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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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एक बात तो समझ में आ गई की राज शर्मा की वजह से चांदनी का चरित्र राज की तरफ किया गया ह और रही बाकी स्टोरी मस्त ह स्टोरी का किरदार दोस्तों की तरह से किया जा रहा ह 🤣🤣🤣
Thank you sooo much Redhu420
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Update posted
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Sach hi bolunga bhai aap story ko bahut hi khubsurati se likh rahe hai shayad hi koi aur writer is tarah se likh pata mai kisi writer ki bejjeti ni kar raha lekin sach me aapne Dil khus kar diya bhagwaan se dil dua karunga ki aap isi tarah se achi achi story likh ke ham readers ka manoranjan karte rahe bahut bahut dhanyawad aur shubhkamnaye aapko.....agle update ka besabri se intjar
Thank you sooo much rj143
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Latest update posted bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bhai ek sawal tha mera aapne iss story mein jo 2 lead character hai unka characterisation bahut gazab ka kiya hai wo bahut badhiya laga maza aa gaya aur aapne iss story ko incest section mein bhi rakha hai aur jo iss story ki second lead hai ussko Hero ke friend se set karwa rahe ho ye samajh nahi aaya thoda betuka sa laga aisa laga jaise aap apne iss story ka kichdi paka rahe ho ye plot ek dum samajh se pare hai agar ho sake to Isska karne ka reason explain kijiyega Dhanyavaad
Thank you sooo much sobby3 bhai
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Bhai kya karo her bar kahani me yhe dekha hai ki ki behen bhi Hero ke sath rehti hai bus Mai e is bar change ker dia
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Readers ki bus ek demand rhe hai mujhse ki story mai apne hisaab se likho na ki her kisi ki ichha poori karta rhoo
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Rahul Chauhan

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UPDATE 32


लड़का – ये कुल्हाड़ी लेके कहा जा रहे हैं....

अभय –(अपने सामने राज और साथ में कुछ लोगो को देख) तुम यहां पर...

राज –हा भाई वो हवेली में ठकुराइन ने पायल और काका काकी (मां और पिता)को अपने साथ बैठाया था बस ठकुराइन से विदा लेके घर जा रहे थे हमलोग , तू बता ये कुल्हाड़ी का क्या करने जा रहा है...

अभय – (कुल्हाड़ी को साइड में रख) वो सामने पेड़ में टंगी हुई थी नीचे पानी में ना गिर जाए इसीलिए यहा साइड में रखने जा रहा था...

राज – (पायल और उसके मां बाप से) अच्छा काका काकी पायल आप घर निकलो शाम हो रही है आराम करो कल मिलते है....

बोल के पायल अपने मां और पिता के साथ जाने लगी तभी पायल पीछे मुड़ के अभय को अपने एक कान पकड़ के हाथ हिला के इशारे से सौरी बोला जिसे समझ के अभय ने इशारे से सिर हिला के ठीक है कहा जिसके बाद पायल मुस्कुराते हुए चली गई तभी...

अभय – (राज से) तो तेरा मतलब है तुम लोग हवेली से आ रहे हो सीधे...

राज –अबे हा यार तू बार बार क्यों पूछ रहा है एक सवाल को...

अभय –अगर पायल तेरे साथ थी तो वहा कॉन है...

राज –(चौक को) कहा कौन है किसकी बात कर रहा है तू यार...

अभय –(बगीचे वाले कमरे पर इशारा करके) उस कमरे में कौन है फिर...

बोल के अभय जाने लगा कमरे की तरफ तभी राज बोला...

राज –(अभय का हाथ पकड़ के) हुआ क्या है भाई क्या बात है पहले बता मुझे...

अभय –(जो कुछ देखा वो बता दिया) समझ नही आ रहा है मुझे कॉन है अमन के साथ...

राज –(अभय को गौर से देख) तो तू कुल्हाड़ी रखने नही उसे लेके मारने जा रहा था अमन और उस लड़की को...

अभय – हा, लेकिन अब जानना है कौन है वो..

राज – (कुछ सोच के अभय का हाथ पकड़ के) चल मेरे साथ तू...

अभय – अबे कहा ले जा रहा है भाई कमरा वहा पर है...

राज –बस चुप कर और साथ चल मेरे कुछ दिखता हू तुझे....

बोल के अभय को अपने साथ कमरे की उलटी दिशा में ले जाके एक पेड़ के पीछे छुप गया राज अपने साथ अभय को लेके...

अभय –तू यहां क्यों लाया है मुझे...

राज –यही छुप के बस देखता रह उस कमरे की तरफ पता चल जाएगा तुझे....

जैसा राज ने बोला था अभय को ठीक वैसा ही हुआ 15 से 20 मिनट के बाद कमरे का दरवाजा खुला अमन निकला और तभी वो लड़की निकली जिसने पायल के जैसे कपड़े पहने थे जिसे देख...

राज और अभय –(एक साथ) पूनम...

राज – (चौक के) ये तो उर्मिला की बेटी है और इसने बिल्कुल पायल के जैसे कपड़े पहने हुए है (अभय को देख)इसका मतलब अमन इसके साथ कमरे में और तू इसको पायल समझ के मारने जा रहा था...

अभय –(हा में सर हिला के) क्यों कर रहे है ऐसा ये लोग...

राज –(अभय की बात को बीच में काट के) वो इसीलिए कर रहे है ऐसा क्यों की रमन की तरह उसका बेटा अमन भी तेरी खुशी बर्दश नही कर पाया है यही खेल दस साल पहले रमन ठाकुर ने खेला था तेरे साथ और दस साल बाद उसके बेटे ने भी वही काम किया तेरे साथ आज अगर पायल वक्त पर तेरे सामने ना आती तो तू उन दोनों को मार देता बिना ये जाने की वो पायल है या कोई और...

अभय – (राज की बात सुन) ये तू दस साल पहले वाली बात क्यों बोल रहा है तुझे क्या पता उस बारे में मैने देखा है वो सब अपनी आखों से राज झूठ नही था वो...

राज –अच्छा अपनी आखों से देखा था तूने दस साल पहले तो जरा बता ठकुराइन के कपड़े देखे थे तूने क्या शकल भी देखी थी तूने...

अभय –(राज की बात सुन सोच मे पड़ गया फिर बोला) तूझे कैसे पता ये बात...

राज –क्योंकि जहा हम अभी खड़े है दस साल पहले मैं यही पर खड़ा होके सारा तमाशा देख रहा था साथ में तुझे भी देखा था मैने (एक तरफ इशारा करके) वो देख कमरे की पीछे वाले पेड़ पे छुप के देख रहा था ना उस दिन मैंने तुझे भी देखा था और जनता है रमन के साथ वो औरत कॉन थी...

अभय – (आखें बड़ी करके) कॉन थी वो औरत...

राज –उस दिन वो औरत और कोई नही उर्मिला थी सरपंच की बीवी जिसे रमन ठाकुर ही लेके आया था ठकुराइन के कपड़े पहना के ताकी तू देखे और समझे की वो ठकुराइन है कितनी आसानी से उसने अपने जाल में फसा दिया तुझे , रमन तेरी नजरो में ठकुराइन को गिराना चाहता था और कामयाब भी हो गया वो...

राज की बात सुन अभय के दिमाग में दस साल पहले की तस्वीरे घूमने लगी बगीचे वाली जिसे याद कर....

अभय – (पुरानी बात याद करके) (मन में – जब मैं हवेली से निकला तब ठकुराइन गांव की खेती का खाता बही बना रही थी उसके बाद बगीचे में रमन के साथ मतलब वो इतनी जल्दी कैसे आ सकती है तो फिर उस रात में)...

राज –(सोचते हुए अभय को बीच में ही कंधे पे हाथ रख के) कहा खो गया भाई तू...

अभय – कही नही यार वो...राज –(बीच में) देख अभय हो सकता है तुझे लग रहा हो मैं झूठ बोल रहा हू लेकिन जरा सोच मुझे झूठ बोल के मिलेगा भी क्या हा अगर फिर भी तुझे शक हो रहा है तो मैं अपनी मां की कसम खा के बोलता हू जो भी बोला मैने उसका एक एक शब्द सच है...

अभय –(अपना माथा झटक के) तुझे कसम खाने की जरूरत नहीं है राज मुझे तुझपे पूरा यकीन है जनता हू तू मुझ से कभी झूठ नहीं बोलेगा...

राज – चल छोड़ ये बात पायल रास्ते में बोल रहीं थी मेरे से तुझे मिल के बता दू पायल क्यों नही आपारही है मिलने तेरे से लेकिन तू रास्ते में मिल गया अब अपने मन को शांत कर हवेली जा रहा है ना तू...

अभय –हा वही जा रहा हू यार...

राज – ठीक है आराम से जा हवेली मिल सबसे आराम से बात करना चल चलता हू भाई बहुत थक गया हू घर जाके आराम करूंगा मैं...

बोल के अभय से विदा लेके राज निकल गया अपने घर और पीछे...

अभय –(मन में सोचते हुए – इसका मतलब उस दिन जो कुछ हुआ वो धोखा था ताकि मैं नफरत करने लगूं ठकुराइन से तो क्या सच में ठकुराइन वैसी नही है जैसा मैं समझ रहा हू लेकिन रमन ऐसा क्यों कर रहा था आखिर क्यों मेरी नजरो में गिराना चाहता था ठकुराइन को दोनो बाप बेटे मिलके रोज मार खिलवाते थे ठकुराइन से फिर ये क्यों किया रमन ने मेरे साथ क्या हासिल करना चाहता था रमन या फिर उसने कुछ हासिल कर लिया और मैं समझ भी नही पाया अभी तक अगर ये सारी बात सही भी मान लूं मैं तो हवेली में उस रात जो मैने देखा वो क्या था कही वो भी उस रमन की चाल तो नही लेकिन उसे कैसे पता होगा कि मैं ये सब देखूगा कमरे के बाहर से) साला एक पहेली सुलझती नहीं है दूसरी कोड़ बन के सामने आ जाति है...

सोचते हुए अपने आप से बाते करते हुए अभय चलता गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या की आखें हवेली के दरवाजे को ताक रही थी अभय के इंतजार में...

ललिता –(संध्या की बेसब्री को देख) दीदी वो आजाएगा आप कब तक खड़े रहोगे बैठ जाओ आप....

संध्या – (हवेली के दरवाजे को देखते हुए) जाने कब आएगा वो और इंतजार नही हो रहा मुझसे...

रमन –(पास में ही खड़ा ललिता और संध्या की बात सुनके) जाएगा भी कहा वो भाभी जिसे पकी पकाई थाली हाथ में मिल रही हो उसे कैसे कोई छोड़ सकता है भला...

संध्या –(रमन की बात सुन गुस्से में) मैने पहले भी कहा है फिर कहे देती हू रमन अगर उसके सामने ऐसी वैसी कोई बात हुई तो मुझसे बुरा कोई नही होगा अच्छा यही रहेगा तू चुप चाप अपना काम कर मेरे मामले में टांग अड़ाने की कोई जरूरत नहीं है तुझे...

संध्या की बात सुन अपने दात पीसते हुए कमरे में चला गया रमन कुछ वक्त के बाद अचनक से संध्या के चेहरे पर मुस्कान आ गई अपने सामने अभय को हवेली के अन्दर आते हुए देख तेजी से भागते हुए अभय के पास चली गई संध्या को भागता देख मालती , ललिता , चांदनी , शनाया , अमन और निधि भी तुरंत ही देखने के लिए भर निकले जहा अभय को सामने आता देख जहा अमन गुस्से में देख रहा था और निधि नॉर्मल रही वही मालती , ललिता , चांदनी और शनाया के चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन संध्या को इस तरह अभय के पास तेजी से जाता देख शनाया की आखें सिकुड़ गई थी कुछ सोच के....

संध्या –(अभय के पास जाके) तू आ गया कब से तेरा इंतजार कर रही थी आजा...

बोल के संध्या ने अभय का हाथ पकड़ हवेली के अन्दर ले जाने लगी और अभय भी किसी आज्ञा कारी रोबोट की तरह चलने लगा संध्या के साथ अन्दर आते ही अभय को सोफे पे बैठा के खुद बगल में बैठ गई साथ में सभी बैठ गए.....

संध्या –कैसे हो तुम...

अभय –अच्छा हू....

संध्या – आज दिन में खाना बहुत अच्छा बनाया था तुमने हर कोई तारीफ कर रहा था खाने की...

अभय –(मुस्कुरा के चांदनी दीदी को देख) शहर में कभी कभी मां के साथ खाना बनाने में मदद करता था खाना बनाते बनाते मां से सिख गया खाना बनाना….

अभय को बात सुन कुछ पल के लिए संध्या की हसी जैस थम सी गई जबकि अभय की बात सुन चांदनी स्माइल कर रही थी लेकिन तभी संध्या को देख चांदनी ने बात को बदल बोली...

चांदनी –क्या पीना चाहोगे चाय ठंडा...
अभय –सिर्फ पानी बहुत प्यास लगी है...

अभय के बोलते ही संध्या तुरंत अपने बगल से पानी का भरा ग्लास उठा के अभय को दिया जिसे अभय तुरंत पी गया...

मालती –अरे दीदी वो तो आपका झूठा पानी था...

संध्या –(अभय से) माफ करना मैं जल्दी बाजी में ये हो गया मैं दूसरा लेके आती हू...

मालती –कोई बात नही दीदी आप बैठो मैं लेके आती हू.....

अभय –(संध्या से) काफी जल्दी में है आप कही जाना है क्या आपको....

संध्या –(अभय की बात सुन) नही वो बात नही है वो बस मैं वो तुमने पानी मांगा इसीलिए जल्दी में ध्यान नही रहा मुझे.....

अभय –(मुस्कुरा के) कोई बात नही , वैसे हवेली काफी अच्छी है आपकी हाल का साइज देख के अंदाजा लगा रहा हूं....

अमन –(जो इतनी देर से चुप बैठ के तमाशा देख रहा था) दूर दूर तक शहर में भी ऐसी हवेली नही किसी की भी कोई भी बिजनेस मैन हो या नेता हमारे गांव में आता बाद में है पहले ताई मां से नमस्ते करने आता है , ताई मां की इजाजत के बगैर गांव में कोई नेता चुनाव में खड़ा नही होता जिसे ताई मां चुन लेती है चुनाव के लिए वही जीतता है चुनाव हमारे गांव से...

अभय –(अमन की बात सुन के) ओह ये बहुत अच्छी बात है अगर ऐसी बात है तो उस दिन गांव वाले अपनी जमीन को लेके इतने साल तक क्यों परेशान हो रहे थे जिसमे डिग्री कॉलेज बनने की बात कर रहे थे आपके पिता रमन ठाकुर....

अभय की इस बात से जहा अमन का मू बंद हो गया था वही संध्या गुस्से में अमन को देख रही थी तब संध्या बोली....

संध्या –(बात को संभालते हुए अभय से बोली) मैं कसम से बोल रही हू मुझे सच में उस बारे में कुछ भी पता नही था....

अभय –(मुस्कुरा के) अरे मैने आपको थोड़ी कुछ कहा वो अमन बोल रहा था तभी पूछ लिया मैने सोच के शायद पता हो अमन को इस बारे में (अमन से) आप तो ठाकुर है हवेली के आगे चल के आपको ही सब संभलना है तो इस बारे में आपको भी सोचना चाहिए अमन ठाकुर जहा तक मैने सुना है ठाकुरों ने ही इस गांव को आगे बढ़ाया है अपनी मेहनत से दिन हो या रात गांव वालो की मदद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी उन्होंने मतलब आपके दादा आपके चाचा ने आपको भी कुछ करना चाहिए गांव वालो के लिए ये नही बगीचे में आराम करते रहना चाहिए....

अभय की बात से अमन का मू खुला का खुला रह गया उसे समझ आ गया शायद अभय को उसकी चाल समझ आ चुकी है इसीलिए....

अमन –(संध्या से) ताई मां मैं अपने कमरे में जा रहा हू कॉलेज का वर्क करना है भूल गया था कल दिखाना है जरूरी है....

बोल के तुरंत अमन अपने कमरे में चला गया उसके जाते ही चांदनी सिर नीचे करके है रही थी और साथ में संध्या भी....

अभय –(अमन के जाते ही) अमन काफी तेज है अपने पिता को तरह बहुत प्यार करती है आप अमन से पूरा गांव कहता है अमन लाडला है आपका....

अभय की बात सुन संध्या की हसी जैसे गायब सी हो गई....

जिसे देख अभय बोला....

अभय –आज तो जन्म दिन है आपका पार्टी नही रखी आपने आज और कोई मेहमान नजर नहीं आ रहा है यहां पर...

संध्या –वो मैं कभी मानती नही जन्मदिन अपना ना पार्टी रखती हू कभी बस आज मन हुआ जन्मदिन मनाने का....

अभय – अच्छी बात है वैसे मैने अपना जन्म दिन दस साल से नही मनाया है कभी सच बोलूं तो याद भी नही रखना चाहता हू अपना जन्मदिन लेकिन चाह के भी भूला नहीं जाता है वो दिन दस साल से नही भूल पा राह हू मै....

अभय की बात सुन जहा चांदनी गुस्से से देख रही थी अभय को वही संध्या का सिर नीचे हो गया था जिसे देख....

अभय – हवेली दिखाए मुझे देखू तो कैसी लगती है अंदर से हवेली और उसके कमरे....

बात सुन संध्या और बाकी सब साथ में हवेली दिखाने लगे अभय को संध्या बताने लगी कॉन सा कमरा किसका है फिर एक कमरे में ले गई बोली...

संध्या –ये कमरा मेरे बेटे का है दस साल से उसकी जो चीजे जैसे थी आज भी वही है मेरे इलावा कोई नही आता है यहां पर....

अभय –(अपने कमरे को देख) काफी खूब सूरत है कमरा....

मालती – दीदी इस कमरे की साफ सफाई करती है किसी को आने नही देती यहां पर....

अभय – ओह अपने बेटे को भी नही क्या....बोल के हसने लगा अभय जिसे देख संध्या कुछ बोलती उससे पहले अभय बोला...

अभय – (संध्या से) आपका कमरा कम सा है....

बोल के संध्या अपने कमरे में लेके गई अभय को...

अभय –(कमरे में जाते ही) वाह आपका कमरा तो काफी आलीशान है बिल्कुल जैसे राजाओं का होता है...

बोल के कमरे में चारो तरफ देखने लगा तभी एक जगह नजर रुक गई अभय को जहा पर उसे अपने पिता की तस्वीर दिखी और साथ में कई तस्वीर थी बड़ी छोटी सबको देखते हुए अभय ने एक तस्वीर उठा ली जिसमे उसके पिता मनन , संध्या और अभय की बचपन की तस्वीर थी जिसमे उसके पिता मनन ठाकुर अभय को अपनी गोद में लिए हुए थे बस उस तस्वीर को गौर से देखें जा रहा था अभय तभी ललिता बोली....

ललिता – (संध्या से) दीदी कोई मिलने आया है आपसे...

संध्या –(ललिता की बात सुन) इस वक्त कॉन आया होगा चलो....

बोल के सब निकलने लगे कमरे से पीछे से अभय ने चुपके से उस तस्वीर को अपनी शर्ट में डाल के सबके साथ नीचे चलने लगा जहा इंस्पेक्टर राजेश आया था....

संध्या – तुम यहां इस वक्त..

राजेश – हा कुछ काम था इसीलिए यही आ गया (बाकी सबको देख के) अपनी फैमिली से मिलवाओगी नही....

संध्या –(बेमन से) हा...

फिर एक एक करके सबसे मिलवाती है जैसे ही अभय की बारी आती है...

पी0संध्या –(अभय को देख) ये में....

अभय – मेरा नाम अभी है मेहमान हू मै यहां पर...

राजेश – ओह सब साथ में सीडियो से नीचे आ रहे थे मुझे लगा फैमिली के है सब...

अभय –ठकुराइन अपनी हवेली दिखा रही थी मुझे बहुत अल्लीशान हवेली है इनकी...

राजेश – (हवेली के हाल को देख) हा सो तो है (अभय को उपर से नीचे गौर से देख) तुम्हे शायद काफी पसंद आई होगी है ना...

अभय – हा इतनी सुंदर हवेली को ना पसंद कोई कैसे कर सकता है....

राजेश –अच्छा लेकिन तुम अपनी शर्ट में क्या छुपा रहे हो...

राजेश के बोलते ही सब अभय को देखने लगे संध्या कुछ बोलने को हुए की राजेश बोल पढ़ा....

राजेश –(अभय के पास उसकी शर्ट को पकड़ के) क्या चोरी करके आए हो तुम...

संध्या –(गुस्से में) राजेश हद में रहो , तुम नही जानते...

राजेश –(बीच में बात काट के) तुम नही जानती संध्या मैं बहुत अच्छे से जानता हू ऐसे लोगो को चोर चोरी से जाय सीना जोरी से ना जाय...

बोल अभय की शर्ट खींची जिससे तस्वीर नीचे गिर गई....

राजेश –(तस्वीर को उठा के) ये देखो संध्या गोल्ड फ्रेम चोरी करके आया है कमरे से...

संध्या के साथ जैसे ही सबने तस्वीर को देखा संध्या के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई वही शनाया हैरान थी ये नजारा देख के चांदनी , ललिता और मालती की आंख से एक बंद आसू आ गया था इन सब बात के चलते तस्वीर की नीचे गिरते ही अभय इंस्पेक्टर के साथ कुछ करता लेकिन बाकी लोगो को देख रुक गया तब....

संध्या –(राजेश से तस्वीर लेके) ये मैने दिया है इसे और किसी पे इल्जाम लगाने से पहले सोच लिया करो राजेश कही ऐसा ना हो पछताने का मौका भी ना मिले तुम्हे...

राजेश –(संध्या की बात सुन) माफ करना संध्या क्या करू पुलिस वाला हू ना....

संध्या –(बात समझ के) कोई बात नही क्या काम था तुम्हे मुझसे...

राजेश – केस के बारे में बात करनी थी कुछ अर्जेंट...

संध्या – ऐसी क्या अर्जेंट है जो इस वक्त आना पड़ा तुम्हे...

जब तक ये बात कर रहे थे तब ललिता , मालती , शनाया और चांदनी ये अभय को लेके गए हवेली के पीछे बने गार्डन को दिखाने अभय को....

मालती – ये गार्डन है इसे बाबू जी ने बनवाया था और बच्चो के लिए झूले लगवाए थे...

अभय – (मालती के गोद में बच्ची को देख) बहुत सुंदर है आपका बच्चा...

मालती –(मुस्कुरा के) शुक्रिया...

अभय –क्या मैं ले सकता हू गोद में इसे...

मालती –(बच्चे को अभय की गोद में देते हुए) हा क्यों नही बिल्कुल...

बच्चे को गोद में लेके अभय उसके साथ खेलने लगा बात करने लगा बच्चे के साथ अभय को इस तरह देख चांदनी , शनाया ,ललिता और मालती हस रहे थे एक साथ गार्डन में बैठ कर तभी बच्चे ने अभय पर सुसु कर दी जिसे देख...

अभय –(बच्चे से बोला) अले ये क्या कर दिया चूचू कर दी मेरे उपर ओह कोई बात नही अभी सफा करके आता हू मै फिर खेलेंगे हम बोल के बच्चे को मालती को देके...

अभय –में इसे सफा करके आता हू बाथरूम कहा है...

शनाया –(इशारा करके) आगे से राइट में है...

बाथरूम की तरफ चला जाता है अभय जबकि इस तरफ संध्या बात कर रही थी राजेश से....

राजेश – जैसा तुमने बताया था मैने जांच की है लेकिन पक्की जानकारी के लिए तुम्हारा मुनीम से मिलना है मुझे...

संध्या –मुनीम का पता नही चल रहा है जाने कहा गायब हो गया है वो...

राजेश – क्या मतलब गायब हो गया है कहा...

संध्या –मुनीम के बारे में अभी कुछ पता नही चला है लेकिन तुम्हे जानना क्या है...

राजेश – गांव से लेके जंगल के उस कोने तक जहा तुम्हारे बेटे की लाश मिली थी तुम्हारा मुनीम अक्सर आता जाता रहा है ये बात आज गांव वालो से पता चली है मुझे बस इसीलिए मुनीम के बारे में पता करने आया था...

संध्या –चलो फिलहाल के लिए जब तक मुनीम का पता नही चल जाता तब तक अपनी तहकीकात को रोकना मत प्लीज मुझे सच जानना है किसी भी तरह....

राजेश – ठीक है तुम टेंशन मत लो अच्छा चलता हू...

संध्या – खाना खा के जाओ...

राजेश – अरे नही संध्या आज नही फिर कभी...

संध्या – मान जाओ राजेश आज काफी सालों बाद जन्म दिन माना रही हू अपना...

राजेश –(संध्या की बात सुन) आज जन्म दिन है तुम्हारा संध्या पहले क्यों नहीं बताया तुमने....

बोल के राजेश अचानक से गले लग गया संध्या के , संध्या कुछ समझ पाती ठीक उसी वक्त बाथरूम में जाने को निकला था अभय रास्ते में ये नजारा देख जाने कैसे उसकी आंख से एक आसू निकल आया जबकि संध्या हटाने की कोशिश कर रही थी तभी संध्या की नजर अभय पर पड़ी जिसकी आंख में आसू देख जोर लगा के राजेश को दूर किया खुद से लेकिन जब तक संध्या कुछ करती तब तक बिना किसी को पता चले अभय निकल गया हवेली से संध्या ने जैस ही देखा अभय वहा नही है बाहर निकल देख जहा अभय तेजी से भाग के जा रहा था जिस कारण संध्या की आखें भर आई तभी पीछे से राजेश की आवाज आई तभी....

संध्या –(राजेश के गाल में एक जोर का चाटा मारा)CCCCCCCCCHHHHHHHAAAAATTTTTAAAAAKKKKKKK(चिल्ला के) हिम्मत कैसे हुई तेरी मुझे हाथ लगाने की , कॉलेज के दोस्त है इसका मतलब ये नही जैसे चाहे वैसे तेरी हरकत को बरदाश करूगी अभी के अभी निकल जा यहां से तू इससे पहले की मैं आपे से बाहर हो जाऊं....

संध्या का ये रूप देख राजेश की आखें फटी रह गई जबकि संध्या की जोरदार आवाज सुन गार्डन में बैठे सभी हाल में आ गए थे जहा संध्या सुनाई जा रही थी राजेश को तभी राजेश चुप चाप अपने गाल में हाथ रख के निकल गया हवेली से उसके जाते ही संध्या जमीन में बैठ के रोने लगी जिसके बाद....

मालती और ललिता एक साथ –क्या हुआ दीदी आप रो क्यों रही हो....

संध्या –(रोते हुए) वो चला गया फिर से नाराज होकर चलागया...

शनाया –कौन चला गया किसके लिए बोल रहे हो आप....

चांदनी –(कुछ सोच के) अभी कहा है वापस क्यों नही आया....

शनाया – वो तो बाथरूम गया था...

तभी चांदनी और शनाया बाथरूम की तरफ गए जिसका दरवाजा खुला हुआ था अन्दर कोई नही था जिसे देख चांदनी को समझते देर नही लगी अभय सच मे हवेली से चला गया...

चांदनी –(संध्या के पास जा उसे सोफे में बैठा के) क्या बात है मौसी हुआ क्या है....

संध्या – (रोते हुए) चांदनी आज फिर से वो नाराज होगया फिर से चला गया मुझे छोड़ कर अकेला...

संध्या की ऐसी बात सुन चांदनी ने संध्या को गले लगालिया...

चांदनी – आप अकेले नही हो मौसी मैं हू ना आपके साथ आपको अकेला छोड़ के नही जाऊंगि कभी....

शनाया – अभी कहा चला गया इस तरह बिना बताए...

बोल के कॉल मिलाने लगी अभय को लेकिन कॉल रिसाव नही कर रहा था अभय....

शनाया – कॉल क्यों नही रिसीव कर रहा है मेरा...मालती – आप्लोग खाना खा लिजिए...

संध्या –नही चाहिए मुझे खाना...

बोल के संध्या अपने कमरे में चली गई उसके पीछे चांदनी भी चली गई नीचे हाल में शनाया , ललिता और मालती रह गए...

शनाया – आखिर बात क्या है हो क्या रहा है यहा पर...

ललिता – दीदी का बेटे का नाम अभय है और वो लड़का उसे अपना बेटा...

शनाया –(चौक के) वो अभी को अपना बेटा समझ रही है ये कैसे हो सकता है वो तो शालिनी जी का बेटा है...

मालती –(शनाया की बात सुन) कौन शालिनी....शनाया – D I G शालिनी का बेटा है अभी स्कूल में मैं पढ़ाती थी उसे वही था अभी....

शनाया की बात सुन ललिता और मालती एक दूसरे को देखने लगे...

लल्लिता और मालती एक साथ –इसका मतलब वो अभय नही है लेकिन ये कैसे हो सकता है....

इस तरफ चांदनी बात कर रही थी संध्या से....

चांदनी –मौसी आखिर बात क्या है अभय क्यों चला गया...

संध्या –(जो हुआ सब बता के) मैं क्या सोच के कर रही थी और क्या हो गया चांदनी उसके जितना पास आने की कोशिश करती हू उतनी दूर हो जाता है मुझसे....

चांदनी –(गुस्से में किसी को कॉल लगाया) मां मैने कहा था आपसे राजेश के लिए ये सही नही है....

शालिनी –(कॉल पर चांदनी की आवाज सुन) आखिर बात क्या है चांदनी इतने गुस्से में क्यों हो तुम....

चांदनी –मां राजेश ने सब बर्बाद कर दिया यहां आके (सारी बात बता के) जितना दूरी कम करने में लगे थे हम अब वो दूरी और ज्यादा बड़ गई है मां.....

शालिनी – (बात सुन के) मैं कुछ करती हू...

बोल।के कॉल कट कर दिया शालिनी ने तुरंत ही किसी को कॉल मिलाया...

शालिनी –(काल पे सामने वाले से) तुम्हारे कहने पर मैंने राजेश को गांव भेजा तहकीकात के लिए लेकिन वो उल्टा संध्या का कॉलेज का दोस्त निकला और अब राजेश की वजह से और दूरी बड़ गई आखिर तुम करना क्या चाहते हो क्यों कर रहे हो ये सब अभय के साथ जो पहले से चोट खाया हुआ है....

KING 👑 –कभी कभी इज्जत कमाने के लिए बेइजत्ती भी करनी जरूरी होती है शालिनी जी......

शालिनी –बचपन से जिसके साथ किस्मत खेलती आ रही हो उसके साथ खेल के तुम्हे क्या मिल रहा है अगर किसी के जख्म पे र्मरहाम नही लगा सकते हो तो कम से कम उसके जख्मों का कारण मत बनो....

KING 👑– आखिर कब तक आपकी उंगली पकड़ के चलता रहेगा अभय अकेले भी कुछ करने दीजिए उसे इस तरह सहारा देते देते एक दिन ऐसा आएगा अभय को हर काम के लिए सहारे की जरूरत पड़ेगी....

शालिनी –KING 👑 उसे दुनिया की समझ नही है....

KING 👑 – अच्छे से जानता हू उसकी समझ को खेर जल्द ही मैं जा रहा हू गांव में तब तक आप देखो क्या करता है अभय ठाकुर
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आरी रहेगा✍️✍️
Shandaar update

Sandhya jab bhi abhay ke kareeb aane ki koshish kerti hai kisi na kisi bahane wo door ho jaati hai abhay se ......
 
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