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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
ये रमन उर्मिला को साथ में लेके और इन्स्पेक्टर राजेश की सहायता से हवेली में बहुत बडा कांड करने के चक्कर में लगता हैं
वही रमन का सपोला अपने पुराने रंग में आ रहा हैं उसकी नियत दामिनी पर आ गयी है
संध्या और अभय के बीच का संभाषण संध्या के मन का अभय के बारें में डर दर्शाता हैं तो अभय की बातों से लगता हैं की वो याददास्त खो जाने का नाटक कर रहा हैं अपने दुश्मनों को दिखाने के लिये
वैसे राज और दामिनी के बीच का संभाषण भी मजेदार हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thank you sooo much Napster bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bahut hi lajawab update
Thank you sooo much king1969 bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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very very nice....................................................................................................................................................... next update jaldi
Thank you sooo much Acha bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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very very nice....................................................................................................................................................... next update jaldi
Thank you sooo much Acha bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Yarr mujhe to aisa lg rha hai Bhai Tum Confuse ho ki Agey Kya kru Story chl rhi thi kaha aur Agyi kaha Baki sb badiya Dekho agey Kya Hota awesome Update
Chalo aap he help kar do aage ki update me meri
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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UPDATE 55



अभय – Good Morning दीदी & सोनिया....

चांदनी और सोनिया – Good Morning अभय....

सोनिया – तो कैसा लग रहा है अब पेन तो नहीं है तुम्हे अब....

अभय – अब बिल्कुल भी नहीं है वैसे आज भाभी नहीं दिख रही है....

चांदनी – भाभी को कल रात में जुकाम हो गया था मैने आराम करने को कहा इसीलिए नहीं आई....

अभय – ओह कोई बात नहीं वॉक करे....

चांदनी – हम्ममम चलो फिर....

सुबह सुबह मॉर्निंग वॉक करके वापस हवेली आके तैयार होके नाश्ता करने लगे सब....

शालिनी – (संध्या से) संध्या मै आज दिन में शहर वापस जा रही हूँ ऑफिस में काफी काम है मुझे जाना होगा....

इससे पहले संध्या कुछ बोलती....

अभय – क्या मा आपकी ये DIG वाली ड्यूटी बड़ी भारी पड़ती है हमपे जब देखो कोई ना कोई इमरजेंसी आ जाती है आपको....

शालिनी – (हस्ते हुए) बेटा पुलिस का काम ही ऐसा होता है और कौन सा हमेशा के लिए जा रही हूँ जल्दी वापस आ जाऊंगी मैं....

अभय – मा आप छोड़ क्यों नहीं देते ये काम यही रहीये ना हमारे साथ यहां भी आपके मतलब के बहुत काम मिल जाएंगे आपको , कम से कम आपके साथ रहेंगे हम....

शालिनी –(अभय के सिर पे हाथ फेर के) मै तो हमेशा साथ रहूंगी तेरे लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी भी निभानी जरूरी है बेटा वर्दी पहनते वक्त इसीलिए शपथ लेते है ताकि अपनी जिम्मेदारी से पीछे कभी ना हटे हम....

अभय – (मुस्कुरा के) बस जल्दी आना आप....

संध्या – (मुस्कुरा के) वो तो आएगी ही ये भी इनका घर है....

नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद शालिनी वापस शहर के लिए निकलने लगी शालिनी के कार में बैठते ही....

अभय – मां आराम से जाना अपना ख्याल रखना और खाना वक्त पर खाना मै कॉल करूंगा आपको रोज....

शालिनी –(गाल पे हाथ रख के) तू भी ध्यान रखना अपना और संध्या का समझा और अगर कॉल नहीं किया तो मै नाराज हो जाओगी तेरे से....

अभय – (मुस्कुरा के) करूंगा कॉल रोज....

मुस्कुरा के सबसे विदा लेके शालिनी शहर की तरफ निकल गई....

अलीता – (पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रख के) देवर जी आज का क्या प्रोग्राम है क्यों ना आज गांव घूमने ले चलो आप हमें....

अभय – (मुस्कुरा के) बिलकुल भाभी आपका ड्राइवर खिदमत में हाजिर है आपके बस 5 मिनट दीजिए फ्रेश होके आता हूँ फिर आपका ड्राइवर ले चलेगा आपको गांव घुमाने....

बोल के अभय कमरे में चला गया उसके जाते ही....

सोनिया – (अभय को जाता देख अलीता से) देखा आपने दिमाग के किसी कोने से इसकी यादें हल्की हल्की बाहर आ रही है धीरे धीरे....

अलीता – (अभय को जाते देखते हुए) हम्ममम समझ में नहीं आ रहा है इसे सही समझूं या गलत....

सोनिया – ऐसा क्यों बोल रही हो आप ये तो अभय के लिए अच्छी बात है ना उसकी यादाश्त वापस आ रही है....

अलीता – बात अच्छी जरूर है लेकिन शायद ये बात किसी और के लिए अच्छी साबित ना हो....

चांदनी –(पीछे खड़ी दोनो की बात सुन बीच में) भाभी सही बोल रही है सोनिया भले ये बात सबके लिए अच्छी हो लेकिन संध्या मौसी के लिए अच्छी नहीं हो सकती क्योंकि ऐसे में अभय की नफरत फिर से वापस ना आजाएं....

सोनिया – हम्ममम अब ये तो अभय पर निर्भर करता है अगर उसके सामने ऐसी बात आए जिससे उसकी यादों का सम्बन्ध हो तो हो सकता है....

इधर ये बाते कर रहे थे जबकि कमरे में अभय आते ही संध्या से....

अभय – क्या कर रही हो चलो तैयार हो जा गांव घूमने चलते है हम....

संध्या – अरे कल ही तो गांव में गए थे आज फिर....

अभय – अरे कल तो पंचायत में गए थे भूल गई क्या (हस्ते हुए) ठकुराइन....

संध्या – हट चिड़ा मत मुझे....

अभय – क्यों इसमें गलत क्या है पूरे गांव वाले तुझे ठकुराइन बोलते है मैने बोला तो क्या गलत किया....

संध्या – गांव वाले की बात अलग है रे....

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छा तो ऐसा करते है मै तुझे मेरी ठकुराइन बोलूंगा अब से ये ठीक है ना क्यों मेरी ठकुराइन....

संध्या – क्यों मां बोलने में क्या होगा....

अभय – (संध्या को आईने के पास लाके) ये देख जरा तू खुद को कहा से औरत लगती है अगर चांदनी दीदी के तरह तू कपड़े पहन ले बिल्कुल उनकी तरह लगेगी तू....

संध्या – (मू बना के) चल हट मजाक मत कर मेरे से....

अभय – अरे तुझे मजाक लगता है मेरी बात का चल एक काम कर आज तू चांदनी के कपड़े पहन के सबके सामने चल फिर तुझे पता चल जाएगा अपने आप....

संध्या – धत मै नहीं आने वाली तेरी बातों में मजाक बना देगा मेरा....

अभय – तुझे लगता मै ऐसा करूंगा तेरे साथ....

संध्या – (मुस्कुरा के) अरे ना ना तू कहा करेगा बल्कि मुझे देख के लोग मजाक बना देगे मेरा....

अभय – (मू बना के) ठीक है अब तुझे ऐसा लगता है तो मैं क्या बोलूं अब....

संध्या – (अभय को देख हस के जो मू बनाए हुए था) देखो तो जरा कैसे मू बना हुआ है जैसे बंदर....

अभय –(हस्ते हुए) हा हा मेरी ठकुराइन का बंदर हूँ मैं अब खुश , अच्छा तैयार होके जल्दी नीचे आजा गांव घूम के आते है....

बोल के अभय कमरे के बाहर जाता है और दरवाजे पे रुक के....

अभय –(पलट के संध्या से) अच्छा सुन एक बार मेरी बात सोचना तेरी कसम झूठ नहीं बोल रहा मै तुझसे....

बोल के अभय नीचे चला गया उसके जाते ही संध्या हल्का मुस्कुरा के तैयार होने लगी तभी आइने में खुद को देख के....


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संध्या – (खुद को आइने में देख हल्का मुस्कुरा के मन में) क्या सच में आज भी मै इतनी खूबसूरत लगती हूँ....

बोल के शर्मा जाती है संध्या कमरे से बाहर खड़ी ये नजारा देख ललिता हल्का मुस्कुरा के कमरे में आती है धीरे से संध्या के पास आके....

ललिता – अभय सच बोल रहा है दीदी आप आज भी वही पहले जैसी लगती हो जैसे शादी के वक्त आप थे....

संध्या – तू भी ना ललिता....

ललिता – कसम से दीदी सच बोल रही हूँ मैं (अपनी आंख से कला टीका संध्या के कान के पीछे लगा के) नजर न लगे दीदी आपको मेरी भी....

संध्या – (मुस्कुरा के) ये अभय भी जाने क्या क्या बोल जाता है बातों बातों में....

ललिता – जो भी बोला दीदी लेकिन सच बोला अभय ने , पता है दीदी अभय के आने के बाद से आपके चेहरे की रौनक बढ़ गई है पहले से ज्यादा बस ऐसे ही रहा करो आप अच्छे लगते हो....

संध्या – (हल्का मुस्कुरा के) हा ललिता जब से अभय आया है तब से बहुत खुश रहने लगी हूँ इतनी खुश की अभय कभी आसू नहीं आने देता मेरी आंखों में....

ललिता – बस बस दीदी ज्यादा तारीफ मत करो खुद की नजर ना लग जय कही....

बोल के दोनो मुस्कुराने लगे....

संध्या – अच्छा मै गांव हो के आती हूँ अभय जिद कर रहा है गांव घूमने के लिए....

ललिता – ठीक है दीदी आप घूम के आओ जल्दी आना बारिश का मौसम बना हुआ है....

बोल के संध्या कमरे से निकल नीचे हॉल में अभय के पास आ गई....

अलीता – WOW चाची क्या बात है आज आप बहुत खूबसूरत लग रहे हो कौन सी क्रीम लगाई है आपने....

अलीता की बात सुन जहां अभय मुस्कुरा रहा था वही संध्या अभय को मुस्कुराता देख....

संध्या – कुछ नहीं अलीता ये जरूर तुझे अभय ने कहा होगा बोलने को तुझे....

संध्या की बात सुन अलीता हसने लगी अभय को देख के....

संध्या – (मुस्कुरा के) चलो आज खेतों की सैर कराती हूँ दोनो को....

अभय – गाड़ी में चलाऊंगा....

संध्या – कोई जरूरत नहीं मै चलाऊंगी....

अभय – लेकिन मुझे सीखनी है गाड़ी चलाना....

अलीता – (मुस्कुरा के) मै सिखा देती हु चलाना इसमें क्या है बहुत आसान है आओ बैठो गाड़ी में....

बोल के अभय के बगल में बैठ अलीता सिखाने लगी अभय को गाड़ी चलाना कुछ ही देर में अभय गाड़ी चलने लगा और तीनों आ गए खेत में गाड़ी से उतर के....

अलीता – गांव के हिसाब से तुम परफेक्ट हो गए चलना गाड़ी बस शहर की भीड़ में चलना सीखना है तुम देवर जी तब पूरी तरह परफेक्ट हो जाओगे....

अभय – कोई बात नहीं भाभी कभी शहर जाना हुआ तब सिखा देना आप....

बोल के तीनों खेत घूमने लगे जहां खेती कम करते हुए कई गांव वाले से मुलाक़ात हुई अभय की तब अभय खेत में चारो तरफ देख रहा था जैसे उसकी निगाहे किसी को ढूंढ रही हो जिसे देख....

संध्या – क्या हुआ किसे देख रहा है....

अभय – हवेली में सब बता रहे थे कि प्रेम चाचा खेती देखते है और यही रहते है उन्हें देख रहा था कहा है वो....

संध्या – प्रेम भइया अभी बगीचे में होगे दिन के वक्त खाना खाने जाते है....

अभय – यहां खाना खाते है मतलब....

संध्या – रोज सुबह का नाश्ता रमन लत है फिर दिन और रात का मालती आती है रोज खाना खिलने प्रेम भइया को....

अभय – मुझे मिलना है चाचा से....

संध्या – (मुस्कुरा के) चल मै मिलाती हूं तुझे प्रेम भइया से....

उसके बाद घूमते घूमते आ गए बगीचे में जहा एक तरफ एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ के मालती के साथ बैठ खाना खा रहा था प्रेम जिसे देख....

संध्या – वो देख वो रहे प्रेम भइया खाना खा रहे है मालती के साथ....

उनके पास जाके....

अभय – कैसे हो चाचा....

अभय की आवाज सुन पीछे पलट के मालती और प्रेम ने अपने सामने अभय को खड़ा देख....

प्रेम – (मुस्कुरा के) अरे अभय कितने बड़े हो गए हो तुम आओ बैठो मेरे साथ....

अभय – (प्रेम के पैर छू के) जितना बड़ा हो जाऊ चाचा हमेशा आपसे छोटा ही रहूंगा....

प्रेम – (मुस्कुरा के) बिल्कुल मनन भइया जैसे बात करते हो , तुम अकेले आए हो....

संध्या – हम भी आए है प्रेम भइया....

अपने सामने संध्या को देख....

प्रेम – कैसे हो आप भाभी....

संध्या – मै अच्छी हूँ भैया आप कैसे हो....

प्रेम – मै भी ठीक हूँ भाभी (अलीता को देख) ये कौन है भाभी....

मालती – मैने बताया था आपको अर्जुन के बारे में ये उसकी बीवी है....

प्रेम – (अलीता से) आओ बेटा बैठो आप भी....

अलीता – (मुस्कुरा के पैर छू के) आप बड़े हो चाचा आप मुझे आप मत बोले तुम कह के बात करे....

प्रेम – हमेशा खुश रहो बेटा और हमारा अर्जुन कैसा है....

अलीता – वो भी अच्छे है चाचा जी अभी गांव गए हुए है कुछ काम से जल्द ही आयेगे....

प्रेम – अच्छी बात है और आज आप लोग यहां घूमने आए हो....

अभय – मेरा मन हो रहा था आपसे मिलने का सोचा इस बहाने खेत भी घूम लूंगा और मिल भी लूंगा आपसे....

प्रेम – (मुस्कुरा के) बहुत अच्छी बात है बेटा आराम से घूमो ये सब तुम्हारा ही तो है आगे चल के सब तुम्हे संभालना है....

अभय – अरे चाचा मै भला अकेला कैसे संभालुगा ये सब....

प्रेम – संभालना तो पड़ेगा बेटा यही तो हमारा पुश्तैनी काम है....

अभय – तब तो मैं अकेले नहीं संभाल सकता पाऊंगा इसे चाचा हा अगर आप साथ दो तो बात अलग होगी....

प्रेम – (मुस्कुरा के) मै हमेशा साथ हूँ तेरे बेटा तू जो बोले वो करलूगा मै....

अभय – वादा चाचा मै जो बोलूं आप वो करोगे....

प्रेम – हा बेटा आजमा को देख यहां का एक एक बगीचा और खेत ये सब मैने ही इतने साल से देख कर रहा हूँ....

अभय –(मुस्कुरा के) तो ठीक है चाचा आज और अभी से आप हमारे साथ हवेली में रहेंगे....

प्रेम – नहीं बेटा बस ये नहीं कर सकता इसके इलावा तू जो बोल मै करने को तैयार हूँ....

अभय – आपने अभी वादा किया है चाचा वैसे भी अगर बाबा होते तो क्या वो आपको अकेले रहने देते यहां इस तरह फिर भला मै कैसे होने दूं ये सब....

प्रेम – मां जाने कहा चली गई छोड़ के फिर मनन भईया के बाद से मुझे हवेली का सुख रास नहीं आया बेटा तब से बस इस खेतों को ही मैने अपना घर बना लिया है यही मनन भइया ने मुझे खेती का सारा काम सिखाया उनकी इन यादों के सहारे जी रहा हूँ मैं....

अभय – और हम चाचा हम कैसे जी रहे आपके बिना चाची कैसे रह रही इतने साल आपके बिना आपको लगता है बाबा आपकों इस तरह परिवार से अलग रहता देख क्या खुश होगे वो नहीं चाचा आपको अकेला देख उनको उतना दुख होता होगा जितना हवेली में लोगो को है हमारे लिए ना सही बाबा के लिए चलो आप....

प्रेम – (अभय की बात सुन आंख में आसू लिए अभय को गले लगा के) तू सच में मेरा मनन भैया की तरह बात करता है वो भी इस तरह बात करते थे....

संध्या – रो मत भईया इतने साल सबसे अलग रहके बहुत सजा देदी अपने आप को अब तो वापस आजाओ आप हमारे लिए ना सही मालती के लिए इतने साल तक कैसे रह रही है आपके बिना उसके लिए भी सोचो आप....

अभय – हा चाचा अकेल बहुत दिन मस्ती कर ली आपने बस आप चल रहे हो हमारे साथ घर....

अभय की बात सुन मुस्कुरा के....

प्रेम – ठीक है बेटा मै चलूंगा घर....

अभय – ये हुई ना बात चाचा अब देखना आप जैसे आप घर आ रहे हो एक दिन मैं दादी को भी जरूर ले आऊंगा घर में....

प्रेम – मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतजार रहेगा बेटा....

थोड़ी देर बाद ये सब हवेली के गेट में खड़े थे जहां ललिता आरती की थाली लिए प्रेम की आरती उतर रही थी....

ललिता – आईए प्रेम भईया....

आरती होने के बाद प्रेम हवेली में अपना कदम रख अन्दर आके चारो तरफ देखता है हवेली को....

प्रेम –(मुस्कुरा के) आज भी बिल्कुल वैसे की वैसी है ये हवेली....

ललिता – बस आपकी कमी थी आज वो भी पूरी हो गई भईया....

अभय – तो चाची इस बात पर आज खीर बना दो चावल वाली बहुत दिन हो गए आपके हाथ की खीर खाए हुए....

अभय की बात सुन सब हस रहे थे....

मालती – जल्दी से चेंज करके के आजाओ तुम....

अभय – मै अभी फ्रेश होके आता हु....

अभय के जाने बाद संध्या , मालती , प्रेम और अलीता चले गए कमरे में पीछे हॉल में चांदनी , सोनिया और ललिता थे....

ललिता – (अभय को कमरे में जाता देख) अभय को याद है....

सोनिया – क्या याद है अभय को चाची....

चांदनी – चाची के हाथ की चावल वाली खीर अभी उसने यही बोला....

सोनिया – तिनके तिनके की तरह यादें याद आ रही है अभय को खेर देखते है आगे और क्या क्या याद आता है अभय को....

इससे पहले ललिता कुछ और बोलती पीछे से किसी से आवाज दी....

उर्मिला – (ललिता से) दीदी....

ललिता – हा उर्मिला....

उर्मिला – दीदी वो दूसरे गांव में मेरी सहेली की तबियत ठीक नहीं है अगर आपकी इजाजत हो क्या मै एक दिन के लिए मिल आऊ उससे....

ललिता – (मुस्कुरा के) उर्मिला कितनी बार बोला है तुझे किसी काम की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है इस हवेली की तरह हम सब तेरे अपने है तुझे जाना है मिलने सहेली से बिल्कुल जा लेकिन पूछने की जरूरत नहीं सिर्फ बता के जा जहां भी जाना हो....

उर्मिला – शुक्रिया दीदी....

ललिता – इसमें शुक्रिया कि कोई बात नहीं तू गाड़ी से चली जा....

उर्मिला – नहीं दीदी गांव से मेरी सहेली भी जा रही है मिलने उसके साथ जा रही हूँ कल दिन तक आ जाऊंगी....

ललिता – ठीक है आराम से जा....

हवेली से निकल उर्मिला सीधा चली गई राजेश के घर दरवाजा खटखटाते ही....

राजेश – (दरवाजा खोल के) कौन है....

उर्मिला – (मुस्कुरा के) नमस्ते राजेश बाबू कैसे हो आप....

राजेश – तुम तो सरपंच की बीवी हो ना तुम यहां पर....

उर्मिला – (मुस्कुरा के) ठाकुर साहब ने कल कहा था आपको तोहफा देने के लिए इसीलिए आई हूँ मैं....

राजेश – (कुछ न समझते हुए) मै समझा नहीं कुछ....

उर्मिला –(राजेश की गर्दन में हाथ डाल के) आप तो बहुत भोले हो थानेदार जी....

राजेश –(उर्मिला की इस तरह से बोलने को समझ उसकी कमर को अपनी तरफ खींचते हुए) रमन ठाकुर सच में कमाल का दोस्त है अपने दोस्तों का ख्याल कैसे रखना है अच्छे से जनता है....
बोलते ही उर्मिला को अपने सीने में चिपका के चूमने लगा राजेश


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इतनी तेजी से जैसे बरसों बाद मौका मिला हो उर्मिला भी राजेश का साथ दे रही थी
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और राजेश कभी होठ चूमता तो कभी पलट के उर्मिला की गर्दन चूमता साथ में कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत को हाथों से मसलता....
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उर्मिला – आहहहहह ऊहहहहहह आराम से थानेदार बाबू मै कही भागी नहीं जा रही हूँ....

राजेश – हम्ममम तुझे भागने दूं तब ना भागेगी अगर पता होता पहले से तेरे बारे में तो तुझे पहले ही मजे करता तेरे साथ....

उर्मिला – क्या मतलब आपका....

राजेश – पहली बार तुझे देखते ही दिल मचल गया था मेरा तेरे ऊपर लेकिन तू मुखिया की बीवी जो थी ऊपर से ये गांव की नियम वर्ना पहले दिन तुझे बिस्तर में ले आता मै....

उर्मिला – (मुस्कुरा के) लगता है थानेदार का दिल आ गया है मुझपे....

राजेश – साली दिल तो संध्या पे आया है मेरा लेकिन वो नहीं आई मेरी बाहों में....

उर्मिला – वो आ जाती तब क्या करते थानेदार बाबू आप....

राजेश – उसके साथ भी वहीं करता जो अब तेरे साथ करने वाला हूँ मैं....

बोल के राजेश तेजी से उर्मिला की गर्दन को चूमने चाटने लगा चूमते हुए नीचे खिसक के आते ही....


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चूत पर मू लगा के चूमने लगा जिससे उर्मिला की सिसकिया गूंजने लगी पूरे कमरे में....

उर्मिला – ऊहहहहहह हम्ममम बस ऐसे ही थानेदार बाबू बहुत अच्छा कर रहे हो आप आहहहहह....

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राजेश चिमटे हुए उर्मिला को पलट के पीछे से मू लगा के उर्मिला की चूत को और तेजी से चाटने लगा अपनी जुबान को अंडर दल के तेजी से अंडर बाहर कर रहा था राजेश के तभी उर्मिला के मोबाइल की घंटी बजने लगी.... big-tits-001-69
राजेश – (उर्मिला के मोबाइल की घंटी सुन) किसका कॉल है....

उर्मिला –(राजेश को मोबाइल में कॉलर का नाम दिखा के कॉल को रिसीव करते हुए) हैलो....

रमन – (उर्मिला की सिसकी सुन मुस्कुरा के) लगता है खूब मजे लिए जा रहे है....

उर्मिला – आहहहहह ठाकुर साहब आ....आप आहहहहह....

अपनी सिसकी के चलते उर्मिला को कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिल रहा था जिसे समझ के....

रमन – (मुस्कुराते हुए) राजेश को मोबाइल देदे....

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राजेश को मोबाइल देके उर्मिला खुद नीचे झुक के पेंट से राजेश लंड बाहर निकाल के मू में लेके चूसने लगी....

राजेश – ऊहहहहहह हैलो....

रमन – कैसा लगा मेरा तोहफा तुझे....

राजेश – मस्त मॉल भेजा है तूने यार....

रमन – जी भर के मजे ले इसके जब तक तेरा मन चाहे खेर बात करनी थी तेरे से लेकिन आज रहने देते है बड़े बात करूंगा तेरे से और सुन अच्छे से रगड़ देना इसे....

रमन की बात सुन मुस्कुरा के कॉल कट कर मोबाइल साइड में रख के....

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उर्मिला को अपनी गोद में उठा के खड़े खड़े ही 69 कर दोनो एक दूसरे के चोट और लंड चूसे जा रहे थे....0DC8D74
कभी खड़े होके तो कभी बेड में लेट के....
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तो कभी दीवार से टेक लगा के उर्मिला के हाथ तो बूब चूसता....
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साथ में अपने हाथ को पीछे ले जाके उर्मिला की गेंद को दबाता और सहलाता....
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तो कभी झुक के पीछे से चूत और गेंद के छेद में अपनी जीभ रगड़ता....

उर्मिला – हम्ममम धीरे से थानेदार बाबू आप तो सच में कमाल का कर रहे हो आहहहहह....

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राजेश – (पीछे से उर्मिला की चूत पे अपना लंड डालते हुए) असली कमाल तो अब देखेगी मेरा तू....

बोल के पीछे से ही उर्मिला की चूत पे तेजी से धक्के देते हुए राजेश अपने लंड अंडर बाहर करता रहा....

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उर्मिला – उफ़्फ़्फ़्फ़ऊऊह्ह्ह्ह्ह्
आआआआआईयईईईईईईईई,मार डालेंगे क्या आआअहह थानेदार बाबू धीरे से करो पूरी रात यही पर हूँ मैं आज....

लेकिन राजेश ने जैसे कुछ सुना ही ना हो वो बस जोरदार झटका दिए जा रहा था उर्मिला पर....

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अपनी गोद में उठा के तेजी से लंड अंडर बाहर करने में लगा था राजेश जिस वजह से कमरे में थयपप्प्प्पके साथ उर्मिला की आआआहह आाआईयईईईईईई की चीख गूंज रही थी....
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उर्मिला को बेड में तेजी से पटक के पीछे से एक बार में लंड पूरा डाल के
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राजेश तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा....

उर्मिला – आआआहह ऐसे ही और तेजी से मजा आ रहा है थानेदार बाबू आआआहह....

उर्मिला की सिसकिया जैसे राजेश को जोश दिलाने का काम कर रही थी जिससे राजेश को जोश बढ़ता जा रहा था साथ ही उर्मिला की सिसकी गूंज रही थी कमरे में....

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उर्मिला – (दर्द में) आहहहहह रुक जाइए थानेदार बाबू दर्द हो रहा है रुक जाइए आहहहहह
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उर्मिला को अपनी तरफ पलट पोजीशन बदल के आगे से चूत में लंड उतार दिया राजेश ने कस के बाल को पकड़ के कमर को नाचना शुरू कर दिया....

उर्मिला – अहह ऊऊऊऊऊहह आपने तो एक ही बार में दर्द से राहत दे दी मुझे थानेदार बाबू वर्ना....

राजेश – (कमर चलाते हुए) वर्ना रमन नहीं सुनता तेरी इस मामले में क्या....

उर्मिला – अहह उनको सिर्फ दर्द देने में ज्यादा मजा आता है हर बार मुझे संध्या समझ के चोदते है....

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उर्मिला की बात सुन राजेश खड़ा होते हुए उर्मिला को नीचे झुक बेड में बैठ लंड मू में लेके उसे उर्मिला रण्डी की तरह चूसने लगती है....

राजेश – (मुस्कुरा के) लगता है रमन भी संध्या का भूखा है....

उर्मिला – (लंड मू से बाहर निकाल के) और नहीं तो क्या जब से मनन ठाकुर गुजरे है तभी से ठाकुर साहब संध्या के आगे पीछे मंडराते है....

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उर्मिला को बेड में लेटा मू को चूत समझ लंड से चोदते हुए....

राजेश – (उर्मिला की कही बात से उसे संध्या समझ तेजी से मो चोदते हुए) ओह मेरी संध्या....

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अपनी आंख बंद कर उर्मिला को संध्या समझ पूरा लंड उर्मिला के गले तक उतारते हुए उसका मू अपने लंड में पूरा दबा के सारा मॉल उर्मिला के गले से नीचे उतरने लगा जिस वजह से उर्मिला तेजी से छटपटाने लगी कुछ सेकंड बाद लंड उर्मिला के मू से बाहर निकाल के....
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उर्मिला – (तेजी से खांसते हुए) खो खो खो खो क्या करते हो आप थानेदार बाबू कुछ देर और करते तो जान ही चली जाती मेरी....

राजेश – (मुस्कुरा के) तेरी ही तो गलती है सारी....

उर्मिला – मेरी क्या गलती है इसमें....

राजेश – तूने ही तो संध्या की याद दिला दी मुझे....

उर्मिला – (मू बनाते हुए) इस चक्कर में मेरी जान पे बन आई उसका क्या....

राजेश – (उर्मिला को घोड़ी बनाते हुए) तेरी जान कैसे निकलेगी अभी तो बहुत सेवा करनी है तुझे मेरी....

बोल के राजेश पीछे से उर्मिला की गाड़ के छेद पे लंड लगा के अंडर करने वाला था इससे पहले उर्मिला कुछ समझ पाती....

उर्मिला – आआआआअहह
हयीईईईईईईईई मममररररर गगगगगगगगयययययययीीईईईईईईईईईईईई
तुम तो मार ही डालोगे आज मुझे....

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राजेश – (हस्ते हुए) अरे वाह आप से सीधा तुम पर आ गई....

बोल के राजेश लंड को गाड़ के अंडर बाहर करने लगा बिना उर्मिला की चीखों की परवाह किए....

उर्मिला – (दर्द में) आआआआअहह धीरे करो थोड़ा सूखा ही डाल दिया मेरी गाड़ में आआआआअहह

गान्ड का छल्ला अब ढीला हो गया जिस वजह से उर्मिला की चीख सिसकी में बदल गई....

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उर्मिला – ऊममममम बहुत अच्छे से जानते हो औरत को खुश करना चूदाई में तुम....

राजेश – हम्ममम जब माल तेरे जैसा तगड़ा हो तो मजा भी दुगना हो जाता है अपने आप....

उर्मिला – ओहहह ओहहह आहहहहवआहहहबह थानेदार बाबू बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से मारो और जोर से मारो धक्का,,,,आहहहहह आहहहहह फाड़ दो इसे आज....

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चूदाई के नशे में उर्मिला बड़बड़ाए जा रही थी जिस वजह से उसका पानी निकल आया जिसके साथ ही उर्मिला पेड़ की कटी हुई टहनी की तरह बेड में गिर गई....
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उर्मिला को देख ऐसा लग रहा था मानो जैसे उसमें जान ही ना बाकी हो अब...

राजेश – (उर्मिला की हालत पे मुस्कुराते हुए) बस इतने में ही तेरी ये हालत हो गई लेकिन अभी तो मेरा भी पानी निकालना है तुझे....

बोलते ही राजेश ने उर्मिला के पीछे से लंड को चूत में डाल दिया पूरा उर्मिला की कमर को कस के पकड़ धक्का लगाने लगा....

उर्मिला – (अध खुली आखों से) आहहहहह बस करिए थानेदार बाबू अब दम नहीं है बचा मुझमें....

राजेश – अभी तो पूरी रात बाकी है मेरी रानी....

बोल के कस के धक्कों की रफ्तार बड़ा दी राजेश ने अपनी....

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बेड में उल्टी पड़ी उर्मिला सिर्फ....

उर्मिला – आहहहहह आहहहहह....

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चीख गूंज रही थी उर्मिला की....

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कुछ ही देर में राजेश ने अपना पानी निकल दिया उर्मिला के अंडर ही निकाल दिया राजेश का पानी निकलते ही उर्मिला बेड में अपना सिर लटकाए पीठ के बल लेटी पड़ी थी तब राजेश सामने से आके उर्मिला के मू में लंड डाल के उर्मिला की जीव से सफ़ा करने लगा....
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राजेश – (लंड साफ करा के उर्मिला के बगल में लेट के) मजा आया तुझे....

उर्मिला – (लंबी सास लेते हुए) हा बहुत आया आज मुझे मजा....

राजेश – (उर्मिला को देखते हुए) क्यों रमन के साथ ऐसा मजा नहीं आता है क्या तुझे....

उर्मिला – (राजेश के सीने पर सिर रख के) वो भी ठीक है....

राजेश – (बात ना समझते हुए) ठीक है मतलब सही से बता क्या बात है....

उर्मिला – छोटे लंड से आपको लगता है प्यास बुझ पाती होगी किसी औरत की....

राजेश – (चौक के) तो फिर तू रमन के साथ कैसे....

उर्मिला – गांव में जब भी मेला लगता है तब बंजारों की बनी जड़ी बूटी के वजह से कर पाता है ये सब बिना जड़ी बूटी के कुछ नहीं कर पाता है....

राजेश – (हस्ते हुए) फिर अपनी बीवी को कैसे खुश रखता होगा वो....

उर्मिला – काहे का खुश रखे गा उसे उसकी बीवी ही उसे चारे का एक तिनका नहीं डालती दोनो अलग अलग कमरे में पड़े रहते है....

राजेश – (मुस्कुरा के) वैसे माल तो वो भी गजब का है....

उर्मिला – वैसे ठाकुर साहब को आपसे क्या काम है ऐसा जिस वजह से मुझे भेज दिया आपके पास....

राजेश – मजबूरी है उसकी इसीलिए भेजा है तुझे ताकि तू मुझे खुश कर सके बदले में रमन चैन की नींद सो सकेगा ये सब छोड़ तू क्यों रमन की बात मानती है....

उर्मिला – मै अपने लिए नहीं कर रही हूँ ये सब मै अपनी बेटी के लिए कर रही हूँ....

राजेश – तेरी बेटी के लिए....

उर्मिला – रमन ठाकुर की बेटी है वो....

राजेश – (चौक के) क्या ये कैसे हुआ....

उर्मिला ने राजेश को अपने और रमन के बारे में बता के....

राजेश – (बात समझते हुए) ओह हो ये रमन तो बड़ा तीस मार खा निकला अभी तक गांव में कोई जान भी नहीं पाया इस बारे में जितना सोचा था उससे ज्यादा ही तेज है रमन....

उर्मिला – मेरी बेटी का भविष्य बन जाय मुझे और कुछ नहीं चाहिए किसी से भले इसके लिए मुझे किसी के साथ सोना पड़े....

राजेश – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं मेरी रानी अगर मेरा काम बन गया ना वादा करता हूँ तुझे तुझे और तेरी बेटी को कोई कमी नहीं होगी पूरी जिंदगी बस एक बार मेरा काम बन जाय....

उर्मिला – कौन सा काम....

राजेश – तू उसकी चिंता छोड़ मेरी रानी तू सिर्फ मुझे खुश कर बाकी सब मै देख लूंगा....

बोल के दोनो मुस्कुरा के एक दूसरे के साथ काम लीला की पढ़ाई शुरू कर दी दोनो ने...


और इसके साथ इनके कुछ दिन ऐसे ही मस्ती से भरे हस्ते हुए निकल गए इन कुछ दिनों में अभय और संध्या बिल्कुल दोस्तो की तरह साथ वक्त बिताते बाते करते हस्ते रहते साथ में मानो जैसे दोनो मां बेटे ना होके दोस्त हो इनके साथ ललिता , शनाया , अलीता और चांदनी भी इनका भरपूर साथ देती अभय रोज शालिनी से बाते करता कॉल पर जबकि इन कुछ दिनों में राज ने कई बार चांदनी को कॉल किया लेकिन चांदनी ने उसका कॉल एक बार भी नहीं लिया इसके आगे राज कुछ सोचने और करने की कोशिश करता लेकिन दामिनी का राज के साथ रहने के वजह से राज का ध्यान दामिनी पे चला जा रहा था साथ ही अपने हीरो की हीरोइन पायल कोशिश करती अभय से बात करने की कॉल पर लेकिन अभय को सिर्फ आज याद है बीता कल नहीं इसीलिए वो ज्यादा ध्यान नहीं देता था पायल के कॉल पर लेकिन संध्या का ध्यान जरूर था पायल पर इसीलिए संध्या ने पायल को बोल दिया कि जल्द ही अभय कॉलेज आने लगेगा फिर तू जी भर के क्लास लगाना उसकी पायल इस बात से खुश थी जबकि शालिनी के शहर जाने के बाद राजेश थाने में पहले की तरह बेफिक्र होके अपनी मनमानी करता साथ ही उर्मिला को किसी ना किसी बहाने बुला के मजे लेता साथ ही ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने की कोशिश करता हवेली के बारे में ताकि किसी तरह अभय को रस्ते से हटा के संध्या पर अपना दाव मार सके जबकि राजेश से की सारी बात उर्मिला सीधे रमन को बता देती थी इस बात पर रमन बोलता था....

रमन – (उर्मिला से) जैसा चल रहा है चलने दे राजेश का साथ मेरे लिए बहुत जरूरी है वैसे भी अब ज्यादा दिन तक तुझे ये सब करना नहीं पड़ेगा....

उर्मिला – ऐसा क्या करने वाले है आप ठाकुर साहब....

रमन – तू इस बारे में मत सोच मै सब संभाल लूंगा तू संध्या पर भी ध्यान दे....

उर्मिला – मै ध्यान देती हु ठाकुर साहब लेकिन ठकुराइन ज्यादा तर वक्त अभय के साथ बिताती है कही भी आना जाना हो दोनो साथ में आते जाते है....

रमन – हम्ममम मै समझता हु तू कोशिश करती रह हो सके तो जरा सी बात के लिए पूछ लिया कर जिससे वो तुझे गांव भोली भाली समझे पूरी तरह से....

उर्मिला – ठाकुर साहब आपको जो करना है जल्दी करिए मुझे इस तरह से राजेश के साथ नहीं भाता सिर्फ आपके लिए मैं कर रही हूँ ये सब....

रमन – हम्ममम जल्दी करता हूँ मैं....

इन सब बातों के चलते उर्मिला को अपने उंगली पे नचा रहा था रमन जाने वो किसका इंतजार कर रहा है , खेर अब अभय पूरी तरह ठीक हो गया है रात के खाने के बाद कमरे में एक साथ बेड में लेटे संध्या और अभय बात कर रहे थे....

संध्या – आगे की पढ़ाई के लिए क्या सोचा है तूने....

अभय – सोचना क्या है शुरू करना चाहता हूँ मैं फिर से....

संध्या – अगर तुझे दिक्कत ना हो तो ठीक है कर ले शुरू पढ़ाई फिर से....

अभय – एक बात तो बता....

संध्या – हा बोल ना....

अभय – आगे की पढ़ाई के लिए क्या शनाया मासी मदद करेगी मेरी....

संध्या – बिल्कुल करेगी स्कूल के वक्त भी वो ही तुझे पढ़ाती थी और तेरे एक्सीडेंट के बाद भी उसने बोला था अगर पढ़ाई में दिक्कत आए तो वो मदद करेगी....

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छा एक बात बता मेरी यादाश्त जाने से पहले मैं अच्छा लगता था तुझे या यादाश्त जाने के बाद....

संध्या – (मुस्कुरा के) मैने अक्सर लोगो से सुना था कि किसी भी चीज की कीमत हम तब तक नहीं समझते जब तक वो हमारे पास हो लेकिन जब वो चीज हमसे दूर हो जाती है तो कीमत समझ आती है मेरे साथ भी यही हुआ तेरे जाने के बाद मुझे तेरी असली कीमत समझ आई , लेकिन जब तू वापस आया भले तूने ताने दिए मुझे लेकिन मेरे दिल को एक सुकून था के कम से कम तू आ गया है , तो मेरा जवाब है हा तू मुझे हर तरह से अच्छा लगता है अब तेरे बिना जीने की सोच भी नहीं सकती हूँ मैं....

बोल के संध्या अभय के गले लग जाती है....

अभय – (मुस्कुरा के) इतने दिन से हर पल तेरे साथ रहते रहते मुझे तेरी ऐसी आदत लग गई है सोचता हूँ जब कॉलेज जाऊंगा तब तेरे बगैर 4 से 5 घंटे कॉलेज में कैसे बिता पाऊंगा मै....

संध्या – मुझे भी तेरी आदत सी लग गई है रे लेकिन पढ़ना तो पड़ेगा ना तुझे ताकि आगे चल के तू गांव की और ज्यादा तरक्की मेरे....

अभय – मेरा तो सिर्फ तेरे साथ रहने का दिल करता है हर पल हर घड़ी....

संध्या – (गाल पे हाथ रख) मै हर पल तेरे ही साथ हूँ....

बोल के दोनो ही एक दूसरे की आखों में देखने लगे जैसे आखों ही आखों में बहुत सी बाते कर रहे हो दोनो आपस में जिस वजह से दोनो के चेहरे एक दूसरे के करीब कब आके दोनो के होठ एक दूसरे से कब मिल गए ये पता ही नहीं चला दोनो को....



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आंखे बंद करके एक दूसरे के प्रेम भरे चुम्मन में खोए हुए थे दोनो तभी दोनो ने धीरे से होठ अलग कर अपनी आंखे खोल एक दूसरे को देखने लगे हल्का मुस्कुरा के और तभी संध्या के मन में ग्लानि का विचार उमर पड़ा जिस वजह से उसकी हसी गायब सी हो गई और संध्या बेड के दूसरी तरफ पलट गई , संध्या के इस व्यवहार को देख अभय पीछे से संध्या के कंधे पे हाथ रखता लेकिन अभय उसी वक्त अभय के मन में ख्याल आया अभी जो हुआ उसे समझ के अभय ने इस बात को इस वक्त करना सही नहीं समझा संध्या की तरह अभय भी बेड के दूरी टफ पलट के सोने की कोशिश करने लगा काफी देर तक अपने की कोशिश करते रहे दोनो लेकिन नींद न आई दोनो में किसी को....
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जारी रहेगा ✍️✍️
Shandar update and jaandqar likhai bhaiya :claps::claps::claps:Or jabardast chudai likh daali hai tumne to:shag:
Rajesh ki gaand dhang se todni padegi tabhi wo sudhrega, aur rahi baat raman ki, to usko to niptana hi padega, kewal gaand sutaai se nahi samjhega wo:sigh:
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Bhai lajawab update hai 😙 ab agle update ke liye kitna wait karna padega 🤞🤞
Thank you sooo much krishnamdev1111 bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Majhedaar update tha, Bhai, danyavaad. Aapka agla rasprad update ka pratiksha rahega hamein besabri se, Bhai
Thank you sooo much Ek anjaan humsafar bhai
 
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