Lagta to yahi haiBhai logon ki baddua lag gayi jo raj ko chandni ke sath nahi dekhna chahte the
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 40
सायरा – (राज के कमरे में आके) अभय गीता काकी बुला रही है तुम्हे....
अभय –(सायरा की बात सुन के) क्या ठकुराइन को होश आ गया....
सायरा – अभी नही....
बोल के सायरा के साथ अभय चला गया संध्या के कमरे में....
अभय –(कमरे में आते ही) बड़ी मां आपने बुलाया....
गीता देवी – आजा बैठ तो पहले....
गीता देवी के पास जाते हुए अभय की नजर संध्या के पैरो में थी जिसमे डॉक्टर ने ट्यूब लगाया हुआ था फिर भी जलने का निशान दिख रहा था देखते हुए अभय गीता देवी के पास बैठ गया....
गीता देवी – तूने कुछ खाया....
अभय –???....
गीता देवी –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ....
अभय –कुछ नही बड़ी मां....
गीता देवी – 8 बजने वाले है तुमलोग बैठो यहां मैं घर से खाना बना के लाती हू....
सायरा –(बीच में) आप परेशान मत हो काकी मैं ले आती हू खाना सबके लिए....
अभय –(तुरंत बीच में) मैं चलता हू साथ में जल्दी आ जाएंगे हम चल जल्दी....
बोल के अभय तेजी से कमरे से बाहर निकल गया बीना सायरा या किसी की बात सुने....
सायरा –(हैरानी से) इतनी जल्दी क्या है इसे....
गीता देवी – पता नही तुम जाओ उसके साथ शायद कुछ कम रह गया हो....
चांदनी –अब कौन सा काम होगा मां....
गीता देवी – अब ये अभय ही जानता होगा....
बात सुन के सायरा निकल गई अस्पताल के बाहर जहा अभय बाइक के पास खड़ा था....
अभय –(सायरा के आता देख) जल्दी से बैठ जा....
सायरा –(बाइक में बैठ के) क्या बात है अभय इतनी जल्दी किस बात की....
अभय – बाद में बताता हू....
बोल के बाइक तेजी से लेके निकल गया अभय हॉस्टल की तरफ....
जबकि इस तरफ कुछ 2 घंटे पहले बगीचे में रंजीत सिन्हा इंतजार कर रहा था उस औरत के आने का इस बात से अनजान की खंडर में क्या हुआ है जबकि रंजीत सिन्हा को इंतजार करते करते काफी देर हो गई लेकिन औरत नही आई तब रंजीत ने कौल लगाना शुरू किया लेकिन कौल रिसीव नहीं हो रहा था थोड़ी देर बाद औरत का कौल आया रंजीत के पास....
रंजीत सिन्हा –(कौल रिसीव करके) क्या बात है तुम कहा हो आई क्यों नहीं तुम....
औरत –तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी है रंजीत और यहां मौका नहीं मिल रहा है कुछ और सोचने का....
रंजीत सिन्हा –(चौक के) ऐसा क्या हो गया अब....
औरत – किसी मामूली औरत का किडनैप नही हुआ है रंजीत गांव की ठकुराइन गायब हुई है पुलिस से लेके नेता तक सुबह से आ जा रहे है सब अभी थोड़ी देर पहले यहां का नेता गया है ये बोल के की वो CBI को ये केस हैंडल करके आए है....
रंजीत सिन्हा –(चौक के) क्या CBI तक बात आ गई ये....
औरत – रंजीत तेरे पास वक्त बहुत कम है इससे पहले बात बिगड़े जल्दी से जो जानकारी लेनी है संध्या से लेके निकाल उसे वहा से....
रंजीत सिन्हा – क्या बोले जा रही है पता है तुझे संध्या से जानकारी लेके अगर उसे छोड़ दिया तो क्या फायदा जानकारी लेने का क्या संध्या चुप बैठेंगी नही बल्कि सबको बता देगी खंडर के बारे में....
औरत – लगता है तेरा दिमाग अभी भी खराब है रंजीत ज्यादा लालच अच्छी नहीं होती जो मिल रहा है लेले कही ऐसा ना हो जो मिल रहा है उससे भी हाथ धो बैठे तू....
रंजीत सिन्हा – ठीक है आज के आज ही चाहे कुछ भी करना पड़े संध्या के साथ सारी जानकारी लेके ही रहूंगा मैं....
पीछे से औरत हेल्लो हेल्लो करती रह गई लेकिन रंजीत सिन्हा ने कॉल काट दिया था जबकि रंजीत ने कौल कट करने के बाद खंडर में अपने आदमियों को कौल करने लगा कौल ना रिसीव होने पर रंजीत गुस्से में निकल गया खंडर की तरफ जैसे ही खंडर के नजदीक आही रहा था की तभी रंजीत ने संध्या की कार को तेजी से निकलते हुए देखा खंडर से और तभी रंजीत की नजर गई कार ड्राइव कर रहे अभय पर....
रंजीत सिन्हा –(कार में अभय को देख आंख बड़ी करके) ये यहां पर इसे कैसे पता चला यहां के बारे में कही संध्या....
बोलते ही तुरंत भागा रंजीत खंडर के अन्दर वहा के हालात देख चौक गया ना संध्या मिली ना मुनीम दूसरी तरफ उसके कई आदमी मरे पड़े थे उनको देख रहा था की तभी एक आदमी जो जिंदा था....
आदमी –(रंजीत को बुला के) मालिक....
रंजीत –(आवाज सुन) ये सब क्या हो गया कैसे और कहा गई संध्या और मुनीम....
आदमी –एक लड़का आया था मालिक उसे किया ये सब किसी को नही छोड़ा सबको मार दिया उसने और संध्या और मुनीम को लेके चला गया , मुझे अस्पताल ले चलो मालिक वर्ना मैं मर जाऊंगा....
रंजीत सिन्हा –(अपने आदमी की बात सुन अपनी बंदूक निकाल उसके सिर में गोली मार के) और अगर तू बच गया तो मैं मारा जाऊंगा (अपने आदमी को मार गुस्से में) बहुत बड़ी गलती कर दी तूने अभय ठाकुर मेरा सारा प्लान चौपट करके अब देख मैं क्या करता हू तेरे और उस ठकुराइन के साथ (बोल के अपने आदमियों को कौल कर) सुनो तुम अपने सभी आदमियों को लेके तुरंत यहां खंडर में आ जाओ हथियारों के साथ कुछ लोगो की लाशों को हटाना है यहां से उसके बाद किसी को रास्ते से हटाना है जल्दी आओ तुम....
बोल के कुछ वक्त इंतजार किया अपने लोगो के आने का आदमियों के आते ही....
गजानन –(रंजीत को देख) कैसे हो रंजीत बाबू अचानक से कैसे याद किया मुझे वो भी हथियारों के साथ....
रंजीत सिन्हा – गजानन एक लौंडे को रास्ते से हटाना है तुझे किसी भी तरह से....
गजानन – कौन है वो....
रंजीत सिन्हा – अभय ठाकुर नाम है उसका....
अपने मोबाइल में अभय की फोटो दिखा के....
गजानन – (फोटो देख) इस बच्चे को मारने के लिए मुझे बुलाया है तुमने....
रंजीत सिन्हा – गजानन यहां पड़ी लाशे को देख रहे हो ये सब उस लड़के ने किया है अकेले....
गजानन – (बात सुन हस्ते हुए) तब तो बिलकुल सही आदमी को बुलाया है तुमने रंजीत बाबू कहा मिलेगा वो....
रंजीत सिन्हा – सब बताऊगा पहले एक कौल कर लू मैं....
बोल के रंजीत ने किसी को कौल मिलाया....
सामने से – बोलो रंजीत क्या बात है....
रंजीत सिन्हा – (संध्या के किडनैप से लेके अभी तक जो हुआ सब बता के) मैने गजानन को बुलाया है आज ही जाके काम तमाम करने के लिए....
सामने से – हरामजादे ये सब करने से पहले मुझे बताना जरूरी नही समझा तूने अब अपने हिसाब से काम करने लगा है तू क्या इसीलिए तुझे बुलाया था मैने....
रंजीत सिन्हा – लेकिन मालिक वो....
सामने से – चुप बे बड़ा आया मुझे समझाने वाला दो टके का इंस्पेक्टर होके ऐसी हरकत इसीलिए तू आज तक इंस्पेक्टर रहा है और तेरी बीवी DIG....
रंजीत सिन्हा – (गुस्से में) बहुत बोल लिया तूने मैं कुछ बोल नहीं रहा तो मेरे सिर पे चढ़े जा रहे हो भूलो मत मैं नही आया था तुम्हारे पास बल्कि तुमने बुलाया था मुझे तुम्हारे कहने पर मैंने उस लड़के को फसाने की कोशिश की थी अगर मेरी बीवी बीच में ना आती तो काम हो जाता उसी दिन तेरा तेरे लिए इतना कुछ किया और बदले में मेरी ही इज्जत उछाल रहा है....
सामने से – क्योंकि तेरे काम ही ऐसे है इसीलिए इतना बोलना पड़ रहा है अब ध्यान से सुन मेरी बात को....
रंजीत सिन्हा – जितना सुनना था सुन लिया मैने अब जो मुझे सही लगेगा वो करूंगा और इस बार आर या पार का सोच लिया है मैने कुछ भी हो जाय संध्या से राज हासिल कर के ही रहूंगा उसके लिए उसके खून का भी खून बहाना पड़े मैं पीछे नही हटूगा....
सामने से – (गुस्से में) तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है रंजीत तू नही जानता तू क्या करने जा रहा है....
रंजीत सिन्हा – सही कहा तूने मैं तेरी तरह नही हू जो सालो तक सब्र रखू अपना बदला लेने के लिए....
बोल के कॉल कट कर दिया रंजीत ने....
गजानन – क्या बात है रंजीत बाबू बहुत गुस्से में लग रहे हो क्या बोल दिया मालिक ने ऐसा....
रंजीत सिन्हा – उसे लगता है मैं उसका कुत्ता हू की जब वो चाहे जिसके सामने चाहे वहा भौकू बस लेकिन अब नही तू नही जानता गजानन मैं जरा सा करीब था उस राज को जानने के लिए संध्या से लेकिन एन वक्त पर ये लड़का बीच में आ गया वर्ना कम से कम वो राज जान जाता मै....
गजानन – (हैरान होके) कौन से राज की बात कर रहे हो....
रंजीत सिन्हा – इस खंडर का राज जिसमे एक राज छुपा हुआ है जो ठाकुर खानदान की नीव को हिला के रख देगा....
गजानन – हम्म्म तो अब क्या सोचा है आपने....
रंजीत सिन्हा – मुझे संध्या चाहिए हर हालत में इस काम के लिए और मौका भी सही है इस वक्त सावधान होगी वो लोग लेकिन वो नहीं जानते की , घर का भेदी लंका ढाए , का मतलब क्या होता है....
बोल के हसने लगे दोनो ओर कॉल मिलाया औरत को....
औरत – (कॉल रिसीव करके) हा रंजीत....
रंजीत सिन्हा – (खंडर में जो हुआ सब बता के) तू सही बोल रही थी मुझे तेरी बात माननी चाहिए थी लेकिन वक्त अभी भी हाथ से निकला नही है....
औरत – और क्या मतलब है इस बात का....
रंजीत सिन्हा – मुझे हर कीमत में संध्या चाहिए और तुझे अपना बदला चाहिए बस एक बार और मेरा काम कर दे तू....
औरत – क्या काम करना होगा मुझे....
रंजीत सिन्हा – संध्या की हर खबर चाहिए मुझे आज से तब तक की जब तक अस्पताल में है वो मौका मिला तो अस्पताल में या रास्ते में मैं काम करवा दुगा अपना....
औरत – ठीक है लेकिन तेरे बॉस को भी तो बदला लेना है उसका....
रंजीत सिन्हा – उसे सिर्फ सब्र करना है मेले के दिन का लेकिन तब तक मैं सब्र नहीं रख सकता बहुत कुछ झेला है मैने उस लौंडे के चक्कर में अपनी बीवी अपने बच्चे से अलग हो गया गिर गया उनकी नजरों में लेकिन अब नही अब सिर्फ हिसाब बराबर करना है सबसे....
औरत – काम तो मैं कर दू तेरा लेकिन मेरा बात याद है ना तुझे....
रंजीत सिन्हा – अच्छे से याद है तू चिंता मत कर तू जैसा चाहेगी वैसा होगा....
औरत – ठीक है मैं देती रहूंगी सारी जानकारी तुझे....
बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया....
औरत – चलो अच्छा हुआ संध्या बच गई वर्ना रंजीत जाने क्या करता संध्या के साथ आज , देखते है अस्पताल से कौल कब आता है संध्या के लिए....
इस तरफ अस्पताल में अभय के जाने के कुछ समय बाद ही संध्या को होश आया होश आते ही अपने सामने गीता देवी , चांदनी को देख....
संध्या –(दोनो को देख) अभय कहा है....
गीता देवी –(संध्या को होश में देख) होश आगया तुझे अब कैसे है तू....
संध्या –मैं ठीक हू दीदी लेकिन अभय कहा है....
गीता देवी – खाना लेने गया है सबके लिए....
संध्या –(चांदनी को देख) चांदनी तुम कैसी हो और राज....
चांदनी –मैं ठीक हू मौसी और राज भी ठीक है बगल वाले कमरे में है....
संध्या –(राज को अस्पताल के कमरे में सुन) क्या हुआ उसे....
चांदनी –(सारी बात बता के) अब ठीक है राज उसके साथ उसके दोस्त बैठे है....
गीता देवी – संध्या तेरे साथ ये सब किसने किया और खंडर में क्यों लेके गए थे तुझे....
संध्या –ये सब मुनीम का किया धरा है दीदी उसी ने किया ये सब....
गीता देवी –लेकिन ऐसा किया क्यों....
संध्या – लालच है उसे दौलत का दीदी शायद इसीलिए इतने सालो तक मुनीम हवेली में रह के चापलूसी करता था सबकी लेकिन अभय खंडर तक कैसे आया....
गीता देवी – राज के बेहोश होने से पहले उसने किसी को बात करते सुन लिया था और होश में आने पर उसने बताया तभी अभय तुरंत निकल गया खंडर के लिए....
संध्या – क्या अभय सच में मेरे लिए आया था खंडर....
गीता देवी – हा संध्या तू नही जानती अभय कल रात से सो नही पाया है ना जाने कौन सा बुरा सपना था जो उसे सोने नही दे रहे था शायद तेरा दर्द ने उसे सोने नही दिया....
संध्या – (आंख में आसू लिए) दीदी प्लीज बुला दो अभय को मैं मिलना चाहती हू उससे....
गीता देवी – तू रो मत वो आता होगा अभी खाना लेके सबके लिए फिर जी भर के देख और बात कर लेना अभय से....
जबकि इस तरफ हॉस्टल में आते ही सायरा चली गई खाना बनाने और अभय गया कमरे में जहा मुनीम को बांध के रखा था उसके पास जा के मू से पट्टी हटा के सामने बैठ गया और देखने लगा मुनीम को....
मुनीम – (सामने बैठे अभय से) मैं जानता हूं तुम अभय ठाकुर हो मैं सबको बता दुगा की तुम ही अभय हो जिंदा....
अभय – (सिर्फ डेल्टा रहा मुनीम को)....
मुनीम – देखो बेटा मुझे डॉक्टर के पास ले चलो बहुत दर्द हो रहा है पैर में....
अभय –(देखता रहा बिना किसी भाव के मुनीम को)....
मुनीम –(झल्ला के गुस्से में) आखिर तुम चाहते क्या हो बोलते क्यों नहीं....
उसके बाद अभय ने अपनी जेब से 5 सोने के सिक्के निकाल के मुनीम के सामने की टेबल में रख दिया जिसे देख....
मुनीम –(सोने के सिक्के देख अपनी आखें बड़ी करके) तुम्हे कैसे मिला ये तो खंडर में कही छुपा....
बोलते ही बीच में चुप हो गया मुनीम....
अभय –(मुनीम के बोलने के बाद किसी को कौल मिला के) हैलो अलित्ता मुझे एक जानकारी चाहिए....
अलित्ता – कैसे जानकारी अभय....
अभय – एक फोटो भेज रहा हू उसकी डिटेल पता करके मुझे भेजो जल्दी से....
अलित्ता – ठीक है भेजो फोटो....
अभय – और साथ में एक स्पेशलिस्ट चाहिए जो डॉक्टर हो है तरह का इनलीगल इलाज करता हो....
अलित्ता –(मुस्कुरा के) ठीक है कल सुबह तक आ जाएगा तुम्हारे पास....
अभय –शुक्रिया अलित्ता....
बोल के कॉल कट कर दिया....
मुनीम – (अभय की बात सुन) देखो बेटा मैं मानता हूं मैने गलती की है लेकिन रमन के कहने पर किया नही करता तो मुझे नौकरी से निकाल देता....
अभय –(शंकर को आवाज देके) शंकर....
शंकर – (आवाज सुन कमरे बाहर आके) जी मालिक आपने बुलाया मुझे....
अभय –मुनीम का खास ख्याल रखना है तुम्हे और ध्यान रहे कुछ और मत करना हॉस्टल के चारो तरफ मेरे लोग है अगर गलती से भी कमरे की खिड़की खोली या यहां से एक कदम भी बाहर रखा तो वो तुम दोनो को गोली मरने से पहले सोचेंगे नही....
शंकर –(डर के) नही मालिक ऐसा कुछ नही होगा आप जो बोलोगे वैसा ही करूगा मैं....
बोल के शंकर मुनीम की रस्सी खोल कमरे में ले गया बेड में वैसे ही लेटा दिया जैसे अभय ने किया था शंकर के साथ और टंकी के नल को खोल दिया....
अभय –(शंकर से) ध्यान रहे जितना चिल्लाए चिल्लाने देना इसे नल बंद नहीं होना चाहिए....
शंकर – जी मालिक....
बोल के निकल गया अभय कमरे से बाहर....
मुनीम –(शंकर से) शंकर तू क्या कर रहा है यहां पर....
शंकर – तुम लोगो का साथ देने का नतीजा भुगत रहा हू मै फसा के खुद आराम से बाहर घूम रहा है रमन और मैं यहां इस चार दिवारी में मुजरिम की तरह अपनी जान बचाने के लिए छुपा हुआ हू....
मुनीम – हुआ क्या था....
शंकर –(सारी बात बता के) बस इसीलिए मैं तब से यहां हू और तुम यहां कैसे मुनीम तुम तो गायब हो गए थे कही कहा थे तुम....
मुनीम –(अभय ने जो किया सिर्फ उतना बता के) उसके बाद अपना इलाज करवाया और अभय ने पकड़ लिया मुझे....
शंकर –(हस्ते हुए) तू चाहे कितनी बात बना ले मुनीम लेकिन तेरे झूठ पर कोई यकीन नही करेगा....
मुनीम – क्या मतलब है तेरा....
शंकर – ये जो पानी के एक एक बूंद तेरे सिर में गिर रही है ना ये सारा सच अपने आप निकलवा देगी तेरे मू से चिंता मत कर....
बोल के शंकर हस्ता रहा और मुनीम बस हैरानी से देखे जा रहा था शंकर को जबकि इस तरफ अभय निकल गया सायरा के साथ खाना लेके सबके लिए अस्पताल की तरफ रास्ते में....
सायरा –क्या बात है अभय कब से देख रही हू तुम जैसे साथ हो के नही साथ नही हो....
अभय – (मुस्कुरा के) ऐसी बात नही है सायरा वो बस ऐसे ही मैं....
सायरा –समझ सकती हू मै अभय ये मां और बेटे का रिश्ता भी अजीब होता होता भले नफरत दीवार कैसे भी क्यों न हो एक दूसरे का दर्द दोनो को महसूस होता है....
अभय –(तुरंत ही) ऐसा कुछ नही है सायरा उसकी जगह अगर तुम्ही होती खंडर में तो भी मैं बचाता....
सायरा –(ज्यादा न बोल के) ठीक है....
अस्पताल आते ही देखा काफी लोग थे जिसमे ललित्ता, मालती , शनाया , निधि , अमन और रमन इतने लोगो को कमरे के पास देख....
अभय –(सायरा से) आदि जल्दी आ गए ये लोग....
बोल कमरे के बाहर दरवाजे के पास खड़े देख रहे थे दोनो सभी को....
मालती –(संध्या से) कैसी हो आप दीदी....
संध्या –ठीक हू मै तुम सब कैसे हो....
ललिता – आपके बिना बहुत बेचैन थे हम दीदी....
मालती – ये सब किसने किया दीदी और क्यों....
संध्या –(दरवाजे की तरफ देख जहां अभय खड़ा था) अनजाने में मैने भी बहुत गलतियां की थी मालती शायद उसी का फल मिला है मुझे....
ललिता – शुभ शुभ बोलो दीदी जो हो गया उसे भूल जाओ आप हमारे लिए यही काफी है कि आप सही सलामत मिल गए , लेकिन आप को कौन लाया कहा थे आप 2 दिन से....
संध्या –(मुस्कुरा के अभय को देख) है कोई मेरा अपना जो सिर्फ मेरे लिए आया था वही मुझे यहां लाया है....
रमन – मैने डॉक्टर से बात कर ली है 1 हफ्ते तक आपको चलना फिरना माना किया है उसने आप हवेली में 1 हफ्ते तक आराम करो बाहर का काम मैं देख लुगा....
अमन –(अपने साथ व्हील चेयर लाके) हा ताई मां जब तक आपके पैर ठीक नही हो जाते आप इससे घुमा करना हवेली में....
मालती –अरे वाह बड़ा समझदार हो गया है तू चलो अच्छा है....
संध्या –(मुस्कुरा अमन के सिर पर हाथ फेर के) मेरा प्यार बच्चा....
संध्या का इतना बोलना था कि अभय दरवाजे पर खड़ा गुस्से में निकल गया राज के कमरे में....
ललिता – वैसे दीदी कहा है वो जो आपको अस्पताल लाया....
संध्या –(दरवाजे पर देख वहां अभय नहीं था) उसी का इंतजार कर रही हू जाने कहा है वो....
सायरा –(संध्या के सामने आके) यही है वो भी राज के कमरे में गया है आता होगा यहां तब तक आप खाना खा लीजिए....
रमन –(संध्या से) भाभी हमे बता देती हवेली से खाना ले आते हम....
संध्या –(मुस्कुरा के) ये भी घर का ही खाना है होटल का नही....
गीता देवी –(जो काफी देर से चुप चाप इन सबको बात करता देख रही थी) संध्या खाना खा लो पहले बाद में बात करते रहना....
सायरा –(संध्या से) है मालकिन खाना खा लीजिए आप पहले (गीता देवी और चांदनी से) आप भी साथ में खा लीजिए....
संध्या – (सायरा से) लेकिन वो भी....
सायरा – (बीच मे) आप परेशान मत हो मै देख लूंगी उसे पहले आप खा लीजिए....
यहां संध्या के कमरे में ये सब चल रहा था और राज के कमरे में....
अभय –(कमरे में आते ही राज से) ओर शायरी की दुकान क्या बात है देवदास बन के बैठे रहते है और तू लेटा हुआ है क्या बात है....
राज – हा हा उड़ा मजाक मेरा कल आंख से पट्टी खुलेगी न फिर देख में क्या करता हू....
अभय – (हस्ते हुए) क्या बोलते हो राजू , लल्ला आज की रात है मौका है अपने पास कल से एसा मौका शायद ही मिले....
राज –(चौक के) क्या मतलब है बे तेरा देख अभय फालतू की कोई हरकत मत करना मेरे साथ वर्ना बात नहीं करूंगा तेरे से कभी....
आगे पीछे दाए बाए तीनों मिल के राज को गुदगुदी करने लगे और राज चिल्लाता रहा और अबकी तीनों हस्ते रहे तभी इनकी आवाज सुन गीता देवी आ गई....
गीता देवी – (तीनों की हरकत देख गुस्से में) जहा मौका मिला नहीं बस शुरू हो गई चांडाल चौकड़ी अरे गधों अस्पताल में हो घर में नहीं और भी लोग है अस्पताल में उन्हें तो आराम करने दो कम से कम....
राज –मां देखो न ये अभय परेशान कर रहा है इतने देर से मुझे....
गीता देवी – तू चुप कर बड़ा आया मासूम बच्चा बनने वाला (राजू , लल्ला और अभय से) और तुम तीनों (खाने का टिफिन रख के) खाना खा लो तुम चारो जल्दी से....
बोल के गीता देवी चली गई कमरे से पीछे से बाकी तीनों ने मिल के खाना खुद भी खाने लगे साथ में राज को खिलाने लगे खाना खाने के बाद अभय उठा ही था तभी उसके मोबाइल में किसी का कॉल आ गया जिसे देख अभय के चेहरे पर मुस्कान आ गई कॉल रिसीव किया सामने से आवाज आई....
सामने से – गैस करो कहा हू मै.....
अभय –(मुस्कुरा के) सच में....
सामने से – KAISA LAGA SURPRISE
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जारी रहेगा
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 41
राजू – (अभय को खुश देख) अबे तुझे क्या हो गया किसका कॉल था....
अभय –(मुस्कुरा के) मां का कॉल आया था गांव आ रही है मां....
राज –अच्छा कब आ रही है....
अभय – अभी निकली है घर से कल शाम तक आ जाएगी मां गांव....
राज – अरे वाह कल तो मेरी पट्टी भी खुलने वाली है....
अभय – कल क्यों डॉक्टर तो आज के लिए बोल रहा था....
राज – वो इसीलिए तब डॉक्टर बिजी हो गया था ठकुराइन का इलाज करने में इसीलिए देर हो गई तभी कल का बोला डॉक्टर....
राजू – अभय एक बात तो बता तू यहां है हॉस्टल में मुनीम के साथ शंकर है कही तेरे पीठ पीछे कुछ....
अभय –(बीच में) कुछ नहीं करेगा वो दोनो शंकर की कमजोरी मेरे हाथ है और मुनीम इस काबिल नहीं एक कदम हिल सके....
लल्ला –(अभय से) अबे तू पगला गया है क्या भाई मुनीम की हड्डी टूटी हुई है उसका इलाज क्यों नहीं करवाता है तू कही मर मरा गया दिक्कत हो जाएगी भाई....
राज – लल्ला ठीक बोल रहा ही अभय तुझे मुनीम का इलाज करा लेना चाहिए....
अभय – अरे अरे तुम लोग भी किसकी चिंता कर रहे हो बेफिक्र रहो यार मैने इंतजाम कर लिया है उसका....
राज – तो क्या सोचा है तूने मुनीम के लिए....
अभय – अभी के लिए तो झेल रहा है मेरा टॉन्चर मुनीम देखते है कब तक झेल पाता है....
राज – और मुनीम से सब पता करने के बाद क्या करेगा तू उनके साथ....
अभय – मैंने अभी तक इसके बाद की बात का नहीं सोचा है यार....
ये चारो आपस में बाते कर रहे थे इस बात से अंजान की कोई इनकी बात सुन रहा था कमरे के बाहर खड़ा होके तभी बात करते करते राजू की नजर गई कमरे के बाहर से आ रही रोशनी में किसी की परछाई दिखी हल्की सी जिसे देख राजू उठा के जैसे ही देखने गया वहां कुछ भी नहीं था....
अभय –(राजू से) क्या हुआ तुझे कमरे के बाहर क्या देखने गया था....
राजू – कुछ नहीं यार मैने देखा जैसे कोई कमरे के बाहर खड़ा हो लेकिन जैसे देखने गया कोई नहीं था वहां पर....
अभय –जाने दे वहम आ गया होगा तुझे...
राजू –नहीं यार कसम से किसी की परछाई थी वहां पर लेकिन जाने कहा गायब हो गई....
अभय –(कमरे के बाहर देख के) खेर छोड़ यार....
लल्ला –एक बात बता अभय मां को कहा ले जाएगा तू हॉस्टल में जाने से रहा वहां मुनीम और शंकर पहले से है अब बची हवेली वहां पर तो चांदनी भाभी पहले से मौजूद है तो वहां कोई दिक्कत नहीं होगी....
अभय – मां को मैने पहले बता दिया था शंकर के बारे में मुनीम के लिए भी बता दुगा....
राजू –अबे पगला गया है क्या तू तू बोलेगा और मां कुछ नहीं बोलेगी तुझे जा त है न मुनीम ने क्या किया था तेरे साथ....
अभय –(हस के) वो बचपन की बात थी लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता है....
इस तरफ संध्या के कमरे में....
डॉक्टर –(संध्या से) आप चाहे तो हवेली जा सकती है ठकुराइन बस कुछ दिन आपको चलना नहीं है जब तक आपके पैर ठीक नहीं हो जाए....
संध्या –डॉक्टर बगल वाले कमरे में राज कैसा है....
डॉक्टर – वो भी ठीक है कल उसकी आंख की पट्टी खुल जाएगी....
संध्या – ठीक है फिर कल राज की पट्टी खुलने के बाद जाऊंगी....
डॉक्टर –ठीक है जैसा आप सही समझे....
रमन – भाभी जब आपके छुट्टी मिल रही है अस्पताल से तो हवेली चलिए उस राज के लिए क्यों रुकना कल कॉल कर के पता कर लेना आप राज के लिए....
गीता देवी – ठाकुर साहब ठीक बोल रहे है संध्या तुम चिंता मत करो मैं खबर पहुंचा दूंगी तुझे....
संध्या –(सबकी बात अन सुन कर डॉक्टर से) डॉक्टर राज की आखों की पट्टी मेरे सामने खुलनी चाहिए....
डॉक्टर –ठीक है ठकुराइन....
बोल के डॉक्टर निकल गया उसके बाद गीता देवी और रमन ने कुछ नहीं बोला फिर....
संध्या – (सभी से) आप सब घर जाइए आराम करिए कल राज की पत्ती खुलने के बाद हवेली आऊंगी मै....
ललिता और मालती – दीदी हम रुक जाते है आपके साथ....
शनाया – हा दीदी या मै रुक जाती हु....
संध्या – नहीं तुम लोग परेशान मत हो यहां पर गीता दीदी भी है और राज के सभी दोस्त भी है तुम लोग जाओ फिकर मत करो यहां की....
इसके बाद सब निकल गए अस्पताल से....
संध्या –(गीता देवी से) दीदी अभय नहीं आया अभी तक....
गीता देवी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर मैं अभी भेजती हूँ उसे....
गीता देवी –(बोल के चांदनी से) तू चल बेटा मेरे साथ राज के कमरे में अभय को मै लेके आती हु यहां....
राज के कमरे में निकल गए....
गीता देवी –(अभय से) क्या हो रहा है बेटा....
अभय – कुछ नहीं बड़ी मां बस बाते कर रहे थे हम....
गीता देवी –ठीक है चल तू मेरे साथ....
अभय –कहा बड़ी मां....
गीता देवी – संध्या के पास....
बोल के अभय का हाथ पकड़ के ले गई गीता देवी कमरे में आते ही अभय को देख सांध्य खुद हो गई....
गीता देवी –(अभय से) तू यही बैठ थोड़ी देर में मैं आती हूँ....
बोल के गीता देवी चली गई....
संध्या – (अभय से) कैसा है तू खाना खाया तूने....
अभय ठीक हू और खा लिया खाना....
इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने अपनी जेब से सोने के 5 सिक्के निकल के संध्या के पास बेड में रखे की तभी एक सिक्का नीचे जमीन में गिर गया जिसे उठाने के लिए अभय नीचे झुका सिक्का उठा के सीधा हो रहा था के तभी अभय की नजर गई बेड के बीच फंसे किसी चीज पर जिसे निकल के देखा अभय ने तो वो एक छोटा सा मोबाइल था जिसमें कॉल अभी भी चल रही थी जिसमें कोई अंजान नंबर था जिसे देख संध्या कुछ बोलने को हुई कि तभी अभय ने अपने मू में उंगली रख चुप रहने का इशारा किया संध्या को अपने हाथ में पेन से लिख संध्या को दिखाया जिसमें लिखा था कोई हमारी बात सुन रहा है जिसके बाद अभय ने 5 सिक्के को वापस जेब में रख....
अभय – अब कैसी है तबियत....
संध्या – ठीक है अब आराम के लिए बोल है डॉक्टर ने....
अभय – हम्ममम तेरा लाडला इतनी मेहनत से तेरे लिए व्हीलचेयर लाया था चली जाती बैठ के कितना चाहता है तुझे तेरा प्यार बच्चा....
संध्या –(अभय की बात सुन आंख में आसू लिए) ऐसा मत बोल रे मेरा अपना तो सिर्फ तू है और कोई नहीं मेरा यहां....
अभय –आज तू मुझे अपना बोल रही है लेकिन एक दिन तूने ही दूसरों के लिए अपने ही खून के साथ जो किया वो कैसे भूल रही है तू , देख मैने पहले बोल था मैं यहां केवल पढ़ने आया हूँ रिश्ते जोड़ने नहीं और....
संध्या –(बीच में बात काट के) तो क्यों बचाया मुझे छोड़ देता उसी खंडर में ज्यादा से ज्यादा क्या होता मार ही देता मुनीम मुझे मरने देता जब तुझे कोई मतलब नहीं मुझ से....
अभय – नफरत ही सही लेकिन कम से कम मेरी इंसानियत तो जिंदा है अभी इसीलिए तुझे लाया यहां पर , देख कल मेरी मां आ रही है मिलने मुझे मै नहीं चाहता उसके सामने ऐसा कुछ हो जिससे उसका दिल दुखे....
संध्या – (अभय की बात सुन) उस मां का दिल न दुखे और तेरी इस मां के दिल का क्या बोल....
अभय –(बात सुन अपनी जगह से खड़ा होके) इस बात का जवाब तू मुझसे बेहतर जानती है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
संध्या –(हिम्मत कर बेड से किसी तरह खड़ी हो अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर गई) मत जा रे मत जा मर जाऊंगी मैं तेरे बिना मत जा मुझे छोड़ के तू जो बोलेगा वही करूंगी जहां बोलेगा वही रहूंगी बस मत जा छोड़ के मुझे....
तभी अभय ने तुरंत संध्या को गोद में उठा उसे बेड में लेटा के....
अभय – ये सब करके कुछ नहीं होगा मैं वैसे भी नहीं रुकने वाला हूँ पढ़ाई खत्म होते ही चला जाऊंगा मै....
बोल मोबाइल को उसी जगह रख वापस चला गया राज के कमरे में अभय के जाते ही संध्या रोने लगी जबकि उस मोबाइल में कॉल चल रही थी वो अपने आप कट हो गई....
औरत –(मोबाइल कट कर मुस्कुरा के) अभि तो और भी दर्द झेलना है तुझे संध्या जितना मैने सहा है तेरी वजह से इतने सालों तक तब मेरे दिल को ठंडक मिलेगी....
इस तरफ हवेली में ललिता के कमरे में ललिता और उसकी बेटी निधि आपस में बात कर रहे थे....
निधि – (अपनी मां ललिता से) मा क्या सच में वो लड़का अभय है क्या वही ताई को बचा के लाया है अस्पताल....
ललिता – हा बेटा वही अभय है और वही बचा के लाया है संध्या को मुझे समझ में नहीं आ रहा आखिर कॉन कर सकता है ऐसा संध्या के साथ....
निधि – मां वो भईया बहुत बुरा भला बोलता है अभय के लिए कॉलेज में सबसे....
ललिता – और तू , तूने भी तो अपने भाई का साथ दिया है न कई बार जब भी वो मार खता था अपनी मां से तब तुम दोनो भाई बहन हस्ते थे उसे मार खता देख....
निधि – मुझे नहीं पता था मां की भाई ये सब कुछ जानबूझ के कर रहा है मै मजाक समझती थी लेकिन धीरे धीरे मुझे एहसास हुआ इस बात का की ये बहुत गलत हो रहा है अभय के साथ लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी अभय चला गया था घर छोड़ के....
ललिता –तुम सब से ज्यादा गलत तो मै थी सब कुछ मेरे सामने हुआ लेकिन मैं कुछ न कर पाई और इन सब का कारण तेरे पिता है सब उसी का किया धारा है....
निधि – हा मां एक बार पिता जी ने मेरे सामने कहा था अमन को अभय के साथ लड़े झगड़ा करे ताकि ताई मां अभय पे हाथ उठाएं तभी से अमन ये सब कर रह है....
ललिता – और तू सब जन के चुप क्यों थी बताया क्यों नहीं मुझे....
निधि – पिता जी ने मना किया था बताने को , लेकिन मां मै सच में नहीं जानती थी कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी....
ललिता – तू दूर रहना बस क्योंकि रमन के साथ अमन भी उसी की तरह कमाना बन गया है किसी की नहीं सुनता है सिर्फ अपने मन की करता है....
मालती –(ललिता के कमरे में आके) दीदी सही बोल रही है निधि....
ललिता – अरे मालती तू आजा क्या बात है कोई काम था क्या....
मालती – नहीं दीदी कमरे से गुजर रही थी आपकी बात सुनी तो आ गई यहां....
ललिता – अच्छा किया एक बात तो बता अस्पताल में इतनी देर तक बैठे रहे लेकिन अभय क्यों नहीं आया....
मालती – पता नहीं दीदी क्या आपकी मुलाक़ात हुई थी अभय से....
ललिता – है जब दीदी के बारे में पता चला था अस्पताल में तब मिली थी मैं....
मालती – आपको क्या लगता है अभय हवेली में आएगा....
ललिता – पता नहीं मालती जाने वो ऐसा क्यों कर रहा है अपनी हवेली होते हुए भी हॉस्टल में रह रहा है....
मालती – एक बात बोलूं दीदी सिर्फ दीदी से मार खाने की वजह से ही अभय हवेली वापस नहीं आ रहा या कोई और बात है....
ललिता –(मालती का सवाल सुन हड़बड़ा के) अरे न....न....नहीं....वो....ऐसी कोई बात नहीं है मालती वो तो बस उसकी बात नहीं मानी किसी ने उसको बुरा भला समझते थे इसीलिए , खेर जाने दे मुझे रसोई में कुछ काम है आती हु काम कर के....
बोल के ललिता चली गई और मालती भी चली गई अपने कमरे में....
ललिता –(रसोई में आके) ये आज मालती ने एसी बात क्यों पूछी मुझसे कही मालती को कुछ (कुछ सेकंड चुप रह के) नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता शायद मैं कुछ ज्यादा सोच रही हू लेकिन क्या अभय को पता है इस बारे में कही इसी वजह से नहीं आ रहा वो कही इसी वजह से नफरत करता है दीदी से अगर अभय को पता है तो कैसे पता चला इस बात का किसने बताया होगा उसे मुझे दीदी से पता करना पड़ेगा....
इस तरफ अस्पताल में राज के कमरे में आते ही....
अभय – क्या बात हो रही है....
चांदनी – कुछ नहीं तू मिल आया मौसी से क्या बोला....
अभय –बस हाल चाल पूछे उन्होंने खेर दीदी आपसे एक बात करनी है जरूरी है....
चांदनी –(अभय की बात समाज के कमरे के बाहर आके) क्या बात है अभय ऐसा कौन सी बात है जो सबके सामने नहीं बोल सकता है....
अभय – (संध्या के कमरे में मोबाइल वाली बात बता के) क्या आप सब की इलावा कोई और भी आया था कमरे में....
चांदनी – नहीं अभय सिर्फ हवेली के ही लोग थे सब लेकिन कौन हो सकता है जिसे मौसी की बात सुननी हो....
अभय –दीदी आपको एक बात अजीब नहीं लगती है....
चांदनी – कौन सी अजीब बात....
अभय – ठकुराइन अस्पताल में आ गई हवेली के भी सब लोग आ गए लेकिन पुलिस अभी तक नहीं आई यहां पर....
चांदनी – (हैरानी से) हा ये बात तो मैने सोची नहीं....
अभय – दीदी ये राजेश कुछ सही नहीं लगता है मुझे....
चांदनी – अच्छा ओर वो किस लिए....
अभय – (अपनी ओर राजेश की अकेले वाली मुलाक़ात की बात बता के) कॉलेज का दोस्त ओर ऐसी सोच अपने दोस्त के लिए.....
चांदनी – डाउट तो मुझे पहले ही था लेकिन अब पक्का यकीन हो गया है मुझे बहुत बड़ी गलती कर दी मैने.....
अभय –(चौक के) आपने कौन सी गलती की दीदी....
चांदनी – मेरे केस की तहकीकात के लिए बुलाया था तो मां ने राजेश को भेज दिया....
अभय – (चौक के) क्या मां ने भेजा राजेश को यहां नहीं नहीं दीदी मां ऐसा कभी नहीं करेगी मै नहीं मानता ये बात....
चांदनी – भले ना मान लेकिन ये सच है....
अभय – एक बात तो बताए आप किस केस की तहकीकात के लिए राजेश को यहां बुलाया गया था और किसने बुलाया था....
चांदनी – मौसी के कहने पर मां ने भेजा था राजेश को.....
अभय – (हस्ते हुए) ओह हो तो ठकुराइन के कहने पर राजेश आया है यहां पर....
चांदनी – (गुस्से में) फालतू की बकवास मत कर समझा जो मन में आई बात बना रहा है तू....
अभय – अरे अभी आप ही ने तो कहा ना....
चांदनी – तू बेवकूफ है क्या पूरी बात क्यों नहीं सुनता है मैने कहा मौसी के कहने पर मां ने भेजा है लेकिन ये बात मौसी को नहीं पता थी कि राजेश आएगा यहां पर ओर ना मां को पता था इस सब के बारे में....
अभय – दीदी अभी के लिए क्या करोगे आप मैने वो मोबाइल वापस उसी जगह रख दिया है....
चांदनी – मै मोबाइल से नंबर देख के पता करती हु किसका नंबर है उसमें....
अभय – ठीक है अच्छा एक बात और भी है कल मां आ रही है शाम को यहां गांव में....
चांदनी – हा पता चला मुझे राज ने बताया....
तभी अभय का मोबाइल बजा नंबर देख....
अभय –(कॉल रिसीव करके) हेल्लो....
अलिता – तुमने सिक्के की जानकारी मांगी थी जानते हो वो क्या है....
अभय – नहीं पता मुझे....
अलिता – इंसान के हाथ के बनाए पहले सोने के सिक्के है ये....
अभय – बस इतनी सी बात के लिए इस वक्त कॉल किया था....
अलिता – तुम इसे इतनी सी बात बोल रहे हो....
अभय – (चांदनी से थोड़ा साइड होके) अलिता ये कैसा भी सिक्के हो इसकी कीमत भी वही होगी जो आज सोने की कीमत होगी....
अलिता –(मुस्कुरा के) हा बात तो बिल्कुल सही कही तुम इसकी कीमत भी कुछ वैसी ही है जानना नहीं चाहोगे क्या कीमत है इसकी....
अभय – बताओ क्या कीमत है इसकी....
अलिता – कुछ खास नहीं बस एक सौ पचास करोड़....
अभय – (चिल्ला के) क्या....
अलिता – बिल्कुल सही सुना तुमने पर ये तो सिर बोली कि शुरुवात है कीमत तो आगे बढ़ जाती है इसकी....
अभय – तुमने जो अभी कहा वो मजाक है ना....
अलिता –काश एसा होता खेर जब भी बेचने का मन हो बता देना मुझे....
अभय –(अपने मन में – एक सिक्के की इतनी कीमत उस खंडर में जाने कितने सिक्के भरे पड़े है अगर इतना खजाना मेरे दादा के पास था तो उन्होंने इसका इस्तमाल क्यों नहीं किया क्यों छुपा के रखा सबसे , ठकुराइन को पता था इस खजाने के बारे में तो इसकी चाबी लॉकेट बनाके मुझे ही क्यों दी उसने)....
अभय के मन में खजाने को लेके कई सवाल उठ रहे थे जिसका जवाब उसे नहीं पता था जबकि इस तरफ....
औरत – (कॉल पर रंजीत से) कल संध्या अस्पताल से हवेली आएगी....
रंजीत – ठीक है मेरी जान कल ही इंतजाम करता हू मै संध्या का....
औरत – जरा सम्भल के वो अकेली नहीं होगी अभय भी साथ होगा उसके और एक बात कल शाम को DIG शालिनी आ रही है गांव में....
रंजीत सिन्हा – (चौक के) ये कैसा मजाक कर रही हो तुम....
औरत – मजाक नहीं ये सच है रंजीत....
रंजीत सिन्हा – जब तक वो यहां रहेगी मै कुछ नहीं कर सकता हू....
औरत – क्यों डर लगता है अपनी बीवी से....
रंजीत सिन्हा – डर उससे नहीं उसकी पोजीशन से लगता है अपनी पावर का इस्तमाल करके वो कुछ भी कर सकती है मेरे इस गांव में होने की भनक भी लगी उसे तो बहुत बड़ी दिक्कत आ जाएगी मेरे ऊपर....
औरत – तो अब क्या करना है....
रंजीत सिन्हा – उसके सामने आने का खतरा मै नहीं ले सकता लेकिन किसी और से काम करवा सकता हूँ अगर वो पकड़े भी गए तो कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि उन्हें कुछ पता नहीं होगा....
औरत – ठीक है मैं इंतजार करूंगी तुम्हारे कॉल का....
बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जब की अस्पताल में जब गीता देवी और चांदनी संध्या के कमरे में आई तब तक संध्या सो चुकी थीं उसे देख दोनो भी सो गए अगले दिन सुबह अस्पताल में डॉक्टर के आने के बाद राज की आंखों की पट्टी खोली गई और तब....
डॉक्टर –अब धीरे धीरे अपनी आंखे खोलो....
राज –(अपनी आंख धीरे से खोल के) डॉक्टर कमरे में इतना अंधेरा क्यों है....
राज की बात सुन कमरे में खड़े सभी हैरान थे....
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जारी रहेगा