संजीव उर्फ स्लोगन की मृत्यु उसी खाई में गिर कर हुई जहां उसकी नन्ही परी की हुई थी । बहुत दुखद क्षण था वो पल ।
यह पहला कहानी पढ़ रहा हूं जहां विलेन मरते मरते नायक जैसे प्रतीत होने लगे । पहले आतिश और अब स्लोगन । लोग खलनायक के मृत्यु पर खुशी इजहार करते हैं पर हम इनके मृत्यु पर दुःख महसूस कर रहे हैं । यह हमारे राइटर्स साहब की अद्भुत लेखनी की वजह से सम्भव हो पाया । पहले स्वाति की मौत , उसके बाद उसके पिता संजीव की मौत , बहुत बहुत ज्यादा इमोशनल था । आउटस्टैंडिंग वेयरवोल्फ भाई ।
स्लोगन ने बदले की आग में अपना विवेक खो दिया था । स्वाति की मृत्यु में काइरा का भला क्या दोष ! वो भी तो स्वाति की तरह एक नन्ही सी बच्ची थी । अगर किसी की गलती थी तो किशोर की ।
पर एक तरह से देखा जाए तो किशोर की भी पूरी गलती नहीं थी । वह किसी एक लड़की को ही बचा सकता था और उसने अपनी बच्ची को इसके लिए चुना । अपनी औलाद सभी को प्यारी होती है । अगर उस सिचुएशन में संजीव फंसा होता तो वो भी वही करता जो किशोर ने किया था । वह एक दुर्घटना था ।
लेकिन उसकी पत्नी की मृत्यु दुर्घटना नहीं थी । सुधा की कायराना हरकत थी । जब उसका पति सही सलामत था तो फिर उसे सुसाइड करने की क्या जरूरत थी !
मेरा मानना है कि मां बाप के सामने उनके संतानों की मौत होनी ही नहीं चाहिए पर अगर होना ही है तो बाल्यावस्था में ही हो जाए । ताकि उनकी ज्यादा यादें न सहेज सकें वो । किशोरावस्था और जवानी में तो मृत्यु कदाचित होना ही नहीं चाहिए । ऐसी उम्र में हुई बच्चों की मौत मां बाप मरते दम तक नहीं भूल सकते । वो बस , जिंदा लाश की तरह हो जाते हैं ।
( रावण के तीन सपने जो वो पुरा नही कर सका , उनमें एक यह भी था )
स्लोगन किशोर को जान से मार देता , हमें कोई फर्क नहीं पड़ता । बल्कि वो अभी भी उस खाई से बाहर निकल कर , फिर से जिंदा होकर किशोर को मार डाले , हमें कोई परवाह नहीं लेकिन , काइरा के पीछे पड़ना उसकी भारी गलती थी । ऐसा ही गलती आतिश ने भी की थी । और नतीजा दोनों प्रभू के प्यारे हो गए ।
मैथ्यू और वीर का फाइट एक और कहानी का लाइमलाईट रहा । जबर्दस्त लिखा आपने ।
एक्सन और थ्रिल के अलावा इमोशन्स से भरा हुआ अपडेट्स था हालिया के कुछ अपडेट्स । और काफी लम्बे लम्बे अपडेट्स भी थे । बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ता है लम्बे अपडेट्स लिखने में । इसके लिए आपको साधुवाद ।
जिस वक्त स्लोगन की मृत्यु हो रही थी उस दौरान एक युवा लड़की की छाया भी वहां मौजूद थीं । मुझे लगता है वो वही लड़की होगी जो कार में स्लोगन के साथ बैठी थी । वो कौन थी , इसका राज अभी खुला नहीं है । पर वो जरूर स्लोगन की प्रिय रही होगी ।
और मुझे लगता है " हाऊस आफ किलर " की जन्मदात्री वही अजनबी लड़की होगी । बेहतर आप ही बता सकते हैं ।
होली का पर्व भी आ गया है । भाभी और देवर की होली सबसे ज्यादा प्रचलित है और लगता है इस बार रागिनी के उपर काफी गहरा रंग डालने वाला है वीर । ऐसा रंग जो उनके दामन पर लगे ।
सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे वेयरवोल्फ भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।