकुल:- हाहाहाहाहाहा... छोड़ जाने दे क्या ही कर सकते है... जुनून के साथ काम खत्म करने को भी यदि लोग बीमारी कहते है तो ये अच्छी बीमारी है...


मै:- जो बीमार होंगे वो, हम तो पूरी तरह से फिट है... हिहिहिहिहि.… वैसे भी आज के समय में हर दूसरा आदमी जनून के साथ ही काम करता है...


नकुल:- प्यार भी तो तूने जुनून के साथ ही किया है... मिलने नहीं जाएगी हर्ष से...


नकुल की बात पर मै अपनी पलकें झपकाकर हर्ष का चेहरा अपने जेहन में उतारती…. "अपनापन तो रवि के साथ भी था, थोड़ा दिलफेंक था लेकिन एक दोस्त था.. अच्छा आदमी.. मुझसे नफ़रत थी तो मुझसे बदला लेता, मुझे टर्चेर करता मै उफ्फ नहीं करती... दिव्यांश (संगीता की शादी में टकराया एक लड़का) ने भी तो बदतमीजी ही हदें पार की थी, मुझे कोई रोष नहीं था... लेकिन मुझ जैसी लड़की के लिए उसने एक मासूम को लपेटा"..


"चटकककककककककक, तुझ जैसी लड़की का क्या मतलब है हां"…. नकुल मुझे थप्पड़ मारते हुए घूरने लगा..


मै:- मुझ जैसी मतलब मेनिया रोगी.. जिसने सोच लिया कि इसे मारना है तो मरना ही होगा, फिर उसे ब्रह्मा भी नहीं रोक सकता... जुनून ऐसा सर चढ़ता है कि...


नकुल:- बस बंद कर ये सब बातें... ऐसा सोचता हूं तो खुद में आत्मग्लानि होती है.. क्योंकि इन सबकी शुरवात मै ही हूं ऐसा लगता है...


मै, नकुल का हाथ थामती… "मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद जिन हाथों में हो, उसे मानसिक यातनाएं दी, उसे रुलाया.. तेरे लिए तो मै कुछ भी कर जाऊं... लाखों करोड़ों लोगों के भाला सोचने वाले के लिए यदि हजारों का भी खून बहाना परे तो मेरे दिमाग में दूसरी सोच नहीं आ सकती.. मेरी सोच बहुत साफ है.… वैसे भी शुरवात कहीं और से हुई थी.."


नकुल:- वो तो बचपन था, तब की बात काउंट नहीं की जा सकती ना.. काउंटिंग तो तबसे होगी ना जब सबने हमे परिपक्व मान लिया था..


मै:- हिहिहिहिहिही….. तुझे और मुझे तीसरी कक्षा से कक्षा से घर के लोग दादा दादी की उपाधि दिए है, भुल गया क्या...


नकुल:- भुल भी जा उस डॉक्टर के केस को, उसे मै नहीं मानता.. वैसे सारी घटनाओं को देखते हुए मेरा एक सवाल है...

मै:- जी सर पूछिए.…


नकुल:- कभी मै गलत हुआ तो..


मै:- तू गलत हो ही नहीं सकता...


नकुल:- यदि हुआ तो..


मै:- तो क्या, मै कौन सा पाप और पुणय का फैसला करने निकली हूं. तू तो मेरी दुनिया है...


नकुल:- फिर भी, कहीं यदि ऐसी गलती, जिसकी सजा मौत से भी कम लगे...


मै:- तू तो मेरा ही अस्तित्व है.. और अस्तित्व के बिना जीवन कैसा... बस इतना ही...


नकुल:- अच्छा तू मर गई तो फिर मेरा क्या होगा???


मै:- जब ऐसा सोचता, तब तू वो सवाल करता ही नहीं जो मुझमें ये जुनून पैदा कर दे की मै ही क्यों जिंदा हूं...


नकुल:- पागल कहीं की...


मै:- सो तो हूं... छोड़ हटा ये सब... रूपा भाभी खुश तो है ना... उन्होंने कुछ कहा तुझ से कि नहीं..


नकुल:- आते वक्त बोली थी कि घुटन से भरी एक दौर का अंत हुआ, वरना एक जिल्लत लेकर कैसे जीती की मेरे बदले की आग ने सब बिगाड़ दिया था.… अब सब ठीक है...


मै:- सब कैसे ठीक है.. मेरे भाई मैक्स के प्यारे से जीवन में ग्रहण दिख रहा है... बहुत ही मासूमियत से उसने मुझसे कहा था, मै उसके साथ बैठकर कभी बात नहीं करती. आज जब उसके चंद खुशियों में शरीक थी, तब ये साले कमीने आ गए...

नकुल अपनी आंखें छोटी करते मुझे घूरते हुए पूछने लगा.… "और ये साले कमीने इतने परफेक्ट टाइम पर आए कैसे.. जबकि तेरे दिल्ली आने के पहले दिन से तुझ पर नजर रखे है और इस साल अप्रैल के बाद से तो तुम्हे इनके हर बात की जानकारी हो चुकी थी.. 8 महीने के खेल मे इन्होंने आज कैसे पकड़ लिया"

मै:- 10 दिन पहले मैंने ही तो हिंट किया था कि मै भुत की तरह लगी हूं इनके पीछे.. और आज सुबह मैंने इन्हे जता दिया, बिना यह जताए की मै जता रही हूं... एक मौका है या तो मुझे मारकर खुद बच जाओ, वरना मै तो तुम्हे मारूंगी ही..


नकुल:- यू मीन बराबरी का मुकाबला..


मै:- नाह !!! दिल से गीला मिटाना... जब वो मुझे मारने से पहले नहीं सोच सकते, फिर मेरे हाथ क्यों कांपे.. फिर मैं इस आग में क्यों जलूं की 2 अच्छे लोग का खून से मेरे हाथ रंगे है... ये सेल्फ सेटिस्फेक्शन के लिए था... वैस अच्छे दिलजले लोगो कि अच्छी बातें सुनने में क्या मज़ा आता है...


नकुल:- क्यों क्या हुआ सो, किडनैप करने के बाद कुछ बोल रहे थे क्या??


मै:- हिहिहिहिहिही, बोल भी रहे थे और नफ़रत से भड़ास भी निकाल रहे थे.. अफ़सोस उसकी सिट्यूएशन में कोई और होता तो गाली ही गाली बोलता.. लेकिन बड़ी मुश्किल से कभी-कभी मुंह से गंदगी निकल रहा था...


नकुल:- हाहाहाहाहाहा, बेचारे ये अच्छे लोग... छोड़ जाने दे... अब सब ठीक है और रूपा भाभी ने खुशी जाहिर की है कि इतने बड़े काम को अंजाम देने के बाद भी कोई खास कीमत नहीं चुकानी परी..


मै:- तुम लोग आपस की दुश्मनी दिखाकर सब एक दूसरे को प्रोटेक्ट कर लिए और वो बेचारे मुखिया चाचा बली चढ़ गए, कहते हो कोई कीमत नहीं चुकानी परी...


नकुल:- बूढे हो गए थे.. 15-20 साल कम जिए और क्या...


मै:- पागल कहीं का... चल अब मैक्स के पास.. मै नहीं जानती कि तू क्या करेगा पर मैक्स को उसकी खुशी मिलनी चाहिए.. और वो अनीता कितनी प्यारी है.. मिला है क्या..


हम दोनों उठकर चलने लगे, और हमारे पीछे धीरे धीरे गाड़ी बढ़ रही थी...


नकुल:- इतनी तारीफ कर रही है, मतलब वाकई प्यारी होगी..


"हां लेकिन ये पॉलिटिकल दुश्मनी मे कहीं वो रिश्ता ना तोड़ दे"…

"ऐसे कैसे तोड़ देंगे, गन प्वाइंट पर किसी और ने रखा, उसकी सजा मैक्स को क्यों"…

"नकुल तू नाटक मत कर ज्यादा.. तुझे भी पता है, सभी रिश्तेदारों के बीच कोई गन लेकर आ जाए तो कैसा लगेगा"…

"पागल मेनका मिश्रा.. वो साउथ के लोग है, यहां तो बाप की दुश्मनी पोते के पर पर पोते तक निकालते है, मूवी नहीं देखती क्या"..

चटककक की थाप्पड़ की आवाज और नकुल ने गाल पकड़ लिया... "भतीजे, फिल्मों से इंस्पिरेशन लेगा तो यही हाल होगा.. गाल लाल"…

"तुम पागल हो मेनका"…

"हिहिहिहिहिहीहि… सो तो मै हूं मेरे भाई.."

"हाहाहाहाहाहाहाहा.… हिहीहिहिहिहिहिही"… "हाहाहाहाहाहाहाहा.… हिहीहिहिहिहिहिही"… "हाहाहाहाहाहाहाहा.… हिहीहिहिहिहिहिही"…


वादियों में हम दोनों की हंसी गूंज रही थी और कुछ-कुछ बातें करते हम चलने लगे... पीछे से आ रही कार मे बैठने से पहले, मै सुकून से नजर भर नकुल को देखी और गहरी श्वास लेती अपनी आंखें घिमे से बंद कर लि…. मेरे दिमाग में बस तीन चेहरे घूम रहे थे.. मेरा अस्तित्व नकुल, मेरी प्यारी बहन गौरी और मेरा प्यार हर्ष...
shayad ab bhi kuch baaki hai maybe menka aur usse judi kirdaaro ki get together :D
Khair chhodiye.... Chutiyadr sahab purani revos pe aapka jikar hai... aur un revos pe aapki kaajal ki bhi jikar hai "ki ye menka aur iski soch kaajal jaisi hai" lijiye proved kar diya menka ne khud hi :D
So...... played a very big game... And the biggest thing is that she didn't even let anyone know ear to ear :rolrun:
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :applause:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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92,285
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:doh: main to total 100 update ki baat to kabhi kar hi nahi raha tha .. aur imandari puchhiye to yaad bhi nahi ki kitne update chhape hai maine ... Haan lekin 100 encounter complete hai.. aage kuch log apne comment me likh denge
nind puri ho gayi ju ki :D
 

DARK WOLFKING

Supreme
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:doh: main to total 100 update ki baat to kabhi kar hi nahi raha tha .. aur imandari puchhiye to yaad bhi nahi ki kitne update chhape hai maine ... Haan lekin 100 encounter complete hai.. aage kuch log apne comment me likh denge
100 encounter na ....wahi maine kaha par sahi shabd nahi mila ..27 adhyay ka 51 part me aapne index banaya hai ..aur har adhyay me 2 se 5 tak parts hai ...
 
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