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I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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UPDATE 16

NOW ACTION TIME

भूमि पूजन के साथ दावत खतम कर शायरी की बारी आई जिसमे सभी गांव वालो को खूब हसाया और एक लम्हे ने सबको भावुक भी कर दिया एसे माहोल में जब गीता देवी और संध्या आसू पोंछ के राज को दिलासा दे रहे थे वही दूर पेड़ की आड़ में छिपा अभय अपने आसू बहा रहा था तभी

सत्या बाबू – (राज और उसके दोस्तो से) बहुत ही अच्छी शायरी सुनाई मजा आगया आओ इसी बात पे मेरी तरफ से तुम तीनो के लिए कुछ लाया हू मैं, जल्दी से आसू पोछो और चलो मेरे साथ

तीनों दोस्त सत्या बाबू के साथ चले गए

संध्या – (गीता देवी से) दीदी वो अभय...

गीता देवी –(बीच में टोकते हुए) हा जानती हू वो पेड़ के छिप के आसू बहा रहा है , एसा कर संध्या अभी तू जा रात के 10 बज रहे है अंधेरा भी अच्छा खासा हो गया है मै अभय को देखती हू

अपना मन मार कर गीता देवी की बात मान के संध्या निकल गई हवेली की ओर जबकि इस तरफ अभय..

अभय –(अपने आसू पोंछ रहा था तभी उसे किसी का कॉल आया बिना नंबर देखे कॉल उठा के) कॉन है

सामने से – आज आराम थोड़ा देर से करना क्योंकि वक्त आगया है हमारा सौदा पूरा करने का उसके बाद तू आजाद है

अभय – फिर से खेल रहे हो मेरे साथ

सामने से – नही अभय इस बार कोई खेल नहीं , बाकी की बात मिल के होगी

अभय – बस इतना बताओ कहा मिलेंगे वो लोग

सामने से – डिटेल सेंड कर दी है तुम्हे त्यार हो के जाना हेवी पार्टी होगी (कॉल कट)

अभय – हेलो हेलो...

तभी पीछे से किसी ने अभय के कंधे पे हाथ रखा अभय ने पलट के देखा तो सामने गीता देवी खड़ी थी

अभय –(सामने बड़ी मां को देख के) बड़ी मां आप

गीता देवी –(अपने हाथ से अभय के आसू साफ करके) देखा ना तूने ये तीनों भी तेरी ही राह देख रहे है चला जा बेटा और बता दे इनको

अभय –हा बड़ी मां देखा मैने बस आज की रात गुजार जाय मैं वादा करता हू कल मेरे दोस्त मिलेंगे अभय से इसके बाद आप देखना राज फिर से शायरी लिखेगा दोस्ती पे

गीता देवी – (मुस्कुरा के) जैसा तुझे अच्छा लगे बेटा चल तू भी आराम कर जाके कल कॉलेज भी जाना है ना

अभय – जी बड़ी मां

इतना बोल के गीता देवी जाने लगी तभी अभय ने पीछे से गीता देवी को आवाज दी...

अभय – बड़ी मां

गीता देवी – (पलट के अभय को देखते हुए) हा अभय

अभय –(गीता देवी के पास आके पैर छुए)

गीता देवी – (अपने पैर छूते हुए अभय को देखती रही) क्या बात है अभय

अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नही बड़ी मां बस ऐसे ही मन हुआ , अच्छा चलता हू बड़ी मां

बोल के अभय जाने लगा पीछे से गीता देवी गौर से अभय को जाते देख रहे थी

गीता देवी – (मन में – इसे क्या हुआ आज इस तरह से कभी नही किया इसने)

अभय तेजी से हॉस्टल की ओर निकल गया हॉस्टल आते ही अपने रूम में बेड के नीचे से बैग निकाल के खोला अपने कपड़े उतार के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी साथ एक सूट भी पहना और पॉकेट में डाल के बैग बंद करके चुप चाप हॉस्टल की दीवार फांद के निकल गया कही...

गांव के सरहद के बाहर एक सुनसान एरिया में एक फार्म हाउस बना हुआ था उसके अन्दर एक हॉल बना हुआ था जिसमे 50 से 60 आदमी और औरते इक्कठा थे धीरे धीरे हाल में लगी कुर्सियों में लोग आ रहे थे बैठ रहे थे फार्म हाउस की भीड़ के बीच अभय भी आगया था सभी के साथ हाल में जाके बैठ गया तभी किसी के आने से वहा सन्नाटा छा गया हाल की बाकी कुर्सियों के सामने एक चेयर पे आके बैठ गया

ये लोग कोई मामूली लोग नही थे दिल्ली , मुंबई और गुजरात के नामी गैंगस्टर थे जो अपने गैंग के साथ गांव के बाहर किसी फार्म हाउस में आए थे मीटिंग के लिए इनके सामने बैठा था इन सब गैंगस्टरो का सरदार (LEADER)

लीडर – तुम सब को यहां बुलाने का सिर्फ एक कारण है अब तक हमारे ज्यादा तर धंधे बर्बाद कर दिए गए है साथ ही एनकाउंटर के नाम पर हमारे आदमियों को मारा गया है और इस काम को पुलिस और सरकार अंजामंदे रही है जबकि सच तो ये है इन सब के पीछे किंग (KING 👑 ) का हाथ है खुद सामने ना आकर पीठ पीछे वार कर रहा है हमारे ताकी हम सरकार को दोषी माने

1 गैंगस्टर – तो क्या सोचा है तुमने कैसे हम अपना कारोबार करेगे

2 गैंगस्टर – (KING 👑) किंग कोई मामूली इंसान नही है उससे डायरेक्ट उलझना मतलब अपनी मौत को दावत देना होगा

3 गैंगस्टर – पुलिस उसका कुछ नही बिगड़ सकती है क्यों की पुलिस के रिकॉर्ड में उसके किसी भी जुर्म की कोई फाइल कभी बनी ही नही है सरकार उसके हाथ में है ऐसे में कारोबार करना नामुमकिन है

लीडर – तो क्या चाहते हो हम हाथ पे हाथ धर के बैठे रहे करने दे उसे अपनी मनमानी

2 गैंगस्टर – क्यों ना उसके पावर को खतम किया जाय

3 गैंगस्टर – हां बिलकुल एक एक करके उसके नेटवर्क को मिटा देते है बिना नेटवर्क के उसकी कोई पावर नही रहेगी....

अभय इतनी देर से सुन रहा सबकी बात को बीच में बोल पड़ा...

अभय – (बीच में गैंगस्टर की बात काटते हुए) तब तो यहां पे बैठे हुए कुछ लोगो को अपनी जान गवानी पड़ेगी

लीडर – कॉन हो तुम बिना इजाजत हमारे बीच में बोलने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी , कॉन है तुम्हारा बॉस

अभय – मेरा कोई बॉस नही और ना मैं तुम्हारे किसी गैंग का बंदा हू

लीडर – तो तू यह पे आया कैसे और क्या करने आया है यहां पे

अभय – (एक खीच के चाटा मारा लीडर को)



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इसके बाद लीडर के साथ कई लोगो ने मिलके अभय के उपर गन तान दी..

अभय –(हस्ते हुए) जनता है तुम जैसे से नजरे मिला के कोई बात बात करने की हिम्मत नही करता है लेकिन आज मैने किया , दिल खुश हो गया मेरा यार (हस्ते हुए)

लीडर – (हस्ते हुए अपने आदमियों को गन नीचे करने का इशारा करता है) बहोत डेयरिंग है तुझमें किसी की हिम्मत नही मुझे टच भी कर ले तूने तो हाथ उठा दिया , लेकिन तेरी बातो से इंप्रेस हुआ मैं , अब बता क्यों आया है यहां पे तू और क्यों मेरे लोग मारे जाएंगे

अभय – जरा सोच तो इतनी बड़ी मीटिंग शहर और गांव के बाहर जंगल के बीचों बीच जिसके बारे में कोई सपने में भी न सोच सकता हो वहा पर मैं कैसे आगया सोची ये बात तूने नही ना , तो सोच जरा

लीडर – ठीक से बोल क्या कहना चाहता है तू

अभय – यही की तुम्हारे लोगो में से कोई है मिला हुआ है पुलिस से तुम्हारे हर मूवमेंट की जानकारी पुलिस को पहले हो जाती थी इसीलिए आज तुम सब यहां हो , लेकिन एक मजे की बात बताओ यह की मीटिंग के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गईं है और मुझे भेजा गया है इस बात को कन्फर्म करने के लिए (जोर से हसने लगा अभय)

लीडर – कॉन है वो आस्तीन का साप जो पुलिस का कुत्ता बन गया बोल बता नाम उसका

अभय – यहां पे बैठा हुआ कोई भी हो सकता है क्या पता वो तुम्हारा ही बनाया हुआ गैंगस्टर हो या औरतों के गरूप से हो देखो सबको जरा गौर से जिसके आखों में डर दिख जाय समझ लेना वही है

लीडर – (सबकी तरफ देखने लगा ध्यान से फिर अभय से बोला) अगर तू मुझे बता दे बदले में तुझे मु मांगे पैसे मिलेंगे

अभय – 2 गैंगस्टर और उसके साथी है।

अभय का इतना बोलना था तभी लीडर ने 2 गैंगस्टर पर गोली चला दी बदले में 2 गैंगस्टर के बंदे ने फायर किया उसके बाद कई लोगो ने गोली चलाना सूरी कर दी एक दूसरे पे इस बात का फायदा उठा के अभय भी शुरू हो गया सबको मारने



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बाकी के लोग एक दूसरे से आपस में लड़ने में लग गए थे मौके का फायदा उठा के अभय के सामने आता उसे बेरहमी से मरता जाता बिना रहम किए

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कुछ ही देर में सभी गैंगस्टर मारे गए और आखरी में मेन लीडर को मार दिया अभय ने , लेकिन कोई था वहा से दूर कही अपने कंप्यूटर स्क्रीन में ये सारा नजर देख रहा था गौर से

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उसके चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कान थी ऐसा मानो जैसे वो एक विजई मुस्कान हो

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सबको मारने के बाद थका हरा अभय हाल में चारो तरफ देखने लगा जहा पे सिर्फ लाशों के सिवा कुछ भी नही बचा था वहा पे

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ऐसे में अभय वहा पे नही रुका और निकल गया वहा से बाहर आते ही अभय के मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(कॉल रिसीव करते हुए) कॉन है

सामने से – काम हो गया

अभय – एक छोटी मछली अगर शार्क से लड़े तो क्या होगा , बस वही हुआ है यह पर

सामने से – क्या मतलब...

अभय – (हस्ते हुए) आपकी भेजी हुए मछलियां आ गयी मैने उनको अच्छे से काट कर उनकी अच्छी खातिरदारी भी कर दी , ये मछलियां इस तरह यहां समंदर में रहने लायक नही इन्हे अपने एक्वेरियम में सजा लेना , ये वापस नहीं जाएगी , क्योंकि ये समुंदर मेरी जैसे शार्क मछलियों से भरा पड़ा है (चिल्ला के) I M A WALE

बोलते ही अभय ने कॉल कट कर निकल गया हॉस्टल की ओर जबकि इस तरफ अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन में देख रहा लड़का मुस्कुरा रहा था अभय की बात सुन के उसके पीछे बैठी लड़की ने बोला

लड़की – तो तुम्हारा टेस्ट पूरा हो गया आज अब क्या बोलते हो तुम , (हस्ते हुए) आज बंद कर दी ना उसने तुम्हारी बोलती...

लड़का – पहली बार जब ये मिला था इसकी आखों में मुझे वो आग दिखी थी जो कभी मुझमें थी लेकिन

लड़की – (बीच में) रिलैक्स पुरानी बातो को याद करके अब कोई फायदा नही होगा आज को देखो बीते हुए कल को कोई नही बदल सकता है , एक बार अभय से मिल लो वर्ना उसकी नजर में हम दोनो ही हमेशा गलत बने रहेंगे

लड़का – ठीक है जल्दी मिलूगा अभय से

इस तरफ अभय हॉस्टल में आते ही तुरंत बाथरूम में चला गया शावर लेने लगा बाहर आते ही बेड में लेटने जा रहा था तभी मोबाइल में किसी का कॉल आया अंजान नंबर देख के....

अभय -- (कॉल रिसीव कर के) हेलो...!!

सामने से – ?????

अभय -- हेलो...कौन है ?

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या -- मैं हूं...।

अभय -- मैं कौन? कुछ नाम भी तो होगा?

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

संध्या – एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अभय -- (गुस्से में चिल्ला के) तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरा अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है।

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....


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संध्या -- ना बोल ऐसा अभय, मैं ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।

अभय -- (संध्या की बात सुन इस बार शांति से बोला) काश तूने ये सपने में सोचा होता , पर तूने तो...देख अब मैं संभाल गया हूं , तू समझ बात को , मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है , और ना ही तेरी परवाह। मैं यहां पर सिर्फ पढ़ने आया हूं , कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने दिमाग में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी , और मुझे भी जीने दे। देख मैं तुझसे गुस्सा नही हूं और ना ही तुझसे नाराज हूं , क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस , और कुछ भी नही।

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....

संध्या – (रोते हुए मोबाइल को सीने से लगाए) तुझे कैसे बताऊं अभय कितना प्यार है मेरे दिल में तेरे लिए तू नही जानता तू क्या है मेरे लिए काश मेरी गलती माफी के काबिल होती....

एक तरफ अभय कॉल कट करके बेड में लेट गया और छत को घूरता रहा दूसरी तरफ हवेली में अभय के कमरे में संध्या जमीन में बैठी बेड में सीर टीका के रोती रही....

अगले दिन सुबह..

रमिया –(अभय को जागते हुए) बाबू जी ओह बाबू जी उठाए सुबह हो गई है

अभय –(नींद से जागते हुए) अरे तू इतनी सुबह सुबह आ गई

रमिया –(हस्ते हुए) बाबू जी सुबह के 7 बज रहे है

अभय– (हैरानी से) आज सच में देर हो गई मुझे

रमिया – लगता है कल रात देर से सोए हो बाबू जी , ये लिजये चाय पी लीजिए

अभय – (चाय लेते हुए) शुक्रिया रमिया

रमिया – बाबू जी आप त्यार हो जाइए मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हू

अभय नहा धो के त्यार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज की ओर कॉलेज में आते ही अभय ने देखा कॉलेज के ग्राउंड में कई स्टूडेंट्स टहल रहे थे उसमे राज , लल्ला और राजू उनके साथ पायल ये चारो बाते कर रहे थे आपस में...

पायल –(राज से) कल के लिए सॉरी राज मेरी वजह से..

राज – (बीच में ही) अरे तू क्यों माफी मांगती है कोई गलती नही है तेरी बस कल याद आगयी उसकी....चल जाने दे ज्यादा मत सोच तू

पायल –(अभय की तरफ देखते हुए) आगया ये नमूना यहां पर

राज –(चौकते हुए) क्या

पायल –(एक तरफ इशारा करके) वो देख वो आ रहा है नमूना यहां पे

राज , लल्ला और राजू ने देखा तो पाया अभय सामने से आ रहा था उनकी तरफ अभय के आते ही....

पायल – (अभय के आते ही राज से बोली) मैं नीलम के पास जा रही हूं तुम लोग बाते कर

राज कुछ बोलता उससे पहले पायल चली गई...

अभय – (तीनों से) कैसे हो तुम सब कल रात में मजा आगया (राज से) अच्छी शायरी करते हो तुम

राज – अरे ना भाई बस कभी कभी का शौक है ये (और सिगरेट जला के पीने लगा) , खुशी हुई आपको अच्छा लगी यहां की दावत

राजू – यार राज, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।

अभय – (राज को सिगरेट पीता देख के मन में – मैने गांव क्या छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया अब तो खबर लेनी पड़ेगी इसकी)

राज की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय -- हां दावत तो खास थी लेकिन इस बार तूने सरपंच की धोती में चूहा नही छोड़ा

राज – अरे नही यार, हर बार तो मैं ही करता हु इस बार तू....

कहते हुए राज चुप हो गया और हाथ से सिगरेट गिर गई , राज के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, झट से बोला...

अजय -- तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता हूं

राज की बात सुन मुस्कुरा के अभय ने आगे बढ़ते हुए राज को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय -- इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।

गले लगते ही राज का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

राज इस तरह रो रह था मानो कोई बच्चा रो रहा हो। अभय और राज आज अपनी यारी में एक दूसरे के गले लगे रो रह थे।

राज -- (रोते हुए) कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।

राज की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीगी आखों के साथ बोला...

अभय -- जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।

कहते हुए अभय राज से अलग हो जाता है, अभय राज का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय -- अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात....

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 2 लड़के अभय के गले लग जाते है...

लल्ला – मुझे पहेचान....मैं लल्ला जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मोच आ गई थी।

लल्ला की बात सुनकर अभय बोला...

अभय -- हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।

राजू – मुझे पहचाना मैं राजू हूं

अभय –(हस्ते हुए) तुझे कैसे भूल सकता हूं यार तू तो हमारा नारद मुनि है तू ही तो गांव की हर खबर रखता है हमारा न्यूज पेपर

इस बात पे चारो दोस्त जोर से हसने लगे...

अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में

अभय अभि बोल ही रहा थे की, राज एक बार फिर से अभय के गले लग जाता है....

अभय -- कुछ ज्यादा नही हो रह है राज, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी कॉलेज के मेन गेट अमन आता है अपनी बाइक से दूसरे गांव के ठाकुर के लड़के के साथ जो अमन का दोस्त था...

अभय – (अमन को देख मुस्कुराते हुए बोला) अब देखना कैसे इसकी जलाता हू मै..

इतना बोल अभय अपने दोस्तो के साथ निकल गया पायल की तरफ जो ग्राउंड के बाहर अपनी दोस्त नीलम से बाते कर रही थी तभी अभय को देख पायल ने राज को बोला.....

पायल -- जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।

बोल कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...

अभय -- अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।

अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...

पायल -- इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।

ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...

अभय -- अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?

पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....

पायल -- उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।

ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की....तभी पीछे से अमन दौड़ के आया और एक किस मार दी अभय की पीठ पर..



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अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, राज और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।

जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगी मिट्टी को घाड़ते हुए बोला...

अभय -- अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था पीछे से नही आगे से मरता तब लगता एक मर्द ने वार किया है

अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर खड़ी मुस्कुरा रही थी.....

लड़का – इसी लौंडे ने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया था।

अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...

अमन -- तू यहां पर नया है इसलिए तुझे छोर दिया था मैने शायद तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये अखरी चेतावनी है तेरे लिए

अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।

अभय -- डायलॉग तो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवरटाइजमेंट कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।

ये कह कर अभय, अमन की तरफ ही देखते हुए उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो गया..सब लोग अभय को ही देख रहे थे, राज ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता को पाया , पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....



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पायल ने बिना किसी की परवाह किए अभय को चूमने लगी होठों पर...ये नजारा देख लड़के हो या लड़किया सभी हैरान रह गए क्योंकि जो लड़की किसी से बात तक नहीं करती थी हर वक्त गुमसुम सी रहती थी वो आज अचनाक गांव के कॉलेज पड़ने आए एक नए लड़के को चूम रही थी....

ये नजारा देख जहा सब हैरान थे वही अमन जल भुन रहा था आखों में गुस्से का ज्वालामुखी जैसे फटने वाला हो एसा चेहरा जैसे लाल हो गया था , तभी अमन डंडा ले के मरने आ रहा था अभय को तभी राज ने अमन के पैर पर अपना पैर मार दिया जी कारण अमन गिर गया तभी...

राज – (अभय को आवाज दी) अभय...

अभय –(पायल से किस तोड़ के राज की तरफ देखा)

राज – (डंडा अभय की तरफ उछल दिया जिसे अभय ने पकड़ लिया)

इधर अमन खड़ा हो गया पीछे से जाने कहा से मुनीम अपने 2 लट्ठहरो के साथ जीप से उतरता हुआ नजर आया जिसे देख अभय के गुस्से का पारा बड़ गया बिना किसी की परवाह किए अभय ने एक घुसा मारा अमन के पेट में जिससे अमन अपना पेट पकड़ के जमीन में बैठ गया...

तभी अभय तुरंत दौड़ के गया मुनीम के पास ये देख मुनीम अपने लट्ठहरो के साथ सामने आया अभय के....

मुनीम – ऐ छोरे तू नही जानता किस्से हाथ उठाया है तूने

अपने लट्ठहरो को इशारा किया अपने लट्ठहरो के साथ मुनीम अभय के सामने चला गया हाथ में लाठ लिए तब अभय ने दिखाया कुछ ऐसा...


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हाथ में लट्ठ लिए अपनी कला बाजी दिखाई...

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जिससे दोनो लट्ठहरो की हवा टाइट हो गई उनके हाथ से लट्ठ गिर गया तुरंत भाग गए दोनो..

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और तभी अभय ने मुनीम के पैर में लट्ठ मारी जिसे मुनीम जमीन में गिर गया तब अभय बोला...

अभय – मुनीम इसको पेड़ में बांध दो अगर ये स्कूल न जाय तो , मालकिन इसने अमन बाबू का खाना फेक दिया , क्यों याद आया तुझे हरामजादे

ये सुन मुनीम की आखें बड़ी हो गई....

मुनीम –(डरते हुए) क...क...कॉन हो तुम

अभय – अभय , ठाकुर अभय सिंह , जितनी बार तू मिलेगा मुझे उतनी बार तेरे शशिर का एक अंग तोडूगा मैं...


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इतना बोल अभय ने एक जोर लात मारी मुनीम के पैर में जिससे मुनीम का पैर की हड्डी टूट गई , दर्द में तड़पता हुआ बेहोश हो गया
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Super update Bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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इतना मत धमका दीजिए की आगे कुछ बोलने से डर लगने लगे जो आपने लिखा और जो हमे पढ़कर समझ आया बस उसे ही पूछा है आगे क्या ट्विस्ट है वो तो आपके हाथ में है लेकिन इस अपडेट में दोनो बाते एक दूसरे से विपरीत लगी तभी पूछा कि क्या कन्फ्यूजन है एक तरफ छुपाने की बोलकर और दूसरे पल खुद उसी बात को किसी के सामने उजागर कर दिया वो भी सबसे बड़े dusman का राइट हैंड के सामने , ये कैसा प्लान चल रहा है उसी की उत्सुकता में बोल दिया सॉरी अगर कुछ बुरा लगा हो तो।
Bhla aapki bat ka bura Q maanoo mai Rekha rani ji 😍
Ha ye bat sahi hai sahyd us bat ko likhne me kmi reh gyee hai meri trf se
.
अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में
.
Baki is bat se mera mtlb yaha bus yhe tha ki (हर कोई) sbko nahi pata chle bus
Or
Rahe bat Munim ki to maine isme likha hai jb munim dikha Abhay ko to Abhay daud ke Gaya Munim ke pass iska mtlb waha sirf Abhay or Munim ke siwa koi nahi tha
Kher glti hue mere se poori bat na likhi
 

Rekha rani

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Bhla aapki bat ka bura Q maanoo mai Rekha rani ji 😍
Ha ye bat sahi hai sahyd us bat ko likhne me kmi reh gyee hai meri trf se
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अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में
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Baki is bat se mera mtlb yaha bus yhe tha ki (हर कोई) sbko nahi pata chle bus
Or
Rahe bat Munim ki to maine isme likha hai jb munim dikha Abhay ko to Abhay daud ke Gaya Munim ke pass iska mtlb waha sirf Abhay or Munim ke siwa koi nahi tha
Kher glti hue mere se poori bat na likhi
Vaise kahani jabrdast ban rahi hai new plot ke anusar,
Sandhya ke past se jyada ab abhay ke gayab hone aur vapish aane ke bich kya hua hoga uske liye jyada utsukata hai, vaise bhi abhay hi real abhay hai is bat ka ko mayane raha hi nhi , jyadatar log Jan hi gaye hai dhire dhire krke, ab to focus new characters par hai koun hai kya hai aur kaise ab aage kand honge
 

DEVIL MAXIMUM

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Vaise kahani jabrdast ban rahi hai new plot ke anusar,
Sandhya ke past se jyada ab abhay ke gayab hone aur vapish aane ke bich kya hua hoga uske liye jyada utsukata hai, vaise bhi abhay hi real abhay hai is bat ka ko mayane raha hi nhi , jyadatar log Jan hi gaye hai dhire dhire krke, ab to focus new characters par hai koun hai kya hai aur kaise ab aage kand honge
Sahi kaha aapne bilkul
Aage ka maine eesa he socha hai
Lekin abhi mai free ho jaao yaha se uske bad ka update tyaar kroga
And
Ho skta hai isme time lag jaay mujhe kitna pata nahi
 

Tiger 786

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UPDATE 16

NOW ACTION TIME

भूमि पूजन के साथ दावत खतम कर शायरी की बारी आई जिसमे सभी गांव वालो को खूब हसाया और एक लम्हे ने सबको भावुक भी कर दिया एसे माहोल में जब गीता देवी और संध्या आसू पोंछ के राज को दिलासा दे रहे थे वही दूर पेड़ की आड़ में छिपा अभय अपने आसू बहा रहा था तभी

सत्या बाबू – (राज और उसके दोस्तो से) बहुत ही अच्छी शायरी सुनाई मजा आगया आओ इसी बात पे मेरी तरफ से तुम तीनो के लिए कुछ लाया हू मैं, जल्दी से आसू पोछो और चलो मेरे साथ

तीनों दोस्त सत्या बाबू के साथ चले गए

संध्या – (गीता देवी से) दीदी वो अभय...

गीता देवी –(बीच में टोकते हुए) हा जानती हू वो पेड़ के छिप के आसू बहा रहा है , एसा कर संध्या अभी तू जा रात के 10 बज रहे है अंधेरा भी अच्छा खासा हो गया है मै अभय को देखती हू

अपना मन मार कर गीता देवी की बात मान के संध्या निकल गई हवेली की ओर जबकि इस तरफ अभय..

अभय –(अपने आसू पोंछ रहा था तभी उसे किसी का कॉल आया बिना नंबर देखे कॉल उठा के) कॉन है

सामने से – आज आराम थोड़ा देर से करना क्योंकि वक्त आगया है हमारा सौदा पूरा करने का उसके बाद तू आजाद है

अभय – फिर से खेल रहे हो मेरे साथ

सामने से – नही अभय इस बार कोई खेल नहीं , बाकी की बात मिल के होगी

अभय – बस इतना बताओ कहा मिलेंगे वो लोग

सामने से – डिटेल सेंड कर दी है तुम्हे त्यार हो के जाना हेवी पार्टी होगी (कॉल कट)

अभय – हेलो हेलो...

तभी पीछे से किसी ने अभय के कंधे पे हाथ रखा अभय ने पलट के देखा तो सामने गीता देवी खड़ी थी

अभय –(सामने बड़ी मां को देख के) बड़ी मां आप

गीता देवी –(अपने हाथ से अभय के आसू साफ करके) देखा ना तूने ये तीनों भी तेरी ही राह देख रहे है चला जा बेटा और बता दे इनको

अभय –हा बड़ी मां देखा मैने बस आज की रात गुजार जाय मैं वादा करता हू कल मेरे दोस्त मिलेंगे अभय से इसके बाद आप देखना राज फिर से शायरी लिखेगा दोस्ती पे

गीता देवी – (मुस्कुरा के) जैसा तुझे अच्छा लगे बेटा चल तू भी आराम कर जाके कल कॉलेज भी जाना है ना

अभय – जी बड़ी मां

इतना बोल के गीता देवी जाने लगी तभी अभय ने पीछे से गीता देवी को आवाज दी...

अभय – बड़ी मां

गीता देवी – (पलट के अभय को देखते हुए) हा अभय

अभय –(गीता देवी के पास आके पैर छुए)

गीता देवी – (अपने पैर छूते हुए अभय को देखती रही) क्या बात है अभय

अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नही बड़ी मां बस ऐसे ही मन हुआ , अच्छा चलता हू बड़ी मां

बोल के अभय जाने लगा पीछे से गीता देवी गौर से अभय को जाते देख रहे थी

गीता देवी – (मन में – इसे क्या हुआ आज इस तरह से कभी नही किया इसने)

अभय तेजी से हॉस्टल की ओर निकल गया हॉस्टल आते ही अपने रूम में बेड के नीचे से बैग निकाल के खोला अपने कपड़े उतार के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी साथ एक सूट भी पहना और पॉकेट में डाल के बैग बंद करके चुप चाप हॉस्टल की दीवार फांद के निकल गया कही...

गांव के सरहद के बाहर एक सुनसान एरिया में एक फार्म हाउस बना हुआ था उसके अन्दर एक हॉल बना हुआ था जिसमे 50 से 60 आदमी और औरते इक्कठा थे धीरे धीरे हाल में लगी कुर्सियों में लोग आ रहे थे बैठ रहे थे फार्म हाउस की भीड़ के बीच अभय भी आगया था सभी के साथ हाल में जाके बैठ गया तभी किसी के आने से वहा सन्नाटा छा गया हाल की बाकी कुर्सियों के सामने एक चेयर पे आके बैठ गया

ये लोग कोई मामूली लोग नही थे दिल्ली , मुंबई और गुजरात के नामी गैंगस्टर थे जो अपने गैंग के साथ गांव के बाहर किसी फार्म हाउस में आए थे मीटिंग के लिए इनके सामने बैठा था इन सब गैंगस्टरो का सरदार (LEADER)

लीडर – तुम सब को यहां बुलाने का सिर्फ एक कारण है अब तक हमारे ज्यादा तर धंधे बर्बाद कर दिए गए है साथ ही एनकाउंटर के नाम पर हमारे आदमियों को मारा गया है और इस काम को पुलिस और सरकार अंजामंदे रही है जबकि सच तो ये है इन सब के पीछे किंग (KING 👑 ) का हाथ है खुद सामने ना आकर पीठ पीछे वार कर रहा है हमारे ताकी हम सरकार को दोषी माने

1 गैंगस्टर – तो क्या सोचा है तुमने कैसे हम अपना कारोबार करेगे

2 गैंगस्टर – (KING 👑) किंग कोई मामूली इंसान नही है उससे डायरेक्ट उलझना मतलब अपनी मौत को दावत देना होगा

3 गैंगस्टर – पुलिस उसका कुछ नही बिगड़ सकती है क्यों की पुलिस के रिकॉर्ड में उसके किसी भी जुर्म की कोई फाइल कभी बनी ही नही है सरकार उसके हाथ में है ऐसे में कारोबार करना नामुमकिन है

लीडर – तो क्या चाहते हो हम हाथ पे हाथ धर के बैठे रहे करने दे उसे अपनी मनमानी

2 गैंगस्टर – क्यों ना उसके पावर को खतम किया जाय

3 गैंगस्टर – हां बिलकुल एक एक करके उसके नेटवर्क को मिटा देते है बिना नेटवर्क के उसकी कोई पावर नही रहेगी....

अभय इतनी देर से सुन रहा सबकी बात को बीच में बोल पड़ा...

अभय – (बीच में गैंगस्टर की बात काटते हुए) तब तो यहां पे बैठे हुए कुछ लोगो को अपनी जान गवानी पड़ेगी

लीडर – कॉन हो तुम बिना इजाजत हमारे बीच में बोलने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी , कॉन है तुम्हारा बॉस

अभय – मेरा कोई बॉस नही और ना मैं तुम्हारे किसी गैंग का बंदा हू

लीडर – तो तू यह पे आया कैसे और क्या करने आया है यहां पे

अभय – (एक खीच के चाटा मारा लीडर को)



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इसके बाद लीडर के साथ कई लोगो ने मिलके अभय के उपर गन तान दी..

अभय –(हस्ते हुए) जनता है तुम जैसे से नजरे मिला के कोई बात बात करने की हिम्मत नही करता है लेकिन आज मैने किया , दिल खुश हो गया मेरा यार (हस्ते हुए)

लीडर – (हस्ते हुए अपने आदमियों को गन नीचे करने का इशारा करता है) बहोत डेयरिंग है तुझमें किसी की हिम्मत नही मुझे टच भी कर ले तूने तो हाथ उठा दिया , लेकिन तेरी बातो से इंप्रेस हुआ मैं , अब बता क्यों आया है यहां पे तू और क्यों मेरे लोग मारे जाएंगे

अभय – जरा सोच तो इतनी बड़ी मीटिंग शहर और गांव के बाहर जंगल के बीचों बीच जिसके बारे में कोई सपने में भी न सोच सकता हो वहा पर मैं कैसे आगया सोची ये बात तूने नही ना , तो सोच जरा

लीडर – ठीक से बोल क्या कहना चाहता है तू

अभय – यही की तुम्हारे लोगो में से कोई है मिला हुआ है पुलिस से तुम्हारे हर मूवमेंट की जानकारी पुलिस को पहले हो जाती थी इसीलिए आज तुम सब यहां हो , लेकिन एक मजे की बात बताओ यह की मीटिंग के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गईं है और मुझे भेजा गया है इस बात को कन्फर्म करने के लिए (जोर से हसने लगा अभय)

लीडर – कॉन है वो आस्तीन का साप जो पुलिस का कुत्ता बन गया बोल बता नाम उसका

अभय – यहां पे बैठा हुआ कोई भी हो सकता है क्या पता वो तुम्हारा ही बनाया हुआ गैंगस्टर हो या औरतों के गरूप से हो देखो सबको जरा गौर से जिसके आखों में डर दिख जाय समझ लेना वही है

लीडर – (सबकी तरफ देखने लगा ध्यान से फिर अभय से बोला) अगर तू मुझे बता दे बदले में तुझे मु मांगे पैसे मिलेंगे

अभय – 2 गैंगस्टर और उसके साथी है।

अभय का इतना बोलना था तभी लीडर ने 2 गैंगस्टर पर गोली चला दी बदले में 2 गैंगस्टर के बंदे ने फायर किया उसके बाद कई लोगो ने गोली चलाना सूरी कर दी एक दूसरे पे इस बात का फायदा उठा के अभय भी शुरू हो गया सबको मारने



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बाकी के लोग एक दूसरे से आपस में लड़ने में लग गए थे मौके का फायदा उठा के अभय के सामने आता उसे बेरहमी से मरता जाता बिना रहम किए

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कुछ ही देर में सभी गैंगस्टर मारे गए और आखरी में मेन लीडर को मार दिया अभय ने , लेकिन कोई था वहा से दूर कही अपने कंप्यूटर स्क्रीन में ये सारा नजर देख रहा था गौर से

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उसके चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कान थी ऐसा मानो जैसे वो एक विजई मुस्कान हो

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सबको मारने के बाद थका हरा अभय हाल में चारो तरफ देखने लगा जहा पे सिर्फ लाशों के सिवा कुछ भी नही बचा था वहा पे

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ऐसे में अभय वहा पे नही रुका और निकल गया वहा से बाहर आते ही अभय के मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(कॉल रिसीव करते हुए) कॉन है

सामने से – काम हो गया

अभय – एक छोटी मछली अगर शार्क से लड़े तो क्या होगा , बस वही हुआ है यह पर

सामने से – क्या मतलब...

अभय – (हस्ते हुए) आपकी भेजी हुए मछलियां आ गयी मैने उनको अच्छे से काट कर उनकी अच्छी खातिरदारी भी कर दी , ये मछलियां इस तरह यहां समंदर में रहने लायक नही इन्हे अपने एक्वेरियम में सजा लेना , ये वापस नहीं जाएगी , क्योंकि ये समुंदर मेरी जैसे शार्क मछलियों से भरा पड़ा है (चिल्ला के) I M A WALE

बोलते ही अभय ने कॉल कट कर निकल गया हॉस्टल की ओर जबकि इस तरफ अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन में देख रहा लड़का मुस्कुरा रहा था अभय की बात सुन के उसके पीछे बैठी लड़की ने बोला

लड़की – तो तुम्हारा टेस्ट पूरा हो गया आज अब क्या बोलते हो तुम , (हस्ते हुए) आज बंद कर दी ना उसने तुम्हारी बोलती...

लड़का – पहली बार जब ये मिला था इसकी आखों में मुझे वो आग दिखी थी जो कभी मुझमें थी लेकिन

लड़की – (बीच में) रिलैक्स पुरानी बातो को याद करके अब कोई फायदा नही होगा आज को देखो बीते हुए कल को कोई नही बदल सकता है , एक बार अभय से मिल लो वर्ना उसकी नजर में हम दोनो ही हमेशा गलत बने रहेंगे

लड़का – ठीक है जल्दी मिलूगा अभय से

इस तरफ अभय हॉस्टल में आते ही तुरंत बाथरूम में चला गया शावर लेने लगा बाहर आते ही बेड में लेटने जा रहा था तभी मोबाइल में किसी का कॉल आया अंजान नंबर देख के....

अभय -- (कॉल रिसीव कर के) हेलो...!!

सामने से – ?????

अभय -- हेलो...कौन है ?

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या -- मैं हूं...।

अभय -- मैं कौन? कुछ नाम भी तो होगा?

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

संध्या – एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अभय -- (गुस्से में चिल्ला के) तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरा अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है।

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....


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संध्या -- ना बोल ऐसा अभय, मैं ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।

अभय -- (संध्या की बात सुन इस बार शांति से बोला) काश तूने ये सपने में सोचा होता , पर तूने तो...देख अब मैं संभाल गया हूं , तू समझ बात को , मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है , और ना ही तेरी परवाह। मैं यहां पर सिर्फ पढ़ने आया हूं , कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने दिमाग में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी , और मुझे भी जीने दे। देख मैं तुझसे गुस्सा नही हूं और ना ही तुझसे नाराज हूं , क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस , और कुछ भी नही।

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....

संध्या – (रोते हुए मोबाइल को सीने से लगाए) तुझे कैसे बताऊं अभय कितना प्यार है मेरे दिल में तेरे लिए तू नही जानता तू क्या है मेरे लिए काश मेरी गलती माफी के काबिल होती....

एक तरफ अभय कॉल कट करके बेड में लेट गया और छत को घूरता रहा दूसरी तरफ हवेली में अभय के कमरे में संध्या जमीन में बैठी बेड में सीर टीका के रोती रही....

अगले दिन सुबह..

रमिया –(अभय को जागते हुए) बाबू जी ओह बाबू जी उठाए सुबह हो गई है

अभय –(नींद से जागते हुए) अरे तू इतनी सुबह सुबह आ गई

रमिया –(हस्ते हुए) बाबू जी सुबह के 7 बज रहे है

अभय– (हैरानी से) आज सच में देर हो गई मुझे

रमिया – लगता है कल रात देर से सोए हो बाबू जी , ये लिजये चाय पी लीजिए

अभय – (चाय लेते हुए) शुक्रिया रमिया

रमिया – बाबू जी आप त्यार हो जाइए मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हू

अभय नहा धो के त्यार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज की ओर कॉलेज में आते ही अभय ने देखा कॉलेज के ग्राउंड में कई स्टूडेंट्स टहल रहे थे उसमे राज , लल्ला और राजू उनके साथ पायल ये चारो बाते कर रहे थे आपस में...

पायल –(राज से) कल के लिए सॉरी राज मेरी वजह से..

राज – (बीच में ही) अरे तू क्यों माफी मांगती है कोई गलती नही है तेरी बस कल याद आगयी उसकी....चल जाने दे ज्यादा मत सोच तू

पायल –(अभय की तरफ देखते हुए) आगया ये नमूना यहां पर

राज –(चौकते हुए) क्या

पायल –(एक तरफ इशारा करके) वो देख वो आ रहा है नमूना यहां पे

राज , लल्ला और राजू ने देखा तो पाया अभय सामने से आ रहा था उनकी तरफ अभय के आते ही....

पायल – (अभय के आते ही राज से बोली) मैं नीलम के पास जा रही हूं तुम लोग बाते कर

राज कुछ बोलता उससे पहले पायल चली गई...

अभय – (तीनों से) कैसे हो तुम सब कल रात में मजा आगया (राज से) अच्छी शायरी करते हो तुम

राज – अरे ना भाई बस कभी कभी का शौक है ये (और सिगरेट जला के पीने लगा) , खुशी हुई आपको अच्छा लगी यहां की दावत

राजू – यार राज, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।

अभय – (राज को सिगरेट पीता देख के मन में – मैने गांव क्या छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया अब तो खबर लेनी पड़ेगी इसकी)

राज की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय -- हां दावत तो खास थी लेकिन इस बार तूने सरपंच की धोती में चूहा नही छोड़ा

राज – अरे नही यार, हर बार तो मैं ही करता हु इस बार तू....

कहते हुए राज चुप हो गया और हाथ से सिगरेट गिर गई , राज के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, झट से बोला...

अजय -- तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता हूं

राज की बात सुन मुस्कुरा के अभय ने आगे बढ़ते हुए राज को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय -- इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।

गले लगते ही राज का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

राज इस तरह रो रह था मानो कोई बच्चा रो रहा हो। अभय और राज आज अपनी यारी में एक दूसरे के गले लगे रो रह थे।

राज -- (रोते हुए) कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।

राज की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीगी आखों के साथ बोला...

अभय -- जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।

कहते हुए अभय राज से अलग हो जाता है, अभय राज का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय -- अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात....

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 2 लड़के अभय के गले लग जाते है...

लल्ला – मुझे पहेचान....मैं लल्ला जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मोच आ गई थी।

लल्ला की बात सुनकर अभय बोला...

अभय -- हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।

राजू – मुझे पहचाना मैं राजू हूं

अभय –(हस्ते हुए) तुझे कैसे भूल सकता हूं यार तू तो हमारा नारद मुनि है तू ही तो गांव की हर खबर रखता है हमारा न्यूज पेपर

इस बात पे चारो दोस्त जोर से हसने लगे...

अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में

अभय अभि बोल ही रहा थे की, राज एक बार फिर से अभय के गले लग जाता है....

अभय -- कुछ ज्यादा नही हो रह है राज, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी कॉलेज के मेन गेट अमन आता है अपनी बाइक से दूसरे गांव के ठाकुर के लड़के के साथ जो अमन का दोस्त था...

अभय – (अमन को देख मुस्कुराते हुए बोला) अब देखना कैसे इसकी जलाता हू मै..

इतना बोल अभय अपने दोस्तो के साथ निकल गया पायल की तरफ जो ग्राउंड के बाहर अपनी दोस्त नीलम से बाते कर रही थी तभी अभय को देख पायल ने राज को बोला.....

पायल -- जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।

बोल कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...

अभय -- अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।

अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...

पायल -- इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।

ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...

अभय -- अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?

पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....

पायल -- उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।

ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की....तभी पीछे से अमन दौड़ के आया और एक किस मार दी अभय की पीठ पर..



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अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, राज और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।

जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगी मिट्टी को घाड़ते हुए बोला...

अभय -- अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था पीछे से नही आगे से मरता तब लगता एक मर्द ने वार किया है

अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर खड़ी मुस्कुरा रही थी.....

लड़का – इसी लौंडे ने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया था।

अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...

अमन -- तू यहां पर नया है इसलिए तुझे छोर दिया था मैने शायद तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये अखरी चेतावनी है तेरे लिए

अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।

अभय -- डायलॉग तो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवरटाइजमेंट कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।

ये कह कर अभय, अमन की तरफ ही देखते हुए उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो गया..सब लोग अभय को ही देख रहे थे, राज ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता को पाया , पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....



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पायल ने बिना किसी की परवाह किए अभय को चूमने लगी होठों पर...ये नजारा देख लड़के हो या लड़किया सभी हैरान रह गए क्योंकि जो लड़की किसी से बात तक नहीं करती थी हर वक्त गुमसुम सी रहती थी वो आज अचनाक गांव के कॉलेज पड़ने आए एक नए लड़के को चूम रही थी....

ये नजारा देख जहा सब हैरान थे वही अमन जल भुन रहा था आखों में गुस्से का ज्वालामुखी जैसे फटने वाला हो एसा चेहरा जैसे लाल हो गया था , तभी अमन डंडा ले के मरने आ रहा था अभय को तभी राज ने अमन के पैर पर अपना पैर मार दिया जी कारण अमन गिर गया तभी...

राज – (अभय को आवाज दी) अभय...

अभय –(पायल से किस तोड़ के राज की तरफ देखा)

राज – (डंडा अभय की तरफ उछल दिया जिसे अभय ने पकड़ लिया)

इधर अमन खड़ा हो गया पीछे से जाने कहा से मुनीम अपने 2 लट्ठहरो के साथ जीप से उतरता हुआ नजर आया जिसे देख अभय के गुस्से का पारा बड़ गया बिना किसी की परवाह किए अभय ने एक घुसा मारा अमन के पेट में जिससे अमन अपना पेट पकड़ के जमीन में बैठ गया...

तभी अभय तुरंत दौड़ के गया मुनीम के पास ये देख मुनीम अपने लट्ठहरो के साथ सामने आया अभय के....

मुनीम – ऐ छोरे तू नही जानता किस्से हाथ उठाया है तूने

अपने लट्ठहरो को इशारा किया अपने लट्ठहरो के साथ मुनीम अभय के सामने चला गया हाथ में लाठ लिए तब अभय ने दिखाया कुछ ऐसा...


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हाथ में लट्ठ लिए अपनी कला बाजी दिखाई...

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जिससे दोनो लट्ठहरो की हवा टाइट हो गई उनके हाथ से लट्ठ गिर गया तुरंत भाग गए दोनो..

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और तभी अभय ने मुनीम के पैर में लट्ठ मारी जिसे मुनीम जमीन में गिर गया तब अभय बोला...

अभय – मुनीम इसको पेड़ में बांध दो अगर ये स्कूल न जाय तो , मालकिन इसने अमन बाबू का खाना फेक दिया , क्यों याद आया तुझे हरामजादे

ये सुन मुनीम की आखें बड़ी हो गई....

मुनीम –(डरते हुए) क...क...कॉन हो तुम

अभय – अभय , ठाकुर अभय सिंह , जितनी बार तू मिलेगा मुझे उतनी बार तेरे शशिर का एक अंग तोडूगा मैं...


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इतना बोल अभय ने एक जोर लात मारी मुनीम के पैर में जिससे मुनीम का पैर की हड्डी टूट गई , दर्द में तड़पता हुआ बेहोश हो गया
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Aman ki dhulai achi tarha se nahi hui.agli bar ache se karvana dhulai🤣
Par munim dhobhar samne aaya to phir tutega
Superb update bro👏👏👏👏💯💯💯💯💯💯💯
 

Achin_Saha18

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भूमि पूजन के साथ दावत खतम कर शायरी की बारी आई जिसमे सभी गांव वालो को खूब हसाया और एक लम्हे ने सबको भावुक भी कर दिया एसे माहोल में जब गीता देवी और संध्या आसू पोंछ के राज को दिलासा दे रहे थे वही दूर पेड़ की आड़ में छिपा अभय अपने आसू बहा रहा था तभी

सत्या बाबू – (राज और उसके दोस्तो से) बहुत ही अच्छी शायरी सुनाई मजा आगया आओ इसी बात पे मेरी तरफ से तुम तीनो के लिए कुछ लाया हू मैं, जल्दी से आसू पोछो और चलो मेरे साथ

तीनों दोस्त सत्या बाबू के साथ चले गए

संध्या – (गीता देवी से) दीदी वो अभय...

गीता देवी –(बीच में टोकते हुए) हा जानती हू वो पेड़ के छिप के आसू बहा रहा है , एसा कर संध्या अभी तू जा रात के 10 बज रहे है अंधेरा भी अच्छा खासा हो गया है मै अभय को देखती हू

अपना मन मार कर गीता देवी की बात मान के संध्या निकल गई हवेली की ओर जबकि इस तरफ अभय..

अभय –(अपने आसू पोंछ रहा था तभी उसे किसी का कॉल आया बिना नंबर देखे कॉल उठा के) कॉन है

सामने से – आज आराम थोड़ा देर से करना क्योंकि वक्त आगया है हमारा सौदा पूरा करने का उसके बाद तू आजाद है

अभय – फिर से खेल रहे हो मेरे साथ

सामने से – नही अभय इस बार कोई खेल नहीं , बाकी की बात मिल के होगी

अभय – बस इतना बताओ कहा मिलेंगे वो लोग

सामने से – डिटेल सेंड कर दी है तुम्हे त्यार हो के जाना हेवी पार्टी होगी (कॉल कट)

अभय – हेलो हेलो...

तभी पीछे से किसी ने अभय के कंधे पे हाथ रखा अभय ने पलट के देखा तो सामने गीता देवी खड़ी थी

अभय –(सामने बड़ी मां को देख के) बड़ी मां आप

गीता देवी –(अपने हाथ से अभय के आसू साफ करके) देखा ना तूने ये तीनों भी तेरी ही राह देख रहे है चला जा बेटा और बता दे इनको

अभय –हा बड़ी मां देखा मैने बस आज की रात गुजार जाय मैं वादा करता हू कल मेरे दोस्त मिलेंगे अभय से इसके बाद आप देखना राज फिर से शायरी लिखेगा दोस्ती पे

गीता देवी – (मुस्कुरा के) जैसा तुझे अच्छा लगे बेटा चल तू भी आराम कर जाके कल कॉलेज भी जाना है ना

अभय – जी बड़ी मां

इतना बोल के गीता देवी जाने लगी तभी अभय ने पीछे से गीता देवी को आवाज दी...

अभय – बड़ी मां

गीता देवी – (पलट के अभय को देखते हुए) हा अभय

अभय –(गीता देवी के पास आके पैर छुए)

गीता देवी – (अपने पैर छूते हुए अभय को देखती रही) क्या बात है अभय

अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नही बड़ी मां बस ऐसे ही मन हुआ , अच्छा चलता हू बड़ी मां

बोल के अभय जाने लगा पीछे से गीता देवी गौर से अभय को जाते देख रहे थी

गीता देवी – (मन में – इसे क्या हुआ आज इस तरह से कभी नही किया इसने)

अभय तेजी से हॉस्टल की ओर निकल गया हॉस्टल आते ही अपने रूम में बेड के नीचे से बैग निकाल के खोला अपने कपड़े उतार के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी साथ एक सूट भी पहना और पॉकेट में डाल के बैग बंद करके चुप चाप हॉस्टल की दीवार फांद के निकल गया कही...

गांव के सरहद के बाहर एक सुनसान एरिया में एक फार्म हाउस बना हुआ था उसके अन्दर एक हॉल बना हुआ था जिसमे 50 से 60 आदमी और औरते इक्कठा थे धीरे धीरे हाल में लगी कुर्सियों में लोग आ रहे थे बैठ रहे थे फार्म हाउस की भीड़ के बीच अभय भी आगया था सभी के साथ हाल में जाके बैठ गया तभी किसी के आने से वहा सन्नाटा छा गया हाल की बाकी कुर्सियों के सामने एक चेयर पे आके बैठ गया

ये लोग कोई मामूली लोग नही थे दिल्ली , मुंबई और गुजरात के नामी गैंगस्टर थे जो अपने गैंग के साथ गांव के बाहर किसी फार्म हाउस में आए थे मीटिंग के लिए इनके सामने बैठा था इन सब गैंगस्टरो का सरदार (LEADER)

लीडर – तुम सब को यहां बुलाने का सिर्फ एक कारण है अब तक हमारे ज्यादा तर धंधे बर्बाद कर दिए गए है साथ ही एनकाउंटर के नाम पर हमारे आदमियों को मारा गया है और इस काम को पुलिस और सरकार अंजामंदे रही है जबकि सच तो ये है इन सब के पीछे किंग (KING 👑 ) का हाथ है खुद सामने ना आकर पीठ पीछे वार कर रहा है हमारे ताकी हम सरकार को दोषी माने

1 गैंगस्टर – तो क्या सोचा है तुमने कैसे हम अपना कारोबार करेगे

2 गैंगस्टर – (KING 👑) किंग कोई मामूली इंसान नही है उससे डायरेक्ट उलझना मतलब अपनी मौत को दावत देना होगा

3 गैंगस्टर – पुलिस उसका कुछ नही बिगड़ सकती है क्यों की पुलिस के रिकॉर्ड में उसके किसी भी जुर्म की कोई फाइल कभी बनी ही नही है सरकार उसके हाथ में है ऐसे में कारोबार करना नामुमकिन है

लीडर – तो क्या चाहते हो हम हाथ पे हाथ धर के बैठे रहे करने दे उसे अपनी मनमानी

2 गैंगस्टर – क्यों ना उसके पावर को खतम किया जाय

3 गैंगस्टर – हां बिलकुल एक एक करके उसके नेटवर्क को मिटा देते है बिना नेटवर्क के उसकी कोई पावर नही रहेगी....

अभय इतनी देर से सुन रहा सबकी बात को बीच में बोल पड़ा...

अभय – (बीच में गैंगस्टर की बात काटते हुए) तब तो यहां पे बैठे हुए कुछ लोगो को अपनी जान गवानी पड़ेगी

लीडर – कॉन हो तुम बिना इजाजत हमारे बीच में बोलने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी , कॉन है तुम्हारा बॉस

अभय – मेरा कोई बॉस नही और ना मैं तुम्हारे किसी गैंग का बंदा हू

लीडर – तो तू यह पे आया कैसे और क्या करने आया है यहां पे

अभय – (एक खीच के चाटा मारा लीडर को)



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इसके बाद लीडर के साथ कई लोगो ने मिलके अभय के उपर गन तान दी..

अभय –(हस्ते हुए) जनता है तुम जैसे से नजरे मिला के कोई बात बात करने की हिम्मत नही करता है लेकिन आज मैने किया , दिल खुश हो गया मेरा यार (हस्ते हुए)

लीडर – (हस्ते हुए अपने आदमियों को गन नीचे करने का इशारा करता है) बहोत डेयरिंग है तुझमें किसी की हिम्मत नही मुझे टच भी कर ले तूने तो हाथ उठा दिया , लेकिन तेरी बातो से इंप्रेस हुआ मैं , अब बता क्यों आया है यहां पे तू और क्यों मेरे लोग मारे जाएंगे

अभय – जरा सोच तो इतनी बड़ी मीटिंग शहर और गांव के बाहर जंगल के बीचों बीच जिसके बारे में कोई सपने में भी न सोच सकता हो वहा पर मैं कैसे आगया सोची ये बात तूने नही ना , तो सोच जरा

लीडर – ठीक से बोल क्या कहना चाहता है तू

अभय – यही की तुम्हारे लोगो में से कोई है मिला हुआ है पुलिस से तुम्हारे हर मूवमेंट की जानकारी पुलिस को पहले हो जाती थी इसीलिए आज तुम सब यहां हो , लेकिन एक मजे की बात बताओ यह की मीटिंग के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गईं है और मुझे भेजा गया है इस बात को कन्फर्म करने के लिए (जोर से हसने लगा अभय)

लीडर – कॉन है वो आस्तीन का साप जो पुलिस का कुत्ता बन गया बोल बता नाम उसका

अभय – यहां पे बैठा हुआ कोई भी हो सकता है क्या पता वो तुम्हारा ही बनाया हुआ गैंगस्टर हो या औरतों के गरूप से हो देखो सबको जरा गौर से जिसके आखों में डर दिख जाय समझ लेना वही है

लीडर – (सबकी तरफ देखने लगा ध्यान से फिर अभय से बोला) अगर तू मुझे बता दे बदले में तुझे मु मांगे पैसे मिलेंगे

अभय – 2 गैंगस्टर और उसके साथी है।

अभय का इतना बोलना था तभी लीडर ने 2 गैंगस्टर पर गोली चला दी बदले में 2 गैंगस्टर के बंदे ने फायर किया उसके बाद कई लोगो ने गोली चलाना सूरी कर दी एक दूसरे पे इस बात का फायदा उठा के अभय भी शुरू हो गया सबको मारने



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बाकी के लोग एक दूसरे से आपस में लड़ने में लग गए थे मौके का फायदा उठा के अभय के सामने आता उसे बेरहमी से मरता जाता बिना रहम किए

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कुछ ही देर में सभी गैंगस्टर मारे गए और आखरी में मेन लीडर को मार दिया अभय ने , लेकिन कोई था वहा से दूर कही अपने कंप्यूटर स्क्रीन में ये सारा नजर देख रहा था गौर से

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उसके चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कान थी ऐसा मानो जैसे वो एक विजई मुस्कान हो

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सबको मारने के बाद थका हरा अभय हाल में चारो तरफ देखने लगा जहा पे सिर्फ लाशों के सिवा कुछ भी नही बचा था वहा पे

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ऐसे में अभय वहा पे नही रुका और निकल गया वहा से बाहर आते ही अभय के मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(कॉल रिसीव करते हुए) कॉन है

सामने से – काम हो गया

अभय – एक छोटी मछली अगर शार्क से लड़े तो क्या होगा , बस वही हुआ है यह पर

सामने से – क्या मतलब...

अभय – (हस्ते हुए) आपकी भेजी हुए मछलियां आ गयी मैने उनको अच्छे से काट कर उनकी अच्छी खातिरदारी भी कर दी , ये मछलियां इस तरह यहां समंदर में रहने लायक नही इन्हे अपने एक्वेरियम में सजा लेना , ये वापस नहीं जाएगी , क्योंकि ये समुंदर मेरी जैसे शार्क मछलियों से भरा पड़ा है (चिल्ला के) I M A WALE

बोलते ही अभय ने कॉल कट कर निकल गया हॉस्टल की ओर जबकि इस तरफ अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन में देख रहा लड़का मुस्कुरा रहा था अभय की बात सुन के उसके पीछे बैठी लड़की ने बोला

लड़की – तो तुम्हारा टेस्ट पूरा हो गया आज अब क्या बोलते हो तुम , (हस्ते हुए) आज बंद कर दी ना उसने तुम्हारी बोलती...

लड़का – पहली बार जब ये मिला था इसकी आखों में मुझे वो आग दिखी थी जो कभी मुझमें थी लेकिन

लड़की – (बीच में) रिलैक्स पुरानी बातो को याद करके अब कोई फायदा नही होगा आज को देखो बीते हुए कल को कोई नही बदल सकता है , एक बार अभय से मिल लो वर्ना उसकी नजर में हम दोनो ही हमेशा गलत बने रहेंगे

लड़का – ठीक है जल्दी मिलूगा अभय से

इस तरफ अभय हॉस्टल में आते ही तुरंत बाथरूम में चला गया शावर लेने लगा बाहर आते ही बेड में लेटने जा रहा था तभी मोबाइल में किसी का कॉल आया अंजान नंबर देख के....

अभय -- (कॉल रिसीव कर के) हेलो...!!

सामने से – ?????

अभय -- हेलो...कौन है ?

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या -- मैं हूं...।

अभय -- मैं कौन? कुछ नाम भी तो होगा?

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

संध्या – एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अभय -- (गुस्से में चिल्ला के) तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरा अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है।

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....


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संध्या -- ना बोल ऐसा अभय, मैं ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।

अभय -- (संध्या की बात सुन इस बार शांति से बोला) काश तूने ये सपने में सोचा होता , पर तूने तो...देख अब मैं संभाल गया हूं , तू समझ बात को , मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है , और ना ही तेरी परवाह। मैं यहां पर सिर्फ पढ़ने आया हूं , कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने दिमाग में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी , और मुझे भी जीने दे। देख मैं तुझसे गुस्सा नही हूं और ना ही तुझसे नाराज हूं , क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस , और कुछ भी नही।

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....

संध्या – (रोते हुए मोबाइल को सीने से लगाए) तुझे कैसे बताऊं अभय कितना प्यार है मेरे दिल में तेरे लिए तू नही जानता तू क्या है मेरे लिए काश मेरी गलती माफी के काबिल होती....

एक तरफ अभय कॉल कट करके बेड में लेट गया और छत को घूरता रहा दूसरी तरफ हवेली में अभय के कमरे में संध्या जमीन में बैठी बेड में सीर टीका के रोती रही....

अगले दिन सुबह..

रमिया –(अभय को जागते हुए) बाबू जी ओह बाबू जी उठाए सुबह हो गई है

अभय –(नींद से जागते हुए) अरे तू इतनी सुबह सुबह आ गई

रमिया –(हस्ते हुए) बाबू जी सुबह के 7 बज रहे है

अभय– (हैरानी से) आज सच में देर हो गई मुझे

रमिया – लगता है कल रात देर से सोए हो बाबू जी , ये लिजये चाय पी लीजिए

अभय – (चाय लेते हुए) शुक्रिया रमिया

रमिया – बाबू जी आप त्यार हो जाइए मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हू

अभय नहा धो के त्यार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज की ओर कॉलेज में आते ही अभय ने देखा कॉलेज के ग्राउंड में कई स्टूडेंट्स टहल रहे थे उसमे राज , लल्ला और राजू उनके साथ पायल ये चारो बाते कर रहे थे आपस में...

पायल –(राज से) कल के लिए सॉरी राज मेरी वजह से..

राज – (बीच में ही) अरे तू क्यों माफी मांगती है कोई गलती नही है तेरी बस कल याद आगयी उसकी....चल जाने दे ज्यादा मत सोच तू

पायल –(अभय की तरफ देखते हुए) आगया ये नमूना यहां पर

राज –(चौकते हुए) क्या

पायल –(एक तरफ इशारा करके) वो देख वो आ रहा है नमूना यहां पे

राज , लल्ला और राजू ने देखा तो पाया अभय सामने से आ रहा था उनकी तरफ अभय के आते ही....

पायल – (अभय के आते ही राज से बोली) मैं नीलम के पास जा रही हूं तुम लोग बाते कर

राज कुछ बोलता उससे पहले पायल चली गई...

अभय – (तीनों से) कैसे हो तुम सब कल रात में मजा आगया (राज से) अच्छी शायरी करते हो तुम

राज – अरे ना भाई बस कभी कभी का शौक है ये (और सिगरेट जला के पीने लगा) , खुशी हुई आपको अच्छा लगी यहां की दावत

राजू – यार राज, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।

अभय – (राज को सिगरेट पीता देख के मन में – मैने गांव क्या छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया अब तो खबर लेनी पड़ेगी इसकी)

राज की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय -- हां दावत तो खास थी लेकिन इस बार तूने सरपंच की धोती में चूहा नही छोड़ा

राज – अरे नही यार, हर बार तो मैं ही करता हु इस बार तू....

कहते हुए राज चुप हो गया और हाथ से सिगरेट गिर गई , राज के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, झट से बोला...

अजय -- तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता हूं

राज की बात सुन मुस्कुरा के अभय ने आगे बढ़ते हुए राज को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय -- इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।

गले लगते ही राज का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

राज इस तरह रो रह था मानो कोई बच्चा रो रहा हो। अभय और राज आज अपनी यारी में एक दूसरे के गले लगे रो रह थे।

राज -- (रोते हुए) कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।

राज की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीगी आखों के साथ बोला...

अभय -- जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।

कहते हुए अभय राज से अलग हो जाता है, अभय राज का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय -- अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात....

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 2 लड़के अभय के गले लग जाते है...

लल्ला – मुझे पहेचान....मैं लल्ला जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मोच आ गई थी।

लल्ला की बात सुनकर अभय बोला...

अभय -- हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।

राजू – मुझे पहचाना मैं राजू हूं

अभय –(हस्ते हुए) तुझे कैसे भूल सकता हूं यार तू तो हमारा नारद मुनि है तू ही तो गांव की हर खबर रखता है हमारा न्यूज पेपर

इस बात पे चारो दोस्त जोर से हसने लगे...

अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में

अभय अभि बोल ही रहा थे की, राज एक बार फिर से अभय के गले लग जाता है....

अभय -- कुछ ज्यादा नही हो रह है राज, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी कॉलेज के मेन गेट अमन आता है अपनी बाइक से दूसरे गांव के ठाकुर के लड़के के साथ जो अमन का दोस्त था...

अभय – (अमन को देख मुस्कुराते हुए बोला) अब देखना कैसे इसकी जलाता हू मै..

इतना बोल अभय अपने दोस्तो के साथ निकल गया पायल की तरफ जो ग्राउंड के बाहर अपनी दोस्त नीलम से बाते कर रही थी तभी अभय को देख पायल ने राज को बोला.....

पायल -- जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।

बोल कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...

अभय -- अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।

अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...

पायल -- इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।

ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...

अभय -- अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?

पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....

पायल -- उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।

ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की....तभी पीछे से अमन दौड़ के आया और एक किस मार दी अभय की पीठ पर..



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अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, राज और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।

जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगी मिट्टी को घाड़ते हुए बोला...

अभय -- अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था पीछे से नही आगे से मरता तब लगता एक मर्द ने वार किया है

अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर खड़ी मुस्कुरा रही थी.....

लड़का – इसी लौंडे ने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया था।

अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...

अमन -- तू यहां पर नया है इसलिए तुझे छोर दिया था मैने शायद तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये अखरी चेतावनी है तेरे लिए

अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।

अभय -- डायलॉग तो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवरटाइजमेंट कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।

ये कह कर अभय, अमन की तरफ ही देखते हुए उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो गया..सब लोग अभय को ही देख रहे थे, राज ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता को पाया , पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....



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पायल ने बिना किसी की परवाह किए अभय को चूमने लगी होठों पर...ये नजारा देख लड़के हो या लड़किया सभी हैरान रह गए क्योंकि जो लड़की किसी से बात तक नहीं करती थी हर वक्त गुमसुम सी रहती थी वो आज अचनाक गांव के कॉलेज पड़ने आए एक नए लड़के को चूम रही थी....

ये नजारा देख जहा सब हैरान थे वही अमन जल भुन रहा था आखों में गुस्से का ज्वालामुखी जैसे फटने वाला हो एसा चेहरा जैसे लाल हो गया था , तभी अमन डंडा ले के मरने आ रहा था अभय को तभी राज ने अमन के पैर पर अपना पैर मार दिया जी कारण अमन गिर गया तभी...

राज – (अभय को आवाज दी) अभय...

अभय –(पायल से किस तोड़ के राज की तरफ देखा)

राज – (डंडा अभय की तरफ उछल दिया जिसे अभय ने पकड़ लिया)

इधर अमन खड़ा हो गया पीछे से जाने कहा से मुनीम अपने 2 लट्ठहरो के साथ जीप से उतरता हुआ नजर आया जिसे देख अभय के गुस्से का पारा बड़ गया बिना किसी की परवाह किए अभय ने एक घुसा मारा अमन के पेट में जिससे अमन अपना पेट पकड़ के जमीन में बैठ गया...

तभी अभय तुरंत दौड़ के गया मुनीम के पास ये देख मुनीम अपने लट्ठहरो के साथ सामने आया अभय के....

मुनीम – ऐ छोरे तू नही जानता किस्से हाथ उठाया है तूने

अपने लट्ठहरो को इशारा किया अपने लट्ठहरो के साथ मुनीम अभय के सामने चला गया हाथ में लाठ लिए तब अभय ने दिखाया कुछ ऐसा...


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हाथ में लट्ठ लिए अपनी कला बाजी दिखाई...

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जिससे दोनो लट्ठहरो की हवा टाइट हो गई उनके हाथ से लट्ठ गिर गया तुरंत भाग गए दोनो..

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और तभी अभय ने मुनीम के पैर में लट्ठ मारी जिसे मुनीम जमीन में गिर गया तब अभय बोला...

अभय – मुनीम इसको पेड़ में बांध दो अगर ये स्कूल न जाय तो , मालकिन इसने अमन बाबू का खाना फेक दिया , क्यों याद आया तुझे हरामजादे

ये सुन मुनीम की आखें बड़ी हो गई....

मुनीम –(डरते हुए) क...क...कॉन हो तुम

अभय – अभय , ठाकुर अभय सिंह , जितनी बार तू मिलेगा मुझे उतनी बार तेरे शशिर का एक अंग तोडूगा मैं...


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इतना बोल अभय ने एक जोर लात मारी मुनीम के पैर में जिससे मुनीम का पैर की हड्डी टूट गई , दर्द में तड़पता हुआ बेहोश हो गया
.
.
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जारी रहेगा✍️✍️
Nice update
 

Luser

New Member
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Bahi bura mat Manna per aap story ke main plot ko miss ker rhee hoo....story ka main plot hai maa bete ke bich ke emotional drama jiske wajah se sub wo to hai albela story ko itna pasand ke rhee thee per aap uss emotional drama ko he miss ker rhee hooo....

Apne story me new character add Kiya hai jo ke ache baat hai ...per ye story line me fit nhi bithtaa
Aapne main story se Suraj ke jagah yhaa raj ko liya hai ...aur mujhe legta hai ye raj ..raj sarma se insparied hai per ...achee baat hai...per hum yhaa story padhne ayee hai nake sayri sun nee....uske liye raj Bhai ka page hai ....

App plzz story per focus kero naa ke apne dosti yari ke chaler me story ko he barbad ker do..

Plzzz aap story ko end kerna per esee nhi purane story ke tarah ...jiska her update padh ker gala bher aata thaa...per yhaa to sero shary chal rhe hai uss chaker me sandhya aur abhy ka sence miss ho jaa rha hai...

Me pichle story se sonak ka nhi naam lena chahunga ...wo benda story ko hemesa emotional rekhne ke kosis ker rhaa thaa...per Thora sanki type thaa wo Banda ..usee buss story me comment chaye thee ...

Usne bhi hamare emotion ke sath khela aur aab bhi khel rhee ho ....aap plzz story ke hero aur heroin per focus kero story ko

Hero - abay
Heroin - sandhya and payel
Plzzzzz bhai ....
 
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