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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–159


रूही, अलबेली और इवान, यह आवाज सुनकर चौंक गये। उन्हे लग रहा था की उनका दम घुट जायेगा, लेकिन मुंह और नाक से घुसता हुआ पानी कान के पीछे से निकल रहा था और वहीं से श्वांस भी ले रहे थे। तीनो मुंह खोलकर कुछ बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन किसी की आवाज नही निकल रही थी... "अरे शांत हो जाओ और आर्यमणि चाचू से पूछो कैसे बात करना है।"..

तीनो ही आर्यमणि के ओर देखकर फिर से मुंह खोले और हाथ से सवालिया इशारा करने लगे... "अरे जो भी कहना है अपने मन में कहो... पानी में ऐसे ही बात होगी। और ये आवाज चहकिली की है। इसके दर्द के साथ हमने इसकी भाषा को भी अपने अंदर समा लिया था।"

रूही:– चहकिली पानी में मेरी बच्ची को मत रखो। अभी वो मात्र 7 दिन की ही तो है...

चहकिली:– अरे वो बड़बोली महाती ने आप सबको अब ठीक वैसा प्राणी बना दिया जैसा हम सब है। समझिए अब आप सब भी पानी के इंसान हुये। अब भला मछली के बच्चे को पानी से कैसा खतरा होगा...

रूही:– लेकिन मेरी अमेया..

चहकिली:– मतलब मैं अपनी प्यारी बहन को तकलीफ पहुंचाऊंगी... ये तो मेरी प्यारी है... आप देखो तो कितनी खुश है वो... उसकी चहकती किलकारी मेरे कानो में आ रही है... आप सब भी शांत रहो तो सुन सकते है..

सभी शांत हो गये। और जब शांत हुए तब वो सब भी अमेया की आवाज सुन सकते थे। सबके चेहरे पर मुस्कान फैल गई। सभी अमेया को ही देख रहे थे।

आर्यमणि:– चहकिली हम जा कहां रहे हैं?

चहकिली:– बहुत लंबा सफर होने वाला है इसलिए बस अपने आस पास के मनमोहक नजरों का मजा लीजिए और ये हम आ गये है शार्क की बस्ती में...

"शार्क"… ”शार्क”… ”शार्क”… रूही, अलबेली, इवान तीनो एक साथ चौंकते हुए कहने लगे...

आर्यमणि:– इनसे हमें कोई खतरा अलबेली...

चहकिली:– आप भूल रहे है कि आप लोग एक सोधक के साथ है। आपको विजयदर्थ और उसकी सेना से खतरा नही, फिर तो उनके सामने इनका कोई वजूद ही नही। आप खुदको पानी का इंसान मानिए.. जो आप वहां ऊपर कर सकते है वही यहां भी... इसलिए चिंता को मरिए गोली...

अलबेली:– चहकिली, विजयदर्थ भी जब तुम्हारा कुछ नही बिगाड सकता फिर तुम्हारी प्रजाति आज खतरे में क्यों है...

चहकिली:– मैं तो बच्ची हूं.. अभी तो मेरा पहला चक्र का शुरवात ही हुआ है, इसलिए इस विषय पर कुछ कह नही सकते। वैसे भी मैं सिर्फ आप लोगों से ही बात कर पा रही हूं, यहां के मानव से तो बात भी नहीं होता। अभी यहां रुक कर शार्क को देखना है क्या?

अलबेली:– देख ही रही हूं... और देख कर फट भी रही है...

चहकिली:– रुको मैं इनकी फाड़ती हूं...

अपनी बात कहती चाहकील ने एक तेज आवाज लगाई... इस बार वाकई चहकिली ने अपना मुंह खोला था। आवाज तो कुछ नही आयी, लेकिन पानी में ऐसा तरंग उत्पन्न हुआ कि सभी शार्क दुबक गई। चहकिली इधर लहराती, उधर बलखाती पानी के अंदर काफी तेजी से चल रही थी।

चहकिली:– आप सब अब घुसने जा रहे हैं बच्चों के शहर..

"बच्चों के शहर"… सबने लगभग एक साथ कहा..

चहकिली:– जी हां सही सुना, बच्चों के शहर... यहां के जीव इतने छोटे ऊपर से इतने पारदर्शी होते है कि दिखे ही न। एक क्या जब ये 100 की झुंड में रहते हैं तो भी नही दिखते। केवल जब ये लोग अपना मुंह खोलते हैं, तभी दिखते है।

आर्यमणि:– मुंह खोलने से दिख जाते है।

चहकिली:– अरे इतने सवाल क्यों पूछ रहे, पहुंच तो गये उनके शहर। खुद ही देख लो.…

अलबेली:– हां लेकिन यहां क्या देखना है??? कुछ दिख रहा है... क्यायायायायाया..

"अमेयायायायायाया…."… रूही की जोरदार चींख , जो मुंह से आवाज बनकर तो नही निकला, लेकिन उसकी प्रतिक्रिया ही कुछ ऐसी थी.…

आर्यमणि तो रूही से भी ज्यादा व्याकुल... उसने अपना पंजा ठीक वैसा ही रखा, जैसा भूमि के अंदर घुसकर भूमि से जड़ों के रेशों को निकालने के लिये करता था... हुआ ये कि जैसे ही ये लोग बच्चों के शहर पहुंचे, ठीक उसी वक्त अमेया, चहकिली के पंख से छूट गई और बड़ी तेजी से वो तैरती हुई कहीं गायब हो गयी.…

सबकी चींख एक साथ निकल गयी। और इधर आर्यमणि तो बौखलाकर जैसे पानी को कमांड देने की कोशिश कर रहा हो। हालांकि आर्यमणि के ऐसा करने से कुछ हुआ तो नही सिवाय पानी में कुछ क्रिस्टल जैसा पैदा होने के, लेकिन फिर भी आर्यमणि कोशिश कर रहा था। अभी सदमे से उबर नहीं पाए थे, अब सब के सब हैरानी से आश्चर्य में पड़े हुए थे...

अमेया, एक पल बाएं तो अगले पल पल गायब। नजर घुमाकर देखे तो कब वो बाएं से दाएं पहुंची, कोई इल्म नहीं। हां लेकिन सब इसलिए शांत थे, क्योंकि अमेया की किलकारी उन सबके मस्तिष्क में गूंज रही थी। ऐसी प्यारी हंसी की सबका मन मोह रही थी।

रूही:– चहकिली जान निकाल दिया तुमने। ऐसा कोई करता है क्या?

चहकिली:– माफ कर दो मुझे। ये नन्हे जीव बड़े शरारती हैं। इनपर किसी का जोड़ नही चलता। मेरे पंख खोलकर अमेया को ले गये। वैसे चिंता जैसी बात होती तो क्या मैं इस ओर अमेया को लेकर आती?

आर्यमणि:– अब बहुत हुआ चहकिली, उन्हे कहो अभी मेरी बच्ची को यहां लेकर आये...

चहकिली:– वो आपको सुन सकते है।

आर्यमणि:– कौन?

तभी सामने सिल्वर रंग के करोड़ों दांत चमकने लगे। सबने जब गौर से देखा तब पाया की धुएं के रंग के कोई बहुत ही छोटा जीव है, जो दिखने में हु–बहु उजले रंग का घोस्ट इमोजी की तरह दिख रहा था। एक इंच का पूरा आकार। नीचे छोटा सा पूंछ और ऊपर का बदन गोल आकार का। और एक इंच के आकार वाले छोटे से जीव के मुंह में ऊपर और नीचे आधे इंच के दांत रहे होंगे। दिखने में बिलकुल चांदी के रंग का और चमकता हुआ। मुंह में करीब 30 दांत होंगे जो बिलकुल नुकीले और धारदार थे। दांत इतने नुकीले और धारदार थे की मोटे से मोटे मेटल के परत को फाड़ कर रख दे।

हवा में करोड़ों ऐसे दांत एक साथ ऊपर से लेकर नीचे तक चमक रहे थे। उन चमकते दांत के ठीक मध्य से उन जीवों का 1000 का झुंड अमेया को उन तक पहुंचा रहा था। सभी कोई जितने हैरान उतने ही ज्यादा प्रसन्न भी थे। अमेया के प्रति इन छोटे जीव का प्रेम देखकर सभी खुश हो गये। उस माहोल में इकलौता आर्यमणि ही था जिनसे ये छोटे पिद्दी जैसे जीव बात कर रहे थे। आर्यमणि उनकी बात समझ भी रहा था और सबको समझा भी रहा था।

चलने से पहले आर्यमणि और उसके पैक ने उन सब जीवों को एक साथ हील किया। मेटल टूट के शारीरिक जितने भी दर्द थे उन्हें महसूस किया। और जब वहां से इनका कारवां आगे बढ़ने लगा तब आर्यमणि इन्हे "मेटल टूथ" नाम देता चला।

महासागर के अंदर एक अलग ही दुनिया बसती थी। यहां रंग बिरंगे मछलियों और अन्य जलीय जीव जिनके बारे में पढ़ते हैं, उनके अलावा भी कई सारी दुर्लभ प्रजातियां थी, जिनका इल्म पृथ्वी पर रहने वाले किसी भी प्रकार के शोधकर्ता के पास नही था। चहकिली कई प्रकार के जीवों के बस्ती से गुजरी।… फिर वो 6 पाऊं वाले स्तनपाई जीव हो जो दिखने में चींटी की तरह थे, लेकिन उनका आकार हाथी जितना बड़ा था। या फिर तल के नीचे घोंसला बनाकर रहने वाले सूंढ वाले जीव हो, जिनका शरीर तो नही दिखता लेकिन तल के नीचे से गोल गड्ढा बनाकर अपने सूंढ जरूर बाहर निकले रहते थे।

भ्रमण करते हुये ये लोग पहुंच चुके थे, पाताल लोक के दरवाजे पर। 5 फन वाला सांप का का विशाल देश, जो महासागर के अपने हिस्से से कहीं जाते ही नही थे और कोई इनके क्षेत्र में घुस जाए ऐसा संभव नही था। जैसा की चहकिली ने यात्रा के दौरान वर्णन किया। ऐसे अलौकिक शेषनागों के दरवाजे तक आकर भला उन्हे देखे बिना कैसे जा सकते थे।

शेषनाग की सीमा के अंदर तो नही जा सकते थे इसलिए सीमा पर ही खड़े होकर उन्हें देखने लगे। काफी रंग बिरंगे और मनमोहक जीव थे। आर्यमणि को उन्हे करीब से जानने की जिज्ञासा हुई। अनायास ही उसके कदम आगे बढ़ गये किंतु वह सीमा के अंदर प्रवेश करता, उस से पहले ही कई सारे 5 फन वाले नाग कतार लगाकर अपना फन फैला लिया। सभी एक कतार में अपने फन से ना का इशारा करते हुये आर्यमणि को अंदर आने से रोकने लगे...

रूही, आर्यमणि को खींचती हुई उसे पीछे हटने कही। वहीं अपनी दूसरी हथेली से सांप के ओर इशारा करती... "हम बस आपको देख रहे थे। आपके क्षेत्र में दखल अंदाजी करने का जरा भी इरादा नहीं था"…

इधर रूही जैसे ही अपना पंजा दिखाकर बात करने लगी, सांप अपने फन घुमाकर जैसे एक दूसरे को घूर रहे थे। अचानक ही उस माहोल में सांपों की अजीब सी फुंफकार गूंजने लगी। अलबेली और इवान, आर्यमणि और रूही को पीछे खिंचते... "चलो यहां से, ये जगह काफी खतरनाक लग रही"…

इवान अपनी बात समाप्त भी नही किया था इतने में ही दरवाजा घेरे सांपों ने बीच से ऐसे रास्ता खोला जैसे सबको अंदर बुला रहे हो। उफ्फ आंखों के आगे क्या हैरतंगेज नजारा था..... ऐसा लग रहा था जैसे कई किलोमीटर भूमि पर किसी ने खेती किया है। चारो ओर फसल लहलहा रही थी और ठीक मध्य से फसलों को काटकर एक छोटा सा रास्ता बना दिया गया था। यहां का नजारा भी ठीक ऐसा ही था। बस फसल की जगह सांप के फन लहरा रहे थे, जिनकी बिंदी जैसी नीली आंखें चमक रही थी...

रूही, इवान और अलबेली, तीनो ही आर्यमणि को देखने लगे। आर्यमणि मुस्कुराते हुए अपना पहला कदम आगे बढ़ाया। इस बार कोई रास्ता नही रोक रहा था। आर्यमणि अपने दाएं–बाएं फन फैलाए शेषनाग को देखते बढ़ रहा था और पीछे–पीछे उसका पूरा पैक... रास्ते के सबसे आखरी में काली वीराना खाली मैदान था, जिसके ठीक मध्य में कुछ चमक रहा था, पर उसे भेड़िए की नजर से भी देख पाना सम्भव नही था।

उस काले वीराने रण में ले जाने के लिये 7 फन वाला सांप आगे आया। ये बाकी 5 फन वाले सांपो से अलग था। सुनहरा रंग और उसका बदन इतना चमक रहा था कि आस–पास के तल को देखा जा सकता था। वह सांप आगे–आगे चला और उसके पीछे आर्यमणि और उसका पूरा पैक।

ठीक मध्य में जब वो पहुंचे, उन्हे एक मानव दिखा। उस मानव के नीचे का हिस्सा सांप के पूंछ जैसा था और कमर के ऊपर पेट से लेकर सिर तक, इंसानी रूप। अर्ध–शर्प अर्ध–इंसान दिखने वाला वो आदमी एक आसान पर विराजमान था। चेहरा पर तेज और होटों पर मुस्कान थी। वहीं उसके नाग वाला हिस्सा बिलकुल काले ग्रेनाइट पत्थर जैसा दिख रहा था, बिलकुल चमकता और शख्त… उनके आस पास, उन्ही की तरह अर्ध–शर्प अर्ध–इंसान दिखने वाली अप्सराएं थी।

वह आदमी अपना परिचय देते... "मेरा नाम नभीमन है। मै शेषनाग का वंशज हूं और सम्पूर्ण पाताल लोक का शासक, अपने राज्य में तुम्हारा स्वागत करता हूं।"…

आर्यमणि:– आप पाताल लोक के शासक है, फिर वो विजयदर्थ...

नभीमन:– विजय पूरे महासागर को देखता है और मैं पूरे पाताल लोक को...

अलबेली:– दोनो में अंतर क्या है महाराज?

नभीमन:– यहां रहकर खुद जान लो। मैं तुम सबको पाताल लोक में रहने का आमंत्रण देता हूं।

आर्यमणि:– देखिए नभीमन जी हम पृथ्वी पर ही अच्छे हैं।

नभीमन के पास खड़ी अप्सराएं फुफकार मारती, अपना आधा धर लहराकर अल्फा पैक के ठीक सामने। सभी का गुस्से से लाल चेहरा अल्फा पैक देख सकते थे.… "इन्हे नाम से पुकाड़ने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"

नभीमन:– सेविकाओं पीछे आओ… न तो मैं इनका राजा हूं और न ही ये मेरे अधीन है। माफ करना तुमलोग.. आम तौर पर ये सभी सुंदरियां शांत रहती है। खैर वो सब जाने दो और मुझे ये बताओ, तुम सब अपने जमीन से इतने नीचे कैसे आ गये...

रूही:– शोधक प्रजाति की एक बच्ची है, चहकिली... वही हमे घूमाने ले आयी…

नभीमन, अपने दोनो हाथ से नमन करते... "वो गहरे महासागर के जीव नही बल्कि ये लोग तो मां समान है। सम्पूर्ण जलीय जीव के पोषणकर्ता... गहरे तल के कचरे को अपने अंदर समाकर, पोषक तत्व बदले में देने वाली.. कोई संशय नहीं की वो तुम्हे यहां क्यों लेकर आयी…

आर्यमणि:– क्यों लेकर आयी…

तभी कहीं बहुत दूर से चहकिली की आवाज आयी… "आप हमारे महाराज का थोड़ा दर्द ले लीजिए... वह बहुत पीड़ा में है।"…

रूही:– मुझे लगा की आपने अपने दिव्य दृष्टि से मुझमें कुछ खास देखा होगा, लेकिन यहां तो चहकिली ने चुगली कर दी थी। वैसे क्या आपके पास कोई ऐसी अलौकिक शक्ति नही जिस से आप स्वयं को ठीक कर सके?

इवान:– हां आपके पास तो बहुत सी दिव्य शक्तियां होनी चाहिए...

नभीमन:– दिव्य शक्ति !!!! हाहाहाहाहा… न जाने कितने ही इंसानों ने ऐसी शक्तियों के तलाश में कितनी जिंदगियां तबाह कर डाली। पाताल के गर्भ की कई शक्तियों को तो तपस्वी मनुष्य अपने साथ ले गये। और अंत में क्या हुआ... स्वयं ईश्वर को अवतार लेकर उन शक्तियों को नष्ट करना पड़ा... हम तो अकींचन साधु है, जिसके पास अब कुछ नही बचा। हां थोड़ी बहुत मणि की शक्ति है, लेकिन अब वो भी धूमिल होती जा रही है। मणि अब इतना कमजोर हो गया है कि मैं अब हमेशा पीड़ा में ही रहता हूं...

आर्यमणि:– चहकिली मुझे यहां तक लेकर आयी है, इसकी जरूर कोई वजह रही होगी। मैं आपकी कैसे मदद कर सकता हूं?

नभीमन:– कई हजार वर्ष पूर्व मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी थी। मैं ताकत की चाहत में भटक गया था और गुरु वशिष्ठ के रक्षक मणि को उनके गांव के गर्भ गृह से चुरा लाया। रक्षक मणि ने मुझे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद तो की, लेकिन मैं कभी चैन से जी नही पाया। मैं चाहता हूं वो मणि तुम उसके सही जगह तक पहुंचा दो...

आर्यमणि:– और वो सही जगह कहां है?..

नभीमन:– चहकिली को पता है...

आर्यमणि:– हम्मम... ठीक है। यादि आपकी पीड़ा इस से दूर होती है तो मैं तैयार हूं...

आर्यमणि की बात सुनकर नभीमन का चेहरे पर मुस्कान फैल गई। एक विजयि कुटिल मुस्कान जो नभीमन के चेहरे पर साफ झलक रही थी। नभीमन की हंसी तब तक बनी रही जबतक एक छोटी सी पोटली लिये, उसकी एक दासी आर्यमणि के पास नही पहुंच गयी।

वह दासी आर्यमणि के ओर पोटली बढ़ा दी और नभीमन किसी प्राचीन भाषा में एक मंत्र बोलकर, आर्यमणि को 5 बार उस मंत्र को पहले दोहराने कहा और बाद में वो पोटली लेने.… आर्यमणि भी 5 बार उस मंत्र को दोहराकर पोटली जैसे ही अपने हाथ में लिया, चारो ओर से उसे फन फैलाए सापों ने घेर लिया।

 

nain11ster

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शानदार अपडेट नैन भाई
Thanks Froog bhai
 

Sushilnkt

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Ye kya bala hai


Lgta fir koi nayi smsyaa aa gayi hai
 

nain11ster

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Fabulous excellent fantastic update बड़े भाई ❤️😍😘❤️❤️😍😍❤️❤️❤️❤️😘❤️😘❤️❤️❤️❤️😘😘❤️❤️😍❤️😍😍😘😘😍❤️😍😘😘😘


Yaha arya ने iskw tod to inkal liya hey...

Aur is jiv ke andar to itne jada matra mey toxic nikal raha hey ki inko nhi lene mey dikat arahi hey...

Aur is jiv ne aisa kya nigaal luya thw ki itne paimane par lohe ks scrap nikal raha hey....

Jo last mey nikala hey ohhh sala itna bada hey ki vhi jane ki ohh sala क्या nigal gayw था....

Aur thik hone ke bad to Seth ne full to kalakari rikhwte huve अपनी khushi jahir kiyi hey.... ❤️😍😍

Aur ohhh ruhi ke pet पर apne pankh ko lagake bohot hi khush jlnajar aarela hey aur andar ki ameya bhi bohot ही khush najar areli hey ❤️❤️😍😍😍😍😍

Aur ye जलपरी और ये उनका सरदार jalpara bhi इनके fencing ki pass agye hey...

Ab dekhte hey in bhai log ki kya समस्या hey जो idher ka rasta napete huve ayele hey bhidu log.....

😍❤️😘❤️😍😍❤️😘😘❤️❤️😍😍😍😘😘😍😍😍😘😘❤️😍😍❤️❤️❤️😍😍😍😍😘😘😍😍❤️😍😍😘😘😘😘❤️❤️❤️❤️😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😍😘❤️❤️❤️😘😘😘😘😘😘
Fantastic fabulous excellent update bade bhai 😍😘😘😘😘😍😍😍😍😍😍😘😘❤️😘😘😘😘😍😍😘😘❤️❤️😍😍❤️❤️

Ye lafarjhandis राजा क्या चाल चल रहा हे ये dogala पण दिखा रहा हे क्या....

Kya ohh वहीं राजा hey क्या जो nichal को ulvaha मिला था समन्दर mey.. Meko to vahi लगता hey सला कुछ तो किया होगा lafarjhandis ने आर्या को यहा rasnae के वास्ते....

Aur yaha पर रूही ने तो बोलते बोलते ameya को जन्म dediya hey...

आर्या को भी उसी time पता चला गया था जो अंदर आया था...

Aur ye log कितना नाटक karleli हे...
Yaha आर्या ने भी अपनी खुशी आचार्य जी और apasyu के साथ संजा कर डाली हे और...

और आचार्य जी ने भी ameya केलिए ओह पत्थरों का प्यारा उसके लिए भेज राजी हे उसके बाद ही उसको बाहर लेके जाने का हे...

Ye सब यहा के जीव भी बाहर आगए हे ameya को देखे ने के वास्ते...

❤️😍😘😘😘😘😍❤️❤️❤️😍😘😘😘😍❤️❤️😍😘😘❤️😘❤️❤️❤️❤️❤️❤️😘😍😍😍😍❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️😍😘😘😘😘😘😘❤️
Bahut loche lapache hone Wale hain is adhyay me Andy bhai.... Bus dhyan banaye rakhiye... Abhi to jalpari aur para mila hai .. abhi poora Sagar baki hai
 

nain11ster

Prime
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Ye kya bala hai


Lgta fir koi nayi smsyaa aa gayi hai
Bina samsya ke kahani kaise aage badhegi... Haan par is baar ki samasya thodi gambhir hone wali hai shushilnkt bro
 
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