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Family Introduction
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Point ki bat kahe hai bhai aapneSk bat ha damini ke mata pita ki accident me death ho gayi thi kahin ye bhi to kisi ki sochi samjhi sajish nahi thi
Jindigi ke maje lene ka jada shauk hai na bhai pata chlega maja lene me ky hota haiOr ye aman nahi sudharne wala ab to damini ler najar ha iski lagta ha pehle abhay se mar khaker bhi nahi sudhra ab lagta ha Raj ke haton hi kuttker manega kyonki damini ko kuchh hua to apne Raj babu to firm me aye ge hi na
Big Wala Thank you Raj_sharma bhaiBohot hi shandar update tha bhai Emotional drama, sex, love, care, sab tha, mujhe lagta hai,ab wakt aagaya hai ki Raj ko chandni ki sacchai pata chal jaye, aur raaj ko ye nayi ladki ke sath Ilu-Ilu karwado fir,Udhar raman ne kis se baat ki??? Ye bhi dekhna hai, Uski gaand sutaai hui nahi dhang se
Awesome update again
Bilkul bhaiSamajh gaya,nava-nava kaam hai, to ILU-ILU per hi jyada dhyan do
Are aisi koi baat nahi hai mitra, ye story tumhari hai, or tum hi isper mehnat kar rahe hoTb to aapko sabse pehle Raj_sharma bhai or Riky007 bhai ki tariff karna chaheye Q ki inhone me he mujhe full support dia hai is STORY ko likhne ka jis wajh aaj yaha tak aa pai hai ye story
wo to hogi hi bhai ju ne abhi tak humari story padhi jo nahiBhai meri aaj tak ki favourite story yahi hai, is kahani ko sirf padha nhi h ise jiya hai bhai...
Wo point ki hi baat karta hai, bas ju ne samajhne me hi der kardiPoint ki bat kahe hai bhai aapne
kya hi kaha hai raj ne maza aa gyaराज –
कभी पसंद ना आए साथ मेरा तो बता देना
हम दिल पर पत्थर रख के तुम्हे गोली मार देगे
बड़ी आई ना पसंद करने वाली....
Lag raha hai bhavra dusre flower par jane ke liye udan bhar chuka hai so chandni kab apne dil ki baat kahegi abhay seबोल के दामिनी चप्पल उठा के राज के पीछे भागी लेकिन उससे पहले राज कमरे से भाग गया कमरे के बाहर खड़े गीता देवी और सत्या बाबू दोनो को इस तरह देख और बात सुन मुस्कुरा रहे थे दोनो....
Awesome updateUPDATE 54
एक तरफ हवेली में संध्या और ललिता मिल के अभय के सामने बीते हुए कल के पन्नों को पलटने में लगी थी हवेली में वहां से काफी दूर राज के घर में रात का खाना खाने के बाद सत्या बाबू घर के आंगन में बैठ के अपने बेटे राज से बाते कर रहे थे....
सत्या बाबू – (राज से) अभय कैसा है अब....
राज – वो ठीक है बाबा हवेली आ गया है जल्दी ही कॉलेज भी आना शुरू कर देगा....
सत्या बाबू – हम्ममम , दामिनी से मिला तू....
राज – हा मिला बाबा लेकिन ये यहां पर कैसे ये तो अपने मां बाप के साथ शहर चली गई थी हमेशा के लिए वही पढ़ने लगी थी फिर अचानक से यहां कैसे आना हुआ वो भी आपके साथ....
सत्या बाबू – बेटा अब से दामिनी यही रहेगी हमारे साथ....
राज – (चौक के) हमारे साथ क्या मतलब बाबा इसके मा बाप वो....
सत्या बाबू – (बीच में बात काट के) बेटा दामिनी के मा बाप का रोड एक्सिडेंट हो गया था इसीलिए उन्होंने मुझे शहर बुलाया था अपने पास कोई रिश्तेदार नहीं है उनका इस दुनिया में सिवाय उनकी एक लौती बेटी दामिनी के सिवा उनका कोई नहीं था दामिनी के बाबा से मरते वक्त मैने वादा किया कि दामिनी अब से मेरी जिम्मेदारी है इसीलिए उसे यहां ले आया मै....
राज – हम्ममम आपने अच्छा किया बाबा....
सत्या बाबू – राज मैने और तेरी मां ने तेरे बचपन में ही दामिनी के मां बाप से बात करके तेरा और दामिनी का रिश्ता जोड़ दिया था....
अपने पिता की बात सुन राज का चेहरा मुरझा गया जिसे देख....
सत्या बाबू – (राज का मुरझाया चेहरा देख) अरे मै सिर्फ तुझे बता रहा हूँ बात , आगे बढ़ने को नहीं बोल रहा हूँ वैसे भी दामिनी के मां बाप रहे नहीं और मै जनता हूँ तू किसी और को पसंद करता है (सिर पे हाथ फेर के) तू दामिनी की फिकर मत कर अभी के लिए तू पढ़ाई पर ध्यान दे और दामिनी की मदद कर दिया कर उसकी जिम्मेदारी हमारी है , चल तू जाके सोजा कल कॉलेज भी जाना है न....
बात करके राज अपने कमरे में जाने लगा दरवाजे तक आते ही राज ने देखा दामिनी एक तरफ दरवाजे के पीछे खड़ी राज और सत्या बाबू की बात सुन रही थी तभी राज को सामने खड़ा देख कमरे में चली गई लेकिन उसके जाने से पहले राज ने दामिनी की आंख में आसू की बूंद देख ली थी राज उसे रोकने की कोशिश करता लेकिन तब तक दामिनी कमरे में जा चुकी थी जिसे देख राज भी चुप चाप अपने कमरे में चला गया सोने लेकिन अफसोस पूरी रात राज और दामिनी कमरे में लेटे गुजरी लेकिन नींद दोनो की आंखों से गायब हो चुकी थी एक नए सवेरे के साथ सुबह की शुरुवात हो गई थी हवेली में जहा एक कमरे में संध्या और अभय गले लगे एक साथ सो रहे थे वहीं धीरे से उनके कमरे में कोई चुपके से बेड के पास आता है दोनो के एक साथ सोता देख धीरे से अभय के सिर पर हाथ फेरता है और तभी अभय की आंख धीरे से खुल जाती है अपने सामने खड़े शक्श को देख....
अभय – (मुस्कुरा के) मां....
अभय की आवाज से संध्या की नींद खुल जाती है अपने सामने शालिनी को देख के....
संध्या – आप इतनी सुबह सुबह....
शालिनी – (मुस्कुरा के) अभय को देखने का मन हुआ इसीलिए आ गई माफ करना....
संध्या –(मुस्कुरा के) इसमें माफी मांगने जैसा कुछ नहीं है अभय आपका भी बेटा हैं....
शालिनी – (अभय से) अब कैसा लग रहा है तुझे नींद अच्छी आई रात में....
अभय – बहुत अच्छा लग रहा है मां और रात में तो बहुत सुकून की नींद आई मुझे....
शालिनी – (मुस्कुरा के) चल ठीक है अगर तेरा मन हो तो वॉक पर चलेगा....
अभय – हा बिल्कुल मै अभी फ्रेश होके आता हूँ....
बोल के अभय फ्रेश होने चला गया जिसके बाद....
शालिनी – (संध्या से) तू खुश है न अब....
संध्या – बहुत खुश हूँ कल रात मैने अभय को सब बता दिया....
शालिनी – ये अच्छा किया तूने....
फिर शालिनी के साथ अभय निकल गया हवेली के बाहर वॉक करने जहा पर मिली....
अलीता – (अभय को देख के) कैसे हो देवर जी सुबह सुबह वॉक पर बहुत अच्छी बात है....
अभय – भाभी आप रोज सुबह वॉक करते हो....
अलीता – हा क्यों....
अभय – तब तो अच्छा रहेगा मुझे अकेले रोज सुबह वॉक करना नहीं पड़ेगा....
अलीता – वो तो वैसे भी नहीं करना पड़ेगा....
अभय – मतलब....
अलीता –(मुस्कुरा के) वो देखो सामने....
अपने सामने देखा जहां पर सोनिया और चांदनी वॉक कर रहे थे....
अभय – ओह दीदी भी वॉक कर रही है....
अलीता – इसीलिए तो कहा देवर जी आपको अकेले वॉक नहीं करना पड़ेगा चलो वॉक करते है साथ में....
कुछ समय बाद सब वापस हवेली आके तैयार होके नाश्ता करने बैठे थे हॉल में....
संध्या – (अभय से) तू यहां बैठ अब से यही बैठा करेगा तू ये हवेली के मालिक की कुर्सी है समझा....
अभय – तब तो इसमें तुझे बैठना चाहिए....
संध्या – (मुस्कुरा के) मै बैठूं या तू क्या फर्क पड़ता है इसमें....
शालिनी – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा संध्या ने दोनो में कोई बैठे बात तो एक ही है ना....
नाश्ता करते वक्त अभय एक के बाद एक पराठा खाए जा रहा था जिसे देख....
मालती – अभय आराम से कर नाश्ता जल्दी जल्दी क्यों खा रहा है....
अभय – क्या करू चाची पराठे इतने अच्छे बने है कि पेट भर जाए लेकिन दिल नहीं भर रहा है मेरा....
ललिता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल क्यों न भरेगा दिल आखिर इतने सालों के बाद दीदी ने बनाए है पराठे तेरे लिए....
अभय – अरे वाह तभी मै सोचूं आज के पराठे में इतना स्वाद कैसा आ रहा है मजा आ गया नाश्ते का आज तो....
संध्या – (मुस्कुराते हुए) चल जल्दी से नाश्ता करके तैयार होजा आज पंचायत चलना है तुझे मेरे साथ....
रमन – (चौक के) पंचायत में लेकिन वहां पर अभय का क्या काम भला....
संध्या – गांव वाले से मिलवाना है अभय को उन्हें भी पता चले उनका अभय ठाकुर वापस आ गया है....
संध्या की बात जहां सब मुस्कुरा रहे थे वही रमन के साथ अमन की हसी गायब थी कुछ समय के बाद संध्या और अभय पंचायत में थे जहां पर संध्या और गीता देवी ने मिल के सभी गांव वाले से अभय को मिलवाया जहा आज गांव के कई औरते हैरानी से संध्या को देख रही थी जो आज अभय के साथ चिपक के खड़ी थी जिसे देख उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही संध्या है जो एक वक्त अभय पर हाथ उठाया करती थी और आज उसी के साथ चिपक के खड़ी है लेकिन गीता देवी के मुखिया होने के कारण कोई औरत कुछ नहीं बोल पाई लेकिन अभय जरूर हैरान था इस बात से जब गांव के लोग संध्या को ठकुराइन , मालकिन बोल के बात कर रहे थे तब संध्या भी रोब से बात कर रही थी सबसे कुछ समय के बाद सबसे विदा लेके संध्या और अभय निकल गए हवेली की तरफ रस्ते में अभय गोर से देखे जा रहा था संध्या को....
संध्या – (अभय को देख के) क्या हुआ ऐसे गौर से क्या देख रहा है....
अभय – देख रहा हूँ आज गांव की पंचायत में सभी गांव वाले तुझे मालकिन , ठकुराइन बोल के बात कर रहे थे और तू भी बिल्कुल ठकुराइन वाले अंदाज में बाते कर रही थी....
संध्या – (हस के) तो इसमें क्या हुआ....
अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नहीं बस सोच रहा था 2 दिन से जिसकी आंखों में जरा जरा सी बात में आसू आ रहे थे मेरे सामने , आज गांव की पंचायत में (हस्ते हुए) मै तुझे नाजुक सा समझ रहा था लेकिन तू तो तेज निकली....
संध्या – (अभय बात सुन हस्ते हुए) कल से पहले मैं खुद को एक कमजोर औरत समझती थी लेकिन....
बोल के संध्या चुप हो गई जिसे देख....
अभय – लेकिन क्या बोल न....
संध्या – तेरे साथ खुद को महफूज समझती हूँ....
अभय –(मुस्कुरा के कंधे पे हाथ रख के) मै हमेशा तेरे साथ रहूंगा हर कदम पर (बात बदल के) वैसे तुझपे ठकुराइन नाम बहुत जचता है जैसे सब गांव वाले बार बार बोल रहे थे प्रणाम ठकुराइन , जी ठकुराइन , हा ठकुराइन , अगर तू चुनाव में खड़ी हो गई तब तो सब यही बोलेगी ठकुराइन की जय हो....
बोल के दोनो हंसने लगे साथ में हवेली आ गए कार से उतर के हस्ते हुए हवेली के अन्दर आ के जहां चांदनी , सोनिया , शालिनी , अलीता , ललिता और मालती एक साथ हॉल में बैठे थे और दोनो को एक साथ हस्त देख....
चांदनी– (संध्या और अभय को हंसता देख) क्या बात है किस बात पे इतना हंसा जा रहा है....
अभय – (हस्ते हुए) दीदी पंचायत की बात....
शालिनी – (मुस्कुरा के) ऐसी कौन सी बात हो गई जिसपे इतनी हसी आ रही है....
अभय – नमस्ते ठकुराइन , जी ठकुराइन , ठकुराइन की जय हो....
बोल के हस्ते हुए अभय भाग के कमरे मे चला गया जिसके बाद....
ललिता – (हस्ते हुए संध्या से) इसे क्या हुआ दीदी इतना जोर से हस्ते हुए भाग क्यों गया....
ललिता की बात सुन संध्या ने सारी बात बता दी जिसके बाद सब हंसने लगे....
ललिता –(मुस्कुरा के) आज बरसो के बाद हवेली में सबकी हसी गूंज रही है....
अलीता – (मुस्कुरा के) क्यों ना हूँ चाची आखिर देवर किसका है....
अलीता की बात सुन सब फिर से मुस्कुराने लगे....
लेकिन कोई था जो रसोई के दरवाजे के पीछे से छिप के ये नजारा देख रहा था जिसके बाद हॉल में सबके सामने आया तब....
संध्या – अरे उर्मिला कही जा रही हो क्या....
उर्मिला – वो ठकुराइन बाहर तक जाना है कुछ सामान लाना था वो....
संध्या –(उर्मिला की बात समझ उसे पैसे देते हुए) देख उर्मिला ये तेरा भी घर है इसीलिए हक से मांग लिया कर तू सोचा या शरमाया मत कर तुझे जो चाहिए ले आ , पैसे चाहिए हो तो और लेले....
उर्मिल – नहीं नहीं ठकुराइन इतने बहुत है पैसे बचा के वापस कर दूंगी....
ललिता – उर्मिला इस तरह बात करके अपने आप को पराया मत समझ तू भी इस परिवार का हिस्सा है किसी भी चीज के लिए संकोच करने की जरूरत नहीं है तुझे ठीक है....
उर्मिला – जी ठकुराइन....
संध्या – ठकुराइन नहीं सिर्फ दीदी बोला कर जैसे ललिता और मालती बोलते है ठीक है....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) ठीक है दीदी....
बोल के उर्मिला निकल गई हवेली के बाहर खेर में आते ही जहां एक तरफ रमन खड़ा खेतों का काम देख रहा था तभी उर्मिला को सामने से आता देख बगीचे की तरफ निकल गया कमरे में आते ही थोड़ी देर बाद उर्मिला आई कमरे में जिसके बाद....
रमन – (उर्मिला को अपनी बाहों में लेके) बहुत इंतजार कराया तूने मेरी जान....
बोल के उर्मिला की सारी और ब्लाउज खोलने लगा....
उर्मिला – (मुस्कुरा के) इंतजार तो आप कराते हो मुझे ठाकुर साहब अब तो हवेली में हूँ मैं फिर भी आप देखते तक नहीं....
रमन –(उर्मिला की ब्रा खोलते हुए) तू जानती है हवेली पर कोई ना कोई होता है गलती से भी किसी की नजर पड़ गई तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा अपने....
रमन – अब छोड़ ये सब फालतू की बात पहले मुझे शांत कर दे मेरी जान....
बोल के उर्मिला को होठ चूमने लगता है रमन चूमते चूमते नीचे खिसक के स्तन चूसने लगता है जिससे उर्मिला की सिसकिया गूंजने लगती है कमरे में
उर्मिला – (सिसकियां लेते हुए) मैने कब रोका आपको ठाकुर साहब ये आपका जिस्म है जो चाहे वो करे आप आहहहहह....
उर्मिला – ऊममममम (लंड को हाथ में पकड़ के) ठाकुर साहब काफी गरम लग रहा है हथियार आपका
रमन – ये तो हर रोज गरम रहता है मेरी जान इसे राहत तो तब तक नहीं मिलेगी जब तक इसे इसकी असली मंजिल नहीं मिल जाती....
उर्मिला – (हल्का मुस्कुरा के रमन के लंड को सहलाते हुए) जिद छोड़ दीजिए ठाकुर साहब ठकुराइन आपके हाथ नहीं आने वाली....
उर्मिला की बात सुन रमन ने कंधे पर हाथ रख नीचे झुकाया इशारे को समझ उर्मिला ने मुस्कुरा के रमन के लंड को चूसना शुरू किया....
रमन – आहहहहहह मेरी जान जो मजा उसमें है वो किसी में नहीं साली मिली भी तो कुछ देर के लिए और ऐसा नशा दे गई आज तक नहीं उतर पाया....
रमन बात करते करते उर्मिला का सिर पकड़ के लंड को उसके मू में पूरा ठूसे जा रहा था जिसे उर्मिला को तकलीफ हो रही थी लेकिन उसे समझ आ गया था रमन के दिमाग में इस समय संध्या घूम रही है जीस वजह से उसका जोश बढ़ गया है....
उर्मिला – (लंड मू से बाहर निकाल के खांसते हुए) आज तो आप कुछ ज्यादा ही जोश में लगते है ठाकुर साहब....
रमन – तूने तो याद दिला दी संध्या की मेरी जान....
उर्मिला – (मुस्कुराते हुए) तो आज आप मुझे संध्या समझ लीजिए ठाकुर साहब....
रमन – (मुस्कुराते हुए) समझूं क्या , तक तुझे सिर्फ संध्या समझ के ही तो भोगता आया हूँ मेरी जान....
बोलके चूत चूसने लगा जिसके वजह से उर्मिला सिसकियां लेंने लगी....
उर्मिला – आहहहहहह ऊमममममम ठाकुर साहब आराम से आहहहहहह
रमन पूरे जोश के साथ लगा हुआ था उर्मिला के साथ उसके जोश को देख ऐसा लग रहा था वो सच में उर्मिला को संध्या समझ के भोगने में लगा हुआ है जिसके कारण उर्मिला लगातार लम्बी सिसकिया लिए जा रही थी....
और उसी जोश के साथ रमन ने उर्मिला को लेता के लंड को सीधा चूत में पूरा डाल दिया....
उर्मिला –(चीखते हुए) आाआऐययईईईईईईईईई धीरे करिए ठाकुर साहब मै कही भागी नहीं जा रही हूँ....
लेकिन रमन कोतो जैसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था अपने जोश के आगे क्योंकि रमन पूरा लंड बाहर निकाल कर पूरा एक ही बार मे अंदर डाल रहा था जिस वजह से उर्मिला लगातार चीख रही थी आवाज बाहर ना जाए अपने मू पे हाथ रख के चीख रही थी....
रमन जोश में अपने धक्के तेज किए जा रहा था
अब कमरे में ठप ठप की आवाज़ सुनाई दे रही थी ऑर इसके साथ ही उर्मिला के मुँह से """आअहह आआहह आआअहह" की आवाज़े सुनाई दे रही थी....
रमन – (सिसकियों के साथ) ओहहहह मेरी जान बहुत दम है तेरी बुर में बहुत मजा आ रहा है तेरी बुर कितनी गर्म है रे,,,,ऊममममम
ऊममममम....
उर्मिला – (सिसकी लेते हुए) आपका हथियार भी तो बहुत जानदार है ठाकुर साहब,,,,सहहहहह आहहहहहह,,, ऐसा लग रहा है किसी ने कोई लोहे का मोटा छड मेरी बुर में डाल रहा
हो,,, आहहहहहह ऊमममममममम
कुछ समय बाद रमन ने उर्मिला की कमर को पकड़ के अपने ऊपर ले आया अब उर्मिला कमर उचका कर जैसे घोड़े की सवारी करने में लगी हुई थी....
कुछ मिनिट में उर्मिला ने अपना पानी छोड़ दिया जिससे रमन ने उसे घोड़ी बना के पीछे से उर्मिला की सवारी करने लगा....
धीरे धीरे रमन अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा था उर्मिला की कमर को दोनों हाथों से कस के जकड़े रहने के वजह से उर्मिला को जलन होने लगी थी....
उर्मिला – (दर्द में) धीरे करिए ठाकुर साहब आहहहह आहहहहह जलन हो रही है
रमन अनसुना कर तेजी से आ0ने अंतिम पड़ाव पर आने को तैयारी कर रहा था....
कुछ हे सकें बाद रमन अपने अंतिम पड़ाव पर आखिर कर आ ही गया....
एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी उर्मिला के चूत में छोड़ता चला गया जिसके बाद दोनो लंबी सास लेते हुए....
उर्मिला – आज ठकुराइन कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी....
रमन – अच्छा और वो किस लिए....
उर्मिला – आज अभय के साथ गांव की पंचायत से बहुत हस्ते हुए वापस आई है ठकुराइन....
रमन – (गुस्से में) ये सपोला जब से वापस आया है तब से नाक में दम कर दिया है इसने अच्छा होता ये बचपन में ही मर गया होता तो आज ऐसा नहीं होता....
उर्मिला – आप इतना गुस्सा मत हो ठाकुर साहब मुझे पता है आप कोई ना कोई हल निकाल ही लोगे इसका....
रमन – इसकी वजह से राजेश से भी संपर्क टूट गया है मेरा....
उर्मिला – वो नया थानेदार वो भला क्या काम का आपके....
रमन – काम का तो है आखिर है तो वो संध्या का ही दोस्त कॉलेज के वक्त से....
उर्मिला – लेकिन वो क्या करेगा इसमें आपकी मदद....
रमन – कर सकता है मदद मेरी उसके लिए मानना पड़ेगा उसे....
उर्मिला – लेकिन कैसे....
रमन – तू कर दे मदद मेरी इसमें....
उर्मिला – (हैरान होके) मै कैसे मदद कर सकती हु इसमें....
रमन – (मुस्कुरा के) एक बार उसे खुश कर दे अपने जलवे दिखा के....
उर्मिला – लेकिन मैं ही क्यों....
रमन – क्योंकि जो तू कर सकती है वो कोई और नहीं कर सकता है बस किसी तरह उसे अपने हुस्न की बोतल में उतार दे तू उसके बाद उस सपोले का ऐसा इंतजाम करूंगा कोई हवेली के साथ पूरे गांव जान नहीं पाएगा अभय को धरती निगल गई या आसमान....
उर्मिला – लेकिन राजेश से बात होती है आपकी अभी भी....
रमन – उस हादसे के बाद नहीं हुई रुक अभी करता हूँ (राजेश को कॉल मिला के) कैसे हो राजेश....
राजेश – कैसा होना चाहिए मुझे....
रमन – अभी भी नाराज हो क्या यार....
राजेश – यहां मेरी जिंदगी जहन्नुम बनती जा रही है और तुम्हे नाराजगी की लगी है....
रमन – (हैरानी से) ऐसा क्या होगया है....
राजेश – उस DIG शालिनी की वजह से ये सब हो रहा है साली जब से गांव में आई है चैन की सास नहीं लेने दे रही है जब से तेरे गोदाम वाला कांड हुआ है....
रमन – हा यार नुकसान उसमें मुझे बहुत हुआ है इसीलिए मैने अपना मोबाइल बंद करके रखा है जिसके पैसे है वो खून पी जायेगे मेरा इसीलिए , चल छोड़ यार थूक दे गुस्से को और ये बता खाली कब है तू....
राजेश – कल की छुट्टी ली हुई है मैने तुम बताओ....
रमन – अच्छा है कल तेरे लिए एक तोहफा भेज रहा हूँ अच्छे से इस्तमाल करना....
राजेश – (ना समझते हुए) क्या मतलब मै समझा नहीं....
रमन – कल दोपहर में तेरा तोहफा तेरे दरवाजे में आके मिलेगा तुझे सब समझ जाएगा तू कल बात करता हू मैं....
बोल के कॉल कट कर दिया रमन ने....
रमन – (उर्मिला से) कल तू राजेश के घर चली जाना हवेली में कोई भी बहाना करके....
उर्मिला – (सोचते हुए) क्या मेरा जाना सही रहेगा....
रमन – (मुस्कुरा के) इतना भी मत सोच तू ये समझ तू मेरे या अपने लिए नहीं हमारी बेटी के लिए कर रही है अपनों के लिए कभी कभी कुर्बानी देनी पड़ती है हमें....
उर्मिला – ठीक है ठाकुर साहब मै कल जाऊंगी....
बोल के उर्मिला चली गई हवेली की तरफ पीछे से रमन मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकल आया तभी उसके मोबाइल में किसी अनजाने नंबर से कॉल आया जिसे उठाते ही सामने वाली की आवाज सुन एक पल के लिए रमन की आंख बड़ी हो गई लेकिन अगले ही पल हा हा करके जवाब देते हुए सामने वाले की बात सुनने लगा ध्यान से जिसके बाद कॉल कट कर....
रमन – (हस्ते हुए) बस कुछ दिन और जी ले अभय जल्द ही तेरी मौत का वक्त आ रहा है....
जबकि इस तरफ राज सुबह घर से सीधा दामिनी को लेके कॉलेज चला गया जहा शनाया की मदद से दामिनी को कॉलेज में ऐडमिशन मिल गया जिसके बाद राज ने अपने दोस्तों से दामिनी को मिलाया क्लास शुरू होते ही दामिनी के साथ नीलम और नूर बैठे थे तभी क्लॉस में आते ही अमन की नजर दामिनी पर पड़ी उसके साथ अमन के 2 दोस्तो ने भी देख के चौक गए दामिनी को यहां पर लेकिन उस समय किसी ने कुछ नहीं बोला कॉलेज की छुट्टी के वक्त....
अमन का दोस्त 1 – अबे ये लड़की यहां कैसे ये तो शहर में थी....
अमन – तुझे कैसे पता.....
अमन का दोस्त 2 – अबे इसके मा बाप का एक्सीडेंट हो गया था शहर में अस्पताल में आते ही मर गए थे वो दोनो....
अमन – अच्छा लेकिन तुम दोनो को कैसे पता ये सब....
अमन का दोस्त 1 – (मुस्कुरा के) वो इसलिए जिस गांव में हम रहते है इसका बाप वहां का मुखिया था बस इसी वजह से किसी की हिम्मत नहीं होती थी गांव के मुखिया की बेटी पे हाथ डालने की वर्ना कब का इस कली को फूल बना दिन होता हमने....
बोल के दोनो हंसने लगे....
अमन – तो अभी कौन सा समय बीत गया है बना देते है इसे फूल....
अमन का दोस्त 2 – संभाल के इसे पूनम मत समझना अमन ये बहुत ही तेज लड़की है शहर से आई है....
अमन – कोई बात नहीं प्यार से आ गई तो ठीक नहीं तो जबरदस्ती उठा लेगे अपने तरीके से....
बोल के तीनों दोस्त मुस्कुराने लगे....
रात के वक्त हवेली में सब सोने चले गए थे लेकिन एक कमरे में....
अभय – (संध्या से) आज गांव की पंचायत में एक बात कई परिवारों को एक साथ देख सोच रहा था मैं....
संध्या – क्या सोच रहा था तू....
अभय – दादी (सुनैना) के बारे में कहा चली गई होगी अचानक से कहा होगी जाने किस हाल में होगी यही सोच रहा था....
संध्या – हम्ममम पता तो हमने भी बहुत लगाने की कोशिश की लेकिन माजी का कही कुछ पता नहीं चला....
अभय – उनका कोई दोस्त रिश्तेदार कोई है ऐसा जिसके पास जा सकती हो दादी....
संध्या – ऐसा कोई नहीं है गांव में और गांव के बाहर , शालिनी ने भी काफी कोशिश की थी लेकिन उनको भी पता नहीं चला माजी (सुनैना) का....
अभय – (संध्या को देख जो सोच में गुम थी) अब तू किस सोच में डूबी हुई है....
संध्या – क्या मालती सच में ऐसा कुछ कर सकती है अगर हा तो उसके बाद से आज तक कुछ और किया क्यों नहीं या ये सिर्फ हमें लग रहा है....
अभय – ऐसा भी हो सकता है उसके बाद भी उसने कुछ किया हो जिसका पता किसी को भी ना हो , देख तेरी और चाची की बात सुन के मैने अंदाजा लगाया था क्योंकि हवेली में और कोई ऐसा करने की सोच नहीं सकता था तब तो बचा रमन , लेकिन रमन तो खाना खा के सीधा कमरे में आया था तो बची सिर्फ मालती चाची उन्होंने ही तुझे और चाची को दूध दिया था कमरे में....
संध्या – तुझे लगता है इतने साल पुरानी बात पूछने पर मालती सही जवाब देगी....
अभय – मुश्किल है बल्कि टाल देगी....
संध्या – सच बोलूं तो मुझे डर सा लगने लगा है अब इस हवेली में , अभय हम कही और चले चलते है छोटे से घर में रह लेगे कम से कम....
अभय – (बीच में बात काट के) ये क्या सोचे जा रही है तू और डर किस बात का अब मै हूँ ना तेरे साथ घबरा मत मेरे होते कुछ नहीं होगा तुझे....
संध्या – नहीं अभय अब तक जो कुछ हुआ है उसके बाद मैने फैसला कर लिया तेरे ठीक होते ही हम यहां से कही दूर चले जाएंगे भले एक कमरे के मकान में सही कम से कम चैन से रहेंगे....
अभय – और छोड़ दे भूल जाय इन गांव वालों को देखा नहीं आज कैसे गांव वाले बातों बातों में हर कोई अपनी छोटी से छोटी दिक्कत तेरे सामने रख रहा था किस लिए बस इस उम्मीद पे कि ठकुराइन ही उनकी परेशानी दूर कर सकती है अब ऐसे में सिर्फ अपने बारे में सोच के हम छोड़ दे इन गांव वालों को (संध्या का हाथ पकड़ अपने पिता की तस्वीर के सामने लाके) देख इस तस्वीर को और बता क्या बाबा अगर होते तो क्या वो भी यही करते....
संध्या – (अभय के गले लग के) गांव की भलाई करके भी क्या मिला था उन्हें एक लाइलाज बीमारी जिसने हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया मुझसे सब कुछ मेरा (रोते हुए) अभय मै एक बार दूसरों की बातों में आके तेरे साथ गलत कर चुकी हूँ जिसकी सजा मैंने कई साल तक झेली है लेकिन अब जान के भी गलती नहीं करना चाहती....
अभय – मैने पहले भी कहा फिर कहता हूँ कुछ नहीं होगा तुझे और मै तुझे कभी छोड़ के नहीं जाऊंगा हमेशा साथ रहूंगा तेरे अपने मन से ये डर निकाल दे तू और ये जरा जरा सी बात पर अपनी आंखों में आसू मत लाया कर तुझे रोता देख मेरा दिल दुखने लगता है (तस्वीर की तरफ इशारा करके) वो देख जरा इस तस्वीर में कितनी सुंदर मुस्कुराहट है तेरी , ऐसी मुस्कुराहट के साथ हमेशा देखना चाहता हूँ मैं तुझे....
अभय की बात सुन संध्या हल्का सा हस देती है जिसे देख....
अभय – वैसे बाबा भी अच्छा हस रहे है Hamndsome Man लेकिन बाल अच्छे नहीं है....
संध्या – (अभय की बाल वाली बात सुन) धत ऐसे बोलते है क्या....
बोलते ही दोनो मुस्कुराने लगे....
अभय – चल सोते है कल खेतों में घूमने जाऊंगा चलेगी साथ मेरे....
संध्या – मौसम देख रहा है बारिश कभी भी हो सकती है....
अभय – जाना कल है अभी रात में नहीं अब कल की कल सोचेंगे अभी आराम करते है....
हवेली में ये दोनों तो सो गए लेकिन एक घर में एक लड़की गुम सूम सी बैठे अकेले कमरे में आखों में नमी लिए एक फोटो को देखे जा रही थी तभी पीछे से चुपके से कोई था जो उसे देख रहा था धीरे से कमरे में आके....
राज – अब तक जाग रही हो....
दामिनी –(हल्की मुस्कान के साथ) और तुम भी अब तक सोए नहीं....
राज –
इस सफर पर नींद ऐसी खो गई
हम ना सोए रात थक कर सो गई....
राज – किसकी याद में आंसू बहाए जा रहे है....
दामिनी – (राज को फोटो दिखाते हुए) मां बाबा....
राज – (फोटो देख के)
एक कल हमारे पीछे है
एक कल हमारे बाद
आज आज की बात करो
आज हमारे साथ....
दामिनी – (मुस्कुरा के) अच्छी शायरी कर लेते हो तुम....
राज – और बाते भी अच्छी कर लेता हूँ....
दामिनी – एक बात पूछूं....
राज – हा पूछो ना....
दामिनी – इतने सालों में तुम्हे कभी याद आई मेरी....
राज – याद तो बहुत आई तुम्हारी सोचा मिलूं तुमसे फिर बाबा से पता चला तुम शहर चली गई पढ़ने फिर क्या था यहां अपने दोस्तों के साथ वक्त गुजारता फिर एक दिन मेरा दोस्त (अभय) भी चल गया छोड़ कर उस वक्त दिल बहुत रोया मेरा ये सोच के जिसे भी अपना समझा वो जाने क्यों छोड़ के चल जाता है मुझे इसीलिए उस दिन से किसी से न दोस्ती की मैने....
दामिनी – अभय वही है ना जिसे अस्पताल में देख था....
राज – है वहीं है....
दामिनी – फिर वापस कब आया....
राज – (अभय के जाने से लेके आने की बात बता बताई बस अभय के घर की बात न बता के) बस तब से उसके साथ ही अपना सारा वक्त गुजारता हूँ....
दामिनी – (मुस्कुरा के) बहुत खास है ना अभय तुम्हारे लिए....
राज – (मुस्कुरा के) हा बहुत खास है वो गांव में वही एक इकलौता ठाकुर है जिसने गांव के लोगों के साथ कभी उच्च नीच की सोचे बिना सबसे मिल के रहता है....
दामिनी – बहुत किस्मत वाला है अभय तुम्हारा साथ जो है उसके साथ कम से कम....
राज – (दामिनी की बात समझ के) तुम इतने वक्त शहर में रही लेकिन कभी आई नहीं मिलने....
दामिनी – बाबा बोलते थे पहले पढ़ लिख ले उसके बाद खुद लेने आऊंगा फिर एक दिन बाबा का कॉल आया तो बोले किसी कम से शहर आ रहे है मां के साथ तुझे साथ लेके आयेगे गांव आगे की पढ़ाई गांव के कॉलेज में करना राज के साथ लेकिन वो शहर तक पहुंचे ही नहीं और उनका एक्सीडेंट हो गया रस्ते में....
बोल के दामिनी रोने लगी जिसकी आवाज सुन गीता देवी कमरे में आ गई दामिनी को रोता देख....
गीता देवी – (दामिनी को गले लगा के) क्या हुआ दामिनी तू रो क्यों रही है....
राज – मां वो दामिनी अपने और शहर के बारे में बता रही थी मुझे फिर अपने मां और बाबा की बात बता के रोने लगी....
गीता देवी –(दामिनी को चुप कराते हुए) बस बेटा रो मत हम है ना तेरे साथ तू अकेली नहीं है बेटा (दामिनी के आसू पोछते हुए) मैने वादा किया था तेरे मा बाबा से तू हमेशा हमारे साथ रहेगी बेटा....
राज एक तरफ चुप चाप खड़ा अपनी मां की सारी बात सुन रहा था पानी का ग्लास दामिनी को देते हुए....
राज – पानी पी लो दामिनी....
ग्लास लेके दामिनी के पानी पीते ही घर के दरवाजे से सत्या बाबू गीता देवी को आवाज लगते हुए घर में आ गए जिसके बाद....
गीता देवी – राज तेरे बाबा आ गए है तू बैठ दामिनी के साथ मै अभी आती हूँ....
बोल के गीता देवी कमरे के बाहर चलो गई....
राज – (बात बदल ते हुए) मुझे तो पता भी नहीं था तू रोती भी है....
दामिनी – मुझे चिड़ाओ मत अगर चिढ़ाना है तो अपनी वाली के पास जाओ....
राज –
ये बारिश का मौसम बहुत तड़पाता है
वो बस मुझे ही दिल से चाहता है
लेकिन वो मिलने आए भी तो कैसे?उसके पास न रेनकोट है और ना छाता है....
दामिनी – (जोर से हस्ते हुए) ये किस्से पाला पड़ गया तेरा....
राज – किस्मत की बात है यार क्या करू मैं....
दामिनी – (हस्ते हुए) कोई और संस्कारों वाली नहीं मिली क्या तुझे या तूने सारे संस्कार त्याग तो नहीं कर दिए कही....
राज – संस्कार की बात मत कर पगली तू
अरे हम तो TEMPEL RUN भी चप्पल उतार के खेलते है....
दामिनी – (हस्ते हुए) तू और तेरी शायरी इस कमरे में घूम रहे छोटे मच्छर की तरह है जिसका कुछ नहीं हो सकता कभी....
राज –
कौन कहता है बड़ा साइज सब पे भारी है
कभी एक मच्छर के साथ रात गुजारी है....
दामिनी – (हस्ते हुए) तू जा अपने कमरे में ज्यादा देर साथ रहा मेरे तो पेट दर्द हो जाएगा मेरे....
राज –
कभी पसंद ना आए साथ मेरा तो बता देना
हम दिल पर पत्थर रख के तुम्हे गोली मार देगे
बड़ी आई ना पसंद करने वाली....
बस इतना बोलना था राज की....
दामिनी – (हैरानी से) तू गोली मरेगा मुझे , मै तेरा खून पी जाऊंगी....
बोल के दामिनी चप्पल उठा के राज के पीछे भागी लेकिन उससे पहले राज कमरे से भाग गया कमरे के बाहर खड़े गीता देवी और सत्या बाबू दोनो को इस तरह देख और बात सुन मुस्कुरा रहे थे दोनो....
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जारी रहेगा