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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bhai aapne phir wahi Kiya ye Chandni ko har baar aap Abhay aur Sandhya ke beech me kyu laa dete hai ,agar abhay ka man nahi hai haveli jaane ka to nahi jaaye aap Chandni ke through abhay per pressure dalwa rahe ho ,Chandni bol rahi hai Abhay se ki Maine poocha nahi main aadesh de rahi hoon haveli aane ke liye .....
Bat aapki bilkul sahi hai bhai isileye maine update me bhi yahee bat ko dhyan rakh ke likha tabhi to Shalini ne apni beti Chandni ko yhee bat samjay hai lekin afsoos Abhay ke chatta khane ke bad 😂😂
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Abhay ne galat kya bola jaise sandhya hai uske sath rahker wo bhi waise na ban jaaye , is baat per Chandni ne thappad maar diya abhay ko , itna hi pyaar hai to Sandhya kyu nahi aati hai Abhay ko manane ,har baar Chandni hi muh utha ker chali aati hai .......
Sab kuch hoga bhai bus her cheej ka waqt hota hai or waqt to ab aagya hai uska bhi
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Aur udhar wo Rajesh bhi sandhya ke peeche pad raha hai ,jab itna sab kerwa rahe ho to Rajesh ka bhi sandhya ke sath taanka fit ker do .....
Ha bhai uska bi aana jaroori tha thode twist ke leye kahani me lekin jyada der ke leye nahi hai wo bus kuch der ke leye hai
 

Tiger 786

Well-Known Member
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UPDATE 30

गीता देवी को गांव का सरपंच बनाने से गांव के कई लोगो को खुशी हुई साथ ये देख की ठकुराइन बरसो बाद पहले की तरह अपना ठाकुर वाला रूप देखन को मिला तभी संध्या की नजर गांव के लोगो के बीच खड़े अभय पर पड़ी जिसे देख संध्या मुस्कुरा के बोली...

संध्या – आप सभी से एक निवेदन है परसो के दिन हवेली पर आप सभी को आमंत्रित करती हू खाने पर साथ ही आप सभी से माफी मांगती हू की अपनी निजी परेशानी के चलते आपके बुरे वक्त पर आपका साथ ना दे सकी लेकिन अब आप बेझिजक अपनी कोई भी समस्या को गांव की सरपंच गीता देवी को बताए ताकी निवारण हो सके तथा अब से हवेली के द्वार आप सभी के लिए खुले है हमेशा के लिए कभी भी कोई भी कैसे भी दिक्कत हो आप आए हम आपकी समस्या का समाधान करेंगे...

संध्या की इस बात से गांव के सभी लोग खुशी से तालिया बजाने लगे...

संध्या –(हाथ से रुकने का इशारा करके सभी को) आज इस मौके पर मैं आप सभी को किसी से मिलवाना चाहती हू (चांदनी को इशारे से पास बुला के) इसका नाम चांदनी है मेरी मू बोली भांजी आज से खेतो और हवेली की सारी लिखा पड़ी चांदनी देखेगी और एक बात मुनीम को मैने निकल दिया है.....

चांदनी –(बीच में संध्या से बोली) लेकिन मौसी मुझे तो पता ही नही है खेतो के हिसाब का....

संध्या – (कंधे पे हाथ रख के) कोई बात नही इसमें तुम्हारी मदद के लिए कोई साथ होगा जो बताएगा कैसे क्या होता है ये काम (राज की तरफ देख इशारे से पाने पास बुला के सबके सामने बोली) राज अब से कॉलेज के बाद तुम चांदनी को गांव की खेती का हिसाब कैसे बनाते है समझाओगे जब तक चांदनी समझ नही जाति तब तक तुम्हे सिखाना है उसे ठीक है.....

राज –(चांदनी को देख हस के) ठीक है ठकुराइन मैं सब बता दुगा....

इसके बाद सब वापस जाने लगे सभी गांव वाले ठकुराइन को कार तक छोड़ने आए तभी संध्या ने राज को पास बुलाया....

संध्या –(धीरे से राज के कान में) सब समझा देना लेकिन आराम से समझना जल्दी मत करना और हा मौका अच्छा मिल रहा है तो अपनी शायरी का अच्छा फायदा उठाना (अपनी कार में बैठने से पहले सभी गांव वालो को देखने लगी तभी बीच में खड़े अभय की तरफ देख बोली) परसो के दिन इंतजार करूगी....

तभी सभी गांव वाले बोले – जरूर आएंगे....

इसके बाद संध्या निकल गई कार से रास्ते में ही संध्या पुलिस स्टेशन की तरफ चली गई चांदनी के साथ थाने आते ही.....

हवलदार संध्या को देख के – प्रणाम ठकुराइन जी.....

संध्या – प्रणाम आपके थानेदार साहब आ गए क्या....

हवलदार – जी ठकुराइन अन्दर बैठे है थानेदार साहब....

जैसे ही संध्या और चांदनी अन्दर गए अपनी कुर्सी में बैठा थानेदार फाइल पड़ रहा था जिससे उसका चेहरा नही दिख रहा था संध्या को...

संध्या – प्रणाम थानेदार साहेब....

थानेदार –(आवाज सुन फाइल नीचे कर जैसे देखा अपने सामने संध्या को तभी बोला) संध्या तुम.....

संध्या – (थानेदार की शकल देख) राजेश तुम यहां पर.....

राजेश – (खुश होके) वाह क्या किस्मत है मेरी देखो तो कितने सालों बाद तुमसे मुलाकात हो रही है कैसी हो तुम संध्या....

संध्या –(हस के) मैं अच्छी हू तुम बताओ इतने सालो तक कहा थे तुम.....

राजेश – कॉलेज के बाद मैंने पुलिस फोर्स ज्वाइन कर ली थी ट्रेनिंग के बाद मेरा ट्रांसफर गांव में हो गया था तब से मां बाप के साथ गांव में था अब यहां हू तुम बताओ तुम यहां पर कैसे....

संध्या – इसी गांव में रहती हू मै....

राजेश – एक मिनट तुम ठकुराइन हो गांव की....

संध्या – हा तुम्हे कैसे पता चला....

राजेश – आज सुबह आते ही सुना मैने सोचा नही था तुम होगी खेर और बताओ कैसे चल रही है लाइफ तुम्हारी अकेले आई हो तुम....

संध्या – अच्छी चल रही है मैं अकेले नही साथ में चांदनी है मेरी भांजी....

राजेश ने चांदनी से हेलो बोला फिर संध्या से बोला...

राजेश – तो बताओ संध्या कैसे आना हुआ तुम्हारा....

संध्या – कुछ जरूरी बात करनी है इसीलिए आई हू....

राजेश – हा बोलो क्या बात है....

फिर संध्या ने राजेश को दस साल पहले हुए सारी घटना बता दी साथ ही अब जो कुछ हुआ वो भी (गांव में अभय के होने की बात छोड़ के) जिसे सुन के राजेश बोला...

राजेश – तुम रिपोर्ट लिखवा दो संध्या मैं आज से ही कार्यवाही शुरू कर देता हू थोड़ा वक्त जरूर लगेगा मामला काफी पुराना है लेकिन जो भी जानकारी मिलती है मैं तुम्हे बताऊंगा....

संध्या – ठीक है , अच्छा तुम्हारी लाइफ कैसी चल रही है बीवी बच्चे कैसे है तुम्हारे....

राजेश –(मुस्कुरा के) मैने अभी तक शादी नही की.....

संध्या – अरे ऐसा क्यों तुम तो किसी लड़की से प्यार करते थे ना और हम सब समझ रहे थे तुम उससे शादी करोगे तो फिर....

राजेश –मैं जिससे प्यार करता था उसकी शादी किसी और से हो गई और मैं उसे अपने प्यार का इजहार तक नहीं कर पाया....

संध्या – ओह और तुम्हारे मां बाप ने कुछ कहा नहीं शादी के लिए तुम्हे....

राजेश – ट्रेनिंग के बाद ड्यूटी ज्वाइन की उसके कुछ समय बाद रोड ऐक्सिडेंट में मां बाप गुजर गए तब से इच्छा नही हुई मेरी शादी करने की....

संध्या – अकेले जिंदगी नही गुजरती है राजेश....


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राजेश – (संध्या को गौर से देख के) हा सही कहा तुमने मुझे भी लगने लगा है ऐसा....

बोल के चली गई संध्या पीछे राजेश संध्या को जाते हुए देख...


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राजेश –(मन में– आज भी वही लचक बरकरार है जो कॉलेज के वक्त हुआ करती थी और अब तो किस्मत भी तेज है मेरी और रास्ता भी साफ है मेरा आज संध्या अकेली है बिल्कुल एक साथी की जरूरत पड़ेगी जो उसे भी कोई बात नही संध्या रानी तेरी जवानी को संभालने के साथ हवेली और उसमे रखी दौलत को भी संभाल लूगा)(बोल के मुस्कुराने लगा)...

इस तरफ संध्या कार चला रही थी तब चांदनी बोली...

चांदनी – तो आप दोनो जानते हो एक दूसरे को....

संध्या – हा हम कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे....

इससे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी उसका फोन बजने लगा देखा तो सायरा का कॉल था...

चांदनी – (कॉल रिसीव कर) हा सायरा....

सायरा – सब ठीक है ना....

चांदनी – हा यहां सब ठीक है क्यों क्या हुआ.....

सायरा – अभय से कल कोई बात हुई है क्या तुम्हारी या कुछ बताया है क्या उसने तुम्हे.....

चांदनी – नही ऐसी तो कोई बात नही है सायरा लेकिन बात क्या है.....

सायरा – कल शाम से देख रही हू अभय जाने कहा खोया हुआ था कितनी बार नाम लेके पुकारा लेकिन उसने सुना तक नही (और जो बात हुई सब बता के) खाना जैसे रख के गई थी वैसे का वैसा पड़ा हुआ है उसने छुआ तक नहीं है खाना कल रात से.....

चांदनी –कल रात को बात हुई थी ठकुराइन की अभय से ऐसा कुछ लगा तो नही उसकी बात से....

सायरा – पता नही चांदनी आज सुबह भी मिला नही मुझे चाय तक नहीं पी....

चांदनी – ठीक है मैं बात करती हू अभय से.....

बोल के कॉल कट कर दिया तभी संध्या बोली...

संध्या – क्या बात है चांदनी क्या बात बता रही थी अभय के लिए.....

चांदनी – (जो बात हुए सब बता के) मुझे मिलना पड़ेगा अभय से अभी जरूर कोई बात है वही मैं सोचू कल अचानक से आपसे इतनी आराम से बात कैसे की जरूर कुछ बात पता चली होगी अभय को , मौसी आप मुझे हॉस्टल में छोड़ दीजिए अभय से मिल के आती हू वापस मैं....

संध्या – चांदनी अगर तुम बोलो तो मैं भी साथ चलू तुम्हारे....

चांदनी – आप परेशान मत हो मौसी मैं मिल लू अकेले उससे वापस आके बताऊगी बात आपको.....

इसके बाद संध्या ने हॉस्टल की तरफ कार मोड़ ली जबकि इस तरफ जब संध्या गांव की बैठक से जाने के बाद रमन और सरपंच शंकर आपस में बात कर रहे थे...

शंकर (सरपंच) – ठाकुर साहब इतने साल तक आपने जो कहा जैसे कहा मैने वैसा ही किया लेकिन आज ये सब हो रहा था लेकिन आपने कुछ नहीं बोला क्यों.....

रमन – ठकुराइन को मुझ पर शक हो गया है.....

शंकर (सरपंच) – शक आप पे क्यों मजाक कर रहे हो ठाकुर साहब.....

रमन – ये मजाक नही सच है जब से वो लौंडा आया है गांव तब से ही सब गड़बड़ हो रही है पहले तो उस लौंडे ने आते ही सारी जमीन गांव वालो को वापस दिलवा दी फिर ना जाने क्या बात की उसने उस औरत से उसका दिमाग फिर गया साली उस कल के आए लौंडे को अपना बेटा अभय समझ ने लगी है और ना जाने कहा कहा से गड़े मुर्दे उखाड़ने लगी ये औरत , तब से मेरा तो जीना दुश्वार हो गया है इस लौंडे की वजह से साले को मरवाने के लिए मुनीम के साथ लठ हरे गए थे कोई वापस नहीं लौटा और मुनीम का अभी तक पता नही चला जाने कॉन से बिल में छुप गया है.....

शंकर (सरपंच) – कही वो सच में अभय ठाकुर तो नही , जो भी हो ठाकुर साहब बेइजत्ती पूरे गांव के सामने हुई है मेरी इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा ठकुराइन को.....

रमन – बेवकूफी वाली बात मत कर तू कुछ करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मैं लेकिन मैं चुप हू इसीलिए क्योंकि बाजी अभी पूरी तरह से निकली नही है हाथ से मेरे समझा और तू गलती से भी ऐसा वैसा कुछ करने की सोचना भी मत वैसे भी उस औरत का दिमाग फिरा हुआ है मैं नही चाहता की काम और बिगड़ जाए बस तू चुप रह कुछ वक्त मैं कुछ करता हू जल्द ही इस लौंडे का साथ में इस औरत का भी....

जब ये दोनो आपस में बात कर रहे थे उसी वक्त कोई था जो कान लगा के इनकी बातो को गौर से सुन रहा था रमन और शंकर के जाते ही वो निकल के अभय के पास चला गया जो राज के साथ बाते कर रहा था...

राज –(अभय से) यार ये चमत्कार कैसे हो गया आज तो ठकुराइन सच में वही पुरानी ठकुराइन बन के आई यहां पर.....

अभय – चमत्कार तो हुआ है लेकिन तेरे लिए सीधे बोल ना अब तो तू दीदी के साथ वक्त बिता पाएगा अच्छे तरीके से क्यों क्या बोली ठकुराइन तेरे से कान में....

राज –(हल्का मुस्कुरा के) यार ठकुराइन मौके का फायदा उठाने को बोली है ताकि तुझे साला बना दू जल्दी से....

अभय – ओय मेरी दीदी है वो समझा शराफत से रहना उसके साथ......

राज –(स्टाइल से) जनता हू बे वो तेरी दीदी है और मेरी होने वाली बीवी भी साथ में इकलौता साला भी बोनस में मिल रहा है अब कैसे इस मौके को छोड़ दू भाई.....

अभय – साला सुधरेगा नही तू.....

राज – अबे साला तो तू है मेरा होने वाला और जब इतनी खूबसूरत की देवी साथ हो तो कॉन सुधरने की सोचेगा बे तू एक काम कर कल से पायल के साथ वक्त बीताना तू मैं तो फ्री होने से रहा अब....

राज की बात पर अभय हसने लगा साथ में राज भी तभी राजू दौड़ते हुए उनके पास आया...

राजू – अबे तुम दोनो यहां हस के बाते कर रहे जो और वहा वो साला शंकर (सरपंच) और रमन दोनो बाते कर रहे है....

राज – बाते तो करेगे ही वो इतना बड़ा भूकंप जो आ गया है उनकी जिदंगी में आज लेकिन तू हाफ क्यों रहा है क्या बात है.....

फिर रमन और सरपंच के बीच जो बात हुई सब बता दी राजू ने राज और अभय को जिसे सुन के...

राज – ये मादरचोद अपनी मइयत को बुला रहा है बिना मतलब के अभी जाके इसकी खबर लेता हू मै.....

बोल के गुस्से से राज जाने लगा तभी अभय ने राज का हाथ पकड़ लिया बोला....

अभय – जो बादल गरजते है वो कभी बरसते नही है भाई तू उनकी चिंता छोड़ आज जो हुआ वो तो सिर्फ शुरुवात थी अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है उसके साथ वैसे भी आज बहुत खुशी का दिन है गांव वालो के साथ बड़ी मां के लिए वो देख कैसे सब बड़ी मां को घेरे बैठे है अभी से अब तो तेरी भी जिम्मेदारी बड़ गई है तुझे भी देखना है गांव वालो को भी बड़ी मां के साथ चल मै निकलता हू यार तुम दोनो यहां संभालो शाम को मिलता हू....

राज – सुन तू आज रात घर में आजा खाना साथ में खाते है मां तुझे बहुत याद कर रही है.....

अभय – ठीक है आता हू रात में.....

बोल के हॉस्टल निकल गया अभय हॉस्टल में आने के कुछ समय बाद चांदनी आई अभय के पास...

अभय – अरे दीदी आप इस वक्त आपका तो आज का शिड्यूल काफी बिजी था अचानक आप यहां पर....

चांदनी – कल क्या हुआ था अभय तूने बताया नही और ना ही तूने ये बताया कि तू खंडर में गया था अब मुझसे छुपाने भी लगा है तू क्या बात है आखिर चल क्या रहा है तेरे दिमाग में बता जरा मुझे....

अभय – दीदी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही चल रहा है बस मौका नहीं मिला बात करने का मुझे आपसे....

चांदनी – चल ठीक है अब बता पूरी बात मुझे.....

फिर अभय ने खंडर से लेके कल जो भी हुआ सब बता दिया चांदनी को जिसे सुन के....

चांदनी – तो तुझे नही पता था कि ठकुराइन के जन्मदिन का....

अभय – पता था दीदी.....

चांदनी – खंडर के आस पास भी नहीं भटकेगा तू अपने दिमाग में बात गांठ बांध ले रही कल की बात मैं ठकुराइन को सब बता दुगी बात.....

अभय – क्या लगता है आपको दीदी कोई फायदा होगा....

चांदनी – क्या मतलब है तेरा....

अभय – क्या पता रमन का चक्कर कितनो के साथ हो और ना जाने कितने नाजायज बच्चे होगे उसके गांव में या बाहर भी कोई भरोसा नहीं उसका दीदी....

चांदनी –(अभय की बात सुन के) तो क्या चाहता है तू....

अभय – मत बताओ उसे ये सब बात के बारे में आप रमन की असलियत जब सामने आएगी अपने आप तब बताना आप की सच क्या है और झूठ क्या है कम से कम खुद से तो असलियत पता करे वो भी....

चांदनी – ठीक है परसो आ रहा है तू हवेली में....

अभय – देखता हू दीदी....

चांदनी – मैने पूछा नही है तेरे से बोला है बस आने के लिए समझ गया....

अभय – (झल्लाके) दीदी आप हर बार उनकी साइड क्यों लेते हो कभी कभी सोचता हू गलती कर दी मैने यहां आके जब से आप उस हवेली में रहने गए हो एक अजीब सा डर लगा रहता है मुझे.....

चांदनी – डर कैसा डर लगता है तुझे....

अभय – कही वो औरत अपने जैसा ना बना दे आपको इसी बात का डर दीदी 1% का भरोसा नही है मुझे उस की हरकतों पे जो औरत अपने बच्चे की चिंता छोड़ बंद कमरे में अपने यार के साथ....

इतना ही बोला था अभय ने के तभी चांदनी ने एक चाटा लगा दिया CCCCHHHHHAAAAATTTTTAAAAAKKKKK.....

चांदनी – (गुस्से में) तमीज से बात कर अभय क्या यही सीखा है तूने हमारे साथ रह कर ये बात अगर मां को पता चलेगी तो क्या बीतेगी उसपे सोचा है तूने कितना मानती है तुझे जब भी बात करती हू मां से पहला सवाल तेरे लिए ही होता है उनका और तू...देख अभय जरूरी नहीं जो दिखता हो वही सच हो....

अभय – (अपने गाल पे हाथ रख के) मुझे कोई प्राब्लम नही है दीदी आपने हाथ उठाया मुझपे प्रॉब्लम आपके वहा पर रहने से है मुझे बस एक बार नही हजार बार उठा लो हाथ आप मुझ पर जब तक आप वहा पर रहोगे ये डर बना रहेगा मेरे जहन में....

चांदनी –(अभय के सिर पर हाथ फेर के) जैसा तू सोच रहा है अभय उससे पहले मैं मरना पसंद करूंगी.....

अभय – आज बोल दिया आपने दोबारा सोचना भी मत इस बारे में दीदी वर्ना उस हवेली को कब्रिस्तान बना दुगा मैं , मेरे लिए वो मायने नहीं रखते इस दुनिया में दो लोग है मेरे अपने एक आप और मां और कोई नही है मेरा आप दोनो के सिवा....

चांदनी – (मुस्कुरा के) चल ज्यादा डायलॉग मत मार मेरे सामने , अभय दुनिया में हर किसी को एक मौका जरूर देना चाहिए अपने आप को साबित करने का बाकी जैसा तुझे ठीक लगे वो कर , चलती हू (मुस्कुरा के) परसो टाइम से आ जाना.....

बोल के चली गई चांदनी पीछे अभय चांदनी के जाते ही बेड में लेट गया आंख बंद करके जबकि चांदनी बाहर आते ही पैदल जाने लगी हवेली की तरफ रास्ते में अपनी मां को कॉल लगाया.....

चांदनी – (कॉल पर अपनी मां से) कैसी हो मां....

शालिनी – अच्छी हू तू बता क्या हो रहा है.....

चांदनी – कुछ खास नही मां आपके लाडले की सोच और बात पर कभी कभी गुस्सा आता है तो कभी कभी हसी आ जाति है.....

शालिनी –(मुस्कुरा के) अब क्या कर दिया अभय ने....

चांदनी – (जो बात हुए सब बाते बता के) अब आप बताओ मां ऐसा क्या करू जिससे उसकी दिक्कत दूर हो जाए....

शालिनी – तू सच में चाहती है अभय की दिक्कत दूर हो जाए....

चांदनी – हा मां....

शालिनी – तो उसे खुद सच का पता लगाने दे , देख जबतक सच को वो खुद देख , सुन और समझ नही लेता तब तक उसके दिल दिमाग में यही सब चलता रहेगा तू हवेली में है उसे इस बात का डर नहीं है उसका असली डर ये है कि उसे लगता है की तू संध्या की बातो में आजाय फिर कही वो अपनी बात न मनवा ले तुझ से इसीलिए अब से तू अपने कदम पीछे कर ले मत बोल दोनो मां बेटे के बीच में जब तक तेरे पास ऐसा कोई प्रूफ ना हो जिसे दिखा के तू साबित कर सके अभय के सामने की वो संध्या के लिए गलत सोच रहा है....

चांदनी –(हस के) तब तो मां मेरा चुप रहना ही बेहतर रहेगा क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं है और ना मिलेगा कभी....

शालिनी – मैने तुझ से कहा था ना चांदनी ये किस्मत भी अजीब खेल खेलती है एक वक्त था अभय ने गांव जाने से साफ इंकार कर दिया और फिर एक वक्त ऐसा आया जब अभय खुद तयार हो गया जाने के लिए कुछ तो सोच के कुदरत ने खेल खेला है ऐसा दोनो मां बेटे के साथ बस इंतजार कर सही वक्त का.....

चांदनी – ठीक है मां वैसे एक बात और मजे की हुई है अब से ठकुराइन मौसी बन गई मेरी....

शालिनी – (मुस्कुरा के) चलो अच्छा है गांव में मां के रूप में मौसी जो मिल गई तुझे....

चांदनी – आपने राजेश को यहां भेज दिया थानेदार बना के क्या आप जानती है की राजेश कॉलेज फ्रेंड है मौसी का.....

शालिनी – (चौक के) क्या....

चांदनी – हा मां और ये बंदा मुझे कुछ सही नही लग रहा है इसकी वजह से कोई और नई मुसीबत ना आ जाए यहां पर....

शालिनी – मुझे सच में इस बारे में कुछ नही पता था.....

चांदनी – मां ये राजेश जिस नजर से देख रहा था आज मौसी को इसकी नियत सही नही लग रही है मुझे....

शालिनी – अभी तक इसके बारे में ऐसा कुछ सुनने में नही आया है चांदनी अगर तुझे जरा भी दिक्कत लगे बतादेना ट्रांसफर दे दुगी इसको.....

चांदनी – ठीक है मां बाद में बात करती हूं....

इस तरफ हवेली में संध्या हाल के सोफे में बैठ के खाते देख रही थी तभी रमन हाल में आते ही बोला...

रमन –भाभी आपने मुझसे बिना पूछे इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती हो आप....

संध्या –(रमन की बात सुन के) क्या बोलना चाहते हो तुम....

रमन – गांव वालो की समस्या हल करनी थी आपको ठीक है करती लेकिन सरपंच को हटा के किसी और को सरपंच बना दिया आपने एक बार भी आपने मुझसे बात करना जरूरी नहीं समझा....

संध्या – हा सही कहा तुमने मैने जरूरी नहीं समझा क्योंकि जो काम तुम्हे करना था तुमने उसका उल्टा किया बाबू जी ने इस गांव को बसाने के लिए क्या कुछ नही किया उनकी आधी उम्र इस गांव को संवारने में चली गई और तुम क्या कर रहे हो लोगो का भला करने के बजाय उनके जीने का सहारा छीन रहे थे शर्म नही आई ये करते तुम्हे....

रमन – तो मैं कॉन सा उनके पेट में लात मार रहा था भाभी जमीन के बदले उनको काम दे रहा था अपने खेतों में इसमें गलत क्या है.....

संध्या – गलत छोड़ो रमन इसमें क्या सही लगता है तुम्हे उनकी खेती की जमीन छीन के उनको ही गुलाम बनाने जा रहे थे तुम वाह रमन खूब नाम रोशन कर रहे हो तुम ठाकुर खानदान का इसीलिए मैंने ये कदम उठाया है अब और बर्बाद नही होने दुगी अपने गांव को.....

रमन – भाभी मैने कोई बर्बाद नही किया इस गांव को कोशिश की है मैने इसमें बदलाव लाने की लेकिन गांव के लोगो को ये सब समझ कहा जो समझे इसे आधे से ज्यादा लोग गवार है यहां पर......

संध्या – बाबू जी ने इन्ही गवारो के साथ दिन रात एक करके इस काबिल बनाया गांव को की लोग यहां अपना बसेरा बना सके , रमन अब वक्त आ गया है पहले की तरह गांव की बाग डोर अपने हाथ में लेने का अच्छा रहेगा तुम इस सब में मत ही पड़ो , गांव की भलाई के लिए जो करना होगा मैं खुद कर लूंगी रही बात शंकर की उसने अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारी है कम से कम उसे देखना समझना चाहिए था गांव वालो की हालत को सरपंच होने के नाते इसीलिए मैंने नए सरपंच का चुनाव रखा था......

बोल के संध्या चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि पीछे खड़ा रमन को बाजी उसके हाथ से पूरी तरह से निकलती नजर आ रही थी शाम होने को आई लेकिन इस तरफ अभय आज आराम नही कर पाया जब से अभय ने रमन और उर्मिला की रासलीला देखी है


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उसके दिमाग में बस वही ख्याल आ जा रहा था बेड में लेता अभय छट को देखे जा रहा था उसे अहसास तक नही हुआ कब सायरा कमरे में आ गई चाय लेके अभय के लिए......

सायरा – (अभय को देख के) क्या बात है अभय कहा खोए हुए हो तुम.....

अभय –(खयालों से बाहर आके) कही नही यार बस कुछ याद आगया था उसी ख्याल में खोया हुआ था.....

सायरा – अच्छा जरा हमे भी तो बताओ उस ख्याल के बारे में....

अभय – (मुस्कुरा के सायरा को उपर से नीचे देख के) फिर कभी बताओगा अभी मुझे तयार होके दोस्त के घर जाना है वही खाना है मेरा रात का....

सायरा – ओह ठीक है लेकिन रात में वापस आके मुझे बताना जरूर ख्याल के बारे में अपने.....

अभय –(सायरा की बात सुन के) तुम रात में यही रुकोगी क्या....

सायरा – हा आज से यही रहना है मुझे तुम्हारे बगल वाले रूम में , हा अगर तुम चाहो तो मेरे रूम में सो सकते हो कूलर लगाया है मैने आज उसमे....

अभय – मेरे होने से तुम्हे दिक्कत नही होगी कमरे में क्योंकि एक बेड में कैसे सो सकते है दो लोग....

सायरा – होने को कुछ भी हो सकता है अभय बस तरीका आना चाहिए....बोल कर अपनी कमर मटकाते हुए निकल गई सायरा....

अभय –(सायरा की मटकती कमर को देख) कमाल की चीज है ये भी (अपना सिर झटक के मन में) धत तेरे की जाने क्यों बार बार वही ख्याल आ रहा है मुझे संभाल अभय खुद को तेरी रानी क्या सोचेगी अगर उसे पता चल गया इस बारे में बच के रह इन सब से....

तयार होके निकल गया राज के घर अभय घर में आते ही स्वागत गीता देवी ने किया.....

गीता देवी – (अभय को देख के) आ गया तू आजा बैठ और बता कैसा है तू....

अभय – अच्छा हू बड़ी मां आप बताओ आज तो बहुत बड़ा दिन है आपके लिए....

गीता देवी – कहा अभय ये काम तो रोज का है मेरा पहले हम औरते मिल के आपस में अपनी अपनी समस्या को मिल के हल करते थे अब खुल के समस्या का हाल निकालेगे.....

अभय – मुझे पता है बड़ी मां आपके होते देखना जल्द ही गांव पहले की तरह हरा भरा दिखने लगेगा....

गीता देवी – (अभय की बात गौर से सुन मुस्कुरा के) अच्छा जरा सच सच बता तूने संध्या को राजी कैसे किया इस बारे में.....

अभय – (चौक के) ये आप क्या बोल रहे हो बड़ी मां भला मैं कहा से आ गया बीच में इन सब में.....

गीता देवी –(अभय का कान पकड़ के) तेरी बड़ी मां हू मै बचपन से जानती हू तुझे आज संध्या ने जिस तरह से बैठक में खुल के बात कर रही थी सबसे और जाते वक्त संध्या गांव वालो को देख के नही तुझे देख के बोली ,परसो इंतजार करेगी आने का , तभी समझ गई थी मैं ये सब तेरा किया धरा है चल अब बता बात मुझे....

अभय –(मुस्कुरा के) (कल कॉल पर जो बात हुई संध्या से कॉल पर बता दिया ) गांव वालो का ख्याल घूम रहा था मेरे मन में बस बोल दिया उनको शायद तभी ये सब हुआ....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) बिल्कुल अपने दादा की तरह तू भी तेज है किस्से कैसे काम निकलवाना है अच्छे से पता है तुझे , तू परसो जाएगा ना हवेली.....

अभय – हा बड़ी मां....

गीता देवी – एक अच्छा सा तोहफा लेलेंना संध्या के लिए अच्छा लगेगा उसेक....

अभय – हा बड़ी मां तोहफा तो बनता है.....

तभी राज और सत्या बाबू भी आ गए घर में अभय को देख...

सत्या बाबू – कैसे हो बेटा....

अभय – अच्छा हू बाबा मुबारक हो आपको बड़ी मां सरपंच बन गई गांव की....

सत्या बाबू – हा घर के साथ आधे गांव में मानी जाती थी बात तेरी बड़ी मां की अब पूरे गांव मानेगा (गीता देवी से) अरे भाग्यवान जल्दी खाना परोसो खेत में जाना है.....

अभय – बाबा इतनी रात में खेत क्यों जाना है....

सत्या बाबू – फसल काटी गई है बेटा इक्कठा हो गई है उसे भी देखना है ना कही कोई चुरा ना ले वर्ना बैंक का कर्ज कैसे चुका पाएंगे....

अभय – (चौक के) बैंक का कर्ज....

सत्या बाबू – हा बेटा धर्म पत्नी से वादा किया था की घर को बड़ा और पक्का बनवाओगा इसीलिए मैंने बैंक से 15 लाख का कर्ज लिया था अब E M I तो देनी होगी ना....

अभय – बाबा इस उम्र में रात में फसल की पहरेदारी करना ठीक नहीं अब कितना बचा है कर्ज बताओ मैं चुका देता हू....

सत्या बाबू – अरे नही नही बेटा जिम्मेदारी और डर लोन को पूरा करने की हिम्मत देती है हमे बे वक्त मरने की वजह से मिडल क्लास पर जो कलंक लगता ही वो काफी है हमे जिंदा रखने के लिए....

सत्या बाबू की बात सुन अभय देखे जा रहा था सत्या बाबू को जिसे देख बोले...

सत्या बाबू –(अभय को) क्यों क्या हुआ...

अभय – (हल्का हस के) बाबा की याद आ गई , जैसे वो गांव वालो की मदद किया करते थे....

सत्या बाबू –(अभय की बात सुन) हा बेटा उन्होंने जो किया था गांव के लिए उसका कर्ज कोई नहीं चुका सकता है , (अभय के गाल पे हाथ रख के) तुम भी उनकी राह पे चलना बेटा कम से कम उनकी आत्मा को शांति मिले....

गीता देवी – खाना तयार है....

सबने साथ मिल के खाना खाया फिर अभय सभी से विदा लेके निकल गया हॉस्टल की तरफ अपने कमरे में आते ही अभय बेड में लेट गया और सत्या बाबू के साथ की बात के बारे में सोचने लगा सोचते सोचते कब नीद आ गई उसे पता नही चला सुबह हुई उसके साथ अभय उठ के वॉक पर निकल गया वापस आके सायरा से मिला...

सायरा –(चैन देते हुए अभय को) कल रात में कब आए तुम बताया नही मुझे....

अभय –(चाय लेके) रात में आते ही सो गया था ध्यान नही रहा मुझे...

सायरा – (मुस्कुरा के) ठीक तुम तयार हो जाओ मैं नाश्ता तयार करती हू...

अभय तयार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज आते ही पायल से मुलाकात हुई...

पायल – कल कहा था तू गांव की बैठक में दिखा ही नही...

अभय – मैं आया था लकी थोड़ा देर से वहा पर भीड़ इतनी थी कुछ पता ही नही चला तू सुना कुछ...

पायल – मैं ठीक हू तू कल हवेली चलेगा साथ में सबके....

अभय – हा जरूर चलूगा लेकिन तू भी साथ होगी हमारे....

पायल – मां और बाबा के साथ जाओगी फिर तेरे साथ कैसे....

अभय – कोई बात नही रहेंगे तो साथ ही न हवेली में हम...

पायल – सो तो है....

अभय – आज बाकी के लोग कहा है दिख नही रहे है....

पायल – (एक तरफ इशारा करके) वो देख राजू और नीलम लगे है आपस में और वहा देख लल्ला को कैसे निधि को देके जा रहा है दोनो आखों से एक दोसर को इशारा कर रहे है कैसे देख...

अभय – (जैसे ही लल्ला को देखा बोला) ये रमन की बेटी है निधि ये तो अपने भाई की तरह है ये कैसे....

पायल – प्यार ऐसा ही होता है अभय कब किसे किसके साथ हो जाय पता नही चलता...

कॉलेज के एक तरफ खड़ा अमन अपने दोस्तो के साथ देख रहा होता है पायल जो अभय के साथ खड़ी हस के बाते कर रही थी जिसे देख....

अमन का दोस्त – (अमन से) अमन तू तो बोलता था पायल को अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा लेकिन यार ये तो किसी और लड़के के साथ लगी पड़ी है...

दूसरा दोस्त – हा अमन उस दिन कैसे इस लड़के को सबके सामने किस कर रही थी पायल साला शहरी लौड़ा पक्का लगता है लड़कियों को मामले में आते ही इस गांव की सबसे खूबसूरत लड़की पे हाथ साफ कर लिया इसने...

अमन –(अपने दोनो दोस्तो की बात सुन गुस्से में) ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा ये सब देखना कैसे मैं इन दोनो को अलग कर दुगा एक दूसरे से जल्द ही फिर पायल सिर्फ मेरी बाहों में होगी हमेशा के लिए (अपने बगल में खड़ी लड़की से) पूनम (सरपंच की बेटी) एक काम है तेरे से (धीरे से कान में कुछ बोलने लगा जिसे सुन)...

पूनम –(मुस्कुरा के) ठीक ही कल हो जाएगा...

बोल के हसने लगे ये सब जबकि इस तरफ अभय और उसके सब दोस्त एक साथ आ जाते है तब अभय बोला...

अभय –(लल्ला से) क्यों बे तेरा चक्कर कब से चल रहा है निधि के साथ...

लल्ला –(अभय की बात सुन चौक के) तुझे कैसे पता चला बे...

राजू और राज –(अभय और लल्ला की बात सुन एक साथ) क्या तेरा चक्कर उसके साथ है....

राज –(राजू से) क्यों बे तू तो अपने गांव का नारद मुनि है बे तेरे को भी नही पता था....

राजू –(चौक के) नही यार मैं खुद हैरान हू सुन के साला मुझे पता कैसे नही चला इस बारे में...

राजू –(लल्ला से) क्यों बे कब से चल रहा है ये सब और हम कब पता चलने वाला था बात का बता जरा...

लल्ला – (शर्मा के) यार वो बस हो गया यार प्यार निधि से...

राज –अबे मजनू तू जानता है ना निधि और उसका भाई अमन कैसे है क्या पता वो प्यारा करती होगी की नही तेरे से...

लल्ला – भाई करती है प्यार वो भी...

राजू – (सिर में हाथ रख के) हाय मोरी मईया ये क्या हो रहा है यह पे (राज और अभय से) भाई अब तो मुझे डर लग रहा है इसकी बेवकूफी के लिए क्या होगा इसका अब...

लल्ला – अबे जैसा तुमलोग समझ रहे हो वैसी कोई बात नही है वो बहुत अच्छी लड़की है हा पहले वो अपने भाई की तरह थी लेकिन अब नही अमन और रमन जैसे कोई गुड़ नहीं है उसमे भाई लोगो...

अभय – अबे बात यहां पे ये नही है की। वो कैसे है बस तेरी फिक्र है कही प्यार के नाम पर तुझे धोखा न दे रही हो समझा...

लल्ला – अच्छा तो बताओ कैसे यकीन दिलाऊं तुमलोग को बात का...

राज – तू निधि से अकेले में कब मिलता है बता...

लल्ला – संडे को जब वो अपनी सहेलियों के साथ बगीचे में घूमने आती है...

राजू – (बात सुन के) ओह तो संडे को ये काम करता है तू और हमे बोल के जाता है खेती देखने जा रहा हू बाबा अकेले होगे उनकी मदद करनी है साला ये मदद करने जाता है तू...

अभय –(बात सुन हस्ते हुए) वालो ठीक है इस संडे को हम भी साथ होगे तभी पता लगाएंगे सच का तेरे...

बोल के सब हस्ते हुए जाने लगते है क्लास में सिर्फ लल्ला को छोड़ के जिसे समझ नही आया सबकी हसी का मतलब कॉलेज खतम होने के बाद अभय बोला पायल से...

अभय – पायल कल शाम को चलोगी घूमने...

पायल – अरे कल तो हवेली में जाना है ना फिर कैसे...

अभय – दिन में जाना है ना शाम को नही ना....

पायल –(मुस्कुरा के) ठीक है बगीचे में कल शाम को पक्का...

बोल के दोनो निकल गए लेकिन कोई था जो इन दोनो को बात सुन के एक कुटिल हसी हस रहा था
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Fantastic update
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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Ha bhai uska bi aana jaroori tha thode twist ke leye kahani me lekin jyada der ke leye nahi hai wo bus kuch der ke leye hai
Bhai abhi Abhay ko haveli mat bhejo , thoda Chandni ko bol do ki wo Abhay per hukum kam chalaye , abhay haveli nahi jayega to Sandhya mar nahi jayegi jaise 8,10 saal apna birthday manai hai Abhay ke bina waise hi es baar bhi mana le apna birthday ,aur Chandni ab Abhay se door rakho wo jis kaam ke liye gaon me aayi wo apna kaam kare abhay jis kaam ke liye gaon aaya hai usko apna apna kaam karne de Chandni , Chandni ko Abhay ke kaam me interfere kerne ka koi haq nahi hai aur na hi uska haq Abhay aur Chandni ke beech me aane ka hai ............ Aur Abhay ko bhi Chandni se door rakho
 
Last edited:

Rekha rani

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Awesome update
कहानी जबरदस्त बन रही है संध्या का ठकुराइन वाला रूप मस्त है
रमन और सरपंच की वाट लगा दी एक बार में
चांदनी और राज को साथ लाने का काम भी कर दिया ठकुराइन ने
उधर लल्लू और निधि का सीन बन रहा है
राजेश की एंट्री भी जबरदस्त है और चांदनी ने उसकी नजर को पहली बार में ही पहचान लिया nice twist Hai
बस एक रिक्वेस्ट है आप कहानी अपने अनुसार ही लिखते रहिए किसी दूसरे के कहने से इसमें चेंज मत करिए,
मानती हु रीडर्स की इमोशन कहानी से जुड़ जाते है लेकिन उन्हें भी सोचना चाहिए की कहानी का मुख्य आकर्षण लेखक के हिसाब से ही हो सकता है अगर सब पाठको के अनुसार कहानी चलने लगी तो खिचड़ी पक जायेगी
किसी को राज चांदनी नही पसंद अब राजेश नहीं पसंद
चांदनी की involment नही पसंद
अगर ये साइड चरित्र कहानी में।नही रहेंगे तो कैसे कहानी बनेगी
जब अभय संध्या से बात ही नही करना चाहता था तो कैसे संध्या खुद को साबित करेगी। वो किसी का साथ लेगी ही
प्लीज कहानी अपने हिसाब से ही लिखिएगा अगर कहानी में चेंज आने वाला है तो पहले ही बता दीजिए,
 

Rekha rani

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कहानी जबरदस्त बन रही है संध्या का ठकुराइन वाला रूप मस्त है
रमन और सरपंच की वाट लगा दी एक बार में
चांदनी और राज को साथ लाने का काम भी कर दिया ठकुराइन ने
उधर लल्लू और निधि का सीन बन रहा है
राजेश की एंट्री भी जबरदस्त है और चांदनी ने उसकी नजर को पहली बार में ही पहचान लिया nice twist Hai
बस एक रिक्वेस्ट है आप कहानी अपने अनुसार ही लिखते रहिए किसी दूसरे के कहने से इसमें चेंज मत करिए,
मानती हु रीडर्स की इमोशन कहानी से जुड़ जाते है लेकिन उन्हें भी सोचना चाहिए की कहानी का मुख्य आकर्षण लेखक के हिसाब से ही हो सकता है अगर सब पाठको के अनुसार कहानी चलने लगी तो खिचड़ी पक जायेगी
किसी को राज चांदनी नही पसंद अब राजेश नहीं पसंद
चांदनी की involment नही पसंद
अगर ये साइड चरित्र कहानी में।नही रहेंगे तो कैसे कहानी बनेगी
जब अभय संध्या से बात ही नही करना चाहता था तो कैसे संध्या खुद को साबित करेगी। वो किसी का साथ लेगी ही
प्लीज कहानी अपने हिसाब से ही लिखिएगा अगर कहानी में चेंज आने वाला है तो पहले ही बता दीजिए,
 

only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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UPDATE 30

गीता देवी को गांव का सरपंच बनाने से गांव के कई लोगो को खुशी हुई साथ ये देख की ठकुराइन बरसो बाद पहले की तरह अपना ठाकुर वाला रूप देखन को मिला तभी संध्या की नजर गांव के लोगो के बीच खड़े अभय पर पड़ी जिसे देख संध्या मुस्कुरा के बोली...

संध्या – आप सभी से एक निवेदन है परसो के दिन हवेली पर आप सभी को आमंत्रित करती हू खाने पर साथ ही आप सभी से माफी मांगती हू की अपनी निजी परेशानी के चलते आपके बुरे वक्त पर आपका साथ ना दे सकी लेकिन अब आप बेझिजक अपनी कोई भी समस्या को गांव की सरपंच गीता देवी को बताए ताकी निवारण हो सके तथा अब से हवेली के द्वार आप सभी के लिए खुले है हमेशा के लिए कभी भी कोई भी कैसे भी दिक्कत हो आप आए हम आपकी समस्या का समाधान करेंगे...

संध्या की इस बात से गांव के सभी लोग खुशी से तालिया बजाने लगे...

संध्या –(हाथ से रुकने का इशारा करके सभी को) आज इस मौके पर मैं आप सभी को किसी से मिलवाना चाहती हू (चांदनी को इशारे से पास बुला के) इसका नाम चांदनी है मेरी मू बोली भांजी आज से खेतो और हवेली की सारी लिखा पड़ी चांदनी देखेगी और एक बात मुनीम को मैने निकल दिया है.....

चांदनी –(बीच में संध्या से बोली) लेकिन मौसी मुझे तो पता ही नही है खेतो के हिसाब का....

संध्या – (कंधे पे हाथ रख के) कोई बात नही इसमें तुम्हारी मदद के लिए कोई साथ होगा जो बताएगा कैसे क्या होता है ये काम (राज की तरफ देख इशारे से पाने पास बुला के सबके सामने बोली) राज अब से कॉलेज के बाद तुम चांदनी को गांव की खेती का हिसाब कैसे बनाते है समझाओगे जब तक चांदनी समझ नही जाति तब तक तुम्हे सिखाना है उसे ठीक है.....

राज –(चांदनी को देख हस के) ठीक है ठकुराइन मैं सब बता दुगा....

इसके बाद सब वापस जाने लगे सभी गांव वाले ठकुराइन को कार तक छोड़ने आए तभी संध्या ने राज को पास बुलाया....

संध्या –(धीरे से राज के कान में) सब समझा देना लेकिन आराम से समझना जल्दी मत करना और हा मौका अच्छा मिल रहा है तो अपनी शायरी का अच्छा फायदा उठाना (अपनी कार में बैठने से पहले सभी गांव वालो को देखने लगी तभी बीच में खड़े अभय की तरफ देख बोली) परसो के दिन इंतजार करूगी....

तभी सभी गांव वाले बोले – जरूर आएंगे....

इसके बाद संध्या निकल गई कार से रास्ते में ही संध्या पुलिस स्टेशन की तरफ चली गई चांदनी के साथ थाने आते ही.....

हवलदार संध्या को देख के – प्रणाम ठकुराइन जी.....

संध्या – प्रणाम आपके थानेदार साहब आ गए क्या....

हवलदार – जी ठकुराइन अन्दर बैठे है थानेदार साहब....

जैसे ही संध्या और चांदनी अन्दर गए अपनी कुर्सी में बैठा थानेदार फाइल पड़ रहा था जिससे उसका चेहरा नही दिख रहा था संध्या को...

संध्या – प्रणाम थानेदार साहेब....

थानेदार –(आवाज सुन फाइल नीचे कर जैसे देखा अपने सामने संध्या को तभी बोला) संध्या तुम.....

संध्या – (थानेदार की शकल देख) राजेश तुम यहां पर.....

राजेश – (खुश होके) वाह क्या किस्मत है मेरी देखो तो कितने सालों बाद तुमसे मुलाकात हो रही है कैसी हो तुम संध्या....

संध्या –(हस के) मैं अच्छी हू तुम बताओ इतने सालो तक कहा थे तुम.....

राजेश – कॉलेज के बाद मैंने पुलिस फोर्स ज्वाइन कर ली थी ट्रेनिंग के बाद मेरा ट्रांसफर गांव में हो गया था तब से मां बाप के साथ गांव में था अब यहां हू तुम बताओ तुम यहां पर कैसे....

संध्या – इसी गांव में रहती हू मै....

राजेश – एक मिनट तुम ठकुराइन हो गांव की....

संध्या – हा तुम्हे कैसे पता चला....

राजेश – आज सुबह आते ही सुना मैने सोचा नही था तुम होगी खेर और बताओ कैसे चल रही है लाइफ तुम्हारी अकेले आई हो तुम....

संध्या – अच्छी चल रही है मैं अकेले नही साथ में चांदनी है मेरी भांजी....

राजेश ने चांदनी से हेलो बोला फिर संध्या से बोला...

राजेश – तो बताओ संध्या कैसे आना हुआ तुम्हारा....

संध्या – कुछ जरूरी बात करनी है इसीलिए आई हू....

राजेश – हा बोलो क्या बात है....

फिर संध्या ने राजेश को दस साल पहले हुए सारी घटना बता दी साथ ही अब जो कुछ हुआ वो भी (गांव में अभय के होने की बात छोड़ के) जिसे सुन के राजेश बोला...

राजेश – तुम रिपोर्ट लिखवा दो संध्या मैं आज से ही कार्यवाही शुरू कर देता हू थोड़ा वक्त जरूर लगेगा मामला काफी पुराना है लेकिन जो भी जानकारी मिलती है मैं तुम्हे बताऊंगा....

संध्या – ठीक है , अच्छा तुम्हारी लाइफ कैसी चल रही है बीवी बच्चे कैसे है तुम्हारे....

राजेश –(मुस्कुरा के) मैने अभी तक शादी नही की.....

संध्या – अरे ऐसा क्यों तुम तो किसी लड़की से प्यार करते थे ना और हम सब समझ रहे थे तुम उससे शादी करोगे तो फिर....

राजेश –मैं जिससे प्यार करता था उसकी शादी किसी और से हो गई और मैं उसे अपने प्यार का इजहार तक नहीं कर पाया....

संध्या – ओह और तुम्हारे मां बाप ने कुछ कहा नहीं शादी के लिए तुम्हे....

राजेश – ट्रेनिंग के बाद ड्यूटी ज्वाइन की उसके कुछ समय बाद रोड ऐक्सिडेंट में मां बाप गुजर गए तब से इच्छा नही हुई मेरी शादी करने की....

संध्या – अकेले जिंदगी नही गुजरती है राजेश....


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राजेश – (संध्या को गौर से देख के) हा सही कहा तुमने मुझे भी लगने लगा है ऐसा....

बोल के चली गई संध्या पीछे राजेश संध्या को जाते हुए देख...


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राजेश –(मन में– आज भी वही लचक बरकरार है जो कॉलेज के वक्त हुआ करती थी और अब तो किस्मत भी तेज है मेरी और रास्ता भी साफ है मेरा आज संध्या अकेली है बिल्कुल एक साथी की जरूरत पड़ेगी जो उसे भी कोई बात नही संध्या रानी तेरी जवानी को संभालने के साथ हवेली और उसमे रखी दौलत को भी संभाल लूगा)(बोल के मुस्कुराने लगा)...

इस तरफ संध्या कार चला रही थी तब चांदनी बोली...

चांदनी – तो आप दोनो जानते हो एक दूसरे को....

संध्या – हा हम कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे....

इससे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी उसका फोन बजने लगा देखा तो सायरा का कॉल था...

चांदनी – (कॉल रिसीव कर) हा सायरा....

सायरा – सब ठीक है ना....

चांदनी – हा यहां सब ठीक है क्यों क्या हुआ.....

सायरा – अभय से कल कोई बात हुई है क्या तुम्हारी या कुछ बताया है क्या उसने तुम्हे.....

चांदनी – नही ऐसी तो कोई बात नही है सायरा लेकिन बात क्या है.....

सायरा – कल शाम से देख रही हू अभय जाने कहा खोया हुआ था कितनी बार नाम लेके पुकारा लेकिन उसने सुना तक नही (और जो बात हुई सब बता के) खाना जैसे रख के गई थी वैसे का वैसा पड़ा हुआ है उसने छुआ तक नहीं है खाना कल रात से.....

चांदनी –कल रात को बात हुई थी ठकुराइन की अभय से ऐसा कुछ लगा तो नही उसकी बात से....

सायरा – पता नही चांदनी आज सुबह भी मिला नही मुझे चाय तक नहीं पी....

चांदनी – ठीक है मैं बात करती हू अभय से.....

बोल के कॉल कट कर दिया तभी संध्या बोली...

संध्या – क्या बात है चांदनी क्या बात बता रही थी अभय के लिए.....

चांदनी – (जो बात हुए सब बता के) मुझे मिलना पड़ेगा अभय से अभी जरूर कोई बात है वही मैं सोचू कल अचानक से आपसे इतनी आराम से बात कैसे की जरूर कुछ बात पता चली होगी अभय को , मौसी आप मुझे हॉस्टल में छोड़ दीजिए अभय से मिल के आती हू वापस मैं....

संध्या – चांदनी अगर तुम बोलो तो मैं भी साथ चलू तुम्हारे....

चांदनी – आप परेशान मत हो मौसी मैं मिल लू अकेले उससे वापस आके बताऊगी बात आपको.....

इसके बाद संध्या ने हॉस्टल की तरफ कार मोड़ ली जबकि इस तरफ जब संध्या गांव की बैठक से जाने के बाद रमन और सरपंच शंकर आपस में बात कर रहे थे...

शंकर (सरपंच) – ठाकुर साहब इतने साल तक आपने जो कहा जैसे कहा मैने वैसा ही किया लेकिन आज ये सब हो रहा था लेकिन आपने कुछ नहीं बोला क्यों.....

रमन – ठकुराइन को मुझ पर शक हो गया है.....

शंकर (सरपंच) – शक आप पे क्यों मजाक कर रहे हो ठाकुर साहब.....

रमन – ये मजाक नही सच है जब से वो लौंडा आया है गांव तब से ही सब गड़बड़ हो रही है पहले तो उस लौंडे ने आते ही सारी जमीन गांव वालो को वापस दिलवा दी फिर ना जाने क्या बात की उसने उस औरत से उसका दिमाग फिर गया साली उस कल के आए लौंडे को अपना बेटा अभय समझ ने लगी है और ना जाने कहा कहा से गड़े मुर्दे उखाड़ने लगी ये औरत , तब से मेरा तो जीना दुश्वार हो गया है इस लौंडे की वजह से साले को मरवाने के लिए मुनीम के साथ लठ हरे गए थे कोई वापस नहीं लौटा और मुनीम का अभी तक पता नही चला जाने कॉन से बिल में छुप गया है.....

शंकर (सरपंच) – कही वो सच में अभय ठाकुर तो नही , जो भी हो ठाकुर साहब बेइजत्ती पूरे गांव के सामने हुई है मेरी इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा ठकुराइन को.....

रमन – बेवकूफी वाली बात मत कर तू कुछ करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मैं लेकिन मैं चुप हू इसीलिए क्योंकि बाजी अभी पूरी तरह से निकली नही है हाथ से मेरे समझा और तू गलती से भी ऐसा वैसा कुछ करने की सोचना भी मत वैसे भी उस औरत का दिमाग फिरा हुआ है मैं नही चाहता की काम और बिगड़ जाए बस तू चुप रह कुछ वक्त मैं कुछ करता हू जल्द ही इस लौंडे का साथ में इस औरत का भी....

जब ये दोनो आपस में बात कर रहे थे उसी वक्त कोई था जो कान लगा के इनकी बातो को गौर से सुन रहा था रमन और शंकर के जाते ही वो निकल के अभय के पास चला गया जो राज के साथ बाते कर रहा था...

राज –(अभय से) यार ये चमत्कार कैसे हो गया आज तो ठकुराइन सच में वही पुरानी ठकुराइन बन के आई यहां पर.....

अभय – चमत्कार तो हुआ है लेकिन तेरे लिए सीधे बोल ना अब तो तू दीदी के साथ वक्त बिता पाएगा अच्छे तरीके से क्यों क्या बोली ठकुराइन तेरे से कान में....

राज –(हल्का मुस्कुरा के) यार ठकुराइन मौके का फायदा उठाने को बोली है ताकि तुझे साला बना दू जल्दी से....

अभय – ओय मेरी दीदी है वो समझा शराफत से रहना उसके साथ......

राज –(स्टाइल से) जनता हू बे वो तेरी दीदी है और मेरी होने वाली बीवी भी साथ में इकलौता साला भी बोनस में मिल रहा है अब कैसे इस मौके को छोड़ दू भाई.....

अभय – साला सुधरेगा नही तू.....

राज – अबे साला तो तू है मेरा होने वाला और जब इतनी खूबसूरत की देवी साथ हो तो कॉन सुधरने की सोचेगा बे तू एक काम कर कल से पायल के साथ वक्त बीताना तू मैं तो फ्री होने से रहा अब....

राज की बात पर अभय हसने लगा साथ में राज भी तभी राजू दौड़ते हुए उनके पास आया...

राजू – अबे तुम दोनो यहां हस के बाते कर रहे जो और वहा वो साला शंकर (सरपंच) और रमन दोनो बाते कर रहे है....

राज – बाते तो करेगे ही वो इतना बड़ा भूकंप जो आ गया है उनकी जिदंगी में आज लेकिन तू हाफ क्यों रहा है क्या बात है.....

फिर रमन और सरपंच के बीच जो बात हुई सब बता दी राजू ने राज और अभय को जिसे सुन के...

राज – ये मादरचोद अपनी मइयत को बुला रहा है बिना मतलब के अभी जाके इसकी खबर लेता हू मै.....

बोल के गुस्से से राज जाने लगा तभी अभय ने राज का हाथ पकड़ लिया बोला....

अभय – जो बादल गरजते है वो कभी बरसते नही है भाई तू उनकी चिंता छोड़ आज जो हुआ वो तो सिर्फ शुरुवात थी अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है उसके साथ वैसे भी आज बहुत खुशी का दिन है गांव वालो के साथ बड़ी मां के लिए वो देख कैसे सब बड़ी मां को घेरे बैठे है अभी से अब तो तेरी भी जिम्मेदारी बड़ गई है तुझे भी देखना है गांव वालो को भी बड़ी मां के साथ चल मै निकलता हू यार तुम दोनो यहां संभालो शाम को मिलता हू....

राज – सुन तू आज रात घर में आजा खाना साथ में खाते है मां तुझे बहुत याद कर रही है.....

अभय – ठीक है आता हू रात में.....

बोल के हॉस्टल निकल गया अभय हॉस्टल में आने के कुछ समय बाद चांदनी आई अभय के पास...

अभय – अरे दीदी आप इस वक्त आपका तो आज का शिड्यूल काफी बिजी था अचानक आप यहां पर....

चांदनी – कल क्या हुआ था अभय तूने बताया नही और ना ही तूने ये बताया कि तू खंडर में गया था अब मुझसे छुपाने भी लगा है तू क्या बात है आखिर चल क्या रहा है तेरे दिमाग में बता जरा मुझे....

अभय – दीदी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही चल रहा है बस मौका नहीं मिला बात करने का मुझे आपसे....

चांदनी – चल ठीक है अब बता पूरी बात मुझे.....

फिर अभय ने खंडर से लेके कल जो भी हुआ सब बता दिया चांदनी को जिसे सुन के....

चांदनी – तो तुझे नही पता था कि ठकुराइन के जन्मदिन का....

अभय – पता था दीदी.....

चांदनी – खंडर के आस पास भी नहीं भटकेगा तू अपने दिमाग में बात गांठ बांध ले रही कल की बात मैं ठकुराइन को सब बता दुगी बात.....

अभय – क्या लगता है आपको दीदी कोई फायदा होगा....

चांदनी – क्या मतलब है तेरा....

अभय – क्या पता रमन का चक्कर कितनो के साथ हो और ना जाने कितने नाजायज बच्चे होगे उसके गांव में या बाहर भी कोई भरोसा नहीं उसका दीदी....

चांदनी –(अभय की बात सुन के) तो क्या चाहता है तू....

अभय – मत बताओ उसे ये सब बात के बारे में आप रमन की असलियत जब सामने आएगी अपने आप तब बताना आप की सच क्या है और झूठ क्या है कम से कम खुद से तो असलियत पता करे वो भी....

चांदनी – ठीक है परसो आ रहा है तू हवेली में....

अभय – देखता हू दीदी....

चांदनी – मैने पूछा नही है तेरे से बोला है बस आने के लिए समझ गया....

अभय – (झल्लाके) दीदी आप हर बार उनकी साइड क्यों लेते हो कभी कभी सोचता हू गलती कर दी मैने यहां आके जब से आप उस हवेली में रहने गए हो एक अजीब सा डर लगा रहता है मुझे.....

चांदनी – डर कैसा डर लगता है तुझे....

अभय – कही वो औरत अपने जैसा ना बना दे आपको इसी बात का डर दीदी 1% का भरोसा नही है मुझे उस की हरकतों पे जो औरत अपने बच्चे की चिंता छोड़ बंद कमरे में अपने यार के साथ....

इतना ही बोला था अभय ने के तभी चांदनी ने एक चाटा लगा दिया CCCCHHHHHAAAAATTTTTAAAAAKKKKK.....

चांदनी – (गुस्से में) तमीज से बात कर अभय क्या यही सीखा है तूने हमारे साथ रह कर ये बात अगर मां को पता चलेगी तो क्या बीतेगी उसपे सोचा है तूने कितना मानती है तुझे जब भी बात करती हू मां से पहला सवाल तेरे लिए ही होता है उनका और तू...देख अभय जरूरी नहीं जो दिखता हो वही सच हो....

अभय – (अपने गाल पे हाथ रख के) मुझे कोई प्राब्लम नही है दीदी आपने हाथ उठाया मुझपे प्रॉब्लम आपके वहा पर रहने से है मुझे बस एक बार नही हजार बार उठा लो हाथ आप मुझ पर जब तक आप वहा पर रहोगे ये डर बना रहेगा मेरे जहन में....

चांदनी –(अभय के सिर पर हाथ फेर के) जैसा तू सोच रहा है अभय उससे पहले मैं मरना पसंद करूंगी.....

अभय – आज बोल दिया आपने दोबारा सोचना भी मत इस बारे में दीदी वर्ना उस हवेली को कब्रिस्तान बना दुगा मैं , मेरे लिए वो मायने नहीं रखते इस दुनिया में दो लोग है मेरे अपने एक आप और मां और कोई नही है मेरा आप दोनो के सिवा....

चांदनी – (मुस्कुरा के) चल ज्यादा डायलॉग मत मार मेरे सामने , अभय दुनिया में हर किसी को एक मौका जरूर देना चाहिए अपने आप को साबित करने का बाकी जैसा तुझे ठीक लगे वो कर , चलती हू (मुस्कुरा के) परसो टाइम से आ जाना.....

बोल के चली गई चांदनी पीछे अभय चांदनी के जाते ही बेड में लेट गया आंख बंद करके जबकि चांदनी बाहर आते ही पैदल जाने लगी हवेली की तरफ रास्ते में अपनी मां को कॉल लगाया.....

चांदनी – (कॉल पर अपनी मां से) कैसी हो मां....

शालिनी – अच्छी हू तू बता क्या हो रहा है.....

चांदनी – कुछ खास नही मां आपके लाडले की सोच और बात पर कभी कभी गुस्सा आता है तो कभी कभी हसी आ जाति है.....

शालिनी –(मुस्कुरा के) अब क्या कर दिया अभय ने....

चांदनी – (जो बात हुए सब बाते बता के) अब आप बताओ मां ऐसा क्या करू जिससे उसकी दिक्कत दूर हो जाए....

शालिनी – तू सच में चाहती है अभय की दिक्कत दूर हो जाए....

चांदनी – हा मां....

शालिनी – तो उसे खुद सच का पता लगाने दे , देख जबतक सच को वो खुद देख , सुन और समझ नही लेता तब तक उसके दिल दिमाग में यही सब चलता रहेगा तू हवेली में है उसे इस बात का डर नहीं है उसका असली डर ये है कि उसे लगता है की तू संध्या की बातो में आजाय फिर कही वो अपनी बात न मनवा ले तुझ से इसीलिए अब से तू अपने कदम पीछे कर ले मत बोल दोनो मां बेटे के बीच में जब तक तेरे पास ऐसा कोई प्रूफ ना हो जिसे दिखा के तू साबित कर सके अभय के सामने की वो संध्या के लिए गलत सोच रहा है....

चांदनी –(हस के) तब तो मां मेरा चुप रहना ही बेहतर रहेगा क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं है और ना मिलेगा कभी....

शालिनी – मैने तुझ से कहा था ना चांदनी ये किस्मत भी अजीब खेल खेलती है एक वक्त था अभय ने गांव जाने से साफ इंकार कर दिया और फिर एक वक्त ऐसा आया जब अभय खुद तयार हो गया जाने के लिए कुछ तो सोच के कुदरत ने खेल खेला है ऐसा दोनो मां बेटे के साथ बस इंतजार कर सही वक्त का.....

चांदनी – ठीक है मां वैसे एक बात और मजे की हुई है अब से ठकुराइन मौसी बन गई मेरी....

शालिनी – (मुस्कुरा के) चलो अच्छा है गांव में मां के रूप में मौसी जो मिल गई तुझे....

चांदनी – आपने राजेश को यहां भेज दिया थानेदार बना के क्या आप जानती है की राजेश कॉलेज फ्रेंड है मौसी का.....

शालिनी – (चौक के) क्या....

चांदनी – हा मां और ये बंदा मुझे कुछ सही नही लग रहा है इसकी वजह से कोई और नई मुसीबत ना आ जाए यहां पर....

शालिनी – मुझे सच में इस बारे में कुछ नही पता था.....

चांदनी – मां ये राजेश जिस नजर से देख रहा था आज मौसी को इसकी नियत सही नही लग रही है मुझे....

शालिनी – अभी तक इसके बारे में ऐसा कुछ सुनने में नही आया है चांदनी अगर तुझे जरा भी दिक्कत लगे बतादेना ट्रांसफर दे दुगी इसको.....

चांदनी – ठीक है मां बाद में बात करती हूं....

इस तरफ हवेली में संध्या हाल के सोफे में बैठ के खाते देख रही थी तभी रमन हाल में आते ही बोला...

रमन –भाभी आपने मुझसे बिना पूछे इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती हो आप....

संध्या –(रमन की बात सुन के) क्या बोलना चाहते हो तुम....

रमन – गांव वालो की समस्या हल करनी थी आपको ठीक है करती लेकिन सरपंच को हटा के किसी और को सरपंच बना दिया आपने एक बार भी आपने मुझसे बात करना जरूरी नहीं समझा....

संध्या – हा सही कहा तुमने मैने जरूरी नहीं समझा क्योंकि जो काम तुम्हे करना था तुमने उसका उल्टा किया बाबू जी ने इस गांव को बसाने के लिए क्या कुछ नही किया उनकी आधी उम्र इस गांव को संवारने में चली गई और तुम क्या कर रहे हो लोगो का भला करने के बजाय उनके जीने का सहारा छीन रहे थे शर्म नही आई ये करते तुम्हे....

रमन – तो मैं कॉन सा उनके पेट में लात मार रहा था भाभी जमीन के बदले उनको काम दे रहा था अपने खेतों में इसमें गलत क्या है.....

संध्या – गलत छोड़ो रमन इसमें क्या सही लगता है तुम्हे उनकी खेती की जमीन छीन के उनको ही गुलाम बनाने जा रहे थे तुम वाह रमन खूब नाम रोशन कर रहे हो तुम ठाकुर खानदान का इसीलिए मैंने ये कदम उठाया है अब और बर्बाद नही होने दुगी अपने गांव को.....

रमन – भाभी मैने कोई बर्बाद नही किया इस गांव को कोशिश की है मैने इसमें बदलाव लाने की लेकिन गांव के लोगो को ये सब समझ कहा जो समझे इसे आधे से ज्यादा लोग गवार है यहां पर......

संध्या – बाबू जी ने इन्ही गवारो के साथ दिन रात एक करके इस काबिल बनाया गांव को की लोग यहां अपना बसेरा बना सके , रमन अब वक्त आ गया है पहले की तरह गांव की बाग डोर अपने हाथ में लेने का अच्छा रहेगा तुम इस सब में मत ही पड़ो , गांव की भलाई के लिए जो करना होगा मैं खुद कर लूंगी रही बात शंकर की उसने अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारी है कम से कम उसे देखना समझना चाहिए था गांव वालो की हालत को सरपंच होने के नाते इसीलिए मैंने नए सरपंच का चुनाव रखा था......

बोल के संध्या चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि पीछे खड़ा रमन को बाजी उसके हाथ से पूरी तरह से निकलती नजर आ रही थी शाम होने को आई लेकिन इस तरफ अभय आज आराम नही कर पाया जब से अभय ने रमन और उर्मिला की रासलीला देखी है


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उसके दिमाग में बस वही ख्याल आ जा रहा था बेड में लेता अभय छट को देखे जा रहा था उसे अहसास तक नही हुआ कब सायरा कमरे में आ गई चाय लेके अभय के लिए......

सायरा – (अभय को देख के) क्या बात है अभय कहा खोए हुए हो तुम.....

अभय –(खयालों से बाहर आके) कही नही यार बस कुछ याद आगया था उसी ख्याल में खोया हुआ था.....

सायरा – अच्छा जरा हमे भी तो बताओ उस ख्याल के बारे में....

अभय – (मुस्कुरा के सायरा को उपर से नीचे देख के) फिर कभी बताओगा अभी मुझे तयार होके दोस्त के घर जाना है वही खाना है मेरा रात का....

सायरा – ओह ठीक है लेकिन रात में वापस आके मुझे बताना जरूर ख्याल के बारे में अपने.....

अभय –(सायरा की बात सुन के) तुम रात में यही रुकोगी क्या....

सायरा – हा आज से यही रहना है मुझे तुम्हारे बगल वाले रूम में , हा अगर तुम चाहो तो मेरे रूम में सो सकते हो कूलर लगाया है मैने आज उसमे....

अभय – मेरे होने से तुम्हे दिक्कत नही होगी कमरे में क्योंकि एक बेड में कैसे सो सकते है दो लोग....

सायरा – होने को कुछ भी हो सकता है अभय बस तरीका आना चाहिए....बोल कर अपनी कमर मटकाते हुए निकल गई सायरा....

अभय –(सायरा की मटकती कमर को देख) कमाल की चीज है ये भी (अपना सिर झटक के मन में) धत तेरे की जाने क्यों बार बार वही ख्याल आ रहा है मुझे संभाल अभय खुद को तेरी रानी क्या सोचेगी अगर उसे पता चल गया इस बारे में बच के रह इन सब से....

तयार होके निकल गया राज के घर अभय घर में आते ही स्वागत गीता देवी ने किया.....

गीता देवी – (अभय को देख के) आ गया तू आजा बैठ और बता कैसा है तू....

अभय – अच्छा हू बड़ी मां आप बताओ आज तो बहुत बड़ा दिन है आपके लिए....

गीता देवी – कहा अभय ये काम तो रोज का है मेरा पहले हम औरते मिल के आपस में अपनी अपनी समस्या को मिल के हल करते थे अब खुल के समस्या का हाल निकालेगे.....

अभय – मुझे पता है बड़ी मां आपके होते देखना जल्द ही गांव पहले की तरह हरा भरा दिखने लगेगा....

गीता देवी – (अभय की बात गौर से सुन मुस्कुरा के) अच्छा जरा सच सच बता तूने संध्या को राजी कैसे किया इस बारे में.....

अभय – (चौक के) ये आप क्या बोल रहे हो बड़ी मां भला मैं कहा से आ गया बीच में इन सब में.....

गीता देवी –(अभय का कान पकड़ के) तेरी बड़ी मां हू मै बचपन से जानती हू तुझे आज संध्या ने जिस तरह से बैठक में खुल के बात कर रही थी सबसे और जाते वक्त संध्या गांव वालो को देख के नही तुझे देख के बोली ,परसो इंतजार करेगी आने का , तभी समझ गई थी मैं ये सब तेरा किया धरा है चल अब बता बात मुझे....

अभय –(मुस्कुरा के) (कल कॉल पर जो बात हुई संध्या से कॉल पर बता दिया ) गांव वालो का ख्याल घूम रहा था मेरे मन में बस बोल दिया उनको शायद तभी ये सब हुआ....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) बिल्कुल अपने दादा की तरह तू भी तेज है किस्से कैसे काम निकलवाना है अच्छे से पता है तुझे , तू परसो जाएगा ना हवेली.....

अभय – हा बड़ी मां....

गीता देवी – एक अच्छा सा तोहफा लेलेंना संध्या के लिए अच्छा लगेगा उसेक....

अभय – हा बड़ी मां तोहफा तो बनता है.....

तभी राज और सत्या बाबू भी आ गए घर में अभय को देख...

सत्या बाबू – कैसे हो बेटा....

अभय – अच्छा हू बाबा मुबारक हो आपको बड़ी मां सरपंच बन गई गांव की....

सत्या बाबू – हा घर के साथ आधे गांव में मानी जाती थी बात तेरी बड़ी मां की अब पूरे गांव मानेगा (गीता देवी से) अरे भाग्यवान जल्दी खाना परोसो खेत में जाना है.....

अभय – बाबा इतनी रात में खेत क्यों जाना है....

सत्या बाबू – फसल काटी गई है बेटा इक्कठा हो गई है उसे भी देखना है ना कही कोई चुरा ना ले वर्ना बैंक का कर्ज कैसे चुका पाएंगे....

अभय – (चौक के) बैंक का कर्ज....

सत्या बाबू – हा बेटा धर्म पत्नी से वादा किया था की घर को बड़ा और पक्का बनवाओगा इसीलिए मैंने बैंक से 15 लाख का कर्ज लिया था अब E M I तो देनी होगी ना....

अभय – बाबा इस उम्र में रात में फसल की पहरेदारी करना ठीक नहीं अब कितना बचा है कर्ज बताओ मैं चुका देता हू....

सत्या बाबू – अरे नही नही बेटा जिम्मेदारी और डर लोन को पूरा करने की हिम्मत देती है हमे बे वक्त मरने की वजह से मिडल क्लास पर जो कलंक लगता ही वो काफी है हमे जिंदा रखने के लिए....

सत्या बाबू की बात सुन अभय देखे जा रहा था सत्या बाबू को जिसे देख बोले...

सत्या बाबू –(अभय को) क्यों क्या हुआ...

अभय – (हल्का हस के) बाबा की याद आ गई , जैसे वो गांव वालो की मदद किया करते थे....

सत्या बाबू –(अभय की बात सुन) हा बेटा उन्होंने जो किया था गांव के लिए उसका कर्ज कोई नहीं चुका सकता है , (अभय के गाल पे हाथ रख के) तुम भी उनकी राह पे चलना बेटा कम से कम उनकी आत्मा को शांति मिले....

गीता देवी – खाना तयार है....

सबने साथ मिल के खाना खाया फिर अभय सभी से विदा लेके निकल गया हॉस्टल की तरफ अपने कमरे में आते ही अभय बेड में लेट गया और सत्या बाबू के साथ की बात के बारे में सोचने लगा सोचते सोचते कब नीद आ गई उसे पता नही चला सुबह हुई उसके साथ अभय उठ के वॉक पर निकल गया वापस आके सायरा से मिला...

सायरा –(चैन देते हुए अभय को) कल रात में कब आए तुम बताया नही मुझे....

अभय –(चाय लेके) रात में आते ही सो गया था ध्यान नही रहा मुझे...

सायरा – (मुस्कुरा के) ठीक तुम तयार हो जाओ मैं नाश्ता तयार करती हू...

अभय तयार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज आते ही पायल से मुलाकात हुई...

पायल – कल कहा था तू गांव की बैठक में दिखा ही नही...

अभय – मैं आया था लकी थोड़ा देर से वहा पर भीड़ इतनी थी कुछ पता ही नही चला तू सुना कुछ...

पायल – मैं ठीक हू तू कल हवेली चलेगा साथ में सबके....

अभय – हा जरूर चलूगा लेकिन तू भी साथ होगी हमारे....

पायल – मां और बाबा के साथ जाओगी फिर तेरे साथ कैसे....

अभय – कोई बात नही रहेंगे तो साथ ही न हवेली में हम...

पायल – सो तो है....

अभय – आज बाकी के लोग कहा है दिख नही रहे है....

पायल – (एक तरफ इशारा करके) वो देख राजू और नीलम लगे है आपस में और वहा देख लल्ला को कैसे निधि को देके जा रहा है दोनो आखों से एक दोसर को इशारा कर रहे है कैसे देख...

अभय – (जैसे ही लल्ला को देखा बोला) ये रमन की बेटी है निधि ये तो अपने भाई की तरह है ये कैसे....

पायल – प्यार ऐसा ही होता है अभय कब किसे किसके साथ हो जाय पता नही चलता...

कॉलेज के एक तरफ खड़ा अमन अपने दोस्तो के साथ देख रहा होता है पायल जो अभय के साथ खड़ी हस के बाते कर रही थी जिसे देख....

अमन का दोस्त – (अमन से) अमन तू तो बोलता था पायल को अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा लेकिन यार ये तो किसी और लड़के के साथ लगी पड़ी है...

दूसरा दोस्त – हा अमन उस दिन कैसे इस लड़के को सबके सामने किस कर रही थी पायल साला शहरी लौड़ा पक्का लगता है लड़कियों को मामले में आते ही इस गांव की सबसे खूबसूरत लड़की पे हाथ साफ कर लिया इसने...

अमन –(अपने दोनो दोस्तो की बात सुन गुस्से में) ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा ये सब देखना कैसे मैं इन दोनो को अलग कर दुगा एक दूसरे से जल्द ही फिर पायल सिर्फ मेरी बाहों में होगी हमेशा के लिए (अपने बगल में खड़ी लड़की से) पूनम (सरपंच की बेटी) एक काम है तेरे से (धीरे से कान में कुछ बोलने लगा जिसे सुन)...

पूनम –(मुस्कुरा के) ठीक ही कल हो जाएगा...

बोल के हसने लगे ये सब जबकि इस तरफ अभय और उसके सब दोस्त एक साथ आ जाते है तब अभय बोला...

अभय –(लल्ला से) क्यों बे तेरा चक्कर कब से चल रहा है निधि के साथ...

लल्ला –(अभय की बात सुन चौक के) तुझे कैसे पता चला बे...

राजू और राज –(अभय और लल्ला की बात सुन एक साथ) क्या तेरा चक्कर उसके साथ है....

राज –(राजू से) क्यों बे तू तो अपने गांव का नारद मुनि है बे तेरे को भी नही पता था....

राजू –(चौक के) नही यार मैं खुद हैरान हू सुन के साला मुझे पता कैसे नही चला इस बारे में...

राजू –(लल्ला से) क्यों बे कब से चल रहा है ये सब और हम कब पता चलने वाला था बात का बता जरा...

लल्ला – (शर्मा के) यार वो बस हो गया यार प्यार निधि से...

राज –अबे मजनू तू जानता है ना निधि और उसका भाई अमन कैसे है क्या पता वो प्यारा करती होगी की नही तेरे से...

लल्ला – भाई करती है प्यार वो भी...

राजू – (सिर में हाथ रख के) हाय मोरी मईया ये क्या हो रहा है यह पे (राज और अभय से) भाई अब तो मुझे डर लग रहा है इसकी बेवकूफी के लिए क्या होगा इसका अब...

लल्ला – अबे जैसा तुमलोग समझ रहे हो वैसी कोई बात नही है वो बहुत अच्छी लड़की है हा पहले वो अपने भाई की तरह थी लेकिन अब नही अमन और रमन जैसे कोई गुड़ नहीं है उसमे भाई लोगो...

अभय – अबे बात यहां पे ये नही है की। वो कैसे है बस तेरी फिक्र है कही प्यार के नाम पर तुझे धोखा न दे रही हो समझा...

लल्ला – अच्छा तो बताओ कैसे यकीन दिलाऊं तुमलोग को बात का...

राज – तू निधि से अकेले में कब मिलता है बता...

लल्ला – संडे को जब वो अपनी सहेलियों के साथ बगीचे में घूमने आती है...

राजू – (बात सुन के) ओह तो संडे को ये काम करता है तू और हमे बोल के जाता है खेती देखने जा रहा हू बाबा अकेले होगे उनकी मदद करनी है साला ये मदद करने जाता है तू...

अभय –(बात सुन हस्ते हुए) वालो ठीक है इस संडे को हम भी साथ होगे तभी पता लगाएंगे सच का तेरे...

बोल के सब हस्ते हुए जाने लगते है क्लास में सिर्फ लल्ला को छोड़ के जिसे समझ नही आया सबकी हसी का मतलब कॉलेज खतम होने के बाद अभय बोला पायल से...

अभय – पायल कल शाम को चलोगी घूमने...

पायल – अरे कल तो हवेली में जाना है ना फिर कैसे...

अभय – दिन में जाना है ना शाम को नही ना....

पायल –(मुस्कुरा के) ठीक है बगीचे में कल शाम को पक्का...

बोल के दोनो निकल गए लेकिन कोई था जो इन दोनो को बात सुन के एक कुटिल हसी हस रहा था
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जारी रहेगा✍️✍️
Super update Bhai
 

prem908

New Member
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Bhai kisi ki nahi suno apna likho jisko aap se jada acha likhna aata ho wo apni kahani ja kar likhe aap bhot acha likh rahe ho Abhoy hi hero hai aur Sandhya heroine maa ko beta hi ho kar rakhna maa ko kisi ke bolne se randi jaisa ssb se na chodwane lagna 🙏 plzz
 
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