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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी



वेयरवोल्फ क्या है?

वेयरवोल्फ एक प्रकार का रूप–बदल इंसान होता है जो इंसान से भेड़िया और भेड़िए से इंसान बन सकते हैं। वेयरवोल्फ का जीवन उनके चरित्र का उल्लेख करते हैं। जिनकी मानसिक मनोदशा हिंसक होती है उनमें खून पीने और मांस खाने की तलब उतनी ही ज्यादा होती है।

शेर की तरह ही, एक बार जिन वेयरवॉल्फ को इंसानी मांस और खून मुंह में लग जाता है फिर वह किसी अन्य जानवर का शिकार नही करते। केवल और केवल इंसान का शिकार करते है। भेड़िए की तरह ही वेयरवोल्फ भी झुंड में रहना पसंद करते हैं और उनका झुंड ही उनका परिवार होता है। इनका झुंड की ताकत को ऐसा भी समझा जा सकता है कि एक आम वेयरवोल्फ मुखिया बनने के लिए कितना ही अपने मुखिया पर हमला क्यों न करे, किंतु झुंड का मुखिया कभी पलट कर अपने सदस्य को मारने की कोशिश नही करता। अपने झुंड को बचाने के लिए कोई भी सदस्य किसी भी हद तक जा सकता है। "वूऊऊऊऊऊ" यह एक ऐसा वुल्फ कॉलिंग साउंड है जिसके एक आवाज पर पूरा पैक दौड़ा चला आया। "वूऊऊऊऊऊ" वुल्फ कॉलिंग का वह आवाज भी है जिसे पैक का कोई भी सदस्य कई मिलों दूर से भी सुन सकता है। वहीं जब कोई वेयरवोल्फ बागी होकर झुंड छोड़ता है तब कई बार उनके झुंड के दूसरे वेयरवोल्फ ही उसे मार देते है।


वेयरवोल्फ के रूप, आकर और संरचना.…

इंसानी रूप से जब यह रूप–बदल जीव अपना रूप बदलते है, फिर इनकी लंबाई 7 से 8 फिट तक होती है। इनका चेहरा का आकार बदलकर भेड़िए की तरह दिखने लगता है और उन्ही की तरह इनके 2 बड़े–बड़े, नुकीले दांत दोनो किनारे से निकल आते हैं, जिन्हे फेंग कहते है। किसी भी मांस को यह फेंग फाड़ सकने में सक्षम होते है।


रूप बदलने के बाद जैसे इनके शरीर का आकार लंबा और दैत्यकारी हो जाता है। ठीक उसी के साथ इनकी भुजाएं और पाऊं की लंबाई भी बदल जाती है और पूरे शरीर पर बाल होते है। इनके चौड़े हथेली बड़े से पंजे की तरह दिखते है जिसमे बड़े, मजबूत और धारदार नाखून लगे होते है, जिन्हे क्ला कहते है। एक क्ला की लंबाई 2 इंच से लेकर 6 इंच तक हो सकती है। यह क्ला गेंडे की चमरी को भी आसानी से फाड़ सकती है।

कुछ वेयरवोल्फ पूर्णतः भेड़िया बन जाते हैं जो अपने दोनो पाऊं के जगह 4 पाऊं पर किसी जानवर की तरह खड़े रहते है। इस प्रकार के वेयरवोल्फ को सबसे खतरनाक माना जाता है। इन वेयरवोल्फ की लंबाई 8 से 10 फिट और ऊंचाई से 6 फिट तक होती है। इसे अजय आकार भी माना जाता है जो किसी भी 2 पाऊं पर खड़े वेयरवोल्फ से हार नही सकता।


वेयरवोल्फ के प्रकार.… और उनकी पहचान..

किसी भी झुंड में 2 प्रकार के वेयरवोल्फ होते हैं। सबसे पहले होता है बीटा। किसी भी झुंड में इनकी संख्या ज्यादा होती है और ये काफी आक्रामक प्रवृति के होते है। सबसे पहले शिकार के ओर दौड़ना, खूनी भिडंत करना या किसी भी प्रकार की जंग इन्ही के आक्रमक स्वभाव के वजह से होती है... एक बीटा की पहचान उसकी पीली आंखों से किया जाता है।

इन सभी बीटा को झुंड का मुखिया नियंत्रित करता है, जिन्हे अल्फा कहते है। एक अल्फा काफी हद तक खुद को नियंत्रित रखता है और अपनी मर्जी अनुसार आक्रमक होता है। हां लेकिन किसी एक अल्फा में इतनी ताकत होती है कि वह अकेले ही 20 बीटा का शिकार कर ले। इनकी पहचान इनके लाल आंखों से होती है और हर झुंड का अपना एक अल्फा होता है।

वैसे झुंड में एक हॉफ अल्फा भी होती है। हॉफ अल्फा वह वेयरवोल्फ होते है, जिनमे सारे गुण तो अल्फा के ही होते है, और उनकी आंखें भी लाल ही होती है, परंतु उनमें वह ताकत नही होती जो आम तौर पर एक अल्फा की होनी चाहिए।


बीस्ट वुल्फ या फर्स्ट अल्फा.…

ताकत का नशा वेयरवोल्फ के अंदर भी होता है। हर वेयरवोल्फ ताकत का भूखा होता है और शक्तियां अर्जित करने के लिए उतना ही आक्रमक। एक वेयरवोल्फ, जिस किसी भी दूसरे वेयरवॉल्फ को अपने क्ला (पंजे के बड़े बड़े नाखून) या फेंग से मारता है, फिर उसकी ताकत हासिल कर लेता है। एक लंबे वक्त तक दूसरे अल्फा और बीटा वेयरवोल्फ को मारकर ताकत हासिल करते–करते एक अल्फा बीस्ट अल्फा में बदल जाता है। यह होता एक अल्फा ही है किंतु इसकी चमरी इतनी सख्त हो जाती है जैसे किसी हीरे की चमरी हो। आंख तक को किसी बंदूक की गोली से भेदा नही जा सकता हो।

एक बीस्ट वुल्फ प्रायः 3–4 या उससे अधिक वुल्फ पैक को अपने अंदर रखते है, इसलिए इन्हे फर्स्ट अल्फा भी कहा जाता है। कई अल्फा के ऊपर का एक अल्फा... कुछ पैक फर्स्ट अल्फा के साथ अपनी मर्जी से रहते है तो ज्यादातर पैक को फर्स्ट अल्फा अपने साथ रहने पर मजबूर करता है। जहां अपने झुंड के लिए कोई भी वेयरवोल्फ कुछ भी कर सकता है वहीं फर्स्ट अल्फा या बीस्ट अल्फा थोड़े अलग होते है। यह रहते पैक के साथ ही हैं लेकिन अपने साथ रह रहे कई पैक में से किसी भी अल्फा या बीटा वेयरवोल्फ का शिकार उनके पैक के सामने ही कर लेते है।



वेयरवोल्फ के जानवर नियंत्रण शक्ति (Animal control power) और कुछ खास शक्तियां.....

कोई भी वेयरवोल्फ अपने आंखों से दूसरे जानवर, तथा खुद से निचले स्तर के वेयरवोल्फ को नियंत्रित कर सकता है। जैसे एक अल्फा, अपने बीटा और हॉफ अल्फा को कंट्रोल कर सकता है। वहीं फर्स्ट अल्फा, अल्फा वेयरवोल्फ को कंट्रोल कर सकता है।

हर वेयरवोल्फ में कमाल की सूंघने की शक्ति होती है। गंध की पहचान करने में ये कुत्तों से 100 गुना आगे होते है। वेयरवोल्फ के सूंघने की शक्ति के साथ साथ वह खून में बहने वाले हार्मोंस को महसूस कर किसी के भी भावना को मिलो दूर से महसूस कर सकते हैं। वह किसी के हंसना, रोना, उदास होना इत्यादि भावनाएं।

इन सब के अलावा वेयरवोल्फ हृदय के धड़कन को भी महसूस कर सकते हैं। किसी से बात करते वक्त उसके हृदय की धड़कन में आए परिवर्तन से ये लोग सच और झूठ का भी पता लगा सकते हैं। हां लेकिन यह बात भी सत्य है की ताजा टपकते खून की खुशबू में वेयरवोल्फ का दिमाग इस कदर आकर्षित करता हो, मानो किसी नशेड़ी को महीने दिन बाद उसके नशे के समान का दर्शन हुआ हो। फिर सारे सेंसस बिलकुल गायब। दिमाग या तो अंदर के आकर्षण को काबू करने में लगा रहता है या फिर खुद बेकाबू होकर खून के पास पहुंच जाते हैं और भेड़िया तो हमेशा भूखा ही होता है।


एक वेयरवोल्फ कैसे बनते हैं.…

वेयरवोल्फ बनने के 2 तरीके है। पहले नर और मादा वेयरवोल्फ के मिलन से जो बच्चा पैदा होता है वह वेयरवोल्फ होता है या नही तो किसी अल्फा के बाइट के बीटा वेयरवोल्फ बनता है। हां लेकिन किसी अल्फा द्वारा काटे जाने पर यदि इंसानी शरीर का इम्यून सिस्टम उस बाइट को स्वीकार कर लेता है तभी वह इंसान बीटा वेयरवोल्फ बनता है। यदि किसी इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम बाइट को रिजेक्ट कर देता है तब इंसान वेयरवोल्फ नही बनता अलबत्ता शरीर में कई तरह के केमिकल रिएक्शन के कारण उसकी मौत तक हो सकती है। इसलिए जब भी किसी अल्फा को अपने पैक का विस्तार करना होता है तब वह किसी किशोर अवस्था वाले लड़के या लड़की का चयन करता है जिनका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो।

कुछ अन्य बातें...

१) किसी भी वेयरवोल्फ से उसकी शक्तियां चुराई जा सकती है। एक अल्फा कल बीटा भी हो सकता है।

२) हर वेयरवोल्फ के पास असमान्य रूप से हील होने की क्षमता होती है। बड़ा से बड़ा घाव महज मिनटों में भर जाता है और चोट के निशान भी नही होते।

३) हां लेकिन किसी बीटा को यदि उसका अल्फा चोट देता है फिर वह वेयरवॉल्फ इंसानी क्षमता जैसा सामान्य रूप से ही हिल करता है और उसके निशान हमेशा के लिए रह जाते हैं।

४) जैसे हर वेयरवोल्फ खुद को हिल कर सकता है ठीक उसी प्रकार वह अपनी नब्ज में दूसरों के दर्द और तकलीफ को उतारकर दूसरों को भी हिल कर सकता है। हर किसी वेयरवोल्फ में दूसरों को हिल करने की बहुत ही न्यूनतम क्षमता होती है। हां लेकिन एक ट्रू अल्फा दुनिया का सबसे शानदार हीलर होता है और यदि वो लगातार हिल करके अपने इस गुण को निखरते रहे फिर तो वह क्या न हिल कर दे.…

ट्रु अल्फा:– वेयरवोल्फ की दुनिया में यह नाम काफी दुर्लभ माना जाता है। जहां एक बीटा, भले ही वो 2 वेयरवोल्फ के मिलन से पैदा हुआ बीटा क्यों न हो, अल्फा बनने के लिए या तो कई सारे बीटा को मारते है या फिर उन्हे किसी अल्फा को मारना होता है। वहीं एक ट्रू–अल्फा इन सब से अलग होता है। वह अपनी इच्छा शक्ति से अल्फा बनता है। जो हिल करने के दर्द को लगातार झेलता है। कभी किसी का शिकार नही करता और न ही मांसहारी प्रवृति को अपने ऊपर हावी होने देता। इन्ही सब लागातार परिश्रम और अथक मेहनत के बाद एक ट्रू–अल्फा बनता है जिसकी शक्ति को कोई चुरा नही सकता।

वेयरवोल्फ कड़ी उनके शक्तियों के हिसाब से...

१) फर्स्ट अल्फा या बीस्ट अल्फा
२) ट्रू अल्फा
३) अल्फा
४) वेयरकायोटी (फीमेल फॉक्स शेप शिफ्टर, जो बीटा होती है और इनकी आंखें नीली होती है)
४) हॉफ अल्फा
५) बीटा
६) ओमेगा... (ओमेगा उन वेयरवोल्फ के लिए इस्तमाल होता है जिनका कोई पैक न हो। यह अल्फा या बीटा कोई भी हो सकते हैं। ओमेगा को हमेशा सबसे नीचे माना गया है क्योंकि अकेला वुल्फ सबसे कमजोर होता है, फिर वह अल्फा ही क्यों न हो)


कुछ खास बातें वेयरवोल्फ पैक के.…

वेयरवोल्फ के पैक में होने के एक ही नियम है, वह है ब्लड ओथ... एक अल्फा अपने पैक के सभी वुल्फ से ब्लड ओथ के साथ जुड़ता है। ब्लड पैक से जुड़े वुल्फ अपने मुखिया के ब्लड को, ब्लड ओथ के वक्त महसूस कर सकते है। एक पैक से जुड़े वुल्फ दूसरे पैक में, पैक तोड़ कर जा तो सकता है लेकिन ब्लड ओथ से जुड़े होने के कारण 2 पैक में खूनी भिडंत होनी आम बात है। या कभी–कभी खुशी से जाने भी देते हैं।

वहीं यदि किसी पैक ने दूसरे पैक के मुखिया को मार दिया तब वह हारे हुए पैक का मालिक बन जाता है। उसके बाद जीता हुआ पैक या तो दूसरे पैक के वुल्फ को अपने पैक में सामिल कर ले, या फिर गुलाम बनाकर रखे या फिर चाहे मार ही दे, वह जीते हुए पैक के मुखिया के ऊपर निर्भर करता है।

यदि कोई वुल्फ मरने की स्थिति में हो और उसकी जान कोई और बचाता है, उस परिस्थिति वुल्फ अपने ब्लड ओथ पैक को तोड़ सकता है और जान बचाने के एवज में उसे अपना मुखिया चुन सकता है। २ पैक के बीच शक्ति के वर्चस्व और क्षेत्र को लेकर खूनी भिडंत होनी आम सी बात है।



वेयरवोल्फ को रोकने और मारने के तरीके.....

वेयरवुल्फ मे कुछ बातें असमान्य होती है। कोई भी वेयरवुल्फ कितना भी घायल क्यों ना हो महज चंद मिनट में हील हो जाते है, इसलिए शिकारी उन्हे मारने के लिए खास हथियार का इस्तमाल करते है।

माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म.… हिमालय के क्षेत्र में पाया जानेवाला एक खास फुल जिसका भस्म की रेखा लक्ष्मण रेखा की तरह होती है। माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म 2 अलग दुनिया की दीवार मानी जाती है। अर्थात यदि हम धरती पर है और धरती पर पाए जाने वाले जीव के अलावा कोई अन्य जीव इसके रेखा को पार नही कर सकता है। इसी तरह यदि यह माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म किसी और डायमेंशन या अलग दुनिया में हो तो वहां पृथ्वी का कोई भी जीव इस अवरुद्ध भस्म को पार नही कर सकता।

सुपरनैचुरल के लिए यह माउंटेन एश किसी बुरे सपने की तरह होता है। इसकी रेखा यदि खींच दी गई हो और गलती से कोई सुपरनैचुरल इसकी रेखा को छू भी ले, फिर 4 दिन तक गहरे सदमे में रहता है।


लेथारिया वुलपिना:– वेयरवोल्फ के लिए एक तरह का धीमा जहर जो रक्त कोशिकाओं को तोड़ देता है। यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया फिर तो वुल्फ न तो मरते हैं और न ही जीते है बस काली रक्त हर वक्त आंख, कान और नाक से निकलता रहता है। इसके बाद किसी भी वुल्फ को काबू में करना अथवा मारना आसान हो जाता है।

करंट फ्लो:– यूं तो करेंट हर किसी के लिए घातक होता है, लेकिन वेयरवोल्फ जो खुद को हिल कर सकते है, जिन्हे आसानी से नहीं मारा जा सकता, करेंट फ्लो एक विकल्प रहता है।

वोल्फबेन:– ये आम इंसान पर कुछ असर नहीं करती लेकिन यदि यह जहर किसी वुल्फ के सीने तक पहुंच जाता तो उसकी मृत्यु उसी वक़्त हो जाती।

कैनिन मॉडिफाइड वायरस:– कैनिन मॉडिफाइड वायरस को खाने में मिलाकर खिला दिया जाता। कैनिन वायरस कुत्ते में पाया जाना वाला वायरस है, जिसके मॉडिफाइड फॉर्म को एक वुल्फ पर ट्राय किया गया। परिणाम यह हुआ कि ये वायरस शरीर में जाते ही शेप शिफफ्टिंग बंद हो जाता है। लूथरिया वोलापिनी की तरह ही काले रक्त बहने लगते है और एक वुल्फ आम इंसान से ज्यादा कुछ नहीं रहता।


पूर्णिमा, अमावस्या और चंद्रग्रहण:– कोई भी शिकारी वुल्फ का शिकार करने के लिए इन सभी मौकों को भुनता है। जहां एक ओर पूर्णिमा की रात वुल्फ काफी आक्रमक होते है, और उन्हें रक्त और मांस का झांसा देकर फंसाया जा सकता है। वहीं चंद्रग्रहण और अमावस्या तो शिकारियों के लिए लॉटरी से कम नहीं। एक छोटा सा विंडो 10 मिनट से लेकर 1 घंटे के बीच खुलता है, जिसमे हर वेयरवॉल्फ अपनी शक्तियां खोकर आम इंसान की तरह रहता है, और आम इंसान वाले सारे वार कारगर होते हैं।



फिलहाल इतनी जानकारी दी गई है... इसमें जैसे–जैसे कुछ नया आता है, अपडेट होता रहेगा.…
बहुत ही जबरदस्त रिसर्च की है मेरे भाई, अति उत्तम और इस रिसर्च को पढ़ कर ये मेरा अनुमान है कि आर्य एक ट्रू अल्फा है और मेरे अनुमान का कारण है ये पंक्तियां

"वह अपनी इच्छा शक्ति से अल्फा बनता है। जो हिल करने के दर्द को लगातार झेलता है"

बाकी तो nain11ster भाई ही बताएंगे कि मेरा अनुमान सही है या गलत।
 

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भाग:–13




शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी खुशी देखकर भूमि कहने लगी… "क्यों अपनी गर्लफ्रेंड चित्रा से मिलने की तुझे इतनी ज्यादा खुशी है।"


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी और निशांत से भी..


भूमि:- आह हीरो लग रहा है बिल्कुल। ऊपर सन ग्लासेस लगा। हां अब ठीक है। ये बता तू मुझे थैंक्स क्यों कहा चित्रा के मामले में।


आर्यमणि:- अभी मै अपने दोस्तो से मिलने की खुशी में जा रहा हूं। आप मुझे उस बात के लिए छेड़ रही है, जो बात आपको भी पूरे अच्छे से पता है। कौन बहस मे पड़े।


भूमि:- इस बात के लिए कोई वीरता का पुरस्कार दे दूं क्या? चल आज मै तुझे कॉलेज छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- दीदी, आप परेशान ना हो मै चला जाऊंगा।


आर्यमणि कॉलेज पहुंचा और आराम से अपने क्लास ढूंढने लगा। इधर चित्रा, पलक, माधव, निशांत और निशांत की गर्लफ्रेंड हरप्रीत सभी कैंटीन में बैठकर कॉफी की चुस्की ले रहे थे, इसी बीच एक सेकंड ईयर का स्टूडेंट भागता हुआ कैंटीन में आया… "सुपर सीनियर (4th ईयर स्टूडेंट) आए है और एक स्टूडेंट को पकड़ रखा है। लगता है उसकी आज बैंड बजाने वाले है।"..


वो लड़का हल्ला करता हुआ सबको बता गया और कैंटीन से 5 कॉफी और सिगरेट लेकर चलता बना।… "इन सुपर सीनियर की रैगिंग क्या अलग होती है।"… पलक, निशांत और चित्रा से पूछने लगी।


निशांत:- पता नहीं। वैसे हमे तो सेकंड ईयर वालो का दर्द झेला नहीं गया था, ये तो फाइनल ईयर वाले है।


माधव:- चलकर देख लेते है फिर, ये सुपर सीनियर कैसे रैगिंग लेते है।


चित्रा:- चलो चलकर देखते है, इसी बहाने कुछ टाइमपास भी हो जाएगा।


पलक:- कैसे हो तुमलोग। कोई किसी को परेशान करेगा और तुम लोग उसे देखोगे।


निशांत:- शायद उन सुपर सीनियर्स के जाने के बाद उसे किसी कंधे कि जरूरत पड़े। ये भी तो हो सकता है ना पलक। मानवीय भावना से तुम भी क्यों नहीं चलती।


पलक:- हम्मम ! ये भी सही है। चलो चलते है।


चित्रा:- वैसे पलक ने उसे अपना कांधा दे दिया तब तो बेचारे के सारे गम दूर हो जाएंगे।


सभी बात करते हुए पहुंचे गए फर्स्ट ईयर के एरिया में, और जैसे ही नजर गई उस लडके पर… हाइट 6 फिट के करीब। आकर्षक गठीला बदन बिल्कुल किसी प्रोफेशनल एथलीट की तरह। रंग गोरा, चेहरा नजरें टिका देनेने वाली। और जब फॉर्मल के ऊपर आखों पर सन ग्लासेस लगाए था, किलर से कम नहीं लग रहा था। पलक उसे नजर भर देखने लगी।


चित्रा:- मारो, इसे खूब मारो.. इतना मारो कि होश ठिकाने आ जाए


निशांत:- बस अच्छे से इसकी ठुकाई हो जाए तो दिल खुश हो जाए।


पलक हैरानी से उन दोनों का चेहरा देखने लगी। ये सभी सुपर सीनियर्स के ठीक पीछे खड़े थे और नज़रों के सामने आर्यमणि।…. "इसने अपनी बॉडी पर काम किया है ना। पहले से कुछ पतला नजर आ रहा है ना निशांत।"..


निशांत:- ऐसा लग रहा है बदन के एक्स्ट्रा चर्बी को छीलकर आया हो जैसे।


इधर सुपर सीनियर्स छोटे से लॉन में लगे पत्थर की बनी बेंच पर बैठे थे और आर्यमणि ठीक उसके सामने। छोटा सा इंट्रो तो हो गया था। उसे खड़े रहने बोलकर सभी कॉफी पीने लगे थे। इसी बीच आर्यमणि ने अपने दोस्तो को देखा और अपना चस्मा निकालकर सीने में खोंस लिया।… "इसकी आखें नीली कबसे हो गई, कॉन्टैक्ट लेंस तो नहीं लिया।"..


निशांत:- इसपर पक्का यूएस की गलत हवा लगी है चित्रा। ये तो यहां की लड़कियों को दीवाना बनाने आया है। कमिने ने मेरे बारे में भी नहीं सोचा। अब मेरा क्या होगा।


हरप्रीत निशांत को एक लात मारती… "तुम्हारी छिछोड़ी हरकतें कभी बंद नहीं होगी ना।"


पलक इतनी डिटेल सुनने के बाद थोड़ी हैरान होती… "क्या यही आर्य है।"..


दोनो भाई बहन एक साथ… "हां यही आर्य है।"..


तभी सीनियर जो कॉफी पी रहे थे, अपनी आधी बची कॉफी आर्य के मुंह पर फेंकते… "अबे हम यहां बैठे है और तू मुस्कुराए जा रहा है।"


आर्यमणि:- सॉरी सर...


तभी एक सीनियर खड़ा हुआ और खींचकर एक तमाचा मरा। तमाचा इतना जोड़ का था कि आर्यमणि का उजला गाल लाल पर गया।… "कुत्ते के पिल्ले, झुककर, अदब से सर बोला कर। अच्छा तू सिगरेट पीता है।"


आर्यमणि:- टेक्निकल सवाल है सर जिसके जवाब पर थप्पड़ ही पड़ने है। वक़्त क्यों बर्बाद करना मारो।


उसे देखकर सभी हंसते हुए… "समझदार लड़का है।" सभी खड़े हो गए और एक के बाद एक उसके गाल पर निशान बनाते चले गए। उनकी इस हरकत को ना तो चित्रा बर्दास्त कर पाई और ना ही निशांत। उनके चेहरा देखकर ही आर्यमणि समझ गया कि अब ये दोनो यहां ना आ जाए इसलिए उसने इशारे से मानकर दिया।


निशांत:- साले कमीनो, वो मारने पर आ गया तो तुम पांचों अपनी जान बचा कर भागने लगोगे।


पलक:- तो फिर ये इतना बर्दास्त क्यों कर रहा है?


चित्रा:- क्योंकि वो सीनियर है और हमे रोज कॉलेज आना। अब हर दिन कॉलेज आकर लड़ाई तो नही कर सकते न... बस इसलिए मार खा रहा है...


इधर इन सीनियर्स का जब मारना हो गया।… "चल अब अपनी शर्ट निकाल।"..


आर्यमणि:- बस रैगिंग खत्म हो गई। अब जाओ यहां से सब। मेरा मूड नहीं रैगिंग देने का।


एक सीनियर… "साले तू हमे सिखाएगा।"..


आर्यमणि:- मै जानता हूं तुझे किसी ने सीखा कर भेजा है। तेरा काम हो गया अब मुझे जाने दे। वरना मामला फसा तो जिसने तुझे भेजा है वो शायद बच जाए पर तुम पांचों का मै वो हाल करूंगा कि पछताओगे, काश बात मान ली होती।


सीनियर्स को समझ में आ गया कि पोल खुल गई है इसलिए वहां से कटने में ही अपनी भलाई समझे। आर्यमणि भी अपनी बात कहकर, अपने दोस्तों के ओर तेजी से कदम बढ़ा दिया। वो दोनो भी आर्यमणि के ओर दौड़ लगा दिया। निशांत आकर सीधा गले से लगा, वहीं चित्रा पास में आकर खड़ी हो गई।


आर्यमणि अपना एक हाथ खोलकर उसे भी अपने बीच लिया और तीनों ही गले लगकर अपने गम भुलाने लगे। हल्की आखें नम और दिल में ढेरों उमंगे। कुछ देर गले लगने के बाद तीनों वापस कैंटीन आ गए। अपने बीच 2 नए लोग को देखकर आर्यमणि पूछने लगा…. "ये हमारे नए साथी कौन है, मिलवाया नहीं तुमने।"..


चित्रा:- आर्य, ये है मेरी प्यारी कजिन पलक, और पलक..


पलक:- हां जानती हूं, ये है आर्य। हेल्लो आर्य..


आर्यमणि, भी अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "हेल्लो पलक, तुम बहुत खूबसूरत है।"..


चित्रा:- खूबसूरत है, ये मेरे कान सही काम कर रहे है ना।


निशांत, आर्यमणि के सर पर हाथ रखते हुए…. "मेरे भाई दिमाग के अंदर सारे पुर्जे सही से काम तो कर रहे है ना।"


आर्यमणि:- और ये साथी कौन हैं?


आर्यमणि, माधव के ओर देखते हुए कहने लगा।…. "ये माधव है।"


माधव अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "जी हम माधव है।"..


आर्यमणि:- तुमसे मिलकर अच्छा लगा माधव।


चित्रा:- गए तो ना कोई संदेश, ना कोई खबर। अपने घर तक कॉन्टैक्ट नहीं किए।


निशांत:- हमे बहुत बुरा लगा।


आर्यमणि:- आराम से सब शाम को बताऊंगा ना। फिलहाल मुझे अपने शर्ट से एलर्जी हो रही है। निशांत पुरानी आदत बरकरार है या बदलाव है।


निशांत:- सब वैसा ही है। पैंट के ऊपर टी-शर्ट अच्छा नहीं लगेगा। जाओ पूरा चेंज कर आओ।


आर्यमणि वहीं कैंटीन के किचेन में जाकर चेंज कर आया। जबतक लौटा तबतक क्लास का टाइम भी हो चुका था। चित्रा और निशांत उससे जानकारी लेने लगे पता चला ये लोग 1 साल अब सीनियर हो चुके हैं।


लगभग 2 बजे तक सभी क्लास समाप्त हो गए। पलक को बाय बोलकर चित्रा और निशांत दोनो आर्यमणि के साथ चलने लगे… तीनों कॉलेज में ही पीछे के गार्डन में बैठ गए।


निशांत:- बहुत सारे सवाल है यार, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तुम्हे हम सब के संपर्क करने की एक जारा इक्छा नहीं हुई।


चित्रा:- और हां, हूं वाला जवाब कतई नहीं देना।


आर्यमणि:- "कॉन्टैक्ट तो मै भी करना चाहता था लेकिन यूएस में मेरा किडनैप हो गया। फसा भी कहां तो फॉरेस्ट में। वो फॉरेस्ट नहीं, बल्कि मेरे ज़िन्दगी का ब्लैक हिस्सा बन गया। हर पल खुद के सर्वाइवल के लिए मुझे जूझना पड़ता था। मेरे पास कोई तैयारी नहीं थी और बिना तैयारी के मुझे रोज जानवरो के झुंड से सामना करना पड़ता था।"

"हां वो अलग बात है कि वहां के सर्वाइवल इंस्टिंक्ट ने मेरे शरीर को काफी स्ट्रॉन्ग बाना दिया, ये एक अच्छी चीज मै लेकर आ रहा हूं। लेकिन जब वहां था तो बस एक ही बात दिमाग में थी, क्या मै तुम सब से कभी मिल पाऊंगा? उस रात चित्रा का दिल दुखाया, तुम दोनो जा रहे थे और ठीक से मिला भी नहीं, ऐसा लगा जैसे मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी हो।"

"जान बचाने के क्रम में एक ही बात अक्सर सताया करती थी जो कभी मैं कह नहीं सका अपने पापा से, कि मै उनसे कितना प्यार करता हूं। मां के गोद की अकसर याद आया करती थी। तुम लोग के चेहरे हमेशा आखों के आगे घूमते रहता और खुद से ही सवाल करता, क्या मै तुम दोनों से मिलकर कभी ये कह पाऊंगा की तुमसे जब दूर हआ तो ऐसा लगा जिंदगी ही अधूरी है।"


निशांत:- हमारा भी यही हाल था आर्य। जितनी दूरियां नहीं अखरती, उस से कहीं ज्यादा बात ना करना अखरता है। मुद्दा ये नहीं था कि तुमसे बात नहीं हुई, बस दिल में डर बाना रहता था, क्या हुआ जो बात नहीं करता। या तो अपनी नई दुनिया में मस्त हो गया या किसी बड़ी मुसीबत में है।


चित्रा:- और तुम वाकई में मुसीबत में थे। हमे माफ कर दो, तुम्हारे बहुत ही बुरे वक़्त में हम तुम्हारे साथ नहीं थे। अंकल आंटी से मिले या नहीं।


आर्यमणि:- 10 दिन पहले आया। सबसे पहले सीधा गंगटोक ही गया था। इस बार उनसे भी कुछ नहीं छिपाया। पापा से बोल दिया मैंने, भले ही मै उनसे बहुत बहस करता हूं लेकिन वो हमेशा मेरे रोल मॉडल ही रहेंगे। मै उनसे बहुत प्यार करता हूं। यही बात मैंने अपनी मम्मी से भी कहा। यही बात मै तुम दोनो से भी कहता हूं।


निशांत:- ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है, अभी जरूरत है एक पार्टी की। आज रात डिस्को?


आर्यमणि:- नहीं आज कोई प्रोग्राम नहीं। चित्रा के साथ हम दोनों ने क्या किया था याद है ना, इसलिए आज तो चित्रा बोलेगी।


चित्रा:- नहीं कोई गिला-शिकवा नहीं। हम तो यहां सुरक्षित थे, पता नहीं तुमने उस फॉरेस्ट में कैसे दिन झेले होंगे, जाओ तुम दोनो।


निशांत:- हां तो आज ये फाइनल रहा, डिस्को।


आर्यमणि:- 1 हफ्ते बाद की प्लांनिंग रखो ना। अभी यहां थोड़ा सैटल हो जाऊं। गंगटोक से लौटा हूं तो सीधा कॉलेज आ गया, जबकि मासी और मौसा का फोन पर फोन आए जा रहा है।


चित्रा:- हां ये भी सही है। चलो चला जाए, तुम आराम से यहां सैटल हो लो, उसके बाद तो फन और मस्ती चलती रहेगी।


तीनों वहां से एक दूसरे को अलविदा कहकर घर लौट गए। 3 बजे के करीब आर्य घर पर पहुंचा। वो अपने कमरे में जा ही रहा था कि तभी रिचा के कमरे से उसके चिल्लाने की आवाज़ आयी। आर्यमणि उसके कमरे में दौर कर पहुंचा, और सामने का नजारा देखकर उतनी ही तेजी से दरवाजा बंद करके निकल गया।… तभी अंदर से आवाज़ आयी… "ओय शर्माए से लड़के आ जाओ, ऐसे मै 100 लोगो के बीच प्रैक्टिस करती हूं।"..


दरसअल रिचा स्पोर्ट्स ब्रा और माइक्रो मिनी शॉर्ट्स में थी। जिसे देखकर आर्यमणि दरवाजा बंद कर चुका था। वापस से अंदर आते… "वो बस चिल्लाने कि आवाज़ सुनकर मै आ गया था, जा रहा हूं।"


रिचा:- अब आ गए हो तो बैठो और देखकर बताओ मै कैसा कर रही हूं।


आर्यमणि अपना सर हां में हिलाया और रिचा को देखने लगा। रिचा अपने हाथ की "साय वैपन" को बड़ी तेजी में घुमाई और हवा में हमला करना शुरू कर दी। हमले कि प्रैक्टिस करती हुई कहने लगी… "हम हमलवार श्रेणी में आते है। मर्टियल अर्ट के दौरान हमे ये तरह-तरह के हथियार चलना सिखाया जाता है।"..


रिचा अपने गति का प्रदर्शन करती 360⁰ पर घूम-घूम कर दोनो हाथ को इस एंगल से घुमा रही थी जिसमे एक हाथ सीने से लेकर गर्दन तक हमला करता तो दूसरा हाथ कमर से लेकर पेट तक। हाथ का ऐसा संतुलन बना था कि जब बायां हाथ ऊपर होता तो दायां नीचे, और इसी प्रकार जब दायां ऊपर होता तो बाएं नीचे। 360⁰ रोल के वक़्त भी ऐसा ही होता, एक हाथ कमर के ऊंचाई पर रहता तो दूसरा हाथ गर्दन की ऊंचाई पर।


रिचा लगातार अपनी प्रेक्टिस दिखाती हुई, उसे हथियारों के बारे में जानकारी देती रही। वो जो चला रही थी एक इजिप्टियन हथियार साय थी। जो बेहद ही हल्का, उतना ही मजबूत और चलाने में आसान। उसके बाद कटाना और अन्य हथियारों के बारे में बताने लगी।


आर्य:- अच्छा नाच लेती हो। इस हथियार के साथ, तुम्हारा नाचना देखकर ही दुश्मन हथियार डाल देते होंगे।


रिचा:- हूं, अच्छा कॉम्प्लीमेंट था। चलो कहीं घूमकर आते है।


आर्य:- ठीक है मैम.. वैसे कहां चल रहे है..


रिचा:- महाराष्ट्र और एमपी के बॉर्डर की पहाड़ियों पर। जाओ कुछ हल्का और स्पोर्ट्स वाले कपड़े पहन आओ, जबतक मै भी फ्रेश होकर चेंज कर लेती हूं।


आर्य:- क्यों ये 100 लोगों के सामने नहीं करती क्या?


रिचा:- 100 लोगो के सामने तो कभी नहीं की लेकिन आज जहां चल रहे है, वहां यदि तुम डरे नहीं तो तुम्हारे सामने ये कारनामे कर सकती हूं। पर शर्त ये है कि केवल आखों से नजारा लोगे।


आर्य:- हा हा हा हा.. तुम शर्त हार जाओगी।


रिचा:- कोई नहीं देख ही लोगे तो कौन सा मै घट जाऊंगी.. लेकिन शर्त हार गए तो।


आर्य:- शर्त हार गया तो मै, तुम्हे अपना न्यूड शो दिखा दूंगा।


रिचा:- मै किड्स शो नहीं देखती। यदि तुम वहां डर गए तो मेरे शागिर्द बनोगे, बोलो मंजूर।


आर्य:- शागिर्द बनने की प्रोमिस कर सकता हूं लेकिन प्रहरी नहीं बनूंगा, ये पहले बता देता हूं। मै अभी तैयार होकर आया।


आर्य झटाक से गया और फटाक से तैयार होकर चला आया। थोड़ी देर बाद रिचा भी तैयार होकर आ गई। बिल्कुल किसी शिकारी की तरह उसका ड्रेसअप था। नीचे काले रंग की चुस्त पैंट, ऊपर काले रंग की चुस्त स्लीवलेस छोटी टी-शर्ट जिसमें कमर और पेट के बीच का 3 इंच का हिस्सा दिख रहा था और उसके ऊपर एक छोटी सी लैदर जैकेट। इन सबके अलावा पूरे कपड़ों में तरह–तरह के हथियार लगे हुए थे। जबकि रिचा, आर्यमणि को शॉर्ट्स और स्लीवलेस टीशर्ट में देखकर हंस रही थी।
भाग:–14



दोनो गराज के ओर चल दिए। रिचा गराज खोलकर फोर्ड के किसी भी मिनी पिकअप ट्रक को निकालने के लिए बोली, तबतक वो गराज के बाएं हिस्से का शटर खोलकर रसियन मेड शॉर्ट गन और खास पाउडर में डूबी हुई उसकी गोलियां रख ली। साथ में एक जर्मन मेड पिस्तौल भी रखी, और इसकी भी गोलियां खास पाउडर में डूबी थी।


आर्य पिकअप बाहर निकालकर वहीं दरवाजे के पास खड़ा था। रिचा उसे देखकर हंसती हुई कहने लगी… " तुम्हारे यहां आने पर हमने प्रतिबंध नहीं लगाया है।"


आर्य:- ये बुलेट किस पाउडर में डूबी है।


रिचा:- बुलेट किसी पाउडर में नहीं डूबी, बल्कि बुलेट के अंदर यही पाउडर डाला गया है। इसे वुल्फबेन कहते है। एक बार किसी भी वुल्फ को गोली मार दिए, फिर जैसे ही ये पाउडर ब्लड फ्लो से होते हुए उसके हृदय में पहुंचेगा, वो मारा जाएगा।


आर्य:- प्रहरी और उसके जॉब। मै आज तक इतने जंगलों में रहा, लेकिन मुझे तो कोई वेयरवुल्फ नहीं मिला।


रिचा:- आज मिल जाए तो घहबराना मत।


रिचा ने हथियार से भरा बैग पिकअप में रखा और दोनो चल दिए एमपी और नागपुर के बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में। एक मीटिंग प्वाइंट पर गाड़ी रुकी और एक एक करके 6 कीमती विदेशी मिनी ट्रक वहां आकर लग गई।


रिचा जैसे ही एक लड़के से मिली, झटककर उसकी बाहों में जाकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी… "फिर कभी ये पल हो ना हो।".. दोनो ये लाइन कहते हुए अलग हो गए और रिचा उस लड़के का परिचय करवाती हुई… "आर्य इनसे मिलो ये है मानस, मेरे होने वाले पति। मानस ये है आर्य, भाभी का भाई।"


मानस:- आर्य, ये कैसे गेटअप में आए हो।


रिचा:- मानस ये वही कुलकर्णी के परिवार से है।


रिचा ने बड़े ही धीमे कहा था लेकिन आर्यमणि के कान तो कई मिल दूर की आवाज़ को सुन सकते थे, फिर ये तो पड़ोस में ही खड़े थे। रिचा की बात सुनकर मानस ने मुंह बनाकर आर्यमणि को नीचे से ऊपर देखा और वो लोग अपने काम में लग गए।


सभी के एक हाथ में एक रॉड था, जिसका ऊपर का सिरा गोल और नीचे पतली नुकली धातु लगी थी, जिसके सहारे ये लोग उस रॉड को जमीन में गाड़ रहे थे। इस रोड से एक सुपर साउंड वेभ निकलती, जो किसी भी सुपरनैचुरल को सर पकड़कर वहीं बैठने पर मजबूर कर दे।


जंगल को प्वाइंट किया गया और ये सभी 6 लोग आर्य को गाड़ी के पास रहने का बोलकर अपने काम में लगे रह गए। आर्यमणि वहीं खड़ा था कि तभी उत्तर कि दिशा से उसे तीन लोगों की बू आनी शुरू हुई, जानी पहचानी और जिसमें से एक के डरने की बू थी।


आर्यमणि इधर–उधर देखा, और गायब होने वाली रफ्तार से दौड़ लगा दिया। जंगल में लगभग अंधेरा हो चुका था। आर्य अपनी सुपरनैचुरल आखों से चारो ओर देखने लगा। बिल्कुल फोकस। तभी कुछ दूरी पर उसे 2 सैतान नजर आने लगे। 2 शेप शिफ्टर वेयरवुल्फ जो अपने ही जैसे किसी शेप शिफ्टर को जकड़ रखा था और दोनो कंधे के ऊपर से, गर्दन में दांत घुसाकर उसका गला फाड़ने ही वाले थे।


आर्यमणि रफ्तार से वहां पहुंचा और धाराम से जाकर एक से टकराया। आर्यमणि जिस वेयरवुल्फ से टकराया वह जाकर कहीं दूर गिरा। दूसरा वेयरवुल्फ अपने शिकार को छोड़कर आर्यमणि पर अपना पंजा चलाया। एक ओर से, बड़े से क्ला वाला पंजा आर्यमणि के चेहरे के ओर बढ़ रहा था, ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने अपना मुक्का ठीक उसके बड़े से पंजे के बीच चला दिया। हथेली के बीच आर्यमणि का पड़ा मुक्का बड़ा ही रोचक परिणाम लेकर आया और उस वेयरवॉल्फ का कलाई पूरा टूट गया।


आर्यमणि उसके टूटे कलाई को पकड़ कर उल्टा मोड़ दिया। कड़ाक की आवाज में साथ, हाथ की हड्डियां आंटा बन गई। आर्य ने अपने पाऊं उठाकर उसके जांघ पर पूरे जोर से मारा। उसके जांघ की हड्डी टूट गई और पाऊं मांस के सहारे लटक गया। आर्यमणि ने वुल्फ को ऐसा तड़पाया था कि वह वेयरवोल्फ दर्द से बिलबिलाता अपनी मुक्ति की दुआ ही कर रहा था।

आर्यमणि उसे और ज्यादा न तड़पाते हुए, उसके हाथ को खींचकर उसे अपने करीब लाया और उसके गर्दन को जोर से गोल (360⁰) घूमाकर नचा दिया। आर्यमणि जैसे ही हाथ छोड़ा, उसका पार्थिव शरीर भूमि पर गिर रहा था। वहीं पहला वेयरवुल्फ जो आर्यमणि से टकराकर गिरा था, उसकी पसलियां टूटी थी और कर्राहती आवाज़ में "वूंउउउ" के वुल्फ साउंड के सहारे, अपने साथियों को बुला रहा था। आर्यमणि कर्राहते हुए वुल्फ के पास पहुंचा, उसके गर्दन को भी झटके में 360⁰ घुमाते हुए उसका भी राम नाम सत्य कर दिया।


वह लाचार सी वुल्फ जिसपर जानलेवा हमला हुआ था, अब सिकंजे से आज़ाद थी। वह आश्चर्य से आर्यमणि को देख रही थी, मानो जानने को कोशिश कर रही हो कि कैसे आर्यमणि ने 2 अल्फा वेयरवुल्फ को इतनी आसानी से मार दिया। आर्यमणि उसके चेहरे के भाव को भली भांति समझते.… "इतना मत सोचो की मैंने इन्हें कैसे मारा... तुम तो बस अपने जिंदा रहने की खुशी मनाओ"…


"ओह हां जिंदा रहने की खुशी माननी है।"… इतना कह कर वह वुल्फ झपटकर आर्यमणि के ऊपर आयी और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। आर्य उसे खुद से थोड़ा दूर करते… "तुम लड़की हो ना"… उसने "हां" .. में अपना सर हिलाकर जवाब दिया।.. "किस्स करो लेकिन पीछे गले पर नाखून मत चूभो देना वरना आत्महत्या करना होगा।"


"डरो मत मै एक बीटा हूं।".. कहती हुई उस लड़की ने आर्य को चूमना शुरू किया और अपने हाथ आर्यमणि के नितम्बो पर ले जाती, उसे अपने मुट्ठी में जकड़ ली।.. आर्य उससे अलग होते हुए…. "तुम तो पूरे मूड में आ गई। अभी-अभी तो जान बची है, फिर क्यों मरने कि इक्छा है।"..


लड़की:- मरने की नहीं तुम्हे थैंक्स कहने कि इक्छा है।


आर्यमणि:- शिकारी यहां पहुंच गए है, तुम निकलो यहां से। वरना, मै तुम्हे बचा नहीं पाऊंगा। ज़िन्दगी रही और फिर कभी मिले तो फुरसत से तुम मुझे थैंक्स कहना। और हां वहां अंधेरा नहीं होगा।


लड़की दोबारा आर्य के होंठ को चुमती…… "दोबारा मिलने के लिए अपना नंबर तो दो। कॉन्टैक्ट कैसे करूंगी।"


आर्य:- नंबर दूंगा लेकिन एक शर्त पर। पहले तुम संदेश दोगी, और मै फ्री हुआ तो तुम्हे कॉल करूंगा।


लड़की:- कितने संदेश भेजने के बाद कॉल करोगे..


आर्य:- रोज 1 संदेश भेज देना, जिंदगी ढलने से पहले कभी ना कभी संपर्क कर ही लूंगा।


लड़की हंसती हुई आर्य का नंबर ले ली और एक बार फिर उसके होंठ को चूसती… "पहली बार किसी के होंठ चूमने में इतना मज़ा आ रहा है। मुझे ज्यादा तड़पाना मत।"… कहती हुई वो वहां से चली गई। आर्य को भी लग गया वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी पहुंचते ही होंगे, इसलिए वो भी वहां से भगा और जाकर गाड़ी के पास खड़ा हो गया।


9 बजे के करीब सभी शिकारी गाड़ी के पास जमा हुए। उसके जाल में एक लड़की थी जो काफी एग्रेसिव थी। चारो ओर हाथ पाऊं मार रही थी। उसके चारो ओर सुपर साउंड वेभ वाला रॉड गारकर उसके तरंग छोड़ दिए। जैसे ही वो तरंग शुरू हुई, आर्य के सर में भी हल्का–हल्का दर्द होने लगा।


उसके धड़कन की रफ्तार बढ़ने लगी और ये रफ्तार इसी तरह से बढ़ती रहती तब यहां कुछ ऐसा होता जिसकी उम्मीद किसी ने भी नहीं की होती। आर्य पहाड़ की ऊंचाई पर था, उसने खुद को पहाड़ की ऊंचाई से लुढ़का लिया और वेभ के रेंज से बाहर निकल आया।


रिचा:- मानस, ये आर्य तो इस कुतिया का अग्रेशन देखकर ही पहाड़ से लुढ़क गया। मेरी भाभी को बड़ा विश्वास था अपने भाई पर। सुनेगी तो बेचारी का दिल टूट जाएगा।


मानस:- भूमि सुनेगी तो तुम्हे दौड़ा-दौड़ा कर मारेगी।


रिचा:- उसका दौड़ और राज करने का समय चला गया मानस, भूमि 10 साल के लिए एक्टिव नहीं रहेगी। अब उसे बच्चा चाहिए। इसलिए विश्वा का होने वाला जमाई ही अध्यक्ष होगा और ये पूरी सभा हमारे इशारे पर नाचेगी।


तेनु, रिचा का एक साथी… "और उस राजदीप, नम्रता और पलक का क्या, जिसे भूमि अपने पीछे छोड़े जाएगी और तेजस को क्यों भुल जाते हो।"..


रिचा:- एक बार सभा हमारे हाथ में आने दो। मुझे जयदेव का उतराधिकारी घोषित तो होने दो। फिर देखना हम एक-एक करके कैसे सबको गायब करते है। कहने को तो ये सभा सबका है। यहां कोई भी बड़े औहदे पर हो सकता है लेकिन शुरू से राज तो भारद्वाज का ही चलता आ रहा है।


तेनु:- हां सही कही। विश्वा काका अध्यक्ष है तब भी एक भारद्वाज ही बोलती है। इस से पहले जयदेव कॉर्डिनेटर था और पर्ण जोशी अध्यक्ष, तब तेजस बोला करता था। उस से पहले तो खैर उज्जवल भारद्वाज अध्यक्ष था और वो भी किसी को नहीं बोलने देता था।


पंकज:- कोई किसी भी पद पर रहे पुरा प्रहरी समूह में केवल भारद्वाज ही बोलते है। लेकिन अब वक़्त बदलना चाहिए, हालात बदलने चाहिए और भारद्वाज के ऊपर से विश्वास बदलना चाहिए।


रिचा:- केवल मानस को अध्यक्ष हो जाने दो फिर ऐसा मती भ्रमित करूंगी की भारद्वाज खुद किनारे हो जाएंगे, बस नम्रता और उस राजदीप की शादी किसी तरह मुक्ता और माणिक से तय करवानी है।


आर्य जो इनके रेंज के बाहर गिरा था, इनकी बातें सुनकर हंसने लगा और अपनी जगह आराम से लेटा रहा। थोड़ी देर बाद ये लोग आए और आर्य को ढूंढने लगे। आर्य के बेहोश देखकर उन्होंने पानी का छींटा मारा और आर्य चौंक कर जाग गया।…. "क्यों सर कहीं से गीला और पिला तो नहीं कर दिए।"..


आर्यमणि अपनी हालात देखकर अपने ऊपर लगे धूल मिट्टी को झारने लगा, किन्तु पानी पड़ जाने के कारण वो और चिपचिपी हो चुकी थी। आर्यमणि, रिचा की बात का जवाब ना देकर चुपचाप अपनी गाड़ी के ओर जाने लगा। तभी उनमें से एक ने कहा… "ये वही वर्धराज कुरकर्णी का पोता है ना जिसका दादा ने डर के मारे एक वेयरवुल्फ को भगा दिया और बाद में कहानी बाना दिया कि उसे प्यार हो गया था"..


रिचा उसपर चिल्लाती हुई… "प्रहरी के नियम यहां कोई ना भूले तो ही अच्छा होगा। हम किसी का तिरस्कार नहीं करते। चलो आर्य।"


आर्य:- हम्मम !


दोनो मिनी ट्रक में सवार होकर वहां से निकल गए। रात में 11.30 बज रहे थे, जब रिचा उसे लेकर घर पहुंची। आर्यमणि की हालत देखकर भूमि उसके पास पहुंची…. "ये सब क्या है, सुनी तू डर के मारे पहाड़ से गिर गया।"..


आर्यमणि:- नहीं दीदी मेरा पाऊं फिसल गया था। पता नहीं वो किस तरह का साउंड था, बड़ा ही अजीब। मैने सोचा जाकर गाड़ी में बैठ जाऊं और इन्हीं चक्कर में मै गिर गया।


इतने में रिचा भी गाड़ी पार्क करके आ चुकी थी… "क्यों रिचा गलत अफवाह हां"..


रिचा:- कांच की गुड़िया है ये तो भाभी, मुझे शॉर्ट और सपोर्ट ब्रा में देखकर इसके पसीने छुटने लगे। दरवाजा से अंदर घुसा और बाहर भगा। मर्द बनाने ले गई थी इसे। और अब शर्त के मुताबिक ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- कैसी शर्त..


रिचा:- मै हारती तो इसे सैर पर लेकर जाना था इसकी नैन प्रिया नजारे दिखाने, और ये हारता तो मेरा शागिर्द बनता। ये शर्त हार चुका है और डील के मुताबिक़ ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- शर्त अगर हार गया है तो आर्य तुम्हे ये करना होगा।


आर्य:- दीदी मै नहीं डारा था, मेरे पाऊं फिसल गए थे।


रिचा:- मेरे पास 5 गवाह है।


आर्य:- 5 लोग एक ही झूट को बोले तो तो क्या वो सच हो जाएगा। मै अभी प्रूफ कर दूंगा कि रिचा गलत बोल रही है।


रिचा:- करो प्रूफ।


आर्य:- तुम जब उस विकृत लड़की को लेकर आ रही थी तब तुमने मेरे चेहरे की भावना पढ़ी थी?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- क्या मै उस लड़की के डर से चिल्लाया था या कुछ पूछा था?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- वो रॉड जो तुमने जमीन में गाड़ा उसे पहली बार सुनो तो हम पर क्या असर होगा।


रिचा:- इंसानी दिमाग पर भी उसका गहरा असर होता है यदि कोई पहली बार सुन रहा हो तो धड़कन बढ़ना, बेचैनी और घबराहट।


भूमि:- रिचा तो 30 दिन लगातार सुनी, तब कहीं जाकर सामान्य रहने लगी।


आर्य:- और उससे पहले।


भूमि:- उल्टियां। पहले पुरा दिन होता था। फिर धीरे-धीरे कम होता गया।


आर्य:- शर्त मै जीता हूं, आप दोनो ही अब फैसला करो… मै चला, सुबह मुझे कॉलेज जाना है।


आर्यमणि अगली सुबह जब कॉलेज पहुंचा तब फिर से कोई अन्य सीनियर आर्यमणि के पास पहुंच गया और बीच ग्राउंड में रुकवाकर उसके शर्ट पर अपने मुंह का गुटखा थूक दिया। आर्यमणि वहां से चुपचाप निकल गया और वाशरूम जाकर बैग से दूसरा कपड़ा निकालने के लिए बैग का चैन खोला ही था, कि किसी ने बाहर से उसके ऊपर एक पत्थर दे मारा। कौन मारा, कहां से मारा किसी को पता नहीं, नाक टूट गई और वो अपने रुमाल से खून को साफ करने लगा।


वो कपड़े बदल कर चुपचाप आया, और अपने क्लास में चला गया। क्लास में सभी लड़के-लड़कियां उसके ऊपर हंस रहे थे। गुटके के पिचकारी वाली वीडियो पूरे कॉलेज में वायरल हो गई थी। आर्यमणि मुसकुराते हुए अपनी क्लास अटेंड किया, तभी उसके मोबाइल पर मैसेज आया।


नंबर किसी घोस्ट के नाम से रजिस्टर था और अंदर संदेश… "सुबह-सवेरे अपनी इंसानी आखों से तुम्हे देखी। जी किया तुम्हे निचोड़ डालूं और महीने दिन पुरा मज़ा करने के बाद तब कहूं, अभी के लिए दिल भर गया, कभी-कभी मेरी प्यास मिटा देना। लेकिन शायद अभी तुम मिलना ना चाहो।"..


आर्य टाइप करते… "और तुम्हे ऐसा क्यों लगा।"..


घोस्ट:- जिस तरह तुम्हारे ऊपर किसी ने पिचकारी उड़ाई है, तुम्हारे हाव-भाव से लगता है तुम खेलने के मूड से हो। उन्हें पुरा हावी होने का मौका दोगे। जैसे कोई बड़ा शिकारी करता है। खेल के रचयता का जबतक पता नहीं लगता तबतक तो तुम एक्शन नहीं लेने वाले।


आर्य:- तुम्हे कैसे पता की मै ऐसा करने वाला हूं।


घोस्ट:- क्योंकि कल पहाड़ी से तुम्हारा जान बुझ कर गिरना और वो लोग जो तुम्हारे बराबर कहीं टिकते ही नहीं है उनकी सुनना। इससे ये साफ जाहिर है कि तुम खेल का पूरा मज़ा लेते हो। वरना अपने दादा के नाम का मज़ाक उड़ते हुए कौन सहता है।


आर्य:- फिर तो तुम्हे भी पता चल गया होगा कि ये पुरा कांड कौन रच रहा है।


घोस्ट:- तुम मेरे साथ खेल ना ही खेलो। तुम रिचा को कभी रचयिता मान ही नहीं सकते, यदि ऐसा होता तो अब तक यहां भूचाल आ गया होता।


आर्य:- मेरे पैक का हिस्सा बनना पसंद करोगी।


घोस्ट:- लेकिन तुम मेरे जैसे नहीं हो।


आर्य:- लेकिन ग्रुप तो चाहिए ना।


घोस्ट:- तुम्हारी जान बचाई हुई है अंत तक तुम्हारे साथ रहूंगी। जब मिलूंगी तब रक्त प्रतिज्ञा लूंगी। आई एम इन..


आर्य:- बचकर रहना अब मेरी नजर कॉलेज में तुम्हे ढूंढेगी। और हां आगे क्या होने वाला है उसका अलर्ट नहीं भेजना मुझे। जारा सस्पेंस का मज़ा लेने दो।


घोस्ट:- जल्दी से ये खेल खत्म करो फिर हम अपना खेल शुरू करेंगे। बाय..


आर्य लगभग पूरी क्लास संदेश-संदेश ही खेलता रहा। क्लास ओवर होने के बाद वो सीधा कैंटीन पहुंचा, जहां उसके सभी दोस्त सुबह की बात को लेकर आक्रोशित थे। आर्यमणि से पूछते रहे की कौन था, और आर्य कहता रहा जिसने किया वो गलती से कर गया वीडियो बनाने वाले ने वायरल किया है। और इधर आर्यमणि को नीचा दिखाने के लिए कैंटीन में जो भी आता पुच वाला डमी एक्शन करके जा रहा था।




वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी और कहानी के प्रमुख पात्र के लिंक मैने स्टीकी पोस्ट पर डाल दिए हैं.. आप सब से अनुरोध है.. वहां एक झलक जरूर देख लें
तो आखिरकार तीन तीगड़ा फिर से मिल गए, कुछ भी कहो मगर आर्य की यूएस और रशिया वाली कहानी है एक दम सॉलिड हर कोई यकीन कर रहा है। ये जो भी है जो आर्य को टारगेट कर रहा है कहीं कोई प्रहरी ग्रुप और खासकर देसाई परिवार से तो नही है।

ये रिचा तो बहुत ही गहरी चाल सोच रही है मगर ये भूल गई है कि एक सुपर मास्टरमाइंड पहले से ही उसके घर आ चुका है और इनके प्लान पर पानी फेरने वाला है। आर्य ने जिस बीटा वुल्फ को बचाया है वो रूही है और यहीं से इन दोनो के साथ की शुरुवात होती है।

अब ये हमला करने वाले का हिंट तो इस लाइन में दिया था nain11ster भाई ने अपडेट 11 में

वह लड़का अपने कांपते होटों से.… "अ.. क.. क.. छ.."

मगर पूरा नाम नही पता चला अभी तक।
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी



वेयरवोल्फ क्या है?

वेयरवोल्फ एक प्रकार का रूप–बदल इंसान होता है जो इंसान से भेड़िया और भेड़िए से इंसान बन सकते हैं। वेयरवोल्फ का जीवन उनके चरित्र का उल्लेख करते हैं। जिनकी मानसिक मनोदशा हिंसक होती है उनमें खून पीने और मांस खाने की तलब उतनी ही ज्यादा होती है।

शेर की तरह ही, एक बार जिन वेयरवॉल्फ को इंसानी मांस और खून मुंह में लग जाता है फिर वह किसी अन्य जानवर का शिकार नही करते। केवल और केवल इंसान का शिकार करते है। भेड़िए की तरह ही वेयरवोल्फ भी झुंड में रहना पसंद करते हैं और उनका झुंड ही उनका परिवार होता है। इनका झुंड की ताकत को ऐसा भी समझा जा सकता है कि एक आम वेयरवोल्फ मुखिया बनने के लिए कितना ही अपने मुखिया पर हमला क्यों न करे, किंतु झुंड का मुखिया कभी पलट कर अपने सदस्य को मारने की कोशिश नही करता। अपने झुंड को बचाने के लिए कोई भी सदस्य किसी भी हद तक जा सकता है। "वूऊऊऊऊऊ" यह एक ऐसा वुल्फ कॉलिंग साउंड है जिसके एक आवाज पर पूरा पैक दौड़ा चला आया। "वूऊऊऊऊऊ" वुल्फ कॉलिंग का वह आवाज भी है जिसे पैक का कोई भी सदस्य कई मिलों दूर से भी सुन सकता है। वहीं जब कोई वेयरवोल्फ बागी होकर झुंड छोड़ता है तब कई बार उनके झुंड के दूसरे वेयरवोल्फ ही उसे मार देते है।


वेयरवोल्फ के रूप, आकर और संरचना.…

इंसानी रूप से जब यह रूप–बदल जीव अपना रूप बदलते है, फिर इनकी लंबाई 7 से 8 फिट तक होती है। इनका चेहरा का आकार बदलकर भेड़िए की तरह दिखने लगता है और उन्ही की तरह इनके 2 बड़े–बड़े, नुकीले दांत दोनो किनारे से निकल आते हैं, जिन्हे फेंग कहते है। किसी भी मांस को यह फेंग फाड़ सकने में सक्षम होते है।


रूप बदलने के बाद जैसे इनके शरीर का आकार लंबा और दैत्यकारी हो जाता है। ठीक उसी के साथ इनकी भुजाएं और पाऊं की लंबाई भी बदल जाती है और पूरे शरीर पर बाल होते है। इनके चौड़े हथेली बड़े से पंजे की तरह दिखते है जिसमे बड़े, मजबूत और धारदार नाखून लगे होते है, जिन्हे क्ला कहते है। एक क्ला की लंबाई 2 इंच से लेकर 6 इंच तक हो सकती है। यह क्ला गेंडे की चमरी को भी आसानी से फाड़ सकती है।

कुछ वेयरवोल्फ पूर्णतः भेड़िया बन जाते हैं जो अपने दोनो पाऊं के जगह 4 पाऊं पर किसी जानवर की तरह खड़े रहते है। इस प्रकार के वेयरवोल्फ को सबसे खतरनाक माना जाता है। इन वेयरवोल्फ की लंबाई 8 से 10 फिट और ऊंचाई से 6 फिट तक होती है। इसे अजय आकार भी माना जाता है जो किसी भी 2 पाऊं पर खड़े वेयरवोल्फ से हार नही सकता।


वेयरवोल्फ के प्रकार.… और उनकी पहचान..

किसी भी झुंड में 2 प्रकार के वेयरवोल्फ होते हैं। सबसे पहले होता है बीटा। किसी भी झुंड में इनकी संख्या ज्यादा होती है और ये काफी आक्रामक प्रवृति के होते है। सबसे पहले शिकार के ओर दौड़ना, खूनी भिडंत करना या किसी भी प्रकार की जंग इन्ही के आक्रमक स्वभाव के वजह से होती है... एक बीटा की पहचान उसकी पीली आंखों से किया जाता है।

इन सभी बीटा को झुंड का मुखिया नियंत्रित करता है, जिन्हे अल्फा कहते है। एक अल्फा काफी हद तक खुद को नियंत्रित रखता है और अपनी मर्जी अनुसार आक्रमक होता है। हां लेकिन किसी एक अल्फा में इतनी ताकत होती है कि वह अकेले ही 20 बीटा का शिकार कर ले। इनकी पहचान इनके लाल आंखों से होती है और हर झुंड का अपना एक अल्फा होता है।

वैसे झुंड में एक हॉफ अल्फा भी होती है। हॉफ अल्फा वह वेयरवोल्फ होते है, जिनमे सारे गुण तो अल्फा के ही होते है, और उनकी आंखें भी लाल ही होती है, परंतु उनमें वह ताकत नही होती जो आम तौर पर एक अल्फा की होनी चाहिए।


बीस्ट वुल्फ या फर्स्ट अल्फा.…

ताकत का नशा वेयरवोल्फ के अंदर भी होता है। हर वेयरवोल्फ ताकत का भूखा होता है और शक्तियां अर्जित करने के लिए उतना ही आक्रमक। एक वेयरवोल्फ, जिस किसी भी दूसरे वेयरवॉल्फ को अपने क्ला (पंजे के बड़े बड़े नाखून) या फेंग से मारता है, फिर उसकी ताकत हासिल कर लेता है। एक लंबे वक्त तक दूसरे अल्फा और बीटा वेयरवोल्फ को मारकर ताकत हासिल करते–करते एक अल्फा बीस्ट अल्फा में बदल जाता है। यह होता एक अल्फा ही है किंतु इसकी चमरी इतनी सख्त हो जाती है जैसे किसी हीरे की चमरी हो। आंख तक को किसी बंदूक की गोली से भेदा नही जा सकता हो।

एक बीस्ट वुल्फ प्रायः 3–4 या उससे अधिक वुल्फ पैक को अपने अंदर रखते है, इसलिए इन्हे फर्स्ट अल्फा भी कहा जाता है। कई अल्फा के ऊपर का एक अल्फा... कुछ पैक फर्स्ट अल्फा के साथ अपनी मर्जी से रहते है तो ज्यादातर पैक को फर्स्ट अल्फा अपने साथ रहने पर मजबूर करता है। जहां अपने झुंड के लिए कोई भी वेयरवोल्फ कुछ भी कर सकता है वहीं फर्स्ट अल्फा या बीस्ट अल्फा थोड़े अलग होते है। यह रहते पैक के साथ ही हैं लेकिन अपने साथ रह रहे कई पैक में से किसी भी अल्फा या बीटा वेयरवोल्फ का शिकार उनके पैक के सामने ही कर लेते है।



वेयरवोल्फ के जानवर नियंत्रण शक्ति (Animal control power) और कुछ खास शक्तियां.....

कोई भी वेयरवोल्फ अपने आंखों से दूसरे जानवर, तथा खुद से निचले स्तर के वेयरवोल्फ को नियंत्रित कर सकता है। जैसे एक अल्फा, अपने बीटा और हॉफ अल्फा को कंट्रोल कर सकता है। वहीं फर्स्ट अल्फा, अल्फा वेयरवोल्फ को कंट्रोल कर सकता है।

हर वेयरवोल्फ में कमाल की सूंघने की शक्ति होती है। गंध की पहचान करने में ये कुत्तों से 100 गुना आगे होते है। वेयरवोल्फ के सूंघने की शक्ति के साथ साथ वह खून में बहने वाले हार्मोंस को महसूस कर किसी के भी भावना को मिलो दूर से महसूस कर सकते हैं। वह किसी के हंसना, रोना, उदास होना इत्यादि भावनाएं।

इन सब के अलावा वेयरवोल्फ हृदय के धड़कन को भी महसूस कर सकते हैं। किसी से बात करते वक्त उसके हृदय की धड़कन में आए परिवर्तन से ये लोग सच और झूठ का भी पता लगा सकते हैं। हां लेकिन यह बात भी सत्य है की ताजा टपकते खून की खुशबू में वेयरवोल्फ का दिमाग इस कदर आकर्षित करता हो, मानो किसी नशेड़ी को महीने दिन बाद उसके नशे के समान का दर्शन हुआ हो। फिर सारे सेंसस बिलकुल गायब। दिमाग या तो अंदर के आकर्षण को काबू करने में लगा रहता है या फिर खुद बेकाबू होकर खून के पास पहुंच जाते हैं और भेड़िया तो हमेशा भूखा ही होता है।


एक वेयरवोल्फ कैसे बनते हैं.…

वेयरवोल्फ बनने के 2 तरीके है। पहले नर और मादा वेयरवोल्फ के मिलन से जो बच्चा पैदा होता है वह वेयरवोल्फ होता है या नही तो किसी अल्फा के बाइट के बीटा वेयरवोल्फ बनता है। हां लेकिन किसी अल्फा द्वारा काटे जाने पर यदि इंसानी शरीर का इम्यून सिस्टम उस बाइट को स्वीकार कर लेता है तभी वह इंसान बीटा वेयरवोल्फ बनता है। यदि किसी इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम बाइट को रिजेक्ट कर देता है तब इंसान वेयरवोल्फ नही बनता अलबत्ता शरीर में कई तरह के केमिकल रिएक्शन के कारण उसकी मौत तक हो सकती है। इसलिए जब भी किसी अल्फा को अपने पैक का विस्तार करना होता है तब वह किसी किशोर अवस्था वाले लड़के या लड़की का चयन करता है जिनका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो।

कुछ अन्य बातें...

१) किसी भी वेयरवोल्फ से उसकी शक्तियां चुराई जा सकती है। एक अल्फा कल बीटा भी हो सकता है।

२) हर वेयरवोल्फ के पास असमान्य रूप से हील होने की क्षमता होती है। बड़ा से बड़ा घाव महज मिनटों में भर जाता है और चोट के निशान भी नही होते।

३) हां लेकिन किसी बीटा को यदि उसका अल्फा चोट देता है फिर वह वेयरवॉल्फ इंसानी क्षमता जैसा सामान्य रूप से ही हिल करता है और उसके निशान हमेशा के लिए रह जाते हैं।

४) जैसे हर वेयरवोल्फ खुद को हिल कर सकता है ठीक उसी प्रकार वह अपनी नब्ज में दूसरों के दर्द और तकलीफ को उतारकर दूसरों को भी हिल कर सकता है। हर किसी वेयरवोल्फ में दूसरों को हिल करने की बहुत ही न्यूनतम क्षमता होती है। हां लेकिन एक ट्रू अल्फा दुनिया का सबसे शानदार हीलर होता है और यदि वो लगातार हिल करके अपने इस गुण को निखरते रहे फिर तो वह क्या न हिल कर दे.…

ट्रु अल्फा:– वेयरवोल्फ की दुनिया में यह नाम काफी दुर्लभ माना जाता है। जहां एक बीटा, भले ही वो 2 वेयरवोल्फ के मिलन से पैदा हुआ बीटा क्यों न हो, अल्फा बनने के लिए या तो कई सारे बीटा को मारते है या फिर उन्हे किसी अल्फा को मारना होता है। वहीं एक ट्रू–अल्फा इन सब से अलग होता है। वह अपनी इच्छा शक्ति से अल्फा बनता है। जो हिल करने के दर्द को लगातार झेलता है। कभी किसी का शिकार नही करता और न ही मांसहारी प्रवृति को अपने ऊपर हावी होने देता। इन्ही सब लागातार परिश्रम और अथक मेहनत के बाद एक ट्रू–अल्फा बनता है जिसकी शक्ति को कोई चुरा नही सकता।

वेयरवोल्फ कड़ी उनके शक्तियों के हिसाब से...

१) फर्स्ट अल्फा या बीस्ट अल्फा
२) ट्रू अल्फा
३) अल्फा
४) वेयरकायोटी (फीमेल फॉक्स शेप शिफ्टर, जो बीटा होती है और इनकी आंखें नीली होती है)
४) हॉफ अल्फा
५) बीटा
६) ओमेगा... (ओमेगा उन वेयरवोल्फ के लिए इस्तमाल होता है जिनका कोई पैक न हो। यह अल्फा या बीटा कोई भी हो सकते हैं। ओमेगा को हमेशा सबसे नीचे माना गया है क्योंकि अकेला वुल्फ सबसे कमजोर होता है, फिर वह अल्फा ही क्यों न हो)


कुछ खास बातें वेयरवोल्फ पैक के.…

वेयरवोल्फ के पैक में होने के एक ही नियम है, वह है ब्लड ओथ... एक अल्फा अपने पैक के सभी वुल्फ से ब्लड ओथ के साथ जुड़ता है। ब्लड पैक से जुड़े वुल्फ अपने मुखिया के ब्लड को, ब्लड ओथ के वक्त महसूस कर सकते है। एक पैक से जुड़े वुल्फ दूसरे पैक में, पैक तोड़ कर जा तो सकता है लेकिन ब्लड ओथ से जुड़े होने के कारण 2 पैक में खूनी भिडंत होनी आम बात है। या कभी–कभी खुशी से जाने भी देते हैं।

वहीं यदि किसी पैक ने दूसरे पैक के मुखिया को मार दिया तब वह हारे हुए पैक का मालिक बन जाता है। उसके बाद जीता हुआ पैक या तो दूसरे पैक के वुल्फ को अपने पैक में सामिल कर ले, या फिर गुलाम बनाकर रखे या फिर चाहे मार ही दे, वह जीते हुए पैक के मुखिया के ऊपर निर्भर करता है।

यदि कोई वुल्फ मरने की स्थिति में हो और उसकी जान कोई और बचाता है, उस परिस्थिति वुल्फ अपने ब्लड ओथ पैक को तोड़ सकता है और जान बचाने के एवज में उसे अपना मुखिया चुन सकता है। २ पैक के बीच शक्ति के वर्चस्व और क्षेत्र को लेकर खूनी भिडंत होनी आम सी बात है।



वेयरवोल्फ को रोकने और मारने के तरीके.....

वेयरवुल्फ मे कुछ बातें असमान्य होती है। कोई भी वेयरवुल्फ कितना भी घायल क्यों ना हो महज चंद मिनट में हील हो जाते है, इसलिए शिकारी उन्हे मारने के लिए खास हथियार का इस्तमाल करते है।

माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म.… हिमालय के क्षेत्र में पाया जानेवाला एक खास फुल जिसका भस्म की रेखा लक्ष्मण रेखा की तरह होती है। माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म 2 अलग दुनिया की दीवार मानी जाती है। अर्थात यदि हम धरती पर है और धरती पर पाए जाने वाले जीव के अलावा कोई अन्य जीव इसके रेखा को पार नही कर सकता है। इसी तरह यदि यह माउंटेन एश या अवरुद्ध भस्म किसी और डायमेंशन या अलग दुनिया में हो तो वहां पृथ्वी का कोई भी जीव इस अवरुद्ध भस्म को पार नही कर सकता।

सुपरनैचुरल के लिए यह माउंटेन एश किसी बुरे सपने की तरह होता है। इसकी रेखा यदि खींच दी गई हो और गलती से कोई सुपरनैचुरल इसकी रेखा को छू भी ले, फिर 4 दिन तक गहरे सदमे में रहता है।


लेथारिया वुलपिना:– वेयरवोल्फ के लिए एक तरह का धीमा जहर जो रक्त कोशिकाओं को तोड़ देता है। यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया फिर तो वुल्फ न तो मरते हैं और न ही जीते है बस काली रक्त हर वक्त आंख, कान और नाक से निकलता रहता है। इसके बाद किसी भी वुल्फ को काबू में करना अथवा मारना आसान हो जाता है।

करंट फ्लो:– यूं तो करेंट हर किसी के लिए घातक होता है, लेकिन वेयरवोल्फ जो खुद को हिल कर सकते है, जिन्हे आसानी से नहीं मारा जा सकता, करेंट फ्लो एक विकल्प रहता है।

वोल्फबेन:– ये आम इंसान पर कुछ असर नहीं करती लेकिन यदि यह जहर किसी वुल्फ के सीने तक पहुंच जाता तो उसकी मृत्यु उसी वक़्त हो जाती।

कैनिन मॉडिफाइड वायरस:– कैनिन मॉडिफाइड वायरस को खाने में मिलाकर खिला दिया जाता। कैनिन वायरस कुत्ते में पाया जाना वाला वायरस है, जिसके मॉडिफाइड फॉर्म को एक वुल्फ पर ट्राय किया गया। परिणाम यह हुआ कि ये वायरस शरीर में जाते ही शेप शिफफ्टिंग बंद हो जाता है। लूथरिया वोलापिनी की तरह ही काले रक्त बहने लगते है और एक वुल्फ आम इंसान से ज्यादा कुछ नहीं रहता।


पूर्णिमा, अमावस्या और चंद्रग्रहण:– कोई भी शिकारी वुल्फ का शिकार करने के लिए इन सभी मौकों को भुनता है। जहां एक ओर पूर्णिमा की रात वुल्फ काफी आक्रमक होते है, और उन्हें रक्त और मांस का झांसा देकर फंसाया जा सकता है। वहीं चंद्रग्रहण और अमावस्या तो शिकारियों के लिए लॉटरी से कम नहीं। एक छोटा सा विंडो 10 मिनट से लेकर 1 घंटे के बीच खुलता है, जिसमे हर वेयरवॉल्फ अपनी शक्तियां खोकर आम इंसान की तरह रहता है, और आम इंसान वाले सारे वार कारगर होते हैं।



फिलहाल इतनी जानकारी दी गई है... इसमें जैसे–जैसे कुछ नया आता है, अपडेट होता रहेगा.…
Ye aapne bahut hi jyada acha kiya bhai jo ye Update post kr diya iski bahut jyada jarurat thi. Isase story ko bhi smjhne me ab kafi jyada help ho jayegi. Thank you so much iske liye.
भाग:–13




शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी खुशी देखकर भूमि कहने लगी… "क्यों अपनी गर्लफ्रेंड चित्रा से मिलने की तुझे इतनी ज्यादा खुशी है।"


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी और निशांत से भी..


भूमि:- आह हीरो लग रहा है बिल्कुल। ऊपर सन ग्लासेस लगा। हां अब ठीक है। ये बता तू मुझे थैंक्स क्यों कहा चित्रा के मामले में।


आर्यमणि:- अभी मै अपने दोस्तो से मिलने की खुशी में जा रहा हूं। आप मुझे उस बात के लिए छेड़ रही है, जो बात आपको भी पूरे अच्छे से पता है। कौन बहस मे पड़े।


भूमि:- इस बात के लिए कोई वीरता का पुरस्कार दे दूं क्या? चल आज मै तुझे कॉलेज छोड़ आती हूं।


आर्यमणि:- दीदी, आप परेशान ना हो मै चला जाऊंगा।


आर्यमणि कॉलेज पहुंचा और आराम से अपने क्लास ढूंढने लगा। इधर चित्रा, पलक, माधव, निशांत और निशांत की गर्लफ्रेंड हरप्रीत सभी कैंटीन में बैठकर कॉफी की चुस्की ले रहे थे, इसी बीच एक सेकंड ईयर का स्टूडेंट भागता हुआ कैंटीन में आया… "सुपर सीनियर (4th ईयर स्टूडेंट) आए है और एक स्टूडेंट को पकड़ रखा है। लगता है उसकी आज बैंड बजाने वाले है।"..


वो लड़का हल्ला करता हुआ सबको बता गया और कैंटीन से 5 कॉफी और सिगरेट लेकर चलता बना।… "इन सुपर सीनियर की रैगिंग क्या अलग होती है।"… पलक, निशांत और चित्रा से पूछने लगी।


निशांत:- पता नहीं। वैसे हमे तो सेकंड ईयर वालो का दर्द झेला नहीं गया था, ये तो फाइनल ईयर वाले है।


माधव:- चलकर देख लेते है फिर, ये सुपर सीनियर कैसे रैगिंग लेते है।


चित्रा:- चलो चलकर देखते है, इसी बहाने कुछ टाइमपास भी हो जाएगा।


पलक:- कैसे हो तुमलोग। कोई किसी को परेशान करेगा और तुम लोग उसे देखोगे।


निशांत:- शायद उन सुपर सीनियर्स के जाने के बाद उसे किसी कंधे कि जरूरत पड़े। ये भी तो हो सकता है ना पलक। मानवीय भावना से तुम भी क्यों नहीं चलती।


पलक:- हम्मम ! ये भी सही है। चलो चलते है।


चित्रा:- वैसे पलक ने उसे अपना कांधा दे दिया तब तो बेचारे के सारे गम दूर हो जाएंगे।


सभी बात करते हुए पहुंचे गए फर्स्ट ईयर के एरिया में, और जैसे ही नजर गई उस लडके पर… हाइट 6 फिट के करीब। आकर्षक गठीला बदन बिल्कुल किसी प्रोफेशनल एथलीट की तरह। रंग गोरा, चेहरा नजरें टिका देनेने वाली। और जब फॉर्मल के ऊपर आखों पर सन ग्लासेस लगाए था, किलर से कम नहीं लग रहा था। पलक उसे नजर भर देखने लगी।


चित्रा:- मारो, इसे खूब मारो.. इतना मारो कि होश ठिकाने आ जाए


निशांत:- बस अच्छे से इसकी ठुकाई हो जाए तो दिल खुश हो जाए।


पलक हैरानी से उन दोनों का चेहरा देखने लगी। ये सभी सुपर सीनियर्स के ठीक पीछे खड़े थे और नज़रों के सामने आर्यमणि।…. "इसने अपनी बॉडी पर काम किया है ना। पहले से कुछ पतला नजर आ रहा है ना निशांत।"..


निशांत:- ऐसा लग रहा है बदन के एक्स्ट्रा चर्बी को छीलकर आया हो जैसे।


इधर सुपर सीनियर्स छोटे से लॉन में लगे पत्थर की बनी बेंच पर बैठे थे और आर्यमणि ठीक उसके सामने। छोटा सा इंट्रो तो हो गया था। उसे खड़े रहने बोलकर सभी कॉफी पीने लगे थे। इसी बीच आर्यमणि ने अपने दोस्तो को देखा और अपना चस्मा निकालकर सीने में खोंस लिया।… "इसकी आखें नीली कबसे हो गई, कॉन्टैक्ट लेंस तो नहीं लिया।"..


निशांत:- इसपर पक्का यूएस की गलत हवा लगी है चित्रा। ये तो यहां की लड़कियों को दीवाना बनाने आया है। कमिने ने मेरे बारे में भी नहीं सोचा। अब मेरा क्या होगा।


हरप्रीत निशांत को एक लात मारती… "तुम्हारी छिछोड़ी हरकतें कभी बंद नहीं होगी ना।"


पलक इतनी डिटेल सुनने के बाद थोड़ी हैरान होती… "क्या यही आर्य है।"..


दोनो भाई बहन एक साथ… "हां यही आर्य है।"..


तभी सीनियर जो कॉफी पी रहे थे, अपनी आधी बची कॉफी आर्य के मुंह पर फेंकते… "अबे हम यहां बैठे है और तू मुस्कुराए जा रहा है।"


आर्यमणि:- सॉरी सर...


तभी एक सीनियर खड़ा हुआ और खींचकर एक तमाचा मरा। तमाचा इतना जोड़ का था कि आर्यमणि का उजला गाल लाल पर गया।… "कुत्ते के पिल्ले, झुककर, अदब से सर बोला कर। अच्छा तू सिगरेट पीता है।"


आर्यमणि:- टेक्निकल सवाल है सर जिसके जवाब पर थप्पड़ ही पड़ने है। वक़्त क्यों बर्बाद करना मारो।


उसे देखकर सभी हंसते हुए… "समझदार लड़का है।" सभी खड़े हो गए और एक के बाद एक उसके गाल पर निशान बनाते चले गए। उनकी इस हरकत को ना तो चित्रा बर्दास्त कर पाई और ना ही निशांत। उनके चेहरा देखकर ही आर्यमणि समझ गया कि अब ये दोनो यहां ना आ जाए इसलिए उसने इशारे से मानकर दिया।


निशांत:- साले कमीनो, वो मारने पर आ गया तो तुम पांचों अपनी जान बचा कर भागने लगोगे।


पलक:- तो फिर ये इतना बर्दास्त क्यों कर रहा है?


चित्रा:- क्योंकि वो सीनियर है और हमे रोज कॉलेज आना। अब हर दिन कॉलेज आकर लड़ाई तो नही कर सकते न... बस इसलिए मार खा रहा है...


इधर इन सीनियर्स का जब मारना हो गया।… "चल अब अपनी शर्ट निकाल।"..


आर्यमणि:- बस रैगिंग खत्म हो गई। अब जाओ यहां से सब। मेरा मूड नहीं रैगिंग देने का।


एक सीनियर… "साले तू हमे सिखाएगा।"..


आर्यमणि:- मै जानता हूं तुझे किसी ने सीखा कर भेजा है। तेरा काम हो गया अब मुझे जाने दे। वरना मामला फसा तो जिसने तुझे भेजा है वो शायद बच जाए पर तुम पांचों का मै वो हाल करूंगा कि पछताओगे, काश बात मान ली होती।


सीनियर्स को समझ में आ गया कि पोल खुल गई है इसलिए वहां से कटने में ही अपनी भलाई समझे। आर्यमणि भी अपनी बात कहकर, अपने दोस्तों के ओर तेजी से कदम बढ़ा दिया। वो दोनो भी आर्यमणि के ओर दौड़ लगा दिया। निशांत आकर सीधा गले से लगा, वहीं चित्रा पास में आकर खड़ी हो गई।


आर्यमणि अपना एक हाथ खोलकर उसे भी अपने बीच लिया और तीनों ही गले लगकर अपने गम भुलाने लगे। हल्की आखें नम और दिल में ढेरों उमंगे। कुछ देर गले लगने के बाद तीनों वापस कैंटीन आ गए। अपने बीच 2 नए लोग को देखकर आर्यमणि पूछने लगा…. "ये हमारे नए साथी कौन है, मिलवाया नहीं तुमने।"..


चित्रा:- आर्य, ये है मेरी प्यारी कजिन पलक, और पलक..


पलक:- हां जानती हूं, ये है आर्य। हेल्लो आर्य..


आर्यमणि, भी अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "हेल्लो पलक, तुम बहुत खूबसूरत है।"..


चित्रा:- खूबसूरत है, ये मेरे कान सही काम कर रहे है ना।


निशांत, आर्यमणि के सर पर हाथ रखते हुए…. "मेरे भाई दिमाग के अंदर सारे पुर्जे सही से काम तो कर रहे है ना।"


आर्यमणि:- और ये साथी कौन हैं?


आर्यमणि, माधव के ओर देखते हुए कहने लगा।…. "ये माधव है।"


माधव अपना हाथ आगे बढ़ते हुए… "जी हम माधव है।"..


आर्यमणि:- तुमसे मिलकर अच्छा लगा माधव।


चित्रा:- गए तो ना कोई संदेश, ना कोई खबर। अपने घर तक कॉन्टैक्ट नहीं किए।


निशांत:- हमे बहुत बुरा लगा।


आर्यमणि:- आराम से सब शाम को बताऊंगा ना। फिलहाल मुझे अपने शर्ट से एलर्जी हो रही है। निशांत पुरानी आदत बरकरार है या बदलाव है।


निशांत:- सब वैसा ही है। पैंट के ऊपर टी-शर्ट अच्छा नहीं लगेगा। जाओ पूरा चेंज कर आओ।


आर्यमणि वहीं कैंटीन के किचेन में जाकर चेंज कर आया। जबतक लौटा तबतक क्लास का टाइम भी हो चुका था। चित्रा और निशांत उससे जानकारी लेने लगे पता चला ये लोग 1 साल अब सीनियर हो चुके हैं।


लगभग 2 बजे तक सभी क्लास समाप्त हो गए। पलक को बाय बोलकर चित्रा और निशांत दोनो आर्यमणि के साथ चलने लगे… तीनों कॉलेज में ही पीछे के गार्डन में बैठ गए।


निशांत:- बहुत सारे सवाल है यार, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तुम्हे हम सब के संपर्क करने की एक जारा इक्छा नहीं हुई।


चित्रा:- और हां, हूं वाला जवाब कतई नहीं देना।


आर्यमणि:- "कॉन्टैक्ट तो मै भी करना चाहता था लेकिन यूएस में मेरा किडनैप हो गया। फसा भी कहां तो फॉरेस्ट में। वो फॉरेस्ट नहीं, बल्कि मेरे ज़िन्दगी का ब्लैक हिस्सा बन गया। हर पल खुद के सर्वाइवल के लिए मुझे जूझना पड़ता था। मेरे पास कोई तैयारी नहीं थी और बिना तैयारी के मुझे रोज जानवरो के झुंड से सामना करना पड़ता था।"

"हां वो अलग बात है कि वहां के सर्वाइवल इंस्टिंक्ट ने मेरे शरीर को काफी स्ट्रॉन्ग बाना दिया, ये एक अच्छी चीज मै लेकर आ रहा हूं। लेकिन जब वहां था तो बस एक ही बात दिमाग में थी, क्या मै तुम सब से कभी मिल पाऊंगा? उस रात चित्रा का दिल दुखाया, तुम दोनो जा रहे थे और ठीक से मिला भी नहीं, ऐसा लगा जैसे मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी हो।"

"जान बचाने के क्रम में एक ही बात अक्सर सताया करती थी जो कभी मैं कह नहीं सका अपने पापा से, कि मै उनसे कितना प्यार करता हूं। मां के गोद की अकसर याद आया करती थी। तुम लोग के चेहरे हमेशा आखों के आगे घूमते रहता और खुद से ही सवाल करता, क्या मै तुम दोनों से मिलकर कभी ये कह पाऊंगा की तुमसे जब दूर हआ तो ऐसा लगा जिंदगी ही अधूरी है।"


निशांत:- हमारा भी यही हाल था आर्य। जितनी दूरियां नहीं अखरती, उस से कहीं ज्यादा बात ना करना अखरता है। मुद्दा ये नहीं था कि तुमसे बात नहीं हुई, बस दिल में डर बाना रहता था, क्या हुआ जो बात नहीं करता। या तो अपनी नई दुनिया में मस्त हो गया या किसी बड़ी मुसीबत में है।


चित्रा:- और तुम वाकई में मुसीबत में थे। हमे माफ कर दो, तुम्हारे बहुत ही बुरे वक़्त में हम तुम्हारे साथ नहीं थे। अंकल आंटी से मिले या नहीं।


आर्यमणि:- 10 दिन पहले आया। सबसे पहले सीधा गंगटोक ही गया था। इस बार उनसे भी कुछ नहीं छिपाया। पापा से बोल दिया मैंने, भले ही मै उनसे बहुत बहस करता हूं लेकिन वो हमेशा मेरे रोल मॉडल ही रहेंगे। मै उनसे बहुत प्यार करता हूं। यही बात मैंने अपनी मम्मी से भी कहा। यही बात मै तुम दोनो से भी कहता हूं।


निशांत:- ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है, अभी जरूरत है एक पार्टी की। आज रात डिस्को?


आर्यमणि:- नहीं आज कोई प्रोग्राम नहीं। चित्रा के साथ हम दोनों ने क्या किया था याद है ना, इसलिए आज तो चित्रा बोलेगी।


चित्रा:- नहीं कोई गिला-शिकवा नहीं। हम तो यहां सुरक्षित थे, पता नहीं तुमने उस फॉरेस्ट में कैसे दिन झेले होंगे, जाओ तुम दोनो।


निशांत:- हां तो आज ये फाइनल रहा, डिस्को।


आर्यमणि:- 1 हफ्ते बाद की प्लांनिंग रखो ना। अभी यहां थोड़ा सैटल हो जाऊं। गंगटोक से लौटा हूं तो सीधा कॉलेज आ गया, जबकि मासी और मौसा का फोन पर फोन आए जा रहा है।


चित्रा:- हां ये भी सही है। चलो चला जाए, तुम आराम से यहां सैटल हो लो, उसके बाद तो फन और मस्ती चलती रहेगी।


तीनों वहां से एक दूसरे को अलविदा कहकर घर लौट गए। 3 बजे के करीब आर्य घर पर पहुंचा। वो अपने कमरे में जा ही रहा था कि तभी रिचा के कमरे से उसके चिल्लाने की आवाज़ आयी। आर्यमणि उसके कमरे में दौर कर पहुंचा, और सामने का नजारा देखकर उतनी ही तेजी से दरवाजा बंद करके निकल गया।… तभी अंदर से आवाज़ आयी… "ओय शर्माए से लड़के आ जाओ, ऐसे मै 100 लोगो के बीच प्रैक्टिस करती हूं।"..


दरसअल रिचा स्पोर्ट्स ब्रा और माइक्रो मिनी शॉर्ट्स में थी। जिसे देखकर आर्यमणि दरवाजा बंद कर चुका था। वापस से अंदर आते… "वो बस चिल्लाने कि आवाज़ सुनकर मै आ गया था, जा रहा हूं।"


रिचा:- अब आ गए हो तो बैठो और देखकर बताओ मै कैसा कर रही हूं।


आर्यमणि अपना सर हां में हिलाया और रिचा को देखने लगा। रिचा अपने हाथ की "साय वैपन" को बड़ी तेजी में घुमाई और हवा में हमला करना शुरू कर दी। हमले कि प्रैक्टिस करती हुई कहने लगी… "हम हमलवार श्रेणी में आते है। मर्टियल अर्ट के दौरान हमे ये तरह-तरह के हथियार चलना सिखाया जाता है।"..


रिचा अपने गति का प्रदर्शन करती 360⁰ पर घूम-घूम कर दोनो हाथ को इस एंगल से घुमा रही थी जिसमे एक हाथ सीने से लेकर गर्दन तक हमला करता तो दूसरा हाथ कमर से लेकर पेट तक। हाथ का ऐसा संतुलन बना था कि जब बायां हाथ ऊपर होता तो दायां नीचे, और इसी प्रकार जब दायां ऊपर होता तो बाएं नीचे। 360⁰ रोल के वक़्त भी ऐसा ही होता, एक हाथ कमर के ऊंचाई पर रहता तो दूसरा हाथ गर्दन की ऊंचाई पर।


रिचा लगातार अपनी प्रेक्टिस दिखाती हुई, उसे हथियारों के बारे में जानकारी देती रही। वो जो चला रही थी एक इजिप्टियन हथियार साय थी। जो बेहद ही हल्का, उतना ही मजबूत और चलाने में आसान। उसके बाद कटाना और अन्य हथियारों के बारे में बताने लगी।


आर्य:- अच्छा नाच लेती हो। इस हथियार के साथ, तुम्हारा नाचना देखकर ही दुश्मन हथियार डाल देते होंगे।


रिचा:- हूं, अच्छा कॉम्प्लीमेंट था। चलो कहीं घूमकर आते है।


आर्य:- ठीक है मैम.. वैसे कहां चल रहे है..


रिचा:- महाराष्ट्र और एमपी के बॉर्डर की पहाड़ियों पर। जाओ कुछ हल्का और स्पोर्ट्स वाले कपड़े पहन आओ, जबतक मै भी फ्रेश होकर चेंज कर लेती हूं।


आर्य:- क्यों ये 100 लोगों के सामने नहीं करती क्या?


रिचा:- 100 लोगो के सामने तो कभी नहीं की लेकिन आज जहां चल रहे है, वहां यदि तुम डरे नहीं तो तुम्हारे सामने ये कारनामे कर सकती हूं। पर शर्त ये है कि केवल आखों से नजारा लोगे।


आर्य:- हा हा हा हा.. तुम शर्त हार जाओगी।


रिचा:- कोई नहीं देख ही लोगे तो कौन सा मै घट जाऊंगी.. लेकिन शर्त हार गए तो।


आर्य:- शर्त हार गया तो मै, तुम्हे अपना न्यूड शो दिखा दूंगा।


रिचा:- मै किड्स शो नहीं देखती। यदि तुम वहां डर गए तो मेरे शागिर्द बनोगे, बोलो मंजूर।


आर्य:- शागिर्द बनने की प्रोमिस कर सकता हूं लेकिन प्रहरी नहीं बनूंगा, ये पहले बता देता हूं। मै अभी तैयार होकर आया।


आर्य झटाक से गया और फटाक से तैयार होकर चला आया। थोड़ी देर बाद रिचा भी तैयार होकर आ गई। बिल्कुल किसी शिकारी की तरह उसका ड्रेसअप था। नीचे काले रंग की चुस्त पैंट, ऊपर काले रंग की चुस्त स्लीवलेस छोटी टी-शर्ट जिसमें कमर और पेट के बीच का 3 इंच का हिस्सा दिख रहा था और उसके ऊपर एक छोटी सी लैदर जैकेट। इन सबके अलावा पूरे कपड़ों में तरह–तरह के हथियार लगे हुए थे। जबकि रिचा, आर्यमणि को शॉर्ट्स और स्लीवलेस टीशर्ट में देखकर हंस रही थी।
To aakhir hmara hero apne best frnd logo se mil hi gaya. Aur un seniors ko kisne bheja tha. Lakin ye maja aaya ki ab apna hero ek true wolf ya to ban cuka hai ya banane ke karib hai. Wiki uske symptoms to aise hi dikh rahe hai. Aur kya hoga uske family wale logo ko aur prahari logo ko pata lagega ki wo ek wolf hai. Ye bhi dekhne wali baat hogi. Sath me ab ye richa apne hero ko kaha le ja rahi hai. Lakin uska sayad jo plan tha apne hero ne use starting me hi fail kar diya ki wo prahri nahi banega. Aur palak ke sath apne hero ka koi conection banta hai ya nahi ye bhi mai dekhna chahunga.
भाग:–14



दोनो गराज के ओर चल दिए। रिचा गराज खोलकर फोर्ड के किसी भी मिनी पिकअप ट्रक को निकालने के लिए बोली, तबतक वो गराज के बाएं हिस्से का शटर खोलकर रसियन मेड शॉर्ट गन और खास पाउडर में डूबी हुई उसकी गोलियां रख ली। साथ में एक जर्मन मेड पिस्तौल भी रखी, और इसकी भी गोलियां खास पाउडर में डूबी थी।


आर्य पिकअप बाहर निकालकर वहीं दरवाजे के पास खड़ा था। रिचा उसे देखकर हंसती हुई कहने लगी… " तुम्हारे यहां आने पर हमने प्रतिबंध नहीं लगाया है।"


आर्य:- ये बुलेट किस पाउडर में डूबी है।


रिचा:- बुलेट किसी पाउडर में नहीं डूबी, बल्कि बुलेट के अंदर यही पाउडर डाला गया है। इसे वुल्फबेन कहते है। एक बार किसी भी वुल्फ को गोली मार दिए, फिर जैसे ही ये पाउडर ब्लड फ्लो से होते हुए उसके हृदय में पहुंचेगा, वो मारा जाएगा।


आर्य:- प्रहरी और उसके जॉब। मै आज तक इतने जंगलों में रहा, लेकिन मुझे तो कोई वेयरवुल्फ नहीं मिला।


रिचा:- आज मिल जाए तो घहबराना मत।


रिचा ने हथियार से भरा बैग पिकअप में रखा और दोनो चल दिए एमपी और नागपुर के बॉर्डर पर पड़ने वाले जंगलों में। एक मीटिंग प्वाइंट पर गाड़ी रुकी और एक एक करके 6 कीमती विदेशी मिनी ट्रक वहां आकर लग गई।


रिचा जैसे ही एक लड़के से मिली, झटककर उसकी बाहों में जाकर उसके होंठ को चूमती हुई कहने लगी… "फिर कभी ये पल हो ना हो।".. दोनो ये लाइन कहते हुए अलग हो गए और रिचा उस लड़के का परिचय करवाती हुई… "आर्य इनसे मिलो ये है मानस, मेरे होने वाले पति। मानस ये है आर्य, भाभी का भाई।"


मानस:- आर्य, ये कैसे गेटअप में आए हो।


रिचा:- मानस ये वही कुलकर्णी के परिवार से है।


रिचा ने बड़े ही धीमे कहा था लेकिन आर्यमणि के कान तो कई मिल दूर की आवाज़ को सुन सकते थे, फिर ये तो पड़ोस में ही खड़े थे। रिचा की बात सुनकर मानस ने मुंह बनाकर आर्यमणि को नीचे से ऊपर देखा और वो लोग अपने काम में लग गए।


सभी के एक हाथ में एक रॉड था, जिसका ऊपर का सिरा गोल और नीचे पतली नुकली धातु लगी थी, जिसके सहारे ये लोग उस रॉड को जमीन में गाड़ रहे थे। इस रोड से एक सुपर साउंड वेभ निकलती, जो किसी भी सुपरनैचुरल को सर पकड़कर वहीं बैठने पर मजबूर कर दे।


जंगल को प्वाइंट किया गया और ये सभी 6 लोग आर्य को गाड़ी के पास रहने का बोलकर अपने काम में लगे रह गए। आर्यमणि वहीं खड़ा था कि तभी उत्तर कि दिशा से उसे तीन लोगों की बू आनी शुरू हुई, जानी पहचानी और जिसमें से एक के डरने की बू थी।


आर्यमणि इधर–उधर देखा, और गायब होने वाली रफ्तार से दौड़ लगा दिया। जंगल में लगभग अंधेरा हो चुका था। आर्य अपनी सुपरनैचुरल आखों से चारो ओर देखने लगा। बिल्कुल फोकस। तभी कुछ दूरी पर उसे 2 सैतान नजर आने लगे। 2 शेप शिफ्टर वेयरवुल्फ जो अपने ही जैसे किसी शेप शिफ्टर को जकड़ रखा था और दोनो कंधे के ऊपर से, गर्दन में दांत घुसाकर उसका गला फाड़ने ही वाले थे।


आर्यमणि रफ्तार से वहां पहुंचा और धाराम से जाकर एक से टकराया। आर्यमणि जिस वेयरवुल्फ से टकराया वह जाकर कहीं दूर गिरा। दूसरा वेयरवुल्फ अपने शिकार को छोड़कर आर्यमणि पर अपना पंजा चलाया। एक ओर से, बड़े से क्ला वाला पंजा आर्यमणि के चेहरे के ओर बढ़ रहा था, ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने अपना मुक्का ठीक उसके बड़े से पंजे के बीच चला दिया। हथेली के बीच आर्यमणि का पड़ा मुक्का बड़ा ही रोचक परिणाम लेकर आया और उस वेयरवॉल्फ का कलाई पूरा टूट गया।


आर्यमणि उसके टूटे कलाई को पकड़ कर उल्टा मोड़ दिया। कड़ाक की आवाज में साथ, हाथ की हड्डियां आंटा बन गई। आर्य ने अपने पाऊं उठाकर उसके जांघ पर पूरे जोर से मारा। उसके जांघ की हड्डी टूट गई और पाऊं मांस के सहारे लटक गया। आर्यमणि ने वुल्फ को ऐसा तड़पाया था कि वह वेयरवोल्फ दर्द से बिलबिलाता अपनी मुक्ति की दुआ ही कर रहा था।

आर्यमणि उसे और ज्यादा न तड़पाते हुए, उसके हाथ को खींचकर उसे अपने करीब लाया और उसके गर्दन को जोर से गोल (360⁰) घूमाकर नचा दिया। आर्यमणि जैसे ही हाथ छोड़ा, उसका पार्थिव शरीर भूमि पर गिर रहा था। वहीं पहला वेयरवुल्फ जो आर्यमणि से टकराकर गिरा था, उसकी पसलियां टूटी थी और कर्राहती आवाज़ में "वूंउउउ" के वुल्फ साउंड के सहारे, अपने साथियों को बुला रहा था। आर्यमणि कर्राहते हुए वुल्फ के पास पहुंचा, उसके गर्दन को भी झटके में 360⁰ घुमाते हुए उसका भी राम नाम सत्य कर दिया।


वह लाचार सी वुल्फ जिसपर जानलेवा हमला हुआ था, अब सिकंजे से आज़ाद थी। वह आश्चर्य से आर्यमणि को देख रही थी, मानो जानने को कोशिश कर रही हो कि कैसे आर्यमणि ने 2 अल्फा वेयरवुल्फ को इतनी आसानी से मार दिया। आर्यमणि उसके चेहरे के भाव को भली भांति समझते.… "इतना मत सोचो की मैंने इन्हें कैसे मारा... तुम तो बस अपने जिंदा रहने की खुशी मनाओ"…


"ओह हां जिंदा रहने की खुशी माननी है।"… इतना कह कर वह वुल्फ झपटकर आर्यमणि के ऊपर आयी और उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। आर्य उसे खुद से थोड़ा दूर करते… "तुम लड़की हो ना"… उसने "हां" .. में अपना सर हिलाकर जवाब दिया।.. "किस्स करो लेकिन पीछे गले पर नाखून मत चूभो देना वरना आत्महत्या करना होगा।"


"डरो मत मै एक बीटा हूं।".. कहती हुई उस लड़की ने आर्य को चूमना शुरू किया और अपने हाथ आर्यमणि के नितम्बो पर ले जाती, उसे अपने मुट्ठी में जकड़ ली।.. आर्य उससे अलग होते हुए…. "तुम तो पूरे मूड में आ गई। अभी-अभी तो जान बची है, फिर क्यों मरने कि इक्छा है।"..


लड़की:- मरने की नहीं तुम्हे थैंक्स कहने कि इक्छा है।


आर्यमणि:- शिकारी यहां पहुंच गए है, तुम निकलो यहां से। वरना, मै तुम्हे बचा नहीं पाऊंगा। ज़िन्दगी रही और फिर कभी मिले तो फुरसत से तुम मुझे थैंक्स कहना। और हां वहां अंधेरा नहीं होगा।


लड़की दोबारा आर्य के होंठ को चुमती…… "दोबारा मिलने के लिए अपना नंबर तो दो। कॉन्टैक्ट कैसे करूंगी।"


आर्य:- नंबर दूंगा लेकिन एक शर्त पर। पहले तुम संदेश दोगी, और मै फ्री हुआ तो तुम्हे कॉल करूंगा।


लड़की:- कितने संदेश भेजने के बाद कॉल करोगे..


आर्य:- रोज 1 संदेश भेज देना, जिंदगी ढलने से पहले कभी ना कभी संपर्क कर ही लूंगा।


लड़की हंसती हुई आर्य का नंबर ले ली और एक बार फिर उसके होंठ को चूसती… "पहली बार किसी के होंठ चूमने में इतना मज़ा आ रहा है। मुझे ज्यादा तड़पाना मत।"… कहती हुई वो वहां से चली गई। आर्य को भी लग गया वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी पहुंचते ही होंगे, इसलिए वो भी वहां से भगा और जाकर गाड़ी के पास खड़ा हो गया।


9 बजे के करीब सभी शिकारी गाड़ी के पास जमा हुए। उसके जाल में एक लड़की थी जो काफी एग्रेसिव थी। चारो ओर हाथ पाऊं मार रही थी। उसके चारो ओर सुपर साउंड वेभ वाला रॉड गारकर उसके तरंग छोड़ दिए। जैसे ही वो तरंग शुरू हुई, आर्य के सर में भी हल्का–हल्का दर्द होने लगा।


उसके धड़कन की रफ्तार बढ़ने लगी और ये रफ्तार इसी तरह से बढ़ती रहती तब यहां कुछ ऐसा होता जिसकी उम्मीद किसी ने भी नहीं की होती। आर्य पहाड़ की ऊंचाई पर था, उसने खुद को पहाड़ की ऊंचाई से लुढ़का लिया और वेभ के रेंज से बाहर निकल आया।


रिचा:- मानस, ये आर्य तो इस कुतिया का अग्रेशन देखकर ही पहाड़ से लुढ़क गया। मेरी भाभी को बड़ा विश्वास था अपने भाई पर। सुनेगी तो बेचारी का दिल टूट जाएगा।


मानस:- भूमि सुनेगी तो तुम्हे दौड़ा-दौड़ा कर मारेगी।


रिचा:- उसका दौड़ और राज करने का समय चला गया मानस, भूमि 10 साल के लिए एक्टिव नहीं रहेगी। अब उसे बच्चा चाहिए। इसलिए विश्वा का होने वाला जमाई ही अध्यक्ष होगा और ये पूरी सभा हमारे इशारे पर नाचेगी।


तेनु, रिचा का एक साथी… "और उस राजदीप, नम्रता और पलक का क्या, जिसे भूमि अपने पीछे छोड़े जाएगी और तेजस को क्यों भुल जाते हो।"..


रिचा:- एक बार सभा हमारे हाथ में आने दो। मुझे जयदेव का उतराधिकारी घोषित तो होने दो। फिर देखना हम एक-एक करके कैसे सबको गायब करते है। कहने को तो ये सभा सबका है। यहां कोई भी बड़े औहदे पर हो सकता है लेकिन शुरू से राज तो भारद्वाज का ही चलता आ रहा है।


तेनु:- हां सही कही। विश्वा काका अध्यक्ष है तब भी एक भारद्वाज ही बोलती है। इस से पहले जयदेव कॉर्डिनेटर था और पर्ण जोशी अध्यक्ष, तब तेजस बोला करता था। उस से पहले तो खैर उज्जवल भारद्वाज अध्यक्ष था और वो भी किसी को नहीं बोलने देता था।


पंकज:- कोई किसी भी पद पर रहे पुरा प्रहरी समूह में केवल भारद्वाज ही बोलते है। लेकिन अब वक़्त बदलना चाहिए, हालात बदलने चाहिए और भारद्वाज के ऊपर से विश्वास बदलना चाहिए।


रिचा:- केवल मानस को अध्यक्ष हो जाने दो फिर ऐसा मती भ्रमित करूंगी की भारद्वाज खुद किनारे हो जाएंगे, बस नम्रता और उस राजदीप की शादी किसी तरह मुक्ता और माणिक से तय करवानी है।


आर्य जो इनके रेंज के बाहर गिरा था, इनकी बातें सुनकर हंसने लगा और अपनी जगह आराम से लेटा रहा। थोड़ी देर बाद ये लोग आए और आर्य को ढूंढने लगे। आर्य के बेहोश देखकर उन्होंने पानी का छींटा मारा और आर्य चौंक कर जाग गया।…. "क्यों सर कहीं से गीला और पिला तो नहीं कर दिए।"..


आर्यमणि अपनी हालात देखकर अपने ऊपर लगे धूल मिट्टी को झारने लगा, किन्तु पानी पड़ जाने के कारण वो और चिपचिपी हो चुकी थी। आर्यमणि, रिचा की बात का जवाब ना देकर चुपचाप अपनी गाड़ी के ओर जाने लगा। तभी उनमें से एक ने कहा… "ये वही वर्धराज कुरकर्णी का पोता है ना जिसका दादा ने डर के मारे एक वेयरवुल्फ को भगा दिया और बाद में कहानी बाना दिया कि उसे प्यार हो गया था"..


रिचा उसपर चिल्लाती हुई… "प्रहरी के नियम यहां कोई ना भूले तो ही अच्छा होगा। हम किसी का तिरस्कार नहीं करते। चलो आर्य।"


आर्य:- हम्मम !


दोनो मिनी ट्रक में सवार होकर वहां से निकल गए। रात में 11.30 बज रहे थे, जब रिचा उसे लेकर घर पहुंची। आर्यमणि की हालत देखकर भूमि उसके पास पहुंची…. "ये सब क्या है, सुनी तू डर के मारे पहाड़ से गिर गया।"..


आर्यमणि:- नहीं दीदी मेरा पाऊं फिसल गया था। पता नहीं वो किस तरह का साउंड था, बड़ा ही अजीब। मैने सोचा जाकर गाड़ी में बैठ जाऊं और इन्हीं चक्कर में मै गिर गया।


इतने में रिचा भी गाड़ी पार्क करके आ चुकी थी… "क्यों रिचा गलत अफवाह हां"..


रिचा:- कांच की गुड़िया है ये तो भाभी, मुझे शॉर्ट और सपोर्ट ब्रा में देखकर इसके पसीने छुटने लगे। दरवाजा से अंदर घुसा और बाहर भगा। मर्द बनाने ले गई थी इसे। और अब शर्त के मुताबिक ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- कैसी शर्त..


रिचा:- मै हारती तो इसे सैर पर लेकर जाना था इसकी नैन प्रिया नजारे दिखाने, और ये हारता तो मेरा शागिर्द बनता। ये शर्त हार चुका है और डील के मुताबिक़ ये मेरा शागिर्द बनेगा।


भूमि:- शर्त अगर हार गया है तो आर्य तुम्हे ये करना होगा।


आर्य:- दीदी मै नहीं डारा था, मेरे पाऊं फिसल गए थे।


रिचा:- मेरे पास 5 गवाह है।


आर्य:- 5 लोग एक ही झूट को बोले तो तो क्या वो सच हो जाएगा। मै अभी प्रूफ कर दूंगा कि रिचा गलत बोल रही है।


रिचा:- करो प्रूफ।


आर्य:- तुम जब उस विकृत लड़की को लेकर आ रही थी तब तुमने मेरे चेहरे की भावना पढ़ी थी?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- क्या मै उस लड़की के डर से चिल्लाया था या कुछ पूछा था?


रिचा:- नहीं।


आर्य:- वो रॉड जो तुमने जमीन में गाड़ा उसे पहली बार सुनो तो हम पर क्या असर होगा।


रिचा:- इंसानी दिमाग पर भी उसका गहरा असर होता है यदि कोई पहली बार सुन रहा हो तो धड़कन बढ़ना, बेचैनी और घबराहट।


भूमि:- रिचा तो 30 दिन लगातार सुनी, तब कहीं जाकर सामान्य रहने लगी।


आर्य:- और उससे पहले।


भूमि:- उल्टियां। पहले पुरा दिन होता था। फिर धीरे-धीरे कम होता गया।


आर्य:- शर्त मै जीता हूं, आप दोनो ही अब फैसला करो… मै चला, सुबह मुझे कॉलेज जाना है।


आर्यमणि अगली सुबह जब कॉलेज पहुंचा तब फिर से कोई अन्य सीनियर आर्यमणि के पास पहुंच गया और बीच ग्राउंड में रुकवाकर उसके शर्ट पर अपने मुंह का गुटखा थूक दिया। आर्यमणि वहां से चुपचाप निकल गया और वाशरूम जाकर बैग से दूसरा कपड़ा निकालने के लिए बैग का चैन खोला ही था, कि किसी ने बाहर से उसके ऊपर एक पत्थर दे मारा। कौन मारा, कहां से मारा किसी को पता नहीं, नाक टूट गई और वो अपने रुमाल से खून को साफ करने लगा।


वो कपड़े बदल कर चुपचाप आया, और अपने क्लास में चला गया। क्लास में सभी लड़के-लड़कियां उसके ऊपर हंस रहे थे। गुटके के पिचकारी वाली वीडियो पूरे कॉलेज में वायरल हो गई थी। आर्यमणि मुसकुराते हुए अपनी क्लास अटेंड किया, तभी उसके मोबाइल पर मैसेज आया।


नंबर किसी घोस्ट के नाम से रजिस्टर था और अंदर संदेश… "सुबह-सवेरे अपनी इंसानी आखों से तुम्हे देखी। जी किया तुम्हे निचोड़ डालूं और महीने दिन पुरा मज़ा करने के बाद तब कहूं, अभी के लिए दिल भर गया, कभी-कभी मेरी प्यास मिटा देना। लेकिन शायद अभी तुम मिलना ना चाहो।"..


आर्य टाइप करते… "और तुम्हे ऐसा क्यों लगा।"..


घोस्ट:- जिस तरह तुम्हारे ऊपर किसी ने पिचकारी उड़ाई है, तुम्हारे हाव-भाव से लगता है तुम खेलने के मूड से हो। उन्हें पुरा हावी होने का मौका दोगे। जैसे कोई बड़ा शिकारी करता है। खेल के रचयता का जबतक पता नहीं लगता तबतक तो तुम एक्शन नहीं लेने वाले।


आर्य:- तुम्हे कैसे पता की मै ऐसा करने वाला हूं।


घोस्ट:- क्योंकि कल पहाड़ी से तुम्हारा जान बुझ कर गिरना और वो लोग जो तुम्हारे बराबर कहीं टिकते ही नहीं है उनकी सुनना। इससे ये साफ जाहिर है कि तुम खेल का पूरा मज़ा लेते हो। वरना अपने दादा के नाम का मज़ाक उड़ते हुए कौन सहता है।


आर्य:- फिर तो तुम्हे भी पता चल गया होगा कि ये पुरा कांड कौन रच रहा है।


घोस्ट:- तुम मेरे साथ खेल ना ही खेलो। तुम रिचा को कभी रचयिता मान ही नहीं सकते, यदि ऐसा होता तो अब तक यहां भूचाल आ गया होता।


आर्य:- मेरे पैक का हिस्सा बनना पसंद करोगी।


घोस्ट:- लेकिन तुम मेरे जैसे नहीं हो।


आर्य:- लेकिन ग्रुप तो चाहिए ना।


घोस्ट:- तुम्हारी जान बचाई हुई है अंत तक तुम्हारे साथ रहूंगी। जब मिलूंगी तब रक्त प्रतिज्ञा लूंगी। आई एम इन..


आर्य:- बचकर रहना अब मेरी नजर कॉलेज में तुम्हे ढूंढेगी। और हां आगे क्या होने वाला है उसका अलर्ट नहीं भेजना मुझे। जारा सस्पेंस का मज़ा लेने दो।


घोस्ट:- जल्दी से ये खेल खत्म करो फिर हम अपना खेल शुरू करेंगे। बाय..


आर्य लगभग पूरी क्लास संदेश-संदेश ही खेलता रहा। क्लास ओवर होने के बाद वो सीधा कैंटीन पहुंचा, जहां उसके सभी दोस्त सुबह की बात को लेकर आक्रोशित थे। आर्यमणि से पूछते रहे की कौन था, और आर्य कहता रहा जिसने किया वो गलती से कर गया वीडियो बनाने वाले ने वायरल किया है। और इधर आर्यमणि को नीचा दिखाने के लिए कैंटीन में जो भी आता पुच वाला डमी एक्शन करके जा रहा था।




वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी और कहानी के प्रमुख पात्र के लिंक मैने स्टीकी पोस्ट पर डाल दिए हैं.. आप सब से अनुरोध है.. वहां एक झलक जरूर देख लें
To Richa ke kandhe par bandook rakh kar chla koi aur raha hai. Aur ye mujhe lag hi raha tha aur ab to clear hi ho gaya hai ki arya main sikar ko pakdne ke liye abhi kud sikar bana hua hai. Lakin ummid hai jaldi hi wo main sikhar arya ke samne hoga. Aur ye prahri log me bhi aaps ke group bane hue hai. Jo power cahte hai. Aisa hona to lajmi hi hai. Jaha power paisa hai waha ye sub hona aam baat hai. Dekhte hai aage abhi aur kya kya hota hai.
Overall both Update epic bro.
 
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प्रहरी समाज में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है । सालों से प्रहरी समाज पर दबदबा भारद्वाज परिवार की रहा है लेकिन रिचा की बातों से लगा कोई दूसरा ग्रुप भी इस पर अपना दावा पेश करने वाला है ।
तीन महत्वपूर्ण फेमिली है जिनमें भारद्वाज फेमिली , जोशी फेमिली और देसाई फेमिली शामिल है ।
तीनों ही फेमिली का एक दूसरे से पारिवारिक रिश्ता भी है । लेकिन यह समझ नहीं पाया कि रिचा अपने ही भाई और भाभी के विरुद्ध क्यों साजिश रच रही है ?
आर्य मणि के अनुसार रिचा यह सब किसी दूसरे के निर्देश पर काम कर रही है लेकिन वो व्यक्ति है कौन ? और इन सबों के पीछे असल मकसद क्या है ?
सिर्फ धन दौलत या वर्चस्व की लड़ाई ?

प्रहरियों के बीच आर्य एक साइलेंट वेयरवोल्फ बने मौजूद हो गया है और हमें पता है प्रहरी और वेयरवोल्फ एक दूसरे के जानी दुश्मन है । और जिस तरह से आप ने वेयरवोल्फ की मृत्यु का राज खोला है उससे आर्य के लिए सावधान होना चरम आवश्यक हो गया है ।
उसका राज खुलने पर उसके परिवार वाले ही उसकी हत्या कर देंगे ।
एक सवाल और था , आर्य अपना इंसानी रूप त्याग कर वेयरवोल्फ में कब तब्दील होता है ?
मुझे ऐसा भी लग रहा है जैसे आर्य की तरह ही बहुत सारे लोग हैं जो इंसानी भेष में वेयरवोल्फ इनके इर्द गिर्द घूम रहे हैं या कालेज में पढ़ाई कर रहे हैं ।
जिस लेडिज वेयरवोल्फ को बचाया था आर्य मणि ने और जिसने उससे फोन पर बातें की थी वो कालेज में पढ़ रही एक इंसानी वेष में वेयरवोल्फ ही लगा मुझे ।

वेयरवोल्फ और इस कहानी के पात्रों का विवरण देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया नैन भाई । मुझे विश्वास है अब रीडर्स को समझने में जरा भी मुश्किलात पैदा नहीं होगी ।

दोनों अपडेट्स बहुत ही खूबसूरत थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 
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