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Incest Aaaah Ghar ki rasili bur aur gaand

Story ko kaun si front me likhu?

  • Hindi front

    Votes: 19 43.2%
  • Hinglish front

    Votes: 25 56.8%

  • Total voters
    44
  • Poll closed .

pprsprs0

Well-Known Member
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UPDATE 27


आपने पढ़ा कि किस तरह सुबह सुबह खुशी भाभी के मोबाइल से बिमलेश भैया और खुशी भाभी की सेक्सी हॉट चैट पढ़ने के बाद अपना मुठ मार कर सो गया....


आगे....

सुबह के करीब 9 बज रहे थे....

राहुल की नींद खुलती है गेट के खटखटाने से...
राहुल अपनी लोअर को ठीक से पहनता है और गेट खोलने जाता है...

जैसे हिं गेट खोलता है सामने रेखा माँ खड़ी थी...

रेखा माँ- बेटा आज इतनी लेट तक सो रहे हो ...

मैं- हाँ मा रात में लेट से सोया था और सुबह दोस्त ने कॉल कर के जगा दिया इसलिए नींद नही पूरी हुई....

रेखा माँ- कोई नही बेटा जल्दी फ्रेश हो जाओ..

मैं- ओके माँ..

राहुल बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला जाता हूँ
कुछ देर फ्रेश होने के बाद किचेन की और जाता हूँ

सामने देखता हूँ कि खुशी भाभी आटा गुथ रही है.....पीछे से खुशी भाभी की सेक्सी गांड देख मन हिं मन आहें भरता है आआआह पूरी की पूरी सेक्सी है जब इतनी सेक्सी चैट करती है आआआह तो अंदर से तो और हिं खतरनाक होगी ऐसा लगता है भैया ठीक से सेवा नहीं देते हैं खुशी भाभी को....ये सोच के आगे बढ़ता है बिल्कुल करीब जा के

मैं- गुड मॉर्निंग


खुशी भाभी- पीछे घूमते हुए .गुड़ मॉर्निंग


मैं -मेरी प्यारी भाभी जी एक कप कड़क चाय मिलेगी...धीरे से बिल्कुल आपकी तरह..

खुशी भाभी - वाह देवर जी इतनी प्यार अपने भाभी पे और अपने मन में (वो तो मैं बहुत कड़क हूँ ही)

मैं- जब मेरी भाभी हिं इतनी प्यारी है तो क्या करूँ..

खुशी भाभी- अच्छा, अभी बनाती हूँ हाथ धो के अपने प्यारे देवर जी के लिए चाय

खुशी लगे बेसिन में हाथ धोने लगती है और राहुल पीछे से उनकी गाँड़ को देख के आह कितनी मस्त है और उनका लौड़ा कब खड़ा हो जाता है उसे पता भी नही चलता है...

खुशी चाय बना रही थी उसके पीछे राहुल चाय बनता हुआ देख रहा था और उनकी नज़रों से बच के एक बार गाँड़ भी देख लेता था

इधर गेट के पास बबली आ जाती है किचेन में कुछ काम था वो सामने देखती है भाभी हाथ मे डब्बा लिए कुछ डाल रही है और उनके ठीक पीछे भाई खड़ा है जैसे हिं बबली अपनी नज़र थोड़ा नीचे करती है कि अपने भाई के लोअर में बने तंबू पे जाति एक पल तो बस बबली देखते हिं रह जाती है ...फिर बबली किचेन में जाती है...

बबली- गुड मॉर्निंग भाई

मैं- गुड़ मॉर्निंग बहन ...

बबली की नज़र न चाहते हुए भी बार बार राहुल के लोअर में चला जा रहा था आज पहली बार ऐसा था कि बबली अपने सगे भाई की लोअर में देख रहा था उठा हुआ ऐसे हिं एक बार राहुल की नज़र बबली पे पड़ती है और वो नोटिस करता है उसे हिं देख रही है और जब राहुल अपनी नज़र नीचे करता है तो उसे पता चलता है ये साल इतना खड़ा कैसे हो गया इतने में हिं..

खुशी भाभी- लीजिए ये कड़क चाय..

मैं- धन्यवाद भाभी जी

राहुल वहां से चाय की कप लेते अपने कमरे में आ जाता है और सोचने लगता है अभी की बातों पे की कैसे बबली देख रही थी अपने मन से हटना चाह रहा था इस बात को और मन हिं मन सोच रहा था अभी तो कुछ ऐसी बात नही हुई फिर क्यों खड़ा हो गया ..

उधर किचेन में

खुशी भाभी- क्या चाहिए मेरी ननद रानी को...

बबली- फल की थैली में से एक सेब निकाली हुई बोली यही चाहिए थी भाभी...

खुशी भाभी- थोड़ा बबली के पास आती हुई धीरे से बबली के कान के पास आ के बोली...केला खाने की उम्र में ननद सेब खा रही है"

बबली बात तो समझ ली थी लेकिन अनजान बनते हुए

बबली- क्यों भाभी केला हिं क्यों सेब नहीं खा सकती क्या

भाभी- अरे ननद रानी केला में सारे पौष्टिक मिल जायेगा एक साथ....सेब में वो पौष्टिक तत्व नहीं ( अपनी एक हाथ से बबली की गाँड़ पे हाथ रखती हुई बोली)

बबली- अच्छा ऐसा क्या फिर आप तो खाती होंगी फिर

खुशी भाभी- हाँ मैं तो खूब खाती हूँ बस दो दिन से नहीं खा रही हूँ

बबली फल की टोकरी से एक केला लेते हुए खुशी भाभी की और बढ़ाती है और बोलती है

बबली- ये लो भाभी केला रहते हुए भी नहीं दो दिनों से नहीं खाये आप

खुशी जोर से हँसती है (बबली की नादानी पे या फिर चालाकी पे)

बबली- क्यों हँस रहे हैं भाभी

खुशी- अरे मैं केला खाऊँगी कैसे जब तुम्हारे भैया घर पे हैं हिं नहीं

बबली- अपनी सर् पे हाथ लेते हुए बोलती है है भगवान!
( अपनी मन मे ये भाभी भी न कहाँ की बात कहां ले चली गयी)

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी अब समझ मे आई मेरी बात

बबली- मैं क्यों खाऊ केला आपको तो लाइसेंस मिल गयी है केला खाने की आप खाओ

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी भी कहीं सेट कर के केला खा हिं सकती है ना केला खाने लायक तो पूरी तरह से हो गयी है

बबली- न भाभी ये पढ़ने की ऐज है केला खाने की नही

खुशी भाभी- मतलब डायरेक्ट सादी में हिं उससे पहले कोई एक्सप्रेइंस नहीं ..

बबली- हां सादी में हिं

खुशी- ननद रानी केला की टेस्ट चखी नहीं ना हो एक बार चख लोगी न हर वक्त खाने का मन करेगा..

बबली- आप हिं खाओ भाभी ...
अपनी मुंह बनाते हुए मोटा मोटा केला

और भाग जाती है..


कुछ देर में सभी नास्ता के टेबल पे आ जाते हैं

राहुल के ठीक सामने बबली बैठी थी
मेरे बगल में पापा और पापा के सामने भाभी अपनी थाली लगा ली थी लेकिन अभी खिला रही थी

बबली और राहुल दोनों में कोई एक दूसरे से नज़र नहीं मिला रहे थे...


नास्ता में आलू पराठा बनी थी साथ मे धनियां की चटनी

राहुल- वाह भाभी क्या मस्त की चटनी बनाई है आआआह मज़्ज़ा आ गया बहुत हिं कड़क है..

शंकर- सच मे बहुत कड़क है लग रही है बहुत तीखी मिर्च निचोड़ की मिलाई हो बहू

खुशी भाभी- हाँ पापा ठंड है ना थोड़ी तो कड़क होनी चाहिए न...ताकि ठंड कुछ कम लगे

शंकर- हाँ बहु सही बोली..


शंकर बबली और राहुल की और देखते हुए बोलता है अभी कोई एग्जाम भी है क्या?

बबली- हाँ पापा अगले महीने के 11 तारीख से स्टार्ट है जो एक मोन्थ तक चलेगी उसी बीच कभी भी हो सकती है..

राहुल- हाँ आज तो एडमिट कार्ड भी आने वाली है..

बबली- राहुल की नज़र से नज़र मिलाती है और पूछती है कितने बजे आएगी..

राहुल - 12 बजे

शंकर- ठीक है तैयारी करो अच्छे से

बबली और राहुल दोनों एक साथ- हाँ पाप

इसी तरह नास्ता हो गयी..

नास्ता करने के बाद राहुल अपने कमरे में जाता है थोड़ा देर इधर उधर करता है उसका मन एक बार फिर वही चैट पढ़ने के मन करने लगता है बड़े हिं गौर से पढ़ रहा था और एक एक बात कॉपी होते जा रहा था माइंड में और अपनी खुशी भाभी की रसीली बात से एक बार फिर लौड़ा खड़ा हो जाता है...

राहुल अपने लौड़ा को हाथ मे पुचकारते हुए बोलता है तुम टेंशन नहीं लो दोस्त मुझे उम्मीद है तुझे कोई खास दोस्त मिलने वाली है राहुल उस चैट को मोबाइल के लॉकर में रखने लगता है और जब लास्ट वाली पिक भाभी की बुर की आई उसे मोबाइल के स्क्रीन पर से हिं चुम लिया..


दोपहर के 12 बज चुके थे बबली अपनी मोबाइल में इधर उधर छेड़ रही थी कि अचानक उसे याद आती है एडमिट कार्ड के बारे में वो साइट पे आ चुकी थी
जल्दी से अपनी एप्पलीकेशन नंबर निकलती है डायरी में से और अपनी एडमिट कार्ड चेक करती है...

स्क्रीन पे एडमिट कार्ड आ चुकी थी
देखते हिं बोलती है Omg इतनी दूर सेन्टर फिर एग्जाम की डेट देखती है 31 दिसंबर को थी भागते हुए राहुल के रूम जाती है

राहुल लेटे हुए एक बुक पढ़ रहा था

बबली- भाई आपकी एप्लीकेशन नंबर क्या है

राहुल- इतनी परेशान क्यों हो?

बबली- अरे भाई दो तो सही

राहुल- अपनी मोबाइल निकलता है उसमें से देख के बोलता है

बबली- नोट करती है और डी ओ बी डालती है और सर्च बटन पे क्लिक करती है कुछ देर ऐसे हिं चलती है फिर एक पेज ओपेन होती है

बबली अपनी एक हाथ अपने सीने पे रख के दूसरे हाथ से स्लाइड करती है और कुछ देर बाद अपनी आंखें बंद करके दिल के पास अपनी हाथ थपथपाती हुई थैंक गॉड बोलती है..

राहुल- अरे हुआ भी क्या जो ऐसे कर रही हो

बबली- भाई पूछ मत एक पल तो ऐसे लगी मुझे की मैं एग्जाम हिं नही दे पाऊंगी

राहुल - वो क्यों

बबली- तुम्हें पता भी है एग्जाम सेन्टर कहाँ दिया है

राहुल- वो तो पता नही लेकिन जहां भरा था वो सेन्टर को हटा दिया गया है

बबली - खुद हिं देख लो

और अपनी मोबाइल की स्क्रीन राहुल को दिखाती है

राहुल मोबाइल की स्क्रीन देखते हुए

क्या इतनी दूर सेन्टर दी है ओह
6 जनवरी को एग्जाम है

राहुल- तुम्हारी कहाँ है छोटी

बबली- अब समझे कि मैं इतनी परेशान क्यों थी

राहुल- हाँ समझ गया जिस तरह थैंक गॉड बोली मतलब तुम्हरी भी उसी जगह है

बबली- सही पकड़े

राहुल- लेकिन है कब सही पकड़े की नानी

बबली- 31 दिसम्बर को भाई

राहुल - हँसते हुए फिर चली जाना अकेली और क्या मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना लूँगा

बबली- अच्छा फिर मेरे साथ क्या मेरी अब्बा जाएगी एग्जाम दिलाने

राहुल- हा हा हा हा चली जाना अब्बा के साथ

बबली- अच्छा ,पापा के सामने तो हवा टाइट हो जाती है मेरे सामने कितना मुंह चला रहा है..

राहुल- तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि..

बबली- वो छोड़ न भी ये बताओ न अब तो एग्जाम की डेट भी आ गयी जितनी तैयारी होनी चाहिए वो नही हुई है

राहुल- जा के पढ़ो और क्या..

बबली- वही तो नही हो पाती है

राहुल- क्यों

बबली- वो मैं तुम्हें कैसे बताऊ

राहुल- हँसते हुए क्यों कोई आ गया है क्या लाइफ में

बबली- नहीं लेकिन पढ़ नहीं पाती हूँ

राहुल- आखिर क्यों बताओगी तब तो

बबली- अब क्या बताऊ अपनी मोबाइल दिखाते हुए ये मन को दूसरी दुनिया मे लेके चली जाती है

राहुल- अच्छा ऐसा क्या करती हो जो..तुम बता क्यों नहीं रही हो पाता होनी चाहिए हमदोंनो एक अच्छे दोस्त है

बबली- हाँ बिल्कुल



बबली राहुल के बेड पे लेट जाती है और अपनी एक हाथ राहुल के गले मे डाल देती है और प्यार से बोलती है..

बबली राहुल की आंखों में देखते हुए बोलती है भाई मुझे फर्स्ट अटेम्प में पिटी क्लियर करनी है इसमें मेरे प्यारे भाई यदि सहयोग दे तब हो सकती है...क्योंकि एग्जाम में बस 1 मोन्थ बचे हैं

राहुल अपनी हाथ से बबली की गालों को प्यार से खींचते हुए बोलता है

जब इतनी प्यारी बहन हो तो उसकी मदद तो पूरी जिंदगी भर करने के लिये तैयार है उसका भाई...

बबली- वही तो चाहिए मुझे भाई से

राहुल- बिल्कुल मदद करूंगा

इसी तरह दोनों बातें करता है कुछ देर...

रात में डिनर टेबल पे

सबसे पहले राहुल उसके बगल में शंकर उसके बगल में रेखा , राहुल के सामने खुशी और खुशी के बगल में बबली खाने के टेबल पे बैठे थे

शंकर - वाह मज़्ज़ा आ गया क्या मटन बनाई है वाह किसने बनाई है बहु

खुशी- मुश्कराते हुए मम्मी बनाई है , पापा

राहुल- सच मे बहुत हिं अच्छी बनाई है माँ की बनाई हुई हाथ की खाना तो लाजवाब होगी हिं पापा

शंकर अपनी मन में बेटा तुम्हारी मम्मी बेड पे भी लाजवाब है और अपनी बाएं हाथ रेखा के सारी के अंदर पेटीकोट और पेंटी के अंदर से बुर पे लेके जाती है
जैसे हिं रेखा को महसूस हुई वो अपनी हाथ नीचे लेजाकर रोकना चाही लेकिन शंकर ने आंखों के इशारा से मना लिया
रेखा को
शंकर अपनी फिंगर से रेखा के दोनों फांको को सहला दिए और अपनी चुटकी से रेखा की बुर को मिस दिया जोर से

अचानक ऐसे होने से रेखा को एक दर्द सी हुई और उसकी दर्द उसकी फेस पे झलक गयी..बबली की नज़र माँ पे पड़ी

बबली- माँ क्या हुआ आपको

शंकर- बबली की आवाज़ सून के जल्दी से अपनी हाथ रेखा के साड़ी से निकाल लेता है

रेखा- नहीं बेटी कुछ नही बस पैर में थोड़ी दर्द थी वही थोड़ी इधर उधर की तो दर्द करने लगी

खुशी- मम्मी आपको मैं बोल रही थी न मैं हिं बना लेती हूं

रेखा- अरे बहु इतनी भी दर्द नहीं है वो तो बस थोड़ी सी

बीच मे रेखा सबसे बच के एक बार अपनी आंख दिखती है शंकर को , शंकर समझ गया वो गलती किया इसलिये

बात को बदलते हुए शंकर बोलता है

बबली और राहुल से

वो एडमिट कार्ड आने वाली थी आज आई क्या

बबली फाटक से बोली हाँ पापा - आ गयी लेकिन सेन्टर हिं बहुत दूर है

शंकर- अच्छा कहाँ है ? और कब है?

बबली- **** 31 दिसम्बर को

शंकर - इतनी दूर और राहुल का कहाँ है

राहुल- उसी शहर में 6 जनवरी को

शंकर- अच्छा

बबली- लेकिन पापा भाई बोल रहे हैं मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना के निकल जाऊंगा

राहुल- अपनी आंख बबली को दिखाते हुए पापा से बोलता है नहीं पापा मैं तो बस ऐसे हिं

शंकर- जब जाने आने में हिं तीन दिन लग जाएंगे उससे बेहतर होगा वही रुक के दोनों एग्जाम देके वापस आना

राहुल- हाँ पापा , टिकट देखता हूँ

बबली राहुल की और देखती हुई बोलती है भाई रात में आप तो लेट से सोते हो न

राहुल- हाँ लेकिन वो क्यों

बबली- मैं ज्यादा देर तक नहीं पढ़ पाती हूँ रात में इसलिए भाई के साथ में हिं रात में सेट बनाउंगी

राहुल- नहीं जरूरत नहीं है

बबली- पापा इनसे बोलिये न ये तो लगातार पिटी की एग्जाम और अब मेंस भी निकाल रहे हैं मेरी हेल्प भी हो जाएगी और मैं चाहती हूँ पहली बार मे हिं पिटी क्लियर करू

शंकर- राहुल की और देखते हुए बोलता है
बेटा बबली के पढ़ाई के प्रति लगन देख के मन खुश हो जाता है जो ये चाहती है उसमें इसकी मदद करना

राहुल- बबली की और देखते हुए ..
ठीक है लेकिन एक शर्त पे जब भी मैं सेट बनूंगा बीच मे न कुछ बोलोगी न पूछोगी...

बबली- हा हा हा हा लोल हो भाई आप एक तो मुझे सेट बनाने में कब टाइम निकल जाती है और क्वेश्चन बची हिं रह जाती है तो उतना टाइम कहाँ जो बीच मे आपको डिस्टर्ब करू

राहुल- फिर तब ठीक है

इस तरह खाना फिनिश कर के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं..

राहुल अपने बेड पे लेट जाता है कुछ देर में बबली भी एक बुक हाथ मे लिए आती है

बबली बेड पे बैठ जाती है

राहुल- पापा के सामने मेरी टांग खिंचने में बहुत मज़्ज़ा आती है न तुम्हें

बबली- नहीं भाई ऐसी बात नहीं है मैं तो बस ऐसे हिं बोल दी हंसी के लिए जबकि मुझे अच्छी तरह पता थी कि आप साथ हिं चलोगे

राहुल- तुम भी न , ऐसे दिन में अधूरी हिं रह गयी थी

बबली- वो क्या भाई

राहुल- यही की तुम्हें मोबाइल दूसरी दुनिया मे कैसे लेके चली जाती है

बबली- मुश्करती हुई अब कैसे बताउ आप मेरे भाई हो..

राहुल- अच्छा अभी भाई हुन और हर टाइम बोलते रहती हो एक भाई के साथ अच्छी वाली दोस्त हो

बबली- वो तो हो हिं

राहुल- फिर छुपा क्यों रही हो

बबली- भाई इतना समझ लो अभी अपनी रूम में रहती तो मेरे मोबाइल में खुल जाती

राहुल - हा हा हा हा हा

बबली- क्या हुआ हस क्यों रहे हो

राहुल- तुम्हारी बातों पे और तुम जो मेरे कमरे में आई अब तो मेरा भी सत्यनाश

बबली- सत्यनाश क्या मैं समझी नहीं

राहुल- हँसते हुए अब तो जब तक साथ रहोगी मेरी मोबाइल भी दूसरे दुनिया में लेके जाती है ना

बबली- अच्छा मतलब भाई भी दूसरे दुनिया मे हा हा हा

राहुल- मैं क्यों न जाऊ मेरे में क्या कमी है जो

बबली- कुछ कमी नहीं है और धीरे से अपना राहुल के कान में बोलती है- गर्ल फ्रेंड नहीं रहने का असर है ये

राहुल- हा हा हा हा

बबली- ऐसे जुली दीदी सही बोल रही थी भाई

राहुल - वो क्या छोटी

बबली- यही की यदि नौकरी लग गयी तो अच्छी यानी पसंद की बीबी मिलेगी हीहीहीही

राहुल- अपना हाथ बबली के गले मे लगा के धीरे से उसकी कान में बोलता है इसलिए मेरी बहन भी गवर्मेंट जॉब लेना चाहती है ताकि उसे भी मस्त का स्मार्ट पति मिले

बबली- बस मुश्करा देती है और बोलती है आप जो समझो

ऐसे भाई आज सेट बना रहे हो न

राहुल - आज नहीं छोटी कल से सेट बनाऊंगा

बबली- फिर तो मैं चली अपने रूम मोबाइल की दूसरे दुनिया की बहुत एपिसोड बांकी है
ये बोल के चली जाती है

राहुल उठ के अपना दरवाजा बंद करता है
और वापस रजाई में आ जाता है और सोचता है क्या ये एपिसोड मतलब कुछ जरूर पोर्न साइट खोलती है
लेकिन एपिसोड उसमे मतलब कहीं बबली भी तो सेक्स स्टोरी तो नहीं पड़ती है

राहुल यही सोचता है कुछ देर फिर उसे खुशी भाभी की याद आ जाता है और खुद से हिं बोलता है आआआह आज भी भैया नहीं है मतलब दोनों में सेक्स चैट चल रही होगी या फिर वीडियो कॉल पे हो रही होगी आआआह इतना मज़्ज़ा आया पढ़ने में किसी तरह मिल जाय
लेकिन मिलेगा कैसे वो तो कल संयोग अच्छी थी मेरी जो मिल गयी
और अपने मोबाइल में इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा और बीच बीच मे अपनी खुशी भाभी की बुर अपने लॉकर से निकाल के अपना खड़ा लौड़ा मोबाइल की स्क्रीन पे खुशी भाभी की बुर के ऊपर ठोकर मारने लगता है


दूसरी तरह खुशी और बिमलेश की चैट स्टार्ट हो जाती है....

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खुशी को अपने पति की सगी बहन को चोदने के बात जानकर खुद ब खुद मुस्करा रही थी कि उसे अपने घर की वो बात याद आ गयी कि उसके पापा किस तरह ****** कर रहे थे और छुप के देख रही थी खुशी..
Aur 2 mast bhai behan ke jodo ka khel shuru hone wala hai
 

Rinkp219

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आगे....

सुबह के करीब 9 बज रहे थे....

राहुल की नींद खुलती है गेट के खटखटाने से...
राहुल अपनी लोअर को ठीक से पहनता है और गेट खोलने जाता है...

जैसे हिं गेट खोलता है सामने रेखा माँ खड़ी थी...

रेखा माँ- बेटा आज इतनी लेट तक सो रहे हो ...

मैं- हाँ मा रात में लेट से सोया था और सुबह दोस्त ने कॉल कर के जगा दिया इसलिए नींद नही पूरी हुई....

रेखा माँ- कोई नही बेटा जल्दी फ्रेश हो जाओ..

मैं- ओके माँ..

राहुल बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला जाता हूँ
कुछ देर फ्रेश होने के बाद किचेन की और जाता हूँ

सामने देखता हूँ कि खुशी भाभी आटा गुथ रही है.....पीछे से खुशी भाभी की सेक्सी गांड देख मन हिं मन आहें भरता है आआआह पूरी की पूरी सेक्सी है जब इतनी सेक्सी चैट करती है आआआह तो अंदर से तो और हिं खतरनाक होगी ऐसा लगता है भैया ठीक से सेवा नहीं देते हैं खुशी भाभी को....ये सोच के आगे बढ़ता है बिल्कुल करीब जा के

मैं- गुड मॉर्निंग


खुशी भाभी- पीछे घूमते हुए .गुड़ मॉर्निंग


मैं -मेरी प्यारी भाभी जी एक कप कड़क चाय मिलेगी...धीरे से बिल्कुल आपकी तरह..

खुशी भाभी - वाह देवर जी इतनी प्यार अपने भाभी पे और अपने मन में (वो तो मैं बहुत कड़क हूँ ही)

मैं- जब मेरी भाभी हिं इतनी प्यारी है तो क्या करूँ..

खुशी भाभी- अच्छा, अभी बनाती हूँ हाथ धो के अपने प्यारे देवर जी के लिए चाय

खुशी लगे बेसिन में हाथ धोने लगती है और राहुल पीछे से उनकी गाँड़ को देख के आह कितनी मस्त है और उनका लौड़ा कब खड़ा हो जाता है उसे पता भी नही चलता है...

खुशी चाय बना रही थी उसके पीछे राहुल चाय बनता हुआ देख रहा था और उनकी नज़रों से बच के एक बार गाँड़ भी देख लेता था

इधर गेट के पास बबली आ जाती है किचेन में कुछ काम था वो सामने देखती है भाभी हाथ मे डब्बा लिए कुछ डाल रही है और उनके ठीक पीछे भाई खड़ा है जैसे हिं बबली अपनी नज़र थोड़ा नीचे करती है कि अपने भाई के लोअर में बने तंबू पे जाति एक पल तो बस बबली देखते हिं रह जाती है ...फिर बबली किचेन में जाती है...

बबली- गुड मॉर्निंग भाई

मैं- गुड़ मॉर्निंग बहन ...

बबली की नज़र न चाहते हुए भी बार बार राहुल के लोअर में चला जा रहा था आज पहली बार ऐसा था कि बबली अपने सगे भाई की लोअर में देख रहा था उठा हुआ ऐसे हिं एक बार राहुल की नज़र बबली पे पड़ती है और वो नोटिस करता है उसे हिं देख रही है और जब राहुल अपनी नज़र नीचे करता है तो उसे पता चलता है ये साल इतना खड़ा कैसे हो गया इतने में हिं..

खुशी भाभी- लीजिए ये कड़क चाय..

मैं- धन्यवाद भाभी जी

राहुल वहां से चाय की कप लेते अपने कमरे में आ जाता है और सोचने लगता है अभी की बातों पे की कैसे बबली देख रही थी अपने मन से हटना चाह रहा था इस बात को और मन हिं मन सोच रहा था अभी तो कुछ ऐसी बात नही हुई फिर क्यों खड़ा हो गया ..

उधर किचेन में

खुशी भाभी- क्या चाहिए मेरी ननद रानी को...

बबली- फल की थैली में से एक सेब निकाली हुई बोली यही चाहिए थी भाभी...

खुशी भाभी- थोड़ा बबली के पास आती हुई धीरे से बबली के कान के पास आ के बोली...केला खाने की उम्र में ननद सेब खा रही है"

बबली बात तो समझ ली थी लेकिन अनजान बनते हुए

बबली- क्यों भाभी केला हिं क्यों सेब नहीं खा सकती क्या

भाभी- अरे ननद रानी केला में सारे पौष्टिक मिल जायेगा एक साथ....सेब में वो पौष्टिक तत्व नहीं ( अपनी एक हाथ से बबली की गाँड़ पे हाथ रखती हुई बोली)

बबली- अच्छा ऐसा क्या फिर आप तो खाती होंगी फिर

खुशी भाभी- हाँ मैं तो खूब खाती हूँ बस दो दिन से नहीं खा रही हूँ

बबली फल की टोकरी से एक केला लेते हुए खुशी भाभी की और बढ़ाती है और बोलती है

बबली- ये लो भाभी केला रहते हुए भी नहीं दो दिनों से नहीं खाये आप

खुशी जोर से हँसती है (बबली की नादानी पे या फिर चालाकी पे)

बबली- क्यों हँस रहे हैं भाभी

खुशी- अरे मैं केला खाऊँगी कैसे जब तुम्हारे भैया घर पे हैं हिं नहीं

बबली- अपनी सर् पे हाथ लेते हुए बोलती है है भगवान!
( अपनी मन मे ये भाभी भी न कहाँ की बात कहां ले चली गयी)

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी अब समझ मे आई मेरी बात

बबली- मैं क्यों खाऊ केला आपको तो लाइसेंस मिल गयी है केला खाने की आप खाओ

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी भी कहीं सेट कर के केला खा हिं सकती है ना केला खाने लायक तो पूरी तरह से हो गयी है

बबली- न भाभी ये पढ़ने की ऐज है केला खाने की नही

खुशी भाभी- मतलब डायरेक्ट सादी में हिं उससे पहले कोई एक्सप्रेइंस नहीं ..

बबली- हां सादी में हिं

खुशी- ननद रानी केला की टेस्ट चखी नहीं ना हो एक बार चख लोगी न हर वक्त खाने का मन करेगा..

बबली- आप हिं खाओ भाभी ...
अपनी मुंह बनाते हुए मोटा मोटा केला

और भाग जाती है..


कुछ देर में सभी नास्ता के टेबल पे आ जाते हैं

राहुल के ठीक सामने बबली बैठी थी
मेरे बगल में पापा और पापा के सामने भाभी अपनी थाली लगा ली थी लेकिन अभी खिला रही थी

बबली और राहुल दोनों में कोई एक दूसरे से नज़र नहीं मिला रहे थे...


नास्ता में आलू पराठा बनी थी साथ मे धनियां की चटनी

राहुल- वाह भाभी क्या मस्त की चटनी बनाई है आआआह मज़्ज़ा आ गया बहुत हिं कड़क है..

शंकर- सच मे बहुत कड़क है लग रही है बहुत तीखी मिर्च निचोड़ की मिलाई हो बहू

खुशी भाभी- हाँ पापा ठंड है ना थोड़ी तो कड़क होनी चाहिए न...ताकि ठंड कुछ कम लगे

शंकर- हाँ बहु सही बोली..


शंकर बबली और राहुल की और देखते हुए बोलता है अभी कोई एग्जाम भी है क्या?

बबली- हाँ पापा अगले महीने के 11 तारीख से स्टार्ट है जो एक मोन्थ तक चलेगी उसी बीच कभी भी हो सकती है..

राहुल- हाँ आज तो एडमिट कार्ड भी आने वाली है..

बबली- राहुल की नज़र से नज़र मिलाती है और पूछती है कितने बजे आएगी..

राहुल - 12 बजे

शंकर- ठीक है तैयारी करो अच्छे से

बबली और राहुल दोनों एक साथ- हाँ पाप

इसी तरह नास्ता हो गयी..

नास्ता करने के बाद राहुल अपने कमरे में जाता है थोड़ा देर इधर उधर करता है उसका मन एक बार फिर वही चैट पढ़ने के मन करने लगता है बड़े हिं गौर से पढ़ रहा था और एक एक बात कॉपी होते जा रहा था माइंड में और अपनी खुशी भाभी की रसीली बात से एक बार फिर लौड़ा खड़ा हो जाता है...

राहुल अपने लौड़ा को हाथ मे पुचकारते हुए बोलता है तुम टेंशन नहीं लो दोस्त मुझे उम्मीद है तुझे कोई खास दोस्त मिलने वाली है राहुल उस चैट को मोबाइल के लॉकर में रखने लगता है और जब लास्ट वाली पिक भाभी की बुर की आई उसे मोबाइल के स्क्रीन पर से हिं चुम लिया..


दोपहर के 12 बज चुके थे बबली अपनी मोबाइल में इधर उधर छेड़ रही थी कि अचानक उसे याद आती है एडमिट कार्ड के बारे में वो साइट पे आ चुकी थी
जल्दी से अपनी एप्पलीकेशन नंबर निकलती है डायरी में से और अपनी एडमिट कार्ड चेक करती है...

स्क्रीन पे एडमिट कार्ड आ चुकी थी
देखते हिं बोलती है Omg इतनी दूर सेन्टर फिर एग्जाम की डेट देखती है 31 दिसंबर को थी भागते हुए राहुल के रूम जाती है

राहुल लेटे हुए एक बुक पढ़ रहा था

बबली- भाई आपकी एप्लीकेशन नंबर क्या है

राहुल- इतनी परेशान क्यों हो?

बबली- अरे भाई दो तो सही

राहुल- अपनी मोबाइल निकलता है उसमें से देख के बोलता है

बबली- नोट करती है और डी ओ बी डालती है और सर्च बटन पे क्लिक करती है कुछ देर ऐसे हिं चलती है फिर एक पेज ओपेन होती है

बबली अपनी एक हाथ अपने सीने पे रख के दूसरे हाथ से स्लाइड करती है और कुछ देर बाद अपनी आंखें बंद करके दिल के पास अपनी हाथ थपथपाती हुई थैंक गॉड बोलती है..

राहुल- अरे हुआ भी क्या जो ऐसे कर रही हो

बबली- भाई पूछ मत एक पल तो ऐसे लगी मुझे की मैं एग्जाम हिं नही दे पाऊंगी

राहुल - वो क्यों

बबली- तुम्हें पता भी है एग्जाम सेन्टर कहाँ दिया है

राहुल- वो तो पता नही लेकिन जहां भरा था वो सेन्टर को हटा दिया गया है

बबली - खुद हिं देख लो

और अपनी मोबाइल की स्क्रीन राहुल को दिखाती है

राहुल मोबाइल की स्क्रीन देखते हुए

क्या इतनी दूर सेन्टर दी है ओह
6 जनवरी को एग्जाम है

राहुल- तुम्हारी कहाँ है छोटी

बबली- अब समझे कि मैं इतनी परेशान क्यों थी

राहुल- हाँ समझ गया जिस तरह थैंक गॉड बोली मतलब तुम्हरी भी उसी जगह है

बबली- सही पकड़े

राहुल- लेकिन है कब सही पकड़े की नानी

बबली- 31 दिसम्बर को भाई

राहुल - हँसते हुए फिर चली जाना अकेली और क्या मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना लूँगा

बबली- अच्छा फिर मेरे साथ क्या मेरी अब्बा जाएगी एग्जाम दिलाने

राहुल- हा हा हा हा चली जाना अब्बा के साथ

बबली- अच्छा ,पापा के सामने तो हवा टाइट हो जाती है मेरे सामने कितना मुंह चला रहा है..

राहुल- तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि..

बबली- वो छोड़ न भी ये बताओ न अब तो एग्जाम की डेट भी आ गयी जितनी तैयारी होनी चाहिए वो नही हुई है

राहुल- जा के पढ़ो और क्या..

बबली- वही तो नही हो पाती है

राहुल- क्यों

बबली- वो मैं तुम्हें कैसे बताऊ

राहुल- हँसते हुए क्यों कोई आ गया है क्या लाइफ में

बबली- नहीं लेकिन पढ़ नहीं पाती हूँ

राहुल- आखिर क्यों बताओगी तब तो

बबली- अब क्या बताऊ अपनी मोबाइल दिखाते हुए ये मन को दूसरी दुनिया मे लेके चली जाती है

राहुल- अच्छा ऐसा क्या करती हो जो..तुम बता क्यों नहीं रही हो पाता होनी चाहिए हमदोंनो एक अच्छे दोस्त है

बबली- हाँ बिल्कुल


बबली राहुल के बेड पे लेट जाती है और अपनी एक हाथ राहुल के गले मे डाल देती है और प्यार से बोलती है..

बबली राहुल की आंखों में देखते हुए बोलती है भाई मुझे फर्स्ट अटेम्प में पिटी क्लियर करनी है इसमें मेरे प्यारे भाई यदि सहयोग दे तब हो सकती है...क्योंकि एग्जाम में बस 1 मोन्थ बचे हैं

राहुल अपनी हाथ से बबली की गालों को प्यार से खींचते हुए बोलता है

जब इतनी प्यारी बहन हो तो उसकी मदद तो पूरी जिंदगी भर करने के लिये तैयार है उसका भाई...

बबली- वही तो चाहिए मुझे भाई से

राहुल- बिल्कुल मदद करूंगा

इसी तरह दोनों बातें करता है कुछ देर...

रात में डिनर टेबल पे

सबसे पहले राहुल उसके बगल में शंकर उसके बगल में रेखा , राहुल के सामने खुशी और खुशी के बगल में बबली खाने के टेबल पे बैठे थे

शंकर - वाह मज़्ज़ा आ गया क्या मटन बनाई है वाह किसने बनाई है बहु

खुशी- मुश्कराते हुए मम्मी बनाई है , पापा

राहुल- सच मे बहुत हिं अच्छी बनाई है माँ की बनाई हुई हाथ की खाना तो लाजवाब होगी हिं पापा

शंकर अपनी मन में बेटा तुम्हारी मम्मी बेड पे भी लाजवाब है और अपनी बाएं हाथ रेखा के सारी के अंदर पेटीकोट और पेंटी के अंदर से बुर पे लेके जाती है
जैसे हिं रेखा को महसूस हुई वो अपनी हाथ नीचे लेजाकर रोकना चाही लेकिन शंकर ने आंखों के इशारा से मना लिया
रेखा को
शंकर अपनी फिंगर से रेखा के दोनों फांको को सहला दिए और अपनी चुटकी से रेखा की बुर को मिस दिया जोर से

अचानक ऐसे होने से रेखा को एक दर्द सी हुई और उसकी दर्द उसकी फेस पे झलक गयी..बबली की नज़र माँ पे पड़ी

बबली- माँ क्या हुआ आपको

शंकर- बबली की आवाज़ सून के जल्दी से अपनी हाथ रेखा के साड़ी से निकाल लेता है

रेखा- नहीं बेटी कुछ नही बस पैर में थोड़ी दर्द थी वही थोड़ी इधर उधर की तो दर्द करने लगी

खुशी- मम्मी आपको मैं बोल रही थी न मैं हिं बना लेती हूं

रेखा- अरे बहु इतनी भी दर्द नहीं है वो तो बस थोड़ी सी

बीच मे रेखा सबसे बच के एक बार अपनी आंख दिखती है शंकर को , शंकर समझ गया वो गलती किया इसलिये

बात को बदलते हुए शंकर बोलता है

बबली और राहुल से

वो एडमिट कार्ड आने वाली थी आज आई क्या

बबली फाटक से बोली हाँ पापा - आ गयी लेकिन सेन्टर हिं बहुत दूर है

शंकर- अच्छा कहाँ है ? और कब है?

बबली- **** 31 दिसम्बर को

शंकर - इतनी दूर और राहुल का कहाँ है

राहुल- उसी शहर में 6 जनवरी को

शंकर- अच्छा

बबली- लेकिन पापा भाई बोल रहे हैं मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना के निकल जाऊंगा

राहुल- अपनी आंख बबली को दिखाते हुए पापा से बोलता है नहीं पापा मैं तो बस ऐसे हिं

शंकर- जब जाने आने में हिं तीन दिन लग जाएंगे उससे बेहतर होगा वही रुक के दोनों एग्जाम देके वापस आना

राहुल- हाँ पापा , टिकट देखता हूँ

बबली राहुल की और देखती हुई बोलती है भाई रात में आप तो लेट से सोते हो न

राहुल- हाँ लेकिन वो क्यों

बबली- मैं ज्यादा देर तक नहीं पढ़ पाती हूँ रात में इसलिए भाई के साथ में हिं रात में सेट बनाउंगी

राहुल- नहीं जरूरत नहीं है

बबली- पापा इनसे बोलिये न ये तो लगातार पिटी की एग्जाम और अब मेंस भी निकाल रहे हैं मेरी हेल्प भी हो जाएगी और मैं चाहती हूँ पहली बार मे हिं पिटी क्लियर करू

शंकर- राहुल की और देखते हुए बोलता है
बेटा बबली के पढ़ाई के प्रति लगन देख के मन खुश हो जाता है जो ये चाहती है उसमें इसकी मदद करना

राहुल- बबली की और देखते हुए ..
ठीक है लेकिन एक शर्त पे जब भी मैं सेट बनूंगा बीच मे न कुछ बोलोगी न पूछोगी...

बबली- हा हा हा हा लोल हो भाई आप एक तो मुझे सेट बनाने में कब टाइम निकल जाती है और क्वेश्चन बची हिं रह जाती है तो उतना टाइम कहाँ जो बीच मे आपको डिस्टर्ब करू

राहुल- फिर तब ठीक है

इस तरह खाना फिनिश कर के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं..

राहुल अपने बेड पे लेट जाता है कुछ देर में बबली भी एक बुक हाथ मे लिए आती है

बबली बेड पे बैठ जाती है

राहुल- पापा के सामने मेरी टांग खिंचने में बहुत मज़्ज़ा आती है न तुम्हें

बबली- नहीं भाई ऐसी बात नहीं है मैं तो बस ऐसे हिं बोल दी हंसी के लिए जबकि मुझे अच्छी तरह पता थी कि आप साथ हिं चलोगे

राहुल- तुम भी न , ऐसे दिन में अधूरी हिं रह गयी थी

बबली- वो क्या भाई

राहुल- यही की तुम्हें मोबाइल दूसरी दुनिया मे कैसे लेके चली जाती है

बबली- मुश्करती हुई अब कैसे बताउ आप मेरे भाई हो..

राहुल- अच्छा अभी भाई हुन और हर टाइम बोलते रहती हो एक भाई के साथ अच्छी वाली दोस्त हो

बबली- वो तो हो हिं

राहुल- फिर छुपा क्यों रही हो

बबली- भाई इतना समझ लो अभी अपनी रूम में रहती तो मेरे मोबाइल में खुल जाती

राहुल - हा हा हा हा हा

बबली- क्या हुआ हस क्यों रहे हो

राहुल- तुम्हारी बातों पे और तुम जो मेरे कमरे में आई अब तो मेरा भी सत्यनाश

बबली- सत्यनाश क्या मैं समझी नहीं

राहुल- हँसते हुए अब तो जब तक साथ रहोगी मेरी मोबाइल भी दूसरे दुनिया में लेके जाती है ना

बबली- अच्छा मतलब भाई भी दूसरे दुनिया मे हा हा हा

राहुल- मैं क्यों न जाऊ मेरे में क्या कमी है जो

बबली- कुछ कमी नहीं है और धीरे से अपना राहुल के कान में बोलती है- गर्ल फ्रेंड नहीं रहने का असर है ये

राहुल- हा हा हा हा

बबली- ऐसे जुली दीदी सही बोल रही थी भाई

राहुल - वो क्या छोटी

बबली- यही की यदि नौकरी लग गयी तो अच्छी यानी पसंद की बीबी मिलेगी हीहीहीही

राहुल- अपना हाथ बबली के गले मे लगा के धीरे से उसकी कान में बोलता है इसलिए मेरी बहन भी गवर्मेंट जॉब लेना चाहती है ताकि उसे भी मस्त का स्मार्ट पति मिले

बबली- बस मुश्करा देती है और बोलती है आप जो समझो

ऐसे भाई आज सेट बना रहे हो न

राहुल - आज नहीं छोटी कल से सेट बनाऊंगा

बबली- फिर तो मैं चली अपने रूम मोबाइल की दूसरे दुनिया की बहुत एपिसोड बांकी है
ये बोल के चली जाती है

राहुल उठ के अपना दरवाजा बंद करता है
और वापस रजाई में आ जाता है और सोचता है क्या ये एपिसोड मतलब कुछ जरूर पोर्न साइट खोलती है
लेकिन एपिसोड उसमे मतलब कहीं बबली भी तो सेक्स स्टोरी तो नहीं पड़ती है

राहुल यही सोचता है कुछ देर फिर उसे खुशी भाभी की याद आ जाता है और खुद से हिं बोलता है आआआह आज भी भैया नहीं है मतलब दोनों में सेक्स चैट चल रही होगी या फिर वीडियो कॉल पे हो रही होगी आआआह इतना मज़्ज़ा आया पढ़ने में किसी तरह मिल जाय
लेकिन मिलेगा कैसे वो तो कल संयोग अच्छी थी मेरी जो मिल गयी
और अपने मोबाइल में इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा और बीच बीच मे अपनी खुशी भाभी की बुर अपने लॉकर से निकाल के अपना खड़ा लौड़ा मोबाइल की स्क्रीन पे खुशी भाभी की बुर के ऊपर ठोकर मारने लगता है

दूसरी तरह खुशी और बिमलेश की चैट स्टार्ट हो जाती है....

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खुशी को अपने पति की सगी बहन को चोदने के बात जानकर खुद ब खुद मुस्करा रही थी कि उसे अपने घर की वो बात याद आ गयी कि उसके पापा किस तरह ****** कर रहे थे और छुप के देख रही थी खुशी..
Super update tha dost....bhai SANKAR KO BHI CHANCE DENA JULI KE SATH
 

rahulkr24

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Super update tha dost....bhai SANKAR KO BHI CHANCE DENA JULI KE SATH
धन्यवाद। आपकी पसंद लाजवावब है , इसके लिए आपको समय का इनतजार करनी पड़ेगी।
 
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