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WhiteDragon

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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
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जारी रहेगा ✍️✍️
Nice story.. keep writing
 

Sweetkaran

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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
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जारी रहेगा ✍️✍️
Nice update bro
 

Raj_sharma

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UPDATE 14

संध्या का एसा रूप देख ललिता , मालती और रमन तीनों हिल के रह गए थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ललिता और मालती डिनर टेबल साफ करने में लग गए थे और रमन हवेली से बाहर निकल के किसी को फोन मिलाया....

रमन – मुनीम मैने तुझे इस लड़के का पता लगाने को बोला था अभी तक क्यों नही पता लग पाया तुझे

मुनीम – मालिक उस लड़के का पता नही चल पा रहा है कही से भी इसीलिए मैंने शहर से एक लड़के को बुलाया है जो उस लड़के की जानकारी निकाल सकता है

रमन – कॉन है वो कब करेगा काम

मुनीम – मालिक आप बगीचे वाले कमरे में आजाओ मैं उसे वही लेके आता हू

दोपहर का वक्त था अभय हॉस्टल के कमरे में आते ही उसे रमिया मिली...

रमिया – बाबू जी खाना तयार है आप हाथ मू धो लिजिए मैं खाना लगाती हू

अभय – कल की बात से नाराज हो अभी भी क्या

रमिया – नही बाबू जी ऐसी कोई बात नही है

अभय – अच्छा फिर क्या बात है

रमिया – बात तो पता नही बाबू जी लेकिन कल से देख रही हू हवेली में मालकिन ने कल रात को कुछ नही खाया और आज सुबह भी जाने किस बात पे रमन बाबू पे गुस्सा हो रही थी मालकिन

अभय – (हस्ते हुए) अच्छा ऐसा क्या हो गया जो तुम इतनी परेशान हो रही हो

रमिया –पता नही बाबू जी मैं 2 साल पहले आई हू यहा तभी से देख रही हू मालकिन को रोज रात को जब सब आराम से सो रहे होते है तब मालकिन अपने कमरे में कम अपने बेटे के कमरे में होती थी , कभी कभी तो उन्ही के कमरे में सो जाती थी

अभय – (रमिया की बात पे ध्यान ना देते हुए) तुझे यहां भेजा गाया है मेरे लिए , तब तक के लिए हवेली को भूल जा चल खाना खाते है भूख लगी है बहुत

इधर हवेली में जब हर कोई अपने कमरे में दिन में आराम कर रहा होता है तब संध्या हवेली के बाहर अपनी कार से निकल जाती है कही कार ड्राइव करते हुए किसी के घर के बाहर कार रोक के बाहर निकल के घर का दरवाजा खट खटाती है तभी एक औरत दरवाजा खोलती है उसे देख संध्या रोते हुए उसके गले लग जाती है.....

औरत – (रोना सुन के) क्या बात है संध्या तू ऐसे रो क्यों रही है

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है दीदी मैने आपकी बात ना मान के...

औरत – चुप पहले अंदर चल तू

अपने घर के अंदर लेजा के संध्या को बैठाती है की तभी किसी की आवाज आती है..

सत्या बाबू – कॉन आया है गीता

गीता देवी – खुद ही देख लो आके कॉन आया है

सत्या बाबू – (अपने सामने संध्या को देख के) ठकुराइन आज इतने सालो के बाद गरीब के घर में....

गीता देवी – (बीच में टोकते हुए) ठकुराइन नही मेरी छोटी बहन आई है घर में

सत्या बाबू – ठीक है तुम बात करो आराम से मैं खेत में जा रहा हू राज का खाना लेके शाम को त्यार रहना

गीता देवी – जी ठीक है (सत्या बाबू के जाने के बाद संध्या से बोली) अब बता क्या बात है क्यों रो रही है तू

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई दीदी उसी की सजा मिल रही है मुझे जिस जिस पर विश्वास किया उसी ने धोखा दिया

गीता देवी – संध्या तू सही से बता बात क्या है कैसे सजा , कॉन सी गलती और किसने धोखा दिया तुझे

संध्या – इनके (अपने पति) जाने के बाद हवेली और खेती के हिसाब , बहिखाते की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ गई थी और अभय उदास सा रहने लगा था , हवेली , खेती और बहिखाते अकेले ये सब संभालना साथ अभय को , मेरे लिए आसान नहीं था इसीलिए ऐसे में मैने रमन की मदद ली ताकि सब संभालना आसान हो जाय धीरे धीरे वक्त बिता मैं ज्यादा तर हवेली और खेती के हिसाब में व्यस्त रहने लगी लेकिन इसी बीच कई बार अभय की शिकयत आती थी मेरे पास शुरू शुरू में मैने इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर अभय की शिकायते बड़ने लगी समझाया करती थी मैं लेकिन फिर से वही सब शिकयत और मुझसे बर्दाश नही होता था की मेरे बेटे की शिकायत लोग करते रहते थे अक्सर लेकिन वही अमन की कोई शिकायत नही करता था हर कोई अमन की तारीफ करता बस इसी गुस्से में मैने हाथ उठाया अभय पर और ना जाने कितनी बार हाथ उठाया मैने अभय पे

लेकिन दीदी मेरे अभय ने कभी अपनी सफाई नही दी मुझे और फिर आई वो मनहूस रात जिसके बाद मेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गई

(बोल के जोर से रोने लगी इस तरह से संध्या का रोना देख के गीता देवी को भी घभराहट होने लगी)

गीता देवी – (घबरा के) संध्या क्या हुआ था ऐसे क्यों रो रही है बता क्या हुआ उस रात को

संध्या –(रोते हुए) पता नही दीदी कैसे हुआ उस रात मैं बहक गई थी रमन के साथ...

गीता देवी – (गुस्से में) ये क्या बकवास कर रही है तू , तू ऐसा कैसे बहक गई , सही से बता संध्या हुआ क्या था ऐसा उस रात को

संध्या –(रोते हुए) मुझे सच में नही पता दीदी ये सब कैसे हुआ , कभी कभी अकेली रातों में अपने पति की याद आती थी तो अपनी शादी को तस्वीरों को देख लिया करती थी उस रात को भी वही तस्वीर देख रही थी क्योंकि कल का दिन मेरे अभय के लिए खुशी का दिन था कल अभय का जन्म दिन था मैंने दिन में सोच लिया और सभी को बता दिया था आज मैं अभय के साथ सोऊगी , कई बार अभय कहता रहता था मुझे की उसके साथ सोऊं , कमरे से जाने को थी तभी मुझे अजीब से उलझन होने लगी थी शशिर में अपने , मैने सोचा आराम करूगी ठीक हो जाओगी , अपनी शादी की तस्वीर को अलमारी में रख के जाने को हुई तभी मेरे शरीर की उलझन बड़ने लगी थी इसी बीच कमरे में रमन आया हुआ था उसे देख के मैं इनकी (अपने पति) कल्पना करने लगी थी क्योंकि दोनो भाईयो की सूरत एक जैसे जो थी और इसके बाद कब मैं रमन के साथ...

बोलते बोलते रोने लगी संध्या

गीता देवी –(संध्या के सिर पे हाथ रख के) फिर क्या हुआ था

संध्या – होश आने पर अपने आप को रमन के साथ पाया मैने कुछ बोलती उससे पहले रमन ने बोला मुझे वो काफी वक्त से मुझे चाहता है काफी वक्त से मेरे साथ ये सब करना चाहता था मन तो हो रहा था मेरा रमन को अभी सबक सिखा दू लेकिन गलती इसमें पूरी उसकी अकेले की नही थी मेरी भी थी काफी देर तक हम बेड में रहे बाद में मैंने रमन को अपने कमरे में जाने को बोला ताकी हवेली में किसी को पता ना चले , अपने अभय की नजर में गिरना नही चाहती थी मैं इसीलिए चाह के भी रमन को कुछ नही कहा मैने , लेकिन उस मनहूस रात ने मेरी जिंदिगी को नर्क बना दिया अगले दिन अभय हवेली में नही है ये पता चला और उसके बाद जंगल में लाश मिली बच्चे की जिसने अभय जैसे कपड़े पहने थे और तब से मेरी जीने को इच्छा मर गई थी , लेकिन अमन को देख के जी रही थी मैं

और अब 11 साल बाद वो वापस आगया दीदी मेरा अभय वापस आगया पहली मुलाकात से मुझे चौका दिया और अगले मुलाकात में उसने बता दिया वो अभय है मेरा और साथ में ये भी बताया को कितनी नफरत करता है क्योंकि उसने मुझे देखा था रमन के साथ कमरे में और क्या कहा उसने मुझसे जानती हो दीदी यह की उसको मेरे आसू मेरा प्यार सब नौंटकी लगता है उसके आने से गांव वालो को जमीन मिली जिसका मुझे पता तक नहीं था और उसके आने से ही आज मैं जान पाई हू दीदी की जिनपे मैने आंख बंद कर के भरोसा किया उन सबने मेरी ही पीठ में छूरा घोपा है सबने धोखा दिया मुझे सबने झूठ पे झूठ बोल के मुझसे पाप करवाया , अभय की नजरो में मुझे हमेशा हमेशा के लिए गिरा दिया उन सबने , दीदी बात तो मैने आपकी भी नही मानी अगर मानी होती तो शायद आज ये दिन नही देखना पड़ता मुझे

बस दीदी मेरी एक इच्छा पूरी कर देना मेरे मरने के बाद कम से कम मुझे अग्नि जरूर दिला देना अभय के हाथो से (रोते हुए)

गीता देवी – (रोते हुए संध्या को गले से लगा के) चुप बिल्कुल चुप तू क्यों मरने लगी अभी तो तुझे उन सबको रोते हुए देखना है जिसने तुझे रुलाया है जिन्होंने ये नीच हरकत की है अभी उनका भी हिसाब होना बाकी है उन्होंने मां और बेटे के बीच दरार डाली है अरे उपर वाला भी मां और बेटे के रिश्ते की डोर को छूने से डरता है क्योंकि उपर वाला भी एक मां को दुवा ले सकता है लेकिन एक मां के दिल से निकली बदूवा से वो खुद डरता है लेकिन यहां इंसानों ने ये काम किया.....

गीता देवी – तूने पता किया अगर अभय यहां है तो फिर वो लाश किसकी थी जो गांव वालो को मिली थी जंगल में कहा से आए उस लाश में अभय के स्कूल के कपड़े

संध्या – नही दीदी मैने इस बारे में कोई बात नही की ये सब मुनीम या रमन ही देखते है ज्यादा तर बाहर के काम , बस अब आपके सिवा कोई नही मेरा दीदी जिसपे भरोसा कर सकू और हवेली में मुझे किसी पे भरोसा नहीं रहा

गीता देवी – (संध्या की बातो को ध्यान से सुन के किसी को कॉल किया)

सामने से – हेलो कॉन

गीता देवी – द....द...देव भईया

देव –(आवाज सुन मुस्कुरा के) गीता दीदी , बरसों के बाद आज आपको याद आई अपने भाई की

गीता देवी – (रोते हुए) तेरी एक बहन और भी है भूल गया तू और आज उसे अपने भाई की सबसे ज्यादा जरूरत है बस कुछ मत बोलना , भूल जा पुरानी बात को , यहां तेरी बहन की जिंदिगी बर्बाद कर दी है दुश्मनों ने

देव – (गुस्से में) किसकी इतनि मजाल है जो देवेंद्र ठाकुर की बहन की जिंदीगी बर्बाद करने की हिम्मत करें , देवी भद्र काली की कसम है मुझे , उसके वंश का नाश कर देगा ये देवेंद्र ठाकुर , मैं अभी आ रहा हू दीदी

इस तरफ रमन आगया था बगीचे में बने कमरे में वहा पे मुनीम और 2 लड़के पहले से इंतजार कर रहे थे रमन का...

रमन – मुनीम बाहर कार किसकी खड़ी है और कॉन बताएगा उस लड़के के बारे में

मुनीम – मालिक कार इन दोनो की है ये दोनो लड़को को शहर से बुलाया है ये कंप्यूटर के बड़े हैकर है (लड़के से) बता दे मालिक को कैसे पता चलेगा लड़के के बारे में

पहला लड़का – उस लड़के की कोई फोटो है आपके पास या डिटेल

रमन – हा फोटो निकलवाई है कॉलेज से उसकी

रमन अपने मोबाइल में फोटो दिखाता है , लड़का मोबाइल लेके सिस्टम में कनेक्ट करता है सर्च करता है फोटो से अभय की डिटेल को....

दूसरा लड़का – ये इनलीगल काम है जानते हो ना आप इस तरह से किसी की जानकारी निकालना मतलब समझ रहे हो ना आप

रमन – (500 की 2 गद्दी देते हुए) अब तो सब लीगल हो गया है ना

पहला लड़का – हा बस 5 मिनट में इसकी कुण्डली निकल जाएगी



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तभी लड़के के कंप्यूटर में अलर्ट मैसेज आता जिसे देख लड़का घबरा जाता है और तभी सिस्टम में उसी लड़के की फोटो दिखने लगती है साथ में उस कमरे में जो भी है उनकी भी फोटो थी डरते डरते अपने सिस्टम में कुछ करता उससे पहले ही उस लड़के के मोबाइल में कॉल आने लगता है मोबाइल में कॉलर का नेम देख के आखें बड़ी हो जाती है उसकी....

पहला लड़का – (कॉल रिसीव करके) हैलो

सामने से – लगता है अपनी औकात भूल गया है तू जानता है ना किसके बिल में हाथ डाल रहा है

पहला लड़का – (डरते हुए) मुझे माफ करिएगा मैडम मैं नही जानता था की ये....

सामने से – (बीच में बात काटते हुए) अपना बोरिया बिस्तर बांध के निकल तेरा काम हो गया वहा का

पहला लड़का – वो मैडम

सामने से – (गुस्से में) अभी निकल

पहला लड़का डरते हुए कॉल कट करके अपना सामान लेके दूसरे लड़को को चलने किए बोल के कमरे से बाहर भाग जाता है उसके पीछे दूसरा लड़का आने लगा तभी रमन उसका कॉलर पकड़ के....

रमन – बिना काम किया भाग रहा है तू , एक लाख दिए है मैने काम के...

दूसरा लड़का – (रमन को उसके पैसे वापस करते हुए) ये रहे पैसे आपके और आज के बाद याद रखना हम कभी नही मिले थे एक दूसरे से

मुनीम – लेकिन तुम दोनो भाग क्यों रहे हो किसका कॉल आगया था

दूसरा लड़का – मुझे नही पता किसका कॉल था लेकिन मेरा बॉस सिर्फ 2 लोगो से डरता है एक या तो वो मेरे बॉस का बॉस हो या फिर उन सब भी कोई बड़ा हो और ये लड़का उनमें से कॉन है मुझे नही पता

बोल के बाहर अपनी कार से भाग जाते है दोनो लड़के..

रमन – मुनीम ये दोनो लौंडे साले भाग गए , एक काम कर इंतजाम कर दे उस लड़के का और याद रहे कल सुबह गांव के समुंदर के बीच (किनारे) पे एक कटी फटी लाश मिलनी चाहिए समझ गया ना

मुनीम – (मुस्कुरा के) जी मालिक एसा ही होगा

इस तरफ गीता देवी के घर के बाहर 4 कारे आ कर रुकती है तीन कार से सूट बूट में बॉडीगार्ड निकलते है और बीच की कार से एक 40 साल का आदमी निकल के गीता देवी के घर में जाता है अंदर जाते ही...

आदमी – (अपने सामने बैठी गीता देवी साथ में संध्या को देख के) दीदी

गीता देवी – देव भईया

देव – (आगे आके गीता देवी के पैर छू के) कैसे हो आप दीदी

गीता देवी – अच्छी हू भईया

देव – संध्या क्या अभी तक नाराज हो अपने भाई से

संध्या रोते हुए गले लग गई देव के...

देव – (प्यार से सिर पे हाथ फेरते हुए) अरे पगली रोती क्यों है तेरा भाई जिंदा है अभी

गीता देवी – छल हुआ है संध्या के साथ अपनो के हाथो सिवाय धोखे के कुछ ना मिला इसे ऐसा खेल खेला गया अनजाने में दोनो मां और बेटे के बीच प्यार की जगह नफरत ने लेली , ऐसी नफरत आज एक बेटे को उसके मां के आसू भी नौटंकी लगते है उसे और इन सब का कारण है हवेली में रहने वाले लोग

देव – (सारी बात सुन के गीता देवी से) मुझे पूरी बात बताओ दीदी हुआ क्या है मेरी बहन के साथ

उसके बाद गीता देवी ने सारी बात बता दी देव को जिसे सुन के....

देव – (संध्या से बोला) तेरे साथ ये सब हो रहा था और तूने मुझे एक बार भी बताना जरूरी नही समझा , मानता हू तेरा सगा भाई ना सही लेकिन तुझे तो मैने सगी बहन माना है हमेशा से

संध्या – (रोते हुए) ऐसी बात नही है भईया इनके जाने के बाद से ही हवेली और काम की जिम्मेदारी मुझ पे आगयी थी उसको निभाने में जाने कब मैं खुद के बेटे की दुश्मन बन गई..

देव – (बीच में बात को काटते हुए) सब समझता हू मेरी बहन दादा ठाकुर के गुजरने के बाद पहल जिम्मेदारी मनन के हाथो में आई उसके बाद तेरे कंधो पे , मैने मनन को पहल कई बार समझने की कोशिश की थी अपने भाई पे भरोसा ना करे लेकिन वो नहीं माना कहता था जैसा भी है मेरा भाई है और एक भाई दूसरे भाई का कभी गलत नही करेगा उसकी यहीं गलती ने आज तुझे इस मुकाम में लाके खड़ा कर दिया , (संध्या के आसू पोछ के) हमारा भांजा कहा है कैसा दिखता है , मनन जैसा दिखता होगा है ना

गीता देवी – (अपने मोबाइल में फोटो दिखा के) ये देखिए भईया ऐसा दिखता है आपका भांजा

देव – (मोबाइल में अभय की फोटो देख के हैरान हो जाता है) ये...ये है वो लेकिन ये कैसे हो सकता है अगर ये तेरा बेटा है तो फिर वो...

गीता देवी – क्या हुआ भईया आप फोटो देख के हैरान क्यों हो गए

देव – (संध्या से) तुम कैसे कह सकती हो की ये तेरा बेटा है

संध्या – आप ऐसा क्यों बोल रहे हो भईया ये अभय ही है मेरा बेटा वही नैन नक्श वो सारी बाते जो सिर्फ इसके इलावा कोई नही जानता है

देव – (सारी बाते सुन के किसी सोच में डूब जाता है और तुरंत किसी को कॉल करता है) हेलो शालिनी जी

शालिनी सिन्हा – प्रणाम ठाकुर साहब आज कैसे याद किया

देव – शालिनी जी आपकी बेटी कहा पे है मेरी बात हो सकती है उससे

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहेब वो तो निकल चुकी है लेकिन बात क्या है

देव – शालिनी जी मैने आपसे पूछा था उस लड़के के बारे में , अब आप सच सच बताएगा क्या वो लड़का सच में आपका बेटा है की नही

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहब वैसे तो मेरा कोई बेटा नही सिर्फ एक बेटी है और रही बात उस लड़के की हा उसे अपना बेटा ही मानती हूं मैं , उसके आने से मेरे परिवार में बेटे की कमी भी पूरी हो गई

देव – क्या नाम है उसका

शालिनी सिन्हा – अभय , ठाकुर अभय सिंह , मेरी बेटी उसी के पास आ रही है , लेकिन आप ऐसा क्यों पुछ रहे है

देव – अच्छा तो ये बात है (हस्ते हुए) शालिनी जी अभय यहीं पर है अपने गांव में वापस आगया है

शालिनी सिन्हा – (हस्ते हुए) हा ठाकुर साहब मेरी बेटी किसी केस के सिलसिले में गांव के लिए निकली है क्या आप जानते है किसी संध्या ठाकुर को

देव – जी वो मेरी मु बोली बहन है , बात क्या है

शालिनी सिन्हा – बात कुछ ऐसी है ठाकुर साहब (फिर शालिनी सिन्हा कुछ बात बताती चली गई देव को कुछ देर बात करने के बाद) इसीलिए उपर से ऑर्डर आया है तभी इस मामले की तह तक जाने के लिए भेजा गया है कुछ लोगो को..

देव – ठीक है शालिनी जी मैं ध्यान रखूंगा (कॉल कट करके किसी सोच में था देव)

गीता देवी – भईया क्या बात है आप किस सोच में डूबे है

देव – (मुस्कुरा के) ये लड़का अभय सच में कमाल का है मैने इस जैसा लड़का कही नही देखा अपने पिता मनन की तरह नेक जरूर है लेकिन उतना भी नेक नही जितना हमारे मनन ठाकुर थे

संध्या – क्या मतलब है इसका भईया

देव – बस इतना समझ ले तेरा बेटा खुद यहां नही आया उसे लाया गया है यहां पे और ये बात उसे खुद नही पता है और जिसे पता है वो खुद आ रही है जल्द ही मुलाकात होगी उससे तेरी भी

गीता देवी – क्या मतलब तेरी भी से आपका

देव – मतलब मैं मिल चुका हू अभय से और उस लड़की से भी जिसके साथ अभय रहता था

संध्या – कॉन है वो लड़की और अभय से उसका क्या...

देव – वो लड़की कोई मामूली लड़की नही सी बी आई ऑफिसर चांदनी सिन्हा है , डी आई जी शालिनी सिन्हा की एक लौती बेटी और बाकी की बात सिर्फ चांदनी बता सकती है लेकिन एक बात का ख्याल रहे ये बात बाहर नही जाने चाहिए यहां से और संध्या तेरे कॉलेज में चांदनी को टीचर बना के भेजा जा रहा है और उसके लोग तेरे साथ तेरी हवेली में रहेंगे नौकर के भेष में

संध्या – भईया मेरा अभय...

देव – (सिर पे हाथ फेर के) थोड़ा वक्त दे उसे मेरी बहन नफरत का बीज जो बोया गया है उसे इतनी आसानी से नही हटाया जा सकता है इतना सबर किया है तूने थोड़ा और कर ले।

देव –(गीता देवी से) अच्छा दीदी चलता हू मै लेकिन जब भी आपको अपने भाई की जरूरत पड़े बेजीझक बुला लेना (संध्या से) बहन अब भूलना मत तेरा भाई हर समय तेरे साथ है ।
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जारी रहेगा✍️✍️
 
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