हम बिलकुल ही काल्म बंदा है। वो तो हम स्वयमली ये महसूस किए , कि कुछ तो रोंगली है । हमारी नालेजनिंग मे मानु ने कुछ रोंगली किया ही नही ।
वैसे भी हम जादा ना सिर्फ दो चार बार - ली ही बोले । एक लेवि के कमेन्ट पर , एक माही के कमेन्ट पर , एक ए पी के कमेन्ट पर और एक ज्ञानी भाई के कमेन्ट पर ।
लेकिन हम को क्या पता था कि राई का पहाड़ बन जाएगा ! वैसे लेवि और ए पी ने फाॅल्कन वालों को घुँघरू की तरह बजा डाला । दिस वाज टू बैड।
इसीलिए मानु को स्टोरी सेक्शन मे वापस भेज दिया कि कहीं इलेक्शन के चक्कर मे उसकी स्टोरी और आईडेंटिटी का शटनिंग न हो जाए ।
बेकार मे हम " जिंस - ए - उल्फत का फकीर " बनने गए ।
और जहां तक आपकी बात है -
" आलम मे तुझ से लाख सही , तू मगर कहां "