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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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nitya.ji

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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
once again nice update sir

to aryamani ke pareshan hone ka silsila abhi bhi jari hai jiske bare main bhumi ko pta bhi hai pr lagta hai bhumi bhi yahi chahti hai ki aisi choti moti pareshaniyo se uska bhai khup hi nipte.
sath hi sath arya ne bhumi ko apne dil ki bat bhi bta di ki wo palak ko pasand krta hai.

aur lagta hai bhumi ko bhi pta hai ki koi to uski nak ke niche prahri me kisi tarah ka khel khel raha hai aur isiliye sharad bhumi aur jaidev 20 din ka bolkar khi trip pr ja rhe hai.

update ke end me jo aapne love story ki shuruwat ki hai wo lazwab thi. aur isi bahane hamare hero ko uski heroien i mean "RAJA KO USKI RANI" bhi mil hi gayi. aur rani sahiba ke tevar to dekhiye milte hi unhone kisi ki mot ka farmaan bhi suna diya.
dekhte hai aage ye raja aur rani kya kya gul khilate hai.
 

Mahendra Baranwal

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भाग:–15



अब तो लगभग रोज की ही कहानी होती। कभी किसी लड़की के थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होता तो कभी उसके पैंट को नीचे भिंगा दिया जाता और उसके गीले होने का वीडियो वायरल होता।


कभी किसी कोने मे 8-10 नकाब पोश आर्यमणि को पिट देते उसका वीडियो वाइरल हो जाता, तो कभी उसके कॉफी के कप में मरा हुआ कॉकरोच मिलता। हर रोज आर्य के बेइज्जती के किस्से वाइरल हो रहे थे। इसी वजह से आर्य और निशांत में बहस भी खूब हो जाती थी। आलम ये था कि आर्य अब तो उन लोगो से भी कटा-कटा सा रहता था।


5 दिन बीत चुके थे। शनिवार की सुबह भूमि पल्थी डालकर हॉल में बैठी हुई थी। उसी वक़्त आर्य बाहर आया और भूमि के गोद में सर रखकर सो गया। भूमि उसके सर में हाथ फेरती हुई पूछने लगी… "और कितने दिन तक चुप रहेगा।"


आर्यमणि:- आपको कॉलेज के बारे में पता चल गया।


भूमि:- मुझे तो पहले दिन से पता था। बस इंतजार में हूं या तो तू मामला सुलझा ले, या मुझसे कहेगा। हालांकि कहता तो तू नहीं ही, क्योंकि मेरा भाई कमजोर नहीं।


आर्यमणि:- आप भी तो कुछ सोचकर रुक गई है। वरना अब तक तो आपने भी तूफान उठा दिया होता।


भूमि:- बहुत शाना कव्वा है। तुझे क्या लगता है अक्षरा काकी है इसके पीछे, या किसी आईपीएस (राजदीप) का दिमाग लगा है।


आर्यमणि:- आईपीएस का दिमाग तो सिक्किम में भी था जिसकी नफरत अक्षरा के बराबर थी, लेकिन कभी उसकी नीयत में नहीं था मुझे परेशान करना। इसमें नागपुर आईपीएस भी नहीं है। हां आप चाहो तो अब अपनी मनसा इस तीर से दाग सकती हो।


भूमि:- कौन सी मनसा।


आर्यमणि:- पलक मुझे भी पसंद है, पहले दिन से।


भूमि अटपटा सा चेहरा बनाती... "पलक तुझे पसंद है... पलक तुझे पसंद है, इस बात पर मैं नाचू या तेरी इस बेतुकी बात पर सिर पीट लूं, समझ में नही आ रहा। हम तो अभी तेरे साथ चल रहे परेशानियों पर बात कर रहे थे, इसमें अचानक पलक को कैसे घुसेड़ दिया, वह भी अपनी पसंद को मेरी मनसा बताकर... इस बात का कोई लॉजिक है...


आर्यमणि:– मैं क्या वकील हूं जो हर बात लॉजिक वाली करूं। मेरी परेशानियों के बीच आपके दिल की इच्छा याद आ गई और मैने कह दिया...


भूमि:– कुछ भी हां... तूने जान बूझकर ऐसे वक्त में पलक की बात शुरू की है, जिसपर मैं कोई रिएक्शन न दे पाऊं ..


आर्यमणि:- आपने ही तो पलक के लिए दिल में अरमान जगाये थे। मैत्री से मेरा ब्रेकअप करवाने के लिए क्या-क्या कहती थी, वो भुल गई क्या?


भूमि:- तू झूठा है, मैत्री और तेरे बीच सच्चा प्रेम था, फिर पलक की कहानी कहां से बीच में आ गई?


आर्यमणि:- पहली बार जब मैंने कॉलेज में उसे देखा था तब मेरा दिल धड़का था, ठीक वैसे ही जैसे पहले कभी धड़कता था। तब मुझे पता नहीं था कि वो वही पलक है, बाद में पता चला।


भूमि:- और पलक अपने आई के वजह से, या उसकी भी पहले से कोई चाहत हो, उसकी वजह से तुम्हे रिजेक्ट कर दी तो?


आर्यमणि:- मैत्री तो पसंद करके गायब हुई, बिना कोई खबर किए। जिंदगी चलती रहती है दीदी। वैसे भी मै एक राजा हूं, और इस राजा ने अपनी रानी तो पसंद कर ली है।


भूमि:- फिर मै कौन हुई..


आर्यमणि:- आप राजमाता शिवगामनी देवी।


भूमि इतनी तेज हंसी की उस हॉल में उसकी हंसी गूंज गई। अपने कमरे से जयदेव निकल कर आया और भूमि को देखते हुए… "ये चमत्कार कैसा, क्या मै सच में अपनी बीवी की खिली सी हंसी सुन रहा हूं।"


भूमि:- बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मै हंसती ही नहीं हूं। तुम्हे देखकर मुंह बनाए रहती हूं जय।


जयदेव:- भूमि देसाई की बात को काटने की हिम्मत भला किसमे है? जो आप बोलो वही सत्य है।


भूमि:- मुझे ताने मार रहे हो जय...


जयदेव:- छोड़ो भी !! तुमने अबतक आर्य को बताया या नहीं?


आर्यमणि, उठकर बैठते हुए…. "क्या नहीं बताई।"


भूमि:- हम 10 दिनों के लिए बाहर जा रहे है। लेकिन किसी को बताना मत, लोगो को पता है कि हम 20 दिनों के लिए बाहर जा रहे है।


आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है। मै मासी के पास चला जाऊंगा।


भूमि:- पागल है क्या आई के पास जाएगा तो वो तुझे वहीं रोक लेगी। उन्हें तो बहाना चाहिए बस।


आर्यमणि:- मासी को बुरा लगेगा ना। उन्हें आपके जाने का तो पता ही होगा, उसके बाद भी मै उनके पास नहीं गया तो मेरी खाल खींच लेगी।


भूमि:- हम्मम ! ठीक है, लेकिन वापस आने से एक दिन पहले कॉल कर दूंगी, मै जब आऊं तो तुम मुझे घर में दिखने चाहिए। समझा ना..


आर्यमणि:- हां दीदी मै समझ गया। वैसे निकल कब रही हो।


भूमि:- आज शाम को। बाकी अपना ख्याल रखना। पढ़ाई और घर के अलावा भी जिंदगी है उसपर भी ध्यान देना। समझा..


आर्यमणि:- जी दीदी समझ गया।


शाम को आर्यमणि, भूमि और जयदेव को एयरपोर्ट पर ड्रॉप करके वापस अपनी मासी के घर चला गया। मासी, मौसा और भाभी के साथ आर्यमणि की एक लंबी महफिल लगी। शाम को तकरीबन 8 बजे निशांत का कॉल आ गया… "लाइव लोकेशन सेंड कर दिया है, अच्छे से चकाचक तैयार होकर आना।"


आर्यमणि समझ गया था ये गधा आज डिस्को का प्लान बनाया है। आर्यमणि थोड़े ही देर में वहां पहुंच गया। आर्यमणि डिस्को के पास खड़ा ही हुआ था कि एक तेज चल रही फॊर व्हीलर का दरवाजा अचानक खुल गया और एक बच्चा उसके बाहर। वहां मौजूद हर किसी ने अपनी आखें मूंद ली, और जब आखें खुली तो आर्यमणि जमीन में लेटा हुआ था और वो बच्चा उसके हाथ में।


सभी लोग भागते हुए सड़क पर पहुंचे और दोनो ओर के ट्रैफिक को रोका। जिस कार से बच्चा गिरा था वो कार भी रुक गई। कार के आगे की सीट से दोनो दंपति भागते हुए आए और अपनी बच्ची को सीने से लगाकर चूमने लगे… भावुक आखों से वह पिता, आर्यमणि को देखते हुए अपने दोनो हाथ जोड़ लिया।


आर्यमणि:- आपकी बच्ची सेफ है, आप दोनो जाए यहां से। और हां कार सेंट्रल लॉक ना हो तो बच्चे को अपने बीच ने बिठाया कीजिए।


दोनो दंपत्ति थैंक्स और सॉरी बोलते चलते बने। निशांत जब डिस्को आया तब हुआ ये कि वो अपनी गर्लफ्रेंड हरप्रीत के साथ अंदर चला गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आर्यमणि नहीं आया तब चित्रा ने उसे कॉल लगा दिया। लेकिन 4-5 बार कॉल लगाने के बाद भी जब आर्यमणि ने कॉल नहीं पिक किया… "लगता है बाइक पर है, पलक तू माधव के साथ अंदर चली जा मै आर्य को लेकर आती हूं।"


लेकिन पलक उन दोनों को अंदर भेज दी और खुद बाहर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर इंतजार की ही थी उसके बाद ये कांड हो गया। आर्यमणि ने सामने देखा, एक स्टोर थी। वहां घुसा फटाफट अपने फटे कपड़ों को बदला और झटके से वापस आ गया।


पलक, आर्यमणि की इस हरकत पर हंसे बिना रह नहीं पाई। आर्यमणि चुपके से घूमकर आया और अपना फोन निकला ही था कि उसके पास पलक खड़ी होती हुई कहने लगी… "चले क्या?"


आर्यमणि:- मुझे डिस्को बोर लगता है।


पलक:- मुझे इस वक़्त अपनी गर्लफ्रेंड समझो, फिर तुम्हे डिस्को बोर नहीं लगेगा।


आर्यमणि:- सोच लो, पहले 4 पेग का नशा, फिर हाथ कमर पर या कमर के नीचे, स्मूचिंग, हग..।


पलक, मुस्कुराती हुई… "तुम मेरे लिए हार्मफुल नहीं हो सकते ये मुझे विश्वास है।"


आर्यमणि:- कितने देर डिस्को का प्रोग्राम है।


पलक:- पता नहीं, लेकिन 11 या 11:30 तक।


आर्यमणि:- जब मै तुम्हारे लिए हार्मफुल नहीं हूं, तब तो तुम्हे मेरे साथ बाइक पर आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी?


पलक:- लेकिन कहीं चित्रा, निशांत या माधव का कॉल आया तो...


आर्यमणि:- कभी झूठ नहीं बोली हो तो आज बोल देना। आर्य आया ही नहीं इसलिए मै चली आयी।


पलक, हंसती हुई उसके बाइक के पीछे बैठ गई। जैसे ही पलक उस बाइक पर बैठी, आर्यमणि ने फुल एक्सीलेटर लिया। पलक झटके के साथ पीछे हुई और खुद को बलैंस करने के लिए जैसे ही आर्यमणि को पकड़ी, तेज झटके के साथ आगे के ओर आर्यमणि से चिपक गई।


तूफानी बाइक का मज़ा लेते हुए आर्यमणि अपने साथ उसे सेमिनरी हिल्स लेकर आया और गाड़ी सीधा कैफेटेरिया में रुकी। गाड़ी जैसे ही रुकी पलक अपनी बढ़ी धड़कने सामान्य करती…. "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।"


आर्यमणि:- क्या लोगी, ठंडा या गरम।

पलक:- 2 कोन..


आर्यमणि 2 कोने लिया, एक उसके और एक पलक के हाथ में। दोनो कदम से कदम मिलाते हुए चलने लगे… "एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?"


पलक आश्चर्य से आर्यमणि का चेहरा देखती.… "तुम्हे कैसे पता की मैं ट्रेनिंग कर रही हूं?


आर्यमणि:– भूल क्यों जाति हो की मैं भूमि देसाई के घर में रहता हूं। वैसे सवाल अब भी वही है, एक शिकारी को भी डर लगता है क्या?


पलक:- क्यों हम इंसान नहीं है क्या?


आर्यमणि:- नाह, तुम्हारे पास मंत्र और हथियार की विद्या है। आम इंसानों से शक्तिशाली होते हो। दृढ़ निश्चय और हां कई तरह के जादू–टोना भी तुम लोगों को आते हैं। इसलिए एक शिकारी कभी भी आम इंसान नहीं हो सकता, वो भी सुपरनैचुरल है।


पलक:- नयी परिभाषा सुनकर अच्छा लगा। लेकिन फिर भी हुए तो इंसान ही ना, और जब इंसान है तो डर लगा ही रहता है।


आर्यमणि:- बस यही कहानी मेरे साथ कॉलेज में हो रही है। अचानक से किसी चीज को देखता हूं तो डर जाता हूं। 8-10 लोग जब एक साथ आते है तो मै डर जाता हूं। जिस दिन ये डर निकल गया, समझो मेरा भी कॉलेज का इश्यू नहीं रहेगा।


पलक:- डर और तुम्हे। तुम भय को भी भयभीत कर सकते हो। मै तुम्हारी कैपेसिटी आज ही सुबह समझी हूं, जब एक बहस के दौरान तुम्हारी वो वीडियो देखी, जिसमे तुमने अजगर को स्टन गन से बिजली का झटका दिया और फिर उस लेडी को पकड़कर नीच खाई में जा रहे थे।


आर्यमणि कुछ सोचते हुए.… "फिर कॉलेज में चल रही घटनाओं के बारे में तुम्हारे क्या विचार है?


पलक:– क्या कहूं, मैं खुद भ्रम में हूं। मेरा दिल कहता है कि तुम चाहो तो क्या न कर दो, फिर अंदर से उतनी ही मायूस हो जाती हूं जब तुम कुछ करते नही। ऐसा लगता है जैसे तुम अपने आस–पास के लोगों से ही मजे ले रहे। दूसरे लोग तुम्हारे साथ जब गलत करते हैं तब तुम तो एंजॉय कर लेते हो लेकिन कलेजा हम सबका जल जाता है। जी करता है उन कमीनो का बाल पकड़कर खींच दूं और गाल पर तबतक थप्पड़ मारती रहूं जबतक कलेजे की आग ठंडी न हो जाए।


आर्यमणि, पलक के आंखों का गुस्सा और उसके जुबान की ज्वाला को सुनकर मुस्कुरा रहा था। दिल की पूरी भड़ास निकालने के बाद पलक भी कुछ देर गुस्से में कॉलेज के उन्ही घटनाओं के बारे में सोचती रही। लेकिन अचानक ही उसे याद आया की वो तो गुस्से में आर्यमणि के प्रति लगाव की ही कहानी बता गई। और जब यह ख्याल आया, पलक अपनी नजर चुराती चुपचाप कदम बढ़ाने लगी। आर्यमणि चलते-चलते रुक गया। रुककर वो पलक के ठीक सामने आया। उसकी आंखों में देखते हुए…


"इस राजा को एक रानी की जरूरत है, जो उसपर आंख मूंदकर विश्वास करे। इस राजा को अपनी रानी तुम में पहले दिन, पहली झलक से दिख गई थी। इंतजार करना, हाल–ए–दिल जानना, और फिर सही मौके की तलाश करके बोलना, इतना मुझसे नहीं होगा।"

"मेरा दिल बचपन में किसी के लिए धड़का था, लेकिन किसी ने उसका कत्ल कर दिया। हालांकि दिल उसके लिए बहुत तरपा था। पहले वो कई सालो तक गायब हो गई। फिर किसी तरह बातें शुरू हुई तो महीने में कभी एक बार मौका मिलता। और जब वो आखिरी बार मुझे मिली तो ये दुनिया छोड़ चुकी थी। उसके बाद बहुत सी लड़की मिली। तुम्हे देखने के बाद भी मिल रही है। लेकिन ये दिल तुम्हे देखकर हर बार धड़कता है। तो क्या कहती हो, तुम्हे ये राजा पसंद है।"


पलक:- मेरे और अपने घर का माहौल नहीं जानते क्या?


आर्यमणि:- माहौल तो हर वक़्त खराब रहता है। हम यहां बात कर रहे है और कोई हमारे पीछे माहौल खराब करने की साजिश कर रहा होगा। हमारे घर के बीच के खराब माहौल को जाने दो, वो सब मै देख लूंगा, बिना तुम्हे बीच में लाए। तुम मुझे बस ये बता दो, क्या तुम्हे मै पसंद हूं?


पलक:- यदि हां कहूंगी तो क्या तुम मुझे अभी चूम लोगे?


आर्यमणि:- इसपर सोचा नहीं था, लेकिन अब तुमने जब ध्यान दिला ही दिया है तो हां चूम लूंगा।


पलक:- किस्स उधार रही। वो तुम्हारे कॉलेज के मैटर में मेरे कलेजे को शांति मिल जाए, उसके बाद लेना। अभी हां कह देती हूं।


हां बोलते वक़्त की वो कसिस, मुसकुराते चेहरे पर आयी वो हल्की शर्म... उफ्फफफ, पलक तो झलक दिखाकर ही आर्यमणि का दिल लूटकर ले गई। आर्यमणि, पलक के कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाया। उसके बदन कि खुशबू जैसे आर्यमणि के रूह में उतर रही थी। गहरी श्वांस लेते वो इस खुशबू को अपने अंदर कैद कर लेना चाहता था। अद्भुत क्षण थे जिसे आर्यमणि मेहसूस कर रहा था।


लचरती सी आवाज़ में पलक ने दिल की बात भी कह डाली। अपना वो धड़कते अरमान भी बयान कर गई जब उसने आर्यमणि को पहली बार देखकर मेहसूस किया था। आर्यमणि मुस्कुराते हुए उसे और जोर से गले लगाया और थोड़ी देर बाद खुद से अलग करते दोनो हाथो में हाथ डाले चल रहे थे।… "आर्य मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग तुम्हारा मज़ाक उड़ाते है। दिल जल जाता है।"


आर्यमणि:- कुछ दिन और दिल जला लो। मुझ पर हमले करवाकर कोई तुम्हारे भाई राजदीप को मेरे दीदी भूमि और तेजस भैया से भिड़ाने के इरादे से है। जो रिलेशन मीनाक्षी भारद्वाज का अक्षरा भारद्वाज के साथ है, वही रिलेशन इन सबके बीच चाहते है।


पलक चलते–चलते रुक गई….. "तुम्हे इतनी बातें कैसे पता है। जो भी है इनके पीछे क्या उन्हें तेजस दादा और भूमि दीदी का जरा भी डर नहीं।'


आर्यमणि:- वही तो पता लगा रहा हूं।


पलक:- तुम्हारी रानी उन सबकी मृत्यु चाहती है। उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचना चाहिए जो हमे अलग करना चाहते है।


आर्यमणि:- हा, हा, हा... सीधा मृत्यु की सजा... खैर जब गुनहगार सामने आएगा तब सजा तय करेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे बीच सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा।


पलक:- तुम नहीं भी कहते तो भी मै यही करती। क्या अब हम अपनी बातें करे। मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा तुमने मुझे परपोज किया, मेरे पाऊं अब भी कांप रहे है।


आर्यमणि:- कल से तुम सज संवर कर आना। मेरी रानी को रानी की तरह दिखना चाहिए। हर कोई पलटकर देखने पर विवश हो जाए। लड़के अपने धड़कते अरमानों के साथ तुम्हरे इर्द-गिर्द घूमते रहे।


पलक:- और कोई लड़का मुझे पसंद आ गया तो।


आर्यमणि:- हां तो उसे अपना सेवक बना लेना। रानी के कई सेवक हो सकते है, किन्तु राजा एक ही होगा।


पलक, उसपर हाथ चलाती… "छी, कितनी आसानी से कह गए तुम ये बात। मै तो चित्रा के साथ"…


आर्यमणि:- पलक ये देह एक काया है, जो एक मिथ्या है, और आत्मा अमर। क्या वो औरत चरित्रहीन है जो विवाह के बाद किसी अन्य से गुप्त संबंध बनाती है।


पलक:- ये कौन सी बात लेकर बैठ गए। तुम्हे किसी के साथ ऐसे संबंध बनाने हो तो बना लेना, लेकिन मुझ तक बात नहीं पहुंचने देना। बाकी मुझे इन बातो के लिए कन्विंस मत करो।


आर्यमणि:- माफ करना, मैंने अपनी रानी को परेशान किया। चलो चला जाए, अपनी रानी के लिए कुछ शॉपिंग किया जाए।


पलक:- लेकिन अभी तो कहे थे कि हमे पहले की तरह रहना है। किसी को पता नहीं चले।


आर्यमणि:- हां तो मुंह कवर कर लो ना। लेकिन कल से तुम रानी की तरह सज संवर कर निकलोगी।


पलक ने अपना मुंह पुरा कवर कर लिया और दोनो चल दिए। दोनो बिग सिटी मॉल गए। वहां से पलक के लिए तरह-तरह के परिधान, मेकअप किट, आभूषण, सैंडल यहां तक कि आर्य की जिद की वजह से पलक ने अपने लिए तरह तरह के अंडरगारमेट्स भी खरीदे। कुल 2 लाख 20 हजार का बिल बाना जिसे आर्य ने पेमेंट कर दिया।


दोनो वहां से बाहर निकले.. पलक आर्य के कांधे पर हाथ देती बैठ गई। अपने होंठ को आगे ले जाकर उसके कान के पास गालों को चूमती हुई… "आर्य, मै डिस्को के लिए निकली थी, रास्ते में ये इतना सामान कैसे खरीदी।"


आर्यमणि:- मै जानता हूं मेरी रानी के लिए ये बैग सामने से ले जाना कोई मुश्किल काम नहीं। फिर भी तुम्हारी शरारतें मेरे समझ में आ रही है। बताओ तुम क्या चाहती हो?


पलक:- मै चाहती हूं, तुम मुझे पूरे कॉलेज के सामने परपोज करो, जैसे कोई शूरवीर राजा वीरों के बीच अपनी रानी को स्वयंवर से जीत लेते है। और तब ये रानी अपने राजा को रिझाने के लिए हर वो चीज करेगी जो उसकी ख्वाहिश हो। अभी से यदि सब करने लगे तो विलेन गैंग को शक हो जाएगा ना, और वो पता लगाने की कोशिश में जुट जाएंगे कि ये रानी किस राजा के लिए आज संवर रही है।


आर्यमणि:- अगली बार कार लाऊंगा। एक तो बाइक पर बात करने में परेशानी होती है ऊपर से ऐसे सोच सुनकर जब चूमने को दिल करे तो चूम भी नहीं सकते। दिल जीत लिया मेरा, तभी तुम मेरी रानी हो। ये बैग मेरे पास रहेगा, मै तुम्हे सबके सामने दूंगा।


पलक तभी आर्यमणि को बाइक रोकने बोली, और चौराहे पर उतरकर उससे कहने लगी…. "अब तुम जाओ, दादा को कॉल कर लेती हूं, वो पिकअप करने आ जाएंगे।"


आर्यमणि जाते-जाते उसे गले लगाते चला। गीत गुनगुनाते और मुसकुराते चला। पलक भी मुसकुराते चली और हंसकर जीवन के नए रंग को अपने जहन में समाते चली।
Bahut hi umda
 

Parthh123

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Nain bhai ap kal thake hue the aur time ki kami bhi thi esliye ek hi update chapa tha but aj ummid hai thakan utar gayi hogi aur time bhi mila hoga to hm sb intzar kr rhe hai back to back 3-4 update ka. Hahahaha. Just kidding bro but ha update jaldi dijiyega maza a rha hai story me.
 

nain11ster

Prime
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कोई बात नही बस दिल को आस थी की शायद वीकेंड पर अपडेट आ जाए मगर फिर घर ग्रस्थी वाले लोगो के लिए समय भी वीकेंड को ही मिलता है तो हम समझ सकते है। वैसे भी देर आए दुरुस्त आए।

Weekend mere story ke liye hamesa se bekar gaya hai... Weekend ko readers hote hi nahi hai amit bhai :D... Isliye weekend me aankh mund leta hun... Khud bhi ghumo aur dusron ko bhi ghumne do :D
हम सब एक ही जंगल के शेर है :pepelmao:

Sher... Wo kya hota hai bhai... Shadi ke baad yah shabd prasangik nahi..
Salary credit ke baad ye hi message sabse achcha hota hai ki update on page #
Hahaha... Thik hai salary credit hone tak ye sandesh aata rahega...
 

nain11ster

Prime
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Nice updates mazedar aur jaandar rahe dono updates specially second wala action and suspence se bhara hua.keep writing. Thank you bro
Thanks a lot parthh bro... Sath bane rahe..
 

nain11ster

Prime
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As always awesome update again sir

to aapne bichde dosto ko milwa hi diya
aryamani to college me aate hi seniors se hi khelne laga ab un becharo ko kha pta ki kisse panga le rahe hai.

arya ka apne dil ki bat apne dosto aur pariwar se kahna aur unka bhi aryamani ko samajhna batata hai ki jindgi main sache dost aise hi hote hai jo hamesha aapka sath de

prahri sanstha me kuch corrupt log hai ye toh aapne pahle ke updates me hi bata diya tha but wo log family ke hi honge iska andaja nahi tha
lekin lagta hai richa to iss khel main kewal ek pyada hai khel to koi aur hi khel raha hai aur shayad usi ka pata lagane hi aryamani wapas aaya hai
is bich arya ki takat ka ek namuna bhi dekhne ko mila itni aasani se do alfa warewolfs ko thikane jo laga diya usne

arya ko bhi apne group ke liye lagta hai koi to mil gaya hai jo hamesha uske sath loyal rahe aage dekhte hai arya kb tak inlogo se khelne ke mood main hai aur kab wo in logo ki band bajane ka program shuru karta hai

aage kya hota hai ye janne ke liye besabri se aapke agle update ka intzaar rahega sir.
Arya wapas aaya jaroor hai... Lekin wo college ke ghatna ke baad hint hona shuru ho jayega.... Abhi filhaal high level suspense ka maza lijiye... Kyonki ek hi jagah bahut si ghatnayen hongi, fir hum jagah–jagah ghumne niklenge... :hint:
 
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