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Ohh bhai kya twist lae hoUPDATE 22
राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...
राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है
गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।
राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना
गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे
राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...
अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे
राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी
गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो
राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा
गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू
अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है
गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे
फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...
अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै
राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार
अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब
गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे
अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा
गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा
इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....
रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है
चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू
रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए
चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं
रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो
चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका
रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है
चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी
रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट
इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...
संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो
चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...
तभी बीच में रमन बोल पड़ा...
रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम
संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर
इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...
संध्या – भानु भानु इधर आ
भानु – जी मालकिन
संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी
भानु – जी मालकिन
भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...
चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो
संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू
संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...
रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)
संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....
संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी
चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा
संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को
चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया
संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर
चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में
संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा
थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...
संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी
बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...
संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में
मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...
संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी
मालती – ओह मुझे लगा की...
संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...
चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय
मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय
चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे
रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले
संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...
रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था
चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है
रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम
चांदनी – ओह माफ करिएगा
इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...
संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है
भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...
भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है
संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको
तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...
औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है
संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई
शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई
संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए
फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...
संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...
शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया
बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...
शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही
चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू
शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है
चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे
शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया
चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके
शनाया – शुक्रिया
चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि
इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...
अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो
सामने से – ????
अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे
संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है
अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले
बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...
राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा
अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से
राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे
अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे
राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से
राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा
राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे
अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से
राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी
अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है
राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है
अभय – फिर क्या किया जाए
राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो
अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा
राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...
राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय
अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे
राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन
इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...
राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ
गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता
राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...
गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना
राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज
गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना
राज – हा मां हो जाएगा ये काम
हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...
सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से
अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो
सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे
अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)
सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है
अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही
सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है
अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं
सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...
बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...
संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने
शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे
रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है
शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे
रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक
शनाया – जी नहीं
रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...
चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप
चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...
कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...
शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए
संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे
शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से
संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है
शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त
शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..
चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए
कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...
संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना
चांदनी – ऐसी क्या बात है
संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....
चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको
कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...
राज – तो क्या पता चला तुझे
अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है
राज – क्या
अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार
राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है
अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या
राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू
अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर
राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे
अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में
राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए
अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी
राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा
अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी
राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू
अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो
राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा
अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने
राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे
अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....
MINI FLASHBACK
जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...
अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू
तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...
संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर
मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...
ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...
संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की
इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...
रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा
मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती
रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है
मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका
रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना
मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है
रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है
उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....
BACK TO PRESENT
अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा
राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी
अभय – हा वही थी वो
राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू
अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा
बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...
गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या
राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां
गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे
फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..
गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो
राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी
गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी
राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी
गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू
राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...![]()
Thank you sooo much Sunli bhaiWah Bhai ye to pasa hi palat gaia
Shandaar updateUPDATE 22
राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...
राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है
गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।
राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना
गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे
राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...
अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे
राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी
गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो
राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा
गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू
अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है
गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे
फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...
अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै
राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार
अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब
गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे
अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा
गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा
इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....
रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है
चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू
रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए
चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं
रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो
चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका
रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है
चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी
रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट
इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...
संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो
चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...
तभी बीच में रमन बोल पड़ा...
रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम
संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर
इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...
संध्या – भानु भानु इधर आ
भानु – जी मालकिन
संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी
भानु – जी मालकिन
भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...
चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो
संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू
संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...
रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)
संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....
संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी
चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा
संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को
चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया
संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर
चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में
संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा
थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...
संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी
बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...
संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में
मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...
संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी
मालती – ओह मुझे लगा की...
संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...
चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय
मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय
चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे
रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले
संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...
रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था
चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है
रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम
चांदनी – ओह माफ करिएगा
इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...
संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है
भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...
भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है
संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको
तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...
औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है
संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई
शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई
संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए
फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...
संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...
शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया
बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...
शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही
चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू
शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है
चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे
शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया
चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके
शनाया – शुक्रिया
चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि
इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...
अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो
सामने से – ????
अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे
संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है
अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले
बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...
राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा
अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से
राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे
अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे
राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से
राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा
राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे
अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से
राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी
अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है
राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है
अभय – फिर क्या किया जाए
राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो
अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा
राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...
राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय
अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे
राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन
इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...
राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ
गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता
राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...
गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना
राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज
गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना
राज – हा मां हो जाएगा ये काम
हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...
सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से
अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो
सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे
अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)
सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है
अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही
सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है
अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं
सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...
बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...
संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने
शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे
रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है
शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे
रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक
शनाया – जी नहीं
रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...
चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप
चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...
कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...
शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए
संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे
शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से
संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है
शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त
शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..
चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए
कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...
संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना
चांदनी – ऐसी क्या बात है
संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....
चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको
कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...
राज – तो क्या पता चला तुझे
अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है
राज – क्या
अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार
राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है
अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या
राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू
अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर
राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे
अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में
राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए
अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी
राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा
अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी
राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू
अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो
राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा
अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने
राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे
अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....
MINI FLASHBACK
जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...
अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू
तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...
संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर
मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...
ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...
संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की
इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...
रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा
मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती
रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है
मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका
रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना
मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है
रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है
उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....
BACK TO PRESENT
अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा
राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी
अभय – हा वही थी वो
राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू
अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा
बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...
गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या
राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां
गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे
फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..
गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो
राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी
गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी
राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी
गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू
राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...![]()
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राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...
राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है
गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।
राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना
गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे
राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...
अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे
राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी
गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो
राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा
गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू
अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है
गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे
फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...
अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै
राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार
अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब
गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे
अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा
गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा
इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....
रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है
चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू
रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए
चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं
रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो
चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका
रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है
चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी
रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट
इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...
संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो
चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...
तभी बीच में रमन बोल पड़ा...
रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम
संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर
इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...
संध्या – भानु भानु इधर आ
भानु – जी मालकिन
संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी
भानु – जी मालकिन
भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...
चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो
संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू
संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...
रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)
संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....
संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी
चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा
संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को
चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया
संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर
चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में
संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा
थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...
संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी
बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...
संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में
मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...
संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी
मालती – ओह मुझे लगा की...
संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...
चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय
मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय
चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे
रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले
संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...
रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था
चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है
रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम
चांदनी – ओह माफ करिएगा
इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...
संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है
भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...
भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है
संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको
तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...
औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है
संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई
शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई
संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए
फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...
संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...
शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया
बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...
शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही
चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू
शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है
चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे
शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया
चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके
शनाया – शुक्रिया
चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि
इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...
अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो
सामने से – ????
अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे
संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है
अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले
बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...
राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा
अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से
राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे
अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे
राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से
राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा
राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे
अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से
राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी
अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है
राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है
अभय – फिर क्या किया जाए
राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो
अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा
राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...
राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय
अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे
राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन
इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...
राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ
गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता
राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...
गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना
राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज
गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना
राज – हा मां हो जाएगा ये काम
हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...
सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से
अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो
सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे
अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)
सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है
अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही
सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है
अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं
सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...
बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...
संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने
शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे
रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है
शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे
रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक
शनाया – जी नहीं
रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...
चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप
चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...
कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...
शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए
संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे
शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से
संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है
शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त
शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..
चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए
कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...
संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना
चांदनी – ऐसी क्या बात है
संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....
चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको
कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...
राज – तो क्या पता चला तुझे
अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है
राज – क्या
अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार
राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है
अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या
राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू
अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर
राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे
अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में
राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए
अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी
राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा
अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी
राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू
अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो
राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा
अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने
राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे
अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....
MINI FLASHBACK
जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...
अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू
तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...
संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर
मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...
ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...
संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की
इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...
रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा
मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती
रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है
मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका
रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना
मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है
रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है
उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....
BACK TO PRESENT
अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा
राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी
अभय – हा वही थी वो
राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू
अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा
बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...
गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या
राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां
गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे
फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..
गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो
राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी
गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी
राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी
गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू
राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...
Awesome update
चांदनी हवेली पहुंच।गई है और संध्या के।साथ मुलाकात से साफ लग रहा है कि संध्या और चांदनी बहुत पहले से एक दूसरे को जानते।है
संध्या तभी शुरू से जानती है कि अभय ही असली।अभय।है
रमन अपनी आदत के अनुसार चांदनी से फ्लर्ट करने की कोशिश में था लेकिन संध्या के कारण कामयाब नही हो पाया
शनाया भी हवेली पहुंच गई है
उधर राज खंडहर से रहस्य को जानने के लिए लगा हुआ है और राजू ने कुछ कुछ पता लगा भी लिया है
अभय ने शॉर्ट में राज को कुछ बाते बताई है अपने भागने की लेकिनराज जब तक उसकी गलतफहमी दूर करता अभय जा चुका था
लेकिन अभय ने उसे बगीचे वाले दिन का तो बता दिया लेकिन भागा वो रात को था और उस रात भी उसने दोनो को साथ देखा था
लेकिन आपने।बहुत अच्छे बगीचे वाले रायते को समेट दिया है जिसके कारण पुरानी कहानी में विवाद शुरू हुआ था
राज के कबूल नामे और कुछ चेंज से कहानी में नया ट्विस्ट आ गया की उस दिन।बगीचे सरपंचनी थी naki ठकुराइन
What an twisted....khani ko kya moda h..... great work sir......UPDATE 22
राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...
राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है
गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।
राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना
गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे
राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...
अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे
राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी
गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो
राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा
गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू
अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है
गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे
फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...
अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै
राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार
अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब
गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे
अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा
गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा
इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....
रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है
चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू
रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए
चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं
रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो
चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका
रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है
चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी
रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट
इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...
संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो
चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...
तभी बीच में रमन बोल पड़ा...
रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम
संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर
इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...
संध्या – भानु भानु इधर आ
भानु – जी मालकिन
संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी
भानु – जी मालकिन
भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...
चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो
संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू
संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...
रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)
संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....
संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी
चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा
संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को
चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया
संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर
चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में
संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा
थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...
संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी
बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...
संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में
मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...
संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी
मालती – ओह मुझे लगा की...
संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...
चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय
मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय
चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे
रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले
संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...
रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था
चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है
रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम
चांदनी – ओह माफ करिएगा
इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...
संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है
भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...
भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है
संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको
तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...
औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है
संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई
शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई
संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए
फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...
संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...
शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया
बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...
शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही
चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू
शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है
चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे
शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया
चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके
शनाया – शुक्रिया
चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि
इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...
अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो
सामने से – ????
अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे
संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है
अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले
बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...
राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा
अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से
राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे
अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे
राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से
राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा
राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे
अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से
राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी
अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है
राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है
अभय – फिर क्या किया जाए
राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो
अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा
राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...
राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय
अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे
राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन
इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...
राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ
गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता
राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...
गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना
राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज
गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना
राज – हा मां हो जाएगा ये काम
हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...
सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से
अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो
सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे
अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)
सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है
अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही
सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है
अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं
सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...
बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...
संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने
शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे
रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है
शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे
रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक
शनाया – जी नहीं
रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...
चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप
चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...
कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...
शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए
संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे
शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से
संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है
शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त
शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..
चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए
कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...
संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना
चांदनी – ऐसी क्या बात है
संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....
चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको
कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...
राज – तो क्या पता चला तुझे
अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है
राज – क्या
अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार
राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है
अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या
राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू
अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर
राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे
अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में
राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए
अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी
राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा
अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी
राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू
अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो
राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा
अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने
राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे
अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....
MINI FLASHBACK
जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...
अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू
तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...
संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर
मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...
ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...
संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की
इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...
रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा
मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती
रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है
मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका
रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना
मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है
रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है
उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....
BACK TO PRESENT
अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा
राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी
अभय – हा वही थी वो
राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू
अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा
बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...
गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या
राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां
गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे
फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..
गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो
राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी
गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी
राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी
गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू
राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...![]()
What an twisted....khani ko kya moda h..... great work sir......UPDATE 22
राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...
राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है
गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।
राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना
गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे
राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...
अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे
राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी
गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो
राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा
गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू
अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है
गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे
फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...
अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै
राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार
अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब
गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे
अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा
गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा
इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....
रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है
चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू
रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए
चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं
रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो
चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका
रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है
चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी
रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट
इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...
संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो
चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...
तभी बीच में रमन बोल पड़ा...
रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम
संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर
इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...
संध्या – भानु भानु इधर आ
भानु – जी मालकिन
संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी
भानु – जी मालकिन
भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...
चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो
संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू
संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...
रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)
संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....
संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी
चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा
संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को
चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया
संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर
चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में
संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा
थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...
संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी
बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...
संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में
मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...
संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी
मालती – ओह मुझे लगा की...
संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...
चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय
मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय
चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे
रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले
संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...
रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था
चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है
रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम
चांदनी – ओह माफ करिएगा
इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...
संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है
भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...
भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है
संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको
तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...
औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है
संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई
शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई
संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए
फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...
संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...
शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया
बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...
शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही
चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू
शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है
चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे
शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया
चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके
शनाया – शुक्रिया
चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि
इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...
अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो
सामने से – ????
अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे
संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है
अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले
बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...
राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा
अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से
राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे
अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे
राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से
राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा
राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे
अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से
राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी
अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है
राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है
अभय – फिर क्या किया जाए
राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो
अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा
राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...
राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय
अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे
राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन
इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...
राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ
गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता
राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...
गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना
राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज
गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना
राज – हा मां हो जाएगा ये काम
हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...
सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से
अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो
सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे
अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)
सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है
अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही
सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है
अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं
सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...
बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...
संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने
शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे
रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है
शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे
रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक
शनाया – जी नहीं
रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...
चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप
चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...
कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...
शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए
संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे
शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से
संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है
शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त
शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..
चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए
कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...
संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना
चांदनी – ऐसी क्या बात है
संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....
चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको
कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...
राज – तो क्या पता चला तुझे
अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है
राज – क्या
अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार
राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है
अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या
राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू
अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर
राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे
अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में
राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए
अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी
राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा
अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी
राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू
अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो
राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा
अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने
राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे
अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....
MINI FLASHBACK
जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...
अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू
तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...
संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर
मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...
ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...
संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की
इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...
रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा
मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती
रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है
मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका
रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना
मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है
रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है
उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....
BACK TO PRESENT
अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा
राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी
अभय – हा वही थी वो
राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू
अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा
बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...
गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या
राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां
गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे
फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..
गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो
राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी
गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी
राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी
गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू
राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
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जारी रहेगा...![]()
Pata chlega bhai jald he is bare me bhi aap sab koNice update devil bhai.... Bhai ek baat sarpanch kya us khandar me khajana dhundne jaata hai ya or kuch suspense hai...