थैंक्स। बहुत जल्द अगला अपडेट आ रहा है।Mazaa aa gaya bhai waiting for next part eagerly
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धन्यवाद। आपको भी एक अच्छे पाठक के लिए और साथ हिं प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।बड़ी ही उत्तेजक अपडेट है। ऐसे ही सबका पानी निकालते रहिए। अच्छे लेखन के लिए बधाईयां।
Fabulous updatedUpdate 24
सुबह मेरी नींद खुली करीब 8 बज रहे थे मुझे जोर की पेसाब लगा था, मैं सीधा बाथरूम की और गया सामने बाथरूम की गेट लगी हुई थी...
मैं गेट के पास खड़ा था की एक तेज धार सर्रर्ररसर्सरसर की आवाज़ आई मुझे समझते देर नही लगी कि ये पेसाब की साउंड है लेकिन मैं अभी कोई सरारती मूड में नहीं था मुझे भी जोर की पेसाब लगी हुई थी...
लेकिन अंदर से कोई निकलने का नाम हिं नही और मेरी कानो में सरसररसररसर् की आवाज़ आ हिं रही थी...मैं मन हीं मन सोच रहा था ये अंदर कौन है जो इतनी देर से धार छोड़ रही है अभी तो घर मे बस तीन है खुशी भाभी ,जुली दी और बबली इन तीनो में से कोई होगी ...मैं सोच हिं रहा था कि गेट खुली ...
सामने जुली दी थी...
देखने से ऐसा लग रहा था कि वो अभी हिं जगी है एकदम बाल बिखरी हुई ......
दीदी की मुझ पे नजर पड़े उससे पहले मेरा मन मे एक सरारती आईडिया आया...
और मैं अपना हाथ पेंट पे लेजाकर अपना लंड को दबाये हुए था...
मैं- क्या दीदी इतनी देर लगा दी अपनी टंकी खाली करने में...
दीदी- अचानक क्या?
मैं - अरे दीदी बड़ी जोर की सुसु लगी है और आप जो अंदर गयी ऐसा लग रहा था कि कब बाहर निकलेगी...
जुली दी- बात को समझते हुए...और मुश्कराते हुए अरे रात में छत पर से नीचे कौन आ के टंकी खाली करें इसलिए ज्यादा टाइम लग गया स्टॉक जो था...
मैं- वही हाल है इधर भी है दीदी जब बर्दास्त से बाहर हो गया तो हाथ से दबाये हुए हूँ....
जुली दी- मेरी लंड पकड़े हाथ को हिं देख रही थी...और बोली जाओ जल्दी अंदर और हाथ मत हटाना नही तो यही हो जाएगी...
मैं- धत्त दीदी ये अपना मशीन है और इसपे कंट्रोल भी बहुत है ...
जुली दी- अच्छा ऐसा क्या लगता है बड़ा हो गया है वो दिन कंट्रोल कहाँ था जब भी बच्चे में तुझे अपनी गोदी में लेती अपना मशीन इस तरह चलाते की फेस तक हटाने का मौका नहीं देते ...
मैं- अपनी लंड जोर से दबाते हुए बोला मैं ओह बहुत जोर की लगी है अभी वैसे हिं कर दूँ क्या. फेस बचाने का भी मौका नहीं...
जुली दीदी- मुझे मारने के लिए दौड़ी और मैं अपना दोनों हाथ छोड़ दिया लंड से और बाथरूम में घुस गया जब गेट लॉक कर रहा था तो दीदी की नज़र का पीछा किया तो पता चला दीदी मेरी औजार हिं देख रही है...
मैं गेट बंद किया और जब मेरी नज़र मेरे लोअर में पड़ी तो अचंभित रह गया लौड़ा फूल टाइट था चड्डी नहीं पहनने के कारण इधर उधर हिल रहा था और लोअर में बिल्कुल अपना सैप बनाये हुए था...
फिर मैं अपने एक हाथ से लौड़ा को ढका तो वो ढका नही जा रहा था तभी मेरा माइंड हीट किया ओह मतलब तभी दीदी इसी को तो नहीं देख रही थी और लास्ट में कैसे देख रही थी...
अपना लौड़ा निकाल लिया लेकिन पता नहीं मेरा पेसाब गायब था फिर मैंने अपने लंड वे थोड़ा ठंडा पानी डाला क्यों कि अभी मैं मुठ मारने के मूड में नही था और पेसाब करते वक्त सोच रहा आआआह दीदी सच मे कमसिन है...और अभी की घटना के बारे में सोचने लगा और एक अलग तरह की हिं रोमांच आने लगा...
बाथरूम से फ्रेश हो के अपने कमरे में आया ...
उधर किचेन में भाभी और दीदी चाय और नास्ता की तैयारी में थे..
भाभी आटा गुथ रही थी और दीदी चाय बना रही थी.......
जुली दी- अरे भाभी जल्दी जल्दी कीजिये आफिस भी जाना है आपके ननदोई को ...
खुशी भाभी- अरे ननद जी लेट हो गयी उठने में जग तो बहुत पहले गयी थी लेकिन आपके भैया छोड़ हिं नहीं रहे थे..
जुली दी- अच्छा ऐसा क्या होगा गया जो सुबह भी नही छोड़ रहे थे..
खुशी भाभी- आपके भैया आज दूसरे शहर जाएंगे कोई काम से 1 या 2 दिन लग सकता है इसलिए अपनी कसर पूरी कर रहे थे...
जुली दी- हा हा हा हा हा एक भी दिन गैप नहीं वाह भैया ऐसे हिं लगे रहिये (भाभी की गाँड़ पीछे से दबा के ) लगता है भाभी भैया इधर ध्यान नहीं देते हैं..
खुशी भाभी- क्यों कम लग रही है जो मेरी ननद को ऐसा लग रहा है..
जुली दी- सादी को तीन साल हो गए उस हिसाब से उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए..
खुशी भाभी- मैं अपनी ननद जैसी थोड़ी सेक्सी हूँ जो मेरे पे हर वक्त चढ़े रहे...
जुली दी- आप तो इतनी सेक्सी हो भाभी की एक जन क्या मेरे दोनों भाई को एक साथ ले लोगी...ही ही ही ही ही
खुशी भाभी- हा हा हा मेरे में तो वो दम नहीं वो मेरी ननद हिं संभाल सकती है..
जुली दी- भाभी चाय बन गयी है..
खुशी भाभी- तो दे आओ ..
जुली दी- नहीं भाभी आप हिं जाओ न...
खुशी भाभी- मैं आटा गूथ रही हूं जाओ न जुली..
जुली दी- ओह भाभी भैया अभी तक जागे भी नहीं है और आप बता रही हो आपको छोड़ भी नहीं रहे थे तो पता नहीं किस तरह होंगे बेड पे...
खुशी भाभी - तो क्या हुआ ननद जी दिक्कत क्या है साड़ी ऊपर करना और बैठ जाना भैया की सवारी करना हा हा हा हा...
जुली दी- धत्त भाभी आप तो बस टांगे खिंचती हो.....और दोनों हाथ से ट्रै पकड़े हुए चाय लेके बाहर निकलने वाली होती है
खुशी भाभी- को एक सरारत सूझती है जल्दी से थोड़ा हाथ धो के अपनी दोनों हाथ से जुली दी कि साड़ी ऊपर कर के पेंटी खोलना चाहती है..
जुली दी- ये क्या कर रही हो भाभी आह चाय गिर जाएगी...
खुशी भाभी - बाप रे! ये क्या मैं तो ननद रानी की पेंटी खोलना चाह रही थी लेकिन मेरी ननद तो पहले से पेंटी खोल के अपने दोनों भैया की सवारी के लिए तैयार है हा हा हा हा हा....
जुली दी- शर्म से पानी हो गयी क्यों कि वो पेंटी पहनी नही थी...अब बोले तो बोले क्या..
खुशी भाभी - जुली दी कि कान में यदि बिमलेश सोया हुआ हिं हो तो समझो अंदर से वो नंगा ही होगा और मेरी ननद रानी भी बस साड़ी ऊपर कर के गपाक से बैठ जाना हा हा हा
जुली दी- वो तो रात में आपके ननदोई जी कुछ अलग तरीके से किये उसके बाद तो पेंटी पहनी हिं नहीं और आप तो...
खुशी भाभी- अरे इतना सीरियस क्यों होती हो ननद जी मैं तो बस माजक की...
जुली दी- धत्त भाभी और चाय लेके आगे बढ़ गयी...
जुली दी सीढ़ी से छत पे राकेश के कमरे में गयी राकेश लेटा हुआ था
जुली दी- अरे जी जागिये चाय लीजिए...
राकेश- का कोई भी रिएक्शन नहीं
जुली दी- धीरे से जीजू के कान के पास अरे मेरे लंडवाले पतिदेव जरा जगने की कृपा करें
राकेश- मुश्कराते हुए अपने आंख खोल देता है...
जुली- बस लेते रहियेगा समय देखिये जाना नहीं है क्या..
राकेश- मेरा मन तो कर रहा है एक बार और चोद लूँ..
जुली दी- मुस्कराते हुए आपको इसके अलावा और कुछ नहीं चलता है क्या...
चाय ठंडी हो रही है
राकेश- उठ के बैठते हुए एक कप चाय का उठाते हुए बोलता है बीबी जब इतनी रसभरी मिली है तो रस तो चाटनी परेगी नहीं
जुली दी- तो जब मन तब रस चटियेगा.. लीजिए जल्दी भैया को भी चाय देनी है..
राकेश जीजू- अच्छा मेरे प्यारे दोस्त के लिए चाय है क्या
जुली दी- हाँ और आपके प्यारे दोस्त के भाई के लिए भी
राकेश जीजू- अरे जुली थोड़ा पास आओ न...
जुली दी- नहीं अभी कोई सरारत नहीं चाय देनी है और भाभी की हेल्प करनी है नास्ता बनाने में
राकेश- अरे भाई पास तो आओ जैसे हिं जुली पास आती है ...अपनी हाथ से साड़ी उठा के उंगली जुली दी कि बुर में आगे पीछे करने लगते हैं..
जुली दी- ये क्या कर रहे हैं हो गए आप शुरू
राकेश- अरे नहीं तुमसे कुछ भी छिपाया हूँ बचपन से आज तक जो भी हुआ है सब शेयर किया हूँ ..
जुली दी- पता है मुझे
राकेश- तो मेरे दोस्त से किया हुआ वादा तो पता नहीं पूरा होगा कि नहीं लेकिन कम से कम ये तो करने दो...
जुली दी- क्या करने वाले हैं आप लग रहा है आपको फिर वही बात अंजू मंजू वाली बात याद आ गयी....
राकेश- हा हा हा तुम सच मे कमाल की हो मेरी मन को पढ़ना तुम्हें अच्छी तरह आता है पता नहीं मेरा दोस्त मेरी बीबी को चोद पायेगा की नहीं लेकिन कम से कम चूत रस तो चखाने दो...और उंगली चुत में से निकाल के ट्रै में रखी हुई चाय में डाल देता है और फिर उंगली बुर में डाल देता है
जुली दी- ओह मत मिलाइये गंदा है...आप फिर शुरू हो गए मैं मानती हूं आप दोनों दोस्त में ये वादा किये लेकिन जो आपका दोस्त है वो मेरा सगा भाई है...
राकेश- अच्छा सगा भाई है (और अपनी उंगली तेजी से जुली दी कि चुत में अंदर बाहर कर रहे थे..) इतने में अपनी दो फिंगर जुली दी कि बुर से निकालते हुए दिखता है ..
और बोलता है सगे भाई है इसलिए मेरी जान की बुर इतनी जल्दी रस छोड़ दिया क्या पहले तो ऐसा नहीं होता था
जुली दी- जीजू के फिंगर पे लगी बुर रस को देखती हुई एक तो बहुत ज्यादा शर्मा गयी और मन मे सोचने लगी इतनी जल्दी कैसे निकल सकती है...
राकेश जीजू- अपनी फिंगर में लगी जुली की बुर रस को चाय के कप पे अपनी दोनों उंगली कप पकड़ते हुए उंगली कप के ऊपरी हिस्से में खींच लेता है सारा रस कप ने चले जाता है...
जुली दी- ऐसे मत कीजिये प्लीज मेरे से नही हो पायेगा ये दिया हुआ भैया को...
राकेश- हमदोंनो की प्यार की कसम जुली मेरे दोस्त के लिए इतना तो करोगी वैसे ये तो बिल्कुल क्रीम के जैसा लग रहा है..
जुली दी- चाय लेते हुए सीढ़ी से नीचे आ रही थी और मन मे अभी के घटना के बारे में सोच रही थी पता नहीं राकेश भी नही...
जुली की हर एक कदम...बहुत हिं भारी पर रह था फिर भी किसी तरह बिमलेश के रूम के गेट तक पहुंच गई...
जुली अपनी नज़र एक बार चाय के कप पे डालती है और एक कप में अपनी चूत रस जो चाय के ऊपरी सतह पे तैर रहा था और दूसरी कप बिल्कुल नार्मल जैसे और सोचने लगी भैया कुछ पूछ लिए तो क्या जबाब दूंगी ये सोचते हुए जुली कमरे में अंदर चली गयी...
अंदर बिमलेश भैया एक पतली चादर अपने ऊपर डाल के सो रहे थे...
जुली अपनी सरसरी निगाह से भैया को देखती है भैया पीठ के बल लेटे हुए थे अपनी नज़र कमर के पास ले गया ओह ये क्या भाभी सच बोल रही थी लगता है भैया अंडरवियर नहीं पहने हैं फिर फेस को देखने के बाद लग रहा था कि नींद में हैं भैया और सोचने लगी लगता है भैया अभी भाभी पे चढ़े थे उसके बाद सो गए क्या करूँ जगाऊँ या नहीं
फिर अपनी चाय को देखते हुए अपनी पति की प्रॉमिस भी याद आ गयी ओह पहले भैया के कमरे में हिं आ जाती वो(अपने पति) तो ऐसे हिं सरारती है मुझे बीच मछधार मे फसा दिए चाय तो बिल्कुल पानी से भी ठंडी हो गयी है और धीरे से
जुली- भैया भैया ये चाय लीजिए..
बिमलेश का कोई रिएक्शन नहीं
जुली एक कदम आगे बढ़ते हुए बिमलेश के फेस के बहुत करीब से जुली - भैया उठिए न चाय लाई हूँ
बिमलेश के कानों में एक मधुर आवाज सुन के अपनी आंख खोलता है देखता है सामने जुली को..
जुली - भैया चाय लीजिए न
बिमलेश- बहन मुंह भी कहाँ धोया हूँ
जुली दी- अच्छा कब से .. भाभी लेके आती है तो बिना मुंह धोये पीते हैं और मैं ले के आई तो...
बिमलेश- अरे नहीं बहन ऐसी बात नहीं है..अभी पीता हूँ...
जुली - ट्रै आगे बढ़ाती है अपनी चूत रस मिक्स्ड चाय आगे हिं थी जिसे बिमलेश भैया अपने हाथ मे उठा लेते हैं आआआह मुझे कंपन सी हो गयी जब भैया चाय अपने हाथ मे लिए..
बिमलेश- चाय को देखते हुए वाह बहन क्रीम मिली हुई चाय वाह एक अलग हिं एनर्जी आ जायेगी बहन
जुली दी- अपनी अंदर बहुत हिम्मत लाके बोलती है हां भैया क्रीम थी तो मैं मिला दी..
बिमलेश- चाय की एक शिप लेते हुए वाह बहन आआआह मज़्ज़ा आ गया क्या स्वाद है...
जुली- जैसे हिं भैया चाय की शिप मुंह मे लिए मुझे ऐसे लगा भैया मेरी चूत को अपनी मुंह मे ले लिए अपनी मन में.. आआआह मेरी चूत की फांके ऐसे क्यों हो रही है
बिमलेश- क्या हुआ बहन क्या सोच रही हो...
जुली- चौकते हुए भैया की बात पे ध्यान देके सच मे भैया चाय अच्छी बनी है..
बिमलेश- अच्छा की जुली क्रीम मिला दी चाय का मस्त टेस्ट आ गया...
जुली - हिम्मत करते हुए बोलती है भैया जब क्रीम हिं अच्छी थी तो चाय तो अच्छी होगी हिं न सामने बिमलेश बड़े अन्दाज़ के साथ चाय की शिप ले रहे थे..ये देख के हिं मेरी बुर मचल उठी ऐसा लगा कि कुछ बूंद टपक पड़ी..
बिमलेश - का ध्यान अचानक जुली के दोनों पैर के बीच टपके हुए रस पे जाता है...मन मे ये क्या जुली की ऐसे कैसे अपने मन मे तरह तरह के विचार उत्पन होने लगा...
जुली- अपनी आंख जैसे हिं खोली की सामने बिमलेश भैया के नज़र का पीछा किये तो वो नीचे देख रहे थे और जैसे हिं मेरी नज़र भैया के जांघ पे पारी ओ माय गॉड ये क्या भैया का ये तंबू क्यों बन रहा है..
बिमलेश - अपनी नज़र जैसे हिं उठता है तो सामने जुली को देखता है उसकी नज़र उसके कमर पे है और इसी बीच दोनों की नज़र आपस मे टकरा जाता है
जुली- भैया चाय राहुल को भी देनी है और रूम में निकल जाती है..
जुली राहुल के रूम में जाती है.. रूम से
मैं- सामने दीदी को देखकर पहले तो थोड़ा सकपकाया
जुली दी- ले छोटे चाय
मैं- चाय लेते हुए बोला सॉरी दीदू ..
जुली दी- वो किस लिए छोटे..
मैं- तबी के लिए वो टंकी खाली वाली बात और आपकी फेस पे सुसु वाली बात..
जुली दी- हंसते हुए क्या छोटे तुम भी न छोटी छोटी बातों के लिए जब रात भर सुसु नहीं करूंगी तो ज्यादा टाइम तो लगेगा हिं न टंकी खाली करने में
मैं- हाँ दीदी..
जुली दी- मुझे क्या पता था मेरा भाई बाहर खड़ा है और तुम गेट भी तो नहीं पीटे
मैं- वो तो मैं सोच रहा था अब निकल जाएंगे जो भी हैं...
जुली दी- तुमको पता था क्या मैं हिं अंदर हूँ..
मैं- हाँ दीदी आप या भाभी में से कोई एक है अंदर ये तो लग गया था मुझे...
जुली दी- हा हा हा तुम न डरपोक बहुत हो..
मैं- धत्त दीदी मैं डरपोक तो बिल्कुल नहीं हूं..
जुली दी- बहुत डरपोक हो
मैं- आपको ऐसा लगता है तो वो बचपन वाली बात कर दूं..
जुली दी- वो क्या
मैं - आप मुझे गोदी में लेना और मैं सुसु कर दूंगा आपके फेस पे..हा हा हा
जुली दी- अच्छा इतना हिम्मत हो गया मेरे छोटे को..
मैं- हा दीदु मैं कर दूंगा मुझे डर नहीं लगता
जुली दी- मजकिये लहजे में फिर मैं चाकू रखूंगी और जर से हिं काट दूंगी..
मैं- थोड़ा नाराज होते हुए क्या दीदी किसी की जिंदगी टिकी हुई है आप काट दोगी...और इस बार मैं मजकिये लहजे में बोल वैसे दीदी आप नहीं काट पाओगी..
जुली दी- क्यों चाकू रहेगी तो क्यों नहीं काट पाऊंगी..
मैं- दीदी इसलिए नहीं काट पाओगी क्यों कि अब वो बचपन वाली बात नहीं ना रही अब वो बहुत ब.....और मो....
जुली दी- मेरी और मुस्कराती हुई मेरे कान में आ के बोलती है
पता है छोटे बचपन मे हिं तुम्हारा बड़ा लग रहा था और कभी कभी ...तो और भी.....और दीदी अपनी गाँड़ मटकाती हुई चली गयी...
जुली जाते हुए देखी की भैया का गेट सटा हुआ है वो पास गयी थोड़ा धक्का दी तो उसे लगा अंदर से बंद है..
मैं - बस दीदी की मस्त गाँड़ को निहारता रहा और सोचने लगा आआआह दीदी क्या माल है फिर वही रात वाली बात याद आ गयी ..
किचेन में
जुली दीदी किचेन के अंदर जाती है
अंदर खुशी भाभी लगभग पराठा बन हिं गया था..
खुशी भाभी- वाह ननद जी इतनी जल्दी आ गए चाय देके ..
जुली दी- को अहसास हो गया कि टाइम कुछ ज्यादा हिं लग गया बहाना बनाने के लिए बोली वो आपके ननदोई जी से बात होने लगी..
खुशी- सब समझती हूँ सुबह से हिं अपने दोनों भाई के ऊपर चढ़ने के लिए पेंटी खोली हुई थी ये तो बहाना है ननदोई जी से बात करने की...
जुली दी- धत्त भाभी सही बोल रही हूं..
खुशी भाभी- अच्छा बोलो न जुली रानी दोनों भाई का एक साथ हिं ली या अलग अलग हा हा हा हा
जुली दी- भाभी आप टांग खिंचने लगे न
खुशी भाभी- हा हा हा
जुली दी- सरारती अन्दाज़ में अच्छा भाभी ये बताओ न भैया का हर वक्त ऐसे हिं तंबू बना रहता है ..
खुशी भाभी- बिल्कुल जोशीली अन्दाज़ में बोलती है हाँ ननद रानी जब बहन अपनी बिना पेंटी पहने खुली बुर लेके जाएगा तो भाई का लौड़ा तो खड़ा होगा हिं न हीही ही ही...
जुली दी- सच बोलिये ना..
खुशी भाभी- हाँ कभी टाइट हो जाता है लेकिन उससे ज्यादा मुझे लगता है देवर जी का खड़ा रहता है क्यों कि जब भी झाड़ू लगाने जाती हूँ मॉर्निंग में ऐसा लगता है पूरा टेंट हिं बन गया है और ऐसा लगता है 2 बित्ता से कम नही होगा ..
जुली दी- हाँ भाभी बचपन से हिं उसका थोड़ा बड़ा था ...वैसे जो भी बीबी होगी बहुत लकी होगी.
खुशी भाभी- अच्छा मेरी ननद रानी हिं बन जाय मेरी देवरानी ही ही ही हर वक्त खाने को मिलेगा 2 बित्ता का केला
जुली दी- कोई भी बात बोलती हूँ भाभी आप मेरे पे हिं अप्लाई कर देती हो...
खुशी भाभी- क्योंकि मेरी ननद रानी है हिं बहुत रसीली की उसे हचक हचक के 5 मर्द भी चोदे तो कुछ नही होने वाला है
जुली दी- हा हा हा अब ऐसी भी नही हूँ भाभी...
इसी तरह दोनों हसी माजक करते हुए खाना बना रहे थे..
उधर बिमलेश अपने रूम में जैसे हिं जुली निकली रूम से चादर हटा के निकला और दरबाजे लगाया और वो जगह पहुंच गया जहां जुली खड़ी थी.....वहां बैठ गया और फर्श पे 2 बूंद रस था बिमलेश फर्श पे पड़ी रस अपने एक फिंगर में लगता है उसे चिपचिपा लगा बिमलेश को समझते देर नहीं लगी कि ये क्या है...वो जल्दी से अपने नाक के पास ले जाता है उसके एक मादक स्मेल आता है अपनी
बिमलेश- आआआह आखिर जुली की अभी ये रस टपक क्यों पड़ी ..आखिर वो क्या बात हो सकता है और ये सोचते हुए फिंगर में लगी रस अपने मुंह मे ले लेता है और अपने लंड निकाल के फर्श के पारी रस पे अपना लौड़ा घिसने लगता है ..बिमलेश इमेजिन करने लगा आआआह मैं राकेश की बीबी को चोद रहा हूँ आआआह मैं अपनी हिं बहन चोद रहा हूँ...आआआह मेरा इतना जल्दी डिस्चार्ज कैसे हो गए आआआह बहन में ऐसी क्या बात है ...और फिर फ्रेश होने चला जाता है..
इसी तरह सब नास्ता कर लिए जीजू दीदी रेडी थे और बिमलेश भैया भी दूसरे शहर जाना था वो भी रेडी थे...जाने के लिए..
राकेश- साले साहब तो आज आफिस नहीं जाना है क्या..वैसे भी गाड़ी तो 1 बजे है ना..
बिमलेश- हाँ 1 बजे तो है..मैं सोच रहा था आफिस जा के 1 घंटे कुछ जरूरी काम था फिर वही से निकल जाऊ..
राकेश- हाँ बिल्कुल
बिमलेश- लेकिन अपनी गाड़ी वहां कहाँ रखूंगा ..
राकेश- मैं तो बोलता हूं कि अपने रूम के पास में से हिं उस सिटी के लिए बस है मैं फ़ोन से टिकट बुक करवा देता हूँ वही से चले जाना जी..
बिमलेश- हाँ वो तो ठीक है
राकेश- मुझे भी ठीक हिं होगा जुली भी रूम चली जायेगी और मैं कोई ऑटो या बस से आ जाऊंगा..
बिमलेश भैया- ठीक है
कुछ देर बाद तीनों जाने लगे
मैं सभी को प्रणाम किया
जब दीदी को किया तो दीदी बोलो क्या आशिर्वाद दूँ छोटे नौकरी तो लग जायेगी ही तुम्हें अच्छी बीबी मील वही आशिर्वाद देती हूं...
सब ठहाके लगा के हंस दिए...
जीजू अपनी बाइक निकली और ड्राइव सीट पे उसके बाद भैया और बाद में दीदी दोनों पैर एक ही तरफ कर के बैठ रही लेकिन उसमे हो नही रही थी फिर दोनों पैर दोनों तरफ कर के बैठ गए..
मेरे लिए वो नजराना काफी हसीन था जब दीदी अपनी एक पैर उठा के दूरी तरफ कर रही थी लेंगिन्स में जुली दी कि किसी गाँड़ आआआह जान लेवा था
तीनो निकल गए जब गेट लॉक करके अंदर आ रहे थे बबली सबसे आगे थी वो चली गयी भाभी गेट लॉक कर के मेरे पास आई और मेरे से नजदीक आ के मेरे कान के पास बोली..
खुशी भाभी- देवर जी क्या बात है बहन की गाँड़ को बहुत सरसरी निगाह से देख रहे थे कोई बात है क्या
मैं- लजाते हुए क्या भाभी आप भी ..
खुशी भाभी- मुझे तो लग रहा है कोई बात है..
मैं- मुझे तो कोई और गाँड़ पसंद है लेकिन भैया कभी खाली छोड़ते हिं नहीं
खुशी भाभी- अच्छा लग रहा है हीरो पूरी तरह जवान हो गया है कहीं सादी करनी पड़ेगी अब...
मैं- हाँ भाभी शुभ काम मे देरी क्यों..मैं भी आगे और पीछे से कबड्डी खेल करूंगा हा हा हा
जुली दी- अच्छा है...
दूसरी तरफ..
बाइक पे...
मुझे इस 24 न: वाला अपडेट से कम बल्कि आप के इस कमेंट से ज्यादा उत्तेजना हो रही है। मुझे 100% बिश्वास है अपडेट नम्बर 25 बिल्कुल धमाकेदार और सुपर डुपर होनेवाला है। जय हो राहुलजी। नाम तो हम ने सुन ही रखा है।।थैंक्स। बहुत जल्द अगला अपडेट आ रहा है।
मैं आपकी मनोभावना समझ रहा हूँ , लेकिन जो आप सोच रहे हैं अभी वो होने वाला नहीं है ।मुझे इस 24 न: वाला अपडेट से कम बल्कि आप के इस कमेंट से ज्यादा उत्तेजना हो रही है। मुझे 100% बिश्वास है अपडेट नम्बर 25 बिल्कुल धमाकेदार और सुपर डुपर होनेवाला है। जय हो राहुलजी। नाम तो हम ने सुन ही रखा है।।
Behtreen updateUpdate 24
सुबह मेरी नींद खुली करीब 8 बज रहे थे मुझे जोर की पेसाब लगा था, मैं सीधा बाथरूम की और गया सामने बाथरूम की गेट लगी हुई थी...
मैं गेट के पास खड़ा था की एक तेज धार सर्रर्ररसर्सरसर की आवाज़ आई मुझे समझते देर नही लगी कि ये पेसाब की साउंड है लेकिन मैं अभी कोई सरारती मूड में नहीं था मुझे भी जोर की पेसाब लगी हुई थी...
लेकिन अंदर से कोई निकलने का नाम हिं नही और मेरी कानो में सरसररसररसर् की आवाज़ आ हिं रही थी...मैं मन हीं मन सोच रहा था ये अंदर कौन है जो इतनी देर से धार छोड़ रही है अभी तो घर मे बस तीन है खुशी भाभी ,जुली दी और बबली इन तीनो में से कोई होगी ...मैं सोच हिं रहा था कि गेट खुली ...
सामने जुली दी थी...
देखने से ऐसा लग रहा था कि वो अभी हिं जगी है एकदम बाल बिखरी हुई ......
दीदी की मुझ पे नजर पड़े उससे पहले मेरा मन मे एक सरारती आईडिया आया...
और मैं अपना हाथ पेंट पे लेजाकर अपना लंड को दबाये हुए था...
मैं- क्या दीदी इतनी देर लगा दी अपनी टंकी खाली करने में...
दीदी- अचानक क्या?
मैं - अरे दीदी बड़ी जोर की सुसु लगी है और आप जो अंदर गयी ऐसा लग रहा था कि कब बाहर निकलेगी...
जुली दी- बात को समझते हुए...और मुश्कराते हुए अरे रात में छत पर से नीचे कौन आ के टंकी खाली करें इसलिए ज्यादा टाइम लग गया स्टॉक जो था...
मैं- वही हाल है इधर भी है दीदी जब बर्दास्त से बाहर हो गया तो हाथ से दबाये हुए हूँ....
जुली दी- मेरी लंड पकड़े हाथ को हिं देख रही थी...और बोली जाओ जल्दी अंदर और हाथ मत हटाना नही तो यही हो जाएगी...
मैं- धत्त दीदी ये अपना मशीन है और इसपे कंट्रोल भी बहुत है ...
जुली दी- अच्छा ऐसा क्या लगता है बड़ा हो गया है वो दिन कंट्रोल कहाँ था जब भी बच्चे में तुझे अपनी गोदी में लेती अपना मशीन इस तरह चलाते की फेस तक हटाने का मौका नहीं देते ...
मैं- अपनी लंड जोर से दबाते हुए बोला मैं ओह बहुत जोर की लगी है अभी वैसे हिं कर दूँ क्या. फेस बचाने का भी मौका नहीं...
जुली दीदी- मुझे मारने के लिए दौड़ी और मैं अपना दोनों हाथ छोड़ दिया लंड से और बाथरूम में घुस गया जब गेट लॉक कर रहा था तो दीदी की नज़र का पीछा किया तो पता चला दीदी मेरी औजार हिं देख रही है...
मैं गेट बंद किया और जब मेरी नज़र मेरे लोअर में पड़ी तो अचंभित रह गया लौड़ा फूल टाइट था चड्डी नहीं पहनने के कारण इधर उधर हिल रहा था और लोअर में बिल्कुल अपना सैप बनाये हुए था...
फिर मैं अपने एक हाथ से लौड़ा को ढका तो वो ढका नही जा रहा था तभी मेरा माइंड हीट किया ओह मतलब तभी दीदी इसी को तो नहीं देख रही थी और लास्ट में कैसे देख रही थी...
अपना लौड़ा निकाल लिया लेकिन पता नहीं मेरा पेसाब गायब था फिर मैंने अपने लंड वे थोड़ा ठंडा पानी डाला क्यों कि अभी मैं मुठ मारने के मूड में नही था और पेसाब करते वक्त सोच रहा आआआह दीदी सच मे कमसिन है...और अभी की घटना के बारे में सोचने लगा और एक अलग तरह की हिं रोमांच आने लगा...
बाथरूम से फ्रेश हो के अपने कमरे में आया ...
उधर किचेन में भाभी और दीदी चाय और नास्ता की तैयारी में थे..
भाभी आटा गुथ रही थी और दीदी चाय बना रही थी.......
जुली दी- अरे भाभी जल्दी जल्दी कीजिये आफिस भी जाना है आपके ननदोई को ...
खुशी भाभी- अरे ननद जी लेट हो गयी उठने में जग तो बहुत पहले गयी थी लेकिन आपके भैया छोड़ हिं नहीं रहे थे..
जुली दी- अच्छा ऐसा क्या होगा गया जो सुबह भी नही छोड़ रहे थे..
खुशी भाभी- आपके भैया आज दूसरे शहर जाएंगे कोई काम से 1 या 2 दिन लग सकता है इसलिए अपनी कसर पूरी कर रहे थे...
जुली दी- हा हा हा हा हा एक भी दिन गैप नहीं वाह भैया ऐसे हिं लगे रहिये (भाभी की गाँड़ पीछे से दबा के ) लगता है भाभी भैया इधर ध्यान नहीं देते हैं..
खुशी भाभी- क्यों कम लग रही है जो मेरी ननद को ऐसा लग रहा है..
जुली दी- सादी को तीन साल हो गए उस हिसाब से उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए..
खुशी भाभी- मैं अपनी ननद जैसी थोड़ी सेक्सी हूँ जो मेरे पे हर वक्त चढ़े रहे...
जुली दी- आप तो इतनी सेक्सी हो भाभी की एक जन क्या मेरे दोनों भाई को एक साथ ले लोगी...ही ही ही ही ही
खुशी भाभी- हा हा हा मेरे में तो वो दम नहीं वो मेरी ननद हिं संभाल सकती है..
जुली दी- भाभी चाय बन गयी है..
खुशी भाभी- तो दे आओ ..
जुली दी- नहीं भाभी आप हिं जाओ न...
खुशी भाभी- मैं आटा गूथ रही हूं जाओ न जुली..
जुली दी- ओह भाभी भैया अभी तक जागे भी नहीं है और आप बता रही हो आपको छोड़ भी नहीं रहे थे तो पता नहीं किस तरह होंगे बेड पे...
खुशी भाभी - तो क्या हुआ ननद जी दिक्कत क्या है साड़ी ऊपर करना और बैठ जाना भैया की सवारी करना हा हा हा हा...
जुली दी- धत्त भाभी आप तो बस टांगे खिंचती हो.....और दोनों हाथ से ट्रै पकड़े हुए चाय लेके बाहर निकलने वाली होती है
खुशी भाभी- को एक सरारत सूझती है जल्दी से थोड़ा हाथ धो के अपनी दोनों हाथ से जुली दी कि साड़ी ऊपर कर के पेंटी खोलना चाहती है..
जुली दी- ये क्या कर रही हो भाभी आह चाय गिर जाएगी...
खुशी भाभी - बाप रे! ये क्या मैं तो ननद रानी की पेंटी खोलना चाह रही थी लेकिन मेरी ननद तो पहले से पेंटी खोल के अपने दोनों भैया की सवारी के लिए तैयार है हा हा हा हा हा....
जुली दी- शर्म से पानी हो गयी क्यों कि वो पेंटी पहनी नही थी...अब बोले तो बोले क्या..
खुशी भाभी - जुली दी कि कान में यदि बिमलेश सोया हुआ हिं हो तो समझो अंदर से वो नंगा ही होगा और मेरी ननद रानी भी बस साड़ी ऊपर कर के गपाक से बैठ जाना हा हा हा
जुली दी- वो तो रात में आपके ननदोई जी कुछ अलग तरीके से किये उसके बाद तो पेंटी पहनी हिं नहीं और आप तो...
खुशी भाभी- अरे इतना सीरियस क्यों होती हो ननद जी मैं तो बस माजक की...
जुली दी- धत्त भाभी और चाय लेके आगे बढ़ गयी...
जुली दी सीढ़ी से छत पे राकेश के कमरे में गयी राकेश लेटा हुआ था
जुली दी- अरे जी जागिये चाय लीजिए...
राकेश- का कोई भी रिएक्शन नहीं
जुली दी- धीरे से जीजू के कान के पास अरे मेरे लंडवाले पतिदेव जरा जगने की कृपा करें
राकेश- मुश्कराते हुए अपने आंख खोल देता है...
जुली- बस लेते रहियेगा समय देखिये जाना नहीं है क्या..
राकेश- मेरा मन तो कर रहा है एक बार और चोद लूँ..
जुली दी- मुस्कराते हुए आपको इसके अलावा और कुछ नहीं चलता है क्या...
चाय ठंडी हो रही है
राकेश- उठ के बैठते हुए एक कप चाय का उठाते हुए बोलता है बीबी जब इतनी रसभरी मिली है तो रस तो चाटनी परेगी नहीं
जुली दी- तो जब मन तब रस चटियेगा.. लीजिए जल्दी भैया को भी चाय देनी है..
राकेश जीजू- अच्छा मेरे प्यारे दोस्त के लिए चाय है क्या
जुली दी- हाँ और आपके प्यारे दोस्त के भाई के लिए भी
राकेश जीजू- अरे जुली थोड़ा पास आओ न...
जुली दी- नहीं अभी कोई सरारत नहीं चाय देनी है और भाभी की हेल्प करनी है नास्ता बनाने में
राकेश- अरे भाई पास तो आओ जैसे हिं जुली पास आती है ...अपनी हाथ से साड़ी उठा के उंगली जुली दी कि बुर में आगे पीछे करने लगते हैं..
जुली दी- ये क्या कर रहे हैं हो गए आप शुरू
राकेश- अरे नहीं तुमसे कुछ भी छिपाया हूँ बचपन से आज तक जो भी हुआ है सब शेयर किया हूँ ..
जुली दी- पता है मुझे
राकेश- तो मेरे दोस्त से किया हुआ वादा तो पता नहीं पूरा होगा कि नहीं लेकिन कम से कम ये तो करने दो...
जुली दी- क्या करने वाले हैं आप लग रहा है आपको फिर वही बात अंजू मंजू वाली बात याद आ गयी....
राकेश- हा हा हा तुम सच मे कमाल की हो मेरी मन को पढ़ना तुम्हें अच्छी तरह आता है पता नहीं मेरा दोस्त मेरी बीबी को चोद पायेगा की नहीं लेकिन कम से कम चूत रस तो चखाने दो...और उंगली चुत में से निकाल के ट्रै में रखी हुई चाय में डाल देता है और फिर उंगली बुर में डाल देता है
जुली दी- ओह मत मिलाइये गंदा है...आप फिर शुरू हो गए मैं मानती हूं आप दोनों दोस्त में ये वादा किये लेकिन जो आपका दोस्त है वो मेरा सगा भाई है...
राकेश- अच्छा सगा भाई है (और अपनी उंगली तेजी से जुली दी कि चुत में अंदर बाहर कर रहे थे..) इतने में अपनी दो फिंगर जुली दी कि बुर से निकालते हुए दिखता है ..
और बोलता है सगे भाई है इसलिए मेरी जान की बुर इतनी जल्दी रस छोड़ दिया क्या पहले तो ऐसा नहीं होता था
जुली दी- जीजू के फिंगर पे लगी बुर रस को देखती हुई एक तो बहुत ज्यादा शर्मा गयी और मन मे सोचने लगी इतनी जल्दी कैसे निकल सकती है...
राकेश जीजू- अपनी फिंगर में लगी जुली की बुर रस को चाय के कप पे अपनी दोनों उंगली कप पकड़ते हुए उंगली कप के ऊपरी हिस्से में खींच लेता है सारा रस कप ने चले जाता है...
जुली दी- ऐसे मत कीजिये प्लीज मेरे से नही हो पायेगा ये दिया हुआ भैया को...
राकेश- हमदोंनो की प्यार की कसम जुली मेरे दोस्त के लिए इतना तो करोगी वैसे ये तो बिल्कुल क्रीम के जैसा लग रहा है..
जुली दी- चाय लेते हुए सीढ़ी से नीचे आ रही थी और मन मे अभी के घटना के बारे में सोच रही थी पता नहीं राकेश भी नही...
जुली की हर एक कदम...बहुत हिं भारी पर रह था फिर भी किसी तरह बिमलेश के रूम के गेट तक पहुंच गई...
जुली अपनी नज़र एक बार चाय के कप पे डालती है और एक कप में अपनी चूत रस जो चाय के ऊपरी सतह पे तैर रहा था और दूसरी कप बिल्कुल नार्मल जैसे और सोचने लगी भैया कुछ पूछ लिए तो क्या जबाब दूंगी ये सोचते हुए जुली कमरे में अंदर चली गयी...
अंदर बिमलेश भैया एक पतली चादर अपने ऊपर डाल के सो रहे थे...
जुली अपनी सरसरी निगाह से भैया को देखती है भैया पीठ के बल लेटे हुए थे अपनी नज़र कमर के पास ले गया ओह ये क्या भाभी सच बोल रही थी लगता है भैया अंडरवियर नहीं पहने हैं फिर फेस को देखने के बाद लग रहा था कि नींद में हैं भैया और सोचने लगी लगता है भैया अभी भाभी पे चढ़े थे उसके बाद सो गए क्या करूँ जगाऊँ या नहीं
फिर अपनी चाय को देखते हुए अपनी पति की प्रॉमिस भी याद आ गयी ओह पहले भैया के कमरे में हिं आ जाती वो(अपने पति) तो ऐसे हिं सरारती है मुझे बीच मछधार मे फसा दिए चाय तो बिल्कुल पानी से भी ठंडी हो गयी है और धीरे से
जुली- भैया भैया ये चाय लीजिए..
बिमलेश का कोई रिएक्शन नहीं
जुली एक कदम आगे बढ़ते हुए बिमलेश के फेस के बहुत करीब से जुली - भैया उठिए न चाय लाई हूँ
बिमलेश के कानों में एक मधुर आवाज सुन के अपनी आंख खोलता है देखता है सामने जुली को..
जुली - भैया चाय लीजिए न
बिमलेश- बहन मुंह भी कहाँ धोया हूँ
जुली दी- अच्छा कब से .. भाभी लेके आती है तो बिना मुंह धोये पीते हैं और मैं ले के आई तो...
बिमलेश- अरे नहीं बहन ऐसी बात नहीं है..अभी पीता हूँ...
जुली - ट्रै आगे बढ़ाती है अपनी चूत रस मिक्स्ड चाय आगे हिं थी जिसे बिमलेश भैया अपने हाथ मे उठा लेते हैं आआआह मुझे कंपन सी हो गयी जब भैया चाय अपने हाथ मे लिए..
बिमलेश- चाय को देखते हुए वाह बहन क्रीम मिली हुई चाय वाह एक अलग हिं एनर्जी आ जायेगी बहन
जुली दी- अपनी अंदर बहुत हिम्मत लाके बोलती है हां भैया क्रीम थी तो मैं मिला दी..
बिमलेश- चाय की एक शिप लेते हुए वाह बहन आआआह मज़्ज़ा आ गया क्या स्वाद है...
जुली- जैसे हिं भैया चाय की शिप मुंह मे लिए मुझे ऐसे लगा भैया मेरी चूत को अपनी मुंह मे ले लिए अपनी मन में.. आआआह मेरी चूत की फांके ऐसे क्यों हो रही है
बिमलेश- क्या हुआ बहन क्या सोच रही हो...
जुली- चौकते हुए भैया की बात पे ध्यान देके सच मे भैया चाय अच्छी बनी है..
बिमलेश- अच्छा की जुली क्रीम मिला दी चाय का मस्त टेस्ट आ गया...
जुली - हिम्मत करते हुए बोलती है भैया जब क्रीम हिं अच्छी थी तो चाय तो अच्छी होगी हिं न सामने बिमलेश बड़े अन्दाज़ के साथ चाय की शिप ले रहे थे..ये देख के हिं मेरी बुर मचल उठी ऐसा लगा कि कुछ बूंद टपक पड़ी..
बिमलेश - का ध्यान अचानक जुली के दोनों पैर के बीच टपके हुए रस पे जाता है...मन मे ये क्या जुली की ऐसे कैसे अपने मन मे तरह तरह के विचार उत्पन होने लगा...
जुली- अपनी आंख जैसे हिं खोली की सामने बिमलेश भैया के नज़र का पीछा किये तो वो नीचे देख रहे थे और जैसे हिं मेरी नज़र भैया के जांघ पे पारी ओ माय गॉड ये क्या भैया का ये तंबू क्यों बन रहा है..
बिमलेश - अपनी नज़र जैसे हिं उठता है तो सामने जुली को देखता है उसकी नज़र उसके कमर पे है और इसी बीच दोनों की नज़र आपस मे टकरा जाता है
जुली- भैया चाय राहुल को भी देनी है और रूम में निकल जाती है..
जुली राहुल के रूम में जाती है.. रूम से
मैं- सामने दीदी को देखकर पहले तो थोड़ा सकपकाया
जुली दी- ले छोटे चाय
मैं- चाय लेते हुए बोला सॉरी दीदू ..
जुली दी- वो किस लिए छोटे..
मैं- तबी के लिए वो टंकी खाली वाली बात और आपकी फेस पे सुसु वाली बात..
जुली दी- हंसते हुए क्या छोटे तुम भी न छोटी छोटी बातों के लिए जब रात भर सुसु नहीं करूंगी तो ज्यादा टाइम तो लगेगा हिं न टंकी खाली करने में
मैं- हाँ दीदी..
जुली दी- मुझे क्या पता था मेरा भाई बाहर खड़ा है और तुम गेट भी तो नहीं पीटे
मैं- वो तो मैं सोच रहा था अब निकल जाएंगे जो भी हैं...
जुली दी- तुमको पता था क्या मैं हिं अंदर हूँ..
मैं- हाँ दीदी आप या भाभी में से कोई एक है अंदर ये तो लग गया था मुझे...
जुली दी- हा हा हा तुम न डरपोक बहुत हो..
मैं- धत्त दीदी मैं डरपोक तो बिल्कुल नहीं हूं..
जुली दी- बहुत डरपोक हो
मैं- आपको ऐसा लगता है तो वो बचपन वाली बात कर दूं..
जुली दी- वो क्या
मैं - आप मुझे गोदी में लेना और मैं सुसु कर दूंगा आपके फेस पे..हा हा हा
जुली दी- अच्छा इतना हिम्मत हो गया मेरे छोटे को..
मैं- हा दीदु मैं कर दूंगा मुझे डर नहीं लगता
जुली दी- मजकिये लहजे में फिर मैं चाकू रखूंगी और जर से हिं काट दूंगी..
मैं- थोड़ा नाराज होते हुए क्या दीदी किसी की जिंदगी टिकी हुई है आप काट दोगी...और इस बार मैं मजकिये लहजे में बोल वैसे दीदी आप नहीं काट पाओगी..
जुली दी- क्यों चाकू रहेगी तो क्यों नहीं काट पाऊंगी..
मैं- दीदी इसलिए नहीं काट पाओगी क्यों कि अब वो बचपन वाली बात नहीं ना रही अब वो बहुत ब.....और मो....
जुली दी- मेरी और मुस्कराती हुई मेरे कान में आ के बोलती है
पता है छोटे बचपन मे हिं तुम्हारा बड़ा लग रहा था और कभी कभी ...तो और भी.....और दीदी अपनी गाँड़ मटकाती हुई चली गयी...
जुली जाते हुए देखी की भैया का गेट सटा हुआ है वो पास गयी थोड़ा धक्का दी तो उसे लगा अंदर से बंद है..
मैं - बस दीदी की मस्त गाँड़ को निहारता रहा और सोचने लगा आआआह दीदी क्या माल है फिर वही रात वाली बात याद आ गयी ..
किचेन में
जुली दीदी किचेन के अंदर जाती है
अंदर खुशी भाभी लगभग पराठा बन हिं गया था..
खुशी भाभी- वाह ननद जी इतनी जल्दी आ गए चाय देके ..
जुली दी- को अहसास हो गया कि टाइम कुछ ज्यादा हिं लग गया बहाना बनाने के लिए बोली वो आपके ननदोई जी से बात होने लगी..
खुशी- सब समझती हूँ सुबह से हिं अपने दोनों भाई के ऊपर चढ़ने के लिए पेंटी खोली हुई थी ये तो बहाना है ननदोई जी से बात करने की...
जुली दी- धत्त भाभी सही बोल रही हूं..
खुशी भाभी- अच्छा बोलो न जुली रानी दोनों भाई का एक साथ हिं ली या अलग अलग हा हा हा हा
जुली दी- भाभी आप टांग खिंचने लगे न
खुशी भाभी- हा हा हा
जुली दी- सरारती अन्दाज़ में अच्छा भाभी ये बताओ न भैया का हर वक्त ऐसे हिं तंबू बना रहता है ..
खुशी भाभी- बिल्कुल जोशीली अन्दाज़ में बोलती है हाँ ननद रानी जब बहन अपनी बिना पेंटी पहने खुली बुर लेके जाएगा तो भाई का लौड़ा तो खड़ा होगा हिं न हीही ही ही...
जुली दी- सच बोलिये ना..
खुशी भाभी- हाँ कभी टाइट हो जाता है लेकिन उससे ज्यादा मुझे लगता है देवर जी का खड़ा रहता है क्यों कि जब भी झाड़ू लगाने जाती हूँ मॉर्निंग में ऐसा लगता है पूरा टेंट हिं बन गया है और ऐसा लगता है 2 बित्ता से कम नही होगा ..
जुली दी- हाँ भाभी बचपन से हिं उसका थोड़ा बड़ा था ...वैसे जो भी बीबी होगी बहुत लकी होगी.
खुशी भाभी- अच्छा मेरी ननद रानी हिं बन जाय मेरी देवरानी ही ही ही हर वक्त खाने को मिलेगा 2 बित्ता का केला
जुली दी- कोई भी बात बोलती हूँ भाभी आप मेरे पे हिं अप्लाई कर देती हो...
खुशी भाभी- क्योंकि मेरी ननद रानी है हिं बहुत रसीली की उसे हचक हचक के 5 मर्द भी चोदे तो कुछ नही होने वाला है
जुली दी- हा हा हा अब ऐसी भी नही हूँ भाभी...
इसी तरह दोनों हसी माजक करते हुए खाना बना रहे थे..
उधर बिमलेश अपने रूम में जैसे हिं जुली निकली रूम से चादर हटा के निकला और दरबाजे लगाया और वो जगह पहुंच गया जहां जुली खड़ी थी.....वहां बैठ गया और फर्श पे 2 बूंद रस था बिमलेश फर्श पे पड़ी रस अपने एक फिंगर में लगता है उसे चिपचिपा लगा बिमलेश को समझते देर नहीं लगी कि ये क्या है...वो जल्दी से अपने नाक के पास ले जाता है उसके एक मादक स्मेल आता है अपनी
बिमलेश- आआआह आखिर जुली की अभी ये रस टपक क्यों पड़ी ..आखिर वो क्या बात हो सकता है और ये सोचते हुए फिंगर में लगी रस अपने मुंह मे ले लेता है और अपने लंड निकाल के फर्श के पारी रस पे अपना लौड़ा घिसने लगता है ..बिमलेश इमेजिन करने लगा आआआह मैं राकेश की बीबी को चोद रहा हूँ आआआह मैं अपनी हिं बहन चोद रहा हूँ...आआआह मेरा इतना जल्दी डिस्चार्ज कैसे हो गए आआआह बहन में ऐसी क्या बात है ...और फिर फ्रेश होने चला जाता है..
इसी तरह सब नास्ता कर लिए जीजू दीदी रेडी थे और बिमलेश भैया भी दूसरे शहर जाना था वो भी रेडी थे...जाने के लिए..
राकेश- साले साहब तो आज आफिस नहीं जाना है क्या..वैसे भी गाड़ी तो 1 बजे है ना..
बिमलेश- हाँ 1 बजे तो है..मैं सोच रहा था आफिस जा के 1 घंटे कुछ जरूरी काम था फिर वही से निकल जाऊ..
राकेश- हाँ बिल्कुल
बिमलेश- लेकिन अपनी गाड़ी वहां कहाँ रखूंगा ..
राकेश- मैं तो बोलता हूं कि अपने रूम के पास में से हिं उस सिटी के लिए बस है मैं फ़ोन से टिकट बुक करवा देता हूँ वही से चले जाना जी..
बिमलेश- हाँ वो तो ठीक है
राकेश- मुझे भी ठीक हिं होगा जुली भी रूम चली जायेगी और मैं कोई ऑटो या बस से आ जाऊंगा..
बिमलेश भैया- ठीक है
कुछ देर बाद तीनों जाने लगे
मैं सभी को प्रणाम किया
जब दीदी को किया तो दीदी बोलो क्या आशिर्वाद दूँ छोटे नौकरी तो लग जायेगी ही तुम्हें अच्छी बीबी मील वही आशिर्वाद देती हूं...
सब ठहाके लगा के हंस दिए...
जीजू अपनी बाइक निकली और ड्राइव सीट पे उसके बाद भैया और बाद में दीदी दोनों पैर एक ही तरफ कर के बैठ रही लेकिन उसमे हो नही रही थी फिर दोनों पैर दोनों तरफ कर के बैठ गए..
मेरे लिए वो नजराना काफी हसीन था जब दीदी अपनी एक पैर उठा के दूरी तरफ कर रही थी लेंगिन्स में जुली दी कि किसी गाँड़ आआआह जान लेवा था
तीनो निकल गए जब गेट लॉक करके अंदर आ रहे थे बबली सबसे आगे थी वो चली गयी भाभी गेट लॉक कर के मेरे पास आई और मेरे से नजदीक आ के मेरे कान के पास बोली..
खुशी भाभी- देवर जी क्या बात है बहन की गाँड़ को बहुत सरसरी निगाह से देख रहे थे कोई बात है क्या
मैं- लजाते हुए क्या भाभी आप भी ..
खुशी भाभी- मुझे तो लग रहा है कोई बात है..
मैं- मुझे तो कोई और गाँड़ पसंद है लेकिन भैया कभी खाली छोड़ते हिं नहीं
खुशी भाभी- अच्छा लग रहा है हीरो पूरी तरह जवान हो गया है कहीं सादी करनी पड़ेगी अब...
मैं- हाँ भाभी शुभ काम मे देरी क्यों..मैं भी आगे और पीछे से कबड्डी खेल करूंगा हा हा हा
जुली दी- अच्छा है...
दूसरी तरफ..
बाइक पे...