Sajiya jaan
Hottie
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पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे कोई दलील पेश कर रहा हो कि “क्योंकि समाज में छोटा सा अंश चोरों का है इसलिए मेरे डकैत बनने पर किसी ने आपत्ति नहीं उठानी चाहिए और ना ही किसीको मेरी डकैती का विरोध करना चाहिए”। ये कैसा बेहूदा और बचकाना बचाव है कि क्योंकि दूसरे गलती करते हैं तो मेरी गलती पर आपत्ति क्यों? इस तरह की दलीलें इस देश के राजनीतिक नेता अपने बचाव में करते हैं जिसके कारण पूरे देश की जनता दुःखी और परेशान है, उसमें आप सम्मिलित नहीं होंगे तो बेहतर होगा। और गौर करने वाली बात यह भी है कि incest के नाम पर जो भी परोसा जा रहा है कम से कम वह कल्पनाओं और फंतासियों के नाम पर परोसा जा रहा है। आप जो लिख रहे हो वह सत्य घटनाओं के नाम पर लिख रहे हो, इसलिए उनपर आपत्ति उठाना बिल्कुल वाजिब है।Dekho mitra, is duniya me kai tarah ke mc aur bc bhare pade hai, main aapko proof bhi de sakta hu ki aise log hai.
Ab jo khud chahe ki uski aisi dtory likhu, to mujhe kya hai, main bas likhta hu, aur isme mujhe koi buraai nhi dikhti.
Aur waise bhi, yaha kitne log incest likhne aur padhne aate hai, kam se kam main unki tarah ghatiya to nhi likhta ki bete apni hi maa chodne lage.
Aur wo ghatiya story bhi yaha bahut hai, jaha jawaan aouraton ko ghatiya, nolar aur buddho se chudwate hai, to kya jawaan aourten aisi hi hoti real me, ki jawaan mard chhod kar buddhe chune, hahahaha
Khair, maine to dusron ki aap beeti likhta hu bas, par incest kabhi nhi likha ab tak, aur na hi kisi buddhe ko janran hero banaya.
Aasha karta hu ki aapko kahani pasand aaygi.
Dhanyabaad.
Is baar intzaar lamba hi ho gaya…. Ab to Mega-update banta hai bhai
is baar lagta hain lamba intezaar karna padega
hope aap jaldi hi update doge...thx.
Update plz bahut time hua
पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे कोई दलील पेश कर रहा हो कि “क्योंकि समाज में छोटा सा अंश चोरों का है इसलिए मेरे डकैत बनने पर किसी ने आपत्ति नहीं उठानी चाहिए और ना ही किसीको मेरी डकैती का विरोध करना चाहिए”। ये कैसा बेहूदा और बचकाना बचाव है कि क्योंकि दूसरे गलती करते हैं तो मेरी गलती पर आपत्ति क्यों? इस तरह की दलीलें इस देश के राजनीतिक नेता अपने बचाव में करते हैं जिसके कारण पूरे देश की जनता दुःखी और परेशान है, उसमें आप सम्मिलित नहीं होंगे तो बेहतर होगा। और गौर करने वाली बात यह भी है कि incest के नाम पर जो भी परोसा जा रहा है कम से कम वह कल्पनाओं और फंतासियों के नाम पर परोसा जा रहा है। आप जो लिख रहे हो वह सत्य घटनाओं के नाम पर लिख रहे हो, इसलिए उनपर आपत्ति उठाना बिल्कुल वाजिब है।
आपने एक अच्छा बहाना ढूंढ लिया है कि “मैं तो जिस व्यक्ति की जिंदगी की यह सत्य घटनाएं हैं उसके कहे अनुसार और उसकी इच्छा के अनुसार लिख रहा हूँ”। क्या आपको अपनी बुद्धि, अपने अनुभवों और अपने विवेक को ताक पर रख कर लिखना चाहिए? इस गलतफहमी से बाहर आ जाइए कि इस तरह की दलील से आप एक लेखक के रूप में आपकी जवाबदेही से पल्ला झाड़ सकते हैं।