अब हुआ यूं कि दोनों बाप बेटे में ताकत की आजमाइश हुई, चूंकि पिछली बार शेखर जन बूझकर हारा था मतलब वो राहुल से ज्यादा ताकतवर है इसलिए आज पंजा लड़ाई में शेखर बड़े आराम से जीत गया, लेकिन मनीषा सोच रही थी राहुल जीतेगा और उसे पापा की जिद से छुटकारा मिल गया था लेकिन यहां मिसल उल्टी पड़ गई, जैसे नमाज पढ़ने गई और रोजे गले पड़ गए, शेखर ने जीतकर मनीषा की और देखा तो पाया उसके तोते उड़ गए थे , चेहरे पर चिंता की छाप थी कि ये क्या हो गया अब पापा जो भी कहेंगे उसे मुझे बिना किसी सवाल के मानना पड़ेगा, शेखर ने छुपी नजर से, जिसे कोई भांप न सके, मनीषा की और देखते हुए उसे इशारों में उसके बूब्स का साइज मांगा, मनीषा ने देखा पापा उसके बूब्स हो घूरते हुए हाथ से जैसे कोई नाप ले रहे हों ऐसा एक्शन किया , मनीषा समझ गई पापा उसके बूब्स का नाप मांग रहे हैं, मनीषा ने भी सबकी नजर बचाते हुए शेखर को आंखे दिखाई और ढीढता से शेखर का मुंह चिढ़ाने लगी सब राहुल की तरफ देखकर उसकी खिल्ली उड़ा रहे थे तो किसी ने भी ससुर बहु की कारवाई नहीं देखी, शेखर ने फिर इशारे में कहा मुझे चाहिए और आज रात ही चाहिए। और शेखर उठ कर अपने कमरे में चला गया। मनीषा समझ तो गई थी कि वो फंस गई है अब उसे पापा की हर बात माननी पड़ेगी, कहीं मेरी इस बात पर पापा नाराज होकर तो नहीं चले गए। ये मैने क्या कर दिया। वो दुखी हो रही थी मुझे इस तरह प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी, मैने ही ज्यादा आत्मविश्वास में आकर उनको चुनौती दे दी और अब जब में हार गई हूं तो उनको आंखें दिखा रही हूं, धिक्कार है मुझ पर , अब जब मैने शर्त रखी थी तो उसे भुगतना तो पड़ेगा, ऐसे पीठ दिखाकर भागना क्या उचित है। राहुल ने मनीषा से पूछा अरे तुम क्या सोच रही हो कहां गुम हो, तब मनीषा को होश आया कि वह सबके सामने बैठी है उसने कहा नहीं नहीं कुछ नहीं मैं आपकी हार से हतप्रभ हूं मुझे पूरी उम्मीद थी कि आप ही जीतोगे और मैं बच जाऊंगी, तभी उसे ख्याल आया क्या बोल गई, राहुल बोला बच जाओगी मतलब कहां फंस गई हो ओर मेरे जीतने से तुम कैसे बचोगी कुछ समझ नहीं आ रहा है। मनीषा सोच में पड़ गई क्या जवाब दे सच बोल नहीं सकती क्या करूं, फिर कुछ तिकड़म दिमाग में आई और बोली मैने भगवान से प्रार्थना की थी अगर आप जीत गए तो सवा पांच किलो मिठाई के प्रसाद का भोग लगाकर सबको बांटू गी और अगर आप हार गए तो ग्यारह सोमवार का उपवास करूंगी, तो मैं तो समझ रही थी आप ही जीतोगे लेकिन उल्टे मैं यहां बेकार में फंस गई, न लेने में न देने में।
राहुल ओह ये बात है तो वाकई में तुम फंस गई हो अब भुगतना तो पड़ेगा, खैर कर लेना उपवास कुछ पुण्य ही मिलेगा, अब मैं चलता हूं, मुझे श्वेता दीदी के घर जाना है, तभी नेहा ने इशारे में मनीषा से कहा देखो भाभी चला तेरा सैय्या दीदी चोदने।
मनीषा तो चाहती थी राहुल अगर नहीं रहेगा तो आजादी से खेल खेला जाता रहेगा अन्यथा मुश्किल होगी इसलिए ऊपरी मन से बोली दीदी के यहां बड़े लंबे समय रह लिए अब हम लोगों के साथ ही रहिए , मत जाइए, राहुल बोला तुम समझती नहीं हो जीजाजी की तबियत ठीक नहीं है और दीदी को हेल्प की जरूरत है इसलिए जाना पड़ेगा, मनीषा मन में हां श्वेता को लंड की हेल्प चाहिए न तुम्हारे, फिर मुंह से रुआंसे होते हुए बोली ठीक है फिर आप जाइए बेचारी दीदी का और कोई हेल्पर (यानी चोदने वाला)भी तो भी नहीं है जाइए आप जाइए और देखिए आप उनकी हर समय हेल्प ( चूदाई) कीजिएगा ताकि उनको जीजाजी की कमी महसूस न हो क्योंकि बेचारे वो तो बिस्तर पर पड़े हैं और दीदी बिचारी तकलीफ (लंड की कमी की) में रहती है आप मेरी चिंता न कीजिए पापा हैं यहां देखभाल ( दाना डाल रहे हैं फांस भी लिया है और शायद चोद भी देंगे जल्दी ही) के लिए, आप जाओ और ऐसा कहकर नकली आंसू बहाने लगी , नेहा और मां ने मनीषा को सम्हाला और राहुल से कहा तुम जाओ हम है देख लेंगे। राहुल घर से निकल गया, मनीषा को उसके रूम में छोड़कर दोनों उसे आराम करने का कह कर चली गई, मनीषा ने रूम लाक किया और पलंग पर लेट कर सोचने लगी यानी अब पापा के साथ नाप देने जाना पड़ेगा हाय मैं तो शर्म से मर ही जाऊंगी और अब वो जाने क्या करने को मुझे बोलेंगे, शर्त के मुताबिक मुझे उनकी बात माननी पड़ेगी और वैसा ही करना पड़ेगा, कुछ उल्टा सीधा बोल दिया या मांग लिया तो, ये सोचकर वो परेशान थी मगर उससे ज्यादा एक्साइटेड थी, उत्तेजना में बॉब्स में हिलोरे चल रही थी क्योंकि वो जानती थी शेखर को उसको लेकर क्या इरादे हैं, कुल मिलाकर उसे नीचे ही लेना चाहते हैं, उसकी जवानी भी बिना लंड के कसमसा रही है, यही सोचते सोचते उसकी चूत पनियाने लगी और बोबों में हलचल होने लगी, पापा ने इशारे में कह दिया है आज की रात ही नाप चाहिए उन्हें हर हाल में , हाय राम अब रात को क्या होगा, और वो उत्तेजना में सिसकने लगी।