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Waiting for next update
Kal rat ko try kroga update Dene ki bhaiDavil bhai next update kab aayega?
Thank you sooo much Samar_Singh bhai aage bhi koshish rhegi update pasand aay aapkoNice update
Finally Abhay ka flashback samne aaya, ki gaon se jane ke baad vo kahan gaya kya hua.
Kismat se use Shalini mili, varna shayad Ranjeet ke chakkar me faskar uska jivan kuch galat mod le leta.
Jarur se Abhay ne raat me koi bura sapna dekha hoga, yaa apne atit ko yaad kar raha hoga, aur uski halat bigad rahi hogi. Shayad aisi situation me Abhay ko dekh ke Chandni ke dil me Abhay ke liye soft corner bana ho. Phir phir dheere dheere uska vyavhar Abhay ke liye badal gaya. Now they are best buddies![]()
Ab kahani puri tarah se apne purane plot se aage aa chuki hai to sara daromdar kahani ka ju par hai
Keep doing best![]()
Kal rat Tak try kroga bhaiWaiting bro![]()
intezaar rahega DEVIL MAXIMUM bhai....Kal rat Tak try kroga bhai
Aaj ki koshish poori bhaiintezaar rahega DEVIL MAXIMUM bhai....
Update posted friends
Raj_sharma , SEANIOUR I'm A SIMP , GURU Ashwathama JI , Ash Mishra , Yasasvi3 , ellysperry , Samar_Singh , Riky007 , Ufaq saba , Frieren , Rekha rani JI , Rajizexy JI , Silent lover , dev61901 , Tharki_Buddha , WhiteDragon , sonak , Sweetkaran , dhalchandarun , paand , Napster , Rahul Chauhan , Iron Man , park , parkas , Shanu , Tiger 786 , Raja thakur , Shetan Devi ji , kamdev99008 , SANJU ( V. R. ) SIR , Sanju@ , Sunli , Studxyz , Kuchnahi24 , venom 111 , Alanaking
Nice update broUPDATE 20
FLASH BACK CONTINUE.....
दीदी के जाने के बाद से रोज उनसे मेरी बात होती कॉल में मुझे बताती कैसे पढ़ाई चल रहे है और ट्रेनिंग भी शुरू हो चुकी है कभी कभी दीदी ट्रेनिंग के वक्त इतना थक जाती थी उनको मौका अहि मिलता था कॉल करने का एक बार ये बात उन्होंने मुझे बताई थी और बोली थी अगर कॉल ना करू तो समझ जाना बात मैं भी समझ रहा था इस बात को....
इस बीच मैं और शालिनी आंटी ही थे घर में बस , आंटी अक्सर ऑफिस जल्दी घर आजाती थी उसके बाद हम दोनो ही खूब हसी मजाक करते बाते करते रात का खाना भी हम साथ में खाते थे , और कई बार आंटी और मैं एक साथ सोते थे , अक्सर आंटी संडे को छुट्टी कर लेती थी उस दिन आंटी मुझे ले जाती घुमाने अपने संग एक दिन की बात है मैं चांदनी दीदी से कॉल पर बात कर रहा था की तभी मुझे किसी की आवाज आई झगड़ने की कॉल पर दीदी बोली...
चांदनी दीदी – ये आवाज कैसी आ रही है अभी शायद मां की आवाज है ये देख तो जरा
मैं – (दीदी से कॉल पर बात करते हुए) हा दीदी मैं जा रहा हू
जब मैं रूम से बाहर निकला तो देखा शालिनी आंटी किसी से बहुत गुस्से में बात कर रही थी जब मैंने उसे देखा तो कोई और नहीं रंजीत सिन्हा था चांदनी दीदी के पापा और आंटी की पति मैं उनके पीछे था उनकी बातो को सुन रहा था छुप के...
रंजीत – देखो शालिनी ये घर जितना तुम्हारा है उतना मेरा भी है और इस घर में हमारी बेटी भी रहती है लेकिन तुम उस लड़के को भी इस घर में लेके आ गई हो कभी सोचा है तुमने कही उस लड़के ने कुछ ऊंच नीच कर दिया हमारी बेटी के साथ तो माफ कर पाओगी अपने आप को कभी इसीलिए मैं...
शालिनी – (बीच में) बंद कर अपनी ये घिनौनी बकवास जैसा तू खुद है वैसी तेरी सोच भी है कुत्ते की दुम की तरह है तू कभी सीधी नही हो सकती है , शर्म नही आई तुझे ऐसा सोचते हुए भी बहन है वो अभी की , जाने दो मैं भी किस इंसान को ये बात बता रही हू जो खुद अपनी बीवी का नही बन पाया वो अपनी बेटी का क्या बनेगा तुझे अपनी बेटी की वजह से खेल रही हू रंजीत मुझे इतना कमजोर भी मत समझ अगर मैं अपने में आ गई तो वक्त नही लगेगा तुझे तेरी बेटी के सामने नंगा करने में समझा
रंजीत – उस दो टके के लड़के के कारण तुम मुझे जलील कर रही हो
इतना बोलना था रंजीत का की उसके गाल में पड़ा एक जोर दार चाटा CCCHHHAAAATTTTTAAAAKKKKKKK
शालिनी – किसको बोल रहा है तू दो टेक का , क्या जनता है तू उसके बारे में , अरे तेरे जैसों को पल भर में अपनी उंगली में पड़े नाखून की तरह काट के फेक सकता है वो , जनता क्या है तू उसके बारे में कोई औकात नही है तेरी उसके सामने और मैं बहुत खुश नसीब औरत हू भगवान ने मेरी झोली में उसके जैसा बेटा दिया लेकिन ये बात तू कभी नही समझ सकता है
शालिनी आंटी की ये बात सुन के मैं हैरान हो गया था अपने मन में सोचने लगा था की आंटी मेरे लिए अपने पति से इस तरह भिड़ जाएगी लेकिन आंटी ने ऐसा क्यों कहा अपने पति से की मेरे सामने उसकी कोई औकात नही है क्या आंटी रंजीत को डराने के लिए ऐसा बोल रही है या कही ऐसा तो नहीं आंटी को मेरे बारे में कुछ पता चल गया हो।
मैं यही सब बाते सोच रहा था अपने मन में तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ा जब मैने देखा तो आंटी थी मैं अपने मन की बातो में इतना खोया हुआ था पता नही चला रंजीत जा चुका ही घर से कब का और आंटी भी जाने कब मेरे सामने आई और बोली.....
शालिनी – क्या हुआ अभी तुम यहां कब से खड़े हो
मैं – वो आंटी मैने आवाज सुनी आपकी इसीलिए देखने आ गया आपको , क्या हुआ था आंटी वो अंकल क्यों आए थे यह पर
शालिनी – (हल्का मुस्कुरा के) ये आदमी मेरी बदकिस्मती से आया मेरी जिंदीगी में (बोल के आंटी चुप हो गई थी)
मैं – (बीच में बोला) आंटी क्या बात है और ये अंकल से आपकी शादी कैसे हो गई
मेरी बात सुन की आंटी मुझे देखती रही फिर बोली...
शालिनी – इसका नाम रंजीत है , रंजीत शुरू से ही लालची किस्म का इंसान रहा है रिश्वत लेना जुवा खेलना यही इसका शौक है इसीलिए गलत काम करता रहता है ये घर इसके मां बाप का है जाने से पहले अपनी सारी प्रॉपर्टी मेरे और चांदनी के नाम कर गए थे अपने बेटे के नही देखा जाय तो गलती मेरी ही थी शुरुवात से इसके प्यार में अंधी हो गई थी हम दोनों के मां बाप ने हमारी शादी करवाई लेकिन 1 साल बाद ही इसकी असलीयत सामने आ गई सभी के तब मैंने पुलिस फोर्स ज्वाइन किया अपनी मेहनत और ईमानदारी से आज इस मुकाम तक आ गई हू लेकिन ये चाहता ऐसा कर सकता था लेकिन कुत्ते की पूछ कभी सीधी नहीं होती ऐसा है ये चांदनी के लिए अच्छे पिता है ये अपनी बेटी के लिए चुप हू आज तक क्योंकि वो अपने पिता को मानती है
शालिनी आंटी बोल के चुप हो गई मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था शालिनी आंटी को चांदनी दीदी के लिए आखिर क्या कुछ नही झेलना पड़ रहा है उस वक्त मुझे कुछ समझ में नाही आया मैं क्या बोलूं बस मैने आंटी का हाथ पकड़ लिया और बोला...
में – चलिए आंटी खाना खाते है बहुत देर हो गाई है
शालिनी आंटी ने कुछ पल मुस्कुरा के मुंह देखा फिर अचनक से उन्होंने कुछ ऐसा बोला मैं सिर से पाओं तक हिल गया...
शालिनी – हाथ मु धो के जल्दी से खाने की टेबल में आओ अभय
बोल के शालिनी आंटी चली गई और पीछे छोड़ गई मुझे हैरान अपने मन में यहीं सोचता रहा क्या अभी आंटी ने सच में मेरा नाम लिया या मेरे कान बज रहे है सोचते हुए मैं खाने की टेबल में चला गया खाना खाने आंटी के साथ खाना होने के बाद आंटी मुझसे बोली...
शालिनी – तेरी पढ़ाई कैसे चल रही है अभी
मैं – अच्छी चल रही है आंटी
शालिनी – तुझे एक जरूरी बात करनी है अभी
मैं – हा बोलिए ना आंटी
शालिनी – वो अभी कुछ वक्त के लिए मुझे बाहर जाना पड़ेगा हो सकता है शायद 1 से 2 साल के लिए
मैं – 1 से 2 साल लेकिन क्यों आंटी
शालिनी – ड्यूटी है मेरी कुछ मीटिंग्स है बड़े नेताओं के साथ चुनाव आनेवाले है अगले साल उसके लिए ज्यादा तर मीटिंग्स रखी गई है सभी बड़े पुलिस अधिकारियों की इसीलिए क्या तब तक तुम अकेले रह पाओगे यहां पर
मैं – अब आप सब के बिना अकेले कैसे रह सकता हू मै आंटी , मैं ऐसा करता हू कुछ वक्त के लिए हॉस्टल में रह लूगा जब आप आजाओगे मैं वापस आ जाऊंगा आपके पास , वैसे आप कब जा रहे हो आउट ऑफ सिटी
शालिनी – कुछ दिन बाद जाना होगा और बात तो अच्छी है तेरी घर की एक चाबी अपने पास रखना जब भी तेरा मन हो आजाना घर में ठीक है और माना करने की सोचना भी मत
आंटी की बात पर मैं मुस्कुराए बिना नही रह पाया इन सब बातो के चलते मैं नही जानता था की अनजाने में मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई उस दिन क्योंकि इस बात के बाद जब मैं कमरे में आया सोने के लिए तभी मेरा ध्यान गया मोबाइल पर जिसकी कॉल कट हो गई थी मैने मन में सोचा अच्छा हुआ की कॉल कट हो गई थी पहले से वर्ना ना जन क्या हो जाता आज और यह मैने सबसे बड़ी गलती कर दी थी क्योंकि मैने कॉल किया दीदी को फिर से दीदी ने जैसे ही कॉल रिसीव किया तब मुझे ऐसा लगा जैसे दीदी रो रही हो..
मैं – (दीदी की रोने जैसे आवाज सुन के घबरा गया) दीदी क्या हुआ आप रो रहे हो सब ठीक तो है न दीदी
चांदनी – (रोते हुए) मुझे नही पता था कि पापा ऐसे निकलेंगे इसीलिए तेरे लिए मुझे भड़काते थे ताकि नफरत करू तेरे से
मैं – कोई बात नही दीदी जो हो गया सो हो गया बस आप रो मत दीदी आपको रोते हुए सुन मुझे भी रोना आ रहा है
चांदनी – नही रोती हू मै चुप हो गई लेकिन तू मत रोना समझा
मैं – हा दीदी खेर कोई बात नही दीदी एक ना एक दिन तो सच सामने आना था आपके
चांदनी – hmmm चल ठीक है मैं रखती हू कल से रोज सुबह 4 बजे से ट्रेनिंग शुरू होगी मेरी , कल बात करते है बाए
बोल के कॉल कट हो गया अगले दिन संडे था मेरे छुट्टी का दिन सुबह नाश्ता करने के बाद मैं आंटी को बोला...
में – आंटी एक बात बताए आपके घर में इतनी पुरानी बंदूके क्यों रखी है क्या आपको बंदूक चलने का शौक रहा है क्या
शालिनी – (हस्ते हुए) हा मुझे बहुत शौक था निशाना लगाने का मेरे पापा ने मुझे सिखाया था बंदूक चलाना ये बंदूके उनकी ही है , आज तूने ऐसा क्यों पूछा क्या तू सीखेगा चलाना बंदूक
मैं – लेकिन मैं क्या करूंगा सिख के , मैने ऐसे ही पूछ लिया आपसे....
शालिनी – कोई बात नही सीखेगा तभी पता चलेगा एक काम करती हू एक ट्रेनर को बोल देती हू तुझे ट्रेन करेगा अच्छे से गन चलाने में
उसके बाद से अगले 6 महीने तक स्कूल के साथ मुझे गन चलाने की ट्रेनिंग दी गई जिसके चलते मैं गन चलाने में माहिर हो गया फिर आया वो दिन जब शालिनी आंटी को जाना था आउट ऑफ सिटी लंबे वक्त के लिए जाने से पहले आंटी ने मुझे हॉस्टल छोड़ा जब हॉस्टल से जाने लगी आंटी मुझे गले लगा के बोली तूझे यह अच्छा न लगे तो घर चले जाना मैं जल्द से जल्द वापस आजाऊगी बोल के शालिनी आंटी चली गई और मैं जाने क्यों हल्की से स्माइल लिए शालिनी आंटी को जाते हुए देख रहा था...
आंटी के जाने के बाद मैं हॉस्टल में रहने लगा उस हॉस्टल में ही टीचर्स भी रहते थे अलग फ्लोर में , हॉस्टल में रह के वही पर अपनी पढ़ाई करता रहा इस बीच मेरी मुलाकात हुई एक टीचर से जिसका नाम शनाया है देखने में काफी हेल्थी थी वो , सामने तो नही लेकिन पीठ पीछे हर कोई उनको मोटी, भैंस बोलता था और ये बात वो भी जानती थी की उनके मोटापे का मजाक बनाते है कई स्टूडेंट्स और टीचर भी स्कूल के इलावा वो ट्यूशन देती थी लेकिन बच्चे उनके पास पढ़ने के नाम पर सिर्फ 3 आते थे उनमें से एक मैं था...
लेकिन जाने क्यों उनको देख के मैं खो जाता था जब भी उनको देखता ऐसा लगता जैसे वो मेरा अपना हो लेकिन एक सच ये भी था मैं उनको पहली बार देख रहा था धीरे धीरे कुछ ही दिनों में मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई स्कूल के बाद ट्यूशन टाइम के साथ मैं बाकी का वक्त भी उनके साथ बीतता था मैने कई बार उनसे कहा साथ घूमने चलने को लेकिन वो नहीं चलती अपने मोटापे की वजह से कही कोई उन्हें देख के मजाक उड़ाने लगे , एक दिन ट्यूशन के बाद मैने उनसे काफी देर तक बात की उनको एक्सरसाइज के लिए मनाया और वो मान गई..
अगले दिन से हमदोनो का रूटीन बन गया था एक्सरसाइज करने का एक साथ , रोज हम साथ में जिम जाते और साथ में आते धीरे धीरे वक्त आगे बढ़ता गया करीबन डेड साल के बाद शनाया मैडम का लुक पूरी तरह से बदल चुका था और अब तो उनके खुद के कपड़े उनके साइज से ज्यादा थे और स्कूल में ज्यादा तर आदमी और औरते जो टीईचर थे वो शनाया को देखते तो देखते रह जाते औरते उनके लुक्स से जलती तो मर्दों के दिल की धड़कन बड़ जाति थी लेकिन इन सब में एक बात और हुई शनाया मैडम मेरे बहुत करीब आ गई...
शनाया मैडम का मुझे देखने का तरीका बदल चुका था इन डेड सालो में ये बात समझने लगा था मैं और......
IN PRESENT
राज – (अभय को चुप देख के बोला) और तू भी उसे चाहने लगा था यही बात है ना
अभय – नही यार बात ये नही है ये बात सच है की शनाया मैडम बहुत खूबसूरत है मुझे भी उनके साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है जब भी उनको देखता तो अपने पन जैसा लगता था मुझे लेकिन प्यार के बारे में ध्यान नही दिया मैने और ना ही सोचा इस बारे में
राज – (कुछ देर देखता रहा) सच बता अभय जब तू भागा घर से तो क्या तूने एक बार भी नही सोचा हमारे लिए और पायल के लिए क्या हाल होगा तेरे जाने के बाद इन सभी का...
अभय – अगर तू सच जानना चाहता है तो सुन मैं भागा जरूर था घर से लेकिन कभी लौट के वापस नहीं आना चाहता था यहां पर , यहां से जाने के बाद मैने शालिनी आंटी और दीदी से मिलने के बाद मैने पलट के कभी नहीं सोचा यहां के बारे में...
राज – (बीच में गुस्से से बोला) ओह तो तू ये कहना चाहता है हम सब से अपनी जान छुड़ा के भागा था तू यहां से ताकी गलती से भी कभी लौट के वापस ना आना पड़ें यही बात है ना बोल
अभय –(गुस्से में चिल्ला के) हा मैं जान छुड़ा के भागा था यहां से और सही कहा तूने मैं कभी वापस नहीं आना चाहता था यहां पर और इसकी वजह है वो ठकुराइन नफरत हो गई थी मुझे उस औरत से..
राज – (चौक के बीच में) ये क्या बोले जा रहा है तू होश में तो है ना
अभय – (गुस्से में) हा होश में हू मै
इतना बोल के अभय चुप हो गया शायद चुप रह के अपने मन को शांत करना चाहता था और शायद राज भी समझ रहा था अभय की स्थिति को इसीलिए उसने कोई सवाल नही पूछा थोड़ी देर शांत रहने के बाद राज बोला.....
राज – तू जानता है अभय तेरे जाने के बाद से मैं कब भी अकेला महसूस करता तो बस यही इसी जगह बैठ के घंटो देखता रहता था किनारे को जब सूरज डूब जाता तो मैं निकल जाता था घर अपने खाली वक्त में बस तेरे बारे में सोचता था , जानता है क्यों , क्योंकि पूरे गांव में सिर्फ तू ही एक अकेला ठाकुर था जो किसी भेद भाव को नही मानता था और यही वजह थी की सब गांव वालो की तरह मेरे लिए तू सबसे खास बन गया सगे भाई जैसा....
अभय – (राज के कंधे पे हाथ रख के) सच बात ये है राज , ये तुम सभी का प्यार है जिसकी वजह से मैं वापस आया हू...
राज – (मुस्कुरा के) चल छोड़ ये सब बात , तूने कहा तू भी चाहने लगा था शनाया मैडम को फिर आगे क्या हुआ....
अभय – (हस के) अबे मैने कब कहा की मैं चाहने लगा था शनाया मैडम को......
FLASH BACK CONTINUE
सच ये है मैने इस बारे में सोचा ही नही यार , हा शनाया मैडम अकेले थी कोई नही था उनका इस दुनिया में सिर्फ मैं था स्टूडेंट और एक दोस्त बस लेकिन कभी उन्होंने मुझे कहा नही की वो मुझे चाहती है लेकिन उनकी आंखे सब बता देती थी रोज का हमारा रूटीन था हम वैसे ही करते थे क्लास 11 में आने के कुछ वक्त के बाद मुलाकात एक ऐसे शक्स से हुई जो मेरे से एक क्लास सीनियर था लेकिन सभी स्टूडेंट्स से अलग रहता था वो बहुत ही अजीब किस्म का इंसान था वो मेरी उससे पहली मुलाकात कैंटीन में हुई थी जब खाना लेके मैं टेबल में बैठने की जग डूंड रहा था तभी उस शख्स पे नजर पड़ी मेरी जो अकेला बैठा था...
मैं – (वहा गया उससे बोला) मैं या बैठ जाऊं
शख्स – (बिना कुछ बोले बस साइड में खिसक गया)
एसा कई बार हुआ मेरे साथ वो शख्स हर बार अकेला बैठा रहता था कैंटीन में एक दिन मैंने हिम्मत कर के उसे बोला...
मैं – (उस शख्स से) भाई आप बुरा ना मानना एक बात पूछना चाहता हू आपसे...
मेरे इतनी बात पर उसने पहली बार सिर उठा के मुझे देखा जैसे मैं कोई अजूबा हू लेकिन उसने कुछ नहीं बोला गिर मैने पूछ लिया उससे....
मैं – भाई आपको काफी वक्त से देख रहा हू आप हर बार अकेले बैठते हो यहां पर स्कूल में भी किसी से बात नही करते हो...
फिर उसने जवाब दिया उस दिन पहली बार मैने उसकी आवाज सुनी...
शख्स – तू यहां पर पढ़ने आया है या मेरी जासूसी करने
मैं – आपको अकेला देखता आ रहा हू रोज इसीलिए पूछ लिया , माफ करना भाई...
बोल के मैं जाने लगा था तभी मुझे जोर से हसने की आवाज आई वो शख्स हस रहा था फिर वो बोला...
शख्स – (हस्ते हुए) ये सवाल मुझे वो इंसान पूछ रहा है जो खुद अपनो को अकेला छोड़ के भाग आया है
उसकी बात सुन के मेरी आखें बड़ी हो गई मैं हैरान रह गया जैसे ही पलटा देखा वहा पर कोई नही था फिर पलट के मैने चारो तरफ देखा लेकिन वो मुझे कही नही दिखा उस दिन के बाद से मैं हर रोज उसे देखता लेकिन कही नही दिखता ना कैंटीन में और ना ही क्लास में ये पता था होस्टल में रहता है लेकिन किस रूम में पता नही 2 साल हॉस्टल में गुजर गए मेरे फिर एक दिन मैं क्लास खत्म करके हॉस्टल में जा रहा था तभी किसी ने मुझे आवाज दी सामने देखा तो चांदनी दीदी खड़ी थी उन्हें देख मैं इतना खुश हुआ दौड़ के गया और गले लग गया दीदी के...
चांदनी – (गले लग के) कैसा है तू
मैं – अच्छा हू दीदी , आप कब आए वापस
चांदनी – आज सुबह ही आई हू सुबह से तुझे मिलने का बहुत मन हो रहा था इंतजार कर रही थी कब तेरे स्कूल खत्म हो , चल अपनी पैकिंग कर जल्दी से घर चलते है आज शाम को मां भी वापस आ रही है
मैं – सच में ये तो डबल खुश खबरी है दीदी मैं अभी कपड़े पैक करता हू अपने
बोल के मैं रूम में गया कपड़े पैक करने लगा थोड़ी देर बाद मैं अपना बैग लेके जैसे बाहर आया सामने शनाया मैडम खड़ी थी...
शनाया – (मेरे हाथ में बैग देख के) ये बैग लेके कहा जा रहे हो तुम
मैं – वो...वो मैने आपको बताया था आंटी और दीदी वापस आ गए है इसीलिए घर जा रहा हू अब से रोज घर से आया करेगा स्कूल
शनाया – फिर मेरे साथ एक्सरसाइज नही करोगे और ट्यूशन
उनके बात सुन के इतना समझ आ गया था , मुझे कहना कुछ चाहती है लेकिन कह कुछ रही है शायद मेरे इस तरह जाने से उनकी दिल की बेचनी बड़ती जा रही थी या शायद अकेला पन उनसे बर्दाश नही हो रहा था मैं सिर्फ इतना ही बोला...
मैं – मैडम मैं रोज स्कूल आऊंगा और रोज मिलूगा आपसे डोंट वेरी अच्छा चलता हू आप अपना ख्याल रख्यीगा
बोल के मैं निकल गया दीदी के साथ घर शाम को आंटी भी आ गई इस दिन आंटी थकी हुई थी इसीलिए हम सब जल्दी सो गए सन्डे का दिन हम तीनो साथ गुजरते एक साथ बाकी के दिन आंटी और दीदी अपनी ड्यूटी में होती दिन ऐसे ही बीतने लगे और मैं आगया क्लास 12 में एक दिन स्कूल में फंक्शन था शिक्षा मंत्री आए हुए थे उन्होंने घोषणा की थी इस साल स्कूल में जो टॉप करेगा उसे स्कॉलर शॉप मिलेगी आगे की पढ़ाई के लिए बिना शर्त के वक्त धीरे धीरे बीतता चला गया फाइनल एग्जाम आ गए उसके कुछ वक्त के बाद रिजल्ट आया जिसमे मैने टॉप किया पूरे स्कूल में...
ये खुशखबरी मैने आंटी और दीदी को सुनाई दोनो बहुत खुश हुए फिर एक दिन मुझे स्कूल से पता चला मुझे आगे की पढ़ाई की लिए स्कॉलर शिप मिली है और कॉलेज का नाम सुनते ही मेरा मन खराब हो गया क्यों की मुझे जो कॉलेज मिला था वो कोई और नहीं मेरे गांव का था ये बात घर में आंटी और दीदी को पता चली तो....
शालिनी आंटी – अरे वाह ये तो अच्छी बात है तुझे स्कॉलर शिप मिल गई और साथ में एक अच्छा कॉलेज भी आगे की पढ़ाई के लिए , बस और मन लगा के पढ़ाई करना तू
मैं – नही आंटी मैं बाहर नही जाऊंगा पढ़ाई करने यही करूंगा आगे की पढ़ाई आप सब के बिना मैं अकेले नही रह पाऊंगा
सच तो ये था मैं जाना ही नहीं चाहता था गांव में वापस लेकिन मेरी किस्मत जाने क्यों मुझे फिर से वही ले जाना चाहती थी , मेरे मना करने के बाद आंटी और दीदी ने इस बारे में कुछ नही कहा...
चांदनी दीदी – मां अभी का जहा मन होगा उसे वही पढ़ने देगे
दीदी की इस बात से आंटी ने कुछ नही कहा बस हा में सिर हिला दिया फिर एक दिन संडे को आंटी , दीदी और मैं घूमने गए मेले में वहा बहुत मस्ती की हम तीनो ने सभी झूले झूले हमने मेले में चलते चलते दीदी और आंटी किसी दुकान से कुछ सामान खरीद रही थी और मैं पीछे खड़ा आइस क्रीम खा रहा था तभी एक बाबा मेरे बगल में खड़ा बस मुझे देखें जा रहा था...
बाबा – सब कुछ मिलने के बाद भी इंसान अपने आप को अकेला क्यों महसूस करता है
मैं –(बाबा की बात सुन के) आप मुझे कह रहे हो बाबा
बाबा –(मुस्कुरा के) पुत्र तुम्हारे इलावा कॉन है यहां पर कोई भी नही
मैं – मैं समझा नही बाबा आपकी बात
बाबा – तेरे पास तो तेरा सब कुछ है पुत्र फिर क्यों इस मायाजाल में उलझा है क्यों तू आगे बड़ने से कतरा रहा है
मैं – बाबा आपकी कही बात मुझे समझ में नहीं आ रही है कुछ भी
बाबा – पुत्र क्या तुझे सच में लगता है अपनो से दूर अकेला यहां तू खुश है या तू ये समझ बैठा है कोई तेरे लिए आसू नही बहा रहा होगा
मैं – (बाबा की बात सुन के) आपको कैसे पता बाबा की मैं...
बाबा – वो तेरे अपने है जो आज भी तेरे लिए आसू बहा रहे है , जा पुत्र जा उनके आसू पोंछ उनका सहारा बन रक्षा कर अपनो की कही ऐसा ना हो इस मायाजाल में ऊलझ कर तू अपनो को हमेशा के लिए खो दे
मैं कुछ बोलता तभी पीछे से दीदी ने आवाज दी मुझे...
चांदनी – अभी वहा क्या कर रहा है आजा चले
मैं –(पलट के दीदी को देखा) हा दीदी बस आया एक मिनट
बोल के जैसे ही मैं पलटा देखा तो वहा कोई नही था अचानक से वो बाबा जाने कहा गायब हो गया हर तरफ देखने पर भी नही दिखा मुझे उसके बाद मैं घर चला गया सबके साथ रस्ते भर और रात में मैं सोचता रहा उस बाबा की बात को उसकी कही एक बात मेरे दिमाग में बार बार घूम रही थी (अपनो की रक्षा कर) अगले दिन मैं स्कूल में गया अपनी मार्क शीट लेने जब मैं स्कूल से वापस आ रहा था तब मैंने उस शख्स को देखा वो हॉस्टल में जा रहा था मैं तुरंत ही उसके पीछे जाने लगा जानना चाहता था की आखिर वो मेरे बारे में और क्या क्या जनता है धीरे धीरे मैं उसके पीछे जा रहा था की तभी अचनक से वो सीढ़ी चढ़ के मुड़ा जैसे ही मैं वहा गया देखा वो गायब हो गया कही नही दिख रहा था मुझे उसे डूडने में और आगे चला गया लेकिन कही नजर नहीं आया और तभी मेरे पीछे से एक आवाज आई पलट के देखा तो......
शख्स –क्यों पीछा कर रहा है मेरा
मैं – आपको कैसे पता मैं भाग के आया हू घर से और क्या जानते हो आप मेरे बारे में
शख्स – (हस के) तुझे इन सब बातो से क्या लेना देना है तुझे तो कोई मतलब ही नहीं है ना अपनो से फिर आज इतनी बेचनी क्यों सिर्फ इसीलिए क्योंकि मैने बोला तू भागा है अपनो से
मैं – ये मेरे सवाल का जवाब नही हुआ
शख्स – तेरे किसी भी सवाल का जवाब नही है मेरे पास अच्छा होगा मेरा पीछा करना बंद कर दे
मैं – (थोड़ी देर चुप रह के) हा मैं भागा हू घर से जब आप ये बात जानते हो तो ये भी जानते होगे क्यों भागा मैं अपने घर से , अब तो बता दो कैसे जानते जो आप
शख्स –(थोड़ी देर देखता रहा फिर बोला) चलो मेरे साथ
उस शख्स के साथ चलने लगा वो अपने रूम में लेके गया अन्दर जाते ही देखा रूम में एक लड़की बैठी थी साथ में एक लड़का जो मेरे ही स्कूल से था मेरे से एक क्लास जूनियर तभी उस लड़की ने बोला....
लड़की – कैसे हो Mr Abhi ओह माफ करना THAKUR ABHAY SINGH
मैं –(अपना नाम सुन के) तुम्हे कैसे पता मेरा असली नाम
लड़की –(मुस्कुरा के बोली) आओ पहले बैठो यहां पे
मेरे बैठते ही वो लड़की ने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया और बोली...
लड़की – (हाथ मिला के) मेरा नाम ALLITA है अभय और सच कहूं तो मुझे पता था तुम जरूर आओगे यहां पर
मैं – (हैरान होके) लेकिन तुम्हे कैसे पता आखिर चल क्या रहा है यहां पर
शख्स – तुम आगे की पढ़ाई के लिए अपने गांव जाने वाले हो स्कॉलर शिप इसीलिए मिली है ना तुम्हे , लेकिन क्या तुम्हे सच में लगता है तुम अपनो की मदद कर पाओगे , बचा पाओगे अपनो को
मैं – मैने कब कहा मैं गांव जा रहा हू
शख्स –(अपने रूम का गेट खोल के) जब ऐसा कुछ नही है तो ये रहा तुम्हारे बाहर जाने का रास्ता और ये बात यही खतम हम कभी नही मिले एक दूसरे से अब जाओ यहां से
मैं – मैं जानना चाहता हू की...
शख्स –(बीच में) मुझसे झूठ बोल के सच नही जान सकते तुम ठाकुर अभय सिंह इसीलिए निकल जाओ यहां से अभी
मैं गुस्से में उठ के जाने लगा गेट के बाहर जा रहा था तभी मैं पलट के बोला....
मैं – हा मैं जाना चाहता हू गांव अपने अपनो के लिए
शख्स – अच्छा क्या करोगे गांव जा के और चले भी गए तो बचा पाओगे अपनो को लेकिन कैसे
मैं – हा मैं बचा लूगा अपनो को
शख्स –(हस्ते हुए) जिसे लड़ाई का L का मतलब तक पता ना हो वो बचाएगा लोगो को कैसे , शायद वैसे ही ना जैसे बगीचे से आम तोड़ते थे और अमरूद हैना ऐसे ही बचाओगे सही कहा ना मैने
मैं – मजाक बना रहे हो मेरा जानते हो न मैं लड़ना नही जानता इसीलिए
शख्स – मजाक नही मौका दे रहा हू तुझे अगर तू चाहे तो
मैं – कैसा मौका दोगे मुझे
शख्स – मैं तुझे ताकत दुगा बदले में तुझे मेरा एक काम करना होगा अगर डील मंजूर हो तो यही रुको नही तो दरवाजा खुला है सोच लो कोई जल्दी नहीं
और बस यही मैने एक गलती की बिना सोचे जल्द बाजी में हा बोल दिया मैने उसे....
मैं – मंजूर है मुझे बताओ क्या और कैसे होगा ये सब
इससे पहले में कुछ बोलता या समझ पता पीछे से अलिता ने मेरी गर्दन में एक इंजेक्शन लगा दिया...
मै –(गर्दन में हाथ रख के) आआअअ....ये क्या किया
शख्स –(हस्ते हुए) जो तू चाहता था वही दिया मैने तुझे और आज से हमारे डील शुरू होती है अगर तूने इनकार या आनाकानी की तो तेरी आंटी और दीदी को कभी नहीं देख पाएगा तू समझा अब सोजा
उसके बाद मैं बेहोश हो गया जाने क्या हुआ मुझे कुछ नहीं पता चला जब होश आया तो मैं हॉस्टल के किसी रूम में था और मेरे बगल में शनाया मैडम बैठी थी मुझे होश में आते देख बोली...
शनाया – अब कैसा लग रहा है तुम्हे
मैं – ये किसका रूम है में यहां कैसे आ गया
शनाया – ये मेरा रूम है और तुम बाहर बेहोश थे एक लड़का तुम्हे यहां लेके आया था बोल के गया वो डॉक्टर को लेके आ रहा है
मैं – कोई बात नही मैं अब ठीक हू मैडम मुझे अब जाना चाहिए घर में कहे परेशान न हो जाए सभी अच्छा मैम मैं चलता हूं
शनाया – तुम्हे स्कॉलर शिप मिली है तुम कब जा रहे हो
मैं – अभी काफी वक्त है मैडम 3 महीने बाद जाना होगा मेरा
बोल के निकल गया बिना उनकी बात सुने चले जा रहा था घर की तरफ तभी रास्ते में कोई मेरे सामने आया अपनी कार से उसे देख के हैरान था बस मन में यह बोला...
मैं –मन में – ये यहां पर......
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जारी रहेगा![]()
bhai update ka kya raha time nikal paye ya nahi aaj …Sorry Bhai Aaj bhi kam me busy tha mai time nahi mil paya update likhne ka
Koshish kroga kal rat Tak dedo update