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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–29




जैसे ही रूही हिल हुई वह अपने घुटनों पर बैठकर अपना सर झुकाती… "दंत कथाओं का एक पात्र प्योर अल्फा से कभी मिलूंगी, ये तो कभी ख्यालो में भी नही था। प्योरे अल्फा अब तक की एक मनगढ़ंत रचना, जो किसी पागल के कल्पना की उपज मानी जाती थी, वह सच्चाई थी, यकीन करना मुश्किल है। मेरे नजरों के सामने एक प्योरे अल्फा हैं, अद्भुत... अब समझ में आया कि क्यों तुम पर वेयरवोल्फ के एक भी नियम लागू होते। अब समझ में आया की क्यों तुम्हे पहचान पाना इतना मुश्किल है। तुम तो सच के राजा निकले।"


प्योर अल्फा यह कोई शब्द, उपाधि या फिर वेयरवॉल्फ के प्रकार नही था। यह तो अपने आप में एक पूरी सभ्यता का वर्णन था। पौराणिक कथाओं की माने तो वेयरवोल्फ के जितने भी प्रकार होते है फिर चाहे वह बीटा, अल्फा या बीस्ट अल्फा क्यों न हो सब में खून के पीछे आकर्षण और प्रबल मानहारी प्रवृत्ति होती है। और अपने इसी आदतों के कारण वेयरवोल्फ अपनी बहुत सी अलग ताकत को खो देते हैं, जैसे की खुद को और किसी और को हिल करने की अद्भुत क्षमता। दूसरों के हिल किए जहर को हथियार के तरह इस्तमाल करना। कुछ अनहोनी होने से पहले के संकेत। किसी भी जीव के भावना को दूर से मेहसूस करना। अपने क्ला पीछे गर्दन में घुसकर किसी के भी मस्तिस्क के यादों में झांकना... और उन्हें मिटाने तक की काबिलियत... हालांकि यादों में तो हर अल्फा वुल्फ झांक सकते हैं लेकिन चुनिंदा यादों को मिटाने की शक्ति ट्रू–अल्फा होने के बाद ही विकसित होती है...

यधपी यह सभी गुण हर वेयरवोल्फ में पाए जाते हैं। लेकिन जैसे–जैसे वेयरवॉल्फ के अंदर का दरिंदा प्रबल होता है, बाकी सारी शक्तियां स्वतः ही कमजोर होती चली जाती है। इसलिए वेयरवोल्फ में सर्वोत्तम एक ट्रू–अल्फा माना जाता है। हां लेकिन एक ट्रू–अल्फा भी अपनी सर्वोत्तम शक्ति को खो देता है जब वह दरंदगी पर उतर जाता है। ट्रू–अल्फा को कठोर अनुसरण तमाम उम्र करनी होती है। और सबसे आखरी में वुल्फ के नियम... यह नियम हर वुल्फ पर लागू होते हैं, किसी में थोड़ा ज्यादा तो किसी में थोड़ा कम.… जैसे की वुल्फ को मारने की विधि... दूसरा इनका इंसानी पक्ष निर्बल होता है और वुल्फ साइड उतना ही बलशाली... एक बीटा 4 शेर के समान शक्तियां रखता है...

लेकिन प्योर अल्फा के साथ कोई बंदिशे नही। वेयरवॉल्फ के सारे अलौकिक गुण किसी परिस्थिति में नही खो सकता, फिर वह खुद को पूरा सैतान बना ले या फिर खुद को पूरा इंसान। इनके किसी भी रूप में, फिर वो इंसानी रूप हो या भेड़िए का, शक्ति एक समान होती है। इसके क्ला या फेंग से घायल होने वाले वुल्फ नही बनते... और भी बहुत सारे गुण जो वक्त के साथ एक प्योर अल्फा अपने अंदर विकसित कर सकता है। जबतक प्योर अल्फा खुद अपनी असलियत ना सामने लाये तबतक कोई जान नही सकता। और इनकी एक ही पहचान होती है जो हर वेयरवोल्फ को उसका अल्फा पौराणिक कहानियों का एक शक्तिशाली वुल्फ के रूप में बताता है... "प्योर अल्फा जब रूप बदलकर वेयरवोल्फ बनता है, तब उसका रूप अलौकिक होता है। उसका पूरा बदन चमक रहा होता है, जिसे दूर से भी देखकर पहचान सकते हैं।"


रूही के अंदर की हालत वही समझती थी। अंदर ऐसी भावना थी जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता था। वह अभी अपने घुटनों पर थी। अपना सर झुकाये घोर आश्चर्य और अप्रतिम खुशी में संलिप्त थी। आर्यमणि, रूही का हाथ थामकर उसे उठाते हुये... "आओ मेरे साथ।" रूही, आर्यमणि के साथ घायल पड़े ट्विन अल्फा के पहले भाई के पास पहुंची।… "इसे मारकर अल्फा बनो। हां लेकिन खून चूसना और मांस भक्षण नहीं। मुझे अपने पैक में किसी भी जीव के खून चूसने और उनका मांस खाने वाले नहीं चाहिए।"


रूही अपनी सहमति देती.… "आप बैठ जाइये और शिकार का मज़ा लीजिए।"… रूही आगे बढ़ी। पाऊं के पास ही ट्विन अल्फा दर्द से बिलख रहे थे। हाथ तो बचा ही नहीं था। किसी तरह अपनी हलख से दर्द भरी आवाज मे रहम की भीख मांग रहे थे। रूही आराम से बैठकर ट्विन अल्फा के सर पर हाथ फेरती एक बार आर्यमणि से नजरें मिलाई। आर्यमणि ने इधर नज़रों से सहमति दिया और उधर रूही अपने 4 इंच लंबी धारदार नाखून, ट्विन अल्फा के गर्दन में घुसाकर पूरा गला फाड़ दी। गला फाड़कर अंदर के नालियों को तब तक दबोचे रही जबतक की उनके प्राण, उनके शरीर से ना निकल गये।


जैसे ही शरीर से प्राण निकला, रूही की विजयी दहाड़ अपने आप ही निकल गई। पीली सी दिखने वाली रूही की आंखें लाल दिखने लगी। पास पड़े घायल सभी बीटा और ट्विन का बचा हुआ एक अल्फा सोक की धुन निकालने लगा। रूही ने जब खुद के अंदर एक अल्फा की ताकत को मेहसूस की, तब एक और दहाड़ लगा दी। इधर रूही की ताकत के नशे कि दहाड़ निकली उधर आर्यमणि दहाड़। जैसे ही उसकी दहाड़ रूही सुनी वो अपने घुटने और पंजे को जमीन से टिकाकर गुलामों की तरह सर झुकाने पर विवश हो गई। रूही की नजर जमीन को ताक रही थी…. "रूही ताकत को मेहसूस करना अच्छी बात है लेकिन मेरा पैक ताकत के नशे को मेहसूस करे, मंजूर नहीं।"..


रूही…. पहली बार था, मै अपने अरमान काबू नहीं कर पायि।


आर्यमणि:- अगले 2 महीने तक मै तुम्हे शक्तियों को काबू करना सिखाऊंगा। काम जल्दी खत्म करो। पहले दूसरे अल्फा की शक्ति लो, फिर यहां से भागे बीटा को खत्म करो। मै नहीं चाहता कि प्योर अल्फा की भनक भी किसी को लगे।


रूही:- जैसा आप चाहो।


रूही ट्विन ब्रदर के बचे दूसरे भाई की ताकत को भी खुद में समाती, तेज दहाड़ के साथ दौड़ लगा दी। तकरीबन आधे घंटे बाद रूही खून में नहाकर विजयि मुस्कान के साथ लौटी… "लाश तक के निशान को मिटा आयी बॉस।"


आर्यमणि:- यहां भी सब साफ है.. अब चलें..


रूही आर्यमणि के करीब पहुंचकर कहने लगी… "जानवर जंगल में सहवास करते है और उनके बीच कोई बंधन नहीं होता"..


आर्यमणि उसकी आखों में झांका और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसे चूमने लगा। रूही तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकालकर नीचे बैठ गई और आर्यमणि के पैंट को खोलि और लिंग को बाहर निकालकर उसपर अपनी जीभ फिराने लगी। आर्यमणि उसके सर पर अपने दोनो पंजे टिकाये गर्दन को ऊपर करके तेज-तेज श्वांस लेने लगा। रूही कुछ देर तक अपनी जीभ लिंग पर फिराने के बाद, लिंग को पूरा मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी। ये उत्तेजना आर्यमणि के धड़कनों को उस ऊंचाई पर ले गयि जिस कारण उसका शेप शिफ्ट हो गया और वो पूर्ण वुल्फ दिख रहा था।


बिल्कुल सफेद वुल्फ अपने तरह का इकलौता। जैसे ही आर्यमणि ने शेप शिफ्ट किया उसने बड़ी बेरहमी से रूही का बाल पकड़ कर उठाया और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसके योनि को अपने बड़े से पंजे में दबोच कर मसलने लगा। उत्तेजना आर्यमणि पर पूरा हावी था और वो पूरी तरह से रूही पर हावी हो चुका था। दर्द और मज़ा का ऐसा खतरनाक मिश्रण रूही ने आज से पहले कभी मेहसूस नहीं की थी। वो भी अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने दोनो हाथो से आर्यमणि के लिंग को पूरे गति में ऊपर नीचे करने लगी। लिंग पर हाथ की गर्माहट, आर्यमणि के अंदर के तूफान को ऐसा भड़काया... उसने तेजी से रूही को पेड़ से टिका दिया। रूही भी अपने हाथ के सहारे के पेड़ को पकड़ती कमर को पूरा झुका दी और अपने दोनो टांग को पूरा खोलकर, आर्यमणि को निमंत्रण देने लगी।


पंजे वाले दोनो हाथ रूही के कमर के दोनों ओर और जोरदार झटके के साथ पुरा लिंग योनि के अंदर। रूही सिसकियां लेती अपने कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। हर धक्के के साथ नीचे के ओर लटक रहे स्तन मादक थिरक के साथ हिल रहे थे। रूही का पूरा बदन धक्के के झटके से हिल रहा था। आर्यमणि का जोश पूरे उफान पर था, जो रूही के योनि के अंदर तूफान मचा रहा था।


आर्यमणि लगातार धक्के दिए जा रहा था। प्योर अल्फा के स्टेनमना के सामने रूही कबका थक चुकी थीं। उसकी उखड़ती स्वांस अब बस इस खेल को अंतिम चरण में देखना चाहती थीं। तभी आर्यमणि की गति काफी तेज हो गई। रूही तेजी के साथ सीधी खड़ी हुई और घूमकर आर्यमणि के लिंग को अपने मुट्ठी में भरकर तेज-तेज मुठ्ठीयाने लगी। कुछ ही देर में तेज पिचकारी के साथ आर्यमणि ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफते हुए वो पीछे हट गया।


रूही अपने फटे कपड़े अपने ऊपर डालकर आर्यमणि के पास ही बैठ गई। काफी देर तक दोनो ख़ामोश बैठे रहे। … "जाओ मेरा बैग ढूंढ़कर लाओ"..


रूही:- रुको तो काफी थकी हूं। थोड़ा रिलैक्स तो करने दो। मज़ा आ गया आर्य।


आर्यमणि:- जानवर है... जंगल में सेक्स करते है... फिर इमोशन इंसानों वाले क्यूं आने लगे।


रूही:- बाद ने पछतावा हो रहा था। इतने मजेदार सेक्स के बाद बिस्तर पर लुढकने का अपना ही मजा आता। कोई ना अगली बार..


आर्यमणि:- तुम्हे यकीन है मै दूसरी बार तुम्हारे हाथ आऊंगा?


रूही:- तुम्हे अपनी रानी चाहिये तो सेक्स के वक़्त तुम्हे अपनी बढ़ी धड़कनों पर काबू पाना सीखना होगा। तुम्हे कोई पकड़ नहीं पाया क्योंकि तुम पूर्ण नियंत्रण सीख कर नागपुर पहुंचे सिवाय एक के... राइट बेबी।


आर्यमणि:- हम्मम ! सही अनुमान है। बस एक ही बात का अब डर लगा रहा है।


रूही:- क्या?


आर्यमणि:- कहीं तुम मुझे ना चाहने लगो और हमारी बात पलक को ना पता चल जाये।


रूही:- हम सीक्रेट रिलेशन मेंटेन रखेंगे तुम परेशान ना हो। चलो अब स्माइल करो। वैसे भी तुम यहां आये हो इसका मतलब है आगे बहुत सी घटनायें होनी है।


आर्यमणि:- मै तुम्हारे ज्ञान को लेकर दुविधा में हूं। प्योर अल्फा का तो किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, तुम्हे कैसे पता?


रूही:- मेरी आई एक ट्रू–अल्फा थी। जिसके पैक को शिकारियों ने खत्म कर दिया, और मेरी मां को पकड़कर सरदार खान को सौंप दिया। मेरा जन्म सरदार खान के किले में ही हुआ था। मेरी आई एक कमल की हिलर थी, तुम्हारी तरह शानदार हीलर। सरदार खान की हवसी नजर मुझ पर हमेशा टिकी रहती और मेरी आई हम दोनों के बीच। एक दिन गुस्से में सरदार खान ने उसे खत्म कर दिया।


आर्यमणि:- तो क्या सरदार खान तुम्हारे साथ...


रूही:- जाने दो दरिंदे हैवानों की याद मत दिलाओ। उनका कोई परिवार नहीं होता। मै उस किले कि ऐसी बीटा वुल्फ थी, जिसका कोई पैक नहीं। उस किले में मुझे सड़क से लेकर बाजार तक नोचा गया है। और मेरी बेबसी पर सब हंसते रहते... जानते हो आर्य कॉलेज में जब लड़कों को अपने ओर हसरत भरी नजरो से घूरते देखती हुं, तब जहन में एक ही ख्याल आता रहता है... तुम्हारे लिए मैं यहां खास हूं लेकिन अपनी गली में मै सबकी रखैल सी हूं, जब जहां जिसका मन किया उसने नोचा, फिर किसी ने रहम नहीं दिखाया"

"मुझे नफरत है शिकारियों से। खुद को प्रहरी बताते है, पहरा देने वाले और भटकों को खत्म करने वाले। फिर क्या गलती थी मेरी आई की, जिन्हें इन दरिंदो के बीच में छोड़ दिया। अपने होश संभालते ही केवल नरक देखा है मैंने और महसूस की थी मेरी आई का दर्द, जो मुझे बचाने के लिए वहां घुटती रहती थी। कयी साल आर्य, नरक के कयी साल। हां लेकिन शायद ऊपर कहीं खुदा था, जब पहली वो इंसान मेरे जीवन में आयी। तुम्हारी बहन भूमि। मेरे लिए तो ईश्वर, अल्लाह, मसीहा ऊपर वाले के जितने नाम है, सब वही है।"

"7 साल पहले वो प्रहरी की मेंबर कॉर्डिनेटर बनी थी और अपने 10 साथियों के साथ हमारे किले में घुसी। निडर और ताकतवर प्रहरी, जिसे अपना कर्तव्य याद था कि केवल इंसान ही उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुपरनेचुरल का भी क्षेत्र उनके पहरे के क्षेत्र में आता है।"

"सड़क पर 4 जानवर मुझे नोच रहे थे और मेरी ख़ामोश आंखों के अंदर के आंसू भूमि ने देखे थे। उसका चाबुक चला और 2 बीटा को उसी किले में साफ कर दिया, बिना यह सोचे कि वह 200 से ऊपर वुल्फ से घिरी है। उसी ने मुझे बचाया था। फिर ये तय हुआ कि सुपरनैचुरल शांत है तो क्या हुआ, ऐसे जानवरो की जिंदगी उसे अपने क्षेत्र में नही चाहिये। सभी बच्चे air जवान वेयरवोल्फ पढ़ने जायेंगे और सबके डिटेल प्रहरी ऑफिस में पहुंचने चाहिये। उसी ने मुझे तुम्हारी जिम्मेदारी दी थी, कही थी नजर बनाए रखो।"

"सरदार खान, भूमि के वजह से ही बौखलाए हुए है। अपने अंदर कई सारे राज दबाए बैठा है वो बीस्ट, जिसकी जानकारी भूमि को चाहिए। क्योंकि उसको भनक लग गई है, शिकारी का बहुत बड़ा जत्था अपने आर्थिक फायदे के लिए वुल्फ से मर्डर करवाते है। केवल नागपुर में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यह खेल चल रहा है।"


आर्यमणि:- हां इस खेल के बारे में मुझे भी भनक है। खैर, इतने इमोशनल सेशन के बाद एक सवाल का जवाब दो, पहली मुलाकात से ही मेरे पीछे क्युं पड़ी हो।


रूही:- मज़े करने के लिए। क्या मेरा हक नहीं बनता अपने मन से मज़े करने के। हां लेकिन मैं उनकी तरह तुम्हे निचोड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती नहीं की।


आर्यमणि:- अच्छी लगती हो ऐसे बात करते। अब से पिछली ज़िंदगी को अलविदा कह दो। मुझे अपने पैक मे सब बिल्कुल मस्त और हसने वाले खास इंसान चाहिये। क्या समझी..


रूही:- बॉस बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद हंसमुख होने का टैग लिए घूमते हो। सब तो तुम्हे खडूस ही कहते हैं।


आर्यमणि:- बकवास बंद... मुझे एक कंप्लीट पैक चाहिये। और हां तुमने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए तुम्हारी जहां से प्योर अल्फा की याद नही मिटा रहा। अब तुम एक अल्फा हो और अपने फर्स्ट अल्फा के लिए कोई ढंग का पैक बनाओ। तुम जानती हो न मुझे अपने पैक में कैसे वुल्फ चाहिये या उसकी भी डिटेल देनी होगी...


रूही:- बॉस पैक के लिये वेयरवोल्फ को तो मैं ढूंढ लूंगी लेकिन वो मेरे घर में, मेरे बिस्तर पर… उस वादे का क्या हुआ?


आर्यमणि:- बड़ी उम्मीदें जाग रही है तुम्हारी तो। मुझे निचोड़ने का इरादा तो नही?


रूही:- अपने बॉस से उम्मीद कर रही हूं और ये मेरा हक है। वुल्फ पैक के नियम तो मालूम ही होंगे, या उसकी पूरी डिटेल भी बतानी होगी।


आर्यमणि:- हां समझ गया। यूं तो धड़कन काबू करने के लिये रोज ही प्रैक्टिस चालू रहेगी। लेकिन सरदार खान के किले में बिस्तर वाला खेल एक शुभ मुहरत पर होगा। उस दिन बीस्ट की कहानी खत्म करेंगे और साथ में पूरी रात तुम मुझे निचोड़ती रहना। चलो अब चला जाय।
Mast updates🎉😁
 

nain11ster

Prime
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जब खुलासा हो ही गया है तो हमें उन बातों की सच्चाई जानने का भी हक बनता ही है ।
जरूर । अलग से उनके बारे में अपडेट्स लिखिए । :D
Un 2 updates ke liye pahle mujhe 15-16 update ki bhumika likhni hogi.... Kya aap lead story ko chhod kar itna sacrifice ko taiyar hain :D
 

B2.

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भाग:–29




जैसे ही रूही हिल हुई वह अपने घुटनों पर बैठकर अपना सर झुकाती… "दंत कथाओं का एक पात्र प्योर अल्फा से कभी मिलूंगी, ये तो कभी ख्यालो में भी नही था। प्योरे अल्फा अब तक की एक मनगढ़ंत रचना, जो किसी पागल के कल्पना की उपज मानी जाती थी, वह सच्चाई थी, यकीन करना मुश्किल है। मेरे नजरों के सामने एक प्योरे अल्फा हैं, अद्भुत... अब समझ में आया कि क्यों तुम पर वेयरवोल्फ के एक भी नियम लागू होते। अब समझ में आया की क्यों तुम्हे पहचान पाना इतना मुश्किल है। तुम तो सच के राजा निकले।"


प्योर अल्फा यह कोई शब्द, उपाधि या फिर वेयरवॉल्फ के प्रकार नही था। यह तो अपने आप में एक पूरी सभ्यता का वर्णन था। पौराणिक कथाओं की माने तो वेयरवोल्फ के जितने भी प्रकार होते है फिर चाहे वह बीटा, अल्फा या बीस्ट अल्फा क्यों न हो सब में खून के पीछे आकर्षण और प्रबल मानहारी प्रवृत्ति होती है। और अपने इसी आदतों के कारण वेयरवोल्फ अपनी बहुत सी अलग ताकत को खो देते हैं, जैसे की खुद को और किसी और को हिल करने की अद्भुत क्षमता। दूसरों के हिल किए जहर को हथियार के तरह इस्तमाल करना। कुछ अनहोनी होने से पहले के संकेत। किसी भी जीव के भावना को दूर से मेहसूस करना। अपने क्ला पीछे गर्दन में घुसकर किसी के भी मस्तिस्क के यादों में झांकना... और उन्हें मिटाने तक की काबिलियत... हालांकि यादों में तो हर अल्फा वुल्फ झांक सकते हैं लेकिन चुनिंदा यादों को मिटाने की शक्ति ट्रू–अल्फा होने के बाद ही विकसित होती है...

यधपी यह सभी गुण हर वेयरवोल्फ में पाए जाते हैं। लेकिन जैसे–जैसे वेयरवॉल्फ के अंदर का दरिंदा प्रबल होता है, बाकी सारी शक्तियां स्वतः ही कमजोर होती चली जाती है। इसलिए वेयरवोल्फ में सर्वोत्तम एक ट्रू–अल्फा माना जाता है। हां लेकिन एक ट्रू–अल्फा भी अपनी सर्वोत्तम शक्ति को खो देता है जब वह दरंदगी पर उतर जाता है। ट्रू–अल्फा को कठोर अनुसरण तमाम उम्र करनी होती है। और सबसे आखरी में वुल्फ के नियम... यह नियम हर वुल्फ पर लागू होते हैं, किसी में थोड़ा ज्यादा तो किसी में थोड़ा कम.… जैसे की वुल्फ को मारने की विधि... दूसरा इनका इंसानी पक्ष निर्बल होता है और वुल्फ साइड उतना ही बलशाली... एक बीटा 4 शेर के समान शक्तियां रखता है...

लेकिन प्योर अल्फा के साथ कोई बंदिशे नही। वेयरवॉल्फ के सारे अलौकिक गुण किसी परिस्थिति में नही खो सकता, फिर वह खुद को पूरा सैतान बना ले या फिर खुद को पूरा इंसान। इनके किसी भी रूप में, फिर वो इंसानी रूप हो या भेड़िए का, शक्ति एक समान होती है। इसके क्ला या फेंग से घायल होने वाले वुल्फ नही बनते... और भी बहुत सारे गुण जो वक्त के साथ एक प्योर अल्फा अपने अंदर विकसित कर सकता है। जबतक प्योर अल्फा खुद अपनी असलियत ना सामने लाये तबतक कोई जान नही सकता। और इनकी एक ही पहचान होती है जो हर वेयरवोल्फ को उसका अल्फा पौराणिक कहानियों का एक शक्तिशाली वुल्फ के रूप में बताता है... "प्योर अल्फा जब रूप बदलकर वेयरवोल्फ बनता है, तब उसका रूप अलौकिक होता है। उसका पूरा बदन चमक रहा होता है, जिसे दूर से भी देखकर पहचान सकते हैं।"


रूही के अंदर की हालत वही समझती थी। अंदर ऐसी भावना थी जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता था। वह अभी अपने घुटनों पर थी। अपना सर झुकाये घोर आश्चर्य और अप्रतिम खुशी में संलिप्त थी। आर्यमणि, रूही का हाथ थामकर उसे उठाते हुये... "आओ मेरे साथ।" रूही, आर्यमणि के साथ घायल पड़े ट्विन अल्फा के पहले भाई के पास पहुंची।… "इसे मारकर अल्फा बनो। हां लेकिन खून चूसना और मांस भक्षण नहीं। मुझे अपने पैक में किसी भी जीव के खून चूसने और उनका मांस खाने वाले नहीं चाहिए।"


रूही अपनी सहमति देती.… "आप बैठ जाइये और शिकार का मज़ा लीजिए।"… रूही आगे बढ़ी। पाऊं के पास ही ट्विन अल्फा दर्द से बिलख रहे थे। हाथ तो बचा ही नहीं था। किसी तरह अपनी हलख से दर्द भरी आवाज मे रहम की भीख मांग रहे थे। रूही आराम से बैठकर ट्विन अल्फा के सर पर हाथ फेरती एक बार आर्यमणि से नजरें मिलाई। आर्यमणि ने इधर नज़रों से सहमति दिया और उधर रूही अपने 4 इंच लंबी धारदार नाखून, ट्विन अल्फा के गर्दन में घुसाकर पूरा गला फाड़ दी। गला फाड़कर अंदर के नालियों को तब तक दबोचे रही जबतक की उनके प्राण, उनके शरीर से ना निकल गये।


जैसे ही शरीर से प्राण निकला, रूही की विजयी दहाड़ अपने आप ही निकल गई। पीली सी दिखने वाली रूही की आंखें लाल दिखने लगी। पास पड़े घायल सभी बीटा और ट्विन का बचा हुआ एक अल्फा सोक की धुन निकालने लगा। रूही ने जब खुद के अंदर एक अल्फा की ताकत को मेहसूस की, तब एक और दहाड़ लगा दी। इधर रूही की ताकत के नशे कि दहाड़ निकली उधर आर्यमणि दहाड़। जैसे ही उसकी दहाड़ रूही सुनी वो अपने घुटने और पंजे को जमीन से टिकाकर गुलामों की तरह सर झुकाने पर विवश हो गई। रूही की नजर जमीन को ताक रही थी…. "रूही ताकत को मेहसूस करना अच्छी बात है लेकिन मेरा पैक ताकत के नशे को मेहसूस करे, मंजूर नहीं।"..


रूही…. पहली बार था, मै अपने अरमान काबू नहीं कर पायि।


आर्यमणि:- अगले 2 महीने तक मै तुम्हे शक्तियों को काबू करना सिखाऊंगा। काम जल्दी खत्म करो। पहले दूसरे अल्फा की शक्ति लो, फिर यहां से भागे बीटा को खत्म करो। मै नहीं चाहता कि प्योर अल्फा की भनक भी किसी को लगे।


रूही:- जैसा आप चाहो।


रूही ट्विन ब्रदर के बचे दूसरे भाई की ताकत को भी खुद में समाती, तेज दहाड़ के साथ दौड़ लगा दी। तकरीबन आधे घंटे बाद रूही खून में नहाकर विजयि मुस्कान के साथ लौटी… "लाश तक के निशान को मिटा आयी बॉस।"


आर्यमणि:- यहां भी सब साफ है.. अब चलें..


रूही आर्यमणि के करीब पहुंचकर कहने लगी… "जानवर जंगल में सहवास करते है और उनके बीच कोई बंधन नहीं होता"..


आर्यमणि उसकी आखों में झांका और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसे चूमने लगा। रूही तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकालकर नीचे बैठ गई और आर्यमणि के पैंट को खोलि और लिंग को बाहर निकालकर उसपर अपनी जीभ फिराने लगी। आर्यमणि उसके सर पर अपने दोनो पंजे टिकाये गर्दन को ऊपर करके तेज-तेज श्वांस लेने लगा। रूही कुछ देर तक अपनी जीभ लिंग पर फिराने के बाद, लिंग को पूरा मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी। ये उत्तेजना आर्यमणि के धड़कनों को उस ऊंचाई पर ले गयि जिस कारण उसका शेप शिफ्ट हो गया और वो पूर्ण वुल्फ दिख रहा था।


बिल्कुल सफेद वुल्फ अपने तरह का इकलौता। जैसे ही आर्यमणि ने शेप शिफ्ट किया उसने बड़ी बेरहमी से रूही का बाल पकड़ कर उठाया और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसके योनि को अपने बड़े से पंजे में दबोच कर मसलने लगा। उत्तेजना आर्यमणि पर पूरा हावी था और वो पूरी तरह से रूही पर हावी हो चुका था। दर्द और मज़ा का ऐसा खतरनाक मिश्रण रूही ने आज से पहले कभी मेहसूस नहीं की थी। वो भी अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने दोनो हाथो से आर्यमणि के लिंग को पूरे गति में ऊपर नीचे करने लगी। लिंग पर हाथ की गर्माहट, आर्यमणि के अंदर के तूफान को ऐसा भड़काया... उसने तेजी से रूही को पेड़ से टिका दिया। रूही भी अपने हाथ के सहारे के पेड़ को पकड़ती कमर को पूरा झुका दी और अपने दोनो टांग को पूरा खोलकर, आर्यमणि को निमंत्रण देने लगी।


पंजे वाले दोनो हाथ रूही के कमर के दोनों ओर और जोरदार झटके के साथ पुरा लिंग योनि के अंदर। रूही सिसकियां लेती अपने कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। हर धक्के के साथ नीचे के ओर लटक रहे स्तन मादक थिरक के साथ हिल रहे थे। रूही का पूरा बदन धक्के के झटके से हिल रहा था। आर्यमणि का जोश पूरे उफान पर था, जो रूही के योनि के अंदर तूफान मचा रहा था।


आर्यमणि लगातार धक्के दिए जा रहा था। प्योर अल्फा के स्टेनमना के सामने रूही कबका थक चुकी थीं। उसकी उखड़ती स्वांस अब बस इस खेल को अंतिम चरण में देखना चाहती थीं। तभी आर्यमणि की गति काफी तेज हो गई। रूही तेजी के साथ सीधी खड़ी हुई और घूमकर आर्यमणि के लिंग को अपने मुट्ठी में भरकर तेज-तेज मुठ्ठीयाने लगी। कुछ ही देर में तेज पिचकारी के साथ आर्यमणि ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफते हुए वो पीछे हट गया।


रूही अपने फटे कपड़े अपने ऊपर डालकर आर्यमणि के पास ही बैठ गई। काफी देर तक दोनो ख़ामोश बैठे रहे। … "जाओ मेरा बैग ढूंढ़कर लाओ"..


रूही:- रुको तो काफी थकी हूं। थोड़ा रिलैक्स तो करने दो। मज़ा आ गया आर्य।


आर्यमणि:- जानवर है... जंगल में सेक्स करते है... फिर इमोशन इंसानों वाले क्यूं आने लगे।


रूही:- बाद ने पछतावा हो रहा था। इतने मजेदार सेक्स के बाद बिस्तर पर लुढकने का अपना ही मजा आता। कोई ना अगली बार..


आर्यमणि:- तुम्हे यकीन है मै दूसरी बार तुम्हारे हाथ आऊंगा?


रूही:- तुम्हे अपनी रानी चाहिये तो सेक्स के वक़्त तुम्हे अपनी बढ़ी धड़कनों पर काबू पाना सीखना होगा। तुम्हे कोई पकड़ नहीं पाया क्योंकि तुम पूर्ण नियंत्रण सीख कर नागपुर पहुंचे सिवाय एक के... राइट बेबी।


आर्यमणि:- हम्मम ! सही अनुमान है। बस एक ही बात का अब डर लगा रहा है।


रूही:- क्या?


आर्यमणि:- कहीं तुम मुझे ना चाहने लगो और हमारी बात पलक को ना पता चल जाये।


रूही:- हम सीक्रेट रिलेशन मेंटेन रखेंगे तुम परेशान ना हो। चलो अब स्माइल करो। वैसे भी तुम यहां आये हो इसका मतलब है आगे बहुत सी घटनायें होनी है।


आर्यमणि:- मै तुम्हारे ज्ञान को लेकर दुविधा में हूं। प्योर अल्फा का तो किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, तुम्हे कैसे पता?


रूही:- मेरी आई एक ट्रू–अल्फा थी। जिसके पैक को शिकारियों ने खत्म कर दिया, और मेरी मां को पकड़कर सरदार खान को सौंप दिया। मेरा जन्म सरदार खान के किले में ही हुआ था। मेरी आई एक कमल की हिलर थी, तुम्हारी तरह शानदार हीलर। सरदार खान की हवसी नजर मुझ पर हमेशा टिकी रहती और मेरी आई हम दोनों के बीच। एक दिन गुस्से में सरदार खान ने उसे खत्म कर दिया।


आर्यमणि:- तो क्या सरदार खान तुम्हारे साथ...


रूही:- जाने दो दरिंदे हैवानों की याद मत दिलाओ। उनका कोई परिवार नहीं होता। मै उस किले कि ऐसी बीटा वुल्फ थी, जिसका कोई पैक नहीं। उस किले में मुझे सड़क से लेकर बाजार तक नोचा गया है। और मेरी बेबसी पर सब हंसते रहते... जानते हो आर्य कॉलेज में जब लड़कों को अपने ओर हसरत भरी नजरो से घूरते देखती हुं, तब जहन में एक ही ख्याल आता रहता है... तुम्हारे लिए मैं यहां खास हूं लेकिन अपनी गली में मै सबकी रखैल सी हूं, जब जहां जिसका मन किया उसने नोचा, फिर किसी ने रहम नहीं दिखाया"

"मुझे नफरत है शिकारियों से। खुद को प्रहरी बताते है, पहरा देने वाले और भटकों को खत्म करने वाले। फिर क्या गलती थी मेरी आई की, जिन्हें इन दरिंदो के बीच में छोड़ दिया। अपने होश संभालते ही केवल नरक देखा है मैंने और महसूस की थी मेरी आई का दर्द, जो मुझे बचाने के लिए वहां घुटती रहती थी। कयी साल आर्य, नरक के कयी साल। हां लेकिन शायद ऊपर कहीं खुदा था, जब पहली वो इंसान मेरे जीवन में आयी। तुम्हारी बहन भूमि। मेरे लिए तो ईश्वर, अल्लाह, मसीहा ऊपर वाले के जितने नाम है, सब वही है।"

"7 साल पहले वो प्रहरी की मेंबर कॉर्डिनेटर बनी थी और अपने 10 साथियों के साथ हमारे किले में घुसी। निडर और ताकतवर प्रहरी, जिसे अपना कर्तव्य याद था कि केवल इंसान ही उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुपरनेचुरल का भी क्षेत्र उनके पहरे के क्षेत्र में आता है।"

"सड़क पर 4 जानवर मुझे नोच रहे थे और मेरी ख़ामोश आंखों के अंदर के आंसू भूमि ने देखे थे। उसका चाबुक चला और 2 बीटा को उसी किले में साफ कर दिया, बिना यह सोचे कि वह 200 से ऊपर वुल्फ से घिरी है। उसी ने मुझे बचाया था। फिर ये तय हुआ कि सुपरनैचुरल शांत है तो क्या हुआ, ऐसे जानवरो की जिंदगी उसे अपने क्षेत्र में नही चाहिये। सभी बच्चे air जवान वेयरवोल्फ पढ़ने जायेंगे और सबके डिटेल प्रहरी ऑफिस में पहुंचने चाहिये। उसी ने मुझे तुम्हारी जिम्मेदारी दी थी, कही थी नजर बनाए रखो।"

"सरदार खान, भूमि के वजह से ही बौखलाए हुए है। अपने अंदर कई सारे राज दबाए बैठा है वो बीस्ट, जिसकी जानकारी भूमि को चाहिए। क्योंकि उसको भनक लग गई है, शिकारी का बहुत बड़ा जत्था अपने आर्थिक फायदे के लिए वुल्फ से मर्डर करवाते है। केवल नागपुर में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यह खेल चल रहा है।"


आर्यमणि:- हां इस खेल के बारे में मुझे भी भनक है। खैर, इतने इमोशनल सेशन के बाद एक सवाल का जवाब दो, पहली मुलाकात से ही मेरे पीछे क्युं पड़ी हो।


रूही:- मज़े करने के लिए। क्या मेरा हक नहीं बनता अपने मन से मज़े करने के। हां लेकिन मैं उनकी तरह तुम्हे निचोड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती नहीं की।


आर्यमणि:- अच्छी लगती हो ऐसे बात करते। अब से पिछली ज़िंदगी को अलविदा कह दो। मुझे अपने पैक मे सब बिल्कुल मस्त और हसने वाले खास इंसान चाहिये। क्या समझी..


रूही:- बॉस बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद हंसमुख होने का टैग लिए घूमते हो। सब तो तुम्हे खडूस ही कहते हैं।


आर्यमणि:- बकवास बंद... मुझे एक कंप्लीट पैक चाहिये। और हां तुमने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए तुम्हारी जहां से प्योर अल्फा की याद नही मिटा रहा। अब तुम एक अल्फा हो और अपने फर्स्ट अल्फा के लिए कोई ढंग का पैक बनाओ। तुम जानती हो न मुझे अपने पैक में कैसे वुल्फ चाहिये या उसकी भी डिटेल देनी होगी...


रूही:- बॉस पैक के लिये वेयरवोल्फ को तो मैं ढूंढ लूंगी लेकिन वो मेरे घर में, मेरे बिस्तर पर… उस वादे का क्या हुआ?


आर्यमणि:- बड़ी उम्मीदें जाग रही है तुम्हारी तो। मुझे निचोड़ने का इरादा तो नही?


रूही:- अपने बॉस से उम्मीद कर रही हूं और ये मेरा हक है। वुल्फ पैक के नियम तो मालूम ही होंगे, या उसकी पूरी डिटेल भी बतानी होगी।


आर्यमणि:- हां समझ गया। यूं तो धड़कन काबू करने के लिये रोज ही प्रैक्टिस चालू रहेगी। लेकिन सरदार खान के किले में बिस्तर वाला खेल एक शुभ मुहरत पर होगा। उस दिन बीस्ट की कहानी खत्म करेंगे और साथ में पूरी रात तुम मुझे निचोड़ती रहना। चलो अब चला जाय।
Pure alpha aur true alpha ke beech me confusion tha thanks es update me confusion dur krne k liye.

Awesome update 👍🏻🙏
 

nain11ster

Prime
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To bhaya ab aryamani bhai test denge aur usme wo normal insaan sabit honge. But kaise?? Kai cnfusions hai abhi story me but koi na maza a rha hai aanad mil rha hai to baki sb bad ki. Mast update. Chitra aur madav bihari babu ka taka fit hui gwa. Harpreet aur nishant ka taka toot gawaah. Hahahah.

Wo normal kaise sabit hoga wah ab tak shayad pata chal chuka hoga... Aur baki confusion ho ya suspense dono ka maza lijiye... Badhte update ke sath sab clear karte chalenge... :beer:
Nain bhai abhi aur update ane hai???

Haan aaj ek aur update aayega lekin wo comment reply ke baad
 
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