सिर्फ दो घटनाक्रम को एक अपडेट मे समेट देना वेयरवोल्फ के स्वभाव से मेल नही खाता ।
जहां कई कई घटना जन्म लेती थी , जहां कई पैराग्राफ चेंज हुआ करते थे , जहां कई सारे किरदार अपनी अपनी पारी खेलते हुए नजर आते थे वहां यह अपडेट मुख्यतः सिर्फ चंद चीजों पर आधारित थी ।
दिव्या का वीर के घर मेहमान बनकर जाना और पुणे मे सिरियल मर्डर मिस्ट्री की तहकीकात करने हेतु दिव्या , वीर और एवा का एक साथ आना ।
घटनाएं सिर्फ दो ही थी लेकिन डिटेल , बारिकी , और भावनाओं से परिपूर्ण थी ।
दिव्या ने एक बेहतरीन मेहमान का परिचय दिया पर अफसोस वीर और उसके फेमिली ने अच्छे मेजबान की रोल्स न निभाई । वीर का फर्ज था कि वो दिव्या का परिचय अपने फेमिली से और फेमिली को दिव्या के बारे मे बताए लेकिन वीर एक बार फिर से एक मशीनीकृत सिस्टम बनकर रह गया । सबकुछ मेहमान को ही करना पड़ा ।
( वैसे दिव्या का वीर के घर आना उसके जाॅब का हिस्सा हो सकता है पर फिर भी मेहमाननवाज़ी नाम का एक चीज भी होता है )
वीर की बात छोड़िए ! घर की बुजुर्ग , चतुर सुजान महिलाएं भी कर्टसी के मामले मे शुन्य साबित हुई । सिर्फ एक ग्लास पानी पिलाकर उसे घर से विदा कर दिया । यह वाकई शिष्टाचार के खिलाफ था ।
और जहां तक बात है वन एंड ओनली तेजल मैडम की तो उनके रिएक्शन से मुझे जरा भी हैरानी नही हुई । रागिनी मैडम की बात क्या करें , मन - मस्तिष्क और दिल के भंवर मे फंसी हुई है ।
दूसरा प्रमुख घटनाक्रम था दिव्या , एवा मार्टिन और वीर का एक साथ पुणे जाना ।
दिव्या अपनी ड्यूटी निभा रही है , वीर को सिस्टम के थ्रू टास्क मिला है और एवा के अनुसार वह भी सिस्टम का आदेश फाॅलो कर रही है । पता नही क्यों , मुझे एवा झूठ बोलती हुई लग रही है । शायद वो वीर के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहती है इसलिए उसने सिस्टम के झूठ का सहारा लिया ।
लेकिन ताज्जुब की बात है मुम्बई से पुणे तक यह त्रिमूर्ति मौन व्रत धारण किए हुए रही । हंड्रेड पर्सेंट यह एवा और दिव्या का एक दूसरे के प्रति डाह , इर्ष्या की भावना के वजह से थी ।
वैसे वीर साहब को मरहूम प्रभाकर के पुराने घर से , या यूं कहे मर्डर स्थल से जो Lancet मिला है वह अवश्य कातिल तक पहुंचने मे मदद कर सकता है । खास चीज की खोज एक खास व्यक्ति ही कर सकता है और इसमे कोई संदेह नही वीर इस उपन्यास का सबसे अहम एवं खास व्यक्ति है ।
खुबसूरत अपडेट वेयरवोल्फ भाई ।
और जगमग जगमग भी ।