I dreamed impossible dreams. And the dreams turned out beyond anything I could possibly imagine.लंगूर के किस्मत मे अक्सर अंगूर ही लिखा रहता है । और दुर्भाग्य कि अंगूर को भी लंगूर ही जचता है ।![]()
Waise love Guru ke role me Yug Purush bhai aur Love 1994 bhai Sahab hai jinhe aapki help karni chahiye thi.I dreamed impossible dreams. And the dreams turned out beyond anything I could possibly imagine.
You know, from my point of view, For some people, there is no succession plan. They just leave, and there's no getting over it..![]()
Waise love Guru ke role me Yug Purush bhai aur Love 1994 bhai Sahab hai jinhe aapki help karni chahiye thi.
Koi baat nahi , unka duty main hi kiye deta hu.
किसी सुंदरी के चेहरे और मुस्कान पर फिदा होकर सालम लड़की से शादी कर बैठना कहां की समझदारी है ?
औरत तभी तक मुहब्बत करती है जब तक कि कोई मुर्गा हमेशा के लिए फांस नही लेती , उसके बाद वही मुहब्बत बेरूखी मे तब्दील हो जाती है ।
जब हसीन औरत नाम की कम्पनी का शेयर होल्डर्स बनने से मतलब हल होता है तो उसका सोल प्रोपराइटर बनना भला क्यों जरूरी है ?
वैसे औरत असल मे ठहराव से , इत्मीनान से काबू मे आती है । अपने उतावले व्यवहार से आप उससे हामी भरवा भी लेंगे तो वो हामी दिली ख़ाहिश की नही , मुलाहजे की होगी । ऐसी हामी से आपको कुछ हासिल नही होने वाला , सिवाय इसके कि आप अपना ऊबाल ठंडा कर लेंगे ।
जो होना है वो आपकी हड़बड़ी के बिना होगा तो " सहज पके सो मीठा होए " जैसा होगा । पेड़ पर सहज पके फल की , कौन नही जानता कि , अपनी हीलज्ज्त होती है । आप उसे जल्दी तोड़ लेंगे तो उसे कच्चा , खट्टा , बदमजा पाएंगे । जबरन पकायेंगे तो भी सहज पके जैसी लज्जत नही पायेंगे ।
लगता है कुछ बड़ा ही अपडेट हो गया ।![]()
Waise love Guru ke role me Yug Purush bhai aur Love 1994 bhai Sahab hai jinhe aapki help karni chahiye thi.
Koi baat nahi , unka duty main hi kiye deta hu.![]()
किसी सुंदरी के चेहरे और मुस्कान पर फिदा होकर सालम लड़की से शादी कर बैठना कहां की समझदारी है ?
औरत तभी तक मुहब्बत करती है जब तक कि कोई मुर्गा हमेशा के लिए फांस नही लेती , उसके बाद वही मुहब्बत बेरूखी मे तब्दील हो जाती है ।
जब हसीन औरत नाम की कम्पनी का शेयर होल्डर्स बनने से मतलब हल होता है तो उसका सोल प्रोपराइटर बनना भला क्यों जरूरी है ?
वैसे औरत असल मे ठहराव से , इत्मीनान से काबू मे आती है । अपने उतावले व्यवहार से आप उससे हामी भरवा भी लेंगे तो वो हामी दिली ख़ाहिश की नही , मुलाहजे की होगी । ऐसी हामी से आपको कुछ हासिल नही होने वाला , सिवाय इसके कि आप अपना ऊबाल ठंडा कर लेंगे ।
जो होना है वो आपकी हड़बड़ी के बिना होगा तो " सहज पके सो मीठा होए " जैसा होगा । पेड़ पर सहज पके फल की , कौन नही जानता कि , अपनी हीलज्ज्त होती है । आप उसे जल्दी तोड़ लेंगे तो उसे कच्चा , खट्टा , बदमजा पाएंगे । जबरन पकायेंगे तो भी सहज पके जैसी लज्जत नही पायेंगे ।
लगता है कुछ बड़ा ही अपडेट हो गया ।![]()