Nice updateUPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
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जारी रहेगा
Superb updateUPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
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जारी रहेगा
UPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
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जारी रहेगाAwsone Awson
FantasticUPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
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जारी रहेगा