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Incest Aman Villa 2 (shams khan)

ronny aaa

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yeh story mere favourite writer " shams khan " ki hai jisko mai hindi mai anuvaad kar rahu hu::::::!! chalo dosto start karte hai story ---+++



जैसे की आप सब जानते हैं कि अमन ने अपनी अम्मी रज़िया से मोहब्बत किया और उसे अंजाम तक भी पहुँचाया। अमन और रज़िया की मोहब्बत की निशानी इस दुनियाँ में आज से 20 साल पहले आई थी, एक खूबसूरत परी के रूप में। उस परी का नाम रखा गया सोफिया।

अमन की दूसरी बीवी और सगी बहन अनुम, जो अमन से बेपनाह प्यार करती थी। जिसने अपनी सार जिंदगी सिर्फ़ अमन के नाम कर दी । अमन से अनुम को दो बच्चे हुये, पहला बेटा जीशान जिसे प्यार से सभी ‘जी’ बुलाते थे। और दूसरी बेटी लुबना। दोनों बच्चे थे तो अनुम के, पर दुनियाँ की नजर में अमन और अनुम का रिश्ता भाई बहन का था। इसलिए उन दोनों बच्चों को शीबा ने अपना नाम दिया। वो कहने को तो जीशान और लुबना की अम्मी थी पर उसके दिल में इन दोनों बच्चों के लिए नफरत और जलन कभी कम नहीं हो पाई। `

अमन की तीसरी बीवी शीबा-शीबा अमन से प्यार करती थी, पर उतना नहीं जितना रज़िया और अनुम। शायद यह वजह थी की अमन उसे इतना प्यार कभी नहीं दे पाया, जितने की वो हकदार थी। यह बात उसे अंदर ही अंदर खाये जाती थी। अमन से शीबा को एक बेटी हुई जिसका नाम रखा गया नग़मा। तो चलिए मिलते हैं हमारे अमन विला के सुपर स्टार अमन ख़ान से।

अमन ख़ान-पेशे से बिजनेसमैन है, उमर 40 साल के आस-पास है, फिट और सेक्सुअल एडिक्ट। इस बंदे ने अपनी जिंदगी में हर वो चीज हाँसिल किया जो उसे अच्छी लगती थी, चाहे वो फिर उसकी अपनी अम्मी रज़िया ही क्यूँ ना हो।

रज़िया बेगम-उमर के इस पड़ाव में भी रज़िया की खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी। जैसे-जैसे उसकी उमर बढ़ रह थी वैसे-वैसे उसके हश-ओ-जमाल अपने परवाज़ पे था। सोफिया की वो अम्मी थी पर दुनियाँ वाले और घर के जवान लोग इस बात से बिल्कुल अंजान थे।

अनुम ख़ान-उमर 41 साल, रात भर अमन की बाहों में रहने से इसकी जवानी कभी ना ख़तम होने वाली बात लगती थी। दो बच्चो की माँ अनुम ने खुद को इस कदर मेंटेन किया था की कोई भी उसे एक बार देखे तो देखता ही रह जाए।

शीबा-उमर 38 साल, जवान खूबसूरत मगर शातिर। इसके दिमाग़ में हर वक्त बस एक ही चीज घूमती थी की किस तरह अमन को रज़िया और अनुम से दूर किया जाए। पिछले 20 सालों से वो अपनी इस कोशिश में नाकाम रही है।

जीशान ख़ान-इस परिवार का लम्बा, सांवला और खूबसूरत लड़का, एक खूबसूरत गबरू जवान, बिल्कुल अपने अब्बू अमन की कार्बन कापी। जिस तरह अमन को एक्सरसाइज का शौक था, उसी तरह जीशान को भी है। अपने सिक्स पैक की वजह से वो कालेज और फ्रेन्ड सर्कल में काफी मशहूर है। एक आकर्षक पर्सनाल्टी का मालिक जीशान बहुत ही खुशमिजाज और जिंदगी जीने वाला बंदा है। थोड़ा शरारती है पर हर किसी का ख्याल भी उतना ही रखता है। सभी बहनों का लाड़ला जीशान।

सोफिया ख़ान-बला की खूबसूरत , बिल्कुल अपनी अम्मी रज़िया की तरह। जो भी इस हसीन दोषीजा को देखता उसकी तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाता, कालेज स्टूडेंट सोफिया 20 साल की है, फैशन डिज़ाइनर का कोर्स कर रह है। थोड़ी चंचल, थोड़ी नटखट सी रहने वाली सोफिया बचपन से अपने दिल में एक शख्स की तस्वीर बना चुकी है।

लुबना ख़ान-उमर 18 साल, बहुत भोली - भाली किसी की भी बात पे झट से भरोसा कर लेती है। अपने भाई जीशान से सबसे ज्यादा प्यार करने वाली लुबना को लाइफ में कोइ टेंशन नहीं है। जियो और जीने दो वाली पॉलिसी पे चलती है। थोड़ा गुस्सा जल्द आता है, पर दिल की बहुत साफ है।

नग़मा ख़ान-उमर 18 साल, अपनी अम्मी शीबा की तरह शातिर। दिमाग़ तो है नहीं पर जाहिर ऐसे करती है जैसे दुनियाँ भर की अकल इसी को है। कालेज स्टूडेंट है।
तो दोस्तों-ये था अमन और उसका परिवार।

***** *****
 

ronny aaa

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ईद का चाँद नजर आ चुका था। सारी रौनक बाजारों में जमा हो गई थी। हर तरफ कल की तैयारी की धूम थी। हर कोई ईद के दिन खूबसूरत दिखना चाहता था और इसी वजह से अमन ख़ान का खानदान शॉपिंग के लिए घर से निकल चुका था।


रज़िया अपनी बेटी अनुम और बहू शीबा के साथ कार में बैठी हुई थी और सोफिया की निगरानी में लुबना और नग़मा अपनी पसंद की चूड़ियाँ खरीद रही थीं।

लुबना सोफिया को चुटकी लेती हुई धीमी आवाज़ में कहती है-“आपी, क्या आप भी बाबा आदम के जमाने की चूड़ियाँ देख रही हो। चलो ना… वहाँ सामने देखो ना कितनी प्यार चूड़ियाँ दिख रही है चलो ना…”

नग़मा-हाँ आपी चलकर देखते हैं।

सोफिया-“उफफ्फ़ हो अच्छा बाबा चलो…” और तीनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर उस भीड़-भाड़ वाले हिस्से की तरफ चल देती हैं, जहाँ पता नहीं किस वजह से इतनी भीड़ जमा थी।

लुबना-“ये जेशु भाई को भी आज ही जाना था अपने दोस्त के साथ। क्या हो जाता अगर वो हमें शॉपिंग करवाने लाते…”

सोफिया-“हाँ यार, देख ना कितनी भीड़ जमा है यहाँ। पता नहीं ऐसी कौन सी चूड़ियाँ मिल रही हैं?” वो तीनों लोगों को धकेलते हुये उस दुकान के पास आ जाती हैं। तीनों की नजरें सामने पड़ी हुई चूड़ियों पे पड़ती है। रंग-बिरंगी हर कलर की खूबसूरत चूड़ियाँ । लुबना के साथ-साथ नग़मा और सोफिया की आँखें भी चमक जाती हैं। तीनों इतने खुश थे कि बस पूछो मत।

पाँच जवान लड़के मिलकर ये दुकान संभाले हुये थे। चार की शकलें देखाई दे रही थीं, पर वो पाँचवाँ बंदा उन तीनों की तरफ पीठ करके बैठा हुआ था और उसके पास सबसे ज्यादा भीड़ लगी हुई थी। जवान, कम उमर से लेकर मेच्योर उमर की हर ख़ातून (विमन) उस शख्स को घेरे हुई थीं।

नग़मा आँखों के इशारे से सोफिया और लुबना को दिखाती है सामने का नजारा।
बस एक पल के लिए वो शख्स अपना चेहरा घुमाकर देखता है।

और लुबना के मुँह से एक खौफनाक चीख निकलती है– “जीश उउ भाईई…” वो इतने जोरों से चीखी थी कि पास में खड़े हुये हर इंसान पे खौफ तरी हो गया था।

सोफिया और नग़मा बुरी तरह डर गई थी कि पता नहीं अचानक ये लुबना को हो क्या गया है? वो दोनों लुबना के चेहरे को देख रही थीं और लुबना सामने उस शख्स के चेहरे को।

जब सोफिया और नग़मा-लुबना की आँखों का पीछा करती हुई अपनी गर्दन घुमाकर वहाँ देखती हैं, जहाँ लुबना देख रही थी तो मारे हैरत के उन दोनों के मुँह से भी बस यह निकलता है-

“जीशान भाई…”

सामने बैठा वो पाँचवाँ शख्स और कोई नहीं बल्की अमन विला का एकलौता चश्मो चिराग और अमन ख़ान का बेटा जीशान ख़ान था जो अपने चारों दोस्तों के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ आज की रात ये मशहूर-ओ-मारूफ़ बिजनेस करने चाँदनी चौक में डेरा जमाए हुये था।

नग़मा और सोफिया के चेहरे पे पहले खौफ और फिर हँसी के बादल छा गये थे।

दोनों लड़कियाँ बुरी तरह हँसे जा रही थी उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की जीशान ऐसा कोई काम भी कर सकता है। पर लुबना जीशान की सगी छोटी बहन… उसके दिल पे तो जैसे साँप रेंग रहे थे। वो आग का गोला हो चुकी थी, जिसे छूते ही कोई भी चीज बच ना पाए।

लुबना की आँखों की चमक देखकर जीशान का दिल बुरी तरह धड़क रहा था। वो जानता था की अगर एक मर्तबा लुबना नाराज हो जाये तो उसे मनाना मतलब लोहे के चने चबाना। वो लुबना की तरफ बढ़ता है। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लुबना पैर पटकती हुई अपनी कार की तरफ बढ़ जाती है, जहाँ रज़िया, अनुम और शीबा बैठी हुई थीं।

जीशान लुबना का हाथ पकड़ लेता है-“अरे लुबु मेरी बात तो सुन… जरा देख कितनी प्यार चूड़ियाँ लाया हूँ तेरे लिए…”

लुबना अपने हाथ में चूड़ियाँ लेकर फेंक देती है-“ये चूड़ियाँ उन तितलियों को पहनाओ जो तुम्हारे आस-पास मंडरा रही थीं। मुझे नहीं चाहिए छोड़ो मेरा हाथ…”

जीशान-“इतना गुस्सा अच्छा नहीं बेबी…”

लुबना उस वक्त किसी की बात नहीं सुनने वाली थी। वो जीशान की आँखों में देखती हुई कहती है-“छोड़ो मेरा हाथ वरना अच्छा नहीं होगा…”

जीशान थोड़ा आगे बढ़ता है और लुबना की पेशानी से अपनी पेशानी टिका देता है और उसकी आँखों में देखने लगता है-“मेरी प्यारी लुबु इधर देखो…”

ना जाने क्या था उन आँखों में की उसकी तपिश लुबना बर्दाश्त नहीं कर पाती और जोर से अपना हाथ छुड़ा के वहाँ से चल देती है।
 

ronny aaa

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सोफिया और नग़मा पीछे हल्के-हल्के कदम के साथ चल आ रही थी।

जीशान फिर से लुबना के सामने आ जाता है-“अरे यार, बस भी करो लुबना… मैंने कहा ना, मैं अपनी मर्ज़ी से यहाँ नहीं आया था। वो मेरा दोस्त जावेद, मुझे जबरदस्ती मुझे साथ ले आया।

लुबना इधर-उधर देखती है। उसे पास में एक पुलिस वाला खड़ा दिखाई देता है जो शायद काफी वक्त से इन दोनों की तरफ ही देख रहा था।

लुबना उस पुलिस वाले को देखकर दिल में खुश हो जाती है और फिर जोर से चिल्लाती है-“बचाओऊ बचाओऊ…”

डर के मारे जीशान फौरन लुबना का हाथ छोड़ देता है और उसे फटी-फटी नजरों से देखने लगता है-“अरे कमबख्त मारी चुप हो जा, क्या हुआ है तुझे?”

लुबना की आवाज़ सुनकर वो पुलिस वाला दौड़ता हुआ उनके पास आ जाता है-
पुलिस-“क्या बात है मेडम कोई प्राब्लम है?”

लुबना-“ये शख्स मुझे परेशान कर रहा है सर…”

जीशान की पलकें झपकना बंद हो जाती हैं आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है और मुँह खुला का खुला रह जाता है-“क्या?”

पुलिसवाला जीशान का कलर पकड़ लेता है और उसे ऐसी नजरों से देखता है जैसे लुबना उस पुलिस वाले की बहन हो और जीशान कोई आवारा लोफर जो उसे छेड़ रहा था।

जीशान पुलिस वाले को समझाता है-“देखिये सर, ये लड़की मेरी बहन है और ये मुझसे बदला लेने के लिए ये सब कह रही है। बोलो ना लुबना?”

लुबना इधर-उधर देखते हुये-कौन लुबना?

जीशान को दूसरा झटका लगता है।

पुलिस वाला -“मैं अच्छी तरह जानता हूँ तुम जैसे रोड साइड रोमियो को। पहले लड़की को परेशान करते हो, उसके बाद कोई मामा दिख जाए तो उसे बहन बना लेते हो। चलो हवालात…”

जीशान खुद को संभालता हुआ-“माइींड योर लैंग्वेज इनस्पेक्टर। डू यू नो हू आई एम?”

इनस्पेक्टर-“ओह्ह… क्या बात है? इंग्लिश? तू चल मेरे साथ हवालात, तेरी सारी इंग्लिश विंग्लिश ऐसे बाहर निकाल दूँगा कि फिर कभी किसी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखेगा…”

जीशान लाख कोशिश करता है लुबना को समझाने की, पर लुबना के कानों पे तो जैसे जूँ तक नहीं रेंग रही थी। वो टस से मस नहीं हुई। और वो पुलिस वाला अपने दो और साथियों की मदद से जीशान को पास के पुलिस स्टेशन ले जाता है।

सोफिया और नग़मा-लुबना के पास पहुँचती हैं और जब उन्हें पता चलता है कि इस बेवकूफ़ ने अपने गुस्से की वजह से जीशान को हवालात की सैर करवा दी तो वो फौरन अमन ख़ान को फोन करके सारा माजरा बताती हैं।

अमन ख़ान की शिमला में काफी इज़्ज़त थी। अमन अपने दोस्त और उस इलाके के डी॰एस॰पी॰ को फोन करता है। तकरीबन 3 घंटे के बाद जीशान फटे कपड़ों के साथ पुलिस स्टेशन से बाहर निकलता है। अंदर उसकी कुछ पुलिस वालों के साथ हाथा-पाइ हो गई थी। वो तो शुकर रहा की अमन सही वक्त पे वहाँ पहुँच गया वरना फिर बात बिगड़ते देर ना लगती।

अमन जीशान को कार में बैठने के लिए कहता है। दोनों बाप बेटे घर की तरफ रवाना हो जाते हैं। जबसे ये खबर घर की औरतों को पता चली थी उनकी बेचैनी का ठिकाना नहीं था। अनुम तो जैसे तड़प सी गई थी। उसने गुस्से में एक जोरदार थप्पड़ भी लुबना को रसीद कर दी थी।
 

Arun Rajput

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nice story

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Desi Man

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बढ़ीया कहानी है दोस्त
 

ronny aaa

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धन्यवाद भाई
 

ronny aaa

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