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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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amit79

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BhI
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अभय को बचपन में थोडा सा लग गया तो संध्या ने पुरी हवेली सर पर उठा ली वो मनन ठाकुर और रतन सिंह ठाकुर के समझाने से शांत हो गई ये संध्या का अभय पर प्रेम दर्शाता हैं
अभय को होश तो आ गया लेकीन ये क्या उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा ये कैसे क्या ये भी कोई प्लॅन हैं शालिनी और गीता ताई का विरोधी यों को उल्लु बनाने का या और कुछ क्यो की ईस दुःख भरे पल में भी दोनों एक दुसरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहें हैं
ये चांदनी भी एक नये रुप में सामने आ गयी जिसमें उसका प्रेम अभय हैं
अभय को होश आने के बाद उसे देखने आयी गीता ताई के साथ वो लडकी कौन हैं
अर्जुन,अलीता और सोनिया की भुमिका अभय की याददास्त चली जाने के कारण क्या रहती हैं वो बहुत अहम हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Bhai.
Shayad writer ke according ab Gita and Shalini uske dimag ab Sandhya ko lekar uski negative image ko khatam ker denge, shayad isiliye muskura rahe hain
Lekin bhai story main ab kafi character aa gaye hain. Writer suspense ko aur lamba khichna chahta hai isiliye naye naye character and naye angle add kiye jaa rahe hai.
Kafi confused story ho gai hai.

Bhai bura mat manna. Abhay ka role ab bilkul khatam sa hai
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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UPDATE 51


इस वक्त हवेली में एक गहरा सन्नाटा था और इसी बीच इस सन्नाटे को चीरते हुए एक आवाज तेजी से आने लगी जैसे कोई किसी को मदद के लिए पुकार रहा हो....

संध्या – (चिल्लाते हुए) सुनिए कहा हो आप....

मनन ठाकुर – अरे क्या हुआ तुम इस तरह चिल्ला क्यों रही हो....

संध्या – (आंख में आसू लिए) ये देखिए ना क्या हुआ अभय को कितना खून निकल रहा है इसका....

ठाकुर रतन सिंह –(बीच में आते हुए) क्या बात है क्या हुआ अभय को....

संध्या – देखिए ना बाबूजी अभय की उंगली में चोट लग गई है....

ठाकुर रतन सिंह –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अले अले अले मेरे बच्चे को चोट लग गई देखूं तो मैं (अभयं की छोटी सी उंगली को देख जिसमें हल्का सा एक बूंद खून लगा था) बस इतनी सी लगी कोई बात नहीं मेरा बेटा तो शेर है मामूली चोट से कुछ नहीं होगा उसे....

छोटे से अभय को पुचकारते हुए ठाकुर रतन सिंह गोद में लिए अभय के साथ मस्ती करने लगे जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह – (संध्या से) बहू रसोई से जाके चाय की पत्ती ले आओ थोड़ी अभय की उंगली में लगा दो आराम मिल जाएगा तुरंत इसे....

जिसके बाद संध्या तुरंत रसोई से चाय की पत्ती लाके अभय की उंगली में लगा देती है जिसके बाद....

ठाकुर रतन सिंह –(संध्या से) इतना भी डरने की जरूरत नहीं है बहू ये ठाकुर रतन सिंह का पोता है कोई मामूली ठाकुर नहीं है ये....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के अपने पिता की गोद से अभय को लेके) देखा संध्या कैसे चुप चाप मस्ती कर रहा है अपने दादा के साथ ये , तुम्भी ना बेवजह इतना घबराती हो....

ठाकुर रतन सिंह –(मनन के कंधे पे हाथ रख के) नहीं बेटा इसे घबराना नहीं मां का प्यार होता है उसकी चिंता होती है अपने बच्चे की हल्की सी तकलीफ मां को बेचैन कर देती है हा ये हमारे लिए मामूली जरूर है लेकिन एक मां की नजर से देखोगे तब तुम्हे समझ आएगा इसका मतलब....

अपने पिता की बात सुन मनन ठाकुर मुस्कुरा के संध्या और अभय को देखने लगा जिसके बाद....

मनन ठाकुर – (संध्या से) अब तो ठीक है ना अभय देखो अब खून नहीं निकल रहा है इसका और कितना हस रहा है....

संध्या – (अभय को देख) जी बिल्कुल सूरत आपके जैसी सही लेकिन हरकत अपने दादा जैसी है इसकी....

ठाकुर रतन सिंह – (हस्ते हुए) आखिर पोता किसका है....

सुनैना –(मुस्कुरा के अभय को अपनी गोद में लेके) अब बस भी करिए आप दोनो मेरे पोते को नजर लगाओगे क्या....

ठाकुर रतन सिंह – (मुस्कुरा के) अरे देवी जी अपनो की नजर कभी नहीं लगती सिर्फ दुआ लगती है समझी आप....

सुनैना – बस बस मुझे मत बताइए आप अच्छे से समझती हु मै....

सुनैना की बात सुन सभी मुस्कुराने लगे और फिर अचानक से पूरा दृश्य बदल गया जहा सभी मुस्कुरा रहे थे वही संध्या अपने कमरे में मनन ठाकुर के साथ बैठी बेड में एक तरफ मनन ठाकुर बेड में लेटा था वही घर के बाकी सदस्य जैसे ललिता , प्रेम , मालती और रमन कमरे में खड़े थे और संध्या जिसे देख....

संध्या –(रोते हुए) आप चिंता मत करिए आप ठीक हो जाओगे जल्द ही....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) मै सब जनता हूँ संध्या लेकिन अफसोस सिर्फ एक बात का रहेगा मुझे मेरी मां को ढूंढ नहीं सका मै जाने कहा होगी मेरी मां....

रमन – (आंख में आसू लिए) हिम्मत मत हारो भाई मै ढूंढ लाऊंगा मां को फिर देखना हम सब एक बार फिर से हसी खुशी साथ में पहले की तरह रहेंगे....

मनन ठाकुर – (आंख में आसू लिए) काश ऐसा हो पता रमन काश (संध्या का हाथ पकड़ के) तुम घबराना मत संध्या अब तुम्हे सब संभालना है सब कुछ हवेली के साथ हमारे अभय को भी....

संध्या –(रोते हुए) ऐसा मत बोलिए आप मै अकेले आपके बिना नहीं कर पाऊंगी सब....

इससे पहले संध्या आगे कुछ बोलती मालती और ललिता की रोनें की आवाज आने लगी जिसे संध्या ने पलट के एक पल देख के तुरंत मनन की तरफ देखा जिसकी आंखे खुली थी लेकिन शरीर साथ छोड़ चुका था उसका जिसे देख संध्या जोर जोर से रोने लगी साथ में प्रेम और रमन भी काफी देर तक चलता रहा ये सिलसिला तभी संध्या के सिर पर किसी ने हाथ रखा....

मनन ठाकुर –(संध्या के सिर पर हाथ फेरते हुए) रो मत संध्या अगर तुम ऐसे रोगी तो कैसे संभाल पाओगी सबको....

संध्या –(अपना रोते हुए अपना सिर उठा के मनन को अपने सामने खड़ा देख गले लग के) नहीं सम्भल पाई कुछ भी नहीं कर पाई किसी के लिए कुछ भी ना गांव के लिए ना अभय के लिए गिर गई मैं उसकी नजरों में हमेशा के लिए कितना दूर चल गया अभय मुझसे क्यों चले गए आप मुझे छोड़ के अकेला....

मनन ठाकुर –(गले लगी संध्या के सिर में हाथ फेरते हुए) मै कहा गया तुझे छोड़ के तेरे ही साथ था मैं बस रूप ही तो बदला है मेरा पहले मै था अब अभय के रूप में में हो साथ तेरे....

बात सुन संध्या अलग होके मनन को देखते हुए....

मनन ठाकुर – (मुस्कुरा के) ऐसे क्या देख रही हो संध्या , अभय मेरा ही तो अंश है भला तुझे कैसे अकेला छोड़ देता मै बस भटक गए थे कुछ वक्त के लिए तुम दोनो लेकिन अब देखो साथ है हम और अब तेरा साथ नहीं छोडूंगा कभी....

तभी संध्या को अभय की आवाज आने लगती है....

अभय – मां....

आवाज सुन के संध्या नींद से जागके देखती है अभयं को जो बेहोश में मा मा बोले जा रहा था जिसे सुन....

संध्या –(चिल्ला के) डॉक्टर डॉक्टर (अभय का हाथ पकड़ के) मै यही हूँ तेरे साथ....

संध्या की आवाज सुन डॉक्टर के साथ सोनिया , शालिनी और चांदनी जो बगल के कमरे में लेते थे संध्या की आवाज सुन भागे चले आए....

सोनिया और डॉक्टर अभय के कमरे आके चेक करने लगे अभय के तब सोनिया ने संध्या से कहा....

सोनिया – (मुस्कुरा के) अभय को होश आ गया है....

संध्या – (अभय को सोता देख) लेकिन ये तो अभी भी सो रहा है....

सोनिया – हा क्योंकि कही होश में आके अभय अपनी बॉडी पर जोर ना दे ज्यादा इसीलिए मैने पहले से ही पैंकिलर का हेवी डोस दिया था जिसकी वजह से अभय को पेन में राहत मिल गई जल्दी और होश भी आगया अब कल सुबह तक वैसे ही उठेगा अभय जैसे रोज उठता है....

संध्या – (सोनिया की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) शुक्रिया सोनिया....

सोनिया – (संध्या की बात पर) कोई बात नहीं ये मेरा काम है चलिए अब आप सब आराम करिए काफी रात हो चुकी है किसी ने भी आराम नहीं किया है सही से....

संध्या – (सोनिया से) अर्जुन कहा है सो रहा है क्या...

शालिनी – अर्जुन और राज अस्पताल के बाहर गए है किसी को नींद नहीं आ रही थी तो सबके लिए चाय लेने गए है दोनो....

अर्जुन –(राज के साथ कमरे में आके) मुझे याद किया मै आ गया क्या हुआ....

सोनिया – अभय को होश आ गया है कल सुबह तक नॉर्मल ट्रैक से उठ जाएगा....

अर्जुन – होश आ गया कल सुबह नोर्मल मतलब....

सोनिया – पेनकिलर के हैवी डोस के कारण सो रहा है अभी अभय....

अर्जुन – ये तो बहुत खुशी की बात है....

राज – मै सबको बता देता हू कॉल करके....

अर्जुन – रुको कल सुबह जब सब आएंगे तब बताना अभी नहीं आराम करने दो सबको सुबह से सब यही थे कल आगे तब बताना आप सब आराम करिए....

बोल के अर्जुन राज के साथ बाहर निकल गया....

चांदनी – (बाहर आके राज से) राज मा और बाबा अचानक से जल्दी क्यों चले गए घर किसका कॉल आया था....

राज – पता नहीं मुझे बोल के गए कि जरूरी काम है निपटा के जल्दी आ जाएंगे नहीं तो कल सुबह आयेंगे....

चांदनी – ठीक है तुम भी आराम कर लो जब तक....

राज – ठीक है....

कुछ और भी बोलना चाहता था राज लेकिन उसे मौका नहीं मिला क्योंकि चांदनी बोल के तुरंत वाली गई अभय के कमरे में जबकि रात में मालती , ललिता और सायरा हवेली से जब सबका खाना लेके आए थे तब सभी ने खाना खाया जिसके बाद संध्या ने सभी को जाने को बोला काफी ना नुकूर के बाद मालती , ललिता , रमन , अमन , निधि , सायरा , अलीता और शनाया चले गए हवेली उसके बाद संध्या ने अपने मू बोले भाई देवेंद्र ठाकुर , राघव और रंजना को भी भेज दिया वापस इतने लोगों के अस्पताल में रहने की सुविधा नहीं थी छोटे से अस्पताल में रह गए तो संध्या , चांदनी , शालिनी , अर्जुन और राज जबकि अर्जुन ने राजू और लल्ला अपने कुछ लोगो के साथ भेजा था आगे की जानकारी इक्कठी करने के लिए ये रात आज की खत्म हुई एक नए सवेरे के साथ और शालिनी की आंख खुल गई....

शालिनी ने जागते ही देखा बेड में अभय सोया हुआ था बगल में संध्या टेक लगाए सो रही थी और चांदनी एक तरफ कुर्सी में बैठे अभय को देख रही थी जिसे देख....

शालिनी – (चांदनी के पास जाके धीरे से) तू सोई नहीं रात भर....

चांदनी – मां मै अभय के बिना नहीं रह सकती हूँ मां....

बोल के चांदनी कमरे से बाहर निकल गई पूछे से शालिनी जल्दी से बाहर आ गई जहां एक तरफ मू करके अस्पताल की बालकनी में चांदनी खड़ी थी उसके पास जाके....

शालिनी – तू क्या बोल न चाहती है....

चांदनी –(आंख में आसू लिए) मैने बहुत सोचा मां लेकिन....

बोल के चांदनी रोने लगी जिसे देख शालिनी तुरंत गले लगा लिया....

शालिनी –(चांदनी के सिर पर हाथ फेरते हुए) हुआ क्या है तुझे आज ऐसा क्यों बोल रही है तू....

चांदनी – मा जब से अभय हमारे घर आया मै उसे पसंद नहीं करती थी लेकिन फिर जाने कैसे वो मुझे बहुत मासूम लगने लगा तब से मेरे दिल में उतर गया लेकिन कल से पहले तक ऐसा मुझे लगता था ये सिर्फ भाई बहन वाला प्यार है लेकिन नहीं मां ये वो प्यार नहीं है मां कल के हादसे के बाद मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो गया है पूरी रात मै यही सोचती रही लेकिन....

बोल के चुप हो गई चांदनी जिसे देख....

शालिनी – लेकिन क्या बोल आगे....

चांदनी –प्यार करती हूँ मां मै अभय से उसके बिना मै अपने आप को सोच भी नहीं सकती हूँ....

शालिनी – तू जानती है ना तू क्या बोल रही है , एक मिनिट क्या अभय भी....

चांदनी – मुझे नहीं पता मां....

शालिनी – तुम तो राज को पसंद करती हो ना फिर....

अर्जुन –(बीच में आके शालिनी के कंधे पे हाथ रख के) प्यार में कभी कभी ऐसा होता है शालिनी जी जब साथ होता है तो इंसान सोचता नही इस बारे में लेकिन जब वो दूर होने लगता है या गहरी तकलीफ में होता है तब एहसास होता है और उस एहसास को प्यार कहते है जो आज चांदनी को हुआ है और क्या पता यही एहसास अभय को भी हो जाय एक दिन....

शालिनी – जाने ये कैसी परीक्षा ले रहा है भगवान हमारी....

अर्जुन – घबराइए मत सब ठीक ही होगा आप कमरे में जाइए शालिनी जी चाची अकेली है चांदनी से बात करनी है अभी मैं आता हु चांदनी को लेके....

शालिनी चली गई कमरे में उसके जाते ही....

अर्जुन – (मुस्कुरा के चांदनी से) लगता है लिस्ट में तुम्हारे नाम आने वाला है लेकिन आगे का क्या सोचा है तुमने....

चांदनी – मै समझी नहीं आपकी बात....

अर्जुन – अभय तो गांव छोड़ के जाने से रहा और तुम....

चांदनी – रात भर मैने बहुत सोचा इस बारे में मैने फैसला ले लिया है रिजाइन देने का....

अर्जुन – और उससे क्या होगा....

चांदनी – जो करना है मै खुद करूंगी अपने बलबूते पर इतना टैलेंट है मेरे पास....

अर्जुन – और अगर मैं कहूं कि तुम अपने टैलेंट का उसे करो लेकिन मेरे कम में तो क्या फैसला होगा तुम्हारा....

चांदनी – (मुस्कुरा के) दुनिया के बड़े से बड़े लोग जिसका नाम सुन के काप जाते है उसे मेरे जैसे कि क्या जरूरत होगी....

अर्जुन – जरूरत अभी के लिए तुम्हे है अभय की और साथ में अभय को तुम्हारी रही मेरी बात तो जल्द ही तुम्हे पता चल जाएगा अभी के लिए सोचो राज का (एक तरफ इशारा करके) वो यही आ रहा है....

चांदनी – मै उसे सारा सच बता दूंगी भी....

अर्जुन – अभी नहीं हालफिलहाल अभय जब तक ठीक नहीं हो जाता तब तक....

चांदनी – ठीक है....

राज – (दोनो के पास आते ही) आप दोनो यहां क्या कर रहे हो सोनिया और डॉक्टर अभय के कमर एमे बैठे है बोल रहे है अभय को किसी भी समय उठता होगा चलो पहले वहां पर मै घर में कॉल करके बता चुका हु मा ओर बाबा आते होगे....

बोल के तीनों अभय के कमर में चले गए थोड़ी देर बाद गीता देवी , सत्या बाबू और उनके साथ एक खूबसूरत लड़की आई जिसे देख....

राज – (अपनी मां से इशारे में) कौन है ये.....

जिसे देख गीता देवी ने आखों से चुप रहने का इशारा किया राज को तभी पीछे से राजू और लल्ला आ गए अस्पताल में आते ही....

राजू – (राज से) क्या हुआ अभय को होश कब आएगा....

इससे पहले राज कुछ बोलता तभी अभय की आंख खुल गई जो अपने सिर में हाथ रख के उठने लगा तभी....

सोनिया – (अभय से) अब कैसा लग रहा है तुम्हे दर्द हो रहा है क्या....

अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) हा थोड़ा दर्द हो रहा है मेरे सिर में....

सोनिया – कोई बात नहीं थोड़ी बस देर में ठीक हो जाएगा दर्द....

अभय – गला सूख रहा है मेरा पानी....

संध्या – (पानी देते हुए) ये लो पानी....

अभय जल्दी से पानी पीने लगा जिसे देख....

सोनिया – आराम आराम से पियो पानी नहीं तो अटके है गले में....

अभय – (पानी पीने के बाद ग्लास वापस रख के) शुक्रिया (कमरे में सबको देख के) आप सब लोग कौन हो और मैं यहां पर कैसे आया....

अभय की बात सुन सभी हैरानी से उसे देख रहे थे जिसे देख....

सोनिया – कल आपका एक्सीडेंट हुआ था रस्ते में....

अभय – (चौक के) मेरा एक्सीडेंट और मेरा नाम क्या है मुझे याद क्यों नहीं आ रहा है....

और इसके साथ सभी जो अस्पताल में अभय के कमरे खड़े थे उनके दिमाग पर जैसे एक बॉम्ब फटा हो....

संध्या – (अभय के पास आके) अभय....

संध्या की आवाज सुन अभय गौर से उसे देखने लगा जैसे पहचानने की कोशिश कर रहा हो....

अभय – (संध्या को गौर से देखते हुए) कौन हो आप क्या मै आपको जनता हूँ....

संध्या – (अभय के गाल पे हाथ रख के) मै मां हूँ तेरी....

अभय –(संध्या की बात सुन) मां लेकिन मैं किसी को पहचान क्यों नहीं पा रहा हूँ....

सोनिया – (अभय को शांत करते हुए) कोई बात नहीं कल आपको सिर में चोट लगी थी शायद उसके वजह से ऐसा हो रहा हो आप अभी आराम करिए जल्दी सब ठीक हो जाएगा आपको सब याद आ जाएगा जल्द ही....

बोल के सोनिया ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया जिसे समझ सब जाने लगे संध्या भी जाने लगी लेकिन संध्या बाहर जा नहीं पाई क्यों की अभय ने संध्या के हाथ को पकड़ रखा था जिसे देख सोनिया ने इशारा किया संध्या को कमरे में रहने का....

संध्या – (अभय से) आराम कर तू मै यही हूँ तेरे साथ बस थोड़ी देर आराम कर अभी....

संध्या की बात सुन अभय आंख बंद करके बेड में वापस लेट गया....

सोनिया –(अभय से) बस अब आप अपने दिमाग में जोर मत डालिए नहीं तो फिर से दर्द होने लगेगा सिर आपका बाकी चिंता मत करिएगा जल्दी सब ठीक हो जाएगा आराम करिए मै अभी आती हु....

बोल के सोनिया तुरंत बाहर निकल गई कमरे से बाहर आते ही....

शालिनी – (सोनिया से) क्या बात है सोनिया ये अभय ऐसा रिएक्ट क्यों कर रहा है....

सोनिया – सिर में चोट लगने की वजह से लगता है अभय की यादाश्त चली गई है....

शालिनी – देखो सोनिया प्लीज तुम ऐसी बात मत करो भला ऐसा कैसे हो सकता है कि अभय की यादाश्त....

सोनिया – कल ही कहा था मैने सब ठीक कर दिया है बाकी अभय के होश आने पर बताया जा सकता है क्योंकि अभय के सिर के पीछे चोट लगी है जहां माइंड की सेंसिटिव नसे होती है सिर की उस हिस्से में चोट लगने से कुछ ना कुछ फर्क आता है बॉडी में....

अर्जुन – तो अब क्या अभय कब तक ठीक होगा कब आएगी यादाश्त उसकी....

सोनिया – शायद कुछ टेस्ट करके बता सकू मै उसके लिए हमें शहर जाना पड़ेगा यहां पर टेस्ट के लिए वैसी मशीन नहीं है....

शालिनी – कब जाना होगा....

सोनिया – अभी नहीं अभय को अभी होश आया है उसे ठीक होने दीजिए अभी फिर ले जाया जाएगा उसे टेस्ट के लिए....

चांदनी – लेकिन उठने के बाद फिर से पूछेगा तब....

सोनिया – तब तक के लिए सभी को संभालना होगा उसे....

शालिनी –(कुछ सोच के) सोनिया अगर अभय की यादाश्त वापस नहीं आई तो....

चांदनी – (चौक के) मां ये आप क्या बोल रहे हो....

गीता देवी – (बीच में) शालिनी जी बिल्कुल सही बोल रही है सोनिया तुम क्या कहती हो क्या इन सब से कोई फर्क पड़ेगा....

सोनिया – देखिए इस समय अभय एक खाली किताब की तरह है उसमें जो लिखोगे आप अभय उसे ही सच मानेगा और बाकी बात मै टेस्ट करके बता सकती हु....

अर्जुन – सोनिया तुम्हे टेस्ट के लिए जो भी मशीन चाहिए वो यही आ जाएगी आज शाम तक (शालिनी और गीता देवी को देख मुस्कुरा के) मै अच्छे से समझ गया आप दोनो क्या चाहते हो उम्मीद है टेस्ट के रेसुल अच्छे आय बस....

राज – तो अभय को हवेली ले जा सकते है अब....

सोनिया – हा अभय के उठते ही ले जा सकते है उसे हवेली....

बोल के शालिनी और गीता देवी एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे....

ये नजारा एक शक्श की आंख से छुप नहीं पाया....

राजू – (राज को एक तरफ ले जाके) अबे एक बात तो बता ये गीता काकी और शालिनी जी के बीच क्या चल रहा है....

राज – (चौक के) अबे क्या बकवास कर रहा है तू....

राजू – अबे तू सच में गधा है क्या देखा नहीं अभय की यादाश्त की बात को लेके कैसे पहले शालिनी जी ने सवाल किया और उसका साथ दिया गीता काकी ने उसके बाद अर्जुन भइया भी आ गए साथ देने अबे क्या चल रहा है इनके दिमाग में.....

राज – (राजू की बात सुन कुछ देर सोचता रहा) समझ में नहीं आ रहा यार इससे क्या फायदा होगा किसी को.....

राजू – (गीता देवी के साथ खड़ी लड़की को देख राज के) वैसे ये आइटम कौन है बे बड़ा मस्त माल लग रहा है यार ऐसा लगता है जैसे देखा हुआ है मैने इसे कही....

राज – (राजू की बात सुन अपनी मां के साथ खड़ी लड़की को देख) पता नहीं यार मैं भी सोच रहा हूँ जाने कौन है ये और मा के साथ कैसे और तूने कहा देखा है बे इसे....

राजू – पता नहीं यार ध्यान नहीं आ रहा है मुझे....

लल्ला – अबे तुम दोनो को जरा भी अकल है कि नहीं एक तरफ अभय की हालत देखो ऊपर से तुम दोनो लड़की को देख है कि नहीं इसमें लगे पड़े हो....

राजू – अबे राज ये तो बात सही है अभय के दिमाग का फूस हो गया अब क्या होगा यार....

राज – साला ये भी अभी होना था अभय के साथ मुझे तो अब ज्यादा चिंता हो रही है अभय की यहां से बाहर हवेली में जाने के बाद क्या होगा अभय का ये सोच के परेशान हूँ मैं....

लल्ला – हा यार वो हराम का जना अमनवा इस बात का फायदा उठा के कही अभय के दिमाग में जहर ना भर दे सबके लिए....

राज – (चौक के) चल बे इतना भी भोंदू नहीं है अपना अभय (अपना सिर खुजा के) लेकिन अभी के हिसाब से भरोसा नहीं किया जा सकता है यार....

राजू – जाने क्या होगा अब यार....

थोड़ी देर में अभय उठ जाता है अपने हाथ से संध्या का हाथ पकड़े हुए अपने सामने शालिनी , गीता देवी , अर्जुन , चांदनी और अपने तीनों दोस्त राज , राजू , लल्ला को देखता है....

संध्या – अब कैसा है दर्द....

अभय – अब ठीक है कुछ खाने को....

शालिनी –(बीच में अभय के सिर पर हाथ फेर के) तू जो बता मै लाती हु खाने को....

शालिनी द्वारा अभय के सिर पे हाथ फेरने से पल भर के लिए अभय अपनी आंख बंद करके खोलता है....

अभय – मां....

अभय के मू से मां सुन शालिनी तुरंत अभय को गले लगा लेती है जिस करना अभय का हाथ संध्या के हाथ हट जाता है शालिनी के गले लग जाता है ये नजारा देख सबकी आंखों में हैरानी आ जाती है
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जारी रहेगा ✍️ ✍️
Awesome update bhai
 

Tiger 786

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UPDATE 48


रात का वक्त था इस समय हवेली में सब अपने कमरे में सोने की तैयारी कर रहे थे संध्या के कमरे में चांदनी और शालिनी बैठ बाते कर रही थी....

संध्या – शालिनी तुम्हे पता था उस जगह में रमन ड्रग्स का कारोबार कर रहा है फिर तुमने एक्शन क्यों नहीं लिया....

शालिनी – दरसल बात ये है संध्या मैने जान बूझ के उस वक्त रेड डाली जब वहा पर कोई नहीं हो अभय की बताई बात से मै ये तो समझ गई थी रमन बहुत शातिर है जो इंसान गांव में रह के तुम्हारी नाक के नीचे इतना बड़ा कारोबार कर रहा है इतने सालों से उसकी खबर तुम्हे तक लगने नहीं दी उसने तो सोचो जरा तुम भी अपने आप को बचाने के लिए क्या उसने इस बार मे पहले से सोच के नहीं रखा होगा....

संध्या – हम्ममम, लेकिन एक बात समझ नहीं आई जब तुम्हे और चांदनी को पता था मुनीम और शंकर को अभय ने हॉस्टल में रखा हुआ है फिर तुमने कोई कदम क्यों नहीं उठाया....

शालिनी –(मुस्कुरा के) तुम्हे ऐसा लगता है इतनी बड़ी बात जानने के बाद मै चुप बैठूंगी....

संध्या –(बात ना समझ के) मै समझी नहीं....

शालिनी –(मुस्कुरा के) मेरी प्यारी बहना तेरे अभय ने मुझे पहले ही सब कुछ बता दिया था शंकर से लेके मुनीम तक की सारी बात बता दी थी हा उसने चांदनी को ये बात नहीं बताई क्योंकि अभय जनता था अगर चांदनी को पता चल गई ये बात तो वो कोई रिस्क नहीं लेगी अभय के लिए और जब अभय ने मुझे बताई ये बात तब मै गई थी मिलने अभय के साथ हॉस्टल में मुनीम से....

संध्या – क्या बात हुई तुम्हारी मुनीम से....

संध्या की बात सुन शालिनी मुड़के चांदनी को देखने लगी जिसके बाद....

चांदनी –(सीरियस होके) मौसी मां पहले बात की गहराई नहीं समझी थी कि मुझे CBI CHIEF ने गांव में आखिर किस लिए भेजा है लेकिन मुनीम से मिलने के बाद समझ आ गई बात मां को....

संध्या – क्या मतलब है इसका....

फिर चांदनी ने संध्या को कुछ बात बताती है जिसे सुन के संध्या की आंखे बड़ी हो जाती है संध्या को देख के मानो ऐसा लग रहा था जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रही हो और जब चांदनी की बात खत्म होते ही....

संध्या – (शालिनी को देख हैरानी से) अब क्या होगा शालिनी....

शालिनी – तुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है अभय अकेला नहीं है यहां उसके दोस्त है और अब तो अर्जुन भी आ गया है गांव में वैसे भी अर्जुन परसो आ रहा है यहां मेले की शुरुवात होने वाली है पूरा ठाकुर परिवार जाएगा कुल देवी की पूजा करने उस दिन....

संध्या –(मुस्कुरा के) हा इस बार पूजा की शुरुवात अभय करेगा....

शालिनी – (मुस्कुरा के) हा बिल्कुल अब तो वो तेरे साथ है तुझे जो अच्छा लगे कर....

तभी शनाया कमरे में आई....

शनाया – क्या गप शप हो रही है यहां पर....

शालिनी – कुछ खास नहीं बस थोड़ी देर संध्या के साथ बैठने का मन हुआ सो बैठ गई....

चांदनी – वैसे मां आज कहा सोगे आप....

संध्या – शालिनी का घर है जहां चाहे वहा सो जाएं....

शालिनी – अभय सो गया क्या....

चांदनी – हा मा सो गया अभय....

शालिनी – ठीक है फिर आज मैं यही सो जाती हूँ संध्या के साथ....

चांदनी – ठीक है मां लेकिन शनाया जी कहा सोएगी....

शनाया – मेरी फिकर मत कर मुझे थोड़ा कॉलेज का काम करना है देर हो जाएगी सोने में तू सो जाना मै बाद में आके सो जाओगी....

चांदनी – अंधेरे में काम कहा करोगे आप....

शनाया – हॉल में काम करूंगी खत्म होते ही आ जाऊंगी सोने तेरे पास....

चांदनी – ठीक है....

बोल के चांदनी और शनाया कमरे से चले गए काफी देर हो गई थी हॉल में बैठे शनाया को काम करते हुए काम खत्म करते ही उठ के सीधा चली गई अभय के कमरे में जहां अभय बेड में आंख बंद सोया हुआ था....

शनाया –(बेड में अभय को सोया देख मुस्कुरा के) बड़ी जल्दी सो गए....

बोल के अपने कपड़े उतार अभय की ओढ़ी हुई चादर जैसे हटाई तुरंत अभय ने अपने ऊपर खींच लिया शनाया को


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इसके साथ दोनो एक गहरी किस करने में डूब गए किस करते वक्त अभय ने धीरे से शनाया की ब्रा खोल दी 02
पलट के शनाया के ऊपर आके किस करने लगा दोनो इस कदर डूबे थी किस करने में जैसे बरसो बाद प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिला हो
03
तभी शनाया ने दोनो हाथ नीचे ले जा के अभय की टीशर्ट उतार दी गले लग के अभय की गर्दन को चूमते हुए नीचे झुक गई04
जिस बात का फायदा उठा के अभय ने शनाया की पेंटी को अपने पैर से खींच के तोड़ दी उसकी डोरी 05
और शनाया को बेड में हल्का ऊपर कर उसके ऊपर आ के बूब्स को चूमने लगा जिस कारण शनाया मदहोश होने लगी 06
शनाया के बूब्स को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए किस कारण3 लगा अभय 08
किस करते हुए शनाया धीरे से नीचे आके लंड को मू में लेके चूस रही थी
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अभय की आखों में देखते हुए शिद्दत से चूसने में गुम हो गई
1718854832214
अभय के पेट में हाथ फेरते हुए मदहोशी में लीन हो गई तभी अभय ने शनाया का हाथ पकड़ शनाया को बेड में लेटा 3050
चूत चूसने लग गया चूसते चूसते तेजी से अपनी जबान छूट के अन्दर चलने लगा
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शनाया मदहोशी में अभय के सर में हाथ लगा उसे चूत में दबाने लगी 13
अभय उठ के सीधा खड़ा को के शनाया की चूत में लंड घिसने लगा....

शनाया –(मदहोशी में) तड़पाओ मत अभय डाल दो जल्दी से प्लीज अभय....

शनाया की बात सुन मुस्कुरा के लंड को चूत में डाल दिया....

15
मदहोशी में शनाया की आंखे बंद हो गई जैसे दर्द की दवा मिल गई को उसे 16
शनाया की मदहोश भरे चेहरे को देख अभय मुस्कुरा के धक्के लगाने लगा जिसे शनाया के चेहरे पे हल्की मुस्कान आ गई थोड़ी देर की धक्का मक्की के बाद शनाया पलट के अभय के ऊपर आके17
लंड को चूत में डाल ऊपर नीचे होने लगी शनाया हल्के हल्के धक्के लगा रही थी 18
धीरे धीरे शनाया के धक्के की स्पीड बढ़ गई
19
धक्कों के बीच शनाया नीचे झुक के अभय को चूमती रही 20
अभय ने तुरंत शनाया के सर को पीछे से पकड़ चूमते हुए नीचे से तेजी से धक्का लगाने लगा
21तुरंत पलट शनाया को घोड़ी बना के पीछे से चूत में धक्का लगाने लगा 22
धीरे धीरे अभय ने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी जिससे शनाया फिर से मदहोश होने लगी 23
शायद अभय अपनी चरम सीमा तक आने को हो रहा था तभी शनाया को बेड में पीठ के बल लेट दोनो पैर ऊपर कर तेजी से चूत में लंड से धक्का लगाने लगा24
तेज धक्कों की वजह से शनाया भी अपने चरम सीमा तक आ गई
25
कुछ ही देर में अभय और शनाया एक साथ चरमसुख को प्राप्त हो गए
26
जिसके बाद अभय शनाया के बगल में आ गया 27
अपने बिखरे बालों पे हाथ फेरते हुए शनाया और अभय लंबी लंबी सास ले रहे थे कुछ समय बाद अपनी सास कंट्रोल होने के बाद....

शनाया –THANK YOU अभय....

अभय –किस लिए....

शनाया – तुमने मेरी बात मान के संध्या से बात की....

अभय – (मुस्कुरा के) अब वादा किया है तो निभाना पड़ेगा ही ना....

शनाया – (मुस्कुरा के) हम्ममम संध्या बहुत खुश है अब....

अभय – और आप....

शनाया – ये बार बार आप आप क्यों लगा रखा है तुमने....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा तो क्या नाम लेके बात करू....

शनाया – हा बिल्कुल मेरा नाम लेके बात करो....

अभय – अगर किसी ने टोक दिया तो....

शनाया – तो अकेले में बोला करो जब हम दोनो साथ हो अकेले....

अभय – तो MY LOVE शनाया अब खुश हो ना...

शनाया – हा बहुत खुश....

अभय – तो आज यही सोगी ना....

शनाया – नहीं अभय आज चांदनी के साथ सोना है काम का बहाना बना के आई हूँ मुझे जाना होगा कमरे में तुम्हारी बहन पुलिस वाली है उसके सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा मुझे....

अभय –(हस्ते हुए) अच्छा होता अगर मैं हॉस्टल में होता क्यों....

शनाया – बिल्कुल नहीं उससे अच्छा ये है तुम यहां हो वहां मै कभी कभी आती लेकिन यहां पर जब मन किया तब....

अभय – अच्छा बाबा ठीक है जो बोलो वो सही....

शनाया – THATS LIKE MY LOVE अच्छा चलती हूँ मैं काफी देर हो गई है कल कॉलेज भी जाना है....

अभय – ठीक है आज दर्द तो नहीं हो रहा है....

शनाया –(मुस्कुरा के) एक बार होता है दर्द बस....

अभय –मुझे लगा आज भी दर्द हो रहा होगा....

शनाया – हा दर्द तो हो रहा है आज भी लेकिन मजा उससे ज्यादा आया आज जाने कुंवारी लड़की का क्या हाल करोगे तुम....

अभय – जैसे तुम्हारा सही हो गया वैसे उसका भी हो जाएगा....

अभय की बात सुन शनाया ने कपड़े पहन अभय के गाल को चूम के अपने कमरे में चली गई सोने अगली सुबह अभय जल्दी से उठ के निकल गया अपनी एक्सरसाइज करने हवेली के गार्डन में जबकि इस तरफ सुबह संध्या की नींद जल्दी खुल गई उठते ही संध्या को बाथरूम जाना था लेकिन शालिनी को नीद से जागना उसने ठीक नहीं समझा पैर को जमीन में धीरे से रख खड़ी होके चली गई कुछ समय में बाहर निकल के अपनी बालकनी में आके आज संध्या को अपने पैर में अब उसे कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था बालकनी के नीचे उसकी नजर एक्सरसाइ करते अभय पर पड़ी मुस्कुरा के अभय को देखती रही थोड़ी देर बाद पीछे से संध्या के कंधे पर शालिनी ने हाथ रखा...

संध्या –(पलट के शालिनी को देख) तुम जाग गई....

शालिनी –(चुप रहने का इशार कर संध्या को वापस कमरे में ले जाके) तू ऐसे बाहर क्यों गई अगर अभय देख लेता तो....

संध्या – तो क्या हुआ....

शालिनी –(मुस्कुरा के) तू भी ना पूरी पागल है चुप चाप बस बेड में बैठी रह तू वर्ना भूल जा अगर अभय तुझे देख लेता तो फिर तुझे खुद चल के नीचे आना पड़ता समझी मेरी बात....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक तो होना ही है मुझे तब क्या करूंगी....

शालिनी – तब को छोड़ कुछ समय के लिए ऐसे रह तू बस चल मै जा रही हो तैयार होने फिर तू भी तैयार हो जाना....

बोल के शालिनी तैयार होने चली गई इधर अभय भी अपनी एक्सरसाइ कर कमरे में आके तैयार हो गया कमरे से बाहर आते ही गलियारे में चांदनी और शनाया मिल गए....

चांदनी – (अभय से) तू आ गया तेरे पास आ रही थी मैं....

अभय – कोई काम था दीदी....

चांदनी – हा मौसी को नीचे ले जाना है....

अभय – ठीक है चलो फिर....

बोल के अभय , शनाया और चांदनी सीधे संध्या के कमरे में दाखिल हुए जहां शालिनी और संध्या तैयार बैठे थे संध्या को तयार देख अभय ने तुरंत पास जाके संध्या को गोद में उठा लिया और लेके सीधे हाल में आ गया जहा सबने मिल के नाश्ता किया जिसके बाद अभय कॉलेज के लिए निकल गया कॉलेज में आते ही दोस्त मिल गए अभय को आपस में बाते करने लगे तभी....

M M MUNDE – कैसे हो अभय....

अभय – मामा मै मस्त हु आप बताओ....

अभय के मू से मामा सुन....

राजू , लल्ला और राज एक साथ – मामा कैसे कब....

अभय – अरे यार मैं तुमलोगो को बताना भूल गया....

फिर अभय ने तीनों दोस्तों को बताई पूरी बात जिसे सुन....

राज – तब तो हमारे भी मामा लगे ये....

M M MUNDE – वाह वाह वाह वाह ऐसा चलता रहा तो वो वक्त दूर नहीं जब लोग हमें जगत मामा के नाम से पुकारने लगेगे....

बात को सुन चारो दोस्त हसने लगे....

अभय – वैसे मामा आप अकेले आए हो या हमारी मामी भी साथ आई है गांव में....

M M MUNDE –उफ़ ये कैसा सवाल पूछ लिया भांजे....

राजू – क्या हो गया मामा....

M M MUNDE – पूछो मत भांजे श्री इस जालिम दुनिया ने तुम्हारे मामा को इतना वक्त भी नहीं दिया कि तुम्हारे लिए मामी ढूंढ सके....

अभय –(चौक के) मतलब मामा आपने अभी तक....

M M MUNDE – हा भांजे जी तुम्हारे मामा अभी तक कुंवारे ही है देखो तो तुम्हारे गांव में 178 परिवार रहते है जिसमें में 8 औरते ने आज तक शादी नहीं की हा ये बात अलग है दूसरों की शादी में नाची बहुत है लेकिन अभी भी क्वारी है बेचारी बिल्कुल तुम्हारे इस मामा की तरह वैसे गांव में है तो और भी औरते जिनके पति शहर में गए अभी तक वापस नहीं आए वो और कुछ औरते है जिनके पति ही नहीं रहे दुनिया में...

M M MUNDE की बात सुन के चारो दोस्त जोर से हसने लगे तभी....

राज –(राजू के कान में धीरे से) देख ले बेटा हम तो तुझे समझते थे कि तू ही इस गांव का नारद मुनि है लेकिन ये तो तेरे से भी 10 कदम आगे निकला....

राजू –(राज की बात सुन) मामा आपको इतनी जानकारी कैसे मिल गई....

M M MUNDE – भांजे ऐसे ही हमें लोग नहीं बोलते है बताओ क्या....

राजू – मुंडे....

M M MUNDE – नाना भांजे M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबाल गम लो ना एक लेलो....

राजू –(बबलगम लेके) समझ गया मामा....

तभी कॉलेज की घंटी बज गई जिसके बाद सभी क्लास में जाने लगे तभी अमन दूसरे गांव के ठाकुर के 2 लड़कों के साथ क्लास में जा रहा था....1– रवि ठाकुर , 2 – तेज ठाकुर , कहने को दोनो चचेरे भाई है इस गांव से करीबन 60 किलो मीटर दूर गांव में रहते है हफ्ते में 2 दिन के लिए आते है कॉलेज इनके मां बाप अपने गांव के नामी ठाकुरों में से है लेकिन संध्या ठाकुर से इनकी बनती नहीं है लेकिन मजबूरन वश इन्हें संध्या की बात के आगे हा में हा मिलनी पड़ती है क्योंकि संध्या ठाकुर को उनके ससुर रतन ठाकुर ने हवेली का सारा भार सौंप के दुनिया से विदा हो गए थे लेकिन उससे पहले रतन ठाकुर ने जाने से पहले संध्या को काम काज की सारी जानकारी दे दी थी जिस वजह से आगे चल के संध्या को हवेली का कार्य भार संभालने में कोई दिक्कत नहीं हुई साथ अपने अच्छे व्यवहार के कारण संध्या ने अच्छा नाम बना लिया कई बड़े लोगो के बीच ये सब तब तक जब तक अभय घर से चला नहीं गया था खेर एक तरह से कह सकते है रवि और तेज ठाकुर के मां बाप साल में केवल एक बार ही इनकी मुलाक़ात संध्या से होती है जब गांव में कुलदेवी के मंदिर में मेला लगता था खेर क्लास में जाते ही पढ़ाई शुरू हो गई कॉलेज खत्म होने के बाद सब बाहर निकलने लगे अभय अपने दोस्तों के साथ आगे चल रहा था पीछे से अमन , रवि और तेज साथ में चल रहे थी धीरे धीरे बात करते हुए....

रवि – कल से मेला शुरू हो रहा है गांव में अमन इस बार का क्या प्लान है....

तेज – हा यार अमन पिछली बार तो तूने वादा किया था पूनम के लिए लेकिन सारा मजा तूने खुद ले लिया इस बार धोखा मत देना....

अमन – यार इस बार गड़बड़ हो गई है पूनम नहीं आएगी....

रवि – अबे ड्रामा मत कर यार मेले के बहाने से हम दोनों गांव में रुक पाते है तू जानता है ना....

तेज – अमन अगर पूनम नहीं आएगी तो किसी और का जुगाड करवा दे भाई....

अमन – (चौक के) क्या मतलब....

रवि –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने देख तीन तीन मस्त आइटम जा रहे है....

अमन –(सामने देखता है जहां नूर , नीलम और पायल एक साथ जा रहे थे) अबे पगला गए हो क्या अगर पायल की तरफ देखा तो मेरी ताई मां जिंदा नहीं छोड़ेगी किसी को....

तेज – अबे ये तेरी ताई मां बीच में कहा से आ गई....

रवि – वैसे तेरी ताई मां भी किसी से कम है क्या....

अमन – (गुस्से में) ज्यादा फालतू की बकवास मत कर समझा मेरी ताई मां है वो....

तेज – अबे तेरी ताई है वो सिर्फ तेरी असली मां के लिए नहीं बोल थे है बे हम....

रवि – वैसे भी तेरी ताई के पीछे दूसरे गांव के ठाकुर भी पड़े है उनको मौका मिल जाय वो छोड़ेंगे थोड़ी ना....

तेज – यार अमन कुछ कर ना यार तेरा गांव है क्या तेरी इतनी भी नहीं चलती है क्या गांव में....

अमन – ऐसा कुछ नहीं है बे आज भी चाहूं तो बहुत कुछ हो सकता है....

रवि – तो देर किस बात की यार कुछ जुगाड कर दे यार....

अमन – वही सोच रहा हू कैसे....

तेज – वही कर यार जैसे पूनम के साथ किया था पिछली बार....

अमन – लेकिन मेरे पास दावा नहीं है बे....

तेज – लेकिन मेरे पास है पिछली बार मेले में मैने खरीदी थी पानी में मिला के देना है बस तुझे....

अमन – किसको देना है....

रवि – ये तीनों आइटम है ना या संध्या को दे दे बाकी हम सम्भल लेगे तू चिंता मत कर तीनों मजा लेगे किसी को पता भी नहीं चलेगा....

अमन – दिमाग तो सही है तुम दोनो का मार डालेगी मुझे ताई मां....

तेज – तू डरता क्यों है बे जब हम करेंगे तब वीडियो बना लेगे उसके बाद तेरी ताई हो या ये तीनों हो कोई कुछ नहीं बोलेगा और परमानेंट काम बन जाएगा अपना सोच अमन सोच तुझे किसी चीज के लिए कभी मना नहीं कर पाएगी तेरी ताई कभी....

अमन – (रवि और तेज की बात सोचते हुए) हा यार जब से गांव में वो लौंडा आया है तब से ताई ने जीना हराम कर दिया है मेरा और मेरे पिता जी का....

रवि – फिर सोचना कैसा यही वक्त है बदला लेने का एक तीर से दो शिकार हो जाएगा अपने को मजा मिलेगा और तुझे सब कुछ मिलेगा....

दोनो की बात सुन अमन मुस्कुराने लगा साथ में रवि और तेज भी साथ हस्ते हुए निकल गए घर की तरफ इस बात से अंजान कोई था इनके पीछे जो इनकी सारी बात सुन रहा था जिसके बाद वो सीधा गया राजू के पास जहां राज , राजू और लल्ला आपस में बात कर रहे थे जबकि अभय निकल गया था हवेली....

लड़का –(राजू से) अबे राजू कैसा है बे....

राजू – अबे अमित मै मस्त हु और तू बता....

अमित – एक काम की खबर लाया हूँ मै....

राजू – अच्छा क्या बात है बता तो....

अमित – पहले जेब हल्की कर फिर बताता हु....

राजू – तू सुधरे गा नहीं (अपनी जेब से 50 का नोट देके) अब बता क्या बात है....

अमित – सिर्फ 50 रुपए अबे बात 50 वाली नहीं है ये जो मेरे पास है....

राजू – (चौक के) अबे ऐसी कौन सी बात है जो आज तू इतना बड़ा मू खोल रहा है बे....

अमित – बात कोई मामूली नहीं है समझा तेरी आइटम और ठकुराइन की है बात....

अमित के मू से ठकुराइन नाम सुन....

राज –(बीच में) ऐसी कौन सी बात है अमित बता तो....

अमित –(मुस्कुरा के) पहले कुछ....

राज – (जेब से 500 का नोट देते हुए) अब बता क्या बात है....

फिर अमित ने सारी बात बता दी जिसके बाद....

राज –(सारी बात सुन के) ठीक है तू जा अमित लेकिन ध्यान रहे किसी और को पता ना चले इस बारे में वर्ना तू जानता है ना....

अमित – मै पागल थोड़ी हूँ जो किसी और को बता दो ये बात....

बोल के अमित चला गया उसके जाते ही....

राजू –(गुस्से में) मादरचोद ये अमन अपनी औकात से ज्यादा बोल दिया इसने आज जिंदा नहीं छोड़ोगा इसको मै....

राज – (राजू के कंधे पे हाथ रख के) उससे पहले हम जो करेंगे उसे मरते दम तक याद रखेगा अमन और उसके दोनों दोस्त....

लल्ला – मैं तो बोलता हु हमें अभय को बता देना चाहिए इस बारे में....

राज – अभी नहीं अगर गलती से उसे पता चल गया तो हवेली में अमन की जिंदगी का आखिरी दिन होगा आज....

राजू – अबे तुझे क्या लगता है उसे पता नहीं चलेगा इस बारे में वैसे भी देखा नहीं ठकुराइन ने रमन के सामने ही उसका सारा काम हम चारो को दे दिया है....

राज –(राजू की बात के बारे में सोचते ही एक कुटिल मुस्कान के साथ) सही कहा बे तूने अभय को बता देना चाहिए हमे ये बात....

लल्ला – क्या मतलब है तेरा....

राज – (अपना मोबाइल जेब से निकल के) बस देखता जा....

अभय को कॉल मिला के....

राज –अभय कहा है तू अभी....

अभय –रस्ते में हूँ हवेली के बाहर आगया बस....

राज – एक काम कर तुरंत वापस आपने अड्डे में बहुत जरूरी बात करनी है....

अभय –तो बता दे फोन पे बात....

राज – नहीं सामने बैठ के बात करेंगे हम....

अभय –आता हु....

बोल के कॉल कट कर दिया जिसके बाद चारो दोस्त अपने अड्डे (गांव की पुलिया) में मिले....

अभय – (राज से) अबे ऐसी क्या बात हो गई तूने तुरंत वापस बुला लिया मुझे....

राज –(सारी बात बता के) अब समझा क्यों बुलाया मैने तुझे....

अभय –साला दोनो बाप बेटे एक नंबर के हरामी है....

राज –सुन गुस्से से नहीं दिमाग से काम ले इसीलिए तुझे कॉल पे नहीं बताई बात मैने....

अभय – (मुस्कुरा के) नहीं यार अब तो गुस्से से नहीं इनके साथ तो वही खेल खेल रहा हू मै जैसे मेरे साथ बचपन से खेलते आए है दोनो बाप बेटे....

राज –(हस्ते हुए) बहुत खूब मेरे लाल जा दिखा दे हवेली में जाके अपना कमाल फिर से....

राज की बात सुन अभय हस्ते हुए निकल गया हवेली की तरफ अभय के जाते ही....

राजू –मै कुछ समझा नहीं क्या करने वाला है अभय अब....

राज – बचपन से अमन और रमन ने अभय के पीठ पीछे जो किया था वही अभय करने वाला है उनके साथ भी अब देखना अभय क्या करता है इन दोनों बाप बेटों का....

इधर अभय हवेली जैसे आया हाल में शनाया को छोड़ सभी बैठ बाते कर रहे थे....

शालिनी – (अभय को देख) आ गया तू कैसा रहा कॉलेज का दिन....

अभय –(शालिनी के बगल में बैठ) अच्छा था मां आप बताओ आपका कैसा रहा दिन आज का....

शालिनी – एक दम मस्त सुबह से बाते ही बाते कर रहे है हमलोग चल जल्दी से फ्रेश होजा खाना खाते है सब....

बोल के अभय जाने लगा अपने कमरे में तभी शनाया भी आ गई हवेली वो भी जाने लगी कमरे में ऊपर आके....

अभय – (शनाया से) कैसा रहा आज का दिन....

शनाया –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छा तुम बताओ कल रात के बाद तुम सुबह जल्दी कैसे उठ गए....

अभय –(मुस्कुरा के) आदत है मैडम शुरू से मेरी ऐसे नहीं जाने वाली....

शनाया – अच्छा....

अभय –(मुस्कुरा के) चाहो तो आजमा लो आज रात में फिर से....

शनाया – ना ना बिल्कुल नहीं....

अभय – क्यों क्या हुआ....

शनाया – सांड हो तुम पूरे एक बार चढ़ गए तो रुकते कहा हो वैसे क्या तुम्हे पता नहीं कल सुबह जल्दी उठ के मेले में जाना है जल्दी सोऊंगी तभी तो सुबह जल्दी उठूंगी....

अभय –(मुस्कुरा के) कोई बात नहीं तो कल रात को ट्राई कर लेना....

शनाया –(मुस्कुरा के) हा ये ठीक रहेगा वैसे भी परसो सन्डे है कॉलेज भी बंद रहेगा....

बोल के शनाया अपने कमरे में चली गई इधर अभय भी अपने कमरे में जैसे हो गया तभी....

सायरा –(अभय के कमरे में जल्दी से आ दरवाजा बंद कर पीछे गले लग के) क्या बात है हवेली क्या आ गए मुझे भूल ही गए तुम....

अभय –(पलट के सायरा को देख) अरे तुम्हे कैसे भूल सकता हू मै तुम ही तो मेरी इस हवेली में एक इकलौती दोस्त हो वैसे ये बात तो मुझे पूछनी चाहिए तुम कहा थी दिखी नहीं मुझे....

सायरा – काम में फंस गई थी मैं अच्छा सुनो मुझे कुछ जरूरी बात करनी है तुमसे....

अभय – हा बताओ ना क्या बात है....

सायरा –(मुस्कुरा के) अभी नहीं रात में सबके सोने के बाद आऊंगी तुम्हारे कमरे में तब....

अभय –(मुस्कुरा के) लगता है आज मैडम का इरादा नेक नहीं है....

सायरा – बिल्कुल आज तो तुझे कच्चा खा जाने का मन बना लिया है मैने....

अभय –अच्छा ठीक है फिर तो रात का इंतजार रहेगा मुझे....

इसके बाद सायरा चली गई कमरे से बाहर थोड़ी देर में अभय और शनाया नीचे आए खाना खा लिया सबने....

शालिनी – (खाना खाने के बाद) चलो चल के कमरे में आराम करते है....

अभय – मां मै जा रहा हु बाहर....

शालिनी – बाहर क्यों....

अभय –मां कल रात में खाना खाते वक्त बताया था ना गांव के काम के लिए जाना है रोज....

शालिनी – अरे हा मेरे ध्यान से उतर गया था ठीक है संध्या को कमरे में छोड़ के जा....

बोल के अभय ने संध्या को गोद में उठा सीडीओ से जाने लगा कमरे में इस बीच संध्या सिर्फ मुस्कुरा के अभय को देखती रही कमरे में आते ही....

संध्या –(अभय से) थोड़ी देर बैठ जा मेरे साथ....

अभय –(संध्या के बगल में बेड में बैठ के) एक बात बोलनी है मुझे....

संध्या – हा बोल ना पूछना क्या इसमें.....

अभय – वो पूनम और उर्मिला के बारे में क्या सोचा है....

संध्या –मेरी बात ही थी डॉक्टर से आज उर्मिला ठीक हो गई है कल अस्पताल से घर आ जाएगी वो , मैने सोचा है पूनम और उर्मिला को यही हवेली में बुलालू उनको नीचे वाले कमरे में रहने के लिए....

अभय – क्या वो मानेगी....

संध्या – कल मेले में जाते वक्त मिलती जाऊंगी उर्मिला से तू चलेगा साथ में मेरे....

अभय – ठीक है....

संध्या – अभय कल मेले की शुरुवात मै चाहती हु तू करे....

अभय – शुरुवात मेरे से मै कुछ समझा नहीं....

ललिता –(संध्या के कमरे में आके) लल्ला मेले की शुरुवात ठाकुर परिवार के लोग बकरे की बलि देके करते है ये रिवाज बाबू जी के वक्त से चला आ रहा है....

अभय – बकरे की बलि से लेकिन क्यों....

ललिता – लल्ला बंजारों का मानना है बलि से देवी मां प्रसन्न होती है साल में एक बार मेले की शुरुवात के पहले दिन में ये परंपरा चली आ रही है बाबू जी के वक्त से और तू जानता है बंजारे कहते है मेले की शुरुवात के पहले दिन देवी मां भी आती है हमारे कुल देवी के मंदिर में ये बात अलग है किसी ने देखा नहीं है आज तक लेकिन बाबू जी बताते थे एक बार उन्होंने दर्शन किए थे देवी मा के मेले में....

अभय – लेकिन मैं ही क्यों और....

ललिता –(बीच में अभय की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) लल्ला तू ही इस हवेली की गद्दी का वारिस है ये तेरा धर्म भी है पूरे गांव के प्रति और मेले में आए बंजारों के लिए भी सब तुझे ही देखना है....

अभय – ठीक है....

ललित ने मुस्कुरा अभय के सिर पे हाथ फेर दिया तभी चांदनी और शालिनी संध्या के कमरे में आके....

चांदनी – मौसी दवा का वक्त हो गया है खा के आराम आरो आप....

अभय – मुझे एक और बात बोलनी है....

संध्या – हा बोलो ना....

अभय – वो अमन (आज कॉलेज में जो हुआ सब बता के) रमन की तरह हरकते करने में लगा है उसे रोक लीजिए कही....

बोल के अभय चुप हो गया जबकि अभय की बात सुन संध्या और ललिता का गुस्से का पारा बढ़ गया जिसके चलते ललीता तुरंत उठ के अमन के कमरे मे चली गई जहां अमन बेड में लेटा हुआ था उसी वक्त ललिता ने अमन के कमरे में पड़े स्टंप उठा के लेटे हुए अमन को मारने लगी जिसके बाद अमन की चीख गूंजने लगी कमरे में जिसे सुन सब कमरे के बाहर खड़े देखने लगे संध्या को भी आज बहुत गुस्सा आया इसीलिए वो भी चुप चाप कमरे के बाहर व्हील चेयर में बैठ सबके साथ खड़े होके तमाशा देख रही थी....

अमन –(मार खाते हुए) मां क्यों मार रहे हो दर्द हो रहा है रुक जाओ प्लीज मां....

ललिता –(गुस्से में चिल्ला के) हरामजादे तो अब तू ये भी हरकत करने लगा है दूर गांव के ठाकुर के बेटों के साथ क्या प्लान बनाया था तूने पायल पर गंदी नजर डालेगा तू कुत्ते सुवर आंख उठा के भी देख उसे तेरी जान लेलूगी मै और क्या बोल रहा था दोस्तो से नूर और नीलम के लिए भी तूने , कितना प्यार दिया तुझे और तेरी ये सोच छी (गुस्से में) तू भी अपने बाप का ही खून है जैसा बाप वैसा बेटा....

बोल के एक और मारा अमन के कमर में....

ललिता – (गुस्से में) ध्यान से और कान खोल के मेरी बात सुन ले आज और अभी से तेरा कॉलेज जाना बंद अब से तू भी गांव के किसानों के साथ खेती करेगा और अगर तूने जरा भी आना कानी की तो याद रखना भूखा सोना पड़ेगा तुझे....

बोल के ललिता तुरंत कमरे से चली गई साथ में बाकी के सब लोग भी सिर्फ अभय को छोड़ के अमन के कमरे के बाहर खड़ा अभय देख रहा था अमन को जो जमीन में बैठ अपनी कमर पकड़े हुए थे कमरे में जाके....

अभय –(मुस्कुरा के) अब पता चला तुझे मार कैसी होती है वो भी अपनी मां से जब पड़ती है जोर से , याद है एक वक्त था जब तू अपनी गलती मेरे सिर थोप देता था लेकिन देख आज तेरी की गलती की सजा मिली तुझे , शुक्र मना अभी जो हुआ तेरी मां ने किया अगर मैं होता तो तेरी और तेरे उन दोनों दोस्तो की जान ले चुका होता कब की बाकी तू समझदार है अब....

बोल के अभय चला गया कमरे से बाहर सीडीओ की तरफ जा रहा था तभी संध्या के कमरे में बात सुनने लगा जहा ललिता बहुत रो रही थी जिसे संध्या चुप कर रही थी कमरे के बाहर खड़ा होके....

संध्या – (रोते हुए) शायद हमारे प्यार में कोई कमी रह गई थी जो अमन इस तरह निकला सबकुछ दिया उसे जो मांगा वो दिया कभी इंकार नहीं किया अमन को किसी चीज के लिए और अब ये सब....

ललिता – शांत हो जाओ आप दीदी शांत हो जाओ इसमें आपका नहीं मेरा कसूर है सारा....

संध्या – (रोते हुए) तू जानती है ललिता उस रात मेरे अभय ने सच कहा था मुझे , मै वो फूल हूँ जिसके चारों तरफ काटे बिछे हुए है बस एक वही था जो मुझे बचा सकता था लेकिन मैने ही उसे दुत्कार दिया....

बोल के संध्या जोर जोर से रोने लगी कमरे के बाहर खड़ा अभय ये बात सुन के उसकी आंख से भी आसू की एक बूंद निकल आई जिसे अभय से थोड़ा दूर खड़ी मालती देख रही थी....

तभी मालती ने पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रखा जिसे अभय ने पलट के देख तुरंत गले लग गया मालती के गले लग सुबक रहा था मालती प्यार से अभय के सर पर हाथ फेर रही थी जबकि अन्दर कमरे में बाकी के सभी संध्या के साथ बैठ के दिलासा दे रहे थे संध्या और ललिता को वही कमरे के बाहर खड़ी मालती ने अभय का हाथ पकड़ सीडीओ से अपने कमरे में ले जाने लगी कमरे में आके अभय को पानी देके पिलाया....

मालती –(अभय को देखते हुए) कैसा है तू....

अभय – अच्छा हूँ....

मालती – कितना बड़ा हो गया है रे तू जानता है एक वो वक्त था जब मैं इस हवेली में आई थी शादी करके तब मै दोनो दीदियों को भाभी बोलती ही तब तू छोटा था मेरी नकल किया करता था अपनी तुतली जुबान से बोलता था अपनी मां और चाची को बाबी बाबी और हम सब हंसा करते थे तेरी बात पर....

अभय –(हल्का मुस्कुरा के) हा याद है आपने बताया था मुझे....

मालती – (रोते हुए) फिर क्यों चला गया था रे मुझे छोड़ के घर से जाते वक्त तुझे अपनी इस चाची का ख्याल नहीं आया जरा भी कैसे रहेगी तेरे बगैर....

अभय – मुझे माफ कर दो चाची....

अभय के मू से चाची सुन तुरंत अभय को अपने गले लगा लिया मालती ने....

मालती –(रोते हुए) जानता है मेरे कान तरस गए थे तेरे मू से चाची सुनने के लिए पहले कसम खा मेरी की अब तू कही नहीं जाएगा हमें छोड़ के....

अभय – हा चाची मै कही नही जाऊंगा हमेशा यही रहूंगा मै....

मालती –(अभय के आसू पोछ के) चल अब रोना बंद कर (हल्का हस के) सच में तू आज भी लड़कियों की तरह रोता है....

मालती की बात सुन अभय के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई जिसके बाद....

अभय – अच्छा चाची चलता हू मै....

मालती – कहा जा रहा है....

अभय – जिम्मेदारी निभाने चाची गांव के प्रति कुछ जिम्मेदारी है मेरी निभाना पड़ेगा मुझे ही उसे....

मालती –(मुस्कुरा के) ठीक है और सुन जल्दी आना रात में आज तेरे लिए पराठे बनाऊंगी आलू के तुझे बहुत पसंद है ना....

अभय –(मुस्कुरा के) हा चाची जल्दी आ जाऊंगा....

बोल के अभय हवेली से बाहर निकल गया गांव की तरफ जहा राज , लल्ला और राजू पहल से इंतजार कर रहे थे....

राज –(अभय को अकेला आता देख) अबे तू अकेला क्यों आया है....

अभय – तो तू क्या चाहता है हवेली से सबको ले आता अपने साथ यहां काम कराने को....

राजू –(हस्ते हुए अभय से) अबे भाई तूने कभी सुना है कि पेट्रोल के बिना गाड़ी चलती है उसी तरह ये मजनू भी अपनी लैला के बिना काम में बेचारे का मन कैसे लगेगा यार....

बोल के तीनों दोस्त जोर से हसने लगे जिसके बाद....

अभय – भाई ऐसा है कि दीदी तो आने से रही आज वो क्या है ना मां हवेली में रुकी हुई है और कल से बाकी सब लेडीज ने दिन में आराम बंद कर दिया है अब तो दिन में उनकी पंचायत चलती रहती है हवेली में....

लल्ला –(हस्ते हुए) चू चू चू चू बेचारा राज अब कैसे मन लगेगा काम में इसका.....

बोल के फिर से तीनों जोर से हसने लगे....

राज –(तीनों की हसी सुन झल्ला के) ऐसा कुछ नहीं बे वो तो लिखा पड़ी का काम हो जाएगा इसीलिए मैं पूछ रहा था वर्ना मुझे क्या पड़ी है मिलने की अभी से....

अभय –(बात सुन के) अच्छा ऐसी बात है ठीक है मै दीदी को बता दूंगा जो अभी तूने कहा....

बोल के हसने लगा अभय जिसके बाद....

राज –अबे पगला गया है क्या बे में ये बात ऐसे बोला तू इसे इतना सीरियस क्यों ले रहा है मेरे भाई प्लीज ऐसा मत करना मेरा घर बसने से पहले ही उजड़ जाएगा....

राज की बात सुन तीनों फिर से हसने लगे जिसके बाद....

राजू – अबे चलो चलो पहले काम पे ध्यान देते है मस्ती के चक्कर में काम नहीं रुकना चाहिए वर्ना जानते हो ना ठकुराइन से पहले हमारी चांदनी भाभी नाराज हो जाएगी क्यों राज सही कहा ना....

राज –हा बिल्कुल (एक दम चुप होके राजू की तरफ पलट के) कुत्ते तू मजाक उड़ा रहा है मेरा रुक अभी बताता हु तुझे....

बोल के राज भागने लगा राजू के पीछे जिसे देख अभय और लल्ला हसने लगे गांव का काम निपटा के चारो अपने घर की तरफ निकल गए अभय हवेली में आते ही अपने कमरे में चला गया फ्रेश होके नीचे आया खाना खाने सबके साथ खाना खाने लगा तभी....

अभय – (अमन को कुर्सी में ना पाके) अमन कहा है....

ललिता – वो अपने कमरे में है वही खाना भिजवा दिया है उसका....

अभय – हम्ममम (पराठे खाते वक्त) बहुत मस्त बने है पराठे....

मालती – (अभय की प्लेट में 2 पराठे रख के) तेरे लिए ही बनाए है आलू के पराठे....

अभय – आपको पता है (शालिनी को देख के) मा भी बहुत अच्छे बनती है पराठे....

शालिनी – (हल्का हस अभय को हाथ दिखा के) चुप कर खाना खा तू चुप चाप....

अभय – इसमें गलत क्या है मां सच ही बोल रहा हू मै....

शालिनी – (हस के) हा हा अच्छे से समझ गई मैं तेरी बात सुबह बना दुगी पराठे तेरे लिए मै अब खुश....

अभय – (मुस्कुरा के) बहुत खुश....

शालिनी और अभय की बात सुन संध्या खामोशी से खाना खाती और देखती रहती अभय को कभी अभय की बात पर हल्का हस्ती तो कभी उसकी हसी अचानक कही गायब सी हो जाती खाना होंने के बाद सभी अपने कमरे में जाने लगते है अभय भी संध्या को कमरे में छोड़ के जाने को पलटा था तभी....

संध्या –अभय....

अभय – हा....

संध्या – कल दोपहर में चलना है मेले में तू कॉलेज मत जाना कल....

अभय – ठीक है....

बोल अभय अपने कमरे में चला गया काफी देर हो गई सभी लोग सो चुके थे तभी सायरा चुपके से अभय के कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा लॉक कर दिया....

अभय –(सायरा को अपने सामने देख) अरे वाह तुम तो सच में आ गई मुझे लगा....

सायरा – (बीच में बात काट अपनी टीशर्ट उतरते हुए) बहुत बक बक करने लगे हो तुम अभी बताती हु तुझे....

जैसे ही अभय की चादर खींची....

सायरा –(अभयं को बिन कपड़ो के देख मुस्कुरा के) ओहो तुम तो पहले से तयार हो


01
सायरा ने इतना ही बोला था कि अभय ने तुरंत सायरा को बेड में खींच उसके ऊपर आके चूमने लगा
02
कभी किस करता कभी गर्दन को चूमता 03
निकी झुक के बूब को चूसता 04
इस बीच सायर निकी झुक के लंड को चूसने लगी
05
सायरा बालों को पकड़ के अभय तेजी से लंड को सायरा के मू में अन्दर बाहर करने लगा06
साथ ही सायरा की चूत में अपने हाथ से मसलने लगा जिस वजह सायरा हल्का मदहोशी में अपने दोनों पैर फैलाने लगी 07
तब अभय बेड से उठ सायरा के पैरों के बीच में आके चूत पर अपना मू लगा अपनी जीव चाव तरफ घूमते हुए साथ अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स को दबाने लगा जिससे सायरा मदहोशी के आलम में गोते लगाने लगी08
है अपनी जीव को तेजी से चूत में नचाते हुए कुछ ही देर में सायरा चरम सुख को प्राप्त हो गई सायरा की अधमरी जैसी हालत देख अभय मुस्कुरा ने लगा 09खड़ा होके धीरे से सायरा की चूत पर लंड का टॉप टीका दिया जिसका एहसास होते ही सायरा की आंख खुल गई इससे पहले कुछ बोलती या समझ पाती अभय ने लंड को चूत में पूरा उतार दिया 10
सायरा सिसकियों के साथ हल्की मुस्कुराहट से अभय को देखने लगी 11
च अभय हल्के धक्कों के साथ नीचे झुक सायरा के होठ चूमने लगा जिसमें सायरा उसका साथ देने लगी 12
धीरे धीरे धक्के की रफ्तार को बढ़ते हुए अभय तेजी लंड अंडर बाहर करने लगा सायरा भी अभय का हाथ पकड़ उसका साथ देने लगी 13
फिर रुक सायरा को दोनों पैरों को अपने कंधे में रख धक्के लगाने लगा अभय तो कभी कमर से उठा गोद में सायरा की चूत में धक्का लगता तेजी से 14
जिसमें सायरा अभय की गर्दन में हाथ डाले उसका साथ देती गोद में उछलते हुए 15
तो कभी अभय बेड में लेट सायर को अपने ऊपर लेता तो सायरा लंड में उछलती 16
साथ ही अभय की आखों में देख उसे चूमती 17
तो अभय सायरा को पलट ऊपर आके तेजी से धक्के लगता 18
दोनो एक दूसरे को चूमते हुए 19
अपने चरम सुख को पा लिया दोनो ने 20
अपनी सास पर काबू पाते हुए अभय ने अपना सिर सायरा के सीने पर रख दिया जिससे सायरा के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई अभय के सिर पर हाथ फेरते हुए....

सायरा – I LOVE YOU ABHAY....

अभय – (चौक के) क्या....

सायरा – कुछ नहीं बस निकल आया मू से मेरे अपने आप तुम्हे क्या लगा....

अभय – नहीं कुछ नहीं खेर तुम बता रही थी कुछ बताने को क्या बात है....

सायरा – कोई दुश्मन है तुम्हारे परिवार का जो तुम्हे नुकसान पहुंचाना चाहता है तुम सावधान रहना अभय....

अभय – हम्ममम जनता हूँ तुम चिंता मत करो....

सायरा – हम्ममम अच्छा उठो अब मुझे जाना होगा अपने कमर में....

अभय – कोई जरूरत नहीं कही जाने की आज तुम यही सो जाओ मेरे साथ अच्छा लग रहा है तुम्हारे सीने पे सिर रख के....

सायरा – (मुस्कुरा के अभय के सीर पे हाथ फेरते हुए) ठीक है लेकिन सुबह जल्दी चली जाओगी मैं ठीक है....

अभय – हम्ममम ठीक है....

बोल के दोनो गले लग के सो गए....
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जारी रहेगा✍️✍️✍️
Awesome update
 
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