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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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krish1152

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भाग:–29




जैसे ही रूही हिल हुई वह अपने घुटनों पर बैठकर अपना सर झुकाती… "दंत कथाओं का एक पात्र प्योर अल्फा से कभी मिलूंगी, ये तो कभी ख्यालो में भी नही था। प्योरे अल्फा अब तक की एक मनगढ़ंत रचना, जो किसी पागल के कल्पना की उपज मानी जाती थी, वह सच्चाई थी, यकीन करना मुश्किल है। मेरे नजरों के सामने एक प्योरे अल्फा हैं, अद्भुत... अब समझ में आया कि क्यों तुम पर वेयरवोल्फ के एक भी नियम लागू होते। अब समझ में आया की क्यों तुम्हे पहचान पाना इतना मुश्किल है। तुम तो सच के राजा निकले।"


प्योर अल्फा यह कोई शब्द, उपाधि या फिर वेयरवॉल्फ के प्रकार नही था। यह तो अपने आप में एक पूरी सभ्यता का वर्णन था। पौराणिक कथाओं की माने तो वेयरवोल्फ के जितने भी प्रकार होते है फिर चाहे वह बीटा, अल्फा या बीस्ट अल्फा क्यों न हो सब में खून के पीछे आकर्षण और प्रबल मानहारी प्रवृत्ति होती है। और अपने इसी आदतों के कारण वेयरवोल्फ अपनी बहुत सी अलग ताकत को खो देते हैं, जैसे की खुद को और किसी और को हिल करने की अद्भुत क्षमता। दूसरों के हिल किए जहर को हथियार के तरह इस्तमाल करना। कुछ अनहोनी होने से पहले के संकेत। किसी भी जीव के भावना को दूर से मेहसूस करना। अपने क्ला पीछे गर्दन में घुसकर किसी के भी मस्तिस्क के यादों में झांकना... और उन्हें मिटाने तक की काबिलियत... हालांकि यादों में तो हर अल्फा वुल्फ झांक सकते हैं लेकिन चुनिंदा यादों को मिटाने की शक्ति ट्रू–अल्फा होने के बाद ही विकसित होती है...

यधपी यह सभी गुण हर वेयरवोल्फ में पाए जाते हैं। लेकिन जैसे–जैसे वेयरवॉल्फ के अंदर का दरिंदा प्रबल होता है, बाकी सारी शक्तियां स्वतः ही कमजोर होती चली जाती है। इसलिए वेयरवोल्फ में सर्वोत्तम एक ट्रू–अल्फा माना जाता है। हां लेकिन एक ट्रू–अल्फा भी अपनी सर्वोत्तम शक्ति को खो देता है जब वह दरंदगी पर उतर जाता है। ट्रू–अल्फा को कठोर अनुसरण तमाम उम्र करनी होती है। और सबसे आखरी में वुल्फ के नियम... यह नियम हर वुल्फ पर लागू होते हैं, किसी में थोड़ा ज्यादा तो किसी में थोड़ा कम.… जैसे की वुल्फ को मारने की विधि... दूसरा इनका इंसानी पक्ष निर्बल होता है और वुल्फ साइड उतना ही बलशाली... एक बीटा 4 शेर के समान शक्तियां रखता है...

लेकिन प्योर अल्फा के साथ कोई बंदिशे नही। वेयरवॉल्फ के सारे अलौकिक गुण किसी परिस्थिति में नही खो सकता, फिर वह खुद को पूरा सैतान बना ले या फिर खुद को पूरा इंसान। इनके किसी भी रूप में, फिर वो इंसानी रूप हो या भेड़िए का, शक्ति एक समान होती है। इसके क्ला या फेंग से घायल होने वाले वुल्फ नही बनते... और भी बहुत सारे गुण जो वक्त के साथ एक प्योर अल्फा अपने अंदर विकसित कर सकता है। जबतक प्योर अल्फा खुद अपनी असलियत ना सामने लाये तबतक कोई जान नही सकता। और इनकी एक ही पहचान होती है जो हर वेयरवोल्फ को उसका अल्फा पौराणिक कहानियों का एक शक्तिशाली वुल्फ के रूप में बताता है... "प्योर अल्फा जब रूप बदलकर वेयरवोल्फ बनता है, तब उसका रूप अलौकिक होता है। उसका पूरा बदन चमक रहा होता है, जिसे दूर से भी देखकर पहचान सकते हैं।"


रूही के अंदर की हालत वही समझती थी। अंदर ऐसी भावना थी जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता था। वह अभी अपने घुटनों पर थी। अपना सर झुकाये घोर आश्चर्य और अप्रतिम खुशी में संलिप्त थी। आर्यमणि, रूही का हाथ थामकर उसे उठाते हुये... "आओ मेरे साथ।" रूही, आर्यमणि के साथ घायल पड़े ट्विन अल्फा के पहले भाई के पास पहुंची।… "इसे मारकर अल्फा बनो। हां लेकिन खून चूसना और मांस भक्षण नहीं। मुझे अपने पैक में किसी भी जीव के खून चूसने और उनका मांस खाने वाले नहीं चाहिए।"


रूही अपनी सहमति देती.… "आप बैठ जाइये और शिकार का मज़ा लीजिए।"… रूही आगे बढ़ी। पाऊं के पास ही ट्विन अल्फा दर्द से बिलख रहे थे। हाथ तो बचा ही नहीं था। किसी तरह अपनी हलख से दर्द भरी आवाज मे रहम की भीख मांग रहे थे। रूही आराम से बैठकर ट्विन अल्फा के सर पर हाथ फेरती एक बार आर्यमणि से नजरें मिलाई। आर्यमणि ने इधर नज़रों से सहमति दिया और उधर रूही अपने 4 इंच लंबी धारदार नाखून, ट्विन अल्फा के गर्दन में घुसाकर पूरा गला फाड़ दी। गला फाड़कर अंदर के नालियों को तब तक दबोचे रही जबतक की उनके प्राण, उनके शरीर से ना निकल गये।


जैसे ही शरीर से प्राण निकला, रूही की विजयी दहाड़ अपने आप ही निकल गई। पीली सी दिखने वाली रूही की आंखें लाल दिखने लगी। पास पड़े घायल सभी बीटा और ट्विन का बचा हुआ एक अल्फा सोक की धुन निकालने लगा। रूही ने जब खुद के अंदर एक अल्फा की ताकत को मेहसूस की, तब एक और दहाड़ लगा दी। इधर रूही की ताकत के नशे कि दहाड़ निकली उधर आर्यमणि दहाड़। जैसे ही उसकी दहाड़ रूही सुनी वो अपने घुटने और पंजे को जमीन से टिकाकर गुलामों की तरह सर झुकाने पर विवश हो गई। रूही की नजर जमीन को ताक रही थी…. "रूही ताकत को मेहसूस करना अच्छी बात है लेकिन मेरा पैक ताकत के नशे को मेहसूस करे, मंजूर नहीं।"..


रूही…. पहली बार था, मै अपने अरमान काबू नहीं कर पायि।


आर्यमणि:- अगले 2 महीने तक मै तुम्हे शक्तियों को काबू करना सिखाऊंगा। काम जल्दी खत्म करो। पहले दूसरे अल्फा की शक्ति लो, फिर यहां से भागे बीटा को खत्म करो। मै नहीं चाहता कि प्योर अल्फा की भनक भी किसी को लगे।


रूही:- जैसा आप चाहो।


रूही ट्विन ब्रदर के बचे दूसरे भाई की ताकत को भी खुद में समाती, तेज दहाड़ के साथ दौड़ लगा दी। तकरीबन आधे घंटे बाद रूही खून में नहाकर विजयि मुस्कान के साथ लौटी… "लाश तक के निशान को मिटा आयी बॉस।"


आर्यमणि:- यहां भी सब साफ है.. अब चलें..


रूही आर्यमणि के करीब पहुंचकर कहने लगी… "जानवर जंगल में सहवास करते है और उनके बीच कोई बंधन नहीं होता"..


आर्यमणि उसकी आखों में झांका और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसे चूमने लगा। रूही तुरंत ही अपने सारे कपड़े निकालकर नीचे बैठ गई और आर्यमणि के पैंट को खोलि और लिंग को बाहर निकालकर उसपर अपनी जीभ फिराने लगी। आर्यमणि उसके सर पर अपने दोनो पंजे टिकाये गर्दन को ऊपर करके तेज-तेज श्वांस लेने लगा। रूही कुछ देर तक अपनी जीभ लिंग पर फिराने के बाद, लिंग को पूरा मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी। ये उत्तेजना आर्यमणि के धड़कनों को उस ऊंचाई पर ले गयि जिस कारण उसका शेप शिफ्ट हो गया और वो पूर्ण वुल्फ दिख रहा था।


बिल्कुल सफेद वुल्फ अपने तरह का इकलौता। जैसे ही आर्यमणि ने शेप शिफ्ट किया उसने बड़ी बेरहमी से रूही का बाल पकड़ कर उठाया और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसके योनि को अपने बड़े से पंजे में दबोच कर मसलने लगा। उत्तेजना आर्यमणि पर पूरा हावी था और वो पूरी तरह से रूही पर हावी हो चुका था। दर्द और मज़ा का ऐसा खतरनाक मिश्रण रूही ने आज से पहले कभी मेहसूस नहीं की थी। वो भी अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने दोनो हाथो से आर्यमणि के लिंग को पूरे गति में ऊपर नीचे करने लगी। लिंग पर हाथ की गर्माहट, आर्यमणि के अंदर के तूफान को ऐसा भड़काया... उसने तेजी से रूही को पेड़ से टिका दिया। रूही भी अपने हाथ के सहारे के पेड़ को पकड़ती कमर को पूरा झुका दी और अपने दोनो टांग को पूरा खोलकर, आर्यमणि को निमंत्रण देने लगी।


पंजे वाले दोनो हाथ रूही के कमर के दोनों ओर और जोरदार झटके के साथ पुरा लिंग योनि के अंदर। रूही सिसकियां लेती अपने कमर को आगे पीछे हिलाने लगी। हर धक्के के साथ नीचे के ओर लटक रहे स्तन मादक थिरक के साथ हिल रहे थे। रूही का पूरा बदन धक्के के झटके से हिल रहा था। आर्यमणि का जोश पूरे उफान पर था, जो रूही के योनि के अंदर तूफान मचा रहा था।


आर्यमणि लगातार धक्के दिए जा रहा था। प्योर अल्फा के स्टेनमना के सामने रूही कबका थक चुकी थीं। उसकी उखड़ती स्वांस अब बस इस खेल को अंतिम चरण में देखना चाहती थीं। तभी आर्यमणि की गति काफी तेज हो गई। रूही तेजी के साथ सीधी खड़ी हुई और घूमकर आर्यमणि के लिंग को अपने मुट्ठी में भरकर तेज-तेज मुठ्ठीयाने लगी। कुछ ही देर में तेज पिचकारी के साथ आर्यमणि ने अपना वीर्य छोड़ दिया और हांफते हुए वो पीछे हट गया।


रूही अपने फटे कपड़े अपने ऊपर डालकर आर्यमणि के पास ही बैठ गई। काफी देर तक दोनो ख़ामोश बैठे रहे। … "जाओ मेरा बैग ढूंढ़कर लाओ"..


रूही:- रुको तो काफी थकी हूं। थोड़ा रिलैक्स तो करने दो। मज़ा आ गया आर्य।


आर्यमणि:- जानवर है... जंगल में सेक्स करते है... फिर इमोशन इंसानों वाले क्यूं आने लगे।


रूही:- बाद ने पछतावा हो रहा था। इतने मजेदार सेक्स के बाद बिस्तर पर लुढकने का अपना ही मजा आता। कोई ना अगली बार..


आर्यमणि:- तुम्हे यकीन है मै दूसरी बार तुम्हारे हाथ आऊंगा?


रूही:- तुम्हे अपनी रानी चाहिये तो सेक्स के वक़्त तुम्हे अपनी बढ़ी धड़कनों पर काबू पाना सीखना होगा। तुम्हे कोई पकड़ नहीं पाया क्योंकि तुम पूर्ण नियंत्रण सीख कर नागपुर पहुंचे सिवाय एक के... राइट बेबी।


आर्यमणि:- हम्मम ! सही अनुमान है। बस एक ही बात का अब डर लगा रहा है।


रूही:- क्या?


आर्यमणि:- कहीं तुम मुझे ना चाहने लगो और हमारी बात पलक को ना पता चल जाये।


रूही:- हम सीक्रेट रिलेशन मेंटेन रखेंगे तुम परेशान ना हो। चलो अब स्माइल करो। वैसे भी तुम यहां आये हो इसका मतलब है आगे बहुत सी घटनायें होनी है।


आर्यमणि:- मै तुम्हारे ज्ञान को लेकर दुविधा में हूं। प्योर अल्फा का तो किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, तुम्हे कैसे पता?


रूही:- मेरी आई एक ट्रू–अल्फा थी। जिसके पैक को शिकारियों ने खत्म कर दिया, और मेरी मां को पकड़कर सरदार खान को सौंप दिया। मेरा जन्म सरदार खान के किले में ही हुआ था। मेरी आई एक कमल की हिलर थी, तुम्हारी तरह शानदार हीलर। सरदार खान की हवसी नजर मुझ पर हमेशा टिकी रहती और मेरी आई हम दोनों के बीच। एक दिन गुस्से में सरदार खान ने उसे खत्म कर दिया।


आर्यमणि:- तो क्या सरदार खान तुम्हारे साथ...


रूही:- जाने दो दरिंदे हैवानों की याद मत दिलाओ। उनका कोई परिवार नहीं होता। मै उस किले कि ऐसी बीटा वुल्फ थी, जिसका कोई पैक नहीं। उस किले में मुझे सड़क से लेकर बाजार तक नोचा गया है। और मेरी बेबसी पर सब हंसते रहते... जानते हो आर्य कॉलेज में जब लड़कों को अपने ओर हसरत भरी नजरो से घूरते देखती हुं, तब जहन में एक ही ख्याल आता रहता है... तुम्हारे लिए मैं यहां खास हूं लेकिन अपनी गली में मै सबकी रखैल सी हूं, जब जहां जिसका मन किया उसने नोचा, फिर किसी ने रहम नहीं दिखाया"

"मुझे नफरत है शिकारियों से। खुद को प्रहरी बताते है, पहरा देने वाले और भटकों को खत्म करने वाले। फिर क्या गलती थी मेरी आई की, जिन्हें इन दरिंदो के बीच में छोड़ दिया। अपने होश संभालते ही केवल नरक देखा है मैंने और महसूस की थी मेरी आई का दर्द, जो मुझे बचाने के लिए वहां घुटती रहती थी। कयी साल आर्य, नरक के कयी साल। हां लेकिन शायद ऊपर कहीं खुदा था, जब पहली वो इंसान मेरे जीवन में आयी। तुम्हारी बहन भूमि। मेरे लिए तो ईश्वर, अल्लाह, मसीहा ऊपर वाले के जितने नाम है, सब वही है।"

"7 साल पहले वो प्रहरी की मेंबर कॉर्डिनेटर बनी थी और अपने 10 साथियों के साथ हमारे किले में घुसी। निडर और ताकतवर प्रहरी, जिसे अपना कर्तव्य याद था कि केवल इंसान ही उनकी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सुपरनेचुरल का भी क्षेत्र उनके पहरे के क्षेत्र में आता है।"

"सड़क पर 4 जानवर मुझे नोच रहे थे और मेरी ख़ामोश आंखों के अंदर के आंसू भूमि ने देखे थे। उसका चाबुक चला और 2 बीटा को उसी किले में साफ कर दिया, बिना यह सोचे कि वह 200 से ऊपर वुल्फ से घिरी है। उसी ने मुझे बचाया था। फिर ये तय हुआ कि सुपरनैचुरल शांत है तो क्या हुआ, ऐसे जानवरो की जिंदगी उसे अपने क्षेत्र में नही चाहिये। सभी बच्चे air जवान वेयरवोल्फ पढ़ने जायेंगे और सबके डिटेल प्रहरी ऑफिस में पहुंचने चाहिये। उसी ने मुझे तुम्हारी जिम्मेदारी दी थी, कही थी नजर बनाए रखो।"

"सरदार खान, भूमि के वजह से ही बौखलाए हुए है। अपने अंदर कई सारे राज दबाए बैठा है वो बीस्ट, जिसकी जानकारी भूमि को चाहिए। क्योंकि उसको भनक लग गई है, शिकारी का बहुत बड़ा जत्था अपने आर्थिक फायदे के लिए वुल्फ से मर्डर करवाते है। केवल नागपुर में ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यह खेल चल रहा है।"


आर्यमणि:- हां इस खेल के बारे में मुझे भी भनक है। खैर, इतने इमोशनल सेशन के बाद एक सवाल का जवाब दो, पहली मुलाकात से ही मेरे पीछे क्युं पड़ी हो।


रूही:- मज़े करने के लिए। क्या मेरा हक नहीं बनता अपने मन से मज़े करने के। हां लेकिन मैं उनकी तरह तुम्हे निचोड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती नहीं की।


आर्यमणि:- अच्छी लगती हो ऐसे बात करते। अब से पिछली ज़िंदगी को अलविदा कह दो। मुझे अपने पैक मे सब बिल्कुल मस्त और हसने वाले खास इंसान चाहिये। क्या समझी..


रूही:- बॉस बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद हंसमुख होने का टैग लिए घूमते हो। सब तो तुम्हे खडूस ही कहते हैं।


आर्यमणि:- बकवास बंद... मुझे एक कंप्लीट पैक चाहिये। और हां तुमने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए तुम्हारी जहां से प्योर अल्फा की याद नही मिटा रहा। अब तुम एक अल्फा हो और अपने फर्स्ट अल्फा के लिए कोई ढंग का पैक बनाओ। तुम जानती हो न मुझे अपने पैक में कैसे वुल्फ चाहिये या उसकी भी डिटेल देनी होगी...


रूही:- बॉस पैक के लिये वेयरवोल्फ को तो मैं ढूंढ लूंगी लेकिन वो मेरे घर में, मेरे बिस्तर पर… उस वादे का क्या हुआ?


आर्यमणि:- बड़ी उम्मीदें जाग रही है तुम्हारी तो। मुझे निचोड़ने का इरादा तो नही?


रूही:- अपने बॉस से उम्मीद कर रही हूं और ये मेरा हक है। वुल्फ पैक के नियम तो मालूम ही होंगे, या उसकी पूरी डिटेल भी बतानी होगी।


आर्यमणि:- हां समझ गया। यूं तो धड़कन काबू करने के लिये रोज ही प्रैक्टिस चालू रहेगी। लेकिन सरदार खान के किले में बिस्तर वाला खेल एक शुभ मुहरत पर होगा। उस दिन बीस्ट की कहानी खत्म करेंगे और साथ में पूरी रात तुम मुझे निचोड़ती रहना। चलो अब चला जाय।
Nice update
 

krish1152

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Nice update
 

Anky@123

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Khula Medan Siha sa Nad aur rakt ke tal me khada aarya, ye kalpna agle update ki lag rhi hai, magar bat kre is update ki to Aarya ke werewolf hone ka Shak keval kuch prahari aur Richa ko hi nahi balki rajdeep aur bhumi ko bhi tha ,jiska ahsaas aarya ko tha isliye hi khud se aage badhkar test deker sabki shankao ko samapt kiya hai, baki Muzay ye samaz nahi aata sardaar Khan jo ki ye baat janta h ki aarya werewolf hai kya wo ye sacchai prahari samaj ko nahi bata sakta tha, kher albeli ka kirdar bada accha laga , kisi ke aasu poch ker agar usey apna banao to aatmiyata adhik gehri hoti hai jesa ki ruhi ke case me bhi dekha gaya hai, aarya ,palak ke khyalo ko nahi pad sakta kya iske pichhe bhi koi vishes Karan hai, do female ko pack me lene ke bad ho sakta h agla member male ho ,padna romanchak hoga agla update.
 

Anky@123

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Pure alfa ki thodi aur detail aayegi... Lekin usse main pahle panne par post nahi karunga warna new reader ka aadha suspense to waise hi chala jayega ..

Yep maine pahle hi kaha tha ki college ke baad kahani 5th gear me chalegi... Abhi prahari vs wolf vs arya ka tana bana chalta rahega...
Muzay aesa lag raha ki prahari samaj aur dusre werewolf ke samne aarya ke pack ki mukhiya ruhi hi rehegi, aur samne aker wahi sab dekhgi baki aarya jab kabhi bahut jarurat hone per hi samne aaya kerega , kya ye sach hai
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–30




एक अध्याय समाप्त होने को था, और पहला लक्ष्य मिल चुका था। रात के तकरीबन 10.30 बजे आर्यमणि वापस आया। भूमि हॉल में बैठकर उसका इंतजार कर रही थी। आर्यमणि आते ही भूमि के पास चला गया… "किस सोच में डूबी हो।"..


भूमि:- सॉरी, वो मैंने तुझे टेस्ट के बारे में कुछ भी नही बताया।


आर्यमणि:- वो सब छोड़ो, मुझे पढ़ने में मज़ा नहीं आ रहा, मुझे कुछ पैसे चाहिए, बिजनेस करना है।


भूमि:- हाहाहाहा… अभी तो तूने ठीक से जिंदगी नहीं जिया। 2-4 साल अपने शौक पूरे कर ले, फिर बिजनेस करना।


आर्यमणि:- मुझे आप पैसे दे रही हो या मै मौसी से मांग लूं।


भूमि:- तूने पक्का मन बनाया है।


आर्यमणि:- हां दीदी।


भूमि:- अच्छा ठीक है कितने पैसे चाहिए तुझे..


आर्यमणि:- 10 करोड़।


भूमि:- अच्छा और किराये के दुकान में काम शुरू करेगा।


आर्यमणि:- अभी स्टार्टअप है ना, धीरे-धीरे काम बढ़ाऊंगा।


भूमि:- अच्छा तू बिजनेस कौन सा करेगा।


आर्यमणि:- अर्मस एंड अम्यूनेशन के पार्ट्स डेवलप करना।


भूमि:- क्या है ये सब आर्य। गवर्नमेंट तुम्हे कभी अनुमति नहीं देगी।


आर्यमणि:- दीदी भरोसा है ना मुझ पर।


भूमि:- नहीं।


आर्यमणि:- क्या बोली?


भूमि:- भाई कुछ और कर ले ना। ये हटके वाला बिजनेस क्यों करना चाहता है। आराम से एक शॉपिंग मॉल का फाइनेंस मुझसे लेले। मस्त प्राइम लोकेशन पर खोल। तेजस दादा को टक्कर दे। ये सब ना करके तुझे वैपन डेवलप करना है। भाई गवर्नमेंट उसकी अनुमति तुम्हे नहीं देगी वो सिर्फ इशारों और डीआरडीओ करता है।


आर्यमणि:- अरे मेरी भोली दीदी, गन की नली उसके पार्ट्स, ये सब सरकारी जगहों पर नहीं बनता है। मैंने सब सोच रखा है। मेरा पूरा प्रोजक्ट तैयार भी है। तुम बस 10 करोड़ दो मुझे और 2 महीने का वक़्त।


भूमि:- ठीक है लेकिन एक शर्त पर। तुझे कितना जगह में कैसा कंस्ट्रक्शन चाहिए वो बता दे। काम हम अपनी जगह में शुरू करेंगे।


आर्यमणि:- जगह 6000 स्क्वेयर फुट। 1 अंडरग्राउंड फ्लोर और 4 फ्लोर उसके ऊपर खड़ा।


भूमि:- ओह मतलब तू प्रोजेक्ट के बदले सरकार से लॉन लेता, फिर अपना काम शुरू करता।


आर्यमणि:- हां यही करने वाला था।


भूमि:- कोई जरूरत नहीं है, तू बस अपना प्रोजेक्ट रेडी रख, बाकी सब मैं देख लूंगी। और कुछ..


आर्यमणि:- हां है ना…


भूमि:- क्या?


आर्यमणि:- जल्दी से खुशखबरी दो, मै मामा कब बन रहा हूं।


भूमि:- हां ठीक मैंने सुन लिया, अब जाएगा सोने या थप्पड़ खाएगा। ..


सुबह-सुबह का वक़्त और आर्यमणि की बाइक सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस के घर पर। घर की बेल बजी और नम्रता दरवाजा पर आते ही…. "आई पहली बार तुम्हारे छोटे जमाई घर आये है, क्या करूं?"..


"छोटे जमाई"… सुनकर ही पलक खुशी से उछलने लगी। वो दौड़कर बाहर दरवाजे तक आयी और आर्यमणि का हाथ पकड़कर अंदर लाते…. "हद है दीदी आप तो ऐसे पूछ रही हो जैसे पहली बार कोई दुल्हन घर आ रही हो। यहां बैठो आर्य, क्या लोगे।"


आर्यमणि:- कल तुम्हारे लिए कुछ शॉपिंग की थी, रख लो।


नम्रता:- जारा मुझे भी दिखाओ क्या लाये हो?


जैसे ही नम्रता बैग दिखाने बोली, पलक, आर्यमणि के हाथ से बैग छीनकर कमरे में भागती हुई…. "पहनकर दिखा देती हूं दीदी, मेरे लिए ड्रेस और एसेसरीज लेकर आया है।"..


नम्रता:- हां समझ गई किस तरह के ड्रेस लाया होगा। और आर्य, आज से कॉलेज जाने की अनुमति..


आर्यमणि:- अनुमति तो कल से ही मिल गयि थी। लेकिन हां कल किसी ने जादुई घोल में लिटा दिया तो मेरे पूरे जख्म भर गये।


"माफ करना आर्य, तुम्हारे कारनामे ही ऐसे थे कि किसी को यकीन कर पाना मुश्किल था। हां लेकिन वो करंट वाला मामला कुछ ज्यादा हो गया था।"…. राजदीप उन सब के बीच बैठते हुए कहने लगा।


अक्षरा:- टेस्ट के नाम पर जान से ही मार देने वाले थे क्या? सीधा-सीधा वुल्फबेन इंजेक्ट कर देते।


राजदीप:- फिर पता कैसे चलता आर्यमणि कितना मजबूत है। क्यों आर्य?


आर्यमणि:- हां बकड़े की जान चली गई और खाने वाले को कोई श्वाद ही नहीं मिला।


राजदीप:- बकरे से याद आया, आज मटन बनाते है और रात का खाना हमारे साथ, क्या कहते हो आर्य।


"वो भेज है दादा, नॉन भेज नहीं खाता।".. अंदर से पलक ने जवाब दिया।


राजदीप:- पहला वुल्फ जो साकहारी होगा।


आर्यमणि:- मेरे दादा जी मुझे कुछ जरूरी ज्ञान देने वाले थे। इसलिए मै जब मां के गर्भ में नहीं था उस से पहले ही उन्होंने मां को नॉन भेज खाने से मना कर दिया था। जबतक मै पुरा अन्न खाने लायक नहीं हुआ, तबतक उन्होंने मां को मांस खाने नहीं दिया था। दादा जी मुझे कुछ शुद्घ ज्ञान के ओर प्रेरित करने वाले थे इसलिए..


उज्जवल:- तुम्हारे दादा जी बहुत ज्ञानी पुरुष थे। अब लगता है वो शायद किसी के साजिश का शिकार हो गये। कोई अपनी दूर दृष्टि किसी कार्य में लगाये हुये था जिसके रोड़ा तुम्हारे दादा जी होंगे। दुश्मन कोई बाहर का नहीं था, वो तो अब भी घर में छिपा होगा।


राजदीप:- बाबा ये क्या है? वो बच्चा है अभी। और सुनो बच्चे शादी तय हो गई है इसका ये मतलब नहीं कि ज्यादा मस्ती मज़ाक और घूमना-फिरना करो। पहले कैरियर पर ध्यान दो।


आर्यमणि:- कैरियर पर ध्यान दूंगा तो आपके जैसा हो जाऊंगा भईया। जल्दी शादी कर लो वरना सुपरिटेंडेंट से अस्सिटेंट कमिश्नर बनने के चक्कर में लड़की नहीं मिलेगी।


आर्यमणि की बातें सुनकर सभी हंसने लगे, इसी बीच पलक भी पहुंच गई। ब्लू रंग की पेंसिल जीन्स, जो टखने के थोड़ा ऊपर था। नीचे मैचिंग शू, ऊपर ब्राउन कलर का स्लीवलेस टॉप और उसके ऊपर हल्के पीले रंग का ब्लेजर। बस आज तैयार होने का अंदाज कुछ ऐसा था कि पलक नजर मे बस रही थी।


राजदीप:- ये उस दिन भी ऐसे ही तैयार होकर निकली थी ना? आई हमारे लगन फिक्स करने से पहले कहीं दोनो के बीच कुछ चल तो नही रहा था? जब इसका लगन तय कर रहे थे, तब पलक ने एक बार भी नहीं कहा कि वो किसी और को चाहती है। दाल में कुछ काला है।


पलक:- आप पुलिस में हो ना दादा, कली दाल पकाते रहो, हम कॉलेज चलते है। क्यों आर्य..


दोनो वहां से निकल गये और दोनो को जाते देख सभी एक साथ कहने लगे… "दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।"..


"बहुत स्वीट दिख रहे हो, चॉकलेट की तरह"… पलक आर्य के गाल को चूमती हुई कहने लगी।


आर्यमणि, कार को एक किनारे खड़ी करके पलक का हांथ खींचकर अपने ऊपर लाया और उसके खुले बाल जो चेहरे पर आए थे, उस हटाते हुए पलक की आखों में झांकने लगा… पलक कभी अपनी नजर आर्यमणि से मिलाती तो कभी नजरें चुराती… धीरे-धीरे दोनो करीब होते चले गए। आर्यमणि अपने होंठ आगे बढ़ाकर पलक के होंठ को स्पर्श किया और अपना चेहरा पीछे करके उसके चेहरे को देखने लगा।


पलक अपनी आखें खोलकर आर्यमणि को देखकर मुस्कुराई और अगले ही पल उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर, उसे प्यार से चूमने लगी। दोनो की ही धड़कने बढ़ी हुई थी। आर्यमणि खुद को काबू करते अपना सर पीछे किया। पलक अब भी आंख मूंदे बस अपने होंठ आगे की हुईं थी।


आर्यमणि, होंठ पर एक छोटा सा स्पर्श करते…. "रात में ऐसे पैशन के साथ किस्स करना पलक, कार में वो मज़ा नहीं आयेगा।"


आर्यमणि की बात सुनकर पलक अपनी आखें दिखती…. "कॉलेज चले।"..


कॉलेज पहुंचकर जैसे ही पलक कार से उतरने लगी…. "पलक एक मिनट।"..


पलक:- हां आर्य..


अपने होंठ से पलक के होंठ को स्पर्श करते… "अब जाओ"… पलक हंसती हुई.. "पागल"…


आर्यमणि पार्किंग में अपनी कार खड़ी किया, तभी रूही भी उसके पास पहुंच गई… "हीरो लग रहे हो बॉस।"


आर्यमणि:- थैंक्स रूही..बात क्या है जो कहने में झिझक रही हो।


रूही:- तुम्हे कैसे पता मै झिझक रही हूं।


आर्यमणि उसके सर पर टफ्ली मारते… "मै किसी के भी इमोशंस कयि किलोमीटर दूर से भांप सकता हूं, सिवाय अपनी रानी के।"..


रूही:- चल झूटे कहीं के…


आर्यमणि, उसे आंख दिखाने लगा। रूही शांत होती… "सॉरी बॉस।"..


आर्यमणि:- जाकर कोई बॉयफ्रेंड ढूंढ लो ना।


रूही:- हमे इजाज़त नहीं आम इंसानों के साथ ज्यादा मेल-जोल बढ़ना। वैसे भी किसी पर दिल आ गया तो जिंदगी भर उसे साथ थोड़े ना रख सकते है। पहचान तो खुल ही जाना है। मुझसे नहीं तो मेरे बच्चे से।


आर्यमणि:- तुम मेरे पैक में हो और पहले ही कह चुका हूं, पुरानी ज़िन्दगी को अलविदा कह दो। खुलकर अपनी जिंदगी जी लो। तुम जिस भविष्य कि कल्पना से डर रही हो, उसकी जिम्मेदारी मेरी है।


रूही:- क्या सच में ऐसा होगा।


आर्यमणि:- मेरा वादा है।


रूही आर्यमणि की बात सुनकर उसके गले लग गई। आर्यमणि उसे खुद से दूर करते… "यहां इमोशन ना दिखाओ, जबतक सरदार का कुछ कर नहीं लेते। अब तुम बताओगी झिझक क्यों रही थी।"..


रूही:- अलबेली इधर आ…


रूही जैसे ही आवाज़ लगाई, बाल्यावस्था से किशोरावस्था में कदम रखी, प्यारी सी लड़की बाहर निकलकर आयी.. आर्यमणि उसे देखकर ही समझ गया वो बहुत ज्यादा घबरायि और सहमी हुई है। उसके खुले कर्ली बाल और गोल सा चेहरा काफी प्यारा और आकर्षक था, लेकिन अलबेली की आंखें उतनी ही खामोश। देखने से ही दिल में टीस उठने लगे, इतनी प्यारी लड़की की हंसी किसने छीन ली।


आर्यमणि, थोड़ा नीचे झुककर जैसे ही अलबेली के चेहरे को अपने हाथ से थामा... उस एक पल में अलबेली को अपने अंदर किसी अभिभावक के साये तले होने का एहसास हुआ, जो अंदर से मेहसूस करवा जाए कि मै इस साये तले खुलकर जी सकती हूं। उस एक पल का एहसास... और अलबेली के आंखों से आंसू फुट निकले...


आर्यमणि उसके चेहरे को सीने से लगाकर उसके बलो में हाथ फेरते हुए… "अलबेली रूही दीदी के साथ रहना। आज से तुम्हारे इस प्यारे चेहरे पर कभी आंसू नहीं आयेंगे, ये वादा है। जाओ तुम कार में इंतजार करो।"..


रूही:- ट्विन अल्फा के मरने के जश्न में अलबेली के बदन को नोचा जा रहा था। ये भी उस किले के उन अभगों मे से है, जिसका कोई पैक नहीं, सिवाय इसके एक जुड़वा भाई के। इसका जुड़वा, इसे बचाने के लिए बीच में आया तो उसे कल रात ही मार दिया गया। किसी तरह मै अलबेली को वहां से निकाल कर लायी हूं, लेकिन सरदार को मुझपर शक हो गया...


आर्यमणि:- हम्मम ! किसकी दिमागी फितूर है ये..


रूही:- और किसकी सरदार खान के चेले नरेश और उसके पूरे पैक की।


आर्यमणि:- चलो सरदार खान के किले में चलते है। अपना पैक के होने का साइन बनाओ। आज प्रहरी और सरदार खान को पता चलना चाहिए कि हमारा भी एक पैक है। अलबेली यहां आओ।


अलबेली:- जी भईया..


आर्यमणि:- तुम अपने बदले के लिए तैयार रहो अलबेली। हमे घंटे भर में ये काम खत्म करना है। लेकिन उससे पहले इसे ब्लड ओथ लेना होगा। क्या ये अपना पैक छोड़ने के लिए तैयार है?


रूही:- इसका कोई पैक नहीं। बस 2 जुड़वा थे। इसके अल्फा को पिछले महीने सरदार ने मार दिया था और बचे हुए बीटा अलग-अलग पैक मे समिल हो गये सिवाय इन जुड़वा के, जिन्हें कमजोर समझ कर खेलने के लिये किले में भटकने छोड़ दिया।


आर्यमणि:- चलो फिर आज ये किला फतह करते है। ब्लड ओथ सेरेमनी की तैयारी करो।


रूही अलबेली को लेकर सुरक्षित जगह पर पहुंची। चारो ओर का माहौल देखने के बाद रूही ने आर्यमणि को बुलाया। आर्यमणि वहां पहुंचा। रूही, चाकू अलबेली के हाथ में थमा दी। अलबेली पहले अपना हथेली चिर ली, फिर आर्यमणि का। और ठीक वैसे ही 2 मिनट की प्रक्रिया हुई जैसे रूही के समय में हुआ था।


अलबेली भी अपने अंदर कुछ अच्छा और सुकून भरा मेहसूस करने लगी। रूही के भांति वह भी अपने हाथ हाथ को उलट–पलट कर देख रही थी। अलबेली को पैक में सामिल करने के बाद आर्यमणि, उन दोनों को लेकर सरदार खान की गली पहुंचा, जिसे उसका किला भी मानते थे। जैसे ही किले में आर्यमणि को वेयरवॉल्फ ने देखा, हर कोई उसे ही घुर रहा था। आर्यमणि आगे–आगे और उसके पीछे रूही और अलबेली। तीनों उस जगह के मध्य में पहुंचे जिसे चौपाल कहते थे। इस जगह पर आम लोगों को आने नहीं दिया जाता था। 4000 स्क्वेयर फीट का खुला मैदान, जिसके मध्य में एक विशाल पेड़ था और उसी के नीचे बड़ा सा चौपाल बना था, जहां बाहर से आने वालों को यहां लाकर शिकार किया करते थे तथा सरदार खान की पंचायत यहीं लगती थी।


रूही को देखते ही वहां का पहरेदार भाग खड़ा हुआ। रूही ने दरवाजा खोला, आर्यमणि सबको लेकर अंदर मैदान में पहुंचा। रूही अपने चाकू से उस चौपाल के पेड़ पर नये पैक निशान बनाकर उसे सर्किल से घेर दी। सर्किल से घेरने के बाद पहले आर्यमणि ने अपने खून से निशान लगाया, फिर रूही ने और अंत में अलबेली ने। यह लड़ाई के लिये चुनौती का निशान था। इधर किले कि सड़क पर जैसे ही आर्यमणि को सबने देखा, सब के सब सरदार खान के हवेली पहुंचे। मांस पर टूटा हुआ सरदार खान अपने खाने को छोड़कर एक बार तेजी से दहारा….. "सुबह के भोजन के वक़्त कौन आ गया अपनी मौत मरने।".. ।


नरेश:- सरदार वो लड़का आर्यमणि आया है, उसके साथ रूही और अलबेली भी थी।


सरदार:- अलबेली और रूही के साथ मे वो लड़का आया है। क्या वो हमसे अलबेली के विषय में सवाल-जवाब करने आया है? या फिर कॉलेज के मैटर में इसने जो हमारे कुछ लोगों को तोड़ा था, उस बात ने कहीं ये सोचने पर तो मजबूर नहीं कर दिया ना की हम कमजोर है। नरेश कहीं हमारी साख अपने ही क्षेत्र में कमजोर तो नहीं पड़ने लगी...


नरेश:- खुद ही चौपाल तक पहुंच गया है सरदार, अब तो बस भोज का नगाड़ा बाजवा दो।


सरदार ने नगाड़ा बजवाया और देखते ही देखते 150 बीटा, 5 अल्फा के साथ सरदार चौपाल पहुंच गया। सरदार और उसके दरिंदे वुल्फ जैसे ही वहां पहुंचे, पेड़ पर नए पैक का अस्तित्व और उसपर लड़ाई की चुनौती का निशान देखते ही सबने अपना शेप शिफ्ट कर लिया… खुर्र–खुरर–खुर्र–खूर्र करके सभी के फेफरों से गुस्से भरी श्वंस की आवाज चारो ओर गूंजने लगी.…
Ab aayega na maja bhidi. Sher pahuch chuka hai gidado ki basti me ab bas dekhna hai kitne bhagwan ko pyare hote hai aur kitne apne aary ke pack me sammil hote hai. Lakin apna aary to mere hisab se in me se kisi ko bhi apne pack me samil na kare. Aur ye hiwano ki to puri basti hi khtam kar deni chahiye. Ise hi kahte hai dur ke dhol suhane hote hai. Pack pack chillate rahte hai sub ki waha jaan safe hai ye hai wo hai. Lakin asliyat to ander jane ke baad hi pata chalta hai. Jaha jindagi ko jahannum sa bana diya jata hai. Kya fayda aisi jindagi ka. Mujhe to bahut maja aayega jab albeli apna badla cum cum kar legi sbse. Is sardar khan aur uske camche ko dardnak maut dena bhai.
Aur ye kya mai to soche baitha tha ki test ke bare me pata chalne par bhwal hoga lakin kya pata tha ye bhi sale pure ek system wale hi hai kaise change ho skte hai. Bhle hi kitna bhi pyar aur support dikhae lakin ye haal karwa diya. Bhale hi majburi sahi lakin wo current wala mamla to such me bahut jyada hi bura tha. Ab to mujhe lagta hai sare hi bahut se raj dhfan kiye baithe baithe hai. Aur apna aary sbko unki aukaat dikhayega.
Bahut hi acha Update tha bhai is story se such me aapne ek aisi duniya bana di hai jaha ke sare emotions ab feel hone lage hai.
 
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