Update 1
आज सुबह से हिं घर मे चहल पहल थी क्यों कि आज भाभी की दूसरी सालगिरह जो थी । पापा और भैया ऑफिस चले गए और मम्मी भाभी और बबली पास वाले मंदिर गयी हुई थी । मैं घर मे बैठ के सोच रहा था आआआह किस तरह भैया और खुशी भाभी की सालगिरह की स्पेशल चुदाई कैसे लाइव देखी जाय। अब मैं अपने घर के बारे में बता रहा हूँ 3 साल पहले गाँव से शहर में शिफ्ट हुए हैं शहर से 6 किमी दूर एक इलाके में अभी ये पूरी तरह से इलाका भरा नही है छिट पूट घर है मेरे घर के एक साइड घर है और दूसरी साइड पेड़ लगे हुए हैं और बहुत जंगल भी हो गयी है । नीचे 4 कमरे हैं और 2 कमरे पहली फ्लोर पे हैं। नीचे वाले कमरे में 1 मम्मी पापा उसके बगल वाली भैया भाभी की और अपोजिट साइड एक मे मैं और दूसरी में बबली रहती है । ऊपर वाले 1 रूम में थोड़ा बहुत समान और एक गेस्ट रूम है। मैं इतना एकसाईटेड हो गया कि किसी तरह आज भैया और भाभी की चुदाई देखने के लिए। मैं अपने घर से बाहर निकल कर पीछे जंगल की तरफ गया बहुत हिं जंगल था सांप न हो इसका डर लग रहा था फिर भी हिम्मत कर के गया बिल्कुल खिड़की के पास लेकिन मैं खिड़की तक पहुंच नही पा रहा था मेरे घर से लेवल काफी नीचे था फिर में वहां एक पुरानी कुर्सी ला के चढ़ के देखा तो रूम की बेड क्लियर दिखाई दे रही थी मैं वो कुर्सी वही जंगल मे हिं छोर के आ गया और मन हिं मन बहुत खुश था कि आज भैया भाभी लाइट जला के अपनी प्रोग्राम करे। फिर मैं नहा के रेडी हो गया । तब तक भाभी लोग भी मंदिर से आ गयी थी जाते टाइम तो मैं नही देखा था और जब मैं तीनो को देखा आआआह गजब की लग रही थी मैं तो आज सबसे ज्यादा भाभी को देख रहा था और मन हिं मन सोच रहा था आह भैया कैसे पेलते होंगे गदराई माल को फिर मेरी नजर मम्मी पे गयी जो अपनी रूम जा रही थी आआआह मम्मी की गांड चलते हुए कहर ढाह रही थी और फिर बबली की पतली कमर और निकली हुई गांड काफी सेक्सी लग रही थी । मेरी मुन्ना तो ये सब देख के हिं खड़ा हो जाता है किसी को सक न हो मैं अपने रूम जल्दी से घुस गया। और फिर वही सोचने लगा क्या रात में मैं देख पाऊंगा कि नही यही सब सोचते मैं मोबाइल देखने लगा । कुछ हिं देर में बबली की मेसेज आती है
बबली- हेलो मेरे प्यारे भाई...
मैं- वाह प्यार भाई कब से बन गया हर वक्त तो लड़ते रहती हो
बबली- वो तो प्यार है लेकिन हो तो मेरे प्यारे भाई न
मैं- अच्छा बड़ा प्यार आ रहा है कुछ काम है क्या?
बबली- हा हा हा हा बिल्कुल सही पकड़े
मैं- मुझे पहले हिं पता चल गया था कि कुछ काम होगा तब हिं मस्का लगा रही है बोलो क्या बात है
बबली- पैसे चाहिए कुछ भाभी को गिफ्ट देनी है
मैं- अच्छा मैं कौन सा कमाता हूँ जो पैसा मेरे पास रहेगा हा हा हा
बबली- माजक न करो तुम्हारे पास पैसा हर वक्त रहता है तो बहुत जुगाड़ी हो न
मैं- ऐसा क्या अच्छा क्या दोगी भाभी को गिफ्ट मुझे भी देनी है
बबली- मैं क्यों बताऊंगी जो पसंद आएगी वो दूंगी ऐसे तुम क्या दोगे
मैं- मेरा तो मन हुआ मेसेज कर दूं कि मैं कंडोम का बड़ा डब्बा गिफ्ट कर दूं ताकि भैया को बार बार नही खरीदना परे (ये तो मैं अपने मन मे सोच रहा था जो मैं दे नही सकता था क्यों कि भैया को जो पता चल जाता) बबली को मैं बोला जो अच्छा लगेगा वो दे दूंगा
बबली- अच्छा कब जा रहे हो
मैं- अभी हिं जाना होगा क्योंकि भैया बोल दिए है केक भी मुझे हिं लाना होगा और घर का सामान भी तो टाइम नही मिलेगा
बबली- फिर चलो मुझे भी जानी है
मैं- फिर तैयार हो जाओ
बबली- मैं तैयार हिं हूं
मैं- ओक मैं रेडी हो रहा हूँ
और मैं मम्मी को ये बोल के मार्केट जा रहा हूँ।
रेखा मा- बबली तुम भी जा रही हो
बबली- हां मा धीरे से बोली भाभी के लिए गिफ्ट लाना है।
मैं बाइक निकाला और बबली पीछे की सीट पे दोनों दोनों तरफ कर के बैठ गयी और अपनी एक हाथ मेरी कंधे पे रख दी
और बोलती है
बबली- भाई मुझे कब सिखला दोगे बाइक चलना
मैं- तुम तो खुद बहुत टैलेंटेड हो खुद सिख लो
बबली- मेरी पीठ पे एक जपत लगते हुए मैं माजक नही कर रही हूं कभी सिखला दो न
मैं- ये तुम्हारे बस की बात नही है ये बहुत भारी बाइक है इससे सीख नही पाओगी
बबली- क्यों भारी है तो क्या हुआ मैं चला लुंगी मुझे खुद पे भरोसा है बस दिखने में पतली हुन अंदर से बहुत स्ट्रांग हूँ
मैं- हा हा हा बहुत स्ट्रांग हो ऐसे क्या लोगी गिफ्ट भाभी के लिए
बबली- चल न दुकान पे देखती हूँ ....