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Incest Baadshah ~ The Tales of Debauchery

Kya Veer apni life behtar kar paega ya sab kuch kho baithega?

  • Veer Baadshah banega

    Votes: 1,367 83.2%
  • Sab kuch kho baithega

    Votes: 27 1.6%
  • Kuch paega toh kuch khoega

    Votes: 214 13.0%
  • Kuch nahi bann paega

    Votes: 36 2.2%

  • Total voters
    1,644

Werewolf

ℌ𝔲𝔫𝔱𝔢𝔯
Supreme
14,986
103,535
259

Sandeep singh nirwan

Jindgi na milegi dobara....
11,247
71,127
259
Partikhsa agle updateki dhekna h ki kitne teer udte huve veer ki tarafayenge sur kaise wo bachega kyoki har teer katil hasinao ke husan ka hoga
 
10,313
43,241
258
संजीव उर्फ स्लोगन की मृत्यु उसी खाई में गिर कर हुई जहां उसकी नन्ही परी की हुई थी । बहुत दुखद क्षण था वो पल ।

यह पहला कहानी पढ़ रहा हूं जहां विलेन मरते मरते नायक जैसे प्रतीत होने लगे । पहले आतिश और अब स्लोगन । लोग खलनायक के मृत्यु पर खुशी इजहार करते हैं पर हम इनके मृत्यु पर दुःख महसूस कर रहे हैं । यह हमारे राइटर्स साहब की अद्भुत लेखनी की वजह से सम्भव हो पाया । पहले स्वाति की मौत , उसके बाद उसके पिता संजीव की मौत , बहुत बहुत ज्यादा इमोशनल था । आउटस्टैंडिंग वेयरवोल्फ भाई ।

स्लोगन ने बदले की आग में अपना विवेक खो दिया था । स्वाति की मृत्यु में काइरा का भला क्या दोष ! वो भी तो स्वाति की तरह एक नन्ही सी बच्ची थी । अगर किसी की गलती थी तो किशोर की ।
पर एक तरह से देखा जाए तो किशोर की भी पूरी गलती नहीं थी । वह किसी एक लड़की को ही बचा सकता था और उसने अपनी बच्ची को इसके लिए चुना । अपनी औलाद सभी को प्यारी होती है । अगर उस सिचुएशन में संजीव फंसा होता तो वो भी वही करता जो किशोर ने किया था । वह एक दुर्घटना था ।
लेकिन उसकी पत्नी की मृत्यु दुर्घटना नहीं थी । सुधा की कायराना हरकत थी । जब उसका पति सही सलामत था तो फिर उसे सुसाइड करने की क्या जरूरत थी !
मेरा मानना है कि मां बाप के सामने उनके संतानों की मौत होनी ही नहीं चाहिए पर अगर होना ही है तो बाल्यावस्था में ही हो जाए । ताकि उनकी ज्यादा यादें न सहेज सकें वो । किशोरावस्था और जवानी में तो मृत्यु कदाचित होना ही नहीं चाहिए । ऐसी उम्र में हुई बच्चों की मौत मां बाप मरते दम तक नहीं भूल सकते । वो बस , जिंदा लाश की तरह हो जाते हैं ।
( रावण के तीन सपने जो वो पुरा नही कर सका , उनमें एक यह भी था )

स्लोगन किशोर को जान से मार देता , हमें कोई फर्क नहीं पड़ता । बल्कि वो अभी भी उस खाई से बाहर निकल कर , फिर से जिंदा होकर किशोर को मार डाले , हमें कोई परवाह नहीं लेकिन , काइरा के पीछे पड़ना उसकी भारी गलती थी । ऐसा ही गलती आतिश ने भी की थी । और नतीजा दोनों प्रभू के प्यारे हो गए ।

मैथ्यू और वीर का फाइट एक और कहानी का लाइमलाईट रहा । जबर्दस्त लिखा आपने ।
एक्सन और थ्रिल के अलावा इमोशन्स से भरा हुआ अपडेट्स था हालिया के कुछ अपडेट्स । और काफी लम्बे लम्बे अपडेट्स भी थे । बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ता है लम्बे अपडेट्स लिखने में । इसके लिए आपको साधुवाद ।

जिस वक्त स्लोगन की मृत्यु हो रही थी उस दौरान एक युवा लड़की की छाया भी वहां मौजूद थीं । मुझे लगता है वो वही लड़की होगी जो कार में स्लोगन के साथ बैठी थी । वो कौन थी , इसका राज अभी खुला नहीं है । पर वो जरूर स्लोगन की प्रिय रही होगी ।
और मुझे लगता है " हाऊस आफ किलर " की जन्मदात्री वही अजनबी लड़की होगी । बेहतर आप ही बता सकते हैं ।

होली का पर्व भी आ गया है । भाभी और देवर की होली सबसे ज्यादा प्रचलित है और लगता है इस बार रागिनी के उपर काफी गहरा रंग डालने वाला है वीर । ऐसा रंग जो उनके दामन पर लगे ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे वेयरवोल्फ भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 
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