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Romance Aashiqi - An Un Told Love Story (Completed)

Hero tera

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Chapter 9


अगले दिन दोपहर दो बजे

(सौम्या, दीवांक को कॉल करके सारी बाते बता देती है जैसा की आरुषि ने बोलने को कहा था, दीवांक को अब भी आरुषि पर विश्वाश था की वो उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती, सुबह जब आरुषि अपने बालकनी में कपड़े डालने आती है तब दीवांक उसका पहले से ही इंतज़ार कर रहा होता है, आरुषि अपने कपड़े डाल कर वापस चली जाती है बिना दीवांक की तरफ देखे, आरुषि के इस बर्ताव से दीवांक को सौम्या की बातो पर थोड़ा विश्वाश होने लगा था, उसके मन में अलग-अलग से ख्याल आ रहे थे लेकिन उसे फिर भी यक़ीन करना मुश्किल हो रहा था, वह कई बार आरुषि से बातें करने की कोशिश करता है लेकिन हर बार आरुषि उससे दूर ही भागती है, आरुषि के इस बर्ताव से दीवांक कुछ दिनों तक डिप्रेशन में चला चला जाता है वो न तो किसी से बात करता और न ही अपने घर से बाहर निकलता था, दीवांक के माँ-बाप उसकी हरकतों से परेशान होने लगे थे उसकी माँ सब कुछ जानती थी फिर भी जब दीवांक के पापा उससे पूछते हैं तो वह उन्हें कुछ नहीं बताती, लगभग पांच दिन बाद दीवांक अपने घर से बाहर निकलता हैं और सीधा अपने दोस्तों के पास जाता हैं)

(दीवांक को देखते ही) दीवांक के दोस्त मयंक "और भाई सब बढ़िया, इतने दिनों से कहाँ था?, तेरा फोन भी बंद आ रहा था"

दीवांक"नहीं यार कुछ भी बढ़िया नहीं है"

रेहान "क्या हो गया भाई, गैलफ्रैंड नाराज़ हो गयी हैं क्या"

दीवांक "नाराज़ नहीं बल्कि उसने मुझे छोड़ दिया हैं"

मनीष "क्या हो गया.....,सब ठीक तो हैं, वो तो तुझसे बहुत प्यार करती थी न फिर सडन यह सब कैसे?"

दीवांक "पता नहीं उसे क्या हुआ हैं...,मुझसे बात करेगी तभी तो मुझे पता चलेगा न, मेरे सामने आती तक नहीं हैं"


नंदू "ओ तेर्री भाई का भी ब्रेकअप हो गया, यार मेरा भी कल ही हुआ है (दीवांक के कंधो पर हाथ रखते हुए ) यार ये लड़किया तो होती ही है धोखेबाज़ इसलिए मेरी चार-चार गिर्ल्फ्रेंड्स है जिसमे से कल एक के साथ ब्रेकअप हो गया लेकिन अब भी तीन है.....तेरी कितनी है?"

(अपने दोस्त का हाथ कंधे से निचे करते हुए ) दीवांक "भाई मेरी एक ही थी और अब उसने भी मुझे छोड़ दिया, यार मैं उस धोखेबाज़ को भूल नहीं पा रहा, कुछ भी करता हूँ तो उसकी याद आती हैं, अब तुम लोग ही कुछ आईडिया दो उसे भूलने का ....."

नंदू "यार, आज कल तो एक गयी और दूसरी आयी, तू चल मेरे साथ मैं तेरी सेटिंग करवाता हूँ...."

दीवांक " नहीं यार, अब मुझे किसी भी लड़की के प्यार में नहीं पड़ना, कोई और तरीका है तो बता....."

नंदू "भाई तू चल, मैं तुझे ऐसी चीज़ से मिलवाता हूँ की अगली बार से तुझे सिर्फ वही याद रहेंगी ....."

(नंदू उसे पब में ले जाता हैं और उसे शराब पिलाता हैं, पहले तो दीवांक पीने से मना करता हैं लेकिन जब नंदू जबरन उसके मुँह में डाल देता हैं तब से वह अपने आप ही लेकर पीने लगता हैं, उस दिन के बाद से दीवांक को शराब की लत लग जाती है, वो अक्सर उस पब में ड्रिंक करने जाया करता था वो इस बात से अनजान था के उसे वहां कोई फॉलो कर रहा था और वो थी जसलीन उसके स्कूल की एक लड़की जो न चाहते हुए भी उस पब की डांसर बन गयी थी, जब वो एर्थ क्लास में थी तभी उसके शराबी पिता उसे पब के ठेकेदार के हाथो बेच दिया था तब से आज तक उसने बाहर की दुनिया नहीं देखी, कई बार वहां से भागने की कोशिश की थी लेकिन हर बार उस ठेकेदार के लोग उसे पकड़ कर ले आते थे, दीवांक को देख कर उसे एक उम्मीद नज़र आने लगी थी लेकिन दीवांक उसे नहीं पहचान पाया था वो पब में अक्सर सबसे अलग एक कोने में बैठ कर ड्रिंक करता था लेकिन जब वो शराब लेने जाता तब जसलीन उसे देखती थी, दीवांक को पब जाते हुए पांच दिन हो चुके थे, आरुषि भी अपने आप को बिजी रखने के लिए अपने दोस्तों के साथ "रॉक म्यूजिक" नाम से अपना एक यूट्यूब चैनल बनाती हैं और अपनी नई-नई वीडियो उपलोड करती रहती हैं उसके दोस्त भी उसका बहुत साथ देते थे )


छटे दिन जसलीन, दीवांक से बात करने आती हैं,

(हाथ बढ़ाते हुए) जसलीन "हाय, आई ऍम जस्सी उर्फ जसलीन"

(दीवांक उसकी तरफ देखता भी नहीं हैं, जसलीन अपना हाथ नीचे कर लेती हैं, वो देखती हैं दीवांक उस शराब की बोतल को खोलने में बिजी होता हैं, वो उसे कुछ और कहती उससे पहले उसके पब के लोग उसे चारो तरफ से घेर लेते हैं, जसलीन गुस्से में अपने सेट के पास जाती हैं )

जसलीन "सेट यह सब क्या हैं, तू मुझे अपना काम नहीं करने देगा"

सेट "क्या….तू अपना काम कर रही थी, तेरा काम स्टेज पर नाचना हैं लोगों से हाय हेलो करने के लिए तुझे यहाँ नहीं रखा हैं"

जसलीन "तू उसे नहीं जनता वो कौन हैं,पर्सनालिटी से वो बहुत अमीर घर का लगता हैं और अगर ऐसे लोगो को पटा लिया न तो सोच तेरे इस पब को कितना फ़ायदा होगा"

सेठ "वो क्या हैं न हमें तुझ पर अब विश्वाश करना मुश्किल होता हैं, कही तू फिर से हमें चकमा देकर भाग गयी तो?"जसलीन "यह सब पहले की बात हैं, अब मैंने इस जगह को ही अपना घर मान लिया हैं, यह जो तेरे टट्टू हैं न इन्हे कह दे मेरे और मेरे कस्टमर के बीच न आये"

सेट के लोग "वो तेरा कस्टमर हैं, देखने से तो तेरा पुराना यार लगता हैं"

(कॉलर पकड़ते हुए) जसलीन "तुझे तो एक घुसा मारने का मन करता हैं, तू ऐसे ही कह कर मेरे हर कस्टमर को भगा देता है, सेठ तू इसे कुछ कहता क्यूँ नहीं हैं?"

सेठ "चिट्ठु, जाने दे ......."

चिट्ठु "सेठ, जब यह भाग जाती हैं तो उसे ढूंढने में हमें प्रॉब्लम होती हैं"

सेठ "अबे,तुझे समझ नहीं आ रहा मैंने अभी क्या कहा हैं (जसलीन को देखते हुए)तू जा अपना काम कर"

जसलीन "थैंक्स सेठ(चिट्ठु के पास जाके) चल बे हट"

(जसलीन के जाने के बाद)

सेठ "तू लोग इस पर नज़र रख, बहुत तेज़ हैं यह"

जसलीन जब दीवांक के पास दुबारा जाती हैं तब तक दीवांक वहां से जा चुका होता हैं, वो अपने कमरे में जाकर एक पर्ची पर अपना नाम और फ़ोन नंबर लिख कर रख लेती हैं दीवांक को देने के लिए, वो उस दिन शाम तक दिवांक का इंतज़ार करती हैं लेकिन दीवांक नहीं आता हैं, अगले दिन फिर दीवांक उस पब में आता हैं, जसलीन उसे देख कर खुश हो जाती हैं, दीवांक फिर से एक बोतल लेकर एक कोने में चला जाता है, जसलीन उसके सामने जाकर खड़ी हो जाती हैं)

जसलीन "हाय दीवांक, मैं जसलीन"

(थोड़ी देर सोचने के बाद) दीवांक "हाय"

(खुश होते हुए) जसलीन "दीवांक, तुमने मुझे पहचाना...."

(बिना देखे) दीवांक "तुम मेरा पीछा क्यूँ कर रही हो?"

जसलीन "नहीं….मैं पीछा नहीं कर रही, मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं"

दीवांक "लेकिन मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी, तुम जा सकती हो"

(कागज़ का टुकड़ा देते हुए) जसलीन "यह मेरा नंबर हैं, अभी मैं कुछ भी नहीं कह सकती, यहाँ के सभी लोग मुझपर नज़र रखे हुए हैं, दीवांक मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए "

(दीवांक बोतल उठा कर, पीते हुए वहां से चला जाता हैं)

जसलीन "दीवांक प्लीज हेल्प मी .....दीवांक....दीवांक"

(दीवांक वहां से चला जाता है और अगले दस दिन तक उस पब में नहीं जाता, इस बीच आरुषि उसे कई बार मिलती हैं लेकिन हर बार वो दीवांक को अनदेखा करते हुए वहां से चली जाती है, जसलीन हर रोज़ दीवांक का इंतज़ार करती थी लेकिन हर शाम उसका निराशा से बीतता था, दीवांक जब ग्यारवे दिन जाता हैं तो जसलीन के दिल में फिर से एक उम्मीद जागने लगती हैं वो दीवांक से बात करने फिर जाती हैं लेकिन इस बार उसका सेठ भी देख रहा होता हैं इसलिए वो उससे बातें करने नहीं बल्कि डांस करते हुए उसे रिझाने जाती हैं, दीवांक उसकी तरफ नहीं देखता हैं, दीवांक उसकी हरकतों से इर्रिटेट होने लगा था जब वो दीवांक के कंधो पर हाथ रखती हैं तो वो उसका हाथ झिटक हुए उसको देखता हैं, जस्लीन के आँखों में आंसू था और होठों पर प्लीज हेल्प मी" ,दीवांक को लगा शायद यह लड़की सच में किसी मुसीबत में हैं इसलिए वो शांत होकर उसे देखने लगता हैं, जसलीन वो कागज़ का टुकड़ा जिसमे उसका नंबर लिखा हुआ था, दीवांक के हाथो में रख कर स्टेज पर डांस करने चली जाती हैं, दीवांक कुछ देर बाद वहां से चला जाता हैं और जाकर अपने घर के बेड पर लेट जाता हैं, सोचने लगता हैं कि वो पब की डांसर आखिर हैं कौन जो उसका नाम भी जानती हैं, वो उस नंबर पर कॉल करता हैं,

दीवांक "हेलो...."

जसलीन "हेलो दीवांक, दीवांक मैं जसलीन हूँ जिसे स्कूल में सब बोंदु नाम से बुलाते थे और मैं लास्ट बेंच पर बैठती थी, तुम्हे याद आया कुछ"

दीवांक "हाँ.......जसलीन तुम कितनी बदल चुकी हो, तुमने बीच में पढाई क्यूँ छोड़ दिया था?"

जसलीन "यार, क्या बताऊँ मेरी मम्मी के जाने के बाद मेरा साला पियक्कड़ बाप मुझे इस पब के सेठ के हाथो बेच दिया था और हमेशा मुफ्त कि शराब पीने आया करता था, बुड्ढा खुद तो पीते पीते मर गया और मुझे यहाँ मरने के लिए छोड़ गया, तब से मैंने आज तक बाहर कि दुनिया नहीं देखी हैं, दीवांक मैं इस नर्क से आज़ाद होना चाहती हूँ, जब से मैंने तुम्हे देखा हैं न तब से मुझे जीने की एक उम्मीद मिल गयी हैं, तुम मेरी हेल्प करोगे न यहाँ से निकलने में"

दीवांक "हाँ...हाँ मैं हेल्प करूँगा, लेकिन कैसे?"

(जस्लीन उसे अपने प्लान के बारे में बताती हैं)

दीवांक जसलीन की पूरी-पूरी मदद करता हैं, वो उसे वहां से निकाल कर कुछ दिनों के लिए अपने घर में रखता हैं, दीवांक की माँ उसे पसंद नहीं करती थी वो चाहती थी के वो जल्द से जल्द उसके घर से चली जाए, दीवांक इस बीच जसलीन के पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर देता हैं, दीवांक जसलीन को छत्त पर ले जाता और जोर-जोर से हसी मज़ाक करता हैं ताकि आरुषि चिढ़ने लगे, कई बार आरुषि उन दोनों को हसी माज़क करते हुए देखती तो अपने घर की खिड़की बंद कर लेती, वो जानती थी के दीवांक उसे चिढ़ाने के लिए जान-बूझ कर ऐसा कर रहा था जस्लीन भी उसको पसंद करने लगी थी जब वो उसे जब वो उसे एयरपोर्ट पर छोड़ने जाता हैं तब वो उसे अपने दिल कि बातें बताती हैं,

जसलीन "दीवांक, तुम बहुत अच्छे हो, तुमने जो मेरे लिए किया हैं न वो कोई भी नहीं कर सकता था, मैं तुम्हारी इसी अदा पर फ़िदा हो चुकी हूँ, यू नो जब से तुम्हे देखा हैं तुम मुझे उसी दिन से पसंद हो, तुम उन लड़को जैसे नहीं हो जो लड़कियों के पीछे भागता हैं, मुझे तुम बहुत अच्छे लगे"

दीवांक "मैंने तुम्हारी इसलिए हेल्प नहीं की के तुम मेरी क्लास में पढ़ती थी बल्कि उस दिन मुझे तुम्हारी आँखों में सच्चाई लगी, आज कल के लोग दिल में रह कर दिल तोड़ते हैं और पता भी नहीं लगने देते हैं, तुम बहुत अच्छी लड़की हो, तुम ने जितना सहा हैं लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी इसके लिए मैं तुम्हे सलाम करता हूँ, तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा फ्यूचर वेट कर रहा हैं, तुम मुझ जैसे लड़के की याद में अपनी लाइफ स्पोइल मत करना यह दिल किसी और का हो चुका हैं जिसमे अब किसी और के लिए कोई जगह नहीं हैं, आई ऍम सॉरी"

जसलीन "तुमने मुझे दुबारा ज़िन्दगी दी हैं मैं तुम्हारा इस एहसान को कभी नहीं भूलूंगी, मुझे यह जान कर बहुत ख़ुशी हुई हैं की तुम किसी से प्यार करते हो, मैं ऊपर वाले से दुआ करुँगी के तुम दोनों हमेशा एक साथ रहो"

दीवांक "थैंक यू जसलीन, तुम्हे जब भी ज़रूरत पड़े तो इस दोस्त को मत भूलना, मैं हमेशा तुम्हारी हेल्प के लिए रेडी रहूँगा"

जसलीन-“थैंक्स दीवांक”

(जसलीन दुबई के लिए रवाना हो जाती हैं, दीवांक अपनी तरफ से उसे कुछ पैसे भी देता हैं, वो वहां एक कमरा किराये पर लेकर रहने लगती हैं, दिवांक दुबई में रह रहे कजिन की मदद से जसलीन की जॉब भी लगवा देता हैं, इधर दीवांक भी आगे की पढाई के लिए लन्दन जाने की सोचने लगता हैं, अब भी दीवांक आरुषि को भूल नहीं पाया था, आरुषि से ब्रेकअप हुए तीन महीने बीत चुके थे, दीवांक ने विदेश जाना का फैसला किया, आरुषि भी अब अपना ज़्यादा टाइम स्टडी और अपने पापा के अधूरे सपने को पूरा करने में लगाती हैं, आरुषि के यूट्यूब चैनल पर काफी सारे फैंस बन चुके थे)

continue......
 
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Chapter 10

(13 अप्रैल 2012 की सुबह ग्यारह बजे दीवांक विदेश जाने के लिए घर से निकल रहा था, उस समय आरुषि कमरे में अपने संगीत का रिहर्सल कर रही थी तभी उसे अज़ीब सी बेचैनी होने लगी वो थोड़ी देर के लिए अपने बालकनी में आकर खड़ी हो गयी, उसी समय दीवांक अपना बैग लिए घर से निकल रहा था आरुषि उसे जाते हुए देख रही थी, दीवांक बिना पीछे मुड़े चले जा रहा था गली के अंत में जाकर दीवांक पीछे मुड़ कर देखता है, उसने देखा आरुषि बालकनी में खड़ी थी, दीवांक को देखने पर आरुषि अन्दर कमरे में चली जाती है और थोड़ी देर बाद दीवांक भी वहां से चला जाता है।

आरुषि की आँखे नम थी एक पल के लिए सोच रही थी के दीवांक से पूछे की वो कहा जा रहा हैं लेकिन अब पहले जैसा कुछ रहा नहीं, उसे दीवांक की माँ की बातें याद आने लगीं यह सब सोच ही रही थी के उसे अपने दोस्तों की कॉल आती है और यह कॉल उसके करियर के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट कॉल थी, उसकी टीम को एक वेब सीरीज के डायरेक्टर ने अपने अप-कमिंग सीरीज़ में साथ काम करने का मौका दिया हैं जिसके लिए उन लोगो ने पहले ही उस डायरेक्टर से बात कर लिया था, अब वो उन सब के साथ काम करने के लिए मान गए हैं, आरुषि की कामयाबी की यह पहली सीढ़ी थी उसने बहुत मेहनत से इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया, यह सब सिर्फ उसके और उसकी टीम की मेहनत से हो पाया था इस प्रोजेक्ट को कम्पलीट करने के बाद उनको एक और नया प्रोजेक्ट मिला, धीरे-धीरे वो सब अपनी कामयाबी की ओर बढ़ रहे थे, उधर दीवांक विदेश में अपनी बची हुई पढाई पूरी करने लगा लेकिन अभी भी वो आरुषि को भूल नहीं पाया था, आरुषि को भूलने के लिए उसने कई गिर्ल्फ्रेंड्स भी बनाये थे लेकिन कहते है ना पहला प्यार बहुत ही खास होता है जिसे भूल पाना मुश्किल हैं ।

आरुषि ने अपना करियर म्यूजिक से शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे उसने सिंगिंग भी शुरू कर दी, आरुषि सिर्फ एक अच्छा म्यूजिशियन ही नहीं थी बल्कि उसके गाने का सुर भी बहुत अच्छा था )

तीन साल बाद

आरुषि अपने हुनर और लगन से एक मशहूर म्यूजिशियन और सिंगर बन चुकी थी, वह बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी कदम रख चुकी थी।

आरुषि ने अपने पैसो से एक घर ख़रीदा था जो काफ़ी बड़ा और सूंदर था, उसका यह नया घर शहर के रिहायशी इलाकों में था वही उसके माँ-बाप और दोनों बहनें रहती थी लेकिन आरुषि वहाँ बहुत कम रह पाती थी क्यूंकि उसे अपने कामो की वजह से ज़्यादातर अपने परिवारों से अलग रहना पड़ता था अक्सर उसे अलग-अलग जगहों से काम के ऑफर्स आते थे और जब उसका प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाता तो वह कुछ दिनों के लिए घर चली आती थी, आरुषि अपनी टीम के साथ अभी मुंबई में रह रही थी उसने मुंबई के लोखंडवाला में एक नया फ़्लैट ख़रीदा था और जब भी वो मुंबई जाती थी तो वह अपने फ़्लैट में ही रहना पसंद करती थी, आरुषि अपने कर्मो से अपनी पहचान बना चुकी थी, उसकी ये कामयाबी दीवांक से दूर नहीं थी, वह भी जनता था की उसकी एक्स गर्लफ्रेंड आरुषि अब उस से बहुत दूर जा चुकी है, वह धीरे-धीरे आरुषि को भूलता जा रहा था, दीवांक ने जब अपनी पढाई पूरी कर ली तब उसे जॉब्स के ऑफर्स आने लगे थे, दीवांक अपने घर में सब से ठीक तरह से बाते भी करने लगा था, एक दिन दीवांक की माँ उसे बहाने से बुलवाती है और कहती है की उसकी तबियत ठीक नहीं हैं दरअसल वह बहाना इसलिए करती है क्युकि उन्होंने दीवांक के लिए एक लड़की देख रखी थी और वह चाहती थी की दीवांक की शादी उसी लड़की से हो )

05 जून 2015

सुबह का समय

( दीवांक लन्दन से इंडिया के लिए प्लेन में बैठ गया, लगभग पांच घंटे का सफर तय करने के बाद वो इंडिया पंहुचा, एयरपोर्ट पर उसके डैड खड़े थे उसे ले जाने के लिए, वहा से कुछ देर कार में ट्रेवल करने के बाद वो अपने घर पहुँचता हैं, रास्ते में आते समय उसे एक जग़ह आरुषि के शो का बैनर दिखा, आरुषि की फ़ोटो देखते ही उसे पुरानी यादें सताने लगी, वो ख़यालो में खोता जा रहा था, कुछ देर बाद गाड़ी उसके घर के सामने रूकती हैं, गाडी की हॉर्न उसे वापस वर्तमान में लेकर आती हैं | दीवांक सामने देखता हैं, उसकी मॉम पूजा की थाली लेकर उसके स्वागत में खड़ी थी उसके साथ कुछ लड़कियाँ भी थी जो रिश्ते में उसके दूर की कज़िन्स थी, दीवांक की मॉम उसके स्वागत के लिए घर में छोटी सी पार्टी भी ऑर्गनाइज़ की थी, उसके कई रिश्तेदार भी आये हुए थे, दीवांक इन सब से खुश तो हो जाता हैं लेकिन अपनी मॉम से पूछने लगता हैं की उनकी तबियत तो ठीक है फिर उन्होंने तबियत ख़राब हैं क्यूँ कहाँ, उसकी मॉम ने बहुत प्यार से जवाब दिया-

"बेटा आपकी याद आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे आपको देखे बरसो हो गए और अगर मैं तबियत ख़राब का बहाना नहीं करती तो आप आतें भी नहीं"

दीवांक "मॉम, आप मुझे सिर्फ आने के लिए भी कहती तब भी मैं आ जाता, आप बिलकुल ठीक हैं यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा, खाने में क्या बनवाया हैं, मैं आपके हाथों का खाना बहुत मिस कर रहा था"

मॉम "सारी आपकी फवोरिट डिश बनवायी हैं, सब लोग आप से मिलने के लिए बहुत एक्ससाइटेड हो रहे हैं, आप जल्दी से फ्रेश होकर हॉल में आईये, वही सब के खाने का इंतज़ाम हैं"

दीवांक "ओके मॉम, मैं आता हूँ, आप जाइये"

दीवांक अपने कमरे को देख कर पुरानी बातें याद करने लगता हैं जो पिछले तीन सालो से बंद था, वो अपने कमरे में बने आरुषि की फोटो को देखने लगता है, उस तस्वीर को देख कर उसे बहुत गुस्सा आता हैं, वो स्टोर रूम से पेंट लेकर आता हैं और उस पेंटिंग को ख़राब कर देता हैं और उस पर लगे पर्दें को उतार कर फेंक देता हैं, थोड़ी देर में उसकी बहन उसे बुलाने आती हैं और साथ में उसे निचे हॉल में ले जाती हैं, वहां उसकी मॉम ने उसे पसंद करने के लिए कई सारी लड़कियों को पहले से ही बुलवा रखा था, दीवांक को देख सब लोग उसके नज़दीक जाकर बातें करने लगते हैं, दीवांक भी उन सब में बिजी हो जाता हैं, थोड़ी देर बाद उसकी मॉम उसे बुला कर एक साइड में ले जाती हैं,

मॉम "दीवांक बेटा (इशारा करते हुए) वहां देखिये, वहां पर बहुत बड़े-बड़े बिज़नेस मैन की बेटियां आयी हैं, यह सब भी वेल सेटल्ड है हमारी तरह, इन में से देखिये कोई आपको पसंद हैं"

दीवांक "मॉम प्लीज .....,मुझे बहुत भूख लगी हैं खाने जा रहा हूँ"

मॉम "हाँ...... मैं तो भूल ही गयी थी, आप पहले खाना खा लीजिये फिर मिल लीजियेगा"

(दीवांक उनको बिना जवाब दिए खाने की तरफ चला जाता है, दीवांक जाकर खाना निकालने लगता हैं वहां पहले से ही दिवांक की माँ ने एक लड़की को बिठा रखा था उससे दोस्ती करने के लिए, नाम हैं सुनैना, सुनैना भी उन अमीर बाप में से एक की एकलौती बेटी थी, सुनैना दीवांक से बातें करने लगती हैं,

सुनैना "हाय दीवांक, हाउ आर यू?"

दीवांक (खाना निकालते हुए) "फाइन"

सुनैना "आपके बारे में बहुत सुना हैं, आप ने सर्जरी में मास्टर्स कर लिया हैं और आपको लन्दन के सबसे अच्छे हॉस्पिटल में काम करने का ऑफर भी मिला था, ग्रेट यू नो मैं भी बहुत रिच फॅमिली से हूँ, मैंने भी बिज़नेस में मास्टर्स कर लिया हैं एंड पापा की तरफ मुझे भी बिज़नेस से ही लगाव हैं, अभी मैं "दी फार्मा" कंपनी में इंटर्नशिप कर रही हूँ .......यू नो न "दी फार्मा" में कोई भी इजली इंटर्नशिप नहीं कर सकता......"

दीवांक "हाँ वो तो हैं....एनी वे नाइस टू मीट यू"

(दीवांक खाना लेकर खाने लग जाता हैं, सुनैना भी अपना खाना लाकर उसके साथ खाने बैठ जाती हैं, दीवांक उसके साथ बैठ कर अनकम्फर्टेबल फील कर रहा होता हैं, वो अपनी माँ को आवाज़ लगता हैं लेकिन उसकी मॉम जान बुझ कर उन दोनों को अकेले बात करने के लिए छोड़ देती हैं )

(खाते हुए) सुनैना "यू नो दीवांक, लन्दन से मैंने भी अपनी स्टडी कम्पलीट की हैं, पापा की ज़िद की वहज से मैं वापस आयी हूँ, प्लान तो था वही शादी करके सेटल्ड हो जाना बट पापा चाहते हैं उनका सन इन लॉ इंडिया का रहने वाला हो "

दीवांक "ओह, फिर आपने क्या सोचा हैं"

सुनैना "मैंने भी पापा से एक शर्त रखी है, शादी करुँगी तो उसी से जो लन्दन के वैल्ली में रह चुका हो ताकि वो मुझे ख़ुशी-ख़ुशी वहां ले जा सके "

दीवांक “आपको तो कोई भी ले जा सकता हैं, इसके लिए शर्त क्यूँ"

सुनैना "अरे दीवांक जी, लन्दन में रह कर आ चुके हो लेकिन फिर भी बहुत भोले हो, लन्दन के वैल्ली मीन्स वहां के कल्चर से हैं, मैं अपने हस्बैंड को वहां ले जाकर अपने एक्स बॉयफ्रैंड डेविड को चिढ़ाना चाहती हूँ "

(दीवांक जोर-जोर से खांसने लगता हैं और खासते हुए वहां से निकल जाता हैं)

दीवांक "एक्सक्यूज़्मी"

दीवांक वापस अपने कमरे में जाने लगता हैं, तभी उसकी मॉम उसे रोकती हैं )

मॉम "दीवांक, कहाँ जा रहे हैं आप, यह पार्टी तो आपके लिए ही हैं और आप इसे छोड़ कर कहा चल दिए"

दीवांक "मॉम, आपने किस तरह के लोगो को बुला रखा हैं….,सब मुझसे ही क्यूँ बातें करने आ रहे हैं "

मॉम "आपके नाम की पार्टी हैं न इसलिए, आपको कैसा लगा हमारा अरेंजमेंट?"

दीवांक "बहुत अच्छा हैं, मैं अभी थक चूका हूँ रेस्ट करने जा रहा हूँ (दीवांक अपने कमरे में चला जाता हैं)

(दीवांक अपने कमरे में न जाकर छत्त पर जाता हैं, छत्त पर जाते ही उसे पुरानी यादे फिर से सताने लगती हैं, सामने वाले घर में अब कोई और रहता था, दीवांक चुपचाप निचे आ गया और सीधा अपने कमरे में गया, वहाँ भी कई साऱी यादे थी जो आरुषि के बारे में सोचने पर मजबूर कर रही थी। दीवांक अपने बेड पर जाकर लेट जाता हैं, शाम तक पूरी पार्टी ख़त्म होती हैं, सब इतने थके हुए थे की जल्दी ही सो जाते हैं अगली सुबह दीवांक उठ कर अपने कमरे की सफाई करने में लग जाता हैं, दीवांक हमेशा अपने कमरे को लॉक करके रखता था यहाँ तक की जब वो लन्दन गया था तब भी अपने कमरे की चाभी अपने साथ ले गया था और कल जब वो लन्दन से आया था तब थोड़ी बहुत सफाई कमला आंटी ने कर दी थी लेकिन आज सुबह वो इसलिए सफाई कर रहा था ताकि वो आरुषि की सारी निशानी अपने घर से हटा सके, दीवांक आरुषि के दिए हुए सारे लेटर्स को फाड़ कर जला देता हैं, सारे गिफ्ट्स को निकाल कर डस्टबिन में डाल देता है, झाड़ू लगाते समय उसे आरुषि की एक इयरिंग मिली जो तीन साल पहले गिर गयी थी जब आरुषि कि मॉम उसे उसके कमरे में लेकर आई थी, दीवांक उस इयरिंग को देखते ही पहचान गया था कि "आरुषि की ही है",वह उसे अपने हाथों में लेकर सोचने लगा कि आखिर उसकी एक इयरिंग उसके कमरे में कैसे आयी, उसी समय उसकी मॉम उसके कमरे में आती है)

मॉम "दीवांक, दीवांक....."

दीवांक "जी मॉम"

मॉम "आप उठ गए, अरे यह क्या..,आप यह सब क्या कर रहे हैं, छोड़िये यह.....आप क्यूँ सफाई कर रहे हैं, हमारे यहां नौकर कि कमी हैं क्या, मैं अभी विमला को भेजती हूँ, आप हमारे साथ आइये, देखिये हम आप के लिए क्या लाएं हैं, देखिये यह तस्वीर, आपकी चाची ने भिजवाई है कितनी सूंदर लड़की है ना बिलकुल परी जैसी लग रही है, ये उनके पड़ोस में रहती है, आप बताइये, आपको कैसी लगी? ..."

(दीवांक अभी भी उस इयरिंग को ही देख रहा होता है )

(मॉम को बाली दिखाते हुए ) दीवांक "मॉम ये आप की तो नहीं है,फिर ये किसकी है और मेरे कमरे में कैसे आयी...?"

माँ "दिखाइए, हाँ ये मेरी नहीं है शायद विमला आंटी का गिर गया होगा, आपका इस बेकार सी इयरिंग के पीछे पड़े है फेंकिए इसे (दीवांक अपनी मुट्ठी बंद कर लेता हैं) देखिये न ये तस्वीर मै चाहती हूँ ये लड़की ही हमारे घर की बहू बने ...."

(फोटो को बिना देखे) दिवांक "मॉम आप तो जानती है न कि आप के आलावा मेरे कमरे में कोई भी नहीं आता, सोना भी नहीं आती, विमला आंटी ये सब नही पहनती फिर ये किसकी है....?"

मॉम "मैं आपको फोटो दिखा रही हूँ और आप क्या इस बेकार सी इयरिंग के पीछे पड़े हैं, देखिये न आप को कैसी लग रही हैं"

दीवांक "मॉम, आपको पता हैं, मेरे कमरे में कोई भी नहीं आती हैं, फिर यह किसकी हैं?"

मॉम "आप क्या कहना चाहते हैं यह किसी और की हैं ?"

दीवांक "एक्साक्ट्ली मॉम, ये किसी और लड़की की ही है और मैंने इसे पहले भी देखा है, आप बताइये मॉम, क्या मेरे कमरे में कोई आयी थी ...?"

माँ "ये क्या कह रहे हैं आप, कौन आएगी आपके कमरे में, आप तो इसे बंद कर के गए थे न फिर कैसे कोई आ सकती है...?"

दीवांक "मॉम ये कमरा सिर्फ तीन सालो से बंद था, क्या तीन साल पहले कोई आयी थी ?"

(घबराते हुए)माँ- "आप कहना क्या चाहते हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा (फोटो टेबल पर रखते हुए )मैंने इस फोटो को टेबल पर रख दिया है वक़्त मिले तो देख लेना और बता देना आपको ये लड़की कैसी लगी, मैं जा रही हूँ, कमला आंटी को भेज दूंगी"

(माँ के हाँथो को पकड़ते हुए) दीवांक "मॉम आप कुछ छुपा रही हैं मुझसे, (मॉम का हाथ अपने सिर पर रखते हुए) मॉम लीज सच बताइये, क्या कोई आई थी मेरे कमरे में .....?"

माँ "ये क्या हो गया है आपको, एक अनजान सी इयरिंग के पीछे क्यूँ पड़े है "

(चिल्लाते हुए) दीवांक "ये कोई अनजान ईयररिंग नहीं है मॉम, ये....ये मेरी आरुषि की है, मेरी आरुषि की ....आप उसे यहाँ मेरे कमरे में लेकर आयी थी, हाँ या ना ?"

माँ "क्या.....दीवांक देखिये ......"

(माँ की बातो को बीच में रोकते हुए )दीवांक "मॉम हाँ या ना "

(थोड़ा झल्लाते हुए ) माँ "हाँ, मैं उसे लेकर आयी थी यहाँ ...."

(एक लम्बी साँस लेते हुए ) दीवांक "क्यूँ लायी थी आप उसे यहां .....?"

माँ "इसलिए ताकि वह आपकी ज़िन्दगी से हमेशा के लिए निकल जाये क्यूंकि वो आपके लायक नहीं थी उसने आपको बिलकुल वश में कर लिया था और मैं अपने बेटे को ऐसे नहीं देख सकती थी इसलिए मैंने उससे वादा करवाया हैं अब वो आपकी ज़िन्दगी में कभी नहीं आएगी, मैंने उससे अच्छी और सूंदर लड़की आपके लिए ढूंढा हैं ......(दीवांक ये सुन कर निचे बैठ गया, उसकी माँ निचे बैठ कर उसके सिर पर हाँथ फेरने लगी) मैं आपको हमेशा खुश देखना चाहती हूँ, आपकी ख़ुशी के लिए ही मैंने ये सब किया था ....."

(माँ के हाथो को निचे करते हुए )दीवांक "क्या आप जानती है मेरी ख़ुशी क्या है,"नहीं "आपने शायद जानने की कोशिश भी नहीं की हैं कभी, मेरी ख़ुशी सिर्फ मेरी आरुषि थी, आपने ये सब करने से पहले मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा, आप को पता भी है मैंने ये तीन साल कैसे गुज़ारे है ........सिर्फ आप की वजह से आज मेरी आरुषि मुझसे दूर गयी है, मैं आप को कभी माफ़ नहीं करूँगा मॉम ,कभी नहीं ......."
माँ "आप भी मुझे गलत ही समझेंगे लेकिन मैं ऐसे किसी भी लड़की को अपने घर की बहु नहीं बना सकती जो मेरे बेटे को मुझसे दूर ले जाये"

(खड़े होते हुए )दीवांक "ओह मॉम, आप जानती भी हैं के वो लड़की कैसी थी,.....(खड़े होकर) जा रहा हूँ मैं ये घर छोड़ कर, आपको सिर्फ अपने बेटे से मतलब है ना, उसकी खुशिया क्या है वो क्या चाहता हैं, इससे आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, जैसे मैं अपनी आरुषि के लिए तड़पता था न वैसे ही आपको अपने बेटे के लिए तड़पना पड़ेगा"

मॉम "दीवांक, दीवांक आप प्लीज घर छोड़ कर मत जाइये, देखिये आपको जो सजा देनी हैं आप मुझे दीजिये, आप प्लीज़ घर छोड़ कर मत जाइये"

दीवांक (आंसू पोछते हुए) “आप की यही सजा हैं”

(दीवांक गुस्से में वहा से चला जाता है )


continue .........
 
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Chapter 11

(दीवांक गुस्से में सीधा पब जाता हैं इस बार वो किसी और पब में जाता हैं, दीवांक जब जसलीन को पब से निकाल कर अपने घर लाया था तभी उसकी झड़प उस पहले पब के लोगो से हो गयी थी लेकिन आज जब वो दूसरे पब में जाता हैं तो वहां पहले से ही वो लोग होते हैं और दीवांक को देखते ही पहचान लेते हैं, वो लोग सेठ को कॉल करते हैं:-

टीटू (फ़ोन पर ) "सेठ, वो लड़का मेरे सामने हैं जिसने जस्सी को भगाया था"

सेठ "क्या .....,साले को अपने पैर पर जाने मत देना, बहुत शौक हैं दुसरो की मदद करने का, आज के बाद से वो सिर्फ पछताना चाहिए, समझे"

दीवांक हमेशा की तरह इस पब में भी बिलकुल अकेले कोने में बैठा था, सेठ के लोग हॉकी स्टिक लेकर आते हैं और दीवांक पर पीछे से वार करते हैं, टीटू हॉकी स्टिक से उसके सिर पर ज़ोर से मारता हैं, दीवांक सिर पर हाथ रख कर खड़ा होता हैं और पीछे मुड़ कर देखता हैं, तभी सेठ के लोग उसे सामने से मारते हैं, दीवांक बेसुध होकर निचे ज़मीन पर गिर जाता हैं वो लोग उसे ले जाकर पहाड़ी से निचे फेंक देते हैं, दीवांक फ्लाईओवर पर जाकर गिरता हैं, दीवांक बुरी तरह घायल हो जाता हैं, लगभग वो कई घंटो तक वहां पर बेहोश पड़ा रहता हैं लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आता हैं, उसी दिन आरुषि अपनी बहन का बर्थडे सेलेब्रट करने के लिए मुंबई से कोलकत्ता आ रही होती हैं, आरुषि और उसके ड्राइवर काका दोनों गाड़ी में बैठ कर आ रहे होते हैं, शायद किस्मत उन दोनों को फिर से मिलाना चाहती थी, आरुषि की गाड़ी भी उसी फ्लाईओवर से होकर गुजरती हैं )

रात हो चुकी थी, सिर्फ़ कुछ-कुछ देर पर एक दो गाड़िया चल रही थी, एक गाड़ी वाले ने उसे देखा भी तो वह पुलिस केस से बचने के लिए उसके पास नहीं गया, दीवांक फ्लाईओवर के कनारे बेहोश पड़ा था उसके सिर से बहुत खून बह रहा था जिसकी वजह से उसे पहचानना मुश्किल था आरुषि की गाड़ी भी वही से गुज़रती हैं, इससे पहले गाडी और आगे बढ़ती, आरुषि की नज़र खिड़की से बाहर जाती हैं, वो दीवांक को सड़क के किनारे पड़ा देख कर अपने ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहती हैं )

आरुषि "काका आगे गाड़ी रोकना"

(गाड़ी रोकते हुए) ड्राइवर काका "का हुआ बिटिया, सब ठीक तो हैं न "

आरुषि "नहीं काका, (इशारे करते हुए ) वहाँ सड़क के किनारे कुछ है शायद कोई इंसान? वह ज़िंदा भी हो सकता है, आप ज़रा देख कर आइये प्लीज कि वह ज़िंदा है या नहीं ...?"

काका "ठीक बा बिटिया,आप इहे पर रहो हम देख कर अभी आते है .... (दीवांक के हाथो को पकड़ कर देखने के बाद काका ज़ोर से चिल्लाते हुए कहते हैं) बिटिया ई तो ज़िंदा है....(वापस गाड़ी के पास आ जाते हैं)"

आरुषि "काका मैं एम्बुलेंस को कॉल कर देती हूँ, आप इसके साथ हॉस्पिटल चले जाइएगा ...."

(आरुषि के नज़दीक आते हुए) काका "बिटिया हम तो ईको जानत भी नहीं, फिर क्यूँ हम इसके लफड़े में पड़ रहे है, इ कोनो चोर या अपराधी हुआ तो ..."

आरुषि "काका हम नहीं जानते तो क्या हुआ, है तो ये भी इंसान ही ना, चाहे चोर या मुज़रिम क्यूँ न हो, अगर ये ज़िंदा है तो हमें इसकी मदद करनी चाहिए आप डरिये नहीं मैं आप के साथ हूँ, (फ़ोन से बात करने के बाद) मैंने एम्बुलेंस को कॉल कर दिया है बस वह आती ही होगी ....."

काका "बिटिया तो आप घर कैसे जाओगी, आप को कोनो दिक़्क़्क़त तो नाही होगा "

आरुषि "काका आप मेरी फिक्र मत कीजिये, मैं गाड़ी से चली जाउंगी, आप इसे हॉस्पिटल छोड़ कर आ जाइयेगा और जो भी खर्चा होगा मुझे फ़ोन कर के बता दीजियेगा...ठीक है काका ...और हाँ आप पुलिस की टेंशन मत लेना, वह भी अपना काम करने आएगी जो उनका फ़र्ज़ भी है, देखिये एम्बुलेंस के आने की आवाज़ आ रही है आप इसके साथ चले जाइएगा और मैं घर जा रही हूँ ...."

काका "ठीक बा बिटिया, आप अपना ध्यान रखना ...."

(आरुषि वहां से चली जाती है ,आरुषि का ड्राइवर भी दीवांक के साथ हॉस्पिटल चला जाता है, दीवांक को बहुत ज्यादा चोटे लगी हुई थी, उसे आईसीयू में रखा था, उसके जितने भी मेडिकल खर्चे थे आरुषि ने सारा पे कर दिया था, लगभग चार घंटे तक उसका ऑपरेशन चला उतने देर तक डाइवर काका उसके साथ ही थे और उसका होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे, उधर आरुषि भी अपने घर पहुँचती हैं, उसकी बहन केक के पास खड़ी होकर उसका आने का इंतज़ार कर रही होती हैं, आरुषि को देखर उसकी छोटी बहन निशा कहती हैं "आरुषि दी, आपको पता हैं आप कितने लेट हो चुके हो, आप कभी भी टाइम पर नहीं आते, देखिये मेरी कुछ फ्रेंड्स वापस चली गयी हैं”आरुषि "सॉरी स्वीट हार्ट, एक्चुली आप की दीदी एक ज़रूरी काम करते हुए आ रही हैं, उसी में टाइम लग गया था (गिफ्ट बढ़ाते हुए) वेल मेरी प्रिंसेस के लिए एक बयूटीफ़ुल तोहफ़ा"

निशा " वॉव दीदी थैंक्स, अब जल्दी आइये केक काटते हैं ”

आरुषि "हाँ …हाँ शुरू करो, एक मिनट, कोई सॉन्ग तो चलाओ यार, इतनी शांति में केक काटना चाहती हो"

निशा "दीदी आप को पता हैं टाइम कितना हो रहा हैं, हम लोग डांस करके थक चुके हैं”

आरुषि "ओह मैं ज़्यादा लेट हो गयी क्या”

दूसरी बहन पिंकी "दीदी ज़्यादा नहीं, बहुत ज़्यादा लेट हो चुके हो आप"

आरुषि "अच्छा चलो बस सॉन्ग चला देते हैं, डांस कोई नहीं करेगा, ओके निशु"

सब मिलकर निशा का बर्थडे सेलिब्रेट करते हैं, उसके बाद सब हॉल में ही आरुषि के साथ बैठ कर बातें करने लगते हैं,

आरुषि की माँ "आरुषि प्रोजेक्ट कैसा चल रहा"

आरुषि "मॉम पुणे का प्रोजेक्ट क्लियर हो चूका हैं मंडे से सब पुणे ही जाएंगे, मॉम पता हैं पुणे के प्रोजेक्ट में बहुत बड़े-बड़े सेलेब इंक्लूड हैं, और यह लगभग ट्वेल्व हंड्रेड करोड़ का हैं,मैं चाहती हूँ आप लोग भी मेरे साथ चले”

मॉम "बेटा हम चाहते तो हैं तुम्हारे साथ चलने के लिए लेकिन इस बार बिट्टू का फाइनल एग्जाम हैं और दस के बाद ही यह फ्री हो पाएगी"

आरुषि "हाँ निशु का तो फाइनल एग्जाम हैं और मैडम तुम्हारी तैयारी कैसी चल रही हैं"

निशा "दीदी....मेरी तैयारी तो बहुत अच्छी चल रही हैं, मेरी फ्रेंड्स आप का ऑटोग्राफ लेना चाहती हैं, वो सब मुझसे कब से रिक्वेस्ट कर रही हैं"

आरुषि "अच्छा जी, मैडम आप अपना पढाई पर फोकस रखिये, इस बार भी टॉप करने का इरादा हैं न आपका"

निशा "ओफ्फो दी, आप तो बस पढाई के बारे में पूछते रहते हो, मुझे एक्ट्रेस के बारे में बताओ न, वो लोग क्या खाती हैं जो मोटी नहीं होती है?"

आरुषि "उनके जैसा खाना तुम नहीं खा सकती हो अरे खाना से याद आया मॉम, अभी न मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी हैं, खाने में क्या हैं?

मॉम "आज का खाना सारा तुम्हारे पसंद का बना हुआ हैं, बिट्टू ने तुम्हारे लिए बनवाया हैं"

आरुषि (निशा को तकिया फेंक कर मरते हुए) "थैंक क्यूँ निशु"

पिंकी "दीदी, मुझे लाइव शूटिंग देखनी हैं, मैं चलूँ आपके साथ, मैने और निशु दी ने मिल कर डिसाइड किया हैं इस बार हम भी आप के साथ चलेंगे"

मॉम "छोटी तुम्हारा भी तो एग्जाम आने वाला हैं न, एग्जाम खत्म हो जाएगा तब हम सब चलेंगे"

पिंकी "ओह गॉड, एक्साम्स भी न पता नहीं क्यू आ जाता हैं बार-बार"

आरुषि (हसते हुए) "पिंकी माय डार्लिंग, पास तो हो जाओगी न इस बार "

पिंकी "ओह दीदी मत पूछो, पता नहीं क्या होगा इस बार...."

आरुषि "पापा, नानी के यहाँ से कब तक लौटेंगे"

मॉम "कल ही आने के लिए बोल रहे हैं, अगर तुम रुक गयी तो....लेकिन तुम कहाँ रुकने वाली"

आरुषि "मॉम आप तो जानती हो न, सब लोग रिहर्सल के टाइम एक साथ होते हैं अगर एक ने भी एब्सेंट कर लिया तो पूरा कांसेप्ट बिगड़ जाता हैं, जब तक कोई प्रोजक्ट पूरा न हो जाए तब तक हम में से कोई भी कहीं नहीं जाता हैं, वो तो निशु का बर्थडे था इसलिए थोड़ टाइम अर्जेस्ट करके आयी हूँ, पापा को बोल देना मुंबई आकर मिल ले, मैं टिकेट बुक कर दूंगी"

मॉम "इस बार हम सब आएंगे, मुंबई भी घूम लेंगे और तुम से भी मिल लेंगे, तुम्हारी नानी की तबियत ज़्यादा ख़राब हो गयी हैं कल परसो तक हम लोग भी मिल आएंगे उनसे"

आरुषि "ओह, नानी से बात हुई थी मेरी, आप उन्हें यही बुलवा लीजिये अच्छे से इलाज यही से होता रहेगा, यहाँ तो हमारे घर के पास ही अच्छे-अच्छे डॉक्टर्स हैं, पापा को बोल दीजिये लेते आएंगे"मॉम "बेटा मैंने तो पहले ही बोल रखा हैं आने के लिए, अब देखो पापा कहते हैं तो आती हैं या नहीं, उनको अपना घर छोड़ने का मन नहीं करता हैं, लगता हैं जैसे कोई उनका घर लेके भाग जायेगा"

आरुषि "चलो न सब खाना खाते हैं, मॉम खाना लगवा दो न प्लीज"

मॉम "मैं अभी लेकर आती हूँ खाना"

निशा "दीदी आप लेट क्यू हो गए थे, आपने तो कहा था सेवन ओ क्लॉक आप पहुंच जायेंगे"

आरुषि "अरे हाँ, मैं तो तुम लोगो को बताना भूल गयी, हाइवे पर एक आदमी का एक्सीडेंट हो गया था, बुरी तरह इंजर्ड था, काका ने देखा तो वो ज़िंदा था, उन्हें मैंने हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया हैं बस उसी में टाइम लग गया था"

(खाना खाने के बाद सब लोग हॉल में ही बिस्तर लगा कर सो जाते हैं)

(हॉस्पिटल में दीवांक का ऑपरेशन लगभग चार घंटे तक चलता हैं, ऑप्रेशन ख़त्म होने के कुछ देर बाद ड्राइवर काका दीवांक के पास जाते है, दीवांक थोड़ा होश में होता है और कुछ बड़बड़ा रहा होता हैं आ...आ....आरुषि, ड्राइवर काका उसकी बड़बड़ाहट सुन रहे होते हैं, वह उससे बातें करने की कोशिश भी करते हैं लेकिन दिवांक कोई जवाब नहीं देता। कुछ देर बाद वह कोमा में चला जाता हैं, ड्राइवर काका रात होने की वजह से हॉस्पिटल में ही रुक जाते हैं और अगली सुबह ऑटो पकड़ कर आरुषि के घर पर आते हैं)
 
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Chapter 14

सुबह छह बजे

(आरुषि का फ्लाइट सुबह दस बजे का हैं इस समय वो अपने गार्डन में वॉक कर रही हैं, तभी ड्राइवर काका वहां आतें हैं)

गार्डन में आते ही "बिटिया गुड मार्निंग"

आरुषि (एक जगह रुक कर) "मॉर्निंग काका, उस लड़के का क्या हुआ.......,वह ठीक तो है न और उसका कोई रिश्तेदार मिला "

काका "अरे नाही बिटिया पुलिस भी इहे कोशिश में लगी है, अभी तक कछु ना पता चला, उसके पास से उसका एको गो कार्ड भी न मिला जिससे उसके बारे में पता लगाया जा सके, बस ऊके मुँह से एक ही नाम निकल रहा था, शायद उ अपना पत्नी से बहुते प्यार करता था इसी के लिए उसी का नाम बोले जा रहा था "

(हसते हुए )आरुषि "अच्छा काका, तो क्या नाम बताया उसने अपनी पत्नी का ....."

काका "बिटिया उका आवाज़ तो साफ नाही थी लेकिन आप का जो नाम है न आरुषि, शायेद ऊके पत्नी का भी नाम वही होगा, ऊ एक दो बार बोला था बस ऊके बाद उ बेहोश होई गवा..."

आरुषि "काका जब तक उसके परिवार वालो का कुछ पता ना चले तब तक आप उसका ध्यान रखियेगा, इंसानियत से बढ़ कर और कुछ नहीं होता हैं, आप को अगर एक्सट्रा पैसे चाहिए तो मुझे बोल दीजियेगा मैं आप को दे दूंगी, ठीक है ..."

काका "अरे बिटिया, हमका पैसन की का ज़रूरत, तीन वक़त का खाना और रहना तो आप के इस घर में मिल ही जाता है और हमार परिवार में कोनो और तो है नाही, हम तो ठहरे अनाथ, आप जो बोलोगी उहे करूँगा बिटिया "

आरुषि "काका खुद को अनाथ बोल कर आप ने मुझे पराया कर दिया, मैं क्या आपकी बेटी नहीं .....,आप मेरे पापा के समान है, और खबरदार खुद को अनाथ बोला तो हम आप से कभी बात नहीं करेंगे "

(ड्राइवर काका को आरुषि की बातें सुन कर आँखों में आंसू आ जाता है, वह मुस्कुराते हुए कहते हैं) "बिटिया अब नाही बोलेंगे, अच्छा अब हम चलते हैं, ऑटो में थे तब उ डॉक्टर साहब ने कहा के दस बजे सारे रिपोर्ट मिल जायेगा, ऊके लिए हमका जाना होगा”

आरुषि "ठीक है काका जाइये और कुछ भी ज़रूरत पड़े तो मुझे बता दीजियेगा "

ड्राइवर काका " ठीक बा बिटिया "

(ड्राइवर काका नाश्ता करके हॉस्पिटल चले जाते है, आरुषि भी अंदर कमरे में जाकर वापस मुंबई जाने की तैयारी करने लगती हैं)

आरुषि लगभग दस बजे के करीब मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़ लेती हैं, ड्राइवर काका उसे दीवांक से रिलेटेड सारी इनफार्मेशन देते रहते हैं, दीवांक कौमे में जा चुका था, आरुषि काका से कहती हैं की उसके घर वालो का पता लगा कर उसे उसके घर पंहुचा दे लेकिन अभी तक उसके माँ-बाप ने उसके मिसिंग की कोई कम्प्लेन नहीं की थी इसलिए पुलिस को भी उसके घर वालो को ढूँढना मुश्किल हो रहा था,

(फ़ोन पर) आरुषि "काका ऐसा कैसे हो सकता हैं, आपने न्यूज़ पेपर में तो मिसिंग की रिपोर्ट छपवाई थी न"

ड्राइवर काका "बिटिया हम गए थे उह न्यूज़ पेपरवा वाले किहाँ, उह तोह अब्भी तक छापिए दिया होगा, लेकिन उस नम्बरवा पर कोनो फोन-फान आया नहीं हैं"

आरुषि "ओफ्फो काका आप से एक भी काम अभी तक सही से हुआ हैं, अरे ऐसे कैसे हो सकता हैं, पुलिस वाले ने क्या कहा आपको?"

ड्राइवर काका "बिटिया उह तो कह रहे हैं उस तारीख में कोनो मिसिंग की रिपोर्ट नाही हैं और नाही उससे पहले या फिर बाद में किया गया हैं तो अइसे में कइसे पता लगेगा की उह कौन हैं, तब तक पुलिस वाले बोले हैं उसको अस्पताल में ही रखने को और इ भी बोले हैं की अगर आप लोग इनका खर्चा नहीं उठा सकत हो तो सरकारी अस्पताल में डाली दो"आरुषि "काका पैसे की टेंशन नहीं हैं, मेन उसे उसके फॅमिली वाले मिल जाए तो सही रहता, अभी मैं फ़ोन रखती हूँ, कुछ पता चले तो मुझे बताइयेगा"

आरुषि "ठीक बा बिटिया, कल हम आपके नानी को लाने जात हैं, उह आपके डैडी के साथ आवेगी"

आरुषि “ठीक हैं, आप उसे ले आइये”

(आरुषि अपने रिहर्सल में बिजी हो जाती हैं, उसे तीन दिन बाद पुणे जाना होता हैं लेकिन उससे पहले वो अपने घर वालो से मिलने के लिए फिर से कोलकत्ता आती हैं)

continue .........
 
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Chapter 13


दो दिन बाद

लगभग बारह बजे के क़रीब आरुषि मम्मी-पापा से मिलने अपने घर आती है, वहाँ उसके पेरेंट्स ने उसे लड़के वालो से मिलवाने के लिए इंतज़ाम कर रखा था, आरुषि ये बात नहीं जानती थी )

(घर में घुसते ही) आरुषि "हेलो कोई है क्या इस घर में, मुझे तो कोई भी नहीं दिख रहा, सब कहाँ हैं ..?”

(आरुषि की माँ मुस्कुराते हुए आती है) माँ "आओ आरुषि, कैसी हो, हुंचने से पहले कॉल तो कर देती, हम सामान ले आतें"

आरुषि "मॉम इतना भी क्या सामान था जो मैं आपको बुलाती लाने के लिए (डाइनिंग टेबल से एक एप्पल उठा कर, अपनी माँ के गले लग कर एप्पल खाते हुए) आप सब कैसे हैं?"

(हसते हुए) आरुषि की माँ "हम सब भी ठीक है, तुम्हारे पापा अभी बाहर गए है कुछ देर में आएंगे, नानी ऊपर कमरे में हैं जाकर मिल आओ, तुमसे मिलने के लिए बहुत परेशान हो रही थी"

(अप्पल खाते हुए )आरुषि "अच्छा अभी मिल कर आतें हैं नानी से (इधर-उधर देखते हुए) मेरी दोनों बहने नज़र नहीं आ रही?”

माँ "दोनों अपने कमरे में है, मैं बुला कर लाती हूँ, अरे ये लो नानी भी नीचे आ गयी"

(नानी को गले लगाते हुए) आरुषि " नानी मेरी जान, कैसी हो आप, अरे वाह आप तो पहले से और भी हॉट और सेक्सी लग रही हो"

नानी "अरे धुत्त लड़की, बुढ़ापे में कौन हॉट लगता हैं"

आरुषि "मेरी नानी और कौन"

नानी "अरे बस-बस इस बुड्ढी की बहुत तारीफ हो गयी, अब बताओ मेरे लिए क्या लायी हैं बम्बई से"

आरुषि "नानी, बम्बई आपके ज़माने में था हमारे ज़माने में तो मुंबई हैं"

नानी “हाँ भाई, तुम लोग तो मॉडर्न हो गए हो अब बम्बई को भी मुंबई कहने लगे हो, हमारे ज़माने में तो कलकत्ता को कालिकत्ता कहते थे, अब जब से लोग पढ़े लिखे हुए हैं न नाम भी ऐसे उल्टे-पुल्टे रख दिए हैं की क्या बताएं"

आरुषि "नानी आप यह सब छोड़िये और गेस करिये हम आपके लिए क्या लाएं हैं?"

मॉम "आप दोनों बात करिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ"

आरुषि "मॉम आप कहाँ जा रही हो, अरे बाद में खा लेंगे, यहाँ बैठिये, मैं आप दोनों के लिए कुछ स्पेशल गिफ्ट लायी हूँ, नानी आपको पता हैं मैं आपके लिए इमरान हासमी की मूवी टिकट लायी हूँ"

नानी “यह देख लड़की को, सन्नो तू डाटती क्यूँ नहीं हैं इस बदमाश को ....”

मॉम “आरुषि क्यूँ नानी को तंग कर रही हो, चलो हाथ मुँह धोकर फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगा देती हूँ"

नानी “यह देख तू भी सन्नो किस बात के लिए डाट रही हैं, अरे मैं इसे इस लिए डाटने को कह रही थी क्यूंकि ये सिर्फ एक ही टिकट लायी हैं, अरे एक नाना के लिए भी ले आती तो हम दोनों देखने जाते"

मॉम "ओफ्फो, मैं बिट्टू और पिंकू को बुला कर लाती हूँ"

आरुषि “ओह मेरी नानी क्या बात हैं ….,बहुत रोमांटिक शोमान्टिक हो रही हो हाँ, यह हुई न नानी वाली बात, वैसे मैं आप दोनों के लिए बहुत ही ब्यूटीफुल साड़ी लेकर आयी हूँ बट नानी मूवी टिकट नेक्स्ट टाइम, मॉम मैं खुद जा रही हूँ उन दोनों के पास उसकी बहन इतनी दूर से आयी है सब से मिलने के लिए और दोनों को कुछ खबर ही नहीं है"


माँ "आरुषि लेकिन तुम जल्दी तैयार हो जाना, वो लोग आने वाले ही होंगे "
(आरुषि सीढ़ियों पर चढ़ ही रही होती हैं लेकिन माँ की बाते सुन कर रुक जाती है)
(पीछे मुड़ कर देखते हुए) आरुषि "कौन आने वाला है मॉम"


माँ "कुछ लोग तुम्हे देखने आने वाले है शादी के लिए, तुम्हारे पापा के पहचान के है तुम भी उन लोगो से मिल लेना बहुत अच्छी फॅमिली से है वह सब"


आरुषि "मम्मी आप लोगो को हो क्या गया है, आप ने बिना मुझे बताये मेरे लिए रिश्ते ढूंढने शुरू कर दिए, आप तो जानती है न मुझे अभी शादी नहीं करनी"


माँ "जानती हूँ लेकिन अगर जवान बेटी घर में हो तो उसकी शादी की चिंता तो होती ही है ना और तुम्हारे पापा भी यही चाहते है की तुम उन लोगो से मिल लो"


(सीढ़ियों से उतरते हुए) आरुषि "मम्मी मुझे कुछ ज़रूरी काम याद आ गया है"


माँ "आरुषि रुको, देखो तुम चली जाओगी तो तुम्हारे पापा बहुत नाराज़ होंगे, कौन सी तुम्हारी शादी होने वाली है बस देखने ही तो आ रहे है ना, मिल लो फिर चली जाना "


नानी "शन्नो, अगर लड़की नहीं चाहती हैं तो क्यूँ जबरदस्ती कर रही हैं"
मॉम "अम्मा आप रहने दीजिये, आप ने अपने नातिन को वैसे भी बहुत चढ़ा कर रखा हैं, बस देखने ही तो आ रहे हैं कौन सी इसकी शादी हो जाएगी अभी"


नानी "शन्नो ठीक कह रही हैं लड़की, देख लो बस, ज़्यादा आगे बात बढ़ी तो तुम्हारी यह बुढ़िया नानी कब काम आएगी"
आरुषि (हस कर नानी के गालो को चूमते हुए) “यह हुई न मेरी नानी वाली बात हैं"


आरुषि "ठीक है मॉम बट मेरी भी एक शर्त हैं, आप लोग प्लीज बिना मुझसे पूछे बात आगे मत बढ़ाना और पापा को भी समझा दीजियेगा"


माँ "ठीक है जैसा तुम कहोगी हम वैसा ही करेंगे, अब चलो जल्दी तैयार हो जाओ "

(कुछ देर बाद लड़के वाले आरुषि को देखने आते है और उन्हें आरुषि पसंद आ जाती है, आरुषि अभी शादी करने से मना कर देती हैं, उनके जाने के बाद आरुषि अपने घर के कॉरिडोर में लगे झूले पर बैठ कर अपने अतीत के बारे में सोचने लगती हैं, तभी ड्राइवर काका फ़ोन करते हैं )


(फ़ोन पर) काका "बिटिया ऊ लड़के के परिवार वालो का अभी तक कछु पता नाही चला डॉक्टर साहब बोले थे की अगर आप इसे घर ले जाना चाहत हो तो ले जाओ काहे कि उ कोमा में है और उसका होश में आना बहुते मुश्किल हैं "
( आरुषि) "काका ऐसा कैसे हो सकता है, आप ने उसकी फोटो न्यूज़पेपर में छपवाई थी ना”
काका "हाँ बिटिया, पुलिस वाले भी अब हलके पड़ गए हैं, उ सब भी कुछ ज्यादा रूचि ना ही दिखा रहे हैं इसके परिवार वालो को ढूंढने में"

आरुषि “ये पुलिस वाले भी न, उनको बताया नहीं इनके पीछे कौन हैं मतलब मेरे बारे में इनको बताया आपने"
काका "अरे नाही बिटिया, अगर बता दिए तो पुरे थाना वाला आपसे मिलने और पूछताछ करने घर पर आ जायेंगे, हम इनको कुछ नहीं बताएं हैं"

आरुषि "अच्छा.....आप ऐसा करिये हम अभी घर पर ही हैं, उसकी फोटो लेकर आइये, मेरी एक फ्रैंड हैं प्रेस में, मैं उसे कहती हूँ, वो ज़रूर कुछ करेगी"

काका “ठीक बा बिटिया, हम लेकर आते हैं"

आरुषि "रहने दीजिये आपको टाइम लगेगा आने-जाने में, ऐसा करिये आप कैमरे वाले से कहिये उस फोटो को पहले मेरी असिस्टेंट को मेल कर दे, ठीक हैं"

ड्राइवर काका "ठीक बा बिटिया, हम अभी बोलत हैं उसको"

एक घंटे बाद

(आरुषि झूले पर बैठी हुई हैं वही उसके पापा आते हैं) "कैसा हैं मेरा बच्चा?"

आरुषि "पापा आप, आइये बैठिये न, मैं बिलकुल ठीक हूँ"

पापा "गुड, अच्छे बच्चे हमेशा ठीक रहते हैं, आज जो हुआ आप उससे नाराज़ तो नहीं हैं न"

आरुषि "नहीं पापा, मैं नाराज़ क्यूँ रहूंगी....,आप लोगो ने जो सोचा हैं मेरे लिए अच्छा ही सोचा होगा लेकिन पापा अभी मैं शादी नहीं करना चाहती, मेरा पुणे का प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाएगा तब सोचेंगे"

पापा "जैसा आप कहोगी वैसा ही होगा.......अगर आपके नज़र में कोई हैं या आप को कोई पसंद हो तो हमें बताना, हम खुद आपकी शादी उससे करवाएंगे"

आरुषि "थैंक यू पापा, आप इस दुनिया के सबसे बेस्ट पापा हैं"

पापा "अच्छा यह बताओ, कितने साल का प्रोजेक्ट हैं?"

आरुषि "पापा दो सालों का हैं बट इससे पहले ख़त्म करने का टारगेट लेकर चल रहे हैं"

पापा "आप जाओ फिर हम भी आएंगे वहां आप से मिलने"

आरुषि "हांजी पापा, आप सब को लेकर आइयेगा, सब मिल कर पुणे में घूमेंगे"

पापा "कल कितने बजे का फ्लाइट हैं?"

आरुषि “पापा कल एक बजे तक निकल जाना हैं, पूरी टीम आ रही हैं मुंबई से मुझे लेने फिर यही से ही पुणे की फ्लाइट पकड़ेंगे"

पापा “बेस्ट ऑफ़ लक मेरा बच्चा, मेरी ब्लेस्सिंग्स हमेशा आपके साथ हैं, ज़िन्दगी में ऐसे ही खूब तरक्की करना"

आरुषि "थैंक्स पापा"

(अगले दिन आरुषि अपना सामान पैक करके पुणे के लिए निकल जाती हैं, उसे छोड़ने के लिए उसके घर के सभी लोग एयरपोर्ट तक जाते हैं,आरुषि अपनी टीम के साथ पुणे चली जाती हैं, वहां उसे रहने के लिए एक फ्लैट मिलता हैं उसके साथ उसकी असिस्टेंट रिया भी होती हैं, वहा पहुंचने के बाद आरुषि अपना प्रोजेक्ट शुरू करती हैं, उसी दिन रिया के फ़ोन पर एक मैसेज आता है जो कि कैमरे वाले ने भेजा था, मैसेज में दीवांक की तीन फ़ोटोस होती हैं, उस समय आरुषि मीटिंग रूम में होती है उसके साथ डायरेक्ट, प्रोडूसर और कुछ लोग बैठे हुए होते हैं, रिया सोचने लगती हैं कि मैडम ने पिक क्यू मंगवाई हैं, थोड़ी देर बाद आरुषि मीटिंग से बाहर निकलती हैं और फ़्लैट में वापस जाने के लिए गाड़ी में बैठ जाती हैं साथ में रिया भी होती हैं वो उसे उस फोटोज के बारे में बताती हैं)

रिया "मैम किसी कैमरा मैन ने फ़ोटो सेंड की हैं मेल पर "
आरुषि "कैमरा मैन ने, बट व्हाई?”
रिया "उसमे लिखा हैं आपने मंगवाया था "

आरुषि "मैंने....हाँ वो मैंने ही बोला था भिजवानें को, तुम उन फोटोज को स्नेहा को भेज दो और कहना ब्रेकिंग न्यूज़ में मिसिंग रिपोर्ट प्रिंट करने के लिए........"

रिया "ओके (रिया मैसेज करने लगती हैं) ओह शिट, मैम मेरे फोन की बैटरी डाउन हो गयी हैं, आप प्लीज अपना फोन दिखा सकती हैं"
आरुषि "यस, व्हाई नॉट"

रिया (मुस्कुराते हुए) "थैंक्स "

(रिया अपनी ईमेल आईडी आरुषि के फ़ोन में लॉगिन करके स्नेहा को मेल करने लगती हैं लेकिन तभी उसे याद आता हैं कि उसे स्नेहा की मेल आईडी याद नहीं है, तब वो उस फोटोज को व्हाट्सअप के ज़ारिजे भेज देती हैं, रिया फ़ोन वापस आरुषि को दे देती हैं, थोड़ी देर बाद स्नेहा का रिप्लाई आता हैं, आरुषि व्हाट्सअप ऑन करके मैसेज देखती हैं, उन मैसेज के ऊपर ही दीवांक कि तीन फ़ोटोज़ होती हैं, आरुषि उन फ़ोटोज़ को ध्यान से देखने लगती हैं, वो उसे देखते ही पहचान जाती हैं, उसके मन में वो पुरानी यादे फिर ताज़ा हो जाती हैं, वो उन यादो में खो जाती हैं)

रिया "मैम, ऐसा क्या रिप्लाई हैं जो आप शॉक्ड रह गयी, आर यू ओके"
( मुस्कुराते हुए ) आरुषि "रिया आप स्नेहा को कॉल कर के मना कर दो, न्यूज़ पेपर में इनकी मिसिंग रिपोर्ट न दे(फोटो को देखते हुए) अब जब ये ठीक हो जायेंगे तभी अपने घर जायेंगे"

रिया "मैडम आप को अचानक क्या हो गया हैं आप जानती है इसे ..?"

आरुषि "यस रिया, मैं इन्हे अच्छे से जानती हूँ, ये वो इंसान है जिससे मिलने का मुझे अब तक इंतज़ार था लेकिन अब शायद वो भी पूरा हो गया"


रिया "ओ यानि के लव शब का मैटर हैं, बहुत अच्छी बात है कि ये आप को मिल गए आई होप ये जल्दी ठीक हो जायेंगे"


(रिया, स्नेहा को फ़ोन करके आरुषि के कहे के मुताबिक बता देती हैं, आरुषि ड्राइवर काका से कह कर दिवांक को अपने डारजिलिंग वाले फॉर्महॉउस में शिफ्ट करवा देती हैं और शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को बुलवा कर उसका ट्रिटमेंट शुरू करवा देती हैं)

अगले दिन सुबह नौ बजे

आरुषि (अपने प्रोडूसर से) “सर मुझे वन मंथ का ब्रेक चाहिए, सर बहुत अर्जेन्ट हैं"
प्रोडूसर "आरुषि यह तुम किस तरह कि बात कर रही हो, ब्रेक चाहिए लेकिन क्यूँ, तुम्हे पता हैं न यह प्रोजेक्ट ट्वेल्व हंड्रेड करोड़ का हैं और अभी इसे शुरू हुए भी वन वीक नहीं हुआ हैं ऐसे कैसे ब्रेक ले सकती हो तुम"
आरुषि "सर इट्स अर्जेस्ट, मुझे ब्रेक लेना ही पड़ेगा, प्लीज् आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिये "
प्रोडूसर “देखो आरुषि अगर ऐसा कुछ था तो तुहे यह प्रोजेक्ट साइन ही नहीं करना चाहिए था,अब कुछ नहीं हो सकता अगर दो तीन दिन होता तो हम मैनेज कर लेते हैं और यह तो एक महीने का हैं, सॉरी मिस आरुषि नॉट पॉसिबल"
आरुषि "फिर यह कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करने का क्या लेंगे आप"
प्रोडूसर "क्या....देखो बहुत सारे लोग इसमें पैसा लगाए हैं अगर यह बंद हो गया तो सब का बहुत लॉस होगा और मैं तो रोड पर आ जाऊँगा, देखो तुम्हे लीव चाहिए न तो दस या पंद्रह दिन के लिए ले सकती हो लेकिन कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करने कि बात मत करना"
आरुषि "ट्वेंटी फाइव डेज लग सकते हैं"
प्रोडूसर "ओके....ओके आई विल मैनेज, यू कैन गो"
(आरुषि रिया के साथ दार्जिलिंग वापस आ जाती हैं)
आरुषि दीवांक के पास दौड़ कर जाती हैं, दीवांक का हाथ अपने हाथो में लेकर रोने लगती हैं,उसे यक़ीन नहीं हो रहा था के दीवांक के साथ उसकी मुलाकात इस तरह होगी, रिया और कुछ डॉक्टर आस-पास खड़े होकर देख रहे होते हैं, रिया कि आँखे भी नम थी वो उसके पास जाकर उसे तसल्ली देती हैं कि दीवाक जल्द ठीक हो जायेगा, रिया सभी डॉक्टर से रिक्वेस्ट करती हैं कि चाहे कितने भी पैसे लगे दीवांक को जल्द ठीक कर दे,cकुछ देर बाद डॉक्टर आरुषि को दीवांक के बारे में बताते हैं उनके मुताबिक दीवांक का ठीक होना नामुमकिन हैं, वो अब एक ज़िंदा लाश बन चुका था, उसको अब सिर्फ दुआ ही काम आ सकती हैं, डॉक्टर्स के लिए उसका इलाज़ करना नामुमकिन था, आरुषि यह सुन कर बहुत उदास होती हैं और उसके आँखों से आंसू निकलने लगते हैं, आरुषि विदेशो से डॉक्टर्स को बुलवाती हैं लेकिन डॉक्टर्स उसे विदेश में ही ले जाने की सलाह देते हैं,आरुषि वैसा ही करती हैं उसे लेकर विदेश चली जाती हैं,आरुषि एक वाइफ की तरह उसकी सेवा कर रही होती है,आरुषि के फोन पर काका का फ़ोन आता हैं –“बिटिया,यह पुलिस वालन का हमरी फ़ोन पे फ़ोन आया था,वो हमसे उस लड़के के बारे में पूछ ताछ कर रहे थे हमको मजबूरन सबे कुछ बताना पड़ा"

आरुषि "काका आपने ठीक किया,मैं उनसे बात करती हूँ वैसे अब जागी हैं पुलिस"

काका “अब का कर सकत हैं बिटिया, वह कह रहे थे उसके घर वाले ने कम्प्लेन किया हैं उसके मिसिंग का"

आरुषि “ठीक हैं काका, आप फ़ोन रखिये मैं उनसे अभी बात करती हूँ "

(रिया कोलकत्ता पुलिस को कॉल लगाती हैं, आरुषि उनसे बाते करती हैं, वो उसे सारी बातें बता देती हैं, पुलिस वाले उसकी बातें सुनने के बाद कहते हैं “देखिये आरुषि जी, ये जो लड़का हैं क्या नाम बताया आपने"

आरुषि "दीवांक"

पुलिस इंस्पेक्टर “हाँ दीवांक, उसकी मिसिंग रिपोर्ट लगभग एक सप्ताह पहले की गयी हैं लेकिन मेरे हाथो यह केस अब आया हैं, पता नहीं कैसे उन पुलिस वालो ने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब सच जाननेके बाद हम किसी भी लोगो को गुमराह नहीं रख सकते नहीं तो लोगो का पुलिस वालो पर से विश्वाश उठ जायेगा"

आरुषि “मैं आप की बात समझती हूँ लेकिन मैं आपसे प्रॉमिस करती हूँ जब यह ठीक हो जायेंगे तो हम इन्हे खुद इनके घर छोड़ कर आएंगे"'

इंपेक्टर “ठीक हैं, मैं आपको एक महीने का टाइम देता हूँ, अगर यह ठीक नहीं हुआ तो तब भी इसे आपको इसके घर वालो के यहाँ छोड़ आना होगा, तब तक मैं इसके माँ-बाप को इसके ज़िंदा होने की खबर दे देता हूँ"

आरुषि "ओके, मैं ऐसा ही करुँगी"

(लगभग दस दिन बाद दीवांक को होश आता हैं तब आरुषि उसके पास ही बैठी हुई होती हैं और बैठे-बैठे आँखे बंद करके सो रही होती हैं, दीवांक होश में आते ही आरुषि को पुकारता है, दीवांक की आवाज़ सुनकर आरुषि खड़ी हो जाती है, दीवांक के सिर पर चोट लगने की वज़ह से उसे कुछ भी याद नहीं था उसे सिर्फ आरुषि नाम ही याद था, वह आरुषि को देखने पर भी पहचान नहीं पाता हैं दीवांक आरुषि को देख कर कहता है)

दीवांक "आप कौन हो..?, (चारो तरफ देखते हुए ) और मैं ये कहाँ पर हूँ, मेरी आरुषि कहाँ है, क्या आप मुझे मेरी आरुषि से मिलवाओगी?"

(आरुषि दीवांक की बातें सुनकर हैरान रह जाती है)

(आरुषि दीवांक के बातो का जवाब देती है) आरुषि “हेलो मेरा.....,मेरा नाम रिया है और आप मेरे घर में पिछले दस दिनों से रह रहे है, डॉक्टर ने आपको रेस्ट करने के लिए बोला है.....,वैसे ये आरुषि कौन है?"

(उठते हुए)दीवांक “आरुषि ,पता नहीं कौन है, मुझे कुछ याद क्यूँ नहीं आ रहा.....,(उठते हुए) क्या आप मुझे उसके पास लेकर चलोगी?”

आरुषि "हाँ..हाँ ..,मैं आप को उसके पास लेकर जाउंगी लेकिन आपको तो सिर्फ उसका नाम याद हैं, एक नाम के तो कई सारे लोग हैं इस दुनियाँ में, उसमे हम उस आरुषि को कैसे ढूँढ़नेगे जिसे आप जानते हो "

दिवांक "क्या हुआ था मुझे, मैं कुछ भी याद क्यूँ नहीं कर पा रहा, आप मुझे यहाँ कैसे लेकर आयी"

(दिवांक की बाते सुन कर आरुषि के आंसू निकलने लग जाते है)

दीवांक "आप रो क्यूँ रही है, देखिये आप रोइए मत, मुझे बस आप मेरी आरुषि के पास लेकर चलिए, मुझे उससे मिलना हैं?"

आरुषि "सॉरी...(आंसू पोंछ कर मुस्कुराते हुए) आप के पास उसकी कोई तस्वीर, आई मीन फोटो वैगैरह है?"

दीवांक “फोटो.....(टेबल पर देखते हुए) फोटो नहीं हैं मेरे पास”

आरुषि "आपके पास फोटो नहीं हैं तो हम उसे कैसे ढूंढेंगे, आप ठीक हो जाइये फिर हम दोनों मिल कर उसे ढूंढेंगे, ओके"

दीवांक "नहीं......मुझे अभी उससे मिलना हैं, वो मेरा वेट कर रही हैं.....,(गुस्से में आरुषि को देखते हुए) कौन हो तुम और मुझे किडनेप क्यूँ किया हैं (अपनी जगह पर बैठते हुए) बताओ, मेरा घर कहाँ हैं और तुम्हे कितने पैसे चाहिए"

आरुषि "क्या किडनेप....,नहीं नहीं आप मुझे गलत समझ रहे हैं, मैं कोई किडनेपर नहीं हूँ, एक्चुअली आप का एक्सीडेंट हो गया था, आप मुझे सड़क के किनारे बेहोशी की हालत में मिले थे और आप के सिर से बहुत खून बह रहा था, तब हम आपको हॉस्पिटल लेकर गए थे, उसके बाद हमने आप के परिवार वालो का पता लगाया लेकिन वह हमें नही मिले, फिर हम आपको अपने घर में लेकर आ गए"

दीवांक "सच बोल रही हो न"

आरुषि "हाँ सच्ची...... मैं बिलकुल सच बोल रही हूँ"

दीवांक “फिर ठीक हैं, अगर झूट निकला न तो मैं तुम्हे एक रुपए भी नहीं दिलवाऊंगा"

(उतने ही देर में दीवांक के सिर में दर्द होता है, वह सिर पकड़ कर कराहने लगता है, आरुषि तब तक डॉक्टर्स को बुलाती है)

(दीवांक के नजदीक जाकर) आरुषि “क्या हुआ आपको, आप ठीक तो हैं न"

दीवांक “मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा हैं, पानी...पानी चाहिए मुझे”

आरुषि “ओके, मैं अभी लेकर आता हूँ"

(आरुषि जब पानी लेकर आती हैं तब दीवांक अपने कमरे में नहीं होता हैं, आरुषि दीवांक को पुरे कमरे में ढूंढने लगती हैं, रिया भी वहां आ जाती हैं)

रिया "मैम आर यू ओके"

आरुषि "रिया, दीवांक यही पर थे पता नहीं कहा चले गए"

रिया "व्हाट.....,रिलैक्स मैं अभी देखती हूँ”

(दोनों वापस हॉल में देखने आते हैं, आरुषि और रिया एक दूसरे को देखने लगते हैं और देख कर हसने लगते हैं, दरअसल दीवांक हॉल में बैठा टीवी पर कार्टून देखते हुए आइसक्रीम खा रहा होता हैं, उन दोनों को देख कर वो अपना आइसक्रीम पीछे छुपा लेता हैं)

दीवांक "मैं अपना आइसक्रीम तुम दोनों को नहीं दूंगा"

(आरुषि उसके नजदीक जाती हैं और मुस्कुरा कर उससे पूछती हैं) “लेकिन क्यूँ"

दीवांक "क्यूंकि इसे मैंने फ्रीज़ से निकाला हैं, मैं नहीं दूंगा किसी को"

आरुषि "ओके...ओके हम नहीं मांगेंगे"

(उसी समय डॉक्टर्स आ जाते हैं, दीवांक उनको देख कर आरुषि के पीछे चुप जाता हैं)

आरुषि “व्हाटहैपेंड, क्या हुआ आपको?"

दीवांक “ये लोग अच्छे नहीं हैं, मुझे इनसे डर लगता हैं, तुम भी इनसे बात मत करना यह बहुत बुरे हैं"

आरुषि “ किनसे कहा अपने, यह लोग तो बहुत अच्छे हैं, आइये मैं आपको इनसे मिलवाती हूँ"

दीवांक “नहीं..नहीं मुझे नहीं मिलना इन गंदे अंकल से"

(दीवांक जाकर बेड के निचे चुप जाता हैं, आरुषि उन डॉक्टर्स को पूरी बातें बताती हैं)

पंद्रह मिनट बाद

डॉक्टर्स दीवांक के पास जाते हैं, दीवांक बेड के निचे लेट कर आईस्क्रीम खा रहा होता हैं, डॉक्टर्स उसे निकलने के लिए कहते हैं, वो मना कर देते हैं, नर्स जाकर गेट बंद कर देती हैं, सब उसे बाहर निकलने के लिए रिक्वेस्ट करने लगते हैं, अंत में वो लोग बेड उठा कर एक किनारे कर देते हैं, दीवांक को लगता हैं कि अब वो बच नहीं पायेगा तो वो आरुषि को जाकर पकड़ लेता हैं और कहता हैं “मुझे इन गंदे अंकल से बचा लो प्लीज "

आरुषि “यह लोग गंदे नहीं हैं, यह आपको कुछ नहीं करेंगे, मैं हूँ न आपके साथ”

(उतने में एक सिस्टर उसे इंजेक्शन देने आती हैं)

दीवांक “इंजेक्शन, ओए दूर हटो ....देखो मेरे पास मत आना......नहीं तो नहीं तो...."

(आरुषि उनको इशारे से मना कर देती हैं) आरुषि "आप लोग दूर हटिये, अभी जाइये, चलिए हम आपको और आइसक्रीम देते हैं, आपको और आइसक्रीम खाना हैं?"

दीवांक “आइसक्रीम हाँ, मुझे और चाहिए, इन अंकल को मत देना, इन में से किसी को मत देना"

(आरुषि दीवांक को ले जाकर आइसक्रीम देती हैं, दीवांक उसके कमरे में कार्टून देखते हुए आइसक्रीम खाने लगता हैं,उसी समय एक सिस्टर आकर उसके हाथो में इंजेक्शन लगा देती हैं, दीवांक गुस्से में आइसक्रीम लेकर सारा उस सिस्टर के ऊपर फांक देता हैं,कुछ ही मिनट में वो बेहोश होने लगता हैं, सब उसे ले जाकर दूसरे कमरे के बेड पर लिटा देते हैं, डॉक्टर आरुषि और रिया को बाहर भेज देतें हैं)

(आरुषि हॉल में जाकर बैठ जाती हैं और अपनी नम आँखों को पोछने लगती हैं, रिया भी वही पास में जाकर बैठ जाती है, कुछ देर बाद एक डॉक्टर बाहर निकलते हैं)

आरुषि “डॉक्टर दीवांक को क्या हुआ हैं, वो ठीक तो हो जायेंगे न?”

डॉक्टर "देखिये, इनकी मेमोरी लॉस्ट हो गयी हैं, अब ये वैसे हो गए हैं जैसे कोई छह साल का बच्चा, कोमे के बाद अगर कोई इस कंडीशन में जाता हैं तो चान्सेस बहुत कम होते हैं रिकवरी होने का, बट इम्पॉसिबल नहीं, अगर आप इसे याद दिलाने कि कोशिश करे तो शायद इन्हे सब कुछ याद भी आ सकता हैं, बैटर होगा आप इसे इनके फॅमिली के साथ ही रखे"
(आरुषि मायूस होकर निचे बैठ जाती हैं, रिया उसके पास जाकर खड़ी हो जाती हैं)

आरुषि "मैंने सोचा था जब यह ठीक हो जायेंगे तो हम इन्हे अपने घर छोड़ देंगे, बट लग रहा हैं ऐसा नहीं हो सकता"

रिया "मैम आपने पूरी कोशिश की हैं, कोई बात नहीं आप इस तरह अपसेट नहीं होइए आप जैसे लोग तो दुसरो के लिए आइडल बनते हैं"

आरुषि “रिया मैं इनकी ऐसी हालत नहीं देख सकती, क्या हो गया हैं यह सब (तभी सारे डॉक्टर्स दुबारा आरुषि के पास आतें हैं) डॉक्टर ये कैसे ठीक होंगे"

डॉक्टर "इनका ट्रीटमेंट इलेक्ट्रॉनिक शॉक से करना पड़ेगा"

आरुषि "व्हाट, इलेक्ट्रॉनिक शॉक ?"

डॉक्टर “जी, आपने सही सुना "

आरुषि “डॉक्टर, जब हमें ज़रूरत पड़ेगी तो हम आपको कॉल कर देंगे, अभी आप लोग जा सकते हैं”

डॉक्टर “मैं कुछ मेडिसिन लाया नहीं बट जाकर भिजवा दूंगा, आप इसे टाइम टू टाइम देते रहना, बट इनके साथ अगर शॉक ट्रीटमेंट रहेगा तो यह जल्दी ठीक हो जायेंगे"

(हाथ जोड़ कर) आरुषि “थैंक यू सो मच "

डॉक्टर "योर मोस्ट वेलकम, आप को जब भी कुछ भी पूछनी हो मुझे कॉन्टैक्ट कर सकती है, ओके बाय टेक केयर योर सेल्फ "

(डॉक्टर के जाने के बाद, आरुषि दीवांक को उसके घर लेकर जाने का फैसला करती हैं, कुछ घंटो बाद दीवांक के कमरे से चिल्लाने की आवाज आती हैं, रिया और आरुषि दौड़ कर उसके कमरे में जाती हैं)

(चिल्लाते हुए) दीवांक “चली जाओ, तुम सब भागो मुझे इंजेक्शन नहीं लगवानी, तुम सब जाओ"

(आरुषि और रिया को देख कर दीवांक बेड से उठ कर आता हैं और आरुषि को पीछे से ज़ोर से पकड़ लेता हैं) "मुझे इन सब से बचा लो"

आरुषि "लेकिन यहाँ तो कोई नहीं हैं, सब को तो मैंने पहले ही भगा दिया हैं"

(पीछे मुड़ कर देखते हुए) दीवांक “कोई नहीं हैं (गेट के बाहर झाक कर देखते हुए) सब चले गए, देखो तुम मुझे छोड़ कर मत जाना, वो सब फिर आ जायेंगे नहीं तो"

(दीवांक के हाथो को पकड़ते हुए) आरुषि “मैं आप को छोड़ कर कही नहीं जाउंगी, चलिए हम दोनों गार्डन में घूम कर आते हैं"

(चलते हुए) दीवांक "मेरा नाम क्या हैं, आप मेरा नाम जानती हो"

आरुषि “दीवांक….."

दीवांक “दीवांक, यह मेरा नाम हैं क्या लेकिन आपको कैसे पता"

आरुषि “अ ...मतलब मैं आपको दीवांक के नाम से बुलाऊंगी"
दीवांक “ओके...मीन्स यह मेरा नाम नहीं हैं, आपका नाम रिया हैं न?"

आरुषि “यस"

दीवांक “वो जो आपके साथ रहती हैं उसका नाम क्या हैं?

आरुषि “उसका नाम...अंजलि हैं"

(आरुषि दीवांक को उसके मॉम डैड के बारे में बताती हैं, अगले दिन वो उसे उसके मॉम डैड के पास ले जाने के लिए तैयारियां करने लगती हैं)

दीवांक “रिया जी, हम कहाँ जा रहे हैं"

आरुषि "मैं आपको वर्ल्ड के बेस्ट लोगो से मिलवाने ले जा रही हूँ"

दीवांक “आप मुझे मेरी मॉम से मिलवाने ले जा रही हैं"

आरुषि (दीवांक को देखने लगती हैं) "ऐसा ही समझ लीजिये "

(आरुषि दीवांक के साथ इंडिया वापस आ जाती हैं और अपने फॉर्महॉउस में ठहरती हैं, शाम को वो दिवांक को लेकर उसके घर जाने के लिए फॉर्महॉउस से रवाना हो जाती हैं)

दिवांक "रिया जी, मुझे तो उनके बारे में कुछ भी याद नहीं हैं, मैं उन्हें कैसे पहचानूंगा?"

आरुषि “डोंट वरी, वो आपको देखते ही पहचान जायेंगे ”

दिवांक “आपको मेरे बारे में कैसे पता चला, मतलब आप को कैसे पता मैं कहाँ रहता हूँ"

आरुषि - "अ...प ...पुलिस…. पुलिस अंकल हैं न, उन्होंने ही मुझे बताया हैं"

दिवांक "पुलिस अंकल ओके, रिया जी मुझे लगता हैं मैं आपको पहले से जनता हूँ"

आरुषि “सच में..... "

दीवांक “हाँ, मैं जब बहुत बड़ा हो जाऊंगा न तो मैं आपसे ही शादी करूँगा"

(आरुषि को दीवांक की बातें सुन कर आँखों में आंसू आ जाता हैं, वो उसके हाथ को अपने हाथो में लेकर चूमने लगती हैं, दीवांक फिर से उसकी तारीफ करता हैं)

दीवांक “आप बहुत अच्छी हैं, आपने मेरी बहुत हेल्प की हैं, आप मुझे मेरे घर तक भी छोड़ने जा रही हैं इतना कोई भी नहीं करता किसी के लिए"

आरुषि “बस...बस तारीफे बहुत हो गयीं, मुझे भूख लग रही हैं, कुछ खाएं”

दीवांक “हाँ...छोले भठूरे"

आरुषि “आपको यह पसंद हैं"

दीवांक “हाँ..."

आरुषि "काका, आगे रेस्टुरेंट के पास गाड़ी रोक देना, आज हम सब छोले भठूरे खाएंगे"

(आरुषि, दीवांक और ड्राइवर काका तीनो उस रेस्टुरेंट में खाना खाते हैं, उसके बाद वो लोग दीवांक के घर के लिए वहां से चल देते हैं, कुछ देर और सफर करने के बाद दिवांक के घर के बाहर गाड़ी रूकती हैं, ड्राइवर काका गाड़ी से निकल कर दिवांक के घर का बेल बजाते है तब तक आरुषि और दिवांक अंदर ही बैठे हुए होते है, दिवांक के पापा गेट खोलते है)

दिवांक के पापा “तुम कौन हो भई...?”

ड्राइवर “मैडम और सर आप लोगन से मिले आये है..?”

दिवांक के पापा “कौन से मैडम और सर..?”

तभी दिवांक गाड़ी से बाहर निकलता है (देख कर चौकते हुए ) दिवांक के पापा “दिवांक बेटा तुम?b(दिवांक के नज़दीक जाकर), कहाँ थे इतने दिनों तक, देखो आपकी मॉम ने अपनी क्या हालत बना रखी है चलो अंदर चलो और अपनी माँ से मिल लो (तभी आरुषि भी गाड़ी से बाहर निकलती है), आप यहाँ?”

दिवांक "ये मेरी दोस्त है, मैं इनके साथ ही रह रहा था, ये मुझे बहुत सारे आइसक्रीम खाने के लिए देती थी, ये बहुत अच्छी हैं "

(हैरान होकर) दिवांक के पापा “आइसक्रीम...?,बेटा अंदर चलो और पहले अपनी माँ से मिल लो (दिवांक के हाथ को पकड़ कर अंदर ले जाने लगते हैं, पीछे मुड़ कर देखते हुए) आप भी आओ बेटा?”

(आरुषि की तरफ देखते हुए) दीवांक “रिया जी, ये लोग भी मुझे दीवांक कह रहे हैं "

आरुषि “अच्छा...क्या इत्तेफ़ाक़ हैं.....देखिये आपका नाम भी यही हैं"

( दीवांक उसे शक की नज़र से देखने लगता हैं)

(दिवांक के पापा दोनों को अंदर ले जाते है और हॉल में बैठने को कहते है, दिवांक के पापा ज़ोर से चिल्ला कर कहते हैं "देखो....देखो कौन आया हैं.......हमारा दिवांक वापस आ गया है"
तभी दिवांक की माँ अपने कमरे से निकलती है और दिवांक को गले लगा कर रोने लगती है, आरुषि दिवांक की माँ को देख कर खड़ी हो जाती है)

(रोते हुए ) दिवांक की माँ “दीवांक बेटा आप इतने दिनों से कहाँ थे, अपनी मॉम की बिलकुल भी याद नहीं आयी आपको?, क्यूँ चले गए थे हमें छोड़ कर”

(दिवांक चुप-चाप अपनी माँ की बात सुन रहा था ) "दिवांक आप कुछ बोलते क्यूँ नहीं है..?”

दीवांक “आप मेरी मॉम हैं?, (आरुषि के पास जाकर) रिया जी, देखो मेरी मॉम हैं ये"

आरुषि “हाँ...ये आपकी मॉम हैं”

(खुश होते हुए) दीवांक “मॉम… मॉम ये मेरी फ्रेंड हैं, मॉम ये बहुत अच्छी हैं, इन्होने मुझे गंदे अंकल से बचाया था"

मॉम “दीवांक, आपको क्या हो गया हैं, आप ठीक तो हैं न"

दीवांक “मॉम मैं तो ठीक हूँ...,मॉम फ्रीज़ में मेरे लिए आइसक्रीम है न, मैं अभी खा कर आता हूँ "

(दीवांक की माँ दीवांक की हरकतों को देख कर हैरान थी वो आरुषि के नज़दीक जाती हैं)

आरुषि "आंटी जी इनका एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से इनकी याददास्त चली गयी है और अब इन्हे पहले का कुछ भी याद नहीं है "
दिवांक के पापा “क्या, दिवांक का एक्सीडेंट हो गया था लेकिन कैसे......मुझे तो बताया गया था वो घर छोड़ कर चला गया हैं?”

आरुषि "अंकल जी, ये मुझे फ्लाईओवर पास मिले थे, डॉक्टर्स के मुताबिक इन्हे पहले किसी ने हॉकी स्टिक से मारा था फिर पहाड़ी से निचे फेंक दिया था, पहाड़ी से गिरने के बाद यह फ्लाईओवर पर गिरे थे”

दिवांक के पापा “लेकिन आप ये सब कैसे जानती हो?”

आरुषि “अंकल जी, इन्हे हॉस्पिटल में काका ले कर गए थे जो हमारे घर के ड्राइवर हैं, काफी दिनों तक इनका इलाज सिटी हॉस्पिटल में चला था, उसके बाद जब मुझे पता चला के यह आप लोगो का बेटा हैं तो मैंने इनका इलाज करवाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज दिया था, उससे पहले मैंने आप लोगो से कांटेक्ट करने की कोशिश की थी बट...., डॉक्टर्स ने दीवांक का शॉक ट्रीटमेंट शुरू करने के लिए एडवाइस दिया हैं, इससे इनकी याददास्त जल्दी आ जाएगी "

मॉम “क्या शॉक ट्रीटमेंट.....नहीं मैं अपने बेटे को शॉक नहीं देने दूंगी"

दीवांक के पापा "बेटा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, आपने जो हमारे लिए किया उसका हम जीते जी एक परसेंट भी नहीं चूका पाएंगे, बस आप का हम तहे दिल से शुक्रिया करते हैं "

आरुषि “अंकल जी ये तो मेरा फ़र्ज़ था, दीवांक मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी रह चुके हैं और एक दोस्त के नाते तो मेरा फ़र्ज़ बनता हैं न, एक गुड न्यूज़ भी हैं दीवांक के लिए डॉक्टर्स ने कहा हैं की दीवांक अपनी फॅमिली के साथ रहेंगे तो इनकी याददास्त जल्दी वापस आने के चान्सेस हैं "

(यह सुनने के बाद दिवांक की माँ आरुषि से कहती है) "बेटा मुझे माफ़ कर देना, मैं बहुत सेल्फिश थी सिर्फ अपने बारे में सोचती थी, सच बात तो यह है की मैंने तुम दोनों को अलग करने के लिए ही वो वादा तुमसे करवाया था, मुझे माफ़ कर देना (रोते हुए )"

आरुषि "नहीं आंटी जी आप प्लीज़ माफ़ी नहीं मांगिये अगर आप के जगह पर कोई और माँ भी होती तो शायद वो भी ऐसा ही करती"

(दीवांक आरुषि की बातें चुप-चाप सुन रहा था)

आरुषि "अंकल, आंटी अब हम चलते हैं, आज छह बजे पुणे की फ्लाइट हैं...ओके अब इज़ाज़त दीजिये'

दीवांक “रिया जी, आप जा रही हैं, मॉम इन्हे कहिये न मेरे साथ रहेंगी, मॉम ये जा रही हैं"

मॉम “बेटा ये अपने घर जा रही हैं, इनके मॉम डैड भी तो इसे मिस कर रहे होंगे"

दीवांक “नो मॉम, ये मेरे साथ रहेंगी, ये मेरी फ्रेंड हैं इसलिए मेरे साथ रहेंगी"

मॉम “आइये हम आपको आपका फवोरिट डिश बना कर देते हैं"

(आरुषि के नज़दीक जाते हुए) दीवांक "रिया जी, आपने झूट बोला था के आप मुझे नहीं जानती हैं लेकिन आप ने मॉम को कहा की आप मेरी फ्रेंड रह चुकी हैं, तब तो आप आरुषि के बारे में भी जानती होगी, मुझे जानना हैं कि आरुषि कौन हैं?"

आरुषि “दीवांक, आरुषि नाम की कोई हैं ही नहीं, मैं आपकी सभी फ्रेंड्स को जानती हूँ, उन में से आरुषि कोई नहीं हैं"

दीवांक “आरुषि नहीं हैं, फिर मुझे यह नाम कैसे याद हैं, नहीं आप झूट बोल रही हो"

आरुषि “मैं झूट नहीं बोल रही, यह सच हैं…….”

(दीवांक के मॉम डैड एक दूर का चेहरा देख रहे होते हैं, वो दोनों जानते थे की रिया ही आरुषि हैं लेकिन वो यह समझ नहीं पा रहे थे कि आरुषि झूट क्यू बोल रही थी)

आरुषि "अच्छा अब मैं चलती हूँ, बाय एव्री वन"

दीवांक “रिया...रिया (उसके मॉम डैड उसे पकड़ लेते हैं)

आरुषि अपनी गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं, दीवांक अपनी मॉम का हाथ छुड़ा कर आरुषि के पीछे जाता हैं.....आप ऐसा नहीं कर सकती, आप जानती हैं कि आरुषि कौन हैं, आप को बताना पड़ेगा..रिया जी...रिया जी"

(आरुषि, काका को गाड़ी तेज़ चलाने के लिए कहती हैं और वहां से चली जाती हैं, दीवांक उसे खड़ा होकर देख रहा होता हैं, उसके मॉम डैड उसे वहां से अंदर ले जाते हैं, आरुषि अपनी गाड़ी में फूट-फूट कर रोने लगती हैं, आरुषि पहले अपने घर जाती हैं, वही रिया उसका वेट कर रही होती हैं, रिया के पूछने पर आरुषि उसे पूरी बातें बताती है)

रिया “लेकिन मैम, आपने उन्हें सच बताया क्यू नहीं..."

आरुषि “कैसे बताती, जिस इंसान ने मुझे देखने पर भी नहीं पहचाना अगर उसे मैं कहूं तो वो समझ जायेगा क्या"

रिया “मैम..अगर आप कहती तो शायद उन्हें कुछ याद आ जाता"

आरुषि “नहीं रिया....जब उन्हें याद आ जायेगा तो वो खुद समझ जायेंगे कि रिया कौन हैं और आरुषि कौन हैं?

रिया “बट मैम....”

आरुषि “मैं उनका इंतज़ार करुँगी, अगर वो मेरे पास आ गए तो मैं समझूंगी के वो मेरे ही हैं नहीं तो सब सपना समझ कर भूल जाना पड़ेगा"

रिया “मैम आप को समझना सो डिफिकल्ट"

(आरुषि और रिया वापस पुणे चली जाती हैं और अपना काम शुरू कर देती हैं, उधर दीवांक आरुषि कौन हैं ये जानने के लिए अपने पुराने दोस्तों का पता लगाने लगा उसे अपने दोस्तों के बारे में पता चल जाता हैं वो उन सब से आरुषि के बारे में पूछता हैं, वो लोग उसे आरुषि के बारे में बता देते हैं, वो जान जाता हैं कि रिया ही आरुषि हैं, उसे याददस्त तो नहीं आया था लेकिन आरुषि से मिलने की तड़प उसे मेचयोर बना चुकी थी, दीवांक की माँ भी आरुषि के बारे में उसे बता देती हैं, वो उससे मिलने के लिए उसके अप कमिंग इवेंट्स के बारे में इंटरनेट पर ढूंढने लगा, उसे पुणे के प्रोजेक्ट के बारे में चलता हैं, वो उससे मिलने के लिए वहां चला जाता हैं, थोड़ा मुश्किल होता हैं उसे स्टेज तक पहुंचने में लेकिन वो पहुंच जाता हैं, रिया की नज़र दीवांक पर पड़ती है, वो आरुषि के विश्वाश पर प्राउड फील करने लगती हैं, वो उसे आरुषि के वेटिंग रूम में ले जाती हैं, प्रोग्राम ख़त्म होने के बाद आरुषि अपने वेटिंग रूम में आती हैं, रिया वहां से बाहर निकल जाती हैं )

(दीवांक को देख कर खुश होते हुए) आरुषि "दीवांक आप यहाँ पुणे में? "

(गुस्से में) दीवांक “झूटी, धोखेबाज़...."

आरुषि “क्या हुआ....मैंने क्या किया हैं? "

दीवांक “आपने कहा था आरुषि कोई हैं ही नहीं लेकिन वो तो अभी मेरे घर पर हैं"

(चौकते हुए) आरुषि “क्या.....कौन हैं वो"

दीवांक “ वो मेरी आरुषि हैं....जिसे मैं सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ, यू नो मुझे उसके साथ स्पेंड किये सारी यादे भी वापस मिल गयी हैं और मैं आपको यह बताने आया हूँ के आप कितनी झूटी हो "

आरुषि “क्या... वो आप के साथ घर पर हैं, इट्स नॉट पॉसिबल ....वो झूट बोल रही हैं"

दीवांक “ झूटी तो आप हो, आपने मुझसे झूट बोला हैं, मुझे उस पर खुद से भी ज़्यादा ट्रस्ट हैं"

आरुषि “नहीं...नहीं...दीवांक वो ज़रूर फ्रॉड होगी हैं, आरुषि वो नहीं हैं"

दीवांक “वो और फ्रॉड......वो बहुत अच्छी हैं, आप से तो बहुत ही अच्छी हैं कम से कम मुझसे झूट तो नहीं बोलती हैं न "

आरुषि “अच्छा..इतनी ही अच्छी हैं न, ज़रा मुझे उसकी तस्वीर दिखाना "

दीवांक “ नहीं...नहीं.....नहीं....आपको तो बिलकुल नहीं दिखाऊंगा, आप के हाथो में उसकी तस्वीर जाने के बाद कहीं उसे भी आपका असर हो गया और वो भी आपकी तरह झूठ बोलने लगी तो…”

आरुषि “दीवांक.....प्लीज मुझे जानना हैं......वो कोई डुप्लीकेट होगी.....ट्रस्ट मी"

दीवांक “अच्छा तो अब वो डुप्लीकेट हो गयी....आप तो मेरी आरुषि पर इलज़ाम पे इलज़ाम लगाए जा रही हो, अब फिर से आप पर ट्रस्ट नहीं करूँगा"

आरुषि “नहीं मैं सच कह रही हूँ.....दीवांक मुझे देखना हैं की वो चुड़ैल हैं कौन? "

दीवां “अच्छा, तो ठीक हैं चलिए मेरे घर, मैं एक अच्छी और झूठ न बोलने वाली लड़की से आपको मिलवाता हूँ"

दीवांक “ठीक हैं...मैं उस धोखेबाज़ को अभी आपके घर से निकालती हूँ"

(दीवांक शाम की फ्लाइट की टिकट बुक करता हैं और वो लोग रात तक पहुंच जाते हैं, दीवांक अपनी मॉम से कह कर आया था की वो आरुषि को लेकर आएगा, जब आरुषि उसके घर में आती हैं तो उसके फॅमिली वाले उसे नयी दुल्हन कि तरह स्वागत करते हैं, आरुषि समझ नहीं पाती हैं कि उसका स्वागत इस तरह क्यूँ किया जा रहा था, फिर दीवांक उन सब के बीच अपनी मॉम को कहता हैं)
दीवांक “मॉम मैं कह रहा था न आपकी बहु को लेकर आऊंगा, देखिये"
(आरुषि दीवांक को देखने लगती हैं और शरमाते हुए स्माइल करती हैं)
(आरुषि दीवांक से कहती हैं) “यू चीटर, लायर...."
दीवांक “ओह, तो मैं चीटर और लायर हूँ "
(दोनों एक दूसरे को देखते हुए हसने लगते हैं और फिर पर्दा गिर जाता हैं)


हैप्पी एंडिंग
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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