Awesome jasusi thrilling updateUPDATE 36
एक आदमी कमरे में बेड में बेहोशी हालत में पड़ा हुआ था की तभी उसे होश आया होश में आते ही उसकी आंख खुली अपने आप को कमरे में अकेला पाया बेड से धीरे से उठने लगा तभी उसकी एक दर्द भरी आह निकल गई...
आदमी –(दर्द में) आहहह आआआईयईई ये मैं कहा पर हू...
तभी कमरे का दरवाजा खोल एक आदमी अन्दर आया अपने सामने आदमी को होश में आया देख बोला....
आदमी –कैसे हो मुनीम जी अब हालत कैसी है तुम्हारी...
तो ये आदमी कोई और नहीं हवेली का मुनीम था जिसका पैर अभय ने तोड़ा था लेकिन बीच में ही 2 आदमी मुनीम को लेके निकल गए थे कार से उस वक्त खेर अब आगे देखते है...
मुनीम –(अपने सामने आदमी को गौर से देख) तुम यहां पर तुम तो...
आदमी –(बीच में हस्ते हुए) पहचान गया तू इतनी जल्दी...
मुनीम – तुम्हे कैसे भूल सकता हू मै रंजित सिन्हा....
आप सब तो जानते होगे रंजीत सिन्हा को अगर याद नही तो बता देता हू रंजित सिन्हा कोई और नहीं शालिनी सिन्हा के पति और चांदनी सिंह के पिता जी है....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) बहुत खूब मुनीम जी अब कैसे हालात है तुम्हारी....
मुनीम – दर्द कम है अब पैर का लेकिन मुझे यहां पर लाया कॉन...
रंजीत सिन्हा – मेरे लोग लेके आए थे तुझे यहां पे तेरी हालत बड़ी खस्ता जैसे थी...
मुनीम – (गुस्से में) हा ये सब उस लौंडे का किया धरा है जानते हो वो कोई और नहीं बल्कि....
रंजित सिन्हा– (बीच में बात काटते हुए) ठाकुर अभय सिंह है संध्या ठाकुर का बेटा यही ना...
मुनीम – (हैरानी से) तुम्हे कैसे पता इस बात का...
रंजीत सिन्हा – (मुस्कुरा के) जब अभय यह से भागा था ना तब वो सीधा मेरी तरफ आया था अनजाने में मुलाकात हो गई हमारी फिर मुझे धीरे धीरे पता चल गया अभय की सच के बारे में तभी तो मैं यहां आता जाता रहता था इतने वक्त से....
मुनीम – (हैरानी से) अगर तुम जानते थे तो बताया क्यों नही तुमने पहले इस बारे में...
रंजित सिन्हा –तब मुझे नही पता था की अभय कभी वापस आएगा गांव में दोबारा सिर्फ अभय की वजह से ही मैं अपनी बेटी से दूर हो गया और अपनी बीवी से भी जाने कौन सा जादू कर दिया है उसने मुझे अपने ही घर से जलील होके निकलना पड़ा था....
मुनीम – वो वापस आगया है अब वो किसी को नहीं छोड़ेगा मैने देखा था उसकी आखों में नफरत और खून भरा पड़ा जाने मैं कैसे बच गया वरना मारने वाला था मुझे....
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अब तुझे कुछ नही होगा डरने की जरूरत नहीं है तुझे...
मुनीम – लेकिन करूगा भी क्या अब हवेली से निकाल जो दिया उस ठकुराइन ने मुझे जाने कौन सी वो मनहूस घड़ी थी जो मैने रमन की बात मान लौंडे को मारने के लिए आदमी लेके गया कॉलेज में और ये हाला हो गई मेरी....
रंजीत सिन्हा –(बात सुन के) बदला लेना चाहता है तू संध्या से....
मुनीम – तो चाहिए मुझे संध्या से भी और उस लौंडे से भी लेकिन कैसे इस हालत में...
रंजित सिन्हा – ज्यादा मत सोच बस कुछ खा पी ले और चलने लग 2 से 3 दिन में ठीक हो जाएगा (लाठी देते हुए) ये ले इसके सहारे चल अभी अगले महीने से तुझे इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी...
मुनीम – उससे पहले उस लौंडे का इससे बुरा हाल करना चाहता हू मै...
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अगर तू सच में ऐसा चाहता है तो एक काम करो होगा तुझे....
मुनीम – क्या काम करना होगा.....
रंजित सिन्हा –खंडर के बारे में क्या जनता है तू....
मुनीम –(चौक के) इस बात का खंडर से क्या मतलब है....
रंजित सिन्हा – मतलब तो बहुत बड़ा है मुनीम बस तुझे जो पता है वो बता दे बस....
मुनीम – (हस्ते हुए) अब समझ आया मुझे तुम क्या चाहते हो लेकिन उसके लिए संध्या ठाकुर की जरूरत पड़ेगी क्योंकि खंडर में जो कुछ भी है उसकी चाबी संध्या ठाकुर है उसके बिना कुछ भी नही होगा और मेरे बिना तुम तो क्या कोई भी जानकारी नहीं निकाल पाएगा संध्या ठाकुर से....
रंजित सिन्हा –अच्छा तो तू हमारा काम कर बदले में को मिलेगा आधा आधा बोल क्या बोलता है....
मुनीम – (खुश होके) मंजूर है मुझे लेकिन रमन का क्या....
रंजित सिन्हा – उसकी फिकर मत कर वो वैसे भी किसी काम का नही हमारे और ही हमारा कुछ बिगड़ पाएगा कुछ भी...
मुनीम –ठीक है अब ये बताओ ठकुराइन को कैसे लाओगे खंडर में...
रंजित सिन्हा –तू उसकी फिकर मत कर बस एक कॉल का इंतजार है मुझे उसके बाद जल्द ही संध्या हमारे पास होगी तब तक तू खा पी यहां पे सेहत सही होगी तो जल्दी ही ठीक होगा तू....
बोल के निकल गया रंजीत सिन्हा उसके जाते ही मुनीम खाने में टूट पड़ा खाते हुए मुनीम को देख...
रंजित सिन्हा –(मन में – एक बार काम हो जाय ये उसके बाद यही तेरी कब्र बना दुगा मुनीम कोई नही जान पाएगा तू यहां कभी आया भी था)....
इनसे कुछ दूर हवेली में संध्या आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसे उसकी बहन मिल गई थी साथ ही संध्या खाने की टेबल में शनाया के साथ आके खाने के वक्त हवेली में सबको ये बात बता दी जिसके बाद किसी ने कुछ भी जाड़ा नही बोला बस नॉर्मल बात हुई और चले गए कमरे में आराम करने शनाया आज संध्या के कमरे में बेड में लेती थी....
शनाया –(संध्या से) तू बिल्कुल पहले की तरह आज भी बहुत खूबसूरत है ऐसा लगता है उमर वही की वही रुक गई हो तेरी....
संध्या –(मुस्कुरा के) मेरी छोड़ तू अपनी देख पहले बिल्कुल हेल्थी थी और अब देख ऐसा लगता है आसमान से परी उतार आई हो , अभय तो तुझे फिट कर दिया पूरा...
अभय का नाम सुन शनाया के चेहरे की हसी जैसे थम सी गई....
शनाया – संध्या अभय तेरा बेटा है तो वो हॉस्टल में कैसे आया और उसने कभी बताया क्यों नहीं तेरे बारे में जब मैने पूछा था तो शालिनी सिन्हा का बताया मुझे आखिर ऐसा क्यों संध्या क्या बात है....
संध्या –(सवाल सुन बेड से उठ के बैठ सीरियस होके अपनी आप बीती सुनाने लगी जिसके बाद) और शायद उस रात उसने देखा था इसीलिए पहली मुलाकात में ही उसने बदचलन बोल दिया मुझे मैं समझ गई इसका मतलब जरूर उसने देखा है...
बोल के रोने लगी संध्या उसके कंधे पे हाथ रख....
शनाया –तो तूने बताया क्यों नहीं उसे सच....
संध्या – वो कुछ भी सुनने को तयार नही है शनाया जब भी मिलता तो अपने शब्दो की छूरी मुझे चला के निकल जाता लेकिन अभी ना जाने कैसे उसने तना देना बंद कर दिया अच्छे से बात करने लगा था लेकिन फिर उस रात को....
शनाया – (बात ध्यान में आते ही) हा संध्या उस रात खाने पे आया था तो क्या हुआ था उस रात में....
संध्या –(उस रात की बात बता के) उसके बाद वो भी चला गया मुझसे नाराज़ होके अब तू बता मैं क्या करू....
शनाया –(अपने मन में – मैं क्या बताऊं तुझे इस बारे में संध्या जाने किस्मत कहा ले आई मुझे जिससे प्यार किया वो धोखा दे के भाग गया प्यार ना करने की कसम खाई लेकिन प्यार हुआ भी उससे जिसने जीना सिखाया मुझे और आज पता चला वो मेरा ही भांजा है अब कैसे फेस करूगी अभय को क्या बोलूगी उसे)....
संध्या –(शनाया को सोच में डूबा देख उसके कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ तुझे किस सोच में डूबी है....
शनाया –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ नही सोच रही हू किस्मत भी कितने अजीब खेल खेलती है इंसान के साथ....
संध्या –हा जो किस्मत में लिखा होता है वही होता है अब न जाने मेरी किस्मत में क्या लिखा है....
सही भी है न जाने किसकी किस्मत में क्या लिखा है जैसे इस तरफ रमन है जो लगा हुआ है कौल पे कौल मिलाए जा रहा है शंकर को लेकिन हर बार मोबाइल बंद बता रहा है अब उसे क्या पता की शंकर तो गांव के बाहर निकल ही नही पाया है अभी तक....
रमन – (मन में –ये साला शंकर भी कहा मर गया है न खुद कौल कर रहा है ना ही पता साले का कही पुलिस ने पकड़ लिया ऐसा होता तो कब का मुझ तक पहुंच जाति पुलिस ना जाने कौन से बिल में छुपा बैठा है ये)....
जबकि हॉस्टल में जब अभय जानकारी ले रहा था शंकर से तभी सायरा ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...
सायरा –(अभय के कंधे पे हाथ रख) इसे एक बार मेरे हवाले कर दो अभय उसके बाद तुम्हे हर बार टॉचर करने की जरूरत नही पड़ेगी एक बार में ही बोलने लगेगा सब कुछ....
सायरा के मू से अभय का नाम सुन शंकर की आंखे बड़ी हो गई तुरंत बोला....
शंकर –(हैरानी से) तुम अभय ठाकुर हो....
अभय –(मुस्कुरा के) हा मैं ही ठाकुर अभय सिंह हू जिसे तुम लोगो ने मारा हुआ साबित कर दिया था दस साल पहले....
शंकर – म...म...मुझे माफ कर दो अभय बाबू मैने सच में कुछ नही किया है सब रमन के कहने पर करता था मैं उसी ने मुझे गांव का सरपंच बनवाया था ताकि गांव में जो भी हो रमन के हिसाब से हो....
अभय –(शंकर की बात सुन) एक बात तो बता जब तक तू जानता नही था की मैं अभय हू तब टाउचर करने पे बताता था बात अब जान गया मैं अभय हू तो बिना टॉचर के बता रहा है बात मुझे क्यों भला...
शंकर – अभय बाबू भले मैं कैसा भी सही लेकिन मैं भी इंसान ही हू गांव वालो की परेशानी रोज सुनता लेकिन मैं क्या करता मै जानता था अगर ठकुराइन के पास गया तो रमन मुझे नही छोड़ेगा और नही गया तो गांव वाले परेशान हो जाएंगे इसीलिए रमन को गांव वालो का दुख दर्द बया करता था लेकिन वो उल्टा उनका ही बुरा करने में लगा रहता था और मैं चाह के भी कुछ नही कर पाता था आप खुद सोचो सरपंच मैं सिर्फ नाम का लेकिन हुकुम सिर्फ रमन का चलता था घर बीवी बच्चा मेरा सिर्फ नाम का लेकिन हक सिर्फ रमन का उनपर...
शंकर की बात सुन अभय और सायरा एक दूसरे को देखने लगे जिसके बाद अभय उठ के शंकर के पास जा के....
अभय –(जंजीर खोल के) तुम जाना चाहते हो ना यहां से ठीक है जाओ लेकिन तुम यहां से जिंदा नही जा पाओगे....
शंकर –(अभय को बात सुन हैरानी से) क्या मतलब....
अभय – मतलब ये सरपंच चाचा जितना तुमने बताया अगर वो सब सच है तो खुद सोचो जो इतने वक्त से हवेली में रह के अपनी ही भाभी से प्यार करके उसको ही फसाने में पीछे नहीं हटा गांव में नदी किनारे खुद ड्रग्स का काम करता है और चेक नाका पार करने के लिए कामरान का इस्तमाल किया जोकि मर चुका है और खंडर के पास अड्डा बना के माल को वही छुपाना लेकिन पहरेदारी तुमसे करवाना दोनो सुर्तो में रमन सामने नही आता है किसी के भी ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है की वो तुम्हे भी ना फसाए क्योंकि मुझे मारने के लिए भी उसने तुम्हे कहा था खुद उसने कुछ नहीं किया तुम्ही ने कौल करके गुंडे से बात की थी ना अब तक तो पुलिस पता चल गया होगा गुंडों की डिटेल और उस डिटेल से पुलिस को तुम तक आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा , खेर अब तुम आजाद हो चाचा जो भी हो बाहर देख लेना तुम खुद ही (सायरा से) चलो सायरा चलते है आराम करने हम....
अभय की बात सुन सायरा कुछ बोलती तभी अभय ने सायरा को आंख मार दी जिसे समझ सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर लेकिन अभय कही इस बात से शंकर के दिमाग को हिला के रख दिया था....
शंकर –(मन में – क्या सोच रहा है शंकर इतना कुछ तेरे सामने होता आया है आज तक उसके बाद तुझे क्या लगता है रमन किसी का सगा हो सकता है क्या कभी नही अरे जो अपने बाप और भाई का सगा नही हुआ वो भला किसी और का क्या सगा होगा अपने आप को बचाने के लिए रमन किसी भी हद तक जा सकता है फिर चाहे तुझे पुलिस में फसाके हो या तुझे मरवा के लेकिन अब क्या करू मैं क्या अभय बाबू मदद करेंगे मेरी) अभय बाबू मुझे बचा लो बदले में जो बोलोगे मैं वही करूगा...
सायरा और अभय जो कमरे से जा रहे थे शंकर की बात सुन के रुक एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुरा के पलट के....
अभय –(नाटक करते हुए) लेकिन चाचा अब मैं क्या कर सकता हू मुझपे हमाल हुआ था वहा पर मुझे मोबाइल मिला और उसमे तुम्हारा नंबर इसीलिए तुम्हे यहां ले आया पता करने लेकिन आज तुम्हारी बात सुन के लगा तुमने जो किया मजबूरी में किया इसीलिए मैंने तुम्हे छोड़ने का सोच के जंजीर खोल दी तुम्हारी...
शंकर – आप तो अभय ठाकुर हो आप कुछ भी कर सकते हो बस मुझे बचा लो इस झमेले से अभय बाबू बदले में जो बोलो मैं करने को तयार हू...
अभय – क्या करोगे मेरे लिए कुछ बचा है बताने को अब तुम्हारे पास....
अभय की बात सुन शंकर का मू उतर गया जिसे देख एक पल के लिए सायरा और अभय के चेहरे पे हल्की सी विजय मुस्कान आ गई जिसके बाद.....
अभय –ठीक है तुम्हे कुछ नही होगा लकी उसके लिए तुम्हे यही पर रहना होगा चुपचाप खाना पीना सब मिलेगा तुम्हे यहां पर बस जब तक मैं न बोलूं बाहर मत निकालना अगर निकले तो मेरी जिम्मेदारी उसी वक्त खत्म हो जाएगी...
शंकर – मुझे मंजूर है..…
अभय – ठीक है तुम आराम करो...
बोल के सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर आते ही दोनो हसने लगे धीरे से....
सायरा – क्या तो उल्लू बनाया तुमने उसे बेचारे का चेहरा देखने लायक था उसका....
अभय –(बेड में लेट के)शक की सुई बार बार मुनीम पे आके रुक जा रही है आखिर कहा जा सकता है ये मुनीम....
सायरा –मुनीम या तो हवेली में होता या रमन के साथ लेकिन अभी उसका कोई पता नही जाने कहा चला गया होगा....
अभय –(कुछ सोचते हुए) टांग तोड़ी थी मैंने उसकी ओर टूटी टांग के साथ एक अकेला कहा जा सकता है कोई...
सायरा – अस्पताल के सिवा कहा जाएगा....
अभय –(बेड से उठ के) मैं पता करके आता हू अस्पताल में....
सायरा –(अभय को रोक के) रमन पता लगाने में लगा हुआ था उसे तक पता नही चला और तुम्हे लगता है तुम पता लगा लोगे उसका....
अभय –(सायरा की बात सुन कुछ सोच के किसी को कौल मिलता है) हेलो क्या कर रहा है....
राजू – घर में आराम और क्या...
अभय – एक काम है तेरे से....
राजू – हा बता भाई....
अभय – मुनीम का पता लगाना है कैसे पता लगाऊं कुछ मदद कर....
राजू – (कुछ सोच के) अच्छा थोड़ा वक्त दे शाम तक बताता हू जैसे कुछ पता चलता है मुझे....
अभय – ठीक है शाम को मिलता हू मै...
बोल के कौल कट कर दिया जिसे देख सायरा बोली...
सायरा – रमन ठाकुर जो ना कर पाया तुम्हारा दोस्त कर सकता है क्या ये सब....
अभय – (मुस्कुरा के) कुछ ना सही से कुछ सही कम से कम कोई तो बात पता चलेगी देखते है क्या पता चलता है राजू को....
शाम होते ही अभय हॉस्टल से निकल के टहलते हुए जा रहा था दोस्तो के पास तभी रास्ते में पुलिस जीप निकल रही थी जिसमे राजेश बैठा था और उसकी नज़र अभय पर पड़ी जीप को अभय के पास रोक के....
राजेश –कैसे हो अभी....
अभय –(राजेश को सामने देख) अच्छा हू....
राजेश –कही जा रहे हो तो छोड़ दू मैं....
अभय – नहीं शाम को अक्सर पैदल टहलने की आदत है मेरी....
राजेश –ओह मैने सोचा उस दिन तो सही से बात नही हो पाई थी तुम्हे देखा सोचा आज बात कर लेते है....
अभय –अब मुझसे क्या बात करनी है आपको वैसे भी हवेली में ठकुराइन आपकी दोस्त है ना की मैं....
राजेश –(मुस्कुरा के) अरे मैं सिर्फ नॉर्मल बात करना चाहता था तुमसे खेर (चारो तरफ नजर घुमा के जहा इन दोनो के सिवा कोई नही था) देखो अभी मैं जानता हूं तुम DIG के बेटे हो गांव में आते ही तुमने काफी कांड किए है यहां तक तुमने कई लोगो को मारा भी है लेकिन मेरा उनसे कोई मतलब नहीं है मैं ये भी जानता हू तुम्हे दौलत और पैसों से मतलब है इसीलिए तुमने उसदीन हवेली से वो गोल्ड फ्रेम चुराया था ना देखो इन छोटी मोटी चोरी से कुछ नही मिलने वाला है मेरा साथ दो तुम लंबा हाथ मारेगे मिल के हम....
अभय –(राजेश की बात गौर से सुन आंख सिकुड़ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
राजेश –उस दिन संध्या ने तुम्हे जिस तरह से बचाया मैं तभी समझ गया था तुम उनलोगो के मेहमान जरूर हो लेकिन काफी खास हो तो अगर तुम संध्या तक पहुंचने में मदद कर दो मेरी बदले में मैं तुम्हे माला मॉल कर दुगा (हाथ मिलाने को अपना हाथ आगे बड़ा के) डील....
अभय –(मुस्कुरा के हाथ मिला के) ये दुनिया बड़ी हरामजादी है इंस्पेक्टर साहेब और तुम तो एक नंबर के मादरचोद....
बोल के राजेश को तुरंत पास की झाड़ियों में धक्का दे दिया जिससे राजेश डिसबैलेंस होके गिरा जहा झाड़ियों के साथ कीचड़ पड़ा हुआ था जिस कारण पूरे कड़पे कीचड़ में सन गए राजेश के जिसे देख अभय बोला....
अभय –जो तेरे दिमाग में है वही अब तेरे कपड़ों में दिख रहा है राजेश तुझ से पहले कामरान ने भी अपनी अकड़ दिखाई थी मुझे लॉकअप में बंद करके सिर्फ एक फोन आने से दुनिया पलट गई थी उसकी अच्छा रहेगा दोबारा मेरा रास्ता रोकने की सोचना भी मत समझा....
बोल के अभय निकल गया वहा से पीछे से राजेश गुस्से में....
राजेश –(गुस्से में) बहुत भारी पड़ेगा तुझे अभी गलत इंसान के गिरेबान में हाथ डाला है तूने....
गुस्से में राजेश तुरंत निकल गया थाने की तरफ वहा आते ही....
हवलदार –(थानेदार की हालत देख) साहेब ये क्या हो गया आपको....
राजेश –(गुस्से में हवलदार से) चुप चाप अपना काम कर समझा और जाके वो फाइल निकाल तूने बताया था ना गांव के बाहर कही पर कतल हुआ था कई लोगो का उसकी पूरी जानकारी चाहिए मुझे तब तक मैं कपड़े बदल के आता हू....
बोल के राजेश कमरे की तरफ निकल गया कपड़े बदलने पीछे से हवलदार अपने साथियों से....
हवलदार – लगता है थानेदार उसी लौंडे से भिड़ के आ रहे है...
दूसरा हवलदार – लगता है इसका भी वही हाल होगा जो कामरान का हुआ था तब समझ आएगा इसे भी....
बोल के फाइल डूडने लगे अलमारी से हवलदार राजेश के आते ही फाइल टेबल में रख दी हवलदार ने जिसे राजेश चेक करने लगा....
राजेश –(हवलदारों से) चलने की तयारी करो मुझे छानबीन करनी है उसी जगह...
बोल के राजेश जीप से निकल गया इस तरफ अभय की मुलाकात हुई राजू से जहा पे राज और लल्ला भी साथ बैठ बाते कर रहे थे अभय ने शंकर की बताई सारी बात दी...
राजू – मैंने पता लगाया मुनीम का जिस दिन टांग टूटी उसकी उसको अस्पताल ले जाया गया था उसके बाद से उसका कुछ पता नही है और जिनके साथ गया था अस्पताल वो गांव के नही थे कोई कार थी जिसमे गए थे वो लोग वो कार दिखी नही कही अभी तक....
अभय –(बात सुन के) यार ये हो क्या रहा है साला मेरा दिल बोल रहा है मैं सच के करीब हू लेकिन....
राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) परेशान मत हो मेरे भाई पता चल जाएगा मुनीम का भी जाएगा कहा वो आएगा तो गांव में ही....
अभय –चल छोड़ यार ये बता एग्जाम की तयारी कैसी चल रहे है सबकी....
लल्ला – मेरी तो मस्त चल रही है भाई....
राज –(बात सुन के) अच्छा तो जरा ये बता कब मिला रहा है निधि से...
लल्ला –यार अभी एग्जाम निपट जाय फिर अभी वो निकल नही रही है हा एली से एग्जाम के चक्कर में....
राजू –(हस्ते हुए) हा बेटा इसीलिए तू एग्जाम की तयारी पहले से कर के बैठा है ताकि फोन पे रोज बात होती रहे क्यों बे....
लल्ला – (बात सुन के) हा हा जैसे तू तो मोबाइल में सिर्फ COD खेलता रहता है....
राज –(दोनो की बात सुन के) तुम दोनो सालो और कोई काम धाम है नही दोनो के पास जब देखो मोबाइल में लगे रहते हो कभी गेम में कभी बात करने में सुधार जाओ बे....
अभय –(राज की बात सुन के) अबे हर किसी की किस्मत तेरे जैसी कहा होती है बे...
राज –क्या मतलब है बे....
अभय – तू अपना देख पहले रोज कॉलेज के बाद गायब ऐसे हो जाता है जैसे कॉलेज आया ही ना हो तुरंत निकल के चला जाता है दीदी के पास काम के बहाने और इन दोनो को बोल रहा है....
राज – वो इसीलिए क्योंकि ठकुराइन का हुकुम है चांदनी को कम सिखाने का समझा....
अभय – हा हा समझ गया बड़ा आया ठकुराइन का चमचा....
राज –(राजू और लल्ला से) लगता है कही जलने की बदबू आ रही है...
अभय –(राज की बात सुन के) क्या बोला बे तेरी तो...
बोल के राज भाग साथ में अभय भी भागा राज के पीछे साथ में राजू लल्ला भागने लगे हस्ते हुए मस्ती से भरी इनकी शाम गुजर गई सब अपने अपने घर निकल आए और अभय हॉस्टल में जबकि इस तरफ राजेश फॉर्महाउस में डूडने में लगा हुआ था कुछ जो उसे मिल नही रहा था रात होने को थी लेकिन राजेश पर जैसे एक जुनून सवार था थक हार कर गुस्से में....
राजेश –(हवलदारों से) सोचा था एक सबूत अगर मिल जाता तो उस लौंडे के लंका लगा देता मै लेकिन यहां तो जैसे कुछ है ही नही...
हवलदार –साहेब हमने और कामरान ने सबूत डुंडे थे लेकिन हम भी कुछ नही मिला था तब यहां पे ऐसे लगता था जैसे सारे सबूत साफ किया गए हो....
राजेश –आखिर कॉन हो सकता है जो इतनी चालाकी से सारे सबूत साफ कर सकता है....
हवलदार – साहेब पक्का तो नही लेकिन मुझे तो लगता है वो लौंडा जो खुद को DIG का बेटा बता रहा था जरूर उसी ने किया होगा क्योंकि उसी ने बोला था वो आया था यहां पे....
राजेश –(हवलदार की बात सुन के) एक काम करो चलो जरा हवेली मिले आते है संध्या से.....
बोल के राजेश जीप से निकल गया हवेली की तरफ जहा पर आज शाम से ही शनाया किसी गहरी सोच में डूबी थी जिसे वो अपनी बहन संध्या को भी दिखा नही रही थी और ना ही हवेली में किसी को जबकि संध्या बहुत खुश लग रही थी अपनी बहन के मिलने से बाकी हवेली में रोज की दिनचर्या जैसा चलती है वैसे ही चल रही थी इधर शाम के वक्त संध्या गार्डन में अपनी बहन के साथ टहलते हुए....
संध्या –(शनाया से) क्या बात है शनाया काफी देर से देख रही हू तू खोई खोई सी लग रही है क्या बात है बता मुझे....
शनाया –कुछ नही संध्या बस बार बार एक ही बात दिमाग में चल रही है मेरे अगर अभय के दिल में तेरे लिए क्या सच में नफरत है अगर है तो क्यों आया गांव में वो जबकि वो जनता था यहां आने पर तेरे से सामना होगा उसका फिर भी...
संध्या – (हल्का हस के) सामना तो हुआ था उसके आते ही तुरंत मेरे से पल भर में उसने मेरी जिदंगी को हिला डाला ये बोल के की उसका किया मजाक अक्सर सच हो जाता है....
शनाया – अच्छा ऐसा क्या बोल दिया उसने....
संध्या –(मुस्कुरा के) यही की मै नकल कर के पास हुई थी वो भी अपने पति की कॉपी से....
शनाया –(बात सुन हस्ते हुए) सच में उसे पता है ये बात कैसे....
संध्या – हा उसे पता है शनाया अक्सर ये (मनन ठाकुर) अभय के पास बैठ के बाते किया करते थे उसे बताते थे हमारे कॉलेज के बारे में अपने बचपन के बारे में कैसे उनके 12 साल की उमर में गांव में बाड़ आई फिर क्या किया था उन्होंने मेरी तारीफ करना बस इस तरह की बात अक्सर किया करते थे वो अभय से और फिर धीरे धीरे उनकी तबियत खराब होने लगी थी उस वक्त अभय और मैं ज्यादा तर साथ में रहते थे इनके (मनन ठाकुर) के पास धीरे धीरे तबियत बिगड़ती गई उनकी ओर फिर एक दिन मैं और अभय रात में इनके (मनन ठाकुर) के पास सोए थे लेकिन अगली सुबह जब अभय उठा रहा था इनको (मनन ठाकुर) बाबा पुकार ते हुए लेकिन ये (मनन ठाकुर) जागे ही नहीं सो गए गहरी नीद में जब ये (मनन ठाकुर) नही उठे तभी अभय इनके सीने पे सर रख रोता रहा....
बोलते बोलते संध्या के आखों से आसू निकल आए जिसे देख शनाया ने अपने हाथ से संध्या के आसू पोंछ....
शनाया – (आसू पोंछ के) चुप कर यू रो के अपने आप को तकलीफ मत दे और इस समय अभय के बारे में सोच कैसे उसकी नफरत कम की जाए....
संध्या –इसी कोशिश में लगी हू कैसे उसकी नफरत कम करू इसमें चांदनी ने भी बहुत कोशिश की लेकिन उसदीन के बाद से ऐसा लगता है सारे किए धरे में पानी फिर गया शनाया मैने उसकी आंख में आसू देखा था उस दिन उसके कैसे यकीन दिलाऊं मैं उसे वो सच नही था...
शनाया – तू फिकर मत कर मैं बात करूगी मैं बताऊंगी सच उसे...
संध्या –नही शनाया तू मत बताना उसे कुछ भी मैने ये सोचा भी नही अगर उसे पता चला तू मेरी बहन है तो कही वो इसका मतलब भी गलत ना निकाल ले तू प्लीज उसे कुछ मत बताना अपने बारे में....
शनाया – ठीक हू तू बोलती है तो मैं कुछ नही बोलूगी उसे...
चांदनी – (दोनोंकी बात सुन बीच में आके) क्या बात हो रही हुई मौसी किसे कुछ न बताने की बात हो रही है...
शनाया – अभय को मेरे बारे में कुछ न बताए जाय...
चांदनी –(बात सुन के) हा बात तो सही है फिलहाल तो एग्जाम नजदीक आ गए है सबके तब तक के लिए आप दोनो अभय की फिकर मत करिए उसके एग्जाम निपट जाए फिर बात करते है इस बारे में...
काफी देर तक बात चलती रही तीनों की चलते हुए हवेली में जाने लगे तीनों तभी हवेली के गेट से पुलिस जीप अन्दर आने लगी जिसे दिल तीनों रुक गए तभी जीप से राजेश निकल के तीनों के पास आने लगा...
राजेश –(तीनों के सामने आके संध्या से) मुझे तुमसे अकेले में कुछ बता करनी है संध्या...
संध्या –(बात सुन) कोई बात नही इनके सामने बोल सकते हो जो भी बात है...
राजेश – उस दिन जब मैं हवेली आया था तब वो लड़का अभी नाम का वो किस लिए आया था हवेली में...
संध्या –(राजेश के मू से अभय की बात सुन आंख सिकुड़ के) तुम कहना क्या चाहते हो आखिर....
राजेश – देखो संध्या मैं बात घूमा फिरा के नही बोलूगा कुछ भी लेकिन वो लड़का कुछ ठीक नहीं है....
अभय के लिए बात सुन संध्या और शनाया कुछ बोलने को हुई थी की चांदनी ने बीच में ही दोनो के कंधो में हाथ रख बीच में बोल पड़ी...
चांदनी –(बीच में) इंस्पेक्टर आपको जो बात बोलनी है खुल के बोलिए जरा समझ में आए आखिर कहना क्या चाहते है आप....
राजेश – देखो संध्या मेरी दोस्त है इसीलिए बता रहा हू वो लड़का DIG का बेटा है और यहां पर पड़ी करने आया है लेकिन मुझे जहा तक लगता है उसका मकसद पढ़ाई नही कुछ और है शायद आपको पता नही लेकिन उसके आने के बाद गांव के 16 km दूर जंगल के बीच एक फार्म हाउस में करीबन 60 से 70 लोगो की लाशे मिली थी और लॉकअप में उस लड़के ने ये बात कबूल की है कामरान और हवलदारों के सामने...
चांदनी – (इंस्पेक्टर की बात सुन) अच्छा बड़ी अजीब बात है एक अकेला लड़का 18 साल का जो यहां पढ़ाई करने आया है वो 60 से 70 लोगो को मारेगा अकेला काफी दिलचस्प बात कही है आपने वैसे आपने जो अभी बात बताई इसका कोई सबूत है क्या आपके पास...
राजेश –(चांदनी की सबूत वाली बात सुन आंख चुराते हुए) वो...वो....मेरे पास कोई सबूत नहीं है लेकिन कोशिश कर रहा हू सबूत डूडने की मिलते ही इस लड़के को जेल में बंद करके सब कुछ उगलवा लुगा मैं एक सबूत मिल जाय बस...
चांदनी – बिना सबूत के किसी पे इल्जाम लगाना आप जैसे पुलिस वालो को शोभा नहीं देता इंस्पेक्टर साहेब जब तक सबूत न हो आप किसी के भी मुजरिम नही बोल सकते है...
राजेश – हा जनता हू , मैं बस दोस्ती के नाते संध्या को सावधान करने आया था ताकि उस लड़के से दूर रहे कही ऐसा...
संध्या –(इतनी देर से राजेश की बकवास सुन गुस्से में) बस करो बहुत बोल दिया तुमने बिना जाने पहचाने किसी के बारे में जो मन में आया वो बोलते चले जाओगे तुम परेशानी क्या है तुम्हारी आखिर और मैने तुमसे एक मदद मांगी लेकिन तुम्हारा ध्यान कही और ही लगा हुआ है लगता है बहुत बड़ी गलती कर दी तुमसे मदद मांग के सोचा था दोस्त हो तुम तुम समझोगे मेरी तकलीफ को खेर जाने दो कोई जरूरत नहीं है मदद की मुझे तुम्हारी मैं खुद बात कर लूंगी इतनी पावर है मुझमें अभी भी तुम जाओ अपना काम करो...
बोल के संध्या , शनाया और चांदनी हवेली के अन्दर चले गए तभी पीछे से रमन चुप के इनकी सारी बाते सुन रहा था इन तीनों के जाने के बाद रमन अपनी जगह से निकल राजेश के पास आया...
रमन – (राजेश से) लगता है आज तुम्हे भी उस लौंडे की वजह से बात सुनने को मिली है संध्या से...
राजेश –(रमन को देख) हा ठाकुर साहब...
रमन –(मुस्कुरा के) ठाकुर साहब नही सिर्फ रमन बोलो मुझे...
राजेश – रमन आखिर उस लौंडे के लिए इतनी बाते क्यों सुना गई मुझे...
रमन – क्योंकि संध्या उस लौंडे को अपना बेटा अभय समझ रही ही...
राजेश –(बात सुन) क्या , ये क्या बकवास बोल रहे हो तुम मारा हुआ कैसे जिंदा हो सकता है...
रमन –यही बात संध्या को समझनी चाहिए लेकिन इसके दिमाग में कुछ बात जाय तो ना बस उस लौंडे के चक्कर में पगलाई हुई है हर और हर बार वो लौंडा इसके मू पर इसकी बेइज्जती कर के निकल जाता है और ये फिर से चली जाति है उसके पास समझ में नहीं आ रहा कैसे छुटकारा मिलेगा उस लौंडे से अगर तुम मदद कर सके छुटकारा दिलाने में तो मू मांगी कीमत दुगा मैं...
राजेश –(रमन की बात सुन के) अगर ऐसी बात है तो इस काम के लिए पैसा नही पार्टनर शिप चाहिए और काम होने के बाद संध्या चाहिए मुझे बस मंजूर है तुम्हे...
रमन –(मुस्कुरा के) ओह तो तुम संध्या के दीवाने हो और हो भी क्यों ना आइटम भी मस्त है ये फुरसत से बनाया है उपर वाले ने इसको...
राजेश – (मुस्कुरा के) सही समझे तुम...
रमन –ठीक है मुझे डील मंजूर है काम होने के बाद संध्या के साथ करते रहना मस्ती अपनी...
बोल के दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और राजेश निकल गया जीप लेके पुलिस थाने पीछे से...
रमन –(मन में –बड़ा आया पार्टनर शिप करने वाला मुझसे साला हरामी एक बार मेरा काम हो जाय उसके बाद तुझे अपने रास्ते से हटा दुगा हमेशा के लिए)
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जारी रहेगा
App ki bat sahi he lekin lekhak ke update bahut sust he kahani ka intrest hi khatam heBadhiya update bhai
1. To munim ranjit sinha ke pas ha or ye dono ek dusre ko jante han or ranjit ko bhi khandhar ke bare me pata ha inki baton se lag raha ha ki khandhar me pakka kuchh bahut kimti ha or jaise bata raha ha munim ki khandhar ki chabi sandhya ha to lagta ha ranjit sandhya ko pakdne ki koshish jarur karega or lagta ha ye ganv jayega jarur kher ek bat ha sab kam niptane ke bad ek dusre ko niptane ki soch rakhe han
2. Kher waise to abhay shankar se lagbhag sab ugalwa hi chuka ha to wo sidha shankar ko haweli le jakar raman ka bhanda kyon nahi fod deta jabki use apne pas rakha hua ha are kuchh bhi chalaki kar sakta ha shankar inke pith pichhe kher wo bat alag ha abhay isse do kadam age ki soch rakhta ha
3. Idhar rajesh matlab ki abhay se keh raha ki sandhya ko dilwa de uski madad se matlab ki bete se keh raha ha de diya jawab abhay ne ise kher ye rajesh sudharne walon me se nahi ha iska tagda band bajega tab samajh ayegi ise
4. Abhay se badla lene ke liye abhay ki purani file khol raha ha ye are bhai jo banda itnon ko tapka sakta ha wo ise tapkane me jara bhi time na lagaye pure thane wale abhay se dare hue han lekin iski akal pe to pathar pad gaya ha or ye pahunch gaya sandhya ke pas haweli me jahan bhi ise muki khani padi are itni beijjati ho chuki ha fir bhi sudharna nahi ha or ab to raman se bhi hath mila liya ha isne ek bt aa chuki ha iske dimag me ki abhay sandhya ka beta ha ya nahi kher raman to ise bhi double cross karne ke chakkar me ha
5. Lekin kya abhay munim ko dhund payega or dhundega bhi kaise ye dekhna dilchasp hoga kyonki bahut se raj munim janta ha jo kisi ko bhi nahi pata or baki sare raj sandhya janti ha dekhte han ki age kya hota ha waise to abhay sandhya se bhi sare raj puchh sakta ha lekin nafrat ki diwar usko roke hue ha
6. Or ek bat shanivar ki rat abhi tak nahi ayi kya jo shanaya milne nahi gayi abhay se ya abhay ka sandhya ka beta hone par sare arman thande ho gaye udhar bechara abhay kya kya soch ke betha hoga or sayra ne practice bhi karwa di ise or use to ye bhi nahi pata shanaya uski mosi ha
Nice updateUPDATE 36
एक आदमी कमरे में बेड में बेहोशी हालत में पड़ा हुआ था की तभी उसे होश आया होश में आते ही उसकी आंख खुली अपने आप को कमरे में अकेला पाया बेड से धीरे से उठने लगा तभी उसकी एक दर्द भरी आह निकल गई...
आदमी –(दर्द में) आहहह आआआईयईई ये मैं कहा पर हू...
तभी कमरे का दरवाजा खोल एक आदमी अन्दर आया अपने सामने आदमी को होश में आया देख बोला....
आदमी –कैसे हो मुनीम जी अब हालत कैसी है तुम्हारी...
तो ये आदमी कोई और नहीं हवेली का मुनीम था जिसका पैर अभय ने तोड़ा था लेकिन बीच में ही 2 आदमी मुनीम को लेके निकल गए थे कार से उस वक्त खेर अब आगे देखते है...
मुनीम –(अपने सामने आदमी को गौर से देख) तुम यहां पर तुम तो...
आदमी –(बीच में हस्ते हुए) पहचान गया तू इतनी जल्दी...
मुनीम – तुम्हे कैसे भूल सकता हू मै रंजित सिन्हा....
आप सब तो जानते होगे रंजीत सिन्हा को अगर याद नही तो बता देता हू रंजित सिन्हा कोई और नहीं शालिनी सिन्हा के पति और चांदनी सिंह के पिता जी है....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) बहुत खूब मुनीम जी अब कैसे हालात है तुम्हारी....
मुनीम – दर्द कम है अब पैर का लेकिन मुझे यहां पर लाया कॉन...
रंजीत सिन्हा – मेरे लोग लेके आए थे तुझे यहां पे तेरी हालत बड़ी खस्ता जैसे थी...
मुनीम – (गुस्से में) हा ये सब उस लौंडे का किया धरा है जानते हो वो कोई और नहीं बल्कि....
रंजित सिन्हा– (बीच में बात काटते हुए) ठाकुर अभय सिंह है संध्या ठाकुर का बेटा यही ना...
मुनीम – (हैरानी से) तुम्हे कैसे पता इस बात का...
रंजीत सिन्हा – (मुस्कुरा के) जब अभय यह से भागा था ना तब वो सीधा मेरी तरफ आया था अनजाने में मुलाकात हो गई हमारी फिर मुझे धीरे धीरे पता चल गया अभय की सच के बारे में तभी तो मैं यहां आता जाता रहता था इतने वक्त से....
मुनीम – (हैरानी से) अगर तुम जानते थे तो बताया क्यों नही तुमने पहले इस बारे में...
रंजित सिन्हा –तब मुझे नही पता था की अभय कभी वापस आएगा गांव में दोबारा सिर्फ अभय की वजह से ही मैं अपनी बेटी से दूर हो गया और अपनी बीवी से भी जाने कौन सा जादू कर दिया है उसने मुझे अपने ही घर से जलील होके निकलना पड़ा था....
मुनीम – वो वापस आगया है अब वो किसी को नहीं छोड़ेगा मैने देखा था उसकी आखों में नफरत और खून भरा पड़ा जाने मैं कैसे बच गया वरना मारने वाला था मुझे....
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अब तुझे कुछ नही होगा डरने की जरूरत नहीं है तुझे...
मुनीम – लेकिन करूगा भी क्या अब हवेली से निकाल जो दिया उस ठकुराइन ने मुझे जाने कौन सी वो मनहूस घड़ी थी जो मैने रमन की बात मान लौंडे को मारने के लिए आदमी लेके गया कॉलेज में और ये हाला हो गई मेरी....
रंजीत सिन्हा –(बात सुन के) बदला लेना चाहता है तू संध्या से....
मुनीम – तो चाहिए मुझे संध्या से भी और उस लौंडे से भी लेकिन कैसे इस हालत में...
रंजित सिन्हा – ज्यादा मत सोच बस कुछ खा पी ले और चलने लग 2 से 3 दिन में ठीक हो जाएगा (लाठी देते हुए) ये ले इसके सहारे चल अभी अगले महीने से तुझे इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी...
मुनीम – उससे पहले उस लौंडे का इससे बुरा हाल करना चाहता हू मै...
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अगर तू सच में ऐसा चाहता है तो एक काम करो होगा तुझे....
मुनीम – क्या काम करना होगा.....
रंजित सिन्हा –खंडर के बारे में क्या जनता है तू....
मुनीम –(चौक के) इस बात का खंडर से क्या मतलब है....
रंजित सिन्हा – मतलब तो बहुत बड़ा है मुनीम बस तुझे जो पता है वो बता दे बस....
मुनीम – (हस्ते हुए) अब समझ आया मुझे तुम क्या चाहते हो लेकिन उसके लिए संध्या ठाकुर की जरूरत पड़ेगी क्योंकि खंडर में जो कुछ भी है उसकी चाबी संध्या ठाकुर है उसके बिना कुछ भी नही होगा और मेरे बिना तुम तो क्या कोई भी जानकारी नहीं निकाल पाएगा संध्या ठाकुर से....
रंजित सिन्हा –अच्छा तो तू हमारा काम कर बदले में को मिलेगा आधा आधा बोल क्या बोलता है....
मुनीम – (खुश होके) मंजूर है मुझे लेकिन रमन का क्या....
रंजित सिन्हा – उसकी फिकर मत कर वो वैसे भी किसी काम का नही हमारे और ही हमारा कुछ बिगड़ पाएगा कुछ भी...
मुनीम –ठीक है अब ये बताओ ठकुराइन को कैसे लाओगे खंडर में...
रंजित सिन्हा –तू उसकी फिकर मत कर बस एक कॉल का इंतजार है मुझे उसके बाद जल्द ही संध्या हमारे पास होगी तब तक तू खा पी यहां पे सेहत सही होगी तो जल्दी ही ठीक होगा तू....
बोल के निकल गया रंजीत सिन्हा उसके जाते ही मुनीम खाने में टूट पड़ा खाते हुए मुनीम को देख...
रंजित सिन्हा –(मन में – एक बार काम हो जाय ये उसके बाद यही तेरी कब्र बना दुगा मुनीम कोई नही जान पाएगा तू यहां कभी आया भी था)....
इनसे कुछ दूर हवेली में संध्या आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसे उसकी बहन मिल गई थी साथ ही संध्या खाने की टेबल में शनाया के साथ आके खाने के वक्त हवेली में सबको ये बात बता दी जिसके बाद किसी ने कुछ भी जाड़ा नही बोला बस नॉर्मल बात हुई और चले गए कमरे में आराम करने शनाया आज संध्या के कमरे में बेड में लेती थी....
शनाया –(संध्या से) तू बिल्कुल पहले की तरह आज भी बहुत खूबसूरत है ऐसा लगता है उमर वही की वही रुक गई हो तेरी....
संध्या –(मुस्कुरा के) मेरी छोड़ तू अपनी देख पहले बिल्कुल हेल्थी थी और अब देख ऐसा लगता है आसमान से परी उतार आई हो , अभय तो तुझे फिट कर दिया पूरा...
अभय का नाम सुन शनाया के चेहरे की हसी जैसे थम सी गई....
शनाया – संध्या अभय तेरा बेटा है तो वो हॉस्टल में कैसे आया और उसने कभी बताया क्यों नहीं तेरे बारे में जब मैने पूछा था तो शालिनी सिन्हा का बताया मुझे आखिर ऐसा क्यों संध्या क्या बात है....
संध्या –(सवाल सुन बेड से उठ के बैठ सीरियस होके अपनी आप बीती सुनाने लगी जिसके बाद) और शायद उस रात उसने देखा था इसीलिए पहली मुलाकात में ही उसने बदचलन बोल दिया मुझे मैं समझ गई इसका मतलब जरूर उसने देखा है...
बोल के रोने लगी संध्या उसके कंधे पे हाथ रख....
शनाया –तो तूने बताया क्यों नहीं उसे सच....
संध्या – वो कुछ भी सुनने को तयार नही है शनाया जब भी मिलता तो अपने शब्दो की छूरी मुझे चला के निकल जाता लेकिन अभी ना जाने कैसे उसने तना देना बंद कर दिया अच्छे से बात करने लगा था लेकिन फिर उस रात को....
शनाया – (बात ध्यान में आते ही) हा संध्या उस रात खाने पे आया था तो क्या हुआ था उस रात में....
संध्या –(उस रात की बात बता के) उसके बाद वो भी चला गया मुझसे नाराज़ होके अब तू बता मैं क्या करू....
शनाया –(अपने मन में – मैं क्या बताऊं तुझे इस बारे में संध्या जाने किस्मत कहा ले आई मुझे जिससे प्यार किया वो धोखा दे के भाग गया प्यार ना करने की कसम खाई लेकिन प्यार हुआ भी उससे जिसने जीना सिखाया मुझे और आज पता चला वो मेरा ही भांजा है अब कैसे फेस करूगी अभय को क्या बोलूगी उसे)....
संध्या –(शनाया को सोच में डूबा देख उसके कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ तुझे किस सोच में डूबी है....
शनाया –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ नही सोच रही हू किस्मत भी कितने अजीब खेल खेलती है इंसान के साथ....
संध्या –हा जो किस्मत में लिखा होता है वही होता है अब न जाने मेरी किस्मत में क्या लिखा है....
सही भी है न जाने किसकी किस्मत में क्या लिखा है जैसे इस तरफ रमन है जो लगा हुआ है कौल पे कौल मिलाए जा रहा है शंकर को लेकिन हर बार मोबाइल बंद बता रहा है अब उसे क्या पता की शंकर तो गांव के बाहर निकल ही नही पाया है अभी तक....
रमन – (मन में –ये साला शंकर भी कहा मर गया है न खुद कौल कर रहा है ना ही पता साले का कही पुलिस ने पकड़ लिया ऐसा होता तो कब का मुझ तक पहुंच जाति पुलिस ना जाने कौन से बिल में छुपा बैठा है ये)....
जबकि हॉस्टल में जब अभय जानकारी ले रहा था शंकर से तभी सायरा ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...
सायरा –(अभय के कंधे पे हाथ रख) इसे एक बार मेरे हवाले कर दो अभय उसके बाद तुम्हे हर बार टॉचर करने की जरूरत नही पड़ेगी एक बार में ही बोलने लगेगा सब कुछ....
सायरा के मू से अभय का नाम सुन शंकर की आंखे बड़ी हो गई तुरंत बोला....
शंकर –(हैरानी से) तुम अभय ठाकुर हो....
अभय –(मुस्कुरा के) हा मैं ही ठाकुर अभय सिंह हू जिसे तुम लोगो ने मारा हुआ साबित कर दिया था दस साल पहले....
शंकर – म...म...मुझे माफ कर दो अभय बाबू मैने सच में कुछ नही किया है सब रमन के कहने पर करता था मैं उसी ने मुझे गांव का सरपंच बनवाया था ताकि गांव में जो भी हो रमन के हिसाब से हो....
अभय –(शंकर की बात सुन) एक बात तो बता जब तक तू जानता नही था की मैं अभय हू तब टाउचर करने पे बताता था बात अब जान गया मैं अभय हू तो बिना टॉचर के बता रहा है बात मुझे क्यों भला...
शंकर – अभय बाबू भले मैं कैसा भी सही लेकिन मैं भी इंसान ही हू गांव वालो की परेशानी रोज सुनता लेकिन मैं क्या करता मै जानता था अगर ठकुराइन के पास गया तो रमन मुझे नही छोड़ेगा और नही गया तो गांव वाले परेशान हो जाएंगे इसीलिए रमन को गांव वालो का दुख दर्द बया करता था लेकिन वो उल्टा उनका ही बुरा करने में लगा रहता था और मैं चाह के भी कुछ नही कर पाता था आप खुद सोचो सरपंच मैं सिर्फ नाम का लेकिन हुकुम सिर्फ रमन का चलता था घर बीवी बच्चा मेरा सिर्फ नाम का लेकिन हक सिर्फ रमन का उनपर...
शंकर की बात सुन अभय और सायरा एक दूसरे को देखने लगे जिसके बाद अभय उठ के शंकर के पास जा के....
अभय –(जंजीर खोल के) तुम जाना चाहते हो ना यहां से ठीक है जाओ लेकिन तुम यहां से जिंदा नही जा पाओगे....
शंकर –(अभय को बात सुन हैरानी से) क्या मतलब....
अभय – मतलब ये सरपंच चाचा जितना तुमने बताया अगर वो सब सच है तो खुद सोचो जो इतने वक्त से हवेली में रह के अपनी ही भाभी से प्यार करके उसको ही फसाने में पीछे नहीं हटा गांव में नदी किनारे खुद ड्रग्स का काम करता है और चेक नाका पार करने के लिए कामरान का इस्तमाल किया जोकि मर चुका है और खंडर के पास अड्डा बना के माल को वही छुपाना लेकिन पहरेदारी तुमसे करवाना दोनो सुर्तो में रमन सामने नही आता है किसी के भी ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है की वो तुम्हे भी ना फसाए क्योंकि मुझे मारने के लिए भी उसने तुम्हे कहा था खुद उसने कुछ नहीं किया तुम्ही ने कौल करके गुंडे से बात की थी ना अब तक तो पुलिस पता चल गया होगा गुंडों की डिटेल और उस डिटेल से पुलिस को तुम तक आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा , खेर अब तुम आजाद हो चाचा जो भी हो बाहर देख लेना तुम खुद ही (सायरा से) चलो सायरा चलते है आराम करने हम....
अभय की बात सुन सायरा कुछ बोलती तभी अभय ने सायरा को आंख मार दी जिसे समझ सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर लेकिन अभय कही इस बात से शंकर के दिमाग को हिला के रख दिया था....
शंकर –(मन में – क्या सोच रहा है शंकर इतना कुछ तेरे सामने होता आया है आज तक उसके बाद तुझे क्या लगता है रमन किसी का सगा हो सकता है क्या कभी नही अरे जो अपने बाप और भाई का सगा नही हुआ वो भला किसी और का क्या सगा होगा अपने आप को बचाने के लिए रमन किसी भी हद तक जा सकता है फिर चाहे तुझे पुलिस में फसाके हो या तुझे मरवा के लेकिन अब क्या करू मैं क्या अभय बाबू मदद करेंगे मेरी) अभय बाबू मुझे बचा लो बदले में जो बोलोगे मैं वही करूगा...
सायरा और अभय जो कमरे से जा रहे थे शंकर की बात सुन के रुक एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुरा के पलट के....
अभय –(नाटक करते हुए) लेकिन चाचा अब मैं क्या कर सकता हू मुझपे हमाल हुआ था वहा पर मुझे मोबाइल मिला और उसमे तुम्हारा नंबर इसीलिए तुम्हे यहां ले आया पता करने लेकिन आज तुम्हारी बात सुन के लगा तुमने जो किया मजबूरी में किया इसीलिए मैंने तुम्हे छोड़ने का सोच के जंजीर खोल दी तुम्हारी...
शंकर – आप तो अभय ठाकुर हो आप कुछ भी कर सकते हो बस मुझे बचा लो इस झमेले से अभय बाबू बदले में जो बोलो मैं करने को तयार हू...
अभय – क्या करोगे मेरे लिए कुछ बचा है बताने को अब तुम्हारे पास....
अभय की बात सुन शंकर का मू उतर गया जिसे देख एक पल के लिए सायरा और अभय के चेहरे पे हल्की सी विजय मुस्कान आ गई जिसके बाद.....
अभय –ठीक है तुम्हे कुछ नही होगा लकी उसके लिए तुम्हे यही पर रहना होगा चुपचाप खाना पीना सब मिलेगा तुम्हे यहां पर बस जब तक मैं न बोलूं बाहर मत निकालना अगर निकले तो मेरी जिम्मेदारी उसी वक्त खत्म हो जाएगी...
शंकर – मुझे मंजूर है..…
अभय – ठीक है तुम आराम करो...
बोल के सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर आते ही दोनो हसने लगे धीरे से....
सायरा – क्या तो उल्लू बनाया तुमने उसे बेचारे का चेहरा देखने लायक था उसका....
अभय –(बेड में लेट के)शक की सुई बार बार मुनीम पे आके रुक जा रही है आखिर कहा जा सकता है ये मुनीम....
सायरा –मुनीम या तो हवेली में होता या रमन के साथ लेकिन अभी उसका कोई पता नही जाने कहा चला गया होगा....
अभय –(कुछ सोचते हुए) टांग तोड़ी थी मैंने उसकी ओर टूटी टांग के साथ एक अकेला कहा जा सकता है कोई...
सायरा – अस्पताल के सिवा कहा जाएगा....
अभय –(बेड से उठ के) मैं पता करके आता हू अस्पताल में....
सायरा –(अभय को रोक के) रमन पता लगाने में लगा हुआ था उसे तक पता नही चला और तुम्हे लगता है तुम पता लगा लोगे उसका....
अभय –(सायरा की बात सुन कुछ सोच के किसी को कौल मिलता है) हेलो क्या कर रहा है....
राजू – घर में आराम और क्या...
अभय – एक काम है तेरे से....
राजू – हा बता भाई....
अभय – मुनीम का पता लगाना है कैसे पता लगाऊं कुछ मदद कर....
राजू – (कुछ सोच के) अच्छा थोड़ा वक्त दे शाम तक बताता हू जैसे कुछ पता चलता है मुझे....
अभय – ठीक है शाम को मिलता हू मै...
बोल के कौल कट कर दिया जिसे देख सायरा बोली...
सायरा – रमन ठाकुर जो ना कर पाया तुम्हारा दोस्त कर सकता है क्या ये सब....
अभय – (मुस्कुरा के) कुछ ना सही से कुछ सही कम से कम कोई तो बात पता चलेगी देखते है क्या पता चलता है राजू को....
शाम होते ही अभय हॉस्टल से निकल के टहलते हुए जा रहा था दोस्तो के पास तभी रास्ते में पुलिस जीप निकल रही थी जिसमे राजेश बैठा था और उसकी नज़र अभय पर पड़ी जीप को अभय के पास रोक के....
राजेश –कैसे हो अभी....
अभय –(राजेश को सामने देख) अच्छा हू....
राजेश –कही जा रहे हो तो छोड़ दू मैं....
अभय – नहीं शाम को अक्सर पैदल टहलने की आदत है मेरी....
राजेश –ओह मैने सोचा उस दिन तो सही से बात नही हो पाई थी तुम्हे देखा सोचा आज बात कर लेते है....
अभय –अब मुझसे क्या बात करनी है आपको वैसे भी हवेली में ठकुराइन आपकी दोस्त है ना की मैं....
राजेश –(मुस्कुरा के) अरे मैं सिर्फ नॉर्मल बात करना चाहता था तुमसे खेर (चारो तरफ नजर घुमा के जहा इन दोनो के सिवा कोई नही था) देखो अभी मैं जानता हूं तुम DIG के बेटे हो गांव में आते ही तुमने काफी कांड किए है यहां तक तुमने कई लोगो को मारा भी है लेकिन मेरा उनसे कोई मतलब नहीं है मैं ये भी जानता हू तुम्हे दौलत और पैसों से मतलब है इसीलिए तुमने उसदीन हवेली से वो गोल्ड फ्रेम चुराया था ना देखो इन छोटी मोटी चोरी से कुछ नही मिलने वाला है मेरा साथ दो तुम लंबा हाथ मारेगे मिल के हम....
अभय –(राजेश की बात गौर से सुन आंख सिकुड़ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
राजेश –उस दिन संध्या ने तुम्हे जिस तरह से बचाया मैं तभी समझ गया था तुम उनलोगो के मेहमान जरूर हो लेकिन काफी खास हो तो अगर तुम संध्या तक पहुंचने में मदद कर दो मेरी बदले में मैं तुम्हे माला मॉल कर दुगा (हाथ मिलाने को अपना हाथ आगे बड़ा के) डील....
अभय –(मुस्कुरा के हाथ मिला के) ये दुनिया बड़ी हरामजादी है इंस्पेक्टर साहेब और तुम तो एक नंबर के मादरचोद....
बोल के राजेश को तुरंत पास की झाड़ियों में धक्का दे दिया जिससे राजेश डिसबैलेंस होके गिरा जहा झाड़ियों के साथ कीचड़ पड़ा हुआ था जिस कारण पूरे कड़पे कीचड़ में सन गए राजेश के जिसे देख अभय बोला....
अभय –जो तेरे दिमाग में है वही अब तेरे कपड़ों में दिख रहा है राजेश तुझ से पहले कामरान ने भी अपनी अकड़ दिखाई थी मुझे लॉकअप में बंद करके सिर्फ एक फोन आने से दुनिया पलट गई थी उसकी अच्छा रहेगा दोबारा मेरा रास्ता रोकने की सोचना भी मत समझा....
बोल के अभय निकल गया वहा से पीछे से राजेश गुस्से में....
राजेश –(गुस्से में) बहुत भारी पड़ेगा तुझे अभी गलत इंसान के गिरेबान में हाथ डाला है तूने....
गुस्से में राजेश तुरंत निकल गया थाने की तरफ वहा आते ही....
हवलदार –(थानेदार की हालत देख) साहेब ये क्या हो गया आपको....
राजेश –(गुस्से में हवलदार से) चुप चाप अपना काम कर समझा और जाके वो फाइल निकाल तूने बताया था ना गांव के बाहर कही पर कतल हुआ था कई लोगो का उसकी पूरी जानकारी चाहिए मुझे तब तक मैं कपड़े बदल के आता हू....
बोल के राजेश कमरे की तरफ निकल गया कपड़े बदलने पीछे से हवलदार अपने साथियों से....
हवलदार – लगता है थानेदार उसी लौंडे से भिड़ के आ रहे है...
दूसरा हवलदार – लगता है इसका भी वही हाल होगा जो कामरान का हुआ था तब समझ आएगा इसे भी....
बोल के फाइल डूडने लगे अलमारी से हवलदार राजेश के आते ही फाइल टेबल में रख दी हवलदार ने जिसे राजेश चेक करने लगा....
राजेश –(हवलदारों से) चलने की तयारी करो मुझे छानबीन करनी है उसी जगह...
बोल के राजेश जीप से निकल गया इस तरफ अभय की मुलाकात हुई राजू से जहा पे राज और लल्ला भी साथ बैठ बाते कर रहे थे अभय ने शंकर की बताई सारी बात दी...
राजू – मैंने पता लगाया मुनीम का जिस दिन टांग टूटी उसकी उसको अस्पताल ले जाया गया था उसके बाद से उसका कुछ पता नही है और जिनके साथ गया था अस्पताल वो गांव के नही थे कोई कार थी जिसमे गए थे वो लोग वो कार दिखी नही कही अभी तक....
अभय –(बात सुन के) यार ये हो क्या रहा है साला मेरा दिल बोल रहा है मैं सच के करीब हू लेकिन....
राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) परेशान मत हो मेरे भाई पता चल जाएगा मुनीम का भी जाएगा कहा वो आएगा तो गांव में ही....
अभय –चल छोड़ यार ये बता एग्जाम की तयारी कैसी चल रहे है सबकी....
लल्ला – मेरी तो मस्त चल रही है भाई....
राज –(बात सुन के) अच्छा तो जरा ये बता कब मिला रहा है निधि से...
लल्ला –यार अभी एग्जाम निपट जाय फिर अभी वो निकल नही रही है हा एली से एग्जाम के चक्कर में....
राजू –(हस्ते हुए) हा बेटा इसीलिए तू एग्जाम की तयारी पहले से कर के बैठा है ताकि फोन पे रोज बात होती रहे क्यों बे....
लल्ला – (बात सुन के) हा हा जैसे तू तो मोबाइल में सिर्फ COD खेलता रहता है....
राज –(दोनो की बात सुन के) तुम दोनो सालो और कोई काम धाम है नही दोनो के पास जब देखो मोबाइल में लगे रहते हो कभी गेम में कभी बात करने में सुधार जाओ बे....
अभय –(राज की बात सुन के) अबे हर किसी की किस्मत तेरे जैसी कहा होती है बे...
राज –क्या मतलब है बे....
अभय – तू अपना देख पहले रोज कॉलेज के बाद गायब ऐसे हो जाता है जैसे कॉलेज आया ही ना हो तुरंत निकल के चला जाता है दीदी के पास काम के बहाने और इन दोनो को बोल रहा है....
राज – वो इसीलिए क्योंकि ठकुराइन का हुकुम है चांदनी को कम सिखाने का समझा....
अभय – हा हा समझ गया बड़ा आया ठकुराइन का चमचा....
राज –(राजू और लल्ला से) लगता है कही जलने की बदबू आ रही है...
अभय –(राज की बात सुन के) क्या बोला बे तेरी तो...
बोल के राज भाग साथ में अभय भी भागा राज के पीछे साथ में राजू लल्ला भागने लगे हस्ते हुए मस्ती से भरी इनकी शाम गुजर गई सब अपने अपने घर निकल आए और अभय हॉस्टल में जबकि इस तरफ राजेश फॉर्महाउस में डूडने में लगा हुआ था कुछ जो उसे मिल नही रहा था रात होने को थी लेकिन राजेश पर जैसे एक जुनून सवार था थक हार कर गुस्से में....
राजेश –(हवलदारों से) सोचा था एक सबूत अगर मिल जाता तो उस लौंडे के लंका लगा देता मै लेकिन यहां तो जैसे कुछ है ही नही...
हवलदार –साहेब हमने और कामरान ने सबूत डुंडे थे लेकिन हम भी कुछ नही मिला था तब यहां पे ऐसे लगता था जैसे सारे सबूत साफ किया गए हो....
राजेश –आखिर कॉन हो सकता है जो इतनी चालाकी से सारे सबूत साफ कर सकता है....
हवलदार – साहेब पक्का तो नही लेकिन मुझे तो लगता है वो लौंडा जो खुद को DIG का बेटा बता रहा था जरूर उसी ने किया होगा क्योंकि उसी ने बोला था वो आया था यहां पे....
राजेश –(हवलदार की बात सुन के) एक काम करो चलो जरा हवेली मिले आते है संध्या से.....
बोल के राजेश जीप से निकल गया हवेली की तरफ जहा पर आज शाम से ही शनाया किसी गहरी सोच में डूबी थी जिसे वो अपनी बहन संध्या को भी दिखा नही रही थी और ना ही हवेली में किसी को जबकि संध्या बहुत खुश लग रही थी अपनी बहन के मिलने से बाकी हवेली में रोज की दिनचर्या जैसा चलती है वैसे ही चल रही थी इधर शाम के वक्त संध्या गार्डन में अपनी बहन के साथ टहलते हुए....
संध्या –(शनाया से) क्या बात है शनाया काफी देर से देख रही हू तू खोई खोई सी लग रही है क्या बात है बता मुझे....
शनाया –कुछ नही संध्या बस बार बार एक ही बात दिमाग में चल रही है मेरे अगर अभय के दिल में तेरे लिए क्या सच में नफरत है अगर है तो क्यों आया गांव में वो जबकि वो जनता था यहां आने पर तेरे से सामना होगा उसका फिर भी...
संध्या – (हल्का हस के) सामना तो हुआ था उसके आते ही तुरंत मेरे से पल भर में उसने मेरी जिदंगी को हिला डाला ये बोल के की उसका किया मजाक अक्सर सच हो जाता है....
शनाया – अच्छा ऐसा क्या बोल दिया उसने....
संध्या –(मुस्कुरा के) यही की मै नकल कर के पास हुई थी वो भी अपने पति की कॉपी से....
शनाया –(बात सुन हस्ते हुए) सच में उसे पता है ये बात कैसे....
संध्या – हा उसे पता है शनाया अक्सर ये (मनन ठाकुर) अभय के पास बैठ के बाते किया करते थे उसे बताते थे हमारे कॉलेज के बारे में अपने बचपन के बारे में कैसे उनके 12 साल की उमर में गांव में बाड़ आई फिर क्या किया था उन्होंने मेरी तारीफ करना बस इस तरह की बात अक्सर किया करते थे वो अभय से और फिर धीरे धीरे उनकी तबियत खराब होने लगी थी उस वक्त अभय और मैं ज्यादा तर साथ में रहते थे इनके (मनन ठाकुर) के पास धीरे धीरे तबियत बिगड़ती गई उनकी ओर फिर एक दिन मैं और अभय रात में इनके (मनन ठाकुर) के पास सोए थे लेकिन अगली सुबह जब अभय उठा रहा था इनको (मनन ठाकुर) बाबा पुकार ते हुए लेकिन ये (मनन ठाकुर) जागे ही नहीं सो गए गहरी नीद में जब ये (मनन ठाकुर) नही उठे तभी अभय इनके सीने पे सर रख रोता रहा....
बोलते बोलते संध्या के आखों से आसू निकल आए जिसे देख शनाया ने अपने हाथ से संध्या के आसू पोंछ....
शनाया – (आसू पोंछ के) चुप कर यू रो के अपने आप को तकलीफ मत दे और इस समय अभय के बारे में सोच कैसे उसकी नफरत कम की जाए....
संध्या –इसी कोशिश में लगी हू कैसे उसकी नफरत कम करू इसमें चांदनी ने भी बहुत कोशिश की लेकिन उसदीन के बाद से ऐसा लगता है सारे किए धरे में पानी फिर गया शनाया मैने उसकी आंख में आसू देखा था उस दिन उसके कैसे यकीन दिलाऊं मैं उसे वो सच नही था...
शनाया – तू फिकर मत कर मैं बात करूगी मैं बताऊंगी सच उसे...
संध्या –नही शनाया तू मत बताना उसे कुछ भी मैने ये सोचा भी नही अगर उसे पता चला तू मेरी बहन है तो कही वो इसका मतलब भी गलत ना निकाल ले तू प्लीज उसे कुछ मत बताना अपने बारे में....
शनाया – ठीक हू तू बोलती है तो मैं कुछ नही बोलूगी उसे...
चांदनी – (दोनोंकी बात सुन बीच में आके) क्या बात हो रही हुई मौसी किसे कुछ न बताने की बात हो रही है...
शनाया – अभय को मेरे बारे में कुछ न बताए जाय...
चांदनी –(बात सुन के) हा बात तो सही है फिलहाल तो एग्जाम नजदीक आ गए है सबके तब तक के लिए आप दोनो अभय की फिकर मत करिए उसके एग्जाम निपट जाए फिर बात करते है इस बारे में...
काफी देर तक बात चलती रही तीनों की चलते हुए हवेली में जाने लगे तीनों तभी हवेली के गेट से पुलिस जीप अन्दर आने लगी जिसे दिल तीनों रुक गए तभी जीप से राजेश निकल के तीनों के पास आने लगा...
राजेश –(तीनों के सामने आके संध्या से) मुझे तुमसे अकेले में कुछ बता करनी है संध्या...
संध्या –(बात सुन) कोई बात नही इनके सामने बोल सकते हो जो भी बात है...
राजेश – उस दिन जब मैं हवेली आया था तब वो लड़का अभी नाम का वो किस लिए आया था हवेली में...
संध्या –(राजेश के मू से अभय की बात सुन आंख सिकुड़ के) तुम कहना क्या चाहते हो आखिर....
राजेश – देखो संध्या मैं बात घूमा फिरा के नही बोलूगा कुछ भी लेकिन वो लड़का कुछ ठीक नहीं है....
अभय के लिए बात सुन संध्या और शनाया कुछ बोलने को हुई थी की चांदनी ने बीच में ही दोनो के कंधो में हाथ रख बीच में बोल पड़ी...
चांदनी –(बीच में) इंस्पेक्टर आपको जो बात बोलनी है खुल के बोलिए जरा समझ में आए आखिर कहना क्या चाहते है आप....
राजेश – देखो संध्या मेरी दोस्त है इसीलिए बता रहा हू वो लड़का DIG का बेटा है और यहां पर पड़ी करने आया है लेकिन मुझे जहा तक लगता है उसका मकसद पढ़ाई नही कुछ और है शायद आपको पता नही लेकिन उसके आने के बाद गांव के 16 km दूर जंगल के बीच एक फार्म हाउस में करीबन 60 से 70 लोगो की लाशे मिली थी और लॉकअप में उस लड़के ने ये बात कबूल की है कामरान और हवलदारों के सामने...
चांदनी – (इंस्पेक्टर की बात सुन) अच्छा बड़ी अजीब बात है एक अकेला लड़का 18 साल का जो यहां पढ़ाई करने आया है वो 60 से 70 लोगो को मारेगा अकेला काफी दिलचस्प बात कही है आपने वैसे आपने जो अभी बात बताई इसका कोई सबूत है क्या आपके पास...
राजेश –(चांदनी की सबूत वाली बात सुन आंख चुराते हुए) वो...वो....मेरे पास कोई सबूत नहीं है लेकिन कोशिश कर रहा हू सबूत डूडने की मिलते ही इस लड़के को जेल में बंद करके सब कुछ उगलवा लुगा मैं एक सबूत मिल जाय बस...
चांदनी – बिना सबूत के किसी पे इल्जाम लगाना आप जैसे पुलिस वालो को शोभा नहीं देता इंस्पेक्टर साहेब जब तक सबूत न हो आप किसी के भी मुजरिम नही बोल सकते है...
राजेश – हा जनता हू , मैं बस दोस्ती के नाते संध्या को सावधान करने आया था ताकि उस लड़के से दूर रहे कही ऐसा...
संध्या –(इतनी देर से राजेश की बकवास सुन गुस्से में) बस करो बहुत बोल दिया तुमने बिना जाने पहचाने किसी के बारे में जो मन में आया वो बोलते चले जाओगे तुम परेशानी क्या है तुम्हारी आखिर और मैने तुमसे एक मदद मांगी लेकिन तुम्हारा ध्यान कही और ही लगा हुआ है लगता है बहुत बड़ी गलती कर दी तुमसे मदद मांग के सोचा था दोस्त हो तुम तुम समझोगे मेरी तकलीफ को खेर जाने दो कोई जरूरत नहीं है मदद की मुझे तुम्हारी मैं खुद बात कर लूंगी इतनी पावर है मुझमें अभी भी तुम जाओ अपना काम करो...
बोल के संध्या , शनाया और चांदनी हवेली के अन्दर चले गए तभी पीछे से रमन चुप के इनकी सारी बाते सुन रहा था इन तीनों के जाने के बाद रमन अपनी जगह से निकल राजेश के पास आया...
रमन – (राजेश से) लगता है आज तुम्हे भी उस लौंडे की वजह से बात सुनने को मिली है संध्या से...
राजेश –(रमन को देख) हा ठाकुर साहब...
रमन –(मुस्कुरा के) ठाकुर साहब नही सिर्फ रमन बोलो मुझे...
राजेश – रमन आखिर उस लौंडे के लिए इतनी बाते क्यों सुना गई मुझे...
रमन – क्योंकि संध्या उस लौंडे को अपना बेटा अभय समझ रही ही...
राजेश –(बात सुन) क्या , ये क्या बकवास बोल रहे हो तुम मारा हुआ कैसे जिंदा हो सकता है...
रमन –यही बात संध्या को समझनी चाहिए लेकिन इसके दिमाग में कुछ बात जाय तो ना बस उस लौंडे के चक्कर में पगलाई हुई है हर और हर बार वो लौंडा इसके मू पर इसकी बेइज्जती कर के निकल जाता है और ये फिर से चली जाति है उसके पास समझ में नहीं आ रहा कैसे छुटकारा मिलेगा उस लौंडे से अगर तुम मदद कर सके छुटकारा दिलाने में तो मू मांगी कीमत दुगा मैं...
राजेश –(रमन की बात सुन के) अगर ऐसी बात है तो इस काम के लिए पैसा नही पार्टनर शिप चाहिए और काम होने के बाद संध्या चाहिए मुझे बस मंजूर है तुम्हे...
रमन –(मुस्कुरा के) ओह तो तुम संध्या के दीवाने हो और हो भी क्यों ना आइटम भी मस्त है ये फुरसत से बनाया है उपर वाले ने इसको...
राजेश – (मुस्कुरा के) सही समझे तुम...
रमन –ठीक है मुझे डील मंजूर है काम होने के बाद संध्या के साथ करते रहना मस्ती अपनी...
बोल के दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और राजेश निकल गया जीप लेके पुलिस थाने पीछे से...
रमन –(मन में –बड़ा आया पार्टनर शिप करने वाला मुझसे साला हरामी एक बार मेरा काम हो जाय उसके बाद तुझे अपने रास्ते से हटा दुगा हमेशा के लिए)
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जारी रहेगा
Man I was speculating the bitch who was talking to her dick and asking him to spare abhay and do whatever they want to with sandhya was this shanaya who might be sister of sandhya and also wanted her bastard son to be the master of the mansion and this episode proves rightUPDATE 35
सवेरा हुआ जहा एक तरफ रात की कड़ी मेहनत के बाद अभय और सायरा बाहों में बाहें डाले गहरी नीद में सो रहे थे वही हमारे राज बाबू , राजू और लल्ला सुबह 5 बजे अखाड़े आ गए और अभय के आने का इंतजार कर रहे थे मोबाइल से कौल पर कौल किए जा रहे थे अब उन्हें क्या पता की अभय बाबू ने पहली बार रात में काफी मेहनत की साथ में 1 घंटे तक शंकर की क्लास लगाई ऐसे में नीद कैसे खुले किसी की खेर इसका हर्जाना भुगतना पड़ा बेचारे राज , राजू और लल्ला को क्योंकि सत्या बाबू ने शुरुवात में इतनी मेहनत (कसरत) करवा दी तीनों से बेचारे घर में आके पलग में इस तरह पड़े जैसे मरने के बाद शरीर सुन पड़ जाता है....
इस तरफ अभय उठ के सोती हुई सायरा को देख मुस्कुरा के तयार होके नाश्ता बना दिया....
अभय –(सायरा को जगाते हुए) उठो सायरा देखो सुबह कब की हो गई है...
सायरा –(उठाते हुए) आहहहहह...
अभय –(दर्द वाली आवाज सुन सायरा से) क्या हुआ सायरा...
सायरा –(अभय को देख मू बना के) एक तो इतना दर्द देते हो फिर पूछते हो क्या हुआ....
अभय –(अंजान) मैने क्या किया यार...
सायरा –(मुस्कुरा के) कल रात को किया उसके लिए बोल रही हू...
अभय –(बात न समझ के) लेकिन रात का दर्द अभी क्यों....
सायरा –(मुस्कुरा के) बुद्धू के बुद्धू रहोगे तुम दर्द होता है पहली बार में....
अभय –पहली बार में लेकिन तुम तो....
सायरा –(अपने सिर में हाथ रख के) अरे मेरे भोले बालम काफी वक्त के बाद किया है सेक्स मैंने इसीलिए दर्द होता है जैसे पहली बार में होता है अब ये मत पूछना क्यों , क्योंकि हर लड़की को पहली बार में दर्द होता है समझे अब ज्यादा बक बक मत करो मैं नाश्ता बना देती हू तब तक...
अभय –(कंधे पे हाथ रख के) तुम परेशान मत हो सायरा आराम करो नाश्ता मैने बना दिया है नाश्ता कर के आराम करो दिन में मिलता हू मै...
बोल के बिना बात सुने सायरा की निकल गया कॉलेज...
सायरा –(मुस्कुरा के) पागल कही का....
कॉलेज जहा पर सब दोस्त इंतजार कर रहे थे अभय का कॉलेज में जाते ही मुलाकात हुई सबकी जहा तीनों सिर्फ अभय को घूर के देख रहे थे....
अभय –(तीनों को देख के) क्या बात है कल रात में खाना नही खाया है क्या बे तीनों इस तरह घुर रहे हो मुझे जैसे कच्छा चबा जाओगे....
राज –(गुस्से में) सुबह कहा था बे तू जानता है तेरी वजह से क्या हुआ हमारे साथ...
अभय –(बात याद आते ही) अरे हा माफ करना यार नीद नही खुली मेरी आज सुबह....
राजू – कमिने तेरी नीद नही खुली लेकिन तेरे चक्कर में हमारी लंका लग गई अबे अभी तक कमर दर्द कर रही है यार.....
लल्ला – हा और नही तो क्या काका ने आज सुबह सुबह जो उठक बैठा कराई है कमर की मां बहन एक हो गई बे सिर्फ तेरे चक्कर में....
अभय –(हल्का हस के) अबे तो एक्सरसाइज किया करो बे देखा एक्सरसाइज ना करने का नतीजा....
राज –(गुस्से में) ज्यादा ज्ञान मत दे बे ये बता आया क्यों नही बे सुबह....
अभय –अरे यार वो कल रात सायरा....(बात बदल के) मेरा मतलब 2:30 बजे शंकर चिल्ला रहा था तभी...
राजू और लल्ला –(बीच में) शंकर कहा से आ गया बे बीच में अब....
राज –(राजू और लल्ला को कल की बात बता के) समझा ये बात है किसी को पता ना चले बस (अभय से) हा फिर क्या हुआ....
अभय –चिल्ला रहा था जोर जोर से मेरी नीद खुल गई उसके पास गया (जो बताया सब बता के) बस इसलिए सुबह नीद नही खुली मेरी यार....
राज –(चौक के) अबे ये तो बहुत बड़ा वाला निकला रमन साला गांव में किसी को पता तक नहीं है अभय अगर कल को ऐसा कुछ हुआ तो जो नदी किनारे काम करते है गांव वाले वो बिना बात के फस जायेगे इस लफड़े में यार....
अभय –यही बात कल रात मेरे दिमाग में भी आई थी यार....
राजू – अभय तू कुछ करता क्यों नही है बे...
लल्ला – हा यार अभय तू चाहे तो कर सकता है सब कुछ...
अभय –(बात सुन के) क्या मतलब है तेरा....
राजू –अबे तू जाके बात कर ना ठकुराइन से इस बारे में....
राज –(अपने सिर में हाथ रख के) सालो गधे के गधे रहोगे दोनो के दोनो...
लल्ला – क्या मतलब है बे...
राज – अबे तुम बोल तो ऐसे रहे हो जैसे अभय हवेली जाके ठकुराइन से बात करेगा और वो मान जाएगी अबे जरा सोचो इतने वक्त में जब गांव वाले नही जान पाए तो ठकुराइन को क्या खाक पता होगा वैसे भी सुना नही क्या बताया अभय ने रमन ने कॉलेज बनानी वाली जमीन में क्या करने का सोचा था और डिग्री कॉलेज की रजिस्ट्री भी अभय के नाम से है ये भी नही पता ठकुराइन को अभय कुछ नही कर पाएगा जब तक सुबूत हाथ में ना हो...
राजू – अबे पगला गया हैं तू क्या सबूत है न शंकर इसके पास है ले चलते है उसको ठकुराइन के पास...
अभय – (बीच में) नही अभी नही अभी और भी जानकारी लेनी है मुझे शंकर से...
राज – फिर क्या करे हम....
अभय –(कुछ सोच के मुस्कुरा के) एक रास्ता है मेरे पास जिससे काम बन जाएगा अपना...
राज –(बात सुन) क्या है बता जल्दी....
अभय मुस्कुरा के किसी को कॉल करने लगा....
सामने से – आ गई याद तुझे मेरी...
अभय – (मुस्कुरा के) अपनी मां को कैसे भूल सकता हू मै भला...
शालिनी –(मुस्कुरा के) याद आ रही थी तेरी आज , देख अभी याद किया तुझे और कॉल आ गया तेरा...
अभय – याद आ रही थी तो कॉल कर लेते आप मैं आजाता आपके पास...
शालिनी – सच में...
अभय – मां एक बार बोल के देखो सब छोड़ के आ जाऊंगा आज ही आपके पास...
शालिनी –(मुस्कुरा के) कोई जरूरत नहीं है तुझे आने की कुछ दिन बाद मैं आ रही हू तेरे पास...
अभय – (खुशी से) सच में मां कब आ रहे हो आप...
शालिनी – जल्द ही आउंगी तेरे पास सरप्राइज़ देने...
अभय –मैं इंतजार करूगा मां...
शालिनी – चल और बता कैसी चल रही है पढ़ाई तेरी...
अभय – अच्छी चल रही है मां पढ़ाई और मां आपसे एक काम है...
शालिनी – हा तो बोल ना सोच क्यों रहा है इतना....
अभय – मां वो (शंकर की सारी बात बता के) मां अगर कल को कोई बात हो गई तो बेचारे गांव वाले नदी किनारे काम करते है वो बिना वजह फस जाएंगे इस झमेले में....
शालिनी –(कुछ सोच के) ठीक है तूने बहुत अच्छा किया जो मुझे बता दिया सारी बात तूने दीदी को बताई ये बात...
अभय –नही मां मैने अभी तक कुछ नही बताया दीदी को और प्लीज मां आप कुछ मत बताना शंकर वाली बात तो बिलकुल नहीं मां...
शालिनी –लेकिन बेटा तु दीदी के हवाले कर देता शंकर को वो सब पता करवा लेती उससे....
अभय – मां बात सही है लेकिन मैं जानना चाहता हू शंकर से और भी जानकारी आखिर क्या क्या जनता है वो हवेली के बारे में इसीलिए मैंने आपको बताना जरूरी समझा...
शालिनी – (मुस्कुरा के) ठीक है मैं हैंडल कर लूंगी बात को और जल्द ही रमन के केस को सुलझा दुगी तब तक के लिए तू जितनी जानकारी निकाल सकता है निकाल ले और अभय बस एक बात याद रखना गुस्से में किया काम बनता नही बिगड़ता है हमेशा बस तू गुस्से में कोई गलत काम मत कर देना जिससे तुझे आगे कोई परेशानी आए....
अभय –ठीक है मां मैं ध्यान रखूगा....
शालिनी – (मुस्कुरा के) ठीक है कोई जानकारी मिले मुझे जरूर बताना और अपना ख्याल रखना ठीक है रखती हू बाद में बात करती हू...
अभय –ठीक है मां बाए....
बोल के कॉल कट कर दिया....
अभय – ले भाई हो गया काम अब (पलट के देखा राज नही था बाकी दोनो साथ में थे) अबे ये राज कहा गया बे....
राजू –(इधर उधर देखते हुए) वो देखो और कहा होगा अपना मजनू भाई अपनी लैला के पास चला गया...
अभय – बड़ा अजीब है बे ये मैं यहां बात कर रहा हू और ये इश्क लड़ाने निकल गया बीच में....
इस तरफ....
राज –(चांदनी जो कॉलेज के अंदर आ रही थी उसके पास जाके) गुड वाली मॉर्निंग चांदनी जी कैसी है आप बड़ा इंतजार कराया आपने लेकिन अच्छा हुआ आप आ गई वर्ना मुझे लगा आप आज भी नही आएगी वैसे कल का दिन कैसा रहा आपका मुझे लगा आप कल आएगी काम सीखने लेकिन कोई बात नही आज कॉलेज के बाद मैं आपको सिखाऊगा खेती के हिसाब किताब का काम वैसे अभि थोड़ा टाइम है कुछ चाय कॉफी लेगी आप आइए सामने है मस्त बनाता है चाय कॉफी....
चांदनी जो कॉलेज के गेट से अन्दर आ रही थी राज ने जाके जो बोलना शुरू किया बोलते बोलते दोनो कॉलेज के अंडर आ गए लेकिन राज ने बोलना बंद नही किया तभी सामने से टीचर आते हुए बोले राज से....
M M MUNDE –(राज से) कैसे हो राज क्या बात है बड़े सवाल पूछे जा रहे है मैडम से कभी कभी हमसे भी सवाल पूछ लिया करो हम भी पढ़ाते है कॉलेज में....
राज –(अपने सामने M M MUNDE को देख मन में –मर गया ये कहा से आगया फिर से बबल गम खिलाएगा) सॉरी सर वो मैडम से कुछ पूछना था इसीलिए वैसे मैं अच्छा हू सर और आप तो पहले से मस्त हो मुंडे सर....
M M MUNDE – M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (हाथ आगे बड़ा के) बबलगम लो ना एक लेले ना...
राज –(जबरन हसके बबलगम लेते हुए) शुक्रिया सर...
M M MUNDE – VERY GOOD हा तो मैं कह रहा था कभी कभी हमसे भी सवाल कर लिया करो टीचर है आपके क्लास के हम भी चलो कोई बात नही(चांदनी से) अरे मैडम माफ करिएगा मैं भूल गया MY SELF M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम(हाथ आगे बड़ते हुए) बबलगम लीजिए ना प्लीज...
चांदनी –(चौक के) नही सर मैं वो...
M M MUNDE – अरे एक ले लीजिए बबलगम बहुत अच्छी है....
चांदनी –(बबलगम लेते हुए) शुक्रिया सर....
M M MUNDE – ना ना मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना कम (हाथ आगे बड़ा के) बबलगम लीजिए ना एक....
चांदनी –(हैरानी से) लेली सर बबलगम....
M M MUNDE – ओह हा सॉरी आदत है ना मेरी क्या करे मैडम वैसे आप मुझे सर नही मनोहर कह के पुकारे वो क्या है ना आप भी टीचर मैं भी टीचर सेम कोलेज में अच्छा नहीं लगता आप मुझे सर बोले....
चांदनी –(हल्का मुस्कुरा के) जी बिलकुल मनोहर जी....
M M MUNDE – वेलकम चांदनी जी...
तभी कॉलेज की घंटी बज गई जिसे सुन चांदनी जल्दी से भाग गई साथ में राज भी....
M M MUNDE –(चांदनी और राज के अचनाक से जल्दी चले जाने से) अरे ये क्या बड़ी जल्दी चले गए दोनो (बबलगम खाते हुए) चलो भाई हम भी चलते है क्लास में....
बोल के M M MUNDE भी निकल गया क्लास की तरफ राज क्लास में आते ही....
राज –(अभय के बगल में बैठ के) अबे यार ये साला बबलगम खिला खिला के मार डालेगा बे....
बात सुन तीनों दोस्त मू दबा के हस्ते जा रहे थे साथ में पायल भी...
पायल –(अभय से) ये बिल्कुल टेप रिकॉर्डर बन जाता है चांदनी दीदी से मिलके एक बार शुरू हो गया तो रुकने का नाम ही नही लेता है....
पायल की बात सुन अभय , राजू और लल्ला हसने लगे मू दबा के...
राज –(पायल से) ओए जबान संभाल के पायल मैने क्या किया ऐसा क्यों बोल रही है तू...
अभय – अबे जब से दीदी गेट से अन्दर आ रही थी तू टेप रिकॉर्डर की तरह बकर बकर करते हुए चलता चला आ रहा था अबे दीदी को बोलने तक का मौका नहीं दिया तूने तभी पायल तेरे को टेप रिकॉर्डर बोल रही है....
राज –(अपना सिर खूजाते हुए हस के) वो यार पता नही चला कब कॉलेज के अन्दर आ गए हम बात करते करते....
पायल –(हस्ते हुए) बात सिर्फ तू कर रहा था चांदनी दीदी नही...
पायल की बात सुन तीनों हसने लगे तभी टीचर आ गए क्लास में और पढ़ाई शुरू हो गई कॉलेज के बाद बाहर निकल के...
अभय –(पायल से) आज क्या कर रही हो...
पायल – कुछ खास नही घर में रहूंगी....
अभय –शाम को मिलोगी बगीचे में....
पायल – आज नही अभय कल संडे है कल चलते है...
अभय – अरे आज क्यों नही कल क्या है...
पायल – अच्छा घर में क्या बोलूं मैं की अभय से मिलने जा रही हू मै....
अभय – जरूरी थोड़ी है ये बोल कोई और बहाना बना दे....
पायल – गांव में लड़कियों को अकेला बाहर नही निकलने दिया जाता है बाहर मां और बाबा भी मुझे जल्दी कही जाने नही देते जाति भी हू तो नीलम या नूर के संग वो भी उनके घर पास में है इसीलिए....
अभय – (बात सुन के) अरे यार अब...
पायल – कल नीलम , नूर और मैं खेत की तरफ जाएंगे घूमने वही आजाना...
अभय – लेकिन वहा तो सब होगे ना...
पायल – (मुस्कुरा के) तू आ जाना फिर देखेगे....
अभय –(मुस्कुरा के) ठीक है कल पक्का...
बोल के पायल चली गई घर जबकि अभय , राजू और लल्ला साथ में बात कर रहे थे...
अभय –ये राज कहा रह गया यार....
राजू – (हसके) अबे वो पहले निकल गया तेरी दीदी के साथ...
अभय –यार ये भी ना चल कोई बात नही अब जाके आराम करता हू हॉस्टल में नीद आ रही है यार शाम को मिलते है अगर ना मिलू तो हॉस्टल आजाना तुम लोग...
बोल के अभय हॉस्टल निकल गया कमरे में आते ही सायरा मिली...
अभय – अब कैसी हो तुम....
सायरा – ठीक हू अब...
अभय – अच्छी बात है और हमारे मेहमान का क्या हाल है....
सायरा – (मुस्कुरा के) तुम्हारे जाने के बाद मैने सोचा नाश्ता पूछ लेती हू भूखा ना हो लेकिन कमरे में जाते ही अपनी ताकत दिखाने लगा था मुझे खीच के दिया एक गाल पे...
अभय – (मुस्कुरा के) ओह हो बीना मतलब के ताकत दिखाई तुमने उसे जंजीर से बंधा है मैने गलती से भी खोलने की कोशिश अगर करता एक जोर का झटका पड़ता उसे करेंट का...
सायरा –(मुस्कुरा के) ओह तब तो सच में गलत किया मैने , बेचारे कल रात की तरह टॉर्चर झेल रहा है थोड़ी देर में चिल्लाने की आवाज आएगी देखना तुम मैं खाना लेके आती हू....
बोल के सायरा चली गई खाना लेने अभय निकल गया फ्रेश होने अब चलते है जरा हवेली की तरफ जहा सुबह तो सबकी नॉर्मल हुई दोपहर में चांदनी जब हवेली आई हाल में संध्या बैठी हुई मिली इससे पहले चांदनी या संध्या कुछ बोलते उसी वक्त चांदनी के मोबाइल में शालिनी (मां) का कॉल आया...
शालिनी – कैसी हो चांदनी...
चांदनी – में अच्छी हू मां आप बताए...
शालिनी – तूने कल एक फोटो भेजी थी मुझे...
चांदनी – हा मां क्या हुआ कुछ पता चला आपको...
शालिनी –(हस्ते हुए) तू भी अजीब लड़की है तूने पहचाना नही इसे....
चांदनी – (चौक के) नही मां मैं कैसे पहचानूगि मैं मिली ही नही हू इनसे...
शालिनी –लेकिन अभय मिला है इनसे...
चांदनी –(हैरानी से) क्या कह रही हो मां अभय मिला है इनसे लेकिन कब....
शालिनी – ये अभय के स्कूल की टीचर है पढ़ाती थी अभय की क्लास में लेकिन अब काफी चेंज हो गई है ये पहले की तरह हेल्थी नही नॉर्मल हो गई है ये सब अभय ने किया है और आज ये ही उसी कॉलेज में प्रिंसिपल बन के आई है जहा पर तुम टीचर बन के गई हो....
चांदनी –(चौक के) आपका मतलब शनाया...
शालिनी – हा वही है...
चांदनी – अगर ऐसा है तो उन्होंने मौसी को पहचाना क्यों नहीं इतने वक्त से यही पर है वो....
शालिनी – घर से भागने के बाद कोई कैसे फेस करेगा बेटा शायद यही वजह हो उसकी तुम बात करके पता करो उनसे...
चांदनी – हा मां मैं पता करती हू...
संध्या –(बात सुन के) क्या सच में शनाया ही...
चांदनी –(हा में सिर हिला के) लेकिन मौसी वो इतने वक्त से यहा है लेकिन उन्होंने आपसे ये बात क्यों नहीं बताई....
संध्या – (खुश होके) जाने दे वो सब बात बाद में देखेगे उसे अभी कहा है वो...
चांदनी – आती होगी जल्द ही लेकिन मौसी यहा सबके सामने बात मत करना आप ना जाने वो कॉन सी बात है जिसकी वजह से उन्होंने आपको भी नही बताया आप अकेले बात करना पहले शनाया जी से...
संध्या – ठीक है चांदनी जब वो आजाये मुझे बता देना मै तेरे कमरे में आऊंगी मिलने उसे वही पर बात करेंगे....
आज संध्या को उसकी बहन का पता चल गया था वो इसी बात से ज्यादा खुश लग रही थी जबकि चांदनी का भी सोचना सही था आखिर किस वजह से शनाया चुप बैठी है अभी तक इस तरफ अभय और सायरा ने साथ में खाना खाने के बाद शंकर के कमरे में चले गए जहा शंकर चिल्ला रहा था...
अभय – (शंकर को देख के) कैसे हो सरपंच चाचा मैने सुना भागने की फिराक में थे तुम इसीलिए तुम्हे वापस टार्चर देने शुरू कर दिया उसने चलो अब चिल्लाओ मत (नल बंद करके) बंद कर दिया नल अब अगर चाहते हो ये सब ना हो फिर से तो जो भी सवाल पूछूं उसका सही सही जवाब देना वर्ना नल शुरू हो जाएगा...
शंकर –(रोते हुए) बेटा मत करो ये सब तुम जो सवाल करोगे मैं सब बता दुगा बस ये मत करो वरना मैं पागल हो जाऊंगा इससे...
अभय –(सरपंच की हालत देख) तेरे काम ही ऐसे है की तुझपे तरस खाने को भी जी नही चाहता है चल बता कामरान को क्यों मारा....
शंकर – कामरान को क्यों मरेगा कोई...
अभय – कोई नही तूने या रमन ने किया होगा कही कामरान संध्या के सामने अपना मू ना खोल दे जिसके बाद रमन के साथ मुनीम और तेरा पत्ता कट जाता....
शंकर – नही कामरान को नही मारा मैने या रमन ने...
अभय – तो किसने मारा कामरान को उसे मार के पहेली छोड़ गया था वहा पर कोई....
शंकर – मैं सच बोल रहा हू बेटा मैने या रमन ने नही मारा उसे हमारे 2 नंबर वाले काम को कामरान ही देखता था वो अपनी निगरानी में माल को चेक नाके से पार करता था...
अभय – तो कामरान को मारने से किसी को क्या फायदा होगा भला...
शंकर – उसका कोई निजी दुश्मन हो अगर इसकी जानकारी नहीं है मुझे लेकिन ये हमने नही किया...
अभय – मुनीम कहा है आज कल दिख क्यों नही रहा है...
शंकर – उस दिन के हादसे के बस मुनीम का अभी तक कोई पता नही है...
अभय –किस दिन के हादसे की बात कर रहे हो तुम....
शंकर – कॉलेज में जब अमन से हाथा पाई हुई थी उसदीन से लापता है रमन भी कोशिश कर रहा है मुनीम को ढूंढने की....
अभय – खंडर के बारे में बताओ मुझे...
शंकर – वो तो श्रापित जगह है...
शंकर के इतना बोलते ही अभय का हाथ नल पर गया जिसे देख...
शंकर – (डर से) बताता हू वो खंडर बरसो पुराना है बड़े ठाकुर के वक्त बड़े ही चाव से बनवाया था...
अभय –(शंकर की बात सुन के नल शुरू कर दिया तेजी से जिसका पानी तेजी से शंकर के चेहरे में गिरने लगा फिर नल बंद करके) सुन चाचा जितना सवाल पूछा जाय जवाब उसका ही दे तेरी बेकार की रामायण सुनने नही बैठा हू सिर्फ काम की बात कर....
शंकर –कोई नही जानता की बड़े ठाकुर की संपत्ति के बारे में रमन भी नहीं बड़े ठाकुर ने कमल ठाकुर के साथ मिल कर बहुत से काम करते थे एक दिन बड़े ठाकुर , कमल ठाकुर और महादेव ठाकुर आपस में बात कर रहे थे खंडर के बारे में....
अभय – (बीच में टोकते हुए) कमल ठाकुर तो (सोचते हुए) ये तो दोस्त थे ना आपस में बड़े ठाकुर और मनन ठाकुर के....
शंकर – हा सही कहा...
अभय – लेकिन ये महादेव ठाकुर कौन है...
शंकर –महादेव ठाकुर दूसरे गांव का ठाकुर है उसका बेटा देवेंद्र ठाकुर , मनन ठाकुर और संध्या एक ही कॉलेज में पढ़ते थे रमन भी उसी में पड़ता था लेकिन उसकी बनती नही थी देवेंद्र ठाकुर से तो...
अभय –(बीच में) ये बात बाद में पहले ये बता वो तीनो आपस में क्या बात कर रहे थे...
शंकर – असल में खंडर वाली जमीन महादेव ठाकुर के नाम थी जिसे कमल ठाकुर ने बात करके बड़े ठाकुर को दिलवाई थी जिसमे बड़े ठाकुर ने हवेली बनवाई थी लेकिन ना जाने क्यों बड़े ठाकुर ने एक दिन फैसला किया उस हवेली को छोड़ के दूसरी जगह हवेली बनवाई और वही रहने लगे थे ये सब क्यों हुआ ये नही पता लेकिन जिस दिन ये तीनों बात कर रहे थे महादेव से उसी खंडर के विषय में महादेव ठाकुर खंडर वाली जगह को खरीदना चाहता था लेकिन बड़े ठाकुर और कमल ठाकुर मना कर रहे थे बेचने से इस बात पर बहुत बात हुई इनमे तब महादेव ठाकुर ने गुस्से में बोल के निकल गया की वो कुछ भी कर के जगह ले के रहेगा...
अभय – ये बात तुझे कैसे पता है...
शंकर – रमन ठाकुर चुपके से उनकी सारी बाते सुन रहा था , बस यही बात है...
शंकर की बात सुन अभय ने उठ के नल शुरू कर दिया जिससे पानी तेजी से शंकर के मू पर गिरने लगा जिससे शंकर छटपटाने लगा जिसके बाद अभय ने नल को बंद किया जिसके कारण शंकर लंबी सास लेने लगा जिसे देख...
अभय – बोला था ना मैने सब कुछ बताने को बार बार क्यों खुद को तकलीफ दे रहा है तू चल अब बता बात पूरी याद रखना अगली बार ये नल तब तक खुला रहेगा जब तक तू खुद नही बोल देता की सब बताता हू , अब बता क्यों महादेव ठाकुर जगह लेना चहता था जबकि महादेव ने खुद जमीन बेची थी बड़े ठाकुर को आखिर क्यों...
शंकर –उस वक्त महादेव ठाकुर जब चला गया तभी बड़े ठाकुर की नजर गई रमन पे जो छुप के बात सुन रहा था तब बड़े ठाकुर ने रमन को अपने पास बुलाया तब रमन ने बोला की आप बेच दो उस खंडर को तब बड़े ठाकुर ने बोला की वो ऐसा नहीं कर सकते है क्योंकि वो जगह श्रापित है वहा पर भूत है इसीलिए नही बेचना चाहते है वो खंडर वाली जमीन....
अभय –अच्छा इसके बाद भी तुम उसके आस पास घूमते रहते हो कई बार देखा है तुझे मैने...
शंकर – नही नही मैं वहा नही जाता हू उस जगह के पास रमन का गुप्त अड्डा है जहा पर ड्रग्स का माल छुपा के रखा जाता है मैं बस उसके लिए जाता था वहा पर....
अभय – तेरी बताई बातो में कुछ तो गड़बड़ लग रही है मुझे...
शंकर – यही सच है मैं कसम खा के बोलता हू बेटा...
अभय – तो किसे पता होगा सच का...
शंकर –मुनीम को पता होगा सच का क्योंकि मुनीम बड़े ठाकुर के वक्त से है हवेली में उसे पता होगा खंडर के बारे में और शायद ठकुराइन को...
अभय –अच्छा ठकुराइन को क्यों पता होगा...
शंकर – क्योंकि मरने से पहले हवेली की सारी बागडोर बड़े ठाकुर ने ठकुराइन को दी थी तब उन्होंने कुछ बात भी बताई थी अकेले में ठकुराइन को...
अभय – क्या बात बताई बड़े ठाकुर ने ठकुराइन को...
शंकर – ये तो पता नही मुझे और रमन ने बात करते देखा था दोनो को तभी मुझे बताया उसने और रमन ने कोशिश की बात जानने की लेकिन कामयाब नही हुआ वो...
अभय – वैसे तेरे हिसाब से मुनीम कहा जा सकता है...
शंकर – पता नही बेटा वो कही जाता नही था अगर गया तो ठकुराइन के काम से जाता या रमन ठाकुर के काम से और जल्दी ही वापस आ जाता था लेकिन ना जाने कहा गायब हो गया है मुनीम काफी दिन से...
अभय – ठकुराइन के बेटे के घर छोड़ के चले जाने के बाद रमन ने क्या क्या किया है...
शंकर – ठकुराइन का बेटा जब से गया हवेली से तब से ठकुराइन गुमसुम सी रहने लगी थी काफी वक्त से तब रमन ने अमन को समझा के ठकुराइन के पास भेज दिया ताकि अमन ठकुराइन के करीब रह के अभय की जगह ले सके और तभी ठकुराइन भी पिघल गई अमन की बातो से और उसे ही बेटा मानने लगी लेकिन वैसा नही हुआ जैसा रमन चाहता था उल्टा ठकुराइन अभय को भूल नही पा रही थी हर साल अभय का जन्मदिन मनाती...
अभय –(हस्ते हुए) जब बेटा साथ था तब कदर नही कर पाई और जब दूर हो गया तब जन्मदिन मनाया जा रहा है उसका एक बात तो बता उसी दिन लाश भी मिली थी ना बच्चे की जिसे अभय समझ लिया गया था तो फिर हर साल जन्मदिन मनाती थी या उसका मरणदीन...
बोल के अभय जोर जोर से हसने लगा शंकर अपनी फटी आखों से देखे जा रहा था अभय को जबकि इन दोनो को पता भी नही था की कमरे के दरवाजे पर खड़ी सायरा इनकी सारी बाते सुन रही थी इधर जब ये सब हो रहा था तब हवेली में शनाया आ गई अपने कमरे में आते ही चांदनी से मिल फ्रेश होके जैसे बाहर आई सामने संध्या बैठी दिखी...
शनाया – (संध्या को देख के) अरे आप आज यहां पे....
संध्या –(रोते हुए गले लग गई शनाया के) कहा चली गई थी तू कितना ढूढा तुझे मैने लेकिन , चल छोड़ ये सब तू इतने वक्त से साथ है बताया क्यों नहीं मुझे तूने...
शनाया जो इस सब बात से हैरान थी एक दम शौक होके खड़ी रही जिसे देख संध्या बोली...
संध्या – क्या हुआ तुझे बोल क्यों नहीं रही है तू...
शनाया –(आंख में आसू लिए हैरान होके) तुझे कैसे पता चला मेरे बारे में...
संध्या – बस पता चल गया अब तू बता क्यों चुप थी तू इतने वक्त से...
शनाया –(रोते हुए) मुझे माफ कर दो संध्या मैने बहुत बड़ी गलती की थी जो घर से भाग गई शायद उसीकी सजा मिली मुझे जिसके साथ भागी उसी ने धोखा दिया मुझे एक रात अचानक से वो भाग गया सब कुछ लेके जो मैं घर से लेके भागी थी कुछ नहीं बचा था मेरे पास दो दिन तक ठोकर खाती रही शहर में एक घर में नौकरानी मिली साथ में रहने के लिए जगह भी वहा काम करती थी और साथ में उनके बच्चो को पढ़ाती थी घर की मालकिन का खुद का स्कूल था वो ये सब रोज देखती एक दिन उसने मुझे अपने स्कूल में पढ़ाने के लिए कहा बस तब से मैं स्कूल में पढ़ाने लगी और अब यहां कॉलेज में प्रिंसिपल के लिए मुझे चुना गया जब तेरा नाम सुना मैने सोचा एक बार मिलु तेरे से लेकिन जब तेरे सामने आई हिम्मत नही हुई बताने की तेरे से कही तू नाराज ना हो जाय मैं नही चाहती थी मैं दूर तुझसे इसीलिए मैंने सोच लिया भले सच ना बताऊं लेकिन तेरा साथ तो रहूंगी मैं जब तक यहां पर हू....
संध्या –(मुस्कुरा के) जानती है पहली बार तुझे देखते ही जाने क्यों मुझे लग रहा था तू मेरी अपनी है लेकिन तेरा तो होलिया ही बदल गया पूरा एक पूरा कैसे किया ये...
चांदनी –(बीच में) मौसी ये अभय का किया धरा है सब...
संध्या –(चौक के) अभय का किया क्या मतलब अभय बीच में कैसे आ गया...
चांदनी –(मुस्कुरा के) मौसी आप भूल रहे हो अभय जिस स्कूल में पढ़ता था उसी स्कूल में शनाया मैडम पढ़ाती थी अभय वही पर मिला था मैडम से हॉस्टल में रह के शनाया मैडम से ट्यूशन पड़ता था और उसी के साथ मैडम रोज सुबह शाम एक्सरसाइज करती थी इसीलिए शनाया मैडम का लुक पूरा बदल गया...
संध्या –(बात सुन के शनाया से) अभय तेरे साथ था इतने वक्त तक तू पढ़ाती थी उसे...
शनाया –(चांदनी की बात सुन) तुम इतना सब कैसे जानती हो चांदनी और मेरे साथ तो अभी था अभय नही (संध्या से) और तू बार बार इसकी तरह अभी को अभय क्यों बोल रही है संध्या वो अभी है अभय नही...
संध्या –(मुस्कुरा के) तू जिसे अभी समझ रही है वो अभय ही है और (चांदनी पे इशारा करके) ये CBI ऑफिसर चांदनी है DIG शालिनी सिन्हा की बेटी अभय इन्ही के साथ रहता था...
और इस बात के बाद शनाया के सिर में फूटा एक बहुत बड़ा बॉम्ब जिसके बाद...
शनाया –(संध्या की बात सुन आंखे बड़ी कर) म...म...मतलब वो....वो...वो अभय है तेरा बे...बे...बेटा है वो....
संध्या –(शनाया के गाल पे हाथ रख के) हा मेरा बेटा है अभय और साथ में तेरा भांजा भी....
बोल के संध्या खुशी से गले गई शनाया के दोनो को देख चांदनी के चेहरे पे मुस्कान आ गई लेकिन शनाया की हसी तो जैसे गायब हो गई ये जान के की अभी ही अभय है उसके बहन संध्या का बेटा....
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जारी रहेगा