• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Ek anjaan humsafar

Active Member
1,920
2,730
143
Fox 6 Update GIF by WBRC FOX6 News
 

Parallel lund

New Member
63
95
33
अभी xforum पर वो वाली बात नहीं रही!

इंसेंस्ट स्टोरीज long seductive वाली अब नहीं मिलती


सब bakwaas लिखते है कहानी का title लिखते है इंसेंस्ट और plot होगा जासूसी wala🤣


पुराने दिनों के लेखक 🥲 अब नहीं दिखते
 

mistyvixen

mιѕτy τнє мιѕѕιиg lιик 🌠
1,220
2,483
144
UPDATE 4

गांव में हर साल एक मेला लगा करता है जहा पे ठकूरो के कुलदेवी का मंदिर था हर साल वहा पे बंजारे आते थे 10 से 15 दिन के लिए और तभी मेला शुरू हो जाता था गांव। में 10 से 15 दिन तक मेले के चलते पूरा गांव इक्कठा हो जाता था जैसे कोई त्योहार हो गांव वाले वहा जाते झूला झूलते बंजारों से नई नई प्रकार के वस्तु खरीदते साथ ही कुल देवी की पूजा करते थे ठाकुरों के साथ और उस वक्त ठाकुर अपने परिवार के साथ मेले में घूमते फिरते थे लेकिन इस बार गांव वालो की हिम्मत जवाब दे गईं थी कर्ज के चलते

इन सब बातो से अंजान हवेली में अभय के गम में डूबी हुई थी संध्या जिसका फायदा उठा रहा था रमन जो गांव वालो को जमीन को हड़प रहा था कर्ज और ब्याज के नाम पे ताकि डिग्री कॉलेज की स्थापना करवा सके जिसकी स्वीकृति रमन को संध्या से लेनी थी हवेली में गमहीन माहोल के चलते रमन इस बारे में बात नही कर पा रहा था संध्या से

जबकि संध्या अमन का मुंह देख कर जीने लगी थीं, लेकिन हर रात अभय की यादों में आंसू बहाती थी, और ये उसका रोज का रूटीन बन गया था।

और इस तरफ गांव वालों की हर रोज़ मीटिंग होती थीं , की ठाकुराइन से जाकर इस बारे में पूछे की उसने ऐसा क्यूं किया? क्यूं उनकी ज़मीन हड़प ली उसने? पर गांव वाले भी ये समय सही नहीं समझे।

दीन बीतता गया, संध्या भी अब नॉर्मल होने लगी थीं, वो अमन को हद से ज्यादा प्यार करने लगी थीं। हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ख्वाहिश अमन की यूं ही पूरी हो जाती।

देखते ही देखते महीने सालों में व्यतीत होने लगे,,


एक दिन की बात है हवेली में सब नाश्ते की टेबल पर बैठे थे, अमन के सामने पड़ी प्लेट मे देसी घी के पराठे पड़े थे। जिसे वो बहुत चाव से खा रहा था। और मालती अमन को ही गौर से देख रही थीं, की संध्या कितने प्यार से अमन को अपने हाथों से खिला रही थीं।

अमन --"बस करो ना बड़ी मां, अब नहीं खाया जाता, मेरा पेट भर गया हैं।"

संध्या --"बस बेटा, ये आखिरी पराठा, हैं। खा ले।"

अमन ने किसी तरह वो पराठा खाया, मालती अभि भी उन दोनो को ही देख रही थीं कि तभी उसे पुरानी बात याद आई।

जब एक दिन इसी तरह से सब नाश्ता कर रहे थे, अभय भी नाश्ता करते हुऐ गपागप ४ पराठे खा चुका था और पांचवा पराठा खाने के लिऐ मांग रहा था तब

संध्या – (पराठा देते हुऐ अभय से बोली) और कितना खायेगा तेरा तो पेट नहीं भर रहा हैं।

अभय –(हस्ते हुए) तेरे हाथ के पराठे जितने खाऊं पेट तो भर जाता है लेकिन दिल नही भरता

वो दृश्य और आज के दृश्य से मालती किस बात का अनुमान लगा रही थीं ये तो नहीं पता, पर तभी संध्या की नज़रे भी मालती पर पड़ती हैं तो पाती हैं की, मालती उसे और अमन को ही देख रही थीं।
मालती को इस तरह दिखते हुऐ संध्या बोल पड़ी...

संध्या --"तू ऐसे क्या देख रही हैं मालती? नज़र लगाएगी क्या मेरे बेटे को?

संध्या की बात मालती के दिल मे चुभ सी गई,और फिर अचानक ही बोल पड़ी।

मालती --"नहीं दीदी बस पुरानी बातें याद आ गई थीं, अभय की।

और कहते हुऐ मालती अपने कमरे में चली जाती है। संध्या मालती को जाते हुऐ वही खड़ी देखती रहती है......

मालती के जाते ही, संध्या भी अपने कमरे में चली गई। संध्या गुम सूम सी अपने बेड पर बैठी थीं, उसे अजीब सी बेचैनी हो रही थीं। वो मालती की कही हुई बात पर गौर करने लगी। वो उस दीन को याद करने लगी जब उसने अभय की जम कर पिटाई की थीं। उस दीन हवेली के नौकर भी अभय की पिटाई देख कर सहम गए थे।

बात कुछ यूं थीं की, रमन हवेली में लहू लुहान हो कर अपना सर पकड़े पहुंचा। संध्या उस समय हवेली के हॉल में ही बैठी थीं। संध्या ने जब देखा की रमन के सर से खून बह रहा है, और रमन अपने सर को हाथों से पकड़ा है, तो संध्या घबरा गई। और सोफे पर से उठते हुऐ बोली...

संध्या --" ये...ये क्या हुआ तुम्हे? सर पर चोट कैसे लग गई?

बोलते हुऐ संध्या ने नौकर को आवाज लगाई और डॉक्टर को बुलाने के लिऐ बोली....

संध्या की बात सुनकर रमन कुछ नहीं बोला, बस अपने खून से सने हांथ को सर पर रखे कराह रहा था। रमन को यूं ख़ामोश दर्द में करहता देख, संध्या गुस्से में बोली....

संध्या --"मैं कुछ पूंछ रही हूं तुमसे? कैसे हुआ ये?

"अरे ये क्या बताएंगे बड़ी ठाकुराइन, मैं बताता हूं..."

इस अनजानी आवाज़ ने सांध्य का ध्यान खींचा, तो पाई सामने मुनीम खड़ा था। मुनीम को देख कर रमन गुस्से में चिल्लाया....

रमन --"मुनीम जी, आप जाओ यहां से, कुछ नहीं हुआ है भाभी। ये बस मेरी गलती की वजह से ही अनजाने में लग गया।"

"नहीं बड़ी ठाकुराइन, झूंठ बोल रहे है छोटे मालिक। ये तो आपके...."

रमन --"मुनीम जी... मैने कहा ना आप जाओ।

रमन ने मुनीम की बात बीच में ही काटते हुऐ बोला। मगर इस बार सांध्या ने जोर देते हुऐ कहा....

संध्या --"मुनीम जी, बात क्या है... साफ - साफ बताओ मुझे?"

संध्या की बात सुनकर, मुनीम बिना देरी के बोल पड़ा....

मुनीम --"वो... बड़ी ठाकुराइन, छोटे मालिक का सर अभय बाबा ने पत्थर मार कर फोड़ दीया।"

ये सुनकर संध्या गुस्से में लाल हो गई.…

संध्या --"अभय ने!! पर वो ऐसा क्यूं करेगा?"

मुनीम --"अब क्या बताऊं बड़ी ठाकुराइन, छोटे मालिक और मै बाग की तरफ़ जा रहे थे, तो देखा अभय बाबा गांव के नीच जाति के बच्चों के साथ खेल-कूद कर रहे थे। पता नहीं कौन थे चमार थे, केवट था या पता नहीं कौन से जाति के थे वो बच्चे। यही देख कर छोटे मालिक ने अभय को डाट दिया, ये कहते हुऐ की अपनी बराबरी के जाति वालों के बच्चों के साथ खेलो, हवेली का नाम मत खराब करो। ये सुन कर अभय बाबा, छोटे मालिक से जुबान लड़ाते हुए बोले

अभय – ये सब मेरे दोस्त है, और दोस्ती जात पात नहीं देखती, अगर इनसे दोस्ती करके इनके साथ खेलने में हवेली का नाम खराब होता है तो हो जाए, मुझे कुछ फरक नहीं पड़ता।"

संध्या --"फिर क्या हुआ?

मुनीम --"फिर क्या बड़ी मालकिन, छोटे मालिक ने अभय बाबा से कहा की, अगर भाभी को पता चला तो तेरी खैर नहीं, तो इस पर अभय बाबा ने कहा, अरे वो तो बकलोल है, दिमाग नाम का चीज़ तो है ही नहीं मेरी मां में, वो क्या बोलेगी, ज्यादा से ज्यादा दो चार थप्पड़ मारेगी और क्या, पर तेरा सर तो मै अभी फोडूंगा। और कहते हुऐ अभय बाबा ने जमीन पर पड़ा पत्थर उठा कर छोटे मालिक को दे मारा, और वहां से भाग गए।"

मुनीम की बात सुनकर तो मानो सांध्य का पारा चरम पर था, गुस्से मे आपने दांत की किटकिती बजाते हुऐ बोली...

सांध्य --"बच्चा समझ कर, मैं उसे हर बार नज़र अंदाज़ करते गई। पर अब तो उसके अंदर बड़े छोटे की कद्र भी खत्म होती जा रही है। आज रमन का सर फोड़ा है, और मेरे बारे में भी बुरा भला बोलने लगा है, हद से ज्यादा ही बिगड़ता जा रहा है, आने दो उसे आज बताती हूं की, मैं कितनी बड़ी बकलोल हूं..."

.... भाभी, भाभी... कहां हो तुम, अंदर हों क्या?

इस आवाज़ ने, सांध्य को भूत काल की यादों से वर्तमान की धरती पर ला पटका, अपनी नम हो चुकी आंखो के कोने से छलक पड़े आंसू के कतरों को अपनी हथेली से पोछते हुऐ, सुर्ख पड़ चुकी आवाज़ में बोली...

सांध्य --"हां, अंदर ही हूं।"

बोलते हुऐ वो दरवाज़े की तरफ़ देखने लगी... कमरे में रमन दाखिल हुआ, और संध्या के करीब आते हुऐ बेड पर उसके बगल में बैठते हुऐ बोला।

रमन --"भाभी, मैने सोचा है की, गांव में पिता जी के नाम से एक डिग्री कॉलेज बनवा जाए, अब देखो ना यहां से शहर काफी दूर है, आस - पास के कई गांव के विद्यार्थी को दूर शहरों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। अगर हमने अपना डिग्री कॉलेज बनवा कर मान्यता हंसील कर ली, तो विद्यार्थियों को पढ़ाई में आसानी हो जाएंगी।"

रमन की बात सुनते हुऐ, सांध्य बोली.....

संध्या --"ये तो बहुत अच्छी बात है, तुम्हारे बड़े भैया की भी यही ख्वाहिश थीं, वो अभय के नाम पर डिग्री कॉलेज बनाना चाहते थे, पर अब तो अभय रहा ही नहीं, बनवा दो अभय के नाम से ही... वो नहीं कम।से कम मेरे बच्चे का नाम तो रहेगा।"

रमन --"ओ... हो भाभी, तो पहले ही बताना चाहिए था, मैने तो मान्यता लेने वाले फॉर्म पर पिता जी के नाम से भर कर अप्लाई कर दिया। ठीक हैं मैं मुनीम से कह कर चेंज करवाने की कोशिश करूंगा।"

रमन की बात सुनकर संध्या ने कहा...

संध्या --"नहीं ठीक है, रहने दो। पिता जी का नाम भी ठीक है।"

रमन --"ठीक है भाभी, जैसा तुम कहो।"

और ये कह कर रमन जाने लगा तभी... सन्ध्या ने रमन को रोकते हुऐ....

संध्या --"अ... रमन।"

रमन रुकते हुऐ, संध्या की तरफ़ पलटते हुऐ...

रमन --"हां भाभी।"

संध्या --"एक बात पूंछू??"

संध्या की ठहरी और गहरी आवाज़ में ये बात सुनकर रमन एक पल के लिऐ सोच की उलझन में उलझते हुऐ, उलझे हुऐ स्वर मे बोला...

संध्या --"क्या उस रात अभय ने तुम्हे मेरे कमरे में आते देखा था ?

संध्या की ये बात सुन के रमन हड़बड़ा गया उसे हैरानी होने लगी की इतने साल के बाद आज संध्या ऐसी बात क्यों पूछ रही है

रमान -- (अपना थूक निगलते हुए) म..मु..मुझे नहीं लगता भाभी , अभय ने देखा होगा , वैसे भी वो तो 9 साल का बच्चा था भाभी, उसे भला कैसे पता चलेगा? पर आज इतने सालों बाद क्यूं?"
संध्या अपनी गहरी और करुण्डता भरे लहज़े में बोली...
संध्या – उस मनहूस रात के बाद ना जाने क्यूं , मुझे बेचैनी सी होती रहती है, ऐसा लगता है की मेरा दिल भटक रहा है किसी के लिऐ, मुझे पता है की मेरा दिल मेरे अभय के लिऐ भटकता रहता है, मैं खुद से ही अंदर अंदर लड़ती रहती हूं, रात भर रोती रहती हूं, सोचती हूं की मेरा अभय कही से आ जाए बस, ताकी मैं उसे बता सकूं की मैं उससे कितना प्यार करती हूं, माना की मैने बहुत गलतियां की हैं, मैंने उसे जानवरों की तरह पीटा, पर ये सब सिर्फ़ गुस्से में आकर। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मैं ये ख़ुद को नहीं समझा पा रही हूं, उसे कैसे समझाती। मैं थक गई हूं, जिंदगी बेरंग सी लगने लगी हैं। हर पल उसे भुलाने की कोशिश करती हूं, लेकिन मेरा दिल मुझसे हर बार कहता है की, मेरा अभय आएगा एक दिन जरूर आएगा तू इंतजार कर ? (रोते हुए) हे भगवान क्या करूं? कहां जाऊं? कोई तो राह दिखा दे तू ? नही तो मेरे अभय को वापस भेज दे मेरे पास
कहते हुऐ सन्ध्या फिर रोने लगती है...!
अब रो कर कुछ हासिल नहीं होगा दीदी,"
इस आवाज को सुन रमन और संध्या ने नज़र उठा कर देखा तो सामने मालती खड़ी थीं, संध्या रुवांसी आंखो से मालती की तरफ़ देखते हुऐ थोड़ी चेहरे बेबसी की मुस्कान लाती हुई संध्या मालती से बोली...
संध्या --"एक मां को जब, उसके ही बेटे के लिऐ कोई ताना मारे तो उस मां पर क्या बीतती है, वो एक मां ही समझ सकती है।"
संध्या की बात मालती समझ गई थीं की सन्ध्या का इशारा आज सुबह नाश्ता करते हुऐ उसकी कही हुई बात की तरफ़ थीं
मालती --"अच्छा! तो दीदी आप ताना मारने का बदला ताना मार कर ही ले रही है।"
संध्या को बात भी मालती की बात समझते देरी नहीं लगी, और झट से छटपटाते हुऐ बोली...
संध्या --"नहीं... नहीं, भगवान के लिऐ तू ऐसा ना समझ की, मैं तुझे ताना मार रही हूं। तेरी बात बिलकुल ठीक थीं, मैने कभी अपने अभय को ज्यादा खाना खाने पर ताना मारी थीं, मेरी मति मारी गई थीं, बुद्धि भ्रष्ट हो गई थीं, इस लिऐ ऐसे शब्द मुंह से निकल रहे थे।"
मालती चुप चाप खड़ी संध्या की बात सुनते हुऐ भावुक हो चली आवाज़ मे बोली...
मालती --"भगवान ने मुझे मां बनने का सौभाग्य तो नहीं दीया, पर हां इतना तो पता है दीदी की, बुद्धि हीन मां हो चाहे मति मारी गई मां हो, पागल मां हो चाहे शैतान की ही मां क्यूं ना हो... अपने बच्चे को हर स्थिति में सिर्फ प्यार ही करती है।"
कहते हुऐ मालती रोते हुए अपने कमरे से चली जाति है... और इधर मालती की बातें संध्या को अंदर ही अंदर एक बदचलन मां की उपाधि के तख्ते पर बिठा गई थीं, जो संध्या बर्दाश्त नहीं कर पाई।।
और जोर - जोर से उस कमरे में इस तरह चिल्लाने लगी जैसे पागल खाने में पागल व्यक्ति...
संध्या – ..... हां.... हां मैं एक गिरी हुई औरत हूं, यही सुनना चाहती है ना तू, लेकिन एक बात सुन ले तू भी, मेरे बेटे को मुझसे ज्यादा कोई प्यार नहीं कर सकता है इस दुनिया में...
मालती – अब क्या फ़ायदा दीदी, अब तो प्यार करने वाला रहा ही नहीं... फिर किसको सुना रही हो?"
चिल्लाती हुई संध्या की बात सुनकर मालती भी चिल्लाकर कमरे से बाहर निकलते हुई बोली और फिर वो भी नम आंखों के साथ अपने कमरे में चली गई....इस बीच इन सब बातो के चलते रमन को वहा रुकना खतरे से खाली न लगा इसीलिए चुप चाप कमरे से पहले ही निकल गया रमन
संध्या रोते रोते जाने लगी अपने कमरे की तरफ लेकिन तभी अपने कमरे में ना जाके अभय के कमरे की तरफ चली गई अभय के कमरे को गौर से देखने लगी तभी संध्या की नजर टेबल पर पड़ी जहा अभय पढ़ाई करता था टेबल में रखी अभय की स्कूल की किताबो को देख इसे टेबल की दराज में रखने के दराज को खोलते ही संध्या की नजर पेंटिंग पर पड़ी उसे दराज से नकलते ही संध्या पेंटिंग को देखने लगी हर पेंटिंग के नीचे कुछ लाइनें लिखी थी अभय ने
1 = पेंटिंग

images-74
रिश्तों की इस किताब में, माँ-बाप का पन्ना सबसे खास,
उनके बिना ज़िंदगी लगे बिल्कुल उदास।
वो छांव हैं, तपते सूरज में आराम जैसे,
माँ की वो एक नजर, और पापा का वो एक नाम जैसे।






2 = पेंटिंगimages-9
ज़िन्दगी में मां बाप के सिवा कोई अपना नहीं होता,
टूट जाए ख्वाब तो सपना पूरा नहीं होता,
ज़िंदगी भर पूजा करूगा अपने मां बाप की ,
क्यों की मां बाप से बड़ा भगवान नहीं होता।


3 = पेंटिंग
images-2
तेरे साथ गुजरे लम्हे ही तो
अब मेरे जीने का सहारा है
तुझे कैसे बताऊं बाबा
तेरी यादों का हमें हर हिस्सा प्यारा है बाबा



4 = पेंटिंग
images-39
माता पिता के बिना दुनिया की हर चीज कोरी हैं, दुनिया का सबसे सुंदर संगीत मेरी माँ की लोरी हैं..!!
5 = पेंटिंगimages-71
जिस के होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, मेरे पिता के बाद मैं बस अपने माँ को जानता हूँ..!!
6 = पेंटिंग
images-72
दिल में दर्द सा होता है आँखें ये भर-भर जाती हैं, माँ तेरे साथ बिताये पलों की यादें मुझे जब जब आती हैं।


अभय की बनाई आखरी तस्वीर में सूखे हुए आसू का कतरा देख समझ गई संध्या की तस्वीर बनाते वक्त अभय रो रहा था साथ उसमे लिखी कविता को पड़ के संध्या जमीन में बैठ तस्वीरों को अपने सीने से लगाए रोते रोते बोलने लगी
संध्या – लौट आ लौट आ मेरे बच्चे , तेरी मां तेरे बिना बिल्कुल अधूरी हो गई है , तू जो सजा दे दे सब मंजूर है मुझे , बस एक बार तू लौट के आजा अभय , तुझे कबी नही रोकूगी चाहे कुछ भी कर तू
रोते रोते संध्या जमीन में सो गईं
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️

Amazing poetry💙...aapne khud likhe hai?
 

Priyayadav

New Member
59
121
33
UPDATE 46


सोनिया जो अलीता के साथ गांव आई थी उसे हवेली में छोड़ अलीता और अर्जुन निकल गए अपनी मंजिल की तरफ और राज अपने घर जबकि इस तरफ अपने कमरे में खड़ा अभय कभी अपने बेड को देखता जिसमें वो अकेला सोता था तो कभी अपनी टेबल कुर्सी को जिसमें वो पढ़ाई करता था और फिर उसकी नजर पड़ी खिड़की पर जहा पर अक्सर रात में खड़ा रह कर आसमान को देखता रहता था अभय इस बात से अंजान की उसे कमरे के बाहर दरवाजे पर व्हील चेयर पर संध्या मुस्कुराते हुए कमरे में खड़े अभय को देख रहे थी तभी चांदनी आई और पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रख....

अभय –(मुस्कुरा के) कितना सुंदर है न आसमान का ये नजारा दीदी देखो तारों को कैसे चमक रहे है....

चांदनी –(मुस्कुरा के) हम्ममम , तुझे अच्छा लगता है ये नजारा....

अभय –(मुस्कुरा के) हा दीदी मेरी तन्हाई का यही तो साथी रहा है मेरा रोज रात में घंटों तक इसे देखता रहता था....

चांदनी – रोज रात का क्या मतलब है तेरा....

अभय – इस कमरे में अकेले नींद नहीं आती थी मुझ दीदी उसके बाद इन्हीं तारों को देख अपनी रात गुजारा करता था....

चांदनी – ऐसी क्या बात थी तुझे यहां नींद नहीं आती थी कितना सुन्दर कमरा है तेरा....

अभय – कमरा कितना भी सुन्दर क्यों ना हो दीदी जहा अपनो का साथ होता है तो एक कमरे का मकान भी स्वर्ग से कम नहीं होता उसके लिए लेकिन मेरे केस में तो सब कुछ उल्टा सुलटा रहा है आज इस कमरे में आते ही कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई मेरी या ये कहना सही होगा पुराना जख्म की याद आ गई....

चांदनी – (कंधे पर हाथ रख के) तू ज्यादा मत सोच बीते वक्त को बदल नहीं सकता कोई लेकिन आने वाले वक्त तो अच्छा बना सकते है हम अपना....

अभय – हम्ममम , दीदी एक बात समझ में नहीं आ रही है मुझे....

चांदनी – कौन सी बात अभय....

अभय – हॉस्टल में शंकर और मुनीम है ये बात मुझे पता थी मां को और मेरे दोस्तो को लेकिन फिर भी आज अचानक से वो दोनों मारे गए दीदी आपको क्या लगता है इस बारे में....

चांदनी – (कुछ सोचते हुए) पता नहीं अभय यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है....

अभय – दीदी सच सच बताओ मुझे आप क्यों आय हो इस गांव में क्या मकसद है आपका किस बात की खोज बीन कर रहे हो आप और कौन है आपका CBI CHIEF....

चांदनी –(हस्ते हुए) OH MY GOD , OH MY GOD इतने सवाल एक साथ एक सास में , तुझे क्या जानना है इस बारे में मैने बोला था ना तुझे इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है समझा तुझे कोई छू भी नहीं सकता है मौत को भी मेरी लाश के ऊपर से गुजर के जाना होगा तेरे पास....

अभय –(जल्दी से चांदनी के मू पे हाथ रख के) आप तक मौत आय उससे पहले मै उस मौत को मार दूंगा दीदी , दोबारा आप ऐसी बात मत बोलना....

अभय की बात सुन चांदनी अभय के गले लग जाती है....

चांदनी – तू मुझसे कभी दूर मत जाना....

अभय –(हस के) आपकी शादी के बाद....

चांदनी – शादी के बाद भी साथ रहेगा तू मेरे....

अभय – तब तो आप गांव में रहने की आदत डाल लो दीदी क्योंकि मैं तो ठहरा गांव का आदमी शहर मेरे बस का नहीं....

चांदनी – हा मुझे भी यही लगता है गांव की आदत डालनी पड़ेगी मुझे....

अभय – (हस के) तो मैं मां को बोल दूं आपको राज पसंद है....

चांदनी –(अभय के पीठ में हल्का हाथ मर के) चुप कर बड़ा आया बात करने वाला , पहले सब कुछ ठीक हो जाने दे फिर जो मन आय वो करना....

यहां पर ये दोनों भाई बहन आपस में लगे हुए थे वहीं अवश्य के कमरे के दरवाजे के बाहर संध्या उनकी सारी बात सुन रही थी साथ में ललिता और शनाया थी ललिता व्हीलचेयर लेके चली गई संध्या के कमरे में....

ललिता –(संध्या को उसके कमरे में लाके उसके आसू पोछ) दीदी बस मत रो अब देखो आ गया ना वो हवेली थोड़ा वक्त दो उसे सब ठीक हो जाएगा....

शनाया – (संध्या के कंधे पे हाथ रख के) ललिता बिल्कुल सही बोल रही है संध्या इस तरह हिम्मत मत हार तू मै तो कहती हु मौका पाके तू अभय को सच बता दे सारा....

संध्या – लेकिन क्या वो मानेगा बात मेरी....

ललिता – क्यों नहीं मानेगा वो आपकी बात दीदी हम है ना आपके साथ....

संध्या – सच जान कर कही फिर चला गया तो....

शनाया – देख संध्या एक ना एक दिन सच बताना ही है उसे तो अभी क्यों नहीं बता देती देख गांव वालो का जब खाना रखा था यहा तब वो बात कर रहा था ना अच्छे से तेरे से लेकिन राजेश की वजह से सब गड़बड़ हो गया इससे पहले फिर से कुछ हो तू बता दे उसे सच मेरी बात मान ले संध्या....

ललिता – दीदी मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई है पति बेकार और बेटा वो भी किसी काम का नहीं बस निधि वक्त रहते सम्भल गई है दीदी अभय को संभालना होगा अब आप वक्त मत गंवाओ बिल्कुल भी....

शनाया और ललिता की बात सुन संध्या ने भी कोई फैसला ले लिया था हवेली में रात हो गई रमन और अमन घर आ गए आते ही ललिता ने सब बात दिया जिसे सुन....

रमन – (हवेली के हॉल में) इतना सब हो गया और किसी ने मुझे एक कॉल तक नहीं किया....

ललिता – अभय ने सब सम्भाल लिया यहां के हालात को....

रमन –(अभय को देख) ये अभी तक यहां क्यों रुक हुआ है गया क्यों नहीं ये यहां से....

शालिनी –(रमन के पीछे से हवेली के गेट से अन्दर आते हुए) मैने रोका है इसे ठाकुर साहब....

रमन –(अपने सामने शालिनी को देख) आपने रोका मै समझा नहीं कुछ....

शालिनी – शायद आपको पता नहीं है कि आपका मुनीम और सरपंच शंकर मारे जा चुके है....

रमन –(हैरानी से) क्या लेकिन ये कैसे और किसने मारा उन दोनों को....

शालिनी – ये तो पता नहीं लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल से मिली थी....

रमन –(चौक के) हॉस्टल में क्या कर रहे थे दोनो....

शालिनी – पता नहीं शायद किसी की कुंडली खोल रहे होगे दोनो साथ में (अभय से) अभी बेटा तुझे क्या लगता है क्या कर रहे होगे वो दोनो हॉस्टल में....

अभय (अभी) – मां वो दोनो कुंडली खोल रहे थे किसी की....

शालिनी –(रमन से) सुना अपने ठाकुर साहब जाने किसके बारे में बता रहे थे जो अचानक से मारे गए दोनो , खेर चलिए खाना खाते है बहुत भूख लगी है मुझे....

बोल के शालिनी निकल गई अभय के पास जहां सब लोग अपने कमरे से आए थे हॉल में खाना खाने के लिए रमन अपनी कुर्सी में बैठ गया था संध्या आज साइड में बैठी थी तभी अभय बैठने के लिए जगह देख रहा था तभी....

संध्या –(अभय को देख) सुनो (अपने बगल वाली कुर्सी पर इशारा करके) इसमें बैठो....

ठीक उसी के बगल वाली कुर्सी में शालिनी बैठी थी उसने हल्का सा इशारा किया अभय को तब अभय जाके बैठ गया उस कुर्सी पर जहा पर हवेली का मालिक बैठा करता था मतलब संध्या बैठती थी....

संध्या –(अभय के बैठते ही रमन को देखते हुए अभय से) अब से तुम यही बैठना....

अभय बिना कोई जवाब दिए चुप बैठा रहा सबने धीरे धीरे खाना शुरू किया खाने के बाद हर कोई अपने कमरे में जाने लगा तभी....

ललिता –(अभय से) लल्ला खाना कैसा बना था....

अभय – अच्छा था....

ललित –(मुस्कुरा के) लल्ला एक काम करदेगा मेरा....

अभय – हा बताओ आप....

ललिता – लल्ला तू दीदी को उनके कमरे में छोड़ दे प्लीज....

अभय – जी....

जी बोलते ही अभय उठाने जा ही रहा था कि तभी....

औरत – प्रणाम मालकिन....

आवाज सुन हवेली के दरवाजे की तरफ सब देखने लगे तभी....

संध्या – अरे लक्ष्मी मां आप कब आई....

लक्ष्मी – मालकिन अभी अभी आई हू जा रहे थे कुलदेवी के मंदिर पर सोचा रस्ते में आपको प्रणाम करते चले....

संध्या – (मुस्कुरा के) आपका स्वागत है गांव में अम्मा (लक्ष्मी) तो कल से तैयारी शुरू कर रहे हो....

लक्ष्मी – जी मालकिन लेकिन आपको क्या हो गया आप इसमें (व्हील चेयर) में क्यों बैठे हो....

संध्या – कुछ खास नहीं अम्मा सीडीओ से गिर गई थी पैर में सूजन आ गई थी तो डॉक्टर ने चलने को मन किया है कुछ दिन के लिए तो इसमें ही यहां वहां हो लेती हूँ....

लक्ष्मी – अपना ख्याल रखिए मालकिन वैसे कल से मेले की सारी तैयारी शुरू हो जाएगी दो दिन बाद मेला जो है अच्छा मालकिन मै चलती हूँ जल्दी मिलेगे....

संध्या –(लक्ष्मी को रोक के) अम्मा (लक्ष्मी) एक मिनिट रुक जाओ (अभय से) मेरे कमरे की अलमारी से पैसे ला दोगे....

अभय – मै दूसरों की चीजों को हाथ नहीं लगाता....

ललिता – चला जा लल्ला....

तभी ललिता के पीछे शालिनी ने आंख से हल्का सा इशारा किया जिसके बाद....

अभय – कितने पैसे देने है इनको....

संध्या – अलमारी में 500 की गड्डी पड़ी है एक देदे इनको....

संध्या की बात सुन अभय सीडीओ से अपने कमरे में गया अपने बैग से 500 की एक गड्डी लाके लक्ष्मी को देके....

अभय –(पैसे देते हुए) ये लो अम्मा....

लक्ष्मी –(मुस्कुरा के अभय से पैसे लेके उसके सिर पे हाथ रख) जुग जुग जियो बेटा हमेशा खुश रहो तुम....

बोल के लक्ष्मी चली गई उसके जाते ही....

शालिनी – ये कौन थी संध्या....

संध्या – ये लक्ष्मी मां है बंजारन है हर साल गांव में मेले शुरू करने से पहल यही से मिलते हुए जाती है हमसे....

शालिनी –(चौक के) मेला कब शुरू होगा....

संध्या – दो दिन बाद शुरू होगा मेला....

शालिनी – हम्ममम (अभय से) अभी ऊपर कमरे में छोड़ दो संध्या को प्लीज....

शालिनी की बात सुन संध्या को गोद में उठा के कमरे में ले जाने लगा कमरे में आते ही अभय ने संध्या को बेड में लेटा के जाने लगा....

संध्या – अभय सुन....

अभय –(संध्या की आवाज सुन रुक के) क्या....

संध्या – तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है....

अभय – देख मै मां के कहने पे आया हु हवेली मुझे कोई शौक नहीं था यहां आने का और तुझे जो बात करनी है मां से बोल दे बता देगी मुझे....

संध्या – नहीं मुझे सिर्फ तुझे बतानी है एक बार मेरी बात सुन ले....

तभी रमन अपने कमरे में जा रहा था इन दोनों की आवाज सुन संध्या के कमर एमे आके....

रमन – भाभी आप किसके मू लग रही हो जब नहीं सुनी बात उसे आपकी तो क्यों पीछे पड़े हो इसके आप जाने दो इसे....

संध्या – तू अपने कमरे में जा रमन मेरे बीच में मत पढ तू....

रमन – भाभी ये लौंडा इतनी बतमीजी से बात कर रहा है आपसे और आप मुझे जाने को बोल रहे हो....

संध्या – देख रमन मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी तू निकल मेरे कमरे से हमारे बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है तुझे....

अभय –(दोनो की बात सुन) बस करो ये ड्रामा मेरे सामने करने की जरूरत नहीं है ये सब बहुत अच्छे से समझता हो मै....

बोल के बाहर जाने लगा तभी....

संध्या –(तुरंत बेड से अपने पैर जमीन में रख भाग के अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर के रोते हुए) सुन ले मेरी बात एक बार फिर भले चले जा मै नहीं रोकूंगी तुझे....

अभय रुक के संध्या की बात सुन उसे गोद में उठा बेड में बैठा के....

अभय –(रमन से) तुम जाके अपने कमरे में आराम करो....

रमन – वर्ना....

अभय –(रमन की आखों में आंखे डाल के) वर्ना वो हॉल करूंगा जिंदगी भर के लिए कमरे से बाहर निकलने को तरस जाएगा तू और ये बात तू अच्छे से जनता है....

अभय की बात सुन रमन चुप चाप संध्या के कमर से बाहर निकल गया उसके जाते ही....

अभय –(संध्या से) आखिर क्यों तू मेरे पीछे पड़ी है मेरा बचपना तो बर्बाद कर दिया तूने तुझे समझ क्यों नहीं आती है बात मेरी बहुत मुश्किल से संभला हूँ मैं तू जानती है अगर मुझे मां (शालिनी) और दीदी (चांदनी) ये दोनो ना मिले होते तो शायद मैं कब का मर गया होता या फिर होता कही गुमनामी की जिंदगी जी रहा होता अभी भी बोलता हूँ तुझे समझ बात को मेरी मेरे दिल में तेरे लिए कुछ भी नहीं है में सब कुछ भुला के आगे बढ़ गया हूँ....

संध्या –(रोते हुए) तू तो आगे बढ़ गया लेकिन मैं कहा जाऊं मैं उस दिन से लेके आज तक वही रुकी हुई हूँ सिर्फ तेरे इंतजार में....

अभय –(संध्या की बात सुन आंख से एक बूंद आंसू आ गया) काश तू उसी दिन आ गई होती मेरे पास तो शायद आज....

बोलते बोलते अभय का गला भर आया जिसके बाद अभय निकल गया संध्या के कमरे से चला गया अपने कमरे में उसके जाते ही....

शनाया –(संध्या के कमरे में आके आसू पोछ गले लगा के) चुप हो जा तू....

संध्या – तुने सुना न क्या कहा उसने....

शनाया – हा सुना मैने सब तू घबरा मत में हूँ न तेरे साथ में बात करती हु अभय से....

संध्या – नहीं तू मत जाना कही ऐसा ना हो वो तुझे भी गलत समाज बैठे....

शनाया – ऐसा कुछ नहीं होगा तू चिंता मत कर (संध्या को पानी पिला के) तू आराम कर बस बाकी मुझपे छोड़ दे सब कुछ....

बोल के शनाया संध्या को बेड में लेता लाइट , कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर निकल गई सीधा चांदनी के पास जहां शालिनी और चांदनी सोने की तैयारी कर रहे थे....

शालिनी –(शनाया को देख) आओ शनाया मै तुम्हारे पास आ रही थी....

शनाया – मेरे पास कोई काम था आपको....

शालिनी – कोई काम नहीं बस कमरे में सोने को लेके....

शनाया – ओह में भी यही बताने आई थी मैं संध्या के साथ सोने जा रही हू आप दोनो यही सो जाओ साथ में वैसे भी अभय भी अपने कमरे में सोने गया है....

शालिनी – अभय सोने चला गया जल्दी आज....

शनाया – हा कॉलेज भी जाना है कल इसीलिए....

शालिनी – अरे हा में तो भूल ही गई थी उसके कॉलेज का ठीक है कल बात करूंगी उससे....

बात करके शनाया कमरे से निकल गई सीधा अभय के कमरे में दरवाजा खटखटा के.....

अभय –(कमरे का दरवाजा खोल सामने शनाया को देख) अरे आप आइए....

शनाया –(कमरे में आके) कैसे हो तुम....

अभय – मै ठीक हु आप बताए आप तो भूल ही गई जैसे मुझे....

शनाया – ऐसी बात नहीं है अभय....

अभय – तो बात क्या है वहीं बता दो आप कब तक छुपाओगी बात को....

शनाया – भला में क्यों छुपाओगी बात तुमसे....

अभय – ये तो आपको पता होगा....

शनाया – तुम इस तरह से बात क्यों कर रहे हो मुझसे....

अभय – ये सवाल मेरा होना चाहिए आपसे प्यार का दिखावा करते हो और खुद दूर हो जाते हो किसके कहने पर किया अपने ऐसा बोलो....

शनाया – अभय ऐसी कोई बात नहीं है....

अभय – अगर ऐसी बात नहीं है तो क्यों झूठ बोला आपने की आप मुझसे प्यार करते हो....

शनाया –(आंख में आसू लिए)मैने कोई झूठ नहीं बोला तुमसे अभय मै सच में प्यार करती हु लेकिन....

अभय – लेकिन क्या यही की मेरे पास कुछ नहीं है आपको देने के लिए इसीलिए....

शनाया – (अभय के गले लग के) मैने सच बोला था मैं प्यार करती हु तुझसे आज भी करती हूं हमेशा करती रहूंगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए तुझसे....

अभय –(गले लगी शनाया के सिर पे हाथ फेरते हुए) तो किस बात से डरती हो क्या पायल के लिए डर लगता है , मैने कहा था ना मैं सम्भल लूंगा पायल को वो मान जाएगी बात मेरी इसके इलावा अगर कोई और बात हो तो बताओ मुझे....

शनाया –(गले लगे हुए ना में सिर हिला के) कोई बात नहीं है बस एक बात बोलनी है....

अभय – एक शर्त पर....

शनाया – क्या....

अभय –(शनाया के आसू पोछ अपने बेड में लेटा खुद बगल में लेट के) अब बोलो क्या बोलना है....

शनाया – अगर किसी ने हमें एक साथ ऐसे देख लिया तो....

अभय –(कमरे का दरवाजा लॉक करके) अब ठीक है जो भी आएगा उसे दरवाजा खटखटाना पड़ेगा पहले....

शनाया –(हस्ते हुए) तुम बहुत तेज हो गए हो....

अभय –(हस्ते हुए) आपकी संगत का असर है मैडम (शनाया के गल पे हाथ रख) अब बताइए क्या बात है....

शनाया – कोई बात नहीं है अभय....

अभय – सिर्फ एग्जाम होने की वजह से आप मेरे पास नहीं आई ये वजह तो नहीं हो सकती है....

शनाया –(मुस्कुरा के) अच्छा उस रात तुम्हारे पास नहीं आई इसीलिए बोल रहे हो तुम....

अभय – (मुस्कुरा के) बिल्कुल भी नहीं अगर ऐसा होता तो आप आज भी नहीं रुकती मेरे पास चलो अब बता भी दो बात को अगर सच में आप प्यार करती हो मुझसे....

शनाया –(मू बना के) तुम बार बार ऐसा क्यों बोल रहे हो प्यार नहीं करती मै तुमसे....

अभय –(मुस्कुरा के) फिर क्या बोलू बताओ आप....


GIF-20241105-214310-259
जवाब में शनाया चूमने लगी अभय को जिसमें अभय पूरा साथ दे रहा था शनाया का
kissing-001-7
काफी देर तक एक दूसरे को चूमने के बाद शनाया हल्का मुस्कुरा के अपनी नाइटी उतार दी उसी बीच अभय ने अपने कपड़े उतार दिए
02
यू जिसके बाद शनाया अभय के गले लेग्स चूमे जा रही थी और अभय ने मौके पर शनाया की ब्रा खोल दी
03
अपने बेड में लेटा के एक हाथ से शनाया की कच्ची में छिपी चूतपर हाथ फेरने लगा 04
तो दूसरे हाथ से बूब्स पे हाथ फेरने लगा इस दोहरे हमले से शनाया का शरीर तिलमिला रहा था 06
शनाया की तिलमिलाहट देख अभय ने अपना मू शनाया के बूब्स में रख चूसने लगा जिस वजह से शनाया को अंजना सा एक नया एहसास मिल रहा था 07
बस प्यार से अपने कोमल हाथों से अभय के गालों पे हाथ फेर रही थी जो इस वक्त बूब्स चूसने में लगा था 08
यू जिसके बाद अभय अपना मू हटा के अपने हाथ को शनाया के कमर से नीचे ले जाके पैंटी को पकड़ नीचे कर दिया जिसमें शनाया ने मुस्कुरा के अपनी कमर उठा के साथ दिया
taking-off-he-4231
शनाया की साफ चूत देख अभय ने फौरन ही छूट को प्यार से चूम लिया

09
जिस वजह से शनाया को अपने शरीर में एक झटका सा लगा कुछ बोलने को हुई थी शनाया लेकिन ये मौका उसे ना मिल पाया क्योंकि अभय चूत को चूमने के साथ अपनी जबान को तेजी से चलने लगा जिस वजह से शनाया नए एहसास के आनंद के मजे में खो गई 10
अभय के चूत चूसने की तेजी से शनाया उस आनंद में इतना खो गई उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका हाथ अभय के सर पे चला गया 11
एक हाथ से अभय के सर को अपनी चूत में दबाए जा रही थी तो दूसरे हाथ से बेड शीट पर अपनी मुट्ठी का ली थी उसने12
जिसके बाद अभय चूत से मू हटा के शनाया के पेट से उसकी गर्दन तक अपनी जबान चलते हुए हुए ऊपर आके दोनो ने होठ मिल के एक दूसरे को चूमने लगे 13
जिसके बाद शनाया धीरे से नीचे जा के अभय के अंडरवियर को नीचे कर लंड पर अपनी जबान चलाने लगी
14
और तुरंत अपने मू में ले लिया 15
लंड को चूसने के दौरान अभय ने एक हाथ शनाया के सर पे रखा तो दूसरे हाथ से उसकी मोटी गांड़ पर फेरने लगा16
अभय अपने बेड में बैठ गया और शनाया पेट के बल लेट अभय के लंड को लॉलीपॉप की भाटी चूस जा रही थी इस आनंद में अभय भी अपने हाथ से शनाया की गांड़ में चारो तरफ घुमाए जा रहा था
17
कुछ देर में अभय खुद टेडा लेट के शनाया को अपने ऊपर लाके 69 की पोजीशन में दोनो एक दूसरे के अंगों का मजा ले रहे थे
18
लेकिन अभय की जबान ने पहले की तरह अपना कमल फिर दिखाया जिस वजह से शनाया को फिर से झटका लगा 19
शनाया – (मदहोशी में) तुम कमाल के हो अभय तुमने तो मुझे हिला डाला सिर से पाओ तक....

अभय –और आप भी कम कहा हो....

बोल के मुस्कुराते हुए शनाया घूम के अभय के ऊपर आ गई आते ही अभय के लंड को अपनी चूत में लेने लगी धीरे धीरे दर्द को सहते हुए नीचे हों एलजी जिसमें अभय ने शनाया की कमर को कस के पकड़ शनाया को ऊपर नीचे करने लगा
20
धीरे धीरे दर्द का एहसास के जाने से शनाया कमर को तेजी से ऊपर नीचे करने लगी साथ ही अभय इसमें पूरी मदद करने लगा शनाया कि
21
अपनी काम लीला में दोनो पूरी तरह खो चुके थे 22
कभी एक दूसरे को बेइंतहा चूमते साथ एक दूसरे के अंगों को सहलाए जा रहे थे 23
इसी बीच शनाया के ऊपर नीचे होने की रफ्तार कम पड़ने लगी जिसके बाद अभय ने शनाया को पलट उसके ऊपर आके मोर्चा संभाला 24
और लंड को चूत में डाल के तेजी से हचक के चोदने लगा शनाया को 25
आज शनाया को जिंदगी के सीसीएस असली आनंद की प्राप्ति हो रही थी
26
ओए जिसका एहसास अभय को भी मिल रहा था दोनो की सिसकियां और थप थप की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी
27
एक दूसरे को अपनी बाहों में जैसे समाने में लगे हुए थे दोनों
28

29
इतनी देर की मेहनत रंग लाने लगी दोनो की tumblr-otd0qg-JG3j1v99polo1-400
दोनो एक दूसरे को चूमते हुए परम आनंद की कगार में आ गए
30
अभय और शनाया ने एक साथ चरमसुख को प्राप्त कर लिया जिसके बाद....

शनाया –(लंबी सास लेते हुए) तुम सच में बहुत वाइल्ड हो गए थे....

अभय –(लंबी सास लेते हुए) मजा नहीं आया आपको....

शनाया –(मुस्कुरा के) बहुत मजा आया मुझे आज पहली बार सेक्स में , मुझे तो पता ही नहीं था इतना मजा भी आता है इसमें....

अभय –(मुस्कुरा के) लगता है आपने पहली बार किया है आज....

शनाया – हा अभय मैने आज से पहले कभी ऐसा सेक्स नहीं किया था....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा फिर कैसा किया था सेक्स अपने....

शनाया – मै जब भागी थी घर से जिस लड़के के साथ तब मंदिर में शादी की थी हमने उसके बाद वो मुझे अपने दोस्त के घर में ले गया था वहां पर हमने बस उस रात वक्त बिताया था लेकिन वो सेक्स नहीं कर पा रहा था और तब मुझे पता नहीं था इतना सेक्स के बारे में बस उस रात के बाद जब सुबह मेरी नींद खुली देखा वो गायब हो गया मैने सोचा गया होगा खाने को लेने लेकिन वो वापस नहीं आया लेकिन उसका दोस्त और उसकी बीवी आ गए घर वापिस तब उसने भी पता लगाया लेकिन कही पता ना चला उसका उसके बाद मुझे पता चला जब मैने अपना सामान देखा जेवर पैसे सब गायब थे बाकी का तो तुम जानते हो....

बोलते बोलते शनाया कि आंख से आसू आ गए थे....

अभय –(शनाया के आंख से आसू पोछ के) भाड़ में जाए वो अब से उसके बारे में आपको याद करने की कोई जरूरत नहीं है अब से मै हूँ आपके साथ हमेशा के लिए....

शनाया –(गले लग के) तुम मुझे छोड़ के नहीं जाओगे ना....

अभय –(मुस्कुरा के) जिसकी कसम खिला दो मै हमेशा साथ रहूंगा आपके....

शनाया –(अभय का हाथ अपने सिर में रख के) कसम खाओ मेरी मै जो बोलूंगी मानोगे तुम और करोगे भी....

अभय –(मुस्कुरा के) इसमें कसम देने की क्या जरूरत है....

अभय की बात पर शनाया घूर के देखने लगी अभय को जिसे देख....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा बाबा मै कसम खाता हु जो भी बोलोगी मै वही करूंगा और मानूंगा भी (शनाया के सिर से हाथ हटा के) अब खुश हो आप....


loving-caress-001
शायना –(मुस्कुरा अभय के गले लग के) हा बहुत खुश हूँ , अब से तुम किसी को नहीं बताओगे हमारे रिश्ते के बारे में पायल को भी नहीं....

अभय –(चौक के) लेकिन....


tumblr-m4crzwko571rwyf7ko1-250
शनाया –(अभय के मू पर उंगली रख के) अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई चुप चाप सुनो मेरी बात बस....

शनाया की बात सुन हा में सिर हिला के....

शनाया – अब मैं जो बोलने जा रही हू वो तुम्हे मानना पड़ेगा समझे तुम संध्या से इतना रुडली (Roodli) बात जो करते हो वो सही नहीं है समझे मां है वो तुम्हारी....

शनाया की बात सुन अभय घूरने लगा....

शनाया –(अभय के घूरने को समझ उसके गाल पे हाथ रख के) अभय दुनिया में गलती इंसान से ही होती है मानती हूँ संध्या से गलती हुई है इसका मतलब ये तो नहीं उसे एक मौका भी ना दिया जाएं प्लीज मत कर उसके साथ ऐसा जैसी भी सही भले तू मा नहीं मानता उसे लेकिन वो भी इंसान ही है ना तुझे क्या लगता है कि शालिनी जी को अच्छा लगता होगा जब संध्या के सामने तू उसे मा बोलता है ,सच बोलना तुम अभय....

अभय –मै मानता हु बात ये सच है लेकिन एक बात ये भी सच है मैने उसे मां मानना बहुत पहले छोड़ दिया था....

शनाया –(अभय के कंधे पे हाथ रख) तो ठीक है भले तू उसे अपना कुछ नहीं मानता लेकिन अब से तू संध्या के साथ सही से पेश आएगा क्या मेरे लिए इतना कर सकता है तू....

अभय –(हल्का हस के) आपके लिए कुछ भी करूंगा मै....

शनाया –THATS LIKE MY LOVE....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा मैने तो आपकी बात मान ली अब एक सच आप भी बताओ मुझे....

शनाया –हा पूछो ना जो मन में आय सब बताओगी तुम्हे....

अभय – वो क्या लगती है आपकी जो उसके लिए इतना कर रहे हो आप....

शनाया –(अभय का सवाल सुन हसी रोक के) अगर मैं बता दूं तो तू दूर तो नहीं जाएगा मुझसे....

अभय –(शनाया का हाथ अपने हाथ में लेके) वादा किया है हमेशा आपके साथ रहने का चाहे कुछ भी हो जाय हमेशा आपसे प्यार करता रहूंगा और साथ रहूंगा....

शनाया –(अपनी आंख बंद करके) संध्या मेरी सगी जुड़वा बहन है अभय....

इसके बाद शनाया चुप हो गई बिना अपनी आंख खोले जिससे अभय का रिएक्शन ना देख सके तभी....

अभय –(शनाया के गाल पे हाथ रख के) तो अब तक छुपाया क्यों आपने मुझसे....

शनाया जिस बात के डर से उसे लगा कि अभय का रिएक्शन कही अलग न हो लेकिन जिस तरह से अभय का जवाब आया उसे सुन अपनी आंख खोल के....

शनाया –(हैरानी से अभय को देखते हुए) तुम इस तरह....

अभय –(शनाया हाथ पकड़ के) जब मैने आपसे कहा कि मैं उसे मां नहीं मानता तो फिर उस हिसाब से आप मेरी क्या हुई कुछ नहीं बल्कि आप सिर्फ मेरे लिए वैसी हो जैसे मैं पायल को मानता हूँ बस....

अभय की बात सुन शनाया गले लग गई अभय के....

अभय –(सिर पे हाथ फेर के) चलिए सो जाइए अब सुबह कॉलेज भी जाना है हमे....

शनाया –मै अपने कमरे में जा रही हू....

अभय –क्यों यही सो जाइए ना....

शनाया – नहीं अभय संध्या को मेरी जरूरत पड़ सकती है तुम जानते हो ना उसकी हालत....

अभय –हम्ममम....

शनाया बोल के बेड से उठ जैसे ही जमीन में पैर रखा तुरंत बेड में बैठ गई....

अभय –(शनाया को संभालते हुए) इसीलिए बोल रहा था यही सो जाओ आप....

शनाया –(मुस्कुरा के) बड़ा पता है तुम्हे , मै नहीं रुकने वाली....

अभय –(मुस्कुरा के अपने बैग से पैंकिलर पानी के साथ शनाया को दे के) इसे लेलो आप सुबह तक आराम हो जाएगा आपको....

उसके बाद अभय ने खुद शनाया को कपड़े पहना दिए जिसके बाद....

शनाया –(अभय के गाल में किस करके) GOOD NIGHT MY LOVE....

अभय – GOOD NIGHT LOVE....

बोल के शनाया संध्या के पास चली गई संध्या के बगल में लेट ही उसे पता चल गया संध्या गहरी नींद में सो रही है जिसके बाद शनाया भी सो गई अगले दिन सुबह सब तयार होके नीचे हॉल में आ गए अभय अपने कमरे से निकला तभी....

शालिनी –(अभय से) नींद अच्छी आई तुझे....

अभय –जी मां....

शालिनी – (प्यार से अभय के सर पे हाथ फेर के) संध्या को नीचे ले चल तू मै उसे बाहर लेके आती हु....

शालिनी बोल चांदनी के साथ संध्या के कमरे में चली गई जहां संध्या बैठी थी शनाया बाथरूम से निकल रही थी उसकी अजीब चाल देख....

शालिनी –तुझे क्या हुआ शनाया ऐसा क्यों चल रही हो....

शनाया –(मुस्कुरा के) बाथरूम में पैर स्लिप हो गया था मेरा तभी....

शालिनी –तुम ठीक हो ना नहीं तो आज कॉलेज मत जाओ....

शनाया –नहीं दीदी मै ठीक हु पैन्किलर लेलूगी ठीक हो जाएगा जल्दी ही....

शालिनी –ठीक है (संध्या से) तुम तयार नहीं हुई चलो मैं तैयार करती हु....

संध्या –अरे नहीं दीदी मै तैयार हो जाऊंगी खुद....

शालिनी –(मुस्कुरा के) हा हा पता है चल मै तैयार करती हु तुझे जब ठीक हो जाना फिर खुद होना तयार....

संध्या को तैयार करके चारो एक साथ कमरे से बाहर निकले जहा अभय बाहर इंतजार कर रहा था चारो के बाहर आते ही अभय से संध्या को अपनी गोद में उठा सीडीओ से नीचे आने लगा इस बीच संध्या हल्का मुस्कुरा के सिर्फ अभय को देखे जा रही थी जिसे देख शालिनी , चांदनी और शनाया मुस्कुरा रहे थे कुर्सी में बैठा के अभय खुद बगल में बैठ गया जहा ललिता और मालती खुश थे अभय को इस तरह देख के नाश्ता परोस के सबने खाना शुरू किया इस बीच संध्या नाश्ता कम अभय को ज्यादा देख रही थी....

चांदनी –(धीरे से संध्या को) मौसी आपक अभय अब यही रहेगा हमेशा के लिए dont worry आप नाश्ता करो बस....

संध्या –(हल्का हस के) हम्ममम....

नाश्ते के बाद चांदनी हवेली में रुक गई संध्या के साथ शालिनी अपने साथ अभय ओर शनाया को लेके कॉलेज की तरफ निकल गई रस्ते में....

शालिनी –अभय आज से तू अकेला कही नहीं जाएगा....

अभय –(मुस्कुरा के) मा आप बिल्कुल भी परेशान मत हो कुछ नहीं होगा मुझे....

शालिनी – तुझे कोई एतराज है अकेले बाहर न जाने से....

अभय –(शालिनी के हाथ में अपना हाथ रख के) मां किसी में इतनी हिम्मत नहीं आपके बेटे को छू भी सके कोई मै जनता हूँ आप कल के हादसे से परेशान हो....

शालिनी –तू समझ नहीं रहा है अभय वो जो भी है वो....

अभय –(बीच में बात काट के) यही ना कि उसने मुझे ओपिन चैलेंज दिया है....

शालिनी –(हैरानी से) तू ये कैसे कह सकता है....

अभय –(हस के) तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम , इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम , यही लिखा था न उस कागज में मां , मै अच्छे से समझ गया था उसे पढ़ के की उसने मुझे चैलेंज दिया है....

शालिनी –(कुछ सोच के) आखिर कौन हो सकता है वो....

अभय –ये बात तो पक्की है मां वो जो भी है मुझे जनता है अच्छे से....

शालिनी –(अभय की बात सुन) मुझे लगता है अभय गांव में अब सबको पता चल जाना चाहिए तू कौन है....

अभय –नहीं मां....

शालिनी –लेकिन क्यों बेटा....

अभय –मां मुझे लगता है वो जो भी है वो भी यही चाहता है कि पूरे गांव को पता चल जाय मेरे बारे में....

शालिनी – (चौक के) क्या मतलब है तेरा और वो क्यों चाहेगा कि तेरे बारे में पूरे गांव को पता चले इसमें उसका क्या फायदा....

अभय – यही बात तो मुझे समझ नहीं आ रही है मां....

तभी कॉलेज आ गया अभय और शनाया उतर के जाने लगे तभी शालिनी ने अभय को अपने पास बुलाया....

अभय – हा मा....

शालिनी – तू गन रखता है अपने पास आज भी....

अभय –हा मा रखता हु....

शालिनी – प्लीज ध्यान रखना अपना देख तुझे कुछ हो गया तो....

अभय –(बीच में बात काट के) मां उस पहेली का जवाब पता है आपको क्या है....

शालिनी –क्या जवाब है उस पहेली का....

अभय –पहेली (वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन) जवाब है INSAAF....

शालिनी –(हैरानी से) किस चीज का INSAAF मांग रहा है वो....
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️

Nice and waiting 👍🏼
 
Top