नैन भाई की तरह ही आप की कहानी के किरदार के नाम भी काफी अनोखे है। रावण , दलाल , साजन , वो दो लफंगे जो कमला को अक्सर छेड़ा करते थे और अब राजेंद्र के पिताजी ....सभी नाम हटकर है।
कहानी अब तक एक आम पारिवारिक मेलोडी ड्रामा ही चल रही थी लेकिन श्वेत वस्त्र धारी इंसानों के जिक्र और एक चमत्कारिक यंत्र ने कहानी को फैंटेसी मे भी तब्दील कर दिया।
कहानी मे सस्पेंस भी दलाल के बड़े भाई और उनके फैमिली के आगमन से शुरू हो गया।
सुकन्या के पिताजी क्यों राजेंद्र के परिवार से बेइंतिहा नफरत करते थे और उनकी हत्या करना चाहते थे , बड़ा सवाल है। और क्यों दलाल के पिताजी ने उसे अपने से दूर पाला पोसा था ?
राजेंद्र का भाई रावण अल्प बुध्दी का था इसलिए लालच का शिकार हुआ और अपने ही फैमिली का दुश्मन बन बैठा था। और इस आग को भड़काने का काम दलाल ने कर दिया था।
यह बहुत ही अच्छा संकेत है कि अपस्यू की तरह बाप का ह्रदय भी परिवर्तन के राह पर चल पड़ा और अपनी गलतियों का एहसास भी करने लगा।
लेकिन यह भी सत्य है कि कुछ गुनाह ऐसे होते है जिनके लिए काफी घनघोर प्रायश्चित करना पड़ता है।
राजेंद्र और सुरभि का जैसा चरित्र है , वो बड़ी से बड़ी गलतियों को क्षमा कर देगी। वो रावण और अपस्यू को भी क्षमादान कर देगी लेकिन कुदरत का निर्णय कैसा होगा , हमे नही पता।
बहुत खुबसूरत अपडेट दे रहे है आप बिगुल भाई। बिल्कुल ही साफ सुथरी और स्वच्छ कहानी।
कुछ लोग शौकिया लिखते है तो कुछ राइटिंग को प्रोफेशन बना लिए है । हर कोई एप्रीसिएशन चाहता है। सभी चाहते है कि उनके हुनर को वाहवाही प्राप्त हो। पर दुर्भाग्य , ऐसा होता नही।
बहुत मेहनत करनी होती है। अपने कर्म पर एकाग्रचित होना पड़ता है। महिनों साल तक प्रतिक्षा करना होता है। तब जाकर सफलता मिलना शुरू होता है।
आप ऐसे ही मेहनत करते जाइए। मुझे विश्वास है रीडर्स का प्रेम आपको जरूर बढ़ चढ़कर मिलेगा।