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Family Introduction
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UPDATE 44
ENTER THE KING
अलीता – कैसे हो ठाकुर अभय सिंह....
अभय –(चौक के) अलीता तुम मेरा मतलब आप यहां पर....
अलीता –(मुस्कुरा के) क्यों नहीं होना चाहिए था मुझे यहां पे....
अभय –आ...वो... एसी बात नहीं है आपको अचानक यहां देख सरप्राइस हो गया मै....
अलीता –(मुस्कुरा के) अच्छी बात है इनसे मिलो (एक लड़की की तरफ इशारा करके) ये है सोनिया....
अभय –(सोनिया से) हैलो सोनिया....
सोनिया –हैलो मिस्टर अभय....
अलीता – तुमने कहा था ना कोई एक्सपर्ट चाहिए तुम्हे जो हर काम में माहिर हो....
अभय – तो क्या ये वो एक्सपर्ट जो किसी का भी ट्रीटमेंट कर सकती है....
अलीता – (आंख मार के) हा हर काम में एक्सपर्ट है ये जैसी तुम्हे चाहिए....
अभय – (अलीता के आंख मारने से हैरान होके) ओह ठीक है लेकिन आपने बताया नहीं आप आ रहे हो....
अलीता – (हॉस्टल के अन्दर जाते हुए) कोई बात नहीं अब पता चल गया ना तुम्हे....
अभय –(अलीता के पीछे जाते हुए) लेकिन आप अंदर कहा जा रहे हो ये बॉयज हॉस्टल है यहां पर तो....
अलीता – (बीच में) पता है ये बॉयज हॉस्टल है और यहां पर तुम्हारे इलावा कोई नहीं रहता और कुछ ऐसा है जो मैं नहीं जानती....
अभय –(चौक के) हे अ...तो क्या आप यही रहोगे....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै नहीं सोनिया भी यही रहेगी....
अभय –लेकिन मैने तो कमरा भी साफ नहीं करवाया है....
अलीता –(मुस्कुरा के) डोंट वरी हो जाएगा वो सब अब तुम घूमने बाद में जाना पहले जाके मेरे लिए अच्छा सा खाना लेके आओ बहुत जोर की भूख लगी है पर हा एक AC भी लेते आना साथ मिस्त्री को ले आना AC फिट करने के लिए तब तक हम फ्रेश हो जाते है....
बोल के तुरंत कमरे में चली गई अलीता पीछे से अभय और राज मू खोले खड़े रह गए....
राज – अबे ये कौन है बे हुकुम तो ऐसे चला रही जैसे हम इसके नौकर हो....
अभय –यार मैं क्या बोलूं अब इस बारे में....
राज – क्यों बे तू क्यों नहीं बोलेगा....
अभय – अरे यार समझा कर लड़की है वो ऐसे कैसे जवाब दे सकता हू भला मै....
राज – अच्छा तेरा मतलब वो जो कहेगी वो मानना पड़ेगा तुझे....
अभय –(अपना सर खुजा के) यार ये सब छोड़ चल चल के AC और खाने को लेके आते है कुछ....
राज – (अभय के सर में टपली मार के) अबे मै तुझे समझा रहा हु और तू मुझे भी अपने साथ नौकरों वाले काम करने को बोल रहा है....
अभय – अबे तेरे को नौकर कौन बना रहा है बे....
राज – अबे तू तो उसका नौकर बन गया मुझे भी साथ में घसीट रहा है और बोल रहा है नौकर कहा बना रहा हु....
अभय –(हाथ जोड़ के) बस कर मेरे भाई बस कर मेरी गलती चल पहले ये काम निपटा देते है फिर इस बारे में कुछ करता हू मै....
राज –अबे कुछ करता हु नहीं कर ले वर्ना नौकर बना देंगी ये तुझे....
दोनो निकल गए मार्केट की तरफ जबकि इस तरफ आज सुबह हवेली में चांदनी कालेज नहीं गई संध्या के साथ थी कल से सुबह नाश्ते के बाद....
संध्या – (चांदनी से) तू क्यों परेशान हो रही है चली जाती ना कॉलेज आज....
चांदनी – हा जाऊंगी पहले आप ठीक हो जाओ फिर....
संध्या – हवेली में और भी लोग है चांदनी....
चांदनी – अच्छा ये सब छोड़िए मौसी आप ये बताए आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
संध्या –आज अचानक से ये सवाल क्यों....
चांदनी – मन तो काफी दिनों से था सोचा आज पूछ लूं....
संध्या – (मुस्कुरा के) लव मैरिज थी....
चांदनी – और रमन की....
संध्या – अरेंज....
चांदनी –और प्रेम जी की....
संध्या –उनकी भी अरेंज थी , लेकिन बात क्या है बता तो....
चांदनी – बात कोई नहीं है मौसी जब एक आप ठीक नहीं होते आपके साथ हर वक्त रहना है मुझे तो इसी तरह टाइम पास होगा आपका भी और मेरा भी तो बताइए जरा कुछ बाकी की फैमिली के बारे में....
संध्या –जिसके लिए भी पूछ बताती हूँ....
चांदनी – सबसे पहले ये बताइए आपने कल मां से बोला था कमल ठाकुर के बारे में वो कैसे थे उनका बेटा उनकी बीवी के बारे मे कुछ....
संध्या – कमल ठाकुर बहुत ही सच्चे और अच्छे इंसान थे दौलत की कोई कमी नहीं थी उनके पास प्यार करने वाली एक सुंदर सुशील बीवी उनका नाम सुनंदा ठाकुर कमल ठाकुर की तरह सुनंदा दुनिया में अकेली थी कोई नहीं था उसका कमल ठाकुर से उनकी मुलाक़ात हमारे कुलदेवी के मंदिर में हुई थी मुलाक़ात बढ़ती गई दोनो प्यार हुआ और फिर दोनों ने एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में अपना लिया कुछ समय बाद जनम हुआ अर्जुन का कमल ठाकुर कभी शहर में रहते तो कभी गांव में रहते मनन ठाकुर से इनकी दोस्ती शुरुवात से थी स्कूल और कॉलेज दोनो ने अलग अलग किया था मनन से मेरी मुलाक़ात कॉलेज के पहले साल में हुई थी उसके बाद कमल ठाकुर ने ही मेरे मां बाप को मनाया था मनन ठाकुर के साथ शादी के लिए उस वक्त कमल ठाकुर ने मनन के साथ रमन का रिश्ता भी करवाना चाहते थे मेरी बहन शनाया के साथ लेकिन शनाया किसी और से प्यार करती थी वो जानती थी मां बाप नहीं मानेंगे इसीलिए एक रात वो भाग गई घर से उसके बाद मेरे मां बाप बहुत परेशान थे गांव में बदनामी ना हो जाय जिस वजह से मेरी शादी ना टूटे तो उन्होंने कमल ठाकुर को ये बात बताई बात का पता चलते ही उन्होंने जल्दी से बड़े ठाकुर को स्थिति बताई और तुरंत ही मनन और मेरी शादी करवादी शादी के बाद जब हवेली में आई मै तब मेरी सास ने पहली बार सुनंदा जी से मुलाक़ात कराई मेरी कुछ वक्त के बाद हमारी अच्छी बनने लगी फिर रमन की शादी हुई और ललिता हमारे घर में आई सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था शादी के साल भर के बाद अभय आया फिर कुछ 15 से 20 दिन बाद ललिता को जुड़वां बच्चे हुए दिन खुशी से बीतने लगे हमारे कमल , सुनंदा और अर्जुन होली हो दीवाली हो हर त्यौहार हमारे संग मनाते थे अर्जुन तो जब भी हवेली आता था तो अभय को गोद में लेके घूमा करता था (हस्ते हुए) बोलता था चाची ये मेरा प्यार गुड्डा है कई बार अभय को गले लगाए सो जाता था अर्जुन को इस तरह अभय के साथ देख सब मुस्कुराते थे....
मुस्कुरा के इन सारी बात को बताते बताते संध्या अपनी हसी रोक एकदम चुप हो गई चांदनी इन बात को सुन मुस्कुरा रहे थी संध्या की चुप्पी को देख बोली....
चांदनी – क्या हुआ मौसी आप चुप क्यों होगए बताइए आगे क्या हुआ....
संध्या –(चांदनी के पूछने से अपने आप में वापस आके) फिर जाने किसकी नजर लग गई पहले बड़े ठाकुर फिर मनन , कमल और सुनंदा वक्त की आंधी के साथ ये भी चले गए दूर हम सबसे....
चांदनी – मौसी क्या आपने अर्जुन का और सुनैना का पता लगाया....
संध्या – बहुत कोशिश की मैने लेकिन मेरी सास और अर्जुन का कही कोई पता नहीं चला कभी....
चांदनी –चलिए कोई बात नहीं अब तो आप जानती हो ना अर्जुन के बारे में....
संध्या –हा शालिनी ने बताया मुझे जाने अब कैसा दिखता होगा अर्जुन....
चांदनी – जाने दीजिए मौसी जैसे अर्जुन का पता चल गया है वैसे ही सुनैना का पता चल जाएगा एक दिन....
संध्या – आज तक मुझे यही बात खटक रही है आखिर मेरी सास अचानक से क्यों गायब हो गई वो क्या वजह थी जिस वजह से ये सब हुआ....
चांदनी – आप परेशान मत हो मौसी सब कुछ पता चलेगा जल्द ही....
संध्या – चांदनी एक बात सच सच बताओगी मुझे....
चांदनी – हा मौसी आप पूछो तो सही....
संध्या – तुझे सच में ऐसा लगता है अभय हवेली वापस आएगा रहने हमेशा के लिए....
चांदनी –(मुस्कुरा के) मौसी इंसान को उम्मीद कभी हारनी नहीं चाहिए क्योंकि उम्मीद से ही ये दुनिया कायम है चलिए अब खाने का वक्त हो गया है खाना खा के दावा लीजिए आराम कीजिए फिर शाम को टहलने चलते है हम....
बोल के चांदनी व्हील चेयर से संध्या को टेबिल तक ले गई जहां सबने मिल के खाना खाया फिर सब अपने कमरे में जाके आराम करने लगे इस तरफ अभय और राज बाजार से सारा सामान लेके जब हॉस्टल वापस आय तो देख हॉस्टल के बाहर एक गाड़ी खड़ी है जो दिखने में एक दम नई लग रही थी हॉस्टल के अन्दर कमरे में आते ही दरवाजा खटखटाया....
अलीता –(कमरे का दरवाजा खोल सामने अभय को देख) अरे आ गए तुम समान लाए....
अभय – हा ले आया हु लेकिन बाहर वो गाड़ी किसकी है....
अलीता –(मुस्कुरा के) क्यों अच्छी नहीं है क्या....
अभय – नहीं अच्छी नहीं बहुत अच्छी है लेकिन किसकी है कोई आया है क्या यहां पे....
अलीता –(मुस्कुरा के) यहां कोई नहीं आया है वो गाड़ी तुम्हारे लिए है....
अभय –(चौक के) क्या मेरे लिए लेकिन क्यों....
अलीता –(मुस्कुरा के) वो क्या है ना कि अब बाइक में हम तीन लोग एक साथ बैठ नहीं सकते लेकिन उस गाड़ी में बैठ सकते है हम इसीलिए मैंने मंगवाई तुम्हारे लिए ताकि जब भी हमें कही जाना होगा तो तुम लें जाना हमें साथ अपने , चलो आओ खाना खा लो तुम भी हमारे साथ....
अभय –नहीं आप खाओ खाना मुझे अभी भूख नहीं है....
बोल के अभय और राज निकल गए हॉस्टल के बाहर अभय को इस तरह भागता हुआ देख अलीता जोर जोर से हसने लगी इधर अभय और राज हॉस्टल के बाहर आके....
राज – देखा नौकर बना दिया तुझे उसने....
अभय – अबे तू क्या बात बोल रहा है जरा सोच तो सही गांव में कहा जाएगी वो ज्यादा से ज्यादा एक या दो बार घूमने को बोलेगी बस वैसे भी उनके मतलब का कुछ है भी गांव में (फिर चुप होके बोला) या शायद कुछ हो भी सकता है....
राज – अबे तु खुद कन्फर्म नहीं है अपनी बात से चल राउंड मार के आते है इसका मस्त गाड़ी है यार....
अभय – हा यार गाड़ी तो मस्त है ये लेकिन अभी धूप में कहा राउंड मारेगा यार शाम को चलते है....
राज – चल ठीक है मै घर जा रहा हु तब तक कर तू नौकरी उसकी....
बोल के हस्ते हुए राज घर चल गया इधर अभय हॉस्टल के अन्दर जाके मिला....
अभय – सोनिया आपसे एक काम है....
सोनिया – हा बताए....
अभय – मेरे कमरे में आइए कुछ दिखाता हूँ आपको....
कमरे में ले जाके जहा मुनीम और शंकर थे....
अभय –(बेड में लेते मुनीम को देख) इसकी एक टांग तोड़ी है मैने ठीक कैसे होगा ये....
सोनिया – (मुस्कुरा के) ठीक होके फिर से तोड़ना है क्या....
अभय – सोचा कुछ ऐसा ही है....
सोनिया – मुझे इसके लिए अपने कुछ सामान और मंगवाने पड़ेंगे और साथ एक रूम चाहिए अलग से ट्रीटमेंट के लिए लोगो के....
अभय – इस हॉस्टल में सभी कमरे खाली है आपको जो चाहिए ले सकते हो आप....
सोनिया – कमरे आज खाली है हमेशा तो नहीं रहेंगे ना....
अभय –(कुछ सोच के) आप उसकी फिकर बिल्कुल ना करे जल्द ही एक नई जगह बन जाएगी आपके काम के लिए अभी के लिए यही से काम चला लीजिए....
सोनिया – ठीक है....
बोल के मुनीम को एक इंजेक्शन दे दिया.....
सोनिया – इससे थोड़ी तकलीफ होगी इसे लेकिन आराम मिल जाएगा....
अभय – अच्छी बात है होने दीजिए तकलीफ इसे....
सोनिया – लगता है काफी नफरत है आपको इससे....
अभय –बचपन की नफरत है ये , खेर मैने इसी के लिए आपको बुलाया है बाकी तो आप समझ गए होगे....
बोल के अभय अपने कमरे में निकल गया इस तरफ....
रंजीत सिन्हा –(अपने आदमियों से) तुमलोग समझ गए ना क्या करना है....
आदमी – समझ गए सर....
रंजीत सिन्हा –(बाकी के आदमियों से) और तुम सब मेरे इशारे का इंतजार करना अगर कोई गड़बड़ हुई मैं इशारा करूंगा तुम लोगो को समझे....
आदमी – समझ गए....
रंजीत सिन्हा – बस आज काम पूरा हो जाए तो मैं तुम सब की लाइफ बना दूंगा....
शाम हो गई नई गाड़ी पर राउंड मारने के लिए राज आ गया हॉस्टल में अभय की तरफ जबकि हॉस्टल में अभय शाम को उठ के तयार हुआ था कि तभी....
अलीता –(अभय के कमरे का दरवाजा खटखटा के) अभय....
अभय –(कमरे का दरवाजा खोल अपने सामने अलीता को देख) आप क्या हुआ....
अलीता –(मुस्कुरा के) कुछ खास नहीं मन हुआ थोड़ा गांव घूम लू मै इसीलिए तुम्हे बुलाने आ गई चलो आज तुम मुझे गांव घुमाओ जरा....
अभय –(चौक के) मै आज लेकिन फिर कभी चलते है आज रहने दो ना....
अलीता – क्यों आज क्या है ऐसा....
इससे पहले अभय कुछ बोलता....
राज –(हॉस्टल में बोलते बोलते आ गया) चल अभय गांव घूमने चलते है....
इतने में अपने सामने अभय और अलीता को देख चुप हो गया....
अलीता –(मुस्कुरा के) अच्छा हुआ तुम आ गए मै भी अभय को यही बोल रही थी गांव घुमने को चलो जल्दी से घूम के आते है गांव....
बोल के अलीता और सोनिया बाहर चली गई पीछे से....
राज – अबे ये क्या है बे घूमने का प्लान अपना था अब ये कहा से आ गई....
अभय – अबे ये पहले से बोल रही थी मैं मना कर रहा था लेकिन तू बीच में आ गया गांव घूमने की बात बोलते हुए....
राज – मैने पहले बोला था ये नौकर बना देगी तुझे अब तो ड्राइवर बना देगी अपना....
अभय –अब क्या फायदा बोलने का चल घूम ले तू भी साथ में गांव....
बोल के बाहर आ गए जहां अलीता गाड़ी में आगे बैठी हुई थी जिसे देख....
अलीता –(गाड़ी में अन्दर बैठे के) चले अभय....
अभय –(राज को देख) हा चलते है....
बोल के राज गाड़ी में पीछे बैठ गया सोनिया के साथ और अभय ड्राइव करने लगा निकल गए गांव घूमने चारो जबकि हवेली में शाम होते ही चांदनी , संध्या , ललिता , मालती , निधि और शनाया हवेली और मैं गेट के बीच बने बगीचे में टहल रहे थे सभी बाते करते हुए इस तरफ रंजीत अपने लोगो के साथ गाड़ियों में निकल गया हवेली की तरफ संध्या का अपहरण करने के लिए इस तरफ अभय गाड़ी से घूमा रहा था अलीता और सोनिया को गांव तभी....
अलीता –(कुछ गाड़ियों को देख जिसमें कई लोग थे जो हथियार छुपा के बैठे थे उनपे नजर पड़ते ही) अभय ये इतनी सारी गाड़िया कहा जा रही है....
अभय –(गाड़ियों पे ध्यान न देते हुए) पता नहीं आय होगे गांव घूमने ये लोग भी....
अलीता –अच्छा गांव घूमने आए हथियारों के साथ....
राज –(बात सुन के) क्या हथियारों के साथ....
बोल के राज ने पीछे मूड के देखा....
राज – अभय ये गाड़िया तो हवेली की तरफ जा रही है....
अभय –(राज की बात सुन गाड़ी में ब्रेक लगा के) क्या बोल रहा है तू....
राज – सच में यार ये गाड़िया हवेली के रस्ते में जा रही है कही ये खंडर वाला कांड....
राज की बात सुन अभय ने तुरंत गाड़ी को मोड़ के तेजी से जाने लगा हवेली की तरफ जबकि कुछ ही समय में रंजीत अपने लोगो के साथ हवेली के बाहर आके चुपके से देखा जहा गेट के पास बने बगीचे में संध्या , चांदनी , ललिता , मालती , शनाया और निधि टहलते हुए बात कर रहे थे तभी रंजीत ने इशारा किया अपने लोगो को ग्रेनेड फेका जो बगीचे में टहल रहे लोगो के पास गिरा था तभी उसमें से गैस निकलने लगी जिसकी महक से सभी को कुछ समझने का मौका मिले बगैर बेहोश हो गए ये नजारा देख रंजीत अपने लोगो के साथ चलते हुए है बगीचे में आया संध्या की तरफ तभी अभय गाड़ी से हवेली के गेट से अन्दर आ गया....
अभय –(अलीता और सोनिया से) आप गाड़ी में बैठो मैं अभी आता हु....
बोल के राज और अभय गाड़ी से निकल पड़े बाहर....
रंजीत सिन्हा –(अभय को आता देख) अरे आओ आओ बेटा कैसे हो तुम सोच ही रहा था मैं तुम्हारे बारे में....
अभय –(रंजीत को देख चौक के) तुम यहां गांव में क्या कर रहे हो....
राज –(हैरानी से) तू इसे जनता है कौन है ये....
रंजीत सिन्हा –(मुस्कुरा के) मै हूँ रंजीत सिन्हा , चांदनी का पिता और शालिनी का पति....
अभय –(गुस्से में) मैने पूछा क्यों आया है तू यहां पर....
रंजीत सिन्हा – अपना अधूरा काम पूरा करने....
अभय – कौन सा अधूरा काम....
रंजीत सिन्हा – वही जो मुनीम नहीं कर पाया खंडर में....
अभय –(चौक के) मतलब तू भी शामिल था मुनीम के साथ....
रंजीत सिन्हा – (हस्ते हुए) बच्चे मै शामिल नहीं मै ही था शुरुवात से शामिल तो मुनीम को मैने किया था अपने साथ (अपने आदमियों से) खड़े क्या हो पकड़ के बांध दो अच्छे से दोनो को....
रंजीत की बात सुन चारो तरफ से आदमियों ने अभय और राज को घेर लिया और तभी अभय और राज ने चारो तरफ से एक साथ मारना शुरू किया लोगो को....
अपने लोगो को मार खाता देख तुरंत ही रंजीत ने अभय और राज के सामने आके हाथ की मुट्ठी को खोल के फूक मारी जिससे हल्का सा पाउडर राज और अभय की तरफ आया जिसकी महक से दोनो एक पल के लिए हिल गए तभी अभय ने रंजीत का कॉलर पकड़ के....
अभय – (गुस्से में) मां के खातिर चुप था मैं वर्ना तुझे उसी दिन सबक सिखा देता लेकिन अब....
बोलते बोलते जाने कैसे अभय का सिर घूमने लगा कुछ बोल भी नहीं पा रहा था यही राज के साथ हो रहा था इससे पहले अभय जमीन में गिरता तभी पीछे से शालिनी और उसके साथ 2 हवलदारों आ गए तब शालिनी ने तुरंत अभय को पकड़ हवलदार ने राज को पकड़ लिया जमीन में गिरने से....
शालिनी –(अभय को देख जो बेहोश हो गया था) अभय अभय क्या हुआ तुझे उठ बेटा मै आ गई हु उठ जा....
रंजीत सिन्हा –(शालिनी को यहां देख चौक के) तुम यहां पे तुम तो चली गई थी आज सुबह ही वापस....
शालिनी –(गुस्से में अपनी बंदूक की गोलियां चलाई जिससे रंजीत के साथ खड़े 2 आदमी मारे गए) हा चली गई थी लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए ताकि तू सामने आ जाय....
रंजीत सिन्हा –(हस के) उससे क्या होगा अब क्या करेगी तू और क्या करेगी तेरे ये 2 हवलदार....
बोलते ही रंजीत ने दोनो हवलदारों के सीने में गोली मार दी....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) मैने भी बेकार में इतनी मेहनत की जो इतने लोगों को ले आया यहां सोचा कही (अभय की तरफ इशारा करके) ये पिल्ला हमारे बीच में ना आ जाएं लेकिन ये तो फूस हो गया एक बार में , अब तू किसे संभालेगी अपने इस पिल्ले को या ठकुराइन को....
शालिनी –(गुस्से में चिल्ला के) रंजीत सिन्हा जिसे तू पिल्ला बोल रहा है ये कोई मामूली लड़का नहीं ठाकुर अभय सिंह है इस हवेली का वारिस....
रंजीत सिन्हा – हा अच्छे से जनता हूँ इसे और इसकी मा को भी , लेकिन तुझे बीच में आने का बड़ा शौक है ना क्यों वापस आई तू....
शालिनी – (हस्ते हुए) तुझे क्या लगता है मैं यहां खुद आई हू , नहीं रंजीत सिन्हा मै यहां खुद नहीं आई बल्कि बुलाया गया है मुझे जनता है किसने बुलाया मुझे....
रंजीत सिन्हा – किसने बुलाया तुझे....
शालिनी – चांदनी ने बुलाया है मुझे यहां पर जनता है चांदनी को पहले ही शक हो गया था तुझपे सबके कॉल की सारी जानकारी निकाल और रिकॉर्डिंग भी जिसमें तेरी आवाज साफ सुनी तेरी बेटी ने अब समझ आया तुझे....
रंजीत सिन्हा –(हैरानी से) ये झूठ है ऐसा नहीं जो सकता कभी....
शालिनी –(हस्ते हुए) भूल मत रंजीत ये कोई मामूली लड़की नहीं चांदनी सिन्हा है CBI OFFICER बहुत हल्के में ले लिया तूने अपनी बेटी को....
रंजीत सिन्हा – (गुस्से में) ये सब इस पिल्ले की वजह से हो रहा है आज मैं इसे जिंदा नहीं छोडूंगा....
बोल के रंजीत अपनी बंदूक बेहोश पड़े अभय पे तान के....
शालिनी –(गुस्से में) तू इसे मारेगा हिम्मत है तेरे में उससे पहले वो तुझे मिटा देगा....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) कौन मिटाएगा मुझे ये पिल्ला जो बेहोश पड़ा है तेरी गोद में....
शालिनी – (हस्ते हुए) तुझे क्या लगता है मैं इसके लिए बोल रही हू....
इस तरफ एक लड़का बाइक को तेजी से चलाते हुए गांव की तरफ बढ़ रहा था....
शालिनी – (हस्ते हुए) नहीं रंजीत वो जहां भी जाता मौत की आंधी साथ लेके चलता है वो....
और तभी वो लड़का अपनी बाइक में लगे ग्रेनेड की पिन हटा के कूद जाता है बाइक से हवा में उछाल के बाइक जाके टकराती है जीप से एक तेज धमके के साथ...
शालीन –(दूर से धमाके के आवाज सुन) सुन लिया ये धमाका (हस्ते हुए) आ गया वो....
इस तरफ वो लड़का गुंडों के सामने आके चाकू से मारने लगता है सबको...
अपने साथी को मरता देख कुछ आदमी बाइक से आने लगते है उस लड़के के पास....
वो लड़का अपने चाकू को छोड़ उन सभी को उनके ही हथियार से मारने लगता है....
कभी पीछे आके मरता तो कभी सामने आके मरता
तो कभी उनकी बंदूक से उन्हें मरता तो कभी उन्हीं की तलवार से मारता जाता सबको
तभी कुछ लोग जीप में बैठ के हथियार लिए उस लड़के के पास आने लगते है
उनकी मशीन गन से उन्हीं पे गोलियां बरसता हुआ सबको मार के जीप में धमाका कर देता वो लड़का....
शालिनी –(हस्ते हुए धमाकों की आवाज सुन के) क्यों कही डर तो नहीं लग रहा तुझे....
रंजीत सिन्हा –(हैरानी से बेहोश अभय को देख) ये पिल्ला यहां है तो ये सब कौन कर रहा है....
शालिनी –(रंजीत के चेहरे पर डर देख हस्ते हुए) घबरा मत तू उसे अच्छे से जनता है , उसे देखे बगैर तू मारेगा नहीं रंजीत....
तभी हवेली की तरफ वो लड़का गुंडों को मारते हुए आने लगता है सबके सामने आखों में चश्मा मू पे स्कार्फ लगाए
सभी को मारते हुए सामने आके खड़ा हो गया वो लड़का रंजीत के....
रंजीत सिन्हा –(मौत का ये नजारा सामने देख डर से) कौन हो तुम....
लड़का अपनी आखों से चश्मा हटा मू से स्कार्फ निकाल जैसे ही रंजीत उस लड़के की शकल देखता है....
रंजीत सिन्हा –(आंखे बड़ी करके डर और हैरानी से) KING
इसके साथ रंजीत बुत की तरह खड़ा रह जाता है...
KING – (रंजीत को देख के) ठाकुर का दुश्मन मेरा भी दुश्मन है (शालिनी से) आप ठीक है
शालिनी – (KING से) हा लेकिन ये रंजीत को क्या हुआ....
KING – देर हो चुकी है शालिनी जी रंजीत कब का मर चुका है....
शालिनी – (हैरानी से) क्या अब कैसे पता चलेगा हमे....
KING –(बीच में बात काट के) सब कुछ बाद में पहले (BOYS)....
शालिनी के साथ आय हुए हवलदार की वर्दी पहने जिसे रंजीत ने मारा था वो खड़े हो बॉडी से बुलेटप्रूफ जैकेट हटा के....
आदमी –जी सर....
KING – अपने लोगो को बुला के इन सारी बॉडीज को डिस्पोज कर दो (सोनिया से) इन सबको होश में लाओ....
सोनिया ने एक एक करके सबको होश में लाती गई आखिर में राज को फिर अभय को....
अभय –(होश में आते ही अपने आप को शालिनी की गोद में लेटा पा के) मां आप यहां , आप तो....
शालिनी –(मुस्कुरा के बात के बीच में) तू ठीक है ना....
अभय और राज एक साथ खड़े होके सामने का नजारा देख....
अभय – (हैरानी से) मां ये सब किसने किया....
शालिनी – (एक तरफ इशारा करके) उसने किया है ये सब....
अभय –(अपने सामने KING को देख) तुम यहां पर....
KING – (मुस्कुरा के) कैसा है मेरा प्यार गुड्डा....
अभय –क्या गुड्डा कौन गुड्डा....
संध्या – (गुड्डा सुन KING को देख के बोली) अर्जुन....
KING –(मुस्कुरा के) हा चाची ARJUN THAKUR SON OF KAMAL THAKUR
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DhanDhaजारी रहेsu गा
Update jaldiWaiting for next update
Meri story pe kitni baar tag kiya ju ko?Waiting for next update
Tum rajasthan se ho?Mast hai
Aaj kal me padtahuMeri story pe kitni baar tag kiya ju ko?