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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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UPDATE 45


एक लड़की अकेले में चुप चाप गुमसुम बैठी हुई थी उसकी आंख से आसू बहे जा रहे थे जिसे वो बार बार पोछती जा रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....

अभय –दीदी....

चांदनी –(बीने पीछे पलटे) हम्ममम....

अभय – (अपनी तरफ पलट आखों से आंसू पोछ के) ये सब मेरी वजह से हुआ है दीदी काश मै आपकी लाइफ में नहीं आता तो शायद ऐसा कुछ नहीं होता....

चांदनी –(अभय को गले लगा के) इसमें तेरी कोई गलती नहीं है अपनी करनी के जिम्मेदार वो खुद थे इसमें तेरा कोई कसूर नहीं....

शालिनी –चांदनी ठीक बोल रही है अभय तुम्हे इस बारे मे इतना सोचने की जरूरत नहीं है....

चांदनी –(अभय से) तू यहां पर अचानक कैसे आ गया और ये दोनों लड़कियां कौन है....

अर्जुन ठाकुर – ये मेरे साथ है....

शालिनी....(अलीता की तरफ इशारा करके अभय से) ये तेरी भाभी है अभय....

अभय –(चौक के) क्या , भाभी मतलब कैसे और मेरा भाई कब बना ये....

शालिनी –ये कमल ठाकुर का बेटा है अर्जुन ठाकुर तेरे दादा और तेरे पिता जी ये दोनो कमल ठाकुर को अपना मानते थे और बचपन में अर्जुन तेरे साथ खेला करता था जब तू बहुत छोटा था....

शालिनी की बात सुन अभय हैरानी से कभी अर्जुन को देखता कभी संध्या को कभी शालिनी को जैसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो जिसे देख....

अर्जुन ठाकुर – जनता हूँ बहुत से सवाल उठ रहे है तेरे मन में जिसका जवाब तेरे पास नहीं है....

अभय – आखिर क्या हो तुम अगर तुम इतने खास थे तो क्यों मेरे साथ....

शालिनी –(बीच में टोक के) अभी तू ज्यादा मत सोच अभय तुझे तेरे सारे सवालों का जवाब मिलेगा थोड़ा सबर कर बस....

इससे पहले शालिनी कुछ और बोलती तभी गांव के कई लोग साथ में गीता देवी और सत्य बाबू भी आ गए हवेली की तरफ जहा हवेली के बाहर 2 गाड़िया जल रही थी इनके आने से पहले ही अर्जुन के लोगो ने सभी की लाशे को एक वेन में डाल के निकल गए थे....

सत्य बाबू –(शालिनी और संध्या से) प्रणाम ठकुराइन प्रणाम शालिनी जी , क्या हुआ था यहां पर काफी आवाजें सुनी हमने धमाकों की किसने किया ये सब....

संध्या और से शालिनी ने प्रणाम किया फिर....

शालिनी –सत्या जी कुछ लोगो ने हवेली में हमला करने की कोशिश की थी लेकिन अभय और राज ने सही वक्त में आके सम्भल लिया सब कुछ....

अभय –(शालिनी को देख) मां....

शालिनी ने अभय को चुप रहने का इशारा किया....

गीता देवी – (संध्या से) तू ठीक है ना....

संध्या –हा दीदी....

गीता देवी –(अर्जुन , अलीता और सोनिया को देख के) ये तीनों कौन है....

संध्या – (गीता देवी का हाथ दबा के) अपने है मिलने आय है मेरे से....

संध्या –(सभी से) आप सब अन्दर चलिए वही बात करते है....

संध्या की बात सुन के गीता देवी ने सभी गांव वालो को वापस भेज दिया जिसके बाद सभी हवेली के अन्दर जाने लगे लेकिन अभय बाहर रुक गया उसे देख राज भी रुक गया....

राज – क्या बात है तू अन्दर क्यों नहीं चल रहा है....

अभय – यार ये जो कुछ हो रहा है सब मेरे सिर के ऊपर से जा रहा है....

राज – यार समझ में तो मेरे भी कुछ नहीं आ रहा है लेकिन बाहर रुकने का भी कोई फायदा नहीं चल अन्दर चल के देखते है क्या बात हो रही है उनकी....

अभय – यार पहले ही मेरा सिर दर्द हो रहा है सबकी बात सुन के और ज्यादा सिर दर्द नहीं पालना मुझे तू एक काम कर तू जा अन्दर मै जा रहा हु हॉस्टल आराम करने बहुत सिर दर्द हो रहा है यार मेरा....

राज – ठीक है तो मैं भी चलता हू तेरे साथ....

अभय – अरे नहीं यार तू यही रुक देख क्या हो रहा है अन्दर वैसे भी बड़ी मां और बाबा भी यही आय हुए है....

बोल के अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ इस बात से अंजान की हॉस्टल में एक नई मुसीबत पहले से उसका इंतजार कर रही है अभय कुछ समय में हॉस्टल में आ गया जैसे ही हॉस्टल के गेट के अन्दर आया देख वहां पर पुलिस पहले से आई हुई है जिसमें राजेश और उसके साथ हवलदार थे उनको देख....

अभय –तुम यहां क्या कर रहे हो....

राजेश –(हस्ते हुए) तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे हम....

अभय –(चौक के) मेरा इंतजार किस लिए....

राजेश –(हस्ते हुए) वाह बात तो ऐसे कर रहे हो जैसे कुछ पता ही ना हो क्या हुआ है यहां पर....

अभय –सीधा सीधा बोलो कहना क्या चाहते हो तुम....

राजेश –अन्दर चल के देखो सब पता चल जाएगा तुझे की हम यहां क्यों आए है....

राजेश की बात सुन अभय हॉस्टल के अन्दर जाने लगा अपने कमरे में आते ही सामने का नजारा देख अभय के होश उड़ गए....

अभय –(हैरानी से) ये सब कैसे हो गया यहां....

राजेश – यही सवाल तो मेरा भी है तेरे से की ये सब कैसे ओर क्यों किया है तूने....

अभय – (गुस्से में) क्या बकवास कर रहे हो तुम भला ये सब मै क्यों करूंगा....

राजेश – तो तू ही बता तेरे कमरे में मुनीम और शंकर की लाश क्यों पड़ी हुई है....

अभय – मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है मै शाम से यहां नहीं था घूमने गया था गांव....

राजेश – (हस्ते हुए) ये बात तू बोल रहा है लेकिन सबूत क्या है तेरे पास और अगर मैं मान भी लू तो मुनीम और शंकर यहां हॉस्टल में तेरे कमरे में क्या कर रहे थे , अब तो तू कोई बहाना भी नहीं बना सकता है क्यों कि इस हॉस्टल में तेरे सिवा कोई नहीं रहता है....

अभय – तो सीधा बोल करना क्या चाहता है तू क्यों कि मैं पल भर में ये साबित कर दूंगा कि मेरा इस सब से कोई ताल्लुख नहीं तू अपना बता पहले....

राजेश –(अभय का कॉलर पकड़ के) अब तू बहुत ही बुरा फंसा है लौंडे क्यों की गांव के 2 लोगो ने यहां से गुजरते वक्त हॉस्टल से चीख सुनी थी उन्हीं की कंप्लेन पर मै यहां आया हु भले तू DIG बेटा है लेकिन अब यहां पर DIG नहीं बल्कि मै हूँ (अपने हवलदारों से) बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और इसे ले चलो थाने में आज इसकी सारी गर्मी दूर कर दूंगा मै....

बोल के राजेश के साथ आय हवलदारों ने अभय को तुरंत हथकड़ी लगा के पुलिस जीप में बैठा पुलिस स्टेशन लेके जाने लगे....

तभी पायल के पिता जो हॉस्टल के बाहर खड़े ये नजारा देख रहे थे वो तुरंत ही हवेली की तरफ भागे जबकि इधर हवेली में अभय के जाने के बाद....

शालिनी –(राज को अकेला अन्दर आता देख) अभय कहा है राज....

राज – आंटी वो अभय कुछ कन्फ्यूजन में है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब तो वो चला गया होस्टल में....

राज की बात सुन शालिनी जो अभी हवेली के अन्दर हॉल में आ रही थी बाहर ही रुक एक पल पीछे हॉल में देख जहां संध्या , मालती , ललिता , निधि , चांदनी , शनाया , अर्जुन , सोनिया और अलीता बैठ के बाते कर रहे थे गीता देवी और सत्या बाबू से तभी शालिनी कुछ बोलती राज से तभी....

संध्या – अरे राज , शालिनी जी आप वहां क्यों खड़े है अन्दर आइये और राज तुम अकेले....

शालिनी –(बीच में बात काट के) मैने भेजा था उसे काम से अपने....

संध्या –(शालिनी बात सुन मायूसी से) ठीक है....

ललिता – (अर्जुन से) तुम अब तक कहा थे इतने साल अर्जुन....

अर्जुन –अपने आप को ढूंढने गया था चाची इसीलिए देर हो गई आने में....

संध्या –अर्जुन तुझे देख के बहुत खुशी हो रही है मुझे काश माजी (सुनैना) का पता चल जाए हमे जाने कहा होगी वो....

अर्जुन – (चौक के) तो क्या दादी का पता नहीं चला आज तक....

संध्या – नहीं अर्जुन आज तक पता नहीं चला उनका मैने बहुत कोशिश की ढूंढने की उनको....

संध्या की बात सुन अर्जुन ने एक पल के लिए अलीता को देखा....

अर्जुन – कोई बात नहीं चाची अब मैं वापस आ गया हु मै पता लगता हु दादी का....

संध्या – अब तो तू यही रहेगा ना कही जाएगा तो नहीं फिर से....

अर्जुन –(मुस्कुरा के) नहीं चाची अब से मै और आपकी बहु यही रहेंगे....

संध्या –(चौक के) बहु और तूने शादी भी कर ली....

अर्जुन –(अलीता को देख) जी चाची (अलीता के कंधे पे हाथ रख के) ये है आपकी बहु....

संध्या – (व्हील चेयर को अलीता की तरफ ले जाके) बहुत खूबसूरत है (अलीता से) तुम्हारा नाम क्या है....

अलीता –जी अलीता सिंघाल....

संध्या –(हस के) तुम्हारी तरह तुम्हारा नाम भी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन शायद मैने ये नाम कही सुना हुआ है तुम सिंघाल ग्रुप एंड कम्पनी से....

अलीता –(मुस्कुरा के) जी वो मेरे पापा की कंपनी है....

संध्या – (चौक के) मतलब तुम राम मोहन सिंघाल , रागिनी सिंघाल की बेटी हो....

अलीता सिंघाल –(चौक के) आप कैसे जानते हो मेरे मम्मी पापा को....

संध्या – कैसे नहीं जानूंगी उनको भला जाने कितनी बार मिल चुके है हम काफी वक्त पहले शहर गई थी मैं तब मुलाक़ात हुई थी राम मोहन सिंघाल और रागिनी सिंघाल से वैसे तुम दोनो ने शादी कब की....

अलीता – दो साल हो गए हमे शादी किए हुए....

संध्या –(अर्जुन से) इन्हें तुम जानते हो ये ललिता है रमन की वाइफ और ये मालती है प्रेम की वाइफ....

अर्जुन –(हाथ जोड़ के) नमस्ते चाची जी....

मालती और ललिता साथ में – नमस्ते अर्जुन....

संध्या –(निधि की तरफ इशारा करके) ये निधि है ललिता और रमन की बेटी एक बेटा भी है अमन बाहर गया हुआ है रमन के साथ....

अर्जुन –(छोटी बच्ची को मालती की गोद में देख) ये आपकी बेटी है चाची....

मालती –(सारी बात बता के) है ये मेरी बेटी है....

अर्जुन –बहुत अच्छी बात है चाची जी....

संध्या –मै ऊपर का कमरा सही कर देती हु तुम यही रहना अब से....

अर्जुन – नहीं चाची की अभी मै अपने हवेली जा रहा हु वही रहूंगा हा लेकिन आता रोग मै मिलने आप सब से....

संध्या – लेकिन वहा अकेले क्यों अर्जुन यही साथ में....

अर्जुन – कुछ जरूरी काम है चाची जी मुझे वहा पर....

इससे पहले कोई कुछ बोलता तभी....

मगरू – (हवेली में आते ही) मालकिन गजब हो गया....

संध्या – क्या हुआ....

मगरू – मालकिन वो थानेदार अभी को पकड़ के ले गया है पुलिस थाने में....

संध्या – (चौक के) क्या लेकिन क्यों....

सारी बात बता के....

संध्या – (हैरानी से) क्या मुनीम के शंकर मारे गए लेकिन कैसे....

मगरू – पता नहीं मालकिन लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल में मिली है अभी के कमरे में ऐसा थानेदार बोल रहा था अभी से....

मगरू की बात सुन सभी चौक गए....

अर्जुन – (मगरू से) कहा है ये थाना....

शालिनी और संध्या एक साथ – मै चलती हूँ साथ में....

अर्जुन –परेशान मत हो आप मै लेके आता हु जरा मिल तो लू राजेश से....

बोल के निकल गया अर्जुन....

शालिनी –(मन में– समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर को किसने मारा होगा)....

जबकि इस तरफ थाने में राजेश ने आते ही अभय को लॉकअप में बंद कर दिया था....

राजेश –मेरा ऑफर मान लेना चाहिए था तुझे....

अभय –(हस्ते हुए) जाने कैसे तू पुलिस में भर्ती हो गया सच सच बता कितनी रिश्वत दी थी तूने पुलिस में आने के लिए , जाने कितने से भीख मांगनी पड़ी होगी तुझे....

राजेश –(गुस्से में) अपनी मेहनत अपनी अकल से मैंने ये पोजीशन हासिल की है समझा....

अभय –(हस्ते हुए) हा सही कहा तूने इसीलिए तूने ऑफर दिया था मुझे क्यों ताकि बिना मेहनत किए डायरेक्ट सब कुछ तुझे मिले सही कहा ना मैने....

राजेश – (लॉकअप में हाथ डाल अभय का कॉलर पकड़ के) संध्या को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हू मै जो भी रस्ते में आएगा उसे हटा दूंगा मै....

अभय – ओह तो तूने ही मुनीम और शंकर का कत्ल किया है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरा....

अभय – अभी तूंने कहा ना अपने रस्ते में आने वाले को हटा देगा तू और अभी तो मैं रस्ते में हूँ तेरे तो मतलब यही हुआ ना कि तूने ही मुनीम और शंकर को मार के हॉस्टल में रखवा दिया होगा वैसे भी पूरा गांव जनता है हॉस्टल में मेरे इलावा कोई नहीं रहता और तेरे लिए इससे अच्छा मौका और क्या होगा मुझे रास्ते से हटाने का....

राजेश –(हस्ते हुए) लगता है तू पागल हो गया है जो मन में आय बोलता जा रहा है तू....

अभय – नहीं राजेश यही सच है तूने ही कत्ल किया है उन दोनों का....

राजेश – मैने ऐसा कुछ नहीं किया है क्योंकि मेरे पास गवाह है जिसने मुझे इनफॉर्म किया था समझा....

अभय – तो इसका मतलब तूने कुछ नहीं किया फिर ऐसा कौन हो सकता है जिसे पता था कि मुनीम और शंकर मेरे पास है....

राजेश –(चौक के) क्या मतलब है तेरी बात का....

अर्जुन –(थाने में आते ही बीच में टोक के) इसका मतलब ये है कि जब कत्ल हुआ तब ये लड़का हॉस्टल में नहीं था....

राजेश –(पीछे पलट के सामने खड़े लड़के को देख) तू कौन है....

अर्जुन –(मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए) ये है हॉस्टल में लगे कैमरे की फुटेज साफ दिखा रहा है इसमें चेक कर लो तस्सली से तुम....

कमरे की फुटेज में साफ दिख रहा था अभय , राज , सोनिया और अलीता हॉस्टल से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल गए थे उनके जाने के कुछ देर बाद 4 लोग आए चेहरे पर गमछा लपेट के हॉस्टल में जाते हुए दिखे और कुछ देर बाद वापस बाहर आते हुए दिखे वीडियो को देख....

राजेश – (हस के) जाने वाले भी चार लोग थे और आने वाले भी चार लोग थे तो जरूरी तो नहीं जो हॉस्टल में चेहरे धक के आए हो वो कोई और न होके यही हो....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरी बात में काफी वजन है चल कोई बात नहीं अगर मैं गवाह खड़े कर दूं तेरे सामने लेकिन मैं ऐसा क्यों करू जबकि ये काम एक कॉल पर हो सकता है....

राजेश –तू मुझे धमकी दे रहा है....

अर्जुन –ना ना राजेश इस लड़के की बेगुनाही साबित करने के लिए इसकी मा ही काफी है जो कि संध्या ठाकुर के साथ हवेली में बैठी चाय पी रही है....

राजेश –(चौक के) क्या ये नहीं हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम....


अर्जुन –(राजेश की सामने वाली कुर्सी में बैठ के) एक काम कर तू FIR लिख इसके लड़के पर रिजल्ट तुझे अपने आप मिल जाएगा जब तेरी ये वर्दी को DIG खुद उतरवा देगी लिख जल्दी से FIR....

अपने सामने बैठ शक्श कि बात सुन राजेश सिर से पाव तक कांप गया वो जनता था की अभय DIG SHALINI का बेटा है जो पल भर में बहुत कुछ कर सकती है क्योंकि राजेश ने सोचा था आज जो हुआ उसमें अभय को अच्छे से फंसा सकता है क्योंकि जब तक DIG तक ये बात पहुंचती तब तक अभय जेल में होता लेकिन जैसे उसे पता चला कि DIG यही इसी गांव में है इसीलिए....

राजेश –(किसी को कॉल मिला के) हेल्लो जै हिंद मैडम....

शालिनी –है हिंद राजेश बोलो क्या बात है....

राजेश –मैडम आप गांव में है अभी....

शालिनी – हा क्यों कोई दिक्कत है क्या तुम्हे....

राजेश –नहीं नहीं मैडम ऐसी कोई बात नहीं है....

शालिनी – तेरे सामने जो बैठा है वो जो बोले चुप चाप वो कर तूने साबित कर दिया है तू भी बाकियों की तरह कमीना है....

बोल के शालिनी ने कॉल कट कर दिया जिसके बाद राजेश ने खुद लॉकअप खोल के अभय को बाहर निकाला....

राजेश – तुम जा सकते हो कोई केस नहीं है तुम्हारे ऊपर इस वीडियो से साबित हो गया है....

अभय –(राजेश को गौर से देखत हुए) उम्मीद करता हु कि ये हमारी आखिरी मुलाक़ात हो....

अर्जुन –(अभय से) चलो यहां से....

बोल के दोनो निकल गए थाने से उनके जाते ही राजेश ने अपने सिर से बहते पसीने को पोछ अपनी कुर्सी में बैठ गया जबकि रहने से बाहर आते ही अर्जुन ने अभय को अपने साथ बाइक में बैठा के थाने से निकल गया....

अभय –कहा जा रहे है हम....

अर्जुन – तेरे हॉस्टल में....

अभय – क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ....

अर्जुन –(हस्ते हुए) तेरे बहुत से सवालों का जवाब मुझे देना है बस दो दिन बाद तेरे सवाल जवाब दूंगा मै....

अभय – लेकिन अभी क्यों नहीं....

अर्जुन –अभी मुझे अपने गांव जाना है एक पहेली को सुलझाने इसीलिए तुझे बोल रहा हु दो दिन बाद बताऊंगा बात तुझे....

अर्जुन की बात सुन अभय चुप हो गया जबकि अर्जुन के हवेली से जाने के बाद....

ललिता – मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर मुनीम और शंकर हॉस्टल में क्या कर रहे थे....

मालती –(संध्या से) दीदी मुनीम तो काफी दिन से नहीं दिखा था हमे जब से आपने उसे हवेली के काम से हटा दिया था और शंकर तो जब से सरपंची से हटा है तब से नहीं दिखा किसी को....

गीता देवी – दोनो ही एक नंबर के कमींने है जरूर आपस में मिल के कोई खेल खेल रहे होंगे....

शालिनी – सवाल ये नहीं है गीता दीदी सवाल ये है कि इन दोनों को कौन मार सकता है आखिर क्या दुश्मनी होगी उसकी इन दोनों से....

संध्या – शालिनी मुझे तो सबसे ज्यादा चिंता हो रही है....

शालिनी –(बीच में बात काट के) जानती हू संध्या मै उसी के बारे में सोच रही हू....

गीता देवी – (बात को समझ हल्का हस के) बहुत जिद्दी है वो मानेगा नहीं....

शालिनी – (हल्का हस के) जी दीदी , ये बात तो पक्की है वो यहां नहीं आएगा मै हॉस्टल जा रही हू वही बात करूंगी उससे....

गीता देवी –अगर आप बुरा न माने क्या मैं चल सकती हूँ आपके साथ....

शालिनी –दीदी इसमें पूछने जैसे कोई बात नहीं आप बिल्कुल चल सकते हो साथ....

गीता देवी –(राज से) चल तू मेरे साथ....

बोल के तीनों निकल गए हॉस्टल की तरफ कुछ ही देर में तीनों हॉस्टल में आ गए इनके आते ही अभय और अर्जुन भी आ गए जहां अभी भी एम्बुलेंस वाले रुके हुए थे बॉडी को ले जा रहे थे तभी शालिनी की कही नजर पड़ उसने देखा मुनीम के हाथ में कोई कागज है शालिनी ने उसे लेके खोला जिसमें पहेली लिखी थी

पहेली....

तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम
इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम....

वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन....


शालिनी के हाथ में कागज को देख अर्जुन अपने हाथ में कागज लेके पड़ता है और साथ में बाकी के सभी जिसके बाद....

अभय – मां , बड़ी मां आप दोनो साथ मे यहां....

शालिनी –हा तेरे से जरूरी बात करनी है....

अभय – क्या मां....

गीता देवी –देख बेटा तु जनता है आज क्या हुआ था इसीलिए आज से तू यहां नहीं रहेगा....

अभय – यहां नहीं फिर कहा....

शालिनी – हवेली में....

अभय – वहां पर क्यों मां....

शालिनी – क्योंकि एक बात तो पक्की है कोई है जो तुझे और संध्या को नुकसान पहुंचाना चाहता है वो कौन है अभी हम नहीं जानते (अभय का हाथ अपने सिर में रख के) तो तू आज से हवेली में रहेगा तुझे मेरी कसम है....

अभय – मां....

गीता देवी – (अभय के सर पे हाथ फेर के) बात को समझ बेटा तु हवेली में रहेगा तो पता लगा सकता है कौन है जो हवेली की सारी बात बाहर दे रहा है तेरे हवेली में होने से सावधान तो रहेगा तू हर बात से समझ रहा है ना बात तू....

अभय – हम्ममम....

अभय के हा करने से गीता देवी और शालिनी एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुराई जैसे अपने मकसद में विजई हासिल कर ली हो दोनो ने....

शालिनी – एक काम कर जल्दी से अपना समान पैक करके हवेली में आजा....

अभय – आप कही जा रहे हो....

शालिनी – नहीं मै भी हवेली आ रही हू गीता दीदी को घर छोड़ के....

राज –(बीच में) मां मै अभय को हवेली छोड़ के घर आऊंगा....

गीता देवी – (मुस्कुरा के) ठीक है....

उसके बाद शालिनी निकल गई गीता देवी को घर छोड़ने रस्ते में शालिनी ने संध्या को कॉल करके बता दिया अभय के हवेली में रहने की बात जबकि हॉस्टल में अभय अपनी पैकिंग करके राज और अर्जुन के साथ निकल गया हवेली की तरफ जहा पर संध्या तयार बैठी थी आरती की थाली लिए अभय के स्वागत के लिए अभय के आते ही....

मालती –(अभय को हवेली के दरवाजे में रोकते हुए) रुक जा बेटा ऐसे नहीं (ललिता को आवाज देके) ललिता दीदी....

ललिता –(मालती की आवाज सुन आरती की थाली लेके दरवाजे पर अभय की आरती उतार के) लल्ला अब अन्दर आजा....

ललिता द्वारा अपनी आरती उतारते वक्त अभय बिना भाव के चुप चाप खड़ा रहा था ललिता की आवाज सुन हवेली के अन्दर आते ही....

संध्या –(खुशी में अभय से) तेरा कमरा तैयार है पहले की तरह....

जिसके बाद अभय चुप चाप सीढ़ियों से चलते हुए अपने कमरे में जाने लगा जिसे देख....

राज –(जमीन म घुटने के बल बैठ संध्या से) मैने बोला था ना ठकुराइन अभय को मै ही लेके आऊंगा हवेली....

संध्या –(राज की बात सुन मुस्कुरा के) थैंक्यू राज....

राज ने मुस्कुरा के सिर हिला दिया
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Shandaar update, 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 to muneem, or past sarpanch ko kisi ne nipta diya, per kisne? Sayad raman, ya koi or? Rajesh apni harkato se baaj nahi aaraha hai, dig ke londe pe haath daal diya batao :hehe: Gand maar leti wo uski,
Awesome update again 👌🏻
 

Ek anjaan humsafar

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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 46


सोनिया जो अलीता के साथ गांव आई थी उसे हवेली में छोड़ अलीता और अर्जुन निकल गए अपनी मंजिल की तरफ और राज अपने घर जबकि इस तरफ अपने कमरे में खड़ा अभय कभी अपने बेड को देखता जिसमें वो अकेला सोता था तो कभी अपनी टेबल कुर्सी को जिसमें वो पढ़ाई करता था और फिर उसकी नजर पड़ी खिड़की पर जहा पर अक्सर रात में खड़ा रह कर आसमान को देखता रहता था अभय इस बात से अंजान की उसे कमरे के बाहर दरवाजे पर व्हील चेयर पर संध्या मुस्कुराते हुए कमरे में खड़े अभय को देख रहे थी तभी चांदनी आई और पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रख....

अभय –(मुस्कुरा के) कितना सुंदर है न आसमान का ये नजारा दीदी देखो तारों को कैसे चमक रहे है....

चांदनी –(मुस्कुरा के) हम्ममम , तुझे अच्छा लगता है ये नजारा....

अभय –(मुस्कुरा के) हा दीदी मेरी तन्हाई का यही तो साथी रहा है मेरा रोज रात में घंटों तक इसे देखता रहता था....

चांदनी – रोज रात का क्या मतलब है तेरा....

अभय – इस कमरे में अकेले नींद नहीं आती थी मुझ दीदी उसके बाद इन्हीं तारों को देख अपनी रात गुजारा करता था....

चांदनी – ऐसी क्या बात थी तुझे यहां नींद नहीं आती थी कितना सुन्दर कमरा है तेरा....

अभय – कमरा कितना भी सुन्दर क्यों ना हो दीदी जहा अपनो का साथ होता है तो एक कमरे का मकान भी स्वर्ग से कम नहीं होता उसके लिए लेकिन मेरे केस में तो सब कुछ उल्टा सुलटा रहा है आज इस कमरे में आते ही कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई मेरी या ये कहना सही होगा पुराना जख्म की याद आ गई....

चांदनी – (कंधे पर हाथ रख के) तू ज्यादा मत सोच बीते वक्त को बदल नहीं सकता कोई लेकिन आने वाले वक्त तो अच्छा बना सकते है हम अपना....

अभय – हम्ममम , दीदी एक बात समझ में नहीं आ रही है मुझे....

चांदनी – कौन सी बात अभय....

अभय – हॉस्टल में शंकर और मुनीम है ये बात मुझे पता थी मां को और मेरे दोस्तो को लेकिन फिर भी आज अचानक से वो दोनों मारे गए दीदी आपको क्या लगता है इस बारे में....

चांदनी – (कुछ सोचते हुए) पता नहीं अभय यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है....

अभय – दीदी सच सच बताओ मुझे आप क्यों आय हो इस गांव में क्या मकसद है आपका किस बात की खोज बीन कर रहे हो आप और कौन है आपका CBI CHIEF....

चांदनी –(हस्ते हुए) OH MY GOD , OH MY GOD इतने सवाल एक साथ एक सास में , तुझे क्या जानना है इस बारे में मैने बोला था ना तुझे इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है समझा तुझे कोई छू भी नहीं सकता है मौत को भी मेरी लाश के ऊपर से गुजर के जाना होगा तेरे पास....

अभय –(जल्दी से चांदनी के मू पे हाथ रख के) आप तक मौत आय उससे पहले मै उस मौत को मार दूंगा दीदी , दोबारा आप ऐसी बात मत बोलना....

अभय की बात सुन चांदनी अभय के गले लग जाती है....

चांदनी – तू मुझसे कभी दूर मत जाना....

अभय –(हस के) आपकी शादी के बाद....

चांदनी – शादी के बाद भी साथ रहेगा तू मेरे....

अभय – तब तो आप गांव में रहने की आदत डाल लो दीदी क्योंकि मैं तो ठहरा गांव का आदमी शहर मेरे बस का नहीं....

चांदनी – हा मुझे भी यही लगता है गांव की आदत डालनी पड़ेगी मुझे....

अभय – (हस के) तो मैं मां को बोल दूं आपको राज पसंद है....

चांदनी –(अभय के पीठ में हल्का हाथ मर के) चुप कर बड़ा आया बात करने वाला , पहले सब कुछ ठीक हो जाने दे फिर जो मन आय वो करना....

यहां पर ये दोनों भाई बहन आपस में लगे हुए थे वहीं अवश्य के कमरे के दरवाजे के बाहर संध्या उनकी सारी बात सुन रही थी साथ में ललिता और शनाया थी ललिता व्हीलचेयर लेके चली गई संध्या के कमरे में....

ललिता –(संध्या को उसके कमरे में लाके उसके आसू पोछ) दीदी बस मत रो अब देखो आ गया ना वो हवेली थोड़ा वक्त दो उसे सब ठीक हो जाएगा....

शनाया – (संध्या के कंधे पे हाथ रख के) ललिता बिल्कुल सही बोल रही है संध्या इस तरह हिम्मत मत हार तू मै तो कहती हु मौका पाके तू अभय को सच बता दे सारा....

संध्या – लेकिन क्या वो मानेगा बात मेरी....

ललिता – क्यों नहीं मानेगा वो आपकी बात दीदी हम है ना आपके साथ....

संध्या – सच जान कर कही फिर चला गया तो....

शनाया – देख संध्या एक ना एक दिन सच बताना ही है उसे तो अभी क्यों नहीं बता देती देख गांव वालो का जब खाना रखा था यहा तब वो बात कर रहा था ना अच्छे से तेरे से लेकिन राजेश की वजह से सब गड़बड़ हो गया इससे पहले फिर से कुछ हो तू बता दे उसे सच मेरी बात मान ले संध्या....

ललिता – दीदी मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई है पति बेकार और बेटा वो भी किसी काम का नहीं बस निधि वक्त रहते सम्भल गई है दीदी अभय को संभालना होगा अब आप वक्त मत गंवाओ बिल्कुल भी....

शनाया और ललिता की बात सुन संध्या ने भी कोई फैसला ले लिया था हवेली में रात हो गई रमन और अमन घर आ गए आते ही ललिता ने सब बात दिया जिसे सुन....

रमन – (हवेली के हॉल में) इतना सब हो गया और किसी ने मुझे एक कॉल तक नहीं किया....

ललिता – अभय ने सब सम्भाल लिया यहां के हालात को....

रमन –(अभय को देख) ये अभी तक यहां क्यों रुक हुआ है गया क्यों नहीं ये यहां से....

शालिनी –(रमन के पीछे से हवेली के गेट से अन्दर आते हुए) मैने रोका है इसे ठाकुर साहब....

रमन –(अपने सामने शालिनी को देख) आपने रोका मै समझा नहीं कुछ....

शालिनी – शायद आपको पता नहीं है कि आपका मुनीम और सरपंच शंकर मारे जा चुके है....

रमन –(हैरानी से) क्या लेकिन ये कैसे और किसने मारा उन दोनों को....

शालिनी – ये तो पता नहीं लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल से मिली थी....

रमन –(चौक के) हॉस्टल में क्या कर रहे थे दोनो....

शालिनी – पता नहीं शायद किसी की कुंडली खोल रहे होगे दोनो साथ में (अभय से) अभी बेटा तुझे क्या लगता है क्या कर रहे होगे वो दोनो हॉस्टल में....

अभय (अभी) – मां वो दोनो कुंडली खोल रहे थे किसी की....

शालिनी –(रमन से) सुना अपने ठाकुर साहब जाने किसके बारे में बता रहे थे जो अचानक से मारे गए दोनो , खेर चलिए खाना खाते है बहुत भूख लगी है मुझे....

बोल के शालिनी निकल गई अभय के पास जहां सब लोग अपने कमरे से आए थे हॉल में खाना खाने के लिए रमन अपनी कुर्सी में बैठ गया था संध्या आज साइड में बैठी थी तभी अभय बैठने के लिए जगह देख रहा था तभी....

संध्या –(अभय को देख) सुनो (अपने बगल वाली कुर्सी पर इशारा करके) इसमें बैठो....

ठीक उसी के बगल वाली कुर्सी में शालिनी बैठी थी उसने हल्का सा इशारा किया अभय को तब अभय जाके बैठ गया उस कुर्सी पर जहा पर हवेली का मालिक बैठा करता था मतलब संध्या बैठती थी....

संध्या –(अभय के बैठते ही रमन को देखते हुए अभय से) अब से तुम यही बैठना....

अभय बिना कोई जवाब दिए चुप बैठा रहा सबने धीरे धीरे खाना शुरू किया खाने के बाद हर कोई अपने कमरे में जाने लगा तभी....

ललिता –(अभय से) लल्ला खाना कैसा बना था....

अभय – अच्छा था....

ललित –(मुस्कुरा के) लल्ला एक काम करदेगा मेरा....

अभय – हा बताओ आप....

ललिता – लल्ला तू दीदी को उनके कमरे में छोड़ दे प्लीज....

अभय – जी....

जी बोलते ही अभय उठाने जा ही रहा था कि तभी....

औरत – प्रणाम मालकिन....

आवाज सुन हवेली के दरवाजे की तरफ सब देखने लगे तभी....

संध्या – अरे लक्ष्मी मां आप कब आई....

लक्ष्मी – मालकिन अभी अभी आई हू जा रहे थे कुलदेवी के मंदिर पर सोचा रस्ते में आपको प्रणाम करते चले....

संध्या – (मुस्कुरा के) आपका स्वागत है गांव में अम्मा (लक्ष्मी) तो कल से तैयारी शुरू कर रहे हो....

लक्ष्मी – जी मालकिन लेकिन आपको क्या हो गया आप इसमें (व्हील चेयर) में क्यों बैठे हो....

संध्या – कुछ खास नहीं अम्मा सीडीओ से गिर गई थी पैर में सूजन आ गई थी तो डॉक्टर ने चलने को मन किया है कुछ दिन के लिए तो इसमें ही यहां वहां हो लेती हूँ....

लक्ष्मी – अपना ख्याल रखिए मालकिन वैसे कल से मेले की सारी तैयारी शुरू हो जाएगी दो दिन बाद मेला जो है अच्छा मालकिन मै चलती हूँ जल्दी मिलेगे....

संध्या –(लक्ष्मी को रोक के) अम्मा (लक्ष्मी) एक मिनिट रुक जाओ (अभय से) मेरे कमरे की अलमारी से पैसे ला दोगे....

अभय – मै दूसरों की चीजों को हाथ नहीं लगाता....

ललिता – चला जा लल्ला....

तभी ललिता के पीछे शालिनी ने आंख से हल्का सा इशारा किया जिसके बाद....

अभय – कितने पैसे देने है इनको....

संध्या – अलमारी में 500 की गड्डी पड़ी है एक देदे इनको....

संध्या की बात सुन अभय सीडीओ से अपने कमरे में गया अपने बैग से 500 की एक गड्डी लाके लक्ष्मी को देके....

अभय –(पैसे देते हुए) ये लो अम्मा....

लक्ष्मी –(मुस्कुरा के अभय से पैसे लेके उसके सिर पे हाथ रख) जुग जुग जियो बेटा हमेशा खुश रहो तुम....

बोल के लक्ष्मी चली गई उसके जाते ही....

शालिनी – ये कौन थी संध्या....

संध्या – ये लक्ष्मी मां है बंजारन है हर साल गांव में मेले शुरू करने से पहल यही से मिलते हुए जाती है हमसे....

शालिनी –(चौक के) मेला कब शुरू होगा....

संध्या – दो दिन बाद शुरू होगा मेला....

शालिनी – हम्ममम (अभय से) अभी ऊपर कमरे में छोड़ दो संध्या को प्लीज....

शालिनी की बात सुन संध्या को गोद में उठा के कमरे में ले जाने लगा कमरे में आते ही अभय ने संध्या को बेड में लेटा के जाने लगा....

संध्या – अभय सुन....

अभय –(संध्या की आवाज सुन रुक के) क्या....

संध्या – तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है....

अभय – देख मै मां के कहने पे आया हु हवेली मुझे कोई शौक नहीं था यहां आने का और तुझे जो बात करनी है मां से बोल दे बता देगी मुझे....

संध्या – नहीं मुझे सिर्फ तुझे बतानी है एक बार मेरी बात सुन ले....

तभी रमन अपने कमरे में जा रहा था इन दोनों की आवाज सुन संध्या के कमर एमे आके....

रमन – भाभी आप किसके मू लग रही हो जब नहीं सुनी बात उसे आपकी तो क्यों पीछे पड़े हो इसके आप जाने दो इसे....

संध्या – तू अपने कमरे में जा रमन मेरे बीच में मत पढ तू....

रमन – भाभी ये लौंडा इतनी बतमीजी से बात कर रहा है आपसे और आप मुझे जाने को बोल रहे हो....

संध्या – देख रमन मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी तू निकल मेरे कमरे से हमारे बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है तुझे....

अभय –(दोनो की बात सुन) बस करो ये ड्रामा मेरे सामने करने की जरूरत नहीं है ये सब बहुत अच्छे से समझता हो मै....

बोल के बाहर जाने लगा तभी....

संध्या –(तुरंत बेड से अपने पैर जमीन में रख भाग के अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर के रोते हुए) सुन ले मेरी बात एक बार फिर भले चले जा मै नहीं रोकूंगी तुझे....

अभय रुक के संध्या की बात सुन उसे गोद में उठा बेड में बैठा के....

अभय –(रमन से) तुम जाके अपने कमरे में आराम करो....

रमन – वर्ना....

अभय –(रमन की आखों में आंखे डाल के) वर्ना वो हॉल करूंगा जिंदगी भर के लिए कमरे से बाहर निकलने को तरस जाएगा तू और ये बात तू अच्छे से जनता है....

अभय की बात सुन रमन चुप चाप संध्या के कमर से बाहर निकल गया उसके जाते ही....

अभय –(संध्या से) आखिर क्यों तू मेरे पीछे पड़ी है मेरा बचपना तो बर्बाद कर दिया तूने तुझे समझ क्यों नहीं आती है बात मेरी बहुत मुश्किल से संभला हूँ मैं तू जानती है अगर मुझे मां (शालिनी) और दीदी (चांदनी) ये दोनो ना मिले होते तो शायद मैं कब का मर गया होता या फिर होता कही गुमनामी की जिंदगी जी रहा होता अभी भी बोलता हूँ तुझे समझ बात को मेरी मेरे दिल में तेरे लिए कुछ भी नहीं है में सब कुछ भुला के आगे बढ़ गया हूँ....

संध्या –(रोते हुए) तू तो आगे बढ़ गया लेकिन मैं कहा जाऊं मैं उस दिन से लेके आज तक वही रुकी हुई हूँ सिर्फ तेरे इंतजार में....

अभय –(संध्या की बात सुन आंख से एक बूंद आंसू आ गया) काश तू उसी दिन आ गई होती मेरे पास तो शायद आज....

बोलते बोलते अभय का गला भर आया जिसके बाद अभय निकल गया संध्या के कमरे से चला गया अपने कमरे में उसके जाते ही....

शनाया –(संध्या के कमरे में आके आसू पोछ गले लगा के) चुप हो जा तू....

संध्या – तुने सुना न क्या कहा उसने....

शनाया – हा सुना मैने सब तू घबरा मत में हूँ न तेरे साथ में बात करती हु अभय से....

संध्या – नहीं तू मत जाना कही ऐसा ना हो वो तुझे भी गलत समाज बैठे....

शनाया – ऐसा कुछ नहीं होगा तू चिंता मत कर (संध्या को पानी पिला के) तू आराम कर बस बाकी मुझपे छोड़ दे सब कुछ....

बोल के शनाया संध्या को बेड में लेता लाइट , कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर निकल गई सीधा चांदनी के पास जहां शालिनी और चांदनी सोने की तैयारी कर रहे थे....

शालिनी –(शनाया को देख) आओ शनाया मै तुम्हारे पास आ रही थी....

शनाया – मेरे पास कोई काम था आपको....

शालिनी – कोई काम नहीं बस कमरे में सोने को लेके....

शनाया – ओह में भी यही बताने आई थी मैं संध्या के साथ सोने जा रही हू आप दोनो यही सो जाओ साथ में वैसे भी अभय भी अपने कमरे में सोने गया है....

शालिनी – अभय सोने चला गया जल्दी आज....

शनाया – हा कॉलेज भी जाना है कल इसीलिए....

शालिनी – अरे हा में तो भूल ही गई थी उसके कॉलेज का ठीक है कल बात करूंगी उससे....

बात करके शनाया कमरे से निकल गई सीधा अभय के कमरे में दरवाजा खटखटा के.....

अभय –(कमरे का दरवाजा खोल सामने शनाया को देख) अरे आप आइए....

शनाया –(कमरे में आके) कैसे हो तुम....

अभय – मै ठीक हु आप बताए आप तो भूल ही गई जैसे मुझे....

शनाया – ऐसी बात नहीं है अभय....

अभय – तो बात क्या है वहीं बता दो आप कब तक छुपाओगी बात को....

शनाया – भला में क्यों छुपाओगी बात तुमसे....

अभय – ये तो आपको पता होगा....

शनाया – तुम इस तरह से बात क्यों कर रहे हो मुझसे....

अभय – ये सवाल मेरा होना चाहिए आपसे प्यार का दिखावा करते हो और खुद दूर हो जाते हो किसके कहने पर किया अपने ऐसा बोलो....

शनाया – अभय ऐसी कोई बात नहीं है....

अभय – अगर ऐसी बात नहीं है तो क्यों झूठ बोला आपने की आप मुझसे प्यार करते हो....

शनाया –(आंख में आसू लिए)मैने कोई झूठ नहीं बोला तुमसे अभय मै सच में प्यार करती हु लेकिन....

अभय – लेकिन क्या यही की मेरे पास कुछ नहीं है आपको देने के लिए इसीलिए....

शनाया – (अभय के गले लग के) मैने सच बोला था मैं प्यार करती हु तुझसे आज भी करती हूं हमेशा करती रहूंगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए तुझसे....

अभय –(गले लगी शनाया के सिर पे हाथ फेरते हुए) तो किस बात से डरती हो क्या पायल के लिए डर लगता है , मैने कहा था ना मैं सम्भल लूंगा पायल को वो मान जाएगी बात मेरी इसके इलावा अगर कोई और बात हो तो बताओ मुझे....

शनाया –(गले लगे हुए ना में सिर हिला के) कोई बात नहीं है बस एक बात बोलनी है....

अभय – एक शर्त पर....

शनाया – क्या....

अभय –(शनाया के आसू पोछ अपने बेड में लेटा खुद बगल में लेट के) अब बोलो क्या बोलना है....

शनाया – अगर किसी ने हमें एक साथ ऐसे देख लिया तो....

अभय –(कमरे का दरवाजा लॉक करके) अब ठीक है जो भी आएगा उसे दरवाजा खटखटाना पड़ेगा पहले....

शनाया –(हस्ते हुए) तुम बहुत तेज हो गए हो....

अभय –(हस्ते हुए) आपकी संगत का असर है मैडम (शनाया के गल पे हाथ रख) अब बताइए क्या बात है....

शनाया – कोई बात नहीं है अभय....

अभय – सिर्फ एग्जाम होने की वजह से आप मेरे पास नहीं आई ये वजह तो नहीं हो सकती है....

शनाया –(मुस्कुरा के) अच्छा उस रात तुम्हारे पास नहीं आई इसीलिए बोल रहे हो तुम....

अभय – (मुस्कुरा के) बिल्कुल भी नहीं अगर ऐसा होता तो आप आज भी नहीं रुकती मेरे पास चलो अब बता भी दो बात को अगर सच में आप प्यार करती हो मुझसे....

शनाया –(मू बना के) तुम बार बार ऐसा क्यों बोल रहे हो प्यार नहीं करती मै तुमसे....

अभय –(मुस्कुरा के) फिर क्या बोलू बताओ आप....


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जवाब में शनाया चूमने लगी अभय को जिसमें अभय पूरा साथ दे रहा था शनाया का
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काफी देर तक एक दूसरे को चूमने के बाद शनाया हल्का मुस्कुरा के अपनी नाइटी उतार दी उसी बीच अभय ने अपने कपड़े उतार दिए
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यू जिसके बाद शनाया अभय के गले लेग्स चूमे जा रही थी और अभय ने मौके पर शनाया की ब्रा खोल दी
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अपने बेड में लेटा के एक हाथ से शनाया की कच्ची में छिपी चूतपर हाथ फेरने लगा 04
तो दूसरे हाथ से बूब्स पे हाथ फेरने लगा इस दोहरे हमले से शनाया का शरीर तिलमिला रहा था 06
शनाया की तिलमिलाहट देख अभय ने अपना मू शनाया के बूब्स में रख चूसने लगा जिस वजह से शनाया को अंजना सा एक नया एहसास मिल रहा था 07
बस प्यार से अपने कोमल हाथों से अभय के गालों पे हाथ फेर रही थी जो इस वक्त बूब्स चूसने में लगा था 08
यू जिसके बाद अभय अपना मू हटा के अपने हाथ को शनाया के कमर से नीचे ले जाके पैंटी को पकड़ नीचे कर दिया जिसमें शनाया ने मुस्कुरा के अपनी कमर उठा के साथ दिया
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शनाया की साफ चूत देख अभय ने फौरन ही छूट को प्यार से चूम लिया

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जिस वजह से शनाया को अपने शरीर में एक झटका सा लगा कुछ बोलने को हुई थी शनाया लेकिन ये मौका उसे ना मिल पाया क्योंकि अभय चूत को चूमने के साथ अपनी जबान को तेजी से चलने लगा जिस वजह से शनाया नए एहसास के आनंद के मजे में खो गई 10
अभय के चूत चूसने की तेजी से शनाया उस आनंद में इतना खो गई उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका हाथ अभय के सर पे चला गया 11
एक हाथ से अभय के सर को अपनी चूत में दबाए जा रही थी तो दूसरे हाथ से बेड शीट पर अपनी मुट्ठी का ली थी उसने12
जिसके बाद अभय चूत से मू हटा के शनाया के पेट से उसकी गर्दन तक अपनी जबान चलते हुए हुए ऊपर आके दोनो ने होठ मिल के एक दूसरे को चूमने लगे 13
जिसके बाद शनाया धीरे से नीचे जा के अभय के अंडरवियर को नीचे कर लंड पर अपनी जबान चलाने लगी
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और तुरंत अपने मू में ले लिया 15
लंड को चूसने के दौरान अभय ने एक हाथ शनाया के सर पे रखा तो दूसरे हाथ से उसकी मोटी गांड़ पर फेरने लगा16
अभय अपने बेड में बैठ गया और शनाया पेट के बल लेट अभय के लंड को लॉलीपॉप की भाटी चूस जा रही थी इस आनंद में अभय भी अपने हाथ से शनाया की गांड़ में चारो तरफ घुमाए जा रहा था
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कुछ देर में अभय खुद टेडा लेट के शनाया को अपने ऊपर लाके 69 की पोजीशन में दोनो एक दूसरे के अंगों का मजा ले रहे थे
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लेकिन अभय की जबान ने पहले की तरह अपना कमल फिर दिखाया जिस वजह से शनाया को फिर से झटका लगा 19
शनाया – (मदहोशी में) तुम कमाल के हो अभय तुमने तो मुझे हिला डाला सिर से पाओ तक....

अभय –और आप भी कम कहा हो....

बोल के मुस्कुराते हुए शनाया घूम के अभय के ऊपर आ गई आते ही अभय के लंड को अपनी चूत में लेने लगी धीरे धीरे दर्द को सहते हुए नीचे हों एलजी जिसमें अभय ने शनाया की कमर को कस के पकड़ शनाया को ऊपर नीचे करने लगा
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धीरे धीरे दर्द का एहसास के जाने से शनाया कमर को तेजी से ऊपर नीचे करने लगी साथ ही अभय इसमें पूरी मदद करने लगा शनाया कि
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अपनी काम लीला में दोनो पूरी तरह खो चुके थे 22
कभी एक दूसरे को बेइंतहा चूमते साथ एक दूसरे के अंगों को सहलाए जा रहे थे 23
इसी बीच शनाया के ऊपर नीचे होने की रफ्तार कम पड़ने लगी जिसके बाद अभय ने शनाया को पलट उसके ऊपर आके मोर्चा संभाला 24
और लंड को चूत में डाल के तेजी से हचक के चोदने लगा शनाया को 25
आज शनाया को जिंदगी के सीसीएस असली आनंद की प्राप्ति हो रही थी
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ओए जिसका एहसास अभय को भी मिल रहा था दोनो की सिसकियां और थप थप की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी
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एक दूसरे को अपनी बाहों में जैसे समाने में लगे हुए थे दोनों
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इतनी देर की मेहनत रंग लाने लगी दोनो की tumblr-otd0qg-JG3j1v99polo1-400
दोनो एक दूसरे को चूमते हुए परम आनंद की कगार में आ गए
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अभय और शनाया ने एक साथ चरमसुख को प्राप्त कर लिया जिसके बाद....

शनाया –(लंबी सास लेते हुए) तुम सच में बहुत वाइल्ड हो गए थे....

अभय –(लंबी सास लेते हुए) मजा नहीं आया आपको....

शनाया –(मुस्कुरा के) बहुत मजा आया मुझे आज पहली बार सेक्स में , मुझे तो पता ही नहीं था इतना मजा भी आता है इसमें....

अभय –(मुस्कुरा के) लगता है आपने पहली बार किया है आज....

शनाया – हा अभय मैने आज से पहले कभी ऐसा सेक्स नहीं किया था....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा फिर कैसा किया था सेक्स अपने....

शनाया – मै जब भागी थी घर से जिस लड़के के साथ तब मंदिर में शादी की थी हमने उसके बाद वो मुझे अपने दोस्त के घर में ले गया था वहां पर हमने बस उस रात वक्त बिताया था लेकिन वो सेक्स नहीं कर पा रहा था और तब मुझे पता नहीं था इतना सेक्स के बारे में बस उस रात के बाद जब सुबह मेरी नींद खुली देखा वो गायब हो गया मैने सोचा गया होगा खाने को लेने लेकिन वो वापस नहीं आया लेकिन उसका दोस्त और उसकी बीवी आ गए घर वापिस तब उसने भी पता लगाया लेकिन कही पता ना चला उसका उसके बाद मुझे पता चला जब मैने अपना सामान देखा जेवर पैसे सब गायब थे बाकी का तो तुम जानते हो....

बोलते बोलते शनाया कि आंख से आसू आ गए थे....

अभय –(शनाया के आंख से आसू पोछ के) भाड़ में जाए वो अब से उसके बारे में आपको याद करने की कोई जरूरत नहीं है अब से मै हूँ आपके साथ हमेशा के लिए....

शनाया –(गले लग के) तुम मुझे छोड़ के नहीं जाओगे ना....

अभय –(मुस्कुरा के) जिसकी कसम खिला दो मै हमेशा साथ रहूंगा आपके....

शनाया –(अभय का हाथ अपने सिर में रख के) कसम खाओ मेरी मै जो बोलूंगी मानोगे तुम और करोगे भी....

अभय –(मुस्कुरा के) इसमें कसम देने की क्या जरूरत है....

अभय की बात पर शनाया घूर के देखने लगी अभय को जिसे देख....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा बाबा मै कसम खाता हु जो भी बोलोगी मै वही करूंगा और मानूंगा भी (शनाया के सिर से हाथ हटा के) अब खुश हो आप....


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शायना –(मुस्कुरा अभय के गले लग के) हा बहुत खुश हूँ , अब से तुम किसी को नहीं बताओगे हमारे रिश्ते के बारे में पायल को भी नहीं....

अभय –(चौक के) लेकिन....


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शनाया –(अभय के मू पर उंगली रख के) अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई चुप चाप सुनो मेरी बात बस....

शनाया की बात सुन हा में सिर हिला के....

शनाया – अब मैं जो बोलने जा रही हू वो तुम्हे मानना पड़ेगा समझे तुम संध्या से इतना रुडली (Roodli) बात जो करते हो वो सही नहीं है समझे मां है वो तुम्हारी....

शनाया की बात सुन अभय घूरने लगा....

शनाया –(अभय के घूरने को समझ उसके गाल पे हाथ रख के) अभय दुनिया में गलती इंसान से ही होती है मानती हूँ संध्या से गलती हुई है इसका मतलब ये तो नहीं उसे एक मौका भी ना दिया जाएं प्लीज मत कर उसके साथ ऐसा जैसी भी सही भले तू मा नहीं मानता उसे लेकिन वो भी इंसान ही है ना तुझे क्या लगता है कि शालिनी जी को अच्छा लगता होगा जब संध्या के सामने तू उसे मा बोलता है ,सच बोलना तुम अभय....

अभय –मै मानता हु बात ये सच है लेकिन एक बात ये भी सच है मैने उसे मां मानना बहुत पहले छोड़ दिया था....

शनाया –(अभय के कंधे पे हाथ रख) तो ठीक है भले तू उसे अपना कुछ नहीं मानता लेकिन अब से तू संध्या के साथ सही से पेश आएगा क्या मेरे लिए इतना कर सकता है तू....

अभय –(हल्का हस के) आपके लिए कुछ भी करूंगा मै....

शनाया –THATS LIKE MY LOVE....

अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा मैने तो आपकी बात मान ली अब एक सच आप भी बताओ मुझे....

शनाया –हा पूछो ना जो मन में आय सब बताओगी तुम्हे....

अभय – वो क्या लगती है आपकी जो उसके लिए इतना कर रहे हो आप....

शनाया –(अभय का सवाल सुन हसी रोक के) अगर मैं बता दूं तो तू दूर तो नहीं जाएगा मुझसे....

अभय –(शनाया का हाथ अपने हाथ में लेके) वादा किया है हमेशा आपके साथ रहने का चाहे कुछ भी हो जाय हमेशा आपसे प्यार करता रहूंगा और साथ रहूंगा....

शनाया –(अपनी आंख बंद करके) संध्या मेरी सगी जुड़वा बहन है अभय....

इसके बाद शनाया चुप हो गई बिना अपनी आंख खोले जिससे अभय का रिएक्शन ना देख सके तभी....

अभय –(शनाया के गाल पे हाथ रख के) तो अब तक छुपाया क्यों आपने मुझसे....

शनाया जिस बात के डर से उसे लगा कि अभय का रिएक्शन कही अलग न हो लेकिन जिस तरह से अभय का जवाब आया उसे सुन अपनी आंख खोल के....

शनाया –(हैरानी से अभय को देखते हुए) तुम इस तरह....

अभय –(शनाया हाथ पकड़ के) जब मैने आपसे कहा कि मैं उसे मां नहीं मानता तो फिर उस हिसाब से आप मेरी क्या हुई कुछ नहीं बल्कि आप सिर्फ मेरे लिए वैसी हो जैसे मैं पायल को मानता हूँ बस....

अभय की बात सुन शनाया गले लग गई अभय के....

अभय –(सिर पे हाथ फेर के) चलिए सो जाइए अब सुबह कॉलेज भी जाना है हमे....

शनाया –मै अपने कमरे में जा रही हू....

अभय –क्यों यही सो जाइए ना....

शनाया – नहीं अभय संध्या को मेरी जरूरत पड़ सकती है तुम जानते हो ना उसकी हालत....

अभय –हम्ममम....

शनाया बोल के बेड से उठ जैसे ही जमीन में पैर रखा तुरंत बेड में बैठ गई....

अभय –(शनाया को संभालते हुए) इसीलिए बोल रहा था यही सो जाओ आप....

शनाया –(मुस्कुरा के) बड़ा पता है तुम्हे , मै नहीं रुकने वाली....

अभय –(मुस्कुरा के अपने बैग से पैंकिलर पानी के साथ शनाया को दे के) इसे लेलो आप सुबह तक आराम हो जाएगा आपको....

उसके बाद अभय ने खुद शनाया को कपड़े पहना दिए जिसके बाद....

शनाया –(अभय के गाल में किस करके) GOOD NIGHT MY LOVE....

अभय – GOOD NIGHT LOVE....

बोल के शनाया संध्या के पास चली गई संध्या के बगल में लेट ही उसे पता चल गया संध्या गहरी नींद में सो रही है जिसके बाद शनाया भी सो गई अगले दिन सुबह सब तयार होके नीचे हॉल में आ गए अभय अपने कमरे से निकला तभी....

शालिनी –(अभय से) नींद अच्छी आई तुझे....

अभय –जी मां....

शालिनी – (प्यार से अभय के सर पे हाथ फेर के) संध्या को नीचे ले चल तू मै उसे बाहर लेके आती हु....

शालिनी बोल चांदनी के साथ संध्या के कमरे में चली गई जहां संध्या बैठी थी शनाया बाथरूम से निकल रही थी उसकी अजीब चाल देख....

शालिनी –तुझे क्या हुआ शनाया ऐसा क्यों चल रही हो....

शनाया –(मुस्कुरा के) बाथरूम में पैर स्लिप हो गया था मेरा तभी....

शालिनी –तुम ठीक हो ना नहीं तो आज कॉलेज मत जाओ....

शनाया –नहीं दीदी मै ठीक हु पैन्किलर लेलूगी ठीक हो जाएगा जल्दी ही....

शालिनी –ठीक है (संध्या से) तुम तयार नहीं हुई चलो मैं तैयार करती हु....

संध्या –अरे नहीं दीदी मै तैयार हो जाऊंगी खुद....

शालिनी –(मुस्कुरा के) हा हा पता है चल मै तैयार करती हु तुझे जब ठीक हो जाना फिर खुद होना तयार....

संध्या को तैयार करके चारो एक साथ कमरे से बाहर निकले जहा अभय बाहर इंतजार कर रहा था चारो के बाहर आते ही अभय से संध्या को अपनी गोद में उठा सीडीओ से नीचे आने लगा इस बीच संध्या हल्का मुस्कुरा के सिर्फ अभय को देखे जा रही थी जिसे देख शालिनी , चांदनी और शनाया मुस्कुरा रहे थे कुर्सी में बैठा के अभय खुद बगल में बैठ गया जहा ललिता और मालती खुश थे अभय को इस तरह देख के नाश्ता परोस के सबने खाना शुरू किया इस बीच संध्या नाश्ता कम अभय को ज्यादा देख रही थी....

चांदनी –(धीरे से संध्या को) मौसी आपक अभय अब यही रहेगा हमेशा के लिए dont worry आप नाश्ता करो बस....

संध्या –(हल्का हस के) हम्ममम....

नाश्ते के बाद चांदनी हवेली में रुक गई संध्या के साथ शालिनी अपने साथ अभय ओर शनाया को लेके कॉलेज की तरफ निकल गई रस्ते में....

शालिनी –अभय आज से तू अकेला कही नहीं जाएगा....

अभय –(मुस्कुरा के) मा आप बिल्कुल भी परेशान मत हो कुछ नहीं होगा मुझे....

शालिनी – तुझे कोई एतराज है अकेले बाहर न जाने से....

अभय –(शालिनी के हाथ में अपना हाथ रख के) मां किसी में इतनी हिम्मत नहीं आपके बेटे को छू भी सके कोई मै जनता हूँ आप कल के हादसे से परेशान हो....

शालिनी –तू समझ नहीं रहा है अभय वो जो भी है वो....

अभय –(बीच में बात काट के) यही ना कि उसने मुझे ओपिन चैलेंज दिया है....

शालिनी –(हैरानी से) तू ये कैसे कह सकता है....

अभय –(हस के) तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम , इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम , यही लिखा था न उस कागज में मां , मै अच्छे से समझ गया था उसे पढ़ के की उसने मुझे चैलेंज दिया है....

शालिनी –(कुछ सोच के) आखिर कौन हो सकता है वो....

अभय –ये बात तो पक्की है मां वो जो भी है मुझे जनता है अच्छे से....

शालिनी –(अभय की बात सुन) मुझे लगता है अभय गांव में अब सबको पता चल जाना चाहिए तू कौन है....

अभय –नहीं मां....

शालिनी –लेकिन क्यों बेटा....

अभय –मां मुझे लगता है वो जो भी है वो भी यही चाहता है कि पूरे गांव को पता चल जाय मेरे बारे में....

शालिनी – (चौक के) क्या मतलब है तेरा और वो क्यों चाहेगा कि तेरे बारे में पूरे गांव को पता चले इसमें उसका क्या फायदा....

अभय – यही बात तो मुझे समझ नहीं आ रही है मां....

तभी कॉलेज आ गया अभय और शनाया उतर के जाने लगे तभी शालिनी ने अभय को अपने पास बुलाया....

अभय – हा मा....

शालिनी – तू गन रखता है अपने पास आज भी....

अभय –हा मा रखता हु....

शालिनी – प्लीज ध्यान रखना अपना देख तुझे कुछ हो गया तो....

अभय –(बीच में बात काट के) मां उस पहेली का जवाब पता है आपको क्या है....

शालिनी –क्या जवाब है उस पहेली का....

अभय –पहेली (वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन) जवाब है INSAAF....

शालिनी –(हैरानी से) किस चीज का INSAAF मांग रहा है वो....
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जारी रहेगा✍️✍️
 
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