अदाएँ नहीं कुछ भी पर
इतनी हसीन तुम हो कि
हर बात तुम्हारी अदाओं में तब्दील हुई
शब्द बहुत हैं मेरे पास पर
तेरी तारीफ में आज न जाने कैसे
उनकी बोलती बंद हुई
इश्क नहीं तू मेरा और न ही
औरों की तरह मेरी नजरों में तेरी साधारण सी हस्ती हुई
तू तो न जाने क्यूँ मेरे लिये कुछ खाश और अजीजों से भी ज्यादा अजीज हुई
कई बार लोगो ने पूछा तेरे मेरे रिश्ते का नाम
और हर बार हम चुन ही न पाये दोस्ती और प्यार में से कोई एक जवाब
क्यूँकि हमें खबर ही न हुई की कब तेरे मेरे इस अजनबी और अनजाने रिश्ते की डोर बेहद खाश दोस्ती में मुकम्मल हुई।