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Incest Aaah sisak jawani ki II in continuation of ankitarani

मनीषा और शेखर के रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए कौन मदद करे

  • मेघा

    Votes: 4 44.4%
  • मां अरुणा

    Votes: 5 55.6%
  • नेहा

    Votes: 1 11.1%
  • या कोई महिला रिश्तेदार

    Votes: 0 0.0%
  • शीला भाभी

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    9
  • Poll closed .

Delta101

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में तो लिखता रहूंगा चाहे आपको पसंद आए या न आए।
This is the spirit! अगर लेखक इसी मनोबल के साथ लिखे तो कोई कहानी अधूरी न रहे.

तुम लिखते रहो भाई. मैं पूरी कहानी पढ़ने के बाद उसे पसंद या नापसंद करूंगा :)
 
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lawless

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Update?????
 

Motaland2468

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Oh sorry, I didn't kept my promise, but soon, actually I am not getting that kick to write but until I write I won't get that, surely I must write first
Bas nikal gayi hawa
 

mastmast123

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सुबह शेखर ने मेघा को फोन कर के बुला लिया, और अरुणा के साथ क्या बात हुई सब बता दिया।

मेघा अच्छा पापाजी अब बेटी के बाद बहु पर चढ़ने की तैयारी की जा रही है, में तो पहले ही समझ गई थी मनीषा की जवानी देखकर आपके लंड में भूचाल आ जायेगा और देखिए हुआ भी यही है, ये अच्छा हुआ मम्मी मान गई है हमारी हेल्प को
शेखर - लेकिन तुम को ये पता नहीं है कि अरुणा मान गई है तुम चुप ही रहना जब तक वो खुद तुमसे इस बारे में बात नही करे।
मेघा - हां समझ गई, लेकिन मनीषा से कहां तक बात पहुंची ये तो बताइए
शेखर - नहीं कुछ भी नहीं, शेखर झूठ बोल रहा था वो नहीं चाहता था किसी को मनीषा और उसके बारे में पता चले, वो चाहता था जो भी अब हो नेचुरल तरीके से हो, मनीषा को ये औरतें ही उसके लिए पटाए और ये बात वो मनीषा को भी नहीं बताना चाहता था, उसने मनीषा से बात करना बंद कर दिया था और उसके msg भी रिसीव नहीं कर रहा था, उधर मनीषा बड़ी परेशान थी कि पापा को क्या होगया है, न बात कर रहे हैं न फोन उठा रहे हैं न ही msg ले रहे हैं, शायद उस दिन की मजाक का बहुत बुरा लग गया है क्या करूं, कुछ समझ नही आ रहा है सामने आने से भी कतरा रहे हैं, इतने लोगों के सामने अब उनसे कैसे बात करूं, अब तो मेघा दीदी भी यहीं आ गई है, हे राम अब क्या होगा।
इसके बाद अंदर जाकर मेघा ने जाकर अरुणा के पैर छुए और पूछा कैसी हो मम्मी, वो बोली ठीक हूं, तुझे मैने एक खास काम के लिए बुलाया है।
क्या? मेघा ने पूछा।
अरुणा बोली अभी घर के काम निपटा लें फिर आराम से बताऊंगी, इतने में मनीषा भी आ गई उसने मेघा के पैर छुए और बोली आपका स्वागत है कितना अच्छा हुआ आप आ गई मैं अकेली बहुत परेशान हो गई थी और मेघा के गले लग गई उसकी आंखों से दो बूंद आंसू की टपक गई, जिसे अरुणा न देख पाई मगर मेघा ने देख लिया उसने इशारे से मनीषा को चुप रहने का इशारा किया और कहा हां मनीषा मेरा भी मन न जाने क्यों तुमसे मिलने का हो रहा था चले कुछ काम निपटा लें फिर आराम से बात करेंगे और उसका हाथ पकड़ कर दबाया और आंखों से दिलासा दी, तब तक अरुणा किचन की तरफ चली गई थी, तो मेघा ने मनीषा के गाल उंगली और अंगूठे से पकड़ कर मरोड़ते हुए कहा, क्या मेरी भाभी की आंखों में जो आंसू है वो वो कहीं और का पानी तो नही है, मनीषा मतलब
मेघा इतनी कट्टर जवान और इतना कहते हुए उसके एक बोबे को चपत मारते हुए बोली इतने बड़े बड़े उचकाए हुए फिरती हो तो कहीं तो तुम्हारी टांगों के बीच खुजली मचाती होगी और कोई मोटा तगड़ा हथियार मांगती होगी जो तुमको मिल नहीं रहा होगा तो उसका रोना तुम्हारी आंखों से टपक पड़ा। इतना बोल कर उसने मनीषा को गले से लगा लिया और बोली मैं समझती हूं तुम्हारी हालत नई नई शादी हुई और पति भी पास नहीं है क्या गुजर रही होगी तुम पर, इस जवान शरीर की आग तो एक मोटे ताज़े तगड़े लंड से ही बुझती है मनीषा।
मनीषा ये क्या कह रही हो दीदी आप, ऐसे कैसे आप मेरी हालत जान सकती हो।
मेघा पहले ये बताओ मैने जो कहा वो सही है कि नहीं, ये बातें दोनों एक दूसरे के गले लग कर रही थी और दोनों के अलावा वहां कोई नहीं था।
मनीषा ने कुछ न बोलते हुए हां के रूप में धीरे से सिर हिलाया, तब मेघा ने अपने दोनों हाथों को आगे लाते हुए मनीषा के दोनों कठोर स्तनों को हथेलियों में जकड़ते हुए जोर से दबा दिया और उंगलियों और अंगूठों से दोनों निप्पलों को इस तरह से मरोड़ना शुरू किया होले हौले कि मनीषा मस्त हो गई और धीरे से मेघा के कंधे पर सिर रखकर उसके कान में बोली दीदी में जल रही हूं तड़प रही हूं टपकती रहती हूं हरदम, एक आप ही जो आते ही पहली नजर में मेरी व्यथा समझ गई हो, आप को में अपने मन की सारी बात अब बता सकूंगी। मेघा का चूचियों को प्यार से उमेठना बदस्तूर जारी था, फलस्वरूप मनीषा की चूत से रस रिसना प्रारंभ हो गया था रस की चिकनाहट जब दोनो जांघो तक पहुंची मनीषा ने दोनों जांघें आपस में रगड़नी शुरू कर दी, मेघा बोली अभी तुम जाकर बिस्तर पर सो जाओ , में मम्मी से कह दूंगी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है और वास्तव में तुम्हारी चूत अभी बहुत रो रही है में थोड़ी देर में मां का काम करवा कर उनसे मिल कर तुम्हारे पास आती हूं फिर इसका इलाज भी करूंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो जब तक ये तुम्हारी चूत पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जायेगी तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी।
इतना कहकर मेघा ने मनीषा के बोबे छोड़ दिए और अपने हाथ पीछे ले जाकर मनीषा की सुडौल गांड को अपने दोनों हाथों भरकर जोर जोर से दो मिनिट तक मसला और कान में पूछा मेरी मनीषा रानी को कुछ आराम मिला, आदमी का तो नहीं लेकिन एक सेक्सी औरत का हाथ है, चूचों और गांड को थोड़ी तो तसल्ली मिली होगी रानी।
मनीषा दीदी आपने मेरा दर्द समझा और कितनी आसानी से अपना बना लिया मुझे, थैंक यू वेरी मच, मेरे बॉब्स और और मेरी गांड आपकी शुक्रगुजार है, इतना कहकर मनीषा मेघा के चुंगल से छूट कर अपने कमरे में भाग गई।

कैसा लगा ये वार्तालाप दोनों नानंद भौजाई का कृपया बताएं ताकि आगे और ये रसप्रद हो सके।
धन्यवाद।
 
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Kawal Kumar

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Awesome
 

mastmast123

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अब आगे
मनीषा अपने कमरे में आई , दरवाजा लगाया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया कि दरवाजा लॉक नहीं हुआ था, सिर्फ अटका था और वो समझ रही ठीक के लॉक हो गया है। मनीषा बहुत गर्म हो गई थी मेघा की बातों से और उसकी बोबा मसलाई से।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करे कैसे करे चूत की भट्टी को शांत करे। उसे ध्यान आया मेघा ने कहा था थोड़ी देर में आती हूं फिर तेरी भूख शांत करूंगी। मनीषा ने खुद को कंट्रोल किया और बिस्तर पर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी।
इधर अरुणा किचन में थी मेघा भी पहुंची और उसका हाथ बटाने लगी, काम करते करते उसने पूछा मम्मी आप कुछ खास बात करने वाले थे बताओ क्या है। अरुणा बोली करना तो है पर शांति से बैठकर काम खत्म कर के मेरे रूम में बैठ कर करेंगे, मनीषा क्यों नहीं आई,
उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी तो मैने उसे सोने के लिए भेज दिया।
ठीक है कहकर अरुणा और मेघा काम में लग गए दोनों थे तो काम आधे घंटे में हो गया। फिर दोनों कमरे में आए, अरुणा बोली बैठ मेरे पास बताती हूं।
अरुणा बोली देख बेटी मैने सब बेटियों को प्यार से पाला है और अच्छे से अच्छे संस्कार दिए हैं कि नहीं
हां न मम्मी आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो।
बात कुछ ऐसी है जो जरा हट के और तू शादीशुदा है तो मैने तुझको बुलाया है मेरी मदद के लिए, यहां नेहा भी है मगर उससे ऐसी बात नहीं कर सकती हूं।
क्या बात है मां इतनी भूमिका क्यों बांध रही हो क्या और कैसी बात है।
देख मेघा अब मैं इस उम्र में पूजा पाठ में लगी रहती हूं मैंने अपना मन वहां लगा लिया है, मगर इस सब के चलते मैं उनका ध्यान नहीं रख पा रही हूं जैसा रखना चाहिए और वो बहुत परेशान रहते हैं।
मेघा मगर मैने तो उनको तो बहुत खुश खुश देखा है अभी।
नहीं ये वैसी बात नही है, वो जरा हट के है।
मतलब
अब मैं कैसे बताऊं शर्म भी आ रही है और बताना भी बहुत जरूरी है
मेघा ने मां के दोनों को पकड़ लिया और प्यार से बोली बात कैसी भी हो आप बेझिझक कहो मैं बिल्कुल बुरा नही मानुगी और आपकी पूरी पूरी मदद करूंगी।
अरुणा वो बात ऐसी है वैसे तो सब ठीक है लेकिन मेरा मन अब उस काम में नही लगता है और मैं तेरे पापा का साथ नहीं दे पाती हूं और उनको तो रोज रोज चाहिए।
क्या चाहिए, मां आप खुलकर बोलें न मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
अरुणा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और सिर नीचे कर के धीरे से बोली बिस्तर में साथ नहीं दे पाती हूं और बेचारे दुखी होकर रोज ऐसे ही सो जाते हैं।
मेघा अच्छा अब समझी, मगर मैं कैसे मदद कर सकती हूं ये तो केवल आप ही कर सकती हो आपके अलावा कौन है यहां जो कुछ कर सके।
अरुणा एक है जो कर सकती है
कौन
एक है इस घर में जो खुद भी इसी आग में जल रही है, मैने उसको एक दिन पूरी नंगी देखा है और एक लंबा मोटा बैंगन ले कर अपनी चूत में डाल कर सो रही थी, उसको शायद ऐसे ही चूत फंसा कर थोड़ी देर अच्छा लग रहा था , वो खिड़की बंद करना भूल गई थी, मैने देख लिया था मगर मैं कुछ नहीं बोली और चली आई।
कौन है वो मां और आगे क्या हुआ
बेटी वो और कोई नहीं मेरी नई नवेली बहु मनीषा है
क्या बात कर रही हो मां वो तो तो बहुत भोली और सीधी है, मेघा ने झूठ बोली मां के सामने,जबकि वो अभी अभी मनीषा के बॉब्स और गांड सहला के आ रही थी
हां बेटी वही है, कोई भी औरत ऐसी चूत की आग की बात किसी से नहीं करती है, अब अरुणा खुल कर बोल रही थी।
उसके बाद क्या हुआ और आगे बताओ
अब जब मैने तेरे पापा को बहुत उदास देखा तो कल रात को पूछा क्या बात इतने उदास और दुखी क्यों हो जाते हो जब भी कमरे में सोने आते हो, तब उन्होंने बताया कि उनका लंड उनको बहुत परेशान करता है, तब मैंने उनसे कहा देखिए मैं तो अब इस उम्र में इस में intrested नहीं हूं आप कोई पटा लो मुझे कोई ऑब्जेक्शन नहीं है वो बोले बाहर किसी से बात करू तो बदनामी का डर है करूं तो क्या करूं तब मैने उनको मनीषा की चूत की अग्नि की बात बताई और कहा आप तो इसको पटा लो घर की बात घर में ही रहेगी और बदनामी का ही कोई डर नहीं रहेगा। वो बोले पसंद तो मुझे भी है क्या मस्त बड़े बड़े बोबे है और क्या हाहाकार गांड है उसकी, लेकिन मुझे डर लगता है कहीं नाराज हो गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे, ऐसा क्यों नहीं करती अरुण तुम के तुम खुद उसको तैयार करो मेरे लिए क्योंकि एक औरत दूसरी औरत की बात का इतना बुरा नहीं मानती है। तब मुझे उस समय तेरा ख्याल आया कि तेरी मदद लेती हूं और तुझे आज ही बुला लिया। बेटी अपने पिताजी और अपनी भाभी की मदद कर दोनों को मिलाने के लिए। अब तू ही कोई तरीका निकाल।
मेघा को तो पहले शेखर के दिल की बात पता थी कि वो मनीषा को चोदने की फिराक में है लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं और मनीषा की चूत की तड़प अभी देख कर आ रही है। वो अनजान बनकर मां के सामने सोचने का नाटक करने लगी, पहले वो अकेली पड़ रही थी मनीषा को पटाने में लेकिन अब मां के साथ होने से उसको ज्यादा हिम्मत मिल गई वो बोली मां एक काम हो सकता है मनीषा की कोई ऐसी कमजोरी हमको मिल जाए जिससे उसको गर्म करने में मदद मिले और धीरे धीरे उसको तैयार किया जा सकता है। देखते क्या हो सकता है अब आ गई हूं तो सोचती हूं फिर आपको बताती हूं।
तभी अरुणा को मनीषा की तबियत का ध्यान आया तो बोली चल उसको देख लेते है बिचारी की तबियत अब कैसी है।
और दोनों मां बेटी मनीषा के कमरे की और चल पड़ी।
 
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Update 2
शेखर मनीषा के चिढ़ाने की वजह से upset होकर अपने कमरे में आ गया था, यहां बैठकर वो आगे की प्लानिंग के बारे में सोचने लगा, मैं शर्त जीत चुका हूं और इसके मुताबिक मनीषा को नाप देने मेरे साथ आना होगा और न आना चाहे तो उसे अपने बूब्स का साइज मुझे बताना होगा, इसके साथ ही मैं उसे कुछ भी करने के लिए बोल सकता हूं जिसे उसे करना होगा ये बात शर्त रखते समय तय हो गई थी और उसने माना भी था अब वो इस बात से पलट नहीं सकती है। मान लो अगर वो साथ ना दे तब क्या किया जाए, किसी की मदद ली जाए?
लेकिन किसकी, मेघा से मैने पूछा था मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया, शायद वो चाहती न होगी कि मेरा और मनीषा का रिश्ता जुड़े, जलन की वजह से। फिर कौन है जिससे मदद की उम्मीद की जा सकती है।
अरुणा से अगर कहूं तो, नहीं नही वो क्या सोचेगी मेरे बारे में कि मैं अपनी बहु पर गंदी नजर रखता हूं, वैसे मुझे समझती है वो कि मैं एक शरीफ और सच्चा इंसान हूं, मेरी किसी भी बात का उसने आज तक बुरा नहीं माना है ना ही मेरी किसी इच्छा लालसा पर कभी लड़ाई की है, हां मुझे समझाने की कोशिश जरूर करती है लेकिन मैं उससे विनती करूं उसे आश्वस्त करूं तो वो मेरी बात मान भी लेती है, लेकिन ये तो बिलकुल बेहूदा इच्छा है , कैसे कहूं कि मेरा अपनी सगी बहु मनीषा पर दिल आ गया है और उसको सोचकर मेरा लंड तनतना जाता है और मैं उसे चोदने के लिए मरा जा रहा हूं, सच में बड़ी बेहूदा ख्वाहिश है ये तो, उससे कह पाना संभव नहीं है, चलो सोचते हैं, तभी उसे अपनी भाभी शीला की याद आती है जो उसके मामा के बेटे अरुण की पत्नी है, अरुण की शादी के आठ दिन बाद ही उसे शीला को चोदने का मौका मिल गया था, और उसने अपनी शादी होने तक लगभग दो साल तक शीला जम कर चोदा था। बहुत कमाल औरत है और बातों की जादूगरनी है, उसने अपनी सगी भाभी सरिता को भी मुझसे चुदवा दिया था, कमाल की convincing Power है उसके पास, यदि अरुणा से बात न बन सके तो क्यों न शीला भाभी को मदद के लिए बुलवा लूं, ये सब सोचकर शेखर के मन में मनीषा को पाने के लिए और तीव्र इच्छा मचलने लगी।
Mast mast update.
 
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