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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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My all time favorite Ankitarani & komaalrani ji :
Mil Ke Bichadna Nischal se
Ab toh Dastoor Ho Gaya
Yaadon Mein meri Hella
lekin nain11ster ne usko bhi Majboor kar diya
 
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February to march, itne notifications 🤕😑 SANJU ( V. R. ) sir kaise ho , baaki aap is story ko troll karo 😈
Me khub badhiya lekin aap bich bich me kaha gayab ho jati hai ? Kahi north east ke election me busy to nahi ho gayi thi ! :D
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Ek baar YouAlreadyKnowMe ( Sangita ji ) ke thread pe bhi visit mar lijiye. Aap ko bahut yaad kar rahi thi.
Sangita, ?? Who's she 🙄
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Superb update bhai
Plz thoda details me review denge to writer sahab ko bhi acha lagega aur mann lagake aur ache update deliver karenge..
 

Bhupinder Singh

Well-Known Member
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भाग:–158


कॉटेज के अंदर तो जैसे जश्न का माहोल था। उसी रात शेर माटुका और उसके झुंड को अमेया के जन्म का अनुभव हुआ हो जैसे... शोधक बच्ची, चाहकीली, जिसका इलाज आर्यमणि ने किया, उसको भी एहसास हुआ था... जंगल के और भी जानवर, जिन–जिन ने अमेया को गर्भ में स्पर्श किया था, सब को अमेया के जन्म का अनुभव हुआ था और सब के सब रात में ही अमेया से मिलने पहुंच गये।

बेजुबान जीव अपने आंखों से भावना व्यक्त कर रहे थे। वहीं शोधक बच्ची भी हवा में करतब दिखाते आर्यमणि के कॉटेज को ही पूरा कुंडली मारकर घेर चुकी थी और उसका विशाल सिर कॉटेज के ऊपर था। या यूं भी कह सकते थे की कॉटेज अब गुफा बन गयी थी।

ऊपर शोधक बच्ची का सर तो नजर नहीं आ रहा था लेकिन खिड़की से उसका धर जरूर दिख रहा था। आर्यमणि के बहुत समझाने के बाद शोधक बच्ची चाहकीली और माटुका शेर का झुंड वहां से गया। 7 दिन पूरे हो गये थे और आर्यमणि पूरी विधि से पूजा करने के बाद अमेया के गले में पत्थर जारित छोटा एमुलेट धारण करवा रहा था। काफी अनूठा पल था... आमेया प्यारी सी मुस्कान के साथ पहली बार गले से प्यारा सा आवाज निकाली। जिसे सुनकर सब हंसते हुए उसे गोद में लेकर झूमने लगे...

कुछ दिन पूर्व

किसी सुदूर और वीरान टापू पर कुछ लोगों की मुलाकात हो रही थी। 8–10 लोग उन्हें घेरे खड़े थे और बीच में 5 लोग बैठे थे... मीटिंग निमेषदर्थ ने बुलवाई थी। विवियन एक औपचारिक परिचय देते हुये...

"निमेषदर्थ, ये हमारे समुदाय की सबसे शक्तिशाली स्त्री माया है। काफी दूर दूसरे ग्रह से आयी है। माया ये है राजकुमार निमेषदर्थ और उसकी बहन राजकुमारी हिमा। ये दोनो महासागर के राजा विजयदर्थ के प्रथम पुत्र और पुत्री है।”

“हमारे बीच दूसरी दुनिया की रानी मधुमक्खी रानी चींची बैठी हुई है। पिछले कुछ वक्त से ये भी हमारी तरह आर्यमणि का शिकर करना चाहती थी। उसके पैक को वेमपायर के साथ उलझाने की कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बनी। पृथ्वी पर हम सबकी एक मात्र बाधा आर्यमणि है, जिसके वजह से हम अपना साम्राज्य फैला नही पा रहे।

निमेषदर्थ:– हम्मम... लगता है उस आर्यमणि ने तुम सबको कुछ ज्यादा ही दर्द दिया है। ठीक है मैं तुम्हे आर्यमणि और उसके लोगों को मारने का मौका दूंगा।

रानी मधुमक्खी चिंची..... “उस आर्यमणि ने तुम्हारे साथ क्या किया, जो तुम उसे मारना चाहते हो?”

निमेषदर्थ:– वह मेरे साथ क्या करेगा, कुछ भी नही। मुझे तो बस उसकी शक्तियां चाहिए, जो उसके खून से मुझे मिल जायेगा। चूंकि मेरे पिता का हाथ आर्यमणि के सर पर है, इसलिए मैं या मेरे लोग उसे मार नही सकते, इसलिए तुम लोगों को बुलवाया है।

माया:– बिलकुल सही लोगों से संपर्क किया है। एक बार वो मेरे किरणों के घेरे में फंस गया, फिर मेरे पास वह हथियार भी आ गया है, जिस से आर्यमणि को उसका मंत्र शक्ति भी बचा नही सकती।

निमेषदर्थ, अपनी जगह से खड़ा होकर पूरे जोश के साथ..... “इस बार गलत जगह पर है आर्यमणि। तुम्हे यदि विश्वास है कि तुम्हारे गोल घेरे में फंसकर आर्यमणि निश्चित रूप से मरेगा, तो ऐसा ही होगा। वादा रहा”...

माया, निमेषदर्थ के आकर्षक बदन को घूरती..... “तुम बहुत आकर्षक हो राजकुमार.. साथ काम करने में मजा आयेगा”...

निमेषदर्थ:– तुम भी कमाल की दिखती हो माया। तुम्हारे पास जलपड़ी बनने जितनी सौंदर्य है।

माया:– ऐसी बात है क्या... फिर जब तुम राजा बनना तब मुझे अपनी रानी बनने का प्रस्ताव भेजना... अब जरा काम की बात हो जाये... तुम पूरा जाल बिछाकर आर्यमणि को जहां कहूंगी वहां ले आओगे, आगे का काम मेरा रहा।

निमेषदर्थ:– मैं जाल तो बिछा दूंगा लेकिन आर्यमणि जहां रहता है उस जगह पर मैं नही घुस सकता। उसका पूरा इलाका मंत्रो से बंधा है और बिना उसकी इजाजत मेरे पिताजी भी नही घुस सकते। ऐसे में रानी मधुमक्खी चिंची की जरूरत पड़ेगी। उस पर किसी भी प्रकार का मंत्र काम नही करेगा।

रानी चिंचि:– तुम योजना बनाओ निमेषदर्थ बाकी मैं कहीं भी घुस सकती हूं। ऊपर से अब मैं इस दुनिया के वातावरण के अनुकूल हो गयी हूं, अतः मुझे कहीं जाने के लिये किसी शरीर की भी आवश्यकता नहीं।

माया:– तो तय रहा की तुम दोनो मिलकर आर्यमणि को जाल में फसाओगे और मैं उसके प्राण निकाल लूंगी। लेकिन एक बात ध्यान रहे आर्यमणि मर गया तब वो मेरे किसी काम का नही। मुझे वो अनंत कीर्ति की किताब चाहिए..

निमेषदर्थ:– तुम मुझे आर्यमणि दे दो मैं तुम्हे वो किताब दे दूंगा..

मधुमक्खी रानी चिंची..... “आर्यमणि तो पहले से तुम्हारे इलाके में है। बस उसके प्राण ले लो। इसमें मैं तुम सबकी पूरी मदद करूंगी।

विजयदर्थ की प्रथम पुत्री हिमा..... “इस दूसरे ग्रह वाशी नायजो की दुश्मनी तो समझ में आती है। लेकिन रानी चिंचि आर्यमणि से तुम्हारी क्या दुश्मनी? तुम तो इनसे (नायजो) भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो, फिर आर्यमणि को अब तक मार क्यों नही पायी?

मधुमक्खी रानी चिंचि:– समस्त ब्रह्माण्ड में इकलौता वो भेड़िया ही है जो मेरे मृत्यु का राज जनता है। उसे पता नही था कि मैं इस दुनिया में आ चुकी हूं। और मैं चाहती भी नही की उसे पता चले। यदि वो मेरे पीछे पड़ गया तो मेरी मौत निश्चित है।

माया:– आह आर्यमणि… ये चीज क्या है... इतना सुना इसके बारे में की मुझे ब्रह्मांड का एक हिस्सा लांघकर पृथ्वी आना पड़ा...

निमेषदर्थ:– ये उतना भी खास नही था, जिसकी वजह से तुम्हे इतनी दूर आना पड़ता... बस हम सबकी मुलाकात नही हुई थी, इसलिए ये अब तक जिंदा बचा है।

माया:– जब वो खास नही फिर तुम्हे हमारी क्या जरूरत.. तुम्हे उस आर्यमणि की क्या जरूरत...

निमेषदर्थ:– उसके ब्लड में कमाल की हीलिंग है। उसके क्ला में कमाल की शक्तियां है। मैं बस एक्सपेरिमेंट करके उसके ब्लड और क्ला को कृत्रिम रूप से बनाने की चाहत रखता हूं...

माया:– खैर, मुझे कोई मतलब नहीं की तुम्हे उस आर्यमणि से क्या चाहिए... मुझे बस एक बात जाननी जरूरी है... पहला वो अनंत कीर्ति की किताब मुझे कैसे मिलेगी... क्योंकि जैसा की हम सबको पता है... तुम्हारे लोग या कोई भी बिना इजाजत के उसके दायरे में नहीं घुस सकता.. और जबसे तुम्हारी सौतेली बहन महाति ने उस पर जानलेवा हमला किया, तबसे तो उसने अपने पूरे पैक को सुरक्षा मंत्र से बांध लिया है...

निमेषदर्थ:– “हर बीमारी का इलाज होता है। जहां के घेरे में हम नही जा सकते वहां रानी चिंचि और बाज जा सकता है। वो बाज उनके नवजात शिशु को उठा सकता है... उसके पीछे आर्यमणि और उसका पैक व्याकुल होकर मंत्र के सुरक्षित घेरे से बाहर आ सकता है।”

“व्याकुल होने की परिस्थिति में वो अपने शरीर का सुरक्षा घेरा बनाना भूल सकता है। यह भी हो सकता है कि जब वो लोग अपने कॉटेज के बाहर हो तो अनंत कीर्ति की किताब कोई बाज अपने पंजे में दबा ले... होने को तो बहुत कुछ हो सकता है।”...

माया:– फिर तुम दोनो (निमेषदर्थ और चिंची) को मेरी क्या जरूरत? निमेषदर्थ तुम्हारे लोग एक बार तो आर्यमणि को लगभग मार ही चुके थे। बस उसके साथियों ने बचा लिया। इस बार सबको समाप्त कर देना।

माया की बात सुनकर रानी मधुमक्खी चिंची हंसने लगी। हंसी तो निमेषदर्थ और उसकी बहन हिमा की भी निकल गयी। निमेषदर्थ अपनी हंसी रोकते.... “अब मैं समझ सकता हूं कि क्यों तुम नायजो इतने शक्तिशाली और सुदृढ़ होते हुये भी वुल्फ के एक पैक को समाप्त नहीं कर पाये। अक्ल की ही कमी है जो तुमलोग अपने दुश्मन को समझ नही सके और तुम्हारे हर हमले के बाद वो आर्यमणि तुम सबको और करीब से जानने लगा।”

“मीटिंग के शुरवात से ही पूरी योजना बता रहा हूं, तब भी अंत में आते–आते वही बेवकूफी वाला सवाल कि तुम्हारी क्या जरूरत है। जबकि 4 बार तो खुद गला फाड़कर बोल चुकी हो कि हम आर्यमणि को तुम्हारे गोल घेरे तक लेकर आये और आगे का काम तुम कर दोगी।”

“रानी चिंचि पहले ही बता चुकी थी कि आर्यमणि को पता नही की वह दूसरी दुनिया से इस दुनिया में आ चुकी है। ऊपर से उसका पैक। सब इतने सुनियोजित ढंग से काम करते है कि इनपर किया गया रैंडम हमला भी हमला करने वालों पर भारी पड़ जाते है। तभी तो रानी चिंचि खुद अकेले आर्यमणि से नही भिड़ सकती थी, इसलिए उसका मामला वेमपायर प्रजाति से फंसा दी।”

“रही बात मेरी, तो काश मैं आर्यमणि को मार सकता। ये बात कुछ देर पहले भी बताया था अब भी बता रहा हूं, आर्यमणि के सर पर मेरे पिता का हाथ है। मैं क्या जलीय कोई जीव तक उसे हाथ नही लगा सकता, सिवाय एक प्रजाति के जिसकी चर्चा नही हो तो ज्यादा बेहतर है। ऊपर से इस अलौकिक भेड़िए की शारीरिक बदलाव।”

“पहली बार जब महाती ने आर्यमणि को घायल किया, उसके बाद तो उसके पूरे पैक ने हमारे हर अंदुरिनी वार का इम्यून विकसित कर लिया। और ये इम्यून केवल एक बड़े से समुद्री जीव के इलाज से उन लोगों ने पा लिया। उसके बाद तो तुम सोच भी नही सकते की उन्होंने कितने प्रकार के समुद्री जीव का इलाज कर दिया। मुझे तो लगता है इन भेड़ियों के पास उस प्रजाति के विष का भी तोड़ होगा जो हमारी दुनिया के मालिक कहलाते है।”

“जैसे तुम नायजो वाले के नजरों वार को देखा और महसूस किया जा सकता है, उसके विपरीत हमारे नजरों के वार को महसूस तक नही कर सकते। मैने अपने सबसे काबिल सिपाहियों के समूह से एक साथ उसके पूरे पैक पर नजरों का हमला करवाया, लेकिन उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ा। उल्टा उस आर्यमणि को मेरे पिताजी पर शक हो गया”...

माया:– अभी–अभी तो तुमने कहा था तुम्हारे नजरों के वार किसी को पता नही चलता...

निमेषदर्थ:– हां लेकिन भेड़िए का खून बता देता है कि उसके शरीर में टॉक्सिक गया है...

माया:– तो तुम्हे आर्यमणि जिंदा चाहिए या केवल उसका खून...

निमेषदर्थ:– ए पागल, केवल खून लेकर उसे जिंदा छोड़ दिया तो क्या वो हमे जिंदा छोड़ेगा? इस काम को हमे मिलकर अंजाम देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा की आर्यमणि मारा गया। वरना वो यदि जिंदा बच गया तो अभी सिर्फ अल्फा पैक को हमने देखा है बाद में सात्विक आश्रम के अनुयाई के साथ वो लड़ने आयेगा। और विश्वास मानो आर्यमणि जैसे नायक के साथ जब सात्त्विक आश्रम के 100 अनुयाई भी खड़े हो तो जिसे मारने का सोचकर आये होंगे, उनकी मृत्यु अटल होगी

माया:– अब इतनी भी क्या समीक्षा करना। इस काम को हम तीनो मिलकर अंजाम देंगे और अपने–अपने लक्ष्य में कामयाब रहेंगे।

निमेषदर्थ:– फिर ये एहसान रहेगा तुम दोनो का... उसके खून का लाभ तुम सबको भी मिलेगा...

माया:– ये तो एक और अच्छी बात हो गयी। मैं आर्यमणि को मारने के लिये मैं बेचैन हो रही हूं। कब शुरू करना है..

निमेषदर्थ:– अभी आराम से यहीं रहते है... आइलैंड से सही वक्त की सूचना आ जाने दो... अभी तो आर्यमणि की बेटी के जन्म के कारण पूरा आइलैंड भरा हुआ है.. सबकी मौजूदगी में ये काम करने गये तो मेरे पिताजी से हम सबको भिड़ना पड़ जायेगा। इसलिए जोश को शांत रखो।

ये गिद्ध अपने शिकार पर शिकंजा कसने को तैयार थे, बस सही वक्त का इंतजार कर रहे थे। और इन सब से बेखबर, आर्यमणि और उसका पैक अपनी खुशियों में गुम था। सात दिन बाद अमेया पहली बार उस कॉटेज से बाहर आ रही थी। आर्यमणि अपने गोद में अपनी नन्ही गुड़िया को लिटाए जैसे ही बाहर आया... शेर माटुका और उसका पूरा झुंड दौड़कर घेर लिया…

आर्यमणि नीचे बैठकर अमेया को बीच में रखा। शेर का पूरा झुंड उसे देखकर दहाड़ लगा रहा था। अपने मुंह को अमेया के पास ले जाकर उसे प्यार से स्पर्श कर रहे थे। थोड़ी ही देर बाद विजयदर्थ भी अपने सभी लोगों के साथ पहुंचा... आते ही आमेया को अपनी गोद में उठाकर जैसे ही अपने सीने से लगाया, गहरी श्वास खींचते सुकून भरी स्वांस छोड़ा। आंख मूंदकर कुछ देर तक अपने सीने से लगाने के बाद विजयदर्थ ने गले से एक हार निकालकर अमेया को पहना दिया...

उसकी बेटी महाती आश्चर्य से अपने पिता को देखती... "ये तो दुर्लभ पत्थर वाली हार है न पिताजी... आपने इसे"..

विजयदर्थ, अमेया को महाती के हाथ में देते... "इसे सीने से लगाओ, फिर अपनी बात कहना”... जैसे ही महाती ने उसे सीने से लगाया, उसकी मुस्कान चेहरे पर फैल गयी। अपने पिता की तरह उसने भी अमेया को कुछ देर तक सीने से लगाये रखी। बाद में वह भी अपने गले का एक दुर्लभ हार निकालकर अमेया के गले में डाल दी”...

आर्यमणि:– अरे अमेया इतने सारे हार का क्या करेगी...

विजयदर्थ:– अमेया योग्य है इसलिए इसके गले में है... इसकी धड़कन कमाल की है। मैने कुछ पल में जो खुद में सुकून महसूस किया उसका वर्णन नही कर सकता। ऐसे सुकून पाने के लिये ना जाने हमारे पूर्वज कितने यज्ञ और हवन करवाते थे। मैने खुद कितने यज्ञ करवाए हैं।

अलबेली अजीब सा चेहरा बनाती... "यह कोई इतनी बड़ी वजह तो नही हुई की दुर्लभ पत्थर से लाद दे मेरी बच्ची को”...

महाती:– ये तुम्हारी नही बल्कि हम सबकी बच्ची है और अपने बच्ची को मैं कुछ भी दे सकती हूं। इसके लिये किसी वजह की जरूरत नहीं।

फिर तो जैसे हर जलीय मानव अमेया को गोद में उठाने को बेताब हो गये हो। आर्यमणि और रूही ने भी किसी को निराश नहीं किया। वहीं अलबेली और इवान बड़े–बड़े बॉक्स लाकर रख दिया... हर कोई उसी में अपना भेंट डाल देता...

सुबह से शाम हो गयी लेकिन अब भी बहुत से लोग लाइन लगाए खड़े थे... शाम ढलते ही आर्यमणि सबसे माफी मांगते सबके साथ पर्वत पर चल दिया... वहां सोधक बच्ची चहकीली महासागर के किनारे लेटी थी। मात्र उसका सिर पानी के बाहर था... आर्यमणि और रूही जोड़ से आवाज लगाए.… चाहकिली... चाहकिली…"

वो अपना मुंह दूसरी ओर घुमा ली। फिर माटुक शेर बाहर आया और रूही को धक्के मारने लगा.. रूही, अमेया को दोनो हथेली में थामकर ऊपर आकाश में की और माटुका ने तेज दहाड़ लगाया... माटुका की दहाड़ पर चहकिली अपना सिर वापस घुमाई और जैसे ही उसने अमेया को देखा... बिलकुल लहराती खुद को हवा में ऊपर उछाल ली। एक तो सकड़ों मीटर जितना लंबा शरीर ऊपर से वो हवा में 2–3 किलोमीटर ऊपर तक छलांग लगा दी।

खुशी ऐसी की संभाले नहीं संभल रहा था। चाहकीली उछलती चहकती अपना बड़ा सा सर ठीक अमेया के सामने ले आयी… जैसे कोई इंसान अपने सिर को हिलाकर बच्चे को हंसाने की कोशिश करता है ठीक वैसे ही चहकिली कर रही थी। तभी एक बार फिर अमेया की किलकारी सबने सुनी। चहकीली तो खुशी से एक बार फिर हवा में छलांग लगाकर छप से पानी ने गिड़ी।

चहकीली अपने छोटे 3–4 फिट के पंख को खोलती अपने सिर से इशारा करने लगी। किसी को समझ में नहीं आया। उसने एक बार फिर अपना सिर हिलाकर इशारा किया लेकिन किसी को कुछ समझ में ही नही आया। तब मटुका अपने सिर से चारो को धकेला... "अच्छा चाहकिली हम सबको अपने ऊपर बैठने कह रही है।"…

आर्यमणि, चहकिली की खुशी को देखते सवार हो गया। उसके साथ बाकी सब लोग भी सवार हो गये। जैसे ही वो लोग सवार हुये, चहकिली ने अपने पंख में सबको मानो लॉक कर दिया हो। रूही ने अमेया को चहकिली के ऊपर रख दी। इस वक्त जैसे कोई सांप सीधा रहता है चाहकिली भी ठीक वैसे ही थी। जैसे ही उसने अपने पंख पर अमेया को महसूस की अपना गर्दन मोड़कर पीछे करती बड़े प्यार से देखने लगी और पंख से उसे दुलार करने लगी।

आर्यमणि:– चहकिली अब चहकना मत वरना हमारा कचूमर बन जायेगा...

चहकिली बड़ा सा मुंह खोलकर हंसती हुई महासागर के ओर चल दी। रूही, इवान और अलबेली का तो कलेजा धक–धक करने लगा। आर्यमणि उन्हे हौसला देते बस शांत रहने का इशारा किया और ये गोता खाकर सभी पानी के अंदर... रूही पूरी तरह से परेशान होकर छटपटाने लगी। वह अपनी बच्ची को देखने लगी.… "तुमलोग कितना परेशान हो रहे... मेरी बहना को देखो कैसे हंस रही है।"…

रूही, अलबेली और इवान, यह आवाज सुनकर चौंक गये। उन्हे लग रहा था की उनका दम घुट जायेगा, लेकिन मुंह और नाक से घुसता हुआ पानी कान के पीछे से निकल रहा था और वहीं से श्वांस भी ले रहे थे। तीनो मुंह खोलकर कुछ बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन किसी की आवाज नही निकल रही थी... "अरे शांत हो जाओ और आर्यमणि चाचू से पूछो कैसे बात करना है।"..
Nice update
 
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