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dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Badhiya update bhai

To abhay wapas jane wala ha khandhar me dekhte han ki is bar kitni age jaa pata ha or kya kya raj pata laga pata ha

Idhar chandni dhundne lagi ha sandhya ki behen ko mene to socha tha ki shalini hi sandhya ki behen niklegi lekin lagta ha koi or ha kyonki photo dikhane ke bad chandni ne nahi pahchana to sandhya ki behen koi or ha

Ab aye suspense per to ye malik ka ha suspense ye admi jo bat kar raha ha ye to mujhe gajanan lag raha ha or jis orat se bat kar raha ha ha to wo haweli ki jo sandhya ko barbad karna chhahti ha lekin abhay ko bachana chhahti ha leki jo usne ye bat kahi ki haweli mere bete ki ha us hisab se to mujhe lalita lag rahi ha ki sandhya ko nipta kar abhay ko torcher karegi or haweli iske bete aman ki ho jayegi fir bhi suspense barkarar ha

Idhar akhirkar abhay ne sayra ka number laga diya ya ye kahen ki sayra ne lagaya ha abhay babu ko trainig di ha ki kahin apne age wali jivan me isme asfal na ho jaye 😏😏😏😉😉 aisi training har kisi ko nahi milti 😉😉😉

Idhar rajesh lagta ha abhay ko pakdne ki planing kar raha ha or lagta ha agla number iska hi ane wala ha abhay ke haton wo kya ha na kutte ki dum sidhi nahi ho sakti sandhya se thappad khane ke bad bhi nahi sudhra ha abhi tak

Idhar last me jo shankar ne raj ugle ha us hisab se to sandhya or abhay ke bich jo diwar kam hoti najar aa rahi thi wo ir badhti najar aa rahi ha mujhe to kher fir bhi abhay ko apne upper hue shadyantron ka pata to pada dekhte han ki age kya hota ha
 
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only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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UPDATE 34


सायरा खाना लेके गई अभय के पास....

सायरा –खाना खा लो अभय....

अभय –मन नही हो रहा सायरा खाने का...

सायरा – तुम्हारे खाना ना खाने से क्या हो जाएगा अभय मन में चल रही उलझन सुलझ तो नही जाएगी तुम्हारी अपने शशिर को तकलीफ देने से कुछ नही मिलेगा तुम्हे आओ खा लो खाना....

अभय मन मार के बैठ गया खाना खाने लेकिन उसका मन नही लग रहा था खाने में तभी....

सायरा –(बात बदल के) वैसे अनिता तुम्हारी बहुत टैरिफ कर रही थी बहुत अच्छी फाइट करते हो तुम मैने मिस कर दी फाइट तुम्हारी कहा से सीखा तुमने फाइट करना...

अभय – कही से नही घर में कभी कभी मूवी देखता था फाइट वाली फिर हॉस्टल में पढ़ाई के इलावा कमरे में मूवी देखता था मां ने हॉस्टल के वार्डन को मना के रूम में टीवी रखवाई थी मेरे बस रूम में टीवी पर फाइट वाली मूवी देखता और रूम में ही प्रैक्टिस करता था...

सायरा – (बाते कर अभय को खाना खाते देख) कैसा बना है खाना आज...

अभय – बहुत अच्छा बना है...

अभय – तुमने कहा से सीखा खाना बनाना...

सायरा – हॉस्टल में ट्रेनिंग के दौरान कभी कभी मौका मिल जाता था खाना बनाने का मुझे बस तभी सिख लिया खाना बनाना...

अभय – हॉस्टल में इन सब के इलावा कभी कोई BF बनाया तुमने...

सायरा –(अभय की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हा बनाया था एक को लेकिन वो मतलबी निकला...

अभय –क्या मतलब...

सायरा – उसे सिर्फ मजा करना था मेरे साथ...

अभय – और तुम...

सायरा – मैने बस यही गलती कर दी प्यार कर बैठी उस बंदे से जब उसका मतलब निकल गया छोड़ के भाग गया....

अभय – छोड़ के भाग गया कैसे....

सायरा – प्यार करते करते बहुत आगे निकल गई थी मैं जब ट्रेनिंग खतम हुई तब वो जान छुड़ाने लगा मुझसे तब एक उसने खुल के बोल दिया उसे सिर्फ मजा करना था और कोई मतलब नहीं रखना चाहता था मुझ से....

सायरा की बात सुन अभय देखने लगा सायरा को...

सायरा – (अभय को खुद को देखते हुए पाया मुस्कुरा के बोली) तुम ज्यादा मत सोचो इस बारे में मैने उस दिन के बाद खुद को समझाया किसी तरह ठान लिया अब किसी से प्यार नहीं करूंगी बस तब से अपनी ड्यूटी पर सारा फोकस रखा हुआ है मैने...

अभय – (सायरा की बात सुन) तुम मेरे साथ फिर क्यों...

सायरा – तुम्हारे साथ की बात अलग है अभय तुम किसी और के जैसे नही हो...

अभय –और ये कैसे कह सकती हो तुम...

सायरा – एक्सपीरियंस अभय एक्सपीरियंस इतना वक्त मैने ऐसे नही बिताया है यहां हवेली में....

अभय –(चौक के) हवेली से क्या मतलब है तुम्हारा....

सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हे क्या लगता है रमन ठाकुर किसी को बक्श सकता है खास कर लड़की को...

अभय – मतलब उसने तुम्हारे साथ...

सायरा –(मुस्कुरा के) नही हा कोशिश जरूर कर रहा था लेकिन ठकुराइन के कारण कुछ नही बोल पता था क्योंकि मैं हवेली में रहती थी वही का काम देखा करती थी इसीलिए रमन दाव नही लगा पाया मुझ पे....

अभय – अब वो किसी पे दाव नही लगा पाएगा कभी....

सायरा – अच्छा वो भला कैसे....

अभय – सोचा है कुछ मैने भी उसके लिए....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है अच्छा आज एक बंदा आया था एक बैग देके गया है तुम्हारा नाम बताया तो मैने ले लिया....

अभय – तुमने दीदी को नही बताया....

सायरा – नही...

अभय –कहा है बैग...

सायरा – तुम्हारे बेड के नीचे रखा है...

खाना खा के अभय उठ के बैग को खोला जिसे देख सायरा बोली...

सायरा – ये सब क्या है अभय ये मोबाइल , लैपटॉप , कैमरा , विग , और ये बॉक्स ये सब क्या है अभय....

अभय – ये सब हाई एडवांस चीजे है सायरा इसकी मुझे बहुत जरूरत पड़ने वाली है...

सायरा – (अभय को देख के) तुम क्या करने वाले हो सच सच बताओ....

अभय – क्या तुम मुझ पे विश्वास करती हो...

सायरा – ये कैसा सवाल हुआ...

अभय –जो पूछा बताओ करती जो विश्ववास...

सायरा – हा करती हू...

अभय – तो बस विश्वास रखो मैं जो भी करूंगा सोच समझ के करूंगा और इसमें तुम्हे मेरी मदद करनी है...

सायरा – क्या मदद चाहिए तुम्हे...

अभय – क्या तुमने इन दो सालों में कभी खंडर के बारे में सुना है किसी से....

सायरा – हा यही की वो शरापित है बस...

अभय – और कुछ...

सायरा – नही बस यही सुना है....

अभय –अब मेरी बात ध्यान से सुनो (फिर अपने घर से भागने वाली बात बताता है और रास्ते में जो देखा उसे) बस यही जानना चाहता हू मै क्या है वहा पर कॉन है जो मेरी जायदाद पर ये सब कर रहा है जिसका पता शायद किसी को भी नही है...

सायरा –(बात सुन के) मैं इसमें तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हू...

अभय –(मुस्कुरा के) बस मैं जो भी करू तुम दीदी को पता मत चलने देना...

सायरा – लेकिन चांदनी ने तुम्हे माना किया है ना वहा जाने से...

अभय – इसीलिए मदद चाहता हू तुमसे भरोसा रखो मैं ऐसा कुछ नही करूंगा जिससे बात बिगड़े ठीक है...

सायरा – ठीक है खेर तुम आराम करो...

अभय – तुम भी आ जाओ साथ में आराम करते है...

सायरा –(मुस्कुरा के) अच्छा अभी से बड़ी जल्दी है...

अभय –(सायरा का हाथ पकड़ बेड में लेता के) जरूरी नही है हर बात का वही मतलब हो मैडम आओ AC का मजा लो बस और कुछ नही...

बोल के दोनो मुस्कुरा के आराम करने लगते है इधर हवेली में अपने कमरे में बैठी संध्या बात कर रही थी चांदनी से...

संध्या – क्या बात है चांदनी आज सुबह सुबह तुम जल्दी चली गई थी...

चांदनी – हा मौसी काम था इसीलिए आप बताए आराम नही कर रहे आप...

संध्या – मन नही हो रहा है मेरा किसी काम को करने का...

चांदनी –(कंधे पे हाथ रख के) मौसी आप उस बारे में मत सोचिए ज्यादा जो हुआ उसे बदल नही सकते लेकिन आने वाले कल पे ध्यान दे सकते है ना आप इन सब के चक्कर में अपने काम में कमी मत आने दो देखा था ना आपने जब आपका ध्यान नही था काम पर तब क्या हुआ था...

संध्या – हा चांदनी तुम सही कह रही हो मैं वो लापरवाही नही करने वाली अब इसके चलते गांव वालो को दिक्कत नही आने दुगी...

चांदनी – हा मौसी बाकी रही अभय की बात मुझे खुद नहीं समझ आ रहा इस बारे में क्या बात करू उससे...

संध्या – नही चांदनी तुम मत बोलना इस बारे में कही तुमसे नाराज हो गया....

चांदनी –(मुस्कुरा के) इतना मुझे यकीन है अभय पर वो नाराज तो कभी नही होगा मुझ से...

संध्या – भाई बहन का प्यार भी अजीब होता है चांदनी विश्वास और भरोसा की बुनियाद को हिला नही सकता है कोई...

चांदनी –(मुस्कुरा के) हा मौसी सच कहा आपने (कुछ सोच के) मौसी आपकी भी तो एक बहन है न...

संध्या –(सीरियस होके) हा चांदनी जाने कितने साल हो गए उसका पता तक नहीं जाने कहा होगी वो....

चांदनी –आपने पता नही लगाया उनका....

संध्या – कोशिश की थी इन्होंने (पति– मनन ठाकुर) लेकिन कुछ पता नही चल पाया उसका जब से घर से गई पता नही चला उसका आज तक...

चांदनी – पुलिस ने क्या कहा...

संध्या – ठाकुर साहब(मनन ठाकुर) ने बात की लेकिन सिवाय निराशा के कुछ नही मिला...

चांदनी – आपके पास कोई तस्वीर है उनकी...

संध्या –(अपनी अलमारी से एल्बम निकल के तस्वीर दिखाई चांदनी को) ये तस्वीर है उसकी उसके जाने से पहले ली थी ये तस्वीर...

चांदनी एल्बम को देखने लगी गौर से तब उसने संध्या की बहन की तस्वीर की फोटो क्लिक की अपने मोबाइल में साथ में कुछ और भी तस्वीर जिसके बाद...

चांदनी – मौसी आप चिंता मत करिए मैं मां से बात करती हू इस बारे में कोशिश करूंगी कम से कम आपकी बहन मिल जाय आपको...

संध्या –(बात सुन चांदनी का हाथ पकड़ के) तू निराश मत हो चांदनी तूने भी कोशिश की अभय को समझने की लेकिन किस्मत के आगे किसका जोर चला है....

बोल के हल्का हस के बेड में बैठ गई संध्या जिसके बाद चांदनी ने सारी डिटेल्स अपनी मां को भेज चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि इस तरफ बीच (समुंदर किनारे) पर खड़े कई लोग देख रहे थे पुलिस को जो किनारे पड़ी लाशों को देख इकट्ठा कर रही थी जिसमे राजेश भी मौजूद था...

राजेश –(अपने हवलदारों से) किसने किया होगा ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब आज दूसरी बार ये नजारा देख रहा हू मै...

राजेश – (चौक के) दूसरी बार मतलब...

हवलदार– कुछ दिन पहले भी ऐसा ही नजारा देखा था हमने साहेब गांव से थोड़ी दूर जय गले में बन एक घर में बहुत बेरहमी से मारा गया था लोगो को...

राजेश –कुछ पता चला किसने किया ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब लेकिन तब थानेदार ने एक लड़के को पकड़ा था और उस लड़के ने जो बताया उसके बाद थानेदार के साथ हम सब को लकवा मार गया था...

राजेश –ऐसा क्या बताया उस लड़के ने....

हवलदार – उसका कहना था ये सब उसने किया है यहां तक थानेदार उसकी बात मजाक समझ रहे थे तब उस लड़के ने बताया कैसे मारा लोगो को लाशे किस तरह पड़ी है जबकि इस बारे में हमारे इलावा किसी को नही पता था उस लड़के की बात सुन के हम सब की हवा टाइट हो गई उसके बाद तो ना जाने कैसे थानेदार को DIG का कॉल आया जिसके बाद थानेदार ने उस लड़के को छोड़ दिया....

राजेश –(चौक के) क्या DIG कॉल आया उस लड़के के लिए लेकिन क्यों.....

हवलदार – ये तो नही पता साहेब लेकिन जिस तरह से वो लड़का बोल रहा था उससे यही लगा वो DIG का बेटा है....

राजेश –(हैरानी से) DIG का बेटा यहा इस गांव में तुमने देखा उसे कैसा दिखता है वो....

हवलदार – वो यही के कॉलेज में पढ़ता है साहेब उसका नाम अभी है हॉस्टल में रहता है अकेला अभी हॉस्टल में कोई नही आया है सिवाय उसके लेकिन साहेब आप दूर रहना उस लकड़े से बहुत ही खतरनाक है थाने में उसने अकेले सिर्फ बातो से सबकी हवा टाइट कर दी थी...

राजेश – (नाम सुन के) अभी (मन में – कही ये वही लड़का तो नही जिसे मैं कल मिला था संध्या की हवेली में (हल्का मुस्कुरा के) चाटे का जवाब देने का मौका खुद चल के मेरे पास आ गया) (हवलदार से)चुप चाप अपने काम पर ध्यान दो समझे और कोई सबूत मिला ऐसा जिसके वजह से हम जान सके कातिल के बारे में....

हवलदार – कुछ नही है यहां पर साहेब बहुत सफाई से मारा है इनको....

राजेश – ठीक है लाशे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो....

पुलिस के इलावा मौजूद बीच में कई लोग ये नजारा देख रहे थे उसमे एक आदमी देख के वहा से निकल के किसी को कॉल लगाया उसने....

सामने से – हा बोल क्या बात है...

आदमी – साहेब यहां बीच पर हमारे लोग मरे पड़े हैं...

सामने से – क्या कैसे मारे गए....

आदमी – कल शंकर का कॉल आया था किसी लड़के को मारने की बात बोल रहा था रमन ने बोला था उसे , उसने आदमी मांगे मैने भेज दिया थे लेकिन यहां तो उल्टा हमारे आदमी मरे पढ़े है....

सामने से – (चौक के) रमन मरवाना चाहता था किसी लड़के को और किस लड़के को मारने की बात की थी शंकर ने तुझे....

आदमी –फोटो भेजी थी शंकर ने मुझे....

सामने से – कॉन है वो....

आदमी – नया लौंडा है हॉस्टल में रहता है पढ़ने आया है कॉलेज में यहां पर....

सामने से –(जल्दी से) फोटो भेज मुझे उसकी जल्दी...

आदमी – भेज दी साहेब....

सामने से –(अपने मोबाइल में फोटो देख के) ये लड़का लेकिन इससे क्या दुश्मनी है रमन की....

आदमी – बताया नही साहेब लेकिन संध्या कुछ ज्यादा ही मेहरबान है इस पर हवेली में गांव वालो के लिए खाना भी इस लड़के ने बनाया था अकेले और रात में खाने पर गया था ये लड़का हवेली में लेकिन बिना खाना खाए वापस आ गया....

सामने से – अच्छा ऐसी क्या बात हो गई....

आदमी – पता नही साहेब लेकिन उस रात किसी ने खाना नही खाया था....

सामने से – ओह तब तो लगता है जो मैं सोच रहा हू अगर बात वही है तो लगता है अब हमे खंडर के बारे में पता लगाने के लिए संध्या की जरूरत पड़ने वाली है जल्द ही...

आदमी –आप कहे तो उठवा लू संध्या को आज ही...

सामने से – (गुस्से में) अभी कोई पागल पन करने की जरूरत नहीं है (आराम से) करेगे ये भी लेकिन अलग तरीके से जब वो लकड़ा साथ हो संध्या के ताकि काम बन जाय अपना आराम से फिर जो चाहे वो करना संध्या के साथ लेकिन लड़के को मारना मत उसके सामने ही होगा ये सब ताकि उसे भी दर्द और तकलीफ महसूस हो जो मैने सही है तू अभी सिर्फ नजर बनाए रख अपनी मौका पाकर खेल को अंजाम देगे जब भी दोनो साथ नजर आए बता देना मुझे क्या करना है मैं बताऊंगा आगे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया तब उस आदमी ने किसी और को कॉल लगाया...

औरत – कैसे हो तुम याद आ गई मेरी...

आदमी – ठीक हू मेरी जान तुझे भूला कॉन है बस एक बात बताने के लिए कॉल किया था तुझे...

औरत – अच्छा कौन सी बात बतानी थी....

आदमी – जब संध्या और वो लड़का दोनो साथ हो तो तुरंत बताना मुझे....

औरत – वो किस लिए...

आदमी –(जो कॉल बात हुई बता के) समझ गई तुम...

औरत – लगता है बड़ी दया आ गई है संध्या पर तेरे मालिक को जो बिना तड़पाए इतनी आसानी से काम करने को बोल रहा है तेरा मालिक...

आदमी – मेरी जान तू अपना दिल छोटा मत कर तेरे भी मन का काम होगा उसके बाद तू जैसे कहे वैसे तड़पाएगे संध्या को बस तू ये काम करवा दे किसी तरह....

औरत – ठीक है लेकिन अपना वादा याद रखना और एक बात कान खोल के सुन ले मेरी जो करना हो करना लेकिन उस लड़के को अगर कुछ किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा....

आदमी – अरे तू पगला गई है क्या क्यों पड़ी है उस लड़के के इतना पीछे.....

औरत –आज तक तेरी बात नही टाली मैने क्या मेरे लिए तू इतना भी नही कर सकता है क्या इतना ही प्यार करता है तू मुझे....

आदमी – अरे मेरी जान प्यार करता हू तभी साथ दे रहा हू तेरा ठीक है तू जैसा चाहेगी वैसा होगा लेकिन मालिक को क्या बोलूं मैं....

औरत – कौन सा मालिक काम होने के बाद कौन सा तू उसे जिंदा छोड़ेगा....

आदमी – सो तो है सबूत नही छोड़ना चाहिए कभी चल ठीक है मेरा काम हो जाय बता देना अपना काम होने के बाद सिर्फ और सिर्फ हम राज करेंगे हमेशा के लिए हवेली में....

बोल के कॉल काट दिया इधर औरत कॉल के कट होने के बाद....

औरत – हवेली सिर्फ मेरे बेटे की है किसी और की कभी नही होगी और इसके लिए तुझे भी मरना पड़ेगा बस एक बार संध्या रास्ते से हट जाए....

शाम हो गई थी अभय उठ के निकल गया था हॉस्टल से बाहर उसकी मुलाकात हुई राज से....

राज – क्या हाल चाल है तेरे....

अभय –मस्त तू बता भाई....

राज – बताना क्या है बे कल से एक्स्ट्रा क्लास लगने वाली है हम चारो की...

अभय – एक्स्ट्रा क्लास क्या मतलब तेरा....

राज – मां ने बोला है कल से सुबह 5 बजे हम चारो को जाना है अखाड़े में बाबा के पास...

अभय – वहा पर क्यों यार...

राज – ये तो वही पर जाके पता चलेगा तू कल से सुबह 5 बजे समझा नही तो मां को बोल दुगा....

अभय –(हस्ते हुए) मेरा तो ठीक है तू अपना सोच उठ पाएगा 5 बजे सुबह...

राज –हा यार अलार्म बना के रखूगा आज से खेर तू बता कुछ....

अभय – कुछ खास नही यार बस टहलने निकला हू....

राज – अच्छा और कुछ भी नही....

अभय – ना भाई और कुछ नही....

राज – अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है बाते क्यों...

अभय – मैने क्या छुपाया तेरे से...

राज – चांदनी ने सब बता दिया मुझे सुबह तेरी झड़प हुई बीच में किसी से क्या हुआ था....

अभय –पता नही यार कॉन थे साले बिना मतलब के मरना चाहते थे मार दिया मैने सबको....

राज –तू साला पूरा का पूरा पागल हो गया है अबे किसी को तो जिंदा छोड़ देता....

अभय – (अपनी जेब से मोबाइल निकल के राज को दिखाते हुए) ये मिला मुझे एक बंदे की जेब से गिर गया था इतना हाई फाई मोबाइल वो भी इनके जैसो के पास सोच जरा....

राज –(मोबाइल को देखते हुए) बड़ा ही हाई चॉइस है बंदे की APPLE का मोबाइल लेके घूम रहा है चेक किया.....

अभय – हा किया ना तोड़ दिया लॉक इसका ये देख किसका नंबर है इसमें....

राज – (नाम पड़ के चौक गया) शंकर इस बंदे के पास इसका नंबर कैसे आया....

अभय –ध्यान से देख कल बात हुई है इस नंबर पर साथ में और भी नंबर है किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है....

राज – (कुछ सोच के) यार ये नाम सुना हुआ लग रहा है मुझे....

अभय – याद कर कहा सुना है नाम तूने इसका....

राज – यार याद नहीं आ रहा है जाने कहा सुना है नाम मैने....

अभय – एक काम करते है चल चलते है जरा शंकर के हाल चाल लेने....

राज – बाकी के वो दोनो को क्या बोलूं बे आते होगे वो भी...

अभय – जाने दे नही मिलेगी हम तो कॉल करेगे दोनो को समझा देगे चल अभी...

बोल के बाइक से निकल गए दोनो शंकर के घर को तरफ उसके घर के पास आते ही अभय ने बाइक रोक दी....

अभय – (राज से) तू जाके जरा पता कर अगर मिल जाय इशारा करना मुझे बात करते है उससे....

राज चला गया शंकर के घर दरवाजा खटखटा के...

राज – (दरवाजा खटखटा के) काका...

उर्मिला –(अंदर से आवाज लगाते हुए) कॉन है....

राज – काकी मैं राज...

उर्मिला –(दरवाजा खोल के) हा राज बेटा....

राज –काकी जरा काका से काम है कहा है....

उर्मिला –पता नही बेटा आए थे जल्दी में थे अभी निकले है समान लेके शहर जा रहे है ट्रेन से...

राज – अच्छा कब तक आएगा काका...

उर्मिला – उनका पता नही बेटा कभी 1 दिन में आ जाते है कभी 2 से 3 दिन में...

राज – अच्छा काकी कोई बात नही फिर कभी मिललूंगा बाद में...

उर्मिला –कोई काम हो तो बता दो...

राज –(जाते हुए) कोई खास काम नहीं काकी बाद में आऊंगा मिलने...

बोल के राज निकल गया उसके जाते ही उर्मिला ने दरवाजा बंद कर दिया राज उर्मिला के घर से निकल के अभय के पास आया और सब बता दिया...

अभय –(राज की बात सुन के) जल्दी में निकल गया लगता है कोई बता जरूर है चल स्टेशन चलते है बैठ...

बोल के दोनो बाइक से जल्दी निकल गए रेलवे स्टेशन की तरफ रेलवे स्टेशन में आते ही किस्मत से उन्हें शंकर मिल गया रास्ते में स्टेशन के अन्दर जा रहा था...

अभय – (जाते हुए शंकर को पीछे से आवाज देते हुए) कैसे हो शंकर चाचा बड़ी जल्दी में लग रहे हो...

शंकर आवाज सुन पीछे पलट के अपने सामने अभय को देखते ही आखें बड़ी हो गई उसकी तुरंत भागने को पलटा ही था की पीछे से राज से टकरा के गिर गया...

राज –(शंकर के गिरते ही) अरे काका बस भी करो और कितना गिरोगे तुम उठो...

शंकर –(डरते हुए) मैने कुछ नही किया सच बोल रहा हू....

अभय –(मुस्कुरा के) मैने तो कुछ पूछा नही चाचा तुमसे....

शंकर –(हड़बड़ा के) मुझे जल्दी शहर जाना है बेटा काम है जरूरी....

राज –हा हा चले जाना काका कॉन रोक रहा है तुम्हे लेकिन हमारे सवालों का जवाब देने के बाद....

शंकर – मैं शहर से आके बात करूंगा बेटा अभी मुझे जाने दो....

अभय –(गुस्से में पास आके धीरे से) चुप चाप बिना तमाशा किए हमारे साथ चल वर्ना सुबह तो 25 को निपटाया था तुझे मिला के 26 हो जाएंगे समझा चल बैठ बाइक पर हमारे साथ और अपना चेहरा ढक ले कही रास्ते में कोई पहचान ना ले तुझे पुरानी.....

वो कहावत है मरता क्या न करता बस वही हुआ शंकर के साथ डर से मजबूर होके शंकर को जाना पड़ा अभय के साथ बाइक में जाके सीधा हॉस्टल में रुके जहा शंकर को अन्दर ले जाने लगा अभय और राज हॉस्टल के बाहर रुक गया ताकि कोई आ ना जाए अंडर आते ही सामने सायरा मिली...

सायरा – (अपने सामने अभय के साथ चेहरा ढके आदमी को देख) ये किसे साथ ले आए तुम...

अभय – बाद में बताऊंगा अभी के लिए जरा अपना कमरा खाली कर मेरे रूम में समान रखो अपना....

सायरा –लेकिन....

अभय – जो बोला जल्दी करो बस बाकी बाते बाद में बताऊंगा तुम्हे....

अभय की बात सुन के सायरा ने जल्दी जल्दी अपने कमरे से सारा सामान अभय के कमरे में रखा तब अभय ने शंकर को सायरा के कमरे ले जाके बैठा दिया बेड में.....

अभय –(शंकर को बेड में बैठा के) चुप चाप यही पर बैठा रह तू सायरा सुन....

सायरा के कान में कुछ कहा जिसे सुन सायरा अभय को देखने लगी...

अभय – जाओ जल्दी से मैं सब समझा दुगा बस अभी जाओ....

अभय की बात सुन सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में सायरा और राज साथ में कमरे के अन्दर आए साथ में लोहे का स्टैंड , पानी की टंकी और जंजीर ले आए जिसके बाद राज और अभय ने शंकर को बेड में लेता दिया जंजीर से अच्छे तरीके से बांध दिया ताकि हिल भी ना सके और शंकर के सिर के पास लोहे का स्टैंड लगा के इसके ऊपर पानी की टंकी रख दी उसके बाद अभय मुस्कुरा के बस देखने लगा शंकर को....

शंकर – मैं कुछ नही जानता छोड़ दो मुझे जाने दो...

अभय बस स्माइल करते हुए देखता रहा शंकर को काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा तब लेकिन शंकर ने कुछ नही बोला तब....

अभय – (पानी की टंकी के नल को हल्का सा घुमाया जिससे टंकी से एक एक बूंद पानी की धीरे धीरे शंकर के सर में गिरने लगी) कैसा लग रहा है चाचा अजीब लग रहा होगा ना कोई बात नही डॉक्टर की दी हुई दावा का असर भी कुछ वक्त बाद होता है इसका भी असर होगा तब तक मजे लो तुम बाद में आते है हम , और हा एक बता दू तुम्हे इस हॉस्टल में मैं अकेला रहता हू साथ में ये लड़की और चौकीदार भी रहता है लेकिन हॉस्टल के बाहर और ये वाला कमरा बीच में है तू जितना चिल्ला सकता है चिल्ला तेरी आवाज यहां पर ही रहेगी बाहर नही जाएगी चलता हू...

बोल के अभय , राज और सायरा निकल गए कमरे को बाहर से बंद करके....

राज – अब क्या करना है यार....

अभय – जब तक इसका मू नही खुल जाता तब तक टॉचर का सिलसिला चलता रहेगा इसके साथ और तब तक ये यही रहेगा बस गांव में पता नही चलना चाहिए इसके बारे में किसी को...

राज – उसकी चिंता तू मत कर किसी ने भी हमे यहां आते नही देखा है...

सायरा – मुझे तो ये समझ नही आ रहा है आखिर तुम दोनो इसे यहां लाए क्यों हो...

अभय –(राज से) भाई तू घर जा मै कल से सुबह आऊंगा फिर बात करते है हम...

राज – (बात समझ के) ठीक है कल मिलते है...राज के जाते ही अभय बोला....

अभय –(सायरा से) सुबह का पता है ना तुझे क्या हुआ था बीच में...

सायरा – हा पता है...

अभय –(मोबाइल दिखाते हुए) मुझे ये मोबाइल मिला एक बंदे का गिरा हुआ इसमें दो नंबर है एक शंकर का और एक नंबर किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है...

सायरा –(चौक के) तुम्हे इतना डिटेल्स कहा से मिल गई.…

अभय – तुम्हे याद है वो बैग उसकी मदद से जान पाया मैं...

सायरा – तो तुम्हे क्या लगता है शंकर के पास से क्या जानकारी मिल सकती है तुम्हे...

अभय –(मुस्कुरा के) जल्दी क्या जानने की कही जा रही हो क्या यही हो ना मेरे साथ और अब तो मेरे कमरे में ही तुम्हे सोना है आज से (आंख मार के) मेरे साथ...

सायरा –(अभय के कंधे पे हल्का मुक्का मार के) धत पागल कही का...

बोल के मुस्कुराने लगे दोनो सायरा चली गई खाने की तयारी करने अभय बेड में बैठ लैपटॉप में छेड़खानी करने लगा जबकि हवेली में हिसाब के खाते की लिखा पड़ी का काम निपटाने के बाद संध्या हाथ में मोबाइल लिए अभय को कॉल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रही थी डर से कही अभय जाने क्या बोल दे ऐसा कुछ जिससे संध्या घबरा रही थी किसी तरह हिम्मत जुटा के संध्या ने कॉल मिला दिया अभय को...

अभय – हेलो...

संध्या – फोन मत काटना बात सुन ले मेरी...

अभय – अब क्या बताना है....

संध्या – मैं जानती हू तू नाराज है अभी भी मुझसे लेकिन एक मौका तो दे मुझे....

अभय – (आराम से) जब तक मैं हवेली में था मैने तो तुझे मौका देने से कभी रोका ही नही उल्टा तेरे पास मौका ही मौका था लेकिन तब क्या किया सिर्फ दूसरो की बात सुनी तूने मुझसे तो कभी पूछा तक नहीं इस बार भी हवेली आया था लेकिन इस बार भी (बोल के चुप हो गया कुछ सेकंड रुक के बोला) देख मैं जानता हू तेरी अपनी जिंदिगी है जिसपे मेरा कोई अधिकार नही...

संध्या –(बीच में बात काटते हुए) मत बोल ऐसा ये जिदंगी सिर्फ तेरी है तेरा ही अधिकार है मेरी जिंदिगी पर बस एक बार मांग के तो देख तू....

अभय –जानती है तू बहुत वक्त लगा था मुझे खुद को संभालने में बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला है मैने ऊब गया था मन मेरा इस जिदंगी से अब शायद और हिम्मत ना जुटा पाऊ मैं मत कर कमजोर कही ये जिंदिगी भारी ना लगने लगे मुझे...रोते हुए कॉल कट कर दिया अभय ने इधर संध्या भी रो रही थी अभय की बात सुन के आधे घंटे बाद सायरा अपना और अभय का खाना ले आई...

सायरा – आओ खाना खा लो अभय....

अभय –खुशबू बहुत अच्छी आ रही है खाने की...

सायरा – ये तो ठीक है लेकिन इसका क्या करना है मैने उसके लिए भी बनाया है खाना...

अभय – खिलाऊगा खाना उसे लेकिन अभी नही अभी तो एक्सपेरिमेंट चल रहा है उसे उम्मीद है रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा तब खिलाऊगा खाना उसे....

सायरा – आइडिया कहा से आया तुम्हे ये....

अभय – साउथ की मूवी देखी थी उसमे था ये आज सोचा आजमा लिया जाय इसे देखते है क्या होता है आगे...

सायरा – पता कैसे पड़ेगा आइडिया काम कर रहा है की नही....

अभय – चिल्लाएगा जोर जोर से भीख मांगेगा तब बात करूंगा उससे....

सायरा – तब तक के लिए कुछ टाइम पास करते है खाना खा के....

मुस्कुराते हुए दोनो खाना खाने लगे खाने के बाद बर्तन रख के सायरा आ गई अभय के पास नाइटी पहन के...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – एक दम मस्त

सायरा – सेक्स किया है पहले कभी

अभय – अभ तक नही किया कैसे करते है

सायरा – कोई बात नही आज मैं सिखाऊंगी कैसे करते है सेक्स बस जैस आई बोलती जाऊ वैसा करते जाना तुम धीरे धीरे समझ आ जाएगा कैसे होता है सेक्स आओ शुरुवात किस करके करते है किस करो मुझे

सायरा की बात सुन अभय किस करने लगा सायरा को धीरे धीरे सायरा भी साथ देती जा रही थी अभय का किस में


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धीरे धीरे दोनो का किस पैशनेटली होता जा रहा था
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किस तोड़ अलग होके सायरा ने अपनी नाइटी उतार फेकी
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साथ में अपनी ब्रा और पेंटी भी
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अभय के सामने खड़ी होके...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – (सायरा को गौर से देख के) बिल्कुल हुस्न की परी लग रही हो यार तुम

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सायरा – (अभय को बेड में बैठा के) अब इस हुस्न की परी का कमाल देखो तुम (अभय का कच्छा उतार के) तुम्हारा तो बहुत बड़ा है लंड और मोटा भी खूब है मुझे नहीं मालूम था किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है(लण्ड को मसलते हुए)
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सायरा पैरों के पास घुटनो के बल बैठ गयी अपनी जीभ निकाल लण्ड को चाटने लगी उसकी सिसकारियाँ गूंजने लगी इस हमले से अभय मानो मदहोश सा हो गया था आज पहली बार उसे एक अलग सा आनंद मिल रहा था उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे वो सायरा के बस में हो
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सुपाड़े को अपनी जिव्हा से रगर रगड़ कर लाल करने के बाद सायरा ने उसे अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी अपना मुख हिलाती लण्ड को खूब मज़े से चुस रही थी सायरा
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अभय मस्ती में मस्त होके अपनी आंखे बन्द किए मजे में खोया हुआ था लंड चूसते हुए सायरा की नजर गई अभय पर तुरंत खड़ी होके अभय का दोनो हाथ अपने मम्मे में रख अपनी तरफ खीच अभय को किस करने लगी

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किस तोड़ के बोली

सायरा –जैसा मैने किया अब तुंभी वही करो...

बोल के अभय को अपने हाथो के दबाव से नीचे घुटने के बल बैठाने लगी अभय को वो भी सायरा की आखों में देख बैठ गया तब सायरा ने उसके मू को अपनी चूत की तरफ ले आई अपनी आखों से इशारा करके अभय का मू अपनी चूत में लगा दिया जिसे धीरे धीरे चाट ने लगा अभय

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अब धीरे धीरे अभय को भी शायद इसमें मजा आने लगा था सायरा की टांग को टेडा करके चूत पर अपनी जबान को अन्दर डाल चाटे जा रहा था
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एक सायरा – (मजे से सिसकियां लेते हुए) ऊहहहहहह हा बस ऐसे ही करते रहो अभय बहुत अच्छा कर रहे हो तुम
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आआआआअहह करते हुए सायरा का पानी निकल गया बीना जानें बस अभय चाटता गया ये देख सायरा हल्का मुस्कुरा के बोली...

सायरा – कैसा लगा

अभय – पहले तो अजीब लगा लेकिन फिर मजा आने लगा तुम सच में कमाल हो सायरा मैने ऐसा एक्सपीरियंस कभी नही सोचा था इतना मजेदार पूछो मत...

सायरा –(मुस्कुरा के) अभी तो असली मजा बाकी है अभय
बोल के अभय को अपने ऊपर खींच के...

सायरा – (अभय के लंड पे इशारा कर के) इसे मेरे अन्दर डालो फिर देखो असली मजा क्या होता है
बात सुन अभय ने लंड को चूत में अंदर डालने लगा अंडर जाते ही...

सायरा –(सिसकी लेते हुए) आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आह क्या करते हो मार डालोगे क्या आराम से डालो मेरे नादान बलम कही भागी नहीं जा रही हू मै

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लंड को वापस बाहर निकल के धीरे धीरे अंदर डालने लगा सुपाड़ा अंदर घुसते ही सायरा सिसक उठी
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अभय ने धीरे धीरे तीन चार धक्के मारे और लन्ड पूरा अंदर घुसाने लगा

सायरा – आआईईईईईई ऊँह्ह्ह्ह्ह्ल बस इसी तरह करते रहो अभय आराम आराम से...

सायरा की बात मान अभय आगे पीछे होने लगा जिससे सायरा और अभय को मजा आने लगा

19630215धीरे धीरे करते रहने से अभय का जोश बढ़ता गया और जोश में सायरा की चूत में जोर जोर से झटके देने लगा...

सायरा – आहहहहह उफ़्फ़्फ़्फ़ऊऊह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छे अभय बिल्कुल सही जा रहे हो तुम करते रहो बस इसी तरह

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तेज रफ्तार से अभय हर बार एक जोर के झटके से लंड पूरा बाहर निकलता और एक बार में पूरा अंदर करने लगता कुछ देर में अभय सायरा के उपर लेट कस के धक्के देने लगा जिस कारण दोनो ही पसीने से लतपथ हो गए
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कुछ ही देर की कड़क मेहनत के बाद अभय और सायरा एक साथ जोर दार आवाज गूंज गई कमरे में...

सायरा और अभय एक साथ – आआआआआआआआअहहहह...

इस आवाज के साथ दोनो ने अपना पानी छोड़ दिया एक दूसरे के बाहों में बहे डाले लंबी लंबी सांसे लेने लगे कुछ मिनट बाद अभय बगल हो गया सायरा के तब सायरा अभय के सीने पर सिर रख के...

सायरा – (सास लेते हुए) कैसा लगा तुम्हे...

अभय – बहुत ही सुकून मिला आज तो मुझे नही पता था की इतना सुकून मिलता है इसमें...

सायरा – सच में तुम्हारे साथ मुझे भी सुकून मिला आज काफी वक्त के बाद...

अभय –अगर तुम ना होती तो मैं जान ही ना पाता इस बारे में...

सायरा – (मुस्कुरा के) अभी तो बहुत जानना है तुम्हे मेरे नादान बलम , मैं तुम्हे परफेक्ट बना दुगी इसमें कोई भी लड़की दीवानी हो जाएगी तुम्हारी...

अभय –(मुस्कुरा के) और तुम...

सायरा – अब से मिली हू तब से दीवानी हो गई मैं तेरी अदा पे...

बोल के दोनो मुस्कुराने लगे AC की ठंडक का मजा लेते हुए अभय और सायरा एक दूसरे की बाहों में सो गए थे करीबन रात के 2:30 बजे शंकर के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज से अभय की नीद खुल गई नीड से जागते ही शंकर की तड़पने की आवाज सुन मुस्कुराते हुए अभय धीरे से सोती हुई सायरा को साइड में करके उठ कर धीरे धीरे चलते चलते शंकर के कमरे में चला गया....

शंकर –(अभय को सामने देख) इसे बंद करो मैं सब बताऊंगा बंद करो इसे....

अभय – सब कुछ सच बताओगे या सब झूठ बताओगे....

शंकर – सब सच बताऊंगा पहले इसे बंद कर दो...

अभय – अच्छा तो चलो जरा ये बताओ मुझे मारने के लिए लोगो को किसने भेजा था....

शंकर – रमन ठाकुर ने बोला था अब तो बंद कर दो इसे...

हल्की सी मुस्कान के साथ अभय ने टंकी का नल बंद कर दिया...

अभय – जब तक मेरे सवालों का जवाब सही देगा तब तक ठीक रहेगा लेकिन अगर झूठ बोला या कुछ छुपाया ऐसा कुछ भी तो फिर से ये खेल शुरू हो जाएगा समझा....

शंकर–(डरते हुए) समझ गया जो पूछना है पूछो सब बताऊंगा मैं....

अभय –(हस्ते हुए) हम्म्म अब आएगा मजा , पहला सवाल अपने मालिक रमन ठाकुर की सारी कुंडली दिखा मुझे....

शंकर –रमन शुरुवात से अय्याश किस्म का है उसे रिश्ते नातों से कोई मतलब नहीं है सिर्फ दौलत चाहिए उसे इसके लिए आए दिन दो नंबर का काम करता रहता है ड्रग्स की तस्करी करता है महीने की 20 तारीख को एक जहाज समुंदर के रास्ते विदेश जाता है उसमे से कुछ माल वो लोग ट्यूब लगा के पानी में गिरा देते है जिसे हमारे लोग नाव के जरिए उसे किनारे ले आते है फिर रमन गांव के दूसरे व्यापारियों से बात करके माल की डिलीवरी करवा देता है....

अभय – उसका पैसा कहा जाता है मतलब कैसे मिलता है रमन को....

शंकर – रमन का पर्सनल खाते में जाता है वो पैसा जिसकी जानकारी सिर्फ रमन को है....

अभय – गांव वालो की जमीन क्यों छीनी जा रही थी सिर्फ डिग्री कॉलेज के लिए या...

शंकर – ड्रग्स के काम में मुनाफा ज्यादा है इसीलिए रमन ने प्लान बनाया था डिग्री कॉलेज की आड़ में ज्यादा से ज्यादा माल गांव में मंगवा के कॉलेज में रखवाया करेगा ताकि ज्यादा पैसे कमा सके...

अभय – और अगर ये बात खुल जाती तो क्या होता रमन के साथ....

शंकर – रमन को कुछ नही होता उसने वो डिग्री कॉलेज संध्या के बेटे अभय के नाम से रजिस्टर करवाया है....

अभय – (गुस्से में) झूट बोलता है तू...

शंकर – नही ये सच है रमन ने जान बूझ के ऐसा किया अगर कल को बात खुल जाती है तो पुलिस और गांव वालो का शक संध्या पर जाएगा इसीलिए रमन ने संध्या के बेटे अभय के नाम डिग्री कॉलेज रजिस्टर किया और संध्या से झूट कहा कि कॉलेज की रजिस्ट्री बड़े ठाकुर के नाम की है...

अभय – लेकिन संध्या के साथ ऐसा क्यों कर रहा है रमन....

शंकर – दौलत के खातिर क्योंकि बड़े ठाकुर मारने से पहले वसीयत संध्या के नाम कर के गए थे....

अभय – तुझे कैसे पता वसीयत के बारे में...

शंकर – रमन ने बताया था मुझे...

अभय – रमन के पास है वसीयत

शंकर – नही उसके पास नहीं है

अभय – तुझे कैसे पता तूने देखा था क्या

शंकर – नही लेकिन रमन ने बताया था की बड़े ठाकुर मरने से पहले बोल रहे थे वसीयत के बारे में तब रमन ने सुना था

अभय – अगर संध्या फस जाति है तो रमन को फायदा कैसे होगा संध्या का बेटा भी तो मौजूद है ना....

शंकर –रमन के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत थी लेकिन फिर जाने कैसे एक दिन रमन बोलने लगा की उसे संध्या से प्यार हो गया है....

अभय –(अपनी आंख सिकुड़ के) क्या मतलब इस बात का संध्या से प्यार कैसे और क्या संध्या भी प्यार करने लगी रमन से....

शंकर – वो मुझे नही पता, लेकिन शायद अपने बेटे के कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही हो....

अभय – फिर क्या किया रमन और संध्या ने....

शंकर – रमन ने मुनीम से बोल के हर जरा सी बात पर अभय को मार खिलवाना शुरू करवा दिया था ताकि अभय डर के साए में रहे और रमन जो चाहे वो कर सके इसीलिए अपने बेटे को भी शामिल कर लिया इसमें ताकि अमन भी अभय के साथ वही करे तभी अमन ज्यादा से ज्यादा संध्या के करीब रहता था....

अभय – और संध्या वो ये सब होने दे रही थी अभय के साथ....

शंकर – संध्या विश्वास करती थी रमन पर इसीलिए आंख बंद करके यकीन कर लेती थी....

अभय – (हस के) विश्वास के खातिर अपने ही बेटे के साथ ये सलूक वाह क्या बात है , फिर आगे क्या हुआ....

शंकर –सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक रात अभय घर छोड़ के चला गया और ये बात रमन को पहले पता चल गई थी क्योंकि सुबह सुबह रमन गया था अभय के कमरे में क्योंकि उस दिन अभय का जन्मदिन था रमन ने सोच क्यों ना आज के दिन कुछ ऐसा हो जिससे संध्या ना चाहते हुए भी अभय पर आज हाथ उठा दे लेकिन अभय कमरे में नहीं मिला क्योंकि अभय इतनी सुबह जल्दी नही उठता था तब रमन को समझ आगया था अभय घर से भाग गया है कुछ सोच के रमन ने तुरंत मुनीम से बोल के जल्दी ही एक बच्चे की लाश का इंतजाम करने को कहा और मुनीम पास के गांव के अस्पताल से एक बच्चे की लाश ले आया जिसकी कद , रंग अभय से मेल खाता था लाश को लाके जंगल में छोड़ दिया गया अभय के स्कूल के कपड़े पहना के तब रमन ने लाश का सिर कुचल दिया ताकि सबको यकीन हो जाय की लाश अभय की है बस जल्दी में ये गलती हो गई रमन से क्योंकि संध्या को यकीन नही आया की अभय मर चुका है उस दिन से संध्या का रवईया बदल गया अपने बेटे के चले जाने....

अभय –हम्म्म....

शंकर – अब तो मुझे छोड़ दो बेटा मैने सब बता दिया तुम्हे....

अभय –वो कॉन सी बात थी जिसके चलते बड़े ठाकुर ने रमन के बजाय संध्या के नाम जायदाद कर दी...

शंकर – मुझे इसके बारे में सच में कुछ नही पता बेटा....

अभय – रमन का चलन कैसा था अपने पिता और अपने भाई के साथ....

शंकर – मू में राम बगल में छुरी का काम करता था रमन तब....

अभय – क्या रमन का भाई और पिता जान नही पाए कभी इस बारे में....

शंकर – रमन शुरू से ही तेज रहा है इन कामों में अपनी होशियारी के चलते ज्यादा तर काम मनन से करवा देते थे जिसका पता किसी को नहीं चलता था....

अभय – एक बात तो बता तुझे इतना सब कैसे पता है रमन की हर बात जनता है तू इसका मतलब रमन तेरे से कुछ नही छिपाता था....

शंकर – मैं शुरू से ही रमन का साथ दे रहा हू हर काम में...

अभय – इसीलिए तेरे घर में बीवी तेरी जरूर है लेकिन बेटी उसकी है क्यों...

शंकर – अपने मजे के लिए रमन ने उर्मिला मेरे साथ रहने को कहा गांव वालो के सामने मेरी बीवी बना के....

अभय – (बाते सुन के) तेरे लिए खाना रखा है खा के सोजा बाकी बात कल करेंगे....

शंकर – मैने सब तो बता दिया अब क्यों रोक रहे हो मुझे....

अभय – अभी तो शुरुवात हुई है सरपंच चाचा अभी तो बहुत कुछ बाकी है....

शकर –(चौक के) सरपंच चाचा , गांव में इस नाम से सिर्फ अभय बुलाता था मुझे इसका मतलब तुम....

बात सुन के अभय मुस्कुराने लगा जिसे देख शंकर की आखें हैरत से बड़ी हो गई....

अभय – खाना खा लो चाचा और हा ये जंजीर तब तक नही खुलेगी जब तक मैं इसे नही खोल देता इसीलिए करना तो सिर्फ कोशिश करना लेकिन करना मत
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Super update Bhai 💯
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,352
40,126
259
बढ़िया अपडेट, कुछ राज खुले, कुछ नए पता चले।

:applause:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
22,299
59,029
259
UPDATE 34


सायरा खाना लेके गई अभय के पास....

सायरा –खाना खा लो अभय....

अभय –मन नही हो रहा सायरा खाने का...

सायरा – तुम्हारे खाना ना खाने से क्या हो जाएगा अभय मन में चल रही उलझन सुलझ तो नही जाएगी तुम्हारी अपने शशिर को तकलीफ देने से कुछ नही मिलेगा तुम्हे आओ खा लो खाना....

अभय मन मार के बैठ गया खाना खाने लेकिन उसका मन नही लग रहा था खाने में तभी....

सायरा –(बात बदल के) वैसे अनिता तुम्हारी बहुत टैरिफ कर रही थी बहुत अच्छी फाइट करते हो तुम मैने मिस कर दी फाइट तुम्हारी कहा से सीखा तुमने फाइट करना...

अभय – कही से नही घर में कभी कभी मूवी देखता था फाइट वाली फिर हॉस्टल में पढ़ाई के इलावा कमरे में मूवी देखता था मां ने हॉस्टल के वार्डन को मना के रूम में टीवी रखवाई थी मेरे बस रूम में टीवी पर फाइट वाली मूवी देखता और रूम में ही प्रैक्टिस करता था...

सायरा – (बाते कर अभय को खाना खाते देख) कैसा बना है खाना आज...

अभय – बहुत अच्छा बना है...

अभय – तुमने कहा से सीखा खाना बनाना...

सायरा – हॉस्टल में ट्रेनिंग के दौरान कभी कभी मौका मिल जाता था खाना बनाने का मुझे बस तभी सिख लिया खाना बनाना...

अभय – हॉस्टल में इन सब के इलावा कभी कोई BF बनाया तुमने...

सायरा –(अभय की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हा बनाया था एक को लेकिन वो मतलबी निकला...

अभय –क्या मतलब...

सायरा – उसे सिर्फ मजा करना था मेरे साथ...

अभय – और तुम...

सायरा – मैने बस यही गलती कर दी प्यार कर बैठी उस बंदे से जब उसका मतलब निकल गया छोड़ के भाग गया....

अभय – छोड़ के भाग गया कैसे....

सायरा – प्यार करते करते बहुत आगे निकल गई थी मैं जब ट्रेनिंग खतम हुई तब वो जान छुड़ाने लगा मुझसे तब एक उसने खुल के बोल दिया उसे सिर्फ मजा करना था और कोई मतलब नहीं रखना चाहता था मुझ से....

सायरा की बात सुन अभय देखने लगा सायरा को...

सायरा – (अभय को खुद को देखते हुए पाया मुस्कुरा के बोली) तुम ज्यादा मत सोचो इस बारे में मैने उस दिन के बाद खुद को समझाया किसी तरह ठान लिया अब किसी से प्यार नहीं करूंगी बस तब से अपनी ड्यूटी पर सारा फोकस रखा हुआ है मैने...

अभय – (सायरा की बात सुन) तुम मेरे साथ फिर क्यों...

सायरा – तुम्हारे साथ की बात अलग है अभय तुम किसी और के जैसे नही हो...

अभय –और ये कैसे कह सकती हो तुम...

सायरा – एक्सपीरियंस अभय एक्सपीरियंस इतना वक्त मैने ऐसे नही बिताया है यहां हवेली में....

अभय –(चौक के) हवेली से क्या मतलब है तुम्हारा....

सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हे क्या लगता है रमन ठाकुर किसी को बक्श सकता है खास कर लड़की को...

अभय – मतलब उसने तुम्हारे साथ...

सायरा –(मुस्कुरा के) नही हा कोशिश जरूर कर रहा था लेकिन ठकुराइन के कारण कुछ नही बोल पता था क्योंकि मैं हवेली में रहती थी वही का काम देखा करती थी इसीलिए रमन दाव नही लगा पाया मुझ पे....

अभय – अब वो किसी पे दाव नही लगा पाएगा कभी....

सायरा – अच्छा वो भला कैसे....

अभय – सोचा है कुछ मैने भी उसके लिए....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है अच्छा आज एक बंदा आया था एक बैग देके गया है तुम्हारा नाम बताया तो मैने ले लिया....

अभय – तुमने दीदी को नही बताया....

सायरा – नही...

अभय –कहा है बैग...

सायरा – तुम्हारे बेड के नीचे रखा है...

खाना खा के अभय उठ के बैग को खोला जिसे देख सायरा बोली...

सायरा – ये सब क्या है अभय ये मोबाइल , लैपटॉप , कैमरा , विग , और ये बॉक्स ये सब क्या है अभय....

अभय – ये सब हाई एडवांस चीजे है सायरा इसकी मुझे बहुत जरूरत पड़ने वाली है...

सायरा – (अभय को देख के) तुम क्या करने वाले हो सच सच बताओ....

अभय – क्या तुम मुझ पे विश्वास करती हो...

सायरा – ये कैसा सवाल हुआ...

अभय –जो पूछा बताओ करती जो विश्ववास...

सायरा – हा करती हू...

अभय – तो बस विश्वास रखो मैं जो भी करूंगा सोच समझ के करूंगा और इसमें तुम्हे मेरी मदद करनी है...

सायरा – क्या मदद चाहिए तुम्हे...

अभय – क्या तुमने इन दो सालों में कभी खंडर के बारे में सुना है किसी से....

सायरा – हा यही की वो शरापित है बस...

अभय – और कुछ...

सायरा – नही बस यही सुना है....

अभय –अब मेरी बात ध्यान से सुनो (फिर अपने घर से भागने वाली बात बताता है और रास्ते में जो देखा उसे) बस यही जानना चाहता हू मै क्या है वहा पर कॉन है जो मेरी जायदाद पर ये सब कर रहा है जिसका पता शायद किसी को भी नही है...

सायरा –(बात सुन के) मैं इसमें तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हू...

अभय –(मुस्कुरा के) बस मैं जो भी करू तुम दीदी को पता मत चलने देना...

सायरा – लेकिन चांदनी ने तुम्हे माना किया है ना वहा जाने से...

अभय – इसीलिए मदद चाहता हू तुमसे भरोसा रखो मैं ऐसा कुछ नही करूंगा जिससे बात बिगड़े ठीक है...

सायरा – ठीक है खेर तुम आराम करो...

अभय – तुम भी आ जाओ साथ में आराम करते है...

सायरा –(मुस्कुरा के) अच्छा अभी से बड़ी जल्दी है...

अभय –(सायरा का हाथ पकड़ बेड में लेता के) जरूरी नही है हर बात का वही मतलब हो मैडम आओ AC का मजा लो बस और कुछ नही...

बोल के दोनो मुस्कुरा के आराम करने लगते है इधर हवेली में अपने कमरे में बैठी संध्या बात कर रही थी चांदनी से...

संध्या – क्या बात है चांदनी आज सुबह सुबह तुम जल्दी चली गई थी...

चांदनी – हा मौसी काम था इसीलिए आप बताए आराम नही कर रहे आप...

संध्या – मन नही हो रहा है मेरा किसी काम को करने का...

चांदनी –(कंधे पे हाथ रख के) मौसी आप उस बारे में मत सोचिए ज्यादा जो हुआ उसे बदल नही सकते लेकिन आने वाले कल पे ध्यान दे सकते है ना आप इन सब के चक्कर में अपने काम में कमी मत आने दो देखा था ना आपने जब आपका ध्यान नही था काम पर तब क्या हुआ था...

संध्या – हा चांदनी तुम सही कह रही हो मैं वो लापरवाही नही करने वाली अब इसके चलते गांव वालो को दिक्कत नही आने दुगी...

चांदनी – हा मौसी बाकी रही अभय की बात मुझे खुद नहीं समझ आ रहा इस बारे में क्या बात करू उससे...

संध्या – नही चांदनी तुम मत बोलना इस बारे में कही तुमसे नाराज हो गया....

चांदनी –(मुस्कुरा के) इतना मुझे यकीन है अभय पर वो नाराज तो कभी नही होगा मुझ से...

संध्या – भाई बहन का प्यार भी अजीब होता है चांदनी विश्वास और भरोसा की बुनियाद को हिला नही सकता है कोई...

चांदनी –(मुस्कुरा के) हा मौसी सच कहा आपने (कुछ सोच के) मौसी आपकी भी तो एक बहन है न...

संध्या –(सीरियस होके) हा चांदनी जाने कितने साल हो गए उसका पता तक नहीं जाने कहा होगी वो....

चांदनी –आपने पता नही लगाया उनका....

संध्या – कोशिश की थी इन्होंने (पति– मनन ठाकुर) लेकिन कुछ पता नही चल पाया उसका जब से घर से गई पता नही चला उसका आज तक...

चांदनी – पुलिस ने क्या कहा...

संध्या – ठाकुर साहब(मनन ठाकुर) ने बात की लेकिन सिवाय निराशा के कुछ नही मिला...

चांदनी – आपके पास कोई तस्वीर है उनकी...

संध्या –(अपनी अलमारी से एल्बम निकल के तस्वीर दिखाई चांदनी को) ये तस्वीर है उसकी उसके जाने से पहले ली थी ये तस्वीर...

चांदनी एल्बम को देखने लगी गौर से तब उसने संध्या की बहन की तस्वीर की फोटो क्लिक की अपने मोबाइल में साथ में कुछ और भी तस्वीर जिसके बाद...

चांदनी – मौसी आप चिंता मत करिए मैं मां से बात करती हू इस बारे में कोशिश करूंगी कम से कम आपकी बहन मिल जाय आपको...

संध्या –(बात सुन चांदनी का हाथ पकड़ के) तू निराश मत हो चांदनी तूने भी कोशिश की अभय को समझने की लेकिन किस्मत के आगे किसका जोर चला है....

बोल के हल्का हस के बेड में बैठ गई संध्या जिसके बाद चांदनी ने सारी डिटेल्स अपनी मां को भेज चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि इस तरफ बीच (समुंदर किनारे) पर खड़े कई लोग देख रहे थे पुलिस को जो किनारे पड़ी लाशों को देख इकट्ठा कर रही थी जिसमे राजेश भी मौजूद था...

राजेश –(अपने हवलदारों से) किसने किया होगा ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब आज दूसरी बार ये नजारा देख रहा हू मै...

राजेश – (चौक के) दूसरी बार मतलब...

हवलदार– कुछ दिन पहले भी ऐसा ही नजारा देखा था हमने साहेब गांव से थोड़ी दूर जय गले में बन एक घर में बहुत बेरहमी से मारा गया था लोगो को...

राजेश –कुछ पता चला किसने किया ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब लेकिन तब थानेदार ने एक लड़के को पकड़ा था और उस लड़के ने जो बताया उसके बाद थानेदार के साथ हम सब को लकवा मार गया था...

राजेश –ऐसा क्या बताया उस लड़के ने....

हवलदार – उसका कहना था ये सब उसने किया है यहां तक थानेदार उसकी बात मजाक समझ रहे थे तब उस लड़के ने बताया कैसे मारा लोगो को लाशे किस तरह पड़ी है जबकि इस बारे में हमारे इलावा किसी को नही पता था उस लड़के की बात सुन के हम सब की हवा टाइट हो गई उसके बाद तो ना जाने कैसे थानेदार को DIG का कॉल आया जिसके बाद थानेदार ने उस लड़के को छोड़ दिया....

राजेश –(चौक के) क्या DIG कॉल आया उस लड़के के लिए लेकिन क्यों.....

हवलदार – ये तो नही पता साहेब लेकिन जिस तरह से वो लड़का बोल रहा था उससे यही लगा वो DIG का बेटा है....

राजेश –(हैरानी से) DIG का बेटा यहा इस गांव में तुमने देखा उसे कैसा दिखता है वो....

हवलदार – वो यही के कॉलेज में पढ़ता है साहेब उसका नाम अभी है हॉस्टल में रहता है अकेला अभी हॉस्टल में कोई नही आया है सिवाय उसके लेकिन साहेब आप दूर रहना उस लकड़े से बहुत ही खतरनाक है थाने में उसने अकेले सिर्फ बातो से सबकी हवा टाइट कर दी थी...

राजेश – (नाम सुन के) अभी (मन में – कही ये वही लड़का तो नही जिसे मैं कल मिला था संध्या की हवेली में (हल्का मुस्कुरा के) चाटे का जवाब देने का मौका खुद चल के मेरे पास आ गया) (हवलदार से)चुप चाप अपने काम पर ध्यान दो समझे और कोई सबूत मिला ऐसा जिसके वजह से हम जान सके कातिल के बारे में....

हवलदार – कुछ नही है यहां पर साहेब बहुत सफाई से मारा है इनको....

राजेश – ठीक है लाशे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो....

पुलिस के इलावा मौजूद बीच में कई लोग ये नजारा देख रहे थे उसमे एक आदमी देख के वहा से निकल के किसी को कॉल लगाया उसने....

सामने से – हा बोल क्या बात है...

आदमी – साहेब यहां बीच पर हमारे लोग मरे पड़े हैं...

सामने से – क्या कैसे मारे गए....

आदमी – कल शंकर का कॉल आया था किसी लड़के को मारने की बात बोल रहा था रमन ने बोला था उसे , उसने आदमी मांगे मैने भेज दिया थे लेकिन यहां तो उल्टा हमारे आदमी मरे पढ़े है....

सामने से – (चौक के) रमन मरवाना चाहता था किसी लड़के को और किस लड़के को मारने की बात की थी शंकर ने तुझे....

आदमी –फोटो भेजी थी शंकर ने मुझे....

सामने से – कॉन है वो....

आदमी – नया लौंडा है हॉस्टल में रहता है पढ़ने आया है कॉलेज में यहां पर....

सामने से –(जल्दी से) फोटो भेज मुझे उसकी जल्दी...

आदमी – भेज दी साहेब....

सामने से –(अपने मोबाइल में फोटो देख के) ये लड़का लेकिन इससे क्या दुश्मनी है रमन की....

आदमी – बताया नही साहेब लेकिन संध्या कुछ ज्यादा ही मेहरबान है इस पर हवेली में गांव वालो के लिए खाना भी इस लड़के ने बनाया था अकेले और रात में खाने पर गया था ये लड़का हवेली में लेकिन बिना खाना खाए वापस आ गया....

सामने से – अच्छा ऐसी क्या बात हो गई....

आदमी – पता नही साहेब लेकिन उस रात किसी ने खाना नही खाया था....

सामने से – ओह तब तो लगता है जो मैं सोच रहा हू अगर बात वही है तो लगता है अब हमे खंडर के बारे में पता लगाने के लिए संध्या की जरूरत पड़ने वाली है जल्द ही...

आदमी –आप कहे तो उठवा लू संध्या को आज ही...

सामने से – (गुस्से में) अभी कोई पागल पन करने की जरूरत नहीं है (आराम से) करेगे ये भी लेकिन अलग तरीके से जब वो लकड़ा साथ हो संध्या के ताकि काम बन जाय अपना आराम से फिर जो चाहे वो करना संध्या के साथ लेकिन लड़के को मारना मत उसके सामने ही होगा ये सब ताकि उसे भी दर्द और तकलीफ महसूस हो जो मैने सही है तू अभी सिर्फ नजर बनाए रख अपनी मौका पाकर खेल को अंजाम देगे जब भी दोनो साथ नजर आए बता देना मुझे क्या करना है मैं बताऊंगा आगे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया तब उस आदमी ने किसी और को कॉल लगाया...

औरत – कैसे हो तुम याद आ गई मेरी...

आदमी – ठीक हू मेरी जान तुझे भूला कॉन है बस एक बात बताने के लिए कॉल किया था तुझे...

औरत – अच्छा कौन सी बात बतानी थी....

आदमी – जब संध्या और वो लड़का दोनो साथ हो तो तुरंत बताना मुझे....

औरत – वो किस लिए...

आदमी –(जो कॉल बात हुई बता के) समझ गई तुम...

औरत – लगता है बड़ी दया आ गई है संध्या पर तेरे मालिक को जो बिना तड़पाए इतनी आसानी से काम करने को बोल रहा है तेरा मालिक...

आदमी – मेरी जान तू अपना दिल छोटा मत कर तेरे भी मन का काम होगा उसके बाद तू जैसे कहे वैसे तड़पाएगे संध्या को बस तू ये काम करवा दे किसी तरह....

औरत – ठीक है लेकिन अपना वादा याद रखना और एक बात कान खोल के सुन ले मेरी जो करना हो करना लेकिन उस लड़के को अगर कुछ किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा....

आदमी – अरे तू पगला गई है क्या क्यों पड़ी है उस लड़के के इतना पीछे.....

औरत –आज तक तेरी बात नही टाली मैने क्या मेरे लिए तू इतना भी नही कर सकता है क्या इतना ही प्यार करता है तू मुझे....

आदमी – अरे मेरी जान प्यार करता हू तभी साथ दे रहा हू तेरा ठीक है तू जैसा चाहेगी वैसा होगा लेकिन मालिक को क्या बोलूं मैं....

औरत – कौन सा मालिक काम होने के बाद कौन सा तू उसे जिंदा छोड़ेगा....

आदमी – सो तो है सबूत नही छोड़ना चाहिए कभी चल ठीक है मेरा काम हो जाय बता देना अपना काम होने के बाद सिर्फ और सिर्फ हम राज करेंगे हमेशा के लिए हवेली में....

बोल के कॉल काट दिया इधर औरत कॉल के कट होने के बाद....

औरत – हवेली सिर्फ मेरे बेटे की है किसी और की कभी नही होगी और इसके लिए तुझे भी मरना पड़ेगा बस एक बार संध्या रास्ते से हट जाए....

शाम हो गई थी अभय उठ के निकल गया था हॉस्टल से बाहर उसकी मुलाकात हुई राज से....

राज – क्या हाल चाल है तेरे....

अभय –मस्त तू बता भाई....

राज – बताना क्या है बे कल से एक्स्ट्रा क्लास लगने वाली है हम चारो की...

अभय – एक्स्ट्रा क्लास क्या मतलब तेरा....

राज – मां ने बोला है कल से सुबह 5 बजे हम चारो को जाना है अखाड़े में बाबा के पास...

अभय – वहा पर क्यों यार...

राज – ये तो वही पर जाके पता चलेगा तू कल से सुबह 5 बजे समझा नही तो मां को बोल दुगा....

अभय –(हस्ते हुए) मेरा तो ठीक है तू अपना सोच उठ पाएगा 5 बजे सुबह...

राज –हा यार अलार्म बना के रखूगा आज से खेर तू बता कुछ....

अभय – कुछ खास नही यार बस टहलने निकला हू....

राज – अच्छा और कुछ भी नही....

अभय – ना भाई और कुछ नही....

राज – अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है बाते क्यों...

अभय – मैने क्या छुपाया तेरे से...

राज – चांदनी ने सब बता दिया मुझे सुबह तेरी झड़प हुई बीच में किसी से क्या हुआ था....

अभय –पता नही यार कॉन थे साले बिना मतलब के मरना चाहते थे मार दिया मैने सबको....

राज –तू साला पूरा का पूरा पागल हो गया है अबे किसी को तो जिंदा छोड़ देता....

अभय – (अपनी जेब से मोबाइल निकल के राज को दिखाते हुए) ये मिला मुझे एक बंदे की जेब से गिर गया था इतना हाई फाई मोबाइल वो भी इनके जैसो के पास सोच जरा....

राज –(मोबाइल को देखते हुए) बड़ा ही हाई चॉइस है बंदे की APPLE का मोबाइल लेके घूम रहा है चेक किया.....

अभय – हा किया ना तोड़ दिया लॉक इसका ये देख किसका नंबर है इसमें....

राज – (नाम पड़ के चौक गया) शंकर इस बंदे के पास इसका नंबर कैसे आया....

अभय –ध्यान से देख कल बात हुई है इस नंबर पर साथ में और भी नंबर है किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है....

राज – (कुछ सोच के) यार ये नाम सुना हुआ लग रहा है मुझे....

अभय – याद कर कहा सुना है नाम तूने इसका....

राज – यार याद नहीं आ रहा है जाने कहा सुना है नाम मैने....

अभय – एक काम करते है चल चलते है जरा शंकर के हाल चाल लेने....

राज – बाकी के वो दोनो को क्या बोलूं बे आते होगे वो भी...

अभय – जाने दे नही मिलेगी हम तो कॉल करेगे दोनो को समझा देगे चल अभी...

बोल के बाइक से निकल गए दोनो शंकर के घर को तरफ उसके घर के पास आते ही अभय ने बाइक रोक दी....

अभय – (राज से) तू जाके जरा पता कर अगर मिल जाय इशारा करना मुझे बात करते है उससे....

राज चला गया शंकर के घर दरवाजा खटखटा के...

राज – (दरवाजा खटखटा के) काका...

उर्मिला –(अंदर से आवाज लगाते हुए) कॉन है....

राज – काकी मैं राज...

उर्मिला –(दरवाजा खोल के) हा राज बेटा....

राज –काकी जरा काका से काम है कहा है....

उर्मिला –पता नही बेटा आए थे जल्दी में थे अभी निकले है समान लेके शहर जा रहे है ट्रेन से...

राज – अच्छा कब तक आएगा काका...

उर्मिला – उनका पता नही बेटा कभी 1 दिन में आ जाते है कभी 2 से 3 दिन में...

राज – अच्छा काकी कोई बात नही फिर कभी मिललूंगा बाद में...

उर्मिला –कोई काम हो तो बता दो...

राज –(जाते हुए) कोई खास काम नहीं काकी बाद में आऊंगा मिलने...

बोल के राज निकल गया उसके जाते ही उर्मिला ने दरवाजा बंद कर दिया राज उर्मिला के घर से निकल के अभय के पास आया और सब बता दिया...

अभय –(राज की बात सुन के) जल्दी में निकल गया लगता है कोई बता जरूर है चल स्टेशन चलते है बैठ...

बोल के दोनो बाइक से जल्दी निकल गए रेलवे स्टेशन की तरफ रेलवे स्टेशन में आते ही किस्मत से उन्हें शंकर मिल गया रास्ते में स्टेशन के अन्दर जा रहा था...

अभय – (जाते हुए शंकर को पीछे से आवाज देते हुए) कैसे हो शंकर चाचा बड़ी जल्दी में लग रहे हो...

शंकर आवाज सुन पीछे पलट के अपने सामने अभय को देखते ही आखें बड़ी हो गई उसकी तुरंत भागने को पलटा ही था की पीछे से राज से टकरा के गिर गया...

राज –(शंकर के गिरते ही) अरे काका बस भी करो और कितना गिरोगे तुम उठो...

शंकर –(डरते हुए) मैने कुछ नही किया सच बोल रहा हू....

अभय –(मुस्कुरा के) मैने तो कुछ पूछा नही चाचा तुमसे....

शंकर –(हड़बड़ा के) मुझे जल्दी शहर जाना है बेटा काम है जरूरी....

राज –हा हा चले जाना काका कॉन रोक रहा है तुम्हे लेकिन हमारे सवालों का जवाब देने के बाद....

शंकर – मैं शहर से आके बात करूंगा बेटा अभी मुझे जाने दो....

अभय –(गुस्से में पास आके धीरे से) चुप चाप बिना तमाशा किए हमारे साथ चल वर्ना सुबह तो 25 को निपटाया था तुझे मिला के 26 हो जाएंगे समझा चल बैठ बाइक पर हमारे साथ और अपना चेहरा ढक ले कही रास्ते में कोई पहचान ना ले तुझे पुरानी.....

वो कहावत है मरता क्या न करता बस वही हुआ शंकर के साथ डर से मजबूर होके शंकर को जाना पड़ा अभय के साथ बाइक में जाके सीधा हॉस्टल में रुके जहा शंकर को अन्दर ले जाने लगा अभय और राज हॉस्टल के बाहर रुक गया ताकि कोई आ ना जाए अंडर आते ही सामने सायरा मिली...

सायरा – (अपने सामने अभय के साथ चेहरा ढके आदमी को देख) ये किसे साथ ले आए तुम...

अभय – बाद में बताऊंगा अभी के लिए जरा अपना कमरा खाली कर मेरे रूम में समान रखो अपना....

सायरा –लेकिन....

अभय – जो बोला जल्दी करो बस बाकी बाते बाद में बताऊंगा तुम्हे....

अभय की बात सुन के सायरा ने जल्दी जल्दी अपने कमरे से सारा सामान अभय के कमरे में रखा तब अभय ने शंकर को सायरा के कमरे ले जाके बैठा दिया बेड में.....

अभय –(शंकर को बेड में बैठा के) चुप चाप यही पर बैठा रह तू सायरा सुन....

सायरा के कान में कुछ कहा जिसे सुन सायरा अभय को देखने लगी...

अभय – जाओ जल्दी से मैं सब समझा दुगा बस अभी जाओ....

अभय की बात सुन सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में सायरा और राज साथ में कमरे के अन्दर आए साथ में लोहे का स्टैंड , पानी की टंकी और जंजीर ले आए जिसके बाद राज और अभय ने शंकर को बेड में लेता दिया जंजीर से अच्छे तरीके से बांध दिया ताकि हिल भी ना सके और शंकर के सिर के पास लोहे का स्टैंड लगा के इसके ऊपर पानी की टंकी रख दी उसके बाद अभय मुस्कुरा के बस देखने लगा शंकर को....

शंकर – मैं कुछ नही जानता छोड़ दो मुझे जाने दो...

अभय बस स्माइल करते हुए देखता रहा शंकर को काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा तब लेकिन शंकर ने कुछ नही बोला तब....

अभय – (पानी की टंकी के नल को हल्का सा घुमाया जिससे टंकी से एक एक बूंद पानी की धीरे धीरे शंकर के सर में गिरने लगी) कैसा लग रहा है चाचा अजीब लग रहा होगा ना कोई बात नही डॉक्टर की दी हुई दावा का असर भी कुछ वक्त बाद होता है इसका भी असर होगा तब तक मजे लो तुम बाद में आते है हम , और हा एक बता दू तुम्हे इस हॉस्टल में मैं अकेला रहता हू साथ में ये लड़की और चौकीदार भी रहता है लेकिन हॉस्टल के बाहर और ये वाला कमरा बीच में है तू जितना चिल्ला सकता है चिल्ला तेरी आवाज यहां पर ही रहेगी बाहर नही जाएगी चलता हू...

बोल के अभय , राज और सायरा निकल गए कमरे को बाहर से बंद करके....

राज – अब क्या करना है यार....

अभय – जब तक इसका मू नही खुल जाता तब तक टॉचर का सिलसिला चलता रहेगा इसके साथ और तब तक ये यही रहेगा बस गांव में पता नही चलना चाहिए इसके बारे में किसी को...

राज – उसकी चिंता तू मत कर किसी ने भी हमे यहां आते नही देखा है...

सायरा – मुझे तो ये समझ नही आ रहा है आखिर तुम दोनो इसे यहां लाए क्यों हो...

अभय –(राज से) भाई तू घर जा मै कल से सुबह आऊंगा फिर बात करते है हम...

राज – (बात समझ के) ठीक है कल मिलते है...राज के जाते ही अभय बोला....

अभय –(सायरा से) सुबह का पता है ना तुझे क्या हुआ था बीच में...

सायरा – हा पता है...

अभय –(मोबाइल दिखाते हुए) मुझे ये मोबाइल मिला एक बंदे का गिरा हुआ इसमें दो नंबर है एक शंकर का और एक नंबर किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है...

सायरा –(चौक के) तुम्हे इतना डिटेल्स कहा से मिल गई.…

अभय – तुम्हे याद है वो बैग उसकी मदद से जान पाया मैं...

सायरा – तो तुम्हे क्या लगता है शंकर के पास से क्या जानकारी मिल सकती है तुम्हे...

अभय –(मुस्कुरा के) जल्दी क्या जानने की कही जा रही हो क्या यही हो ना मेरे साथ और अब तो मेरे कमरे में ही तुम्हे सोना है आज से (आंख मार के) मेरे साथ...

सायरा –(अभय के कंधे पे हल्का मुक्का मार के) धत पागल कही का...

बोल के मुस्कुराने लगे दोनो सायरा चली गई खाने की तयारी करने अभय बेड में बैठ लैपटॉप में छेड़खानी करने लगा जबकि हवेली में हिसाब के खाते की लिखा पड़ी का काम निपटाने के बाद संध्या हाथ में मोबाइल लिए अभय को कॉल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रही थी डर से कही अभय जाने क्या बोल दे ऐसा कुछ जिससे संध्या घबरा रही थी किसी तरह हिम्मत जुटा के संध्या ने कॉल मिला दिया अभय को...

अभय – हेलो...

संध्या – फोन मत काटना बात सुन ले मेरी...

अभय – अब क्या बताना है....

संध्या – मैं जानती हू तू नाराज है अभी भी मुझसे लेकिन एक मौका तो दे मुझे....

अभय – (आराम से) जब तक मैं हवेली में था मैने तो तुझे मौका देने से कभी रोका ही नही उल्टा तेरे पास मौका ही मौका था लेकिन तब क्या किया सिर्फ दूसरो की बात सुनी तूने मुझसे तो कभी पूछा तक नहीं इस बार भी हवेली आया था लेकिन इस बार भी (बोल के चुप हो गया कुछ सेकंड रुक के बोला) देख मैं जानता हू तेरी अपनी जिंदिगी है जिसपे मेरा कोई अधिकार नही...

संध्या –(बीच में बात काटते हुए) मत बोल ऐसा ये जिदंगी सिर्फ तेरी है तेरा ही अधिकार है मेरी जिंदिगी पर बस एक बार मांग के तो देख तू....

अभय –जानती है तू बहुत वक्त लगा था मुझे खुद को संभालने में बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला है मैने ऊब गया था मन मेरा इस जिदंगी से अब शायद और हिम्मत ना जुटा पाऊ मैं मत कर कमजोर कही ये जिंदिगी भारी ना लगने लगे मुझे...रोते हुए कॉल कट कर दिया अभय ने इधर संध्या भी रो रही थी अभय की बात सुन के आधे घंटे बाद सायरा अपना और अभय का खाना ले आई...

सायरा – आओ खाना खा लो अभय....

अभय –खुशबू बहुत अच्छी आ रही है खाने की...

सायरा – ये तो ठीक है लेकिन इसका क्या करना है मैने उसके लिए भी बनाया है खाना...

अभय – खिलाऊगा खाना उसे लेकिन अभी नही अभी तो एक्सपेरिमेंट चल रहा है उसे उम्मीद है रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा तब खिलाऊगा खाना उसे....

सायरा – आइडिया कहा से आया तुम्हे ये....

अभय – साउथ की मूवी देखी थी उसमे था ये आज सोचा आजमा लिया जाय इसे देखते है क्या होता है आगे...

सायरा – पता कैसे पड़ेगा आइडिया काम कर रहा है की नही....

अभय – चिल्लाएगा जोर जोर से भीख मांगेगा तब बात करूंगा उससे....

सायरा – तब तक के लिए कुछ टाइम पास करते है खाना खा के....

मुस्कुराते हुए दोनो खाना खाने लगे खाने के बाद बर्तन रख के सायरा आ गई अभय के पास नाइटी पहन के...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – एक दम मस्त

सायरा – सेक्स किया है पहले कभी

अभय – अभ तक नही किया कैसे करते है

सायरा – कोई बात नही आज मैं सिखाऊंगी कैसे करते है सेक्स बस जैस आई बोलती जाऊ वैसा करते जाना तुम धीरे धीरे समझ आ जाएगा कैसे होता है सेक्स आओ शुरुवात किस करके करते है किस करो मुझे

सायरा की बात सुन अभय किस करने लगा सायरा को धीरे धीरे सायरा भी साथ देती जा रही थी अभय का किस में


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धीरे धीरे दोनो का किस पैशनेटली होता जा रहा था
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किस तोड़ अलग होके सायरा ने अपनी नाइटी उतार फेकी
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साथ में अपनी ब्रा और पेंटी भी
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अभय के सामने खड़ी होके...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – (सायरा को गौर से देख के) बिल्कुल हुस्न की परी लग रही हो यार तुम

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सायरा – (अभय को बेड में बैठा के) अब इस हुस्न की परी का कमाल देखो तुम (अभय का कच्छा उतार के) तुम्हारा तो बहुत बड़ा है लंड और मोटा भी खूब है मुझे नहीं मालूम था किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है(लण्ड को मसलते हुए)
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सायरा पैरों के पास घुटनो के बल बैठ गयी अपनी जीभ निकाल लण्ड को चाटने लगी उसकी सिसकारियाँ गूंजने लगी इस हमले से अभय मानो मदहोश सा हो गया था आज पहली बार उसे एक अलग सा आनंद मिल रहा था उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे वो सायरा के बस में हो
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सुपाड़े को अपनी जिव्हा से रगर रगड़ कर लाल करने के बाद सायरा ने उसे अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी अपना मुख हिलाती लण्ड को खूब मज़े से चुस रही थी सायरा
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अभय मस्ती में मस्त होके अपनी आंखे बन्द किए मजे में खोया हुआ था लंड चूसते हुए सायरा की नजर गई अभय पर तुरंत खड़ी होके अभय का दोनो हाथ अपने मम्मे में रख अपनी तरफ खीच अभय को किस करने लगी

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किस तोड़ के बोली

सायरा –जैसा मैने किया अब तुंभी वही करो...

बोल के अभय को अपने हाथो के दबाव से नीचे घुटने के बल बैठाने लगी अभय को वो भी सायरा की आखों में देख बैठ गया तब सायरा ने उसके मू को अपनी चूत की तरफ ले आई अपनी आखों से इशारा करके अभय का मू अपनी चूत में लगा दिया जिसे धीरे धीरे चाट ने लगा अभय

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अब धीरे धीरे अभय को भी शायद इसमें मजा आने लगा था सायरा की टांग को टेडा करके चूत पर अपनी जबान को अन्दर डाल चाटे जा रहा था
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एक सायरा – (मजे से सिसकियां लेते हुए) ऊहहहहहह हा बस ऐसे ही करते रहो अभय बहुत अच्छा कर रहे हो तुम
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आआआआअहह करते हुए सायरा का पानी निकल गया बीना जानें बस अभय चाटता गया ये देख सायरा हल्का मुस्कुरा के बोली...

सायरा – कैसा लगा

अभय – पहले तो अजीब लगा लेकिन फिर मजा आने लगा तुम सच में कमाल हो सायरा मैने ऐसा एक्सपीरियंस कभी नही सोचा था इतना मजेदार पूछो मत...

सायरा –(मुस्कुरा के) अभी तो असली मजा बाकी है अभय
बोल के अभय को अपने ऊपर खींच के...

सायरा – (अभय के लंड पे इशारा कर के) इसे मेरे अन्दर डालो फिर देखो असली मजा क्या होता है
बात सुन अभय ने लंड को चूत में अंदर डालने लगा अंडर जाते ही...

सायरा –(सिसकी लेते हुए) आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आह क्या करते हो मार डालोगे क्या आराम से डालो मेरे नादान बलम कही भागी नहीं जा रही हू मै

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लंड को वापस बाहर निकल के धीरे धीरे अंदर डालने लगा सुपाड़ा अंदर घुसते ही सायरा सिसक उठी
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अभय ने धीरे धीरे तीन चार धक्के मारे और लन्ड पूरा अंदर घुसाने लगा

सायरा – आआईईईईईई ऊँह्ह्ह्ह्ह्ल बस इसी तरह करते रहो अभय आराम आराम से...

सायरा की बात मान अभय आगे पीछे होने लगा जिससे सायरा और अभय को मजा आने लगा

19630215धीरे धीरे करते रहने से अभय का जोश बढ़ता गया और जोश में सायरा की चूत में जोर जोर से झटके देने लगा...

सायरा – आहहहहह उफ़्फ़्फ़्फ़ऊऊह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छे अभय बिल्कुल सही जा रहे हो तुम करते रहो बस इसी तरह

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तेज रफ्तार से अभय हर बार एक जोर के झटके से लंड पूरा बाहर निकलता और एक बार में पूरा अंदर करने लगता कुछ देर में अभय सायरा के उपर लेट कस के धक्के देने लगा जिस कारण दोनो ही पसीने से लतपथ हो गए
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कुछ ही देर की कड़क मेहनत के बाद अभय और सायरा एक साथ जोर दार आवाज गूंज गई कमरे में...

सायरा और अभय एक साथ – आआआआआआआआअहहहह...

इस आवाज के साथ दोनो ने अपना पानी छोड़ दिया एक दूसरे के बाहों में बहे डाले लंबी लंबी सांसे लेने लगे कुछ मिनट बाद अभय बगल हो गया सायरा के तब सायरा अभय के सीने पर सिर रख के...

सायरा – (सास लेते हुए) कैसा लगा तुम्हे...

अभय – बहुत ही सुकून मिला आज तो मुझे नही पता था की इतना सुकून मिलता है इसमें...

सायरा – सच में तुम्हारे साथ मुझे भी सुकून मिला आज काफी वक्त के बाद...

अभय –अगर तुम ना होती तो मैं जान ही ना पाता इस बारे में...

सायरा – (मुस्कुरा के) अभी तो बहुत जानना है तुम्हे मेरे नादान बलम , मैं तुम्हे परफेक्ट बना दुगी इसमें कोई भी लड़की दीवानी हो जाएगी तुम्हारी...

अभय –(मुस्कुरा के) और तुम...

सायरा – अब से मिली हू तब से दीवानी हो गई मैं तेरी अदा पे...

बोल के दोनो मुस्कुराने लगे AC की ठंडक का मजा लेते हुए अभय और सायरा एक दूसरे की बाहों में सो गए थे करीबन रात के 2:30 बजे शंकर के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज से अभय की नीद खुल गई नीड से जागते ही शंकर की तड़पने की आवाज सुन मुस्कुराते हुए अभय धीरे से सोती हुई सायरा को साइड में करके उठ कर धीरे धीरे चलते चलते शंकर के कमरे में चला गया....

शंकर –(अभय को सामने देख) इसे बंद करो मैं सब बताऊंगा बंद करो इसे....

अभय – सब कुछ सच बताओगे या सब झूठ बताओगे....

शंकर – सब सच बताऊंगा पहले इसे बंद कर दो...

अभय – अच्छा तो चलो जरा ये बताओ मुझे मारने के लिए लोगो को किसने भेजा था....

शंकर – रमन ठाकुर ने बोला था अब तो बंद कर दो इसे...

हल्की सी मुस्कान के साथ अभय ने टंकी का नल बंद कर दिया...

अभय – जब तक मेरे सवालों का जवाब सही देगा तब तक ठीक रहेगा लेकिन अगर झूठ बोला या कुछ छुपाया ऐसा कुछ भी तो फिर से ये खेल शुरू हो जाएगा समझा....

शंकर–(डरते हुए) समझ गया जो पूछना है पूछो सब बताऊंगा मैं....

अभय –(हस्ते हुए) हम्म्म अब आएगा मजा , पहला सवाल अपने मालिक रमन ठाकुर की सारी कुंडली दिखा मुझे....

शंकर –रमन शुरुवात से अय्याश किस्म का है उसे रिश्ते नातों से कोई मतलब नहीं है सिर्फ दौलत चाहिए उसे इसके लिए आए दिन दो नंबर का काम करता रहता है ड्रग्स की तस्करी करता है महीने की 20 तारीख को एक जहाज समुंदर के रास्ते विदेश जाता है उसमे से कुछ माल वो लोग ट्यूब लगा के पानी में गिरा देते है जिसे हमारे लोग नाव के जरिए उसे किनारे ले आते है फिर रमन गांव के दूसरे व्यापारियों से बात करके माल की डिलीवरी करवा देता है....

अभय – उसका पैसा कहा जाता है मतलब कैसे मिलता है रमन को....

शंकर – रमन का पर्सनल खाते में जाता है वो पैसा जिसकी जानकारी सिर्फ रमन को है....

अभय – गांव वालो की जमीन क्यों छीनी जा रही थी सिर्फ डिग्री कॉलेज के लिए या...

शंकर – ड्रग्स के काम में मुनाफा ज्यादा है इसीलिए रमन ने प्लान बनाया था डिग्री कॉलेज की आड़ में ज्यादा से ज्यादा माल गांव में मंगवा के कॉलेज में रखवाया करेगा ताकि ज्यादा पैसे कमा सके...

अभय – और अगर ये बात खुल जाती तो क्या होता रमन के साथ....

शंकर – रमन को कुछ नही होता उसने वो डिग्री कॉलेज संध्या के बेटे अभय के नाम से रजिस्टर करवाया है....

अभय – (गुस्से में) झूट बोलता है तू...

शंकर – नही ये सच है रमन ने जान बूझ के ऐसा किया अगर कल को बात खुल जाती है तो पुलिस और गांव वालो का शक संध्या पर जाएगा इसीलिए रमन ने संध्या के बेटे अभय के नाम डिग्री कॉलेज रजिस्टर किया और संध्या से झूट कहा कि कॉलेज की रजिस्ट्री बड़े ठाकुर के नाम की है...

अभय – लेकिन संध्या के साथ ऐसा क्यों कर रहा है रमन....

शंकर – दौलत के खातिर क्योंकि बड़े ठाकुर मारने से पहले वसीयत संध्या के नाम कर के गए थे....

अभय – तुझे कैसे पता वसीयत के बारे में...

शंकर – रमन ने बताया था मुझे...

अभय – रमन के पास है वसीयत

शंकर – नही उसके पास नहीं है

अभय – तुझे कैसे पता तूने देखा था क्या

शंकर – नही लेकिन रमन ने बताया था की बड़े ठाकुर मरने से पहले बोल रहे थे वसीयत के बारे में तब रमन ने सुना था

अभय – अगर संध्या फस जाति है तो रमन को फायदा कैसे होगा संध्या का बेटा भी तो मौजूद है ना....

शंकर –रमन के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत थी लेकिन फिर जाने कैसे एक दिन रमन बोलने लगा की उसे संध्या से प्यार हो गया है....

अभय –(अपनी आंख सिकुड़ के) क्या मतलब इस बात का संध्या से प्यार कैसे और क्या संध्या भी प्यार करने लगी रमन से....

शंकर – वो मुझे नही पता, लेकिन शायद अपने बेटे के कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही हो....

अभय – फिर क्या किया रमन और संध्या ने....

शंकर – रमन ने मुनीम से बोल के हर जरा सी बात पर अभय को मार खिलवाना शुरू करवा दिया था ताकि अभय डर के साए में रहे और रमन जो चाहे वो कर सके इसीलिए अपने बेटे को भी शामिल कर लिया इसमें ताकि अमन भी अभय के साथ वही करे तभी अमन ज्यादा से ज्यादा संध्या के करीब रहता था....

अभय – और संध्या वो ये सब होने दे रही थी अभय के साथ....

शंकर – संध्या विश्वास करती थी रमन पर इसीलिए आंख बंद करके यकीन कर लेती थी....

अभय – (हस के) विश्वास के खातिर अपने ही बेटे के साथ ये सलूक वाह क्या बात है , फिर आगे क्या हुआ....

शंकर –सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक रात अभय घर छोड़ के चला गया और ये बात रमन को पहले पता चल गई थी क्योंकि सुबह सुबह रमन गया था अभय के कमरे में क्योंकि उस दिन अभय का जन्मदिन था रमन ने सोच क्यों ना आज के दिन कुछ ऐसा हो जिससे संध्या ना चाहते हुए भी अभय पर आज हाथ उठा दे लेकिन अभय कमरे में नहीं मिला क्योंकि अभय इतनी सुबह जल्दी नही उठता था तब रमन को समझ आगया था अभय घर से भाग गया है कुछ सोच के रमन ने तुरंत मुनीम से बोल के जल्दी ही एक बच्चे की लाश का इंतजाम करने को कहा और मुनीम पास के गांव के अस्पताल से एक बच्चे की लाश ले आया जिसकी कद , रंग अभय से मेल खाता था लाश को लाके जंगल में छोड़ दिया गया अभय के स्कूल के कपड़े पहना के तब रमन ने लाश का सिर कुचल दिया ताकि सबको यकीन हो जाय की लाश अभय की है बस जल्दी में ये गलती हो गई रमन से क्योंकि संध्या को यकीन नही आया की अभय मर चुका है उस दिन से संध्या का रवईया बदल गया अपने बेटे के चले जाने....

अभय –हम्म्म....

शंकर – अब तो मुझे छोड़ दो बेटा मैने सब बता दिया तुम्हे....

अभय –वो कॉन सी बात थी जिसके चलते बड़े ठाकुर ने रमन के बजाय संध्या के नाम जायदाद कर दी...

शंकर – मुझे इसके बारे में सच में कुछ नही पता बेटा....

अभय – रमन का चलन कैसा था अपने पिता और अपने भाई के साथ....

शंकर – मू में राम बगल में छुरी का काम करता था रमन तब....

अभय – क्या रमन का भाई और पिता जान नही पाए कभी इस बारे में....

शंकर – रमन शुरू से ही तेज रहा है इन कामों में अपनी होशियारी के चलते ज्यादा तर काम मनन से करवा देते थे जिसका पता किसी को नहीं चलता था....

अभय – एक बात तो बता तुझे इतना सब कैसे पता है रमन की हर बात जनता है तू इसका मतलब रमन तेरे से कुछ नही छिपाता था....

शंकर – मैं शुरू से ही रमन का साथ दे रहा हू हर काम में...

अभय – इसीलिए तेरे घर में बीवी तेरी जरूर है लेकिन बेटी उसकी है क्यों...

शंकर – अपने मजे के लिए रमन ने उर्मिला मेरे साथ रहने को कहा गांव वालो के सामने मेरी बीवी बना के....

अभय – (बाते सुन के) तेरे लिए खाना रखा है खा के सोजा बाकी बात कल करेंगे....

शंकर – मैने सब तो बता दिया अब क्यों रोक रहे हो मुझे....

अभय – अभी तो शुरुवात हुई है सरपंच चाचा अभी तो बहुत कुछ बाकी है....

शकर –(चौक के) सरपंच चाचा , गांव में इस नाम से सिर्फ अभय बुलाता था मुझे इसका मतलब तुम....

बात सुन के अभय मुस्कुराने लगा जिसे देख शंकर की आखें हैरत से बड़ी हो गई....

अभय – खाना खा लो चाचा और हा ये जंजीर तब तक नही खुलेगी जब तक मैं इसे नही खोल देता इसीलिए करना तो सिर्फ कोशिश करना लेकिन करना मत
.
.
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जारी रहेगा✍️✍️
awesome update again and great writing efforts ✍️✍️ dear DEVIL MAXIMUM Raman kitni bhi kosis kar le lekin apne abhay se khud ko bacha nahi paayega, sarpanch ne muh khol diya hai or kafi kuch bol bhi diya hai👍 iska fayda abhay ko jaroor hoga, aur abay ne to Billi bhi maar li hai ab to :D Jo ki sayra ne aage se chal kar kiya hai,
Great job 👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥✨✨✨✨👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

Sweetkaran

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UPDATE 34


सायरा खाना लेके गई अभय के पास....

सायरा –खाना खा लो अभय....

अभय –मन नही हो रहा सायरा खाने का...

सायरा – तुम्हारे खाना ना खाने से क्या हो जाएगा अभय मन में चल रही उलझन सुलझ तो नही जाएगी तुम्हारी अपने शशिर को तकलीफ देने से कुछ नही मिलेगा तुम्हे आओ खा लो खाना....

अभय मन मार के बैठ गया खाना खाने लेकिन उसका मन नही लग रहा था खाने में तभी....

सायरा –(बात बदल के) वैसे अनिता तुम्हारी बहुत टैरिफ कर रही थी बहुत अच्छी फाइट करते हो तुम मैने मिस कर दी फाइट तुम्हारी कहा से सीखा तुमने फाइट करना...

अभय – कही से नही घर में कभी कभी मूवी देखता था फाइट वाली फिर हॉस्टल में पढ़ाई के इलावा कमरे में मूवी देखता था मां ने हॉस्टल के वार्डन को मना के रूम में टीवी रखवाई थी मेरे बस रूम में टीवी पर फाइट वाली मूवी देखता और रूम में ही प्रैक्टिस करता था...

सायरा – (बाते कर अभय को खाना खाते देख) कैसा बना है खाना आज...

अभय – बहुत अच्छा बना है...

अभय – तुमने कहा से सीखा खाना बनाना...

सायरा – हॉस्टल में ट्रेनिंग के दौरान कभी कभी मौका मिल जाता था खाना बनाने का मुझे बस तभी सिख लिया खाना बनाना...

अभय – हॉस्टल में इन सब के इलावा कभी कोई BF बनाया तुमने...

सायरा –(अभय की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हा बनाया था एक को लेकिन वो मतलबी निकला...

अभय –क्या मतलब...

सायरा – उसे सिर्फ मजा करना था मेरे साथ...

अभय – और तुम...

सायरा – मैने बस यही गलती कर दी प्यार कर बैठी उस बंदे से जब उसका मतलब निकल गया छोड़ के भाग गया....

अभय – छोड़ के भाग गया कैसे....

सायरा – प्यार करते करते बहुत आगे निकल गई थी मैं जब ट्रेनिंग खतम हुई तब वो जान छुड़ाने लगा मुझसे तब एक उसने खुल के बोल दिया उसे सिर्फ मजा करना था और कोई मतलब नहीं रखना चाहता था मुझ से....

सायरा की बात सुन अभय देखने लगा सायरा को...

सायरा – (अभय को खुद को देखते हुए पाया मुस्कुरा के बोली) तुम ज्यादा मत सोचो इस बारे में मैने उस दिन के बाद खुद को समझाया किसी तरह ठान लिया अब किसी से प्यार नहीं करूंगी बस तब से अपनी ड्यूटी पर सारा फोकस रखा हुआ है मैने...

अभय – (सायरा की बात सुन) तुम मेरे साथ फिर क्यों...

सायरा – तुम्हारे साथ की बात अलग है अभय तुम किसी और के जैसे नही हो...

अभय –और ये कैसे कह सकती हो तुम...

सायरा – एक्सपीरियंस अभय एक्सपीरियंस इतना वक्त मैने ऐसे नही बिताया है यहां हवेली में....

अभय –(चौक के) हवेली से क्या मतलब है तुम्हारा....

सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हे क्या लगता है रमन ठाकुर किसी को बक्श सकता है खास कर लड़की को...

अभय – मतलब उसने तुम्हारे साथ...

सायरा –(मुस्कुरा के) नही हा कोशिश जरूर कर रहा था लेकिन ठकुराइन के कारण कुछ नही बोल पता था क्योंकि मैं हवेली में रहती थी वही का काम देखा करती थी इसीलिए रमन दाव नही लगा पाया मुझ पे....

अभय – अब वो किसी पे दाव नही लगा पाएगा कभी....

सायरा – अच्छा वो भला कैसे....

अभय – सोचा है कुछ मैने भी उसके लिए....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है अच्छा आज एक बंदा आया था एक बैग देके गया है तुम्हारा नाम बताया तो मैने ले लिया....

अभय – तुमने दीदी को नही बताया....

सायरा – नही...

अभय –कहा है बैग...

सायरा – तुम्हारे बेड के नीचे रखा है...

खाना खा के अभय उठ के बैग को खोला जिसे देख सायरा बोली...

सायरा – ये सब क्या है अभय ये मोबाइल , लैपटॉप , कैमरा , विग , और ये बॉक्स ये सब क्या है अभय....

अभय – ये सब हाई एडवांस चीजे है सायरा इसकी मुझे बहुत जरूरत पड़ने वाली है...

सायरा – (अभय को देख के) तुम क्या करने वाले हो सच सच बताओ....

अभय – क्या तुम मुझ पे विश्वास करती हो...

सायरा – ये कैसा सवाल हुआ...

अभय –जो पूछा बताओ करती जो विश्ववास...

सायरा – हा करती हू...

अभय – तो बस विश्वास रखो मैं जो भी करूंगा सोच समझ के करूंगा और इसमें तुम्हे मेरी मदद करनी है...

सायरा – क्या मदद चाहिए तुम्हे...

अभय – क्या तुमने इन दो सालों में कभी खंडर के बारे में सुना है किसी से....

सायरा – हा यही की वो शरापित है बस...

अभय – और कुछ...

सायरा – नही बस यही सुना है....

अभय –अब मेरी बात ध्यान से सुनो (फिर अपने घर से भागने वाली बात बताता है और रास्ते में जो देखा उसे) बस यही जानना चाहता हू मै क्या है वहा पर कॉन है जो मेरी जायदाद पर ये सब कर रहा है जिसका पता शायद किसी को भी नही है...

सायरा –(बात सुन के) मैं इसमें तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हू...

अभय –(मुस्कुरा के) बस मैं जो भी करू तुम दीदी को पता मत चलने देना...

सायरा – लेकिन चांदनी ने तुम्हे माना किया है ना वहा जाने से...

अभय – इसीलिए मदद चाहता हू तुमसे भरोसा रखो मैं ऐसा कुछ नही करूंगा जिससे बात बिगड़े ठीक है...

सायरा – ठीक है खेर तुम आराम करो...

अभय – तुम भी आ जाओ साथ में आराम करते है...

सायरा –(मुस्कुरा के) अच्छा अभी से बड़ी जल्दी है...

अभय –(सायरा का हाथ पकड़ बेड में लेता के) जरूरी नही है हर बात का वही मतलब हो मैडम आओ AC का मजा लो बस और कुछ नही...

बोल के दोनो मुस्कुरा के आराम करने लगते है इधर हवेली में अपने कमरे में बैठी संध्या बात कर रही थी चांदनी से...

संध्या – क्या बात है चांदनी आज सुबह सुबह तुम जल्दी चली गई थी...

चांदनी – हा मौसी काम था इसीलिए आप बताए आराम नही कर रहे आप...

संध्या – मन नही हो रहा है मेरा किसी काम को करने का...

चांदनी –(कंधे पे हाथ रख के) मौसी आप उस बारे में मत सोचिए ज्यादा जो हुआ उसे बदल नही सकते लेकिन आने वाले कल पे ध्यान दे सकते है ना आप इन सब के चक्कर में अपने काम में कमी मत आने दो देखा था ना आपने जब आपका ध्यान नही था काम पर तब क्या हुआ था...

संध्या – हा चांदनी तुम सही कह रही हो मैं वो लापरवाही नही करने वाली अब इसके चलते गांव वालो को दिक्कत नही आने दुगी...

चांदनी – हा मौसी बाकी रही अभय की बात मुझे खुद नहीं समझ आ रहा इस बारे में क्या बात करू उससे...

संध्या – नही चांदनी तुम मत बोलना इस बारे में कही तुमसे नाराज हो गया....

चांदनी –(मुस्कुरा के) इतना मुझे यकीन है अभय पर वो नाराज तो कभी नही होगा मुझ से...

संध्या – भाई बहन का प्यार भी अजीब होता है चांदनी विश्वास और भरोसा की बुनियाद को हिला नही सकता है कोई...

चांदनी –(मुस्कुरा के) हा मौसी सच कहा आपने (कुछ सोच के) मौसी आपकी भी तो एक बहन है न...

संध्या –(सीरियस होके) हा चांदनी जाने कितने साल हो गए उसका पता तक नहीं जाने कहा होगी वो....

चांदनी –आपने पता नही लगाया उनका....

संध्या – कोशिश की थी इन्होंने (पति– मनन ठाकुर) लेकिन कुछ पता नही चल पाया उसका जब से घर से गई पता नही चला उसका आज तक...

चांदनी – पुलिस ने क्या कहा...

संध्या – ठाकुर साहब(मनन ठाकुर) ने बात की लेकिन सिवाय निराशा के कुछ नही मिला...

चांदनी – आपके पास कोई तस्वीर है उनकी...

संध्या –(अपनी अलमारी से एल्बम निकल के तस्वीर दिखाई चांदनी को) ये तस्वीर है उसकी उसके जाने से पहले ली थी ये तस्वीर...

चांदनी एल्बम को देखने लगी गौर से तब उसने संध्या की बहन की तस्वीर की फोटो क्लिक की अपने मोबाइल में साथ में कुछ और भी तस्वीर जिसके बाद...

चांदनी – मौसी आप चिंता मत करिए मैं मां से बात करती हू इस बारे में कोशिश करूंगी कम से कम आपकी बहन मिल जाय आपको...

संध्या –(बात सुन चांदनी का हाथ पकड़ के) तू निराश मत हो चांदनी तूने भी कोशिश की अभय को समझने की लेकिन किस्मत के आगे किसका जोर चला है....

बोल के हल्का हस के बेड में बैठ गई संध्या जिसके बाद चांदनी ने सारी डिटेल्स अपनी मां को भेज चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि इस तरफ बीच (समुंदर किनारे) पर खड़े कई लोग देख रहे थे पुलिस को जो किनारे पड़ी लाशों को देख इकट्ठा कर रही थी जिसमे राजेश भी मौजूद था...

राजेश –(अपने हवलदारों से) किसने किया होगा ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब आज दूसरी बार ये नजारा देख रहा हू मै...

राजेश – (चौक के) दूसरी बार मतलब...

हवलदार– कुछ दिन पहले भी ऐसा ही नजारा देखा था हमने साहेब गांव से थोड़ी दूर जय गले में बन एक घर में बहुत बेरहमी से मारा गया था लोगो को...

राजेश –कुछ पता चला किसने किया ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब लेकिन तब थानेदार ने एक लड़के को पकड़ा था और उस लड़के ने जो बताया उसके बाद थानेदार के साथ हम सब को लकवा मार गया था...

राजेश –ऐसा क्या बताया उस लड़के ने....

हवलदार – उसका कहना था ये सब उसने किया है यहां तक थानेदार उसकी बात मजाक समझ रहे थे तब उस लड़के ने बताया कैसे मारा लोगो को लाशे किस तरह पड़ी है जबकि इस बारे में हमारे इलावा किसी को नही पता था उस लड़के की बात सुन के हम सब की हवा टाइट हो गई उसके बाद तो ना जाने कैसे थानेदार को DIG का कॉल आया जिसके बाद थानेदार ने उस लड़के को छोड़ दिया....

राजेश –(चौक के) क्या DIG कॉल आया उस लड़के के लिए लेकिन क्यों.....

हवलदार – ये तो नही पता साहेब लेकिन जिस तरह से वो लड़का बोल रहा था उससे यही लगा वो DIG का बेटा है....

राजेश –(हैरानी से) DIG का बेटा यहा इस गांव में तुमने देखा उसे कैसा दिखता है वो....

हवलदार – वो यही के कॉलेज में पढ़ता है साहेब उसका नाम अभी है हॉस्टल में रहता है अकेला अभी हॉस्टल में कोई नही आया है सिवाय उसके लेकिन साहेब आप दूर रहना उस लकड़े से बहुत ही खतरनाक है थाने में उसने अकेले सिर्फ बातो से सबकी हवा टाइट कर दी थी...

राजेश – (नाम सुन के) अभी (मन में – कही ये वही लड़का तो नही जिसे मैं कल मिला था संध्या की हवेली में (हल्का मुस्कुरा के) चाटे का जवाब देने का मौका खुद चल के मेरे पास आ गया) (हवलदार से)चुप चाप अपने काम पर ध्यान दो समझे और कोई सबूत मिला ऐसा जिसके वजह से हम जान सके कातिल के बारे में....

हवलदार – कुछ नही है यहां पर साहेब बहुत सफाई से मारा है इनको....

राजेश – ठीक है लाशे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो....

पुलिस के इलावा मौजूद बीच में कई लोग ये नजारा देख रहे थे उसमे एक आदमी देख के वहा से निकल के किसी को कॉल लगाया उसने....

सामने से – हा बोल क्या बात है...

आदमी – साहेब यहां बीच पर हमारे लोग मरे पड़े हैं...

सामने से – क्या कैसे मारे गए....

आदमी – कल शंकर का कॉल आया था किसी लड़के को मारने की बात बोल रहा था रमन ने बोला था उसे , उसने आदमी मांगे मैने भेज दिया थे लेकिन यहां तो उल्टा हमारे आदमी मरे पढ़े है....

सामने से – (चौक के) रमन मरवाना चाहता था किसी लड़के को और किस लड़के को मारने की बात की थी शंकर ने तुझे....

आदमी –फोटो भेजी थी शंकर ने मुझे....

सामने से – कॉन है वो....

आदमी – नया लौंडा है हॉस्टल में रहता है पढ़ने आया है कॉलेज में यहां पर....

सामने से –(जल्दी से) फोटो भेज मुझे उसकी जल्दी...

आदमी – भेज दी साहेब....

सामने से –(अपने मोबाइल में फोटो देख के) ये लड़का लेकिन इससे क्या दुश्मनी है रमन की....

आदमी – बताया नही साहेब लेकिन संध्या कुछ ज्यादा ही मेहरबान है इस पर हवेली में गांव वालो के लिए खाना भी इस लड़के ने बनाया था अकेले और रात में खाने पर गया था ये लड़का हवेली में लेकिन बिना खाना खाए वापस आ गया....

सामने से – अच्छा ऐसी क्या बात हो गई....

आदमी – पता नही साहेब लेकिन उस रात किसी ने खाना नही खाया था....

सामने से – ओह तब तो लगता है जो मैं सोच रहा हू अगर बात वही है तो लगता है अब हमे खंडर के बारे में पता लगाने के लिए संध्या की जरूरत पड़ने वाली है जल्द ही...

आदमी –आप कहे तो उठवा लू संध्या को आज ही...

सामने से – (गुस्से में) अभी कोई पागल पन करने की जरूरत नहीं है (आराम से) करेगे ये भी लेकिन अलग तरीके से जब वो लकड़ा साथ हो संध्या के ताकि काम बन जाय अपना आराम से फिर जो चाहे वो करना संध्या के साथ लेकिन लड़के को मारना मत उसके सामने ही होगा ये सब ताकि उसे भी दर्द और तकलीफ महसूस हो जो मैने सही है तू अभी सिर्फ नजर बनाए रख अपनी मौका पाकर खेल को अंजाम देगे जब भी दोनो साथ नजर आए बता देना मुझे क्या करना है मैं बताऊंगा आगे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया तब उस आदमी ने किसी और को कॉल लगाया...

औरत – कैसे हो तुम याद आ गई मेरी...

आदमी – ठीक हू मेरी जान तुझे भूला कॉन है बस एक बात बताने के लिए कॉल किया था तुझे...

औरत – अच्छा कौन सी बात बतानी थी....

आदमी – जब संध्या और वो लड़का दोनो साथ हो तो तुरंत बताना मुझे....

औरत – वो किस लिए...

आदमी –(जो कॉल बात हुई बता के) समझ गई तुम...

औरत – लगता है बड़ी दया आ गई है संध्या पर तेरे मालिक को जो बिना तड़पाए इतनी आसानी से काम करने को बोल रहा है तेरा मालिक...

आदमी – मेरी जान तू अपना दिल छोटा मत कर तेरे भी मन का काम होगा उसके बाद तू जैसे कहे वैसे तड़पाएगे संध्या को बस तू ये काम करवा दे किसी तरह....

औरत – ठीक है लेकिन अपना वादा याद रखना और एक बात कान खोल के सुन ले मेरी जो करना हो करना लेकिन उस लड़के को अगर कुछ किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा....

आदमी – अरे तू पगला गई है क्या क्यों पड़ी है उस लड़के के इतना पीछे.....

औरत –आज तक तेरी बात नही टाली मैने क्या मेरे लिए तू इतना भी नही कर सकता है क्या इतना ही प्यार करता है तू मुझे....

आदमी – अरे मेरी जान प्यार करता हू तभी साथ दे रहा हू तेरा ठीक है तू जैसा चाहेगी वैसा होगा लेकिन मालिक को क्या बोलूं मैं....

औरत – कौन सा मालिक काम होने के बाद कौन सा तू उसे जिंदा छोड़ेगा....

आदमी – सो तो है सबूत नही छोड़ना चाहिए कभी चल ठीक है मेरा काम हो जाय बता देना अपना काम होने के बाद सिर्फ और सिर्फ हम राज करेंगे हमेशा के लिए हवेली में....

बोल के कॉल काट दिया इधर औरत कॉल के कट होने के बाद....

औरत – हवेली सिर्फ मेरे बेटे की है किसी और की कभी नही होगी और इसके लिए तुझे भी मरना पड़ेगा बस एक बार संध्या रास्ते से हट जाए....

शाम हो गई थी अभय उठ के निकल गया था हॉस्टल से बाहर उसकी मुलाकात हुई राज से....

राज – क्या हाल चाल है तेरे....

अभय –मस्त तू बता भाई....

राज – बताना क्या है बे कल से एक्स्ट्रा क्लास लगने वाली है हम चारो की...

अभय – एक्स्ट्रा क्लास क्या मतलब तेरा....

राज – मां ने बोला है कल से सुबह 5 बजे हम चारो को जाना है अखाड़े में बाबा के पास...

अभय – वहा पर क्यों यार...

राज – ये तो वही पर जाके पता चलेगा तू कल से सुबह 5 बजे समझा नही तो मां को बोल दुगा....

अभय –(हस्ते हुए) मेरा तो ठीक है तू अपना सोच उठ पाएगा 5 बजे सुबह...

राज –हा यार अलार्म बना के रखूगा आज से खेर तू बता कुछ....

अभय – कुछ खास नही यार बस टहलने निकला हू....

राज – अच्छा और कुछ भी नही....

अभय – ना भाई और कुछ नही....

राज – अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है बाते क्यों...

अभय – मैने क्या छुपाया तेरे से...

राज – चांदनी ने सब बता दिया मुझे सुबह तेरी झड़प हुई बीच में किसी से क्या हुआ था....

अभय –पता नही यार कॉन थे साले बिना मतलब के मरना चाहते थे मार दिया मैने सबको....

राज –तू साला पूरा का पूरा पागल हो गया है अबे किसी को तो जिंदा छोड़ देता....

अभय – (अपनी जेब से मोबाइल निकल के राज को दिखाते हुए) ये मिला मुझे एक बंदे की जेब से गिर गया था इतना हाई फाई मोबाइल वो भी इनके जैसो के पास सोच जरा....

राज –(मोबाइल को देखते हुए) बड़ा ही हाई चॉइस है बंदे की APPLE का मोबाइल लेके घूम रहा है चेक किया.....

अभय – हा किया ना तोड़ दिया लॉक इसका ये देख किसका नंबर है इसमें....

राज – (नाम पड़ के चौक गया) शंकर इस बंदे के पास इसका नंबर कैसे आया....

अभय –ध्यान से देख कल बात हुई है इस नंबर पर साथ में और भी नंबर है किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है....

राज – (कुछ सोच के) यार ये नाम सुना हुआ लग रहा है मुझे....

अभय – याद कर कहा सुना है नाम तूने इसका....

राज – यार याद नहीं आ रहा है जाने कहा सुना है नाम मैने....

अभय – एक काम करते है चल चलते है जरा शंकर के हाल चाल लेने....

राज – बाकी के वो दोनो को क्या बोलूं बे आते होगे वो भी...

अभय – जाने दे नही मिलेगी हम तो कॉल करेगे दोनो को समझा देगे चल अभी...

बोल के बाइक से निकल गए दोनो शंकर के घर को तरफ उसके घर के पास आते ही अभय ने बाइक रोक दी....

अभय – (राज से) तू जाके जरा पता कर अगर मिल जाय इशारा करना मुझे बात करते है उससे....

राज चला गया शंकर के घर दरवाजा खटखटा के...

राज – (दरवाजा खटखटा के) काका...

उर्मिला –(अंदर से आवाज लगाते हुए) कॉन है....

राज – काकी मैं राज...

उर्मिला –(दरवाजा खोल के) हा राज बेटा....

राज –काकी जरा काका से काम है कहा है....

उर्मिला –पता नही बेटा आए थे जल्दी में थे अभी निकले है समान लेके शहर जा रहे है ट्रेन से...

राज – अच्छा कब तक आएगा काका...

उर्मिला – उनका पता नही बेटा कभी 1 दिन में आ जाते है कभी 2 से 3 दिन में...

राज – अच्छा काकी कोई बात नही फिर कभी मिललूंगा बाद में...

उर्मिला –कोई काम हो तो बता दो...

राज –(जाते हुए) कोई खास काम नहीं काकी बाद में आऊंगा मिलने...

बोल के राज निकल गया उसके जाते ही उर्मिला ने दरवाजा बंद कर दिया राज उर्मिला के घर से निकल के अभय के पास आया और सब बता दिया...

अभय –(राज की बात सुन के) जल्दी में निकल गया लगता है कोई बता जरूर है चल स्टेशन चलते है बैठ...

बोल के दोनो बाइक से जल्दी निकल गए रेलवे स्टेशन की तरफ रेलवे स्टेशन में आते ही किस्मत से उन्हें शंकर मिल गया रास्ते में स्टेशन के अन्दर जा रहा था...

अभय – (जाते हुए शंकर को पीछे से आवाज देते हुए) कैसे हो शंकर चाचा बड़ी जल्दी में लग रहे हो...

शंकर आवाज सुन पीछे पलट के अपने सामने अभय को देखते ही आखें बड़ी हो गई उसकी तुरंत भागने को पलटा ही था की पीछे से राज से टकरा के गिर गया...

राज –(शंकर के गिरते ही) अरे काका बस भी करो और कितना गिरोगे तुम उठो...

शंकर –(डरते हुए) मैने कुछ नही किया सच बोल रहा हू....

अभय –(मुस्कुरा के) मैने तो कुछ पूछा नही चाचा तुमसे....

शंकर –(हड़बड़ा के) मुझे जल्दी शहर जाना है बेटा काम है जरूरी....

राज –हा हा चले जाना काका कॉन रोक रहा है तुम्हे लेकिन हमारे सवालों का जवाब देने के बाद....

शंकर – मैं शहर से आके बात करूंगा बेटा अभी मुझे जाने दो....

अभय –(गुस्से में पास आके धीरे से) चुप चाप बिना तमाशा किए हमारे साथ चल वर्ना सुबह तो 25 को निपटाया था तुझे मिला के 26 हो जाएंगे समझा चल बैठ बाइक पर हमारे साथ और अपना चेहरा ढक ले कही रास्ते में कोई पहचान ना ले तुझे पुरानी.....

वो कहावत है मरता क्या न करता बस वही हुआ शंकर के साथ डर से मजबूर होके शंकर को जाना पड़ा अभय के साथ बाइक में जाके सीधा हॉस्टल में रुके जहा शंकर को अन्दर ले जाने लगा अभय और राज हॉस्टल के बाहर रुक गया ताकि कोई आ ना जाए अंडर आते ही सामने सायरा मिली...

सायरा – (अपने सामने अभय के साथ चेहरा ढके आदमी को देख) ये किसे साथ ले आए तुम...

अभय – बाद में बताऊंगा अभी के लिए जरा अपना कमरा खाली कर मेरे रूम में समान रखो अपना....

सायरा –लेकिन....

अभय – जो बोला जल्दी करो बस बाकी बाते बाद में बताऊंगा तुम्हे....

अभय की बात सुन के सायरा ने जल्दी जल्दी अपने कमरे से सारा सामान अभय के कमरे में रखा तब अभय ने शंकर को सायरा के कमरे ले जाके बैठा दिया बेड में.....

अभय –(शंकर को बेड में बैठा के) चुप चाप यही पर बैठा रह तू सायरा सुन....

सायरा के कान में कुछ कहा जिसे सुन सायरा अभय को देखने लगी...

अभय – जाओ जल्दी से मैं सब समझा दुगा बस अभी जाओ....

अभय की बात सुन सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में सायरा और राज साथ में कमरे के अन्दर आए साथ में लोहे का स्टैंड , पानी की टंकी और जंजीर ले आए जिसके बाद राज और अभय ने शंकर को बेड में लेता दिया जंजीर से अच्छे तरीके से बांध दिया ताकि हिल भी ना सके और शंकर के सिर के पास लोहे का स्टैंड लगा के इसके ऊपर पानी की टंकी रख दी उसके बाद अभय मुस्कुरा के बस देखने लगा शंकर को....

शंकर – मैं कुछ नही जानता छोड़ दो मुझे जाने दो...

अभय बस स्माइल करते हुए देखता रहा शंकर को काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा तब लेकिन शंकर ने कुछ नही बोला तब....

अभय – (पानी की टंकी के नल को हल्का सा घुमाया जिससे टंकी से एक एक बूंद पानी की धीरे धीरे शंकर के सर में गिरने लगी) कैसा लग रहा है चाचा अजीब लग रहा होगा ना कोई बात नही डॉक्टर की दी हुई दावा का असर भी कुछ वक्त बाद होता है इसका भी असर होगा तब तक मजे लो तुम बाद में आते है हम , और हा एक बता दू तुम्हे इस हॉस्टल में मैं अकेला रहता हू साथ में ये लड़की और चौकीदार भी रहता है लेकिन हॉस्टल के बाहर और ये वाला कमरा बीच में है तू जितना चिल्ला सकता है चिल्ला तेरी आवाज यहां पर ही रहेगी बाहर नही जाएगी चलता हू...

बोल के अभय , राज और सायरा निकल गए कमरे को बाहर से बंद करके....

राज – अब क्या करना है यार....

अभय – जब तक इसका मू नही खुल जाता तब तक टॉचर का सिलसिला चलता रहेगा इसके साथ और तब तक ये यही रहेगा बस गांव में पता नही चलना चाहिए इसके बारे में किसी को...

राज – उसकी चिंता तू मत कर किसी ने भी हमे यहां आते नही देखा है...

सायरा – मुझे तो ये समझ नही आ रहा है आखिर तुम दोनो इसे यहां लाए क्यों हो...

अभय –(राज से) भाई तू घर जा मै कल से सुबह आऊंगा फिर बात करते है हम...

राज – (बात समझ के) ठीक है कल मिलते है...राज के जाते ही अभय बोला....

अभय –(सायरा से) सुबह का पता है ना तुझे क्या हुआ था बीच में...

सायरा – हा पता है...

अभय –(मोबाइल दिखाते हुए) मुझे ये मोबाइल मिला एक बंदे का गिरा हुआ इसमें दो नंबर है एक शंकर का और एक नंबर किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है...

सायरा –(चौक के) तुम्हे इतना डिटेल्स कहा से मिल गई.…

अभय – तुम्हे याद है वो बैग उसकी मदद से जान पाया मैं...

सायरा – तो तुम्हे क्या लगता है शंकर के पास से क्या जानकारी मिल सकती है तुम्हे...

अभय –(मुस्कुरा के) जल्दी क्या जानने की कही जा रही हो क्या यही हो ना मेरे साथ और अब तो मेरे कमरे में ही तुम्हे सोना है आज से (आंख मार के) मेरे साथ...

सायरा –(अभय के कंधे पे हल्का मुक्का मार के) धत पागल कही का...

बोल के मुस्कुराने लगे दोनो सायरा चली गई खाने की तयारी करने अभय बेड में बैठ लैपटॉप में छेड़खानी करने लगा जबकि हवेली में हिसाब के खाते की लिखा पड़ी का काम निपटाने के बाद संध्या हाथ में मोबाइल लिए अभय को कॉल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रही थी डर से कही अभय जाने क्या बोल दे ऐसा कुछ जिससे संध्या घबरा रही थी किसी तरह हिम्मत जुटा के संध्या ने कॉल मिला दिया अभय को...

अभय – हेलो...

संध्या – फोन मत काटना बात सुन ले मेरी...

अभय – अब क्या बताना है....

संध्या – मैं जानती हू तू नाराज है अभी भी मुझसे लेकिन एक मौका तो दे मुझे....

अभय – (आराम से) जब तक मैं हवेली में था मैने तो तुझे मौका देने से कभी रोका ही नही उल्टा तेरे पास मौका ही मौका था लेकिन तब क्या किया सिर्फ दूसरो की बात सुनी तूने मुझसे तो कभी पूछा तक नहीं इस बार भी हवेली आया था लेकिन इस बार भी (बोल के चुप हो गया कुछ सेकंड रुक के बोला) देख मैं जानता हू तेरी अपनी जिंदिगी है जिसपे मेरा कोई अधिकार नही...

संध्या –(बीच में बात काटते हुए) मत बोल ऐसा ये जिदंगी सिर्फ तेरी है तेरा ही अधिकार है मेरी जिंदिगी पर बस एक बार मांग के तो देख तू....

अभय –जानती है तू बहुत वक्त लगा था मुझे खुद को संभालने में बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला है मैने ऊब गया था मन मेरा इस जिदंगी से अब शायद और हिम्मत ना जुटा पाऊ मैं मत कर कमजोर कही ये जिंदिगी भारी ना लगने लगे मुझे...रोते हुए कॉल कट कर दिया अभय ने इधर संध्या भी रो रही थी अभय की बात सुन के आधे घंटे बाद सायरा अपना और अभय का खाना ले आई...

सायरा – आओ खाना खा लो अभय....

अभय –खुशबू बहुत अच्छी आ रही है खाने की...

सायरा – ये तो ठीक है लेकिन इसका क्या करना है मैने उसके लिए भी बनाया है खाना...

अभय – खिलाऊगा खाना उसे लेकिन अभी नही अभी तो एक्सपेरिमेंट चल रहा है उसे उम्मीद है रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा तब खिलाऊगा खाना उसे....

सायरा – आइडिया कहा से आया तुम्हे ये....

अभय – साउथ की मूवी देखी थी उसमे था ये आज सोचा आजमा लिया जाय इसे देखते है क्या होता है आगे...

सायरा – पता कैसे पड़ेगा आइडिया काम कर रहा है की नही....

अभय – चिल्लाएगा जोर जोर से भीख मांगेगा तब बात करूंगा उससे....

सायरा – तब तक के लिए कुछ टाइम पास करते है खाना खा के....

मुस्कुराते हुए दोनो खाना खाने लगे खाने के बाद बर्तन रख के सायरा आ गई अभय के पास नाइटी पहन के...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – एक दम मस्त

सायरा – सेक्स किया है पहले कभी

अभय – अभ तक नही किया कैसे करते है

सायरा – कोई बात नही आज मैं सिखाऊंगी कैसे करते है सेक्स बस जैस आई बोलती जाऊ वैसा करते जाना तुम धीरे धीरे समझ आ जाएगा कैसे होता है सेक्स आओ शुरुवात किस करके करते है किस करो मुझे

सायरा की बात सुन अभय किस करने लगा सायरा को धीरे धीरे सायरा भी साथ देती जा रही थी अभय का किस में


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धीरे धीरे दोनो का किस पैशनेटली होता जा रहा था
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किस तोड़ अलग होके सायरा ने अपनी नाइटी उतार फेकी
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साथ में अपनी ब्रा और पेंटी भी
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अभय के सामने खड़ी होके...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – (सायरा को गौर से देख के) बिल्कुल हुस्न की परी लग रही हो यार तुम

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सायरा – (अभय को बेड में बैठा के) अब इस हुस्न की परी का कमाल देखो तुम (अभय का कच्छा उतार के) तुम्हारा तो बहुत बड़ा है लंड और मोटा भी खूब है मुझे नहीं मालूम था किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है(लण्ड को मसलते हुए)
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सायरा पैरों के पास घुटनो के बल बैठ गयी अपनी जीभ निकाल लण्ड को चाटने लगी उसकी सिसकारियाँ गूंजने लगी इस हमले से अभय मानो मदहोश सा हो गया था आज पहली बार उसे एक अलग सा आनंद मिल रहा था उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे वो सायरा के बस में हो
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सुपाड़े को अपनी जिव्हा से रगर रगड़ कर लाल करने के बाद सायरा ने उसे अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी अपना मुख हिलाती लण्ड को खूब मज़े से चुस रही थी सायरा
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अभय मस्ती में मस्त होके अपनी आंखे बन्द किए मजे में खोया हुआ था लंड चूसते हुए सायरा की नजर गई अभय पर तुरंत खड़ी होके अभय का दोनो हाथ अपने मम्मे में रख अपनी तरफ खीच अभय को किस करने लगी

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किस तोड़ के बोली

सायरा –जैसा मैने किया अब तुंभी वही करो...

बोल के अभय को अपने हाथो के दबाव से नीचे घुटने के बल बैठाने लगी अभय को वो भी सायरा की आखों में देख बैठ गया तब सायरा ने उसके मू को अपनी चूत की तरफ ले आई अपनी आखों से इशारा करके अभय का मू अपनी चूत में लगा दिया जिसे धीरे धीरे चाट ने लगा अभय

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अब धीरे धीरे अभय को भी शायद इसमें मजा आने लगा था सायरा की टांग को टेडा करके चूत पर अपनी जबान को अन्दर डाल चाटे जा रहा था
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एक सायरा – (मजे से सिसकियां लेते हुए) ऊहहहहहह हा बस ऐसे ही करते रहो अभय बहुत अच्छा कर रहे हो तुम
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आआआआअहह करते हुए सायरा का पानी निकल गया बीना जानें बस अभय चाटता गया ये देख सायरा हल्का मुस्कुरा के बोली...

सायरा – कैसा लगा

अभय – पहले तो अजीब लगा लेकिन फिर मजा आने लगा तुम सच में कमाल हो सायरा मैने ऐसा एक्सपीरियंस कभी नही सोचा था इतना मजेदार पूछो मत...

सायरा –(मुस्कुरा के) अभी तो असली मजा बाकी है अभय
बोल के अभय को अपने ऊपर खींच के...

सायरा – (अभय के लंड पे इशारा कर के) इसे मेरे अन्दर डालो फिर देखो असली मजा क्या होता है
बात सुन अभय ने लंड को चूत में अंदर डालने लगा अंडर जाते ही...

सायरा –(सिसकी लेते हुए) आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आह क्या करते हो मार डालोगे क्या आराम से डालो मेरे नादान बलम कही भागी नहीं जा रही हू मै

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लंड को वापस बाहर निकल के धीरे धीरे अंदर डालने लगा सुपाड़ा अंदर घुसते ही सायरा सिसक उठी
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अभय ने धीरे धीरे तीन चार धक्के मारे और लन्ड पूरा अंदर घुसाने लगा

सायरा – आआईईईईईई ऊँह्ह्ह्ह्ह्ल बस इसी तरह करते रहो अभय आराम आराम से...

सायरा की बात मान अभय आगे पीछे होने लगा जिससे सायरा और अभय को मजा आने लगा

19630215धीरे धीरे करते रहने से अभय का जोश बढ़ता गया और जोश में सायरा की चूत में जोर जोर से झटके देने लगा...

सायरा – आहहहहह उफ़्फ़्फ़्फ़ऊऊह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छे अभय बिल्कुल सही जा रहे हो तुम करते रहो बस इसी तरह

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तेज रफ्तार से अभय हर बार एक जोर के झटके से लंड पूरा बाहर निकलता और एक बार में पूरा अंदर करने लगता कुछ देर में अभय सायरा के उपर लेट कस के धक्के देने लगा जिस कारण दोनो ही पसीने से लतपथ हो गए
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कुछ ही देर की कड़क मेहनत के बाद अभय और सायरा एक साथ जोर दार आवाज गूंज गई कमरे में...

सायरा और अभय एक साथ – आआआआआआआआअहहहह...

इस आवाज के साथ दोनो ने अपना पानी छोड़ दिया एक दूसरे के बाहों में बहे डाले लंबी लंबी सांसे लेने लगे कुछ मिनट बाद अभय बगल हो गया सायरा के तब सायरा अभय के सीने पर सिर रख के...

सायरा – (सास लेते हुए) कैसा लगा तुम्हे...

अभय – बहुत ही सुकून मिला आज तो मुझे नही पता था की इतना सुकून मिलता है इसमें...

सायरा – सच में तुम्हारे साथ मुझे भी सुकून मिला आज काफी वक्त के बाद...

अभय –अगर तुम ना होती तो मैं जान ही ना पाता इस बारे में...

सायरा – (मुस्कुरा के) अभी तो बहुत जानना है तुम्हे मेरे नादान बलम , मैं तुम्हे परफेक्ट बना दुगी इसमें कोई भी लड़की दीवानी हो जाएगी तुम्हारी...

अभय –(मुस्कुरा के) और तुम...

सायरा – अब से मिली हू तब से दीवानी हो गई मैं तेरी अदा पे...

बोल के दोनो मुस्कुराने लगे AC की ठंडक का मजा लेते हुए अभय और सायरा एक दूसरे की बाहों में सो गए थे करीबन रात के 2:30 बजे शंकर के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज से अभय की नीद खुल गई नीड से जागते ही शंकर की तड़पने की आवाज सुन मुस्कुराते हुए अभय धीरे से सोती हुई सायरा को साइड में करके उठ कर धीरे धीरे चलते चलते शंकर के कमरे में चला गया....

शंकर –(अभय को सामने देख) इसे बंद करो मैं सब बताऊंगा बंद करो इसे....

अभय – सब कुछ सच बताओगे या सब झूठ बताओगे....

शंकर – सब सच बताऊंगा पहले इसे बंद कर दो...

अभय – अच्छा तो चलो जरा ये बताओ मुझे मारने के लिए लोगो को किसने भेजा था....

शंकर – रमन ठाकुर ने बोला था अब तो बंद कर दो इसे...

हल्की सी मुस्कान के साथ अभय ने टंकी का नल बंद कर दिया...

अभय – जब तक मेरे सवालों का जवाब सही देगा तब तक ठीक रहेगा लेकिन अगर झूठ बोला या कुछ छुपाया ऐसा कुछ भी तो फिर से ये खेल शुरू हो जाएगा समझा....

शंकर–(डरते हुए) समझ गया जो पूछना है पूछो सब बताऊंगा मैं....

अभय –(हस्ते हुए) हम्म्म अब आएगा मजा , पहला सवाल अपने मालिक रमन ठाकुर की सारी कुंडली दिखा मुझे....

शंकर –रमन शुरुवात से अय्याश किस्म का है उसे रिश्ते नातों से कोई मतलब नहीं है सिर्फ दौलत चाहिए उसे इसके लिए आए दिन दो नंबर का काम करता रहता है ड्रग्स की तस्करी करता है महीने की 20 तारीख को एक जहाज समुंदर के रास्ते विदेश जाता है उसमे से कुछ माल वो लोग ट्यूब लगा के पानी में गिरा देते है जिसे हमारे लोग नाव के जरिए उसे किनारे ले आते है फिर रमन गांव के दूसरे व्यापारियों से बात करके माल की डिलीवरी करवा देता है....

अभय – उसका पैसा कहा जाता है मतलब कैसे मिलता है रमन को....

शंकर – रमन का पर्सनल खाते में जाता है वो पैसा जिसकी जानकारी सिर्फ रमन को है....

अभय – गांव वालो की जमीन क्यों छीनी जा रही थी सिर्फ डिग्री कॉलेज के लिए या...

शंकर – ड्रग्स के काम में मुनाफा ज्यादा है इसीलिए रमन ने प्लान बनाया था डिग्री कॉलेज की आड़ में ज्यादा से ज्यादा माल गांव में मंगवा के कॉलेज में रखवाया करेगा ताकि ज्यादा पैसे कमा सके...

अभय – और अगर ये बात खुल जाती तो क्या होता रमन के साथ....

शंकर – रमन को कुछ नही होता उसने वो डिग्री कॉलेज संध्या के बेटे अभय के नाम से रजिस्टर करवाया है....

अभय – (गुस्से में) झूट बोलता है तू...

शंकर – नही ये सच है रमन ने जान बूझ के ऐसा किया अगर कल को बात खुल जाती है तो पुलिस और गांव वालो का शक संध्या पर जाएगा इसीलिए रमन ने संध्या के बेटे अभय के नाम डिग्री कॉलेज रजिस्टर किया और संध्या से झूट कहा कि कॉलेज की रजिस्ट्री बड़े ठाकुर के नाम की है...

अभय – लेकिन संध्या के साथ ऐसा क्यों कर रहा है रमन....

शंकर – दौलत के खातिर क्योंकि बड़े ठाकुर मारने से पहले वसीयत संध्या के नाम कर के गए थे....

अभय – तुझे कैसे पता वसीयत के बारे में...

शंकर – रमन ने बताया था मुझे...

अभय – रमन के पास है वसीयत

शंकर – नही उसके पास नहीं है

अभय – तुझे कैसे पता तूने देखा था क्या

शंकर – नही लेकिन रमन ने बताया था की बड़े ठाकुर मरने से पहले बोल रहे थे वसीयत के बारे में तब रमन ने सुना था

अभय – अगर संध्या फस जाति है तो रमन को फायदा कैसे होगा संध्या का बेटा भी तो मौजूद है ना....

शंकर –रमन के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत थी लेकिन फिर जाने कैसे एक दिन रमन बोलने लगा की उसे संध्या से प्यार हो गया है....

अभय –(अपनी आंख सिकुड़ के) क्या मतलब इस बात का संध्या से प्यार कैसे और क्या संध्या भी प्यार करने लगी रमन से....

शंकर – वो मुझे नही पता, लेकिन शायद अपने बेटे के कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही हो....

अभय – फिर क्या किया रमन और संध्या ने....

शंकर – रमन ने मुनीम से बोल के हर जरा सी बात पर अभय को मार खिलवाना शुरू करवा दिया था ताकि अभय डर के साए में रहे और रमन जो चाहे वो कर सके इसीलिए अपने बेटे को भी शामिल कर लिया इसमें ताकि अमन भी अभय के साथ वही करे तभी अमन ज्यादा से ज्यादा संध्या के करीब रहता था....

अभय – और संध्या वो ये सब होने दे रही थी अभय के साथ....

शंकर – संध्या विश्वास करती थी रमन पर इसीलिए आंख बंद करके यकीन कर लेती थी....

अभय – (हस के) विश्वास के खातिर अपने ही बेटे के साथ ये सलूक वाह क्या बात है , फिर आगे क्या हुआ....

शंकर –सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक रात अभय घर छोड़ के चला गया और ये बात रमन को पहले पता चल गई थी क्योंकि सुबह सुबह रमन गया था अभय के कमरे में क्योंकि उस दिन अभय का जन्मदिन था रमन ने सोच क्यों ना आज के दिन कुछ ऐसा हो जिससे संध्या ना चाहते हुए भी अभय पर आज हाथ उठा दे लेकिन अभय कमरे में नहीं मिला क्योंकि अभय इतनी सुबह जल्दी नही उठता था तब रमन को समझ आगया था अभय घर से भाग गया है कुछ सोच के रमन ने तुरंत मुनीम से बोल के जल्दी ही एक बच्चे की लाश का इंतजाम करने को कहा और मुनीम पास के गांव के अस्पताल से एक बच्चे की लाश ले आया जिसकी कद , रंग अभय से मेल खाता था लाश को लाके जंगल में छोड़ दिया गया अभय के स्कूल के कपड़े पहना के तब रमन ने लाश का सिर कुचल दिया ताकि सबको यकीन हो जाय की लाश अभय की है बस जल्दी में ये गलती हो गई रमन से क्योंकि संध्या को यकीन नही आया की अभय मर चुका है उस दिन से संध्या का रवईया बदल गया अपने बेटे के चले जाने....

अभय –हम्म्म....

शंकर – अब तो मुझे छोड़ दो बेटा मैने सब बता दिया तुम्हे....

अभय –वो कॉन सी बात थी जिसके चलते बड़े ठाकुर ने रमन के बजाय संध्या के नाम जायदाद कर दी...

शंकर – मुझे इसके बारे में सच में कुछ नही पता बेटा....

अभय – रमन का चलन कैसा था अपने पिता और अपने भाई के साथ....

शंकर – मू में राम बगल में छुरी का काम करता था रमन तब....

अभय – क्या रमन का भाई और पिता जान नही पाए कभी इस बारे में....

शंकर – रमन शुरू से ही तेज रहा है इन कामों में अपनी होशियारी के चलते ज्यादा तर काम मनन से करवा देते थे जिसका पता किसी को नहीं चलता था....

अभय – एक बात तो बता तुझे इतना सब कैसे पता है रमन की हर बात जनता है तू इसका मतलब रमन तेरे से कुछ नही छिपाता था....

शंकर – मैं शुरू से ही रमन का साथ दे रहा हू हर काम में...

अभय – इसीलिए तेरे घर में बीवी तेरी जरूर है लेकिन बेटी उसकी है क्यों...

शंकर – अपने मजे के लिए रमन ने उर्मिला मेरे साथ रहने को कहा गांव वालो के सामने मेरी बीवी बना के....

अभय – (बाते सुन के) तेरे लिए खाना रखा है खा के सोजा बाकी बात कल करेंगे....

शंकर – मैने सब तो बता दिया अब क्यों रोक रहे हो मुझे....

अभय – अभी तो शुरुवात हुई है सरपंच चाचा अभी तो बहुत कुछ बाकी है....

शकर –(चौक के) सरपंच चाचा , गांव में इस नाम से सिर्फ अभय बुलाता था मुझे इसका मतलब तुम....

बात सुन के अभय मुस्कुराने लगा जिसे देख शंकर की आखें हैरत से बड़ी हो गई....

अभय – खाना खा लो चाचा और हा ये जंजीर तब तक नही खुलेगी जब तक मैं इसे नही खोल देता इसीलिए करना तो सिर्फ कोशिश करना लेकिन करना मत
.
.
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जारी रहेगा✍️✍️
Nice update bro
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bahut hi shaandar update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....
Nice and lovely update....
Thank you sooo much parkas bhai
 

Tiger 786

Well-Known Member
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UPDATE 34


सायरा खाना लेके गई अभय के पास....

सायरा –खाना खा लो अभय....

अभय –मन नही हो रहा सायरा खाने का...

सायरा – तुम्हारे खाना ना खाने से क्या हो जाएगा अभय मन में चल रही उलझन सुलझ तो नही जाएगी तुम्हारी अपने शशिर को तकलीफ देने से कुछ नही मिलेगा तुम्हे आओ खा लो खाना....

अभय मन मार के बैठ गया खाना खाने लेकिन उसका मन नही लग रहा था खाने में तभी....

सायरा –(बात बदल के) वैसे अनिता तुम्हारी बहुत टैरिफ कर रही थी बहुत अच्छी फाइट करते हो तुम मैने मिस कर दी फाइट तुम्हारी कहा से सीखा तुमने फाइट करना...

अभय – कही से नही घर में कभी कभी मूवी देखता था फाइट वाली फिर हॉस्टल में पढ़ाई के इलावा कमरे में मूवी देखता था मां ने हॉस्टल के वार्डन को मना के रूम में टीवी रखवाई थी मेरे बस रूम में टीवी पर फाइट वाली मूवी देखता और रूम में ही प्रैक्टिस करता था...

सायरा – (बाते कर अभय को खाना खाते देख) कैसा बना है खाना आज...

अभय – बहुत अच्छा बना है...

अभय – तुमने कहा से सीखा खाना बनाना...

सायरा – हॉस्टल में ट्रेनिंग के दौरान कभी कभी मौका मिल जाता था खाना बनाने का मुझे बस तभी सिख लिया खाना बनाना...

अभय – हॉस्टल में इन सब के इलावा कभी कोई BF बनाया तुमने...

सायरा –(अभय की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हा बनाया था एक को लेकिन वो मतलबी निकला...

अभय –क्या मतलब...

सायरा – उसे सिर्फ मजा करना था मेरे साथ...

अभय – और तुम...

सायरा – मैने बस यही गलती कर दी प्यार कर बैठी उस बंदे से जब उसका मतलब निकल गया छोड़ के भाग गया....

अभय – छोड़ के भाग गया कैसे....

सायरा – प्यार करते करते बहुत आगे निकल गई थी मैं जब ट्रेनिंग खतम हुई तब वो जान छुड़ाने लगा मुझसे तब एक उसने खुल के बोल दिया उसे सिर्फ मजा करना था और कोई मतलब नहीं रखना चाहता था मुझ से....

सायरा की बात सुन अभय देखने लगा सायरा को...

सायरा – (अभय को खुद को देखते हुए पाया मुस्कुरा के बोली) तुम ज्यादा मत सोचो इस बारे में मैने उस दिन के बाद खुद को समझाया किसी तरह ठान लिया अब किसी से प्यार नहीं करूंगी बस तब से अपनी ड्यूटी पर सारा फोकस रखा हुआ है मैने...

अभय – (सायरा की बात सुन) तुम मेरे साथ फिर क्यों...

सायरा – तुम्हारे साथ की बात अलग है अभय तुम किसी और के जैसे नही हो...

अभय –और ये कैसे कह सकती हो तुम...

सायरा – एक्सपीरियंस अभय एक्सपीरियंस इतना वक्त मैने ऐसे नही बिताया है यहां हवेली में....

अभय –(चौक के) हवेली से क्या मतलब है तुम्हारा....

सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हे क्या लगता है रमन ठाकुर किसी को बक्श सकता है खास कर लड़की को...

अभय – मतलब उसने तुम्हारे साथ...

सायरा –(मुस्कुरा के) नही हा कोशिश जरूर कर रहा था लेकिन ठकुराइन के कारण कुछ नही बोल पता था क्योंकि मैं हवेली में रहती थी वही का काम देखा करती थी इसीलिए रमन दाव नही लगा पाया मुझ पे....

अभय – अब वो किसी पे दाव नही लगा पाएगा कभी....

सायरा – अच्छा वो भला कैसे....

अभय – सोचा है कुछ मैने भी उसके लिए....

सायरा –(मुस्कुरा के) ठीक है अच्छा आज एक बंदा आया था एक बैग देके गया है तुम्हारा नाम बताया तो मैने ले लिया....

अभय – तुमने दीदी को नही बताया....

सायरा – नही...

अभय –कहा है बैग...

सायरा – तुम्हारे बेड के नीचे रखा है...

खाना खा के अभय उठ के बैग को खोला जिसे देख सायरा बोली...

सायरा – ये सब क्या है अभय ये मोबाइल , लैपटॉप , कैमरा , विग , और ये बॉक्स ये सब क्या है अभय....

अभय – ये सब हाई एडवांस चीजे है सायरा इसकी मुझे बहुत जरूरत पड़ने वाली है...

सायरा – (अभय को देख के) तुम क्या करने वाले हो सच सच बताओ....

अभय – क्या तुम मुझ पे विश्वास करती हो...

सायरा – ये कैसा सवाल हुआ...

अभय –जो पूछा बताओ करती जो विश्ववास...

सायरा – हा करती हू...

अभय – तो बस विश्वास रखो मैं जो भी करूंगा सोच समझ के करूंगा और इसमें तुम्हे मेरी मदद करनी है...

सायरा – क्या मदद चाहिए तुम्हे...

अभय – क्या तुमने इन दो सालों में कभी खंडर के बारे में सुना है किसी से....

सायरा – हा यही की वो शरापित है बस...

अभय – और कुछ...

सायरा – नही बस यही सुना है....

अभय –अब मेरी बात ध्यान से सुनो (फिर अपने घर से भागने वाली बात बताता है और रास्ते में जो देखा उसे) बस यही जानना चाहता हू मै क्या है वहा पर कॉन है जो मेरी जायदाद पर ये सब कर रहा है जिसका पता शायद किसी को भी नही है...

सायरा –(बात सुन के) मैं इसमें तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हू...

अभय –(मुस्कुरा के) बस मैं जो भी करू तुम दीदी को पता मत चलने देना...

सायरा – लेकिन चांदनी ने तुम्हे माना किया है ना वहा जाने से...

अभय – इसीलिए मदद चाहता हू तुमसे भरोसा रखो मैं ऐसा कुछ नही करूंगा जिससे बात बिगड़े ठीक है...

सायरा – ठीक है खेर तुम आराम करो...

अभय – तुम भी आ जाओ साथ में आराम करते है...

सायरा –(मुस्कुरा के) अच्छा अभी से बड़ी जल्दी है...

अभय –(सायरा का हाथ पकड़ बेड में लेता के) जरूरी नही है हर बात का वही मतलब हो मैडम आओ AC का मजा लो बस और कुछ नही...

बोल के दोनो मुस्कुरा के आराम करने लगते है इधर हवेली में अपने कमरे में बैठी संध्या बात कर रही थी चांदनी से...

संध्या – क्या बात है चांदनी आज सुबह सुबह तुम जल्दी चली गई थी...

चांदनी – हा मौसी काम था इसीलिए आप बताए आराम नही कर रहे आप...

संध्या – मन नही हो रहा है मेरा किसी काम को करने का...

चांदनी –(कंधे पे हाथ रख के) मौसी आप उस बारे में मत सोचिए ज्यादा जो हुआ उसे बदल नही सकते लेकिन आने वाले कल पे ध्यान दे सकते है ना आप इन सब के चक्कर में अपने काम में कमी मत आने दो देखा था ना आपने जब आपका ध्यान नही था काम पर तब क्या हुआ था...

संध्या – हा चांदनी तुम सही कह रही हो मैं वो लापरवाही नही करने वाली अब इसके चलते गांव वालो को दिक्कत नही आने दुगी...

चांदनी – हा मौसी बाकी रही अभय की बात मुझे खुद नहीं समझ आ रहा इस बारे में क्या बात करू उससे...

संध्या – नही चांदनी तुम मत बोलना इस बारे में कही तुमसे नाराज हो गया....

चांदनी –(मुस्कुरा के) इतना मुझे यकीन है अभय पर वो नाराज तो कभी नही होगा मुझ से...

संध्या – भाई बहन का प्यार भी अजीब होता है चांदनी विश्वास और भरोसा की बुनियाद को हिला नही सकता है कोई...

चांदनी –(मुस्कुरा के) हा मौसी सच कहा आपने (कुछ सोच के) मौसी आपकी भी तो एक बहन है न...

संध्या –(सीरियस होके) हा चांदनी जाने कितने साल हो गए उसका पता तक नहीं जाने कहा होगी वो....

चांदनी –आपने पता नही लगाया उनका....

संध्या – कोशिश की थी इन्होंने (पति– मनन ठाकुर) लेकिन कुछ पता नही चल पाया उसका जब से घर से गई पता नही चला उसका आज तक...

चांदनी – पुलिस ने क्या कहा...

संध्या – ठाकुर साहब(मनन ठाकुर) ने बात की लेकिन सिवाय निराशा के कुछ नही मिला...

चांदनी – आपके पास कोई तस्वीर है उनकी...

संध्या –(अपनी अलमारी से एल्बम निकल के तस्वीर दिखाई चांदनी को) ये तस्वीर है उसकी उसके जाने से पहले ली थी ये तस्वीर...

चांदनी एल्बम को देखने लगी गौर से तब उसने संध्या की बहन की तस्वीर की फोटो क्लिक की अपने मोबाइल में साथ में कुछ और भी तस्वीर जिसके बाद...

चांदनी – मौसी आप चिंता मत करिए मैं मां से बात करती हू इस बारे में कोशिश करूंगी कम से कम आपकी बहन मिल जाय आपको...

संध्या –(बात सुन चांदनी का हाथ पकड़ के) तू निराश मत हो चांदनी तूने भी कोशिश की अभय को समझने की लेकिन किस्मत के आगे किसका जोर चला है....

बोल के हल्का हस के बेड में बैठ गई संध्या जिसके बाद चांदनी ने सारी डिटेल्स अपनी मां को भेज चली गई अपने कमरे में आराम करने जबकि इस तरफ बीच (समुंदर किनारे) पर खड़े कई लोग देख रहे थे पुलिस को जो किनारे पड़ी लाशों को देख इकट्ठा कर रही थी जिसमे राजेश भी मौजूद था...

राजेश –(अपने हवलदारों से) किसने किया होगा ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब आज दूसरी बार ये नजारा देख रहा हू मै...

राजेश – (चौक के) दूसरी बार मतलब...

हवलदार– कुछ दिन पहले भी ऐसा ही नजारा देखा था हमने साहेब गांव से थोड़ी दूर जय गले में बन एक घर में बहुत बेरहमी से मारा गया था लोगो को...

राजेश –कुछ पता चला किसने किया ये सब...

हवलदार – पता नही साहेब लेकिन तब थानेदार ने एक लड़के को पकड़ा था और उस लड़के ने जो बताया उसके बाद थानेदार के साथ हम सब को लकवा मार गया था...

राजेश –ऐसा क्या बताया उस लड़के ने....

हवलदार – उसका कहना था ये सब उसने किया है यहां तक थानेदार उसकी बात मजाक समझ रहे थे तब उस लड़के ने बताया कैसे मारा लोगो को लाशे किस तरह पड़ी है जबकि इस बारे में हमारे इलावा किसी को नही पता था उस लड़के की बात सुन के हम सब की हवा टाइट हो गई उसके बाद तो ना जाने कैसे थानेदार को DIG का कॉल आया जिसके बाद थानेदार ने उस लड़के को छोड़ दिया....

राजेश –(चौक के) क्या DIG कॉल आया उस लड़के के लिए लेकिन क्यों.....

हवलदार – ये तो नही पता साहेब लेकिन जिस तरह से वो लड़का बोल रहा था उससे यही लगा वो DIG का बेटा है....

राजेश –(हैरानी से) DIG का बेटा यहा इस गांव में तुमने देखा उसे कैसा दिखता है वो....

हवलदार – वो यही के कॉलेज में पढ़ता है साहेब उसका नाम अभी है हॉस्टल में रहता है अकेला अभी हॉस्टल में कोई नही आया है सिवाय उसके लेकिन साहेब आप दूर रहना उस लकड़े से बहुत ही खतरनाक है थाने में उसने अकेले सिर्फ बातो से सबकी हवा टाइट कर दी थी...

राजेश – (नाम सुन के) अभी (मन में – कही ये वही लड़का तो नही जिसे मैं कल मिला था संध्या की हवेली में (हल्का मुस्कुरा के) चाटे का जवाब देने का मौका खुद चल के मेरे पास आ गया) (हवलदार से)चुप चाप अपने काम पर ध्यान दो समझे और कोई सबूत मिला ऐसा जिसके वजह से हम जान सके कातिल के बारे में....

हवलदार – कुछ नही है यहां पर साहेब बहुत सफाई से मारा है इनको....

राजेश – ठीक है लाशे को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो....

पुलिस के इलावा मौजूद बीच में कई लोग ये नजारा देख रहे थे उसमे एक आदमी देख के वहा से निकल के किसी को कॉल लगाया उसने....

सामने से – हा बोल क्या बात है...

आदमी – साहेब यहां बीच पर हमारे लोग मरे पड़े हैं...

सामने से – क्या कैसे मारे गए....

आदमी – कल शंकर का कॉल आया था किसी लड़के को मारने की बात बोल रहा था रमन ने बोला था उसे , उसने आदमी मांगे मैने भेज दिया थे लेकिन यहां तो उल्टा हमारे आदमी मरे पढ़े है....

सामने से – (चौक के) रमन मरवाना चाहता था किसी लड़के को और किस लड़के को मारने की बात की थी शंकर ने तुझे....

आदमी –फोटो भेजी थी शंकर ने मुझे....

सामने से – कॉन है वो....

आदमी – नया लौंडा है हॉस्टल में रहता है पढ़ने आया है कॉलेज में यहां पर....

सामने से –(जल्दी से) फोटो भेज मुझे उसकी जल्दी...

आदमी – भेज दी साहेब....

सामने से –(अपने मोबाइल में फोटो देख के) ये लड़का लेकिन इससे क्या दुश्मनी है रमन की....

आदमी – बताया नही साहेब लेकिन संध्या कुछ ज्यादा ही मेहरबान है इस पर हवेली में गांव वालो के लिए खाना भी इस लड़के ने बनाया था अकेले और रात में खाने पर गया था ये लड़का हवेली में लेकिन बिना खाना खाए वापस आ गया....

सामने से – अच्छा ऐसी क्या बात हो गई....

आदमी – पता नही साहेब लेकिन उस रात किसी ने खाना नही खाया था....

सामने से – ओह तब तो लगता है जो मैं सोच रहा हू अगर बात वही है तो लगता है अब हमे खंडर के बारे में पता लगाने के लिए संध्या की जरूरत पड़ने वाली है जल्द ही...

आदमी –आप कहे तो उठवा लू संध्या को आज ही...

सामने से – (गुस्से में) अभी कोई पागल पन करने की जरूरत नहीं है (आराम से) करेगे ये भी लेकिन अलग तरीके से जब वो लकड़ा साथ हो संध्या के ताकि काम बन जाय अपना आराम से फिर जो चाहे वो करना संध्या के साथ लेकिन लड़के को मारना मत उसके सामने ही होगा ये सब ताकि उसे भी दर्द और तकलीफ महसूस हो जो मैने सही है तू अभी सिर्फ नजर बनाए रख अपनी मौका पाकर खेल को अंजाम देगे जब भी दोनो साथ नजर आए बता देना मुझे क्या करना है मैं बताऊंगा आगे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया तब उस आदमी ने किसी और को कॉल लगाया...

औरत – कैसे हो तुम याद आ गई मेरी...

आदमी – ठीक हू मेरी जान तुझे भूला कॉन है बस एक बात बताने के लिए कॉल किया था तुझे...

औरत – अच्छा कौन सी बात बतानी थी....

आदमी – जब संध्या और वो लड़का दोनो साथ हो तो तुरंत बताना मुझे....

औरत – वो किस लिए...

आदमी –(जो कॉल बात हुई बता के) समझ गई तुम...

औरत – लगता है बड़ी दया आ गई है संध्या पर तेरे मालिक को जो बिना तड़पाए इतनी आसानी से काम करने को बोल रहा है तेरा मालिक...

आदमी – मेरी जान तू अपना दिल छोटा मत कर तेरे भी मन का काम होगा उसके बाद तू जैसे कहे वैसे तड़पाएगे संध्या को बस तू ये काम करवा दे किसी तरह....

औरत – ठीक है लेकिन अपना वादा याद रखना और एक बात कान खोल के सुन ले मेरी जो करना हो करना लेकिन उस लड़के को अगर कुछ किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा....

आदमी – अरे तू पगला गई है क्या क्यों पड़ी है उस लड़के के इतना पीछे.....

औरत –आज तक तेरी बात नही टाली मैने क्या मेरे लिए तू इतना भी नही कर सकता है क्या इतना ही प्यार करता है तू मुझे....

आदमी – अरे मेरी जान प्यार करता हू तभी साथ दे रहा हू तेरा ठीक है तू जैसा चाहेगी वैसा होगा लेकिन मालिक को क्या बोलूं मैं....

औरत – कौन सा मालिक काम होने के बाद कौन सा तू उसे जिंदा छोड़ेगा....

आदमी – सो तो है सबूत नही छोड़ना चाहिए कभी चल ठीक है मेरा काम हो जाय बता देना अपना काम होने के बाद सिर्फ और सिर्फ हम राज करेंगे हमेशा के लिए हवेली में....

बोल के कॉल काट दिया इधर औरत कॉल के कट होने के बाद....

औरत – हवेली सिर्फ मेरे बेटे की है किसी और की कभी नही होगी और इसके लिए तुझे भी मरना पड़ेगा बस एक बार संध्या रास्ते से हट जाए....

शाम हो गई थी अभय उठ के निकल गया था हॉस्टल से बाहर उसकी मुलाकात हुई राज से....

राज – क्या हाल चाल है तेरे....

अभय –मस्त तू बता भाई....

राज – बताना क्या है बे कल से एक्स्ट्रा क्लास लगने वाली है हम चारो की...

अभय – एक्स्ट्रा क्लास क्या मतलब तेरा....

राज – मां ने बोला है कल से सुबह 5 बजे हम चारो को जाना है अखाड़े में बाबा के पास...

अभय – वहा पर क्यों यार...

राज – ये तो वही पर जाके पता चलेगा तू कल से सुबह 5 बजे समझा नही तो मां को बोल दुगा....

अभय –(हस्ते हुए) मेरा तो ठीक है तू अपना सोच उठ पाएगा 5 बजे सुबह...

राज –हा यार अलार्म बना के रखूगा आज से खेर तू बता कुछ....

अभय – कुछ खास नही यार बस टहलने निकला हू....

राज – अच्छा और कुछ भी नही....

अभय – ना भाई और कुछ नही....

राज – अब तू मुझसे भी छुपाने लगा है बाते क्यों...

अभय – मैने क्या छुपाया तेरे से...

राज – चांदनी ने सब बता दिया मुझे सुबह तेरी झड़प हुई बीच में किसी से क्या हुआ था....

अभय –पता नही यार कॉन थे साले बिना मतलब के मरना चाहते थे मार दिया मैने सबको....

राज –तू साला पूरा का पूरा पागल हो गया है अबे किसी को तो जिंदा छोड़ देता....

अभय – (अपनी जेब से मोबाइल निकल के राज को दिखाते हुए) ये मिला मुझे एक बंदे की जेब से गिर गया था इतना हाई फाई मोबाइल वो भी इनके जैसो के पास सोच जरा....

राज –(मोबाइल को देखते हुए) बड़ा ही हाई चॉइस है बंदे की APPLE का मोबाइल लेके घूम रहा है चेक किया.....

अभय – हा किया ना तोड़ दिया लॉक इसका ये देख किसका नंबर है इसमें....

राज – (नाम पड़ के चौक गया) शंकर इस बंदे के पास इसका नंबर कैसे आया....

अभय –ध्यान से देख कल बात हुई है इस नंबर पर साथ में और भी नंबर है किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है....

राज – (कुछ सोच के) यार ये नाम सुना हुआ लग रहा है मुझे....

अभय – याद कर कहा सुना है नाम तूने इसका....

राज – यार याद नहीं आ रहा है जाने कहा सुना है नाम मैने....

अभय – एक काम करते है चल चलते है जरा शंकर के हाल चाल लेने....

राज – बाकी के वो दोनो को क्या बोलूं बे आते होगे वो भी...

अभय – जाने दे नही मिलेगी हम तो कॉल करेगे दोनो को समझा देगे चल अभी...

बोल के बाइक से निकल गए दोनो शंकर के घर को तरफ उसके घर के पास आते ही अभय ने बाइक रोक दी....

अभय – (राज से) तू जाके जरा पता कर अगर मिल जाय इशारा करना मुझे बात करते है उससे....

राज चला गया शंकर के घर दरवाजा खटखटा के...

राज – (दरवाजा खटखटा के) काका...

उर्मिला –(अंदर से आवाज लगाते हुए) कॉन है....

राज – काकी मैं राज...

उर्मिला –(दरवाजा खोल के) हा राज बेटा....

राज –काकी जरा काका से काम है कहा है....

उर्मिला –पता नही बेटा आए थे जल्दी में थे अभी निकले है समान लेके शहर जा रहे है ट्रेन से...

राज – अच्छा कब तक आएगा काका...

उर्मिला – उनका पता नही बेटा कभी 1 दिन में आ जाते है कभी 2 से 3 दिन में...

राज – अच्छा काकी कोई बात नही फिर कभी मिललूंगा बाद में...

उर्मिला –कोई काम हो तो बता दो...

राज –(जाते हुए) कोई खास काम नहीं काकी बाद में आऊंगा मिलने...

बोल के राज निकल गया उसके जाते ही उर्मिला ने दरवाजा बंद कर दिया राज उर्मिला के घर से निकल के अभय के पास आया और सब बता दिया...

अभय –(राज की बात सुन के) जल्दी में निकल गया लगता है कोई बता जरूर है चल स्टेशन चलते है बैठ...

बोल के दोनो बाइक से जल्दी निकल गए रेलवे स्टेशन की तरफ रेलवे स्टेशन में आते ही किस्मत से उन्हें शंकर मिल गया रास्ते में स्टेशन के अन्दर जा रहा था...

अभय – (जाते हुए शंकर को पीछे से आवाज देते हुए) कैसे हो शंकर चाचा बड़ी जल्दी में लग रहे हो...

शंकर आवाज सुन पीछे पलट के अपने सामने अभय को देखते ही आखें बड़ी हो गई उसकी तुरंत भागने को पलटा ही था की पीछे से राज से टकरा के गिर गया...

राज –(शंकर के गिरते ही) अरे काका बस भी करो और कितना गिरोगे तुम उठो...

शंकर –(डरते हुए) मैने कुछ नही किया सच बोल रहा हू....

अभय –(मुस्कुरा के) मैने तो कुछ पूछा नही चाचा तुमसे....

शंकर –(हड़बड़ा के) मुझे जल्दी शहर जाना है बेटा काम है जरूरी....

राज –हा हा चले जाना काका कॉन रोक रहा है तुम्हे लेकिन हमारे सवालों का जवाब देने के बाद....

शंकर – मैं शहर से आके बात करूंगा बेटा अभी मुझे जाने दो....

अभय –(गुस्से में पास आके धीरे से) चुप चाप बिना तमाशा किए हमारे साथ चल वर्ना सुबह तो 25 को निपटाया था तुझे मिला के 26 हो जाएंगे समझा चल बैठ बाइक पर हमारे साथ और अपना चेहरा ढक ले कही रास्ते में कोई पहचान ना ले तुझे पुरानी.....

वो कहावत है मरता क्या न करता बस वही हुआ शंकर के साथ डर से मजबूर होके शंकर को जाना पड़ा अभय के साथ बाइक में जाके सीधा हॉस्टल में रुके जहा शंकर को अन्दर ले जाने लगा अभय और राज हॉस्टल के बाहर रुक गया ताकि कोई आ ना जाए अंडर आते ही सामने सायरा मिली...

सायरा – (अपने सामने अभय के साथ चेहरा ढके आदमी को देख) ये किसे साथ ले आए तुम...

अभय – बाद में बताऊंगा अभी के लिए जरा अपना कमरा खाली कर मेरे रूम में समान रखो अपना....

सायरा –लेकिन....

अभय – जो बोला जल्दी करो बस बाकी बाते बाद में बताऊंगा तुम्हे....

अभय की बात सुन के सायरा ने जल्दी जल्दी अपने कमरे से सारा सामान अभय के कमरे में रखा तब अभय ने शंकर को सायरा के कमरे ले जाके बैठा दिया बेड में.....

अभय –(शंकर को बेड में बैठा के) चुप चाप यही पर बैठा रह तू सायरा सुन....

सायरा के कान में कुछ कहा जिसे सुन सायरा अभय को देखने लगी...

अभय – जाओ जल्दी से मैं सब समझा दुगा बस अभी जाओ....

अभय की बात सुन सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में सायरा और राज साथ में कमरे के अन्दर आए साथ में लोहे का स्टैंड , पानी की टंकी और जंजीर ले आए जिसके बाद राज और अभय ने शंकर को बेड में लेता दिया जंजीर से अच्छे तरीके से बांध दिया ताकि हिल भी ना सके और शंकर के सिर के पास लोहे का स्टैंड लगा के इसके ऊपर पानी की टंकी रख दी उसके बाद अभय मुस्कुरा के बस देखने लगा शंकर को....

शंकर – मैं कुछ नही जानता छोड़ दो मुझे जाने दो...

अभय बस स्माइल करते हुए देखता रहा शंकर को काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा तब लेकिन शंकर ने कुछ नही बोला तब....

अभय – (पानी की टंकी के नल को हल्का सा घुमाया जिससे टंकी से एक एक बूंद पानी की धीरे धीरे शंकर के सर में गिरने लगी) कैसा लग रहा है चाचा अजीब लग रहा होगा ना कोई बात नही डॉक्टर की दी हुई दावा का असर भी कुछ वक्त बाद होता है इसका भी असर होगा तब तक मजे लो तुम बाद में आते है हम , और हा एक बता दू तुम्हे इस हॉस्टल में मैं अकेला रहता हू साथ में ये लड़की और चौकीदार भी रहता है लेकिन हॉस्टल के बाहर और ये वाला कमरा बीच में है तू जितना चिल्ला सकता है चिल्ला तेरी आवाज यहां पर ही रहेगी बाहर नही जाएगी चलता हू...

बोल के अभय , राज और सायरा निकल गए कमरे को बाहर से बंद करके....

राज – अब क्या करना है यार....

अभय – जब तक इसका मू नही खुल जाता तब तक टॉचर का सिलसिला चलता रहेगा इसके साथ और तब तक ये यही रहेगा बस गांव में पता नही चलना चाहिए इसके बारे में किसी को...

राज – उसकी चिंता तू मत कर किसी ने भी हमे यहां आते नही देखा है...

सायरा – मुझे तो ये समझ नही आ रहा है आखिर तुम दोनो इसे यहां लाए क्यों हो...

अभय –(राज से) भाई तू घर जा मै कल से सुबह आऊंगा फिर बात करते है हम...

राज – (बात समझ के) ठीक है कल मिलते है...राज के जाते ही अभय बोला....

अभय –(सायरा से) सुबह का पता है ना तुझे क्या हुआ था बीच में...

सायरा – हा पता है...

अभय –(मोबाइल दिखाते हुए) मुझे ये मोबाइल मिला एक बंदे का गिरा हुआ इसमें दो नंबर है एक शंकर का और एक नंबर किसी मालिक के नाम से और ये सिम किसी गजानन के नाम से है...

सायरा –(चौक के) तुम्हे इतना डिटेल्स कहा से मिल गई.…

अभय – तुम्हे याद है वो बैग उसकी मदद से जान पाया मैं...

सायरा – तो तुम्हे क्या लगता है शंकर के पास से क्या जानकारी मिल सकती है तुम्हे...

अभय –(मुस्कुरा के) जल्दी क्या जानने की कही जा रही हो क्या यही हो ना मेरे साथ और अब तो मेरे कमरे में ही तुम्हे सोना है आज से (आंख मार के) मेरे साथ...

सायरा –(अभय के कंधे पे हल्का मुक्का मार के) धत पागल कही का...

बोल के मुस्कुराने लगे दोनो सायरा चली गई खाने की तयारी करने अभय बेड में बैठ लैपटॉप में छेड़खानी करने लगा जबकि हवेली में हिसाब के खाते की लिखा पड़ी का काम निपटाने के बाद संध्या हाथ में मोबाइल लिए अभय को कॉल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रही थी डर से कही अभय जाने क्या बोल दे ऐसा कुछ जिससे संध्या घबरा रही थी किसी तरह हिम्मत जुटा के संध्या ने कॉल मिला दिया अभय को...

अभय – हेलो...

संध्या – फोन मत काटना बात सुन ले मेरी...

अभय – अब क्या बताना है....

संध्या – मैं जानती हू तू नाराज है अभी भी मुझसे लेकिन एक मौका तो दे मुझे....

अभय – (आराम से) जब तक मैं हवेली में था मैने तो तुझे मौका देने से कभी रोका ही नही उल्टा तेरे पास मौका ही मौका था लेकिन तब क्या किया सिर्फ दूसरो की बात सुनी तूने मुझसे तो कभी पूछा तक नहीं इस बार भी हवेली आया था लेकिन इस बार भी (बोल के चुप हो गया कुछ सेकंड रुक के बोला) देख मैं जानता हू तेरी अपनी जिंदिगी है जिसपे मेरा कोई अधिकार नही...

संध्या –(बीच में बात काटते हुए) मत बोल ऐसा ये जिदंगी सिर्फ तेरी है तेरा ही अधिकार है मेरी जिंदिगी पर बस एक बार मांग के तो देख तू....

अभय –जानती है तू बहुत वक्त लगा था मुझे खुद को संभालने में बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला है मैने ऊब गया था मन मेरा इस जिदंगी से अब शायद और हिम्मत ना जुटा पाऊ मैं मत कर कमजोर कही ये जिंदिगी भारी ना लगने लगे मुझे...रोते हुए कॉल कट कर दिया अभय ने इधर संध्या भी रो रही थी अभय की बात सुन के आधे घंटे बाद सायरा अपना और अभय का खाना ले आई...

सायरा – आओ खाना खा लो अभय....

अभय –खुशबू बहुत अच्छी आ रही है खाने की...

सायरा – ये तो ठीक है लेकिन इसका क्या करना है मैने उसके लिए भी बनाया है खाना...

अभय – खिलाऊगा खाना उसे लेकिन अभी नही अभी तो एक्सपेरिमेंट चल रहा है उसे उम्मीद है रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा तब खिलाऊगा खाना उसे....

सायरा – आइडिया कहा से आया तुम्हे ये....

अभय – साउथ की मूवी देखी थी उसमे था ये आज सोचा आजमा लिया जाय इसे देखते है क्या होता है आगे...

सायरा – पता कैसे पड़ेगा आइडिया काम कर रहा है की नही....

अभय – चिल्लाएगा जोर जोर से भीख मांगेगा तब बात करूंगा उससे....

सायरा – तब तक के लिए कुछ टाइम पास करते है खाना खा के....

मुस्कुराते हुए दोनो खाना खाने लगे खाने के बाद बर्तन रख के सायरा आ गई अभय के पास नाइटी पहन के...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – एक दम मस्त

सायरा – सेक्स किया है पहले कभी

अभय – अभ तक नही किया कैसे करते है

सायरा – कोई बात नही आज मैं सिखाऊंगी कैसे करते है सेक्स बस जैस आई बोलती जाऊ वैसा करते जाना तुम धीरे धीरे समझ आ जाएगा कैसे होता है सेक्स आओ शुरुवात किस करके करते है किस करो मुझे

सायरा की बात सुन अभय किस करने लगा सायरा को धीरे धीरे सायरा भी साथ देती जा रही थी अभय का किस में


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धीरे धीरे दोनो का किस पैशनेटली होता जा रहा था
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किस तोड़ अलग होके सायरा ने अपनी नाइटी उतार फेकी
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साथ में अपनी ब्रा और पेंटी भी
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अभय के सामने खड़ी होके...

सायरा – कैसे लग रही हू मै

अभय – (सायरा को गौर से देख के) बिल्कुल हुस्न की परी लग रही हो यार तुम

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सायरा – (अभय को बेड में बैठा के) अब इस हुस्न की परी का कमाल देखो तुम (अभय का कच्छा उतार के) तुम्हारा तो बहुत बड़ा है लंड और मोटा भी खूब है मुझे नहीं मालूम था किसी का इतना बड़ा भी हो सकता है(लण्ड को मसलते हुए)
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सायरा पैरों के पास घुटनो के बल बैठ गयी अपनी जीभ निकाल लण्ड को चाटने लगी उसकी सिसकारियाँ गूंजने लगी इस हमले से अभय मानो मदहोश सा हो गया था आज पहली बार उसे एक अलग सा आनंद मिल रहा था उसे देख ऐसा लग रहा था जैसे वो सायरा के बस में हो
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सुपाड़े को अपनी जिव्हा से रगर रगड़ कर लाल करने के बाद सायरा ने उसे अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी अपना मुख हिलाती लण्ड को खूब मज़े से चुस रही थी सायरा
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अभय मस्ती में मस्त होके अपनी आंखे बन्द किए मजे में खोया हुआ था लंड चूसते हुए सायरा की नजर गई अभय पर तुरंत खड़ी होके अभय का दोनो हाथ अपने मम्मे में रख अपनी तरफ खीच अभय को किस करने लगी

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किस तोड़ के बोली

सायरा –जैसा मैने किया अब तुंभी वही करो...

बोल के अभय को अपने हाथो के दबाव से नीचे घुटने के बल बैठाने लगी अभय को वो भी सायरा की आखों में देख बैठ गया तब सायरा ने उसके मू को अपनी चूत की तरफ ले आई अपनी आखों से इशारा करके अभय का मू अपनी चूत में लगा दिया जिसे धीरे धीरे चाट ने लगा अभय

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अब धीरे धीरे अभय को भी शायद इसमें मजा आने लगा था सायरा की टांग को टेडा करके चूत पर अपनी जबान को अन्दर डाल चाटे जा रहा था
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एक सायरा – (मजे से सिसकियां लेते हुए) ऊहहहहहह हा बस ऐसे ही करते रहो अभय बहुत अच्छा कर रहे हो तुम
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आआआआअहह करते हुए सायरा का पानी निकल गया बीना जानें बस अभय चाटता गया ये देख सायरा हल्का मुस्कुरा के बोली...

सायरा – कैसा लगा

अभय – पहले तो अजीब लगा लेकिन फिर मजा आने लगा तुम सच में कमाल हो सायरा मैने ऐसा एक्सपीरियंस कभी नही सोचा था इतना मजेदार पूछो मत...

सायरा –(मुस्कुरा के) अभी तो असली मजा बाकी है अभय
बोल के अभय को अपने ऊपर खींच के...

सायरा – (अभय के लंड पे इशारा कर के) इसे मेरे अन्दर डालो फिर देखो असली मजा क्या होता है
बात सुन अभय ने लंड को चूत में अंदर डालने लगा अंडर जाते ही...

सायरा –(सिसकी लेते हुए) आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आह क्या करते हो मार डालोगे क्या आराम से डालो मेरे नादान बलम कही भागी नहीं जा रही हू मै

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लंड को वापस बाहर निकल के धीरे धीरे अंदर डालने लगा सुपाड़ा अंदर घुसते ही सायरा सिसक उठी
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अभय ने धीरे धीरे तीन चार धक्के मारे और लन्ड पूरा अंदर घुसाने लगा

सायरा – आआईईईईईई ऊँह्ह्ह्ह्ह्ल बस इसी तरह करते रहो अभय आराम आराम से...

सायरा की बात मान अभय आगे पीछे होने लगा जिससे सायरा और अभय को मजा आने लगा

19630215धीरे धीरे करते रहने से अभय का जोश बढ़ता गया और जोश में सायरा की चूत में जोर जोर से झटके देने लगा...

सायरा – आहहहहह उफ़्फ़्फ़्फ़ऊऊह्ह्ह्ह्ह् बहुत अच्छे अभय बिल्कुल सही जा रहे हो तुम करते रहो बस इसी तरह

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तेज रफ्तार से अभय हर बार एक जोर के झटके से लंड पूरा बाहर निकलता और एक बार में पूरा अंदर करने लगता कुछ देर में अभय सायरा के उपर लेट कस के धक्के देने लगा जिस कारण दोनो ही पसीने से लतपथ हो गए
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कुछ ही देर की कड़क मेहनत के बाद अभय और सायरा एक साथ जोर दार आवाज गूंज गई कमरे में...

सायरा और अभय एक साथ – आआआआआआआआअहहहह...

इस आवाज के साथ दोनो ने अपना पानी छोड़ दिया एक दूसरे के बाहों में बहे डाले लंबी लंबी सांसे लेने लगे कुछ मिनट बाद अभय बगल हो गया सायरा के तब सायरा अभय के सीने पर सिर रख के...

सायरा – (सास लेते हुए) कैसा लगा तुम्हे...

अभय – बहुत ही सुकून मिला आज तो मुझे नही पता था की इतना सुकून मिलता है इसमें...

सायरा – सच में तुम्हारे साथ मुझे भी सुकून मिला आज काफी वक्त के बाद...

अभय –अगर तुम ना होती तो मैं जान ही ना पाता इस बारे में...

सायरा – (मुस्कुरा के) अभी तो बहुत जानना है तुम्हे मेरे नादान बलम , मैं तुम्हे परफेक्ट बना दुगी इसमें कोई भी लड़की दीवानी हो जाएगी तुम्हारी...

अभय –(मुस्कुरा के) और तुम...

सायरा – अब से मिली हू तब से दीवानी हो गई मैं तेरी अदा पे...

बोल के दोनो मुस्कुराने लगे AC की ठंडक का मजा लेते हुए अभय और सायरा एक दूसरे की बाहों में सो गए थे करीबन रात के 2:30 बजे शंकर के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज से अभय की नीद खुल गई नीड से जागते ही शंकर की तड़पने की आवाज सुन मुस्कुराते हुए अभय धीरे से सोती हुई सायरा को साइड में करके उठ कर धीरे धीरे चलते चलते शंकर के कमरे में चला गया....

शंकर –(अभय को सामने देख) इसे बंद करो मैं सब बताऊंगा बंद करो इसे....

अभय – सब कुछ सच बताओगे या सब झूठ बताओगे....

शंकर – सब सच बताऊंगा पहले इसे बंद कर दो...

अभय – अच्छा तो चलो जरा ये बताओ मुझे मारने के लिए लोगो को किसने भेजा था....

शंकर – रमन ठाकुर ने बोला था अब तो बंद कर दो इसे...

हल्की सी मुस्कान के साथ अभय ने टंकी का नल बंद कर दिया...

अभय – जब तक मेरे सवालों का जवाब सही देगा तब तक ठीक रहेगा लेकिन अगर झूठ बोला या कुछ छुपाया ऐसा कुछ भी तो फिर से ये खेल शुरू हो जाएगा समझा....

शंकर–(डरते हुए) समझ गया जो पूछना है पूछो सब बताऊंगा मैं....

अभय –(हस्ते हुए) हम्म्म अब आएगा मजा , पहला सवाल अपने मालिक रमन ठाकुर की सारी कुंडली दिखा मुझे....

शंकर –रमन शुरुवात से अय्याश किस्म का है उसे रिश्ते नातों से कोई मतलब नहीं है सिर्फ दौलत चाहिए उसे इसके लिए आए दिन दो नंबर का काम करता रहता है ड्रग्स की तस्करी करता है महीने की 20 तारीख को एक जहाज समुंदर के रास्ते विदेश जाता है उसमे से कुछ माल वो लोग ट्यूब लगा के पानी में गिरा देते है जिसे हमारे लोग नाव के जरिए उसे किनारे ले आते है फिर रमन गांव के दूसरे व्यापारियों से बात करके माल की डिलीवरी करवा देता है....

अभय – उसका पैसा कहा जाता है मतलब कैसे मिलता है रमन को....

शंकर – रमन का पर्सनल खाते में जाता है वो पैसा जिसकी जानकारी सिर्फ रमन को है....

अभय – गांव वालो की जमीन क्यों छीनी जा रही थी सिर्फ डिग्री कॉलेज के लिए या...

शंकर – ड्रग्स के काम में मुनाफा ज्यादा है इसीलिए रमन ने प्लान बनाया था डिग्री कॉलेज की आड़ में ज्यादा से ज्यादा माल गांव में मंगवा के कॉलेज में रखवाया करेगा ताकि ज्यादा पैसे कमा सके...

अभय – और अगर ये बात खुल जाती तो क्या होता रमन के साथ....

शंकर – रमन को कुछ नही होता उसने वो डिग्री कॉलेज संध्या के बेटे अभय के नाम से रजिस्टर करवाया है....

अभय – (गुस्से में) झूट बोलता है तू...

शंकर – नही ये सच है रमन ने जान बूझ के ऐसा किया अगर कल को बात खुल जाती है तो पुलिस और गांव वालो का शक संध्या पर जाएगा इसीलिए रमन ने संध्या के बेटे अभय के नाम डिग्री कॉलेज रजिस्टर किया और संध्या से झूट कहा कि कॉलेज की रजिस्ट्री बड़े ठाकुर के नाम की है...

अभय – लेकिन संध्या के साथ ऐसा क्यों कर रहा है रमन....

शंकर – दौलत के खातिर क्योंकि बड़े ठाकुर मारने से पहले वसीयत संध्या के नाम कर के गए थे....

अभय – तुझे कैसे पता वसीयत के बारे में...

शंकर – रमन ने बताया था मुझे...

अभय – रमन के पास है वसीयत

शंकर – नही उसके पास नहीं है

अभय – तुझे कैसे पता तूने देखा था क्या

शंकर – नही लेकिन रमन ने बताया था की बड़े ठाकुर मरने से पहले बोल रहे थे वसीयत के बारे में तब रमन ने सुना था

अभय – अगर संध्या फस जाति है तो रमन को फायदा कैसे होगा संध्या का बेटा भी तो मौजूद है ना....

शंकर –रमन के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत थी लेकिन फिर जाने कैसे एक दिन रमन बोलने लगा की उसे संध्या से प्यार हो गया है....

अभय –(अपनी आंख सिकुड़ के) क्या मतलब इस बात का संध्या से प्यार कैसे और क्या संध्या भी प्यार करने लगी रमन से....

शंकर – वो मुझे नही पता, लेकिन शायद अपने बेटे के कारण वो आगे नहीं बढ़ पा रही हो....

अभय – फिर क्या किया रमन और संध्या ने....

शंकर – रमन ने मुनीम से बोल के हर जरा सी बात पर अभय को मार खिलवाना शुरू करवा दिया था ताकि अभय डर के साए में रहे और रमन जो चाहे वो कर सके इसीलिए अपने बेटे को भी शामिल कर लिया इसमें ताकि अमन भी अभय के साथ वही करे तभी अमन ज्यादा से ज्यादा संध्या के करीब रहता था....

अभय – और संध्या वो ये सब होने दे रही थी अभय के साथ....

शंकर – संध्या विश्वास करती थी रमन पर इसीलिए आंख बंद करके यकीन कर लेती थी....

अभय – (हस के) विश्वास के खातिर अपने ही बेटे के साथ ये सलूक वाह क्या बात है , फिर आगे क्या हुआ....

शंकर –सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक रात अभय घर छोड़ के चला गया और ये बात रमन को पहले पता चल गई थी क्योंकि सुबह सुबह रमन गया था अभय के कमरे में क्योंकि उस दिन अभय का जन्मदिन था रमन ने सोच क्यों ना आज के दिन कुछ ऐसा हो जिससे संध्या ना चाहते हुए भी अभय पर आज हाथ उठा दे लेकिन अभय कमरे में नहीं मिला क्योंकि अभय इतनी सुबह जल्दी नही उठता था तब रमन को समझ आगया था अभय घर से भाग गया है कुछ सोच के रमन ने तुरंत मुनीम से बोल के जल्दी ही एक बच्चे की लाश का इंतजाम करने को कहा और मुनीम पास के गांव के अस्पताल से एक बच्चे की लाश ले आया जिसकी कद , रंग अभय से मेल खाता था लाश को लाके जंगल में छोड़ दिया गया अभय के स्कूल के कपड़े पहना के तब रमन ने लाश का सिर कुचल दिया ताकि सबको यकीन हो जाय की लाश अभय की है बस जल्दी में ये गलती हो गई रमन से क्योंकि संध्या को यकीन नही आया की अभय मर चुका है उस दिन से संध्या का रवईया बदल गया अपने बेटे के चले जाने....

अभय –हम्म्म....

शंकर – अब तो मुझे छोड़ दो बेटा मैने सब बता दिया तुम्हे....

अभय –वो कॉन सी बात थी जिसके चलते बड़े ठाकुर ने रमन के बजाय संध्या के नाम जायदाद कर दी...

शंकर – मुझे इसके बारे में सच में कुछ नही पता बेटा....

अभय – रमन का चलन कैसा था अपने पिता और अपने भाई के साथ....

शंकर – मू में राम बगल में छुरी का काम करता था रमन तब....

अभय – क्या रमन का भाई और पिता जान नही पाए कभी इस बारे में....

शंकर – रमन शुरू से ही तेज रहा है इन कामों में अपनी होशियारी के चलते ज्यादा तर काम मनन से करवा देते थे जिसका पता किसी को नहीं चलता था....

अभय – एक बात तो बता तुझे इतना सब कैसे पता है रमन की हर बात जनता है तू इसका मतलब रमन तेरे से कुछ नही छिपाता था....

शंकर – मैं शुरू से ही रमन का साथ दे रहा हू हर काम में...

अभय – इसीलिए तेरे घर में बीवी तेरी जरूर है लेकिन बेटी उसकी है क्यों...

शंकर – अपने मजे के लिए रमन ने उर्मिला मेरे साथ रहने को कहा गांव वालो के सामने मेरी बीवी बना के....

अभय – (बाते सुन के) तेरे लिए खाना रखा है खा के सोजा बाकी बात कल करेंगे....

शंकर – मैने सब तो बता दिया अब क्यों रोक रहे हो मुझे....

अभय – अभी तो शुरुवात हुई है सरपंच चाचा अभी तो बहुत कुछ बाकी है....

शकर –(चौक के) सरपंच चाचा , गांव में इस नाम से सिर्फ अभय बुलाता था मुझे इसका मतलब तुम....

बात सुन के अभय मुस्कुराने लगा जिसे देख शंकर की आखें हैरत से बड़ी हो गई....

अभय – खाना खा लो चाचा और हा ये जंजीर तब तक नही खुलेगी जब तक मैं इसे नही खोल देता इसीलिए करना तो सिर्फ कोशिश करना लेकिन करना मत
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जारी रहेगा✍️✍️
Superb update
 
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