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Incest Aaaah Ghar ki rasili bur aur gaand

Story ko kaun si front me likhu?

  • Hindi front

    Votes: 19 43.2%
  • Hinglish front

    Votes: 25 56.8%

  • Total voters
    44
  • Poll closed .

pprsprs0

Well-Known Member
4,106
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159
आप लास्ट अपडेट पढ़ के तो समझ हिं गए होंगे कि आगे क्या होने वाला है। मैंने पहले हिं कहा है कि ये एक लंबी स्टोरी है ,जुली दी और पापा का ऐसे अचानक तो हो नही सकती है ,इसमे इमोशन्स वाला प्यार धीरे धीरे सिड्यूस ...और इस परिवार में बहुत राज पहले से होते आ रही वो भी धीरे धीरे खुलेगी...

समयाभाव के कारण अपडेट नहीं दे पा रहा हूँ। आज कुछ स्पेशल अपडेट आने वाली है। एकदम रियल फीलिंग वाली कुछ नया नए अंदाज में।
Waiting bro
 
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Jassybabra

Well-Known Member
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13,468
188
nice update
 
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rahulkr24

Member
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Bhai update kab tak aayega
आज 4 बजे तक मेगा अपडेट....
 
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kofora

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59
Bro pls increase the frequency of updates
 
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Reactions: Rexd and rahulkr24

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,666
25,448
204
Waiting bhai...

and rahul kab tak muth marta rahega bhai?
 
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Reactions: Luffy and rahulkr24

rahulkr24

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UPDATE 22



मैं जुली दीदी और खुशी भाभी की रसीली बात सुन के एक अलग हिं दुनिया मे था । खुशी भाभी और बिमलेश भैया की चुदाई तो अपनी आंखों से देख हिं चुका था जो मेरे आंखों से हटी नही थी , बिमलेश भैया के लौड़ा पे लगी हुई केक को चाटना , लंड रस को अपनी मुंह मे जमा करके लौड़ा पे धीरे धीरे गिरना वो सारी चीजें तो मेरे आंखों के सामने हिं थी जो पिछली रात की घटना थी।

और दोपहर में जुली दीदी और खुशी भाभी की बात तो मदहोश हिं कर दिया सादी सालगिरह की वो सारी दांस्ता सुन के बस मैं यही अंदाज़ लगा रहा था खुशी भाभी तो जबरदस्त माल है कि लेकिन जुली दीदी तो और खतरनाक..है..और में आज की ये बात से बहुत हिं एक्ससिटेड हो रहा था कि आज रात में राकेश जीजू और जुली दीदी के बीच बैट लगी है और खतरनाक मैच होने वाला है..........

मैं अपने रूम से निकलकर छत पे चला गया जहाँ एक हिं रूम बनी है...मैं रूम में जा के गेट लॉक किया और अंदर बेड पे चला गया।

इमेजिन करने लगा आआआह जुली दीदी को इसी बेड पे जम के
चोदेंगे जीजू ...आआआह ..मैं बेड पे लेट के अपना लौड़ा लोअर से बाहर निकाल दिया और 2-3 धक्का बेड के गद्दे पे हिं मारा जुली दीदी की नाम से हिं मेरा लौड़ा खड़ा हो गया आआआह आज जुली दी और भाभी कैसे बोल रही थी जब मोबाइल पे वीडियो देख रही थी आआआह उतना हिं तो लंबा और मोटा लौड़ा तो मेरा भी है कितना अच्छा लगेगा जुली दी को जब दी कि बुर में जाएगी ये लौड़ा आआआह

फिर मेरी नजर पास में रखी बैग पे गयी मैंने उसे खोला मैं जुली दीदी की ब्रा और पेंटी ढूंढना चाहता था मेरी भाग्य अच्छी थी कि बैग के एक साइड में मुझे ...एक मरून कलर की पेंटी मिल गया उसके साथ हिं एक और पेंटी थी ब्लैक कलर की और एक कप वाली ब्रा .......

आआआह देख के हिं मेरा मन मेरा खुश हो गया नेट वाली पेंटी थी बुर वाली जगह देख के हिं मेरे मन मे यही आया आआआह कैसे जुली दीदी की बुर से हमेशा चिपकी हुई रहती होगी आआआह फिर में टैग की और देखा ओ माई गॉड



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ये तो विक्टोरिया सीक्रेट की पेंटी है आह दीदी को ब्रांडेड पेंटी पहनती है आआआह पेंटी में कोई
कंपरमाईज नहीँ आआआह दीदी इसी से लगती है आपमें चुदाई की कितनी खुमार होगी...
मैं अपनी लौड़ा को पेंटी के पास ले गया...


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आआआह ये क्या हो रहा है आआआह दीदी की बस पेंटी में टच होते ही लौड़ा फनफना गया आआआह आआआह


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आआआह दीदी आप बहुत रसीली हो मैं तो भाभी को समझता था कि वो ज्यादा सेक्सी और चुदासी है लेकिन जुली दी आप तो उससे 1 कदम नही 10 कदम आगे हो आआआह

फिर दोनों पेंटी को अपने लौड़ा पे लपेटे हुए ये रूम में अंदर हिं सोचने लगा आआआह दीदी की चुदाई देखने को मिल जाती आआआह तो मुझे कुछ दिखा नही एक खिड़की है तो वो भी उस तरह जहाँ पीछे से देख नहीं सकता इधर मेरा लौड़ा फूल टाइट हो के पेंटी पे आगे पीछे हो रहा था...और मेरे कानों में थोड़ी देर पहले दीदी की जुबानी से जो बात निकली वो आ गया आआआह दीदी मुझे लगा कि मेरा लौड़ा से मुठ निकल सकता है कभी भी और मुझे डर भी लग रहा था कहीं दीदी की पेंटी पे हिं नही निकल जाए...मुझे खुद पे भरोसा था कि इतनी जल्दी नही निकल सकती लेकिन जुली दीदी की बातों और इतनी मस्त पेंटी के आगे मेरा कुछ भी नही चल रहा था मैं एक कपड़ा ढूंढने लगा कि जब माल गिरने वाला होगा उसपे गिरा लूंगा इधर उधर देखा लेकिन कोई पुरानी कपड़ा मिली नही मैं ...मैं बेड को हटाया उसके अंदर भी कुछ नही मिला कोने वाली साइड की बेड हटाया तो आआआह बेड के अंदर जबरदस्त नजराना था


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एक यूज्ड कॉन्डम दिखा उसके साथ मे एक कागज के टुकड़े थे जब उसे पलटाया तो आआआह मेरी तो मानो लौड़ा में करंट दौड़ने लगा



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कागज पे सुंदर सा होंठ का बना हुआ आआआह ये तो ताजी है ये पक्का जुली दीदी की हिं है रात में राकेश जीजू और जुली दीदी यही सोए थे आआआह

पेज पे बनी होंठ की छाप को अपने लंड की टोपा पे घिस दिया मेरा लंड पे भी होंठ की लिपस्टिक लग गया और वो फिर अपने होंठ से लगा लिया

.फिर कंडोम को देखते हुए..


ये कंडोम को देखने से भी लग रहा है ये करंट में बुर में घुसी हुई है या तो मॉर्निंग में जीजू चोदे होंगे जुली दी को या रात में आआआह ...


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फिर मैं उस कंडोम को गौर से देखने लगा आआआह दीदी की बुर में कैसे अंदर बाहर हो रहा होगा मेरे से रहा नहीं गया ये सोच के की ये कंडोम दीदी के बुर के अंदर घुसा होगा आआआह जुली दीदी की बुर रस भी लगी होगी और मैं अपना लौड़ा पे वो कंडोम को चढ़ाने लगा कंडोम मेरे लौड़ा पे चढ़ नही रहा था किसी तरह अपने लौड़ा पे चढ़ाया जो कि मेरे लौड़ा 70% भाग पे हिं चढ़ा था .


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...आआआह जुली दीदी बस इतना हिं जीजू का लौड़ा है क्या?

दीदी मेरे लौड़े के लिए फिर तो अलग साइज का कंडोम भी आता होगा आआआह पूरा लौड़ा यदि जुली दीदी की बुर में डाल दूँ तो दीदी की बच्चेदानी तक चल जाएगी आआआह और अपना लौड़ा दीदी की पेंटी बेड पे डाल के उसके ऊपर अपना लौड़ा ठीक पेंटी की अगली भाग जहाँ दीदी की बुर चिपकी हुई रहती है और पेंटी और ब्रा को अपने नाक के पास रख के अपने लंड को जुली दीदी की पेंटी पे आगे पीछे करने लगा और सोचने लगा आआआह यही बेड पे आज जुली दीदी की बुर में जीजू अपना लंड आगे पीछे कर के चोदेंगे आआआह कितना अच्छा लग रहा है पेंटी पे घिसने में आआआह रियल में जब दीदी के बुर में उसकी पसंद की साइज वाला लौड़ा बुर में आगे पीछे होगी कितना मज़्ज़ा लेगी वो भी अपने छोटे भाई का लौड़ा आआआह दीदी आप बहुत रसीली हो आपको जितनी चोदा जाय उतना कम है आआआह दीदी आआआह दीदी आआआह मैं अपनी बुर में गिरा रहा हूँ पानी आआआह दीदी इतने में मेरी पानी उस कंडोम में गिर के भरने लगा अपना लंड कंडोम में से निकाल लि3या अभी भी कुछ बूंद बूंद माल निकल हिं रहा था ...

एक बूंद गिरा देता हूँ पेंटी पे ताकि मेरी लंड रस दीदी की बुर से चिपकी रहे और मैं अपना लंड पे जो थोड़ा पानी लगा था दीदी की पेंटी के ठीक बुर वाली जगह पे लगा के मसल दिया जो मिल गया था बाहर से पता नही चल रहा था
लंड पे दीदी की पेंटी टच करने से ऐसा फील हुआ जैसे मानी दीदी की बुर से टच हुआ कुछ हिं देर में थोड़ा और रस निकल गया उसे कप वाली जो ब्रा थी उसी के अंदर मिला दिया आआआह मेरा लंड रस सीधे जुली दी कि चूची पे लगेगी आआआह फिर वो कंडोम मैं वही रख दिया उसमे बहुत ज्यादा माल भर गया था फिर वो दोनों पेंटी और ब्रा को किस करके जहां था वही रख दिया...और रूम खोल के बाहर छत पे आ गया...


जैसे हिं मैं गेट खोल के बाहर निकला था कि घर के सामने वाली भेपर लाइट जली नीचे देखा तो वो भैया जलाए थे...

मैं उनलोगों को देखा फिर नीचे आ गया भैया के हाथ मे नास्ता की प्लस्टिक थी और जीजू के हाथ मे एक छोटी प्लास्टिक थी ..

सब नास्ता किये...मेरा ध्यान तो सबसे बच के जुली दीदी पे हिं ध्यान था कभी खुशी भाभी को भी देख लेता था...आआआह टेबल के अंदर से हिं अपने लंड पे हाथ रख के इनदोनो गदराई माल को यही चहिए फिर इनकी गर्मी शांत होगी....इसी तरह नास्ता समाप्त हो गया दीदी और भाभी रात के खाने की तैयारी करने लगे भैया और जीजू छत पे बात करने चले गए..


इधर मेरा पिछले दो दिनों से ध्यान हिं भटक गया था ...जरा भी पढ़ाई नहीं हुई थी ..मैं सोचा जरा पढ़ लेटा हूँ किताब कॉपी खोल तो लिया लेकिन किताब में भी वही नज़र आता था खुशी भाभी की बुर पे लगी केक तो कभी दीदी की रसीली बात आज मैच की बात....इतने में बबली मेरे कमरे में आई

बबली- क्या हो भाई किताब खुली हुई है क्या सोच रहे हो..

मैं- बबली की आवाज़ से मेरी ध्यान टूटा ..हम बबली बस कुछ नही सोच रहा हूँ

बबली- ये क्या पढ़ रहे हो भी ये तो किताब की प्रस्तवना वाली पेज है...

मैं- नीचे देखा तो सच मे प्रस्तवना वाली हिं पेज खुली थी

बबली- मतलब आप यही पढ़ रहे ...

मैं- अरे बबली ये तो बस ऐसे हिं

बबली- चल झूठे कुछ तो सोच रहे थे कहीं कोई आ तो नही गयी है...या फिर जॉब के बाद वही मनपसंद बीबी की इंतजार रहेगा

मैं- धत्त बबली तुम भी न मुझे नही जानती हो क्या हर वक्त तो साथ हिं रहता हूँ तो फिर छुपेगा क्या...मुस्करते हुए यदि कोई आएगी भी तो सबसे पहले तो बबली को हिं पता चलेगा न हा हा हा

बबली- हाँ भाई मुझे अच्छी तरह पता है मेरा भाई कैसा है मेरा भाई हिं नही मेरा दोस्त है यदि मैं कुछ भी हूँ तो अपने भाई की मदद से हुन उम्माह(फोरहैड पे)


मैं- उम्माह बबली की फोरहैड पे मैं बोला फिर मदद कैसी मदद पगली बहन की हेल्प करना भाई का मदद कहा जाएगा बोलो

बबली- आह भाई मैं बहुत लकी हूँ जो मुझे इतना प्यार भाई मिला है

मैं- वो बात नही है गुड़िया..

बबली- फिर क्या बात है मेरे हीरो...

मैं- मैं अच्छा नहीं हूं बल्कि मेरी बहन हिं इतना अच्छी है कि पूछो मत

बबली- ये तो मेरे भाई की बड़प्पन है ....मैथ्स की एक सवाल दिखाते हुए भाई ये बताओ न अलगा स्टेप कैसे हो गया...

मैं- बबली को फाटक से समझा दिया ...

बबली- भाई तुम्हारे पास कोई भी सवाल ले के आति हूँ किस तरह आप समझा देते हो कि मेरी माता में घुसेड़ देते हो...

मैं- मेरी गुड़िया की माइंड हिं बहुत फ़ास्ट है वो अपने अंदर खिंच लेती है। ऐसे हिं लगी रहो तुम्हारी जज्वा देख के लग रहा है मेरे से पहले तुम हिं नौकरी ले लोगी हा हा हा हा

बबली- धत्त मैं चलती हुन भी

मैं- ठीक है बबली..

उसके जाते हिं मैं अपने किताब को पलटाया हिं था कि फिर वही बात आज जीजू कैसे चोदेंगे जुली दीदी को...


किसी तरह जुली दीदी को भी चुदवाते हुए देख लेते जैसे खुशी भाभी को देखे ...लेकिन देखू कैसे कोई ऑप्शन तो है नहीं.....

हाँ यही अच्छा रहेगा देख न सकू कम से कम सुन तो सकूंगा न ...जल्दी से वो छोटा वाला मोबाइल को चार्ज में लगा देता है....

दूसरी तरफ छत पे ....

राकेश- साले साहब बहुत तरस रहा हूँ यार खुशी भी गजब की माल है यार मेरा लौड़ा खुशी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा है ...


बिमलेश- यार तुम तो खुशी को चोदने की बात भी कर लेता है कम से कम इतना तो लकी हो तुम एक मैं हूँ बोल भी नहीं सकता...

राकेश- बोलो न मुझे बुरा थोड़ी न लग रहा है जितना बोलना है बोलो जुली के बारे में....

बिमलेश- मैं क्या बोलू...यार तुम तो खुशी के बारे में बोल भी सकते हो रिलेशन में वो तुम्हारी सलहज होगी उसमे तो हसी माजक भी चलता है..

राकेश- हाँ वो बात तो है...
ऐसे मेरे और तुम्हारे बीच मे सब खुला है सरमाना कैसा

बिमलेश - मुश्कराते हुए तो क्या बोलू दोस्त...की मेरा लौड़ा जुली बहन की बुर में जाने के लिए तड़प रहा है ..

राकेश- आआआह सच बोलो दोस्त अच्छा लगा न...

बिमलेश की लंड की और हाथ का इशारे करते हुए देख अपने लौड़े को कितना टाइट हो गया है पेंट के ऊपर शेप बन गया है....


बिमलेश- अब तुमसे क्या छुपाउ तुम तो सब जानते हो कि इन्सेस्ट स्टोरी जब दोनों साथ पढ़ते थे तो तुम कैसे रश्मि के बारे में और मैं जुली को सोच के कैसे एक साथ हिलाते थे...


राकेश- हाँ रश्मि का तो पता नही हाँ तेरी बहन की बुर की गहराई तो जरूर नाप लिया हूँ...

बिमलेश- यार अभी तक तो वही हाल हो गया है एक सब्जी खाते खाते बोर हो गया हूँ..बस वही सब्जी( खुशी) को अलग अलग स्टाइल में बनता (चोदता) हूँ , सब्जी तो वही रहता है स्वाद भी वैसा रहता है बस बनाने( चोदने) का स्टाइल बदल जाता है...


राकेश- हाँ सही बोले दोस्त लेकिन सब्जी बनाने का स्टाइल ( चोदने) की बात में जुली टॉप है खुशी से ...आज हिं ऐसी गजब चुदाई करूंगा न साली है बहुत कमसिन जितना जोर से मैं धक्का देता हूँ उससे ज्यादा धक्का वो नीचे से दे देती है...

बिमलेश- यार तो लकी है

राकेश- लकी तो तब रहूंगा दोस्त जब खुशी की कमसिन बुर में मेरा लौड़ा आगे पीछे होगा और मेरा प्यार दोस्त का लौड़ा उसकी अपनी बहन यानी दोस्त की बीबी
की बुर में....

बिमलेश- तब खायेगा न टेबलेट ...

राकेश- हाँ 100mg की तो विग्रा ले लूंगा क्यों कि जब वो मूड में रहती है तो 2 टैबलेट से कम में उनकी बुर शांत नही होती है.....अभी जो आ रहा था तभी देखे थे न आई थी मेरे पास..

बिमलेश- हाँ देखा था क्या बोल रही थी...जुली

राकेश- यही बोल रही थी की अपने लौड़ा को तैयार रखिएगा...आज मेरी मुनिया कुछ ज्यादा मचल रही है...

बिमलेश- आआआह इतनी ज्यादा कमसिन है जुली यार..

राकेश- हा हा हा तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे पहली बार बात रहा हूँ.. ऐसे जुली ऐसे जब भी बोलती है उसका कहने का ये मतलब ये है कि तैयार रहियेगा विग्रा खा के...


बिमलेश- हा हा हा हा साले वो नही बल्कि मैं तुझे वो सुझाव दिया था क्यों कि
जब तुमने बताया था कि जुली के बारे में तब मैंने बताया था न विग्रा खा के चोद तब देख...

राकेश- हाँ यार आईडिया तो तुम्हारा हिं था..जैसे देख आज 2 टैबलेट खा लूंगा फिर भी तुम्हारी बहन शेरनी बन जाएगी ...

बिमलेश- हा हा हा आखिर बहन किसकी है...

राकेश- मीडियम रेंज का लौड़ा से कुछ नही होता उसे 10" का लौड़ा चाहिए उसे

बिमलेश - हा हा ...तुमको क्या लगता है जुली मान जाएगी तुमसे चुदने के लिये

राकेश- यार मैं भी कैसे बोलू...यहां नहीं टूर पे जो जाएंगे वही कनविंस करेंगे

बिमलेश- हाँ यही सही रहेगा..

राकेश- खाना का भी समय हो गया है ...नीचे भी चलना है

बिमलेश- हाँ चलो..

राकेश- अपने पैकेट से विग्रा की टेबलेट निकाल कर एक टैबलेट हाथ मे लेकर बिमलेश को दिखाते हुए दोस्त- ये टेबलेट तुम्हारी बहन की बुर के लिए और गोली खा लेता है और फिर एक और टेबलेट हाथ मे लेके बिमलेश को दिखाते हुए ये दोस्ती की कमसिन बहन की गाँड़ के लिए...


बिमलेश- मुश्कराते हुए साले आज खुशी की भी कुछ ज्यादा हिं होने वाली है...

राकेश- आआआह एक आईडिया दूँ आज खुशी को जुली बना के चोदो देखो कितना मज़्ज़ा आता है..

बिमलेश-हा हा हा .. धत्त साला बहुत बार कर चुका हूं सुबह ठीक से चल भी नही पाती है खुशी..

राकेश- आआआह साला जुली की बुर में जाने के लिए कितना तड़प रहा है मेरा दोस्त का डंडा...


उधर किचेन में खुशी और जुली खाना बना रही थी.....

जुली - आटा गूथ रही थी

खुशी- प्याज काट रही थी..

दोनों मिलबांट के अपना काम कर रही थी..

और बाते भी कर रही थी.....और दोनों नार्मल बाते कर रही थी

जुली - भाभी आप दिन में बताए नहीं कब मुझे बुआ बना रही हो..

खुशी- मेरे से क्यों कहती हो ननद जी मैं तो तंग हो चुकी हूं अपने भैया से कहो न भैया भैया कब भाभी की बुर को अपने लौड़ा की रस से भर के गाभिन कीजियेगा

जुली - हा हा हा हा क्यों भाभी कभी भैया मेरी भाभी की बुर में अपना माल नहीं छोड़े हैं क्या हा हा हा

खुशी- पिछले एक साल से तो नहीं हाँ पहले करते थे मुझे बाद में टेबलेट दे देते थे लेकिन अब उनको पता है मैं टैबलेट नहीं लेने वाली...

जुली- हा हा हा मतलब सब दिन भाभी को कंडोम की रगड़ हिं महसूस होती है क्या..

भाभी- हा हा यही समझो जिस दिन नही लगते हैं उनको डर लग रहता है पहले हिं निकाल के मेरे मुँह में ठूस देते हैं नहीं तो बैकग्राउंड

जुली- वाह आईडिया तो मस्त है भभी डायरेक्ट मुंह मे हिं पिचकारी वाह...

खुशी- हाँ सब समझती हूं सादी पहले मेरी हुई है लेकिन एक्सप्रेइंस तो मेरे से ज्यादा मेरी ननद रानी को है

जुली- हा हा हा हा हा


खुशी- लेकिन आज ननद रानी की सादी सालगिरह की कहानी सुन के कुलबुला रही है नीचे हीहीहीही

जुली- मतलब आज भैया का रेप होने वाला है क्या?

खुशी- वो तो तुम्हारे भैया की धक्का पे डिपेंड करता है..

जुली- अच्छा क्यों भैया मेरी भभी की सेवा में कोई कमी छोड़ते हैं क्या

खुशी- नहीं बिल्कुल नहीं हाँ लेकिन बहुत बार ऐसी हुई है कि मुझे सुबह चलने लायक भी नही छोड़ते हैं पता नहीं क्या हो जाता है उनको...

जुली- आआआह आआआह हो सकता है किसी की याद आ जाती होगी..

खुशी माजक में- हैं हमको भी लगता है किसी की याद हिं आ जाती है

जुली थोड़ा सीरियस में- किसकी भाभी आपको अन्दाज़ है क्या

भाभी धीरे से बिल्कुल जुली के कान में- एक गदराई माल है

जुली- कौन

भाभी- उसका नाम है जुली हीहीहीही ..

जुली- आप भी न.. भाभी कहीं से कहीं लेके चले जाते हैं बात को


इधर पनीर फ़्राय कर लिए थे जुली और खुशी रोटी सेक रही थी..

खुशी- देवर जी की फेवरेट डिश है ननद जी पालक पनीर अच्छी बनाना ननद जी...

जुली- अच्छा बना लुंगी जब आपके देवर को इतना पसंद है तो बस अपना घी मिला देना भाभी

भाभी- हाँ रेक पे रखी है घी थोड़ा मिला सकती हो...

जुली - वो घी से स्वाद नहीं आएगा भाभी.....

भाभी- फिर किससे आएगा

जुली - देखिये भाभी आपके देवर को पसंद है तो उसमें तो भाभी की हिं घी मिली रहनी चाहिए..

खुशी- मैं समझी नहीं..

जुली- समझती हूं भाभी जुली एक टुकड़ा पनीर का हाथ मे ले लेता है और खुशी रोटी बना रही होती है जुली, खुशी की साड़ी ऊपर करके खुशी की पेंटी नीचे करके दो फिंगर में पनीर फसा के सीधे खुशी की बुर में उंगली डाल देती है..

खुशी- रोटी बनाने में बिजी थी अचानक हुए हमले से वो कुछ समझ नही पाई और तब तक जुली चालाकी से दोनों फिंगर में फसा के खुशी की बुर में कर दी थी..
खुशी- ओह क्या कर रही हो जुली

जुली- आपके देवर के लिए स्वादिस्ट पनीर बना रही हूं उसी के लिए घी लगा रही हूं...

खुशी- क्या ननद रानी आप भी न

जुली - तब तक 5-6 बार उंगली को आगे पीछे कर दी
बाद में वो पनीर भाभी को दिखाते हुए..


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देखिये भाभी घी लगी हुई पनीर आपके देवर की फेवरेट डिश अब अच्छी बनेगी...और कढ़ाई में डाल दी ...

खुशी- की रोटी कम्पलीट हो गयी थी वो जल्दी से हाथ धो ली और एक टुकड़ा पनीर का उठा के जुली की बुर में अपनी दोनों फिंगर में फसा के डाल दी और बोली...


जुली- ओह भाभी ऐसा न कीजिये आपकी वाली किसी को भी जाएगी राहुल को गया तो देवर भाभी , राकेश को गया तो सलहज वाली बात और भैया का कोई बात हिं नही...प्लीज न कीजिये भाभी.. आप वाले में तो कोई दिक्कत नही मेरे वाले में यदि भैया या फिर राहुल को चला गया तो कैसे लगेगा बोलो...


खुशी- उनको क्या पता चलेगा कि बहन की बुर रस से सनी पनीर है वैसे भी ननद रानी जब तक बहन की बुर रस नहीं मिलेगी तब तक उनके भाई की फैवरेट डिश कैसे अच्छी बनेगी......

खुशी- पनीर दिखाते हुए जो पनीर पे वाइट वाइट लग गयी थी खुशी देखो ननद रानी मसाला का काम करेगी ये एक बार फिर से एक पनीर डाल देती है जुली की बुर में...फिर वही...

जुली- अब क्यों भाभी...

खुशी- ये तो नाइंसाफी हुई न भाई 2 और बुर की रस से सनी पनीर एक कहाँ का इंसाफ है और घुसेड़ दी जुली की बुर में

जुली- आप न भाभी जोश जोश में कर दिए अब पता नहीं किसके मुंह मे जाता है...

खुशी- लो खाना बन गया ऊपर जा के अपबे लौड़ा वाले भतार को बुला लाओ ननद जी..

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जुली- उपर तो आपके भी भतार हैं उनको लौड़ा नहीं है क्या उसका नाम नहीं लिए....

खुशी- हा हा हा हा ननद वो तो मेरी ननद अपनी बुर में लगी मेरे भतार का लौड़ा तब न चेक करके बोलेगी नुंनी है या लंड ...

जुली- आपसे से जितना मेरे बस की नही आती हुन बुला के..





जुली छत पे जाती बुलाने

जुली चलिए जी खाना रेडी है ..चलिए भैया खाना रेडी है

तीनो चल देते हैं सबसे आगे जुली फिर राकेश उसके पीछे बिमलेश..

जुली आगे आगे जा रही थी एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी पे पैर रखती तो गाँड़ आगे हो जाती ..
राकेश- अपनी एक उंगली जुली की गाँड़ की दरार में डाल देता था..

पीछे से बिमलेश देख रहा था और आहें भर रहा था..
राकेश बार बार कर रहा था...

जुली धीरे से- अरे जी पीछे भैया है...

राकेश- थोड़ा जोर से तो क्या हुआ दोस्त है .मेरा वो ..

जुली- धत्त आप भी ना..


खाना रेडी हो गया था डाइनिंग टेबल पे मम्मी पापा तो थे नही सब एक बार मे हिं खाना लगा लिए 6 लोग थे सब बैठ गए......

राहुल- आआआह बहुत हिं मस्त खुशबू आ रही है लगता है कुछ बेहतरीन बना है..

खुशी- हाँ मेरे देवर की फेवरेट पालक पनीर ...

राहुल- वाह फिर तो आज समझो गर्दा उड़ जाएगा रोटी की...

बबली- हा हा हा हा पेटू राहुल

राहुल- देख बबली खाने के कोई माजक नही मेरी फैवरेट बनी है तो खाऊंगा हिं न..

बबली- हाँ खा ले खा ले ..

राहुल - ऐसे न बोल जब तुम्हारी राजमा चावल बनती है कैसे ठूस ठूस के खाती हो..मैं नजर लगाता हूँ..

बिमलेश- अरे भाई झगड़ा न करो जिनको जितना खाना है खाओ..

खुशी- अरे जी! ये झगड़ा नही भाई बहन की प्रेम है देखते हैं दोनों एक दूसरे के बिना रहते हैं ये तो बस क्षणिक है ...

जुली- हां भाभी मैं तो यही चाहती हूं इनदोनो के बीच ऐसे हिं प्रेम बना रहे .....

राहुल- क्या दीदी आप भी न इनदोनो मतलब आपसे मेरा बैर है क्या ?

जुली- अरे नहीं छोटे मेरा कहने का मतलब ये नहीं है तुमदोनो को तो बचपन से देखती आई हूं दोनों एकदूसरे के बिना रह नहीं पाते हो..

राहुल- हाँ..क्या दीदी मेरी फेवरेट और सबसे लास्ट में मेरी प्लेट में हिं..

जुली दी- अरे घबराओ नहीं छोटे बहुत सारा है ..

राहुल- जैसे हिं प्लेट में मिलता है आआआह कितना मस्त स्वाद है पनीर का आआआह भाभी मज़्ज़ा आ गया....

खुशी- देवर जी मेरी क्रेडिट कम है ज़्यादा तो मेरी प्यारी ननद रानी जुली की है मैं तो 1 हिं मिलाई थी ननद तो 2 मिलाई ..

राहुल- क्या 1 मिलाए 2 मिलाए...

खुशी भाभी- देवर जी मैं एक चम्मच घी मिलाई थी..फिर जुली ने 2 चम्मच और मिला दी वही वजह से टेस्ट आया..

बिमलेश- वाकई में जुली बहुत मस्त बानी है अच्छा की 2 चमच्च घी मिला दी...

राहुल- अपनी तिरछी नज़र से जुली दी और भभी पे हिं रखा था वो नोटिस किया खुशी भाभी मंद मंद मुस्करा रही थी..

खुशी भाभी- जुली दीदी से अच्छा की ननद जी लगता है आप नो 2 चमच्च घी मिलाए बाद में वही घी देवर जी को मिला ..

राहुल- कैसे भाभी मुझे कैसे मिलती दीदी तो मुझे सबसे बाद में दी थी न

खुशी भाभी- अरे देवर जी एक साइड से दे रही थी न ..बाद में जुली दीदी चुन के तुझे हिं दे दिए हा हा हा हा....

जुली दी- क्या भाभी आप भी न धत्त ..

इसी तरह खाना पीना हो गया..दीदी और भाभी किचेन में साफ सफाई करने लगे ..

किचेन में...

खुशी- ये ननद रानी देख ली न तुम यदि अपनी गुफा में पनीर नहीं डालती तो इतना अच्छा नहीं लगता मुझे तो लग रहा है राहुल के थाली में मेरी ननद रानी की बुर वाली हिं टुकड़ा चला गया था

जुली- धत्त भाभी आप तो वही स्टार्ट हो गए थे

खुशी- क्या करती खुद को रोक नहीं पाई एक बहन अपनी चुत में डाल के पनीर खिलाएगी देख के तो कुछ होगा हिं न

जुली- धत्त भाभी ऐसे भी न करो मैन नही बोली थी ऐसा करने...मैं तो बस माजक की आप तो सीरियस हिं कर दिए...

इधर मैं

मुझे तो जल्दी से मोबाइल लगाना था बेड के पास ..मैं छोटा मोबाइल को मीटिंग मोड में करके अपने नंबर पे कॉल लगा दिए और जल्दी से ऊपर चला गया....

जीजू छत पे हिं टहल रहे थे...

राकेश- क्या हुआ साले साहब कुछ ज्यादा खा लिए क्या...

राहुल- हाँ जीजू मेरी फैवरेट है और आज दीदी कुछ ज्यादा हिं अच्छा बनाई थी.....

दोनों टहल रहे थे

राकेश जीजू- ये पेड़ सब के पत्ते से तो छत भरा हुआ है

राहुल - हाँ जीजू छत के ऊपर जो टहनी आ गयी है उसी का झर गया है..

जीजू- ये भेपर लाइट में तो चमक रहा है..

राहुल- हाँ जीजू बहुत रोशनी है इस लाइट में और छत पे हिं मुंह इधर हिं है..और तीनों तरफ तो घर है नहीं उस तरफ है तो मोन्थ में कभी कभार आते हैं फिर चले जाते हैं ..

जीजू- अच्छा फिर तो बहुत डरावना है

राहुल- हाँ जीजू आस पास घर भी नहीं है और रात में तो कोई छत वे आता भी नहीं हवा में पेड़ इस तरह हिलता है कि डर लगने लग जाता है

जीजू- हां ये बात तो है..


राहुल- इसलिए तो पापा बहुत मसक्तत कर के ये लाइट लगवाए है

जीजू- हां रौशनी भी बहुत है छत पे आराम से क्रिकेट खेल सकते हो..इस तरफ..

राहुल- हा हा हा सही बोले जीजू

जीजू- आ रहा हूँ बतरूम से और नीचे चले जाने लगते हैं

राहुल- हाँ मैं भी थोड़ा और टहल लेता हूँ नींद भी बहुत आ रही है आज ..

जीजू के जाते हैं राहुल जल्दी से मोबाइल को कोने वाली साइड में जिस तरफ फेस रहती है वहां कोने में छुपा देता है..और रूम से निकल जाता है..

और सीढ़ी से नीचे आने लगता है बीच मे उसे जीजू मिलता है

जीजू- पच गया खाना.

राहुल- अभी कहां जीजू ओवरलोड है और आज नींद काफी आ रही है आज ऑफ कोई पढ़ाई नहीं मैं चला सोने अब

जीजू- गुड नाईट

राहुल- गुड नाईट जीजू...


और अपने कमरे में आ जाता है और ब्लूएटूथ कनेक्ट कर लेता है..

करीब 5 मिंट बात कान मैं उस सुनाई पड़ता है ..

जुली दी- अरे जनाब अभी टॉस भी नहीं हुआ है और प्लेयर को नींद आ रही है

राकेश जीजू- आ गयी अरे मैं तो बैटिंग प्रेक्टिस कर रहा हूँ..

जुली दीदी- वाह फिर तो बोलिंग बैटिंग फीलिंग सब अच्छी होगी...

जीजू- सब वो भी हाई लेवल की..

जुली दीदी- ऐसे जनाब खेलेंगे आज कौन सी फॉरमेट.

राकेश- ओ डी आई खेलेंगे उसमे T10 और T20 भी समल्लित रहेगा...

जुली दीदी - मतलब बैट्समैन 2 टैबलेट खा के आये हैं

जीजू- वाह अ-पोजीशन काफी मजबूत लग रही है..

जुली दीदी- हाँ बिल्कुल तैयार होक फुल मूड में आई है..

जीजू- (थोड़ा कम वौइस् आता है) आआआह डार्लिंग मैच तो बाहर खेलने में मज़्ज़ा आएगा बंद कमरे में कहीं मैच होता है

जुली दी- पागल हो गए हैं जी खुली छत पे कैसे ..

जीजू- अरे आस पास कोई घर भी नहीं है नीचे से कौन आएगा यूजर अभी राहुल यही था उसको नींद लगी है गया सोने...तुम्हारे भैया तो भाभी पे चढ़ेंगे मम्मी पापा है नही बबली रात में छत पे आएगी क्यों वैसे भी राहुल बोल रहा था डर की वजह से नहीं आते हैं कोई...

जुली दी- लेकिन फिर भी बगल वाले छत वाले आ गए तब..

राकेश जीजू- राहुल बोल रहा था कि कभी कभार आते हैं वैसे भी हमलोग उस तरफ मैच खेलेंगे इस घर के पीछे उस छत पे कोई आएगा भी तो नहीं देख पायेगा...
और इस छत वाली गेट लॉक कर देना...कोई आएगा भी नहीं...


जुली- वाह मतलब यही प्लान बना रहे थे क्या...

राकेश- नही पहले का कोई प्लान नहीं अभी बनाये हैं

जुली- आआआह मतलब पहले पंखा दिखा के चोदते थे और आज तारा (स्टार) को दिखा के चोदीएगा...ऐसे भी एक हिं कमरा में चुदवाते चुदवाते बोर हो गयी हुन....



इधर मेरा हाल बुरा था मैं जल्दी से अपना गेट ओपन किया और बाहर से हल्का लगा दिया और बिना चप्पल पहने छत की और जाने लगा कहीं गेट बंद न कर दे मैं दबे पावँ छत पे चढ़ गया और उस तरफ पानी की टंकी के पीछे जा के बैठ गया ..वहां से उस तरफ वाली छत भी दिख रही थी और दीदी जीजू का गेट भी और सामने भी ...


जीजू- वो प्लस्टिक में देखो न क्या है...

जुली दी- कौन सी प्लास्टिक में

जीजू- वो वाली

जुली दी- बाप रे! ये क्या मुझे ये पहना के मैच खेलोगे


जीजू- और नहीं तो क्या

जुली- मुझे तो होगी भी नही ऐसी लग रही है

जीजू- तुम्हारे साइज का हिं है हो जाएगा तब न मेरी बीबी बोम्ब लगेगी

जुली दी- अच्छा ऐसे नहीं लगती क्या ये देखो....


इधर मैं पानी टंकी के पीछे बैठा हुआ था मेरी कान दोनों की बातों को सुनरहा था और आंख गेट की और....
 
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