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Family Introduction
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Chalo isi bahane atalia or baki logo ke sach se parda uthe gaUPDATE 57
रात के समय जहां सब गहरी नींद में सो रहे थे वहीं हवेली के एक कमरे में एक लड़की मोबाइल पर किसी से बाते कर रही थी....
लड़की – तुम तो जानते हो अब कॉलेज में सबके सामने तुमसे बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है मेरा भाई नजर बनाए रखता है मुझे तो डर लग रहा है कही उसे हमारे बारे में पता तो नहीं चल गया....
सामने से लड़का – तू इतना घबराती क्यों है ऐसा कुछ नहीं है अगर अमन को शक भी होता तो जरूर कुछ ना कुछ करता....
ये दोनो कोई और नहीं बल्कि निधि और लल्ला थे जो मोबाइल में आपस में बाते कर रहे थे....
निधि – यही तो डर है हवेली में वो कुछ भी नहीं कर रहा है लेकिन हवेली से बाहर कब क्या करे डर लगता है मुझे....
लल्ला – देख तू ज्यादा ही सोच रही है अमन के लिए वो कुछ भी नहीं करने वाला है जब से अभय आया है वापस तभी से तेरे पिता (रमन) और अमन के 12 बजे हुए है हवेली के अन्दर हो या बाहर कुछ नहीं करेंगे वो दोनो , चल छोड़ ये सब अभय कैसा है....
निधि – ठीक है वो अब....
लल्ला – तूने बात नहीं की अभी तक अभय से....
निधि – नहीं....
लल्ला – क्यों क्या हुआ....
निधि – डर लगता है बचपन में जो कुछ हुआ उसके बाद से....
लल्ला – देख बचपन में जो हुआ उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन उस बात की वजह से अपना आज क्यों खराब कर रही हो तुम बात कर लो भाई है तुम्हारा....
निधि – हम्ममम....
लल्ला – चल आराम करो तुम कल मिलते है कॉलेज में....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने की तभी किसी की आवाज आई निधि के कानों में....
शक्श – किस्से बात कर रही थी इतनी रात में....
निधि – (आवाज सुन चौक के सामने अभय को खड़ा देख) भैया आप , वो मै लक्ष्मन से बाते कर रही थी....
अभय – कौन लक्ष्मण....
निधि – वो आपका दोस्त लल्ला उसका नाम है लक्ष्मन....
अभय – (बात समझ मुस्कुरा के) कब से चल रहा है ये सब....
निधि – (शर्मा के) जी भइया साल भर हो गया है....
अभय – (मुस्कुरा के) ओहहहह हो ठीक है चलता हूँ आराम करो तुम....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – (अभय से) आप इतनी रात में यहां....
अभय – हा प्यास लगी थी कमरे में पानी नहीं था पानी पीने जा रहा था तभी तुम्हारे कमरे से आवाज आई मुझे इसीलिए रुक गया था मैं....
निधि – मै ले आती हूँ आप रुको....
अभय – अरे नहीं तुम आराम करो मै रसोई में जाके पी लूंगा पानी....
निधि – कोई बात नहीं मै ले आती हूँ आप बैठो यहां पे....
बोल के निधि चली गई पानी लेने बोतल लाके अभय को पानी पीने को दे दिया....
अभय – (पानी पीने के बाद) एक बात तो बताओ तुमने फोन में बोला बचपन में जो हुआ उससे डर लगता है ये क्या बात है....
निधि – भइया वो बचपन में अमन और मेरी वजह से आपको डाट और मार पड़ती उसके वजह से आपसे बात करने में डर लगता है इसीलिए....
अभय – (हस्ते हुए) इसमें डरने की क्या बात है और वैसे भी पहले का मुझे याद भी नहीं अभी तुम बात नहीं करोगी तो जरूर नाराज हो जाऊंगा मै तुमसे....
निधि – आप सच बोल रहे हो मजाक नहीं कर रहे ना....
अभय – भला मै क्यों मजाक करने लगा तुमसे भूल जाओ पुरानी बातों को बस आज में जीयो....
निधि – (मुस्कुरा के) जी भइया....
अभय – चलो चलता हूँ तुम आराम करो काफी रात हो गई है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – भइया (बोल अभय के गले लग के) थैंक्यू भइया....
अभय – (सिर पे हाथ फेर के) चल पगली भाई को थैंक्यू बोलती है जा जाके सोजा अब....
बोल के दोनो मुस्कुराते हुए चले गए अपने कमरे में सोने अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद....
अभय – (संध्या से) आज कही और चले घूमने....
संध्या – पैर ठीक हुआ नहीं और घूमने की लगी है....
अभय – अरे कुछ नहीं है हल्की सी लगी है बस चलने में कोई दिक्कत नहीं....
संध्या – हा हा सब समझती हूँ मैं घूमने का बहाना है सब....
अभय – अरे कसम से सच बोल रहा हूँ मैं कल रात में पानी पीने के लिए रसोई गया था मैं....
संध्या – (चौक के) तूने उठाया क्यों नहीं मुझे....
अभय – (मुस्कुरा के) तू सोते वक्त तू इतनी खूबसूरत लग रही थी इसीलिए नहीं उठाया....
संध्या – (मुस्कुरा के) पागल है तू पूरा....
अभय – तो फिर चले कही घूमने आज....
संध्या – (गुस्से में ) जी नहीं चुप चाप आराम करो वर्ना सोनिया से बोल के नींद का इंजेक्शन लगवा दूंगी तुझे समझे आराम करो मै हाल से काम निपटा के आती हूँ....
बोल के संध्या मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई इस तरफ अमन और निधि तैयार होके कॉलेज जा रहे थे रस्ते में....
रमन – (अमन और निधि को रस्ते में पैदल कॉलेज जाता देख) अभी तक बाइक नहीं मिली तुझे....
अमन – कहा पिता जी आप तो सब जानते हो....
रमन – आओ गाड़ी में बैठो दोनो....
अमन – (गाड़ी में बैठ के) हर रोज पैदल जाना पड़ता हैं मुझे कॉलेज में मजाक उड़ाते है मेरा सब....
रमन – अब तो काफी दिन हो गए है चाबी मांग क्यों नहीं लेता तू....
अमन – आपको लगता है ताई मां चाबी देगी मुझे वापस उनको पहले फुर्सत तो मिली अपने लाडले से तब तो बात करूं मैं....
रमन – तू दिल छोटा मत कर मै बात करूंगा उससे....
अमन – (गुस्से में) लेकिन कब तक चलेगा ये सब पिता जी अभी ये हाल है आगे जाने क्या क्या होगा कोई सोच भी नहीं सकता है....
रमन – (मुस्कुरा के) मैने बोला ना तू इतना मत सोच मै जल्द ही सब कुछ संभाल लूंगा और जब तक तुझे तेरी बाइक नहीं मिलती मै तुझे कॉलेज छोड़ दिया करूंगा....
रस्ते भर में निधि चुप चाप अमन और रमन की बाते सुनती रही बिना कुछ बोले कॉलेज में आते ही दोनों उतर अंडर जाने लगे तभी एक लड़की निधि के पास आके....
लड़की –(निधि को कार से उतरता देख) कैसी हो निधि तेरी गाड़ी बहुत मस्त है यार (कार को हाथ लगा ले) कार में घूमने में कितना मजा आता होगा यार तुझे गर्मी में AC क्या बात है....
निधि – तू कभी नहीं सुधरेगी शिला पागल है पूरी की पूरी तू गांव कब आई....
शिला – कल ही आई हूँ शहर से वापस यार लेकिन मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था वापस आने का शहर से....
निधि – (मुस्कुरा के) चल चल कॉलेज पढ़ाई पे ध्यान दे समझी तू....
शीला – अच्छा ये बता ये कार किसकी है....
निधि – मेरे पिता जी की है अब हट कार से पिता जी को जाना है काम से....
शीला कार से साइड होके रमन को देख....
शीला – आपकी कार बहुत खूबसूरत है ठाकुर साहब....
रमन – (शिला को सिर से पाव तक देख धीरे से) और तुम भी....
शीला – (चौक के) जी....
रमन – मेरा मतलब है तुम्हे कभी देखा नहीं गांव में मैने....
शीला – जी 6 महीने से मेरी मौसी की तबियत खराब थी शहर गई थी उनके पास रहने कल ही वापस आई हूँ....
रमन – ओह कभी आओ हवेली पर निधि के साथ....
शीला – (हल्का मुस्कुरा के) जी जरूर....
तभी निधि ने शीला का हाथ पकड़ के जाने लगी कॉलेज के अन्दर रस्ते में....
निधि – चुंबक है क्या चिपक जाती है जहां देखो हटती नहीं है फिर....
बोल के निधि और शिला चले गए पीछे रमन मुस्कुरा के देखता रहा शिला को जाते हुए उसके जाते ही रमन निकल गया कॉलेज से कॉलेज खत्म होते ही निधि ने हवेली आते ही अपनी मां ललिता को बता दिया आज कॉलेज के बाहर की बात जिसके बाद शाम को रमन के हवेली आने के बाद कमरे में....
ललिता – (गुस्से में रमन से) तुम अपनी हरकत से बाज़ नहीं आओगे ना....
रमन – मतलब क्या है तेरा....
ललिता – औरते क्या कम थी अब तेरी नजर लड़कियों पे पड़ने लगी है अरे कम से कम ये सोच लिया कर तेरे घर में तेरी जवान बेटी है और तू अपनी बेटी की उमर की लड़कियों को , हद है....
रमन – (गुस्से में) इसकी जिम्मेदार भी तू है अगर तू....
ललिता – (बीच में गुस्से से) हा हा मैने ही सब कुछ किया है तुम तो जैसे बड़े दूध के धुले हुए हो जिसने मौका पाके अपनी ही भाभी के साथ (बात बीच में रोक के) जाने दो सच तो ये है तुमसे किसी और बात की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है....
रमन – (ललिता की गर्दन में हाथ रख के) बहुत बोल रही है तू....
रीना – (बीच में) बस करिए जीजा जी हाथ हटाइए दीदी से....
अभय – (बीच में आके) इससे पहले मेरा भी हाथ उठे अच्छा रहेगा आप चाची के कमरे से चले जाइए चाचा....
रमन – मै क्यों जाऊं यहां से ये मेरा भी घर है....
ललिता – (रमन का हाथ अपनी गर्दन से हटाते हुए) घर से नहीं इस कमरे से जाने को बोल रहा है अभय....
रमन – तो ये मेरा भी कमरा है....
अभय – हा जरूर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप चाची को गर्दन पर हाथ रखो इस तरह....
रमन – तुम्हे बीच में बोलने की जरूरत नहीं है ये हम पति पत्नी के बीच की बात है....
अभय – ये तो नहीं हो सकता चाचा जी अगर ऐसा होता तो चाची पहले मुझे रोक चुकी होती....
रमन – देखो अभय....
अभय – जो भी देखना दिखाना वो सब बाद में पहले आप कमरे में जाइए जब गुस्सा शांत हो जाए तब कमर में आइएगा....
इसके बाद रमन ललिता को देखने लगा जो चुप चाप खड़ी कुछ नहीं बोल रही थी जिसे देख रमन अपने दात पीसते हुए कमरे से बाहर निकल गया....
रीना – (ललिता से) दीदी आप कैसे बर्दाश कर रहे हो आपके बाजू में उसे खड़ा देख के मेरे तन बदन में आग लग रही थी उसे छोड़ क्यों नहीं देते आप जरूरी है इसके साथ रहना अलग क्यों नहीं रह लेते हो आप....
ललिता – बस अपने बच्चों के लिए घुट घुट के जी रही हूँ तू क्या चाहती है कि....
अभय – (बीच में) जिंदगी भर घुट घुट के जीने से बेहतर है छोड़ देना (रीना से) क्यों सही बोला ना....
ललिता – अभय तू नहीं जानता ये....
अभय – (बीच में) चाची मै जब से हवेली आया हूँ तब से देख रहा हूँ अकेले में आपके चेहरे में मायूसी देख रहा हूँ ऐसा क्यों चाची , देखो चाची अलग होके जीने के डर से घुट घुट के साथ जीना ज्यादा मुश्किल होता है , हा डर तो रहेगा ये बात मै मानता हु लेकिन उस डर से एक बार पार हो गए तो एक नई जिंदगी होगी कम से कम सुकून से तो रहेगी आप जरा सोचो चाची जोर डालो दिमाग में (रीना से) और आप क्या बोल रहे थे चाची को अलग रहने के लिए क्यों भला अलग क्यों रहेगी मेरी चाची ये घर उनका है और यही रहेगी चाची भले चाचा से अलग सही लेकिन रहेगी यही हमेशा मेरी चाची बन के (ललिता से) क्यों चाची सही बोला ना मै....
अलीता – (कमरे में आते हुए) अरे वाह मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरे प्यारे दीवार जी इतने बड़े हो गए बिना किसी साथ के इतने बड़े फैसले खुद ही लेने लगे है क्या बात है देवर जी....
ललिता – (मुस्कुराते हुए अभय का हाथ पकड़ अलीता से) बस बस इतनी तारीफ मत कर मेरे लल्ला को नजर लग जाएगी....
अभय – (मुस्कुरा के) चाची अपनो की भी भला नजर लगती है कभी क्यों भाभी सही कहा ना....
अलीता – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा आपने देवर जी (ललिता से) चाची देवर जी ने जो कहा बिल्कुल सही कहा आपका जो फैसला हो आप हमेशा साथ रहेगी हमारे....
ललिता – (मुस्कुरा के) मै क्यों जाने लगी अपने लल्ला को छोड़ के मेरे लल्ला ने जो कहा वही होगा आखिर यही हमारे घर का असली वारिस है इसकी बात ना माने भला ऐसा कैसे हो सकता है....
अभय – तो चाची इसी बात पर आज फिर से आपके हाथों की बनी चावल की खीर मिलेगी खाने को....
ललिता – (मुस्कुरा के) हा लल्ला बिल्कुल मिलेगी मै अभी बनती हूँ....
अभय – चाची ऐसा करो रात के खाने के बाद खाते है खीर खाने के बाद मीठे का मजा ही अलग होता है....
ललिता – (मुस्कुरा के) तू जो बोले लल्ला वैसा ही करूंगी मै....
अभय – चाची आप बस खुश रहो हमेशा यही चाहता हूँ मैं....
ललीता – हा बिल्कुल....
बोल के सब कमरे से बाहर जाने लगे लेकिन रीना कमरे में पीछे खड़ी मुस्कुराते हुए बस अभय को देख रही थी जबकि अभय , अलीता के पीछे पीछे उसके कमरे में आके....
अलीता –(अभय को कमरे में आता देख) क्या बात है देवर जी आज मेरे कमरे में कोई खास बात है क्या....
अभय – बात तो खास है भाभी....
अलीता – हा हा तो पूछिए ना देवर जी....
अभय – भाभी उस दिन अपने ऐसा क्यों कहा , मै भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहता हूँ , क्या मतलब था इसका भाभी....
अलीता – कुछ नहीं अभय वो ऐसे ही निकल गया था मेरे मू से....
अभय – भाभी प्लीज बताओ ना क्या बात है....
अलीता – रहने दे ना अभय क्यों पुरानी बातों को याद दिला रहा है....
अभय – अच्छा एक काम करते है आज आप मुझे अपने बारे में बताओ कैस भइया से मिले आप , आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
अलीता – (मुस्कुरा के) मतलब बिना बात जाने मानोगे नहीं आप देवर जी....
अभय – (मू बना के) चलिए कोई बात नहीं अगर आप नहीं बताना चाहती है तो मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा भाभी अच्छा खाने पे मिलते है....
बोल के अभय जाने लगा....
अलीता – (अभय की नौटंकी देख हस्ते हुए) बस भी करो देवर जी आप सच में बहुत हंसाते हो आप इतना मै कभी हसी नहीं हूँ....
अभय – (चौक के) अच्छा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप भाभी आप पहले हस्ते नहीं थे क्या....
अलीता – बिल्कुल नहीं देवर जी तब मेरी जिंदगी बड़ी अलग और बहुत ही अजीब होती थी तब मेरा ध्यान घर के इलावा सिर्फ ओर सिर्फ बिजनेस में ज्यादा रहता था साथ में घमंड इतना आप सोच भी नहीं सकते....
अभय – क्या बात कर रहे हो आप भाभी आपको देख के ऐसा लगता नहीं है कि आपमें घमंड का जी भी होगा....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल था पहले घमंड मुझमें देवर जी , चलो आज मै आपको अपने बारे में सब कुछ बताती हूँ....
ALITA FLASHBACK....
महाराष्ट्र में शुरू से ही मेरे पापा मम्मी बिजनेस को साथ में चलाते आ रहे है मेरे पापा का नाम राम मोहन सिंघाल और मम्मी का नाम रागिनी सिंघाल है हमें कंपनी का नाम सिंघाल ग्रुप ऑफ कंपनी है वैसे तो पापा मम्मी ने तरह तरह की दवाएं बनाना एक छोटे से बिजनेस से शुरुवात की थी मेरे पापा मम्मी ने कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऑल इंडिया में मेडिसिन कंपनी में उनका नाम बहुत ऊपर आ गया कॉलेज आने के बाद मैने भी मेडिकल लाइन चुनी ताकि अपने पिता का काम सम्भल सकूं कुछ महीनों की मेहनत के बाद मैने पापा का बिजनेस पूरा संभाल लिया था इस बीच मैने कॉलेज की पढ़ाई को जारी रखा प्राइवेट में ताकि बिजनेस में कोई असर ना पड़े कोई भी नया टेंडर आता मै उसे हासिल करती तब मेरी कंपनी के मुकाबले 1 कंपनी और भी थी जिसका नाम चेतन ग्रुप था उसके मालिक का नाम चेतन और बेटा अमरीश था जिनकी कोशिश यही रहती थी किसी तरह मेरी कंपनी को बर्बाद कर सके इसीलिए हर बार टेंडर को पाने के लिए जाने किन किन को रिश्वत देते लेकिन किस्मत उनका साथ कभी नहीं देती थी एक दिन सभी कंपनी की मीटिंग चल रही थी लगभग कंपनी के सभी मालिक मौजुद थे वहां पर फैसला हो रहा था इस साल के टॉपर कंपनी को अवॉर्ड देने का जिसमें मेरे कंपनी का नाम आया तब सभी के साथ फूल लेके मुझे मुबारक बाद देने आए....
चेतन – बहुत बहुत मुबारक हो आपको अलीता जी बिजनेस में आपने अच्छी पकड़ बनाई है....
अलीता – (ना पहचानते हुए) शुक्रिया लेकिन आप कौन....
चेतन – अरे माफ करिएगा मै अपना परिचय देना भूल गया मेरा नाम चेतन है चेतन ग्रुप का मालिक और ये मेरा बेटा अमरीश है....
अलीता – ओह आप है चेतन ग्रुप से अच्छा लगा मिल के आपका काम कैसा चल रहा है....
चेतन – बस चल रहा है किसी तरह से हा अगर आप थोड़ा मेहरबानी करे और अच्छा चलने लगेगा....
अलीता – मतलब....
चेतन – मेरा मतलब है हर साल का टेंडर आप ही अपने पास रख लेते हो कभी हमें भी टेंडर लेने दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी आपकी वैसे भी आपकी कंपनी के बाद मेरी कंपनी का नंबर आता है....
अलीता – ओह तो आपकी कंपनी दूसरे नंबर पे आती है शायद आपको पता नहीं लेकिन I HATE NUMBER 2 , और हा ये टेंडर अपनी मेहनत से हासिल करती हु मै यही मेहनत अगर आपने की होती तो आपको मुझसे मेहरबानी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती UNDERSTAND YOU BETTER UNDERSTAND...
अभय – (अलीता की बात सुन बीच में हस्ते हुए) वाह भाभी आपने तो बेचारे की बोलती बंद कर दी क्या डायलॉग मारा आपने YOU BETTER UNDERSTAND अच्छा भाभी फिर क्या हुआ.....
अलीता – (हस्ते हुए) उसके करीबन 2 दिन बाद चेतन अपने बेटे अमरीश के साथ मेरे घर पर आया शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए अपने बेटे का....
अभय – (बीच में) अरे वाह बड़ी डेयरिंग वाला काम करने निकल आया वो भी आपके घर में मानना पड़ेगा उसकी हिम्मत को....
अलीता – (हस्ते हुए) ये तो कुछ भी नहीं है देवर जी अभी आगे भी सुनिए फिर बताइएगा आप....
अभय – ओह SORRY भाभी अब बीच में नहीं बोलूंगा मैं....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) तो सुनिए उसके बाद मेरे पापा मम्मी उनसे बाते कर रहे थे तब....
अभय – (बीच में) एक मिनिट भाभी आपने बताया नहीं आपके फैमिली में पापा मम्मी के इलावा और कौन कौन है....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै ही अपने पापा मम्मी की इकलौती बेटी हूँ बस....
अभय – ओह ठीक है अब बताइए आगे क्या हुआ फिर....
अलीता – फिर कुछ देर बाद मैं आ गई घर में अपनी सेक्रेटरी के साथ जानते हो कौन है मेरी सेक्रेटरी....
अभय – कौन है आपकी सेक्रेटरी....
अलीता – सोनिया जिसने तुम्हारा इलाज किया है समझे , आगे सुनिए...
घर में आते ही मेरी मम्मी ने बताई मुझे सारी बात उन्हें लड़का (अमरीश) बहुत पसंद आया था और पापा को भी लेकिन मैं समझ गई थी उनके मेरे घर में रिश्ता लेके आने का इसीलिए मैने....
अलीता – (मम्मी पापा से) मुझे अभी शादी नहीं करनी है अब तक मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसके बाद....
चेतन – (बीच में) कोई बात नहीं आप चाहो तो शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखना हमें कोई दिक्कत नहीं....
अलीता – (बीच में) लेकिन मुझे दिक्कत है इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद सोचूंगी शादी का करनी है कि नहीं....
रागिनी सिंघाल – (धीरे से) बेटा लड़का हमें बहुत पसंद आया है बहुत अच्छा लड़का है ये एक बार तू सोच ले....
अलीता – मम्मी मैने सोच कर ही कर रही हूं कुछ खेर आप सब नाश्ता करिए मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आराम करने (सोनिया से) चलो सोनिया मुझे काम है उसके बाद तुम चली जाना....
अलीता के जाने के बाद....
राम मोहन सिंघाल – (चेतन से) बच्ची है अभी आप तो जानते है बच्चो को मनाना आसान नहीं होता मै अलीता से बाद में बात कर के बताऊंगा आपको....
कुछ देर बाद चेतन अपने बेटे के अस्त वापस चल गया उसके जाने के बाद राम मोहन अपनी बेटी के कमरे में आके....
राम मोहन – (अलीता से) तुम तो बोल रही थी आराम करने जा रही हो कमरे में यहां तो तुम काम में बिजी हो....
अलीता – हा पापा कुछ काम बचा पड़ा है ऑफिस का उसे पूरा करना जरूरी है उसके बाद आराम करूंगी....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा लेकिन तुम अपनी जिंदगी के बारे में कब सोचोगी....
अलीता – इसमें सोचना क्या है पापा जैसे चल रही है वैसे चलती रहेगी....
राम मोहन – बेटा मै तेरी आगे की जिंदगी के बारे में बोल रहा हूँ आगे चल के कभी ना कभी तुझे शादी तो करनी है ना उसके बारे में कब सोचेगी....
अलीता – पापा अगर आप चेतन ग्रुप कंपनी से आए थे उनकी बात कर रहे हो आप तो आपको बता देती हु वो मुझे बिल्कुल भी सही नहीं लगते है उनका सिर्फ एक ही मकसद है हमारी कंपनी को टेक ओवर करना इसीलिए Mr चेतन यहां आए थे अपने बेटे के साथ शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा जहां दोस्त है वहां दुश्मन तो होगे ही ना चल चेतन के बेटे से ना सही लेकिन किसी ना किसी से शादी तो करोगी ही ना तुम....
अलीता – फिर तो आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है पापा इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं बना जो अलीता सिंघाल से शादी कर सके....
बोल के अलीता काम करने लगी जबकि राम मोहन हल्का मुस्कुरा के कमरे से बाहर निकल के....
राम मोहन – (मुस्कुराते हुए) जोड़े तो ऊपर वाला बना के ही भेजता है दुनिया में बेटा जाने वो कौन और कहा होगा जिसका साथ तेरे साथ लिखा है....
उसके कुछ दिन बाद की बात है एक दिन मैं पहले निकल गई थी ऑफिस के लिए जल्दी कुछ देर बाद पापा निकले घर से ऑफिस के लिए फिर जानते हो क्या हुआ उस दिन....
अभय – (चौक के) क्या हुआ था उस दिन भाभी....
अलीता – उस दिन जब....
संध्या – (बीच में अलीता के कमरे में आते हुए) क्या बाते हो रही है देवर भाभी है....
अभय – भाभी अपने बारे में बता रही है....
संध्या – अच्छा वो सब बाद में चलो पहले खाना खा लो जल्दी से....
अभय – इतनी जल्दी क्या है अभी तो भाभी ने बताना शुरू किया है अपने बारे में....
अलीता –(मुस्कुराते हुए) देवर जी अभी को 2 घंटे बीत चुके है पता है
अभय –(घड़ी देख के) ओह तेरी 2 घंटे हो गए भाभी सच में पता ही नहीं चला मुझे , ठीक है खाने के बाद आप बताना आगे क्या हुआ....
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जारी रहेगा
U better understand.... laadla film ki yaad dila di tumne to khair awesome update and mind blowing effort aise hi fatafat complete karo story koUPDATE 57
रात के समय जहां सब गहरी नींद में सो रहे थे वहीं हवेली के एक कमरे में एक लड़की मोबाइल पर किसी से बाते कर रही थी....
लड़की – तुम तो जानते हो अब कॉलेज में सबके सामने तुमसे बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है मेरा भाई नजर बनाए रखता है मुझे तो डर लग रहा है कही उसे हमारे बारे में पता तो नहीं चल गया....
सामने से लड़का – तू इतना घबराती क्यों है ऐसा कुछ नहीं है अगर अमन को शक भी होता तो जरूर कुछ ना कुछ करता....
ये दोनो कोई और नहीं बल्कि निधि और लल्ला थे जो मोबाइल में आपस में बाते कर रहे थे....
निधि – यही तो डर है हवेली में वो कुछ भी नहीं कर रहा है लेकिन हवेली से बाहर कब क्या करे डर लगता है मुझे....
लल्ला – देख तू ज्यादा ही सोच रही है अमन के लिए वो कुछ भी नहीं करने वाला है जब से अभय आया है वापस तभी से तेरे पिता (रमन) और अमन के 12 बजे हुए है हवेली के अन्दर हो या बाहर कुछ नहीं करेंगे वो दोनो , चल छोड़ ये सब अभय कैसा है....
निधि – ठीक है वो अब....
लल्ला – तूने बात नहीं की अभी तक अभय से....
निधि – नहीं....
लल्ला – क्यों क्या हुआ....
निधि – डर लगता है बचपन में जो कुछ हुआ उसके बाद से....
लल्ला – देख बचपन में जो हुआ उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन उस बात की वजह से अपना आज क्यों खराब कर रही हो तुम बात कर लो भाई है तुम्हारा....
निधि – हम्ममम....
लल्ला – चल आराम करो तुम कल मिलते है कॉलेज में....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने की तभी किसी की आवाज आई निधि के कानों में....
शक्श – किस्से बात कर रही थी इतनी रात में....
निधि – (आवाज सुन चौक के सामने अभय को खड़ा देख) भैया आप , वो मै लक्ष्मन से बाते कर रही थी....
अभय – कौन लक्ष्मण....
निधि – वो आपका दोस्त लल्ला उसका नाम है लक्ष्मन....
अभय – (बात समझ मुस्कुरा के) कब से चल रहा है ये सब....
निधि – (शर्मा के) जी भइया साल भर हो गया है....
अभय – (मुस्कुरा के) ओहहहह हो ठीक है चलता हूँ आराम करो तुम....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – (अभय से) आप इतनी रात में यहां....
अभय – हा प्यास लगी थी कमरे में पानी नहीं था पानी पीने जा रहा था तभी तुम्हारे कमरे से आवाज आई मुझे इसीलिए रुक गया था मैं....
निधि – मै ले आती हूँ आप रुको....
अभय – अरे नहीं तुम आराम करो मै रसोई में जाके पी लूंगा पानी....
निधि – कोई बात नहीं मै ले आती हूँ आप बैठो यहां पे....
बोल के निधि चली गई पानी लेने बोतल लाके अभय को पानी पीने को दे दिया....
अभय – (पानी पीने के बाद) एक बात तो बताओ तुमने फोन में बोला बचपन में जो हुआ उससे डर लगता है ये क्या बात है....
निधि – भइया वो बचपन में अमन और मेरी वजह से आपको डाट और मार पड़ती उसके वजह से आपसे बात करने में डर लगता है इसीलिए....
अभय – (हस्ते हुए) इसमें डरने की क्या बात है और वैसे भी पहले का मुझे याद भी नहीं अभी तुम बात नहीं करोगी तो जरूर नाराज हो जाऊंगा मै तुमसे....
निधि – आप सच बोल रहे हो मजाक नहीं कर रहे ना....
अभय – भला मै क्यों मजाक करने लगा तुमसे भूल जाओ पुरानी बातों को बस आज में जीयो....
निधि – (मुस्कुरा के) जी भइया....
अभय – चलो चलता हूँ तुम आराम करो काफी रात हो गई है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – भइया (बोल अभय के गले लग के) थैंक्यू भइया....
अभय – (सिर पे हाथ फेर के) चल पगली भाई को थैंक्यू बोलती है जा जाके सोजा अब....
बोल के दोनो मुस्कुराते हुए चले गए अपने कमरे में सोने अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद....
अभय – (संध्या से) आज कही और चले घूमने....
संध्या – पैर ठीक हुआ नहीं और घूमने की लगी है....
अभय – अरे कुछ नहीं है हल्की सी लगी है बस चलने में कोई दिक्कत नहीं....
संध्या – हा हा सब समझती हूँ मैं घूमने का बहाना है सब....
अभय – अरे कसम से सच बोल रहा हूँ मैं कल रात में पानी पीने के लिए रसोई गया था मैं....
संध्या – (चौक के) तूने उठाया क्यों नहीं मुझे....
अभय – (मुस्कुरा के) तू सोते वक्त तू इतनी खूबसूरत लग रही थी इसीलिए नहीं उठाया....
संध्या – (मुस्कुरा के) पागल है तू पूरा....
अभय – तो फिर चले कही घूमने आज....
संध्या – (गुस्से में ) जी नहीं चुप चाप आराम करो वर्ना सोनिया से बोल के नींद का इंजेक्शन लगवा दूंगी तुझे समझे आराम करो मै हाल से काम निपटा के आती हूँ....
बोल के संध्या मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई इस तरफ अमन और निधि तैयार होके कॉलेज जा रहे थे रस्ते में....
रमन – (अमन और निधि को रस्ते में पैदल कॉलेज जाता देख) अभी तक बाइक नहीं मिली तुझे....
अमन – कहा पिता जी आप तो सब जानते हो....
रमन – आओ गाड़ी में बैठो दोनो....
अमन – (गाड़ी में बैठ के) हर रोज पैदल जाना पड़ता हैं मुझे कॉलेज में मजाक उड़ाते है मेरा सब....
रमन – अब तो काफी दिन हो गए है चाबी मांग क्यों नहीं लेता तू....
अमन – आपको लगता है ताई मां चाबी देगी मुझे वापस उनको पहले फुर्सत तो मिली अपने लाडले से तब तो बात करूं मैं....
रमन – तू दिल छोटा मत कर मै बात करूंगा उससे....
अमन – (गुस्से में) लेकिन कब तक चलेगा ये सब पिता जी अभी ये हाल है आगे जाने क्या क्या होगा कोई सोच भी नहीं सकता है....
रमन – (मुस्कुरा के) मैने बोला ना तू इतना मत सोच मै जल्द ही सब कुछ संभाल लूंगा और जब तक तुझे तेरी बाइक नहीं मिलती मै तुझे कॉलेज छोड़ दिया करूंगा....
रस्ते भर में निधि चुप चाप अमन और रमन की बाते सुनती रही बिना कुछ बोले कॉलेज में आते ही दोनों उतर अंडर जाने लगे तभी एक लड़की निधि के पास आके....
लड़की –(निधि को कार से उतरता देख) कैसी हो निधि तेरी गाड़ी बहुत मस्त है यार (कार को हाथ लगा ले) कार में घूमने में कितना मजा आता होगा यार तुझे गर्मी में AC क्या बात है....
निधि – तू कभी नहीं सुधरेगी शिला पागल है पूरी की पूरी तू गांव कब आई....
शिला – कल ही आई हूँ शहर से वापस यार लेकिन मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था वापस आने का शहर से....
निधि – (मुस्कुरा के) चल चल कॉलेज पढ़ाई पे ध्यान दे समझी तू....
शीला – अच्छा ये बता ये कार किसकी है....
निधि – मेरे पिता जी की है अब हट कार से पिता जी को जाना है काम से....
शीला कार से साइड होके रमन को देख....
शीला – आपकी कार बहुत खूबसूरत है ठाकुर साहब....
रमन – (शिला को सिर से पाव तक देख धीरे से) और तुम भी....
शीला – (चौक के) जी....
रमन – मेरा मतलब है तुम्हे कभी देखा नहीं गांव में मैने....
शीला – जी 6 महीने से मेरी मौसी की तबियत खराब थी शहर गई थी उनके पास रहने कल ही वापस आई हूँ....
रमन – ओह कभी आओ हवेली पर निधि के साथ....
शीला – (हल्का मुस्कुरा के) जी जरूर....
तभी निधि ने शीला का हाथ पकड़ के जाने लगी कॉलेज के अन्दर रस्ते में....
निधि – चुंबक है क्या चिपक जाती है जहां देखो हटती नहीं है फिर....
बोल के निधि और शिला चले गए पीछे रमन मुस्कुरा के देखता रहा शिला को जाते हुए उसके जाते ही रमन निकल गया कॉलेज से कॉलेज खत्म होते ही निधि ने हवेली आते ही अपनी मां ललिता को बता दिया आज कॉलेज के बाहर की बात जिसके बाद शाम को रमन के हवेली आने के बाद कमरे में....
ललिता – (गुस्से में रमन से) तुम अपनी हरकत से बाज़ नहीं आओगे ना....
रमन – मतलब क्या है तेरा....
ललिता – औरते क्या कम थी अब तेरी नजर लड़कियों पे पड़ने लगी है अरे कम से कम ये सोच लिया कर तेरे घर में तेरी जवान बेटी है और तू अपनी बेटी की उमर की लड़कियों को , हद है....
रमन – (गुस्से में) इसकी जिम्मेदार भी तू है अगर तू....
ललिता – (बीच में गुस्से से) हा हा मैने ही सब कुछ किया है तुम तो जैसे बड़े दूध के धुले हुए हो जिसने मौका पाके अपनी ही भाभी के साथ (बात बीच में रोक के) जाने दो सच तो ये है तुमसे किसी और बात की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है....
रमन – (ललिता की गर्दन में हाथ रख के) बहुत बोल रही है तू....
रीना – (बीच में) बस करिए जीजा जी हाथ हटाइए दीदी से....
अभय – (बीच में आके) इससे पहले मेरा भी हाथ उठे अच्छा रहेगा आप चाची के कमरे से चले जाइए चाचा....
रमन – मै क्यों जाऊं यहां से ये मेरा भी घर है....
ललिता – (रमन का हाथ अपनी गर्दन से हटाते हुए) घर से नहीं इस कमरे से जाने को बोल रहा है अभय....
रमन – तो ये मेरा भी कमरा है....
अभय – हा जरूर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप चाची को गर्दन पर हाथ रखो इस तरह....
रमन – तुम्हे बीच में बोलने की जरूरत नहीं है ये हम पति पत्नी के बीच की बात है....
अभय – ये तो नहीं हो सकता चाचा जी अगर ऐसा होता तो चाची पहले मुझे रोक चुकी होती....
रमन – देखो अभय....
अभय – जो भी देखना दिखाना वो सब बाद में पहले आप कमरे में जाइए जब गुस्सा शांत हो जाए तब कमर में आइएगा....
इसके बाद रमन ललिता को देखने लगा जो चुप चाप खड़ी कुछ नहीं बोल रही थी जिसे देख रमन अपने दात पीसते हुए कमरे से बाहर निकल गया....
रीना – (ललिता से) दीदी आप कैसे बर्दाश कर रहे हो आपके बाजू में उसे खड़ा देख के मेरे तन बदन में आग लग रही थी उसे छोड़ क्यों नहीं देते आप जरूरी है इसके साथ रहना अलग क्यों नहीं रह लेते हो आप....
ललिता – बस अपने बच्चों के लिए घुट घुट के जी रही हूँ तू क्या चाहती है कि....
अभय – (बीच में) जिंदगी भर घुट घुट के जीने से बेहतर है छोड़ देना (रीना से) क्यों सही बोला ना....
ललिता – अभय तू नहीं जानता ये....
अभय – (बीच में) चाची मै जब से हवेली आया हूँ तब से देख रहा हूँ अकेले में आपके चेहरे में मायूसी देख रहा हूँ ऐसा क्यों चाची , देखो चाची अलग होके जीने के डर से घुट घुट के साथ जीना ज्यादा मुश्किल होता है , हा डर तो रहेगा ये बात मै मानता हु लेकिन उस डर से एक बार पार हो गए तो एक नई जिंदगी होगी कम से कम सुकून से तो रहेगी आप जरा सोचो चाची जोर डालो दिमाग में (रीना से) और आप क्या बोल रहे थे चाची को अलग रहने के लिए क्यों भला अलग क्यों रहेगी मेरी चाची ये घर उनका है और यही रहेगी चाची भले चाचा से अलग सही लेकिन रहेगी यही हमेशा मेरी चाची बन के (ललिता से) क्यों चाची सही बोला ना मै....
अलीता – (कमरे में आते हुए) अरे वाह मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरे प्यारे दीवार जी इतने बड़े हो गए बिना किसी साथ के इतने बड़े फैसले खुद ही लेने लगे है क्या बात है देवर जी....
ललिता – (मुस्कुराते हुए अभय का हाथ पकड़ अलीता से) बस बस इतनी तारीफ मत कर मेरे लल्ला को नजर लग जाएगी....
अभय – (मुस्कुरा के) चाची अपनो की भी भला नजर लगती है कभी क्यों भाभी सही कहा ना....
अलीता – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा आपने देवर जी (ललिता से) चाची देवर जी ने जो कहा बिल्कुल सही कहा आपका जो फैसला हो आप हमेशा साथ रहेगी हमारे....
ललिता – (मुस्कुरा के) मै क्यों जाने लगी अपने लल्ला को छोड़ के मेरे लल्ला ने जो कहा वही होगा आखिर यही हमारे घर का असली वारिस है इसकी बात ना माने भला ऐसा कैसे हो सकता है....
अभय – तो चाची इसी बात पर आज फिर से आपके हाथों की बनी चावल की खीर मिलेगी खाने को....
ललिता – (मुस्कुरा के) हा लल्ला बिल्कुल मिलेगी मै अभी बनती हूँ....
अभय – चाची ऐसा करो रात के खाने के बाद खाते है खीर खाने के बाद मीठे का मजा ही अलग होता है....
ललिता – (मुस्कुरा के) तू जो बोले लल्ला वैसा ही करूंगी मै....
अभय – चाची आप बस खुश रहो हमेशा यही चाहता हूँ मैं....
ललीता – हा बिल्कुल....
बोल के सब कमरे से बाहर जाने लगे लेकिन रीना कमरे में पीछे खड़ी मुस्कुराते हुए बस अभय को देख रही थी जबकि अभय , अलीता के पीछे पीछे उसके कमरे में आके....
अलीता –(अभय को कमरे में आता देख) क्या बात है देवर जी आज मेरे कमरे में कोई खास बात है क्या....
अभय – बात तो खास है भाभी....
अलीता – हा हा तो पूछिए ना देवर जी....
अभय – भाभी उस दिन अपने ऐसा क्यों कहा , मै भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहता हूँ , क्या मतलब था इसका भाभी....
अलीता – कुछ नहीं अभय वो ऐसे ही निकल गया था मेरे मू से....
अभय – भाभी प्लीज बताओ ना क्या बात है....
अलीता – रहने दे ना अभय क्यों पुरानी बातों को याद दिला रहा है....
अभय – अच्छा एक काम करते है आज आप मुझे अपने बारे में बताओ कैस भइया से मिले आप , आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
अलीता – (मुस्कुरा के) मतलब बिना बात जाने मानोगे नहीं आप देवर जी....
अभय – (मू बना के) चलिए कोई बात नहीं अगर आप नहीं बताना चाहती है तो मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा भाभी अच्छा खाने पे मिलते है....
बोल के अभय जाने लगा....
अलीता – (अभय की नौटंकी देख हस्ते हुए) बस भी करो देवर जी आप सच में बहुत हंसाते हो आप इतना मै कभी हसी नहीं हूँ....
अभय – (चौक के) अच्छा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप भाभी आप पहले हस्ते नहीं थे क्या....
अलीता – बिल्कुल नहीं देवर जी तब मेरी जिंदगी बड़ी अलग और बहुत ही अजीब होती थी तब मेरा ध्यान घर के इलावा सिर्फ ओर सिर्फ बिजनेस में ज्यादा रहता था साथ में घमंड इतना आप सोच भी नहीं सकते....
अभय – क्या बात कर रहे हो आप भाभी आपको देख के ऐसा लगता नहीं है कि आपमें घमंड का जी भी होगा....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल था पहले घमंड मुझमें देवर जी , चलो आज मै आपको अपने बारे में सब कुछ बताती हूँ....
ALITA FLASHBACK....
महाराष्ट्र में शुरू से ही मेरे पापा मम्मी बिजनेस को साथ में चलाते आ रहे है मेरे पापा का नाम राम मोहन सिंघाल और मम्मी का नाम रागिनी सिंघाल है हमें कंपनी का नाम सिंघाल ग्रुप ऑफ कंपनी है वैसे तो पापा मम्मी ने तरह तरह की दवाएं बनाना एक छोटे से बिजनेस से शुरुवात की थी मेरे पापा मम्मी ने कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऑल इंडिया में मेडिसिन कंपनी में उनका नाम बहुत ऊपर आ गया कॉलेज आने के बाद मैने भी मेडिकल लाइन चुनी ताकि अपने पिता का काम सम्भल सकूं कुछ महीनों की मेहनत के बाद मैने पापा का बिजनेस पूरा संभाल लिया था इस बीच मैने कॉलेज की पढ़ाई को जारी रखा प्राइवेट में ताकि बिजनेस में कोई असर ना पड़े कोई भी नया टेंडर आता मै उसे हासिल करती तब मेरी कंपनी के मुकाबले 1 कंपनी और भी थी जिसका नाम चेतन ग्रुप था उसके मालिक का नाम चेतन और बेटा अमरीश था जिनकी कोशिश यही रहती थी किसी तरह मेरी कंपनी को बर्बाद कर सके इसीलिए हर बार टेंडर को पाने के लिए जाने किन किन को रिश्वत देते लेकिन किस्मत उनका साथ कभी नहीं देती थी एक दिन सभी कंपनी की मीटिंग चल रही थी लगभग कंपनी के सभी मालिक मौजुद थे वहां पर फैसला हो रहा था इस साल के टॉपर कंपनी को अवॉर्ड देने का जिसमें मेरे कंपनी का नाम आया तब सभी के साथ फूल लेके मुझे मुबारक बाद देने आए....
चेतन – बहुत बहुत मुबारक हो आपको अलीता जी बिजनेस में आपने अच्छी पकड़ बनाई है....
अलीता – (ना पहचानते हुए) शुक्रिया लेकिन आप कौन....
चेतन – अरे माफ करिएगा मै अपना परिचय देना भूल गया मेरा नाम चेतन है चेतन ग्रुप का मालिक और ये मेरा बेटा अमरीश है....
अलीता – ओह आप है चेतन ग्रुप से अच्छा लगा मिल के आपका काम कैसा चल रहा है....
चेतन – बस चल रहा है किसी तरह से हा अगर आप थोड़ा मेहरबानी करे और अच्छा चलने लगेगा....
अलीता – मतलब....
चेतन – मेरा मतलब है हर साल का टेंडर आप ही अपने पास रख लेते हो कभी हमें भी टेंडर लेने दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी आपकी वैसे भी आपकी कंपनी के बाद मेरी कंपनी का नंबर आता है....
अलीता – ओह तो आपकी कंपनी दूसरे नंबर पे आती है शायद आपको पता नहीं लेकिन I HATE NUMBER 2 , और हा ये टेंडर अपनी मेहनत से हासिल करती हु मै यही मेहनत अगर आपने की होती तो आपको मुझसे मेहरबानी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती UNDERSTAND YOU BETTER UNDERSTAND...
अभय – (अलीता की बात सुन बीच में हस्ते हुए) वाह भाभी आपने तो बेचारे की बोलती बंद कर दी क्या डायलॉग मारा आपने YOU BETTER UNDERSTAND अच्छा भाभी फिर क्या हुआ.....
अलीता – (हस्ते हुए) उसके करीबन 2 दिन बाद चेतन अपने बेटे अमरीश के साथ मेरे घर पर आया शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए अपने बेटे का....
अभय – (बीच में) अरे वाह बड़ी डेयरिंग वाला काम करने निकल आया वो भी आपके घर में मानना पड़ेगा उसकी हिम्मत को....
अलीता – (हस्ते हुए) ये तो कुछ भी नहीं है देवर जी अभी आगे भी सुनिए फिर बताइएगा आप....
अभय – ओह SORRY भाभी अब बीच में नहीं बोलूंगा मैं....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) तो सुनिए उसके बाद मेरे पापा मम्मी उनसे बाते कर रहे थे तब....
अभय – (बीच में) एक मिनिट भाभी आपने बताया नहीं आपके फैमिली में पापा मम्मी के इलावा और कौन कौन है....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै ही अपने पापा मम्मी की इकलौती बेटी हूँ बस....
अभय – ओह ठीक है अब बताइए आगे क्या हुआ फिर....
अलीता – फिर कुछ देर बाद मैं आ गई घर में अपनी सेक्रेटरी के साथ जानते हो कौन है मेरी सेक्रेटरी....
अभय – कौन है आपकी सेक्रेटरी....
अलीता – सोनिया जिसने तुम्हारा इलाज किया है समझे , आगे सुनिए...
घर में आते ही मेरी मम्मी ने बताई मुझे सारी बात उन्हें लड़का (अमरीश) बहुत पसंद आया था और पापा को भी लेकिन मैं समझ गई थी उनके मेरे घर में रिश्ता लेके आने का इसीलिए मैने....
अलीता – (मम्मी पापा से) मुझे अभी शादी नहीं करनी है अब तक मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसके बाद....
चेतन – (बीच में) कोई बात नहीं आप चाहो तो शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखना हमें कोई दिक्कत नहीं....
अलीता – (बीच में) लेकिन मुझे दिक्कत है इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद सोचूंगी शादी का करनी है कि नहीं....
रागिनी सिंघाल – (धीरे से) बेटा लड़का हमें बहुत पसंद आया है बहुत अच्छा लड़का है ये एक बार तू सोच ले....
अलीता – मम्मी मैने सोच कर ही कर रही हूं कुछ खेर आप सब नाश्ता करिए मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आराम करने (सोनिया से) चलो सोनिया मुझे काम है उसके बाद तुम चली जाना....
अलीता के जाने के बाद....
राम मोहन सिंघाल – (चेतन से) बच्ची है अभी आप तो जानते है बच्चो को मनाना आसान नहीं होता मै अलीता से बाद में बात कर के बताऊंगा आपको....
कुछ देर बाद चेतन अपने बेटे के अस्त वापस चल गया उसके जाने के बाद राम मोहन अपनी बेटी के कमरे में आके....
राम मोहन – (अलीता से) तुम तो बोल रही थी आराम करने जा रही हो कमरे में यहां तो तुम काम में बिजी हो....
अलीता – हा पापा कुछ काम बचा पड़ा है ऑफिस का उसे पूरा करना जरूरी है उसके बाद आराम करूंगी....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा लेकिन तुम अपनी जिंदगी के बारे में कब सोचोगी....
अलीता – इसमें सोचना क्या है पापा जैसे चल रही है वैसे चलती रहेगी....
राम मोहन – बेटा मै तेरी आगे की जिंदगी के बारे में बोल रहा हूँ आगे चल के कभी ना कभी तुझे शादी तो करनी है ना उसके बारे में कब सोचेगी....
अलीता – पापा अगर आप चेतन ग्रुप कंपनी से आए थे उनकी बात कर रहे हो आप तो आपको बता देती हु वो मुझे बिल्कुल भी सही नहीं लगते है उनका सिर्फ एक ही मकसद है हमारी कंपनी को टेक ओवर करना इसीलिए Mr चेतन यहां आए थे अपने बेटे के साथ शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा जहां दोस्त है वहां दुश्मन तो होगे ही ना चल चेतन के बेटे से ना सही लेकिन किसी ना किसी से शादी तो करोगी ही ना तुम....
अलीता – फिर तो आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है पापा इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं बना जो अलीता सिंघाल से शादी कर सके....
बोल के अलीता काम करने लगी जबकि राम मोहन हल्का मुस्कुरा के कमरे से बाहर निकल के....
राम मोहन – (मुस्कुराते हुए) जोड़े तो ऊपर वाला बना के ही भेजता है दुनिया में बेटा जाने वो कौन और कहा होगा जिसका साथ तेरे साथ लिखा है....
उसके कुछ दिन बाद की बात है एक दिन मैं पहले निकल गई थी ऑफिस के लिए जल्दी कुछ देर बाद पापा निकले घर से ऑफिस के लिए फिर जानते हो क्या हुआ उस दिन....
अभय – (चौक के) क्या हुआ था उस दिन भाभी....
अलीता – उस दिन जब....
संध्या – (बीच में अलीता के कमरे में आते हुए) क्या बाते हो रही है देवर भाभी है....
अभय – भाभी अपने बारे में बता रही है....
संध्या – अच्छा वो सब बाद में चलो पहले खाना खा लो जल्दी से....
अभय – इतनी जल्दी क्या है अभी तो भाभी ने बताना शुरू किया है अपने बारे में....
अलीता –(मुस्कुराते हुए) देवर जी अभी को 2 घंटे बीत चुके है पता है
अभय –(घड़ी देख के) ओह तेरी 2 घंटे हो गए भाभी सच में पता ही नहीं चला मुझे , ठीक है खाने के बाद आप बताना आगे क्या हुआ....
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.
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जारी रहेगा
Nice updateUPDATE 57
रात के समय जहां सब गहरी नींद में सो रहे थे वहीं हवेली के एक कमरे में एक लड़की मोबाइल पर किसी से बाते कर रही थी....
लड़की – तुम तो जानते हो अब कॉलेज में सबके सामने तुमसे बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है मेरा भाई नजर बनाए रखता है मुझे तो डर लग रहा है कही उसे हमारे बारे में पता तो नहीं चल गया....
सामने से लड़का – तू इतना घबराती क्यों है ऐसा कुछ नहीं है अगर अमन को शक भी होता तो जरूर कुछ ना कुछ करता....
ये दोनो कोई और नहीं बल्कि निधि और लल्ला थे जो मोबाइल में आपस में बाते कर रहे थे....
निधि – यही तो डर है हवेली में वो कुछ भी नहीं कर रहा है लेकिन हवेली से बाहर कब क्या करे डर लगता है मुझे....
लल्ला – देख तू ज्यादा ही सोच रही है अमन के लिए वो कुछ भी नहीं करने वाला है जब से अभय आया है वापस तभी से तेरे पिता (रमन) और अमन के 12 बजे हुए है हवेली के अन्दर हो या बाहर कुछ नहीं करेंगे वो दोनो , चल छोड़ ये सब अभय कैसा है....
निधि – ठीक है वो अब....
लल्ला – तूने बात नहीं की अभी तक अभय से....
निधि – नहीं....
लल्ला – क्यों क्या हुआ....
निधि – डर लगता है बचपन में जो कुछ हुआ उसके बाद से....
लल्ला – देख बचपन में जो हुआ उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन उस बात की वजह से अपना आज क्यों खराब कर रही हो तुम बात कर लो भाई है तुम्हारा....
निधि – हम्ममम....
लल्ला – चल आराम करो तुम कल मिलते है कॉलेज में....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने की तभी किसी की आवाज आई निधि के कानों में....
शक्श – किस्से बात कर रही थी इतनी रात में....
निधि – (आवाज सुन चौक के सामने अभय को खड़ा देख) भैया आप , वो मै लक्ष्मन से बाते कर रही थी....
अभय – कौन लक्ष्मण....
निधि – वो आपका दोस्त लल्ला उसका नाम है लक्ष्मन....
अभय – (बात समझ मुस्कुरा के) कब से चल रहा है ये सब....
निधि – (शर्मा के) जी भइया साल भर हो गया है....
अभय – (मुस्कुरा के) ओहहहह हो ठीक है चलता हूँ आराम करो तुम....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – (अभय से) आप इतनी रात में यहां....
अभय – हा प्यास लगी थी कमरे में पानी नहीं था पानी पीने जा रहा था तभी तुम्हारे कमरे से आवाज आई मुझे इसीलिए रुक गया था मैं....
निधि – मै ले आती हूँ आप रुको....
अभय – अरे नहीं तुम आराम करो मै रसोई में जाके पी लूंगा पानी....
निधि – कोई बात नहीं मै ले आती हूँ आप बैठो यहां पे....
बोल के निधि चली गई पानी लेने बोतल लाके अभय को पानी पीने को दे दिया....
अभय – (पानी पीने के बाद) एक बात तो बताओ तुमने फोन में बोला बचपन में जो हुआ उससे डर लगता है ये क्या बात है....
निधि – भइया वो बचपन में अमन और मेरी वजह से आपको डाट और मार पड़ती उसके वजह से आपसे बात करने में डर लगता है इसीलिए....
अभय – (हस्ते हुए) इसमें डरने की क्या बात है और वैसे भी पहले का मुझे याद भी नहीं अभी तुम बात नहीं करोगी तो जरूर नाराज हो जाऊंगा मै तुमसे....
निधि – आप सच बोल रहे हो मजाक नहीं कर रहे ना....
अभय – भला मै क्यों मजाक करने लगा तुमसे भूल जाओ पुरानी बातों को बस आज में जीयो....
निधि – (मुस्कुरा के) जी भइया....
अभय – चलो चलता हूँ तुम आराम करो काफी रात हो गई है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – भइया (बोल अभय के गले लग के) थैंक्यू भइया....
अभय – (सिर पे हाथ फेर के) चल पगली भाई को थैंक्यू बोलती है जा जाके सोजा अब....
बोल के दोनो मुस्कुराते हुए चले गए अपने कमरे में सोने अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद....
अभय – (संध्या से) आज कही और चले घूमने....
संध्या – पैर ठीक हुआ नहीं और घूमने की लगी है....
अभय – अरे कुछ नहीं है हल्की सी लगी है बस चलने में कोई दिक्कत नहीं....
संध्या – हा हा सब समझती हूँ मैं घूमने का बहाना है सब....
अभय – अरे कसम से सच बोल रहा हूँ मैं कल रात में पानी पीने के लिए रसोई गया था मैं....
संध्या – (चौक के) तूने उठाया क्यों नहीं मुझे....
अभय – (मुस्कुरा के) तू सोते वक्त तू इतनी खूबसूरत लग रही थी इसीलिए नहीं उठाया....
संध्या – (मुस्कुरा के) पागल है तू पूरा....
अभय – तो फिर चले कही घूमने आज....
संध्या – (गुस्से में ) जी नहीं चुप चाप आराम करो वर्ना सोनिया से बोल के नींद का इंजेक्शन लगवा दूंगी तुझे समझे आराम करो मै हाल से काम निपटा के आती हूँ....
बोल के संध्या मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई इस तरफ अमन और निधि तैयार होके कॉलेज जा रहे थे रस्ते में....
रमन – (अमन और निधि को रस्ते में पैदल कॉलेज जाता देख) अभी तक बाइक नहीं मिली तुझे....
अमन – कहा पिता जी आप तो सब जानते हो....
रमन – आओ गाड़ी में बैठो दोनो....
अमन – (गाड़ी में बैठ के) हर रोज पैदल जाना पड़ता हैं मुझे कॉलेज में मजाक उड़ाते है मेरा सब....
रमन – अब तो काफी दिन हो गए है चाबी मांग क्यों नहीं लेता तू....
अमन – आपको लगता है ताई मां चाबी देगी मुझे वापस उनको पहले फुर्सत तो मिली अपने लाडले से तब तो बात करूं मैं....
रमन – तू दिल छोटा मत कर मै बात करूंगा उससे....
अमन – (गुस्से में) लेकिन कब तक चलेगा ये सब पिता जी अभी ये हाल है आगे जाने क्या क्या होगा कोई सोच भी नहीं सकता है....
रमन – (मुस्कुरा के) मैने बोला ना तू इतना मत सोच मै जल्द ही सब कुछ संभाल लूंगा और जब तक तुझे तेरी बाइक नहीं मिलती मै तुझे कॉलेज छोड़ दिया करूंगा....
रस्ते भर में निधि चुप चाप अमन और रमन की बाते सुनती रही बिना कुछ बोले कॉलेज में आते ही दोनों उतर अंडर जाने लगे तभी एक लड़की निधि के पास आके....
लड़की –(निधि को कार से उतरता देख) कैसी हो निधि तेरी गाड़ी बहुत मस्त है यार (कार को हाथ लगा ले) कार में घूमने में कितना मजा आता होगा यार तुझे गर्मी में AC क्या बात है....
निधि – तू कभी नहीं सुधरेगी शिला पागल है पूरी की पूरी तू गांव कब आई....
शिला – कल ही आई हूँ शहर से वापस यार लेकिन मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था वापस आने का शहर से....
निधि – (मुस्कुरा के) चल चल कॉलेज पढ़ाई पे ध्यान दे समझी तू....
शीला – अच्छा ये बता ये कार किसकी है....
निधि – मेरे पिता जी की है अब हट कार से पिता जी को जाना है काम से....
शीला कार से साइड होके रमन को देख....
शीला – आपकी कार बहुत खूबसूरत है ठाकुर साहब....
रमन – (शिला को सिर से पाव तक देख धीरे से) और तुम भी....
शीला – (चौक के) जी....
रमन – मेरा मतलब है तुम्हे कभी देखा नहीं गांव में मैने....
शीला – जी 6 महीने से मेरी मौसी की तबियत खराब थी शहर गई थी उनके पास रहने कल ही वापस आई हूँ....
रमन – ओह कभी आओ हवेली पर निधि के साथ....
शीला – (हल्का मुस्कुरा के) जी जरूर....
तभी निधि ने शीला का हाथ पकड़ के जाने लगी कॉलेज के अन्दर रस्ते में....
निधि – चुंबक है क्या चिपक जाती है जहां देखो हटती नहीं है फिर....
बोल के निधि और शिला चले गए पीछे रमन मुस्कुरा के देखता रहा शिला को जाते हुए उसके जाते ही रमन निकल गया कॉलेज से कॉलेज खत्म होते ही निधि ने हवेली आते ही अपनी मां ललिता को बता दिया आज कॉलेज के बाहर की बात जिसके बाद शाम को रमन के हवेली आने के बाद कमरे में....
ललिता – (गुस्से में रमन से) तुम अपनी हरकत से बाज़ नहीं आओगे ना....
रमन – मतलब क्या है तेरा....
ललिता – औरते क्या कम थी अब तेरी नजर लड़कियों पे पड़ने लगी है अरे कम से कम ये सोच लिया कर तेरे घर में तेरी जवान बेटी है और तू अपनी बेटी की उमर की लड़कियों को , हद है....
रमन – (गुस्से में) इसकी जिम्मेदार भी तू है अगर तू....
ललिता – (बीच में गुस्से से) हा हा मैने ही सब कुछ किया है तुम तो जैसे बड़े दूध के धुले हुए हो जिसने मौका पाके अपनी ही भाभी के साथ (बात बीच में रोक के) जाने दो सच तो ये है तुमसे किसी और बात की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है....
रमन – (ललिता की गर्दन में हाथ रख के) बहुत बोल रही है तू....
रीना – (बीच में) बस करिए जीजा जी हाथ हटाइए दीदी से....
अभय – (बीच में आके) इससे पहले मेरा भी हाथ उठे अच्छा रहेगा आप चाची के कमरे से चले जाइए चाचा....
रमन – मै क्यों जाऊं यहां से ये मेरा भी घर है....
ललिता – (रमन का हाथ अपनी गर्दन से हटाते हुए) घर से नहीं इस कमरे से जाने को बोल रहा है अभय....
रमन – तो ये मेरा भी कमरा है....
अभय – हा जरूर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप चाची को गर्दन पर हाथ रखो इस तरह....
रमन – तुम्हे बीच में बोलने की जरूरत नहीं है ये हम पति पत्नी के बीच की बात है....
अभय – ये तो नहीं हो सकता चाचा जी अगर ऐसा होता तो चाची पहले मुझे रोक चुकी होती....
रमन – देखो अभय....
अभय – जो भी देखना दिखाना वो सब बाद में पहले आप कमरे में जाइए जब गुस्सा शांत हो जाए तब कमर में आइएगा....
इसके बाद रमन ललिता को देखने लगा जो चुप चाप खड़ी कुछ नहीं बोल रही थी जिसे देख रमन अपने दात पीसते हुए कमरे से बाहर निकल गया....
रीना – (ललिता से) दीदी आप कैसे बर्दाश कर रहे हो आपके बाजू में उसे खड़ा देख के मेरे तन बदन में आग लग रही थी उसे छोड़ क्यों नहीं देते आप जरूरी है इसके साथ रहना अलग क्यों नहीं रह लेते हो आप....
ललिता – बस अपने बच्चों के लिए घुट घुट के जी रही हूँ तू क्या चाहती है कि....
अभय – (बीच में) जिंदगी भर घुट घुट के जीने से बेहतर है छोड़ देना (रीना से) क्यों सही बोला ना....
ललिता – अभय तू नहीं जानता ये....
अभय – (बीच में) चाची मै जब से हवेली आया हूँ तब से देख रहा हूँ अकेले में आपके चेहरे में मायूसी देख रहा हूँ ऐसा क्यों चाची , देखो चाची अलग होके जीने के डर से घुट घुट के साथ जीना ज्यादा मुश्किल होता है , हा डर तो रहेगा ये बात मै मानता हु लेकिन उस डर से एक बार पार हो गए तो एक नई जिंदगी होगी कम से कम सुकून से तो रहेगी आप जरा सोचो चाची जोर डालो दिमाग में (रीना से) और आप क्या बोल रहे थे चाची को अलग रहने के लिए क्यों भला अलग क्यों रहेगी मेरी चाची ये घर उनका है और यही रहेगी चाची भले चाचा से अलग सही लेकिन रहेगी यही हमेशा मेरी चाची बन के (ललिता से) क्यों चाची सही बोला ना मै....
अलीता – (कमरे में आते हुए) अरे वाह मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरे प्यारे दीवार जी इतने बड़े हो गए बिना किसी साथ के इतने बड़े फैसले खुद ही लेने लगे है क्या बात है देवर जी....
ललिता – (मुस्कुराते हुए अभय का हाथ पकड़ अलीता से) बस बस इतनी तारीफ मत कर मेरे लल्ला को नजर लग जाएगी....
अभय – (मुस्कुरा के) चाची अपनो की भी भला नजर लगती है कभी क्यों भाभी सही कहा ना....
अलीता – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा आपने देवर जी (ललिता से) चाची देवर जी ने जो कहा बिल्कुल सही कहा आपका जो फैसला हो आप हमेशा साथ रहेगी हमारे....
ललिता – (मुस्कुरा के) मै क्यों जाने लगी अपने लल्ला को छोड़ के मेरे लल्ला ने जो कहा वही होगा आखिर यही हमारे घर का असली वारिस है इसकी बात ना माने भला ऐसा कैसे हो सकता है....
अभय – तो चाची इसी बात पर आज फिर से आपके हाथों की बनी चावल की खीर मिलेगी खाने को....
ललिता – (मुस्कुरा के) हा लल्ला बिल्कुल मिलेगी मै अभी बनती हूँ....
अभय – चाची ऐसा करो रात के खाने के बाद खाते है खीर खाने के बाद मीठे का मजा ही अलग होता है....
ललिता – (मुस्कुरा के) तू जो बोले लल्ला वैसा ही करूंगी मै....
अभय – चाची आप बस खुश रहो हमेशा यही चाहता हूँ मैं....
ललीता – हा बिल्कुल....
बोल के सब कमरे से बाहर जाने लगे लेकिन रीना कमरे में पीछे खड़ी मुस्कुराते हुए बस अभय को देख रही थी जबकि अभय , अलीता के पीछे पीछे उसके कमरे में आके....
अलीता –(अभय को कमरे में आता देख) क्या बात है देवर जी आज मेरे कमरे में कोई खास बात है क्या....
अभय – बात तो खास है भाभी....
अलीता – हा हा तो पूछिए ना देवर जी....
अभय – भाभी उस दिन अपने ऐसा क्यों कहा , मै भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहता हूँ , क्या मतलब था इसका भाभी....
अलीता – कुछ नहीं अभय वो ऐसे ही निकल गया था मेरे मू से....
अभय – भाभी प्लीज बताओ ना क्या बात है....
अलीता – रहने दे ना अभय क्यों पुरानी बातों को याद दिला रहा है....
अभय – अच्छा एक काम करते है आज आप मुझे अपने बारे में बताओ कैस भइया से मिले आप , आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
अलीता – (मुस्कुरा के) मतलब बिना बात जाने मानोगे नहीं आप देवर जी....
अभय – (मू बना के) चलिए कोई बात नहीं अगर आप नहीं बताना चाहती है तो मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा भाभी अच्छा खाने पे मिलते है....
बोल के अभय जाने लगा....
अलीता – (अभय की नौटंकी देख हस्ते हुए) बस भी करो देवर जी आप सच में बहुत हंसाते हो आप इतना मै कभी हसी नहीं हूँ....
अभय – (चौक के) अच्छा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप भाभी आप पहले हस्ते नहीं थे क्या....
अलीता – बिल्कुल नहीं देवर जी तब मेरी जिंदगी बड़ी अलग और बहुत ही अजीब होती थी तब मेरा ध्यान घर के इलावा सिर्फ ओर सिर्फ बिजनेस में ज्यादा रहता था साथ में घमंड इतना आप सोच भी नहीं सकते....
अभय – क्या बात कर रहे हो आप भाभी आपको देख के ऐसा लगता नहीं है कि आपमें घमंड का जी भी होगा....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल था पहले घमंड मुझमें देवर जी , चलो आज मै आपको अपने बारे में सब कुछ बताती हूँ....
ALITA FLASHBACK....
महाराष्ट्र में शुरू से ही मेरे पापा मम्मी बिजनेस को साथ में चलाते आ रहे है मेरे पापा का नाम राम मोहन सिंघाल और मम्मी का नाम रागिनी सिंघाल है हमें कंपनी का नाम सिंघाल ग्रुप ऑफ कंपनी है वैसे तो पापा मम्मी ने तरह तरह की दवाएं बनाना एक छोटे से बिजनेस से शुरुवात की थी मेरे पापा मम्मी ने कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऑल इंडिया में मेडिसिन कंपनी में उनका नाम बहुत ऊपर आ गया कॉलेज आने के बाद मैने भी मेडिकल लाइन चुनी ताकि अपने पिता का काम सम्भल सकूं कुछ महीनों की मेहनत के बाद मैने पापा का बिजनेस पूरा संभाल लिया था इस बीच मैने कॉलेज की पढ़ाई को जारी रखा प्राइवेट में ताकि बिजनेस में कोई असर ना पड़े कोई भी नया टेंडर आता मै उसे हासिल करती तब मेरी कंपनी के मुकाबले 1 कंपनी और भी थी जिसका नाम चेतन ग्रुप था उसके मालिक का नाम चेतन और बेटा अमरीश था जिनकी कोशिश यही रहती थी किसी तरह मेरी कंपनी को बर्बाद कर सके इसीलिए हर बार टेंडर को पाने के लिए जाने किन किन को रिश्वत देते लेकिन किस्मत उनका साथ कभी नहीं देती थी एक दिन सभी कंपनी की मीटिंग चल रही थी लगभग कंपनी के सभी मालिक मौजुद थे वहां पर फैसला हो रहा था इस साल के टॉपर कंपनी को अवॉर्ड देने का जिसमें मेरे कंपनी का नाम आया तब सभी के साथ फूल लेके मुझे मुबारक बाद देने आए....
चेतन – बहुत बहुत मुबारक हो आपको अलीता जी बिजनेस में आपने अच्छी पकड़ बनाई है....
अलीता – (ना पहचानते हुए) शुक्रिया लेकिन आप कौन....
चेतन – अरे माफ करिएगा मै अपना परिचय देना भूल गया मेरा नाम चेतन है चेतन ग्रुप का मालिक और ये मेरा बेटा अमरीश है....
अलीता – ओह आप है चेतन ग्रुप से अच्छा लगा मिल के आपका काम कैसा चल रहा है....
चेतन – बस चल रहा है किसी तरह से हा अगर आप थोड़ा मेहरबानी करे और अच्छा चलने लगेगा....
अलीता – मतलब....
चेतन – मेरा मतलब है हर साल का टेंडर आप ही अपने पास रख लेते हो कभी हमें भी टेंडर लेने दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी आपकी वैसे भी आपकी कंपनी के बाद मेरी कंपनी का नंबर आता है....
अलीता – ओह तो आपकी कंपनी दूसरे नंबर पे आती है शायद आपको पता नहीं लेकिन I HATE NUMBER 2 , और हा ये टेंडर अपनी मेहनत से हासिल करती हु मै यही मेहनत अगर आपने की होती तो आपको मुझसे मेहरबानी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती UNDERSTAND YOU BETTER UNDERSTAND...
अभय – (अलीता की बात सुन बीच में हस्ते हुए) वाह भाभी आपने तो बेचारे की बोलती बंद कर दी क्या डायलॉग मारा आपने YOU BETTER UNDERSTAND अच्छा भाभी फिर क्या हुआ.....
अलीता – (हस्ते हुए) उसके करीबन 2 दिन बाद चेतन अपने बेटे अमरीश के साथ मेरे घर पर आया शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए अपने बेटे का....
अभय – (बीच में) अरे वाह बड़ी डेयरिंग वाला काम करने निकल आया वो भी आपके घर में मानना पड़ेगा उसकी हिम्मत को....
अलीता – (हस्ते हुए) ये तो कुछ भी नहीं है देवर जी अभी आगे भी सुनिए फिर बताइएगा आप....
अभय – ओह SORRY भाभी अब बीच में नहीं बोलूंगा मैं....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) तो सुनिए उसके बाद मेरे पापा मम्मी उनसे बाते कर रहे थे तब....
अभय – (बीच में) एक मिनिट भाभी आपने बताया नहीं आपके फैमिली में पापा मम्मी के इलावा और कौन कौन है....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै ही अपने पापा मम्मी की इकलौती बेटी हूँ बस....
अभय – ओह ठीक है अब बताइए आगे क्या हुआ फिर....
अलीता – फिर कुछ देर बाद मैं आ गई घर में अपनी सेक्रेटरी के साथ जानते हो कौन है मेरी सेक्रेटरी....
अभय – कौन है आपकी सेक्रेटरी....
अलीता – सोनिया जिसने तुम्हारा इलाज किया है समझे , आगे सुनिए...
घर में आते ही मेरी मम्मी ने बताई मुझे सारी बात उन्हें लड़का (अमरीश) बहुत पसंद आया था और पापा को भी लेकिन मैं समझ गई थी उनके मेरे घर में रिश्ता लेके आने का इसीलिए मैने....
अलीता – (मम्मी पापा से) मुझे अभी शादी नहीं करनी है अब तक मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसके बाद....
चेतन – (बीच में) कोई बात नहीं आप चाहो तो शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखना हमें कोई दिक्कत नहीं....
अलीता – (बीच में) लेकिन मुझे दिक्कत है इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद सोचूंगी शादी का करनी है कि नहीं....
रागिनी सिंघाल – (धीरे से) बेटा लड़का हमें बहुत पसंद आया है बहुत अच्छा लड़का है ये एक बार तू सोच ले....
अलीता – मम्मी मैने सोच कर ही कर रही हूं कुछ खेर आप सब नाश्ता करिए मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आराम करने (सोनिया से) चलो सोनिया मुझे काम है उसके बाद तुम चली जाना....
अलीता के जाने के बाद....
राम मोहन सिंघाल – (चेतन से) बच्ची है अभी आप तो जानते है बच्चो को मनाना आसान नहीं होता मै अलीता से बाद में बात कर के बताऊंगा आपको....
कुछ देर बाद चेतन अपने बेटे के अस्त वापस चल गया उसके जाने के बाद राम मोहन अपनी बेटी के कमरे में आके....
राम मोहन – (अलीता से) तुम तो बोल रही थी आराम करने जा रही हो कमरे में यहां तो तुम काम में बिजी हो....
अलीता – हा पापा कुछ काम बचा पड़ा है ऑफिस का उसे पूरा करना जरूरी है उसके बाद आराम करूंगी....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा लेकिन तुम अपनी जिंदगी के बारे में कब सोचोगी....
अलीता – इसमें सोचना क्या है पापा जैसे चल रही है वैसे चलती रहेगी....
राम मोहन – बेटा मै तेरी आगे की जिंदगी के बारे में बोल रहा हूँ आगे चल के कभी ना कभी तुझे शादी तो करनी है ना उसके बारे में कब सोचेगी....
अलीता – पापा अगर आप चेतन ग्रुप कंपनी से आए थे उनकी बात कर रहे हो आप तो आपको बता देती हु वो मुझे बिल्कुल भी सही नहीं लगते है उनका सिर्फ एक ही मकसद है हमारी कंपनी को टेक ओवर करना इसीलिए Mr चेतन यहां आए थे अपने बेटे के साथ शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा जहां दोस्त है वहां दुश्मन तो होगे ही ना चल चेतन के बेटे से ना सही लेकिन किसी ना किसी से शादी तो करोगी ही ना तुम....
अलीता – फिर तो आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है पापा इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं बना जो अलीता सिंघाल से शादी कर सके....
बोल के अलीता काम करने लगी जबकि राम मोहन हल्का मुस्कुरा के कमरे से बाहर निकल के....
राम मोहन – (मुस्कुराते हुए) जोड़े तो ऊपर वाला बना के ही भेजता है दुनिया में बेटा जाने वो कौन और कहा होगा जिसका साथ तेरे साथ लिखा है....
उसके कुछ दिन बाद की बात है एक दिन मैं पहले निकल गई थी ऑफिस के लिए जल्दी कुछ देर बाद पापा निकले घर से ऑफिस के लिए फिर जानते हो क्या हुआ उस दिन....
अभय – (चौक के) क्या हुआ था उस दिन भाभी....
अलीता – उस दिन जब....
संध्या – (बीच में अलीता के कमरे में आते हुए) क्या बाते हो रही है देवर भाभी है....
अभय – भाभी अपने बारे में बता रही है....
संध्या – अच्छा वो सब बाद में चलो पहले खाना खा लो जल्दी से....
अभय – इतनी जल्दी क्या है अभी तो भाभी ने बताना शुरू किया है अपने बारे में....
अलीता –(मुस्कुराते हुए) देवर जी अभी को 2 घंटे बीत चुके है पता है
अभय –(घड़ी देख के) ओह तेरी 2 घंटे हो गए भाभी सच में पता ही नहीं चला मुझे , ठीक है खाने के बाद आप बताना आगे क्या हुआ....
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जारी रहेगा
Bahut hi badhiya update Diya hai aapane pad kar maza aaya bhaiUPDATE 57
रात के समय जहां सब गहरी नींद में सो रहे थे वहीं हवेली के एक कमरे में एक लड़की मोबाइल पर किसी से बाते कर रही थी....
लड़की – तुम तो जानते हो अब कॉलेज में सबके सामने तुमसे बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है मेरा भाई नजर बनाए रखता है मुझे तो डर लग रहा है कही उसे हमारे बारे में पता तो नहीं चल गया....
सामने से लड़का – तू इतना घबराती क्यों है ऐसा कुछ नहीं है अगर अमन को शक भी होता तो जरूर कुछ ना कुछ करता....
ये दोनो कोई और नहीं बल्कि निधि और लल्ला थे जो मोबाइल में आपस में बाते कर रहे थे....
निधि – यही तो डर है हवेली में वो कुछ भी नहीं कर रहा है लेकिन हवेली से बाहर कब क्या करे डर लगता है मुझे....
लल्ला – देख तू ज्यादा ही सोच रही है अमन के लिए वो कुछ भी नहीं करने वाला है जब से अभय आया है वापस तभी से तेरे पिता (रमन) और अमन के 12 बजे हुए है हवेली के अन्दर हो या बाहर कुछ नहीं करेंगे वो दोनो , चल छोड़ ये सब अभय कैसा है....
निधि – ठीक है वो अब....
लल्ला – तूने बात नहीं की अभी तक अभय से....
निधि – नहीं....
लल्ला – क्यों क्या हुआ....
निधि – डर लगता है बचपन में जो कुछ हुआ उसके बाद से....
लल्ला – देख बचपन में जो हुआ उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन उस बात की वजह से अपना आज क्यों खराब कर रही हो तुम बात कर लो भाई है तुम्हारा....
निधि – हम्ममम....
लल्ला – चल आराम करो तुम कल मिलते है कॉलेज में....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने की तभी किसी की आवाज आई निधि के कानों में....
शक्श – किस्से बात कर रही थी इतनी रात में....
निधि – (आवाज सुन चौक के सामने अभय को खड़ा देख) भैया आप , वो मै लक्ष्मन से बाते कर रही थी....
अभय – कौन लक्ष्मण....
निधि – वो आपका दोस्त लल्ला उसका नाम है लक्ष्मन....
अभय – (बात समझ मुस्कुरा के) कब से चल रहा है ये सब....
निधि – (शर्मा के) जी भइया साल भर हो गया है....
अभय – (मुस्कुरा के) ओहहहह हो ठीक है चलता हूँ आराम करो तुम....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – (अभय से) आप इतनी रात में यहां....
अभय – हा प्यास लगी थी कमरे में पानी नहीं था पानी पीने जा रहा था तभी तुम्हारे कमरे से आवाज आई मुझे इसीलिए रुक गया था मैं....
निधि – मै ले आती हूँ आप रुको....
अभय – अरे नहीं तुम आराम करो मै रसोई में जाके पी लूंगा पानी....
निधि – कोई बात नहीं मै ले आती हूँ आप बैठो यहां पे....
बोल के निधि चली गई पानी लेने बोतल लाके अभय को पानी पीने को दे दिया....
अभय – (पानी पीने के बाद) एक बात तो बताओ तुमने फोन में बोला बचपन में जो हुआ उससे डर लगता है ये क्या बात है....
निधि – भइया वो बचपन में अमन और मेरी वजह से आपको डाट और मार पड़ती उसके वजह से आपसे बात करने में डर लगता है इसीलिए....
अभय – (हस्ते हुए) इसमें डरने की क्या बात है और वैसे भी पहले का मुझे याद भी नहीं अभी तुम बात नहीं करोगी तो जरूर नाराज हो जाऊंगा मै तुमसे....
निधि – आप सच बोल रहे हो मजाक नहीं कर रहे ना....
अभय – भला मै क्यों मजाक करने लगा तुमसे भूल जाओ पुरानी बातों को बस आज में जीयो....
निधि – (मुस्कुरा के) जी भइया....
अभय – चलो चलता हूँ तुम आराम करो काफी रात हो गई है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – भइया (बोल अभय के गले लग के) थैंक्यू भइया....
अभय – (सिर पे हाथ फेर के) चल पगली भाई को थैंक्यू बोलती है जा जाके सोजा अब....
बोल के दोनो मुस्कुराते हुए चले गए अपने कमरे में सोने अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद....
अभय – (संध्या से) आज कही और चले घूमने....
संध्या – पैर ठीक हुआ नहीं और घूमने की लगी है....
अभय – अरे कुछ नहीं है हल्की सी लगी है बस चलने में कोई दिक्कत नहीं....
संध्या – हा हा सब समझती हूँ मैं घूमने का बहाना है सब....
अभय – अरे कसम से सच बोल रहा हूँ मैं कल रात में पानी पीने के लिए रसोई गया था मैं....
संध्या – (चौक के) तूने उठाया क्यों नहीं मुझे....
अभय – (मुस्कुरा के) तू सोते वक्त तू इतनी खूबसूरत लग रही थी इसीलिए नहीं उठाया....
संध्या – (मुस्कुरा के) पागल है तू पूरा....
अभय – तो फिर चले कही घूमने आज....
संध्या – (गुस्से में ) जी नहीं चुप चाप आराम करो वर्ना सोनिया से बोल के नींद का इंजेक्शन लगवा दूंगी तुझे समझे आराम करो मै हाल से काम निपटा के आती हूँ....
बोल के संध्या मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई इस तरफ अमन और निधि तैयार होके कॉलेज जा रहे थे रस्ते में....
रमन – (अमन और निधि को रस्ते में पैदल कॉलेज जाता देख) अभी तक बाइक नहीं मिली तुझे....
अमन – कहा पिता जी आप तो सब जानते हो....
रमन – आओ गाड़ी में बैठो दोनो....
अमन – (गाड़ी में बैठ के) हर रोज पैदल जाना पड़ता हैं मुझे कॉलेज में मजाक उड़ाते है मेरा सब....
रमन – अब तो काफी दिन हो गए है चाबी मांग क्यों नहीं लेता तू....
अमन – आपको लगता है ताई मां चाबी देगी मुझे वापस उनको पहले फुर्सत तो मिली अपने लाडले से तब तो बात करूं मैं....
रमन – तू दिल छोटा मत कर मै बात करूंगा उससे....
अमन – (गुस्से में) लेकिन कब तक चलेगा ये सब पिता जी अभी ये हाल है आगे जाने क्या क्या होगा कोई सोच भी नहीं सकता है....
रमन – (मुस्कुरा के) मैने बोला ना तू इतना मत सोच मै जल्द ही सब कुछ संभाल लूंगा और जब तक तुझे तेरी बाइक नहीं मिलती मै तुझे कॉलेज छोड़ दिया करूंगा....
रस्ते भर में निधि चुप चाप अमन और रमन की बाते सुनती रही बिना कुछ बोले कॉलेज में आते ही दोनों उतर अंडर जाने लगे तभी एक लड़की निधि के पास आके....
लड़की –(निधि को कार से उतरता देख) कैसी हो निधि तेरी गाड़ी बहुत मस्त है यार (कार को हाथ लगा ले) कार में घूमने में कितना मजा आता होगा यार तुझे गर्मी में AC क्या बात है....
निधि – तू कभी नहीं सुधरेगी शिला पागल है पूरी की पूरी तू गांव कब आई....
शिला – कल ही आई हूँ शहर से वापस यार लेकिन मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था वापस आने का शहर से....
निधि – (मुस्कुरा के) चल चल कॉलेज पढ़ाई पे ध्यान दे समझी तू....
शीला – अच्छा ये बता ये कार किसकी है....
निधि – मेरे पिता जी की है अब हट कार से पिता जी को जाना है काम से....
शीला कार से साइड होके रमन को देख....
शीला – आपकी कार बहुत खूबसूरत है ठाकुर साहब....
रमन – (शिला को सिर से पाव तक देख धीरे से) और तुम भी....
शीला – (चौक के) जी....
रमन – मेरा मतलब है तुम्हे कभी देखा नहीं गांव में मैने....
शीला – जी 6 महीने से मेरी मौसी की तबियत खराब थी शहर गई थी उनके पास रहने कल ही वापस आई हूँ....
रमन – ओह कभी आओ हवेली पर निधि के साथ....
शीला – (हल्का मुस्कुरा के) जी जरूर....
तभी निधि ने शीला का हाथ पकड़ के जाने लगी कॉलेज के अन्दर रस्ते में....
निधि – चुंबक है क्या चिपक जाती है जहां देखो हटती नहीं है फिर....
बोल के निधि और शिला चले गए पीछे रमन मुस्कुरा के देखता रहा शिला को जाते हुए उसके जाते ही रमन निकल गया कॉलेज से कॉलेज खत्म होते ही निधि ने हवेली आते ही अपनी मां ललिता को बता दिया आज कॉलेज के बाहर की बात जिसके बाद शाम को रमन के हवेली आने के बाद कमरे में....
ललिता – (गुस्से में रमन से) तुम अपनी हरकत से बाज़ नहीं आओगे ना....
रमन – मतलब क्या है तेरा....
ललिता – औरते क्या कम थी अब तेरी नजर लड़कियों पे पड़ने लगी है अरे कम से कम ये सोच लिया कर तेरे घर में तेरी जवान बेटी है और तू अपनी बेटी की उमर की लड़कियों को , हद है....
रमन – (गुस्से में) इसकी जिम्मेदार भी तू है अगर तू....
ललिता – (बीच में गुस्से से) हा हा मैने ही सब कुछ किया है तुम तो जैसे बड़े दूध के धुले हुए हो जिसने मौका पाके अपनी ही भाभी के साथ (बात बीच में रोक के) जाने दो सच तो ये है तुमसे किसी और बात की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है....
रमन – (ललिता की गर्दन में हाथ रख के) बहुत बोल रही है तू....
रीना – (बीच में) बस करिए जीजा जी हाथ हटाइए दीदी से....
अभय – (बीच में आके) इससे पहले मेरा भी हाथ उठे अच्छा रहेगा आप चाची के कमरे से चले जाइए चाचा....
रमन – मै क्यों जाऊं यहां से ये मेरा भी घर है....
ललिता – (रमन का हाथ अपनी गर्दन से हटाते हुए) घर से नहीं इस कमरे से जाने को बोल रहा है अभय....
रमन – तो ये मेरा भी कमरा है....
अभय – हा जरूर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप चाची को गर्दन पर हाथ रखो इस तरह....
रमन – तुम्हे बीच में बोलने की जरूरत नहीं है ये हम पति पत्नी के बीच की बात है....
अभय – ये तो नहीं हो सकता चाचा जी अगर ऐसा होता तो चाची पहले मुझे रोक चुकी होती....
रमन – देखो अभय....
अभय – जो भी देखना दिखाना वो सब बाद में पहले आप कमरे में जाइए जब गुस्सा शांत हो जाए तब कमर में आइएगा....
इसके बाद रमन ललिता को देखने लगा जो चुप चाप खड़ी कुछ नहीं बोल रही थी जिसे देख रमन अपने दात पीसते हुए कमरे से बाहर निकल गया....
रीना – (ललिता से) दीदी आप कैसे बर्दाश कर रहे हो आपके बाजू में उसे खड़ा देख के मेरे तन बदन में आग लग रही थी उसे छोड़ क्यों नहीं देते आप जरूरी है इसके साथ रहना अलग क्यों नहीं रह लेते हो आप....
ललिता – बस अपने बच्चों के लिए घुट घुट के जी रही हूँ तू क्या चाहती है कि....
अभय – (बीच में) जिंदगी भर घुट घुट के जीने से बेहतर है छोड़ देना (रीना से) क्यों सही बोला ना....
ललिता – अभय तू नहीं जानता ये....
अभय – (बीच में) चाची मै जब से हवेली आया हूँ तब से देख रहा हूँ अकेले में आपके चेहरे में मायूसी देख रहा हूँ ऐसा क्यों चाची , देखो चाची अलग होके जीने के डर से घुट घुट के साथ जीना ज्यादा मुश्किल होता है , हा डर तो रहेगा ये बात मै मानता हु लेकिन उस डर से एक बार पार हो गए तो एक नई जिंदगी होगी कम से कम सुकून से तो रहेगी आप जरा सोचो चाची जोर डालो दिमाग में (रीना से) और आप क्या बोल रहे थे चाची को अलग रहने के लिए क्यों भला अलग क्यों रहेगी मेरी चाची ये घर उनका है और यही रहेगी चाची भले चाचा से अलग सही लेकिन रहेगी यही हमेशा मेरी चाची बन के (ललिता से) क्यों चाची सही बोला ना मै....
अलीता – (कमरे में आते हुए) अरे वाह मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरे प्यारे दीवार जी इतने बड़े हो गए बिना किसी साथ के इतने बड़े फैसले खुद ही लेने लगे है क्या बात है देवर जी....
ललिता – (मुस्कुराते हुए अभय का हाथ पकड़ अलीता से) बस बस इतनी तारीफ मत कर मेरे लल्ला को नजर लग जाएगी....
अभय – (मुस्कुरा के) चाची अपनो की भी भला नजर लगती है कभी क्यों भाभी सही कहा ना....
अलीता – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा आपने देवर जी (ललिता से) चाची देवर जी ने जो कहा बिल्कुल सही कहा आपका जो फैसला हो आप हमेशा साथ रहेगी हमारे....
ललिता – (मुस्कुरा के) मै क्यों जाने लगी अपने लल्ला को छोड़ के मेरे लल्ला ने जो कहा वही होगा आखिर यही हमारे घर का असली वारिस है इसकी बात ना माने भला ऐसा कैसे हो सकता है....
अभय – तो चाची इसी बात पर आज फिर से आपके हाथों की बनी चावल की खीर मिलेगी खाने को....
ललिता – (मुस्कुरा के) हा लल्ला बिल्कुल मिलेगी मै अभी बनती हूँ....
अभय – चाची ऐसा करो रात के खाने के बाद खाते है खीर खाने के बाद मीठे का मजा ही अलग होता है....
ललिता – (मुस्कुरा के) तू जो बोले लल्ला वैसा ही करूंगी मै....
अभय – चाची आप बस खुश रहो हमेशा यही चाहता हूँ मैं....
ललीता – हा बिल्कुल....
बोल के सब कमरे से बाहर जाने लगे लेकिन रीना कमरे में पीछे खड़ी मुस्कुराते हुए बस अभय को देख रही थी जबकि अभय , अलीता के पीछे पीछे उसके कमरे में आके....
अलीता –(अभय को कमरे में आता देख) क्या बात है देवर जी आज मेरे कमरे में कोई खास बात है क्या....
अभय – बात तो खास है भाभी....
अलीता – हा हा तो पूछिए ना देवर जी....
अभय – भाभी उस दिन अपने ऐसा क्यों कहा , मै भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहता हूँ , क्या मतलब था इसका भाभी....
अलीता – कुछ नहीं अभय वो ऐसे ही निकल गया था मेरे मू से....
अभय – भाभी प्लीज बताओ ना क्या बात है....
अलीता – रहने दे ना अभय क्यों पुरानी बातों को याद दिला रहा है....
अभय – अच्छा एक काम करते है आज आप मुझे अपने बारे में बताओ कैस भइया से मिले आप , आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
अलीता – (मुस्कुरा के) मतलब बिना बात जाने मानोगे नहीं आप देवर जी....
अभय – (मू बना के) चलिए कोई बात नहीं अगर आप नहीं बताना चाहती है तो मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा भाभी अच्छा खाने पे मिलते है....
बोल के अभय जाने लगा....
अलीता – (अभय की नौटंकी देख हस्ते हुए) बस भी करो देवर जी आप सच में बहुत हंसाते हो आप इतना मै कभी हसी नहीं हूँ....
अभय – (चौक के) अच्छा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप भाभी आप पहले हस्ते नहीं थे क्या....
अलीता – बिल्कुल नहीं देवर जी तब मेरी जिंदगी बड़ी अलग और बहुत ही अजीब होती थी तब मेरा ध्यान घर के इलावा सिर्फ ओर सिर्फ बिजनेस में ज्यादा रहता था साथ में घमंड इतना आप सोच भी नहीं सकते....
अभय – क्या बात कर रहे हो आप भाभी आपको देख के ऐसा लगता नहीं है कि आपमें घमंड का जी भी होगा....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल था पहले घमंड मुझमें देवर जी , चलो आज मै आपको अपने बारे में सब कुछ बताती हूँ....
ALITA FLASHBACK....
महाराष्ट्र में शुरू से ही मेरे पापा मम्मी बिजनेस को साथ में चलाते आ रहे है मेरे पापा का नाम राम मोहन सिंघाल और मम्मी का नाम रागिनी सिंघाल है हमें कंपनी का नाम सिंघाल ग्रुप ऑफ कंपनी है वैसे तो पापा मम्मी ने तरह तरह की दवाएं बनाना एक छोटे से बिजनेस से शुरुवात की थी मेरे पापा मम्मी ने कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऑल इंडिया में मेडिसिन कंपनी में उनका नाम बहुत ऊपर आ गया कॉलेज आने के बाद मैने भी मेडिकल लाइन चुनी ताकि अपने पिता का काम सम्भल सकूं कुछ महीनों की मेहनत के बाद मैने पापा का बिजनेस पूरा संभाल लिया था इस बीच मैने कॉलेज की पढ़ाई को जारी रखा प्राइवेट में ताकि बिजनेस में कोई असर ना पड़े कोई भी नया टेंडर आता मै उसे हासिल करती तब मेरी कंपनी के मुकाबले 1 कंपनी और भी थी जिसका नाम चेतन ग्रुप था उसके मालिक का नाम चेतन और बेटा अमरीश था जिनकी कोशिश यही रहती थी किसी तरह मेरी कंपनी को बर्बाद कर सके इसीलिए हर बार टेंडर को पाने के लिए जाने किन किन को रिश्वत देते लेकिन किस्मत उनका साथ कभी नहीं देती थी एक दिन सभी कंपनी की मीटिंग चल रही थी लगभग कंपनी के सभी मालिक मौजुद थे वहां पर फैसला हो रहा था इस साल के टॉपर कंपनी को अवॉर्ड देने का जिसमें मेरे कंपनी का नाम आया तब सभी के साथ फूल लेके मुझे मुबारक बाद देने आए....
चेतन – बहुत बहुत मुबारक हो आपको अलीता जी बिजनेस में आपने अच्छी पकड़ बनाई है....
अलीता – (ना पहचानते हुए) शुक्रिया लेकिन आप कौन....
चेतन – अरे माफ करिएगा मै अपना परिचय देना भूल गया मेरा नाम चेतन है चेतन ग्रुप का मालिक और ये मेरा बेटा अमरीश है....
अलीता – ओह आप है चेतन ग्रुप से अच्छा लगा मिल के आपका काम कैसा चल रहा है....
चेतन – बस चल रहा है किसी तरह से हा अगर आप थोड़ा मेहरबानी करे और अच्छा चलने लगेगा....
अलीता – मतलब....
चेतन – मेरा मतलब है हर साल का टेंडर आप ही अपने पास रख लेते हो कभी हमें भी टेंडर लेने दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी आपकी वैसे भी आपकी कंपनी के बाद मेरी कंपनी का नंबर आता है....
अलीता – ओह तो आपकी कंपनी दूसरे नंबर पे आती है शायद आपको पता नहीं लेकिन I HATE NUMBER 2 , और हा ये टेंडर अपनी मेहनत से हासिल करती हु मै यही मेहनत अगर आपने की होती तो आपको मुझसे मेहरबानी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती UNDERSTAND YOU BETTER UNDERSTAND...
अभय – (अलीता की बात सुन बीच में हस्ते हुए) वाह भाभी आपने तो बेचारे की बोलती बंद कर दी क्या डायलॉग मारा आपने YOU BETTER UNDERSTAND अच्छा भाभी फिर क्या हुआ.....
अलीता – (हस्ते हुए) उसके करीबन 2 दिन बाद चेतन अपने बेटे अमरीश के साथ मेरे घर पर आया शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए अपने बेटे का....
अभय – (बीच में) अरे वाह बड़ी डेयरिंग वाला काम करने निकल आया वो भी आपके घर में मानना पड़ेगा उसकी हिम्मत को....
अलीता – (हस्ते हुए) ये तो कुछ भी नहीं है देवर जी अभी आगे भी सुनिए फिर बताइएगा आप....
अभय – ओह SORRY भाभी अब बीच में नहीं बोलूंगा मैं....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) तो सुनिए उसके बाद मेरे पापा मम्मी उनसे बाते कर रहे थे तब....
अभय – (बीच में) एक मिनिट भाभी आपने बताया नहीं आपके फैमिली में पापा मम्मी के इलावा और कौन कौन है....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै ही अपने पापा मम्मी की इकलौती बेटी हूँ बस....
अभय – ओह ठीक है अब बताइए आगे क्या हुआ फिर....
अलीता – फिर कुछ देर बाद मैं आ गई घर में अपनी सेक्रेटरी के साथ जानते हो कौन है मेरी सेक्रेटरी....
अभय – कौन है आपकी सेक्रेटरी....
अलीता – सोनिया जिसने तुम्हारा इलाज किया है समझे , आगे सुनिए...
घर में आते ही मेरी मम्मी ने बताई मुझे सारी बात उन्हें लड़का (अमरीश) बहुत पसंद आया था और पापा को भी लेकिन मैं समझ गई थी उनके मेरे घर में रिश्ता लेके आने का इसीलिए मैने....
अलीता – (मम्मी पापा से) मुझे अभी शादी नहीं करनी है अब तक मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसके बाद....
चेतन – (बीच में) कोई बात नहीं आप चाहो तो शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखना हमें कोई दिक्कत नहीं....
अलीता – (बीच में) लेकिन मुझे दिक्कत है इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद सोचूंगी शादी का करनी है कि नहीं....
रागिनी सिंघाल – (धीरे से) बेटा लड़का हमें बहुत पसंद आया है बहुत अच्छा लड़का है ये एक बार तू सोच ले....
अलीता – मम्मी मैने सोच कर ही कर रही हूं कुछ खेर आप सब नाश्ता करिए मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आराम करने (सोनिया से) चलो सोनिया मुझे काम है उसके बाद तुम चली जाना....
अलीता के जाने के बाद....
राम मोहन सिंघाल – (चेतन से) बच्ची है अभी आप तो जानते है बच्चो को मनाना आसान नहीं होता मै अलीता से बाद में बात कर के बताऊंगा आपको....
कुछ देर बाद चेतन अपने बेटे के अस्त वापस चल गया उसके जाने के बाद राम मोहन अपनी बेटी के कमरे में आके....
राम मोहन – (अलीता से) तुम तो बोल रही थी आराम करने जा रही हो कमरे में यहां तो तुम काम में बिजी हो....
अलीता – हा पापा कुछ काम बचा पड़ा है ऑफिस का उसे पूरा करना जरूरी है उसके बाद आराम करूंगी....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा लेकिन तुम अपनी जिंदगी के बारे में कब सोचोगी....
अलीता – इसमें सोचना क्या है पापा जैसे चल रही है वैसे चलती रहेगी....
राम मोहन – बेटा मै तेरी आगे की जिंदगी के बारे में बोल रहा हूँ आगे चल के कभी ना कभी तुझे शादी तो करनी है ना उसके बारे में कब सोचेगी....
अलीता – पापा अगर आप चेतन ग्रुप कंपनी से आए थे उनकी बात कर रहे हो आप तो आपको बता देती हु वो मुझे बिल्कुल भी सही नहीं लगते है उनका सिर्फ एक ही मकसद है हमारी कंपनी को टेक ओवर करना इसीलिए Mr चेतन यहां आए थे अपने बेटे के साथ शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा जहां दोस्त है वहां दुश्मन तो होगे ही ना चल चेतन के बेटे से ना सही लेकिन किसी ना किसी से शादी तो करोगी ही ना तुम....
अलीता – फिर तो आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है पापा इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं बना जो अलीता सिंघाल से शादी कर सके....
बोल के अलीता काम करने लगी जबकि राम मोहन हल्का मुस्कुरा के कमरे से बाहर निकल के....
राम मोहन – (मुस्कुराते हुए) जोड़े तो ऊपर वाला बना के ही भेजता है दुनिया में बेटा जाने वो कौन और कहा होगा जिसका साथ तेरे साथ लिखा है....
उसके कुछ दिन बाद की बात है एक दिन मैं पहले निकल गई थी ऑफिस के लिए जल्दी कुछ देर बाद पापा निकले घर से ऑफिस के लिए फिर जानते हो क्या हुआ उस दिन....
अभय – (चौक के) क्या हुआ था उस दिन भाभी....
अलीता – उस दिन जब....
संध्या – (बीच में अलीता के कमरे में आते हुए) क्या बाते हो रही है देवर भाभी है....
अभय – भाभी अपने बारे में बता रही है....
संध्या – अच्छा वो सब बाद में चलो पहले खाना खा लो जल्दी से....
अभय – इतनी जल्दी क्या है अभी तो भाभी ने बताना शुरू किया है अपने बारे में....
अलीता –(मुस्कुराते हुए) देवर जी अभी को 2 घंटे बीत चुके है पता है
अभय –(घड़ी देख के) ओह तेरी 2 घंटे हो गए भाभी सच में पता ही नहीं चला मुझे , ठीक है खाने के बाद आप बताना आगे क्या हुआ....
.
.
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जारी रहेगा
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 57
रात के समय जहां सब गहरी नींद में सो रहे थे वहीं हवेली के एक कमरे में एक लड़की मोबाइल पर किसी से बाते कर रही थी....
लड़की – तुम तो जानते हो अब कॉलेज में सबके सामने तुमसे बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है मेरा भाई नजर बनाए रखता है मुझे तो डर लग रहा है कही उसे हमारे बारे में पता तो नहीं चल गया....
सामने से लड़का – तू इतना घबराती क्यों है ऐसा कुछ नहीं है अगर अमन को शक भी होता तो जरूर कुछ ना कुछ करता....
ये दोनो कोई और नहीं बल्कि निधि और लल्ला थे जो मोबाइल में आपस में बाते कर रहे थे....
निधि – यही तो डर है हवेली में वो कुछ भी नहीं कर रहा है लेकिन हवेली से बाहर कब क्या करे डर लगता है मुझे....
लल्ला – देख तू ज्यादा ही सोच रही है अमन के लिए वो कुछ भी नहीं करने वाला है जब से अभय आया है वापस तभी से तेरे पिता (रमन) और अमन के 12 बजे हुए है हवेली के अन्दर हो या बाहर कुछ नहीं करेंगे वो दोनो , चल छोड़ ये सब अभय कैसा है....
निधि – ठीक है वो अब....
लल्ला – तूने बात नहीं की अभी तक अभय से....
निधि – नहीं....
लल्ला – क्यों क्या हुआ....
निधि – डर लगता है बचपन में जो कुछ हुआ उसके बाद से....
लल्ला – देख बचपन में जो हुआ उसे कोई बदल नहीं सकता लेकिन उस बात की वजह से अपना आज क्यों खराब कर रही हो तुम बात कर लो भाई है तुम्हारा....
निधि – हम्ममम....
लल्ला – चल आराम करो तुम कल मिलते है कॉलेज में....
बोल के कॉल कट कर दिया दोनो ने की तभी किसी की आवाज आई निधि के कानों में....
शक्श – किस्से बात कर रही थी इतनी रात में....
निधि – (आवाज सुन चौक के सामने अभय को खड़ा देख) भैया आप , वो मै लक्ष्मन से बाते कर रही थी....
अभय – कौन लक्ष्मण....
निधि – वो आपका दोस्त लल्ला उसका नाम है लक्ष्मन....
अभय – (बात समझ मुस्कुरा के) कब से चल रहा है ये सब....
निधि – (शर्मा के) जी भइया साल भर हो गया है....
अभय – (मुस्कुरा के) ओहहहह हो ठीक है चलता हूँ आराम करो तुम....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – (अभय से) आप इतनी रात में यहां....
अभय – हा प्यास लगी थी कमरे में पानी नहीं था पानी पीने जा रहा था तभी तुम्हारे कमरे से आवाज आई मुझे इसीलिए रुक गया था मैं....
निधि – मै ले आती हूँ आप रुको....
अभय – अरे नहीं तुम आराम करो मै रसोई में जाके पी लूंगा पानी....
निधि – कोई बात नहीं मै ले आती हूँ आप बैठो यहां पे....
बोल के निधि चली गई पानी लेने बोतल लाके अभय को पानी पीने को दे दिया....
अभय – (पानी पीने के बाद) एक बात तो बताओ तुमने फोन में बोला बचपन में जो हुआ उससे डर लगता है ये क्या बात है....
निधि – भइया वो बचपन में अमन और मेरी वजह से आपको डाट और मार पड़ती उसके वजह से आपसे बात करने में डर लगता है इसीलिए....
अभय – (हस्ते हुए) इसमें डरने की क्या बात है और वैसे भी पहले का मुझे याद भी नहीं अभी तुम बात नहीं करोगी तो जरूर नाराज हो जाऊंगा मै तुमसे....
निधि – आप सच बोल रहे हो मजाक नहीं कर रहे ना....
अभय – भला मै क्यों मजाक करने लगा तुमसे भूल जाओ पुरानी बातों को बस आज में जीयो....
निधि – (मुस्कुरा के) जी भइया....
अभय – चलो चलता हूँ तुम आराम करो काफी रात हो गई है....
बोल के अभय जाने लगा तभी....
निधि – भइया (बोल अभय के गले लग के) थैंक्यू भइया....
अभय – (सिर पे हाथ फेर के) चल पगली भाई को थैंक्यू बोलती है जा जाके सोजा अब....
बोल के दोनो मुस्कुराते हुए चले गए अपने कमरे में सोने अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद....
अभय – (संध्या से) आज कही और चले घूमने....
संध्या – पैर ठीक हुआ नहीं और घूमने की लगी है....
अभय – अरे कुछ नहीं है हल्की सी लगी है बस चलने में कोई दिक्कत नहीं....
संध्या – हा हा सब समझती हूँ मैं घूमने का बहाना है सब....
अभय – अरे कसम से सच बोल रहा हूँ मैं कल रात में पानी पीने के लिए रसोई गया था मैं....
संध्या – (चौक के) तूने उठाया क्यों नहीं मुझे....
अभय – (मुस्कुरा के) तू सोते वक्त तू इतनी खूबसूरत लग रही थी इसीलिए नहीं उठाया....
संध्या – (मुस्कुरा के) पागल है तू पूरा....
अभय – तो फिर चले कही घूमने आज....
संध्या – (गुस्से में ) जी नहीं चुप चाप आराम करो वर्ना सोनिया से बोल के नींद का इंजेक्शन लगवा दूंगी तुझे समझे आराम करो मै हाल से काम निपटा के आती हूँ....
बोल के संध्या मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चली गई इस तरफ अमन और निधि तैयार होके कॉलेज जा रहे थे रस्ते में....
रमन – (अमन और निधि को रस्ते में पैदल कॉलेज जाता देख) अभी तक बाइक नहीं मिली तुझे....
अमन – कहा पिता जी आप तो सब जानते हो....
रमन – आओ गाड़ी में बैठो दोनो....
अमन – (गाड़ी में बैठ के) हर रोज पैदल जाना पड़ता हैं मुझे कॉलेज में मजाक उड़ाते है मेरा सब....
रमन – अब तो काफी दिन हो गए है चाबी मांग क्यों नहीं लेता तू....
अमन – आपको लगता है ताई मां चाबी देगी मुझे वापस उनको पहले फुर्सत तो मिली अपने लाडले से तब तो बात करूं मैं....
रमन – तू दिल छोटा मत कर मै बात करूंगा उससे....
अमन – (गुस्से में) लेकिन कब तक चलेगा ये सब पिता जी अभी ये हाल है आगे जाने क्या क्या होगा कोई सोच भी नहीं सकता है....
रमन – (मुस्कुरा के) मैने बोला ना तू इतना मत सोच मै जल्द ही सब कुछ संभाल लूंगा और जब तक तुझे तेरी बाइक नहीं मिलती मै तुझे कॉलेज छोड़ दिया करूंगा....
रस्ते भर में निधि चुप चाप अमन और रमन की बाते सुनती रही बिना कुछ बोले कॉलेज में आते ही दोनों उतर अंडर जाने लगे तभी एक लड़की निधि के पास आके....
लड़की –(निधि को कार से उतरता देख) कैसी हो निधि तेरी गाड़ी बहुत मस्त है यार (कार को हाथ लगा ले) कार में घूमने में कितना मजा आता होगा यार तुझे गर्मी में AC क्या बात है....
निधि – तू कभी नहीं सुधरेगी शिला पागल है पूरी की पूरी तू गांव कब आई....
शिला – कल ही आई हूँ शहर से वापस यार लेकिन मेरा तो मन ही नहीं हो रहा था वापस आने का शहर से....
निधि – (मुस्कुरा के) चल चल कॉलेज पढ़ाई पे ध्यान दे समझी तू....
शीला – अच्छा ये बता ये कार किसकी है....
निधि – मेरे पिता जी की है अब हट कार से पिता जी को जाना है काम से....
शीला कार से साइड होके रमन को देख....
शीला – आपकी कार बहुत खूबसूरत है ठाकुर साहब....
रमन – (शिला को सिर से पाव तक देख धीरे से) और तुम भी....
शीला – (चौक के) जी....
रमन – मेरा मतलब है तुम्हे कभी देखा नहीं गांव में मैने....
शीला – जी 6 महीने से मेरी मौसी की तबियत खराब थी शहर गई थी उनके पास रहने कल ही वापस आई हूँ....
रमन – ओह कभी आओ हवेली पर निधि के साथ....
शीला – (हल्का मुस्कुरा के) जी जरूर....
तभी निधि ने शीला का हाथ पकड़ के जाने लगी कॉलेज के अन्दर रस्ते में....
निधि – चुंबक है क्या चिपक जाती है जहां देखो हटती नहीं है फिर....
बोल के निधि और शिला चले गए पीछे रमन मुस्कुरा के देखता रहा शिला को जाते हुए उसके जाते ही रमन निकल गया कॉलेज से कॉलेज खत्म होते ही निधि ने हवेली आते ही अपनी मां ललिता को बता दिया आज कॉलेज के बाहर की बात जिसके बाद शाम को रमन के हवेली आने के बाद कमरे में....
ललिता – (गुस्से में रमन से) तुम अपनी हरकत से बाज़ नहीं आओगे ना....
रमन – मतलब क्या है तेरा....
ललिता – औरते क्या कम थी अब तेरी नजर लड़कियों पे पड़ने लगी है अरे कम से कम ये सोच लिया कर तेरे घर में तेरी जवान बेटी है और तू अपनी बेटी की उमर की लड़कियों को , हद है....
रमन – (गुस्से में) इसकी जिम्मेदार भी तू है अगर तू....
ललिता – (बीच में गुस्से से) हा हा मैने ही सब कुछ किया है तुम तो जैसे बड़े दूध के धुले हुए हो जिसने मौका पाके अपनी ही भाभी के साथ (बात बीच में रोक के) जाने दो सच तो ये है तुमसे किसी और बात की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है....
रमन – (ललिता की गर्दन में हाथ रख के) बहुत बोल रही है तू....
रीना – (बीच में) बस करिए जीजा जी हाथ हटाइए दीदी से....
अभय – (बीच में आके) इससे पहले मेरा भी हाथ उठे अच्छा रहेगा आप चाची के कमरे से चले जाइए चाचा....
रमन – मै क्यों जाऊं यहां से ये मेरा भी घर है....
ललिता – (रमन का हाथ अपनी गर्दन से हटाते हुए) घर से नहीं इस कमरे से जाने को बोल रहा है अभय....
रमन – तो ये मेरा भी कमरा है....
अभय – हा जरूर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप चाची को गर्दन पर हाथ रखो इस तरह....
रमन – तुम्हे बीच में बोलने की जरूरत नहीं है ये हम पति पत्नी के बीच की बात है....
अभय – ये तो नहीं हो सकता चाचा जी अगर ऐसा होता तो चाची पहले मुझे रोक चुकी होती....
रमन – देखो अभय....
अभय – जो भी देखना दिखाना वो सब बाद में पहले आप कमरे में जाइए जब गुस्सा शांत हो जाए तब कमर में आइएगा....
इसके बाद रमन ललिता को देखने लगा जो चुप चाप खड़ी कुछ नहीं बोल रही थी जिसे देख रमन अपने दात पीसते हुए कमरे से बाहर निकल गया....
रीना – (ललिता से) दीदी आप कैसे बर्दाश कर रहे हो आपके बाजू में उसे खड़ा देख के मेरे तन बदन में आग लग रही थी उसे छोड़ क्यों नहीं देते आप जरूरी है इसके साथ रहना अलग क्यों नहीं रह लेते हो आप....
ललिता – बस अपने बच्चों के लिए घुट घुट के जी रही हूँ तू क्या चाहती है कि....
अभय – (बीच में) जिंदगी भर घुट घुट के जीने से बेहतर है छोड़ देना (रीना से) क्यों सही बोला ना....
ललिता – अभय तू नहीं जानता ये....
अभय – (बीच में) चाची मै जब से हवेली आया हूँ तब से देख रहा हूँ अकेले में आपके चेहरे में मायूसी देख रहा हूँ ऐसा क्यों चाची , देखो चाची अलग होके जीने के डर से घुट घुट के साथ जीना ज्यादा मुश्किल होता है , हा डर तो रहेगा ये बात मै मानता हु लेकिन उस डर से एक बार पार हो गए तो एक नई जिंदगी होगी कम से कम सुकून से तो रहेगी आप जरा सोचो चाची जोर डालो दिमाग में (रीना से) और आप क्या बोल रहे थे चाची को अलग रहने के लिए क्यों भला अलग क्यों रहेगी मेरी चाची ये घर उनका है और यही रहेगी चाची भले चाचा से अलग सही लेकिन रहेगी यही हमेशा मेरी चाची बन के (ललिता से) क्यों चाची सही बोला ना मै....
अलीता – (कमरे में आते हुए) अरे वाह मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरे प्यारे दीवार जी इतने बड़े हो गए बिना किसी साथ के इतने बड़े फैसले खुद ही लेने लगे है क्या बात है देवर जी....
ललिता – (मुस्कुराते हुए अभय का हाथ पकड़ अलीता से) बस बस इतनी तारीफ मत कर मेरे लल्ला को नजर लग जाएगी....
अभय – (मुस्कुरा के) चाची अपनो की भी भला नजर लगती है कभी क्यों भाभी सही कहा ना....
अलीता – (मुस्कुरा के) बिल्कुल सही कहा आपने देवर जी (ललिता से) चाची देवर जी ने जो कहा बिल्कुल सही कहा आपका जो फैसला हो आप हमेशा साथ रहेगी हमारे....
ललिता – (मुस्कुरा के) मै क्यों जाने लगी अपने लल्ला को छोड़ के मेरे लल्ला ने जो कहा वही होगा आखिर यही हमारे घर का असली वारिस है इसकी बात ना माने भला ऐसा कैसे हो सकता है....
अभय – तो चाची इसी बात पर आज फिर से आपके हाथों की बनी चावल की खीर मिलेगी खाने को....
ललिता – (मुस्कुरा के) हा लल्ला बिल्कुल मिलेगी मै अभी बनती हूँ....
अभय – चाची ऐसा करो रात के खाने के बाद खाते है खीर खाने के बाद मीठे का मजा ही अलग होता है....
ललिता – (मुस्कुरा के) तू जो बोले लल्ला वैसा ही करूंगी मै....
अभय – चाची आप बस खुश रहो हमेशा यही चाहता हूँ मैं....
ललीता – हा बिल्कुल....
बोल के सब कमरे से बाहर जाने लगे लेकिन रीना कमरे में पीछे खड़ी मुस्कुराते हुए बस अभय को देख रही थी जबकि अभय , अलीता के पीछे पीछे उसके कमरे में आके....
अलीता –(अभय को कमरे में आता देख) क्या बात है देवर जी आज मेरे कमरे में कोई खास बात है क्या....
अभय – बात तो खास है भाभी....
अलीता – हा हा तो पूछिए ना देवर जी....
अभय – भाभी उस दिन अपने ऐसा क्यों कहा , मै भी अपने भाई की तरह पागल पान के रस्ते में चलना चाहता हूँ , क्या मतलब था इसका भाभी....
अलीता – कुछ नहीं अभय वो ऐसे ही निकल गया था मेरे मू से....
अभय – भाभी प्लीज बताओ ना क्या बात है....
अलीता – रहने दे ना अभय क्यों पुरानी बातों को याद दिला रहा है....
अभय – अच्छा एक काम करते है आज आप मुझे अपने बारे में बताओ कैस भइया से मिले आप , आपकी लव मैरिज थी या अरेंज....
अलीता – (मुस्कुरा के) मतलब बिना बात जाने मानोगे नहीं आप देवर जी....
अभय – (मू बना के) चलिए कोई बात नहीं अगर आप नहीं बताना चाहती है तो मैं आपसे जबरदस्ती नहीं करूंगा भाभी अच्छा खाने पे मिलते है....
बोल के अभय जाने लगा....
अलीता – (अभय की नौटंकी देख हस्ते हुए) बस भी करो देवर जी आप सच में बहुत हंसाते हो आप इतना मै कभी हसी नहीं हूँ....
अभय – (चौक के) अच्छा ऐसा क्यों बोल रहे हो आप भाभी आप पहले हस्ते नहीं थे क्या....
अलीता – बिल्कुल नहीं देवर जी तब मेरी जिंदगी बड़ी अलग और बहुत ही अजीब होती थी तब मेरा ध्यान घर के इलावा सिर्फ ओर सिर्फ बिजनेस में ज्यादा रहता था साथ में घमंड इतना आप सोच भी नहीं सकते....
अभय – क्या बात कर रहे हो आप भाभी आपको देख के ऐसा लगता नहीं है कि आपमें घमंड का जी भी होगा....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) बिल्कुल था पहले घमंड मुझमें देवर जी , चलो आज मै आपको अपने बारे में सब कुछ बताती हूँ....
ALITA FLASHBACK....
महाराष्ट्र में शुरू से ही मेरे पापा मम्मी बिजनेस को साथ में चलाते आ रहे है मेरे पापा का नाम राम मोहन सिंघाल और मम्मी का नाम रागिनी सिंघाल है हमें कंपनी का नाम सिंघाल ग्रुप ऑफ कंपनी है वैसे तो पापा मम्मी ने तरह तरह की दवाएं बनाना एक छोटे से बिजनेस से शुरुवात की थी मेरे पापा मम्मी ने कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बाद ऑल इंडिया में मेडिसिन कंपनी में उनका नाम बहुत ऊपर आ गया कॉलेज आने के बाद मैने भी मेडिकल लाइन चुनी ताकि अपने पिता का काम सम्भल सकूं कुछ महीनों की मेहनत के बाद मैने पापा का बिजनेस पूरा संभाल लिया था इस बीच मैने कॉलेज की पढ़ाई को जारी रखा प्राइवेट में ताकि बिजनेस में कोई असर ना पड़े कोई भी नया टेंडर आता मै उसे हासिल करती तब मेरी कंपनी के मुकाबले 1 कंपनी और भी थी जिसका नाम चेतन ग्रुप था उसके मालिक का नाम चेतन और बेटा अमरीश था जिनकी कोशिश यही रहती थी किसी तरह मेरी कंपनी को बर्बाद कर सके इसीलिए हर बार टेंडर को पाने के लिए जाने किन किन को रिश्वत देते लेकिन किस्मत उनका साथ कभी नहीं देती थी एक दिन सभी कंपनी की मीटिंग चल रही थी लगभग कंपनी के सभी मालिक मौजुद थे वहां पर फैसला हो रहा था इस साल के टॉपर कंपनी को अवॉर्ड देने का जिसमें मेरे कंपनी का नाम आया तब सभी के साथ फूल लेके मुझे मुबारक बाद देने आए....
चेतन – बहुत बहुत मुबारक हो आपको अलीता जी बिजनेस में आपने अच्छी पकड़ बनाई है....
अलीता – (ना पहचानते हुए) शुक्रिया लेकिन आप कौन....
चेतन – अरे माफ करिएगा मै अपना परिचय देना भूल गया मेरा नाम चेतन है चेतन ग्रुप का मालिक और ये मेरा बेटा अमरीश है....
अलीता – ओह आप है चेतन ग्रुप से अच्छा लगा मिल के आपका काम कैसा चल रहा है....
चेतन – बस चल रहा है किसी तरह से हा अगर आप थोड़ा मेहरबानी करे और अच्छा चलने लगेगा....
अलीता – मतलब....
चेतन – मेरा मतलब है हर साल का टेंडर आप ही अपने पास रख लेते हो कभी हमें भी टेंडर लेने दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी आपकी वैसे भी आपकी कंपनी के बाद मेरी कंपनी का नंबर आता है....
अलीता – ओह तो आपकी कंपनी दूसरे नंबर पे आती है शायद आपको पता नहीं लेकिन I HATE NUMBER 2 , और हा ये टेंडर अपनी मेहनत से हासिल करती हु मै यही मेहनत अगर आपने की होती तो आपको मुझसे मेहरबानी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती UNDERSTAND YOU BETTER UNDERSTAND...
अभय – (अलीता की बात सुन बीच में हस्ते हुए) वाह भाभी आपने तो बेचारे की बोलती बंद कर दी क्या डायलॉग मारा आपने YOU BETTER UNDERSTAND अच्छा भाभी फिर क्या हुआ.....
अलीता – (हस्ते हुए) उसके करीबन 2 दिन बाद चेतन अपने बेटे अमरीश के साथ मेरे घर पर आया शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए अपने बेटे का....
अभय – (बीच में) अरे वाह बड़ी डेयरिंग वाला काम करने निकल आया वो भी आपके घर में मानना पड़ेगा उसकी हिम्मत को....
अलीता – (हस्ते हुए) ये तो कुछ भी नहीं है देवर जी अभी आगे भी सुनिए फिर बताइएगा आप....
अभय – ओह SORRY भाभी अब बीच में नहीं बोलूंगा मैं....
अलीता – (मुस्कुराते हुए) तो सुनिए उसके बाद मेरे पापा मम्मी उनसे बाते कर रहे थे तब....
अभय – (बीच में) एक मिनिट भाभी आपने बताया नहीं आपके फैमिली में पापा मम्मी के इलावा और कौन कौन है....
अलीता – (मुस्कुरा के) सिर्फ मै ही अपने पापा मम्मी की इकलौती बेटी हूँ बस....
अभय – ओह ठीक है अब बताइए आगे क्या हुआ फिर....
अलीता – फिर कुछ देर बाद मैं आ गई घर में अपनी सेक्रेटरी के साथ जानते हो कौन है मेरी सेक्रेटरी....
अभय – कौन है आपकी सेक्रेटरी....
अलीता – सोनिया जिसने तुम्हारा इलाज किया है समझे , आगे सुनिए...
घर में आते ही मेरी मम्मी ने बताई मुझे सारी बात उन्हें लड़का (अमरीश) बहुत पसंद आया था और पापा को भी लेकिन मैं समझ गई थी उनके मेरे घर में रिश्ता लेके आने का इसीलिए मैने....
अलीता – (मम्मी पापा से) मुझे अभी शादी नहीं करनी है अब तक मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसके बाद....
चेतन – (बीच में) कोई बात नहीं आप चाहो तो शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखना हमें कोई दिक्कत नहीं....
अलीता – (बीच में) लेकिन मुझे दिक्कत है इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद सोचूंगी शादी का करनी है कि नहीं....
रागिनी सिंघाल – (धीरे से) बेटा लड़का हमें बहुत पसंद आया है बहुत अच्छा लड़का है ये एक बार तू सोच ले....
अलीता – मम्मी मैने सोच कर ही कर रही हूं कुछ खेर आप सब नाश्ता करिए मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आराम करने (सोनिया से) चलो सोनिया मुझे काम है उसके बाद तुम चली जाना....
अलीता के जाने के बाद....
राम मोहन सिंघाल – (चेतन से) बच्ची है अभी आप तो जानते है बच्चो को मनाना आसान नहीं होता मै अलीता से बाद में बात कर के बताऊंगा आपको....
कुछ देर बाद चेतन अपने बेटे के अस्त वापस चल गया उसके जाने के बाद राम मोहन अपनी बेटी के कमरे में आके....
राम मोहन – (अलीता से) तुम तो बोल रही थी आराम करने जा रही हो कमरे में यहां तो तुम काम में बिजी हो....
अलीता – हा पापा कुछ काम बचा पड़ा है ऑफिस का उसे पूरा करना जरूरी है उसके बाद आराम करूंगी....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा लेकिन तुम अपनी जिंदगी के बारे में कब सोचोगी....
अलीता – इसमें सोचना क्या है पापा जैसे चल रही है वैसे चलती रहेगी....
राम मोहन – बेटा मै तेरी आगे की जिंदगी के बारे में बोल रहा हूँ आगे चल के कभी ना कभी तुझे शादी तो करनी है ना उसके बारे में कब सोचेगी....
अलीता – पापा अगर आप चेतन ग्रुप कंपनी से आए थे उनकी बात कर रहे हो आप तो आपको बता देती हु वो मुझे बिल्कुल भी सही नहीं लगते है उनका सिर्फ एक ही मकसद है हमारी कंपनी को टेक ओवर करना इसीलिए Mr चेतन यहां आए थे अपने बेटे के साथ शादी का रिश्ता लेके मेरे लिए....
राम मोहन – (मुस्कुरा के) बेटा जहां दोस्त है वहां दुश्मन तो होगे ही ना चल चेतन के बेटे से ना सही लेकिन किसी ना किसी से शादी तो करोगी ही ना तुम....
अलीता – फिर तो आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है पापा इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं बना जो अलीता सिंघाल से शादी कर सके....
बोल के अलीता काम करने लगी जबकि राम मोहन हल्का मुस्कुरा के कमरे से बाहर निकल के....
राम मोहन – (मुस्कुराते हुए) जोड़े तो ऊपर वाला बना के ही भेजता है दुनिया में बेटा जाने वो कौन और कहा होगा जिसका साथ तेरे साथ लिखा है....
उसके कुछ दिन बाद की बात है एक दिन मैं पहले निकल गई थी ऑफिस के लिए जल्दी कुछ देर बाद पापा निकले घर से ऑफिस के लिए फिर जानते हो क्या हुआ उस दिन....
अभय – (चौक के) क्या हुआ था उस दिन भाभी....
अलीता – उस दिन जब....
संध्या – (बीच में अलीता के कमरे में आते हुए) क्या बाते हो रही है देवर भाभी है....
अभय – भाभी अपने बारे में बता रही है....
संध्या – अच्छा वो सब बाद में चलो पहले खाना खा लो जल्दी से....
अभय – इतनी जल्दी क्या है अभी तो भाभी ने बताना शुरू किया है अपने बारे में....
अलीता –(मुस्कुराते हुए) देवर जी अभी को 2 घंटे बीत चुके है पता है
अभय –(घड़ी देख के) ओह तेरी 2 घंटे हो गए भाभी सच में पता ही नहीं चला मुझे , ठीक है खाने के बाद आप बताना आगे क्या हुआ....
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जारी रहेगा