UPDATE 3
शेखर का मूड मनीषा ने खराब कर दिया था, पहले वह रात को मनीषा के पास जाने का मन बना चुका था मगर अब उसने ये ख्याल छोड़ दिया था। रात के 9 बजे थे सब काम निपटा के मनीषा कमरे आई और दिन की बात सोचकर उसे लगा पापा नाराज हो गए हैं क्योंकि सारे दिन फिर शेखर ने मनीषा से रुख नहीं मिलाया था जबकि मनीषा सोच रही थी आज रात पापा कुछ धमाका जरूर करेंगे लेकिन उनकी बेरुखी उसे परेशान गई थी, उसने फोन उठाया और शेखर को msg किया,
क्या हो रहा है पापा
शेखर ने देखा और जवाब दिया
कुछ नहीं बस सोने की तैयारी कर रहा हूं
आप नाराज हो गए क्या पापा
हां और नहीं भी,,,
मतलब,,,
शेखर बोला जिस तरह तुमने रिएक्ट किया था मेरे नाप मांगने पर मुझे अच्छा नहीं लगा।
सॉरी पापा मैं थोड़ा नर्वस हो गई थी, मुझे यकीन था राहुल ही जीतेगा और मेरा छुटकारा हो जायेगा इस नाप के झमेले से।
अगर तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है तो मैं ये शर्त छोड़ता हूं मेरी तरफ से तुम आजाद हुई।अब तुम्हे ये नाप कभी नहीं देना पड़ेगा, में कल ही साड़ी वापस कर दूंगा।
नहीं नहीं पापा शर्त तो मैने लगाई थी और मैं शर्त हार गई हूं, आप शर्त वापस नहीं ले सकते हैं, आप बताइए कब चलना है नाप देने मैं तैयार हूं।
शेखर अब दूसरी बात सोच रहा था क्योंकि जिस तरह से मनीषा के हावभाव हैं वो कभी राजी होती है तो कभी एकदम बदल जाती है, उसे में पता था कि मनीषा दिल से तैयार हो चुकी है चुदाने को, वो तो अभी भी ये मानकर चल रहा था कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है तो वो दूसरी तरह से मनीषा को फंसाने का सोच रहा था और फिलहाल नाप का आइडिया drop करने का मन बना चुका था। इसलिए बोला
अभी रहने दो, तुम्हारी शर्त उधार रही, में कुछ समय बाद इसे पूरा करवाऊंगा और शर्त के हिसाब से को में कहूंगा वो तुम्हें करना होगा बिना कोई सवाल किए।
पर अभी क्यों नहीं पापा
नही नहीं अभी नहीं बाद में ही।
मनीषा ने बुझे मन से लिखा ठीक है जैसी आपकी मर्जी।
शेखर ने तुरंत फोन बंद कर दिया बिना bye या कुछ और बोले, मनीषा सन्न रह गई और चुपचाप सोने की कोशिश करने लगी आज बहुत उदास थी वो, उसके अरमान पूरे जो नहीं हुए थे।
इधर शेखर मनीषा के रूप यौवन से आहत बुरी तरह मचल रहा था और उसका लंड तन्नाये जा रहा था, वो उठकर अरुणा अपनी बीबी के कमरे की ओर चला जाता है, और कमरे में घुस कर दरवाजा बंद कर देता है अरुणा चौंक जाती है आज अचानक ये यहां कैसे और आते ही लॉक क्यों कर दिया , पूछती है
क्या बात है आज अचानक रोज तो अपने कमरे में ही सोते हो , यहां कैसे?
शेखर कुछ बोलता नहीं और जाकर सीधा अरुणा को बांहों में भर लेता है और चूमना शुरू कर देता है उसका खड़ा लंड अरुणा के पेट में चुभने लगता है वो समझ जाती है आज महाशय बड़े मूड में हैं। मगर अरुणा का मन आजकल सेक्स में नहीं लगता है वो तो पूजा पाठ और भगवान में खुद को डुबो चुकी थी।
अरे अरे छोड़ो छोड़ो ये क्या है और शेखर को धक्का देकर दूर कर देती है। शेखर पलंग पर बैठ जाता है और हाथ पकड़ कर अरुणा को पास बिठा कर बोलता है
यार अरुणा तुम कैसा कर रही हो देखो ये कैसा मचल रहा है।
तो मैं क्या करूं अब मैं ये सब छोड़ चुकी हूं, अपने हाथ से कर लो और जाओ अपने कमरे में , मुझे बक्शो।
देखो अरुणा अभी तक मैं हाथ से ही काम चला रहा था लेकिन अब मुझे चूत चाहिए में बिना चूत के रह नहीं सकता हूं, ऐसा कहकर अरुणा का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है, अरुणा हाथ हटा देती है और कहती है मुझे नहीं चाहिए आप जाओ और कोई औरत ढूंढ लो उसे चोदो मुझे कोई प्राब्लम नही है मगर मुझे माफ करो।
अरे क्या मेरी बेइज्जती करवाओगी इस उम्र में , बाहर कहीं गया तो नाम तो तुम्हारा ही खराब होगा।
तो क्या ऐसा करो घर में ही देख लो कोई आस पास अपने परिवार में।
यार क्या बात करती हो, वहां भी तो बदनामी हो सकती है और अपने घर में बेटियां है तौबा तौबा उनके साथ तो सोच भी नहीं सकता हूं।
अच्छा ऐसा है तो बहु के बारे में सोचो, देखो कैसी गदरई जवानी झलकी पद रही है, नई नई शादी हुई है और राहुल भी लंबे समय से बाहर है श्वेता के पति की सेवा में और उसे अभी छह महीने और लगेंगे आने में, तब तक बेचारी क्या चूत दबा कर पड़ी रहे।
शेखर को आशा नहीं थी अरुणा से ऐसे रिस्पॉन्स की वो तो उसे बोलने से डर रहा था, यहां तो अरुणा ने सामने से ओपन ऑफर दे दिया है लेकिन ड्रामा तो बनता है ऐसे कैसे आसानी से मान जाऊं।
क्या बात कर रही हो तुम, मुझे तो डर लगता है कहीं किसी बेटी से कह दिया तो मुंह क्या दिखाऊंगा अपनी बेटियों को।
अरे डरते क्या हो उसकी जवानी और उसके चलने फिरने के अंदाज को देख कर दावे से कह सकती हूं वो लंड की प्यासी है, उसकी आंखों को तुमने गौर से नहीं देखा है में रोज देखती हूं, साफ दिखता है जैसे किसी मोटे लंबे लंड की राह देख रही है, में कुछ कहती नहीं हूं कि मुझे क्या करना है, में भली और मेरे भगवान भले, मगर अब तुम्हारी बैचैनी देख कर लग रहा दोनों का काम बन सकता है।
यार अरुणा मुझे तो फिर भी डर ही लग रहा है, एक बात बोलूं।
हां बिंदास बोलो पतिदेव।
यार तुम कुछ मदद करो ना मेरी।
कैसी मदद और मैं क्या मदद कर सकती हूं।
यार तुम उसको तैयार करो ना मेरे लिए, औरत औरत की बात जल्दी मान जाती है।
लेकिन कैसे।
उससे पहले ज्यादा घूलो मिलो और दोस्ती बढ़ाओ , सेक्स की बातों से पटा कर, फिर धीरे धीरे मेरी ताकत स्टेमिना और लंड की साइज मोटाई और लंबाई बता कर उसे रिझाओ, होगा तो मैं अपने खड़े लंड के फोटो तुमको भेज दूंगा उसको दिखा कर उसकी प्यास इतनी बढ़ा दो कि वो खुद तुमसे कहे की पापा को मुझ पर चढ़ावा दो मम्मी जी,।
सोचती हूं, मैं सोच रही हूं क्यों न मेघा को बुला लूं, जवान बहु जवान बेटी की बात सुन कर नाराज नहीं होगी फिर धीरे से में भी मेघा के साथ मिलकर बहु को तैयार करूंगी, दोहरे आक्रमण से उसका बचना नामुमकिन होगा। क्या बोलते हो।
हां यार ये सही तरकीब है अरुणा तुम्हारी।
आप ऐसा करो सुबह मेघा को फोन लगाओ और कहो मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है थोड़े दिनों के लिए यहां आ जाए।।
शेखर के मन में खुशी के लड्डू फूट रहे थे, मनीषा के मिलने तक मेघा तो मिलती रहेगी ना, और अब तो अरुणा भी ओपन हो गई है क्या पता मेघा के लिए भी मान जाए, चलो देखते हैं, क्या होता है, दो दो चूतों के प्रबल योग बन रहे हैं शेखर बाबू, ये सोचते हुए वो अपने कमरे की ओर चल पड़ा।