ThanksBahut mast update bhai
Mast update BhaiUPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
.
.
.
जारी रहेगा
Bha awesome updateLatest update posted bhai
I thinkUPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
.
.
.
जारी रहेगा
Bahut hi badhiya update diya hai DEVIL MAXIMUM bhai....UPDATE 39
अचनाक से चिल्लाने की आवाज सुन कर राजू और लल्ला की नीद खुल गई और उनकी नजर गई कुर्सी में बैठे अभय पर जिसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था साथ लंबी लंबी सास ले रहा था....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख) अभय क्या हुआ तुझे इतनी लंबी सास क्यों ले रहा है तू....
अभय –(राजू को देख) पता नही यार ऐसा लगा जैसे कोई दर्द में तड़प रहा है चीख रहा हैं जोर जोर से....
राजू – कोई बुरा सपना देखा होगा तूने....
अभय –नही यार कुछ सही नही लग रहा है मुझे बहुत अजीब सी बेचनी हो रही है मुझे , मैं जरा बाहर टहल के आता हू थोड़ी देर के लिए....
लल्ला – (अभय की बात सुन) मैं भी चलता हू अभय तेरे साथ....
अभय – नही यार तुम लोग आराम करो मैं अकेले होके आता हू....
बोल के अभय निकल गया अस्पताल के बाहर....
लल्ला –(अभय को जाता देख) अचनाक से क्या हो गया इसको नीद में चिल्ला के मां बोला इसने और बोलता है कोई दर्द में चीख रहा है....
राजू – अरे यार तू भी क्या बोल रहा है एक तो ठकुराइन गायब है उपर से अभय की दीदी और राज का एक्सीडेंट ऐसे में किसी को भी बेचैनी हो सकती है बे....
लल्ला – हा भाई ये भी सही बात है....
राजू – चल हम भी चलते है बाहर नीद तो आने से रही अब....
ये दोनो जब बाते कर रहे थे आपस में उससे पहले अभय अस्पताल के गेट के पास बनी कुर्सी में बैठ सिर पीछे टीका के आसमान को देखे रहा था....
अभय – (अपने मन में – क्या हो रहा है ये सब क्यों आज मन में मेरे इतनी बेचैनी हो रही है (कुछ वक्त के लिए अपनी आंख बंद कर के खोली) आखिर चाची क्या बोलना चाहती थी मुझसे कॉन से अनर्थ की बात कर रही थी उपर से चांदनी दीदी और ठकुराइन के साथ राज कैसे आ गया और कहा गई ठकुराइन ये सब एक साथ क्यों हो रहा है आखिर कौन कर सकता है ये सब)....
अपनी ही सोच में गुम था अभय तभी पीछे से राजू आके बोला....
राजू – क्या हुआ अभय....
अभय –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ समझ में नहीं आ रहा है ये सब एक साथ क्यों हुआ अचानक से....
राजू – देख अभय जब तक ठकुराइन का पता नही चल जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है भाई....
राजू की बात सुन अभय ने हा में सिर हिलाया....
लल्ला – चल आराम कर ले सुबह के 4 बजने वाले है....
बोल के राजू , लल्ला और अभय जाने लगे अस्पताल के अन्दर तभी अभय का ध्यान संध्या की खड़ी कार में गया जिसे देख....
अभय – (कार की तरफ इशारा करके) ये ठकुराइन की कार है ना....
लल्ला – हा....
अभय –(कार के पास जाके गौर से देखते हुए) जब हमलोगो को कार मिली थी तब दीदी पीछे बैठी थी और राज आगे....
राजू –हा भाई लेकिन तू इस वक्त ये सब क्यों पूछ रहा है....
अभय – अगर मान लिया जाय की ठकुराइन हवेली से निकली थी तो पहले हॉस्टल पड़ता है फिर गांव उसके बाद हाईवे आता है....
राजू – हा....
अभय – राज हवेली तो नही गया होगा जरूर ठकुराइन से रास्ते में मिला होगा....
लल्ला और राजू एक साथ – तू आखिर बोलना क्या चाहता है....
अभय – यही की ये एक्सीडेंट नही सिर्फ एक दिखावा था ताकि लोगो को लगे ये सब एक्सीडेंट से हुआ है....
राजू – मैं अभी भी नही समझा बात को....
अभय – डाक्टर ने बताया राज को लोगो ने मारा था आखों में मिट्टी डाल के अगर ऐसा होता तो फिर राज कार में आगे की सीट में कैसे आगया जबकि चांदनी दीदी का कहना था किसी ने उनके मू पे रुमाल लगाया था जिस कारण वो बेहोश हो गई थी तो जाहिर सी बात है यही काम ठकुराइन के साथ भी हुआ हो और शायद राज बीच में आ रहा हो बचाने के लिए और तभी ये सब किया गया राज के साथ वर्ना सोचो जब दीदी मिली तो कार के पीछे की सीट में थी और राज ड्राइविंग सीट पर जबकि ठकुराइन मिली भी होगी तो रास्ते में मिली होगी राज को जिसका मतलब कार ड्राइव ठकुराइन कर रही थी कोई और नहीं....
राजू – (अभय की बात सुन) एक बात और भी जो समझ नही आई मुझे चांदनी भाभी को कार की पीछे की सीट में अकेला बैठाया गया वो भी बेल्ट लगा के क्यों अकेले थी तो लेता देते बैठा के बेल्ट लगाने की क्या जरूरत थी....
अभय –वो जो कोई भी है दीदी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था और शायद राज को भी वर्ना राज को कार में न बैठता....
लल्ला – अगर तुम दोनो की कही बात सही भी है तो ठकुराइन का पता कैसे लगाया जाए....
अभय – जहा ये हादसा हुआ वहा पे चल के देखते है....
राजू – मैं पहले ही देख चुका हू चारो तरफ वहा पर कुछ नही मिला मुझे....
अभय – उम्मीद करता हू शायद पुलिस या दीदी के लोगो को कुछ पता चले इस बारे में....
एक तरफ अभय जिसे समझ नही आ रहा था इस हादसे के कारण का वही दूसरी तरफ खंडर में मुनीम ने जलती सरिया संध्या के पैर में लगा दी थी जिसका दर्द सहन न कर पाने की वजह से संध्या बेहोश हो गई थी जिसके बाद....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम से) अबे तेरा दिमाग खराब तो नही हो गया है मुनीम ये क्या कर रहा है तू इसके साथ....
मुनीम – रंजीत बाबू अगर आपको लगता है इस औरत से आसानी से जान जाओगे सारी बात तो भूल है तुम्हारी इसका मू इतनी आसानी से नही खुलेगा और वैसे भी आज मौका मिला है मुझे अपना बदला लेने का साली ने बहुत सुनाया है मुझे कुत्ते जैसे हालात कर दी थी मेरी इसने साली ने जब देखो बस हर काम के लिए मुनीम मुनीम करती रहती थी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) तो क्यों गुलामी कर रहा था इसकी छोड़ देता....
मुनीम – ऐसे कैसे छोड़ देता मै भला कोई सोने के अंडा देने वाली मुर्गी को कोई लात मारता है क्या....
रंजीत सिन्हा – हम्म्म बात तो सही है तेरी लेकिन एक बात तो बता तू इतने सालो तक करता रहा है हवेली की सेवा और तू ही नही जान पाया खंडर के दरवाजे के बारे में....
मुनीम – मैने सिर्फ सुना था और जानने की कोशिश में भी लगा था इस औरत से इसीलिए कुत्ते की तरह ये जो बोलती जी मालकिन करके मानता था इसकी बात को और रमन वो तो इसके पीछे पागल बना फिरता रहता था जब से उसका भाई गुजरा है तब से रमन अपनी आखों से इस औरत की जवानी को पी रहा है लेकिन कभी कामयाब नही हो पाया....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम की बात सुन बेहोश पड़ी संध्या को उपर से नीचे तक गौर से देखते हुए) वैसे माल तो बहुत तगड़ा है ये मुनीम कभी तेरी नियत खराब नही हुई इसपे....
मुनीम – रंजीत बाबू जब दौलत हाथ हो तो दुनिया में इससे भी तगड़े माल मिल जाएंगे....
रंजीत सिन्हा – बात में दम है तेरी मुनीम खेर अब बता आगे क्या करेगा तू....
मुनीम ने हस्ते हुए आग में पड़ी जलती हुई सरिया लेके बेहोश पड़ी संध्या के पैर में दोबारा लगा दी जिससे बेहोशी में भी संध्या होश में आते ही चीख गूंज उठी उसकी खंडर में एक बार फिर से....
मुनीम – मालकिन आराम करने का वक्त नहीं है अभी आपके पास बस जल्दी से बता दीजिए दरवाजे के बारे में....
संध्या – (दर्द में) मैं मर जाऊंगी लेकिन....
बोलते बोलते संध्या फिर से बेहोश हो गई जिसे देख मुनीम गुस्से में आग में पड़ी एक सरिया निकल के संध्या के पास जाता तभी....
रंजीत सिन्हा –(मुनीम के बीच में आके) बस कर मुनीम एक बार में अपना हिसाब किताब बराबर करना चाहता है क्या तू सबर कर थोड़ा देख बेचारी फिर से बेहोश हो गई , चल आराम कर ले बाकी सुबह बात करते है इससे (अपने लोगो से) तुम लोग जरा ध्यान रखना इसका होश में आते ही बता देना हमे....
इतना बोलते ही मुनीम चला गया आराम करने पीछे से रंजीत ने किसी को कॉल किया....सामने से औरत – (कौल रिसीव करके) हा रंजीत कैसे हो तुम....
रंजीत सिन्हा – तेरी याद बहुत आ रही है सोच रहा हू क्यों ना आज संध्या से काम चला लू....
औरत – तो इसीलिए तुझे संध्या चाहिए थी....
रंजीत सिन्हा – अच्छा तो याद है तुझे मेरे काम का....
औरत – तेरे ही कहने पे मैने बताए तुझे....
रंजीत सिन्हा – लेकिन तूने ये नही बताया था की संध्या के साथ अभय नही होगा....
औरत – ये कैसे हुआ मुझे नही मालूम बाद में पता चला मुझे भी....
रंजीत सिन्हा – जिस काम के लिए इसे लाए है मुझे नही लगता इतनी आसानी से ये बताएगी सब कुछ हा अगर इसका बेटा होता तो काम एक बार में हो जाता मेरा....
औरत – अस्पताल में बैठा है वो अपने दोस्त और दीदी के लिए....
रंजीत सिन्हा – चल ठीक है आराम कर तू मैं कोई और रास्ता निकलता हू....
औरत – संध्या कैसी है....
रंजीत सिन्हा – जिंदा है अभी....
औरत – (चौक के) क्या मतलब है तेरा....
रंजीत सिन्हा – (मुनीम ने जो किया संध्या के साथ वो सब बता के) दो बार किया टॉर्चर लेकिन जबान नही हिली इसकी....
औरत – (गुस्से में) रंजीत लगता है तेरा भी दिमाग हिला हुआ है मुनीम के साथ मैने तुझ से कहा था मुनीम को रास्ते से हटाने के लिए और तू आज मैं समझ गई तू भी बाकी के मर्दों की तरह है जो बस इस्तमाल करता है औरतों का उसके बाद छोड़ देता है उन्हे मरने के लिए तू भी वही कर रहा है....
रंजीत सिन्हा – अरे अरे तू पगला गई है क्या भला मैं तेरे साथ ऐसा क्यों करने लगा....
औरत – कर नही रहे हो किया है तुमने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – अरे मेरी जान नाराज क्यों होती है तू देख मेरी मुनीम से बात हुई तब पता चला मुझे की मुनीम भी बहुत कुछ जनता है कई चीजों के बारे में बस एक बार पता चल जाए मुझे उसके बाद जैसा तू बोलेगी वैसे मौत दुगा मुनीम को....
औरत – ठीक है....
रंजीत सिन्हा – तेरा तो ठीक है अब मेरा कुछ बता ना अगर खाली है तो आ जाऊं तेरे पास....
औरत – अभी नही....
रंजीत सिन्हा – तो कब और कितना इंतजार करना पड़ेगा मुझे तुम आज अभी या में आता हू बस अब इंतजार नही होता मुझसे....
औरत –(मुस्कुरा के) चल ठीक है किसी बहाने मिलती हू तेरे से जल्द ही....
रंजीत सिन्हा – एक काम करते है कल बगीचे वाले कमरे में मिलते है ज्यादा दूर भी नही है हम दोनो के लिए....
औरत – ठीक है तब तक संध्या और मुनीम....
रंजीत सिन्हा – तू उसकी चिंता मत कर जब तक मैं नही बोलता तब तक के लिए मुनीम चाहे फिर भी कुछ नही कर पाएगा संध्या के साथ मैने अपने लोगो को समझा दिया है सब कुछ पहले से....
औरत – ठीक है तो कल शाम को मैं निकलूगी यह से तुम वक्त पे आ जाना बगीचे में....
रंजीत सिन्हा –हा मेरी जान बिल्कुल वक्त से पहले आ जाऊंगा मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने , रात से सुबह हो गई सभी उठ गए थे अस्पताल में बस इंतजार था राज के होश में आने का सभी को उठते ही चांदनी ने अपने लोगो से कॉन्टैक कर के पता किया लेकिन सिवाय निराशा के कुछ हाथ न लगा किसी के सुबह से दोपहर और शाम होने को आई तब चांदनी निकल गई अपनी टीम के पास आगे की जानकारी लेने के लिए....
अभय –(चांदनी के जाते ही राजू और लल्ला से) किसी को कुछ पता नही चला अभी तक राजू तू अपना तरीका इस्तमाल कर ना यार....
राजू – भाई मेरे साथ के कुछ लोग है उनको बोला है मैने पता लगाने को वो पुलिस की तरह नही है कुछ भी पता चलते ही बताएंगे जरूर मुझे वैसे सच बोलूं तो ये काम अपने गांव में किसी का नही है वर्ना कल ही पता चल जाता मुझे ये जो भी है बहुत शातिर खिलाड़ी मालूम पड़ता है....
अभय – हाथ तो आ जाए एक बार उसकी गांड़ मे घुसेड़ दुगा सारी होशियारी....
गीता देवी –(पीछे से अभय के पास आके) क्या बात हो रही है बेटा....
अभय – कुछ नही बड़ी मां बस राज के लिए बात कर रहे थे....
गीता देवी – देख डॉक्टर से बात की चेक अप किया राज का बोला की जल्दी ही होश आ जाएगा उसे तू चल कुछ खा ले बेटा सुबह से कुछ नही खाया है तूने....
अभय – नही बड़ी मां खाना तो दूर मेरे गले से पानी तक नही उतर रहा है....
गीता देवी – समझती हू बेटा लेकिन भूखे रहने से भला क्या हुआ है किसी का....
राजू – (अभय से) काकी सही बोल रही है अभय कुछ खा ले तू कल रात से सोया भी नही है....
गीता देवी –(राजू के मू से बात सुन के) क्या रात से सोया नही क्या हुआ....
राजू –(कल रात अभय के साथ जो हुआ सब बता के) काकी रात 2:30 बजे से नही सोया है ये जाग रहा है बस....
गीता देवी – होता है बेटा जब कोई अपना तकलीफ में होता है तो दूसरा बेचैन हो जाता है अपने आप ही (हाथ जोड़ के) हे भगवान संध्या ठीक हो बस जल्दी से राज को होश आ जाए....
कहते है एक मां की पुकार कभी खाली नही जाति शायद सही भी है क्योंकि तभी नर्स दौड़ के आई इन चारो की तरफ....
नर्स – काकी राज को होश आ गया है जल्दी आ आइए....
नर्स की बात सुन गीता देवी , राजू , लल्ला और अभय तुरंत भाग के राज के कमरे में चले गए जहा पर राज होश में आ गया था....
गीता देवी –(राज के सिर में हाथ फेर के) राज कैसा है तू....
राज –(आवाज पहचा के) में ठीक हू मां (अपने आखों में हाथ रख के) ये पट्टी क्यों मेरी आखों में....
नर्स –आपकी आखों में मिट्टी की वजह से हल्का सा इन्फेक्शन हो गया था आज रात तक खुल जाएगी पट्टी आपकी....
अभय – राज क्या हुआ था वहा पे और तू ठकुराइन और दीदी के साथ कैसे....
राज –(जो कुछ हुआ सब बता के) अभय सालो ने अचानक से हमला कर दिया मुझपे में कुछ नही कर पाया यार किसी के लिए भी....
अभय – कोई बात नही तू ठीक है यही काफी है अपने लिए....
राज – अभय बेहोश होने से पहले मैंने एक आदमी को बात करते सुना था वो ठकुराइन को खंडर में ले जाने की बात बोल रहे थे और बोल रहे थे बाकी की बात इससे वही करेंगे....
गीता देवी – बाकी की बात वही करेंगे लेकिन संध्या से क्या बात करनी है उनलोगो को....
राज –पता नही मां वो लोग ठकुराइन को खंडर लेके गए है....
अभय –(राज की बाते सुन रहा था गुस्से में) उन लोगों ने भूत का पुतला रखा है ना लोगो को डराने के लिए आज के बाद सिर्फ उनका ही भूत उस खंडर में भटके गा....
बोल के अभय पीछे मुड़ा ही था तभी....
गीता देवी – (अभय का हाथ पकड़ के) नही अभय तू अकेले मत जा....
राज –(बीच में) जाने दो उसे मां कुछ नही होगा उसे अब जो होगा सिर्फ उनलोगो को होगा अभय तू जा ठकुराइन को वापस लेके आजा बस....
गीता देवी –(अभय का हाथ छोड़ के) मेरी संध्या के बगैर वापस आया तो समझ लेना तेरे लिए मर गई तेरी बड़ी मां आज से....
गीता देवी की बात सुन राज की खून से भीगी शर्ट उठा के अभय निकल गया खंडर की तरफ संध्या की कार लेके....
राज – मां ऐसा क्यों बोला तुमने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के) ताकि उसके गुस्से की आग और बड़ जाए....
अस्पताल से निकल संध्या की कार लेके अभय आगया खंडर की तरफ खंडर के अंडर मुनीम और रंजीत सिन्हा के कुछ आदमियों के साथ संध्या को टाउचर करने में लगा था
मुनीम –(संध्या से) मालकिन अगर अब तुम नही बताओगी तो मजबूरन मुझे तेरे बेटे को लाना पड़ेगा यहां पे और तब तेरे सामने ही तेरे बेटे के साथ जो होगा उसका जिम्मेदार मैं नही तू खुद होगी सोच ले एक बार तो बच गया था तेरा बेटा लेकिन इस बार बचेगा नही क्योंकि इस बार तेरा बेटा सच में मारा जाएगा....
संध्या – तो क्या पहले भी तुमलोगो ने ही अभय के साथ
मुनीम – नही मालकिन पहले तो किस्मत अच्छी थी तेरे बेटे की जो बच के भाग गया था घर से वर्ना कब का (बोल के हसने लगा मुनीम)
मुनीम को हस्त देख खुद हसने लगी संध्या जिसे देख मुनीम की हसी अचनाक से रुक गई जिसे देख....
संध्या – (हस्ते हुए) क्या हुआ रुक क्यों गई हसी तेरी हस न और जोर से हस....
मुनीम – (हसी रोक के) तू क्यों हस रही है इतना....
संध्या – मैं तो ये सोच के हस रही हू अब तक मैं समझती रही जो भी हुआ बहुत गलत हुआ मेरे अभय के साथ लेकिन आज मुझे एहसास हो रहा है की अच्छा हुआ जो उस वक्त अभय भाग गया घर से वर्ना आज अभय जो बन के आया है वैसा शायद मैं भी ना बना पाती उसे और क्या कहा तूने अभय को यहां पकड़ के लाएगा तू भूल गया क्या हालत की उसने तेरी याद कर ले कुछ भी कर ले तू अभय को छू भी नहीं पाएगा तू और तू जानना चाहता था ना उस दरवाजे के बारे में तो सुन ध्यान से भले मैं बता भी दू उस दरवाजे के बारे में लेकिन फिर भी तू कुछ नही कर पाएगा क्योंकि वो दरवाजा मेरे से तो क्या किसी से भी नही खुलने वाला है भले ये खंडर भी उजाड़ दिया जाय फिर भी नही खुलेगा वो....
संध्या की बात सुन मुनीम गुस्से में फिर से जलती हुई सरिया लेके आया और संध्या के पैर में फिर लगा दिया जिसकी वजह से संध्या की चीख खंडर में फिर गूंज उठी....
संध्या –(दर्द में चिल्ला के) आआहहहहहहहहह....
जबकि इस तरफ अभय खंडर में आते ही उसी जगह आ गया जहा से पिछली बार राज के साथ भागा था भूत का पुतला देख के इससे आगे का रास्ता खोज ही रहा था अभय की तभी संध्या की दर्द भरी चीख उसके कान में पड़ी जिसे सुन अभय तुरंत भागा आवाज की दिशा की तरफ जहा अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था तभी अभय को किसी के आने की आहट सुनाई दी सामने देख जैसे कोई टार्च लेके आ रहा हो बात करते हुए....
आदमी – (चीखने की आवाज सुन के) लगता है आज ये औरत मारी जाएगी....
दूसरा आदमी – (हस के) यार मैं तो सोच रहा हू मरने से पहले कुछ मजा ले लिया जाय उस औरत का
पहला आदमी – हा यार क्या तो मस्त माल आया है हाथ में....
इतना ही बोलना था की तभी अभय ने तेजी से उसके सीने में लकड़ी का डंडा घुसेड़ दिया
इससे पहले दूसरा कुछ समझ पाता तभी
राज की शर्ट पहनते हुए दूसरे को मारा जोर दार पंच....
अभय –(कॉलर पकड़ के) कहा है वो औरत बता वर्ना....
आदमी –(डर से एक तरफ इशारा करके) सामने है
इतना बोलना था की तभी अभय ने उसके सीने में पांच मार दिया एक दर्द भरी चीख के साथ मारा गया आदमी अपने आदमी की चीख सुन सभी आदमी के कान खड़े हो गए साथ में मुनीम के....
मुनीम – ये आवाज कैसे जाके देखो बाहर क्या हुआ है....
कमरे से बाहर आते ही गलियारे में अंधेरे में कोई टार्च जला के आ रहा था तो कोई माचिस....
एक आदमी माचिस की तीली जलाए जमीन पर अपने साथी को मरा देख जैसे ही पलटा सामने अभय आया फुक मार के तीली भुजा दी साथ में आदमी की चीख गूंज गई अंधेरे में
मार के अभय आगे बढ़ता गया जहा उसे और भी तीन लोग मिले जिन्हे एक एक करके अभय मरता गया
मार के दीवार से लटकी हुई जंजीर में लटका के आगे निकल गया चीखों की आवाज सुन मुनीम एक आदमी के साथ बाहर आके लालटेन की रोशनी से अपने सामने का नजारा देख डर से कपने लगा जहा अभय ने तीनों को मार के लटका दिया था
बाकी के आदमी एक जगह इक्कठा होके एक साथ खड़े होके इधर उधर देखने लगे तभी अभय उनके सामने आया
आदमी –(अपने सामने लड़के को देख) कौन है बे तू....
अभय –मौत हू मै तुम सब की....
अभय का इतना बोलना था तभी उस आदमी ने हाथ उठाने की कोशिश की अभय पर और अभय ने उसका हाथ पकड़ के पटक दिया तभी दूसरे आदमी ने बोतल मारी और अभय ने हाथ से रोक उसका कॉलर पकड़ के मारा पंच....
तब सभी ने मिल के चारो तरफ से अभय को घेर के मरना चाहा लेकिन अभय ने सबको मारा जोर से
मार खा के कुछ अधमरे हो गए बाकी के चार भागे तेजी से डर से लेकिन किस्मत खराब थी उनकी तभी अभय तेजी से उनके पीछे भागा टूटी दीवार पे चढ़ के उनके बीच कूद गया जिससे चारो अचानक से अपने बीच अभय को देख रुक गए इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अभय ने अपने शरीर को चकरी की तरह घुमा के चारो को एक साथ मारा मार खा के फिर से भागे चारो पीछे अभय खड़ा देख
उनके पीछे गया और तेजी से उनके आगे आकेचारो को हैरान कर दिया और अपने आगे खड़े दो लोगो को घुसा मारा जिससे दोनो लोग पीछे होके आपके बाकी दोनो साथियों पे जा गिरे
जमीन में पड़े जैसे ही चार संभाले चारो तरफ देख रहे थे तभी अभय सामने आके मरना शुरू किया चारो को तेजी से तब तक नही रुका जब तक चारो मारे नही गए
मुनीम एक कोने में छुप के ये नजारा देख रहा था इतनी बेरहमी से लोगो को मरता देख मुनीम के पैर कापने लगे जिस कारण भागना तो दूर हिलने की भी हिम्मत न हुई मुनीम की जबकि चारो के मरते ही अभय आगे की तरफ गया जहा उसे एक कमरे में संध्या जमीन में पड़ी हुई दिखी अभय तुरंत गया संध्या के पास जाके उसे जमीन से उठा के संभालते हुए....
संध्या –(अभय को देख हल्का सा हस के) तू आ गया (एक तरफ इशारा करके बोली) वो दरवाजा....
बोलते ही संध्या बेहोश हो गई जिसे देख....
अभय –(संध्या का गाल ठप थपा के) क्या हुआ तुझे उठ बोल क्या हुआ है तुझे....
अभय उठाने की कोशिश कर रहा था संध्या को इस बात से अनजान की इस वक्त संध्या की क्या हालत है उठाने की कोशिश में अचनाक ही अभय की नजर गई संध्या के पैर पर जिसे देख जहा संध्या के पैर के पंजे में कई जगह ताजे जलने के निशान थे साथ में लाल पड़े हुए थे ये नजारा देख अभय को समझते देर नही लगी क्या हुआ संध्या के साथ खंडर में....
जाने कैसे आज अभय की आंख में आसू की एक बूंद निकल आई संध्या को देख तभी अभय कुछ बोलने जा रहा था की उसे कुछ आवाज आई गिरने की जैसे लकड़ी का पटरा गिरा हो अभय ने आवाज की दिशा में देखा जहा मुनीम डर से कापता हुआ अभय को देखे जा रहा था....
अभय –(संध्या को दीवार के सहारे बैठा के मुनीम के पास जाके) कहा था ना मैने तुझे जब भी मिलेगा तेरी एक हड्डी तोड़ू गा....
बोलते ही अभय ने एक जोर की लात मारी मुनीम के पैर में जिससे उसकी हड्डी टूटने आवाज आई....
मुनीम –(दर्द में चिल्लाते हुए) आहहहहह....
जोर दार आवाज सुन....
अभय –(मुनीम की दर्द भरी आवाज सुन) दर्द हो रहा है ना तुझे दूसरो को दर्द में तड़पता देख मजा आता था ना तुझे अब खुद बता कैसे लग रहा है बोल मुनीम....
लेकिन अभय ने मुनीम के जवाब का भी इंतजार नही किया और दे मारी एक लात मुनीम के मू पे जिस वजह से वो बेहोश हो गया....
उसके बाद अभय गया उस तरफ जहा संध्या ने बेहोश होने से पहले अभय को इशारा कर बोला था दरवाजा वहा जाते ही अभय उस जगह को गौर से देखने लगा तभी अभय की नजर गई दीवार पर बने एक छोटे गड्ढे (होल) में जैसे उसमे कोई चीज लगनी हो....
अभय –(निशान को गौर से देख) क्या है ये बड़ी जानी पहचानी सी लग रही है....
कुछ देर सोचने के बाद जब कुछ समझ नही आया तब अभय गया संध्या को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुका तभी अभय के गले का लॉकेट हल्का सा बाहर आया जिसे एक पल देख के अन्दर कर ही रहा था की अभय को जैस कुछ याद आया हो तभी लॉकेट गले से बाहर कर देखने लगा गौर से फिर सामने बने (होल) की तरफ देखने लगा वहा जाके अपने गले की चेन में फसे लॉकेट (पेंडेंट) निकाल के जैसे ही उसे घड्डे (होल) में ले गया तभी लॉकेट होल में फस गया और फिर दीवार एक तरफ खिसकने लगी जिसे देख अभय हैरान हो गया था और तभी अभय अपने सामने के नजारे को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई....
एक बड़े सा हाल का कमरा बना हुआ था जिसमे सोना ही सोना (GOLD) चारो तरफ हाल में सोना था....
अभय –(कमरे को देख) तो ये सब इसकी वजह से हो रहा है इसीलिए इतने सालो तक खंडर को श्रापित बोला जाता था ताकि किसी का ध्यान न जाय यहां पर....
बोल के अभय ने एक तरफ से सोने के 5 सिक्के उठा लिए हाल से बाहर निकल के अपने लॉकेट को दीवार पे बने होल से वापस निकाल लिया जिसके बाद दीवार वापस खिसक गई सब कुछ पहले जैसा हो गया बेहोश पड़ी संध्या के पास आके उसे गोद में उठा के बाहर लाया कार में पीछे की सीट में लेता दिया जैसे ही कार में बैठ के स्टार्ट करने जा रहा था कुछ सोच के वापस खंडर में जाके मुनीम को लेके आया और कार की डिक्की में डाल के निकल गया अस्पताल की तरफ अस्पताल में आते ही अभय अपनी गोद में लिए संध्या को ले गया अस्पताल के अन्दर....
अभय –(अपने सामने बैठी गीता देवी के पास आके) बड़ी मां....
गीता देवी –(अपने सामने अभय को देख जो संध्या को अपनी गोद लिए था जोर से चिल्ला के) डॉक्टर....
नर्स और डॉक्टर सामने देख–(स्ट्रेचर लाके अभय से) लेटा दीजिए इनको....
अभय –(संध्या को स्ट्रेचर में लेटा के) बेहोश है ये इनके पैरो में लगी है चोट....
संध्या को लेटा के जैसे ही अभय बगल हटने को हिला था तभी देखा संध्या के हाथ में पहने ब्रेसलेट में अभय की शर्ट का बटन फसा हुआ था जिसे जल्दी में निकलने में लगा था अभय....
गीता देवी –(ये देख मुस्कुरा के खुद संध्या के ब्रेसलेट को अभय के बटन से अलग कर अभय से) आजा बेटा बैठ यहां पे....
जिसके बाद डॉक्टर संध्या को चेकअप के लिए ले गया कमरे में इस तरफ बाहर गीता देवी के साथ अभय दोनो चुप चाप बैठे थे जहा अभय सिर्फ बंद कमरे के दरवाजे को देख रहा था जहा संध्या का चेकअप कर रहा था डॉक्टर वही गीता देवी मुस्कुराते हुए सिर्फ अभय को देख रही जिसका ध्यान सिर्फ बंद दरवाजे पे था....
गीता देवी –(अभय से) तू जा राज के पास मैं देखती हू यहां....
अभय –(बात पर ध्यान ने देके अचानक से अपनी सोच से बाहर आके) क्या बड़ी मां कुछ कहा आपने....
गीता देवी –(मुस्कुरा के बात बदल के) नही कुछ नही बस मैने कहा की अब तो राज की ये शर्ट उतार दे तू....
अभय –हा....
हा बोल के अभय ने राज की खून से सनी शर्ट उतार गीता देवी को देदी....
तभी डॉक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख गीता देवी और अभय दोनो गए डॉक्टर के पास गीता देवी कुछ बोलती उससे पहले ही....
अभय –(जल्दी से) कैसी है अब वो....
डॉक्टर –मैने इंजेक्शन दे दिया है थोड़ी देर में होश आ जाएगा उन्हें लेकिन ठकुराइन को काफी टॉर्चर किया गया है पैरो में जैसे जलती हुई कोई सरिया चिपका दी गई हो अभी तो फिलहाल कुछ दिन चल नही पाएगी वो काफी ध्यान रखना पड़ेगा उनका हर पल जब तक पैर ठीक नही हो जाता उनका....
गीता देवी –हम देख सकते है संध्या को....
डॉक्टर – बिल्कुल और हा हवेली में खबर पहौचवादे ठकुराइन की....
बोल के डॉक्टर चला गया....
गीता देवी –(अभय से) आजा अन्दर चल....
अभय –बड़ी मां आप जाओ मैं अभी आता हूं....
बोल के अभय निकल गया राज के कमरे में....
पीछे गीता मुस्कुराते हुए संध्या के पास चली गई....
अभय –(राज के कमरे में आते ही राजू और लल्ला से) एक काम है तुम दोनो से....
राजू और लल्ला एक साथ –तू आ गया ठकुराइन कहा है कैसी है वो....
अभय – ठीक है लेकिन अभी वो सब छोड़ो तुम (कार की चाबी देके) दोनो कार लेके हॉस्टल में जाओ कार की डिक्की में मुनीम बेहोश पड़ा हुआ है उसे हॉस्टल के कमरे में अच्छे एस बांध देना और सायरा को लेके यहां आओ....
राजू –(चौक के) क्या मुनीम मिल गया तुझे कहा....
अभय – वो सब बाद में पहले जो कहा वो करो....
लल्ला – वो सब तो ठीक है भाई लेकिन तू इतना गुस्से में क्यों बोल रहा है बात क्या है....
राज –(जो काफी देर से बात सुन रहा था बीच में बोला) राजू , लल्ला जो अभय बोल रहा है वो करो बाद में बात करते है इस बारे में....
राजू –(बात सुन के) ठीक है....
बोल के जाने लगा....
अभय –(बीच में टोक के) जब मुनीम को हॉस्टल में ले जाना तब ध्यान रखना कोई देख न पाए मुनीम को....
राजू –ठीक है भाई हो जाएगा काम....
बोल के राजू और लल्ला निकल गए दोनो उनके जाते ही....
राज –क्या बात है अभय क्या हुआ है....
अभय – मुनीम से कुछ जानकारी लेनी है भाई इसीलिए....
राज –(बात सुन के) अबे मेरी आखों में पट्टी है समझा दिमाग में नहीं सच सच बता क्या बात है....
अभय –(खंडर में जो हुआ सब बता के) राज अब बारी मुनीम की है....
राज – ठीक है और चांदनी उसका क्या....
अभय – (दीदी के बारे में सोचते ही) अरे यार मैने तो सोचा ही नहीं दीदी के लिए अब उनको क्या बताऊंगा अगर उन्हें पता चल गया तो....
राज – तू एक काम करना मां को बोल दे वो बात कर लेगी चांदनी से....
इतना ही बोलना था की तभी कमरे में चांदनी आ गई....
चांदनी – (राज को होश में देख) कैसे हो राज तुम होश में आ गए मुझे बताया नही किसी ने और क्या बात कर लेगी मां मुझसे क्या खिचड़ी पक रही है तुम दोनो की....
राज –(बात संभालते हुए) कुछ खास नही आपकी मौसी अस्पताल में है....
चांदनी –(संध्या के बारे में सुन) कहा है मौसी....
राज –बगल वाले कमरे में....
बात सुन चांदनी तुरंत निकल गई संध्या के पास जहा पर गीता देवी पहले से मौजूद थी उनके पास जाके बात करने लगी चांदनी काफी देर के बाद राजू , लल्ला और सायरा आ गए अस्पताल में आके सीधे राज के कमरे में चले गए....
अभय –(सायरा को देख के) सायरा आज से तुम हवेली में रहना ठकुराइन के साथ....
सायरा –(चौक के) क्या लेकिन क्यों और मुनीम को हॉस्टल में क्यों लाया गया है....
अभय –हालत ठीक नहीं है उसकी ओर प्लीज गलती से भी मुनीम वाली बात मत बताना दीदी को....
सायरा –ठीक है लेकिन ठकुराइन की हालत ठीक नहीं है मतलब कहा है वो....
अभय –बगल वाले कमरे में....
बात सुन सायरा चली गई ठकुराइन के कमरे में सायरा के जाते ही....
अभय – (राजू और लल्ला से) मुनीम का क्या किया....
राजू –उस साले को बांध के रखा है हॉस्टल में टेंशन मत लेना किसी ने नहीं देखा हमे आते जाते हुए हॉस्टल में लेकिन तू क्या करना चाहता है मुनीम के साथ....
अभय – (गुस्से में) बहुत कुछ होगा अब उसके साथ
.
.
.
जारी रहेगा
Thank you sooo much Mahakaal bhaiMast super fantastic update
Ab ayega maza Munib ki toh sath me Sanjay ke bare me pata chalega kya Abhay ko
Thank you sooo much Rekha rani jiSuperb update
Abhay ne Raj ke hosh me aate hi sab sambhal liya
Aur khandarh ka raj bhi malum kar liya
Sandhya ko jyada kuchh hone se pahle bacha liya aur munim ko pakad liya
Ab ranjeet sinha ka number hai uske bad haweli wali us aurat ka bhi malum ho sakta hai , malti hai ya lalita ya koi aur hi hai
Thank you sooo much Mahesh007 bhaiMunim sabhi raj kholega lekin chadni ka bap bhi koi bada gam to khelega