• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204
Or last me abhay ne shalini ko bhi maa bol diya lagta ha yaddasht ja e ke bad bhi sandhya ke prati nafrat kam nahi hui ha abhay ki tabhi to sandhya ko batana pada abhay ko ki wo uski maa ha lekin shalini ko turant pahchan liya
Is bare me next update me janne ko milega bhai jald he
 

dhalchandarun

Everything in the world will come to end one day.
3,729
7,387
144
Thank you sooo much Rekha rani ji
.
Waise meri plaining to pehle se thi is bat ko leke lekin public ko jada jaldi thi Chandni ko leke kya kr sakta ho isme sabar hota kaha hai ye bat aapse behter kaun janta hoga Rekha rani ji
So is stage me change ka plan tha mera pehle se
Kher aage Shalini or Gite Devi ke mind me kya chal raha hai jo Arjun samj chuka hai jald janne ko milega
Lekin aapne kahin aisa socha hai ki Abhay ke dimag se sab kuchh chala gaya to wo dono(Shalini aur Geeta Devi) Abhay ko Shandhya ke karib le aaye to ye bahut bekar hoga, kyonki ek rishta tabhi strong banta hai jab uski bunyaad sach par tiki ho, isliye behtar hoga ki dono ladies Abhay ke mind mein apne Mann ki karne ki bilkul bhi koshish na karen.

Ha yadi unke mind mein kuchh bura planning chal raha ho to ye ek dhamaka hoga sabke liye.

Ek aur baat yadi kisi ki mind ki memory chali gayi hai to koi bhi doctor kitna bhi test kyon na kar le exact date nahi bata sakta hai memory wapas aane ka.

Arey mere pura karne se pahle hi iska reply aa gaya..

DEVIL MAXIMUM
 
Last edited:

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204
Idhar ye lo chandni ko abhay se pyar ha sara mamla hi khatm raj bhai ka dil tutne wala ha bahut joro se
Pyar ka ehsaas to apne pyar ko chor lagne per hota hai bhai or is mamle me Chandni ko asli taklif ab hue or tabhi ehsaas hua pyar ka use
.
Kher aage pata chlega baki ki bat ka bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204
Raj_sharma bhai aakhirkar bure logon ki najar lag hi gayi na 😂😂😂😂😂😂 unse tumhari do pal ki khushi dekhi nahi gayi bhai dekha chandni ko chhin liya tumse aakhirkar

Ab iske liye aapki taraf se dukh hari 4 panktiyan ho jaye
Ek song yad aagya mujhe
.
Jab Dil He Toot Gyaa
Hum Jee Ke Kyaa Kreee
.
😂😂😂😂😂
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204
@DEVIL MAXIMUM :beee: Ye main kya sun raha hu be:slap:Tumne hiro ko hi side me laga diya bc.
Btw main to ab tak abhay ko hi hiro samajh raha tha
:lol1:
Bhai mai bhi abhi tak yhe samj Raha tha lekin yaha to Ganga he Ulti beh Rhee hai jane kya hoga ab🤔🤔
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,781
26,817
204
Lekin aapne kahin aisa socha hai ki Abhay ke dimag se sab kuchh chala gaya to wo dono Abhay ko Shandhya ke karib le aaye to ye bahut bekar hoga ha yadi unke mind mein kuchh bura planning chal raha ho to ye ek dhamaka hoga sabke liye.
EXCELLENT bhai
.
Bilkul sahi kaha hone ko kuch bhi ho sakta hai story me
 

only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
576
749
93
S
UPDATE 51


इस वक्त हवेली में एक गहरा सन्नाटा था और इसी बीच इस सन्नाटे को चीरते हुए एक आवाज तेजी से आने लगी जैसे कोई किसी को मदद के लिए पुकार रहा हो....

संध्या – (चिल्लाते हुए) सुनिए कहा हो आप....

मनन ठाकुर – अरे क्या हुआ तुम इस तरह चिल्ला क्यों रही हो....

संध्या – (आंख में आसू लिए) ये देखिए ना क्या हुआ अभय को कितना खून निकल रहा है इसका....

ठाकुर रतन सिंह –(बीच में आते हुए) क्या बात है क्या हुआ अभय को....

संध्या – देखिए ना बाबूजी अभय की उंगली में चोट लग गई है....

ठाकुर रतन सिंह –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अले अले अले मेरे बच्चे को चोट लग गई देखूं तो मैं (अभयं की छोटी सी उंगली को देख जिसमें हल्का सा एक बूंद खून लगा था) बस इतनी सी लगी कोई बात नहीं मेरा बेटा तो शेर है मामूली चोट से कुछ नहीं होगा उसे....

छोटे से अभय को पुचकारते हुए ठाकुर रतन सिंह गोद में लिए अभय के साथ मस्ती करने लगे जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह – (संध्या से) बहू रसोई से जाके चाय की पत्ती ले आओ थोड़ी अभय की उंगली में लगा दो आराम मिल जाएगा तुरंत इसे....

जिसके बाद संध्या तुरंत रसोई से चाय की पत्ती लाके अभय की उंगली में लगा देती है जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह –(संध्या से) इतना भी डरने की जरूरत नहीं है बहू ये ठाकुर रतन सिंह का पोता है कोई मामूली ठाकुर नहीं है ये....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के अपने पिता की गोद से अभय को लेके) देखा संध्या कैसे चुप चाप मस्ती कर रहा है अपने दादा के साथ ये , तुम्भी ना बेवजह इतना घबराती हो....

ठाकुर रतन सिंह –(मनन के कंधे पे हाथ रख के) नहीं बेटा इसे घबराना नहीं मां का प्यार होता है उसकी चिंता होती है अपने बच्चे की हल्की सी तकलीफ मां को बेचैन कर देती है हा ये हमारे लिए मामूली जरूर है लेकिन एक मां की नजर से देखोगे तब तुम्हे समझ आएगा इसका मतलब....

अपने पिता की बात सुन मनन ठाकुर मुस्कुरा के संध्या और अभय को देखने लगा जिसके बाद....

मनन ठाकुर – (संध्या से) अब तो ठीक है ना अभय देखो अब खून नहीं निकल रहा है इसका और कितना हस रहा है....

संध्या – (अभय को देख) जी बिल्कुल सूरत आपके जैसी सही लेकिन हरकत अपने दादा जैसी है इसकी....

ठाकुर रतन सिंह – (हस्ते हुए) आखिर पोता किसका है....

सुनैना –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अब बस भी करिए आप दोनो मेरे पोते को नजर लगाओगे क्या....

ठाकुर रतन सिंह – (मुस्कुरा के) अरे देवी जी अपनो की नजर कभी नहीं लगती सिर्फ दुआ लगती है समझी आप....

सुनैना – बस बस मुझे मत बताइए आप अच्छे से समझती हु मै....

सुनैना की बात सुन सभी मुस्कुराने लगे और फिर अचानक से पूरा दृश्य बदल गया जहा सभी मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपने कमरे में मनन ठाकुर के साथ बैठी बेड में एक तरफ मनन ठाकुर बेड में लेटा था वही घर के बाकी सदस्य जैसे ललिता , प्रेम , मालती और रमन कमरे में खड़े थे और संध्या जिसे देख....

संध्या –(रोते हुए) आप चिंता मत करिए आप ठीक हो जाओगे जल्द ही....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) मै सब जनता हूँ संध्या लेकिन अफसोस सिर्फ एक बात का रहेगा मुझे मेरी मां को ढूंढ नहीं सका मै जाने कहा होगी मेरी मां....

रमन – (आंख में आसू लिए) हिम्मत मत हारो भाई मै ढूंढ लाऊंगा मां को फिर देखना हम सब एक बार फिर से हसी खुशी साथ में पहले की तरह रहेंगे....

मनन ठाकुर – (आंख में आसू लिए) काश ऐसा हो पता रमन काश (संध्या का हाथ पकड़ के) तुम घबराना मत संध्या अब तुम्हे सब संभालना है सब कुछ हवेली के साथ हमारे अभय को भी....

संध्या –(रोते हुए) ऐसा मत बोलिए आप मै अकेले आपके बिना नहीं कर पाऊंगी सब....

इससे पहले संध्या आगे कुछ बोलती मालती और ललिता की रोनें की आवाज आने लगी जिसे संध्या ने पलट के एक पल देख के तुरंत मनन की तरफ देखा जिसकी आंखे खुली थी लेकिन शरीर साथ छोड़ चुका था उसका जिसे देख संध्या जोर जोर से रोने लगी साथ में प्रेम और रमन भी काफी देर तक चलता रहा ये सिलसिला तभी संध्या के सिर पर किसी ने हाथ रखा....

मनन ठाकुर –(संध्या के सिर पर हाथ फेरते हुए) रो मत संध्या अगर तुम ऐसे रोगी तो कैसे संभाल पाओगी सबको....

संध्या –(अपना रोते हुए अपना सिर उठा के मनन को अपने सामने खड़ा देख गले लग के) नहीं सम्भल पाई कुछ भी नहीं कर पाई किसी के लिए कुछ भी ना गांव के लिए ना अभय के लिए गिर गई मैं उसकी नजरों में हमेशा के लिए कितना दूर चल गया अभय मुझसे क्यों चले गए आप मुझे छोड़ के अकेला....

मनन ठाकुर –(गले लगी संध्या के सिर में हाथ फेरते हुए) मै कहा गया तुझे छोड़ के तेरे ही साथ था मैं बस रूप ही तो बदला है मेरा पहले मै था अब अभय के रूप में में हो साथ तेरे....

बात सुन संध्या अलग होके मनन को देखते हुए....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) ऐसे क्या देख रही हो संध्या , अभय मेरा ही तो अंश है भला तुझे कैसे अकेला छोड़ देता मै बस भटक गए थे कुछ वक्त के लिए तुम दोनो लेकिन अब देखो साथ है हम और अब तेरा साथ नहीं छोडूंगा कभी....

तभी संध्या को अभय की आवाज आने लगती है....

अभय – मां....

आवाज सुन के संध्या नींद से जागके देखती है अभयं को जो बेहोश में मा मा बोले जा रहा था जिसे सुन....

संध्या –(चिल्ला के) डॉक्टर डॉक्टर (अभय का हाथ पकड़ के) मै यही हूँ तेरे साथ....

संध्या की आवाज सुन डॉक्टर के साथ सोनिया , शालिनी और चांदनी जो बगल के कमरे में लेते थे संध्या की आवाज सुन भागे चले आए....

सोनिया और डॉक्टर अभय के कमरे आके चेक करने लगे अभय के तब सोनिया ने संध्या से कहा....

सोनिया – (मुस्कुरा के) अभय को होश आ गया है....

संध्या – (अभय को सोता देख) लेकिन ये तो अभी भी सो रहा है....

सोनिया – हा क्योंकि कही होश में आके अभय अपनी बॉडी पर जोर ना दे ज्यादा इसीलिए मैने पहले से ही पैंकिलर का हेवी डोस दिया था जिसकी वजह से अभय को पेन में राहत मिल गई जल्दी और होश भी आगया अब कल सुबह तक वैसे ही उठेगा अभय जैसे रोज उठता है....

संध्या – (सोनिया की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) शुक्रिया सोनिया....

सोनिया – (संध्या की बात पर) कोई बात नहीं ये मेरा काम है चलिए अब आप सब आराम करिए काफी रात हो चुकी है किसी ने भी आराम नहीं किया है सही से....

संध्या – (सोनिया से) अर्जुन कहा है सो रहा है क्या...

शालिनी – अर्जुन और राज अस्पताल के बाहर गए है किसी को नींद नहीं आ रही थी तो सबके लिए चाय लेने गए है दोनो....

अर्जुन –(राज के साथ कमरे में आके) मुझे याद किया मै आ गया क्या हुआ....

सोनिया – अभय को होश आ गया है कल सुबह तक नॉर्मल ट्रैक से उठ जाएगा....

अर्जुन – होश आ गया कल सुबह नोर्मल मतलब....

सोनिया – पेनकिलर के हैवी डोस के कारण सो रहा है अभी अभय....

अर्जुन – ये तो बहुत खुशी की बात है....

राज – मै सबको बता देता हू कॉल करके....

अर्जुन – रुको कल सुबह जब सब आएंगे तब बताना अभी नहीं आराम करने दो सबको सुबह से सब यही थे कल आगे तब बताना आप सब आराम करिए....

बोल के अर्जुन राज के साथ बाहर निकल गया....

चांदनी – (बाहर आके राज से) राज मा और बाबा अचानक से जल्दी क्यों चले गए घर किसका कॉल आया था....

राज – पता नहीं मुझे बोल के गए कि जरूरी काम है निपटा के जल्दी आ जाएंगे नहीं तो कल सुबह आयेंगे....

चांदनी – ठीक है तुम भी आराम कर लो जब तक....

राज – ठीक है....

कुछ और भी बोलना चाहता था राज लेकिन उसे मौका नहीं मिला क्योंकि चांदनी बोल के तुरंत वाली गई अभय के कमरे में जबकि रात में मालती , ललिता और सायरा हवेली से जब सबका खाना लेके आए थे तब सभी ने खाना खाया जिसके बाद संध्या ने सभी को जाने को बोला काफी ना नुकूर के बाद मालती , ललिता , रमन , अमन , निधि , सायरा , अलीता और शनाया चले गए हवेली उसके बाद संध्या ने अपने मू बोले भाई देवेंद्र ठाकुर , राघव और रंजना को भी भेज दिया वापस इतने लोगों के अस्पताल में रहने की सुविधा नहीं थी छोटे से अस्पताल में रह गए तो संध्या , चांदनी , शालिनी , अर्जुन और राज जबकि अर्जुन ने राजू और लल्ला अपने कुछ लोगो के साथ भेजा था आगे की जानकारी इक्कठी करने के लिए ये रात आज की खत्म हुई एक नए सवेरे के साथ और शालिनी की आंख खुल गई....

शालिनी ने जागते ही देखा बेड में अभय सोया हुआ था बगल में संध्या टेक लगाए सो रही थी और चांदनी एक तरफ कुर्सी में बैठे अभय को देख रही थी जिसे देख....

शालिनी – (चांदनी के पास जाके धीरे से) तू सोई नहीं रात भर....

चांदनी – मां मै अभय के बिना नहीं रह सकती हूँ मां....

बोल के चांदनी कमरे से बाहर निकल गई पूछे से शालिनी जल्दी से बाहर आ गई जहां एक तरफ मू करके अस्पताल की बालकनी में चांदनी खड़ी थी उसके पास जाके....

शालिनी – तू क्या बोल न चाहती है....

चांदनी –(आंख में आसू लिए) मैने बहुत सोचा मां लेकिन....

बोल के चांदनी रोने लगी जिसे देख शालिनी तुरंत गले लगा लिया....

शालिनी –(चांदनी के सिर पर हाथ फेरते हुए) हुआ क्या है तुझे आज ऐसा क्यों बोल रही है तू....

चांदनी – मा जब से अभय हमारे घर आया मै उसे पसंद नहीं करती थी लेकिन फिर जाने कैसे वो मुझे बहुत मासूम लगने लगा तब से मेरे दिल में उतर गया लेकिन कल से पहले तक ऐसा मुझे लगता था ये सिर्फ भाई बहन वाला प्यार है लेकिन नहीं मां ये वो प्यार नहीं है मां कल के हादसे के बाद मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो गया है पूरी रात मै यही सोचती रही लेकिन....

बोल के चुप हो गई चांदनी जिसे देख....

शालिनी – लेकिन क्या बोल आगे....

चांदनी –प्यार करती हूँ मां मै अभय से उसके बिना मै अपने आप को सोच भी नहीं सकती हूँ....

शालिनी – तू जानती है ना तू क्या बोल रही है , एक मिनिट क्या अभय भी....

चांदनी – मुझे नहीं पता मां....

शालिनी – तुम तो राज को पसंद करती हो ना फिर....

अर्जुन –(बीच में आके शालिनी के कंधे पे हाथ रख के) प्यार में कभी कभी ऐसा होता है शालिनी जी जब साथ होता है तो इंसान सोचता नही इस बारे में लेकिन जब वो दूर होने लगता है या गहरी तकलीफ में होता है तब एहसास होता है और उस एहसास को प्यार कहते है जो आज चांदनी को हुआ है और क्या पता यही एहसास अभय को भी हो जाय एक दिन....

शालिनी – जाने ये कैसी परीक्षा ले रहा है भगवान हमारी....

अर्जुन – घबराइए मत सब ठीक ही होगा आप कमरे में जाइए शालिनी जी चाची अकेली है चांदनी से बात करनी है अभी मैं आता हु चांदनी को लेके....

शालिनी चली गई कमरे में उसके जाते ही....

अर्जुन – (मुस्कुरा के चांदनी से) लगता है लिस्ट में तुम्हारे नाम आने वाला है लेकिन आगे का क्या सोचा है तुमने....

चांदनी – मै समझी नहीं आपकी बात....

अर्जुन – अभय तो गांव छोड़ के जाने से रहा और तुम....

चांदनी – रात भर मैने बहुत सोचा इस बारे में मैने फैसला ले लिया है रिजाइन देने का....

अर्जुन – और उससे क्या होगा....

चांदनी – जो करना है मै खुद करूंगी अपने बलबूते पर इतना टैलेंट है मेरे पास....

अर्जुन – और अगर मैं कहूं कि तुम अपने टैलेंट का उसे करो लेकिन मेरे कम में तो क्या फैसला होगा तुम्हारा....

चांदनी – (मुस्कुरा के) दुनिया के बड़े से बड़े लोग जिसका नाम सुन के काप जाते है उसे मेरे जैसे कि क्या जरूरत होगी....

अर्जुन – जरूरत अभी के लिए तुम्हे है अभय की और साथ में अभय को तुम्हारी रही मेरी बात तो जल्द ही तुम्हे पता चल जाएगा अभी के लिए सोचो राज का (एक तरफ इशारा करके) वो यही आ रहा है....

चांदनी – मै उसे सारा सच बता दूंगी भी....

अर्जुन – अभी नहीं हालफिलहाल अभय जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक....

चांदनी – ठीक है....

राज – (दोनो के पास आते ही) आप दोनो यहां क्या कर रहे हो सोनिया और डॉक्टर अभय के कमर एमे बैठे है बोल रहे है अभय को किसी भी समय उठता होगा चलो पहले वहां पर मै घर में कॉल करके बता चुका हु मा ओर बाबा आते होगे....

बोल के तीनों अभय के कमर में चले गए थोड़ी देर बाद गीता देवी , सत्या बाबू और उनके साथ एक खूबसूरत लड़की आई जिसे देख....

राज – (अपनी मां से इशारे में) कौन है ये.....

जिसे देख गीता देवी ने आखों से चुप रहने का इशारा किया राज को तभी पीछे से राजू और लल्ला आ गए अस्पताल में आते ही....

राजू – (राज से) क्या हुआ अभय को होश कब आएगा....

इससे पहले राज कुछ बोलता तभी अभय की आंख खुल गई जो अपने सिर में हाथ रख के उठने लगा तभी....

सोनिया – (अभय से) अब कैसा लग रहा है तुम्हे दर्द हो रहा है क्या....

अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) हा थोड़ा दर्द हो रहा है मेरे सिर में....

सोनिया – कोई बात नहीं थोड़ी बस देर में ठीक हो जाएगा दर्द....

अभय – गला सूख रहा है मेरा पानी....

संध्या – (पानी देते हुए) ये लो पानी....

अभय जल्दी से पानी पीने लगा जिसे देख....

सोनिया – आराम आराम से पियो पानी नहीं तो अटके है गले में....

अभय – (पानी पीने के बाद ग्लास वापस रख के) शुक्रिया (कमरे में सबको देख के) आप सब लोग कौन हो और मैं यहां पर कैसे आया....

अभय की बात सुन सभी हैरानी से उसे देख रहे थे जिसे देख....

सोनिया – कल आपका एक्सीडेंट हुआ था रस्ते में....

अभय – (चौक के) मेरा एक्सीडेंट और मेरा नाम क्या है मुझे याद क्यों नहीं आ रहा है....

और इसके साथ सभी जो अस्पताल में अभय के कमरे खड़े थे उनके दिमाग पर जैसे एक बॉम्ब फटा हो....

संध्या – (अभय के पास आके) अभय....

संध्या की आवाज सुन अभय गौर से उसे देखने लगा जैसे पहचानने की कोशिश कर रहा हो....

अभय – (संध्या को गौर से देखते हुए) कौन हो आप क्या मै आपको जनता हूँ....

संध्या – (अभय के गाल पे हाथ रख के) मै मां हूँ तेरी....

अभय –(संध्या की बात सुन) मां लेकिन मैं किसी को पहचान क्यों नहीं पा रहा हूँ....

सोनिया – (अभय को शांत करते हुए) कोई बात नहीं कल आपको सिर में चोट लगी थी शायद उसके वजह से ऐसा हो रहा हो आप अभी आराम करिए जल्दी सब ठीक हो जाएगा आपको सब याद आ जाएगा जल्द ही....

बोल के सोनिया ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया जिसे समझ सब जाने लगे संध्या भी जाने लगी लेकिन संध्या बाहर जा नहीं पाई क्यों की अभय ने संध्या के हाथ को पकड़ रखा था जिसे देख सोनिया ने इशारा किया संध्या को कमरे में रहने का....

संध्या – (अभय से) आराम कर तू मै यही हूँ तेरे साथ बस थोड़ी देर आराम कर अभी....

संध्या की बात सुन अभय आंख बंद करके बेड में वापस लेट गया....

सोनिया –(अभय से) बस अब आप अपने दिमाग में जोर मत डालिए नहीं तो फिर से दर्द होने लगेगा सिर आपका बाकी चिंता मत करिएगा जल्दी सब ठीक हो जाएगा आराम करिए मै अभी आती हु....

बोल के सोनिया तुरंत बाहर निकल गई कमरे से बाहर आते ही....

शालिनी – (सोनिया से) क्या बात है सोनिया ये अभय ऐसा रिएक्ट क्यों कर रहा है....

सोनिया – सिर में चोट लगने की वजह से लगता है अभय की यादाश्त चली गई है....

शालिनी – देखो सोनिया प्लीज तुम ऐसी बात मत करो भला ऐसा कैसे हो सकता है कि अभय की यादाश्त....

सोनिया – कल ही कहा था मैने सब ठीक कर दिया है बाकी अभय के होश आने पर बताया जा सकता है क्योंकि अभय के सिर के पीछे चोट लगी है जहां माइंड की सेंसिटिव नसे होती है सिर की उस हिस्से में चोट लगने से कुछ ना कुछ फर्क आता है बॉडी में....

अर्जुन – तो अब क्या अभय कब तक ठीक होगा कब आएगी यादाश्त उसकी....

सोनिया – शायद कुछ टेस्ट करके बता सकू मै उसके लिए हमें शहर जाना पड़ेगा यहां पर टेस्ट के लिए वैसी मशीन नहीं है....

शालिनी – कब जाना होगा....

सोनिया – अभी नहीं अभय को अभी होश आया है उसे ठीक होने दीजिए अभी फिर ले जाया जाएगा उसे टेस्ट के लिए....

चांदनी – लेकिन उठने के बाद फिर से पूछेगा तब....

सोनिया – तब तक के लिए सभी को संभालना होगा उसे....

शालिनी –(कुछ सोच के) सोनिया अगर अभय की यादाश्त वापस नहीं आई तो....

चांदनी – (चौक के) मां ये आप क्या बोल रहे हो....

गीता देवी – (बीच में) शालिनी जी बिल्कुल सही बोल रही है सोनिया तुम क्या कहती हो क्या इन सब से कोई फर्क पड़ेगा....

सोनिया – देखिए इस समय अभय एक खाली किताब की तरह है उसमें जो लिखोगे आप अभय उसे ही सच मानेगा और बाकी बात मै टेस्ट करके बता सकती हु....

अर्जुन – सोनिया तुम्हे टेस्ट के लिए जो भी मशीन चाहिए वो यही आ जाएगी आज शाम तक (शालिनी और गीता देवी को देख मुस्कुरा के) मै अच्छे से समझ गया आप दोनो क्या चाहते हो उम्मीद है टेस्ट के रेसुल अच्छे आय बस....

राज – तो अभय को हवेली ले जा सकते है अब....

सोनिया – हा अभय के उठते ही ले जा सकते है उसे हवेली....

बोल के शालिनी और गीता देवी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे....

ये नजारा एक शक्श की आंख से छुप नहीं पाया....

राजू – (राज को एक तरफ ले जाके) अबे एक बात तो बता ये गीता काकी और शालिनी जी के बीच क्या चल रहा है....

राज – (चौक के) अबे क्या बकवास कर रहा है तू....

राजू – अबे तू सच में गधा है क्या देखा नहीं अभय की यादाश्त की बात को लेके कैसे पहले शालिनी जी ने सवाल किया और उसका साथ दिया गीता काकी ने उसके बाद अर्जुन भइया भी आ गए साथ देने अबे क्या चल रहा है इनके दिमाग में.....

राज – (राजू की बात सुन कुछ देर सोचता रहा) समझ में नहीं आ रहा यार इससे क्या फायदा होगा किसी को.....

राजू – (गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख राज के) वैसे ये आइटम कौन है बे बड़ा मस्त माल लग रहा है यार ऐसा लगता है जैसे देखा हुआ है मैने इसे कही....

राज – (राजू की बात सुन अपनी मां के साथ खड़ी लड़की को देख) पता नहीं यार मैं भी सोच रहा हूँ जाने कौन है ये और मा के साथ कैसे और तूने कहा देखा है बे इसे....

राजू – पता नहीं यार ध्यान नहीं आ रहा है मुझे....

लल्ला – अबे तुम दोनो को जरा भी अकल है कि नहीं एक तरफ अभय की हालत देखो ऊपर से तुम दोनो लड़की को देख है कि नहीं इसमें लगे पड़े हो....

राजू – अबे राज ये तो बात सही है अभय के दिमाग का फूस हो गया अब क्या होगा यार....

राज – साला ये भी अभी होना था अभय के साथ मुझे तो अब ज्यादा चिंता हो रही है अभय की यहां से बाहर हवेली में जाने के बाद क्या होगा अभय का ये सोच के परेशान हूँ मैं....

लल्ला – हा यार वो हराम का जना अमनवा इस बात का फायदा उठा के कही अभय के दिमाग में जहर ना भर दे सबके लिए....

राज – (चौक के) चल बे इतना भी भोंदू नहीं है अपना अभय (अपना सिर खुजा के) लेकिन अभी के हिसाब से भरोसा नहीं किया जा सकता है यार....

राजू – जाने क्या होगा अब यार....

थोड़ी देर में अभय उठ जाता है अपने हाथ से संध्या का हाथ पकड़े हुए अपने सामने शालिनी , गीता देवी , अर्जुन , चांदनी और अपने तीनों दोस्त राज , राजू , लल्ला को देखता है....

संध्या – अब कैसा है दर्द....

अभय – अब ठीक है कुछ खाने को....

शालिनी –(बीच में अभय के सिर पर हाथ फेर के) तू जो बता मै लाती हु खाने को....

शालिनी द्वारा अभय के सिर पे हाथ फेरने से पल भर के लिए अभय अपनी आंख बंद करके खोलता है....

अभय – मां....

अभय के मू से मां सुन शालिनी तुरंत अभय को गले लगा लेती है जिस करना अभय का हाथ संध्या के हाथ हट जाता है शालिनी के गले लग जाता है ये नजारा देख सबकी आंखों में हैरानी आ जाती है
.
.
.
जारी रहेगा ✍️ ✍️
Super dhamakedar update Bhai 💯
 

Mrxr

'No object is mysterious. The mystery is your eye'
249
368
63
UPDATE 51


इस वक्त हवेली में एक गहरा सन्नाटा था और इसी बीच इस सन्नाटे को चीरते हुए एक आवाज तेजी से आने लगी जैसे कोई किसी को मदद के लिए पुकार रहा हो....

संध्या – (चिल्लाते हुए) सुनिए कहा हो आप....

मनन ठाकुर – अरे क्या हुआ तुम इस तरह चिल्ला क्यों रही हो....

संध्या – (आंख में आसू लिए) ये देखिए ना क्या हुआ अभय को कितना खून निकल रहा है इसका....

ठाकुर रतन सिंह –(बीच में आते हुए) क्या बात है क्या हुआ अभय को....

संध्या – देखिए ना बाबूजी अभय की उंगली में चोट लग गई है....

ठाकुर रतन सिंह –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अले अले अले मेरे बच्चे को चोट लग गई देखूं तो मैं (अभयं की छोटी सी उंगली को देख जिसमें हल्का सा एक बूंद खून लगा था) बस इतनी सी लगी कोई बात नहीं मेरा बेटा तो शेर है मामूली चोट से कुछ नहीं होगा उसे....

छोटे से अभय को पुचकारते हुए ठाकुर रतन सिंह गोद में लिए अभय के साथ मस्ती करने लगे जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह – (संध्या से) बहू रसोई से जाके चाय की पत्ती ले आओ थोड़ी अभय की उंगली में लगा दो आराम मिल जाएगा तुरंत इसे....

जिसके बाद संध्या तुरंत रसोई से चाय की पत्ती लाके अभय की उंगली में लगा देती है जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह –(संध्या से) इतना भी डरने की जरूरत नहीं है बहू ये ठाकुर रतन सिंह का पोता है कोई मामूली ठाकुर नहीं है ये....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के अपने पिता की गोद से अभय को लेके) देखा संध्या कैसे चुप चाप मस्ती कर रहा है अपने दादा के साथ ये , तुम्भी ना बेवजह इतना घबराती हो....

ठाकुर रतन सिंह –(मनन के कंधे पे हाथ रख के) नहीं बेटा इसे घबराना नहीं मां का प्यार होता है उसकी चिंता होती है अपने बच्चे की हल्की सी तकलीफ मां को बेचैन कर देती है हा ये हमारे लिए मामूली जरूर है लेकिन एक मां की नजर से देखोगे तब तुम्हे समझ आएगा इसका मतलब....

अपने पिता की बात सुन मनन ठाकुर मुस्कुरा के संध्या और अभय को देखने लगा जिसके बाद....

मनन ठाकुर – (संध्या से) अब तो ठीक है ना अभय देखो अब खून नहीं निकल रहा है इसका और कितना हस रहा है....

संध्या – (अभय को देख) जी बिल्कुल सूरत आपके जैसी सही लेकिन हरकत अपने दादा जैसी है इसकी....

ठाकुर रतन सिंह – (हस्ते हुए) आखिर पोता किसका है....

सुनैना –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अब बस भी करिए आप दोनो मेरे पोते को नजर लगाओगे क्या....

ठाकुर रतन सिंह – (मुस्कुरा के) अरे देवी जी अपनो की नजर कभी नहीं लगती सिर्फ दुआ लगती है समझी आप....

सुनैना – बस बस मुझे मत बताइए आप अच्छे से समझती हु मै....

सुनैना की बात सुन सभी मुस्कुराने लगे और फिर अचानक से पूरा दृश्य बदल गया जहा सभी मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपने कमरे में मनन ठाकुर के साथ बैठी बेड में एक तरफ मनन ठाकुर बेड में लेटा था वही घर के बाकी सदस्य जैसे ललिता , प्रेम , मालती और रमन कमरे में खड़े थे और संध्या जिसे देख....

संध्या –(रोते हुए) आप चिंता मत करिए आप ठीक हो जाओगे जल्द ही....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) मै सब जनता हूँ संध्या लेकिन अफसोस सिर्फ एक बात का रहेगा मुझे मेरी मां को ढूंढ नहीं सका मै जाने कहा होगी मेरी मां....

रमन – (आंख में आसू लिए) हिम्मत मत हारो भाई मै ढूंढ लाऊंगा मां को फिर देखना हम सब एक बार फिर से हसी खुशी साथ में पहले की तरह रहेंगे....

मनन ठाकुर – (आंख में आसू लिए) काश ऐसा हो पता रमन काश (संध्या का हाथ पकड़ के) तुम घबराना मत संध्या अब तुम्हे सब संभालना है सब कुछ हवेली के साथ हमारे अभय को भी....

संध्या –(रोते हुए) ऐसा मत बोलिए आप मै अकेले आपके बिना नहीं कर पाऊंगी सब....

इससे पहले संध्या आगे कुछ बोलती मालती और ललिता की रोनें की आवाज आने लगी जिसे संध्या ने पलट के एक पल देख के तुरंत मनन की तरफ देखा जिसकी आंखे खुली थी लेकिन शरीर साथ छोड़ चुका था उसका जिसे देख संध्या जोर जोर से रोने लगी साथ में प्रेम और रमन भी काफी देर तक चलता रहा ये सिलसिला तभी संध्या के सिर पर किसी ने हाथ रखा....

मनन ठाकुर –(संध्या के सिर पर हाथ फेरते हुए) रो मत संध्या अगर तुम ऐसे रोगी तो कैसे संभाल पाओगी सबको....

संध्या –(अपना रोते हुए अपना सिर उठा के मनन को अपने सामने खड़ा देख गले लग के) नहीं सम्भल पाई कुछ भी नहीं कर पाई किसी के लिए कुछ भी ना गांव के लिए ना अभय के लिए गिर गई मैं उसकी नजरों में हमेशा के लिए कितना दूर चल गया अभय मुझसे क्यों चले गए आप मुझे छोड़ के अकेला....

मनन ठाकुर –(गले लगी संध्या के सिर में हाथ फेरते हुए) मै कहा गया तुझे छोड़ के तेरे ही साथ था मैं बस रूप ही तो बदला है मेरा पहले मै था अब अभय के रूप में में हो साथ तेरे....

बात सुन संध्या अलग होके मनन को देखते हुए....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) ऐसे क्या देख रही हो संध्या , अभय मेरा ही तो अंश है भला तुझे कैसे अकेला छोड़ देता मै बस भटक गए थे कुछ वक्त के लिए तुम दोनो लेकिन अब देखो साथ है हम और अब तेरा साथ नहीं छोडूंगा कभी....

तभी संध्या को अभय की आवाज आने लगती है....

अभय – मां....

आवाज सुन के संध्या नींद से जागके देखती है अभयं को जो बेहोश में मा मा बोले जा रहा था जिसे सुन....

संध्या –(चिल्ला के) डॉक्टर डॉक्टर (अभय का हाथ पकड़ के) मै यही हूँ तेरे साथ....

संध्या की आवाज सुन डॉक्टर के साथ सोनिया , शालिनी और चांदनी जो बगल के कमरे में लेते थे संध्या की आवाज सुन भागे चले आए....

सोनिया और डॉक्टर अभय के कमरे आके चेक करने लगे अभय के तब सोनिया ने संध्या से कहा....

सोनिया – (मुस्कुरा के) अभय को होश आ गया है....

संध्या – (अभय को सोता देख) लेकिन ये तो अभी भी सो रहा है....

सोनिया – हा क्योंकि कही होश में आके अभय अपनी बॉडी पर जोर ना दे ज्यादा इसीलिए मैने पहले से ही पैंकिलर का हेवी डोस दिया था जिसकी वजह से अभय को पेन में राहत मिल गई जल्दी और होश भी आगया अब कल सुबह तक वैसे ही उठेगा अभय जैसे रोज उठता है....

संध्या – (सोनिया की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) शुक्रिया सोनिया....

सोनिया – (संध्या की बात पर) कोई बात नहीं ये मेरा काम है चलिए अब आप सब आराम करिए काफी रात हो चुकी है किसी ने भी आराम नहीं किया है सही से....

संध्या – (सोनिया से) अर्जुन कहा है सो रहा है क्या...

शालिनी – अर्जुन और राज अस्पताल के बाहर गए है किसी को नींद नहीं आ रही थी तो सबके लिए चाय लेने गए है दोनो....

अर्जुन –(राज के साथ कमरे में आके) मुझे याद किया मै आ गया क्या हुआ....

सोनिया – अभय को होश आ गया है कल सुबह तक नॉर्मल ट्रैक से उठ जाएगा....

अर्जुन – होश आ गया कल सुबह नोर्मल मतलब....

सोनिया – पेनकिलर के हैवी डोस के कारण सो रहा है अभी अभय....

अर्जुन – ये तो बहुत खुशी की बात है....

राज – मै सबको बता देता हू कॉल करके....

अर्जुन – रुको कल सुबह जब सब आएंगे तब बताना अभी नहीं आराम करने दो सबको सुबह से सब यही थे कल आगे तब बताना आप सब आराम करिए....

बोल के अर्जुन राज के साथ बाहर निकल गया....

चांदनी – (बाहर आके राज से) राज मा और बाबा अचानक से जल्दी क्यों चले गए घर किसका कॉल आया था....

राज – पता नहीं मुझे बोल के गए कि जरूरी काम है निपटा के जल्दी आ जाएंगे नहीं तो कल सुबह आयेंगे....

चांदनी – ठीक है तुम भी आराम कर लो जब तक....

राज – ठीक है....

कुछ और भी बोलना चाहता था राज लेकिन उसे मौका नहीं मिला क्योंकि चांदनी बोल के तुरंत वाली गई अभय के कमरे में जबकि रात में मालती , ललिता और सायरा हवेली से जब सबका खाना लेके आए थे तब सभी ने खाना खाया जिसके बाद संध्या ने सभी को जाने को बोला काफी ना नुकूर के बाद मालती , ललिता , रमन , अमन , निधि , सायरा , अलीता और शनाया चले गए हवेली उसके बाद संध्या ने अपने मू बोले भाई देवेंद्र ठाकुर , राघव और रंजना को भी भेज दिया वापस इतने लोगों के अस्पताल में रहने की सुविधा नहीं थी छोटे से अस्पताल में रह गए तो संध्या , चांदनी , शालिनी , अर्जुन और राज जबकि अर्जुन ने राजू और लल्ला अपने कुछ लोगो के साथ भेजा था आगे की जानकारी इक्कठी करने के लिए ये रात आज की खत्म हुई एक नए सवेरे के साथ और शालिनी की आंख खुल गई....

शालिनी ने जागते ही देखा बेड में अभय सोया हुआ था बगल में संध्या टेक लगाए सो रही थी और चांदनी एक तरफ कुर्सी में बैठे अभय को देख रही थी जिसे देख....

शालिनी – (चांदनी के पास जाके धीरे से) तू सोई नहीं रात भर....

चांदनी – मां मै अभय के बिना नहीं रह सकती हूँ मां....

बोल के चांदनी कमरे से बाहर निकल गई पूछे से शालिनी जल्दी से बाहर आ गई जहां एक तरफ मू करके अस्पताल की बालकनी में चांदनी खड़ी थी उसके पास जाके....

शालिनी – तू क्या बोल न चाहती है....

चांदनी –(आंख में आसू लिए) मैने बहुत सोचा मां लेकिन....

बोल के चांदनी रोने लगी जिसे देख शालिनी तुरंत गले लगा लिया....

शालिनी –(चांदनी के सिर पर हाथ फेरते हुए) हुआ क्या है तुझे आज ऐसा क्यों बोल रही है तू....

चांदनी – मा जब से अभय हमारे घर आया मै उसे पसंद नहीं करती थी लेकिन फिर जाने कैसे वो मुझे बहुत मासूम लगने लगा तब से मेरे दिल में उतर गया लेकिन कल से पहले तक ऐसा मुझे लगता था ये सिर्फ भाई बहन वाला प्यार है लेकिन नहीं मां ये वो प्यार नहीं है मां कल के हादसे के बाद मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो गया है पूरी रात मै यही सोचती रही लेकिन....

बोल के चुप हो गई चांदनी जिसे देख....

शालिनी – लेकिन क्या बोल आगे....

चांदनी –प्यार करती हूँ मां मै अभय से उसके बिना मै अपने आप को सोच भी नहीं सकती हूँ....

शालिनी – तू जानती है ना तू क्या बोल रही है , एक मिनिट क्या अभय भी....

चांदनी – मुझे नहीं पता मां....

शालिनी – तुम तो राज को पसंद करती हो ना फिर....

अर्जुन –(बीच में आके शालिनी के कंधे पे हाथ रख के) प्यार में कभी कभी ऐसा होता है शालिनी जी जब साथ होता है तो इंसान सोचता नही इस बारे में लेकिन जब वो दूर होने लगता है या गहरी तकलीफ में होता है तब एहसास होता है और उस एहसास को प्यार कहते है जो आज चांदनी को हुआ है और क्या पता यही एहसास अभय को भी हो जाय एक दिन....

शालिनी – जाने ये कैसी परीक्षा ले रहा है भगवान हमारी....

अर्जुन – घबराइए मत सब ठीक ही होगा आप कमरे में जाइए शालिनी जी चाची अकेली है चांदनी से बात करनी है अभी मैं आता हु चांदनी को लेके....

शालिनी चली गई कमरे में उसके जाते ही....

अर्जुन – (मुस्कुरा के चांदनी से) लगता है लिस्ट में तुम्हारे नाम आने वाला है लेकिन आगे का क्या सोचा है तुमने....

चांदनी – मै समझी नहीं आपकी बात....

अर्जुन – अभय तो गांव छोड़ के जाने से रहा और तुम....

चांदनी – रात भर मैने बहुत सोचा इस बारे में मैने फैसला ले लिया है रिजाइन देने का....

अर्जुन – और उससे क्या होगा....

चांदनी – जो करना है मै खुद करूंगी अपने बलबूते पर इतना टैलेंट है मेरे पास....

अर्जुन – और अगर मैं कहूं कि तुम अपने टैलेंट का उसे करो लेकिन मेरे कम में तो क्या फैसला होगा तुम्हारा....

चांदनी – (मुस्कुरा के) दुनिया के बड़े से बड़े लोग जिसका नाम सुन के काप जाते है उसे मेरे जैसे कि क्या जरूरत होगी....

अर्जुन – जरूरत अभी के लिए तुम्हे है अभय की और साथ में अभय को तुम्हारी रही मेरी बात तो जल्द ही तुम्हे पता चल जाएगा अभी के लिए सोचो राज का (एक तरफ इशारा करके) वो यही आ रहा है....

चांदनी – मै उसे सारा सच बता दूंगी भी....

अर्जुन – अभी नहीं हालफिलहाल अभय जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक....

चांदनी – ठीक है....

राज – (दोनो के पास आते ही) आप दोनो यहां क्या कर रहे हो सोनिया और डॉक्टर अभय के कमर एमे बैठे है बोल रहे है अभय को किसी भी समय उठता होगा चलो पहले वहां पर मै घर में कॉल करके बता चुका हु मा ओर बाबा आते होगे....

बोल के तीनों अभय के कमर में चले गए थोड़ी देर बाद गीता देवी , सत्या बाबू और उनके साथ एक खूबसूरत लड़की आई जिसे देख....

राज – (अपनी मां से इशारे में) कौन है ये.....

जिसे देख गीता देवी ने आखों से चुप रहने का इशारा किया राज को तभी पीछे से राजू और लल्ला आ गए अस्पताल में आते ही....

राजू – (राज से) क्या हुआ अभय को होश कब आएगा....

इससे पहले राज कुछ बोलता तभी अभय की आंख खुल गई जो अपने सिर में हाथ रख के उठने लगा तभी....

सोनिया – (अभय से) अब कैसा लग रहा है तुम्हे दर्द हो रहा है क्या....

अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) हा थोड़ा दर्द हो रहा है मेरे सिर में....

सोनिया – कोई बात नहीं थोड़ी बस देर में ठीक हो जाएगा दर्द....

अभय – गला सूख रहा है मेरा पानी....

संध्या – (पानी देते हुए) ये लो पानी....

अभय जल्दी से पानी पीने लगा जिसे देख....

सोनिया – आराम आराम से पियो पानी नहीं तो अटके है गले में....

अभय – (पानी पीने के बाद ग्लास वापस रख के) शुक्रिया (कमरे में सबको देख के) आप सब लोग कौन हो और मैं यहां पर कैसे आया....

अभय की बात सुन सभी हैरानी से उसे देख रहे थे जिसे देख....

सोनिया – कल आपका एक्सीडेंट हुआ था रस्ते में....

अभय – (चौक के) मेरा एक्सीडेंट और मेरा नाम क्या है मुझे याद क्यों नहीं आ रहा है....

और इसके साथ सभी जो अस्पताल में अभय के कमरे खड़े थे उनके दिमाग पर जैसे एक बॉम्ब फटा हो....

संध्या – (अभय के पास आके) अभय....

संध्या की आवाज सुन अभय गौर से उसे देखने लगा जैसे पहचानने की कोशिश कर रहा हो....

अभय – (संध्या को गौर से देखते हुए) कौन हो आप क्या मै आपको जनता हूँ....

संध्या – (अभय के गाल पे हाथ रख के) मै मां हूँ तेरी....

अभय –(संध्या की बात सुन) मां लेकिन मैं किसी को पहचान क्यों नहीं पा रहा हूँ....

सोनिया – (अभय को शांत करते हुए) कोई बात नहीं कल आपको सिर में चोट लगी थी शायद उसके वजह से ऐसा हो रहा हो आप अभी आराम करिए जल्दी सब ठीक हो जाएगा आपको सब याद आ जाएगा जल्द ही....

बोल के सोनिया ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया जिसे समझ सब जाने लगे संध्या भी जाने लगी लेकिन संध्या बाहर जा नहीं पाई क्यों की अभय ने संध्या के हाथ को पकड़ रखा था जिसे देख सोनिया ने इशारा किया संध्या को कमरे में रहने का....

संध्या – (अभय से) आराम कर तू मै यही हूँ तेरे साथ बस थोड़ी देर आराम कर अभी....

संध्या की बात सुन अभय आंख बंद करके बेड में वापस लेट गया....

सोनिया –(अभय से) बस अब आप अपने दिमाग में जोर मत डालिए नहीं तो फिर से दर्द होने लगेगा सिर आपका बाकी चिंता मत करिएगा जल्दी सब ठीक हो जाएगा आराम करिए मै अभी आती हु....

बोल के सोनिया तुरंत बाहर निकल गई कमरे से बाहर आते ही....

शालिनी – (सोनिया से) क्या बात है सोनिया ये अभय ऐसा रिएक्ट क्यों कर रहा है....

सोनिया – सिर में चोट लगने की वजह से लगता है अभय की यादाश्त चली गई है....

शालिनी – देखो सोनिया प्लीज तुम ऐसी बात मत करो भला ऐसा कैसे हो सकता है कि अभय की यादाश्त....

सोनिया – कल ही कहा था मैने सब ठीक कर दिया है बाकी अभय के होश आने पर बताया जा सकता है क्योंकि अभय के सिर के पीछे चोट लगी है जहां माइंड की सेंसिटिव नसे होती है सिर की उस हिस्से में चोट लगने से कुछ ना कुछ फर्क आता है बॉडी में....

अर्जुन – तो अब क्या अभय कब तक ठीक होगा कब आएगी यादाश्त उसकी....

सोनिया – शायद कुछ टेस्ट करके बता सकू मै उसके लिए हमें शहर जाना पड़ेगा यहां पर टेस्ट के लिए वैसी मशीन नहीं है....

शालिनी – कब जाना होगा....

सोनिया – अभी नहीं अभय को अभी होश आया है उसे ठीक होने दीजिए अभी फिर ले जाया जाएगा उसे टेस्ट के लिए....

चांदनी – लेकिन उठने के बाद फिर से पूछेगा तब....

सोनिया – तब तक के लिए सभी को संभालना होगा उसे....

शालिनी –(कुछ सोच के) सोनिया अगर अभय की यादाश्त वापस नहीं आई तो....

चांदनी – (चौक के) मां ये आप क्या बोल रहे हो....

गीता देवी – (बीच में) शालिनी जी बिल्कुल सही बोल रही है सोनिया तुम क्या कहती हो क्या इन सब से कोई फर्क पड़ेगा....

सोनिया – देखिए इस समय अभय एक खाली किताब की तरह है उसमें जो लिखोगे आप अभय उसे ही सच मानेगा और बाकी बात मै टेस्ट करके बता सकती हु....

अर्जुन – सोनिया तुम्हे टेस्ट के लिए जो भी मशीन चाहिए वो यही आ जाएगी आज शाम तक (शालिनी और गीता देवी को देख मुस्कुरा के) मै अच्छे से समझ गया आप दोनो क्या चाहते हो उम्मीद है टेस्ट के रेसुल अच्छे आय बस....

राज – तो अभय को हवेली ले जा सकते है अब....

सोनिया – हा अभय के उठते ही ले जा सकते है उसे हवेली....

बोल के शालिनी और गीता देवी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे....

ये नजारा एक शक्श की आंख से छुप नहीं पाया....

राजू – (राज को एक तरफ ले जाके) अबे एक बात तो बता ये गीता काकी और शालिनी जी के बीच क्या चल रहा है....

राज – (चौक के) अबे क्या बकवास कर रहा है तू....

राजू – अबे तू सच में गधा है क्या देखा नहीं अभय की यादाश्त की बात को लेके कैसे पहले शालिनी जी ने सवाल किया और उसका साथ दिया गीता काकी ने उसके बाद अर्जुन भइया भी आ गए साथ देने अबे क्या चल रहा है इनके दिमाग में.....

राज – (राजू की बात सुन कुछ देर सोचता रहा) समझ में नहीं आ रहा यार इससे क्या फायदा होगा किसी को.....

राजू – (गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख राज के) वैसे ये आइटम कौन है बे बड़ा मस्त माल लग रहा है यार ऐसा लगता है जैसे देखा हुआ है मैने इसे कही....

राज – (राजू की बात सुन अपनी मां के साथ खड़ी लड़की को देख) पता नहीं यार मैं भी सोच रहा हूँ जाने कौन है ये और मा के साथ कैसे और तूने कहा देखा है बे इसे....

राजू – पता नहीं यार ध्यान नहीं आ रहा है मुझे....

लल्ला – अबे तुम दोनो को जरा भी अकल है कि नहीं एक तरफ अभय की हालत देखो ऊपर से तुम दोनो लड़की को देख है कि नहीं इसमें लगे पड़े हो....

राजू – अबे राज ये तो बात सही है अभय के दिमाग का फूस हो गया अब क्या होगा यार....

राज – साला ये भी अभी होना था अभय के साथ मुझे तो अब ज्यादा चिंता हो रही है अभय की यहां से बाहर हवेली में जाने के बाद क्या होगा अभय का ये सोच के परेशान हूँ मैं....

लल्ला – हा यार वो हराम का जना अमनवा इस बात का फायदा उठा के कही अभय के दिमाग में जहर ना भर दे सबके लिए....

राज – (चौक के) चल बे इतना भी भोंदू नहीं है अपना अभय (अपना सिर खुजा के) लेकिन अभी के हिसाब से भरोसा नहीं किया जा सकता है यार....

राजू – जाने क्या होगा अब यार....

थोड़ी देर में अभय उठ जाता है अपने हाथ से संध्या का हाथ पकड़े हुए अपने सामने शालिनी , गीता देवी , अर्जुन , चांदनी और अपने तीनों दोस्त राज , राजू , लल्ला को देखता है....

संध्या – अब कैसा है दर्द....

अभय – अब ठीक है कुछ खाने को....

शालिनी –(बीच में अभय के सिर पर हाथ फेर के) तू जो बता मै लाती हु खाने को....

शालिनी द्वारा अभय के सिर पे हाथ फेरने से पल भर के लिए अभय अपनी आंख बंद करके खोलता है....

अभय – मां....

अभय के मू से मां सुन शालिनी तुरंत अभय को गले लगा लेती है जिस करना अभय का हाथ संध्या के हाथ हट जाता है शालिनी के गले लग जाता है ये नजारा देख सबकी आंखों में हैरानी आ जाती है
.
.
.
जारी रहेगा ✍️ ✍️
Bhai main kya bolu ,main kuch bol hi nahi sakta bhai ,
Bhai Sach bolu to ab story padhne me jo Maja aa raha tha bilkul khatam ho gaya hai. Aur ish update ke liye kya hi bolu sanaya, sayra kam thi jo chandni ko bhi lapet Liya, main kabhi soch bhi nahi sakta tha aysa kuch ,Sach me yaar ye padh ke ab pabhne ka man hi nahi hoga aage,aaj sabit ho gaya ki ishq karne wala hamesa mara jata hai jo aapne raam ke sath Kar diya ,bhai aap ne story ko heart bana diya hai aur main character me sirf ishliye hi chandni ,shalni hai , bhai jo lagao juda tha na story se tutti gaya yaar,aur jo aap sandhya ke sath karna aur dikhana cahte ho na samajh se pare hai .

You are not able to do justice to Sandhya, Raj and Payal.aur ye jo suspense pe suspense de rahe ho aap ush se kahin na kanhi story kharab Kar di aapne ab aage sayad hi man kare padhne ka BTW honestly , I am very disappointed to this update, and I am so sorry for this comment 🙄🙄🙄🤔
 
Top