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Thank you sooo much Rathod VipulShandar update
Thank you sooo much 111ramjainNice update
Bahut ji shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 28
शाम के वक्त अभय हॉस्टल के बाहर निकल बगीचे में टहल रहा था उस पेड़ के पास जिसे मनन ठाकुर ने अपने बेटे अभय के साथ बोया था तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा पलट के देख अभय बोला....
अभय – बाबा
सत्य बाबू – कैसे हो बेटा
अभय – अच्छा हू बाबा
सत्य बाबू – इस दिन के बाद तू आया नही घर पे
अभय – बाबा मैं नही चाहता की किसी को पता चले मेरी असलियत इसीलिए
सत्य बाबू – अरे तो क्या हुआ बेटा तूने तो गांव आते ही जो काम किया है उसे देख गांव का हर इंसान तुझे अपने घर बुलाया इससे असलियत का पता कैसे चलेगा किसी को
अभय – (मुस्कुरा के) ठीक है बाबा और बताए बाबा आपका काम कैसा चल रहा है
सत्य बाबू – सबकी की तरह मेरा भी काम वैसा ही है बेटा रोज कूवा खोद ना पानी पीना
अभय – अब पहले जैसी खेतो में वो हरियाली नही रही बाबा एसा क्यों बाबा
सत्य बाबू – इस दस सालो में बहुत कुछ बदल गया है बेटा अपने गांव में
अभय – समझ सकता हू बाबा ब्याज पे ब्याज वसूल कर उस ठकुराइन ने गांव के साथ गांव वालो को लूटने में जो लगे हुए है
सत्य बाबू – ऐसी बात नही है बेटा ठकुराइन पिछले दस सालो में हवेली से नाम मात्र के लिए बाहर आई है तेरे जाने के बाद ठकुराइन ने देखा तक नहीं पलट के गांव में क्या हो रहा है रमन ठाकुर ने....
अभय –(बीच में बात काटते हुए) हा समझ गया बाबा रमन ठाकुर और ठकुराइन दोनो ने मिल कर अच्छा खेल खेला गांव भर में मेरे जाने का अच्छा खासा बहाना बना कर हवेली से बाहर न निकलने का
सत्य बाबू – नही बेटा तेरे जाने के गम में ठकुराइन टूट सी गई थी जाने कितने महीनो तक होश में नही थी हर वक्त बस एक नाम उसकी जुबान में रहता था अभय अभय अभय
अभय – ये सब बहाना है बाबा सिर्फ दिखावा है गांव वालो को दिखाने के लिए ताकी झूठा प्यार का दिखावा कर से सबके सामने
सत्या बाबू – किसके सामने दिखावा करेगी ठकुराइन हवेली के नौकरों के सामने
अभय – क्या मतलब है बाबा
सत्य बाबू – जिस दिन जंगल में वो लाश मिली थी उस दिन से हवेली में मातम छाया था ठकुराइन की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी हवेली में कोई उस दिन के बाद कोई गांव वाला का जाना बंद हो गया था बस हवेली के नौकरों थे जिनसे ठकुराइन के हालात का पता चलता था गांव वालो को ये कई महीनो तक चलता रहा जिसके चलते रमन ठाकुर और मुनीम ने गांव वालो का हवेली में आना बंद करवा दिया था बस इस बात का अच्छा फायदा उठाया रमन ने हर बार मुनीम से कहलवा कर गांव वालो से कर्ज के नाम से ब्याज पे ब्याज वसूल करवाना बेटा अगर उस दिन तुम नही आते तो आज गांव वालो की जमीन पर रमन कब्जा कर डिग्री कॉलेज बनवा रहा होता जिसके चलते ना जाने कितने गांव वाले आत्महत्या कर चुके होते उन सब के पास इस जमीन के इलावा कुछ नही जिसे अपना और अपने परिवार का गुजारा कर से....
सत्य बाबू की बात सुन अभय खुद अपनी सोच में डूब गया अपने मन में ही सोचने लगा...
अभय –(अपने मन में – क्या सच में मेरे भाग जाने से ऐसा हुआ गांव वालो के साथ क्या सच में उस ठकुराइन.....नही नही अभय जरूरी नहीं ये सच हो लेकिन बाबा कभी झूठ नहीं बोल सकते क्या मिलेगा उस ठकुराइन के बारे में झूठी बात बता के ये सब उस रमन और मुनीम का किया धरा है लेकिन बिना उस ठकुराइन की इजाजत के कैसे कर सकता है मुनीम या रमन और दिखावा करना होता तो उस ठकुराइन को गांव वालो के सामने करती हवेली में अकेले नही कुछ तो खेल खेला है उस ठकुराइन ने अपने यार के साथ मिल के जिससे गांव वाले तक अंजान है एक मिनट अगर बात ऐसी थी तो क्यों उस दिन उस ठकुराइन ने गांव वालो को उनकी जमीन वापस करी जब मैने पेड़ काटने को रोका था मुझे दिखाने के लिए तो नही तब तो उसे पता तक नहीं था की मैं ही अभय हू तब मेरा हाथ पकड़ के बोल रही थी उसे इस बारे में कुछ नही पता क्या वो सब सच था या धोखा (अपनी आखें बंद कर) क्या हो रहा है ये सब समझ नही आ रहा है मुझे)...
सत्य बाबू की बात पर अभय अपनी सोच में डूबा हुआ था तभी सत्य बाबू ने देखा सोचते सोचते अभय ने अपनी आखें बंद की तब सत्य बाबू को एहसास हुआ को अभय उनकी बात के बारे में कुछ ज्यादा ही गहराई से सोच रहा है तभी सत्य बाबू ने अभय के कंधे पर हाथ रख बोले...
सत्या बाबू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) ज्यादा मत सोचो बेटा होनी को कोई न टाल सका है ना बदल सका है तुम उन बातो को सोच के परेशान मत हो भला जिस बात पे अपना बस ना चले उसके बारे में क्या सोचना वो भी अब , तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो बेटा अपने पिता की तरह अच्छे इंसान बनो उनका नाम रोशन करो ताकि तुम्हारे पिता की तरह लोग भी तुम्हे माने , अच्छा चलता हू बेटा और तुम घर पे भी आया करो तुम्हारा अपना ही घर है वो भी
अभय – (हल्का हस के) जी बाबा
बोल के सत्या बाबू चले गए घर की तरफ जबकि अभय वापस चल दिया हॉस्टल की तरफ चलते चलते हॉस्टल के अन्दर जाने लगा तभी पीछे से सायरा भी उसी वक्त हॉस्टल में आ रही थी अभय को देख उसे पुकारने लगी...
सायरा – अभय अभय अभय...
सायरा के लगातार 3 बार पुकारने पर भी अभय चलता हुआ हॉस्टल के अन्दर चला गया जिसे देख सायरा को ताजुब हुआ...
सायरा – क्या हो गया इसे इतनी बार नाम पुकारने पर भी सुना नही अभय ने
सायरा चलते हुए अभय के कमरे में आते ही देखा अभय खिड़की में खड़ा होके बाहर देख रहा था....
सायरा –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ अभय कहा खोए हुए हो कितने बार पुकारा तुम्हारा नाम मैने
अभय –(सायरा को देख के) बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था तुम बताओ कैसा रहा तुम्हारा दिन
सायरा – अच्छा था
अभय – हवेली कब जाती हो तुम
सायरा – जाती रहती हू दिन में
अभय – एक बात पूछनी है तुमसे सच बताना तुम 2 साल से हो ना हवेली में तुम्हे क्या लगता है मेरे घर से भाग जाने के बाद क्या क्या हुआ है हवेली में
सायरा – तुम अपनी दीदी से क्यों नहीं पूछ लेते हो
अभय – इस वक्त मैं अपनी दोस्त से बात कर रहा हू ना की दीदी के ऑफिसर से
सायरा – अच्छा रहेगा तुम अपनी दीदी से बात करो इस बारे में
अभय – (सायरा का जवाब सुन के) ठीक है
सायरा – खाना बनाने जा रही हूं तुम चाय पी लो जब तक
अभय –(बिना सायरा की तरफ देखे) तुम पी लो मेरी इच्छा नही है
सायरा – (अभय का नाराजगी भरा जवाब सुन के) ठीक है तुम्हे जानना है ना क्या हुआ था हवेली में सुनो जितनी जानकारी मिली गांव और हवेली में लोगो की बात जान के वो ये है की तुम्हारे चले जाने के बाद ठकुराइन अपने आप में नही थी दिन रात सिर्फ तुम्हे याद करती हर वक्त सिर्फ तुम्हारे कमरे में चली जाती तुम्हारी हर चीज चाहे तुम्हारी किताबे या तुम्हारी बनाई तस्वीरे उन्हें देख तुम्हे याद कर के हर वक्त रोती रहती खुद को कोसती थी वो अपने आप को जिम्मेदार मानती थी इन सब बातो का जबकि सच तो.....
अभय –(तभी अपनी बाइक की चाबी ली बोल के जाने लगा) आने में देर लगेगी मुझे काम से जा रहा हू खाना तुम खा लेना मैं बाद में आके खा लूगा....
बोल के अभय निकल गया बाहर पीछे हैरान खड़ी सायरा को समझ नही आया हुआ क्या है जबकि सायरा आज अभय को सच बता रही थी लेकिन अभय अधूरी बात सुने चला गया हॉस्टल के बाहर उसके जाते ही सायरा खाना बनाने में लग गई जबकि इस तरफ एक औरत कॉल पर किसी से बात कर रही थी...
औरत –(कॉल पर) तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या तुमने कामरान को क्यों मार दिया
सामने से आदमी – नही मरता तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाति क्योंकि ठकुराइन उससे मिलने जा रही थी दस साल पहले जो हुआ उसके गड़े मुर्दे उखड़ जाते
औरत – बेवकूफ कम से कम उसकी बेटी का सोच लेता छोटी सी बच्ची है किसके सहारे रहेगी वो सोचा है
सामने से आदमी – मैने ठेका नही लिया है इन सब बातो का समझी बदले की आग में जल रहा हू मै पिछले कई सालों से जब तक बर्बाद न कर दू तब तक ये आग बुझेगी नही और तू क्यों इतना सोच रही है भूल गई अपना बदला एक बच्ची के बारे में सोच के अभी तो और भी खून बहेगा जो भी रास्ते में आएगा उसका यही हश्र होगा
औरत – हा बदला लेना है मुझे भी उसके लिए किसी बेगुनाह के खून से अपने हाथ नही रंगना चाहती हू मै तुझे भी समझा रही हू बदले की आग में अंधा मत हो कही अपने अंधेपन पे कोई गलती कर बैठना
सामने से आदमी – तुझे क्या लगता है ये सिर्फ शुरुवात है अभी और भी मारेजाएगे लोग
औरत – क्या मतलब है तेरा
सामने से आदमी – तुझे पता नही है दो लोग खंडर में आए थे सालो की किस्मत अच्छी है खंडर में लगे कैमरे से बच गए वर्ना उनका भी हाल कामरान जैसा होता
औरत – आखिर क्या है उस खंडर में जिसे तुम लोग इतने सालो से डूंड रहे हो
सामने से आदमी – वो जो भी है तेरी मेरी जिंदीगी को बदल के रख देगा
औरत – मुझे सिर्फ बदले से मतलब है
सामने से आदमी – अरे मेरी बुलबुल मैं बदले के बाद की बात कर रहा हू , अब छोड़ इन सब बातो को ये बता कब आ रही है तू कितना वक्त बीत गया है
औरत – बस थोड़ा और सब्र कर ले बदला पूरा होते ही तेरी बाहों में ही रहूंगी हमेशा के लिए
सामने से आदमी – तू बोल तो आज ही उस सपोले को रास्ते से हटा के उसकी मां को रण्डी बना दू सभी लोग घाट लगाएं बैठे है ठकुराइन के शिकार के लिए
औरत – इतनी आसानी से बदला नही लेना है मुझे ठकुराइन से अभी तो और भी बहुत कुछ होना है उसके साथ वैसे भी अभय नफरत की आग लेके आया है यहां पर कुछ चोट उसको देने दो अपनी प्यारी मां के दिल को उसे दर्द में तड़पते देख बहुत सुकून मिलता है मुझे
सामने से आदमी – जैसे तेरी मर्जी
औरत – वैसे रमन कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहा है मुनीम के ना होने से क्या किया है तूने मुनीम का
सामने से आदमी – उस सपोले ने टांग तोड़ दी है मुनीम की लेटा पड़ा है मेरे सामने एक बार होश में आ जाए सारी जानकारी निकाल के हटा दुगा रास्ते से इसे भी
औरत – तड़पा तड़पा के मारना उस मुनीम को
सामने से आदमी – तेरी मुनीम से क्या दुश्मनी है बताया नही तूने आज तक
औरत – बताऊगी जरूर बताऊगी बस मेरा ये काम जरूर करना तब तेरा काम हो जाएं
सामने से आदमी – ठीक है मेरी बुलबुल चल रखता हू ख्याल रखना अपना...
बोल के कॉल कर कर दिया इस आदमी ने उसके बाद उस आदमी ने किसी को कॉल किया और बोला...
आदमी – कैसे हो म.....
सामने से –(गुस्से में बीच में टोकते हुए) हरमजादे तुझे कितनी बार बोला है कॉल पर कोई बात बोलने से पहले 100 बार सोचा कर कही ऐसा ना होजाय ये तेरी जिंदिगी की आखरी कॉल हो
आदमी –(घबराते हुए) माफ करना मैं बस मालिक बोल रहा था आपको
सामने से – चल बोल क्यों कॉल किया है तूने
आदमी – मालिक मैने कैमरे में कई बार देखा लेकिन उन दोनो की शकल नही दिखी वो सामने आएं ही नहीं कैमरे के
सामने से – आखिर कॉन हो सकते है वो दोनो
आदमी – मालिक मुझे ऐसा लागत है कही वो ठाकुर का सपोला तो नही क्योंकि वही गांव में नया आया है जिसे जानकारी नहीं होगी खंडर के श्राप के बारे में
सामने से – बेवकूफ इंसान उसे आना होता तो अकेले आता नाकी किसी को साथ में लेके , ये जरूर वही होगा जिसके 4 लोगो को तूने गायब किया है खंडर से शायद कोई अपने लोगो की तलाश में आया होगा रात में चुपके से और तेरे लगे कैमरे भी देख लिए होगे उसने तभी चेहरा सामने नही लाया वो कैमरे में अपना
आदमी – अब क्या हुकुम है मालिक
सामने से – रुक थोड़ा शांत रह तू , मुझे पता चला है कोई नया इंस्पेक्टर आ रहा है कामरान की जगह इसीलिए खंडर का काम शांत रह के निपटा और एक बात अपने दिमाग में डाल ले अगली बार जब किसी को मारने जाना तो बच्चा हो या औरत जिंदा मत छोड़ना किसी को समझा
आदमी – समझ गया मालिक आगे से कोई गलती नही होगी
बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया उसी वक्त एक कमरे में एक लड़का और एक औरत सोफे पर बैठ ये सारी बात हेड फोन से सुन रहे थे जिसे सुन के औरत किसी को कॉल मिलने लगी जिसे देख लड़का बोला...
लड़का – किसे कॉल मिला रही हो आप शालिनी जी
शालिनी – मुझे बताना होगा संध्या को...
लड़का – (बीच में) अच्छा उससे क्या होगा सोचा है आपने , जैसे ही आपने ये बात बताई तो समझ लीजिए जब तक हम वहा पहुचेगे उससे पहले ही आपको कॉल आएगा ये बताने के लिए दो लाशे पड़ी है जिसमे एक संध्या होगी दूसरा अभय अगर वो अकेला हुआ तो या उसके साथ उसके दोस्तो की लाश हो और शायद आपकी बेटी चांदनी भी
शालिनी –(रोते हुए) प्लीज ऐसा मत बोलो उन्हीं के सहारे जी रही हू मै उन्हें कुछ हो गया तो प्लीज कुछ करो आखिर तुम KINGहो
KING– जब तक आप शांत रहेगी तब तक ऐसा कुछ नहीं होगा , ये तो अच्छा था मैने अभय पर नजर बनाए रखी है इसीलिए खंडर के कैमरे से उसकी शक्ल गायब करवा दिया मैने लेकिन मुझे सिर्फ ये खंडर वाली पहेली समझ नही आ रही है आखिर क्या हो सकता है उस खंडर में ऐसा जिसके लिए ये लोग कई सालो से लगे हुए है क्या डूंड रहे है ये लोग
शालिनी – कही कोई खजाना का चक्कर तो नही
KING– शालिनी जी जहा तक मुझे लगता है खजाना जैसा शायद ही कुछ हो वहा पर ये तो अच्छा है की आपकी बेटी ने अभी तक प्रॉपर्टी के पेपर नही दिखाए संध्या ठाकुर को और ना ही जानकारी उन्हें तो अभी ये भी जानकारी नहीं है उनकी कितनी प्रॉपर्टी है यही बात गलती से अगर जिस दिन खुल जाए तो वो हवेली कुरुक्षेत्र का मैदान बन जाएगी
शालिनी – (KINGकी बात सुन घबरा के) मैं अभी चांदनी को बोल देती हू गलती से भी वो पेपर्स की जानकारी न दे किसी को
KING–(शालिनी को रोकते हुए) रुक जाइए शालिनी जी जरा सोचिए वकील का एक्सीडेंट साथ ही आपकी बेटी को प्रॉपर्टी के पेपर्स का मिलना और उसे लेके गांव जाना मतलब समझ रही है आप यही की आपकी बेटी ने अभी तक किसी को पेपर्स की हवा तक लगने नही दी इससे साफ जाहिर है चांदनी को इस बात की जानकारी है अच्छे से जो न हो कुछ तो सोच रखा है आपकी बेटी ने (मुस्कुरा के) और क्यों न हो आखिर है तो आपकी बेटी उपर से सी बी आई ऑफिसर
शालिनी – तुमने अभी तक बताया नही आखिर तुम क्यों कर रहे हो इतना सब कुछ अभय के लिए
KING– (मुस्कुरा के) किसने कहा मैं ये सब अभय के लिए कर रहा हू ये सिर्फ और सिर्फ ठाकुर साहब के लिए कर रहा हू मै , उनके लिए जितना भी करू कम ही है
शालिनी – तो तुम अभय के साथ क्यों नही गए उसका साथ देने
KING– शालिनी जी इस दुनिया में बच्चा आता जरूर है और मां बाप उसका पालन पोषण भी करते है और अपनी उंगली पकड़ा की खड़ा होना चलना भी सिखाते है इसका मतलब ये नही की हर वक्त मां बाप अपने बच्चे को चलने के लिए अपनी उंगली का सहारा दे उस बच्चे को खुद भी कोशिश करनी पड़ती है खड़े होने के लिए चलने के लिए मैने भी तो संभाला था अपने आप को खुद से काबिल बन के आज KING
बना ना मैं , अभय को भी खुद निपटना है इन सब से हर वक्त सहारा कोई नही बन सकता है उसका कोई भी , करने दो उसे जो करना है पता लगाए वो खुद सच का फर्ज है उसका और कर्म भी , वैसे आप परेशान मत होइए जल्द ही मैं अभय से मिलने जा रहा हू गांव में तब आप नॉर्मल बात करते रहिए सबसे , अच्छा चलता हू...
इस तरफ अभय बाइक चलाते चलाते आजाता है रेलवे स्टेशन की तरफ बाइक को खड़ा कर के पैदल चल देता है एक जगह खड़ा होके उस जगह को देख वो दिन याद करता है जब वो घर से भागा था भागते भागते इसी जगह आया जहा से उसे ट्रेन मिली थी जिसपे चढ़ के चला गया था गांव से दूर वही खड़े होके याद आया वो पल जब चलती ट्रेन में देखा था जहा उसे अपनी हवेली नजर आ रही थी ट्रेन की पटरी के बीच खड़ा होके अपने बीती हुई उस रात को याद कर रहा था की तभी पीछे से कोई दौड़ के आया और वन साथ अभय को पटरी के बीच निकल के बाहर निकाला के तभी एक ट्रेन होर्न की आवाज के साथ तेजी निकलने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया....
जैसे ही ट्रेन निकली तभी किसी ने अभय के गाल में जोर से चाटा मारा CCCCHHHHHAAAAATTTTTTTAAAAKKKKK जिसके बाद अभय ने पलट के देखा तो वहा राज खड़ा था जो गुस्से से देख रहा था अभय को तभी पीछे से राजू और लल्ला दौड़ते हुए आ गए....
राज – (गुस्से से) तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या , आखिर करने क्या आया था तू यहां पर
अभय –(जगह को चारो तरफ देख हालत समझ के) यार मैं अपनी सोच में गुम था पता नही चला चलते चलते यहां कैसे आ गया
लल्ला – अबे अगर हमे एक पल के और देरी होती तो जाने क्या हो जाता आज
राजू – तुझे हुआ क्या है बे साला हम तीनो हॉस्टल से आवाज लगा रहे थे तुझे और तू है की एक बार तक सुना नही ऐसी भी कॉन सी सोच में डूब गया था बे तू , अबे तेरे चक्कर में हम कितनी तेजी से साइकिल चलाते हुए यहां तक आए है पता है तुझे
राज – चल क्या रहा है तेरे दिमाग में बता जरा
अभय – कुछ नही यार चलो चलते है यहां से
राज – चुप चाप मेरे सवाल का जवाब दे अभय वर्ना एक और लगाऊगा साले गाल पे तेरे पागल नही है हम जो तेरा पीछा करते यहां तक आ गए
अभय – (गुस्से में राज से) सही कहा तूने मैं हू ही इस काबिल मारो मुझे (राजू और लल्ला से) तुम दोनो भी मारो मुझे सब मेरी वजह से हो रहा है , मेरी वजह से इतने साल तक पूरे गांव को इतनी दिक्कत का सामना करना पड़ा , मेरी वजह से कर्ज के नाम पर ब्याज पे ब्याज वसूला गया गांव वालो से और मेरी ही वजह से सब गांव वालो की जमीन छीनी जा रही थी ताकी डिग्री कॉलेज बन सके वहा पर आज मेरी वजह से ही गांव में वो रौनक नही रही जो दस साल पहले हुआ करती थी खड़े क्यों हो मारो मुझे मारो...
अभय की बात सुन राज , लल्ला और राजू तीनों एक दूसरे को देखने लगे जैसे समझने की कोशिश कर रहे हो की क्या हो रहा है ये सब तब राज बोला...
राज –(शांत मन से) ये क्या बोले जा रहा है तू अभय भला तू कैसे जिम्मेदार हुआ यार इस सब बातो का
अभय – मैं ही जिम्मेदार हू इन सब का राज ये सब कुछ मेरी वजह से हुआ है
राजू – देख अभय पहेली में बात मत कर सही से बता आखिर बात क्या है
लल्ला – (कुछ देख के राजू , राज और अभय को धीरे से) चुप रहो तुम तीनो
राजू – क्या है बे
लल्ला –(धीरे से) अबे धीरे से बोल (अपनी उंगली से इशारा करके) वो देखो सामने यार्ड में रमन ठाकुर की कार
जैसे ही तीनों ने यार्ड की तरफ देखा जहा पर रमन ठाकुर किसी औरत के साथ कार से उतर यार्ड में खड़ी ट्रेन की एसी बोगी के अंडर जा रहा था जिसे देख चारो दोस्तो ने एक दूसरे को देखा तब राज बोला...
राज –(धीरे से) रमन ठाकुर यहां पर और कॉन है वो औरत चेहरा दिखा क्या तुमलोगो को उसका
अभय –(धीरे से) नही (फिर गुस्से से) लेकिन अब इसको कोई नही देख पाएगा आज के बाद इस गांव में मिटा दुगा इसको आज मैं , इसी ने ही दस सालो तक गांव वालो का जीना हराम किया हुआ था आज मैं...
राजू –(अभय के मू पे हाथ रख के) चुप कर बे थोड़ी देर तू
राज – (धीरे से) देख अभय अभी के लिए शांत होजा तू ये वक्त जोश का नही होश में रहने का वक्त है पहले चल के देखते है कोन है वो औरत जिसके साथ रमन उस बोगी में गया है
अभय – और कॉन हो सकती है आई होगी अपने यार के साथ गुल छर्रे उड़ाने गांव की ठकुराइन..
अभय की बात सुनके तीनों ने पहले एक दूसरे को देखा तब राज ने अभय का मू हाथ से पकड़ के...
राज –(मू पे हाथ रख के) देख अभय जब तक सबूत न हो अच्छा रहेगा तू अपना मू बंद रख
अभय –(अपने मू से राज का हाथ हटा के) ठीक है सबूत चाहिए न तुझे चल के खुद देख ले अपनी आखों से तब यकीन आएगा तुझे...
बोल के चारो दोस्त चलते हुए धीरे से ट्रेन की बोगी में चढ़ अन्दर छुप के देखने लगे जहा का नजारा कुछ ऐसा था...
रमन ने उर्मिला को गहरा चुम्मन दिया फिर उसका हाथ पकड़ उसे खड़ा कर...रमन ने उसके साड़ी के आंचल को नीचे गिरा दिया
उसके ब्लाउज़ में फंसे हुए बूब्स रमन की आंखों के सामने थे
उर्मिला का सीना तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था
उसके सीने की क्लीवेज़ देखकर रमन से सब्र नहीं हुआ और वो उर्मिला पर झपट पड़ा
अब तक जो काम बहुत प्यार से, धीरे से हो रहा था उसने तेजी पकड़ ली
रमन के दोनो हाथ उसकी नरम छतियो का मर्दन मरने लगे….
उर्मिला को मजा भी बहुत आ रहा था और शायद अपने दर्द को भुलाकर उससे मिलने वाले मजे को महसूस करके उर्मिला सिसकारियां मार रही थी
कुछ ही देर में रमन ने उर्मिला जिस्म के एक-2 कपड़े को निकाल फेंका और उसे नंगा कर दिया...
अब उर्मिला पूरी नंगी होकर लेटी थी उसके सामने ट्रैन बर्थ पर
वो बिन पानी की मछली जैसी मचल रही थी
रमन अपनी आंखों फाड़े उर्मिला के खूबसूरत जिस्म को घूरे जा रहा था मानो जैसे जमाने बाद देखने को मिला हो जबकि उर्मिला ट्रेन बर्थ पर लेटी अपने जिस्म को हिला रही थी इस तरह मानो जल बिन मछली की तरह तड़प रही हो
उर्मिला के गोरे रंग और मोटे मम्मे देख रमन की लार टपक रही थी
उसने अपने लार टपकाती जुबान को जब उर्मिला के मोटे निपल्स पर रखा तो उसकी आनंदमयी चीख़ से पूरा बोगी जैसे हिल गई हो
Aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh और जोर से…… चूसो इन्हे ……… पी जाओ……..मेरे बूब्स……. बुझा लो…..अपनी प्यासा……. और… मेरी भी…
रमन को वैसे भी किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं थी
वो अपने होंठ से उर्मिला के गोरे बूब्स पर चित्रकारी करने में लग गया...
जिस तरह से उन्हें चूस रहा था, साफ लग रहा था कि वो कितना प्यासा है
उर्मिला के दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूस चूसकर लाल करने के बाद वो अपनी जीभ उसके नंगे पेट पर फिराता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा
और जब रमन की करामाती जीभ उसकी उफ़नती हुई चूत में डुबकी लगायी तो उर्मिला भी उसकी गर्मी से जल उठी
अंदर से निकल रही गर्मी इतनी तेज थी कि रमन को अपने चेहरे के सामने गर्म हीटर लगा हुआ महसूस हो रहा था
पर अंदर की मलाई चाटकर उसके मीठेपन को महसूस करके रमन अब जानवर बन चुका था
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उर्मिला की चूत के मोटे होंठ को अपने होंठो में समेट कर रमन ने जोर से चुप्पा मारा
उर्मिला की कमर हवा में उठ गई, उसने रमन के सर को पकड़ कर जोर से अपनी चूत में दबा दिया ताकि उसकी मचल रही जीभ जितना हो सके उसके अंदर तक जा सके...
पर जीभ की भी एक लिमिट होती है
इसलिए अब उससे लंबी चीज को निकालने का वक्त आ चुका था
रमन खड़ा हुआ और उसने आनन फानन में अपने सारे कपडे निकाल फेंके और जब उसका लोढ़ा उर्मिला ने देखा लंड का टोपा ठीक उसके सामने था
जैसे ललचा रहा हो की उसे चूस ले
और वो लालच में आ भी गई
उर्मिला ने अपने होंठो पर जीभ फेराई और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी
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रमन के लंड का टोपा मुंह में आने से पहले वो उर्मिला के दांतो से रगड़ खाता हुआ अंदर गया
थोडी पीढ़ा तो हुई रमन को पर उर्मिला के मुंह की गर्मी से मिलने वाले मजे के सामने वो दर्द कुछ नहीं था
और जब अपने कुशल मुंह से सकिंग करना शुरू किया तो रमन भी आँखे बंद करके उसका मजा लेने लगा
करीब 5 मिनट तक उसे चूसने के बाद जब उर्मिला ने लंड मुंह से बाहर निकाला तो पीछे -2 ढेर सारा गाड़ा थूक भी उसे बाहर फेंकना पड़ा
अब उससे और सब्र नहीं हो रहा था, उसने अपनी टाँगे फैलाई और रमन को अपने ऊपर खींच लिया
लंड ने भी अपने आप उसकी चूत को खोज लिया और वो सीधा दनदनाता हुआ उसके अंदर घुसता चला गया
और एक बार फिर से उर्मिला के मुंह से आनंदमयी सिसकारी निकल गई
“ओह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्.. मजाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ गया उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्… कितने वक्त से प्यासी थी……….. आज सारी प्यास बुझा दो मेरी……. उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्........... चोदो मुझे....... जोर से चोदो ….. फाड़ दो मेरी चूत ……..
रमन को उर्मिला का चिल्लाने का ये तरीका पसंद आ रहा था
वैसे भी चुदाई का यही नियम होता है, जितना खुलकर एक दूसरे से चुदोगे , उतना ही मजा मिलेगा
रमन इस वक्त उसकी पाव रोटी जैसी चूत को अपने लण्ड से बुरी तरह से कूट रहा था
पूरी बोगी में फच फच की आवाजें आ रही थी
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कुछ देर तक रमन सवारी करता रहा उर्मिला की ओर बाद में उर्मिला ने रमन को एक झटके से नीचे किया और खुद ऊपर आ गई
अब वो उसके लंड को अपनी चूत में अच्छे से कंट्रोल कर सकती थी
उर्मिला ने उसकी छाती पर अपने हाथ रखे और अपनी छातियों को हिलाते हुए जोरों से उसके ऊपर उछलने लगी
रमन ने उसके मोटे और फैले हुए कुल्हो को पकड़ कर नीचे से जोरों से झटके मारने शुरू कर दिए
उन झटकों को उसने कुछ मिनट तक बिना रुके मारा
अब झटका देकर पलटने की बारी रमन की थी...
उसने उसे घोड़ी बनाया और होले से उसकी चूत में अपना लोड़ा खिसका कर मजे ले-लेकर उसे चोदने लगा
उर्मिला को इस पोजीशन में काफी मजा आ रहा था नीचे की सीट पर मुंह रगड़के वो अपनी सिसकारीयों को दबाने का असफ़ल प्रयास कर रही थी उसकी भरंवा गांड को हाथ से पकड़कर रमन अपने लंड से हलचल मचा रहा था...
उर्मिला के मुंह की लार निकलकर ट्रेन की सीट पर गिर रही थी
आंखें चढ़ आईं उसकी जब रमन ने उसकी गांड को पकड़कर उसकी रेल बनाना शुरू की...
तेज झटके इतने जोर से कि उससे सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था
जैसे ही सांस लेने लगती पीछे से आ रहे धक्का से वो फिर से उचक पड़ती..
और वो वक्त भी जल्द आ गया जब रमन का पानी अपने चरमोत्कर्ष पर आकर बाहर निकलने पर आतुर हो गया
रमन ने जल्द से अपना लंड उर्मिला की चूत से बाहर निकाल लिया
उर्मिला पलटी और अपने चूत रस से भीगे लंड को अपने मुंह में भरकर आखिरी बूंद तक निचोड़ डाला
बाकी का सारा रस उसकी छाती और मुंह पर आ गिरा
जिसकी वजह से वो और भी सुंदर दिखाई देने लगी
रमन ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए अपने लंड के नल को पूरा खाली कर उर्मिला के बगल में लेट गया दोनो ही अपनी आंख बंद करके लेटे रहे...
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जारी रहेगा![]()
Thank you sooo much parkas bhaiBahut ji shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....
Nice and lovely update....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 28
शाम के वक्त अभय हॉस्टल के बाहर निकल बगीचे में टहल रहा था उस पेड़ के पास जिसे मनन ठाकुर ने अपने बेटे अभय के साथ बोया था तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा पलट के देख अभय बोला....
अभय – बाबा
सत्य बाबू – कैसे हो बेटा
अभय – अच्छा हू बाबा
सत्य बाबू – इस दिन के बाद तू आया नही घर पे
अभय – बाबा मैं नही चाहता की किसी को पता चले मेरी असलियत इसीलिए
सत्य बाबू – अरे तो क्या हुआ बेटा तूने तो गांव आते ही जो काम किया है उसे देख गांव का हर इंसान तुझे अपने घर बुलाया इससे असलियत का पता कैसे चलेगा किसी को
अभय – (मुस्कुरा के) ठीक है बाबा और बताए बाबा आपका काम कैसा चल रहा है
सत्य बाबू – सबकी की तरह मेरा भी काम वैसा ही है बेटा रोज कूवा खोद ना पानी पीना
अभय – अब पहले जैसी खेतो में वो हरियाली नही रही बाबा एसा क्यों बाबा
सत्य बाबू – इस दस सालो में बहुत कुछ बदल गया है बेटा अपने गांव में
अभय – समझ सकता हू बाबा ब्याज पे ब्याज वसूल कर उस ठकुराइन ने गांव के साथ गांव वालो को लूटने में जो लगे हुए है
सत्य बाबू – ऐसी बात नही है बेटा ठकुराइन पिछले दस सालो में हवेली से नाम मात्र के लिए बाहर आई है तेरे जाने के बाद ठकुराइन ने देखा तक नहीं पलट के गांव में क्या हो रहा है रमन ठाकुर ने....
अभय –(बीच में बात काटते हुए) हा समझ गया बाबा रमन ठाकुर और ठकुराइन दोनो ने मिल कर अच्छा खेल खेला गांव भर में मेरे जाने का अच्छा खासा बहाना बना कर हवेली से बाहर न निकलने का
सत्य बाबू – नही बेटा तेरे जाने के गम में ठकुराइन टूट सी गई थी जाने कितने महीनो तक होश में नही थी हर वक्त बस एक नाम उसकी जुबान में रहता था अभय अभय अभय
अभय – ये सब बहाना है बाबा सिर्फ दिखावा है गांव वालो को दिखाने के लिए ताकी झूठा प्यार का दिखावा कर से सबके सामने
सत्या बाबू – किसके सामने दिखावा करेगी ठकुराइन हवेली के नौकरों के सामने
अभय – क्या मतलब है बाबा
सत्य बाबू – जिस दिन जंगल में वो लाश मिली थी उस दिन से हवेली में मातम छाया था ठकुराइन की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी हवेली में कोई उस दिन के बाद कोई गांव वाला का जाना बंद हो गया था बस हवेली के नौकरों थे जिनसे ठकुराइन के हालात का पता चलता था गांव वालो को ये कई महीनो तक चलता रहा जिसके चलते रमन ठाकुर और मुनीम ने गांव वालो का हवेली में आना बंद करवा दिया था बस इस बात का अच्छा फायदा उठाया रमन ने हर बार मुनीम से कहलवा कर गांव वालो से कर्ज के नाम से ब्याज पे ब्याज वसूल करवाना बेटा अगर उस दिन तुम नही आते तो आज गांव वालो की जमीन पर रमन कब्जा कर डिग्री कॉलेज बनवा रहा होता जिसके चलते ना जाने कितने गांव वाले आत्महत्या कर चुके होते उन सब के पास इस जमीन के इलावा कुछ नही जिसे अपना और अपने परिवार का गुजारा कर से....
सत्य बाबू की बात सुन अभय खुद अपनी सोच में डूब गया अपने मन में ही सोचने लगा...
अभय –(अपने मन में – क्या सच में मेरे भाग जाने से ऐसा हुआ गांव वालो के साथ क्या सच में उस ठकुराइन.....नही नही अभय जरूरी नहीं ये सच हो लेकिन बाबा कभी झूठ नहीं बोल सकते क्या मिलेगा उस ठकुराइन के बारे में झूठी बात बता के ये सब उस रमन और मुनीम का किया धरा है लेकिन बिना उस ठकुराइन की इजाजत के कैसे कर सकता है मुनीम या रमन और दिखावा करना होता तो उस ठकुराइन को गांव वालो के सामने करती हवेली में अकेले नही कुछ तो खेल खेला है उस ठकुराइन ने अपने यार के साथ मिल के जिससे गांव वाले तक अंजान है एक मिनट अगर बात ऐसी थी तो क्यों उस दिन उस ठकुराइन ने गांव वालो को उनकी जमीन वापस करी जब मैने पेड़ काटने को रोका था मुझे दिखाने के लिए तो नही तब तो उसे पता तक नहीं था की मैं ही अभय हू तब मेरा हाथ पकड़ के बोल रही थी उसे इस बारे में कुछ नही पता क्या वो सब सच था या धोखा (अपनी आखें बंद कर) क्या हो रहा है ये सब समझ नही आ रहा है मुझे)...
सत्य बाबू की बात पर अभय अपनी सोच में डूबा हुआ था तभी सत्य बाबू ने देखा सोचते सोचते अभय ने अपनी आखें बंद की तब सत्य बाबू को एहसास हुआ को अभय उनकी बात के बारे में कुछ ज्यादा ही गहराई से सोच रहा है तभी सत्य बाबू ने अभय के कंधे पर हाथ रख बोले...
सत्या बाबू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) ज्यादा मत सोचो बेटा होनी को कोई न टाल सका है ना बदल सका है तुम उन बातो को सोच के परेशान मत हो भला जिस बात पे अपना बस ना चले उसके बारे में क्या सोचना वो भी अब , तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो बेटा अपने पिता की तरह अच्छे इंसान बनो उनका नाम रोशन करो ताकि तुम्हारे पिता की तरह लोग भी तुम्हे माने , अच्छा चलता हू बेटा और तुम घर पे भी आया करो तुम्हारा अपना ही घर है वो भी
अभय – (हल्का हस के) जी बाबा
बोल के सत्या बाबू चले गए घर की तरफ जबकि अभय वापस चल दिया हॉस्टल की तरफ चलते चलते हॉस्टल के अन्दर जाने लगा तभी पीछे से सायरा भी उसी वक्त हॉस्टल में आ रही थी अभय को देख उसे पुकारने लगी...
सायरा – अभय अभय अभय...
सायरा के लगातार 3 बार पुकारने पर भी अभय चलता हुआ हॉस्टल के अन्दर चला गया जिसे देख सायरा को ताजुब हुआ...
सायरा – क्या हो गया इसे इतनी बार नाम पुकारने पर भी सुना नही अभय ने
सायरा चलते हुए अभय के कमरे में आते ही देखा अभय खिड़की में खड़ा होके बाहर देख रहा था....
सायरा –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ अभय कहा खोए हुए हो कितने बार पुकारा तुम्हारा नाम मैने
अभय –(सायरा को देख के) बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था तुम बताओ कैसा रहा तुम्हारा दिन
सायरा – अच्छा था
अभय – हवेली कब जाती हो तुम
सायरा – जाती रहती हू दिन में
अभय – एक बात पूछनी है तुमसे सच बताना तुम 2 साल से हो ना हवेली में तुम्हे क्या लगता है मेरे घर से भाग जाने के बाद क्या क्या हुआ है हवेली में
सायरा – तुम अपनी दीदी से क्यों नहीं पूछ लेते हो
अभय – इस वक्त मैं अपनी दोस्त से बात कर रहा हू ना की दीदी के ऑफिसर से
सायरा – अच्छा रहेगा तुम अपनी दीदी से बात करो इस बारे में
अभय – (सायरा का जवाब सुन के) ठीक है
सायरा – खाना बनाने जा रही हूं तुम चाय पी लो जब तक
अभय –(बिना सायरा की तरफ देखे) तुम पी लो मेरी इच्छा नही है
सायरा – (अभय का नाराजगी भरा जवाब सुन के) ठीक है तुम्हे जानना है ना क्या हुआ था हवेली में सुनो जितनी जानकारी मिली गांव और हवेली में लोगो की बात जान के वो ये है की तुम्हारे चले जाने के बाद ठकुराइन अपने आप में नही थी दिन रात सिर्फ तुम्हे याद करती हर वक्त सिर्फ तुम्हारे कमरे में चली जाती तुम्हारी हर चीज चाहे तुम्हारी किताबे या तुम्हारी बनाई तस्वीरे उन्हें देख तुम्हे याद कर के हर वक्त रोती रहती खुद को कोसती थी वो अपने आप को जिम्मेदार मानती थी इन सब बातो का जबकि सच तो.....
अभय –(तभी अपनी बाइक की चाबी ली बोल के जाने लगा) आने में देर लगेगी मुझे काम से जा रहा हू खाना तुम खा लेना मैं बाद में आके खा लूगा....
बोल के अभय निकल गया बाहर पीछे हैरान खड़ी सायरा को समझ नही आया हुआ क्या है जबकि सायरा आज अभय को सच बता रही थी लेकिन अभय अधूरी बात सुने चला गया हॉस्टल के बाहर उसके जाते ही सायरा खाना बनाने में लग गई जबकि इस तरफ एक औरत कॉल पर किसी से बात कर रही थी...
औरत –(कॉल पर) तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या तुमने कामरान को क्यों मार दिया
सामने से आदमी – नही मरता तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाति क्योंकि ठकुराइन उससे मिलने जा रही थी दस साल पहले जो हुआ उसके गड़े मुर्दे उखड़ जाते
औरत – बेवकूफ कम से कम उसकी बेटी का सोच लेता छोटी सी बच्ची है किसके सहारे रहेगी वो सोचा है
सामने से आदमी – मैने ठेका नही लिया है इन सब बातो का समझी बदले की आग में जल रहा हू मै पिछले कई सालों से जब तक बर्बाद न कर दू तब तक ये आग बुझेगी नही और तू क्यों इतना सोच रही है भूल गई अपना बदला एक बच्ची के बारे में सोच के अभी तो और भी खून बहेगा जो भी रास्ते में आएगा उसका यही हश्र होगा
औरत – हा बदला लेना है मुझे भी उसके लिए किसी बेगुनाह के खून से अपने हाथ नही रंगना चाहती हू मै तुझे भी समझा रही हू बदले की आग में अंधा मत हो कही अपने अंधेपन पे कोई गलती कर बैठना
सामने से आदमी – तुझे क्या लगता है ये सिर्फ शुरुवात है अभी और भी मारेजाएगे लोग
औरत – क्या मतलब है तेरा
सामने से आदमी – तुझे पता नही है दो लोग खंडर में आए थे सालो की किस्मत अच्छी है खंडर में लगे कैमरे से बच गए वर्ना उनका भी हाल कामरान जैसा होता
औरत – आखिर क्या है उस खंडर में जिसे तुम लोग इतने सालो से डूंड रहे हो
सामने से आदमी – वो जो भी है तेरी मेरी जिंदीगी को बदल के रख देगा
औरत – मुझे सिर्फ बदले से मतलब है
सामने से आदमी – अरे मेरी बुलबुल मैं बदले के बाद की बात कर रहा हू , अब छोड़ इन सब बातो को ये बता कब आ रही है तू कितना वक्त बीत गया है
औरत – बस थोड़ा और सब्र कर ले बदला पूरा होते ही तेरी बाहों में ही रहूंगी हमेशा के लिए
सामने से आदमी – तू बोल तो आज ही उस सपोले को रास्ते से हटा के उसकी मां को रण्डी बना दू सभी लोग घाट लगाएं बैठे है ठकुराइन के शिकार के लिए
औरत – इतनी आसानी से बदला नही लेना है मुझे ठकुराइन से अभी तो और भी बहुत कुछ होना है उसके साथ वैसे भी अभय नफरत की आग लेके आया है यहां पर कुछ चोट उसको देने दो अपनी प्यारी मां के दिल को उसे दर्द में तड़पते देख बहुत सुकून मिलता है मुझे
सामने से आदमी – जैसे तेरी मर्जी
औरत – वैसे रमन कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहा है मुनीम के ना होने से क्या किया है तूने मुनीम का
सामने से आदमी – उस सपोले ने टांग तोड़ दी है मुनीम की लेटा पड़ा है मेरे सामने एक बार होश में आ जाए सारी जानकारी निकाल के हटा दुगा रास्ते से इसे भी
औरत – तड़पा तड़पा के मारना उस मुनीम को
सामने से आदमी – तेरी मुनीम से क्या दुश्मनी है बताया नही तूने आज तक
औरत – बताऊगी जरूर बताऊगी बस मेरा ये काम जरूर करना तब तेरा काम हो जाएं
सामने से आदमी – ठीक है मेरी बुलबुल चल रखता हू ख्याल रखना अपना...
बोल के कॉल कर कर दिया इस आदमी ने उसके बाद उस आदमी ने किसी को कॉल किया और बोला...
आदमी – कैसे हो म.....
सामने से –(गुस्से में बीच में टोकते हुए) हरमजादे तुझे कितनी बार बोला है कॉल पर कोई बात बोलने से पहले 100 बार सोचा कर कही ऐसा ना होजाय ये तेरी जिंदिगी की आखरी कॉल हो
आदमी –(घबराते हुए) माफ करना मैं बस मालिक बोल रहा था आपको
सामने से – चल बोल क्यों कॉल किया है तूने
आदमी – मालिक मैने कैमरे में कई बार देखा लेकिन उन दोनो की शकल नही दिखी वो सामने आएं ही नहीं कैमरे के
सामने से – आखिर कॉन हो सकते है वो दोनो
आदमी – मालिक मुझे ऐसा लागत है कही वो ठाकुर का सपोला तो नही क्योंकि वही गांव में नया आया है जिसे जानकारी नहीं होगी खंडर के श्राप के बारे में
सामने से – बेवकूफ इंसान उसे आना होता तो अकेले आता नाकी किसी को साथ में लेके , ये जरूर वही होगा जिसके 4 लोगो को तूने गायब किया है खंडर से शायद कोई अपने लोगो की तलाश में आया होगा रात में चुपके से और तेरे लगे कैमरे भी देख लिए होगे उसने तभी चेहरा सामने नही लाया वो कैमरे में अपना
आदमी – अब क्या हुकुम है मालिक
सामने से – रुक थोड़ा शांत रह तू , मुझे पता चला है कोई नया इंस्पेक्टर आ रहा है कामरान की जगह इसीलिए खंडर का काम शांत रह के निपटा और एक बात अपने दिमाग में डाल ले अगली बार जब किसी को मारने जाना तो बच्चा हो या औरत जिंदा मत छोड़ना किसी को समझा
आदमी – समझ गया मालिक आगे से कोई गलती नही होगी
बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया उसी वक्त एक कमरे में एक लड़का और एक औरत सोफे पर बैठ ये सारी बात हेड फोन से सुन रहे थे जिसे सुन के औरत किसी को कॉल मिलने लगी जिसे देख लड़का बोला...
लड़का – किसे कॉल मिला रही हो आप शालिनी जी
शालिनी – मुझे बताना होगा संध्या को...
लड़का – (बीच में) अच्छा उससे क्या होगा सोचा है आपने , जैसे ही आपने ये बात बताई तो समझ लीजिए जब तक हम वहा पहुचेगे उससे पहले ही आपको कॉल आएगा ये बताने के लिए दो लाशे पड़ी है जिसमे एक संध्या होगी दूसरा अभय अगर वो अकेला हुआ तो या उसके साथ उसके दोस्तो की लाश हो और शायद आपकी बेटी चांदनी भी
शालिनी –(रोते हुए) प्लीज ऐसा मत बोलो उन्हीं के सहारे जी रही हू मै उन्हें कुछ हो गया तो प्लीज कुछ करो आखिर तुम KINGहो
KING– जब तक आप शांत रहेगी तब तक ऐसा कुछ नहीं होगा , ये तो अच्छा था मैने अभय पर नजर बनाए रखी है इसीलिए खंडर के कैमरे से उसकी शक्ल गायब करवा दिया मैने लेकिन मुझे सिर्फ ये खंडर वाली पहेली समझ नही आ रही है आखिर क्या हो सकता है उस खंडर में ऐसा जिसके लिए ये लोग कई सालो से लगे हुए है क्या डूंड रहे है ये लोग
शालिनी – कही कोई खजाना का चक्कर तो नही
KING– शालिनी जी जहा तक मुझे लगता है खजाना जैसा शायद ही कुछ हो वहा पर ये तो अच्छा है की आपकी बेटी ने अभी तक प्रॉपर्टी के पेपर नही दिखाए संध्या ठाकुर को और ना ही जानकारी उन्हें तो अभी ये भी जानकारी नहीं है उनकी कितनी प्रॉपर्टी है यही बात गलती से अगर जिस दिन खुल जाए तो वो हवेली कुरुक्षेत्र का मैदान बन जाएगी
शालिनी – (KINGकी बात सुन घबरा के) मैं अभी चांदनी को बोल देती हू गलती से भी वो पेपर्स की जानकारी न दे किसी को
KING–(शालिनी को रोकते हुए) रुक जाइए शालिनी जी जरा सोचिए वकील का एक्सीडेंट साथ ही आपकी बेटी को प्रॉपर्टी के पेपर्स का मिलना और उसे लेके गांव जाना मतलब समझ रही है आप यही की आपकी बेटी ने अभी तक किसी को पेपर्स की हवा तक लगने नही दी इससे साफ जाहिर है चांदनी को इस बात की जानकारी है अच्छे से जो न हो कुछ तो सोच रखा है आपकी बेटी ने (मुस्कुरा के) और क्यों न हो आखिर है तो आपकी बेटी उपर से सी बी आई ऑफिसर
शालिनी – तुमने अभी तक बताया नही आखिर तुम क्यों कर रहे हो इतना सब कुछ अभय के लिए
KING– (मुस्कुरा के) किसने कहा मैं ये सब अभय के लिए कर रहा हू ये सिर्फ और सिर्फ ठाकुर साहब के लिए कर रहा हू मै , उनके लिए जितना भी करू कम ही है
शालिनी – तो तुम अभय के साथ क्यों नही गए उसका साथ देने
KING– शालिनी जी इस दुनिया में बच्चा आता जरूर है और मां बाप उसका पालन पोषण भी करते है और अपनी उंगली पकड़ा की खड़ा होना चलना भी सिखाते है इसका मतलब ये नही की हर वक्त मां बाप अपने बच्चे को चलने के लिए अपनी उंगली का सहारा दे उस बच्चे को खुद भी कोशिश करनी पड़ती है खड़े होने के लिए चलने के लिए मैने भी तो संभाला था अपने आप को खुद से काबिल बन के आज KING
बना ना मैं , अभय को भी खुद निपटना है इन सब से हर वक्त सहारा कोई नही बन सकता है उसका कोई भी , करने दो उसे जो करना है पता लगाए वो खुद सच का फर्ज है उसका और कर्म भी , वैसे आप परेशान मत होइए जल्द ही मैं अभय से मिलने जा रहा हू गांव में तब आप नॉर्मल बात करते रहिए सबसे , अच्छा चलता हू...
इस तरफ अभय बाइक चलाते चलाते आजाता है रेलवे स्टेशन की तरफ बाइक को खड़ा कर के पैदल चल देता है एक जगह खड़ा होके उस जगह को देख वो दिन याद करता है जब वो घर से भागा था भागते भागते इसी जगह आया जहा से उसे ट्रेन मिली थी जिसपे चढ़ के चला गया था गांव से दूर वही खड़े होके याद आया वो पल जब चलती ट्रेन में देखा था जहा उसे अपनी हवेली नजर आ रही थी ट्रेन की पटरी के बीच खड़ा होके अपने बीती हुई उस रात को याद कर रहा था की तभी पीछे से कोई दौड़ के आया और वन साथ अभय को पटरी के बीच निकल के बाहर निकाला के तभी एक ट्रेन होर्न की आवाज के साथ तेजी निकलने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया....
जैसे ही ट्रेन निकली तभी किसी ने अभय के गाल में जोर से चाटा मारा CCCCHHHHHAAAAATTTTTTTAAAAKKKKK जिसके बाद अभय ने पलट के देखा तो वहा राज खड़ा था जो गुस्से से देख रहा था अभय को तभी पीछे से राजू और लल्ला दौड़ते हुए आ गए....
राज – (गुस्से से) तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या , आखिर करने क्या आया था तू यहां पर
अभय –(जगह को चारो तरफ देख हालत समझ के) यार मैं अपनी सोच में गुम था पता नही चला चलते चलते यहां कैसे आ गया
लल्ला – अबे अगर हमे एक पल के और देरी होती तो जाने क्या हो जाता आज
राजू – तुझे हुआ क्या है बे साला हम तीनो हॉस्टल से आवाज लगा रहे थे तुझे और तू है की एक बार तक सुना नही ऐसी भी कॉन सी सोच में डूब गया था बे तू , अबे तेरे चक्कर में हम कितनी तेजी से साइकिल चलाते हुए यहां तक आए है पता है तुझे
राज – चल क्या रहा है तेरे दिमाग में बता जरा
अभय – कुछ नही यार चलो चलते है यहां से
राज – चुप चाप मेरे सवाल का जवाब दे अभय वर्ना एक और लगाऊगा साले गाल पे तेरे पागल नही है हम जो तेरा पीछा करते यहां तक आ गए
अभय – (गुस्से में राज से) सही कहा तूने मैं हू ही इस काबिल मारो मुझे (राजू और लल्ला से) तुम दोनो भी मारो मुझे सब मेरी वजह से हो रहा है , मेरी वजह से इतने साल तक पूरे गांव को इतनी दिक्कत का सामना करना पड़ा , मेरी वजह से कर्ज के नाम पर ब्याज पे ब्याज वसूला गया गांव वालो से और मेरी ही वजह से सब गांव वालो की जमीन छीनी जा रही थी ताकी डिग्री कॉलेज बन सके वहा पर आज मेरी वजह से ही गांव में वो रौनक नही रही जो दस साल पहले हुआ करती थी खड़े क्यों हो मारो मुझे मारो...
अभय की बात सुन राज , लल्ला और राजू तीनों एक दूसरे को देखने लगे जैसे समझने की कोशिश कर रहे हो की क्या हो रहा है ये सब तब राज बोला...
राज –(शांत मन से) ये क्या बोले जा रहा है तू अभय भला तू कैसे जिम्मेदार हुआ यार इस सब बातो का
अभय – मैं ही जिम्मेदार हू इन सब का राज ये सब कुछ मेरी वजह से हुआ है
राजू – देख अभय पहेली में बात मत कर सही से बता आखिर बात क्या है
लल्ला – (कुछ देख के राजू , राज और अभय को धीरे से) चुप रहो तुम तीनो
राजू – क्या है बे
लल्ला –(धीरे से) अबे धीरे से बोल (अपनी उंगली से इशारा करके) वो देखो सामने यार्ड में रमन ठाकुर की कार
जैसे ही तीनों ने यार्ड की तरफ देखा जहा पर रमन ठाकुर किसी औरत के साथ कार से उतर यार्ड में खड़ी ट्रेन की एसी बोगी के अंडर जा रहा था जिसे देख चारो दोस्तो ने एक दूसरे को देखा तब राज बोला...
राज –(धीरे से) रमन ठाकुर यहां पर और कॉन है वो औरत चेहरा दिखा क्या तुमलोगो को उसका
अभय –(धीरे से) नही (फिर गुस्से से) लेकिन अब इसको कोई नही देख पाएगा आज के बाद इस गांव में मिटा दुगा इसको आज मैं , इसी ने ही दस सालो तक गांव वालो का जीना हराम किया हुआ था आज मैं...
राजू –(अभय के मू पे हाथ रख के) चुप कर बे थोड़ी देर तू
राज – (धीरे से) देख अभय अभी के लिए शांत होजा तू ये वक्त जोश का नही होश में रहने का वक्त है पहले चल के देखते है कोन है वो औरत जिसके साथ रमन उस बोगी में गया है
अभय – और कॉन हो सकती है आई होगी अपने यार के साथ गुल छर्रे उड़ाने गांव की ठकुराइन..
अभय की बात सुनके तीनों ने पहले एक दूसरे को देखा तब राज ने अभय का मू हाथ से पकड़ के...
राज –(मू पे हाथ रख के) देख अभय जब तक सबूत न हो अच्छा रहेगा तू अपना मू बंद रख
अभय –(अपने मू से राज का हाथ हटा के) ठीक है सबूत चाहिए न तुझे चल के खुद देख ले अपनी आखों से तब यकीन आएगा तुझे...
बोल के चारो दोस्त चलते हुए धीरे से ट्रेन की बोगी में चढ़ अन्दर छुप के देखने लगे जहा का नजारा कुछ ऐसा था...
रमन ने उर्मिला को गहरा चुम्मन दिया फिर उसका हाथ पकड़ उसे खड़ा कर...रमन ने उसके साड़ी के आंचल को नीचे गिरा दिया
उसके ब्लाउज़ में फंसे हुए बूब्स रमन की आंखों के सामने थे
उर्मिला का सीना तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था
उसके सीने की क्लीवेज़ देखकर रमन से सब्र नहीं हुआ और वो उर्मिला पर झपट पड़ा
अब तक जो काम बहुत प्यार से, धीरे से हो रहा था उसने तेजी पकड़ ली
रमन के दोनो हाथ उसकी नरम छतियो का मर्दन मरने लगे….
उर्मिला को मजा भी बहुत आ रहा था और शायद अपने दर्द को भुलाकर उससे मिलने वाले मजे को महसूस करके उर्मिला सिसकारियां मार रही थी
कुछ ही देर में रमन ने उर्मिला जिस्म के एक-2 कपड़े को निकाल फेंका और उसे नंगा कर दिया...
अब उर्मिला पूरी नंगी होकर लेटी थी उसके सामने ट्रैन बर्थ पर
वो बिन पानी की मछली जैसी मचल रही थी
रमन अपनी आंखों फाड़े उर्मिला के खूबसूरत जिस्म को घूरे जा रहा था मानो जैसे जमाने बाद देखने को मिला हो जबकि उर्मिला ट्रेन बर्थ पर लेटी अपने जिस्म को हिला रही थी इस तरह मानो जल बिन मछली की तरह तड़प रही हो
उर्मिला के गोरे रंग और मोटे मम्मे देख रमन की लार टपक रही थी
उसने अपने लार टपकाती जुबान को जब उर्मिला के मोटे निपल्स पर रखा तो उसकी आनंदमयी चीख़ से पूरा बोगी जैसे हिल गई हो
Aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh और जोर से…… चूसो इन्हे ……… पी जाओ……..मेरे बूब्स……. बुझा लो…..अपनी प्यासा……. और… मेरी भी…
रमन को वैसे भी किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं थी
वो अपने होंठ से उर्मिला के गोरे बूब्स पर चित्रकारी करने में लग गया...
जिस तरह से उन्हें चूस रहा था, साफ लग रहा था कि वो कितना प्यासा है
उर्मिला के दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूस चूसकर लाल करने के बाद वो अपनी जीभ उसके नंगे पेट पर फिराता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा
और जब रमन की करामाती जीभ उसकी उफ़नती हुई चूत में डुबकी लगायी तो उर्मिला भी उसकी गर्मी से जल उठी
अंदर से निकल रही गर्मी इतनी तेज थी कि रमन को अपने चेहरे के सामने गर्म हीटर लगा हुआ महसूस हो रहा था
पर अंदर की मलाई चाटकर उसके मीठेपन को महसूस करके रमन अब जानवर बन चुका था
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उर्मिला की चूत के मोटे होंठ को अपने होंठो में समेट कर रमन ने जोर से चुप्पा मारा
उर्मिला की कमर हवा में उठ गई, उसने रमन के सर को पकड़ कर जोर से अपनी चूत में दबा दिया ताकि उसकी मचल रही जीभ जितना हो सके उसके अंदर तक जा सके...
पर जीभ की भी एक लिमिट होती है
इसलिए अब उससे लंबी चीज को निकालने का वक्त आ चुका था
रमन खड़ा हुआ और उसने आनन फानन में अपने सारे कपडे निकाल फेंके और जब उसका लोढ़ा उर्मिला ने देखा लंड का टोपा ठीक उसके सामने था
जैसे ललचा रहा हो की उसे चूस ले
और वो लालच में आ भी गई
उर्मिला ने अपने होंठो पर जीभ फेराई और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी
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रमन के लंड का टोपा मुंह में आने से पहले वो उर्मिला के दांतो से रगड़ खाता हुआ अंदर गया
थोडी पीढ़ा तो हुई रमन को पर उर्मिला के मुंह की गर्मी से मिलने वाले मजे के सामने वो दर्द कुछ नहीं था
और जब अपने कुशल मुंह से सकिंग करना शुरू किया तो रमन भी आँखे बंद करके उसका मजा लेने लगा
करीब 5 मिनट तक उसे चूसने के बाद जब उर्मिला ने लंड मुंह से बाहर निकाला तो पीछे -2 ढेर सारा गाड़ा थूक भी उसे बाहर फेंकना पड़ा
अब उससे और सब्र नहीं हो रहा था, उसने अपनी टाँगे फैलाई और रमन को अपने ऊपर खींच लिया
लंड ने भी अपने आप उसकी चूत को खोज लिया और वो सीधा दनदनाता हुआ उसके अंदर घुसता चला गया
और एक बार फिर से उर्मिला के मुंह से आनंदमयी सिसकारी निकल गई
“ओह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्.. मजाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ गया उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्… कितने वक्त से प्यासी थी……….. आज सारी प्यास बुझा दो मेरी……. उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्........... चोदो मुझे....... जोर से चोदो ….. फाड़ दो मेरी चूत ……..
रमन को उर्मिला का चिल्लाने का ये तरीका पसंद आ रहा था
वैसे भी चुदाई का यही नियम होता है, जितना खुलकर एक दूसरे से चुदोगे , उतना ही मजा मिलेगा
रमन इस वक्त उसकी पाव रोटी जैसी चूत को अपने लण्ड से बुरी तरह से कूट रहा था
पूरी बोगी में फच फच की आवाजें आ रही थी
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कुछ देर तक रमन सवारी करता रहा उर्मिला की ओर बाद में उर्मिला ने रमन को एक झटके से नीचे किया और खुद ऊपर आ गई
अब वो उसके लंड को अपनी चूत में अच्छे से कंट्रोल कर सकती थी
उर्मिला ने उसकी छाती पर अपने हाथ रखे और अपनी छातियों को हिलाते हुए जोरों से उसके ऊपर उछलने लगी
रमन ने उसके मोटे और फैले हुए कुल्हो को पकड़ कर नीचे से जोरों से झटके मारने शुरू कर दिए
उन झटकों को उसने कुछ मिनट तक बिना रुके मारा
अब झटका देकर पलटने की बारी रमन की थी...
उसने उसे घोड़ी बनाया और होले से उसकी चूत में अपना लोड़ा खिसका कर मजे ले-लेकर उसे चोदने लगा
उर्मिला को इस पोजीशन में काफी मजा आ रहा था नीचे की सीट पर मुंह रगड़के वो अपनी सिसकारीयों को दबाने का असफ़ल प्रयास कर रही थी उसकी भरंवा गांड को हाथ से पकड़कर रमन अपने लंड से हलचल मचा रहा था...
उर्मिला के मुंह की लार निकलकर ट्रेन की सीट पर गिर रही थी
आंखें चढ़ आईं उसकी जब रमन ने उसकी गांड को पकड़कर उसकी रेल बनाना शुरू की...
तेज झटके इतने जोर से कि उससे सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था
जैसे ही सांस लेने लगती पीछे से आ रहे धक्का से वो फिर से उचक पड़ती..
और वो वक्त भी जल्द आ गया जब रमन का पानी अपने चरमोत्कर्ष पर आकर बाहर निकलने पर आतुर हो गया
रमन ने जल्द से अपना लंड उर्मिला की चूत से बाहर निकाल लिया
उर्मिला पलटी और अपने चूत रस से भीगे लंड को अपने मुंह में भरकर आखिरी बूंद तक निचोड़ डाला
बाकी का सारा रस उसकी छाती और मुंह पर आ गिरा
जिसकी वजह से वो और भी सुंदर दिखाई देने लगी
रमन ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए अपने लंड के नल को पूरा खाली कर उर्मिला के बगल में लेट गया दोनो ही अपनी आंख बंद करके लेटे रहे...
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जारी रहेगा![]()
जल दी आएगा भाई अपडेटWaiting bro
Thank you sooo much Napster bhaiबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
ये खंडहर में ऐसा क्या है की कई सालों से वहा खोजबिन चालू हैं
ये किंग कौन है जो डि आय जी शालिनी को अभय को लेकर दिलासा दे रहा हैं
ठकुराईन की कितनी संपत्ती हैं और उसके कागजात चांदनी के पास कैसे पहुंच गये
ये साला रमन और उर्मिला का क्या चक्कर चल रहा हैं
फोन पर बात करने वाला आदमी और औरत कौन है
जिन्होने कामरान को निपटा दिया और अभय और ठकुराईन के भी पिछे हैं ये तो पक्का हैं की वो औरत हवेली से ही हैं कही ललिता या मालती तो नहीं जो मुनिम से भी बदला लेना चाह रही है लेकीन किस बात का
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा